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Network issue hai aur garami ki vajah se writing me bhi taklif ho rahi hai pasine se.try kr raha hu ..thanks for commentShandar update
update purani speed se kyu ne date ho
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Maza aa gaya didi to badi chuddakar nikliEpisode 7
दूसरे दिन सुबह मुझे किसीने उठाया।रातभर थक गया था तो मुझे उठने नही हो रहा था।
मैं:जाओ न मा,मुझे और सोना है।
कुछ देर रुक कर मुझे एक गाल पर झांपड पडी।
वो:ओ नूनीराम उठ जा।कितना सोएगा।
वो आवाज सुन कर मेरी नींद सी उड़ गयी।आवाज बहोत ज्यादा पहचान की थी।वो रक्षा थी मेरी बड़ी बहन।मैं झट से उठ गया।
मैं:ये दीदी आ गयी दीदी आ गयी।
उन्होंने अपने हाथ खोले गले मिलने के लिए।मैं भी उनके गले मिला।
रक्षा:क्यो रे नूनीराम कितना सोएगा।छूटी पूरी एन्जॉय कर रहा है हा।
मैं:नूनीराम मत बोलो,मैं अभी बड़ा हो गया हु।
रक्षा हस्ते हुए:पर तू मेरे लिए नूनी राम ही रहेगा।
हम दोनो हसने लगे।
(नूनीराम ये नाम मुझे बचपन में रखा गया था जब मैं नंगा घूमता था।मूतने को मै नूनी बोलता था क्योकि बचपन में जो कामवाली हमारे यहाँ काम करती थी वो मेरे लण्ड को नूनी बोलती थी तो मैं भी वही बोलता था।इसकी वजह से मेरा नूनीराम कहके दीदी मजाक उड़ाती थी।)
मा:भाई बहन का प्यार खत्म हो गया हो तो वीनू नहा ले फिर साथ में नाश्ता करेंगे।
मैं:ठीक है।
मैं फ्रेश होकर बाहर आ जाता हु।मुझे देखकर पिताजी हस्ते हुए:आओ मेरे शेर,आजकल सिंघम बने घूम रहे हो।
दादी:मतलब।
मा:अब क्या किया इसने।
पिताजी:आओ सब लोग बैठो तो।
मा सब नाश्ते का बर्तन लेके आती है।सब लोग एकसाथ बैठे थे।
पिताजी:महाशय ने मेरे सेक्रेटरी की मदत से शहर से उच्च श्रेणी के पुलिस अफसर बुलाके बल्लू ठाकुर का गांजे के व्यापार को बन्द कर दिया है।
दादी:जुग जुग जिओ मेरे लाल!!!
मा:वीनू तुमने फिरसे मुसीबत मोड़ ली।
रक्षा:अरे नूनीराम तुझे क्या मरने का शौक है,तू है कितना सा कारनामे कितने।
पिताजी:औए रुको,चले सब चिल्लाने।मैंने कहा की उसने गलत किया।मैं तो तारीफ कर रहा था।
मैं:थैंक्यू पिताजी।
पिताजी:अभी तुझे और चौकन्ना रहना होगा वीनू।
मैं:आप चिंता ना करो।मैं सब देख लूंगा।आप बस एक पुलिस वाले को भेज दो मा दादी के सेफ्टी के लिए।
पिताजि:हा,सही बोल रहे हो,करता हु मैं इंतजाम।
नाश्ता होने के बाद पिताजी शहर निकल जाते है।सीता चाची के साथ रक्षा फूल लेने सांबा के खेत जाती है जहा उसका बेटा बहु काम करते है।मैं घर में ही इधर उधर टहल रहा था।कुछ देर गुजरने के बाद सिताचाची घबराई हुई मेरे पास अति है।मा और दादी सस्तन में बैठी थी तो अंदर भगवान के घर में थी।
सीता:बाबू जी बाबू जी!!!
मैं:अरे आहिस्ता क्या हुआ?दीदी कहा है!!?
सीता:बल्लू ठाकुर ने उसे उठाकर ले गया है।
मैं आगे की बात सुनने से पहले ही वहां से बल्लू के अड्डे पर निकल गया।जबसे दुश्मनी की थी।ठाकुरों के घर के हर एक के अड्डे धन्दे की जानकारी निकाली थी।
मेंरे अंदाजे से मैं सही जगह पर पहुंच गया था।ज्यादा लोग नही थे।विष्णु और दो और लोग थे।अभीतक ये किडनैप की बात गांव तक पहुंच गयी होगी,क्योकि सीता आई ही वैसे थी।
आज फिरसे बल्लू नही था।मुझे मालूम था की वो हमेशा विष्णु को अड़े लेके काम करता है।
मैं:क्यो बे झांट के बाल उस दिन का डोस कम पड़ा क्या??!
