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Fantasy The 13th fantasy adventure magic

ashish_1982_in

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The 13th अध्याय 11




रूम नं.500, व्हाइट पैराडाइस मोटेल.... ब्रूल्किन हाइट्स

NY.

ये वहीं कमरा था जहां पर पिछली बार मिस्टर जोस के साथ CIA के मेंबर्स की मीटिंग हुई थी,उस सीक्रेट मिशन को लेकर जिस पर एलेनोरा और उसकी टीम काम कर रही है। आज इस कमरे में सिर्फ मिस्टर जोस,इथन, जुलिया और जैक खड़े हुए थे। सभी के चेहरे कुछ परेशान से थे और साथ ही कुछ उत्सुक भी पर सबसे ज्यादा जो भाव था वो पेचीदा से था जिसका वर्णन करना काफी कठिन था। उस कमरे में एक और आदमी था जो कि सामने कुर्सी पर बिठाया गया था........वो शाइन ट्रस्ट से था.......और.....इस समय उस से पूछताछ चल रही थी

“देखो, तुमने जो कुछ भी देखा...वो हमें बता दो। हम वादा करते है कि तुम्हे सही सलामत छोड़ देंगे...किसी भी तरह की कोई भी परेशानी तुम्हें नहीं होगी” मिस्टर जोस ने उस 30-32 साल के युवक से पूछा

वो इस वक्त काफी हड़बड़ाया हुआ सा लग रहा था, जैसे अगर उसने कुछ भी बोल तो अभी एक गोली उसका भेज फाड़ कर निकाल जाएगी। वो रेड टी-शर्ट और एक ब्लैक पेंट पहना हुआ था,उसकी कुर्सी के पीछे एक काला कोट टंगा हुआ था जिस पर उसके नाम की नाम प्लेट लगी हुई थी जिस पर साफ दिख रहा था ‘अहमद खान, सर्विलेंस सिक्योरिटी मेंबर’!

“एक बार तुम कोशिश करो इथन” मिस्टर जोस की बात सुनते ही उसने हां में सर हिलाया और अहमद के सामने खड़ा हो गया।

“मिस्टर.......(उसके कोट पर लगा टेम्पलेट देखते हुए) अहमद। हम जानते है कि तुमने ‘वहां पर क्या हुआ’ यह देखा और अब हमें तुम्हारी मदद चाहिए उन के बारे में पता करने के लिए जिन्होंने ये काम किया है.....प्लीज! हमे बताओ कि वहां पर क्या हुआ?...............” इथन ने बहुत ही आराम से उससे पूछा, जिस इथन की आवाज पहले से ही भारी थी उस ने अपनी आवाज को शांत रखते हुए बात की जबकि उसे कितना गुस्सा आ रहा था..यह बात तो उसके फड़कते हुए गाल से ही पता चल रहा था। पर अभी भी उसने कोई जवाब नहीं दिया, इस लग रहा था कि वो किसी सोच में डूबा हुआ है। कुछ पल के लिए कमरे में घड़ी की टिक-टिक भी सुनाई दी.....इथन उससे दूर होकर सभी के साथ खड़ा हो गया। अचानक से मिस्टर जोस पालते और अहमद की कुर्सी को जोर से पकड़ कर खंगाला, वो अपनी सोच से टूट कर मिस्टर जोस को देखने लगा। मिस्टर जोस ने उसकी आँखों में आंखे डालकर कहा

“मेरे 2 ऑफिसर्स उन लोगों की वजह से अभी बेहोश मेडिकल वार्ड में पड़े हुए है, तुम्हारे शाइन ट्रस्ट के लोग बुरी तरह सदमे में है और तुम हो कि कुछ भी कहने से कतरा रहे हो! आआख़िर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? बताते क्यों नहीं कि हुआ क्या वहां पर...बताओ!”

“क्या आप लोग मेरी बात पर यकीन करेंगे?...........अगर आप को मेरी बातों पर यकीन नहीं हुआ तो आप तो मुझे ही इस सब में फंसा कर बदनाम कर देंगे..और फिर मैं कहीं का नहीं रहूँगा” जब मिस्टर जोस ने गुस्से में चीखते हुए उस से कहा तब जाकर उसके अंदर से शब्द निकले

“देखों प्लीज हमें बताओ की आखिर वहां हुआ क्या? मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा....... मेरे ऑफिसर्स की मेहनत जाया नहीं जाना चाहिए!” मिस्टर जोस ने उसे आश्वासन देते हुए कहा तब कहीं जाकर उसमे कुछ बुद्धि आयी और अब वो सब कुछ बताने के लिए तैयार हुआ। मिस्टर जोस और बाकी सभी ने भी उस लंबी टेबल के पास से वो कुर्सियां उठा लीं और उसका बयान सुनने के लिए बैठ गए। सिर्फ जैक ही था जो कि उस टेबल पर ही पैर लटका कर बैठा

“आज सुबह तक सब कुछ ठीक था, मैं बढ़िया आराम से अपनी कॉफी पिता हुआ एक हाथ में अपना कोट लटकाए हुए जाकर सर्विलेंस रूम में बैठ गया। सभी की तैयारियां चल रहेगीं थी कि सिक्योरिटी को ठीक रखना है ताकि कोई भी यहाँ पर घुस कर चोरी करने की कोशिश न करे। हमें मिस्टर एडम ने बताया था कि ‘इस’ के पीछे काफी सारे लोग पड़े हुए है तो में अपनी कॉफी पी...!”

“ये अपनी दिनचर्या बताना बंद कर और सीधे मुद्दे पर आ!” इथन ने गुर्राते हुए कहा जिससे थोड़ा सहम कर वो अपनी दिनचर्या से हट गया

“हाँ, व..आ..वहीं तो मैं.... बता रहा था” अहमद हिचकिचाते हुए बोला “दोपहर का 1 बज चुके था और अगले आधे घंटे बाद मेरी ड्यूटी खत्म होने वाली थी। मैं अपनी कुर्सी से उठने ही वाला था कि तभी बाहर के गेट वाले कैमरे में दिखा की कोई कार अंदर आ रही है तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी..”

“एक मिनिट! कोई कार अंदर आ रही थी तो तुम्हें गड़बड़ क्यों लगी?” जुलिया ने तपाक से पूछा, यही बात इथन भी पूछने वाला था जो कि उसके होंठों तक ही आते-आते रह गयी।..वैसे सवाल सही था, किसी कार का अंदर आना गड़बड़ कैसे लग सकता है?

“वो...वो इसलिये कि जब भी गेट से कोई भी अंदर आता था तो बाहर के गार्ड उनका पूरा इतिहास हमें सुना देते थे पर आज इस कुछ नहीं हुआ! उन्होंने कार को अंदर आने दिया पर हमें कोई सूचना नहीं दी”

अहमद का तर्क सुनकर सभी ने उस पर भरोसा कर लिया और सर हिलाकर यह दिखाया कि उन्हें उसकी बात सही लग रही है

“अब क्योंकि उस समय मेरे अलावा रूम में कोई भी नहीं था तो मैंने जल्दी से नीचे गार्ड्स को रेडियो के द्वारा संदेश देना चाहा पर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। कुछ ही देर बाद मैंने देखा कि उस कार में से कुछ 4 लोग उतरे, अभी के चेहरे पर चांदी सा मुखोटा था, काली जैकेट-काले कपड़े पहने हुए वे सभी बड़ी ही आसानी से अंदर आ गए! न किसी गार्ड ने रोका ना ही कोई और न ही किसी ने एक भी आवाज की। वो लोग कुछ ज्यादा जल्दी में नहीं थे..आराम से ऊपर जा रहे थे तिजोरी की तरफ!

उधर बाहर के हेड गार्ड ने बाहर से चालू होने वाले सारे सिक्योरिटी सिस्टम बंद कर दिए,फिर बेहोशी के डॉट वाली एक गन लेकर सभी पर चला दी और तब भी किसी ने कुछ भी नहीं किया, बाहर सभी को बेहोश करके वो अंदर की तरफ आने लगा और गार्ड्स को बेहोश करने लगा। अंदर भी पुलिस के कुछ लोग थे, जो अभी भी अपनी जगह पर थे, कुछ खड़े तो कुछ बैठे हुए थे, तब मैं यह नहीं जानता था कि ये सब आपके साथ है। वो 4रों तिजोरी के पास पहुँचने ही वाले थे कि मैंने देखा एक खराब सी दिखने वाली गाड़ी बहुत ही फुर्ती से अंदर आ गयी औऱ आकर सीधे अंदर मुख्य इमारत के सामने रुकी उसमे से मिस एलेनोरा निकली और अंदर की तरफ दौड़ गयी पर सामने से वहीं गार्ड आ राह था जिसके हाथ में बेहोश करने वाली गन थी...पर मिस एलेनोरा नहीं रुकी और जमकर उसके घुटने में लत मारी जिससे वो नीचे हो गया और फिर उसके हाथ में से गन छुड़ा कर गन का पिछला सिरा खींच के दे मारा, वो गार्ड होश खो बैठा। वो भागते हुए अंदर आईं, जहां पर उनके साथी भी सिर्फ बैठे हुए थे। फिर उनकी नजर जैसे ही उपर गयी ‘ढिचक्यू!’” अहमद के गोली की आवाज की इस नकल पर सभी अचानक से चौक पड़े क्यों की सभी बहुत ध्यान से उसकी बातों को सुन रहे थे। इथन तो चिढ़ भी गया पर मिस्टर जोस ने उसे आँखों से इशारा कर शांत रहने के लिए कहा

“फिर क्या हुआ?” मिस्टर जोस ने उसे उत्सुकता दिखाते हुए पूछा जिससे वो मंद-मंद मुस्कुराया

“मिस एलेनोरा ने उनकी तरफ गोली चलाई पर सीढ़ियों की रेलिंग के कारण वो बच गए पर इससे पहले की मैडम गोली चलाती ये वाले सर ने उन पर हमला कर दिया, उन्हें धक्का देकर गिरा दिया!” अहमद का इशारा इथन की तरफ था जिसे देख कर इथन थोड़ा परेशान हो गया। वो अब भी अपने सर के पीछे सहला रहा था

