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Episode 9
घर पर आते ही मा ने पूछ लिया:क्यों बुलाया था?
मैंने सिताचाची के ओर देखा,उन्होंने सर नीचे किया।मतलब इन्होंने ही मा को बताया था।औरतो के पेट में कुछ रहता ही नही।
मैं:मा,कुछ नही ,कल दीदी के साथ जो बर्ताव किया उसके लिए माफी मांग रही थी,बस!!
मा:सच न!!
मैं:जो है वो बता दिया बाकी सच मानना न मानना आपका लुक है।चलो थक गया हु।कमरे में जा रहा हु।
मा:सुन आज बस्ती की औरते आने वाली है।हम औरतो का एक कार्यक्रम है।चाहो तो तुम घर के बाहर रह सकते हो।
अभी 6 बज गए थे।7 बजे तक प्रोग्राम चालू होने वाला था।मैं मंदिर के पास गया शम्भू को लेकर।काफी समय हम लोगो ने वहां बिताया।वो ठाकुरों की बाते बता रहा था।करीब 8 से 8.30 बजे उसे कुछ काम याद आया और वो घर के लिए निकल पड़ा।मैं वही रुका हुआ था।थोड़ी देर बाद मुझे भी बैठे बैठे बोर होने लगा तो मैं भी घर की तरफ निकला।
कुछ देर चलने के बाद हवेली जाने वाले रास्ते पर मुझे कुछ लोग एक लड़की को घेर के खड़े दिखाई दिए,मुझे वो नजारा अजीब लगा थोड़ा पास गया तो मालूम पड़ा की वो लोग उसे मारने वाले थे। न उनका चेहरा दिख रहा था सही से न उस लड़की का।
पर नसीब से उसी वक्त उस आदमियो में से एक शख्स ने पूरा बैटरी का लाइट लड़की के चेहरे पर डाला।है भगवान,ये क्या अभी मसला है। ये तो सांबा की बेटी है "श्वेता"।पर जिस गाँव पर इसके बाप का वर्चस्व है वहा इसके उप्पर हमला।
मैंने परिस्थिति का जायजा लिया।आदमी लोग बहोत हत्तेकटे थे।मै अकेला तो इनको संभाल नही सकते थे।मैं कुछ सोचु उससे पहले एकने कट्टा निकाल निशाना पकड़ा।इधर उस लड़की से ज्यादा मेरे को पसीना आ रहा था।फिर क्या,अपना रोजका नुस्खा, मिट्ठी उठाई और चारो के आंखों पर फेंक दी।उसी चक्कर में उस कट्टे वाले ने गोली चला दिया।बालबाल बच गया।नही तो आज सीधा समशान घाट पर था।
मैं ज्यादा देर न गवाते लड़की को खींचा और मंदिर की ओर भागा।और मंदिर के पास एक छोटी गुफा जैसी जगह थी जो मुझे शम्भू नर दिखाई थी।वो बचपन में वही पर दोस्तो के साथ खेलता था तब छुपता था।मैं श्वेता को लेकर वही घुस गया।जगह बहोत छोटी थी डेड आदमी की रहेगी।
श्वेता मुझसे एकदम लिपट कर थी।काफी डर गई थी।डर से उसको रोना भी नही आ रहा था।उसने मुझे कस के पकड़ा था तो आखिर में मैंने भी उसे बाहों में कस के पकड़ा।
वो लोग मंदिर के आस पास ही हमे ढूंढ रहे थे।तभी एक आदमी उस जगह के काफी करीब आया।डर के मारे श्वेता के मुह से चींख ही निकलने वाली है इसका मुझे अंदाज हो गया।हाथ से मुह दबाना मुमकिन नही था क्योकि थोड़ी भी आवाज हुआ तो वो सचेत हो जाता।
मुझे उस वक्त हिम्मत कहा से आई मालूम नही उसका मुह थोड़ा खुला ही था की मैंने अपने होंठ उसके होठ पर चिपका दिए।उसकी आंखे फ़टी की फ़टी रह गयी।उस वक्त वो उसके नेगेटिव रिएक्ट हो सकती थी।तो उसने पोसेटिव वे चुना अइसे मुझे लगा।पर असल में बात अलग ही हो गयी थी।करीब 2 मिनट अइसे ही ओंठ को ओंठ लगाए थे।जैसे लगा की वो वहा से जा रहा है।मैं थोड़ा बाहर देखा।जिस वक्र मैंने बाहर नजर फेंकी उस वक्त ही उसी बन्दे ने वो जो कट्टे वाला आदमी था उसके उपर लाइट फेंकी।थोड़ी देर के लिए मेरे डिटेक्टिव दिमाग ने ये रिएक्ट किया की"इस चेहरे को कही तो देखा है"।वो घूम के मेरे ऊपर फिरसे लाइट न आ जाए इसलिए फट से मुह घुमाया तो श्वेता ने मेरे होठों पर होंठ चिपका दिए।मुझे लगा कम जगह की वजह से गलती से हुआ रहेगा पर श्वेता ने स्मूच करना चालू किया।
ये लड़की बहोत तेज निकली।मैं उसको रिहा करने की कोशिश की पर उसने कस के पकड़ा था।अब मैं ठहरा लड़का।लड़की की गर्मी थोड़ी महसूस क्या हुई,मै तो पिघल गया।मैं भी उसको रिस्पांस देने लगा।जगह कम थी तो उसके आम जैसे चुचे मेरे छाती पर जोर से चिपके थे।कुछ क्षण की बात थी की मेरे लण्ड ने हरकत करना चालू की और नतीजन वो श्वेता के गांड पर घिसने लगा।
थोड़ी देर में वो लोग वहां से चले गए।हम लोग बाहर निकल आये।
श्वेता:थैंक्स वीनू!!
