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Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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Episode 10


मैं कल रात का वाकिया भुला नही पा रहा था।मेरी वो आदत थी।अगर किसी बात पर मुझे पूरा सैटिस्फैक्शन नही मीले तबतक दिल नही मानता।मुझे पूरा यकीन था की वो गन/कट्टे वाले आदमी को कही तो देखा है।अगर जल्दी से याद नही आ रहा उसका मतलब था की वो मेरे दैनंदिन जीवन का हिस्सा नही था,पर फिर भी कभी तो हम लोगो का आमना सामना हुआ है।


मैं सुबह उठ कर नहाने गया।पर सोच में इतना डूबा था की टॉवल लेना भूल गया।जब याद आया तब मैन"टॉवल"पुकारा।मुझे लगा टॉवल सीता चाची लेके आ रही होगी।मैंने सोच लिया की आज उसको सजा दके रहूंगा।उसने कहने के बाद भी मा को सब बताया था,की मैं कहा गया था।


शॉवर चालू था।दरवाजा खुला और टॉवल के साथ हाथ अंदर आया।मैंने फट से हाथ को खींचा और शॉवर की तरफ के दीवार पर उसको पटका कर उनके ओंठ पर ओंठ चिपका दिए।2 मिनट के लिपलॉक के बाद मुझे ये अहसास हो गया की वो सीता चाची नही मा थी।मेरे पैर के निचे की जमीन ही खिसक गयी।मुझे लगा की अभी तो धोबिपचाड़ धुलाई होगी पर अइसा कुछ हुआ नही बल्कि मा हस के ओंठ पर हाथ घुमा कर"चलो जल्दी बाहर आ जाओ"कह कर बाहर जाने लगा।


अरे ये तो गजब हुआ।अगर भट्टी गर्म है ही तो लोहे पर हतोड़ा मार ही देते है।दरवाजे तक जाते ही मैंने मा का हाथ पकड़ा और अपनी और खींचा।


मा:अरे क्या कर रहे हो?


मैं:आपसे प्यार करने का मन हो रहा था।


मा:जिस तरह का प्यार करने का मन कर रहा है उसके लिए मैं तुम्हारी बिवि नही मा हु।


मैं:तो बिवि बन जाओ,उसमे क्या हर्ज है।


मा:धत,कुछ भी बोलता रहता है।चल छोड़ बहोत काम है मुझे।


मैंने उन्हें बाहों में कस के पकड़ा और गाल पे चुम दिया।


मा:वीनू शरारत मत कर,चल छोड़ मुझे।


मैं:रुको न मा,दो मिनिट।


मा:वीनू शरारती मत बनो.....


मैं बिना कुछ सुने उनके चेहरे को चूमने चाटने लगा।वो न नकुर जरूर कर रही थी पर उसमे उतनी नाराजगी नही थी।अइसे लग रहा था की वो सिर्फ दिखावा कर रही है,असल में मजा उन्हें भी आ रहा था।


अभी मा म रही थी।मतलब अभी वो पूरी गर्म थी।मैंने मा की साड़ी निकाल दी और ब्लाउज और ब्रा भी।मा अभी ऊपर से नंगी हो गयी थी।मैंने उनके ओंठो को स्मूच करते हुए निप्पल्स मसलने लगा।बारी बारी चुचो को कस के दबा रहा था।मा पूरी जोश में थी।हवस अभी उनपर हावी था वो अभी स्मूचिंग किसिंग,जीभ लिंकिंग चालू कर दी जैसे कोई आइसक्रीम चूस रही हो वैसे मेरे ओंठ चूसे जा रही थी।


मैंने नाड़ी खोल के पेटीकोट को नीचे गिराया और पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया।भट्टी एकदम गरमागरम थी।इतनी गर्म की हाथ जल जाए।मैंने चुत को ऊपर से सहलाना चालू किया।पर मा ने इसबार मेरा हाथ पकड़ा।


मा:नही वीनू,हमारी हद पार हो रही है,हमे यहीं रुक जाना चाहिए।


पर मैंने उनको ज्यादा न सुनते हुए।उनके मुह को ओंठो से बंद किया और उंगली को चुत में घुस के चुत को उंगलियो से चोदने लगा।मा पूरी सांतवे आसमान पे थी।उनके मुह से थरथराती सिस्कारिया बाहर आ रही थी।इस उंगली चुदाई में पेंटी पैर के नीचे तक जा चुकी थी।अभी दो नंगे बदन ठंडे शॉवर के नीचे आग की ज्वाला भड़का रहे थे।


मा ने अभी मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेके मसलना चालू किया था।चमड़ी को नीचे खिसका कर पूरे अंडों तक मसल रही थी।


मैं:मा सिर्फ हाथ से क्या होने वाला है?