“आगे बताओ, फिर क्या हुआ?” मिस्टर जोस ने इस बार थोड़ा सा जोर देकर पूछा, अब सभी का पूरा ध्यान अहमद की अगली बातों पर था

“ उसके बाद मैडम जल्दी से उठी और तब तक उस जगह का हर गार्ड, पुलिस अफसर, सभी उठ कर खड़े हो गए और अब उनके निशाने पर मैडम थी। वो सब लगभग 50 के करीब थे और मेडम अकेली पर मैडम बिना डरे उन सब पर टूट पड़ी, पहले उन ने ये सर को बेहोश किया अपने हाथ में पकड़े चाकू के बूते से फिर एक एक करके सभी का वार बचाते हुए वे किसिस को उठा कर फेंकती तो किसी के खुपण्डे में जड़ देती पर वो जगह छोटी थी और वो लोग बहुत सारे, जिनका मुकाबला अब थोड़ा सा मुश्किल हो गया था क्योंकि शायद मैडम पहले से ही कुछ चोटिल थी। पर या अल्लाह! शुक्र हो वो भाई जान(मतलब रोबर्ट) का जो वो बाहर से अचानक आये, उनके हाथ में बेहोश करने वाली डॉट गन थी जिससे उन्होंने सभी को बेहोश करना शुरू कर दिया और अब मैडम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ती हुई ऊपर जाने लगी”

अहमद बोलते हुए रुका और टेबल पर रख हुआ पानी गटकने लगा। शायद वो भी इस कहानी को सुनाने में काफी दिलचस्पी रखता था

“क्या मैं कुछ देर सांस ले लूं....हफ्....हफ्....... थोड़ा आराम मिल जाएगा” अहमद ने कुछ हफ्ते के कहा जिस पर मिस्टर जोस ने सहमति जता दी। बाकी सभी ने भी कुछ पल चैन की सांस ली और अपने आप को कुछ पल का सुकून दिया।

“अहमद की बातों से इस लगता है कि हमारा एक शक तो सही निकला, वो चोर पक्के में दूसरों को को नियंत्रण में लेने की शक्ति रखता है। अब देखना यही है कि आगे क्या हुआ?.......क्या तुम दोनों को कुछ याद आया?” जैक की बातों में न सिर्फ अहमद की बातों से साबित हुआ तर्क था बल्कि उसने जुलिया और इथन से सवाल भी कर लिया। जिस पर दोनों का साफ जवाब मिला
पता नहीं क्यों पर वहां पहुंचने के बाद का ये घटना क्रम बिल्कुल भी याद नहीं है....थोड़ा सा भी नहीं” जुलिया ने जवाब दिया

“मुझे भी” इथन ने जवाब तो दे दिया पर उसके चेहरे पर जो कुछ भी हुआ उससे काफी परेशानी दिख रही थी

“चलो अब आगे बताना शुरू करो, समय कम है” मिस्टर जोस ने अब ठीक से सांस ले रहे अहमद से कहा और इतना सुनते ही सभी का ध्यान वापस अहमद की ओर आ गया। एक बार फिर ये अनसुनी सी कहानी फिर से चलने वाली थी

“वो भाई जान के आते ही मैडम ऊपर की ओर जाने लगी जहां पर वो चारों तिजोरी के सामने खड़े हुए थे और वे आपस में कुछ बात कर रहे थे पर cctv में उनकी आवाज नहीं थी इसलिए मैंने कुछ नहीं सुना....... फिर मैडम को आता है देख उनमे कुछ खुसर-फुसर हुई जिस पर उनमें से एक थोड़ा सा भड़का हुआ था वो अचानक से मैडम के सामने खड़ा हुआ और.....और.....अऊ....और आप यकीन नहीं करोगे उसने अपने हाथ से आग का एक गोला मैडम की ओर फेंक दिया, टेनिस गेंद के आकार का! पर मैडम जल्दी से नीचे झुकी और अपने दोनों हाथों के बल पर उस आग वाले के पेट में एक लात दे मारी जिससे वो पीछे हो गया पर गिरा नहीं”

अहमद के मुँह से आग फेंकने वाले आदमी के बारे में सुनकर सभी के मन में कुछ सवाल जाग गए और जिज्ञासा के साथ ही थोड़ी सी घबराहट भी जो कि उनके चेहरे के हावभाव और फटी सी आंखों से साफ झलक रहा था पर किसी ने अहमद को बीच में टोंक नही लगाई

“वो आदमी अब थोड़ा ज्यादा गुस्से में लग रहा था उसने पहले से बड़ा आग का गोला मैडम की तरफ फेंका पर इस बार उसी के एक साथी ने अपना हाथ बीच में अड़ा कर आग को रोक दिया...उसका हाथ किसी ढाल की तरह खुल गया था..जिसमें से उसका मास और हड्डियों की बनावट अजीब सी लग रही थी..जैसे...जैसे इंसानी न हो। जिसने आग रोकी थी उसने अपने एक औऱ साथी से कुछ कहा पर इतने में मैडम ने गोलियां चला दीं पर उसने वापस से अपना हाथ दूसरा हाथ आगे करके एक और ढाल बना कर गोलियां रोक दी फिर अचानक से उसने अपने हाथ से एक बड़ी सी तलवार बनाई और तिजोरी से बाहर के हिस्से के 2 टुकड़े कर दिए। मैडम एलेनोरा उसे देखती ही रह गयी इतने में उनमें से आखिरी वाला व्यक्ति भी जैसे अपने काम पर लग गया। वो तीनों तो अंदर चले गए पर आखिरी वाल;आ सामने ही खड़ा था, मैडम की गन की सारी गोलियां खत्म हो गई थी इसलिए वे गन को फेंक कर आगे बढ़ी पर वो जो सामने खड़ा था अचानक से एक बाघ में बदल गया जो ब्लैक एंड व्हाइट कलर का था। मैडम थोड़ा हड़बड़ा गयी पर हीर भी उन्होंने अपनी जेब से चाक़ू निकल कर लड़ने का फैसला लिया पर वो बाघ कोई साधारण जानवर नहीं था उसने बड़ी ही तेज़ी से मैडम को उछल कर दीवार पर के मारा और वापस इंसानी रूप में आ गया। इतनी ही देर में वो तीनो भी तिजोरी से बाहर आगए, उनके हाथ में वो ही काला बॉक्स था जिसमें एमेराल्ड को सुरक्षित रख गया था। जिसके हाथ में वो बॉक्स था वो काफी खुश लग रहा था, बार-बार उस बॉक्स को चूमने की कोशिश करता और उसे थोड़ा उछाल कर खेल रहा था। मैडम अभी भी देवर से जमीन पर नीचे टिकी हुई थी, उनके मुंह से टपकता हुआ खून अब सूखने लगा था। वो जिसका हाथ तलवार सा बना हुआ था उसने सभी से कुछ बात की पर इतने में मैडम उठ गई उन्होंनेअपना चाकू उठा कर उनकी ओर फेंका पर उस तलवार वाले ने तुरंत ही अपने हाथ की तलवार बदल कर उसे ढाल बना लिया और चाकू रुक गया.........पर इतनी ही देर में मैडम उठ कर खड़ी हो गयी और भागते हुए उनकी ओर आयी, जैसे ही ढाल हटी उनकी तड़फड़ाती लात सीधे उसे ढाल वाले के सीने में पड़ी जिससे वो और जिसके हाथ में बॉक्स था वो दोनों कुछ दूरी तक घिसट गए। पर इससे पहले की मैडम कोई और हमला करती उस आग वाले ने अपने गर्म जलते हाथ से मैडम का कंधा पकड़ लिया, जिसके साथ वो दूसरा आदमी गोरिल्ला जैसा हाथ बना कर मैडम को इतनी तेज मारा की मैडम फ्लोर पर टप्पा खा कर घिसटते हुए देवर से जा टिकी और फिर वो भाई जान भी दौड़ते हुए ऊपर आये और मैडम के पास आकर उन चारों पर गोली चलाने ही वाले थे कि उस आग वाले ने एक छोटा सा आग का गोला फेंका........ जो बीच में ही फट गया और मैडम और भाई जाएं दोनों ही सीढ़ियों से नीचे गिर गए.........वो चारों फिर बिल्डिंग के कांच तोड़ कर दूसरी तरफ भाग गए........बस सर इतना ही देखा था”

अहमद ने अपनी बात खत्म की पर इतना सब सुनने के बाद CIA के पूरे ग्रुप के पास बहुत सारे सवाल थे जिनकी झड़ी लगा गयी
हमने तो वहां के कैमरे चेक किये थे, पूरा डेटा तो खाली था। तो फिर तूने ये सब कहाँ देखा?” पहला सवाल ही इथन ने पूछा

“उनमें से एक लोगों को कंट्रोल कर सकता है,पर तुम पर उसका असर नहीं हुआ कैसे?” जैक ने अभी भी टेबल पर बैठे हुए कुछ सोचते हुए सवाल किया

“क्या तुम अब भी उसके कंट्रोल में हो और हमें गलत जानकारी दे रहे हो......कहीं तुम ही तो वो नहीं जिसने ये सब करवाया हो और यहां पर सब नाटक कर रहे हो!” मिस्टर जोस की बात सुनकर सभी तुरंत ही सतर्क हो गए, इथन ने तो अपनी गन भी निकाल ली। अहमद ये सब देख कर बहुत घबरा गया, उसके पसीने छूट गए......उसकी ऐसी सी हालात हो गयी जैसे शेरों के बीच में मेमना।

“अरे...अरे..अरे..अरे सर्! ये आप क्या कह रहे है, मैंने इस कुछ किया होता तो में पागल थोड़े ही हूँ जो यहाँ आ जाता।दे..दे..देखिए सर में आपको पूरी बात बताता हूँ पर आप ऐसे शक न करे” अहमद किसी तरह खुद को थोड़ा संभालते हुए बोला “दरअसल जब ये सब हो रहा था तब मैं सर्विलेंस रूम में ही था और सारे कैमरे चालू थे। जब ये सब शुरू हुआ तब ही मैं बाहर निकलना चाहता था पर मेरे सीनियर की आदत थी कि वो जब भी बाहर जाते थे दरवाजा लॉक कर देते थे इसीलिए मैं वहां फंस गया था।..और रही बात डेटा गायब होने की तो उन चारों के जाने के बाद मेरे सीनियर रूम में आये तो में चुप गया...किसी भूत की तरह सारा चेहरा सफेद से था और उन्होंने सारे कैमरों को रिसेट कर दिया जिससे पूरा डेटा उड़ गया...पर में तभी बाहर निकल जब सभी अपने होश में आ गए थे” अहमद ने एक ही सांस में अपनी बात कह डाली थी जिससे उसकी सांस फूल गयी थी, वो तेज सांसे ले रहा था पर..............अब भी सभी उसे ऐंसे देख रहे थे जैसे उन्हें उस पर भरोसा नहीं हो!