विष्णु:नही डॉक्टर जी उसका ही कर्ज चुकाने आये है।
मैं:तेरा वो भड़वा ठाकुर किधर है आज भी मुह छिपा कर बैठा है क्या।
1 आदमी:अरे विष्णु क्या सुन रहा है।ठोक इसको इधर ही।(उसने कट्टा/गन निकाल दी)
अभी मेरी फटी थी।बोलने के मामले में मै शेरथा पर मारधाड़ के मामले में ढेर था।पर इतना तो होशियार था की डर की सिकंझ तक माथे पर आने नही दी।
विष्णु:नही रे इसके सामने इसके बहन की लूंगा।ठाकुर साहब ने अइसे ही करने बोला है।इसको सबक जो सीखाना है वो भी इसकी ही भाषा में।
दूसरा आदमी:सही कहै हो।हमारे मौहल्ले में बिल्ली हमसे ही चु करती है।अवकात पे आएगा आज।
उनके इरादों का पता मुझे लग गया था।1 आदमी ने कट्टा कमत पे लटका लिये। और दोनो आके मुझे पकड़ लिया।विष्णु दीदी को लेकर आ गया।
मैं:देख विष्णु तू फिर एक बार गलती कर रह है।बल्लू तुझसे जो भी करवाये बर्बाद तो मैं तूझे ही करूँगा।
दूसरा आदमी:अबे चल चल।विष्णु तू हौज शुरू।इसे हम देखते है।
विष्णु दीदी के शरीर पर हाथ घुमाने लगा।मेरा पारा चढ़ रहा था।कुछ आजु बाजू देखा तो मुझे अहसास हुआ की पहले आदमी के पास कट्टा है।मुझे सिर्फ एकबार जोर लगा कर वो कट्टा हासिल करना था।और भगवान ने मेरी सुन ली।विष्णु की हरकते देखते हुए वो इतने मगन होगये की मुझे ढीला छोड़ा।मैं ये मौका छोड़ना नही चाहता था।मैंने जोर लगा कर दोनो को धकेला और चतुराई से कट्टा खींच कर पहले आदमी को मौत के घाट उतारा।दूसरी बार दूसरे पर तानी और मारी भी पर वो भागने में कामयाब हुआ।
अचानक हुए हमले से विष्णु बौखला गया।दीदी की आड़ में छुपने लगा।
विष्णु:देख छोटे माफ कर दे मुझे,तु ले जा अपनी बहन को।बस मुझे बक्श दे।
मैं:अब ये मुझसे न हो पायेगा झांट के बाल।मेरी आफर लिमिटेड पीरियड की थी अभी टाटा और बाय बाय।
बौखलाया हुआ विष्णु जान बचाने के चक्कर में भागने लगा।मैंने कोई गलती न करते हुए सीधी गोली पैर पे मारी।वो नीचे गिरा।
मैं:क्यो बेटा पीठ दिखाके भाग रहे हो।पर हम पीठ पे वार नही करते।ये ले जाहनुम का तोफा।अलविदा।
उंगली हिली,ट्रिगर दबा,गोली घुसी सीधा छाती के अंदर।
मैं स्काउट किया था तो मुझे फाइट और शूटिंग की बेसिक नॉलेज थी।
दीदी मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैं:अरे क्या हुआ?बस अब होगया,रो मत।
दीदी:तू सही कर रहा था,हम खामखा तुम्हे चीला रहे ठगे।इन जानवरो को यही भाषा समझ अति है।
हम वहा से घर आ गए।मा,दादी सीता,और एक आदमी और एक औरत खड़ी थी।मा तो रो रो के हालत खराब कर रखी थी।
दीदी को देख मा ने उसे गले लगा दिया।उसको लेके अंदर चली गयी।मैं उस नए लोगो की जान पहचान में लग गया।
मैं:कौन हो आप?
वो:जी बाबुजी मै सम्भाजी और ये नम्रता मेरी बिवि।
मैं:नमस्ते!!(दोनो को)यहाँ कैसे आना हुआ?
