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Fantasy The 13th fantasy adventure magic

Smith_15

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The 13th अध्याय 9



कमरे में एक दम शांति छाई हुई थी, CIA की नई टीम के सभी लोग मौजूद थे सिवाय एलेनोरा के! ऊपर से मिस्टर जोस बहुत ही मुँह लटका कर बैठे हुए थे। सभी उन्हें घूर रहे थे, उनके आस-पास एक कुर्सियों का घेरा बना कर जो बैठे हुए थे। सभी अपनी हंसी किसी बात को लेकर छुपा रहे थे, जो बेशक मिस्टर जोस से जुड़ी हुई थी

“उ......हूं......” जैक ने अपने मुंह से आवाज निकल कर सभी का ध्यान अपनी तरफ किया “ तोsssssss उस चोर को पकड़ने के लिए हम एक छोटा से खेल खेलने वाले है जिसमें हम सारे बैंक वालों को ये खबर फैलाने को कहेंगे कि गोलकुंडा से निकला हुआ सबसे बड़ा एमराल्ड(Emerald) न्यूयॉर्क के सभी बैंकों से होते हुए ‘न्यूयॉर्क शाइन ट्रस्ट’ में हिफाजत के लिए जायेगा।......वैसे आईडिया तो अच्छा है फिर आपका चेहरा क्यों उतर हुआ है?” जैक के आख़िरी शब्दों में थोड़ी सी शैतानी छुपी हुई थी

मिस्टर जोस का चेहरा लाल पड़ा हुआ था किसी बच्चे की तरह मुँह फूला हुआ था, ऐसा लग रहा था कुछ ही देर में टमाटर की तरह फूला हुआ उनका ये चेहरा फट जाएगा

“वो मेरा सबसे........सबसे प्यारा दोस्त ‘एम’ है.....और वो एलेनोरा उसे कितने बड़े खतरे में डाल रही है” मिस्टर जोस की आंखों में हल्के से आंसू आ गए, उनके होंठ बच्चों की तरह भींचे हुए थे जैसे वे अभी रो पड़ेंगे।

पर अब उनका इस हाल देखकर किसी की भी हंसी नहीं रुकी, पूरा कमरा ठहाकों से भर् गया। मिस्टर जोस ने अपना चेहरा छुपा लिया, वो इस बात को लेकर शर्मा रहे थे कि सभी को ये बात पता चल गई थी कि मिस्टर जोस अब भी खिलौनों से खेलते है और उन्होंने एक मिशन में मिले एमराल्ड को भी एक नाम देकर अपने पास रखा था!

“चलो तो फिर चलकर अपना-अपना काम करते है, जल्दी ही एक सॉलिड(Solid) मिशन पर जाना है!” इथन ने उत्साह में दांत किटकिटा कर कहा और सभी कमरे से निकल कर अपने पाने कामों में व्यस्त हो गए।

एलेनोरा ने एक बहुत ही सही प्लान(Plan) तैयार किया था। चोंगयुन का कोई अता-पता नहीं था, फिलहाल पोलैंड में कुछ एजेंट्स(Agents) उसे ढूंढने के काम कर रहे थे। साथ ही वे दोनों उन गुमनाम बच्चों को भी ढूंढ रहे थे जिनकी मौत की झूठी खबर हर न्यूज़ चैनल और अखबार में समाई हुई थी। एलेनोरा ने सारे बैंक में ये खबर पहुंचाने को कहा कि था कि वो एक एमराल्ड को कई बैंकों से होते हुए ‘शाइन ट्रस्ट’ तक पहुंचाने वाले है और जब उस चोर को इस बात की खबर लगेगी वो इसे चुराने के लिए जरूर आएगा और तभी हम उसे पकड़ लेंगे। अब क्योंकि शायद उसके पास लोगों को काबू करने की शक्तियां है तो वे एक जाल के द्वारा उसे पकड़ कर बेहोश कर देंगे, जब वो किसी को काबू नहीं कर पाएगा तो.........जाहिर सी बात है वो फंस जाएगा!

एलेनोरा की टीम के सभी साथी, सिवाय जैक के बैंकों के लिए निकल गए थे। कभी-कभी तो एलेनोरा को भी ऐसा लगता था कि शायद दुनिया में ऐसी कोई भी जगह नहीं है जहां पर CIA पहुंच न हो। मिस्टर जोस ने “गोल्ड बैंक” में अपना एमराल्ड आंखों में आंसू लेकर जमा कराया जैसे कोई बच्चा अपने खिलोने से दूर जाने पर दुखी होता है। बाकी सभी साथी अलग-अलग बैंकों में जाकर अपने विश्वास पत्रों में ये बात फैलाने का जिक्र कर आये कि “ एक बहुमूल्य एमेराल्ड 2 दिनों के अंदर-अंदर शाइन ट्रस्ट पहुंचा दिया जाएगा”। बैंक वाले भी बहुत सही थे, वे जहां भी खाना खाने, समय बिताने जाते वहां पर ये एमेराल्ड वाली बात निकलने लगे उर जंगल की आग की तरह यह बात छोटे चोरों से लेकर बड़े माफियाओं तक पहुंच गई...........और उस तक भी जिसके इंतजार में CIA की टीम थी।

“चलो अपना काम तो हो गया, पर मिस एलेनोरा कहाँ पर है?” जुलिया ने इन्वेस्टीगेशन रूम में कदम रखते हुए कहा। वहां पर इथन और रोबर्ट, जैक के पास बैठे हुए कुछ बात कर रहे थे और जुलिया के आटे ही वे चुप भी हो गए

“एलेनोरा कहीं बाहर गयी है!” इथन ने कुर्सी के पीछे अपनी गर्दन टिका कर कहा, जुलिया को उसका उल्टा चेहरा कुर्सी के पीछे से लटका हुआ दिख रहा था

“और तुम क्या कर रहे हो जैक? तुम तो हमारे साथ भी नहीं आये थे” जुलिया ने उन तीनों के पास कुर्सी लेकर पूछा

जैक के हाथ कीबोर्ड पर चल रहे थे और उसकी आंखें मॉनिटर पर टिकी हुई थी, उसने हल्की सी जम्हाई ली

“मैं ‘न्यूयॉर्क शाइन ट्रस्ट’ की बिल्डिंग का ब्लू प्रिंट और एमराल्ड की बैंकों में रोटेशन(Rotation) चेक कर रहा था.........वाह! शाइन ट्रस्ट की सिक्योरिटी बहुत सही है यार, ऐसी जगह एमराल्ड क्या, पूरा आ पूरा बैंक ही रखा जा सकता है” जैक ने आश्चर्य से देखते हुए कहा और सभी का ध्यान मॉनिटर पर आए गया

20 अकड़ की जगह में बनी हुई थी शाइन ट्रस्ट की बिल्डिंग! वो ही ऐसी परफेक्ट सिक्योरिटी के साथ जैसे मिलिट्री का बस हो। शाइन ट्रस्ट की अपनी ‘फ़ोर्स’(Force) थी, जिसमें 100 हथियारबंध सैनिक- सभी तरह की गन्स के साथ बाहर की सुरक्षा के लिए औरअंदर ट्रेनेड(Trained) गार्ड्स 50 के करीब। हर छोटे काम के लिए हाउस होल्ड रोबोट्स और एक बेहतरीन कैमेरा सिस्टम विथ ए. आई. (Camera with A. I.) । ऐसी खुफिया जगह पर भला कोई चोरी करने की सोच भी कैसे ले? ऊपर से एन्टी-आर्टिलरी(Anti-Artilary) गन एंड मिसाइल सिस्टेम, ताकि कोई भी हवा के रास्ते न आ जा सके!

“ये तो सच में हवा टाइट कर देने वाली सिक्योरिटी है! फिर हमारा क्या काम?” इथन ने मुस्कुराते हुए कहा

“भूलो मत एथन की हम एक ऐसे चोर की तलाश में है जिसके पास लोगों को कंट्रोल करने की पावर है, ऐसे में हमें हर तरह से सावधान रहना पड़ेगा” जैक ने अपनी नज़रें मॉनिटर से नहीं हटाई

“वैसे अभी भी मेरे मन में एक सवाल है” रोबर्ट ने जैक की ओर देख कर पूछा “अगर वो लोगों को कंट्रोल कर सकता है तो फिर हम उसे रोकेंगे कैसे? क्या वो हमें कंट्रोल नहीं कर पायेगा?”

रोबर्ट का सवाल सुनकर सभी ने एक दूसरे को ऐसे देखा जैसे कह रहे हो....’ये सवाल हमारे दिमाग में क्यों नहीं आया?’। सभी अचानक से चुप हो गए, वो बैठे वहीं थे पर मन कहीँ और ही था!

“जैसा कि एलेनोर ने कहा, हमें उस पर पहले हमला करना होगा। उसके अलावा हमारे पास कोई रास्ता है भी नहीं! हम तो अभी ये भी नहीं जानते कि वो है कौन, ऐसे में ये मिशन बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।.........और इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस चोर को पकड़े”

जैक की बात बिल्कुल सही थी, ये जानते हुए भी की हमारे जीतने के चांस(Chance) 50-50 है.....हमें बहुत सोच समझ कर कदम उठाने होंगे। और ये बात भी नहीं भूलना है कि अगर की इस सुपरनैचुरल केस को समझने के लिए उस चोर का पकड़े जाना बहुत जरूरी है। ऊपर से चोंगयुन खुला घूम रहा है, न जाने कब वो तबाही मचाना शुरू करदे! इससे पहले की हालात बिगड़ जायें....... CIA को नतीजों तक और इस केस की सच्चाई तक पहुंचना ही होगा। CIA की बाकी टीम्स भी अलग अलग देशों में लगी हुई है पर इस लग रहा है कि ये शक्तियों की दिवाल कुछ ज्यादा ही बड़ी है।



शाइन ट्रस्ट, मुख्य न्यूयॉर्क से दूर लॉयड(Lloyd) नाम की जगह पर था और वो जगह 3 ताप से पानी से घिरी हुई थी। वो इलाका थोड़ा पहाड़ी भी था, जंगल थे, तालाब और पथरीले रास्ते भी और वहां पर देखी होने का रास्ता एक ही था और वो रस्ता भी लॉयड हार्बर की सड़क से होता हुआ जाता था। यूँ तो न्यूयॉर्क से लॉयड की दूरी सिर्फ 1 घंटे की ही थी पर लॉयड हार्बर से अंदर जाते ही सिक्योरिटी टाइट होंना शुरू हो जाती थी। शाइन ट्रस्ट की जगह काफी अंदर की तरफ बनी हुई थी जहां की जमीन थोड़ी ऊंचाई पर थी पर थी समतल। कोई ये सोच ही नहीं सकता कि पहाड़ी इलाके में ऊपर की तरफ भी कोई समतल जममें हो सकती है और ऐसी ही जगह पर था शाइन ट्रस्ट।

बाहर से मोटी-मोटी कॉन्क्रीट की दीवारें, वाचटावर(Watchtower), टैंक, हेलीकॉप्टर और हथियार बंध गाड़ियां! बाहर के सैनिक काले रैंक के मिलिट्री जैसे कपड़े पहने हुए थे और आधुनिक गन्स से लैस। अंदर और बाहर जाने के लिए एक नाका पर करना पड़ता था जो शाइन ट्रस्ट की मुख्य इमारत से 500 मीटर की दूरी पर बना हुआ था। जहां पर एक्स-रे विज़न के द्वारा सभी की जांच होती थी, जो अलग से जांच होती सो अलग और वहां नाके पर ही एक टैंक और मशीन गन के साथ गाड़ियाँ खड़ी हुई थी, जिसे देख कर ही लोग दूर से हवा हो जाते।

आज के सुहाने दिन में वहां पर शाइन ट्रस्ट का मालिक किसी को अपने साथ लेकर आया। मालिक को किसी ने नहीं रोका बाकायदा उससे जानकारी ली गयी कि वो किसे लाया है?..... सब कुछ ठीक देख कर सैनिकों ने उसे अंदर जाने दिया। कॉन्क्रीट की उन मोटी दीवारों के पार एक बहुत बड़ा मैदान था जिसके आख़िर में शाइन ट्रस्ट की मुख्य बिल्डिंग और लॉकर थे। बाईं तरफ कुछ हरियाली के साथ बड़ी सी इमारत थी जिसमें खाना बनता और खिलाया जाता और दाई तरफ मुख्य बिल्डिंग के कुछ पास सैनिको-गार्ड्स के कमरे थे। उसी से आगे की हथियार रखने के छोटे-छोटे डोम थे, जहां तरह-तरह के हथियार जमा थे

“वेलकम टू शाइन ट्रस्ट डिअर मैंम (Welcome to Shine Trust, Dear Mam)” शाइन ट्रस्ट के उस ब्लॉन्ड बालों वाले ओनर(Owner) ने कहा और अपना हाथ देते हुए किसी लड़की को कार से बाहर बुलाया।

वो लड़की उसका हाथ पकड़ कर बाहर आई, उसने ब्लू(Blue) जीन्स और आसमानी रंग की फुल स्लीव(Full-Sleeve) वाली टी शर्ट पहनी हुई थीं जो कंधों के पास से कटी हुई थी। उसने बाएँ हाथ में एक सफेद ग्लोव पहना हुआ था

“अब इतना भी फॉर्मल होने की जरूरत नहीं है एडम। वी आर फ्रेंड्स(We are Friends)” कार से उतार कर उस लड़की ने एडम के साथ अंदर प्रवेश किया, दरवाजे पर ही 6 गार्ड ब्लैक सूट में खड़े हुए थे। अंदर जाने से पहले मेटल डिटेक्टर से दोनों की चेकिंग हुई, फिर आउटर CT स्कैन हुआ और उसके बाद ही वे दोनों अंदर जा पाए। सिक्योरिटी वाले अपने काम को लेकर बिल्कुल भी लापरवाह नहीं थे, देखने में इस लग रहा था जैसे वो उन पर ध्यान ही नहीं दे रहे है पर असल में उस सबकी आंखे काले चश्मों के पीछे से सब कुछ देख रहीं थी। अंदर आते ही एक बड़ा सा पिल्लर नजर में पड़ा जो कि इमारत के बिल्कुल बीच से गया मालूम पड़ रहा था और 5 छोटे पिल्लरों से घिरा हुआ था। दोनों तरफ से ही गोल सीढियां थी जो ऊपर की ओर लेकर जाती थी। इमारत बहुत बड़ी थी पर उसके सिर्फ बीच में जहां पर तिज़ोरी का दरवाजा था, वहीं पर हवा में लटका हुआ माला(Floor) था। वहीं पर चार कमरे थे एक दम आलीशान, पूरी तरह से व्यवस्थित और सुसज्जित! इमारत के चारों कोनों में चार लिफ्ट थी जो कि कांच सी पारदर्शी थी और उनके कांच खुलते भी थे ताकि वहां से गार्ड्स नजर उर निशाना दोनों रख सकें। जहां पर तिज़ोरी के अंदर जाने का दरवाजा था उसके बगल में 2 बहुत ही सुंदर टेबल लगी हुई थी किनारे में सफ़ेद फूल लगे हुए थे और बाहर देखने के लिए दीवार का उतना हिस्सा कांच के बना हुआ था जिसके बाहर से थोड़ा मैदान और सरहद की दीवार के साथ पर का समुंदर भी दिखता था..............
वो लड़की और एडम अब उन टेबलों के पास जाकर बैठ गए, एडम ने वेटर को 2 फ्रूट इस्क्रीम लेकर आने को कहा और फिर दोनों की बातें शुरू हो गयी, वो लड़की कुछ जानी पहचानी लग रही थी

“तो कहिए मिस हॉल, आज इतने दिनों बाद अपने जूनियर को भला कैसे याद कर लिया?” एडम ने मुस्कुरा कर पूछा और मिस हॉल........यानी एलेनोरा ने जवाब दिया

“इतने दिनों में!” एलेनोरा ने एक नजर उठा कर उसे देखा “हर हफ्ते ही तो बात होती है और ऊपर से तुम्हारे मैसेज के भी जवाब देती हूँ और तुम रहे हो इतने दिनों!” एलेनोरा ने अपनी आंखें छोटी करके उसे देखा

“अरे....मै... न....मैं तो...मजाक कर रहा था” एडाम ने एलेनोरा की तेज निगाहों से डरते हुए कहा जिस पर उसकी जबान फिसलते देख एलेनोरा को हंसी आ गयी। उसने हंसते हुए जल्दी से अपना स्मार्टफोन निकाल कर उसकी फोटो ले ली

“तुम बिल्कुल भी नहीं बदले एडम” एलेनोरा ने अपनी हंसी को कबू में करने की कोशिश की “ आज भी वैसे ही हो जैसे 6 साल पहले रशिया में थे”

“और आप भी नहीं बदलीं, सच में आज भी उतनी ही.......खैर वो सब छोड़िये” असल में एडम, एलेनोरा को डरावनी कहने वाला था पर उसने नहीं कहा “आप कैसी है? और आपकी पुलिस की नौकरी कैसी चल रही है?”

“अभी कुछ दिनों पहले ही मेरा ट्रांसफर न्यूयॉर्क में हुआ है इसलिए एक काम के सिलसिले में तुमसे मिलने हो गया वरना मेरी नॉकरी तो मेरी जान ही खा लेती है” एलेनोरा ने अपने माथे पर हाथ रख इशारा किया

“सच में, आपसे ज्यादा परेशान पुलिस वाला मैंने आज तक नहीं देखा। रशिया में भी सारे बड़े-बड़े केसों की जिम्मेदारी आप पर डाल दी जाती थी पर ये बात भी है कि आप आज तक कभी भी फेल नहीं हुई” एडम ने एलेनोरा की आंखों में देखते हुए कहा जिस पर एलेनोरा ने एक हल्की सी मुस्कुराहट दिख दी। उसने अपना बायां हाथ जेब में हाथ डाला और एक मुट्ठी के बराबर का हरा एमेराल्ड निकाल कर टेबल पर रख दिया। उसे देखते ही एडम की आंखें बड़ी हो गयी, मुँह खुल कर जबड़ा जैसे जमीन पर गिर गया। उसने अपनी आंखें मल कर फिर से देखा और देखता ही रहा, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये कोई सपना नहीं बल्कि हकीकत है।

“पहले अपना मुंह बंद करो” एलेनोरा अपने हाथ से उसका जबड़ा ऊपर कर मुँह बंद कराया “अब ध्यान से सुनो। गोलकुंडा से मिले इस एमराल्ड पर काफी लोगों की नजर है और में तुम्हें यकीन दिलाती हूँ कि वो अच्छे लोग तो बिल्कुल नहीं है। इसलिए मैं तुम्हारे पास आई हूँ, इसे कड़ी सुरक्षा की जरूरत है और तुम्हारे ट्रस्ट से बेहतर सुरक्षा इसे कहीं नहीं मिलेगी” एलेनोरा ने एमराल्ड एडम की तरफ सरक दिया। वो एमराल्ड को उठाने ही वाला था कि...’चट्ट’!