“सर! मैं... मैं सच कह रहा हूँ मेरा यकीन कीजिये, यहीं सब हुआ था ना माने तो आप मैडम और भाई जान से पूछ लीजिएगा, वो आपको सब बता देंगे” अहमद ने उन्हें भरोसा दिलाने की कोशिश की

“चिंता मत करो, हमे तुम पर भरोसा है” मिस्टर जोस ने उसके पास जाकर पीछे खड़े होते हुए कहा

“क्या..क्या अब में अपने घर जा सकता हूँ? मेरी बीबी मेरा इन्तेजार कर रही होगी”

“हाँ जरूर चले जाना पर पहले हम जरा तुम्हारी ये याद तो मिटा दें!” मिस्टर जोस ने अपनी जेब में हाथ डालते हुए कहा

“ये..ये आsssss प..क्या कह र...!” अहमद अपनी बात पूरी ही नहीं कर पाया और मिस्टर जोस ने अपने जेब में से चश्मे के बॉक्स जैसा बॉक्स खोल कर उसमें से एक इनजेक्शन निकाल कर अहमद की गर्दन में लगा दिया, जिससे उसके ऊपर बेहोशी सी छाने लगी,सब कुछ धुंधला से हो गया। बाकी किसी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहींदी जैसे ये CIA की कोई परंपरा रही हो

“मेरी तरफ देखो अहमद! चिंता मत करो तुम्हे कुछ नहीं होगा” मिस्टर जोस ने उसके सामने आकर कहा “तुम आज भी रोज की तरह अपने काम पर गए थे जहां एक शार्ट सर्किट के कारण धमाका हो गया था जिसके बाद सभी को वहां से छुट्टी दे दी गयी थी.....जब तुम सो कर उठोगे तो यहीं सब याद रहेगा... ओके! गुड नाईट ”

मिस्टर जोस के लगाए हुए इंजेक्शन से वो कुछ ही पलों में बेहोश हो गया,उन्होंने किसी को कॉल किया और इतने में ही बाहर से 2 बॉडीगार्ड जैसे ऑफिसर्स आये जिनसे मिस्टर जोस ने अहमद को घर छोड़ने के लिए कहा। अब यह अहमद तो चल गया पर अभी भी सभी लोग काफी परेशानी में लग रहे थे। अगर अहमद ने जो कुछ भी कहा वो एक दम सही है तो ......ये केस अब और भी ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है।

“क्या वो इंजेक्शन......!” जैक ने यूं ही पूछने की कोशिश की

“ ANTI-IGF,(original-IGF 2) काफी समय लगा था वैज्ञानिकों को इसे बनाने में...पर आज ये हमारे बहुत काम आ रहा है” मिस्टर जोस ने अपनी कुर्सी का मुँह सभी की तरफ किया और उस पर अपनी तशरीफ़ रखी। बाकी सभी भी उनके ही इशारे से अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गए पर जैक अब भी टेबल पर ही बैठा हुआ था। उसने अपने जीन्स के पीछे से अपना टेबलेट निकाला जो उसकी कमर में पीछे दबा हुआ थ

“इस केस में जोखिम और भी बढ़ता जा रहा है, अब किसी भी तरह का लापरवाह कदम उठाना हमें भारी पड़ सकता है...हमारे 2 काबिल ऑफिसर्स अब भी बिस्तर पर पड़े हुए है” मसीतेर जोस ने अफसोस के साथ अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख सर झुका कर कहा

“हमारे पास कोई चारा नहीं है सर! हमे जल्द से जल्द ये पता लगाना होगा कि इन शक्तियों वाले चोरों को पकड़ना कैसे है? पर कैसे.........?” जुलिया ने कुछ जल्दबाजी में यह कहा
जुलिया का कहना सही है सर, अगर वो लोग चोरी कर सकते है तो उससे भी कुछ बड़ा कर सकते है। और उनकी अजीबोग़रीब ताकत का अंदाजा हमें अहमद की बातों से मिल ही चुका है”

मिस्टर जोस के दोनों की बात सुनी उसके बाद अपना सर उठा कर वे वापस ठीक से कुर्सी पर बैठ गए

“मैं....जनता हूँ...की आज जो कुछ भी हुआ है......उससे हम सब कुछ हिल से गए है, हम ये बात न नकारें तो ही बेहतर होगा” मिस्टर जोस ने एक बार सभी को देखते हुए कहा, इथन और जुलिया तो नजरें मिलाने से बच रहे थे और जैक भी बिना किसी लीड के बैठा हुआ था “अब जो कुछ भी हुआ उस पर अफसोस करने से कोई फायदा नहीं है, अब यह सोचना है कि इस केस की गहराई तक कैसे पहुंचा

जाए..........कम’ऑन ssssssss अपने लटके हुए चेहरे उठाओ उर काम पर लग जाओ....... वरना अगली बार भी पिट के आ जाओगे” मिस्टर जोस ने सभी को उत्साहित करने की कोशिश की और हँसने की भी

“मेरे मन में एक सवाल है सर!” मिस्टर जोस उठ कर जाने ही वाले थे कि जैक ने अपना सवाल छोड़ दिया

“रोबर्ट तो इथन और जुलिया के साथ था तो फिर वो बाहर से कहाँ से आया? अहमद ने कहा था कि वो बाहर से डॉट गन उठा कर आया था..वो बाहर क्यों था?” जैक की बात सुनते ही सब शांत हो गए...वैसे तो पहले से शांत थे पर अब और भी ज्यादा हो गए थे। सभी कुछ सोच में डुबे हुए थे, ऐसे में कई गलत ख़यालात मन में न चाहते हुए भी आ रहे थे जिसके लिए कोई भी कसूरवार नहीं था। हालात ही कुछ ऐंसे थे कि चाह कर भी बिना किसी सबूत के कई सारी आशंकायें सही साबित होने की गलती कर सकती थी।

“क्यों न हम दिमाग पर ज्यादा जोर ना डालें और बस......रोबर्ट और एलेनोरा के होश में आने का इंतज़ार कर लेते है!” इथन ने अपने हाथ से अपनी आँखों को मलते हुए कहा “वैसे भी उनके अलावा हमारे पास कोई सबूत नहीं है। और किसी पर भी शक करना हमारी टीम की बेज्जती करना ही होगा.... तो थोड़ा रुक कर सांस ले लेते है” सामान्य हालातों में एथन ही वो पहले शख्स होता जो किसी पर शक करता पर अभी के घटनाक्रमों ने उसे हिला कर रख दिया था।सभी अपनी जगह पर ही थोड़ा रिलैक्स होकर बैठ गए, जैसे कोई बहुत बड़ी यात्रा के बीच में लिया गया विश्राम हो।

तभी मोटेल का डॉक्टर बहुत ही तेजी से दरवाजा पटकते हुए अंदर आया, उसके हाव भाव बहुत ही परेशान से थे और उन्हें देख कर सभी जल्दी से उठ गए। उनका सवाल इतना तेज नहीं था जितनी तेज डॉक्टर की बात निकली

“रोबर्ट को होश आया गया है! उसने उठते से ही आ सभी को याद किया...कुछ कहना चाहता है!” डॉक्टर हांफ रहा था पर अपनी बातों में उसने उन तेज सांसो को नहीं आने दिया......ताकि सूचना सुनने वालों तक पहुंच जाए।
Fantastic update bhai
 

ashish_1982_in

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The 13th अध्याय 12

आज तीनों घर पर ही थे, संडे (Sunday) का दिन था पर बारिश के कारण उन तीनों ने बाहर घूमने का प्लान कैंसिल(Cancel) कर दिया था। वैसे अपने बिस्तर पर बैठे हुए कांच की दीवार बराबर की खिड़की से बाहर की बारिश का नजारा देखने का अलग ही मजा होता है। वो जमी हुई बूंदे, रह-रहकर कभी तेज तो कभी धीमा होता हुआ पानी, ठंडी हवाओं से लहराते हुए पेड़ और उनसे छन कर आती AC से भी ठंडी हवा। वाह! ऐसे मौसम का मजा लेना तो बनता है

“चाय पियेगा क्या?” अपने बिस्तर से उठता हुआ सृजल, कांच की खिड़की से टिके हुए आनंद से पूछता है

“तू बनाएगा तो जरूर पियूँगा” आनंद ने पलटते हुए कहा वो भी ऐसी हंसी के साथ कि सृजल को भी हंसी आ गयी

“अब जब चाय बना रहा है तो उसके साथ कुछ खाने को भी ले आना..........!” एक बड़े से गद्दे दार कुर्सी में आधी सी धंसी हुई रूबी भी बोली “ऊँSsssss...पकोड़े बना ले न यार”