मैं:इट्स ओके ।पर ये है कौन!
श्वेता:नही मालूम उन्होंने मास्क लगाया था गमछे का और अंधेरे में पहचान भी नही आ रहे थे।
मैं:चलो कोई नही,सम्भलके रहियो।मैं तुम्हे हवेली तक छोड़ देता हु।
रास्ते में-
मैं:इतनी रात को अकेले क्यो घूम रही थी??
श्वेता:अरे नही मा चाची लोग के साथ तुम्हारे घर गयी थी पर देखा तो सस्तन का प्रोग्राम था तो मैं बोर होने लगी,इसलिए वापस हवेली जा रही थी।
मै:अच्छा अइसी बात है।
बाते करते हुए हवेली आ गयी।गेटसे थोड़ी दूरी पर उसे अलविदा करके मैं घूमने ही वाला था तो श्वेता ने मुझे पुकारा।मैं उधर देखा तो वो थोड़ी और दूरी पर खड़ी थी।
मैं:क्या हुआ?कोई है क्या वह?
श्वेता:हा!!!
मैं झट से भागके उसके पास गया क्योकि गेट पैक था।अंदर की बाजू आदमी होते है।अगर यहाँ किसीने उसे पकड़ा तो जल्दी से कोई आने वाला नही था।
मेरे उसके पास पहुंच गया और :कहा है?कहापर!???
जैसे ही मैंने अपना सर उसके सामने लाया उसने मुझे कस के स्मूच किया करीब 1 मिनिट तक।फिर जगह को मद्देनजर मैंने उसे छुड़ाया।
मैं:ये क्या कर रही हो तुम??!!
श्वेता:प्यार?
मैं:पागल हो,तुम्हारे और मेरे उम्र में 5 साल का अंतर है पागल।
श्वेता:तो क्या हुआ?प्यार को उम्र नही होती,तुम कुछ भी कहो,आई लव्ह यु।मानोगे तो प्यार से नही तो जबरदस्ती,पर तुम मेरे हो।
इतना कह के वो चली गयी।
मैं मन में-क्या पागल लड़की है।पर बहोत जिद्दी भी।अगर इसने कुछ बोला है तो वो कर भी देगी।गाँव में पढ़ा लिखा कोई नही था और ठाकुर फैमिली को साज दे अइसे सिर्फ हम लोग ही थे।तो इसका मुझे प्रियंकर चुनना वाजिब था।
मैं वहाँ से घर की तरफ आया।हमारे घर के गेट पर कोई ख़ुसूरफुसुर कर रहा था।मैंने पुलिस अंकल को पुकारा।जैसे ही उनको पुकारा आवाज बन्द हुई।अंधेरे की वजह से मैं कौन था ये जान नही पाया।
पुलिस अंकल:क्या हुआ साब?
मैं:कुछ नही,कुछ आवाज सी सुनाई दी।आप जाओ सो जाओ।
रात को खाना खत्म करने के बाद मैं कमरे में गया ।आजकल हमले हो रहे थे तो दरवाजा खुला रखा था कमरे का और सोने ही वाला था की मा कमरे में आई।
मा:सो गये क्या?
मैं:नही मा?क्या हुआ?
मा:नही,आज खाना भी चुपचाप खाया,कुछ बोले नही इसलिए हालचाल पूछने आई थी!!