“मरने की बहुत जल्दी है क्या?” एलेनोरा ने एडम के हाथ पर चांटा मरते हुए कहा, एडम ने अचानक से दर्द के मारे अपना हाथ मलने लगा “पहले ग्लोव पहन लो। ये एमेराल्ड पॉलिश(Polish) किया हुआ है पर फिर भी हम इसे खाली हाथों टच(Touch) नहीं कर सकते”

“आsssss उssssss! ये बात आराम से भी बता सकती थी न?” एडम ने कराहते हुए कहा

“हाँ, जरूर। तुम्हारे मारने के बाद आराम के बताती.........” एलेनोरा ने व्यंग भरी मुस्कान लिए कहा

एडम ने पास वाले गार्ड को बुलाया, उसे एक ग्लोव और पानी का गिलास लाने के लिए कहा। जैसे गार्ड को पहले से ही पता था, वो पास के कमरे में गया और 2 ग्लव्स और एक पानी का कांच के गिलास तुरंत लेकर आ गया। एडम ने ग्लोव पहन कर पहले एमेराल्ड को उठा कर पानी में डाला

“अब जब आपने कहा ही दिया तो में भी थोड़ा प्रोफेशनल काम करूँ और चेक कर लूं कि ये असली है या....” एडम ने पानी की तरफ नजरें करी और कुछ हो क्षणों में एमेराल्ड की हरी रोशनी तेज सी होकर चमकने लगी। इसे देख कर एडम मुस्कुराया और पानी में हाथ डाल उसने एमेराल्ड निकलना चाहा..........”धड़sssssss!” आइस-क्रीम लेकर आया हुआ वेटर लड़खड़ा कर टेबल पर गिर गया और आइस क्रीम पूरी की पूरी एडम के सिर पर जाकर लटक गई। एडम अचानक उसके गिरने से तो कांपा ही, आइस क्रीम की ठंडी लहार जो उसके कपड़ों में गयी वो उछल पड़ा आहsssss उहsssss ठंडा, ठंडा, बहुत ठंडा!” एडम का नाच देख कर एलेनोरा बहुत जोर से हंसी, उसके साथ पास खड़े गार्ड को भी हंसी आ रही थी पर और वो बेचारा अपनी हंसी रोकने की भरपूर कोशिश कर रहा था।.......और एलेनोरा के क्या कहने! वो हंसते हुए गार्ड्स को देख उन्हें भी हँसाने की कोशिश कर रही थी जिस पर गार्ड भी कुछ पल एडम से नजरें चुरा कर हंस लिए। इसी हंसी और जद्दोजहत के बीच एलेनोरा ने जमीन पर गिरे हुए उस एमेराल्ड को उठाने लगी, क्योंकि वो कुछ दूरी पर टेबल के ही नीचे था तो एलेनोरा ने झुक कर आराम से कुछ समय लेते हुए उस को उठाया और उछाल खा रहे एडम को दे दिया।

बेचारा वेटर! उसे गार्ड्स से डांट पड़ी पर एडम ने गार्ड्स की सख्ती को देखते हुए उस वेटर को आज की छुट्टी दे दी, कहा कि ‘घर जाकर आराम करो, शायद थकावट की वजह से तुम गिर गए’। वेटर अपने घर में चल गया जो के लॉयड के पास ही था। एडम पास के कमरे में गया और 30 मिनट के बाद तैयार होकर वापस आया पर तब तक एलेनोरा जा चुकी थी।

“सर्! मिस एलेनोरा ने एमेराल्ड को सेफ(safe) रखने के लिए कहा है, उन्हें कुछ काम था, इसलिए वो चली गयी सर्!” तिजोरी के बाहर तैनात उस गार्ड ने एकदम मिलिट्री मैन के स्टाइल में कड़ाके आआवज में कहा

तभी एलेनोरा का एक मैसेज एडम को फ़ोन पर आया जिसमें वहीं बात लिखी थी जो अभी गार्ड ने कही। एडम ने राहत की सांस ली, असल में उसे एलेनोरा से थोड़ा डर भी लगता था जिसका एक कारण तो ये था कि वो अक्सर लोगों को अपनी बातों से डरा देती थी।

एडम ने उस बड़ी सी पाइप जैसी तिजोरी के कमरे का गेट खोलने के लिए अपना फिंगर और फुल बॉडी स्कैन दिया जो कि दरवाजा खुलने से पहले उसके दहलीज पर ही हो जाता था। उस लोहे के दरवाज़े के खुलते ही लगभग 15 कदम की दूरी पर 2 बड़े गोल चुम्बकों के बीच एक बिल्कुल ही सफेद गोला तैर रहा था। पूरी जगह में हल्की नीली रोशनी थी और 4 360 डिग्री कवर करने वाले कैमरे उसे घेरे हुए दीवार पर लगे हुए थे। वहां पर एंटर करते ही दीवारों से बहुत सारी गन्स निकल कर एडम को निशाने पर लगा दी, उन गन्स की लेज़र लाइट का हरा रंग अब एडम के पूरे शरीर पर छा रहा था। एडम चलता हुआ उस गोल तिजोरी की तरफ गया जो ना सिर्फ सफेद थी बल्कि उसमें किसी भी तरह का लीवर नहीं दिख रहा था जिससे उस खोल जा सके, एडम के साथ ही गन्स की निगाहें भी चल रहीं थी। एडम जाकर उस गोल तिजोरी के सामने खड़ा हुआ जो कि हवा में तैर रही थी, उसने जाकर उस गोल तिजोरी के ऊपर की तरफ अपनी 2 उंगलियां रखी और उस तिजोरी का एक 2 उंगली के क्यूब बराबर का हिस्सा किसी बटन की तरह अंदर चला गया और तिजोरी के सामने का हिस्सा एक आयात के आकार में बाहर की तरफ आ गया। इस आयताकार निकले हिस्से के अंदर एक सर्किट से था जो किसी तरह की सुइयों से और एक इलेक्ट्रिक बोर्ड जैसे दिखने वाले यंत्र से जुड़ा हुआ था। एडम ने अपनी जेब से एक स्टील से रंग का क्यूब निकाला और सर्किट के बीच में रख दिया, उसके ऊपरी पृष्ट को उसने 3 बार किसी बटन की तरह छुआ और ‘सन्नsssss’!

उन सुइयों ने उस क्यूब को छुआ और उसमें से एक पीली सी तरंग निकली जो उस सर्किट में चली गयी। जहां पर से वो आयताकार हिस्सा निकला था वहीं पर जाकर जुड़ गया और फिर उस गोले का बड़ा सा हिस्सा चौकोर से खुला जिसके अंदर कुछ भी नहीं था सिवाय एक नीली रोशनी के जो कि उसमें अंदर लगे एक नीले से गोले से आ रही थी। एडम ने जल्दी से एमेराल्ड को अंदर रखा और उस में से अपना क्यूब निकाल लिया जिससे वो गोल तिजोरी बंद हो गयी। आराम से एडम बाहर आया और बाहर लगे गार्ड से बोला “काल का दिन शायद बहुत धमाकेदार होने वाला है, बारातियों के स्वागत की तैयारियां करना शुरू कर दो”

“जी सर!”

गार्ड का जवाब सुनकर एडम शाइन ट्रस्ट की बिल्डिंग से निकल कर चला गया, अपने घर में। जो कि बिल्डिंग के पीछे ही था, एक छोटा- पर 5 स्टार घर। उसे भी इंतज़ार था उन बारातियों का जो इसे चुराने आने वाले थे पर वो ये नहीं जनता था कि उसका मुकाबला भी किसी आम चोर से नहीं था, एक अमानवीय चोर से था जिसका जिक्र एलेनोरा ने बिल्कुल भी नहीं किया था।




कल आख़िर होने क्या वाला है? क्या एलेनोरा की टीम चोर को पकड़ लेगी या एडम की आर्मी उस चोर का सामना करेगी? वो चोर आएगा भी की नहीं या अगर आएगा तो कैसे? ऐसे सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिये THE 13th! अगली बार आपको इस तिजोरी के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी, एकदम साइंस बेस्ड!

तब तक के लिए अलविदा ।
 
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The 13th अध्याय 10

“क्या सब लोग तैयार है? मैं बैंक की गाड़ियों के पीछे से निगरानी रखूंगी” एलेनोरा ने अपनी किया सोरेंटो में बैठे हुए सभी से पूछा, वो इस वक्त मैनहट्टन के सरकारी बैंक के पास अपनी कार में बैठी हुई थी। वहीं बैंक जिसे आखिरी बार उस चोर ने लूटा था।

“मैं उसी बैंक की सिक्योरिटी कार के साथ हूँ जिसमें एमेराल्ड को लेकर जा रहे है” इथन अभी-अभी बैंक से बाहर आया और एक सफेद रंग की बड़ी सी SUV में जाकर बैठ गया, 2 बैंक के कर्मचारी एक काली सी पेटी जैसा बक्सा लेकर पीछे के दरवाजे से अंदर बैठ गए। एक पुलिस कार आगे की तरफ थी और एक पीछे की तरफ!

“मैं मेनहट्टन से निकल रहा हूँ” इथन के कान में एक हाई रेंज का रिसीवर लगा हुआ था

यहां मेनहट्टन से बैंक की SUV रवाना हुई और एलेनोरा भी उन्ही के पीछे अपनी कार कुछ दूरी बनाते हुए चलाने लगी।

“ब्रूकलिन हाइट्स की बैंक में इतनी भीड़ क्यों रहती है? इतना काम रहता क्या है इनको?” रोबर्ट की आवाज सुनकर सभी ने एक ‘क्या बे!” जैसी आवाज़ निकाली। उसकी बकवास कहीं भी चालू हो जाती थी

“तू बस अपने काम पर ध्यान दे! नजर रखना क्योंकि अगर तेरी तरफ से कोई गड़बड़ हुई तो तेरा सर और मेरा जूता होगा” एलेनोरा ने कुछ गंभीर भाव को धमकी के साथ मिक्स करके कहा

“डोंट वररी एलेनोरा(Don’t worrie Eleanora), मेरी चील सी नजर सब पर हैं” रोबर्ट ने बहुत ही नाटकीय ढंग में कहा

“ओके!” एलेनोरा ने जवाब दिया

न्यूयॉर्क की सड़कों पर ऐसी भीड़ रहती है जैसे सुपरमार्केट में सेल(Sale) लगी हो पर ट्रैफिक देखना तो सिर्फ नसीब वालों को मिलता है। सड़कों पर गाड़ियां दौड़ रही है, किनारों से लोग चल रहे है, एकदम परफेक्ट(Perfect) डिसिप्लिन था। आराम से चलती गाड़ियों से कुछ दूरी बना कर एलेनोरा अपनी गाड़ी में पीछा कर रही थी, उसे इस बात का पूरा यकीन था कि वो चोर या तो बैंक के ठीक पास चोरी करेगा जहां पर ज्यादा लोग हों ताकि वो आसानी से वहां से निकल जाए या फिर वो उनका पीछा करते हुए शाइन ट्रस्ट तक आएगा। वैसे भी मीडिया में भी ये खबर फैल चुकी थी कि कोई बहुत ही कीमती चीज़ मैनहट्टन से होते हुए ‘शाइन ट्रस्ट’ तक जा रही है पर पूरी जानकारी उनके पास नहीं थी। उन्होंने बैंक वालों से इस बात को निकलवाना चाहा पर मीडिया के सामने झुक जाएं, इतने आसान भी नहीं है बैंक वाले। पर मीडिया के जरिये ये बात कंफर्म सी हो गयी और ये बात भी की अब वो चोर जरूर आएगा।

“मैं लॉयड के बैंक में इंतज़ार कर रही हूँ, कारवां खान तक पहुंचा?” जुलिया की आवाज ऐसी आ रही थी जैसे वो कहीं पर चल कर जा रही हो

“हमनें ब्रूकलिन ब्रिज पर कर लिया है और बैंक तक पहुंचने वाले है। 30 मिनट में लयोड में होंगे” एलेनोरा ने कार में बैठे हुए जवाब दिया

“कॉपी दैट!(Copy That!)” जुलिया ने जवाब दिया

कुछ ही पलों में एलेनोरा और इथन भी ब्रूकलिन पहुंच गए। जल्दी से उन्होंने गाड़ी बदली और रोबर्ट के साथ कुछ ब्रूकलिन बैंक वालों ने पीछे से वो बॉक्स निकाल कर दूसरी SUV में रखा जिस के बाहर ‘ब्रूकलिन हाइट्स’ लिखा हुआ था, हरे-सफेद रंग में। मेनहट्टन बैंक के लोग उतर गए और ब्रूकलिन के बैंक कर्मचारी SUV में इथन और रोबर्ट के साथ जल्दी से रवाना हुए।
एलेनोरा! कोई गड़बड़ तो नहीं है वरना मेरा दोस्त.....उहुंssssss” शुरू में गंभीर भाव लिए मिस्टर जोस के आवाज़ के आखिर में बच्चों सी रोतलु आवाज जुड़ गई

“चिंता मत कीजिये सर! अगर वो चोर शाइन ट्रस्ट तक पहुंच भी जाये तब भी आपका एमेराल्ड चरी नहीं कर पायेगा, भरोसा रखिये और........अब कॉल मत करना!” एलेनोरा ने बहुत ही व्यंगात्मक तरीके से लोमड़ी जैसे मुँह बनाकर कहा और तुरंत लाइन काट दी

“ये मिस्टर जोस भी न! मिशन से ज्यादा अपने एमेराल्ड को एहमियत दे रहे है” एलेनोरा ने बड़बड़ाया

कुछ ही देर बाद रोबर्ट और इथन बैंक वालों के साथ ही ब्रूकलिन से निकल गए, यहां से लयोड हार्बर ज्यादा दूर नहीं था। बहुत ही आराम से एलेनोरा की योजना चल रही थी और अब लयोड पहुंचने के लिए सिर्फ एक फ्लाईओवर(Flyover) पर करना था। ये जगह भी आसानी से पर हो जाती अगर वहां पर गाड़ियां ट्रैफिक की तरह फंसी नहीं होती तो! फ्लाईओवर करीब 5 किलोमीटर का था, न वहां पर जगह थी और ना ही ब्रिज़ के नीचे। काफी सारी गाड़ियां एक के पीछे एक खड़ी हुई थी, कुछ हो हल्ला भी हो रहा था क्योंकि काफी लोगो को आगे जाना था। कोई हॉर्न बजा रहा था तो कोई गाड़ी में से निकलकर चिल्ला रहा था

“अरे आगे बढ़ा! कब तक यहीं रोक कर रखेगा, मैं ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूँ” बैंक की SUV के आगे एक अधेड़ उम्र का चंद से सिर का आदमी अपनी कार की खिड़की में से चिल्ला रहा था

“लगता है आगे कहीं पर कोई प्रॉब्लम हो गयी है, मैं जरा देख के आता हूँ.....” रोबर्ट ने कहा और गाड़ी से नीचे उतरने लगा

“रुको रोबर्ट! में जाकर देखती हूँ” एलेनोरा रोबर्ट को मना करते हुए अपनी कार से नीचे उतरी और आगे बढ़ने लगी। एलेनोरा के पीछे भी 2 मिनी ट्रक खड़े हुए थे और आगे की तरफ कुछ कार्स और SUV के थोड़े आगे की तरफ एक नीले रंग की स्कूल बस भी खड़ी दिख रही थी.......एलेनोरा के कुछ कदम आगे बढ़ते ही ट्रैफिक क्लियर होने लगा.......

“चलो, अब अच्छा हुआ” वो अधेड़ उम्र का आदमी तेज बोला पर चिल्लाया नहीं,एलेनोरा भी जल्दी पलट के अपनी कार में बैठने गयी।

धीरे-धीरे सारी गाड़ियां आगे बढ़ी और ट्रैफिक क्लियर होने लगा, इथन ने जानबूझकर पहले रास्ता थोड़ा खाली होने दिया और उसके बाद SUV को आगे बढ़ाया। यहां पर भी कोई समस्या नहीं आयी पर अभी लयोड का बैंक इस फ्लाईओवर से कहीं दूर था। एलेनोरा पहली बार suv के पास अपनी कार चला रही थी क्योंकि आगे कोई दूसरी गाड़ी नहीं थी और पीछे वाले दोनों मिनी ट्रक भी आराम से चल रहे थे। अब SUV फ्लाईओवर से नीचे आने ही वाली थी इसके बाद अगले 10 किलोमीटर बाद लयोड का बैंक आयगा पर इस सब के दौरान एलेनोरा इस बात पर ध्यान देना भूल गयी कि उसके पीछे जो मिनी ट्रक आ रहे थे उसके पीछे और कोई भी गाड़ी इतनी देर में भी नहीं आयी थी जबकि जब वो लोग ब्रूकलिन से निकले थे तब काफी सारी गाड़ियां उनके पीछे थी बस यहीं एक बात एलेनोरा की नजरों से बच गई!

फ्लाईओवर से नीचे उतर ही रही थी SUV की अचानक से वो रुक गयी, क्योंकि बाजू से एक आदमी निकल कर आया, एकदम हट्टा कट्टा उसने चेहरे पर एक लाल ऑक्टोपस का मुखोटा बांध रखा था जिसके पीछे से उसके कंधे तक लंबे ब्लॉन्ड(सुनहरे) बाल लटक रहे थे पर उसे यूँ ही आते देखने मात्र से गाड़ी नहीं रुकी। उसके हाथ में एक बड़ी सी M134 मिनिगन देख कर इथन का हाथ सीधे हैंडब्रेक(Handbreak) पर गया और SUV सीधे थोड़ा सा फिसलते हुए रुक गयी और उस मिनिगन वाले ने गोलियों की बौछार कर दी

‘दन-दन-दन-दन-दन-दन-दन-दनssssssss.........’

करीब 1 मिनट तक गोलियों की बौछार हुई, उसके कुछ साथी भी एक ट्रक को दूसरी तरफ से लेकर आ गए। SUV के कांच टूट गए, पूरी गाड़ी पर जलने के- गोलियों के निशान पड़ गए थे पर आश्चर्य! SUV के अंदर तक एक भी गोली नहीं पहुंची थी। वो मुखोटे वाला आदमी SUV के पास जाने लगा......उसके बढ़ते कदम के साथ उस ट्रक में से उसके दो साथी भी निकले पर उन्होंने मास्क नहीं पहना हुआ था.....देखने में दोनों चीनी लग रहे थे, दोनों टकले थे और मिलिट्री जैसे हरे- धूल से कपड़े पहने हुए थे। तभी एक गोली चली और वो मास्क वाला आदमी जमीन पर गिर गया पर उसे देख कर उसके पीछे वालों को कोई फर्क ही नहीं पड़ा, उन्होंने एक नजर उस ऑक्टोपस मास्क वाले को देखा और दूसरी नजर वापस SUV पर;

“पट्ट से हैडशोट!” इथन SUV की टूटी कांच की जगह से अपनी सुनहरी डेजर्ट ईगल लहराते हुए बोला

“10 साल पुराना डॉयलोग मारा है यार” रोबर्ट ने दूसरी तरफ का दरवाजा खोलते हुए कहा “ अब मेरी बारी” रोबर्ट जल्दी से बाहर निकल और बिना देखे ही सामने से आ रहे उन दोनों को अपनी गोली से छलनी कर दिया

“वाह यार, मुझे तो लगा था तो एक ऑफिस वर्कर है, आज पता चला कि तेरी बन्दूक में भी दम है” इथन ने भी सामने से बाहर निकलते हुए कहा

‘धांय-धांय-धांय-धांय............” इथन बाहर ही निकला था कि उस ट्रक में से 4-5और आदमी निकले जो शक्ल से ही अपराधी लग रहे थे.....खूंखार सी दरिंदगी वाली शक्ल और काले से कपड़े...बंदूक और धारदार हथियारों के साथ! उन्ही लोगों ने इथन और रोबर्ट की ओर गोलियां चला दी। जैसे-तैसे जल्दी में इथन रोबर्ट के पास गाड़ी के दूसरी तरफ पहुंचा कि उनके पीछे से 2 आदमी शॉटगन लेकर उन पर निशाना बनाये आ रहे थे जिन पर इथन और रोबर्ट का ध्यान नहीं था

“थडsssssss, धाड़!” एलेनोरा की गाड़ी के पास आते ही एलेनोरा ने फुर्ती से बाहर कदम बढ़ाये और एक गुंडे के कंधे पर पहले एक ‘चॉप’(Chop) मारा जिससे वो लगभग चक्कर से कहा गया और अगले ही पल एलेनोरा ने उसका सर पकड़ कर अपनी ही कार के बम्पर पर इतनी जोर से मारा की उसके पहते से सर से खून के छींटे उछाल कर एलेनोरा के चेहरे पर जा गिरे। उसके साथी ने एलेनोरा को देखते ही उस की तरफ गन मोड़ी

“सन्नsssssss फाटssssssss” अगले ही पल एलेनोरा की जीन्स से निकले बेल्ट ने सामने वाले कि गर्दन जकड़ी और घूम कर उसे हवा में उछाल फेंक दिया। इससे पहले की वो उठे एलेनोरा उसके पास गयी, उसकी शॉटगन उठाई और इतनी जोर से उसके सर पर लात पटकी की चमड़ी के फटने की आवाज गूंज सी गयी

आगे की ओर अब भी गोलियां चल रहीं थी, वो गुंडे भी बड़ी बड़ी मशीन गन से हमला कर रहे थे। जिसके जवाब में इथन और रोबर्ट गोलियां चला रहे थे

“इतना खतरनाक लड़ना कहाँ से सीख?” इथन पीछे पड़े उन गुंडों की हालत देख आंख पहाड़ कर बोला

“रशियन माफिया” एलेनोरा ने SUV के बगल से झांक कर उन गुंडों को देखा और देखते ही उन गुंडों की तेज नजर से गोलियां एलेनोरा की ओर चल गई,वो गोलियां सीधे उस जगह टकराई जहां पर पहले एलेनोरा खड़ी थी।

“काफी स्किल्ड(Skiled) गुंडों की भर्ती होती है आज-कल” इथन ने एलेनोरा को देख कर कहा

“किसी के पास कोई प्लान है या ऐसे ही छुपे रहना है?” रोबर्ट के बोलने का तरीका ही ऐंसा था कि एलेनोरा और इथन की नजरों ने उसे घेर लिया “नही.....न...नहीं, मेरा मतलब था कि जितनी ज्यादा देर हम यहां रुकेंगे उतना ज्यादा इन गुंडों का खतरा बढ़ जाएगा। ये तो वैसे भी न जाने कहाँ से आते ही जा रहे है”

रोबर्ट की बात भी सही थी, ये गुंडे सभी को घेरने की कोशिश में थे ताकि बैंक की SUV में से एमेराल्ड निकाल कर ले जाएं। तभी एक गुंडा दौड़ते हुए उनकी तरफ आया, उसने धक्का देकर पहले रोबर्ट को गिराया और फिर इथन पर लपका.... पर इथन कोई मरियल से तो था नहीं उल्टा काफी भरे हुए शरीर का था। उसने पहले उस गुंडे को एक मुक्का मारा और फिर उसे अपने सर के ऊपर उठा कर SUV के ऊपर से दूसरी तरफ फेंक दिया जहां पर अब भी गोलियां चल रहीं थी, जिनमे से कुछ गोलियां उस गुंडे को भी लगा गयी और वो वहीं निर्जीव हो गया। उसे फेंकते समय उसे कुछ नीचे गिरा था, एलेनोरा ने जल्दी से SUV के नीचे देखा........’एक ग्रेनेड’! अछि बात यह थी कि उसकी पिन अब भी लगी हुई थी जिसे देख कर एलेनोरा को एक आइडिया आया.....

“इथन, रोबर्ट जल्दी से SUV में बैठो” एलेनोरा ने ग्रेनेड उठाते हुए कहा

“क्या?” इथन ने चोहटे हुए कहा “पर..!”

“जितना कहा उतना करो, जल्दी!” एलेनोरा ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए कहा और इथन-रोबर्ट जल्दी से SUV में बैठ गए और SUV को स्टार्ट किया। एलेनोरा ने ग्रेनेड की पिन निकाली और उसे उन गुंडों के ट्रक के पास फेंकते हुए बोली
निकलो..अभी!” यहां इथन ने SUV को रफ्तार दी और वहां ग्रेनेड के धमाके से वो ट्रक भी किसी बम की तरह फट गया....वो गुंडे उसी आग में गायब से हो गए। जब तक वो सब आग में उलझे रहे इतने में तो SUV वहां से निकल गयी...सीधे लयोड बैंक की ओर....और वहां से सीधे ‘शाइन ट्रस्ट’!