मा:तो क्या करू?मुह में लू!!!?


मैं:अगर तुम्हे जमेगा तो करो,वैसे कोई जबरदस्ती नही है।


मा:अच्छा बेटा मा के साथ पोलिटिकल बन रहा है।भूलो मत इसी चुत से बाहर आया है।ज्यादा होशियारी नही।


मैं:जिसने मुझे इस खूबसूरत दुनिया में लाया उसकी ही सेवा कर रहा हु,फर्ज नही है क्या मेरा ओ!!


मा:पर मुझे अजीब लग रहा है,मैन तेरे पिताजी का भी कभी नही लिया।


मैं:मेरा लेके तो देखो बहोत मजा आएगा।


मा नीचे बैठ कर लंड मुह में लेकर चूसते हुए-


मा:मेरा बेटा बहोत कुछ सिख गया है?सिर्फ सीखा ही है या आजमाया भी है।सच बोलना ,मा से झूट बोलना पाप है।


मैं:हा आजमाया है,अइसी झूट बोलने वाली भी बात नही है।


मा:मतलब तेरा लण्ड झूठा हो चुका है।


मैं:हा??


मा:वो खुशकिस्मत है कौन?हमे भी बताओ।


मैं:सरप्राइज दूंगा आपको।अइसे बताने में मजा नही।


मा:ठीक है जी,इंतजार रहेगा।


मैं:मा चलो दीवार को चिपको।फिर मैं तुम्हे चिपकता हु।


मा:आज खुदाई करके ही मानेगा।पर आराम से करना,तेरे लंड की जितनी साइज़ है,मेरे चुत संभाल पाएगी या नही इसपे मुझे शक है।


मा दीवार को लग के गांड ऊपर कर खड़ी हो जाती है।


मैं लंड को मसलते हुए:मा कतई सनी लियोनी लग रही हो।


मा:ये कौन है?


मैं:जिसकी चुत सारी दुनिया देख के हिला लेती है,उसके बारे में मालूम नही क्या?


मा:अच्छा वो वीडियो में रंडिया आती है वो।मुझे क्या रंडी बोल रहे हो ।मा हु तेरी,थोड़ी तो इज्जत दे।


मैं:मा रंडिया क्यो बोल रही हो,पोर्नस्टार्स बोलो.रिस्पेक्ट?


मा:तुझे रिस्पेक्ट लेनी है या चुत,नही तो मैं चली।


मैं:अरे तुम गुस्सा हो गयी।(लंड चुत पे रगड़ कर छोटा धक्का दिया।)अब सही है।


मा:आआह अम्मा,अरे धीरे से कर आआह रंडी नही हु आआह मै आआह।


मैं आहिस्ता आहिस्ता चुत में ठुकाई करना चालू किया।


मा:आआह उम्म आआह मजा आगया आआह आआह आआह उम्म वीनू और जोर से आआह आआह हाये आआह उम्मम आआह आउच्च आआह उफ्फ आआह


मैंने उनके गर्दन को जखडा और जोर लगा के ठोकना चालू किया।


मा:आआह आछह भोसडीके आआह रंडिके आआह धीरे कर बहोत ज्या आआहआआह द जोश आआह ममममम आआह आआह आआह पूरी चुत का आआह आआह।


मैं रूक कर: मजा आया न।


मा:पूरा भोसड़ा मनाके ही मानेगा आज,जरा धीरेसे मर न।



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मैंने अभी नॉर्मल सस्पीड में चालू किया ।मा भी मजे ले रही थी।आखिरकार दोनो झड गए।मा कपड़े लपेट के बाहर गयी और थोड़ी देर बाद मै भी बाहर गया।


नाश्ता करके उठ ही रहा था की दरवाजे पे मीना खड़ी थी।


मा:हा जी बोलिये?!!


मीना:मेडम वो वीनू जी को ठाकुर जी ने बुलाया है।


मा:क्यो??