सम्भाजी:वो पुलिस प्रोटेक्शन मांगा था तो मुझे भेजा है।
सम्भाजी:उम्र करीब 45 पार और उसकी बिवि नम्रता वो भी 40 पार
मैं मन में-क्या पुलिस भेज है।समशेर एक हाथ में सुला देगा इसको।चललो ये नही तो इसकी बंदूक ही सही।
मैं:अच्छा अच्छ आप आये हो।चलो आपको आपका रहे की जगह दिखाता हु।
दीदी के लिए जो जगह थी वो रूम हमने उनको देदी।और वैसे घरवालों को भी बताया।अब से दीदी जब तक है मेरे या मा के कमरे में सो लेगी।
दोपहर को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में गया।दीदी मा के साथ कमरे में सोई थी।पुलिस अंकल बाहर सिगार फूक रहे थे।वो बंदा बहोत अजीब लग रहा था।चलने बोलने का रहने का तरीका बहोत अजीब था।आईडी चेक की थी पुलिसवाला ही था।
मैं कम्प्यूटर पे पोर्न देख लण्ड हिला रहा था तभी मा अंदर आने की आहट लगी मैं कम्प्यूटर बन्द कर बिस्तर पर चला गया।मेरा लण्ड तन गया था।
मा:क्यो वीनू सोया हैं?
मैं:नही मा बोलो क्या हुआ।
मा:नही थोड़ी बेचैनी सी हो रही थी।वो
..
मैं:मा खामखा चिंता मत करो,आगे से ऐसे कुछ नही होगा और अभी पुलिस अंकल भी है डोंट वरी।
मा:तुम कहते हो तो ठीक है।
मुझे मा का स्वर अजीब लग रहा था।जैसे वो कुछ मन में दबा के आई हो।उसकी आंखे कुछ और और शब्द कुछ और बोल रहे थे।उनकी नजर अभी मेरे पेंट पर नजर फिरा रही थी।मैं कुछ बात बोलू उससे पहले ही वो बोल पड़ी।
मा:अरे तुम्हारे पेंट का तंबू क्यों बना है।फिरसे वो तकलीफ दे रहा है क्या?
मैं सोच में था तो सोच सोच में "हा" बोल दिया।
मा:रुको मैं मदत कर देती हु,खिसको उधर।
मैं मना ही नही कर पाया क्योकि लंड का तनाव मुझे वैसे भी परेशान कर रहा था तो कुछ सोचने की कोशिश ही नही की मैन।मा बाजू में लेट कर साड़ी नीचे से कमर तक खींच पेंटी नीचे कर ली।उन्होंने चुचे खुले किये थे पर मुझे नही दिखा क्योकि साड़ी के बड़े पल्लु की वजह से मुझे नजर नही आया।
मैंने अपना शॉर्ट नीचे खींचा और लंड को मसल कर गांड पर लगाके घिसाने लगा इधर मा अपने चुचे दबा रही थी।आजकल ये घिसंघीसाई की वाकिये बहोत होने लगे थे।मेरे ख्याल से जब शहर में थे तो पिताजी रोज घर आते थे पर जबसे यहाँ आये है तबसे पिताजी महीना महीना घर नही आये थे इसलिए वो अपनी कामभावना मुझसे बुझाने की कोशिश कर रही है।पर रिश्ते की वजह से वो आगे तक नही बढ़ी थी अभी तक पर और वही वजह मेरी भी थी।
मेरा अभी झड़ने को आया था।मैं पूरा रस उसके गांड पे छोड़ा।मा ने हाथ से पोंछ पेंटी खींची और मेरे बाथरूम में गयी।तभी मुझे किसी की आहट सुनाई दिया।बाहर गया तो रक्षा दीदी का पिछवाड़ा दौड़ते हुए देखा।ये क्या हुआ?मा भी कैसी है दरवाजा खुला छोड़ दी।उस दिन रात के खाने मैं घर के बाहर पुलिस अंकल के साथ था।
मैं:अंकल आपका कोई बेटा बेटी नही क्या?
सम्भाजी:वही तो एक दुख है जिंदगी में।
मैं:क्यो डॉक्टर को दिखाया नही क्या???!!