सामने आग की लपटें थी, वो जल हुआ ट्रक जिसके डीजल की गंध और वो गहरा काला धुआं हवा में फैल रहा था। रोड अब भी बंद थी यानी कि वो गुंडे अब भी दोनों तरफ थे और अब बीच में एलेनोरा रह गयी थी।

“हेलो” एलेनोरा ने अपने कान में लगे मैक्रो कम्यूनिकेटर को उंगली से थपथपाते हुए कहा...पर अब उस में से केवल मच्छरों के भिनभिनाने सी आवाज आ रही थीं। एलेनोरा ने उसे कान से निकल कर फेंक दिया, वो जल्दी से अपनी गाड़ी के पास गई और एक नजर उस ट्रक के पास डाली................... आग की लपटों और धुएं की दीवार के पीछे कुछ हिल रहा था.....पहले ऐसा लगा कि धूप और गर्मी के मिश्रण से नजारा धुंधला हो गया है

“दन्नssssss” पर अपनी गाड़ी के दरवाजे टकराती हुई उस गोली की आवाज ने चेता दिया कि वो नजारे का धुंधलापन नहीं बल्कि आंखों का खाया हुआ धोखा था। सामने से उस जल हुए ट्रक के पास कुछ ओर गाड़ियां आ कर रुकीं और उनमें से एक बार फिर अपनी धुन में कुछ और गुंडे बाहर निकले जिनमें से एक जो कि उस ‘ऑक्टोपस’ वाले मास्क पहने आदमी सी कद काठी का था...उसने एलेनोरा की तरफ गोली चलाई थी। एलेनोरा जल्दी से अपनी गाड़ी के पीछे चली गयी.....अब वो उन गुंडों के निशाने पे थी..........

एलेनोरा ने एक बार के लिए आंखें बंद की......गहरी सांस ली... और ऐसा लगा जैसे माहौल थम सा गया। उसकी आंखें जो अब तक खूबसूरती में समाई हुई किसी को भी मोहित कर लेती थी...... अभी, इस वक्त उसमें एक आग थी जिसमें न तो प्रेम था और न ही किसी के लिए थोड़ा सा भी रहम-दया, उसका वो रूप जो बहुत कम लोग देख कर जिंदा बच पाते थे। उसने अपनी बाईं तरफ बेल्ट से एक गन निकाली, दाईं ओर से एक आर्मी नाइफ......और अपनी गाड़ी के पीछे से निकलते हुए पहली 3 गोलियां सीधे उन तीनों को लगी जो फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहे थे....उनके शरीर इतनी आराम से सड़क के उस कॉन्क्रीट पर गिरे जैसे नींद के आगोश में समा जाते रहे हों.....उसकी तेज रफ्तार और अपने साथियों की मौत देख कर जितने पल उन सबने भौचक्के हो कर गंवाए, उतने में एलेनोरा ने उनके और अपने बीच का फासला काट दिया और ट्रक के पास खड़ी एक कार के पास पहुंच गई।
वो कुछ भी नहीं समझा और अपनी AK-47 एलेनोरा की तरफ तान कर चला दी

“दना दन दना दन.......!” एलेनोरा ने उसी के हाथ में चाकू घुसा कर ऊपर कर दिया, सारी गोलियां हवा में और एलेनोरा कि अगली गोली पहले कार की दूसरी तरफ खड़े गुंडे का भेजा उड़ा गयी और दूसरी बार में एलेनोरा का चाकू उस गुंडे के हाथ से निकल कर.....गरदन के रास्ते खोपड़ी में! अब बचे दो जिनमे से एक जो ऑक्टोपस के मास्क वाला जो काफी दूर था और एक एलेनोरा के ठीक सामने दूसरी गाड़ी के पास खड़ा था........उसके हाथ में भी एक शॉटगन थी जिसे उसने बिना किसी रहम के चला दिया.....”धाँय” पर एलेनोरा तुरंत ही गाड़ी के नीचे झुकते हुए बच गईं, वो गुंडा अब लगातार गोली चलता रहा। एक समय पर जैसे ही उसकी गोलियां खत्म हुई एलेनोरा ने आराम से उसके पास जाकर खोपड़ी में बारूद भर कर उड़ा दिया.....वो बेचारा अपनी शॉटगन में गोलियां ही भरता रह गया

“धाड़ससससससस!” एलेनोरा झटके से पीछे हटी और कार से टिकते हुए पीछे की ओर पलट गई। उस ऑक्टोपस मास्क वाले के पास एक हथौड़ा था जिसकी मार ने कार के इंजन वाले हिस्से को जमीन पे चिपका दिया था.......कोई सोच भी नहीं सकता कि ये किसी इंसान का काम हो सकता है, वो गाड़ी का बम्पर वाला हिस्सा किसी मक्खन की टिकिया की तरह पिघला से दिख रहा था

एलेनोरा ने के बार के लिए उसे देख और अपनी गन को मुस्कुराते हुए वापस रख लिया। अब उसके हाथ में चाकू था और चेहरे पर ऐसी हंसी जिसे देख कर कोई भी कह देता ‘क्या चुड़ैल जैसी हंसी है!’ वो गुंडा आगे बढ़ा, उसका हथौड़ा हवा में ऊपर लहराया......

“धप्प!” एलेनोरा अपनी रफ्तार से उसके दाई तरफ निकल गयी और एक तेज किक उसके पैर और घुटने के जोड़े के बीच दे मारी....जिससे वो घुटनों के बल आ गया पर हथौड़े को ठीक कर गिरने बच गया.....तो क्या? एलेनोरा रुकने थोड़े ही वाली थी उसने बिना देर किए उस गुंडे का बयान हाथ पकड़ कर एक जबरदस्त राउंड हाउस किक से उसके कनपटी सुजा दी, ऐसी आवाज आई जैसे किसी ने 2 पेपर को बीच में रख जोर से ताली मारी हो.......उसका मास्क टूट कर गिर गया

“धड़ाकSSSSSSS!” उसने उसी हाथ से जिसे एलेनोरा ने पकड़ा हुआ था, एलेनोरा को हवा में उछाल कर फेंक दिया...वो जाकर गाड़ी से टकराई...और अगले ही पल वापस अपने पैरों पर। क्योंकि एलेनोरा ने अपनी सारी मसल्स को टाइट कर लिया था ताकि झटके से टकराने पर उसे चोट न लगे..... पर जब उसने उस गुंडे का चेहरा देखा तो वो सकपका गयी....... उसका चेहरा एकदम सपाट था, आंखे सूनी थी। उसके चेहरे पर किसी भी प्रकार का भाव नहीं था जैसे....जैसे वो किसी के वश में हो।
उसे देखते ही एलेनोरा को किसी भयंकर साजिश की संभावना लगी.....इस बार उसने जल्दी से अपना चाकू पकड़ा और उसकी ओर लपकी। वो भी किसी बूत की तरह अपने दोनों हाथों को हवा में किसी हथौड़े की तरह उठाया एलेनोरा के पास आने की राह देखने लगा...एलेनोरा उसके बिल्कुल ही पास आ गई और इस बार उसके बचने की संभावना बहुत कम थी। उस गुंडा ने अपने दोनों हाथ पटक दिए

“धप्प!” पर वो भूल गया कि एलेनोरा उसके इतने पास खड़ी थी कि वो उसके हाथों के बीच की जगह में आ गयी और इतनी तेज अपने हाथ में पकड़ा हुआ चाकू का उल्टा सिरा उसके जबड़े के नीचे मारा की उसके मुंह में से खून उगल पड़ा......और उसकी खाली आंखें बंद होकर शरीर जमीन पर धराशायी हो गया

“जल्दी ही मिलते है, मिस्टर ऑक्टोपस!” एलेनोरा ने अपनी कार की ओर जाते हुए कहा और अपने बालों को पीछे की और कर वापस वैसी ही एलेनोरा बन गयी जो सभी को दिखा करती थी।
 
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The 13th अध्याय 11




रूम नं.500, व्हाइट पैराडाइस मोटेल.... ब्रूल्किन हाइट्स

NY.

ये वहीं कमरा था जहां पर पिछली बार मिस्टर जोस के साथ CIA के मेंबर्स की मीटिंग हुई थी,उस सीक्रेट मिशन को लेकर जिस पर एलेनोरा और उसकी टीम काम कर रही है। आज इस कमरे में सिर्फ मिस्टर जोस,इथन, जुलिया और जैक खड़े हुए थे। सभी के चेहरे कुछ परेशान से थे और साथ ही कुछ उत्सुक भी पर सबसे ज्यादा जो भाव था वो पेचीदा से था जिसका वर्णन करना काफी कठिन था। उस कमरे में एक और आदमी था जो कि सामने कुर्सी पर बिठाया गया था........वो शाइन ट्रस्ट से था.......और.....इस समय उस से पूछताछ चल रही थी

“देखो, तुमने जो कुछ भी देखा...वो हमें बता दो। हम वादा करते है कि तुम्हे सही सलामत छोड़ देंगे...किसी भी तरह की कोई भी परेशानी तुम्हें नहीं होगी” मिस्टर जोस ने उस 30-32 साल के युवक से पूछा

वो इस वक्त काफी हड़बड़ाया हुआ सा लग रहा था, जैसे अगर उसने कुछ भी बोल तो अभी एक गोली उसका भेज फाड़ कर निकाल जाएगी। वो रेड टी-शर्ट और एक ब्लैक पेंट पहना हुआ था,उसकी कुर्सी के पीछे एक काला कोट टंगा हुआ था जिस पर उसके नाम की नाम प्लेट लगी हुई थी जिस पर साफ दिख रहा था ‘अहमद खान, सर्विलेंस सिक्योरिटी मेंबर’!

“एक बार तुम कोशिश करो इथन” मिस्टर जोस की बात सुनते ही उसने हां में सर हिलाया और अहमद के सामने खड़ा हो गया।

“मिस्टर.......(उसके कोट पर लगा टेम्पलेट देखते हुए) अहमद। हम जानते है कि तुमने ‘वहां पर क्या हुआ’ यह देखा और अब हमें तुम्हारी मदद चाहिए उन के बारे में पता करने के लिए जिन्होंने ये काम किया है.....प्लीज! हमे बताओ कि वहां पर क्या हुआ?...............” इथन ने बहुत ही आराम से उससे पूछा, जिस इथन की आवाज पहले से ही भारी थी उस ने अपनी आवाज को शांत रखते हुए बात की जबकि उसे कितना गुस्सा आ रहा था..यह बात तो उसके फड़कते हुए गाल से ही पता चल रहा था। पर अभी भी उसने कोई जवाब नहीं दिया, इस लग रहा था कि वो किसी सोच में डूबा हुआ है। कुछ पल के लिए कमरे में घड़ी की टिक-टिक भी सुनाई दी.....इथन उससे दूर होकर सभी के साथ खड़ा हो गया। अचानक से मिस्टर जोस पालते और अहमद की कुर्सी को जोर से पकड़ कर खंगाला, वो अपनी सोच से टूट कर मिस्टर जोस को देखने लगा। मिस्टर जोस ने उसकी आँखों में आंखे डालकर कहा

“मेरे 2 ऑफिसर्स उन लोगों की वजह से अभी बेहोश मेडिकल वार्ड में पड़े हुए है, तुम्हारे शाइन ट्रस्ट के लोग बुरी तरह सदमे में है और तुम हो कि कुछ भी कहने से कतरा रहे हो! आआख़िर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? बताते क्यों नहीं कि हुआ क्या वहां पर...बताओ!”

“क्या आप लोग मेरी बात पर यकीन करेंगे?...........अगर आप को मेरी बातों पर यकीन नहीं हुआ तो आप तो मुझे ही इस सब में फंसा कर बदनाम कर देंगे..और फिर मैं कहीं का नहीं रहूँगा” जब मिस्टर जोस ने गुस्से में चीखते हुए उस से कहा तब जाकर उसके अंदर से शब्द निकले

“देखों प्लीज हमें बताओ की आखिर वहां हुआ क्या? मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा....... मेरे ऑफिसर्स की मेहनत जाया नहीं जाना चाहिए!” मिस्टर जोस ने उसे आश्वासन देते हुए कहा तब कहीं जाकर उसमे कुछ बुद्धि आयी और अब वो सब कुछ बताने के लिए तैयार हुआ। मिस्टर जोस और बाकी सभी ने भी उस लंबी टेबल के पास से वो कुर्सियां उठा लीं और उसका बयान सुनने के लिए बैठ गए। सिर्फ जैक ही था जो कि उस टेबल पर ही पैर लटका कर बैठा

“आज सुबह तक सब कुछ ठीक था, मैं बढ़िया आराम से अपनी कॉफी पिता हुआ एक हाथ में अपना कोट लटकाए हुए जाकर सर्विलेंस रूम में बैठ गया। सभी की तैयारियां चल रहेगीं थी कि सिक्योरिटी को ठीक रखना है ताकि कोई भी यहाँ पर घुस कर चोरी करने की कोशिश न करे। हमें मिस्टर एडम ने बताया था कि ‘इस’ के पीछे काफी सारे लोग पड़े हुए है तो में अपनी कॉफी पी...!”

“ये अपनी दिनचर्या बताना बंद कर और सीधे मुद्दे पर आ!” इथन ने गुर्राते हुए कहा जिससे थोड़ा सहम कर वो अपनी दिनचर्या से हट गया

“हाँ, व..आ..वहीं तो मैं.... बता रहा था” अहमद हिचकिचाते हुए बोला “दोपहर का 1 बज चुके था और अगले आधे घंटे बाद मेरी ड्यूटी खत्म होने वाली थी। मैं अपनी कुर्सी से उठने ही वाला था कि तभी बाहर के गेट वाले कैमरे में दिखा की कोई कार अंदर आ रही है तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी..”

“एक मिनिट! कोई कार अंदर आ रही थी तो तुम्हें गड़बड़ क्यों लगी?” जुलिया ने तपाक से पूछा, यही बात इथन भी पूछने वाला था जो कि उसके होंठों तक ही आते-आते रह गयी।..वैसे सवाल सही था, किसी कार का अंदर आना गड़बड़ कैसे लग सकता है?

“वो...वो इसलिये कि जब भी गेट से कोई भी अंदर आता था तो बाहर के गार्ड उनका पूरा इतिहास हमें सुना देते थे पर आज इस कुछ नहीं हुआ! उन्होंने कार को अंदर आने दिया पर हमें कोई सूचना नहीं दी”

अहमद का तर्क सुनकर सभी ने उस पर भरोसा कर लिया और सर हिलाकर यह दिखाया कि उन्हें उसकी बात सही लग रही है

“अब क्योंकि उस समय मेरे अलावा रूम में कोई भी नहीं था तो मैंने जल्दी से नीचे गार्ड्स को रेडियो के द्वारा संदेश देना चाहा पर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। कुछ ही देर बाद मैंने देखा कि उस कार में से कुछ 4 लोग उतरे, अभी के चेहरे पर चांदी सा मुखोटा था, काली जैकेट-काले कपड़े पहने हुए वे सभी बड़ी ही आसानी से अंदर आ गए! न किसी गार्ड ने रोका ना ही कोई और न ही किसी ने एक भी आवाज की। वो लोग कुछ ज्यादा जल्दी में नहीं थे..आराम से ऊपर जा रहे थे तिजोरी की तरफ!

उधर बाहर के हेड गार्ड ने बाहर से चालू होने वाले सारे सिक्योरिटी सिस्टम बंद कर दिए,फिर बेहोशी के डॉट वाली एक गन लेकर सभी पर चला दी और तब भी किसी ने कुछ भी नहीं किया, बाहर सभी को बेहोश करके वो अंदर की तरफ आने लगा और गार्ड्स को बेहोश करने लगा। अंदर भी पुलिस के कुछ लोग थे, जो अभी भी अपनी जगह पर थे, कुछ खड़े तो कुछ बैठे हुए थे, तब मैं यह नहीं जानता था कि ये सब आपके साथ है। वो 4रों तिजोरी के पास पहुँचने ही वाले थे कि मैंने देखा एक खराब सी दिखने वाली गाड़ी बहुत ही फुर्ती से अंदर आ गयी औऱ आकर सीधे अंदर मुख्य इमारत के सामने रुकी उसमे से मिस एलेनोरा निकली और अंदर की तरफ दौड़ गयी पर सामने से वहीं गार्ड आ राह था जिसके हाथ में बेहोश करने वाली गन थी...पर मिस एलेनोरा नहीं रुकी और जमकर उसके घुटने में लत मारी जिससे वो नीचे हो गया और फिर उसके हाथ में से गन छुड़ा कर गन का पिछला सिरा खींच के दे मारा, वो गार्ड होश खो बैठा। वो भागते हुए अंदर आईं, जहां पर उनके साथी भी सिर्फ बैठे हुए थे। फिर उनकी नजर जैसे ही उपर गयी ‘ढिचक्यू!’” अहमद के गोली की आवाज की इस नकल पर सभी अचानक से चौक पड़े क्यों की सभी बहुत ध्यान से उसकी बातों को सुन रहे थे। इथन तो चिढ़ भी गया पर मिस्टर जोस ने उसे आँखों से इशारा कर शांत रहने के लिए कहा

“फिर क्या हुआ?” मिस्टर जोस ने उसे उत्सुकता दिखाते हुए पूछा जिससे वो मंद-मंद मुस्कुराया

“मिस एलेनोरा ने उनकी तरफ गोली चलाई पर सीढ़ियों की रेलिंग के कारण वो बच गए पर इससे पहले की मैडम गोली चलाती ये वाले सर ने उन पर हमला कर दिया, उन्हें धक्का देकर गिरा दिया!” अहमद का इशारा इथन की तरफ था जिसे देख कर इथन थोड़ा परेशान हो गया। वो अब भी अपने सर के पीछे सहला रहा था

“आगे बताओ, फिर क्या हुआ?” मिस्टर जोस ने इस बार थोड़ा सा जोर देकर पूछा, अब सभी का पूरा ध्यान अहमद की अगली बातों पर था

“ उसके बाद मैडम जल्दी से उठी और तब तक उस जगह का हर गार्ड, पुलिस अफसर, सभी उठ कर खड़े हो गए और अब उनके निशाने पर मैडम थी। वो सब लगभग 50 के करीब थे और मेडम अकेली पर मैडम बिना डरे उन सब पर टूट पड़ी, पहले उन ने ये सर को बेहोश किया अपने हाथ में पकड़े चाकू के बूते से फिर एक एक करके सभी का वार बचाते हुए वे किसिस को उठा कर फेंकती तो किसी के खुपण्डे में जड़ देती पर वो जगह छोटी थी और वो लोग बहुत सारे, जिनका मुकाबला अब थोड़ा सा मुश्किल हो गया था क्योंकि शायद मैडम पहले से ही कुछ चोटिल थी। पर या अल्लाह! शुक्र हो वो भाई जान(मतलब रोबर्ट) का जो वो बाहर से अचानक आये, उनके हाथ में बेहोश करने वाली डॉट गन थी जिससे उन्होंने सभी को बेहोश करना शुरू कर दिया और अब मैडम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ती हुई ऊपर जाने लगी”

अहमद बोलते हुए रुका और टेबल पर रख हुआ पानी गटकने लगा। शायद वो भी इस कहानी को सुनाने में काफी दिलचस्पी रखता था

“क्या मैं कुछ देर सांस ले लूं....हफ्....हफ्....... थोड़ा आराम मिल जाएगा” अहमद ने कुछ हफ्ते के कहा जिस पर मिस्टर जोस ने सहमति जता दी। बाकी सभी ने भी कुछ पल चैन की सांस ली और अपने आप को कुछ पल का सुकून दिया।

“अहमद की बातों से इस लगता है कि हमारा एक शक तो सही निकला, वो चोर पक्के में दूसरों को को नियंत्रण में लेने की शक्ति रखता है। अब देखना यही है कि आगे क्या हुआ?.......क्या तुम दोनों को कुछ याद आया?” जैक की बातों में न सिर्फ अहमद की बातों से साबित हुआ तर्क था बल्कि उसने जुलिया और इथन से सवाल भी कर लिया। जिस पर दोनों का साफ जवाब मिला
पता नहीं क्यों पर वहां पहुंचने के बाद का ये घटना क्रम बिल्कुल भी याद नहीं है....थोड़ा सा भी नहीं” जुलिया ने जवाब दिया

“मुझे भी” इथन ने जवाब तो दे दिया पर उसके चेहरे पर जो कुछ भी हुआ उससे काफी परेशानी दिख रही थी

“चलो अब आगे बताना शुरू करो, समय कम है” मिस्टर जोस ने अब ठीक से सांस ले रहे अहमद से कहा और इतना सुनते ही सभी का ध्यान वापस अहमद की ओर आ गया। एक बार फिर ये अनसुनी सी कहानी फिर से चलने वाली थी

“वो भाई जान के आते ही मैडम ऊपर की ओर जाने लगी जहां पर वो चारों तिजोरी के सामने खड़े हुए थे और वे आपस में कुछ बात कर रहे थे पर cctv में उनकी आवाज नहीं थी इसलिए मैंने कुछ नहीं सुना....... फिर मैडम को आता है देख उनमे कुछ खुसर-फुसर हुई जिस पर उनमें से एक थोड़ा सा भड़का हुआ था वो अचानक से मैडम के सामने खड़ा हुआ और.....और.....अऊ....और आप यकीन नहीं करोगे उसने अपने हाथ से आग का एक गोला मैडम की ओर फेंक दिया, टेनिस गेंद के आकार का! पर मैडम जल्दी से नीचे झुकी और अपने दोनों हाथों के बल पर उस आग वाले के पेट में एक लात दे मारी जिससे वो पीछे हो गया पर गिरा नहीं”

अहमद के मुँह से आग फेंकने वाले आदमी के बारे में सुनकर सभी के मन में कुछ सवाल जाग गए और जिज्ञासा के साथ ही थोड़ी सी घबराहट भी जो कि उनके चेहरे के हावभाव और फटी सी आंखों से साफ झलक रहा था पर किसी ने अहमद को बीच में टोंक नही लगाई