मीना:हमे कैसे मालूम?बस ठाकुर जी का हुकुम है।


मैं:मा,ठीक हैं,मैं चला जाऊंगा।आप चिंता मत करो।मीना जी आप चलो मैं आया।


मा दादी को समझाकर मैं हवेली पहोंच गया।हर बार की तरह सब हॉल में थे।नाश्ता लगभग कर चुके थे।


सांबा:आइए छोटे कलेक्टर जी,आजकल बहोत धूम मचाये हो गाँव में।


मैं:बस अंकल जी आपका आशीर्वाद।


साम्बा: अरे अइसे क्या बोल रहा है।तुमने हमारे घर के बेटी की रक्षा की है तो खास शुक्रिया बोलने के लिए बुलाया है तुम्हे।


मैं:अंकल जी आप तो अइसा बोलके पराया कर रहे हो।इस गाँव का हिस्सा हु,यहाँ के अच्छे लोगो को सुरक्षा देना और बुरो को सजा देना फर्ज है मेरा।


सांबा को मेरा इशारा समझ में आ गया:वो तो हम देख ही चुके है।आपको हमारे घर के लिए बहोत ही ज्यादा फर्ज अदा कर रहे हो।


मैं:क्या करे जहा से प्यार ज्यादा मील जाए वह फर्ज ज्यादा अदा करना पड़ता ।


सांबा:तुम्हे श्वेता से मिलना हो तो मिल लो,मुझे शहर जाना है।


मैं:ठीक है अंकल जी।


साम्बा:चलो कालिया देर हो रही है।


साम्बा जी के आवाज देते ही एक आदमी सामने के सीडीओ से:जी भाईसाहब चलो,मैं तैयार हु।


मेरी नजर उस आदमी पर गयी:वो तेरी येतो वही कट्टा वाला है।मतलब श्वेता का छोटा चाचा।यहां तो घर के घर में ही मसले है यार।जाने दो हमे क्या?बस खुद की जान बचाओ।पर मेरा कमीना मन कह रहा था की घर में चलती सतरंज के खेल का लुफ्त उठाना चाहिए।


मैं घर जाने के लिए निकला वैसे ही सांबा की बिवि ने मुझे रुकाया


कावेरी:रुको बेटा,कहा जा रहे हो।


मैं:कही नही आँटी,वो घर जा रहा था।थोड़ा काम है।


कावेरी:जरूरी है क्या?


मैं:अइसे ही समझो!!आपका कुछ काम था।


कावेरी:नही बेटा बस शुक्रिया अदा करनी थी।पर अइसे साढ़े में कैसे करू और एक जरूरी बात भी करनी थी।तुम एक काम करो हमारे खेतो के फार्म हाउस पर आ जाओगे।


मैं मन में-ठाकुरों ने क्या रंडी खाना फार्म हाउस पे खोल रखा है क्या।


मैं:कब आना है आँटी जी।


आँटी:कल सुबह आ जाना सुबह 10 तक।


मैं हा बोल कर वहां से घर निकल आया।


मन में: ये चाची तो पार्वती के जैसे किसी मसले की शिकार नही है तो किस बात के लिए मुझे इतना खुफिया तरीके से बुला रही है।जाने दो बात कुछ भी हो,अपना कुछ जाने वाला है नही।घर में जो कशमकश है वही वजह होगी ये खुफिया मीटिंग।
 
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Episode 11

जहा पर मुझे थोड़ा डरा हुआ सा या फिक्रमंद महसूस होना चाहिए था वहां मुझको हसी आ रही थी।साम्बा का एक भाई जिसे मैंने बर्बाद कर रखा था और सांबा का दूसरा भाई जो खुद साम्बा को बर्बाद करने को तुला है।मतलब मुझे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ेगी साम्बा को बर्बाद करने के लिए।
सोचते विचार करते हुए मैं घर पोहंच गया।दरवाजे से दादी और सम्भाजी और उसकी बिवि घर के बाहर आ रहे थे।

मैं:दादी कहा जा रही हो?

दादी:सस्तन है बाजू के गाँव में,बड़े महाराज आ रहे है।तो वही जा रही हु।

मैं :ठीक है,सम्भाजी चाचा ख्याल रखना दादी का।

सम्भाजी:जी साब।

वो सस्तन के लिए जाने के बाद मैं अंदर गया।मा और सीता चाची खाना बना रहे थे।दोनो को एक साथ देख मुझे कुछ उच्च दर्जे की शरारत करने का मन किया।

मैं:मा क्या कर रही हो?

