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Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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Episode 6

मुझे दरवाजे पे देखते ही सीता का मुह खिल गया।मुझे अंदर बुला कर उसने दरवाजा बन्द किया।शम्भू अंदर बैठा था मुझे देख वो उठ कर मेरे पास आके मुझे नमस्ते किया।

मैं:क्यो भाई शम्भू,क्या चल रहा है आजकल तुम्हारा?

शम्भू:वो सांबा ठाकुर ने उसके फूलों के बगीचे में काम पर रखा है,मैं और शांता अभी वही जाते है।

मैं:अच्छा है,जी लगा के काम करो।

शम्भू:आप नाराज हो क्या,बहोत दिनसे आया नही आपके यहाँ इसलिए।

मैं:अरे नही,वैसी बात नही है,मैं तो खुश हु की तुम जिंदगी में आगे जा रहे हो।

सीता:सांबा ठाकुर नही उसकी बेटी की वजह से नोकरी मिली है,पर इसे कहा है मैन बाप की तरह तुम भी मत गुलाम हो बैठना जिंदगीभर के लिए।

मैं:अरे नही चाची तुम खामखा चिंता कर रही हो।

हमेशा की तरह सीता का पति नही था।वो कर्जा उतारने के लिए दिन रात काम करता था।बहोत घटिया हालत हो गयी थी गाँव की कर्जे की वजह से।बहोत समय तक अइसे ही बाते होती रही।

करीब 8 बजे

सीता:चलो बाबू जी,बाते होती रहेंगी,चलो खाना खा लेते है।

हमने करीब आधे घण्टे में खाना खत्म किया और बाहर आ गए।

मैं:चाची आज तो खाना बहोत अच्छा बना था,आज कुछ अलग मसाला डाले थे क्या?!!

सीता:अरे आज मैंने नही शांता बहु ने खाना बनाया है।

मैं:अच्छा जी,बहुत खूब।कहा है पर वो इतना देर हो गयी कही दिखाई नही दी।खाना खाने में भी नही थी।

सीता:चलो, आपको मिलवाती हु,वही तो आपका शुक्रिया वाला तोफा है।

मैं:मतलब सरप्राइज गिफ्ट,अच्छा है।

किचन और हॉल छोड़ के उनके और 2 रूम थे।उसमे से एक रूम में हम लोग पहुंच गए।वहाँ पर जो नजारा था वो मन मोहक था पर कुछ समय के लिए मैं वैसे ही चौक कर खड़ा हुआ।क्योकि इस बात को मैंने सोचा ही नही था।मैं बस शांता को देखे जा रहा था।शांता पूरी नंगी खड़ी थी।कमरे में पूरे सफेद बिस्तर बिछाया गया था।मैं पूरे शॉक में था।शम्भू के शादी के चक्कर मे मैंने रुबीना यानी अब की शांता पर ध्यान ही नही गया था।

बड़ी ही कयामत थी शांता और आज तो सज धज के नंगी खड़ी थी तो कुछ और ही लग रही थी।मैं उसकी मादक सुंदरता को ताकते हुए खड़ा ही था की मुझे किसीने पीछे से हाथ लगाया।ध्यान टूटते हुए पीछे देखा तो और ही दिल दहलाने वाला नजारा था।सीता और शम्भू भी पूरी तरह नंगे थे।

मैं:चचचाची ये क्या है,मतलब ये क्यों है,यानी ये किसलिए?

सीता:हा हा बाबूजी ज्यादा हैरान मत हो,मुझे मालूम था की आप को ये बहोत ज्यादा चौकाने वाला नजारा रहेगा पर ये सच है।(उन्होंने मुझे शांता के पास खड़ा किया।)

मैं:पर इसकी क्या जरूरत है इसकी?

सीता:आपने इतना कुछ किया शांता के लिए मेरे लिए मेरे बेटे के लिए उसके लिए एक छोटी सी पेशकश।

शम्भू:बाबूजी आपकी वजह से इतनी प्यारी जीवनसाथी मुझे मिली।बस एक इच्छा है की मेरी होने वाली संतान आपसे हो।

सीता:अभी आप ज्यादा मत सोचो बैठ जाओ।

मैं नीचे बैठ लेट गया।मेरे साथ 1 हाथ की दूरी पर शम्भू लेट गया।सीता और शांता ने मेरे कपड़े उतारे।शांता की नजर झुकी थी।मुझे थोड़ा अजीब फील हुआ।कही ये लड़की सास और पति के चक्कर में जबर्दस्ती तो नही चुद रही है।

मैं शांता से:क्यो शांता तुम तैयार तो हो न,कोई जबरदस्ती तो नही कर रहे है न ये लोग!!?

शांता कुछ बोली नही बस गर्दन हिलाई।

मैं:मुझे मुह से बोल कर बताओ।

सीता:री शर्माओ नही,घर के ही है ओ ,बोलो!!!

शांता:मुझे कोई एतराज नही है आपसे चुदवाने में,इन्होंने कोई जबरदस्ती नही की जबसे सासुमा के मुह से आपके लन्ड की तारीफ सुनी तो मेरा भी मन हुआ आपसे चुदवाने का।

मैं मन में-ये तो बहोत ही ज्यादा खुल गयी यार,पर इसकी तो तस्सली थी की लड़की खुशी से तैयार है।

मैं:आओ मेरे पास।

शांता मेरे पास बैठ गयी।काफी गर्माहट सी महसूस हो रही थी उसके बदन से।सीता शम्भू के पास जाके बैठ गयी।लगता है वो आज मेरा ही अनुकरण करने वाले थे,जैसे कि आपको मालूम होगा की सीता चाची को मालूम है की मैं चुदाई के नए नए तरीके कम्प्यूटर पर देखता सीखता रहता हु।उनका तो सीधा होता है,खोलो घुसाओ ठुकाओ खाली कर दो नली।

मैंने शांता के पूरे शरीर पर हाथ फेरने लगा।माथे से लेके चुचे और चुचे से लेके चुत तक।शादी हुई तो लड़की तो नही बोल सकते पर काफी युवा औरत थी शांता।शांता की आंखे बन्द थी रोमांचकता में।मैंने अपना चेहरा उसके चेहरे के पास लेके गया।अभी हमारी सांसे एक दूसरे की सांसों से भीड़ गयी और वह पर रोमांचभरी गरमाहट पैदा हो गयी थी।शांता के कोमल ओंठ थिरक रहे थे।मैंने धीरे से अपने ओंठ उसके ओंठो पर टिकाए।वो ओंठ खोल नही रही थी तो उसके गाल दबाके मुह खोल दिया और ओंठ के लब्ज चुसने लगा।

वहाँ मेरा अनुकरण करते हुए शम्भू भी अपने मा सीता के ओंठो का रसपान कर रहा था।मैंने शांता को नीचे खिसकाया और मेरा लन्ड मुह में दिया।उसे इस तरह की चुदाई का कोई अनुभव नही था।मैंने उसके सर को पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू किया।शांता ने भी उसी लय को पकड़ा और लण्ड चुसने लगी।

वहां सीता चाची तो इसमे माहिर हो चुकी थी।उसने बड़ी कला से शम्भू का लण्ड चुसना चालू किया था। मेरा लंड काफी हद तक कठोर बन चुका था।मैंने शांता को ऊपर लेके पीठ के बल सुलाया और उसके ऊपर चढ़ के उसके पूरे मुह को चूमने लगा।उसकी रसभरी कोमल ओंठो की पंखुडियो पे जीभ घिसाने लगा।काफी मीठा शहद वाला स्वाद था।

थोड़ा नीचे खिसकते हुए उसके चुचो पे गया।चुचो की गोलाई काफी बड़ी थी।उसपर अंगूर जैसे काले निप्पल उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे।मैंने बारी बारी दोनो चुचो को मसलना चालू किया।उसके निप्पल्स को मसलना नोचने लगा।एक एक चुचे को मुह में लेकर निचोड कर चुसने लगा।शांता "आआह उम्म सीईआआह"करके मादक आवाजो में सिसक रही थी।

उसी सिसक में सीता चाची की भी सिस्कारिया मिल रही थी।जिस तरह प्यार से मै शांता के चुचो का आनंद ले रहा था और उतनाही आनंद शांता को दे रहा था वही शम्भू अपनी जानवर वाली स्वभाव से अपनी ही मा के चुचे राक्षस की तरह नोच कर खा रहा था।सीता रोमांच में कम वेदनाओं में ज्यादा सिस्कारिया ले रही थी।

मैं:शम्भू ये क्या कर रहे हो?!