“वो आदमी अब थोड़ा ज्यादा गुस्से में लग रहा था उसने पहले से बड़ा आग का गोला मैडम की तरफ फेंका पर इस बार उसी के एक साथी ने अपना हाथ बीच में अड़ा कर आग को रोक दिया...उसका हाथ किसी ढाल की तरह खुल गया था..जिसमें से उसका मास और हड्डियों की बनावट अजीब सी लग रही थी..जैसे...जैसे इंसानी न हो। जिसने आग रोकी थी उसने अपने एक औऱ साथी से कुछ कहा पर इतने में मैडम ने गोलियां चला दीं पर उसने वापस से अपना हाथ दूसरा हाथ आगे करके एक और ढाल बना कर गोलियां रोक दी फिर अचानक से उसने अपने हाथ से एक बड़ी सी तलवार बनाई और तिजोरी से बाहर के हिस्से के 2 टुकड़े कर दिए। मैडम एलेनोरा उसे देखती ही रह गयी इतने में उनमें से आखिरी वाला व्यक्ति भी जैसे अपने काम पर लग गया। वो तीनों तो अंदर चले गए पर आखिरी वाल;आ सामने ही खड़ा था, मैडम की गन की सारी गोलियां खत्म हो गई थी इसलिए वे गन को फेंक कर आगे बढ़ी पर वो जो सामने खड़ा था अचानक से एक बाघ में बदल गया जो ब्लैक एंड व्हाइट कलर का था। मैडम थोड़ा हड़बड़ा गयी पर हीर भी उन्होंने अपनी जेब से चाक़ू निकल कर लड़ने का फैसला लिया पर वो बाघ कोई साधारण जानवर नहीं था उसने बड़ी ही तेज़ी से मैडम को उछल कर दीवार पर के मारा और वापस इंसानी रूप में आ गया। इतनी ही देर में वो तीनो भी तिजोरी से बाहर आगए, उनके हाथ में वो ही काला बॉक्स था जिसमें एमेराल्ड को सुरक्षित रख गया था। जिसके हाथ में वो बॉक्स था वो काफी खुश लग रहा था, बार-बार उस बॉक्स को चूमने की कोशिश करता और उसे थोड़ा उछाल कर खेल रहा था। मैडम अभी भी देवर से जमीन पर नीचे टिकी हुई थी, उनके मुंह से टपकता हुआ खून अब सूखने लगा था। वो जिसका हाथ तलवार सा बना हुआ था उसने सभी से कुछ बात की पर इतने में मैडम उठ गई उन्होंनेअपना चाकू उठा कर उनकी ओर फेंका पर उस तलवार वाले ने तुरंत ही अपने हाथ की तलवार बदल कर उसे ढाल बना लिया और चाकू रुक गया.........पर इतनी ही देर में मैडम उठ कर खड़ी हो गयी और भागते हुए उनकी ओर आयी, जैसे ही ढाल हटी उनकी तड़फड़ाती लात सीधे उसे ढाल वाले के सीने में पड़ी जिससे वो और जिसके हाथ में बॉक्स था वो दोनों कुछ दूरी तक घिसट गए। पर इससे पहले की मैडम कोई और हमला करती उस आग वाले ने अपने गर्म जलते हाथ से मैडम का कंधा पकड़ लिया, जिसके साथ वो दूसरा आदमी गोरिल्ला जैसा हाथ बना कर मैडम को इतनी तेज मारा की मैडम फ्लोर पर टप्पा खा कर घिसटते हुए देवर से जा टिकी और फिर वो भाई जान भी दौड़ते हुए ऊपर आये और मैडम के पास आकर उन चारों पर गोली चलाने ही वाले थे कि उस आग वाले ने एक छोटा सा आग का गोला फेंका........ जो बीच में ही फट गया और मैडम और भाई जाएं दोनों ही सीढ़ियों से नीचे गिर गए.........वो चारों फिर बिल्डिंग के कांच तोड़ कर दूसरी तरफ भाग गए........बस सर इतना ही देखा था”

अहमद ने अपनी बात खत्म की पर इतना सब सुनने के बाद CIA के पूरे ग्रुप के पास बहुत सारे सवाल थे जिनकी झड़ी लगा गयी
हमने तो वहां के कैमरे चेक किये थे, पूरा डेटा तो खाली था। तो फिर तूने ये सब कहाँ देखा?” पहला सवाल ही इथन ने पूछा

“उनमें से एक लोगों को कंट्रोल कर सकता है,पर तुम पर उसका असर नहीं हुआ कैसे?” जैक ने अभी भी टेबल पर बैठे हुए कुछ सोचते हुए सवाल किया

“क्या तुम अब भी उसके कंट्रोल में हो और हमें गलत जानकारी दे रहे हो......कहीं तुम ही तो वो नहीं जिसने ये सब करवाया हो और यहां पर सब नाटक कर रहे हो!” मिस्टर जोस की बात सुनकर सभी तुरंत ही सतर्क हो गए, इथन ने तो अपनी गन भी निकाल ली। अहमद ये सब देख कर बहुत घबरा गया, उसके पसीने छूट गए......उसकी ऐसी सी हालात हो गयी जैसे शेरों के बीच में मेमना।

“अरे...अरे..अरे..अरे सर्! ये आप क्या कह रहे है, मैंने इस कुछ किया होता तो में पागल थोड़े ही हूँ जो यहाँ आ जाता।दे..दे..देखिए सर में आपको पूरी बात बताता हूँ पर आप ऐसे शक न करे” अहमद किसी तरह खुद को थोड़ा संभालते हुए बोला “दरअसल जब ये सब हो रहा था तब मैं सर्विलेंस रूम में ही था और सारे कैमरे चालू थे। जब ये सब शुरू हुआ तब ही मैं बाहर निकलना चाहता था पर मेरे सीनियर की आदत थी कि वो जब भी बाहर जाते थे दरवाजा लॉक कर देते थे इसीलिए मैं वहां फंस गया था।..और रही बात डेटा गायब होने की तो उन चारों के जाने के बाद मेरे सीनियर रूम में आये तो में चुप गया...किसी भूत की तरह सारा चेहरा सफेद से था और उन्होंने सारे कैमरों को रिसेट कर दिया जिससे पूरा डेटा उड़ गया...पर में तभी बाहर निकल जब सभी अपने होश में आ गए थे” अहमद ने एक ही सांस में अपनी बात कह डाली थी जिससे उसकी सांस फूल गयी थी, वो तेज सांसे ले रहा था पर..............अब भी सभी उसे ऐंसे देख रहे थे जैसे उन्हें उस पर भरोसा नहीं हो!

“सर! मैं... मैं सच कह रहा हूँ मेरा यकीन कीजिये, यहीं सब हुआ था ना माने तो आप मैडम और भाई जान से पूछ लीजिएगा, वो आपको सब बता देंगे” अहमद ने उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश की

“चिंता मत करो, हमे तुम पर भरोसा है” मिस्टर जोस ने उसके पास जाकर पीछे खड़े होते हुए कहा

“क्या..क्या अब में अपने घर जा सकता हूँ? मेरी बीबी मेरा इन्तेजार कर रही होगी”

“हाँ जरूर चले जाना पर पहले हम जरा तुम्हारी ये याद तो मिटा दें!” मिस्टर जोस ने अपनी जेब में हाथ डालते हुए कहा

“ये..ये आsssss प..क्या कह र...!” अहमद अपनी बात पूरी ही नहीं कर पाया और मिस्टर जोस ने अपने जेब में से चश्मे के बॉक्स जैसा बॉक्स खोल कर उसमें से एक इनजेक्शन निकाल कर अहमद की गर्दन में लगा दिया, जिससे उसके ऊपर बेहोशी सी छाने लगी,सब कुछ धुंधला से हो गया। बाकी किसी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहींदी जैसे ये CIA की कोई परंपरा रही हो

“मेरी तरफ देखो अहमद! चिंता मत करो तुम्हे कुछ नहीं होगा” मिस्टर जोस ने उसके सामने आकर कहा “तुम आज भी रोज की तरह अपने काम पर गए थे जहां एक शार्ट सर्किट के कारण धमाका हो गया था जिसके बाद सभी को वहां से छुट्टी दे दी गयी थी.....जब तुम सो कर उठोगे तो यहीं सब याद रहेगा... ओके! गुड नाईट ”

मिस्टर जोस के लगाए हुए इंजेक्शन से वो कुछ ही पलों में बेहोश हो गया,उन्होंने किसी को कॉल किया और इतने में ही बाहर से 2 बॉडीगार्ड जैसे ऑफिसर्स आये जिनसे मिस्टर जोस ने अहमद को घर छोड़ने के लिए कहा। अब यह अहमद तो चल गया पर अभी भी सभी लोग काफी परेशानी में लग रहे थे। अगर अहमद ने जो कुछ भी कहा वो एक दम सही है तो ......ये केस अब और भी ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है।

“क्या वो इंजेक्शन......!” जैक ने यूं ही पूछने की कोशिश की

“ ANTI-IGF,(original-IGF 2) काफी समय लगा था वैज्ञानिकों को इसे बनाने में...पर आज ये हमारे बहुत काम आ रहा है” मिस्टर जोस ने अपनी कुर्सी का मुँह सभी की तरफ किया और उस पर अपनी तशरीफ़ रखी। बाकी सभी भी उनके ही इशारे से अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गए पर जैक अब भी टेबल पर ही बैठा हुआ था। उसने अपने जीन्स के पीछे से अपना टेबलेट निकाला जो उसकी कमर में पीछे दबा हुआ थ

“इस केस में जोखिम और भी बढ़ता जा रहा है, अब किसी भी तरह का लापरवाह कदम उठाना हमें भारी पड़ सकता है...हमारे 2 काबिल ऑफिसर्स अब भी बिस्तर पर पड़े हुए है” मसीतेर जोस ने अफसोस के साथ अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख सर झुका कर कहा

“हमारे पास कोई चारा नहीं है सर! हमे जल्द से जल्द ये पता लगाना होगा कि इन शक्तियों वाले चोरों को पकड़ना कैसे है? पर कैसे.........?” जुलिया ने कुछ जल्दबाजी में यह कहा
जुलिया का कहना सही है सर, अगर वो लोग चोरी कर सकते है तो उससे भी कुछ बड़ा कर सकते है। और उनकी अजीबोग़रीब ताकत का अंदाजा हमें अहमद की बातों से मिल ही चुका है”

मिस्टर जोस के दोनों की बात सुनी उसके बाद अपना सर उठा कर वे वापस ठीक से कुर्सी पर बैठ गए

“मैं....जनता हूँ...की आज जो कुछ भी हुआ है......उससे हम सब कुछ हिल से गए है, हम ये बात न नकारें तो ही बेहतर होगा” मिस्टर जोस ने एक बार सभी को देखते हुए कहा, इथन और जुलिया तो नजरें मिलाने से बच रहे थे और जैक भी बिना किसी लीड के बैठा हुआ था “अब जो कुछ भी हुआ उस पर अफसोस करने से कोई फायदा नहीं है, अब यह सोचना है कि इस केस की गहराई तक कैसे पहुंचा

जाए..........कम’ऑन ssssssss अपने लटके हुए चेहरे उठाओ उर काम पर लग जाओ....... वरना अगली बार भी पिट के आ जाओगे” मिस्टर जोस ने सभी को उत्साहित करने की कोशिश की और हँसने की भी

“मेरे मन में एक सवाल है सर!” मिस्टर जोस उठ कर जाने ही वाले थे कि जैक ने अपना सवाल छोड़ दिया

“रोबर्ट तो इथन और जुलिया के साथ था तो फिर वो बाहर से कहाँ से आया? अहमद ने कहा था कि वो बाहर से डॉट गन उठा कर आया था..वो बाहर क्यों था?” जैक की बात सुनते ही सब शांत हो गए...वैसे तो पहले से शांत थे पर अब और भी ज्यादा हो गए थे। सभी कुछ सोच में डुबे हुए थे, ऐसे में कई गलत ख़यालात मन में न चाहते हुए भी आ रहे थे जिसके लिए कोई भी कसूरवार नहीं था। हालात ही कुछ ऐंसे थे कि चाह कर भी बिना किसी सबूत के कई सारी आशंकायें सही साबित होने की गलती कर सकती थी।

“क्यों न हम दिमाग पर ज्यादा जोर ना डालें और बस......रोबर्ट और एलेनोरा के होश में आने का इंतज़ार कर लेते है!” इथन ने अपने हाथ से अपनी आँखों को मलते हुए कहा “वैसे भी उनके अलावा हमारे पास कोई सबूत नहीं है। और किसी पर भी शक करना हमारी टीम की बेज्जती करना ही होगा.... तो थोड़ा रुक कर सांस ले लेते है” सामान्य हालातों में एथन ही वो पहले शख्स होता जो किसी पर शक करता पर अभी के घटनाक्रमों ने उसे हिला कर रख दिया था।सभी अपनी जगह पर ही थोड़ा रिलैक्स होकर बैठ गए, जैसे कोई बहुत बड़ी यात्रा के बीच में लिया गया विश्राम हो।

तभी मोटेल का डॉक्टर बहुत ही तेजी से दरवाजा पटकते हुए अंदर आया, उसके हाव भाव बहुत ही परेशान से थे और उन्हें देख कर सभी जल्दी से उठ गए। उनका सवाल इतना तेज नहीं था जितनी तेज डॉक्टर की बात निकली

“रोबर्ट को होश आया गया है! उसने उठते से ही आ सभी को याद किया...कुछ कहना चाहता है!” डॉक्टर हांफ रहा था पर अपनी बातों में उसने उन तेज सांसो को नहीं आने दिया......ताकि सूचना सुनने वालों तक पहुंच जाए।
 
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The 13th अध्याय 12

आज तीनों घर पर ही थे, संडे (Sunday) का दिन था पर बारिश के कारण उन तीनों ने बाहर घूमने का प्लान कैंसिल(Cancel) कर दिया था। वैसे अपने बिस्तर पर बैठे हुए कांच की दीवार बराबर की खिड़की से बाहर की बारिश का नजारा देखने का अलग ही मजा होता है। वो जमी हुई बूंदे, रह-रहकर कभी तेज तो कभी धीमा होता हुआ पानी, ठंडी हवाओं से लहराते हुए पेड़ और उनसे छन कर आती AC से भी ठंडी हवा। वाह! ऐसे मौसम का मजा लेना तो बनता है

“चाय पियेगा क्या?” अपने बिस्तर से उठता हुआ सृजल, कांच की खिड़की से टिके हुए आनंद से पूछता है

“तू बनाएगा तो जरूर पियूँगा” आनंद ने पलटते हुए कहा वो भी ऐसी हंसी के साथ कि सृजल को भी हंसी आ गयी

“अब जब चाय बना रहा है तो उसके साथ कुछ खाने को भी ले आना..........!” एक बड़े से गद्दे दार कुर्सी में आधी सी धंसी हुई रूबी भी बोली “ऊँSsssss...पकोड़े बना ले न यार”

रूबी की बात सुनकर सृजल ने हाँ में सर हिलाया और वहां से जाने लगा

“अरे सृजल!” आनंद सृजल के मुड़ते ही उसे आँख मारकर बोला “पकोड़े रहने दे, वर्ना ये पहले जैसी मोटी हो जाएगी।

याद है ना स्कूल में इसके गाल ऐसे फूले रहते थे जैसे दोनों गालों में पान भरकर बैठी हो” आनंद के इतना बोलते ही सृजल जो कि रूबी के सामने ही खड़ा हुआ था जल्दी से हट कर गेट के पास पहुंच गया.... एक अजीब सी हंसी उसने आनंद को दिखाई।

रूबी इतनी तेजी से उठते हुए आनंद के पास पहुंच गई जैसे उसके पैरों में पंख लगे हो और उसके बाद उसने जो उसे बिस्टेर और जमीन पर लिटा-लिटा के मारा ना!.... कि उसकी सिर्फ चीखें ही सुनाई दी क्योंकि उसकी पिटाई देखने के लिए सृजल वहां रुक नहीं।

सृजल नीचे आकर चाय बनाने लगा, उसका किचन(Kitchen) भी काफी साफ सुथरा और आधुनिक था। बढ़िया आयताकार(Rectangular) किचन था, अंदर घुसे ही सबसे सामने दूरी पर एक दो दरवाजे वाला फ्रिज रखा हुआ था, जिससे टिक हुआ एक बड़ा सा चौकोर फ्रीज़र रखा हुआ था जैसा अक्सर आइस क्रीम की दुकानों में देखने को मिलता है। बाई तरफ गैस के साथ लंबा से प्लेटफार्म था और पीछे फ्रिज के पास कोने में सिंक जहां पर बर्तन धोते और उसी के नीचे बर्तन रखने का दर्ज सा था, उसी के थोड़े ऊपर से दीवारों पर तंज लकड़ी के बने दराज थे जिनमें मसले वगेरह रखे हुए थे और सबसे आखिर में दरवाजे के पास एक बड़ा सा माइक्रोवेव भी था। सृजल ने फ्रीजर में से एक फ्रोजेन फ्रेंच फ्राइज और आलू पकोड़े का 500ग्राम वाला पैकेट निकाला और प्लेटफॉर्म पर रख दिया। कढ़ाई में तेल रख कर गैस चालू की और दोनों पैकेट को खोल कर तेल गरम होने का इंतज़ार करने लगा

“आज तो पूरे 5 दिन हो गए, उसने एक बार भी मैसेज तक नहीं किया.....आखिर बात क्या है?” सृजल खुद से बड़बड़ाता हुआ बोला, उसके चेहरे पर थोड़ी चिंता वाले भाव थे।

गरम कढ़ाई और उसमे उबाल हुए तेल में स्रजल ने वो पहले से बने हुए फ्राइस और आलू के पकोड़े तलना शुरू किया। तेल में तलने की वो कुरकुरी सी आवाज पूरे किचन में फैल सी गयी,कुछ खोया हुआ सा सृजल पकोड़ों क पलटते हुए टालने लगा। कुछ ही देर के बाद ही जब फ्राइज और आलू के पकोड़े तला गए, सृजल ने दो बड़े से कांच के बाउल(कटोरे) निकले और उनमें उन पकोड़ों को रख लिया। फिर जल्दी से उसने चाय भी बना ली....आखिर घर का काम करते हुए उसे काफी साल हो गए थे। वो उन्हें एक ट्रे में रख कर ऊपर लेके जाने ही वाला था कि उसके मन में एक खयाल आया! उन ट्रे को वापस प्लेटफॉर्म पर रख और अपना फ़ोन निकाला, उस में मैसेज का ऑप्शन खोला और किसी को मैसेज करने लगा

‘तुमने काफी दिनों से कोई मैसेज या कॉल नहीं किया है। जनता हूँ कि तुम ज्यादा व्यस्त हो सकती हो पर एक बार मुझे कॉल या मैसेज करके बता दो। तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा हनी(Honey) ’
सृजल ने जल्दी से ये मैसेज सेंड किया और ट्रे लेकर ऊपर पहुंच गया। दरवाजा खोलते ही उसे सबसे पहले जो चीज दिखी वो थी.......आनंद के सर पर पड़ा लाल गम्मा(Swell) और अपने सर को पीछे से मलता हुआ आनंद! रूबी और आनंद बिस्तर पर बैठे हुए सृजल के टेबलेट मैं कुछ फोटोज देख रहे थे जिनमें से उनके स्कूल के टाइम की तस्वीर सृजल को भी आते हुए दिख गयी थी।

“अब क्या कर रहे हो तुम दोनों? फोटोज़.....” सृजल ने बिस्टर के दूसरी ओर जाते हुए कहा, वो जाकर बैठा और दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए.....जिसमें से रूबी ने पकोड़े का बाउल उठा लिया और आनंद ने फ्राइज का। सृजल ने सिर्फ चाय का बचा हुआ कप उठाया और ट्रे को लैंप के पास रखी छोटी सी मेज पर रख दिया

“हम्मSSSSSSSSS.. चाय तो एक दम शानदार बनी है। इतनी अच्छी चाय हमेशा कैसे बना लेता है यार” रूबी ने चाय को बिना आवाज के एक घूंट लेकर कहा, उसके बोलते ही सबसे पहले आनंद ने एक घूंट चाय पी और फ्राइज को मुँह में दबाते हुए बोला

“क्या यार सृजल, इतनी शक्कर क्यों डाली...रूबी को मोटा करके मानेगा क्या?”

‘पट्ट!’ आनंद के इतना बोलते ही रूबी ने झट्ट से आनंद के माथे में अपनी उंगली ऐसे मारी जैसे करें की गोटी को निशाना लगाया हो...और एक बार फिर बेचारा आनंद हल्की सी बात पे हल्का सा फाटक ले बैठा

“आउंSSSSSS...यार हर बात पर मारना जरूरी है क्या? तेरे हाथ क्यों बंद नहीं रहते” अपना माथा मलते हुए आनंद थोड़ी मासूमियत के साथ बोला, रूबी ने फिर से चेहरा थोड़ा सिकोड़ते हुए अपना हाथ उसके माथे की ओर बढ़ाया...और वो बुध्दु बस आंखें मीच कर उसके मार का इंतजार करने लगा। ऐसी आंखें मीची हुई थी की जबरदस्ती भी न खुलवा पाते और फिर रूबी का हाथ उसके माथे पर साध गया........!