मा:खाना बना रही हु बेटा,कुछ चाहिए क्या?

मैं:लेने नही देने आया हु।

मा चौक कर:क्या देने आये हो?

मैं:सुबह वाले सवाल का जवाब!!

मा:अभी यहां देना जरूरी है क्या?

मैं :हा,अपनी मा को ज्यादा इंतजार करवाना मुझे अच्छा नही लगता।

मा:अच्छा जी,बहोत प्यार आ रहा है आज सुबह से।बताओ कौन है वो।

सिताचाची हमारी बाते सुनते हुए आटा बन रही थी,और मजे भी ले रही थी हसकर।तभी मैं उनके कमर में हाथ डाल कर सिताचाची अपने पास खींच लेता हु।अचानक हुए इस करामत से सीता चाची और मा चौक जाते है।

मा:ये क्या बत्तीमीजी है वीनू!!?

मैं:ये बत्तमीजी नही मा,ये वही खुशनसीब शक्स है जिसे आप जानना चाहती थी।

मा:अच्छा तो सीता तुम हो,बड़ी छुपेरुस्तम निकली तुम।

सीता:मुझे कुछ समझ नही आ रहा मेमसाब।कुछ गलत किया हो तो माफ कर देना।

मैं:मा यार ताने मत मारो यार,जान है वो मेरी।

मा:और मैं??!

मैं:तुम जान-ए-जिगर।

मैं और मा हस दिए।सिताचाची को अब भी कुछ मालूम नही हो रहा था की हो क्या रहा है।अपने मेमसाब के सामने उनके बेटे ने उनके कमर को कस के पकड़ बाहों में ले रखा था।क्या रिएक्ट करे उसे ही मालूम नही पड़ रहा था।

मा:पर ये बात अभी बताने की क्यो सूझी तुझे?कुछ शैतानी तो सोचा नही है न तुम्हें?तेरे तेवर आजकल बहोत बिघड गए है।

मैं:सीता चाची मैंने आपके साथ कुछ किया अभी।

सीता चौक कर: मैं कुछ समझी नही।

मैं:मा तुम चाची को कन्फ्यूज कर रही हो।

मा:अरे कमर को दबोच तूने रखा है वो भी अइसे अचानक से तो वो बावली होंगी ही न।

मैंने सीता चाची के ओंठो को स्मूच करते हुए किस लिया।
सीता चाची को 1000 वोल्टेज और मा को 500 वोल्टेज का झटका।

मा:ये क्या बेहूदगी है वीनू।अइसे कोई करता है।बहोत बत्तमीज हो गया है।

मा ने गुस्से जैसा करते हुए हाथ उठाया वैसे ही उनका हांथ खींच कर कमर में हांथ फसाया और पास खींच कर उनको भी एक स्मूच किस कर लिया।अभी दोनो बेहोश होना बाकी थे ,झटके पर झटके मीले जा रहे थे।पर मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

सीता:मेमसाब ये सब....क्या...हो रहा है!!??

मा:जो तुम देख रही हो...पर ये अइसे कैसे हो...रहा है??!!

मैं दोनो के गांड के ऊपर से हाथ घुमा रहा था।और गांड की छेद में उंगली रगड़ रहा था।

मैं:देखो,होश में आ जाओ।सीता चाची,जो आप मेरे लिए हो उस टाइप की वैसे मा भी है।मा आपके लिए भी वही जवाब।

सीता:पर वो आपकी मा है न,फिर कैसे!!?

मैं:जैसे वो मा है वैसे वो एक औरत भी है,और जैसे हर औरत की इच्छा होती है वैसी उनकी भी एकच होती है ,अब मेरा फर्ज है की मैं अपनि मा को खुश रखु।

सीता:पर ये तो गलत...

मैं:वैसे आपकी चुत भी शम्भू का स्वाद चख चुकी है,आप ज्ञान मत दो।

मा:क्या?

मैं:हा मा,शम्भू ने सेक्स किया है इसके साथ।

सीता अभी चुप हो गयी थी और मा भी थोड़ी शांत।तो मैं आगे बढ़ते हुए दोनो को और कस के बगल में दबाके।

मैं:तो मेरी प्रेमिकावो प्रेमी के लिए कुछ मनोरंजन पेश करो।

मा:अच्छे प्रेमदेव,आप कामदेव बन रहे हो।रुकिए थोड़ा क्या जल्दी है।

सीता:मेमसाब सही कह रही है,कोई आएगा तो?!

