- 191
- 1,309
- 124
Episode 10
मैं कल रात का वाकिया भुला नही पा रहा था।मेरी वो आदत थी।अगर किसी बात पर मुझे पूरा सैटिस्फैक्शन नही मीले तबतक दिल नही मानता।मुझे पूरा यकीन था की वो गन/कट्टे वाले आदमी को कही तो देखा है।अगर जल्दी से याद नही आ रहा उसका मतलब था की वो मेरे दैनंदिन जीवन का हिस्सा नही था,पर फिर भी कभी तो हम लोगो का आमना सामना हुआ है।
मैं सुबह उठ कर नहाने गया।पर सोच में इतना डूबा था की टॉवल लेना भूल गया।जब याद आया तब मैन"टॉवल"पुकारा।मुझे लगा टॉवल सीता चाची लेके आ रही होगी।मैंने सोच लिया की आज उसको सजा दके रहूंगा।उसने कहने के बाद भी मा को सब बताया था,की मैं कहा गया था।
शॉवर चालू था।दरवाजा खुला और टॉवल के साथ हाथ अंदर आया।मैंने फट से हाथ को खींचा और शॉवर की तरफ के दीवार पर उसको पटका कर उनके ओंठ पर ओंठ चिपका दिए।2 मिनट के लिपलॉक के बाद मुझे ये अहसास हो गया की वो सीता चाची नही मा थी।मेरे पैर के निचे की जमीन ही खिसक गयी।मुझे लगा की अभी तो धोबिपचाड़ धुलाई होगी पर अइसा कुछ हुआ नही बल्कि मा हस के ओंठ पर हाथ घुमा कर"चलो जल्दी बाहर आ जाओ"कह कर बाहर जाने लगा।
अरे ये तो गजब हुआ।अगर भट्टी गर्म है ही तो लोहे पर हतोड़ा मार ही देते है।दरवाजे तक जाते ही मैंने मा का हाथ पकड़ा और अपनी और खींचा।
मा:अरे क्या कर रहे हो?
मैं:आपसे प्यार करने का मन हो रहा था।
मा:जिस तरह का प्यार करने का मन कर रहा है उसके लिए मैं तुम्हारी बिवि नही मा हु।
मैं:तो बिवि बन जाओ,उसमे क्या हर्ज है।
मा:धत,कुछ भी बोलता रहता है।चल छोड़ बहोत काम है मुझे।
मैंने उन्हें बाहों में कस के पकड़ा और गाल पे चुम दिया।
मा:वीनू शरारत मत कर,चल छोड़ मुझे।
मैं:रुको न मा,दो मिनिट।
मा:वीनू शरारती मत बनो.....
मैं बिना कुछ सुने उनके चेहरे को चूमने चाटने लगा।वो न नकुर जरूर कर रही थी पर उसमे उतनी नाराजगी नही थी।अइसे लग रहा था की वो सिर्फ दिखावा कर रही है,असल में मजा उन्हें भी आ रहा था।
अभी मा म रही थी।मतलब अभी वो पूरी गर्म थी।मैंने मा की साड़ी निकाल दी और ब्लाउज और ब्रा भी।मा अभी ऊपर से नंगी हो गयी थी।मैंने उनके ओंठो को स्मूच करते हुए निप्पल्स मसलने लगा।बारी बारी चुचो को कस के दबा रहा था।मा पूरी जोश में थी।हवस अभी उनपर हावी था वो अभी स्मूचिंग किसिंग,जीभ लिंकिंग चालू कर दी जैसे कोई आइसक्रीम चूस रही हो वैसे मेरे ओंठ चूसे जा रही थी।
मैंने नाड़ी खोल के पेटीकोट को नीचे गिराया और पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया।भट्टी एकदम गरमागरम थी।इतनी गर्म की हाथ जल जाए।मैंने चुत को ऊपर से सहलाना चालू किया।पर मा ने इसबार मेरा हाथ पकड़ा।
मा:नही वीनू,हमारी हद पार हो रही है,हमे यहीं रुक जाना चाहिए।
पर मैंने उनको ज्यादा न सुनते हुए।उनके मुह को ओंठो से बंद किया और उंगली को चुत में घुस के चुत को उंगलियो से चोदने लगा।मा पूरी सांतवे आसमान पे थी।उनके मुह से थरथराती सिस्कारिया बाहर आ रही थी।इस उंगली चुदाई में पेंटी पैर के नीचे तक जा चुकी थी।अभी दो नंगे बदन ठंडे शॉवर के नीचे आग की ज्वाला भड़का रहे थे।
मा ने अभी मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेके मसलना चालू किया था।चमड़ी को नीचे खिसका कर पूरे अंडों तक मसल रही थी।
मैं:मा सिर्फ हाथ से क्या होने वाला है?