इस बार उसने आनंद को मार नहीं बस उसके माथे पर जहां पर पहले उसने मार था वहां पर प्यार से हाथ फेरा पर उतना प्यार उसके चेहरे पर नहीं दिखाया। कारण-.....तुम खुद ही सोच लो यार?, हाँ उसकी आंखें उतना झूठ नहीं बोल पाईं, उनमें आखिरकार थोड़ी सी नमीं और नरमी आ ही गयी। जिसे देख कर आनंद थोड़ा मुस्कुराया.....फिर थोड़ा और मुस्कुराया और उसकी मुस्कान देख रूबी ने उसके माथे पर हल्का सा धक्का दे कर अपना मुंह कुछ पल फेर लिया ताकि उसकी गालों की वो ऊषा(सूरज की पहली किरण) आनंद को न दिखे। पर आनंद की नजर रूबी पर नहीं थी, जब वो पलटी तो देखा कि आनंद थोड़ा चिंतित रूप में सृजल कई और देख रहा था.......जो कि उस बड़ी सी कांच की खिड़की से टिका हुआ बारिश में खोया हुआ मालुम पड़ रहा था।

“ए सृजल! क्या हुआ यार? इतना खोया-खोया कहाँ है?” सृजल ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी, उसकी नजरें कांच के बाहर टिकी हुई थी। इस देख कर आनंद झट से उठ गया और उसके पास जाकर उसे छुआ, तब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो आनंद ने उसका नाम लेकर उसे थोड़ा सा तेज हिलाया

“सृजल!” अब कहीं जाकर सृजल अपनी दुनिया से बाहर निकला था, उसकी आनंद और रूबी को देखती आंखें बता रहीं थी कि वो समझ गया है कि आनंद और रूबी ने उसे खोया हुए देख लिया है

“हाँ, क्या कह रहा है?” सृजल जल्दी से कांच के पास से हटा और सीधे जाकर बिस्तर पर बैठ गया

“आखिर बात क्या है सृजल? तू कल भी ऐसे ही खोया खोया से लग रहा था” आनंद ने दूसरी तरफ बिस्तर के बैठते हुए कहा और नजरें रूबी से मिलाई

“कुछ खास नहीं यार, बताने जितनी कोई ही बात नहीं है” सृजल ने अपने आप को सामान्य दिखाते हुए चाय का घूंट लिया

“फिर भी जो भी बात है वो हम से साँझा कर ले तो मन हल्का हो जाएगा। वैसे भी अगर ज्यादा दिक्कत की बात नहीं होती तो तू ऐसे चुप थोड़े ही होता?” रूबी ने थोड़ा सा जोर देते हुए कहा। सृजल ने एक गहरी सांस ली और बताया

“लगभग 1 हफ्ता हो गया है, न उसका कोई फ़ोन और न ही मैसेज! ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि वो मुझे कांटेक्ट करने से भूल गयी हो”

“तो इसमें इतना चिंता करने की क्या जरूरत है?” आनंद ने बोलना शुरू किया “तुझे भी मालूम है कि उसकी नौकरी में कितना कम समय मिलता है। जरूर वो किसी काम में फंस गई होगी और उसके चक्कर में वो मैसेज-कॉल नहीं कर पाई होगी”

“और तू कुछ उल्टा सीधा मत सोचने लगना। वो बहुत ही सही लड़की है और सच कहूं तो उसका व्यहार इतना स्वाभिमान भरा है कि वैसी लड़की पूरी दुनिया में कोई नहीं होगी” रूबी की बात सुनकर सृजल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी जिस पर आनंद की मस्ती नहीं रुकी

“ओहो..हो! अब तो बहुत ही मुस्कुरा रहे होssssssss!” नाक फुला चेहरा थोड़ा तेज कर वो ऐसे बोला कि दोनों को हंसी आ गयी। वो सारी तन्हाई एक पल में डोर हो गयी और उन तीन दोस्तों की महफिल फिर से रौनक हो गयी। अब जब चाय खत्म तो बचे हुए पकोड़े और फ्राइज खाने की होड़ में वो आपस में ही झूम पड़े.........जैसे वो हमेशा से किया करते थे, बचपना गया नहीं अभी...
रूबी, आनंद और सृजल 5 साल के समय के बाद अभी कुछ महीनों पहले ही मिले थे तो उसमें भी सृजल की गर्लफ्रैंड से तो दोनों में से कोई भी नहीं मिले थे पर जब सृजल ने दोनों को बताया था उसके बारे में तभी से ही रूबी और सृजल कि गर्लफ्रैंड की आपस में कई बार बातें हुआ करती थी और मात्र बात करने से रूबी को सृजल की गर्लफ्रैंड के बारे में काफी कुछ पता चल गया था। वो दोनों दोस्त भी बन गए थे हालांकि रूबी भी काफी व्यस्त रहा करती थी तो अब उन दोनों में काफी समय से बात नहीं हुई थी। वैसे भी सृजल की चिंता जायज थी क्योंकि हमारे अपनों का व्यवहार जैसे ही कुछ अजीब होता है तो हम खुद थोड़े सतर्क हो जाते है...यह तो आम बात है।

जल्दी ही छुट्टी वाला दिन खत्म हो गया और सोमवार आ गया। वहीं हमेशा वाला सामान्य दिन और काम, रूबी फार्मसूइटिकल में कदम रखते ही तीनों का रवैया एकदम प्रोफेशनल(Professional) हो जाता कि पता ही नहीं चलता कि तीनों बहुत अच्छे दोस्त भी है। वैसे भी आज उनका शाम को एक इंटरनेशनल कंपनी के एग्जीक्यूटिव(Exicutive) से मिलने का प्लान था और जान के वाले वो तीनों ही थे। क्योंकि ये एक तरह की सीक्रेट मीटिंग होने वाली थी, रूबी ने ही फैसला किया था कि वो तव्वनों ही वहां पर मिलने जाएंगे। वो तीनों रात तक मुख्य कार्यालय में ही रुके और 9 बजट ही बिना खाये वहां से रूबी की काली BMW में बैठ कर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर....... गारापुरी के पास एक छोटे से टापू पर। गारपुरी में मंदिर वगैरह बहुत है, काफी धार्मिक जगह मालूम पड़ती है और उससे करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर वो बेनाम टापू था जिसके बारे में गूगल भी कुछ नहीं जानता और न ही उसके बारे में कोई जानकारी दी गयी है। एक प्राइवेट बोट लेकर वो तीनों निकल पड़े उसी टापू की ओर जहां पर आज की ये मीटिंग रखी गयी थी........वो बोट पानी की लहरों को चीरती हुई पानी की हल्की फुहारें मार रही थी जिस पर रूबी और सृजल मजे में बैठे हुए थे और आनंद बोट चला रहा था।

“वैसे इतनी सुनसान जगह पर मीटिंग रखने का मतलब क्या है? मीटिंग तो वहीं रख सकते थे ना, ऑफिस में!” आनंद ने बोट को उस सुनसान टापू की और मोड़ते हुए कहा

“वो एक ऐसी मेडिसिन का फार्मूला बेचना चाहते है जो कि एक रेगेंरेशन ड्रग (Regeneration) की तरह काम करती है और उन्हें इसकी अच्छी खासी कीमत मिल सकती है...और हमारी फार्मसूइटिकल पिछले मुनाफे के कारण हर जगह छाई हुई है इसलिए हमें भी बुलाया गया है”

“और कौन आ रहा है?” सृजल ने टापू को पास आता देख अपनी जगह से उठते हुए कहा

“मेरी पहचान के अमेरिकी मेडिसिन कंपनी के CEO मिस्टर पॉल आ रहे है” रूबी ने फिर जवाब दिया

कुछ ही देर में उनकी कश्ती किनारे से जा लगी और उस कहते से टापू का पूरा दृश्य उनके सामने आ गया। ये टापू ना सिर्फ देखने में चोट था बल्कि असल में उसका क्षेत्रफल 10 से 12 एकड़ के आस पास का ही था.......नारियल के काफी सारे पेड़ थे वहां पर और उससे मिलते जुलते भी लंबे ऊंचे पेड़ थे, चमचमाती वो ठंडी रेत जो चांद की रोशनी में मोती सी चमक रही थी और उसी के बीचों-बीच एक लकड़ी का बना हुआ छोटा सा घर दिख रहा था जिसकी छत पर सूखी घांस-फूस पड़ी हुई थी और उसकी कांच की बनी खिड़कियों से उजाला आ रहा था। तीनों बोट से उतरे और उस घर की ओर बढ़ने लगे

“ये जगह इतनी शांत क्यों है? तुमने तो कहा था कि यहां पर और भी लोग आने वाले है?” आनंद ने रूबी की ओर देख कर पूछा

“हाँ, शायद वो लोग दूसरी तरफ से आये होंगे इसलिए यहां नहीं दिख रहे” रूबी ने चलते हुए कहा

अचानक ही सृजल की चलने की गति धीमी हो गयी, कुछ पल बाद आनंद भी थोड़ा सतर्क हो गया और उसकी चाल भी थोड़ी धीमी पड़ गयी। रास्ते में उस घर से पहले एक लोहे का बड़ा सा कचरे का आयताकार लंबा कंटेनर रखा हुआ था

“क्या तूने वो देखा सृजल!” आनंद की इस तरह की हल्की आवाज सुनकर रूबी को समझ आ गया कि कुछ गड़बड़ है, उसके कदम उस कचरे के कंटेनर के पास रुक गए

“तो......तुझे भी वो साये दिख गए, काफी अच्छी नज़र है तेरी” सृजल ने उस कंटेनर के पास रुकते हुए कहा। रूबी उस कंटेनर के सबसे पास थी और सृजल-आनंद उसके सामने किसी ढाल की तरह खड़े हुए थे

“क्या कुछ गड़बड़ है सराज......!” रूबी के शब्द बीच में ही रुक गए जब उसने कुछ सायों को अपने आस-पास पेड़ों और झाड़ियों से हिलते देखा, उसका शरीर कुछ पल के लिए सख्त से हो गया, डर के मारे!
लगता है किसी ने हमें फंसाया है, इस टापू पर आने के लिए....और हम उनकी चाल में फंस भी गए” सृजल ने अपना शरीर बिल्कुल रिलैक्स करते हुए इधर-उधर हिलाया, आनंद ने भी अपनी मुट्ठी बनाई और उसकी उंगलियां चटखा ली। सृजल और आनंद ने पहले उन सभी की चाल ढाल को देख कर ये अंदाज लगाया कि उनके पास कौन-कौन से हथियार है?

“गन्स(Guns) किसी कभी पास नहीं दिख रही है, शायद ये ट्रेनेड(Trained) असासिंस (assassins) है” सृजल ने अपना हमेशा वाला फाइटिंग स्टांस ले लिया

“सही कहा, पर कुछ के पास बड़े से चाकू है......!” आनंद ने अपने कोट को उतार कर बाये हाथ में फंसा लिया और कोट के अंदर किसी चोर जेब से निकाला एक बाटोन! जिसे देख कर एक पल के लिए तो सृजल और रूबी की नजरें उसी पर आ गयी जैसे कहने वाले हो ‘तू पूरी तैयारी के साथ आया था क्या?’ वो पूरे चांद को जैसे ही बादलों ने खुला छोड़ा, मौत का खेल शुरू हो गया.......

वो सभी चारों तरफ से उन्हें घेरते हुए आ रहे थे, ज्यादातर देखने में अफ्रीकन लग रहे थे पर सृजल की नजरों ने कुछ जाने-पहचाने से रशियन्स को भी पहचान लिया........अब जब सभी के चेहरे सामने थे और दूरी कम होने लगी थी, लड़ाई का आगामी वार हुआ

“हाsssssअ!” और वो आगामी वार किया सृजल ने! इससे पहले की वो सभी तरफ से उन तीनों को घेर लेते सृजल ने अपनी तरफ सामने से आ रहे तीन रशियन की ओर तेजी से झपट्टा मारा पर ये लोग पहले से ही इस तरह के एक्शन(Action) के लिए तैयार थे। उनके जेब से चाकू निकले और सृजल कि ओर तन गए, यह कोई फिल्म नहीं थी जो ये सब एक एक करके आते- तीनों एक साथ ही आगे बढ़े

“खच्चsssssssss!” चांदनी भारी उस रात में पहला रक्त अर्पित हुआ........जो कि उन तीनों रशियन्स का था! जो हुआ वो सभी ने देखा पर उन्हें भी अपनी आंखों पर यकीन से नहीं हुआ, सभी ने एक बार आंखों को मला और उन तीनों के शवों को गिरते हुए देखा। वो तीनों हथियारबंद थे और एक साथ सृजल पर हमला किया था। बस गलती ये कर दी कि उनके आपस में बहुत कम जगह बची हुई थी; सृजल ने इसी बात का फायदा उठा लिया क्योंकि सृजल की रफ्तार उनसे तेज थी बाईं तरफ वाले कि कलाई को पकड़ते हुए उसका चाकू दांये वाले कि गर्दन में और दांय वाले का चाकू बीच वाले कि गर्दन से होता हुआ बांये वाले कि गर्दन को चीर गया! सृजल ने उन्ही की गलती से उन्हें मार गिराया.........और इतना देखते ही आधे से ज्यादा असैसिन्स सृजल की ओर कूद पड़े।

पर अब भी खतरा रूबी और आनंद के ऊपर था क्योंकि वो दोनों इस तरह की सिचुएशन(Situation) के लिए तैयार नहीं थे। इन्हीं में से एक पीछे से जहां पर सृजल पहले खड़ा हुआ था वहां से घुसता हुआ सीधा वार अपने लंबे से चाकू से रूबी की ओर कर दिया...........’तड़क’! पर आनंद भी वहाँ पर यूं ही बाटोन(Baton) लेकर नहीं खड़ा था इससे पहले की वो चाकू लेकर रूबी के पास भी पहुंचता आनंद ने घूम कर बिजली से कड़कता बाटन उसकी कनपटी पर दे मारा.......मुँह से झाग गिरता वो रेत पर गिर पड़ा

“रूबी से दूर रहने में ही तुम्हारी भलाई है......वरना यहीं बाटन ऐसी जगह डालूंगा की न तो खड़े हो पाओगे और न ही बैठ पाओगे” आनंद को एक्शन में देख कर रूबी के तो होश से ही उड़ गए जिस पर आनंद ने उसके आश्चर्य भरे चेहरे से नजरें मिलते हुए आंख मारी और उसका आश्चर्य तोड़ दिया। सृजल के चेहरे पर आनंद को लड़ता देख मुस्कान आ गयी क्योंकि अब सृजल अपनी पूरी पावर(Power) के साथ लड़ सकता था

लगभग वो सभी असैसिन्स थोड़ी दूरी बनाये हुए सृजल की ओर आये, शायद अपने साथियों की गलती उन सबने इतनी जल्दी पहचान ली थी। .....’धाड़ssss!’ सृजल ने सामने से आ रहे एक को रफ्तार के साथ गर्दन में मुक्का जड़ दिया और उसके हाथ से चाकू छीन कर सामने से आ रहे और 2 को सर के ऊपर और जबड़े में चाक़ू का उल्टा हिस्सा मार कर नीचे गिर दिया। सृजल कि रफ्तार और निशाना इतना तेज था कि वो असैसिन्स उसके सामने फीके पड़ रहे थे। उधर आनंद भी उन असैसिन्स को बहुत ही आसानी से संभाल रहा था, ऐसे जैसे वो अपनी जगह पर आसानी से खड़ा हुआ था, टहल रहा था और वो असैसिन्स उसी जगह पर आ रहे थे जहां पर आनंद अपना बाटन घुमा रहा था। कभी किसी के पैर में मार कर गिरता और छाती में कड़कती बिजली का झटका दे देता.....और तो और एक बार तो उसने एक के मुँह के अंदर ही बाटन डाल कर चालू कर दिया था,शरीर के अंदर तक कि चीज़ें हिला डाली। आनंद के साथ रूबी पूरी तरह सुरक्षित थी और सृजल ने अब लगभग सभी असैसिन्स को ठिकाने लगा दिया था। उन्हीं में से एक अब धीरे-धीरे पास आ रहा था उसका शरीर भरा-पूरा और बड़ा था, हाथ की मांसपेशियां अलग ही दिख रही थी ,चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और चेहरे से तो कोई भी उसे सामान्य नहीं कह सकता था। उसने अपनी जेब से एक मोटा सा हरा चश्मा निकाला जो तैराकी के काम आने वाले चश्मों जैसा था पर काफी आधुनिक था उसके अंदर स्मार्टफोन
जैसा कोई सिस्टम था। एक नजर सृजल को देखा, फिर रूबी को...और फिर आनंद को। वो चश्मा उतरते हुए उसके चेहरे पर क्रूरता वाली हंसी थी.....वो आगे बढ़ा

सृजल के सामने अब तीन ही असैसिन्स खड़े हुए थे पर अब वो ज्यादा करीब नहीं आये बल्कि उन्होंने सृजल की ओर चाकुओं के फेंकने का निशाना लगा

लिया.........’सररSsssss!’व सृजल ने उनके मंसूबों को भांप लिया और रेत में पैर गहरा करते हुए एक राउंड हाउस किक चला दी। वो चगमकीली रेत उन तीनों की आंखों में गयी और वे अपनी दृष्टि कुछ पल के लिए खो बैठे... मौका देख कर सृजल ने एक से चाकू झटके से छीन कर उसी की छाती में घुसेड़ दिया, फिर वो चाकू निकालते हुए बाजू में खड़े वाले कि गर्दन में जबरदस्त हाई किक मार कर बेहोश किया और अपने हाथ में रखा चाकू फेंक कर आखिरी वाले का भी काम खत्म कर दिया।

“धम्म!” बहुत तेज आवाज को सुनकर सृजल आनंद की ओर पलटा जो अभी अभी उस भारी भरकम असासिं के पैरों तले कुचले जाने से बाल-बाल बचा था, उसके पैर लड़खड़ाये और वो रेत में गिर गया। इतनी देर में पहली बार आनंद को अहसास हो रहा था कि इस लड़ाई में जान भी जा सकती है, उसके चेहरे पर पहली बार कुछ डर दिख रहा था

“मछली कितनी भी शातिर क्यों ना हो, उसे अपनी औकात देख कर ही गहराई में उतारना चाहिए......!” उस अफ्रीकन असैसिन ने अपने कदम बढ़ाते हुए कहा

रूबी तुरंत ही दौड़ कर आनंद के पास गई और उसको संभाला, उठने में मदद की। आनंद की दिल की धड़कन बहुत तेज चला रही थी, यहां तक कि उसके कान भी बज रहे थे। अगर उस समय वो जल्दी से नहीं हटा होता तो सच में आनंद किसी कुरकुरे की तरह टूट कर बिखर जाता।

“आई विल बी टेकिंग यूँ विथ मी(I wil be taking you with me)” कहता हुआ वो रूबी और आनंद की ओर बढ़ने लगा

‘धप्प’! तब तक सृजल ने रफ्तार बढ़ा कर पास आते ही एक जबरदस्त मुक्का उस भारी असैसिन् के मोह की ओर दे मारा पर उसने सृजल का मुक्का बड़े ही आसानी से अपने बांये हाथ से पकड़ लिए

“ये हथकंडे मेरे चमचों पर काम कर गए पर में किसी का चमचा नहीं हूँ!” कहते हुए अपने दांये हाथ से एक लिवर अपरकट(Liver Uppercut) दे मारा!..............कुछ पल के लिए आनंद और रूबी के चेहरे पर डर छा गया.... फिर कुछ पल बाद उस असैसिन के चेहरे पर हल्का सा आश्चर्य आ गया जब उसे अहसास हुआ कि सृजल ने अपने बनी हाथ से उसकी कलाई को कस के पकड़ लिया था और उसका पंच सृजल की बाजू से कुछ दूरी पर ही रुक गया था।

किसी शिकारी सी आंखों को लिए सृजल की मुस्कान बदल गई, और उस असैसिन से आंखें मिली

“मैं भी किसी का चमचा नहीं हूँ..........आई एम डोमीनेटर! (I am Dominator!)”
 
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अध्याय 13
वो कोई फिल्म नहीं थी, न ही कोई सपना था ! आनंद और रूबी की आंखे जो देख रही थी वो सब असल में उनके सामने ही हो रहा था। सृजल और उस असैसिन् जिसने अपने नाम ओबर बताया था दोनों एक ही पैमाने पर एक दूसरे पर मुक्कों की बरसात कर रहे थे और दोनों ही एक दूसरे के हमलों को रोक पा रहे थे पर ओबर जो कि 6 फुट 5 इंच का हट्टा कट्टा शरीर लिए हुए था उसकी ताकत सृजल से ज्यादा थी, पर उसकी रफ़्तार अपनी जितनी देख कर तो सृजल भी हैरान था...............आनंद और रूबी उन दोनों की लड़ाई से थोड़ी दूरी पर उस कचरे के कंटेनर के पास खड़े हो गए और क्योंकि वो सृजल के बिना वहां से भाग नहीं सकते थे

“सालों बाद कोई ऐसा मिला है जो मेरा मुकाबला कर सके...पर अफसोस ! तुम्हे रास्ते से हटाना बहुत जरूरी है” ओबर पीछे को हटता हुआ कूदा, कुछ कदम की दूरी से अपना सर किसी सांड की तरह झुकाया और गोली की तरह पहले से भी तेज रफ्तार से जाकर सृजल से टकराया। सृजलने अपने हाथों से समय रहते मर्म स्थलों को सुरक्षित कर लिया था पर ओबर के प्रहार से काफी दूर जा गिरा था रेत में।

आनंद और रूबी के पास ये सब देखने और सृजल पर भरोसा करने के अलावा और कोई भी रास्ता नहीं था। सृजल को भी लड़ने में काफी परेशानी होने लगी थीं, ओबर की टक्कर ने सृजल का पूरा शरीर इस कदर हिला दिया था कि सृजल का सेंस ऑफ बैलेंस(Sense of Balance) बुरी तरह से हिल गया था। सृजल किसी तरह खड़ा जरूर हो गए था पर उसे अभी भी चक्कर से आ रहे थे और ओबर अब सृजल के काफी करीब आ गया था

“सोचा नहीं था कि ये सब इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा” ओबर ने अपना हाथोड़े जैसा हाथ की उंगलियां सीधी की,किसी धारदार चाकू की तरह और निशाना साधा सीधे गर्दन की ओर !