सम्भाजी:दिखाया न।डॉक्टर बोला की मुझमे वो कामोताजिक ताकत नही रही अभी या फिर थी नही।
मैं:आपको क्या लगता है।
सम्भाजी:क्या मालूम,कम पढ़े लिखे लोग है,पुराने है इसलिए कॉन्स्टेबल है,नही तो अभी।
अइसे ही बाते होती रही रात के खाने तक।रात को खाना खाने के बाद मैं रूम में जाके दोपहर का वाकये के बारे में सोचने लगा।कही दीदी पापा को बता दी तो।
उसी सोच में था की दीदी रूम में आ गयी।गुस्से में तो नही थी पर उसने याद से दरवाजा बन्द किया।
दीदी:आज इधर सोऊंगी मै नूनीराम ,चलेगा न।
मैं:हा चलेगा पर ये नूनीराम मत कहो मैं बड़ा हो गया हु।
दीदी:हा वो तो है ,तुभी बड़ा हुआ है और तेरा नूनी भी।
मैं:दीदी प्लीज दोपहर का पिताजीको नही बताना।प्लीज।जो कहो वो कर दूंगा मैं।बस पापा को ये मत बताना।
दीदी:अच्छा कुछ भी करेगा तू।
मैं:हा,जो तुम कहोगी वो सब करूँगा।
दीदी:ठीक हैं,आज के घटना में बहोत बदन दर्द कर रहा है,थोड़ा दबा दे।
वो मेरे साइड सो गयी।मैं उसके पैर दबाना चालू किया।
दीदी:अरे सही से कस के दबा।कितना ढीला कर रहा है।
दीदी नाइटी में थी जो ऊपर से निचे तक होती है मैक्सी टाइप पैर दबाने के लिए जांगो तक ऊपर कर दिया था।पंखा चालू था तो बीच बीच में नाइटी ऊपर की तरफ उड़ रही थी।पहले मेरा ध्यान नही गया पर जब वहां मेरी नजर घूमी तब मुझे मालूम पड़ा की वो अंदर कुछ पहन के नही आयी है।
मैं उसकी चुत ताड रहा हु ये देख उसने मेरा ध्यान तोड़ते हुए।
दीदी:औए बस अभी कंधे दबा।
मैं:खड़ी हो के बैठो।
दीदी:मैं अइसे ही पीठ के बल सोऊंगी तू अइसे ही कंडे दबा।
मैं ज्यादा बहस नही कर सकता था क्योकि आज फांसे में मैं था।mai साइड में बैठ कर कंधे दबाने लगा।जैसे ही हाथ ऊपर नीचे होता ,वैसे हाथ के कोहनी से उसके चुचे दब जाते।मेरे मन में बहोत कुछ महसूस हो रहा था पर क्या मालूम ये बवाल न कर दे।पर मुझे ये महसूस हुआ की उसकी सिसकिया उस्ताहभरी थी मतलब वो मजे ले रही थी।
दीदी:थोड़े नीचे भी दबा।बहोत दर्द है।
मै चौक कर:कहा पर?!!
दीदी ने हाथ उठा के नाइटी के ऊपर से ही उनके चुचो पर रखा और खुद ही थोड़ी देर मसल कर बोली:यह प। समझे!!!
मैं:पर दीदी ये गलत है।
दीदी:तू अपनी मा के साथ कर सकता है पर अपने बहन से नही कर सकता,मुझसे प्यार नही करता न तू।
मैं:अइसी कोई बात नही है।
दीदी:फिर करते जा जो मा के साथ करता है,मुझे भी उसका अहसास लेना है।
मैंने नाइटी को कंधे से नीचे खींचा कमर तक और उनके चुचे खुले कर के दबाने मसलने लगा।
दीदी:आआह आआह वीनू बहोत अच्छा लग रहा है आआह।
मैंने उनके चुचो को मुह में लेके बारी बारी चुसने लगा।चुचे बहोत बड़े नही थे पर भरे हुए थे।
उन्होंने मेरे गर्दन को पकड़ के छाती पे दबा दिया।
दीदी:आआह उम्म आआह आआह वीनू ऊऊ आआह उम्म और अच्छे से कर और दबा आआह आआह।
मैं उनके निप्पल्स खरोदना चालू किया।उसका शरीर सांप की भाती मचल रहा था।उसके चुचे काफी सख्त थे और निप्पल्स बहोत तन गए थे जिससे मालूम हो रहा था की बहोत ज्यादा वासना भड़की हैं उसके अंदर।
दीदी:बस होगया वीनू अभी घुसा ही दे बहोत आग सी हो रही है।
मैं नीचे गया।पूरी नाइटी उतार दी।खुद भी पूरा नंगा हो गया।उनकी चुत पर बाल नही थे।
मैने एकबार कन्फर्म करने के लिए उनसे पूछ लिया की वो वर्जिन है क्या क्योकि अचानक चिल्ला देगी तो कयामत हो जाएगी।
दिदी:नही रे बॉयफ्रेंड से चुदवा चुकी हु।
मैं:आपका बॉयफ्रेंड??!!