शम्भू रुक कर:क्या हुआ बाबूजी,आपका देख कर ही....

मैं:अरे थोड़ा प्यार से ,मा है वो तुम्हारी,कही भाग नही जा रही है,अइसे भेडियो जैसे नोच खाओगे तो उनकी तबियत बिघड जाएगी।

शम्भू:माफ करना बाबूजी जोश में होश खो बैठा था।

बाद में शम्भू ने जो चालू किया ओ काबिले तारीफ था।सीता चाची ने स्माइल देकर मेरा धन्यवाद किया।मैं फिर से शांता ओर ध्यान केंद्रित किया।थोड़ा नीचे खिसक कर उसके चुत पर उंगलियां घुमाने लगा।जैसे ही चुत को स्पर्श किया वो सांप की तरह तिलमिलाही।मैन उसके चुत के लब्ज फैलाये और उंगली अंदर डाली।थोड़ा आगे पीछे कर उंगलियो से चुत चोदने लगा।शांता काफी गर्म हो चुकी थी।उसकी आवाजे बढ़ रही थी।जैसे ही उसकी चुत खुली मैंने जीभ टिका दी और चुत के अंदर जीभ डाल कर चुत को चाटने लगा।जितना अंदर तक जीभ जाए उतना अंदर तक डाल दी।थोड़ा देर जीभ बाहर निकाल उसके चुत के पंखुड़ियों को चुसने लगा।उसके चुत का मनी भी मुह में लेके चुसने लगा।

अभी हम दोनो काफी हद तक गरम हो गए थे।मैंने देर न करते हुए लण्ड को चुत पर रगड़ा थोड़ा से अंदर घुसेड़ा और एक आहिस्ता धक्का दिया।मुझे मालूम था की बहोत दिन हो गए इसकी चुत में लण्ड नही गया है।फिर भी उसको दर्द हुआ पर वो उतना ज्यादा न था।मैं थोड़ी देर रुका थोड़ा दर्द कम हुआ अइसे लगा तभी मैन धक्के चालू किये।

शांता:आआह उम्म आछह अम्मा आआह आउच्च आआह

मै:क्यो मजा आ रहा है।

शांता:बहोत आआह,औऱ जम के चोदो। आआह उम्म अंदर तक डालो आआह आआह उम्म चोदो मुझे आआह

काफी समय तक चुत चोदने के बाद वो थोड़ी ढीली पड़ने लगी।मै समझ गया की उसका खेल खत्म होने है।मैंने और जोर बढ़ाया आखिरकार हम दोनो झड गए।मेरे लण्डका पूरा गाढ़ा रस शांता के चुत में गया।वो तक गयी थी।उसकी आंखे कंपकपाने लगी।मैं उसको सीधा करके बाजू हुआ।

जैसे ही मैंबाजू हुआ तो मैंने ये पाया की शम्भू झड के सो गया था।सीता चाची बाजू में बैठी थी।मुह लटका था।

मैं:क्या हुआ चाची?मुह क्यों लटकाए हो?!!

सीता चाची:तुमने बहु को तो खुश कर लिया पर इसका लण्ड तो उठते ही झड गया।अभी तुम भी झड गए!!!