“सृजलsssssss !” आनंद ने ओबर के हमले को भांप लिया पर डर के मारे सिर्फ सृजल का नाम ही निकला, रूबी का तो शरीर कांप गया एक जाना पहचाना से डर उसके जहन में आ गया

“ट्रेडिशनल जु-जुत्सु; हेड ओवर थ्रो ! (Traditional Ju-Jutsu; Head over throw !)”

सृजल को भले ही सब हिलता हुआ दिख रहा था पर उसके दादा जी ने उसे इस तरह ट्रेन किया था कि अगर वो आंख बंद भी किये हुए है तब भी उसके हाथ बराबर फासले के अंदर किया हुआ कोई भी हमला उसे महसूस हो जाता था। तभी जैसे ही ओबर का हाथ तलवार की तरह हवा चीरते हुए सृजल के एक हाथ की सीमा में आया उसने तुरंत ही घूमते हुए अपनी पीठ ओबर की तरफ की थोड़ा झुकते हुए जैसे ही ओबर का हाथ सृजल के कान के पास से निकला; सृजल ने बांये हाथ से उसकी कलाई पकड़ी और दांये हाथ से उसके कंधे से थोड़े पास हाथ पकड़ा और उबेर की रफ्तार को उसी के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए उसे हवा में उठा उसका सर नीचे जमीन में दे मारा

‘भसsssss !’ उसका सर रेत में जा घुसा, ओबर ने भी इस तरह के अंजाम की कल्पना भी नहीं कि होगी। तभी अचानक सृजल को ऐंसा लगा जैसे उसकी ताकत कमज़ोर पड़ गयी हो,शरीर भारी हो गया हो। वो जमीन पर घुटनों पर आ गया और उसके दिमाग और मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली

“आनंद ! रूबी ! जल्दी से बोट में जाकर बैठो” सृजल की बात सुनकर आनंद ने तुरंत रूबी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर बोट की ओर दौड़ पड़ा। जितनी देर में आनंद और रूबी बोट में जाकर बैठ गए, सृजल भी किसी तरह लड़खड़ाता हुआ बोट की तरफ आने लगा। उसे अब जाकर अहसास हो रहा था कि ओबर के खादी जैसे जैकेट के कंधों पर लगे छोटे-छोटे धातु के कांटे फैशन नहीं बल्कि हथियार ही थे। जब ओबर ने सृजल को टक्कर मारी थी और जब सृजल ने उसे अभी उठा कर सर के बल पटक दिया तब वो कहते सृजल के हाथ और हथेली में चुभ चुके थे.......................जिस कारण सृजल; के शरीर में काफी कमजोरी लगनी शुरू हो गयी थी

“सृजल ! जल्दी कर भाई !.....” आनंद घबराहट भरे स्वर में चीखा, सृजल को सुनाई भी दिया इसलिए वो किसी तरह लड़खड़ाता हुआ ही सही बोट के पास आने लगा
पर इतनी ही देर में ओबर उठ खड़ा हुआ....उसके चेहरे से शैतानियत टपक रही थी। उसने अपनी गर्दन को अपने हाथ से चटखाया, पानी जैकेट एक ही हाथ से पकड़ कर फाड़ दी.....उसका भारी से और बना-पूरा बदन सबके सामने था।

चौड़ा सीना, पेट की मांसपेशियां और फेंफड़े के पंजर भी साफ दिख रहे थे और उसके भी ऊपर उसके सीने पर किसी तरह का टैटू था...आनंद ने उस पर गौर किया तो पाया कि वो एक गहरे लाल रंग के ऑक्टोपस का टैटू था जैसा न ही आनंद और न ही रूबी ने कभी देखा था। उसे उठाकर खड़ा होता देख आनंद औऱ रूबी को कुछ खास हैरानी नहीं हुई क्योंकि उस इलाके में रेत ही रेत थी, अगर नीचे फर्श होता या ठोस जमीन होती तो ओबरा काफी देर तक या काफी दिनों तक नही उठ पाता क्योंकि उसकी गर्दन में अच्छी-खासी चोट लग जाती....पर आज किस्मत भी उनका साथ कम ही दे रही थी

सृजल अब बोट से ज्यादा दूरी पर नहीं था और.......ओबर से भी, ओबर ने सृजल की ओर दौड़ लगा दी और सृजल कि पीठ पर एक जोरदार लात मारी

‘धाड़ !’ बेसुध सा सृजल जाकर बोट के नीचे हिस्से से टकरा कर गिर गया। उबेर ने सृजल को बालों से पकड़ कर खड़ा किया, बोट से टिकाया

“ये ‘पफर’ फिश का जहर है, थोड़ा धीमा पर घातक !......पर अब तुम्हे मैं अपने ही हाथों से मारूंगा’ ओबर ने सृजल की गर्दन को दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया। सांस कम होते ही सृजल झटपट कर ओबर के हाथ पकड़ते हुए छूटने की कोशिश करने लगा पर जहर ने उसे धीमा दिया था। सांस न आने से सृजल की आंखें बंद होने लगी, उसकी झटपटाहत भी कम हो गई। ओबर के चेहरे की मुस्कान चौड़ी होती जा रही थी

“आsssssss ह........ssssssss !” तभी बोट से सीधे ओबर पर आनंद कूदा और बाटन को चालू करके उसके माथे पर दे मारा। वो इतनी तेज चीखा जैसे उसके प्राण निकल गए हो और कुछ ही पलों में बेसुध हो कर अब जमीन पर पड़ा हुआ था। आनंद का बस चलता तो ओबर के ऊपर ही बैठ कर अभ्जी तांडव कर रहा होता पर उसने ओबर के बेहोश होते ही सृजल को उठा कर बोट में डाला और निकल पड़ा किनारे की ओर क्योंकि डोर से ही आनंद को पुलिस की पेट्रोलिंग करती बोट दिख गयी थी जो कि शायद इसी ओर आ रही थी। आनंद ने पूरी रफ्तार में बोट चला दी और रूबी फार्मसूइटिकल के सबसे पास वाले किनारे पर ले आया। सृजल के दोनों हाथ कंधों पर डाल कर आनंद और रूबी उसे जल्दी से मेडिकल वार्ड की तरफ ले जाने लगे। सृजल कि सांसे अब और भी धीमी होने लगी थी इसलिए आनंद और रूबी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। अगर सृजल को कुछ हो गया तो वो दोनों खुद को कभी भी9 माफ नहीं कर पाएंगे।

मेडिकल वार्ड के बाहर रूबी और आनंद बैठे हुए थे आते ही से डॉक्टर रमन रॉय ने सृजल को ऐसी हालत में देख कर उसे तुरंत ही भर्ती किया आनंद ने डॉक्टर रॉय को बताया था कि सृजल को पफर फिश का जहर दिया गया है। इतना सुनते ही नर्स अलका ने एन्टी टॉक्सिन्स का इंजेक्शन दिया ताकि जहर का असर कुछ देर के लिए धीमा किया जा सके। सृजल को अंदर ले जाने के बाद अभी मात्र 10 मिनट ही हुए होंगे कि डॉक्टर रॉय मेडिकल रूम से बाहर आ गए उनके चेहरे पर अब भी मास्क लटक रहा था, उनके चेहरे पर अजीब सा भाव था जिसे देख कर सिर्फ इतना ही बताया जा सकता था कि वो कुछ परेशान से है

“डॉक्टर रॉय ! सृजल ठीक तो है ना ?” रूबी जल्दी से उनके पास जाकर पूछी, आनंद भी उसके साथ गया

“अब वो ठीक है तो हम जाकर मिल लेते है उससे !” आनंद रूम की तरफ जाने लगा तो डॉक्टर रॉय ने उसे कंधे से पकड़ कर रोक लिया, उनका चेहरा लटका हुआ था, उन्होंने गहरी सांस ली और छोड़ी जैसे निराशा का गहन बदल छाया हो

“आप इतने निराश क्यों है ?” रूबी चीख पड़ी “ बोलिये ना क्या हुआ उसे” रूबी के अब बस आंसू आने ही वाले थे और आनंद की तो फटी सी हालात हो गयी थी

“ये पागल है क्या ? कितना चिल्लाती है ?” आनंद की तरफ देख कर रूबी के बारे में कहते हुए डॉक्टर रॉय बोले “सृजल को कुछ नहीं हुआ, वो ठीक है। यहां तक कि तुम अगर उसे यहां नहीं भी लाते तब भी उसे कुछ नहीं होता पर.......मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है” सृजल को कुछ नहीं हुआ सुनते डॉक्टर की बाकी की बात अनसुनी कर दी, उन दोनों के चेहरे पर अब आराम तो था ही बल्कि मुस्कान खिल पड़ी थी

“तो ऐसा पहले ही बताना चाहिए था ना ! तुम्हारा चेहरा ऐसा था जैसे सृजल के प्राण निकल गए हों” आनंद ने थोड़ा भड़कते हुए कहा, अब जाकर उनकी जान में जान आयी थी

“मैं तो बस ये सोच कर परेशान था कि उसे जहर के एन्टी-डॉट की जरूरत थी ही नहीं, पर इस कैसे हो सकता है ?” अपनी ही बात पर सवाल करते हुए वे कुछ सोचने लगे

“पर ऐसा कैसे हो सकता है ?”
तुमने उसे यहां लेन से पहले कुछ इलाज दिया था क्या ?” डॉक्टर रॉय ने पूछा

“नहीं डॉक्टर ! हमारी तो खुद जान पर इस तरह बनी हुई थी कि हम सृजल को यहां लाने के अलावा और कोई भी रास्ता हमें मालूम नहीं पड़ा” आनंद ने उन्हें बताया

“देखो सृजल को अभी होश नहीं आया है पर जब हमने उसके ब्लड का टेस्ट किया तो उसके शरीर में जहर की एन्टी-बॉडीज पहले से ही मौजूद थी, और अब तक तो उसका पूरा जहर उतर चुका होगा। बस यहीं बात समझ नहीं आ रही कि आख़िर उसके शरीर में एन्टी-बॉडीज आयी कहाँ से ?” डॉक्टर रॉय की बातों ने एक पल के लिए उन दोनों को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया था फिर वो खुद ही इस बात पर अपने तथ्य बताने लगे

“या तो सृजल कई बार इस जहर के कांटेक्ट में आया हुआ है जिससे इसकी बॉडी में पफर फिश के जहर की एन्टी बॉडीज पहले से ही मौजूद थी या फिर.........सृजल का इम्यून सिस्टम इतना मजबूत है कि किसी भी तरह की बीमारियों से लड़ने में सक्षम है और अगर ऐसा है तो ये तो मेडिकल वर्ल्ड में एक नई खोज साबित हो सकती है” डॉक्टर रॉय की आंखें खुशी और उत्साह से चमकने लगी थी इतनी की वो ये भूल ही गए कि वहाँ पर अभी भी आनंद और रूबी खड़े हुए थे।

“डॉक्टर रॉय !” आनंद ने उन्हें कंधे पकड़ कर हिलाते हुए कहा पर उन्हें तो जैसे अलग ही नाश चढ़ा हुआ था, खुली आँखों से किसी सपने में खोय हुए थे। उन्हें इसी तरह छोड़ते हुए वो दोनों मेडिकल रूम में दाखिल हुए जहां सामने एक अकेले बिस्तर पर सृजल बेहोश था और नर्स अलका दाई ओर रखी अलमारी से कुछ दवाइयां निकाल रहीं थी। अलका ने उन दोनों को आते हुए देखा पर कुछ नहीं कहा बल्कि अपना काम करती रही।

सृजल का शरीर बेसुध सा पड़ा हुआ था.........नीचे वहीं नीला पेंट पहना हुआ था पर पूरे शरीर में घाव देखने के लिए उसके ऊपर के कपड़े उतार दिए थे। वैसे सृजल की बॉडी थी शोरूम(Showroom) में रखवाने लायक ! जब वो इस तरह आराम से पड़ा हुआ था तब भी उसका 46 इंच का सीना किसी ढाल के समान शक्तिशाली दिख रहा था ऊपर से हल्का-हल्का पसीना जो उसके पूरे शरीर पर आ रहा था, उसके शरीर को चमक दे रहा था। उसकी बाजुएँ ऐसी दिख रहीं थी मानों भारी धातु की मोटी तारों से बनी हुई हो जिससे उसकी मांसल संरचनाये साफ दिख रही थी। सृजल के 6 पैक-एब्स थे जरूर पर अभी सिर्फ उनकी हल्की सी झलक दिख रही थी जैसे मानों किसी ने उसके एकदम बाहर निकले हुए 6 पैक-एब्स पर कपड़ा डाल दिया हो और उसके ऊपर से ही जो कुछ भी है, नजर के सामने है। कंधे के पास दाई ओर और बाई कलाई से थोड़े ऊपर पट्टियां बंधी हुई थी साथ ही उसके शरीर पर की जगह पर लाल निशान थे जो कि ओबर की मार से आये थे....खासकर गर्दन पर !

“सृजल को अभी तक होश क्यों नहीँ आया ?.......भगवान से यहीं प्रार्थना है कि ये जल्दी ठीक हो जाये” आनंद के साथ सृजल के पास स्टूल पर बैठते हुए रूबी ने कहा

“वैसे सृजल को होश कब तक आ आयेगा ?” अलका को एक स्टील की ट्रे में दवाइंया लाते हुए देख आनंद ने पूछा, अलका ने पास की टेबल पर पहले दवाइयां रखीं औऱ फिर वही पास के स्टूल पर बैठते हुए कहा

“वैसे वो पूरी तरह से ठीक है, पर उसके बेहोश होने का कोई पक्का कारण नहीं पता। शायद बॉडी को जहर और मार की वजह से शॉक(Shock) लगने के कारण वो कुछ समय के लिए बेहोश ही रहेगा” अलका ने पानी एक टांग ऊपर दूसरी टांग रखी।

“क्या सृजल को कोई भी एन्टी-वेनम देने की जरूरत नहीं है ?.......” आनंद का पूछा गया ये सवाल अलका ने सुनकर कुछ देर की चुप्पी रख ली। पर उसकी बेचैन आंखों को देख कर रूबी और आनंद ने उसके जवाब का इंतज़ार किया

“देखो ये जो डॉक्टर रॉय का सृजल को लेकर ‘सुपर-इम्युनिटी’ का जो ख्याल है,.......मुझे उस पर भरोसा नहीं है। हो सकता है सृजल को कई बार टेटरोडोक्सिन(Tetrodocxin) का शिकार होना पड़ा हो जिसके कारण इलाज से उसके अंदर टेटरोडोसीक्सिन की एंटीबाडीज बन गयी.......हां पर ये बात तभी साबित हो सकती है जब सृजल होश में आये...वैसे भी सृजल को सी-फ़ूड का बहुत शौक है, सही कहा ना ?”

इस बात में कोई शक नहीं था कि अलका सृजल के बारे में काफी कुछ जानती है क्योंकि कई बार सृजल का इलाज यहां हुआ है जब उसे रातः-रातः भर्र यहीं रुकना पड़ा है। और उसका तर्क भी सही है कि सृजल के अंदर पहले से ही एन्टी बॉडीज मौजूद थी। ख़ैर फिलहाल वो इसी बात से खुश थे कि सृजल को कुछ भी नहीं हुआ है और वो जल्दी ही पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। सब कुछ काफी शांत था, अलका डॉक्टर रॉय को ढूंढने चली गयी थी और आनंद के साथ रूबी वहीं बैठी हुई थी। आनंद ने तभी कुछ सोचते हुए अपना स्मार्ट-फ़ोन निकाला और सृजल कि घूम-घूम कर तस्वीरें लेने लगा.....

“अब ये क्या कर रहा है तू ?” रूबी आंखों को सिकोड़ते हुए बोली
बस कुछ यादें संभाल कर रखने की कोशिश कर रहा हूँ। याद है जब हम तीनों स्कूल में थे तो कितने अलग दिखते थे” आनंद वापस रूबी के पास बैठ गया, अपने फ़ोन में स्कूल की पुरानी तस्वीरें दिखाने लगा जिनमें से एक में उसका हाथ रुक गया। उस तस्वीर में पेड़ के नीचे 3 बच्चें दिख रहे थे जिसमें एक दुबला-पतला सा लड़का अपने दोनों पैर सामने करके पेड़ से टिका हुआ था और उसके एक-एक पैर के ऊपर सर रखकर एक हमउम्र गोल-मटोल सी लड़की और दूसरे पर एक जाना पहचाना सा चेहरा सर रखकर लेटा हुआ था, बाईं तरफ एक चौड़े पात की नदी सी बह रही थी जिसका पानी शाम के सूरज की रोशनी में चमक रहा था और दाईं तरफ एक सड़क थी जो कि उस जगह से थोड़ी ऊंचाई पर थी

“देखा ! कल का सुकड़ा बम्बू आज का पीपल हो गया है, ऐसा लग रहा है मानों किसी ने सृजल को जबरदस्त तरीके से ठोंक पीट कर इस तरह सांचे से ढाल दिया हो” आनंद ने मुस्कुराते हुए कहा और उसकी बात पर रूबी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई

“वैसे इस तस्वीर में और आज की ‘तस्वीर’ में एक चीज अब भी सैम(Same) है” रूबी ने आनंद की आंखों में आंखे डाल कर कहा

“और वो क्या है ?” आनंद ने उसकी नजरों से बचते हुए पूछा

“सृजल और में तो काफी बदल गए पर तुम !..........आज भी वैसे ही हो जैसे सालों पहले हुआ करते थे। यहां तक कि इस तस्वीर में सिर्फ तुम ही हो जो अब भी ‘आज’ जैसे ही दिखते हो” रूबी ने उसका हाथ पकड़ कर आराम से

दबाया........आनंद से इस बार नजरें नहीं बचाईं

“शायद मुझे बदलने का मौका ही नहीं मिला या

फिर...........मैं इसलिए नहीं बदला ताकि जब वापस हमारी मुलाकात हो तो हम अनजान नहीं लगे। आखिर कोई तो हो जो हम तीनों में से आसानी से पहचाना जाए !” हमेशा मजाक के मूड में रहने वाला आनंद पहली बार दिल से कुछ कह रहा था, शायद आज की घटना ने उसे ये सब कहने को मजबूर किया हो पर......आखिर उसके दिल की आवाज सही जगह पहुंच ही गयी। आनंद और रूबी दोनों हमेशा से ही लड़ते झगड़ते रहते थे पर वो एक दूसरे से कितना प्यार करते थे ये कभी भी दोनों ने एक दूसरे से नहीं कहा था। ऐसे ही एक दूसरे की आँखों में खोय हुए उन दोनों के दरमियान दूरी कैसे कम हो गयी पता ही नहीं चला, गहरी रात में इतनी शांति और सुकून था न कि ऐसा लग रहा था जैसे ये गुजरती हवाएं कोई धुन लेकर आई हो जिसकी मदहोशी आनंद और रूबी को एक दूसरे के इतने करीब ले आयी थी। अब दोनों के चेहरे इंच मात्र की दूरी पर थे, रूबी के गालों पर हल्की सी लाली छा गयी। उसने अपनी पलके झुकाई और आंखें बंद हो गयी, आनंद भी उसके और करीब आ गया उनके होंट आपस में छुए ही थे कि दोनों के शरीर में कंपकपी आ गयी। बस कुछ ही पल में वो एक-दूसरे से एक हो जाते..................