दीदी:हा बहोत पहले था,अभी नही है,तू तेरा काम चालू रख।
मैं शोक में था ।ये बहोत दिन से चुदी नही है।उसका सख्त बदन यही बता रहा था।मैन उसके चुत पर से हाथ सहलाया।
दीदी:उफ्फ उम्म आहुच।
जबरदस्त गर्म थी दीदी की चुत।मैंने उनकी चुत को फैलाया और जीभ को अंदर घुसेड़ा और घुमाने लगे।कुछ अलग ही स्वाद आ रहा था दीदी के चुत से।बहोत दिन बाद कच्ची चुत मिली थी इसके लिए हो पर बहोत मजा आ रहा था।भोसड़ा बनी चुत तो बहोत चुद लिए पर ये चुत अलग ही थी।
दीदी चरम सिमा के आधे रास्ते थी उन्होंने मेरे सर को चुत में दबाए रखा था औऱ चिल्लाए जा रही थी:पूरी आग चूस आया आआह आआह उम्म मस्त आआह।
कुछ देर के स्वाद भरे चुसमचुसाई के बाद मैंने अपने तने लण्ड को उनके चुत में लगाया।
मैं:दीदी तैयार हो न!!
दीदी:तैयार नही बेताब हु,तू घुसेड़ डाल।
मैंने आधे लन्ड को घुसेड़ते ही उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं:क्या हुआ अब?
दीदी:अरे तेरा बहोत आआह बड़ा है,थोड़ा धीमे आहिस्ता डाल,फाड़ देगा क्या??
मैंने लंड को बाहर निकाला और दो उंगलियां चुत में डाल चुत के छेद की गहराई नाप ली।काफी सुख के अकड़ गयी थी चुत।थोड़ी देर उंगली से ही चोद के चुत को ढीला किया और फिर आहिस्ते ही चुत में लण्ड घुसेड़ के धीमे से धक्के देने लगा।
दीदी:आआह आआह आआह उफ्फ फक आआह ऊऊ ऑफ
धक्के के साथ चुत का छेद और खुल रहा था।जैसे ही लंड पूरा घुसा मैंने ऊपर झुक कर दीदी के ओंठो को अपने ओंठो के कब्जे में कर लिया।हाये क्या शबाब है।इसके हर हुस्न के फुर्जे का स्वाद लाजवाब है।मजा आ गया।कोमल गुलाब जैसे ओंठ और शहद जैसा स्वाद।ओ भी खो गयी थी।उसका मौका लेके मैंने गांड उठा के जोर लगाके चोदना चालू किया।उसके ओंठ अभी चींखना चाहते थे तो उसके चुचो को कस के मसल देने लगा।उसने अभी मुझे पूरा कस के पकड रखा था।
उसका बदन कुछ समय में ढीला हो गया।लगता है वो झड गयी थी।मैं अभी भी उसके चुत में गोता खोरी कर रहा था।पर आगे से कोई रेस्पॉन्स नही था तो मैं बाजू हो गया।कुछ समय बाद दीदी थोड़ी होश में आ गयी।मैं मुह गिरा के वैसे ही लेटा था।
दीदी:अरे हो गया तेरा।
मैं:क्या हो गया,तुम तो मजे ले गयी,मेरा अभी तक नही झडा।
दीदी:अरे तो मायूस क्यो हो रहा है।रुक मैं चुसाई करके खाली कर देती हु तेरे लंड के ज्वाला रस को।
दीदी नीचे झुक कर मेरा लंड मुह में लेके चुसाई चालू की।क्या मस्त चुसाई चालू थी।आज सच में मजा आ गया भाई।मैं उनके आगे ज्यादा देर टिक न पाया और झड गया उनके मुह में ही।उन्होंने बिना किसी गुस्से के सब गटक लिया।
दीदी:वीनू आज से मैं तुम्हे सच में नूनीराम नही बोलूंगी।तेरी नूनी पूरा तगड़ा लण्ड बन गयी है।
मैं:ठीक है,चलो सो जाओ।