मैं:सीधी बात करो चाची।चुत की गर्मी नही मिटी है।लंड चाहिए न।

सीता चाची ने हा में गर्दन हिलाई।

मैं:तो फिर आओ न।मै हु ना!।

सीता चाची खुश होकर मेरे ऊपर लिपट कर कूद पड़ी।सच में उसमे बहोत गर्मी थी।वो जोश में मुझे किस किये जा रही थी।मैंने भी उसे कस के बाहों में लिया।उसकी चुत मेरे लंड से चिपकी थी।उसकी गर्माहट ही मेरे लंड की रोमांचित कर रही थी।

उसकी ओंठो को मुह में लेके चूसते हुए :क्यो चाची आज बहोत आग झोंक रही हो।

सीता:अरे जब से आप आये हो तभी से चुदवाने का सोच रही थी पर सरप्राइज की वजह से भावनाओ को संभाल के चक्कर में चुत बहोत ज्यादा गर्म हो गयी।अभी देर मत करो लंड डालो और चुदओ।

मैंने लण्ड को चुत पे सेट करते ही वो धस करके उसके ऊपर बैठ गयी।"आआह"दोनो सिसक गए।

आआह चोदो बाबूजी जोर से चोदो आआह आआह उम्म चुत फाड़ दो आज.आज मैई आआह आपकी रंडी बनके चुदूँगी आआह आआह आआह जोर से भोसड़ा बना दो इस रंडी की चुत को आआह।

लंड पर चुत दनदना पटकी जा रही थी।काफी देर होने के बाद मैं उसके ऊपर आया और ऊपर से धक्के जड़ना चालू किया।उसके चुचे पकड़ कर मसलने लगा आआह ।क्या मस्त मजा आ रहा था।उसकी चुत काफी खुली थी तो लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।कुछ ही पल की खुशी थी की सीता चाची झड गयी।मैं निराश हो गया।पर मेरा चेहरा देख चाची ने देर न करते हुए लंड मुह में लेके चुसने लगी।तबतक चूसा जबतक उसमेंसे गाढ़े रस का आखरी बून्द उसके मुह में न जाए।






 

Arv313

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Nice update bahut badhiya bas update regular do bhai.
 
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Tinkuram

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आज सुबह से ये कहानी शुरू से अब तक पूरी कर ली और मजा आ गया खूबसूरत जा रही है अपडेट थोड़ा और जल्दी देने की कोशिश करे। मैं जनता हूँ कि कहना आसान है पर लिखने में समय लगता है फिर भी एक अच्छी कहानी और बढ़िया लेखक से उम्मीद बढ़ जाती है।
 

Jassybabra

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Nice update
 
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Majnu420

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Episode 6

मुझे दरवाजे पे देखते ही सीता का मुह खिल गया।मुझे अंदर बुला कर उसने दरवाजा बन्द किया।शम्भू अंदर बैठा था मुझे देख वो उठ कर मेरे पास आके मुझे नमस्ते किया।

मैं:क्यो भाई शम्भू,क्या चल रहा है आजकल तुम्हारा?

शम्भू:वो सांबा ठाकुर ने उसके फूलों के बगीचे में काम पर रखा है,मैं और शांता अभी वही जाते है।

मैं:अच्छा है,जी लगा के काम करो।

शम्भू:आप नाराज हो क्या,बहोत दिनसे आया नही आपके यहाँ इसलिए।

मैं:अरे नही,वैसी बात नही है,मैं तो खुश हु की तुम जिंदगी में आगे जा रहे हो।

सीता:सांबा ठाकुर नही उसकी बेटी की वजह से नोकरी मिली है,पर इसे कहा है मैन बाप की तरह तुम भी मत गुलाम हो बैठना जिंदगीभर के लिए।

मैं:अरे नही चाची तुम खामखा चिंता कर रही हो।

हमेशा की तरह सीता का पति नही था।वो कर्जा उतारने के लिए दिन रात काम करता था।बहोत घटिया हालत हो गयी थी गाँव की कर्जे की वजह से।बहोत समय तक अइसे ही बाते होती रही।

करीब 8 बजे

सीता:चलो बाबू जी,बाते होती रहेंगी,चलो खाना खा लेते है।

हमने करीब आधे घण्टे में खाना खत्म किया और बाहर आ गए।

मैं:चाची आज तो खाना बहोत अच्छा बना था,आज कुछ अलग मसाला डाले थे क्या?!!