रूबी की बात सुनकर सृजल ने हाँ में सर हिलाया और वहां से जाने लगा

“अरे सृजल!” आनंद सृजल के मुड़ते ही उसे आँख मारकर बोला “पकोड़े रहने दे, वर्ना ये पहले जैसी मोटी हो जाएगी।

याद है ना स्कूल में इसके गाल ऐसे फूले रहते थे जैसे दोनों गालों में पान भरकर बैठी हो” आनंद के इतना बोलते ही सृजल जो कि रूबी के सामने ही खड़ा हुआ था जल्दी से हट कर गेट के पास पहुंच गया.... एक अजीब सी हंसी उसने आनंद को दिखाई।

रूबी इतनी तेजी से उठते हुए आनंद के पास पहुंच गई जैसे उसके पैरों में पंख लगे हो और उसके बाद उसने जो उसे बिस्टेर और जमीन पर लिटा-लिटा के मारा ना!.... कि उसकी सिर्फ चीखें ही सुनाई दी क्योंकि उसकी पिटाई देखने के लिए सृजल वहां रुक नहीं।

सृजल नीचे आकर चाय बनाने लगा, उसका किचन(Kitchen) भी काफी साफ सुथरा और आधुनिक था। बढ़िया आयताकार(Rectangular) किचन था, अंदर घुसे ही सबसे सामने दूरी पर एक दो दरवाजे वाला फ्रिज रखा हुआ था, जिससे टिक हुआ एक बड़ा सा चौकोर फ्रीज़र रखा हुआ था जैसा अक्सर आइस क्रीम की दुकानों में देखने को मिलता है। बाई तरफ गैस के साथ लंबा से प्लेटफार्म था और पीछे फ्रिज के पास कोने में सिंक जहां पर बर्तन धोते और उसी के नीचे बर्तन रखने का दर्ज सा था, उसी के थोड़े ऊपर से दीवारों पर तंज लकड़ी के बने दराज थे जिनमें मसले वगेरह रखे हुए थे और सबसे आखिर में दरवाजे के पास एक बड़ा सा माइक्रोवेव भी था। सृजल ने फ्रीजर में से एक फ्रोजेन फ्रेंच फ्राइज और आलू पकोड़े का 500ग्राम वाला पैकेट निकाला और प्लेटफॉर्म पर रख दिया। कढ़ाई में तेल रख कर गैस चालू की और दोनों पैकेट को खोल कर तेल गरम होने का इंतज़ार करने लगा

“आज तो पूरे 5 दिन हो गए, उसने एक बार भी मैसेज तक नहीं किया.....आखिर बात क्या है?” सृजल खुद से बड़बड़ाता हुआ बोला, उसके चेहरे पर थोड़ी चिंता वाले भाव थे।

गरम कढ़ाई और उसमे उबाल हुए तेल में स्रजल ने वो पहले से बने हुए फ्राइस और आलू के पकोड़े तलना शुरू किया। तेल में तलने की वो कुरकुरी सी आवाज पूरे किचन में फैल सी गयी,कुछ खोया हुआ सा सृजल पकोड़ों क पलटते हुए टालने लगा। कुछ ही देर के बाद ही जब फ्राइज और आलू के पकोड़े तला गए, सृजल ने दो बड़े से कांच के बाउल(कटोरे) निकले और उनमें उन पकोड़ों को रख लिया। फिर जल्दी से उसने चाय भी बना ली....आखिर घर का काम करते हुए उसे काफी साल हो गए थे। वो उन्हें एक ट्रे में रख कर ऊपर लेके जाने ही वाला था कि उसके मन में एक खयाल आया! उन ट्रे को वापस प्लेटफॉर्म पर रख और अपना फ़ोन निकाला, उस में मैसेज का ऑप्शन खोला और किसी को मैसेज करने लगा

‘तुमने काफी दिनों से कोई मैसेज या कॉल नहीं किया है। जनता हूँ कि तुम ज्यादा व्यस्त हो सकती हो पर एक बार मुझे कॉल या मैसेज करके बता दो। तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा हनी(Honey) ’
सृजल ने जल्दी से ये मैसेज सेंड किया और ट्रे लेकर ऊपर पहुंच गया। दरवाजा खोलते ही उसे सबसे पहले जो चीज दिखी वो थी.......आनंद के सर पर पड़ा लाल गम्मा(Swell) और अपने सर को पीछे से मलता हुआ आनंद! रूबी और आनंद बिस्तर पर बैठे हुए सृजल के टेबलेट मैं कुछ फोटोज देख रहे थे जिनमें से उनके स्कूल के टाइम की तस्वीर सृजल को भी आते हुए दिख गयी थी।

“अब क्या कर रहे हो तुम दोनों? फोटोज़.....” सृजल ने बिस्टर के दूसरी ओर जाते हुए कहा, वो जाकर बैठा और दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए.....जिसमें से रूबी ने पकोड़े का बाउल उठा लिया और आनंद ने फ्राइज का। सृजल ने सिर्फ चाय का बचा हुआ कप उठाया और ट्रे को लैंप के पास रखी छोटी सी मेज पर रख दिया

“हम्मSSSSSSSSS.. चाय तो एक दम शानदार बनी है। इतनी अच्छी चाय हमेशा कैसे बना लेता है यार” रूबी ने चाय को बिना आवाज के एक घूंट लेकर कहा, उसके बोलते ही सबसे पहले आनंद ने एक घूंट चाय पी और फ्राइज को मुँह में दबाते हुए बोला

“क्या यार सृजल, इतनी शक्कर क्यों डाली...रूबी को मोटा करके मानेगा क्या?”

‘पट्ट!’ आनंद के इतना बोलते ही रूबी ने झट्ट से आनंद के माथे में अपनी उंगली ऐसे मारी जैसे करें की गोटी को निशाना लगाया हो...और एक बार फिर बेचारा आनंद हल्की सी बात पे हल्का सा फाटक ले बैठा

“आउंSSSSSS...यार हर बात पर मारना जरूरी है क्या? तेरे हाथ क्यों बंद नहीं रहते” अपना माथा मलते हुए आनंद थोड़ी मासूमियत के साथ बोला, रूबी ने फिर से चेहरा थोड़ा सिकोड़ते हुए अपना हाथ उसके माथे की ओर बढ़ाया...और वो बुध्दु बस आंखें मीच कर उसके मार का इंतजार करने लगा। ऐसी आंखें मीची हुई थी की जबरदस्ती भी न खुलवा पाते और फिर रूबी का हाथ उसके माथे पर साध गया........!

इस बार उसने आनंद को मार नहीं बस उसके माथे पर जहां पर पहले उसने मार था वहां पर प्यार से हाथ फेरा पर उतना प्यार उसके चेहरे पर नहीं दिखाया। कारण-.....तुम खुद ही सोच लो यार?, हाँ उसकी आंखें उतना झूठ नहीं बोल पाईं, उनमें आखिरकार थोड़ी सी नमीं और नरमी आ ही गयी। जिसे देख कर आनंद थोड़ा मुस्कुराया.....फिर थोड़ा और मुस्कुराया और उसकी मुस्कान देख रूबी ने उसके माथे पर हल्का सा धक्का दे कर अपना मुंह कुछ पल फेर लिया ताकि उसकी गालों की वो ऊषा(सूरज की पहली किरण) आनंद को न दिखे। पर आनंद की नजर रूबी पर नहीं थी, जब वो पलटी तो देखा कि आनंद थोड़ा चिंतित रूप में सृजल कई और देख रहा था.......जो कि उस बड़ी सी कांच की खिड़की से टिका हुआ बारिश में खोया हुआ मालुम पड़ रहा था।

“ए सृजल! क्या हुआ यार? इतना खोया-खोया कहाँ है?” सृजल ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी, उसकी नजरें कांच के बाहर टिकी हुई थी। इस देख कर आनंद झट से उठ गया और उसके पास जाकर उसे छुआ, तब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो आनंद ने उसका नाम लेकर उसे थोड़ा सा तेज हिलाया

“सृजल!” अब कहीं जाकर सृजल अपनी दुनिया से बाहर निकला था, उसकी आनंद और रूबी को देखती आंखें बता रहीं थी कि वो समझ गया है कि आनंद और रूबी ने उसे खोया हुए देख लिया है

“हाँ, क्या कह रहा है?” सृजल जल्दी से कांच के पास से हटा और सीधे जाकर बिस्तर पर बैठ गया

“आखिर बात क्या है सृजल? तू कल भी ऐसे ही खोया खोया से लग रहा था” आनंद ने दूसरी तरफ बिस्तर के बैठते हुए कहा और नजरें रूबी से मिलाई

“कुछ खास नहीं यार, बताने जितनी कोई ही बात नहीं है” सृजल ने अपने आप को सामान्य दिखाते हुए चाय का घूंट लिया

“फिर भी जो भी बात है वो हम से साँझा कर ले तो मन हल्का हो जाएगा। वैसे भी अगर ज्यादा दिक्कत की बात नहीं होती तो तू ऐसे चुप थोड़े ही होता?” रूबी ने थोड़ा सा जोर देते हुए कहा। सृजल ने एक गहरी सांस ली और बताया

“लगभग 1 हफ्ता हो गया है, न उसका कोई फ़ोन और न ही मैसेज! ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि वो मुझे कांटेक्ट करने से भूल गयी हो”

“तो इसमें इतना चिंता करने की क्या जरूरत है?” आनंद ने बोलना शुरू किया “तुझे भी मालूम है कि उसकी नौकरी में कितना कम समय मिलता है। जरूर वो किसी काम में फंस गई होगी और उसके चक्कर में वो मैसेज-कॉल नहीं कर पाई होगी”

“और तू कुछ उल्टा सीधा मत सोचने लगना। वो बहुत ही सही लड़की है और सच कहूं तो उसका व्यहार इतना स्वाभिमान भरा है कि वैसी लड़की पूरी दुनिया में कोई नहीं होगी” रूबी की बात सुनकर सृजल के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी जिस पर आनंद की मस्ती नहीं रुकी