“हाssssssss आ... हsssssss.......... !” पता नहीं क्या हुआ और सृजल झटके से उठ कर आनंद और रूबी के पीछे उस अलमारी तक भन भानते हुए पहुंच गया। सब कुछ इतनी तेज हुआ कि आनंद और रूबी तो घबराहट से हिल गए....वो दोनों जल्दी से भागते हुए सृजल के पास आये और उसे थोड़ा सा सहारा दिया

“क्या हुआ सृजल ?.... कोई बुरा सपना देखा क्या ?” रूबी ने आनंद के साथ उसे बिस्तर पर बिठाते हुए कहा

“मुझे जाना होगा ! वो मुसीबत में है.........” सृजल के चेहरे पर हल्का सा डर था पर बात में किसी के लिए चिंता झलक रही थी।
 
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बरसात के मौसम में आज का सूरज ढल रहा था जिसकी रोशनी में वो नहर जैसी नदी की धारा का पानी सोने सा चमक रहा था। इसी नदी की पतली धारा के दोनों ओर जो कुछ जगह थी वहां पर अक्सर बच्चें खेलने के लिए आया करते थे। दोंनो तरफ सड़क कुछ ऊपर की ओर थीं जहाँ से वाहन कम ही निकला करते थे और हमेशा की तरह सब कुछ शांत ही था, माहौल भी और उन दोनो के बीच का फासला भी।

“ क्या बात है, तुम ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है?” उस भूरे बालों वाली लड़की की आवाज़ कम होते हुए भी माहौल के सन्नाटे में गूंज गई।

सामने खड़ा वो लड़का अब भी दोनों हांथो को पीछे किये हुए चुप ही खड़ा था।

“ कुछ दिनों से तुम काफी परेशानी में लग रहे हों, मुझे बताओ आख़िर हम दोनों दोस्त है।“ लड़की की आवाज़ में काफी नरमी थी इस बार और वह उस लड़के को बहुत मासूमियत से देख रही थी।

“ तुम कल वापस अपने देश चली जाओगी_______” लड़के की आवाज में कुछ परेशानी झलक रही थी

“ हाँ।“ लड़की ने जवाब दिया।

“ और फिर में तुमसे कभी नहीं मिल पाऊंगा।“

“ अच्छा तो तुम इस बात से परेशान थे।“ उस लड़की ने तेजी से उसके पास आकर कहा, उसके हाथों को थामा और मुस्कान के साथ बोली “ तुम्हारे पास मेरा मोबाइल नम्बर और ईमेल तो है ना, उसी से हम रोज मिल लिया करेंगे। और अगर में तुमसे मिलने ना आ पाई तो तुम खुद आ जाना।“

फिर उस लड़के के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ ही गई।

“ हाँ, जरूर। पर में तुम्हें कुछ और भी बताना चाहता हूँ।“ एक बार फिर कुछ परेशानी भरी नजरें उस लजाते हुए चेहरे पर आ गई।

“ मैं सुन कर रही हूँ, कहो।“ लड़की ने बहुत ही उत्सुकता से पूछा।

एक पल को उस लड़के के हाथ कांपे, नजरे झुकी रही। पर अगले ही उसने अपनी ज़ेब में हाथ डाला और उसमें से कुछ निकाल कर लड़की की तरफ बढ़ाते हुए बोला,

“ आई लव यू रोज़। मैं तुम्हे बहुत चाहता हूं, समझ नही आ रहा था कि तुमसे यह कैसे कहुँ, इसलिए हिम्मत जुटाने में काफी समय लग गया।“ हांथ उसके अब भी कांप रहे थे, आंखें बंद थीं और जुबान भी लड़खड़ा रही थी। उसके हाथ में एक लव लेटर था और उसके ऊपर दो काले रंग की नक्काशी वाली अंगूठियां। और अब इंतज़ार था तो बस उसके जवाब का ________

वो सूनी सी ठंडी हवा उन दोनों को छूकर चली गई , माहौल अब भी शांत था। सूरज ढलने में बस कुछ ही वक्त बाकी था और उसका जवाब सुनते-सुनते वह सूरज भी ढल गया।

“ आई एम सॉरी, पर मेरे लिए तुम एक दोस्त से ज्यादा कुछ भी नही हो, आई डू लाइक यु वेरी मच पर में तुमसे उस तरह प्यार नही करती।“ रोज़ उसका हाथ छोड़ पीछे हट गई, उसकी वो पहले वाली मुस्कुराहट गायब हो गई। उसके जवाब को सुन कर लड़के का चेहरा सफेद पड़ गया, उसकी हिम्मत जैसे जवाब दे गई पर उसने कुछ ब भी नहीं कहा

“ कल में जा रही हूँ और मैं नहीं चाहती कि तुम मुझे इस तरह दुखी होकर विदा करो।“ रोज़ के हाथ उस लड़के के पास पहुंचते ठिठक गए, उस लड़के को इस तरह दुखी देखना शायद उससे देखा नहीं गया। इतने में वहाँ ऊपर से एक जानी पहचानी आवाज़ आ गई

“ रोज़, प्रोफेसर तुम्हें बुला रहे है, जल्दी।“ कोई लड़की रोज़ को सड़क के ऊपर से बुला रही थी।

रोज़ ने एक दफा उस लड़के को देखा, दूसरी ओर ऊपर उसे बुलाने वाली लड़की को देखा

“ मैं जा रहीं हूं, तुम भी जल्दी आ जाना।“ रोज़ की आवाज़ कुछ झिझक गई और मुठ्ठी भींचे वो वहाँ से चली गई।

हमेशा की तरह आज भी अंधेरा छाने लगा, जो पहले से कही ज्यादा घाना मालूम पड़ रहा था। और उस पर जंचने के लिए बादलों ने अपना बोझ हल्का कर दिया। धीरे धीरे शुरू हुईं बारिश ने रफ्तार पकड़ ली किसी रेलगाड़ी की तरह, कुछ दूरी पर जल रहे स्ट्रीट लाइट की रोशनी उस पेड़ के पास नाम मात्र की पड़ रही थी जिसके नीचे बरसात में वह लड़का बैठा भीग रहा था।

पेड़ से टिक कर वह एक घुटने को मोड़ कर उस पर हांथ रखा हुआ था, बरसात की बूंदे उसके शरीर को तर कर रही थी और वह पेड़ उसे पानी से पूरी तरह बचाने में असमर्थ था। जैसे बादल अपना बोझ कम करने को बरस रहे थे वैसे ही उस लड़के की पलके अपने बोझ हल्का करने के लिए रो रही थी। उसने एक आह भरी और अपना चेहरा ऊपर कर बैठा रहा। आँसू उसकी आँखों के किनारों से निकलते हुए गालों को रास्ता बनाये हुए थे, अपने हांथो में गीले होते लेटर को उसने जल्दी से वापस जेब मे रख लिया, अंगूठियों के सांथ।

उसके होंठ धीरे से हिल और वह कुछ बड़बड़ाया

“ हाँ, सही तो कहा रोज़, ने मुझसे ज़्यादा उसके बारे में को जानता है” उसकी आवाज़ धीमी होने के बावजूद भारी थी “ उसने तो खुद मुझे बताया था कि उसे किस तरह का लड़का पसंद है। जो स्मार्ट हो और मज़ाकिया भी, अच्छी बॉडी हो और जिसे डर छू भी ना पाए।“

बड़बड़ाते हुए उसका दिल जैसे दर्द से रिस गया, उसके आँसुओ ने एकाएक तेज़ रफ़्तार पकड़ ली। उसे आज पता चल रहा था कि दिल का दर्द शरीर को लगी चोट से कहीं ज्यादा दर्दनाक होता है, क्योंकि उस पर ऊपर से कोई मरहम भी नही लगाया जा सकता। अपनी छाती को कचोटते हुए एक बार फिर उसके होंठ हिले

“ कहना तुम्हारे लिए शायद आसान था रोज़, मगर सुनना मेरे लिए एक श्राप जैसा था। 4 साल साथ गुजारे है हमने और तुम कहती हो में भूल जाऊ__________ कैसे रोज़ कैसे।“

अब जाकर उसके सब्र का बांध पूरी तरह से टूट गया, वो वहीं फूट फूट के रो पड़ा, असहाय सा वह ख़ुद से ही बातें करता हुआ रोता रहा। अपने आप को ढांढस बांधता पर उसके चुप होने पर भी उसकी आंखें चुप नहीं रह पाई और पता नहीं कब उसके अंदर दर्द ने लंबे समय के लिए अपना घर कर लिया।

रात का वह कौन सा पहर था यह नहीं पता, पर उसकी लाल आंखे अब सूज कर बंद हो चुकी थी, दर्द अब भी चेहरे पर था और अब तक वो एक लंबी नींद में जा चुका था। उसका शरीर वही निढाल सा पेड़ से टिका हुआ था जिसमें नाम मात्र की भी जिंदगी नही दिख रही थी। तेज हवाओं की सनन-सनन में गजब की ठंडक थी पर उसका शरीर उससे भी ज्यादा शीत जान पड़ता था, जिसमें कोई हलचल नहीं थी।

यू ही रात का अन्धकार घना था जिसमें सिर्फ तारे टिमटिमा रहे थे और चाँद तो अमावस्या को वैसे भी नहीं आता था। आज किसी का दिल टूटा तो बादलों ने भी उसके साथ शोक किया पर उसका कल तो कोई भी नहीं जानता, वो ख़ुद भी नहीं। कई बार किस्मत ऐंसे खेल खेलती है जिसका जोड़ कई खिलाड़ियों से होता है और खिलाड़ियों को तो यह पता भी नहीं होता कि वे इस खेल में उतर चुके है।

यहाँ हमारे दोस्त का दिल टूटा और वहाँ आसमान में एक अनजान तारा जिसकी रोशनी ने उसे सराबोर कर दिया।



असल किस्मत का खेल तो यहाँ चल रहा था......

वो एक बहुत ही चकाचोंध वाली जगह थी, आस पास की इमारतें, दुकानें आंखफोड़ू रोशनी से जगमग थीं। देखने में ये सब एक मुख्य सड़क के आसपास थीं। बी एम डब्ल्यू, फ़रारी जैसी गाड़ियां बहुत ही आम लग रहीं थी, ऐंसा लग रहा था साक्षात कुबेर जमीन पर उतर कर वाहन में घूम रहे हो।

उन्ही में से एक इमारत शायद होटेल थी, जिसके बाहर एक 20-25 साल का युवक बहुत जल्दी में अपनी बाइक से उतरा और सनसनाते हुए उस महंगी सी इमारत में दौड़ पड़ा, उसके कपड़े इतने भी अच्छे नही थे कि उस इमारत के दरवाजे के बाहर खड़ा वो हट्टा कट्टा दरबान उसे रोकता नहीं...................

“ ऐss रुको कहाँ घुसे जा रहें होss!” उसने झपट्टा मरते हुए उस युवक को रोकने की कोशिश की।

“ ये लो!” हांफते हुए उस दरबान की तरफ एक कार्ड उछाल दिया कर उसके झपट्टे से बचता हुआ अंदर भाग गया। दरबान ने वो कार्ड देखा जो उनकी होटेल में रुके हुए लोगों को दिया जाता है, उस पर लिखा था

“ पैराडाइज व्हाईट मोटेल

एन. वाय.

रूम नंबर 312 “

“ अजीब आदमी हैं, यहीं रुका हुआ है तब भी ऐंसे भाग रहा है जैसे घुसपैठ करने के इरादे हो।“ झल्लाते हुए दरबान ने उस कार्ड को रिसेप्शन पर दे दिया।

वो युवक जल्दी से लिफ्ट में चढ़ कर 25वे माले पर पहुंच गया। 312 नंबर के कमरे के दरवाजे को जोर से पीटने लगा, इतनी तेज़ की आस पास के लोग दरवाजे खोल कर उसे देखने लगे। कुछ ही देर में दरवाजा खुला और वो युवक बिना देखे तुरंत अंदर जा घुसाअरे कारलोस, इतनी हड़बड़ाहट में क्यों है?” दरवाजा बंद करते हुए उस लम्बे बाल वाले लड़के ने पूछा, कर उसके पीछे आ गया। उसे इस हड़बड़ाहट में देख कर अंदर बैठे हुए वो 2 और युवक सकते में आ गए। कारलोस जल्दी में सामने रखी टेबल पर गया और उस पर अपने जेब में से एक लंबा सा काग़ज निकाल कर बिछा दिया, उसके चेहरे पर खुशी और ख़ौफ़ का मिला जुला से भाव था।

“बोरिस, दरवाजा बंद कर जल्दी यहाँ आओ, जॉर्ज तुम भी।“ कारलोस ने सामने खड़े उस दाड़ी वाले युवक को बुलाया जिसका नाम जॉर्ज था।

“ क्या मैथ्यू को यही बैठे रहने दूँ?” जॉर्ज ने कुर्सी पर आराम फरमा रहे उस युवक की तरफ इशारा कर कहा जो कि उसके कपड़ो से अलग ही अमीर लग रहा था, और उसके सुनहरे बाल उसके अमीरीपन को अलग ही परिभाषित करते थे।

“ हाँ, उसे वही रहने दो” अपनी सांस संभालता हुआ कारलोस बोला “ आखिरकार मुझे उस किताब के बारे में पता चल ही गया जो हमारी किस्मत बदल देगी।“ उसके चेहरे पर कुछ तीखी सी हंसी थी कर उसकी बात सुन सभी बहुत खुश हुए, यहां तक कि मजे से बैठा मैथ्यू भी खुशी से उछल पड़ा।

“ वाह यार वाह, तेरी बात सुनकर तो दिल खुश हो गया पर तुझे इसका पता कहा से चला?” तेज़ी से पास आकर मैथ्यू ने पूछा

“ मै कब से पापा का सामान टटोल रहा था और आखिर उनकी मेज़ के नींचे छुपी हुई उनकी डायरी मुझे मिल गई जिसमें से मैंने जरूरत की सारी चीजों को इसमें उतार लिया।“ सामने बिछे हुए उस काग़ज पर हांथ रख उसने कहा

“ इससे अच्छा तू वो डायरी ही ले आता!” जॉर्ज ने उसे ताना मारते हुए कहा और प्रश्न भरी निगाहों से घेर लिया। तीनों ही उसके उत्तर की राह देख रहे थे।

“ अरे यार तुम्हें तो मालूम है ना मेरे घर पर अब भी पुलिस लगी हुई है। अगर मैं वो डायरी लाने की कोशिश करता तो पुलिस को शक हो जाता कि इस डायरी में कुछ खास है। और अगर ये पुलिस वाले उस कमीने रुसेव से मिले हुए हो तो वो मेरे पापा की रिसर्च को अपने नाम कर लेता जैसे पहले किया था।“ आखिरी शब्दों में गुस्सा छा गया था। उसने पास रखी कुर्सी खिसकाई और उस पर बैठ गया।

कुछ देर यू ही शांति छाई रही, वो चारों ही जिंदगी के बचकाने खेल से परेशान थे। उन्हें जिंदगी पर और लोगों पर भरोसा नहीं रह गया था, सभी अच्छी भली जिंदगी जी रहे थे पर उन्हें शायद किसी की नजर लग गई। कारलोस के पिता एक पुरातात्विक विद्वान और वे पुरानी परंपराओं से जुड़ी चीजों पर खोजबीन करते थे पर एक दिन कारलोस के पिता के दोस्त डॉ रुसेव ने उन्हें धोका दिया और उनकी रिसचर्स को चुरा कर अपने नाम कर लिया। परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली, जहर पीकर और डॉ रूसेव के आरोप के कारण अब तक उनके घर पुलिस की जांच जारी है।

जॉर्ज बहुत ही बदकिस्मत युवा था, वो कोई भी काम करता तो हमेशा ही कुछ ना कुछ उल्टा पुल्टा हो जाता। बचपन से ही उसने अच्छी कहानियां सुनी थी और उन्हीं पर अमल कर वो अच्छे काम करने की कोशिश करता था पर हमेशा उसका काम किसी का या खुद का नुकसान कर देता था। एक बार उसने अपने एक कॉलेज के दोस्त की मदद के लिए उसे 10000 डॉलर दिए तो पुलिस ने जॉर्ज को ही अंदर डाल दिया। दरअसल उसका वो दोस्त ड्रग्स बेंचा करता था, उसने पुलिस को जॉर्ज का नाम देकर यह कह दिया कि जॉर्ज ही ड्रग्स का धंधा करता था और ये पैसे उसी ने दिए थे। बेचारे जॉर्ज को पुलिस ने बहुत मारा और ड्रग्स केस में अंदर कर दिया, जॉर्ज के माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया और आखिर में वो थक हार कर आत्महत्या करने जा रहा था कि कारलोस ने उसे रोक लिया। कारलोस भी जॉर्ज का दोस्त था और उस पर नज़र रखे हुए था, उसी ने जॉर्ज की बेल कराई थी पर उसके मां बाप को नहीं समझा पाया।

बोरिस उन चारों में सबसे बड़ा था, वो एक डॉ था और उसने हमेशा अपने माँ बाप की सेवा की, उनकी इच्छाओं को सबसे ऊपर रख कर पूरा किया पर आखिर में हुआ क्या? उसके मां बाप ने उसे जायदाद से दखल कर दिया क्योंकि वो उनका सौतेला बेटा था और इतने समय की उसकी कमाई, वो घर सब कुछ तो बोरिस ने उन्हीं के नाम कर दिया था। सो अब ना घर था ना ही गाड़ी, बची थी तो सिर्फ वो निजी नौकरी जो हमेशा ही चले इसका कोई भरोसा नहीं।

सिर्फ़ मैथ्यू ही था जिसका आगा पीछा सब सही था। उसके पिता शहर के सबसे अमीर आदमी थे और उनकी मौत के बाद सब कुछ मैथ्यू का हो गया। अब क्योंकि ये चारों बचपन के दोस्त थे, कारलोस के प्लान में शामिल भी हो गए और क्यों ना हो? आखिर कारलोस उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता बना रहा था।

“ तो, कहाँ जाने का प्रोग्राम है हमारा?” बोरिस ने कुर्सी पकड़ते हुए कहा

“ अफ्रीका के चाड देश में एक गांव है गालो, बस वहीं चलना हैं।“ कारलोस ने अपनी आंखें बंद किये हुए कहा

“ कुछ ज्यादा दूर नहीं है ये जगह?”

“ वैसे भी हमें वहाँ जल्दी पहुंचा पड़ेगा!” कारलोस की बात सुनकर सब चोंक गए।

“ ऐंसा क्यों, कुछ गड़बड़ है क्या?”

“वहां पर फितरी नाम का तालाब है, जहाँ पर आज से 4 दिन बाद रात को वहाँ के आदिवासी अपनी परंपरा के अनुसार हर 100 साल में वहां चन्द्रमा की पूजा करते है। हमें उस पूजा के समय ही अपना काम करना पड़ेगा, वारना फिर 100 साल का इंतजार!” कारलोस ने सर पर हांथ रख कहा।

“ और येsss..........Ss........ हो गया!” मैथ्यू ने अपने फोन पर उंगलियां चलते हुए सबका ध्यान खींचा

“ क्या हो गया?” जॉर्ज ने कुछ गर्म लहजे से पूछा

“ चाड जाने का इंतजाम! और क्या” उसने सभी को फ़ोन सामने दिखाया, जिसकी स्क्रीन पर 4 लोगों की टिकटों का चित्रण था। और वो भी हवाई जहाज की टिकटों का।

सूरज की रोशनी से छंट कर अब अँधेरा घिरने लगा था,चाँद बेधड़क खुले आसमान में बिना बादल की चादर ओढ़े घूम रहा था। सामने एक बस्ती यही जो बहुत ही बेजान लग रही थी, न कोई आवाज थी न ही कोई घर की रोशनी चालू थी। वैसे तो गांव जैसी इस बस्ती में ज्यादातर घर छोटे और लकड़ी के मालूम हो रहे थे पर वहाँ मिट्टी की दीवार वाले घरों की कमी भी नहीं थी। एक तो इतना खाली माहौल था कि पूरा गांव वीरान लग रहा था, ऊपर से चढ़ती रात में घरों में से रोशनी न आना और भी डरावना था।

तभी एक एक करके सभी घरों की लाइटें जल उठी, लोगों का घर से निकलना शुरू हो गया। वहाँ सभी थे, बच्चे- बूढ़े- जवान- महिलाएं और बहुत ही शांति से सभी अपने घरों से निकल कर पास के झुरमुट में घुसे जा रहे थे। खाली हाथ नहीं थे, सभी के हाथों में थैलियाँ थी, कुछ बच्चों को उनके मां बाप मुँह पर उंगली रख कर चुपचाप चलने का इशारा कर रहे थे मानो उनके बोलने से कोई आ जाएगा। उनमें से कुछ लोगों ने अजीब से कपड़े पहन रखे थे, आदिवासी जैसे, सर पर रंगीन पंखों का मुकुट, शरीर के ऊपर सिर्फ छाती ढकने मात्र का कपड़ा वो भी काले रंग का, नीचे एक पत्तों की बनी स्कर्ट के ऊपर काले रंग का कपड़ा जिसकी नक्काशी सोने के रंग में थी और उनके चेहरे पर सफेद रंग से कलाकारी की हुई थी जैसे कोई और चेहरा बनाने की कोशिश की हो। सभी लोग उन पेड़ो के झुरमुट में से गुजरने लगे, काले अंधेरे में अब चांद की रोशनी छितरा गई थी सो रास्ता ढूंढने में कोई परेशानी नहीं मालूम दिख रही थी। कुछ ही समय में वो झुरमुट ख़त्म हो गया और सामने खुले में वे सब एक तालाब के किनारें आ गए। सभी लोग इकट्ठे हुए, सामने लंबी लकड़ियों से आग जलाई गई और सभी लोग आस पास घेरा बना कर बैठ गए। फिर सबने अपनी थैलियाँ खोली, किसी की थैली से बाजे का सामान निकला तो किसी ने खाने पीने की चीजें निकाल कर आग के सामने रख दी। अब वो अजीब से पहनावे वाले लोग सामने आए, अजीब सी भाषा में उन्होंने कुछ कहा और फिर वहां ढोल नगाड़े से बजने लगे। वो सभी वहाँ पर नाच रहे थे और बीच-बीच में वे गुमनाम सी भाषा में कुछ कहते ओर खाने पीने का सामान जैसे फल और मांस उस आग में फेंक देते। किसी उत्सव की तरह वहाँ का माहौल था और इसी बीच तालाब के उस पार कुछ लोग इकट्ठे हुए थे और उन्होंने भी वैसे ही आग जलाई हुई थी जैसे उन आदिवासी लोगों ने जलाई थी।

“ ये कारलोस अभी तक आया क्यों नहीं? मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं।“ बोरिस ने जॉर्ज को एक तरफ बुला कर कहा

“ चिंता मत कर, उसे समय का ध्यान हैं।“ जॉर्ज ने उसे सीधे कहा

मैथ्यू भी उन्हीं के पास खड़ा हुआ था क्योंकि वो जिन लोगों को यहाँ पर लेकर आए थे वो उसी गांव के थे और बहुत ही अजीब तरह से इन लोगों को देख रहे थे।

“ चलो, अब हम यह पूजा शुरू करते है।“ झाड़ियों में से निकलते हुए कारलोस ने सभी को कहा और उसके बाक़ी दोस्त भी आग के आस पास इकट्ठा हो गए। कुल मिलाकर वहाँ पर 13 लोग थे, जिनमें से 9 तो उसी गांव के लोग थे जिन्हें कारलोस ने इकट्ठा किया था। अब क्योंकि वो लोग उनकी जानकारी के नहीं थे तो भरोसे वाली बात तो होती ही नहीं है।

“ सुन कारलोस, शक्तियां मिलने के बाद तुम तुम्हारे रास्ते हम हमारे! समझ गए न” वहां खड़े एक भारी शरीर वाले व्यक्ति ने कहा

“हाँ, वैसे भी हम जो कर रहे है वो गांववालों के उसूलों के खिलाफ हैं।“ उसी भारी शरीर वाले आदमी के बगल वाला लंबा से आदमी बोला।

“ चलो में आखिरी बार सभी से पूछता हूँ, क्या यहाँ पर कोई ऐसा है जो हमारे इस प्रयोग में शामिल नहीं होना चाहता? क्योंकि एक बार ये शक्तियां मिल जाने के बाद क्या परिणाम होगा यह हममें से कोई भी नहीं जानता।“ कारलोस ने सभी की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, पर किसी ने कुछ नहीं कहा, भला इस तरह की शक्तियां पाने के लिए को मना करता। पर कारलोस की ये बात सुनकर उसके दोस्तों का दृढ़ और मजबूत हो गया।ठीक है सभी अपने-अपने चाकू निकाल लो; मैं पढना शुरू करता हूं।“

कारलोस ने अपने हाथ में एक पुरानी सी पुस्तक पकड़ी हुई थी जिसका बाहरी पृष्ठ किसी चमड़े का बना लग रहा था जिसके ऊपर 13 अलग-अलग तरह के चिन्ह एक गोलाकार रूप में जमे हुए थे और उस गोले के बीच किसी उसी अजीब भाषा में कुछ लिखा हुआ था जिसकी जानकारी उन गांव के कुछ लोगों और कारलोस को थी। उसने उसी अजीब भाषा में कुछ मंत्र पढ़ना शुरू किया, सभी उसे ध्यान से देख रहे थे क्योंकि कारलोस के हाथ कांप रहे थे पर वो मंत्रों को पढ़ता जा रहा था। फिर उसने वो किताब बंद की और अपना चाकू निकाल कर सभी की ओर देखा और फिर .............................................. “ खच्च”!