मा:तो क्या करू?मुह में लू!!!?
मैं:अगर तुम्हे जमेगा तो करो,वैसे कोई जबरदस्ती नही है।
मा:अच्छा बेटा मा के साथ पोलिटिकल बन रहा है।भूलो मत इसी चुत से बाहर आया है।ज्यादा होशियारी नही।
मैं:जिसने मुझे इस खूबसूरत दुनिया में लाया उसकी ही सेवा कर रहा हु,फर्ज नही है क्या मेरा ओ!!
मा:पर मुझे अजीब लग रहा है,मैन तेरे पिताजी का भी कभी नही लिया।
मैं:मेरा लेके तो देखो बहोत मजा आएगा।
मा नीचे बैठ कर लंड मुह में लेकर चूसते हुए-
मा:मेरा बेटा बहोत कुछ सिख गया है?सिर्फ सीखा ही है या आजमाया भी है।सच बोलना ,मा से झूट बोलना पाप है।
मैं:हा आजमाया है,अइसी झूट बोलने वाली भी बात नही है।
मा:मतलब तेरा लण्ड झूठा हो चुका है।
मैं:हा??
मा:वो खुशकिस्मत है कौन?हमे भी बताओ।
मैं:सरप्राइज दूंगा आपको।अइसे बताने में मजा नही।
मा:ठीक है जी,इंतजार रहेगा।
मैं:मा चलो दीवार को चिपको।फिर मैं तुम्हे चिपकता हु।
मा:आज खुदाई करके ही मानेगा।पर आराम से करना,तेरे लंड की जितनी साइज़ है,मेरे चुत संभाल पाएगी या नही इसपे मुझे शक है।
मा दीवार को लग के गांड ऊपर कर खड़ी हो जाती है।
मैं लंड को मसलते हुए:मा कतई सनी लियोनी लग रही हो।
मा:ये कौन है?
मैं:जिसकी चुत सारी दुनिया देख के हिला लेती है,उसके बारे में मालूम नही क्या?
मा:अच्छा वो वीडियो में रंडिया आती है वो।मुझे क्या रंडी बोल रहे हो ।मा हु तेरी,थोड़ी तो इज्जत दे।
मैं:मा रंडिया क्यो बोल रही हो,पोर्नस्टार्स बोलो.रिस्पेक्ट?
मा:तुझे रिस्पेक्ट लेनी है या चुत,नही तो मैं चली।
मैं:अरे तुम गुस्सा हो गयी।(लंड चुत पे रगड़ कर छोटा धक्का दिया।)अब सही है।
मा:आआह अम्मा,अरे धीरे से कर आआह रंडी नही हु आआह मै आआह।
मैं आहिस्ता आहिस्ता चुत में ठुकाई करना चालू किया।
मा:आआह उम्म आआह मजा आगया आआह आआह आआह उम्म वीनू और जोर से आआह आआह हाये आआह उम्मम आआह आउच्च आआह उफ्फ आआह
मैंने उनके गर्दन को जखडा और जोर लगा के ठोकना चालू किया।
मा:आआह आछह भोसडीके आआह रंडिके आआह धीरे कर बहोत ज्या आआहआआह द जोश आआह ममममम आआह आआह आआह पूरी चुत का आआह आआह।
मैं रूक कर: मजा आया न।
मा:पूरा भोसड़ा मनाके ही मानेगा आज,जरा धीरेसे मर न।
मैंने अभी नॉर्मल सस्पीड में चालू किया ।मा भी मजे ले रही थी।आखिरकार दोनो झड गए।मा कपड़े लपेट के बाहर गयी और थोड़ी देर बाद मै भी बाहर गया।
नाश्ता करके उठ ही रहा था की दरवाजे पे मीना खड़ी थी।
मा:हा जी बोलिये?!!