“ओहो..हो! अब तो बहुत ही मुस्कुरा रहे होssssssss!” नाक फुला चेहरा थोड़ा तेज कर वो ऐसे बोला कि दोनों को हंसी आ गयी। वो सारी तन्हाई एक पल में डोर हो गयी और उन तीन दोस्तों की महफिल फिर से रौनक हो गयी। अब जब चाय खत्म तो बचे हुए पकोड़े और फ्राइज खाने की होड़ में वो आपस में ही झूम पड़े.........जैसे वो हमेशा से किया करते थे, बचपना गया नहीं अभी...
रूबी, आनंद और सृजल 5 साल के समय के बाद अभी कुछ महीनों पहले ही मिले थे तो उसमें भी सृजल की गर्लफ्रैंड से तो दोनों में से कोई भी नहीं मिले थे पर जब सृजल ने दोनों को बताया था उसके बारे में तभी से ही रूबी और सृजल कि गर्लफ्रैंड की आपस में कई बार बातें हुआ करती थी और मात्र बात करने से रूबी को सृजल की गर्लफ्रैंड के बारे में काफी कुछ पता चल गया था। वो दोनों दोस्त भी बन गए थे हालांकि रूबी भी काफी व्यस्त रहा करती थी तो अब उन दोनों में काफी समय से बात नहीं हुई थी। वैसे भी सृजल की चिंता जायज थी क्योंकि हमारे अपनों का व्यवहार जैसे ही कुछ अजीब होता है तो हम खुद थोड़े सतर्क हो जाते है...यह तो आम बात है।

जल्दी ही छुट्टी वाला दिन खत्म हो गया और सोमवार आ गया। वहीं हमेशा वाला सामान्य दिन और काम, रूबी फार्मसूइटिकल में कदम रखते ही तीनों का रवैया एकदम प्रोफेशनल(Professional) हो जाता कि पता ही नहीं चलता कि तीनों बहुत अच्छे दोस्त भी है। वैसे भी आज उनका शाम को एक इंटरनेशनल कंपनी के एग्जीक्यूटिव(Exicutive) से मिलने का प्लान था और जान के वाले वो तीनों ही थे। क्योंकि ये एक तरह की सीक्रेट मीटिंग होने वाली थी, रूबी ने ही फैसला किया था कि वो तव्वनों ही वहां पर मिलने जाएंगे। वो तीनों रात तक मुख्य कार्यालय में ही रुके और 9 बजट ही बिना खाये वहां से रूबी की काली BMW में बैठ कर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर....... गारापुरी के पास एक छोटे से टापू पर। गारपुरी में मंदिर वगैरह बहुत है, काफी धार्मिक जगह मालूम पड़ती है और उससे करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर वो बेनाम टापू था जिसके बारे में गूगल भी कुछ नहीं जानता और न ही उसके बारे में कोई जानकारी दी गयी है। एक प्राइवेट बोट लेकर वो तीनों निकल पड़े उसी टापू की ओर जहां पर आज की ये मीटिंग रखी गयी थी........वो बोट पानी की लहरों को चीरती हुई पानी की हल्की फुहारें मार रही थी जिस पर रूबी और सृजल मजे में बैठे हुए थे और आनंद बोट चला रहा था।

“वैसे इतनी सुनसान जगह पर मीटिंग रखने का मतलब क्या है? मीटिंग तो वहीं रख सकते थे ना, ऑफिस में!” आनंद ने बोट को उस सुनसान टापू की और मोड़ते हुए कहा

“वो एक ऐसी मेडिसिन का फार्मूला बेचना चाहते है जो कि एक रेगेंरेशन ड्रग (Regeneration) की तरह काम करती है और उन्हें इसकी अच्छी खासी कीमत मिल सकती है...और हमारी फार्मसूइटिकल पिछले मुनाफे के कारण हर जगह छाई हुई है इसलिए हमें भी बुलाया गया है”

“और कौन आ रहा है?” सृजल ने टापू को पास आता देख अपनी जगह से उठते हुए कहा

“मेरी पहचान के अमेरिकी मेडिसिन कंपनी के CEO मिस्टर पॉल आ रहे है” रूबी ने फिर जवाब दिया

कुछ ही देर में उनकी कश्ती किनारे से जा लगी और उस कहते से टापू का पूरा दृश्य उनके सामने आ गया। ये टापू ना सिर्फ देखने में चोट था बल्कि असल में उसका क्षेत्रफल 10 से 12 एकड़ के आस पास का ही था.......नारियल के काफी सारे पेड़ थे वहां पर और उससे मिलते जुलते भी लंबे ऊंचे पेड़ थे, चमचमाती वो ठंडी रेत जो चांद की रोशनी में मोती सी चमक रही थी और उसी के बीचों-बीच एक लकड़ी का बना हुआ छोटा सा घर दिख रहा था जिसकी छत पर सूखी घांस-फूस पड़ी हुई थी और उसकी कांच की बनी खिड़कियों से उजाला आ रहा था। तीनों बोट से उतरे और उस घर की ओर बढ़ने लगे

“ये जगह इतनी शांत क्यों है? तुमने तो कहा था कि यहां पर और भी लोग आने वाले है?” आनंद ने रूबी की ओर देख कर पूछा

“हाँ, शायद वो लोग दूसरी तरफ से आये होंगे इसलिए यहां नहीं दिख रहे” रूबी ने चलते हुए कहा

अचानक ही सृजल की चलने की गति धीमी हो गयी, कुछ पल बाद आनंद भी थोड़ा सतर्क हो गया और उसकी चाल भी थोड़ी धीमी पड़ गयी। रास्ते में उस घर से पहले एक लोहे का बड़ा सा कचरे का आयताकार लंबा कंटेनर रखा हुआ था

“क्या तूने वो देखा सृजल!” आनंद की इस तरह की हल्की आवाज सुनकर रूबी को समझ आ गया कि कुछ गड़बड़ है, उसके कदम उस कचरे के कंटेनर के पास रुक गए

“तो......तुझे भी वो साये दिख गए, काफी अच्छी नज़र है तेरी” सृजल ने उस कंटेनर के पास रुकते हुए कहा। रूबी उस कंटेनर के सबसे पास थी और सृजल-आनंद उसके सामने किसी ढाल की तरह खड़े हुए थे

“क्या कुछ गड़बड़ है सराज......!” रूबी के शब्द बीच में ही रुक गए जब उसने कुछ सायों को अपने आस-पास पेड़ों और झाड़ियों से हिलते देखा, उसका शरीर कुछ पल के लिए सख्त से हो गया, डर के मारे!
लगता है किसी ने हमें फंसाया है, इस टापू पर आने के लिए....और हम उनकी चाल में फंस भी गए” सृजल ने अपना शरीर बिल्कुल रिलैक्स करते हुए इधर-उधर हिलाया, आनंद ने भी अपनी मुट्ठी बनाई और उसकी उंगलियां चटखा ली। सृजल और आनंद ने पहले उन सभी की चाल ढाल को देख कर ये अंदाज लगाया कि उनके पास कौन-कौन से हथियार है?

“गन्स(Guns) किसी कभी पास नहीं दिख रही है, शायद ये ट्रेनेड(Trained) असासिंस (assassins) है” सृजल ने अपना हमेशा वाला फाइटिंग स्टांस ले लिया

“सही कहा, पर कुछ के पास बड़े से चाकू है......!” आनंद ने अपने कोट को उतार कर बाये हाथ में फंसा लिया और कोट के अंदर किसी चोर जेब से निकाला एक बाटोन! जिसे देख कर एक पल के लिए तो सृजल और रूबी की नजरें उसी पर आ गयी जैसे कहने वाले हो ‘तू पूरी तैयारी के साथ आया था क्या?’ वो पूरे चांद को जैसे ही बादलों ने खुला छोड़ा, मौत का खेल शुरू हो गया.......

वो सभी चारों तरफ से उन्हें घेरते हुए आ रहे थे, ज्यादातर देखने में अफ्रीकन लग रहे थे पर सृजल की नजरों ने कुछ जाने-पहचाने से रशियन्स को भी पहचान लिया........अब जब सभी के चेहरे सामने थे और दूरी कम होने लगी थी, लड़ाई का आगामी वार हुआ

“हाsssssअ!” और वो आगामी वार किया सृजल ने! इससे पहले की वो सभी तरफ से उन तीनों को घेर लेते सृजल ने अपनी तरफ सामने से आ रहे तीन रशियन की ओर तेजी से झपट्टा मारा पर ये लोग पहले से ही इस तरह के एक्शन(Action) के लिए तैयार थे। उनके जेब से चाकू निकले और सृजल कि ओर तन गए, यह कोई फिल्म नहीं थी जो ये सब एक एक करके आते- तीनों एक साथ ही आगे बढ़े

“खच्चsssssssss!” चांदनी भारी उस रात में पहला रक्त अर्पित हुआ........जो कि उन तीनों रशियन्स का था! जो हुआ वो सभी ने देखा पर उन्हें भी अपनी आंखों पर यकीन से नहीं हुआ, सभी ने एक बार आंखों को मला और उन तीनों के शवों को गिरते हुए देखा। वो तीनों हथियारबंद थे और एक साथ सृजल पर हमला किया था। बस गलती ये कर दी कि उनके आपस में बहुत कम जगह बची हुई थी; सृजल ने इसी बात का फायदा उठा लिया क्योंकि सृजल की रफ्तार उनसे तेज थी बाईं तरफ वाले कि कलाई को पकड़ते हुए उसका चाकू दांये वाले कि गर्दन में और दांय वाले का चाकू बीच वाले कि गर्दन से होता हुआ बांये वाले कि गर्दन को चीर गया! सृजल ने उन्ही की गलती से उन्हें मार गिराया.........और इतना देखते ही आधे से ज्यादा असैसिन्स सृजल की ओर कूद पड़े।