उसने अपनी हथेली पर चाकू से हल्का वार किया और अपना रक्त उस आग में टपका दिया। उसे देख सभी ने ऐसा ही किया और देखते ही देखते उस आग का रंग ख़ूनी लाल हो गया और उसके काले धुंए ने सभी को घेर लिया। उन लोगों ने किसी तरह से खुद को संयम में रखा। धीरे से उस आग में से एक अजीब सा पुंज निकला और फिर 13 अलग-अलग टुकड़ों में बंट कर अचानक से 4 पुंज उन चार दोस्तों के अंदर घुस गए जिससे उन चारों को चक्कर से आ गए और वे जमीन पर गिर पड़े। और बाकी के पुंज किसी टूटते तारे की तरह आसमान में गायब हो गए

आस पास खड़े बाकी के लोग बहुत ज्यादा ही हड़बड़ा गए क्योंकि वो शक्ति पुंज सिर्फ कारलोस और उसके दोस्तों को मिले थे और बाकी सब जो उनके साथ उस प्रक्रिया में शामिल थे उन्हें वो शक्तियां नहीं मिली थी। अब उनके क्रोध का पारा चढ़ गया

“ तुमने तो कहा था कि हम सभी को ये शक्तियां मिलेंगी, पर ये तो सिर्फ तुम चारों को मिली।“ उस भारी शरीर वाले ने अपने दांत पीस लिए

“ इस कारलोस ने जरूर हमें धोका दिया है तभी तो ये शक्तियां सिर्फ़ इन चारों को मिली हमें नहीं।“ उसके साथ खड़ा वो लंबा आदमी बहुत गुस्से में बोला। अब क्योंकि उन गांव के लोगों को शक्तियां नहीं मिली तो उनके क्रोध ने गुनाह का रूप ले लिया। उनके साथियों के मुख से धोका शब्द ऐसे में गूंजने लगा जैसे उनका दिमाग खाली हो गया। उन सभी ने अपने-अपने चाकुओं को इस तरह पकड़ रखा था मानो अब वो सभी उन चारों दोस्तों के टुकड़े-टुकड़े कर वहीं जंगली जानवरों को खिला देंगे। आंखों में खूनी जज़्बात लिए वो उनकी ओर बढ़ने लगे, चक्कर से संभल कर वो चारों एक दूसरे को उठाने लगे पर तब तक वो भारी शरीर वाला कारलोस के बिल्कुल सामने आ गया

“ हमारे रिवाजों में धोखे की कीमत सिर्फ मौत होती हैं।......याsssss.....ह” उसने पूरी ताकत से कारलोस के पेट में चाकू पेल दिया

“ टनsssssss” पर ऐसा लगा जैसे चाकू कारलोस के पेट की जगह किसी धातु से टकरा गया, वहाँ खड़ा हर कोई चकरा गया और खासतौर पर वो भारी शरीर वाला। कारलोस ने खुद को बचाने के लिये पेट के ऊपर अपना हाथ लग लिया था जो अब किसी और ही चीज में तब्दील हो चुका था, ऐसा लग रहा था मानो उसके हाथ की खाल उत्तर गई हो और उसकी हड्डियाँ किसी धातु सी बन गई हो जिसके अगल – बगल मांसपेशियों की गठान बनी थी। तभी कारलोस के चेहरे पर बहुत ही भयानक हंसी छा गई जैसे वो अब इंसान ना होकर एक जानवर बन गया हो। उसने अपने हाथ से झटका देकर उस भारी शरीर वाले को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अगले ही पल उसकी उंगलियों ने लंबे से चाबुकों का रुप ले लिया जिनके ऊपर अजीब सी नोंक लगी हुई थी और एक ही झटके में कारलोस ने उस भारी शरीर वाले व्यक्ति के 4 टुकड़े कर दिये, किसी फव्वारे की तरह खून उछल पड़ा। इससे पहले की बाकी संभल पाते, उन चाबुकों ने सभी के टुकड़े कर दिये। सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि किसी को चीखने का मौका भी नहीं मिला।

“ अब इन लाशों को कहाँ ठिकाने लगाए?” वापस सामान्य होते हुए कारलोस हाँफते हुए बोला कि इतने में जॉर्ज ने अपने हाथ को सामने किया जो कि बहुत तप रहा था और उसमें से आग किसी सांप की तरह उन लाशों को निगल गई, रह गई तो सिर्फ राख!

“ क्या बात है यार तुम दोनों को तो धांसू पावर मिल गई।“ बोरिस ने वापस जमीन पर बैठकर कहा, जिस पर मैथ्यू ने भी हामी भरी।

“ हाँ, लगता है रिचुअल सही तरीके से हो गई।“ कारलोस ने जॉर्ज के साथ बैठते हुए कहातो फिर सिर्फ हम चारों को ही पावर्स क्यों मिली, और बाकियों को क्यों नहीं?” जॉर्ज ने सवाल पूछा, जो कि सभी जानना चाहते थे।

“ यह बात तो मैं भी ठीक तरह से नहीं जानता, सिर्फ इतना पता है कि जिसके मन में किसी एक तरह की भावना बहुत शक्तिशाली हो ये शक्तियां उसे ही चुनती है।“ सभी को समझाते हुए उसने किताब खोली “ मुझमें बदले की भावना है इसलिये मुझे ये ह्यूमन वेपन की पावर मिली, गुस्से के कारण जॉर्ज को आग की शक्ति मिली और,,,,,,,,,, तुम दोनों की पावर्स भी हम पता लगा ही लेंगे।“

कारलोस की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए और उस सूनी रात में उन चारों ने वापस पास के अपने होटल में जाने का फैसला किया ताकि किसी को उन पर शक न हो। उधर उन आदिवासी लोगों की पूजा अब भी जारी थी, उसी बीच वो चारों दोस्त वापस अपने होटल में पहुंच कर सो गए। आज रात जो हुआ उससे आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा ये तो वक्त ही बताएगा, क्योंकि ये शक्तियां किसी भगवान की देन तो मालूम नहीं पड़ती। अगले दिन बिना किसी दिक्कत के ये चारों दोस्त वापस अपने शहर आ गए और उस गांव के लोगों ने अपने कुछ साथियों के लापता होने की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी।

कुछ दिनों बाद टी. वी. पर एक न्यूज छा गई, जिसने हर न्यूज़ चैनल पर अपनी पकड़ बना ली। लोगों के लिए यह न्यूज़ कुछ खास नहीं थी पर कुछ बड़े अधिकारियों और कुछ लोगों के लिए यह रहस्य से भरी हुई थी

“ महान पुरातात्विक डॉ रूसेव जैस की हुई दर्दनाक मौत, घर में लगी आग में उनकी रिसर्च हुई ख़ाक, हत्यारे ने किये शरीर के कई टुकड़े।“ और इस न्यूज़ ने कुछ लोगों की जिंदगी में तहलका मचा दिया।
very nice update bhai
 

ashish_1982_in

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5 साल बाद



हो हल्ले के शोर से उस ऊंची इमारत का पार्किंग लॉट गूँज रहा था, पर क्योंकि वो इमारत समुद्र तट के काफी पास थी तो वहां पर उस शोर से परेशान होने वाला कोई भी नहीं था। उधर समुद्र अपनी करवट बदल रहा था और यहाँ पर लोगों का मनोरंजन हो रहा था, पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के पास काफ़ी सारे लोग जमा थे जिनके मुंह से खुशी भरी किलकारियां निकल रही थी, कुछ तो इस कदर पागलपन में थे कि अंधाधुन किसी व्यक्ति पर बोलियां लगा रहे थे। उस भीड़ से थोड़ी सी ही दूरी पर 1 पीली लैम्बोर्गिनी खड़ी हुई यही जिस पर एक लड़की रेशमी से वस्त्र पहने हुए बैठी हुई थी और उसी के बाजू में एक फ़रारी के ऊपर 2 विदेशी लोग बैठे हुए थे, सिल्वर से सूट और टाई के साथ, गोल चेहरे पर काला चश्मा और देखने में बिल्कुल ही दबंग।

तभी किसी ने माइक पर तीन बार “टक-टक” किया और सभी अचानक शांत हो गए।

“लेडीज एंड जेंटलमैन, आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है “रूबी फार्मसूइटिकल” की इस इंटरनेशनल बाउंटी एरीना में। यहाँ पर आज “रूबी फार्मसूइटिकल” और “अयामा मेडिकल फार्मा” के बीच एक मुकाबला होने जा रहा है जहाँ पर यह फैसला होगा की कौन वह कंपनी होगी जो अफ्रीकन मेडिसिन्स का 66 बिलियन का पैकेज खरीदेगी। बहुत ही जोशीली आवाज़ में इस पीली ड्रेस वाली लड़की ने कमेंट्री की “ मै हूँ जिया पटेल और अब मैं बुलाना चाहूंगी उन कंपनी रिप्रेजेन्टेटिव फाइटर्स को जो दोनों कंपनियों की तरफ से यह जबरदस्त मुकाबला करने वाले हैं।

तालियों ओर सीटियों की आवाज़ ने लोगो के उत्साह को जता दिया और एक बार फिर सभी फाइटर्स की एंट्री के लिए तैयार हो गए;

“ फाइटिंग की दुनिया में बहुत ही कम समय में इस फाइटर ने काफी नाम कमाया है, जुडो जैसे डिफेंसिव स्टाइल को इसने ओफ्फेन्सीव क़रार दे दिया है। अपने ओप्पोनेंट को बिजली की रफ्तार से जमीन की धूल चटा देने वाले इस फाइटर को आज तक कोई नहीं हरा पाया है; एरीना में कदम रख रहे हैं 6फुट 5इंच और 101 किलों. के “बोजुई कामोये” दी “हेल थ्रोअर.

बाईं तरफ की गाड़ियों की कतार को पार कर बोजुई आगे बढ़ रहा था। उसने जुडो की किट की जगह एक बनियान और फूला हुआ सिल्वर पेंट पहन रखा था। उसके बड़े मांसल हाँथ किसी मेंटिस की तरह आगे की तरफ झुके हुए थे, आंखों में गंभीर भाव और चेहरे पर नाम मात्र की मुस्कान थी, नीचे की तरफ लटके हुए काले बाल और युवापन से भरपूर चेहरा। वह बड़े ही आराम से आगे बढ़ता हुआ आगे आ रहा था और उसके आते ही एरीना में लोगों की चिल्लपों तेज़ हो गई

“ येsssss.. बोजुई तुम ही जीतोगे!”

“ छोड़ना मत ‘उसे’ बोजुई, मेरे पैसे दांव पर लगे है।“

और कुछ तो जैपनीज़ में ही आवाजें लगा रहे थे, पर अभी तो खुद बोजुई भी ये नहीं जानता थे कि वो है कौन जिससे आज उसका मुकाबला होने वाला है। और एक बार फिर जिया के हाँथ माइक को देख कर सभी शांत हो गए, बोजुई भी अपनी धौंस जमा किसी चट्टान की तरह वह पर खड़ा हो गया

“ और अब बारी है हमारे अगले प्रतिद्वंदी की”। जिया की बात सुनकर सभी का ध्यान दांई तरफ आ गया जहाँ से “वो” आने वाला था। “फाइटिंग की दुनिया में इस ‘लोन वुल्फ’ ने पिछले साल ही एंट्री मारी और देखते ही देखते इस खेल के सारे उपलब्ध फाइटर्स को हरा कर यह साबित कर दिया कि भारत में भी अंडरवर्ल्ड लेवल के फाइटर होते है। उसे आज तक कोई हरा नहीं पाया और उसकी पहचान भी कम है और यह उसकी पहली इंटरनेशनल फाइट होने वाली है। एरीना में कदम रख रहे है 5फुट 10इंच, 90 किलो. के ‘सृजल यादव’ दीsssssss “डोमिनेटर” .

दाईं तरफ की कतार से रूबरू होते हुए उसने एंटर किया, उसका शरीर जैसे बनावट से भरा हुआ था न ज्यादा भारी न ही ज्यादा पतला था, नीचे उसने एक लाल रंग का शॉर्ट पहना हुआ था और ऊपर कुछ नहीं। एक हाँथ में पानी की प्लास्टिक की बोतल लिए वो चला आ रहा था, पर उसकी चाल ढाल कुछ ठीक नहीं लग रही थी, उसका ब्राउन रंग का शरीर यूं ही काफी आकर्षक था पर इस समय निकल रही उसके शरीर की भाप उसे और ज्यादा आकर्षक बना रही थी। लोगों में उसके आते ही जैसे रोमांच सा छा गया। सृजल का नाम पूरे माहौल में एक बार के लिए गूंज गया।

अब सृजल बोजुई के सामने था, एक ओर बोजुई इस फाइट को लेकर काफी उत्सुक था वहीं सृजल के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। इसके अलावा सभी ने एक बात और ध्यान में रखी थी कि सृजल के शरीर से अभी भाप निकलना बंद नही हुई थी। अभी दोनों फाइटर आमने सामने ही थे कि पीछे से एक सांवला से लड़का जिसने जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी, वो जल्दी से उन गाड़ियों के पास गया जहाँ पर रूबी बैठी हुई थी और उसके कान में जाकर कुछ कहा जिससे वो तुरंत नीचे उतरी और थोड़े किनारे पर जाकर कहने लगी

“ये क्या कह रहे हो आनंद, तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना?”

“सच कह रहा हूँ,” उसने कसम खाने की मुद्रा में अपने गले को पकड़ा “ सृजल को तेज बुखार है, मैं ने उसे लड़ने को मना किया पर वो है कि मानता ही नहीं, इसलिए तुम्हे बताना ठीक समझा”।

“चलो हमें जल्दी से मैच रोकना होगा”।

वे दोनों जल्दी से जिया के पास पहुँचे पर उनके कुछ कहने से पहले ही रूबी की नजरें सृजल से जा मिलीं जिनने इशारों से रूबी को ऐंसा करने को मना कर दिया। अब रूबी को समझ नहीं आ रहा था की क्या करे पर आखिरकार अपने दांतों को पीसते हुए वो वापस जाकर उन जापानी हस्तियों के साथ बैठ गयी।

“पागल कहीं का”। रूबी ने झुंझलाहट में धीमे से कहा

आनंद समझ गया कि अब सृजल को कोई नहीं समझा सकता, तो उसने भी सिर्फ भगवान से प्रार्थना की औऱ मैच की ओर ध्यान दिया।

“फाइटर्स, टेक योर स्टेन्स” जिया ने एक हाँथ ऊपर कर कहा और बोजुई ने एक पहलवान (रेसलर) की तरह थोड़ा झुकते हुए अपना खुद का जुडो स्टेन्स लिया। सृजल ने किसी एम एम एफाइटर की तरह ऑर्थोडॉक्स (ऑर्थोडॉक्स) स्टेन्स लिया।

“ रेडी?....... नाउ फाइट!”

जैसे सृजल इतनी जल्दी प्रतिक्रिया कर ही नहीं पाया और बिजली की फुर्ती कर साथ बोजुई के मांसल हांथो ने सृजल को कंधे से पकड़ कर सीधा जमीन पर हवा में लेकर पटक दिया। ‘पट्ट’ की आवाज के साथ सृजल कि पीठ जमीन पर पटकाई और ऐंसा लगा जैसे मांस के पटकने की आवाज आई हो। सृजल के चेहरे पर दर्द था पर जैसे उसकी आवाज दर्द से बंद हो गयी। ऐंसा लग रहा था मानो अब सृजल बस बेहोश होने वाला है, बोजुई ने अपना हाँथ किसी हथोड़े की तरह ऊपर उठाया और जोर से सृजल की तरफ दे मारा..............

“ धाड़sssssssss............” जोर की आवाज के साथ बोजुई का हाथ जमीन से टकरा गया।

सृजल उठ कर सामने खड़ा हो गए था पर बोजुई को अब भी इस बात का आश्चर्य था कि सृजल उसके नीचे से कैसे निकल गया? और सृजल के प्रोत्साहकों ने उसका नाम पूरे एरीना में सुना दिया। सृजल की पीठ की चमड़ी कुछ फट सी गयी थी जिस कारण वहां से खून बह रहा था..

“ उस बोजुई ने पिछले वार के समय गलती कर दी। उसे सृजल के ऊपर से बिल्कुल भी नहीं हटना चाहिए था, वह थोड़ा सा हटा और सृजल अपनी कोहनियों और एड़ी के बल फट्ट से सरक कर बाहर आ गया।“ बांधव अपने पास खड़े एक अजीब से लंबे लिबाज़ वाले व्यक्ति से बोला

“ वो घायल है, एक ओर बार पटक गया तो समझो फिर नहीं उठ पाएगा।“

“ यही तो वक्त है उसके कमाल दिखाने का” आनंद बहुत भरोसे के साथ बोला

सृजल अभी भी ऐंसे खड़ा हुआ था जैसे उसके शरीर मे शक्ति ही न बची हो। पर बोजुई जल्दी से खड़ा हुआ और फिर से वहीं पहले वाला स्टेन्स ले लिया।बोजुई ने एक बार फिर पहले जैसा स्टेन्स ले लिया है, पर इस बार उसकी आँखों में आग भड़की हुई है। क्या सृजल उस आग को बुझा पाएगा?” जिया ने सभी का ध्यान वापस फाइट में लगा दिया।

अचानक से बोजुई पहले से भी तेज रफ्तार से सृजल की ओर लपक!

“ अरे नहीं ये पहले जैसा अटैक नही हैं, सृजल! बचके!” आनंद के शब्द भीड़ की आवाज में गुम हो गए और सृजल बोजुई कि बाजुओं में आ गया........

“ ताड़sssssssssss....” पर सृजल ने अपने दाहिने घुटने का जोरदार प्रहार उसके जबड़े में दे मारा, बोजुई अपने होश खो बैठा।

सृजल ने अपनी हालात को देख कर कोई फालतू का हथकंडा नहीं अपनाया और अपने आखिरी अटैक्स कर दिए। अपने होश खोने के बाद बोजुई जमीन पर गिरने वाला था पर सृजल ने उसका बायां हाथ पकड़ कर उसे एक चक्कर लगवा कर उसका मोमेंटम बरकरार रखा और फिर थोड़ा उछाल कर अपनी कोहनी के बल उसकी गर्दन के पिछले हिस्से पर वार करते हुए जमीन पर दे मारा। सृजल ने सिर्फ टाइमिंग मिलाई, टेकनीक लगाई और बाकी का काम गुरुत्वाकर्षण ने कर दिया। सृजल अपना आखिरी हमला करने के लिए उठ कर उसके सर पर लात जड़ने ही वाला था कि........... बोजुई को बेहोश देख वो रुक गया।

अक्सर फाइट के एन्ड में तालियों की गड़गड़ाहट और शोर-शराबे से माहौल गूंज जाता था पर आज सभी के मुँह खुले और आवाज बंद थी।

और कारण?...... वो मैं अभी बात देता हूं। दरअसल बोजुई का आखिरी हमला सृजल को टक्कर मरते हुए उसे हिप से उठा कर उसका सर जमीन पर पटकने का था, जिससे सृजल कुछ समय के लिए निढाल हो जाता और बोजुई अपना अगला दांव खेलता, बांधव ने ये देख लिया था ...... और सृजल ने भी। इसलिए सृजल अपनी जगह से हिला नहीं और जैसे ही बोजुई ने सृजल को पकड़ा और टक्कर मारने ही वाला था कि सृजल ने अपना घुटना बोजुई के जबड़े में पेल दिया और घूमते हुए उसकी गर्दन पर प्रहार कर दिया जिससे क्या हुआ.............................

पर सभी हैरान इसलिए थे कि सृजल ने आज तक इस तरह की मूव्स का यूज़ नहीं किया था और बोजुई के चाहने वालो के चेहरे इसलिए लटक गई क्योंकि बोजुई जो आज तक अपने दुगने वेट वाले फाइटर्स से नहीं हर था, आज किसी और देश में ज़मीन पर पड़ा हुआ था।

ऐंसा हाल देख कर रूबी के मुंह से सिगरेट जो अभी आधी भी नहीं जाली थी वो अपने आप नीचे गिर गयी, मिस्टर अयामा की आँखे तो चमगादड़ की तरह खुली पड़ी थी क्योंकि उन्हें तो अपनी जीत का पूरा भरोसा था। जैसे अभी अभी बिजली के झटके से उबरे हों, पूरा एरीना शोर में डूब गया, हर तरफ बस सृजल का नाम था और अब तो विदेशी लोग भी उसके लिए ही तालियां बजा रहे थें। मिस्टर अयामा के चेहरे पर भी अजीब सी खुशी थी।

“ एंड दा विनर इज, सृजल यादव दी डोमिनेटरsssssss!”
nice update bhai
 
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