सीता:अरे आज मैंने नही शांता बहु ने खाना बनाया है।

मैं:अच्छा जी,बहुत खूब।कहा है पर वो इतना देर हो गयी कही दिखाई नही दी।खाना खाने में भी नही थी।

सीता:चलो, आपको मिलवाती हु,वही तो आपका शुक्रिया वाला तोफा है।

मैं:मतलब सरप्राइज गिफ्ट,अच्छा है।

किचन और हॉल छोड़ के उनके और 2 रूम थे।उसमे से एक रूम में हम लोग पहुंच गए।वहाँ पर जो नजारा था वो मन मोहक था पर कुछ समय के लिए मैं वैसे ही चौक कर खड़ा हुआ।क्योकि इस बात को मैंने सोचा ही नही था।मैं बस शांता को देखे जा रहा था।शांता पूरी नंगी खड़ी थी।कमरे में पूरे सफेद बिस्तर बिछाया गया था।मैं पूरे शॉक में था।शम्भू के शादी के चक्कर मे मैंने रुबीना यानी अब की शांता पर ध्यान ही नही गया था।

बड़ी ही कयामत थी शांता और आज तो सज धज के नंगी खड़ी थी तो कुछ और ही लग रही थी।मैं उसकी मादक सुंदरता को ताकते हुए खड़ा ही था की मुझे किसीने पीछे से हाथ लगाया।ध्यान टूटते हुए पीछे देखा तो और ही दिल दहलाने वाला नजारा था।सीता और शम्भू भी पूरी तरह नंगे थे।

मैं:चचचाची ये क्या है,मतलब ये क्यों है,यानी ये किसलिए?

सीता:हा हा बाबूजी ज्यादा हैरान मत हो,मुझे मालूम था की आप को ये बहोत ज्यादा चौकाने वाला नजारा रहेगा पर ये सच है।(उन्होंने मुझे शांता के पास खड़ा किया।)

मैं:पर इसकी क्या जरूरत है इसकी?

सीता:आपने इतना कुछ किया शांता के लिए मेरे लिए मेरे बेटे के लिए उसके लिए एक छोटी सी पेशकश।

शम्भू:बाबूजी आपकी वजह से इतनी प्यारी जीवनसाथी मुझे मिली।बस एक इच्छा है की मेरी होने वाली संतान आपसे हो।

सीता:अभी आप ज्यादा मत सोचो बैठ जाओ।

मैं नीचे बैठ लेट गया।मेरे साथ 1 हाथ की दूरी पर शम्भू लेट गया।सीता और शांता ने मेरे कपड़े उतारे।शांता की नजर झुकी थी।मुझे थोड़ा अजीब फील हुआ।कही ये लड़की सास और पति के चक्कर में जबर्दस्ती तो नही चुद रही है।

मैं शांता से:क्यो शांता तुम तैयार तो हो न,कोई जबरदस्ती तो नही कर रहे है न ये लोग!!?

शांता कुछ बोली नही बस गर्दन हिलाई।

मैं:मुझे मुह से बोल कर बताओ।

सीता:री शर्माओ नही,घर के ही है ओ ,बोलो!!!

शांता:मुझे कोई एतराज नही है आपसे चुदवाने में,इन्होंने कोई जबरदस्ती नही की जबसे सासुमा के मुह से आपके लन्ड की तारीफ सुनी तो मेरा भी मन हुआ आपसे चुदवाने का।

मैं मन में-ये तो बहोत ही ज्यादा खुल गयी यार,पर इसकी तो तस्सली थी की लड़की खुशी से तैयार है।

मैं:आओ मेरे पास।

शांता मेरे पास बैठ गयी।काफी गर्माहट सी महसूस हो रही थी उसके बदन से।सीता शम्भू के पास जाके बैठ गयी।लगता है वो आज मेरा ही अनुकरण करने वाले थे,जैसे कि आपको मालूम होगा की सीता चाची को मालूम है की मैं चुदाई के नए नए तरीके कम्प्यूटर पर देखता सीखता रहता हु।उनका तो सीधा होता है,खोलो घुसाओ ठुकाओ खाली कर दो नली।