पर अब भी खतरा रूबी और आनंद के ऊपर था क्योंकि वो दोनों इस तरह की सिचुएशन(Situation) के लिए तैयार नहीं थे। इन्हीं में से एक पीछे से जहां पर सृजल पहले खड़ा हुआ था वहां से घुसता हुआ सीधा वार अपने लंबे से चाकू से रूबी की ओर कर दिया...........’तड़क’! पर आनंद भी वहाँ पर यूं ही बाटोन(Baton) लेकर नहीं खड़ा था इससे पहले की वो चाकू लेकर रूबी के पास भी पहुंचता आनंद ने घूम कर बिजली से कड़कता बाटन उसकी कनपटी पर दे मारा.......मुँह से झाग गिरता वो रेत पर गिर पड़ा

“रूबी से दूर रहने में ही तुम्हारी भलाई है......वरना यहीं बाटन ऐसी जगह डालूंगा की न तो खड़े हो पाओगे और न ही बैठ पाओगे” आनंद को एक्शन में देख कर रूबी के तो होश से ही उड़ गए जिस पर आनंद ने उसके आश्चर्य भरे चेहरे से नजरें मिलते हुए आंख मारी और उसका आश्चर्य तोड़ दिया। सृजल के चेहरे पर आनंद को लड़ता देख मुस्कान आ गयी क्योंकि अब सृजल अपनी पूरी पावर(Power) के साथ लड़ सकता था

लगभग वो सभी असैसिन्स थोड़ी दूरी बनाये हुए सृजल की ओर आये, शायद अपने साथियों की गलती उन सबने इतनी जल्दी पहचान ली थी। .....’धाड़ssss!’ सृजल ने सामने से आ रहे एक को रफ्तार के साथ गर्दन में मुक्का जड़ दिया और उसके हाथ से चाकू छीन कर सामने से आ रहे और 2 को सर के ऊपर और जबड़े में चाक़ू का उल्टा हिस्सा मार कर नीचे गिर दिया। सृजल कि रफ्तार और निशाना इतना तेज था कि वो असैसिन्स उसके सामने फीके पड़ रहे थे। उधर आनंद भी उन असैसिन्स को बहुत ही आसानी से संभाल रहा था, ऐसे जैसे वो अपनी जगह पर आसानी से खड़ा हुआ था, टहल रहा था और वो असैसिन्स उसी जगह पर आ रहे थे जहां पर आनंद अपना बाटन घुमा रहा था। कभी किसी के पैर में मार कर गिरता और छाती में कड़कती बिजली का झटका दे देता.....और तो और एक बार तो उसने एक के मुँह के अंदर ही बाटन डाल कर चालू कर दिया था,शरीर के अंदर तक कि चीज़ें हिला डाली। आनंद के साथ रूबी पूरी तरह सुरक्षित थी और सृजल ने अब लगभग सभी असैसिन्स को ठिकाने लगा दिया था। उन्हीं में से एक अब धीरे-धीरे पास आ रहा था उसका शरीर भरा-पूरा और बड़ा था, हाथ की मांसपेशियां अलग ही दिख रही थी ,चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और चेहरे से तो कोई भी उसे सामान्य नहीं कह सकता था। उसने अपनी जेब से एक मोटा सा हरा चश्मा निकाला जो तैराकी के काम आने वाले चश्मों जैसा था पर काफी आधुनिक था उसके अंदर स्मार्टफोन
जैसा कोई सिस्टम था। एक नजर सृजल को देखा, फिर रूबी को...और फिर आनंद को। वो चश्मा उतरते हुए उसके चेहरे पर क्रूरता वाली हंसी थी.....वो आगे बढ़ा

सृजल के सामने अब तीन ही असैसिन्स खड़े हुए थे पर अब वो ज्यादा करीब नहीं आये बल्कि उन्होंने सृजल की ओर चाकुओं के फेंकने का निशाना लगा

लिया.........’सररSsssss!’व सृजल ने उनके मंसूबों को भांप लिया और रेत में पैर गहरा करते हुए एक राउंड हाउस किक चला दी। वो चगमकीली रेत उन तीनों की आंखों में गयी और वे अपनी दृष्टि कुछ पल के लिए खो बैठे... मौका देख कर सृजल ने एक से चाकू झटके से छीन कर उसी की छाती में घुसेड़ दिया, फिर वो चाकू निकालते हुए बाजू में खड़े वाले कि गर्दन में जबरदस्त हाई किक मार कर बेहोश किया और अपने हाथ में रखा चाकू फेंक कर आखिरी वाले का भी काम खत्म कर दिया।

“धम्म!” बहुत तेज आवाज को सुनकर सृजल आनंद की ओर पलटा जो अभी अभी उस भारी भरकम असासिं के पैरों तले कुचले जाने से बाल-बाल बचा था, उसके पैर लड़खड़ाये और वो रेत में गिर गया। इतनी देर में पहली बार आनंद को अहसास हो रहा था कि इस लड़ाई में जान भी जा सकती है, उसके चेहरे पर पहली बार कुछ डर दिख रहा था

“मछली कितनी भी शातिर क्यों ना हो, उसे अपनी औकात देख कर ही गहराई में उतारना चाहिए......!” उस अफ्रीकन असैसिन ने अपने कदम बढ़ाते हुए कहा

रूबी तुरंत ही दौड़ कर आनंद के पास गई और उसको संभाला, उठने में मदद की। आनंद की दिल की धड़कन बहुत तेज चला रही थी, यहां तक कि उसके कान भी बज रहे थे। अगर उस समय वो जल्दी से नहीं हटा होता तो सच में आनंद किसी कुरकुरे की तरह टूट कर बिखर जाता।

“आई विल बी टेकिंग यूँ विथ मी(I wil be taking you with me)” कहता हुआ वो रूबी और आनंद की ओर बढ़ने लगा

‘धप्प’! तब तक सृजल ने रफ्तार बढ़ा कर पास आते ही एक जबरदस्त मुक्का उस भारी असैसिन् के मोह की ओर दे मारा पर उसने सृजल का मुक्का बड़े ही आसानी से अपने बांये हाथ से पकड़ लिए

“ये हथकंडे मेरे चमचों पर काम कर गए पर में किसी का चमचा नहीं हूँ!” कहते हुए अपने दांये हाथ से एक लिवर अपरकट(Liver Uppercut) दे मारा!..............कुछ पल के लिए आनंद और रूबी के चेहरे पर डर छा गया.... फिर कुछ पल बाद उस असैसिन के चेहरे पर हल्का सा आश्चर्य आ गया जब उसे अहसास हुआ कि सृजल ने अपने बनी हाथ से उसकी कलाई को कस के पकड़ लिया था और उसका पंच सृजल की बाजू से कुछ दूरी पर ही रुक गया था।

किसी शिकारी सी आंखों को लिए सृजल की मुस्कान बदल गई, और उस असैसिन से आंखें मिली

“मैं भी किसी का चमचा नहीं हूँ..........आई एम डोमीनेटर! (I am Dominator!)”
super fantastic update bhai
 

ashish_1982_in

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अध्याय 13
वो कोई फिल्म नहीं थी, न ही कोई सपना था ! आनंद और रूबी की आंखे जो देख रही थी वो सब असल में उनके सामने ही हो रहा था। सृजल और उस असैसिन् जिसने अपने नाम ओबर बताया था दोनों एक ही पैमाने पर एक दूसरे पर मुक्कों की बरसात कर रहे थे और दोनों ही एक दूसरे के हमलों को रोक पा रहे थे पर ओबर जो कि 6 फुट 5 इंच का हट्टा कट्टा शरीर लिए हुए था उसकी ताकत सृजल से ज्यादा थी, पर उसकी रफ़्तार अपनी जितनी देख कर तो सृजल भी हैरान था...............आनंद और रूबी उन दोनों की लड़ाई से थोड़ी दूरी पर उस कचरे के कंटेनर के पास खड़े हो गए और क्योंकि वो सृजल के बिना वहां से भाग नहीं सकते थे

“सालों बाद कोई ऐसा मिला है जो मेरा मुकाबला कर सके...पर अफसोस ! तुम्हे रास्ते से हटाना बहुत जरूरी है” ओबर पीछे को हटता हुआ कूदा, कुछ कदम की दूरी से अपना सर किसी सांड की तरह झुकाया और गोली की तरह पहले से भी तेज रफ्तार से जाकर सृजल से टकराया। सृजलने अपने हाथों से समय रहते मर्म स्थलों को सुरक्षित कर लिया था पर ओबर के प्रहार से काफी दूर जा गिरा था रेत में।

आनंद और रूबी के पास ये सब देखने और सृजल पर भरोसा करने के अलावा और कोई भी रास्ता नहीं था। सृजल को भी लड़ने में काफी परेशानी होने लगी थीं, ओबर की टक्कर ने सृजल का पूरा शरीर इस कदर हिला दिया था कि सृजल का सेंस ऑफ बैलेंस(Sense of Balance) बुरी तरह से हिल गया था। सृजल किसी तरह खड़ा जरूर हो गए था पर उसे अभी भी चक्कर से आ रहे थे और ओबर अब सृजल के काफी करीब आ गया था

“सोचा नहीं था कि ये सब इतनी जल्दी खत्म हो जाएगा” ओबर ने अपना हाथोड़े जैसा हाथ की उंगलियां सीधी की,किसी धारदार चाकू की तरह और निशाना साधा सीधे गर्दन की ओर !

“सृजलsssssss !” आनंद ने ओबर के हमले को भांप लिया पर डर के मारे सिर्फ सृजल का नाम ही निकला, रूबी का तो शरीर कांप गया एक जाना पहचाना से डर उसके जहन में आ गया

“ट्रेडिशनल जु-जुत्सु; हेड ओवर थ्रो ! (Traditional Ju-Jutsu; Head over throw !)”