मैं:वो मेमसाब वाली चुप बैठ।

मैं दोनो को मेरे कमरे में खींच कर लेके गया।और दरवाजा खिड़की बन्द कर दी।

मा:देख वीनू कोई आ जाएगा।

सीता पास में आके:मेमसाब की बात मान लो,हम बाद में भी कर सकती हो।

मैंने सिताचाची के छाती पर से हाथ डाल पल्लु हटाया और ब्लाउज के ऊपर से चुचे मसलने लगा।

वो देख मा:वीनू तुम मानोगे नही न।

मैंने:मा को खींच कर अपने करीब लिया और ओंठो पर ओंठ चिपका कर ओंठ चुसने लगा।मा के मुह से निकलते शब्द मुह में ही रह गए।दोनो औरतो में गर्मी चढ़ रही थी।
साली चुदवाना चाहती है पर नखरे कर रही थी।मैंने शॉर्ट का बटन खोल एक हाथ से शॉर्ट नीचे खींच सीता चाची के हाथ में थमा दिया।

अभी एक हांथ मा के कमर में दबोचा मुह मा के रसिंले ओंठो का रस चूसते हुए और दूसरा हाथ सिताचाची के चुचो पे मसलते हुए।

थोड़ी देर बाद वही सिन बदलते हुए,अभी एक हांथ चाची के कमर में दबोचा मुह चाची के रसिंले ओंठो का रस चूसते हुए और दूसरा हाथ मा के चुचो पे मसलते हुए।और मा मेरा लण्ड मसलते हुए।

मैं:बस यार मेरे लिए मीठा भी बहोत हुआ,थोड़ा मेरे लंड को भी मीठा कर दो।हा पर पहले प्रेमिकावो अपने वस्त्र का त्याग कर दो।

मा:जी महाराज।

मैंने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिए।वो पूरी नंगि खड़ी थी।

मैं:हाये मेरी रानियों,क्या खूब लग रही हो बड़े तरबूजों में और बड़ी वाले भोसड़ी में।मैं वारी जावा।

मा:बस मेरे राजा अब क्या नजर लगा दोगे,आग तो पहले ही लगा दिए हो।

मैं:नही नही नजर कहा लंड लगाऊंगा।जहा पर घुस जाए वहा वहां घुसाउंगा।पहली बारी मुह की,आओ शुरू हो जाओ।

मैं बिस्तर पर लेट गया।दोनो दोनो बाजुमे बैठ गयी।

मा:कभी तिनलोग मिलकर चुदाई की हो।

सिताचाची:नही मेमसाब पहली बार है।

मा:फिर तो आज शुभारंभ तुम्हारी ओर से।लेलो मुह में।

मा के सामने सिताचाची अभी तक पूरी तरह से खुली नही थी।थोडासा हिचकिचाहट जरूर थी।मा को भी वो महसूस हुई,उसने खुद उसके सर को पकड़ कर लंड मुह में फसा दिया।उसके बाद तो सिताचाची ने मुह ऊपर नीचे कर के चुसने लगी।

मा:तूने ही सिखाया है न ये,सच बता,गाँव की औरतो को इसका ज्ञान कहा।

मैं:हा मा,मैं ही टीचर हु इसका।

मा:अकेले ही खा जाएगी क्या सीता ,मुझे भी दे।

सीता ने लंड को मुह से निकाला और मा ने मुह में डाल दिया,और चुसने लग गयी।

सिताचाची:बाबूजी का लंड ही इतना मस्त है की मन नही करता छोड़ने का।

मा हस्ते हुए:वीनू ये तो तेरी दीवानी है,पर सीता तेरी शादी नही करवाउंगी हा,नही तो बाद में परेशानी नही चाहिए।

सिताचाची:वो मालूम है मेमसाब,मै तो बाबूजी की रखैल हु।

मा:वीनू ,बेटा मजे है तेरे,यकीन नही होता की तू इनकी औलाद है।

मैं:क्यो किसी और की हु क्या(नटखट हसि)