मैंने शांता के पूरे शरीर पर हाथ फेरने लगा।माथे से लेके चुचे और चुचे से लेके चुत तक।शादी हुई तो लड़की तो नही बोल सकते पर काफी युवा औरत थी शांता।शांता की आंखे बन्द थी रोमांचकता में।मैंने अपना चेहरा उसके चेहरे के पास लेके गया।अभी हमारी सांसे एक दूसरे की सांसों से भीड़ गयी और वह पर रोमांचभरी गरमाहट पैदा हो गयी थी।शांता के कोमल ओंठ थिरक रहे थे।मैंने धीरे से अपने ओंठ उसके ओंठो पर टिकाए।वो ओंठ खोल नही रही थी तो उसके गाल दबाके मुह खोल दिया और ओंठ के लब्ज चुसने लगा।

वहाँ मेरा अनुकरण करते हुए शम्भू भी अपने मा सीता के ओंठो का रसपान कर रहा था।मैंने शांता को नीचे खिसकाया और मेरा लन्ड मुह में दिया।उसे इस तरह की चुदाई का कोई अनुभव नही था।मैंने उसके सर को पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू किया।शांता ने भी उसी लय को पकड़ा और लण्ड चुसने लगी।

वहां सीता चाची तो इसमे माहिर हो चुकी थी।उसने बड़ी कला से शम्भू का लण्ड चुसना चालू किया था। मेरा लंड काफी हद तक कठोर बन चुका था।मैंने शांता को ऊपर लेके पीठ के बल सुलाया और उसके ऊपर चढ़ के उसके पूरे मुह को चूमने लगा।उसकी रसभरी कोमल ओंठो की पंखुडियो पे जीभ घिसाने लगा।काफी मीठा शहद वाला स्वाद था।

थोड़ा नीचे खिसकते हुए उसके चुचो पे गया।चुचो की गोलाई काफी बड़ी थी।उसपर अंगूर जैसे काले निप्पल उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे।मैंने बारी बारी दोनो चुचो को मसलना चालू किया।उसके निप्पल्स को मसलना नोचने लगा।एक एक चुचे को मुह में लेकर निचोड कर चुसने लगा।शांता "आआह उम्म सीईआआह"करके मादक आवाजो में सिसक रही थी।

उसी सिसक में सीता चाची की भी सिस्कारिया मिल रही थी।जिस तरह प्यार से मै शांता के चुचो का आनंद ले रहा था और उतनाही आनंद शांता को दे रहा था वही शम्भू अपनी जानवर वाली स्वभाव से अपनी ही मा के चुचे राक्षस की तरह नोच कर खा रहा था।सीता रोमांच में कम वेदनाओं में ज्यादा सिस्कारिया ले रही थी।

मैं:शम्भू ये क्या कर रहे हो?!

शम्भू रुक कर:क्या हुआ बाबूजी,आपका देख कर ही....

मैं:अरे थोड़ा प्यार से ,मा है वो तुम्हारी,कही भाग नही जा रही है,अइसे भेडियो जैसे नोच खाओगे तो उनकी तबियत बिघड जाएगी।

शम्भू:माफ करना बाबूजी जोश में होश खो बैठा था।

बाद में शम्भू ने जो चालू किया ओ काबिले तारीफ था।सीता चाची ने स्माइल देकर मेरा धन्यवाद किया।मैं फिर से शांता ओर ध्यान केंद्रित किया।थोड़ा नीचे खिसक कर उसके चुत पर उंगलियां घुमाने लगा।जैसे ही चुत को स्पर्श किया वो सांप की तरह तिलमिलाही।मैन उसके चुत के लब्ज फैलाये और उंगली अंदर डाली।थोड़ा आगे पीछे कर उंगलियो से चुत चोदने लगा।शांता काफी गर्म हो चुकी थी।उसकी आवाजे बढ़ रही थी।जैसे ही उसकी चुत खुली मैंने जीभ टिका दी और चुत के अंदर जीभ डाल कर चुत को चाटने लगा।जितना अंदर तक जीभ जाए उतना अंदर तक डाल दी।थोड़ा देर जीभ बाहर निकाल उसके चुत के पंखुड़ियों को चुसने लगा।उसके चुत का मनी भी मुह में लेके चुसने लगा।