सृजल को भले ही सब हिलता हुआ दिख रहा था पर उसके दादा जी ने उसे इस तरह ट्रेन किया था कि अगर वो आंख बंद भी किये हुए है तब भी उसके हाथ बराबर फासले के अंदर किया हुआ कोई भी हमला उसे महसूस हो जाता था। तभी जैसे ही ओबर का हाथ तलवार की तरह हवा चीरते हुए सृजल के एक हाथ की सीमा में आया उसने तुरंत ही घूमते हुए अपनी पीठ ओबर की तरफ की थोड़ा झुकते हुए जैसे ही ओबर का हाथ सृजल के कान के पास से निकला; सृजल ने बांये हाथ से उसकी कलाई पकड़ी और दांये हाथ से उसके कंधे से थोड़े पास हाथ पकड़ा और उबेर की रफ्तार को उसी के खिलाफ इस्तेमाल करते हुए उसे हवा में उठा उसका सर नीचे जमीन में दे मारा

‘भसsssss !’ उसका सर रेत में जा घुसा, ओबर ने भी इस तरह के अंजाम की कल्पना भी नहीं कि होगी। तभी अचानक सृजल को ऐंसा लगा जैसे उसकी ताकत कमज़ोर पड़ गयी हो,शरीर भारी हो गया हो। वो जमीन पर घुटनों पर आ गया और उसके दिमाग और मुंह से सिर्फ एक ही बात निकली

“आनंद ! रूबी ! जल्दी से बोट में जाकर बैठो” सृजल की बात सुनकर आनंद ने तुरंत रूबी का हाथ पकड़ा और उसे लेकर बोट की ओर दौड़ पड़ा। जितनी देर में आनंद और रूबी बोट में जाकर बैठ गए, सृजल भी किसी तरह लड़खड़ाता हुआ बोट की तरफ आने लगा। उसे अब जाकर अहसास हो रहा था कि ओबर के खादी जैसे जैकेट के कंधों पर लगे छोटे-छोटे धातु के कांटे फैशन नहीं बल्कि हथियार ही थे। जब ओबर ने सृजल को टक्कर मारी थी और जब सृजल ने उसे अभी उठा कर सर के बल पटक दिया तब वो कहते सृजल के हाथ और हथेली में चुभ चुके थे.......................जिस कारण सृजल; के शरीर में काफी कमजोरी लगनी शुरू हो गयी थी

“सृजल ! जल्दी कर भाई !.....” आनंद घबराहट भरे स्वर में चीखा, सृजल को सुनाई भी दिया इसलिए वो किसी तरह लड़खड़ाता हुआ ही सही बोट के पास आने लगा
पर इतनी ही देर में ओबर उठ खड़ा हुआ....उसके चेहरे से शैतानियत टपक रही थी। उसने अपनी गर्दन को अपने हाथ से चटखाया, पानी जैकेट एक ही हाथ से पकड़ कर फाड़ दी.....उसका भारी से और बना-पूरा बदन सबके सामने था।

चौड़ा सीना, पेट की मांसपेशियां और फेंफड़े के पंजर भी साफ दिख रहे थे और उसके भी ऊपर उसके सीने पर किसी तरह का टैटू था...आनंद ने उस पर गौर किया तो पाया कि वो एक गहरे लाल रंग के ऑक्टोपस का टैटू था जैसा न ही आनंद और न ही रूबी ने कभी देखा था। उसे उठाकर खड़ा होता देख आनंद औऱ रूबी को कुछ खास हैरानी नहीं हुई क्योंकि उस इलाके में रेत ही रेत थी, अगर नीचे फर्श होता या ठोस जमीन होती तो ओबरा काफी देर तक या काफी दिनों तक नही उठ पाता क्योंकि उसकी गर्दन में अच्छी-खासी चोट लग जाती....पर आज किस्मत भी उनका साथ कम ही दे रही थी

सृजल अब बोट से ज्यादा दूरी पर नहीं था और.......ओबर से भी, ओबर ने सृजल की ओर दौड़ लगा दी और सृजल कि पीठ पर एक जोरदार लात मारी

‘धाड़ !’ बेसुध सा सृजल जाकर बोट के नीचे हिस्से से टकरा कर गिर गया। उबेर ने सृजल को बालों से पकड़ कर खड़ा किया, बोट से टिकाया

“ये ‘पफर’ फिश का जहर है, थोड़ा धीमा पर घातक !......पर अब तुम्हे मैं अपने ही हाथों से मारूंगा’ ओबर ने सृजल की गर्दन को दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया। सांस कम होते ही सृजल झटपट कर ओबर के हाथ पकड़ते हुए छूटने की कोशिश करने लगा पर जहर ने उसे धीमा दिया था। सांस न आने से सृजल की आंखें बंद होने लगी, उसकी झटपटाहत भी कम हो गई। ओबर के चेहरे की मुस्कान चौड़ी होती जा रही थी

“आsssssss ह........ssssssss !” तभी बोट से सीधे ओबर पर आनंद कूदा और बाटन को चालू करके उसके माथे पर दे मारा। वो इतनी तेज चीखा जैसे उसके प्राण निकल गए हो और कुछ ही पलों में बेसुध हो कर अब जमीन पर पड़ा हुआ था। आनंद का बस चलता तो ओबर के ऊपर ही बैठ कर अभ्जी तांडव कर रहा होता पर उसने ओबर के बेहोश होते ही सृजल को उठा कर बोट में डाला और निकल पड़ा किनारे की ओर क्योंकि डोर से ही आनंद को पुलिस की पेट्रोलिंग करती बोट दिख गयी थी जो कि शायद इसी ओर आ रही थी। आनंद ने पूरी रफ्तार में बोट चला दी और रूबी फार्मसूइटिकल के सबसे पास वाले किनारे पर ले आया। सृजल के दोनों हाथ कंधों पर डाल कर आनंद और रूबी उसे जल्दी से मेडिकल वार्ड की तरफ ले जाने लगे। सृजल कि सांसे अब और भी धीमी होने लगी थी इसलिए आनंद और रूबी की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। अगर सृजल को कुछ हो गया तो वो दोनों खुद को कभी भी9 माफ नहीं कर पाएंगे।

मेडिकल वार्ड के बाहर रूबी और आनंद बैठे हुए थे आते ही से डॉक्टर रमन रॉय ने सृजल को ऐसी हालत में देख कर उसे तुरंत ही भर्ती किया आनंद ने डॉक्टर रॉय को बताया था कि सृजल को पफर फिश का जहर दिया गया है। इतना सुनते ही नर्स अलका ने एन्टी टॉक्सिन्स का इंजेक्शन दिया ताकि जहर का असर कुछ देर के लिए धीमा किया जा सके। सृजल को अंदर ले जाने के बाद अभी मात्र 10 मिनट ही हुए होंगे कि डॉक्टर रॉय मेडिकल रूम से बाहर आ गए उनके चेहरे पर अब भी मास्क लटक रहा था, उनके चेहरे पर अजीब सा भाव था जिसे देख कर सिर्फ इतना ही बताया जा सकता था कि वो कुछ परेशान से है

“डॉक्टर रॉय ! सृजल ठीक तो है ना ?” रूबी जल्दी से उनके पास जाकर पूछी, आनंद भी उसके साथ गया

“अब वो ठीक है तो हम जाकर मिल लेते है उससे !” आनंद रूम की तरफ जाने लगा तो डॉक्टर रॉय ने उसे कंधे से पकड़ कर रोक लिया, उनका चेहरा लटका हुआ था, उन्होंने गहरी सांस ली और छोड़ी जैसे निराशा का गहन बदल छाया हो

“आप इतने निराश क्यों है ?” रूबी चीख पड़ी “ बोलिये ना क्या हुआ उसे” रूबी के अब बस आंसू आने ही वाले थे और आनंद की तो फटी सी हालात हो गयी थी

“ये पागल है क्या ? कितना चिल्लाती है ?” आनंद की तरफ देख कर रूबी के बारे में कहते हुए डॉक्टर रॉय बोले “सृजल को कुछ नहीं हुआ, वो ठीक है। यहां तक कि तुम अगर उसे यहां नहीं भी लाते तब भी उसे कुछ नहीं होता पर.......मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है” सृजल को कुछ नहीं हुआ सुनते डॉक्टर की बाकी की बात अनसुनी कर दी, उन दोनों के चेहरे पर अब आराम तो था ही बल्कि मुस्कान खिल पड़ी थी

“तो ऐसा पहले ही बताना चाहिए था ना ! तुम्हारा चेहरा ऐसा था जैसे सृजल के प्राण निकल गए हों” आनंद ने थोड़ा भड़कते हुए कहा, अब जाकर उनकी जान में जान आयी थी

“मैं तो बस ये सोच कर परेशान था कि उसे जहर के एन्टी-डॉट की जरूरत थी ही नहीं, पर इस कैसे हो सकता है ?” अपनी ही बात पर सवाल करते हुए वे कुछ सोचने लगे

“पर ऐसा कैसे हो सकता है ?”
तुमने उसे यहां लेन से पहले कुछ इलाज दिया था क्या ?” डॉक्टर रॉय ने पूछा

“नहीं डॉक्टर ! हमारी तो खुद जान पर इस तरह बनी हुई थी कि हम सृजल को यहां लाने के अलावा और कोई भी रास्ता हमें मालूम नहीं पड़ा” आनंद ने उन्हें बताया

“देखो सृजल को अभी होश नहीं आया है पर जब हमने उसके ब्लड का टेस्ट किया तो उसके शरीर में जहर की एन्टी-बॉडीज पहले से ही मौजूद थी, और अब तक तो उसका पूरा जहर उतर चुका होगा। बस यहीं बात समझ नहीं आ रही कि आख़िर उसके शरीर में एन्टी-बॉडीज आयी कहाँ से ?” डॉक्टर रॉय की बातों ने एक पल के लिए उन दोनों को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया था फिर वो खुद ही इस बात पर अपने तथ्य बताने लगे

“या तो सृजल कई बार इस जहर के कांटेक्ट में आया हुआ है जिससे इसकी बॉडी में पफर फिश के जहर की एन्टी बॉडीज पहले से ही मौजूद थी या फिर.........सृजल का इम्यून सिस्टम इतना मजबूत है कि किसी भी तरह की बीमारियों से लड़ने में सक्षम है और अगर ऐसा है तो ये तो मेडिकल वर्ल्ड में एक नई खोज साबित हो सकती है” डॉक्टर रॉय की आंखें खुशी और उत्साह से चमकने लगी थी इतनी की वो ये भूल ही गए कि वहाँ पर अभी भी आनंद और रूबी खड़े हुए थे।

“डॉक्टर रॉय !” आनंद ने उन्हें कंधे पकड़ कर हिलाते हुए कहा पर उन्हें तो जैसे अलग ही नाश चढ़ा हुआ था, खुली आँखों से किसी सपने में खोय हुए थे। उन्हें इसी तरह छोड़ते हुए वो दोनों मेडिकल रूम में दाखिल हुए जहां सामने एक अकेले बिस्तर पर सृजल बेहोश था और नर्स अलका दाई ओर रखी अलमारी से कुछ दवाइयां निकाल रहीं थी। अलका ने उन दोनों को आते हुए देखा पर कुछ नहीं कहा बल्कि अपना काम करती रही।

सृजल का शरीर बेसुध सा पड़ा हुआ था.........नीचे वहीं नीला पेंट पहना हुआ था पर पूरे शरीर में घाव देखने के लिए उसके ऊपर के कपड़े उतार दिए थे। वैसे सृजल की बॉडी थी शोरूम(Showroom) में रखवाने लायक ! जब वो इस तरह आराम से पड़ा हुआ था तब भी उसका 46 इंच का सीना किसी ढाल के समान शक्तिशाली दिख रहा था ऊपर से हल्का-हल्का पसीना जो उसके पूरे शरीर पर आ रहा था, उसके शरीर को चमक दे रहा था। उसकी बाजुएँ ऐसी दिख रहीं थी मानों भारी धातु की मोटी तारों से बनी हुई हो जिससे उसकी मांसल संरचनाये साफ दिख रही थी। सृजल के 6 पैक-एब्स थे जरूर पर अभी सिर्फ उनकी हल्की सी झलक दिख रही थी जैसे मानों किसी ने उसके एकदम बाहर निकले हुए 6 पैक-एब्स पर कपड़ा डाल दिया हो और उसके ऊपर से ही जो कुछ भी है, नजर के सामने है। कंधे के पास दाई ओर और बाई कलाई से थोड़े ऊपर पट्टियां बंधी हुई थी साथ ही उसके शरीर पर की जगह पर लाल निशान थे जो कि ओबर की मार से आये थे....खासकर गर्दन पर !

“सृजल को अभी तक होश क्यों नहीँ आया ?.......भगवान से यहीं प्रार्थना है कि ये जल्दी ठीक हो जाये” आनंद के साथ सृजल के पास स्टूल पर बैठते हुए रूबी ने कहा

“वैसे सृजल को होश कब तक आ आयेगा ?” अलका को एक स्टील की ट्रे में दवाइंया लाते हुए देख आनंद ने पूछा, अलका ने पास की टेबल पर पहले दवाइयां रखीं औऱ फिर वही पास के स्टूल पर बैठते हुए कहा

“वैसे वो पूरी तरह से ठीक है, पर उसके बेहोश होने का कोई पक्का कारण नहीं पता। शायद बॉडी को जहर और मार की वजह से शॉक(Shock) लगने के कारण वो कुछ समय के लिए बेहोश ही रहेगा” अलका ने पानी एक टांग ऊपर दूसरी टांग रखी।

“क्या सृजल को कोई भी एन्टी-वेनम देने की जरूरत नहीं है ?.......” आनंद का पूछा गया ये सवाल अलका ने सुनकर कुछ देर की चुप्पी रख ली। पर उसकी बेचैन आंखों को देख कर रूबी और आनंद ने उसके जवाब का इंतज़ार किया

“देखो ये जो डॉक्टर रॉय का सृजल को लेकर ‘सुपर-इम्युनिटी’ का जो ख्याल है,.......मुझे उस पर भरोसा नहीं है। हो सकता है सृजल को कई बार टेटरोडोक्सिन(Tetrodocxin) का शिकार होना पड़ा हो जिसके कारण इलाज से उसके अंदर टेटरोडोसीक्सिन की एंटीबाडीज बन गयी.......हां पर ये बात तभी साबित हो सकती है जब सृजल होश में आये...वैसे भी सृजल को सी-फ़ूड का बहुत शौक है, सही कहा ना ?”

इस बात में कोई शक नहीं था कि अलका सृजल के बारे में काफी कुछ जानती है क्योंकि कई बार सृजल का इलाज यहां हुआ है जब उसे रातः-रातः भर्र यहीं रुकना पड़ा है। और उसका तर्क भी सही है कि सृजल के अंदर पहले से ही एन्टी बॉडीज मौजूद थी। ख़ैर फिलहाल वो इसी बात से खुश थे कि सृजल को कुछ भी नहीं हुआ है और वो जल्दी ही पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। सब कुछ काफी शांत था, अलका डॉक्टर रॉय को ढूंढने चली गयी थी और आनंद के साथ रूबी वहीं बैठी हुई थी। आनंद ने तभी कुछ सोचते हुए अपना स्मार्ट-फ़ोन निकाला और सृजल कि घूम-घूम कर तस्वीरें लेने लगा.....

“अब ये क्या कर रहा है तू ?” रूबी आंखों को सिकोड़ते हुए बोली
बस कुछ यादें संभाल कर रखने की कोशिश कर रहा हूँ। याद है जब हम तीनों स्कूल में थे तो कितने अलग दिखते थे” आनंद वापस रूबी के पास बैठ गया, अपने फ़ोन में स्कूल की पुरानी तस्वीरें दिखाने लगा जिनमें से एक में उसका हाथ रुक गया। उस तस्वीर में पेड़ के नीचे 3 बच्चें दिख रहे थे जिसमें एक दुबला-पतला सा लड़का अपने दोनों पैर सामने करके पेड़ से टिका हुआ था और उसके एक-एक पैर के ऊपर सर रखकर एक हमउम्र गोल-मटोल सी लड़की और दूसरे पर एक जाना पहचाना सा चेहरा सर रखकर लेटा हुआ था, बाईं तरफ एक चौड़े पात की नदी सी बह रही थी जिसका पानी शाम के सूरज की रोशनी में चमक रहा था और दाईं तरफ एक सड़क थी जो कि उस जगह से थोड़ी ऊंचाई पर थी

“देखा ! कल का सुकड़ा बम्बू आज का पीपल हो गया है, ऐसा लग रहा है मानों किसी ने सृजल को जबरदस्त तरीके से ठोंक पीट कर इस तरह सांचे से ढाल दिया हो” आनंद ने मुस्कुराते हुए कहा और उसकी बात पर रूबी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाई

“वैसे इस तस्वीर में और आज की ‘तस्वीर’ में एक चीज अब भी सैम(Same) है” रूबी ने आनंद की आंखों में आंखे डाल कर कहा

“और वो क्या है ?” आनंद ने उसकी नजरों से बचते हुए पूछा

“सृजल और में तो काफी बदल गए पर तुम !..........आज भी वैसे ही हो जैसे सालों पहले हुआ करते थे। यहां तक कि इस तस्वीर में सिर्फ तुम ही हो जो अब भी ‘आज’ जैसे ही दिखते हो” रूबी ने उसका हाथ पकड़ कर आराम से

दबाया........आनंद से इस बार नजरें नहीं बचाईं

“शायद मुझे बदलने का मौका ही नहीं मिला या

फिर...........मैं इसलिए नहीं बदला ताकि जब वापस हमारी मुलाकात हो तो हम अनजान नहीं लगे। आखिर कोई तो हो जो हम तीनों में से आसानी से पहचाना जाए !” हमेशा मजाक के मूड में रहने वाला आनंद पहली बार दिल से कुछ कह रहा था, शायद आज की घटना ने उसे ये सब कहने को मजबूर किया हो पर......आखिर उसके दिल की आवाज सही जगह पहुंच ही गयी। आनंद और रूबी दोनों हमेशा से ही लड़ते झगड़ते रहते थे पर वो एक दूसरे से कितना प्यार करते थे ये कभी भी दोनों ने एक दूसरे से नहीं कहा था। ऐसे ही एक दूसरे की आँखों में खोय हुए उन दोनों के दरमियान दूरी कैसे कम हो गयी पता ही नहीं चला, गहरी रात में इतनी शांति और सुकून था न कि ऐसा लग रहा था जैसे ये गुजरती हवाएं कोई धुन लेकर आई हो जिसकी मदहोशी आनंद और रूबी को एक दूसरे के इतने करीब ले आयी थी। अब दोनों के चेहरे इंच मात्र की दूरी पर थे, रूबी के गालों पर हल्की सी लाली छा गयी। उसने अपनी पलके झुकाई और आंखें बंद हो गयी, आनंद भी उसके और करीब आ गया उनके होंट आपस में छुए ही थे कि दोनों के शरीर में कंपकपी आ गयी। बस कुछ ही पल में वो एक-दूसरे से एक हो जाते..................

“हाssssssss आ... हsssssss.......... !” पता नहीं क्या हुआ और सृजल झटके से उठ कर आनंद और रूबी के पीछे उस अलमारी तक भन भानते हुए पहुंच गया। सब कुछ इतनी तेज हुआ कि आनंद और रूबी तो घबराहट से हिल गए....वो दोनों जल्दी से भागते हुए सृजल के पास आये और उसे थोड़ा सा सहारा दिया

“क्या हुआ सृजल ?.... कोई बुरा सपना देखा क्या ?” रूबी ने आनंद के साथ उसे बिस्तर पर बिठाते हुए कहा

“मुझे जाना होगा ! वो मुसीबत में है.........” सृजल के चेहरे पर हल्का सा डर था पर बात में किसी के लिए चिंता झलक रही थी।
very nice update bhai
 
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Abhishek Kumar98

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