(UPDATE-32)
गया. श्रुति आधी हवा में और आधी ज़मीन पर थी. उसने देखा की उसके आगे एक खाई है और पीछे यह वाहसी दरिन्दा, अगर वो उस खाई के नीचे गिरती है तो शायद वो बच सकती है या फिर मर भी सकती है पर अगर वो इस दरिंदे के हाथ में आ गयी तो वो भी उसकी वही हालत करेगा जो आहना और ऋषि के साथ किया था. उसने बिना कोई शान गवायें अपना जॅकेट जिसका कॉलर उस दरिंदे के हाथ में था उसकी ज़िप खोली और उसे अपने खड़े से आज़ाद कर दिया. उसके बाद वो नीचे की और गिरने लगी,
रोहन जल्द से जल्द उन्हें पकड़ना चाहता था. पूछना चाहता था की सालों आख़िर उस रास्ते को चोद कर वो इस रास्ते क्यों जा रहे है.. उसे पूरा पक्का यकीन था की हो ना हो वो लोग परवेज़ और रोहन की शिकायत करके उन्हें पकड़वाना चाहते है. यही सब सोचते सोचते रोहन गाड़ी भगाए जा रहा था की अचानक उसे वो गाड़ी दिख गयी जिसमें वो भात कर इस पार्क में आया था. वो अपनी बाइक की रफ्तार को और तेज कर दिया और जल्द से जल्द उन तक पहुचना चाह रहा था की तभी, अचानक….वो देखता है की एक अजीब सा दिखने वाला जानवर उनके गाड़ी पे कूड़ा और थोड़े ही देर में वो गाड़ी अपना नियंत्रण खोते खोते एक पेड़ से जा टकराई. रोहन की कुछ समझ में नहीं आ रहा था की यह अचानक से क्या हो गया. वो किस तरह का जानवर था जो गाड़ी की बोनट पे कूड़ा था. फिर रोहन भी उस गाड़ी के थोड़ा ही दूर रहा होगा की उसने देखा की गाड़ी के अंदर भायते हुए सभी लोग दरवाजा खोल कर और चीख पुकार करते हुए बाहर की और भाग रहे थे और उन सब के पीछे तीन और दरिंदे पहुंच गये.
उसने कुछ देर सोचा की वो क्या करे. फिर वो अपनी गुण निकाला और उन दरिंदो पर हमले करने लगा. उन दरिंदो में एक को गोली लगी और वो एकदम दर्द से कराह कर एक भयांक आवाज़ नाकली जैसे किसी शेयर की भी नहीं होती है….पर वो गोली उसका ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाई बल्कि वो और हिंसक हो गया और वो रोहन की और दौड़ कर आने लगा. रोहन भी बाइक चलते हुए उसके करीब आ रहा था और उस पर निशाना साधते हुए गोली चला रहा था. पर दरिन्दा वो हर गोली से बचता हुआ एक दम गुस्से में आया और एक हाथ से रोहन पर प्रहार किया. उसके इस प्राहार से रोहन संभाल नहीं सका और वो बाइक समेट उस खाई में गिरने लगा.
आह……आह…..आह. श्रुति उस खाई में गिरने के बाद ऐसे ही कुछ देर गिरने के बाद कराहते हुए उठ कर बैठने की कोशिश करने लगी. पर उसे ऐसा करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पढ़ रहा था..क्योंकि वो खाई में गिरने के बाद जैसे तैसे अपने आपको बचाते हुए ज़मीन पर गिरी थी और इसमें वो बुरी तरह जख्मी हो गयी थी. उसके मुंह के अंदर से काफी खून बह रहा था , शायद अंदर से होंठ या जबड़े पर चोट लगी होगी और माथे पर भी काफी मर लगी हुई थी., जिसकी वजह से खून माथे से गिरकर पूरे चेहरे को लहुलहान कर रहा था. उसके हाथों पर भी काफी छोटे आई थी. उसके हाथों पर कितनी ही जगहों से चाँदी च्चिल गयी थी और वहां से भी लहू रिस रहा था. उसके पेट पर भी कई जगहों से चाँदी च्चिल गयी थी. और उसके पैर की तो और भी बुरी हालत थी वो एक पैर तो उठा भी नहीं पा रही थी.
वो घायल इस कदर हो चुकी थी की उसे उठने का मन नहीं कर रहा था, पर उसे उतना ही था क्योंकि आख़िर वो कब तक यूँही यहां पड़ी रहेगी. आख़िर उसे यहां से जल्द से जल्द निकलना भी तो था. खैर जैसे जैसे कर के वो खड़ी हुई और लंगड़ते हुए पेड़ों के सहारे आगे बढ़ने की हिम्मत करने लगी…अब उसे ठंड भी बहुत लग रही थी..क्योंकि उसने जो टी-शर्ट पहना हुआ था वो भी कई जगहों से फॅट चुका था जिसकी वजह से उसके जिस्म का कई हिस्सा भी दिख रहा था और ऊपर से जनवरी के मौसम में उत्तर भारत में और वो भी रातों को ठंड का जो आलम होता है उसे सहना हर किसी के बस की बात नहीं होती है……और श्रुति जैसे नाज़ुक, कमज़ोर और कम उमर की लड़की की तो बिलकुल नहीं
वो जैसे तैसे कर के आगे बाद रही थी तभी उसे एहसास हुआ की उसकी बाईं और काफी झाड़िया थी. वहां से दो लाल आँखें उसे घूर रही है…वो झट से उसे देखने की कोशिश करने लगी. वहां पर थोड़ा अंधेरे की वजह से पहले उसे कुछ ठीक से दिखा नहीं पर जब वो लाल आँखों वाला जब उस झाड़ियों से बाहर निकला तो उसने देखा की यह वैसा ही एक दरिन्दा है जो उस पर और उसके दोस्तों पर हमला किया था….फिर वो अचानक उसके तरफ लपकने लगा. श्रुति उस दरिंदे को…