अभी हम दोनो काफी हद तक गरम हो गए थे।मैंने देर न करते हुए लण्ड को चुत पर रगड़ा थोड़ा से अंदर घुसेड़ा और एक आहिस्ता धक्का दिया।मुझे मालूम था की बहोत दिन हो गए इसकी चुत में लण्ड नही गया है।फिर भी उसको दर्द हुआ पर वो उतना ज्यादा न था।मैं थोड़ी देर रुका थोड़ा दर्द कम हुआ अइसे लगा तभी मैन धक्के चालू किये।

शांता:आआह उम्म आछह अम्मा आआह आउच्च आआह

मै:क्यो मजा आ रहा है।

शांता:बहोत आआह,औऱ जम के चोदो। आआह उम्म अंदर तक डालो आआह आआह उम्म चोदो मुझे आआह

काफी समय तक चुत चोदने के बाद वो थोड़ी ढीली पड़ने लगी।मै समझ गया की उसका खेल खत्म होने है।मैंने और जोर बढ़ाया आखिरकार हम दोनो झड गए।मेरे लण्डका पूरा गाढ़ा रस शांता के चुत में गया।वो तक गयी थी।उसकी आंखे कंपकपाने लगी।मैं उसको सीधा करके बाजू हुआ।

जैसे ही मैंबाजू हुआ तो मैंने ये पाया की शम्भू झड के सो गया था।सीता चाची बाजू में बैठी थी।मुह लटका था।

मैं:क्या हुआ चाची?मुह क्यों लटकाए हो?!!

सीता चाची:तुमने बहु को तो खुश कर लिया पर इसका लण्ड तो उठते ही झड गया।अभी तुम भी झड गए!!!

मैं:सीधी बात करो चाची।चुत की गर्मी नही मिटी है।लंड चाहिए न।

सीता चाची ने हा में गर्दन हिलाई।

मैं:तो फिर आओ न।मै हु ना!।

सीता चाची खुश होकर मेरे ऊपर लिपट कर कूद पड़ी।सच में उसमे बहोत गर्मी थी।वो जोश में मुझे किस किये जा रही थी।मैंने भी उसे कस के बाहों में लिया।उसकी चुत मेरे लंड से चिपकी थी।उसकी गर्माहट ही मेरे लंड की रोमांचित कर रही थी।

उसकी ओंठो को मुह में लेके चूसते हुए :क्यो चाची आज बहोत आग झोंक रही हो।

सीता:अरे जब से आप आये हो तभी से चुदवाने का सोच रही थी पर सरप्राइज की वजह से भावनाओ को संभाल के चक्कर में चुत बहोत ज्यादा गर्म हो गयी।अभी देर मत करो लंड डालो और चुदओ।

मैंने लण्ड को चुत पे सेट करते ही वो धस करके उसके ऊपर बैठ गयी।"आआह"दोनो सिसक गए।

आआह चोदो बाबूजी जोर से चोदो आआह आआह उम्म चुत फाड़ दो आज.आज मैई आआह आपकी रंडी बनके चुदूँगी आआह आआह आआह जोर से भोसड़ा बना दो इस रंडी की चुत को आआह।

लंड पर चुत दनदना पटकी जा रही थी।काफी देर होने के बाद मैं उसके ऊपर आया और ऊपर से धक्के जड़ना चालू किया।उसके चुचे पकड़ कर मसलने लगा आआह ।क्या मस्त मजा आ रहा था।उसकी चुत काफी खुली थी तो लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।कुछ ही पल की खुशी थी की सीता चाची झड गयी।मैं निराश हो गया।पर मेरा चेहरा देख चाची ने देर न करते हुए लंड मुह में लेके चुसने लगी।तबतक चूसा जबतक उसमेंसे गाढ़े रस का आखरी बून्द उसके मुह में न जाए।
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