मा:धत्त,तेरे साथ इतना खुल गयी हु इसका मतलब ये नही की रंडियाबाजी करती फिरती थी।तू दूसरा आदमी है जिसके लंड को मैंने चखा है और चुत में घुसाया है।बस तेरे पापा आजकल ध्यान नही देते मुझपर।

मै बोलने से पहले सिताचाची:आप चिंता क्यो करती हो मेमसाब,बाबूजी आपका अच्छे से ध्यान रख देंगे।

मा ऊपर की तरफ आकर मेरे ओंठो को स्मूच करके:इसकी वजह से तो मै खुश हु,जिंदगी है मेरी ये।

मैंने मा के गर्दन को झुकाके एक लम्बा वाला किस दिया।

मैं:आय लव यू मा

मा:आय लव यु टू बेटा

सिताचाची:आप मा बेटों का प्यार देख,खुदको खुदनासिब समझती हु जो मैं इस घर का हिस्सा हु।

सिताचाची को पास बुलाके उनको भी एक लिपलॉक लोंग किस किया।और तीनो हसने लगे।

मैं:चलो थोड़ा चुत को भी सेवा दी जाए सिताचाची।

सिताचाची मेरे लण्ड पे चढ़ गयी।और पूरा लण्ड घुसा दिया अंदर।मा भी उठ कर सिताचाची के पास मुह कर चुत मेरे मुह पर लगके बैठ गयी।

सिताचाची गांड उछाल उछाल के चुद रही थी।मा ने उनके चुचो को दबोच के मसलने का आनंद लेना चालू किया था।

मा की चुत मेरे मुह में खट्टा मीठा स्वाद दे रही थी।मैं जीभ को बड़े आनंद से चुत में घूमा रहा था।उनकी गांड सहला रहा था।मा के चुत का मनी को जैसे ही जीभ लगी मा सिहर गयी।उसके चुत के पानी का बहाव बढ़ने लगा।लगता है वो ज्यादा उत्तेजित हो रही है।मा ने मेरे मुह पर आहिस्ता गाड़ उछाल ने लगी।जिससे वो जीभ से चुत चुदवा सके।

यहां सिताचाची पूरे मजे ले रही थी:आआह आआह बहोत मजा आआह आआह आता है आआह जब बाबूजी का लंड चुत मेआएहिई आआह मममम घुसता है आआह और जोर से चोदो आआह आआह उम्म आआह।

दोनो ने अपनी जगह बदल दी।मा अभी लंड पे बैठी थी।सिताचाची मेरे मुह पर चुत लगाए मा के निपल्स नोच रही थी।
मा:आआह उम्मम आआह आआह अम्मा आआह उफ्फ हाये आआह हहहह उफ्फ कमीनी चुत आआह आआह आआह

काफी देर तक सिताचाची ने चुत की चटाई और मा ने अपनी चुत की चुदाई करवा ली।इसी दौरान मा झड गयी।

अभी मैं घुटनो के बल बैठा।मा बेड के आखिर में टांग फैला कर बैठ गयी।सीता चाची घोड़ी बन कर मा के चुत को चाट रही थी।मैंने उनकी चुत को थूक लगा कर रगड़ा और वही मेरे लंड पर रगड़ के सिताचाची के गांड को फैला कर चुत में लंड घुसा दिया।और धक्के चालू कर दिए।

सिताचाची:आआह आआह आआह चोदो आआह बाबूजी आआह जोर से और आआह आआह अम्मा आआह और आआह आआह जोर आआह आआह आहम्म से उम्म हा..

उनकी चुत पूरी भोसड़ा बन गयी थी आसानी से लंड अंदर जा रहा था।अभी वक्त मेरे झड़ने का आ रहा था।मैंने सीता चाची के चुचो को दबोच कर ऊपर की तरफ खींचा और जोर से चोदने लगा।

मा:बेटा पानी अंदर ही छोड़ना,बहोत मजा आएगा।

मैं:पर मा इससे आआह उम्म प्रॉब्लम हो जाएगी तो।

सिताचाची:आआह अमा आआह उसकी आआह चिंता आआह मत आओ उम्मम करो मैई आआह आआह देखलूंगी आआह तुम चुत चोड़के अंदर आआह ही झोड़ दो

दोनो के कहने पर मैं पूरा उनके अंदर ही झड गया।थोड़ी देर तक अइसे ही पड़े रहे।मुझे पड़े पड़े नींद आ गयी ।खाने के वक्त मा ने मुझे उठा दिया।


 
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