मैं मन में-इनको क्या बोलू की आजकल उनका बीटा मौत के कुँए में खेल रहा है,कभी खुद कांड करता है कभी दूसरे के साथ कांड में फसता है।
मैं:अइसा कुछ नही है मा!ठीक हु मै।
मैं बिस्तर पर लेटा था ।वो मेरे बाजू में आकर मेरे सर पर हाथ घुमाते हुए।
मा:तुम्हारा बर्ताव और चेहरे के हावभाव कुछ और कह रहै है।
उसी वक्त उनकी नजर मेरे अंडरवियर पर जाती है।मैं आज अंडरवियर पर सो रहा था।मेरा लंड खड़ा था।थोड़ी देर पहले जो रोमांस हुआ था उसका वो नतीजा था।मैं मन ही मन सोच रहा था की मेरा लंड खड़ा होना और मा को वो दिखना ये भगवान का तो किया कराया नही है।मेरी लाइफ स्क्रिप्टेड बन गयी है क्या।पर आज मुझे घाव डालना ही था।जो भी हो जाए।
मा:अच्छा जी,मेरे बेटे की परेशानी की वजह ये है।वीनू मुझे बता देते मैं मदत कर देती।
मैं :वो मा...
मा:रुको मैं दरवाजा बन्द कर देती हु।
दरवाजा बन्द करने के बाद मा अपना पल्लु कमर तक लाके बिस्तर पर लेटने ही वाली थी की मैंने उन्हें रोका।
मा:क्या हुआ अब???
मैं:वो मा घिसते वक्त साड़ी लगती है।वो निकाल देती तो।
मा थोड़ी देर सोच कर सिर्फ पेंटी और ब्रा में आ जाती है।
मा:अब खुश!!!!
मै:थैंक यु मा...
मा गांड मेरे तरफ कर के सो जाती है।और मैं अंडरवियर निकाल कर लण्ड को आहिस्ता घिसना चालू कर देता हु।
मा:तू बहोत बड़ा हो गया है वीनू।
मैं:कैसे मा???(जानभुजके अनजान बनते हुए)
मा:अयसेही!!!
मैं:अयसेही कैसे मा??
मा उलझन में बोल देती है:तेरा वो बड़ा हो कर तन रहा है न!!
मैं:वो क्या मा??
मा अभी बड़ी उलझन में पड़ गयी।उसे ये तो अहसास हो गया की उसे सब बाते सीधी और स्पष्ट शब्दो में बोलनी है,नही तो मेरे सवाल नही बन्द होंगे।
मा:अरे वो तेरा लण्ड,बहोत बडा हो गया है।
वीनू:हो सकता है।मुझे कुछ आईडिया नही उसका।
मा मन में-तुझे क्या आईडिया होगा।जिसकी चुत में जाएगा उसको ही आईडिया होगा।
मा अभी हवस में जोश में आ रही थी उसने अपने चुचे दबाने चालू किये थे।
मैं:मैं उसको दबा सकता हु मा?
मा थोड़ा सनकोचित हो कर:हा दबा सकता है पर...
मैंने कुछ आगे न सुनते हुए चुचो को दबोच लिया।पर की चिंता न करते हुए मा ने भी पोसेटिव रिएक्ट किया।उसने खुदके हाथ ऊपर रख दबाव डाल कर दबवाने लगी।
दोनो के होश खोए जा रहे थे।कुछ देर के लिए मैं भूल गया की मैं मा के पास हु और मेरा दूसरा हाथ जोश में उनके पेंटी के अंदर घुस के चुत पर घूमने लगा।मा ने हाथ से रोकना चाहा पर हवस इतनी बदन में भर गयी थी की उनके उस नकार में उतनी शक्ति नही थी।मैंने चुत को और चूची को मसलना चालू किया।मेरा लण्ड गांड पे घिस रहा था।वो ज्यादा देर न रखते हुए झड गया।
लण्ड तो झड गया पर चुत को मसलने से चुत का ज्वाला भड़क गया था।मा ने मेरे तरफ मुह करके अपने ओंठ मेरे ओंठो पर चिपक दिए।बहोत मजा आ रहा था उनके ओंठो का रस चुसने में।मेरी उंगलियां चुत में भांगड़ा कर रही थी।जैसे ही उसकी चरमसीमा आई।वो थोड़ी अकड़ी और झड गयी।
झड़ने के बाद वो ढीली पड़ गयी।मेरे बाजू में बैसे ही सो गयी।आज एक स्टेप आगे बढ़ गये थे हम लोग,अलग ही नशा सा लग रहा था मुझे आज।उसी नशा में मुझे भी नींद आ गयी।