मीना:मेडम वो वीनू जी को ठाकुर जी ने बुलाया है।
मा:क्यो??
मीना:हमे कैसे मालूम?बस ठाकुर जी का हुकुम है।
मैं:मा,ठीक हैं,मैं चला जाऊंगा।आप चिंता मत करो।मीना जी आप चलो मैं आया।
मा दादी को समझाकर मैं हवेली पहोंच गया।हर बार की तरह सब हॉल में थे।नाश्ता लगभग कर चुके थे।
सांबा:आइए छोटे कलेक्टर जी,आजकल बहोत धूम मचाये हो गाँव में।
मैं:बस अंकल जी आपका आशीर्वाद।
साम्बा: अरे अइसे क्या बोल रहा है।तुमने हमारे घर के बेटी की रक्षा की है तो खास शुक्रिया बोलने के लिए बुलाया है तुम्हे।
मैं:अंकल जी आप तो अइसा बोलके पराया कर रहे हो।इस गाँव का हिस्सा हु,यहाँ के अच्छे लोगो को सुरक्षा देना और बुरो को सजा देना फर्ज है मेरा।
सांबा को मेरा इशारा समझ में आ गया:वो तो हम देख ही चुके है।आपको हमारे घर के लिए बहोत ही ज्यादा फर्ज अदा कर रहे हो।
मैं:क्या करे जहा से प्यार ज्यादा मील जाए वह फर्ज ज्यादा अदा करना पड़ता ।
सांबा:तुम्हे श्वेता से मिलना हो तो मिल लो,मुझे शहर जाना है।
मैं:ठीक है अंकल जी।
साम्बा:चलो कालिया देर हो रही है।
साम्बा जी के आवाज देते ही एक आदमी सामने के सीडीओ से:जी भाईसाहब चलो,मैं तैयार हु।
मेरी नजर उस आदमी पर गयी:वो तेरी येतो वही कट्टा वाला है।मतलब श्वेता का छोटा चाचा।यहां तो घर के घर में ही मसले है यार।जाने दो हमे क्या?बस खुद की जान बचाओ।पर मेरा कमीना मन कह रहा था की घर में चलती सतरंज के खेल का लुफ्त उठाना चाहिए।
मैं घर जाने के लिए निकला वैसे ही सांबा की बिवि ने मुझे रुकाया
कावेरी:रुको बेटा,कहा जा रहे हो।
मैं:कही नही आँटी,वो घर जा रहा था।थोड़ा काम है।
कावेरी:जरूरी है क्या?
मैं:अइसे ही समझो!!आपका कुछ काम था।
कावेरी:नही बेटा बस शुक्रिया अदा करनी थी।पर अइसे साढ़े में कैसे करू और एक जरूरी बात भी करनी थी।तुम एक काम करो हमारे खेतो के फार्म हाउस पर आ जाओगे।
मैं मन में-ठाकुरों ने क्या रंडी खाना फार्म हाउस पे खोल रखा है क्या।
मैं:कब आना है आँटी जी।
आँटी:कल सुबह आ जाना सुबह 10 तक।
मैं हा बोल कर वहां से घर निकल आया।
मन में: ये चाची तो पार्वती के जैसे किसी मसले की शिकार नही है तो किस बात के लिए मुझे इतना खुफिया तरीके से बुला रही है।जाने दो बात कुछ भी हो,अपना कुछ जाने वाला है नही।घर में जो कशमकश है वही वजह होगी ये खुफिया मीटिंग।
Last edited: