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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Raj_sharma

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Abhi aaraha hai bhai👍
 

Raj_sharma

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# 26

मैडम माया सिर झुकाये धीरे-धीरे अदालत में दाखिल हुई। वह अब खुली किताब थीं, उसके बारे में पहले ही समाचार पत्रों में खूब छप चुका था और लोग उसे देखना भी चाहते थे। आखिर वह कौन-सी सुन्दरी है, जिसके फ्लैट पर एक वी.आई.पी. का मर्डर हुआ। जे.एन. के इस लेडी से क्या ताल्लुक थे ?

माया देवी सफेद साड़ी पहने हुये थी। इस साड़ी में लिपटा उसका चांदी-सा बदन झिलमिला रहा था। लबों पर ताजगी थी, चेहरा अब भी सुर्ख गुलाब की तरह खिला हुआ था। आँखों में मदहोशी थी, अगर वह किसी की तरफ देख भी लेती, तो बिजली-सी कौंध जाती थी। माया कटघरे में आ खड़ी हुई।


"आपका नाम ?" राजदान ने सवाल किया।

"माया देवी।"

"गीता पर हाथ रखकर कसम खाइये ।"

माया देवी के सामने गीता रख दी गयी। हाथ रखने से पूर्व उसने सामने के कटघरे में खड़े रोमेश को देखा। दोनों की आंखें चार हुई। कभी वह नजरों से खुद बिजली गिराती थी, अभी रोमेश की आंखों से बिजली उतरकर खुद उसी पर गिर रही थी। उसने शपथ की रस्म शुरू कर दी।


"हाँ, तो मैडम माया देवी ! आप विवाहिता हैं ?" राजदान ने पूछा।

"विवाहिता के बाद विधवा भी।" माया देवी बोली,

"उचित होगा कि मेरी प्राइवेट लाइफ के सम्बन्ध में आप कोई प्रश्न न करें।"

"नहीं, हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि जिस रात जे.एन. की हत्या की गयी, वारदात की उस रात यानि दस जनवरी की रात क्या हुआ ?"


"वारदात की रात से पहले एडवोकेट रोमेश सक्सेना मेरे फ्लैट पर मुझसे मिलने आये, उस मुलाकात से पहले मैंने यह नाम सुना था कि यह शख्स मर्डर मिस्ट्री सुलझाने वाला ऐसा एडवोकेट है, जैसा वर्णन किताबों में पाया जाता है।

मैंने इनके सॉल्व किये कई केस अखबारों में पढ़े थे। उस दिन जब यह मुझसे मिलने आये, तो मुझे बड़ी हैरानी हुई, धड़कते दिल से मैंने इनका स्वागत किया। इस पहली मुलाकात में ही इन्होंने मुझे स्तब्ध कर दिया।"

माया देवी कुछ पल के लिए रुकी।

"इन्होंने मुझसे कहा कि यह मुझे एक केस का चश्मदीद गवाह बनाने आये हैं। मैं हैरान हो गई कि जब कोई वारदात मेरे सामने हुई ही नहीं, तो मैं चश्मदीद गवाह कैसे बन सकती हूँ? मैंने यह सवाल किया, तो रोमेश सक्सेना ने कहा कि वारदात हुई नहीं होने वाली है।

“एक कत्ल मेरे सामने होगा और मैं उस मर्डर की आई विटनेस बनूंगी। मुझे उस वक्त वह किसी जासूसी फिल्म का या किसी कहानी का प्लाट महसूस हुआ। उस वक्त क्या, कत्ल होने तक मुझे यकीन ही नहीं आता था कि सचमुच मेरे सामने कत्ल होगा और मैं यहाँ कटघरे में आई विटनेस की हैसियत से खड़ी होऊँगी।"

"क्या हुआ उस रात ?"

"उस रात !"
माया देवी की निगाह एक बार फिर रोमेश पर ठहर गयी,

"किसी अजनबी ने मुझे फोन किया। करीब साढ़े नौ बजे फोन आया कि मेरे अंकल का एक्सीडेंट हो गया और वह जसलोक में एडमिट कर दिये गये हैं। मैं उसी वक्त हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गयी। वहाँ पहुँचकर पता लगा कि फोन फर्जी था।

“वह फोन किसने किया था मिस्टर ?" यह प्रश्न माया ने रोमेश से किया। रोमेश चुप रहा।

"मिस्टर रोमेश, मैं तुमसे पूछ रही हूँ, किसने किया वह फोन ?"

"आपको मुझसे पूछताछ करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।" रोमेश ने उत्तर दिया,

"फिर भी मुझे यह बताने में कोई हर्ज नहीं कि फोन मैंने आपके फ्लैट के करीबी बूथ से किया था और आपको जाते हुए भी देखा।"

"सुन लिया आपने मीलार्ड।" राजदान बोला,

"कितना जबरदस्त प्लान था इस शख्स का।"

"आगे क्या हुआ ?" न्याया धीश ने पूछा।

"जब मैं लौटकर आई, तो मेरा फ्लैट हत्यारे के कब्जे में आ चुका था, नौकरानी को बांधकर स्टोर में डाल दिया गया और बैडरूम में मुझ पर अटैक हुआ।
वह शख्स मुझे दबोचकर बैडरूम से अटैच बाथरूम में ले गया और मुझे चाकू की नोंक पर विवश किया कि चुपचाप खड़ी रहूँ।

“इसने मेरे हाथ मोड़कर बांध दिये थे। कुछ देर बाद ही जे.एन. आये। इसने बाथरूम का शावर चला दिया, ताकि जे.एन. यह समझे कि मैं नहा रही हूँ।"

वह कुछ रुकी।

"फिर यह शख्स मुझे बाथरूम में छोड़कर बैडरूम में पहुँचा और पीछे से मैं भी डरती-डरती बाथरूम से निकली। मेरे मुंह पर इसने टेप चिपका दिया था, मैं कुछ बोल भी नहीं सकी, यह व्यक्ति आगे बढ़ा और इसने जे.एन. को चाकू घोंपकर मार डाला। मैं अदालत से रिक्वेस्ट करूंगी कि वह यह जानने की कौशिश न करें कि जे.एन. मेरे पास क्यों आये थे।"

"योर ऑनर !"
राजदान के चेहरे पर आज विशेष चमक थी,

"मेरे ख्याल से अदालत को यह जानने की आवश्यकता भी नहीं कि जे.एन. वहाँ क्यों आये थे, क्यों कि मर्डर का प्राइवेट लाइफ से कोई ताल्लुक नहीं। माया देवी के बयानों से साफ जाहिर होता है कि क़त्ल कि प्लानिंग बड़ी जबरदस्त थी और कातिल पहले से जानता था कि जे.एन. ने वहाँ पहुंचना ही है।"

"अब सब आइने की तरह साफ है। रोमेश सक्सेना ने ऐसा जघन्य अपराध किया है, जैसा इससे पहले किसी ने कभी नहीं किया, अदालत से मेरा अनुरोध है कि रोमेश सक्सेना को बहुत कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। दैट्स आल योर ऑनर।"

"मुलजिम रोमेश सक्सेना क्या आप माया देवी से कोई प्रश्न करना चाहेंगे?" न्यायाधीश ने पूछा।

"नहीं योर ऑनर ! मैं किसी की प्राइवेट लाइफ के बारे में कोई सवाल नहीं करना चाहता, मेरा एक सवाल सैंकड़ों सवाल खड़े कर देगा। मुझे माया देवी से सहानुभूति है, इसलिये कोई प्रश्न नहीं।"

माया देवी ने गहरी सांस ली। वह सोच रही थी कि रोमेश उसकी प्राइवेट लाइफ के सवालों को उछालेगा, पूछेगा, क्या जे.एन. हर शनिवार उसके फ्लैट पर बिताता था? जे.एन. से उसके क्या सम्बन्ध थे, वह इस किस्म के सवालों से डरती थी। लेकिन अब कोई डर न था। रोमेश ने उसे शरारत भरी मुस्कराहट से विदा किया।


"अब मैं अपना आखिरी गवाह पेश करता हूँ, इंस्पेक्टर विजय।"

इंस्पेक्टर विजय अदालत में उपस्थित था और अगली कतार में बैठा था। वह उठा और गवाह बॉक्स में चला गया। अदालत की रस्में पूरी करने के बाद राजदान ने अपना काम शुरू कर दिया।

"इस शहर की कानूनी किताब में पिछले कुछ अरसे से दो व्यक्ति चर्चित रहे। नम्बर एक मुल्जिम रोमेश सक्सेना, जो ईमानदारी और सही न्याय दिलाने की प्रतिमूर्ति कहे जाते थे। यह बात सारे कानूनी हल्के में प्रसिद्ध थी कि रोमेश सक्सेना किसी क्रिमिनल का मुकदमा कभी नहीं लड़ते।

जिस मुकदमे की पैरवी करते हैं, पहले खुद उसकी छानबीन करके उसकी सच्चाई का पता लगाते हैं, रोमेश सक्सेना ने कभी कोई मुकदमा हारा नहीं।" राजदान, रोमेश की तरफ से पलटा। उसने विजय की तरफ देखा।


"यानि दो अपराजित हस्तियां आमने सामने और बीच में, मैं हूँ। जो हमेशा रोमेश से हारता रहा। रोमेश, इंस्पेक्टर विजय का मित्र भी है, किन्तु कर्तव्य के साथ यह रिश्ते ना तों को कोई महत्व नहीं देते। यह बेमिसाल पुलिस ऑफिसर है योर ऑनर ! आज भी यह अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करेंगे। क्यों कि जीत हमेशा सत्य की होती है।"

इस बार रोमेश ने टोका !

"आप गलत कह रहे हैं राजदान साहब; कि जीत सत्य की होती है। अदालतों में नब्बे प्रतिशत जीत झूठ की होती है। यहाँ पर हार जीत का फैसला झूठ सच पर नहीं सबूतों और वकीलों के दांव पेंचों पर निर्भर होता है।"

"देखना यह है कि आप कौन-सा दांव इस्तेमाल करते हैं मिस्टर सक्सेना।"

"मैं न तो दांव इस्तेमाल कर रहा हूँ और न कोई इरादा है। अदालत को भाषण मत दीजिए, अपने गवाह के बयान जारी करवाइये।"

"ऑर्डर…ऑर्डर !"

न्यायाधीश ने दोनों की नोंक झोंक पर आपत्ति प्रकट की। राजदान ने कार्यवा ही शुरू की।

"इंस्पेक्टर विजय अब आप अपना बयान दे सकते हैं।" विजय ने बयान शुरू किए।

"मेरा दुर्भाग्य यह है कि जिसकी हिफाजत के लिए मुझे तैनात किया गया था, उसे नहीं बचा सका और उसके कातिल के रूप में एक ऐसा शख्स मेरे सामने खड़ा है, जो कानून का पाठ पढ़ने वाले होनहार नवोदित हाथों का आदर्श था और जिसका मैं भी उतना ही सम्मान करता हूँ, यहाँ तक कि मैं मुलजिम की मनोभावना और घरेलू स्थिति से भी परिचित था और मित्र होने के नाते इनसे कभी-कभी मदद भी ले लिया करता था।"

"मैं इस मुलजिम को कानून का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति मानता था। परन्तु मुलजिम ने मेरा सारा भ्रम ही तोड़ डाला, इस मुकदमे के हर पहलू को मुझसे अधिक करीब से किसी ने नहीं देखा। यहाँ मैं मकतूल की समाज सेवाओं का उल्लेख नहीं करूँगा, मैं यह बताना चाहता हूँ कि कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है, जे.एन. कोई वान्टेड इनामी डाकू नहीं था, जो रोमेश सक्सेना उसका क़त्ल करके किसी इनाम का हकदार बनता। लिहाज़ा यह क्रूरतम अपराध था।"

विजय कुछ रुका।

"शायद मैं भी गलत रौ में बह गया, बयान की बजाय भाषण देने लगा। वारदात किस तरह हुई, यह मैं बता ने जा रहा हूँ। मुझे फोन द्वारा इस क़त्ल की सूचना मिली और मैं तेजी के साथ घटना स्थल की तरफ रवाना हुआ"

उसके बाद विजय ने दस जनवरी से लेकर मुलजिम की गिरफ्तारी तक का पूरा बयान रिकार्ड में दर्ज करवाया, यह बताया कि किस तरह सारे सबूत जुटाये गये। विजय के बयान काफी लम्बे थे। बीच-बीच में उसकी टिप्पणियां भी थीं।

बयान समाप्त होने के बाद विजय ने सीधा रोमेश से सवाल किया,

"एनी क्वेश्चन ?"

"नो।" रोमेश ने उत्तर दिया,

"तुम्हारे बयान अपनी जगह बिल्कुल दुरुस्त हैं, तुम एक होनहार कर्त्तव्यपालक पुलिस ऑफिसर हो, यह बात पहले ही अदालत को बताई जा चुकी है।"

विजय विटनेस बॉक्स से बाहर आ गया।

“तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस निर्णय पर पहुंचती है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना ने कानून को मजाक समझते हुए इस तरह योजना बना कर हत्या की, जैसे हत्या करना अपराध नहीं धार्मिक अनुष्ठान हो।

"जनार्दन नागा रेड्डी समाज सेवा और राजनीतिक क्षितिज की एक महत्वपूर्ण हस्ती थी। ऐसे व्यक्ति की हत्या को सार्वजनिक बना कर अत्यन्त क्रूरता पूर्ण तरीके से मार डाला गया। "

"मुलजिम ने भी अपना अपराध स्वीकार किया और किसी भी गवाह से जिरह करना उचित नहीं समझा, इससे साफ साबित होता है कि मुलजिम रोमेश सक्सेना ने हत्या की, अत: ताजेरात-ए-हिन्द जेरे दफा 302 के तहत मुलजिम को अपराधी ठहराया जाता है। परन्तु इससे पूर्व अदालत रोमेश सक्सेना को दण्ड सुनाये, उसे एक मौका और देती है।"

"रोमेश सक्सेना की कानूनी सेवा में स्वच्छ छवि होने के कारण अन्तिम अवसर प्रदान किया जाता है, यदि वह अपनी सफाई में कुछ कहना चाहे, तो अदालत सुनने के लिए तैयार है और यदि रोमेश सक्सेना इस आखिरी मौके को भी नकार देता है, तो अदालत दण्ड सुनाने के लिए तारीख निर्धारित करेगी।”


न्यायाधीश द्वारा लगी इस टिप्पणी को अदालत में सुनाया गया। राजदान के होंठों पर जीत की मुस्कान थी। विजय गम्भीर और खामोश था। वैशाली उदास नजर आ रही थी। किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था कि रोमेश इतनी जल्दी हार मानकर स्वयं के गले में फंदा बना देगा।

किन्तु अदालत में कुछ लोग ऐसे भी बैठे थे, जिन्हें यकीन था कि अब भी पलड़ा पलटेगा, केस अभी फाइनल नहीं हुआ। उनकी अकस्मात दृष्टि रोमेश की तरफ उठ जाती थी।

रोमेश ने धीरे-धीरे फिर अदालत में बैठे लोगों का अवलोकन किया। घूमती हुई दृष्टि वैशाली, विजय से घूमती राजदान पर ठहर गई।


"अदालत ने यह एक आखिरी मौका न दिया होता, तो तुम केस जीत चुके थे राजदान ! लेकिन लगता है कि तुम्हारी किस्मत में हमेशा मुझसे बस हारना ही लिखा है।"




जारी रहेगा .....……✍️✍️
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Bahut hi badiya update Raj_sharma bhai
Kisi film ki story ki tarah LG rha h sabhi characters ko bahut hi acha likha h

बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
रोमेश ने जे एन का कत्ल कर पुरे शहर में सनसनाटी फैला दी लोगों के सामने मरहुम जे एन का असली चरित्र ला कर रख दिया बहुत से लोग अब रोमेश को हिरो भी समझने लगे वही विजय के साथ भी ऑखमिचौली का खेल खेल रहा है
विजय ने रोमेश को ना पकड पाने पर इस्तिफा देने का कहकर उसको पकडने का पुरा जाल फैला दिया है तो देखते हैं आगे क्या विजय रोमेश को गिरफ्तार कर पाता हैं या नहीं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

इस कहानी की जो सबसे ख़ास बात है, और मुझको बहुत पसंद भी है, वो यह है कि घटनाक्रम इसमें बहुत तेजी से आगे बढ़ता है। इससे थ्रिल ज्यों का त्यों बना रहता है।

जे एन की सारी सुरक्षा धरी की धरी रह गई, और उसमें रोमेश की सेंधमारी हो ही गई।

कुछ बातें जो शायद बाद में खुलें -- शंकर रेड्डी को जे एन की मौत से क्या हासिल होना था? सीमा का इन लोगों से क्या वास्ता है?
शायद ये सारे कनेक्शन रोमेश की बेक़सूरी(?) से जुड़े रहेंगे। एक और बात है -- अभी तक रोमेश बेक़सूर लोगों का मुक़दमा लड़ता था।
लेकिन यहाँ उसने खून किया है -- हाँ, मजबूरी में ही सही, लेकिन किया तो है। पूरा नहीं, तो जुर्म का कुछ हिस्सेदार तो है वो!

जो बात समझ में नहीं आई वो यह है कि अगर रोमेश को इतना यकीन है कि वो अपने आप को बचा लेगा, तो पुलिस से यूँ आँख-मिचौली क्यों खेल रहा है? उससे क्या हासिल होना है?

सवाल बड़े सारे हैं। देखते हैं क्या पता चलता है।
बहुत ही बढ़िया अपडेट्स रहे हैं ये सभी!

गजब का समां बांध दिया राज भाई
बिना कुछ छिपाये भी जबरदस्त सस्पेंस
बेसब्री से इंतजार है अगले अपडेट का

भाई गज़ब बोल कर कांड करना तो कोई रोमेश से पूछे

Romesh me apne aap ko giraftaar karva dia bade aaram se or Court me bhi jurm ka Iqbal ker dia Bina kisi rok tok ke fir bhi Raajdan ne apna pasa feka judge ke samne taki Romesh koi dikkat na de case me
Lekin Romesh to khud kabbil Vakil hai aaram se bach sakta tha is case se fir usne eeasa Q kia khee such me uski Bivi ke sath eeasa kuch hua to nahi ya kahe dhokha dia ho bivi ne Romesh ko
Bahut tagda suspense aaya hai story me is bar bhi
Wah Raj_sharma bhai behtreen update dia aapne
Very well

Ramesh ke jurm kabool karne mein bhi koi trick lagta hai. Adbhut update studded with deep secret.
✔️✔️✔️✔️✔️✔️
💯💯💯💯💯
👌👌👌👌

Hanji padh liya hai mujhse pahle to devil padh chuke the main to unka review dekh kr aayi hu

रोमेश साहब ने न सिर्फ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया बल्कि गुनाह भी कबूल कर लिया । और तो और अदालत मे भी इकबाले जुर्म कबूल कर लिया ।
उन्होने स्वयं कहा कि मर्डर वेपन ' चाकू ' के मूठ पर भी उन्ही के ऊंगलियों के निशान है ।
जे एन के कत्ल करने से पहले रोमेश साहब ढोल नगाड़े के साथ राह चलते हर राहगीर से यह कहते फिर ही रहे थे कि वो जे एन का कत्ल दस जनवरी को कर देंगे । मतलब गवाहों का एक फौज भी इकठ्ठा कर लिया था इन्होने ।

अब बाकी बचा ही क्या ! जब इंसान ख़ुदकुशी करने को ठान ही ले तो फिर कोई क्या कर सकता है !
वैसे इंडियन पेनल कोड अब भारतीय न्याय संहिता हो गई है । लेकिन हम जानते ही हैं कि यह कहानी बहुत साल पहले की है ।

रोमेश साहब जब तक अपने जुर्म से इंकार नही करते तब तक वह खुद को कैसे डिफेंड कर सकते है ?
खैर देखते है अदालत मे क्या क्या बातें होती हैं !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।

Behad umda update he Raj_sharma Bhai,

Romy bhaiyaa ne last lines me bada hi gazab ka khela kar diya...........

An shuru hoga asli khel............

Keep rocking Bro

Sorry raj bhai wo ganpati me busy tha ... Ab ek d

In aapko bhi shikayt ka mouka nahi dunga

ये सब फैब्रिकेटेड गवाह हैं, खुद माया देवी भी चश्मदीद गवाह नही है।

कत्ल होते किसी ने नहीं देखा, और राजदान यहीं पर मात खा गया। 😌

Nice update....

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Badhiya update

Rajdan to bahut uchhal raha ha apni pahli jit ki taraf romesh ke khilaf lekin ye sare gawah to waise hi bol rahe han jaise romesh ne kaha tha repeat telecast kher dekhte han ki kya romesh bach pata ha ya nahi kher itna sab ho gaya sima abhi tak nahi ayi jabki romesh court tak pahunch gaya ha kya yahi pyar tha uska

Shandar jabardast update 👌

Nice update,

बहुत ही शानदार और दमदार अपडेट है भाई मजा आ गया
जे एन के कत्ल का मुकदमा शुरू हो कर अपने अंजाम की ओर बढ रहा लेकीन रोमेश अपनी एक भी चाल चल नहीं रहा लगता हैं आखिर में हथौडा मार कर सारा पासा पलट कर रखने वाला हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Nice update....

तारीख़ पर तारीख़ और गवाह पर गवाह शुरू हो गया है।
रोमेश की मुस्कान आगे की कहानी बयान कर रही है अभी अपना वकील जब बोलेगा तो राजदान का हाल भी चड्ढा वाला होगा ।

पर मेरा दिल सीमा डार्लिंग को ढूँढ रहा है , जैसा आपने कुछ कमेंट्स मे कहा सीमा मे लोचा है
अपून नहीं मानता ये बात अपून को लगता है बात कुछ और है पर कहानी तुम लिख रेला है तो जैसा लिखोगे जब लिखोगे तब तक इंतज़ार करेगा
शंकर रेड्डी किधर है ।

मेरे को मायादास को कूटते हुए देखना है उसने सीमा को परेशान किया था ।
अपडेट थोड़ा छोटा रहा कहानी को आगे बढ़ाने और अदालत के कुछ वज़नी सीन का आधार बनने के लिए। लिखाई बढ़िया है कलम थोड़ा और चलाये तो बेहतर है ।
अब आगे के घटनाक्रम की और बढ़ना बेहतर होगा भाई

kya baat bhai ji adhbhut lekhni jabardast lajawab mast ekdum dhasu nishabad magar bhai ji ye romesh saxena karna kya chah raha hai main janane ke liye utsuk hoon :ban: :vhappy1::budhabudhi::cowboy1::thankyou:

Nice and superb update....

बहुत ही जबरदस्त लेखनी !!

Oh no no no kya karne wala hai Romesh agle update me ye bada hi interesting hone wali hai kyonki Shankar Reddy ne Romesh se kaha tha ki tumhe saja nahi honi chahiye ab dekhna interesting hoga ki Romesh apni baat ko sahi sabit kaise kar pata hai aur kaise case se bahar aata hai?


Update posted friends :declare:
 
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