(UPDATE-34)
श्रुति बेचारी जो पहले से ही घायल थी, रोहन की मर खाने के बाद और भी अधमरी हो गयी थी. वो वही ज़मीन पर पड़ी रही और रोती गयी. जब काफी देर से उसका रोना हो गया तो, उसने सोचा की अब वो क्या करेगी, कैसे इस भयानक जंगल से निकलेगी. वो वापस उस खाई के ऊपर चढ़कर तो नहीं जा सकती क्योंकि उसे डर था की कही वो जानवर फिर से ना आ जाए और दूसरा वो इतनी घायल भी हो चुकी थी उसे एक एक कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा था तो ऊपर चदाय कैसे करती. उसे तो दूसरा कोई रास्ते के बारे में भी कुछ पता भी नहीं है और ऊपर से वो इतनी घायल हो चुकी है की उसे एक एक कदम चलना मुश्किल हो रहा था. पर उसने सोचा की अगर वो यहां ऐसे ही भाते रहेग्गी तो वो भयानक दरिन्दा फिर ना आ जाए. इससे पहले वो दो बार उस दरिंदे के हमले से बच चुकी थी पर अब शायद ऐसा ना हो. यही सब सोचते सोचते वो उठने की हिम्मत करने लगी. पर उसे उठने में बहुत कठिनाई हो रही थी. वो अपने बायें पैर को बड़ी मुश्किल से हिला पा रही थी वो उससे चलती कैसे. एक 20 साल की लड़की, जिसने अभी पूरी दुनिया देखना बाकी था, ना जाने उसने अपने लिए क्या क्या सपने संजोए थे, ना जाने कैसे कैसे ख्वाब देखे थे उसने अपने भावष्या के बारे में, मगर आज अपने आपको इस स्थिति में देखकर उसे ऐसा लगने लगा था की वो अब शायद ही यहां से ज़िंदा बचकर जा पाएगी, वो भी तब जब उसने अपनी आख़नों के सामने अपने दोस्तों की उन दरिंदो के हाथों इतनी भयानक मौत देखी थी. फिर उसे अपने मामा और पापा की याद आने लगी खासकर के अपने पापा की. आज उसे एहसास हो रहा था उसके पापा उसके लिए इतने चिंतित क्यों रहते थे, क्यों उसे इतना समझाया करते थे. उसे इस बात का एहसास हो रहा था वो अपने पापा की बातों को अनसुना कर के कितनी बड़ी गलती वो किया करती थी. उसे तो बस अपने मामा की ही बातें समझ में आती थी. उसने कभी यह नहीं सोचा की उसके लिए क्या गलत है और क्या सही. वो तो बस दौलत की चकाचौंध में खो गयी थी. फिर वो सोचने लगी और अपने उस भगवान से प्राठना करने लगी जिससे पहले आज तक उसने कभी भी उसे नहीं मना था. वो यही दुआ अपने परवर्दीगार से दुआ करने लगी के भगवान मुझे इस आफत से बच्चा ले, अगर में बच गयी तो आज के बाद कभी भी पापा की बातों का बुरा नहीं मानूँगी और मामा के दिखायें हुए रास्तो पर कभी भी नहीं चलूंगी
यही सब बातों को सोचते सोचते उसे आख़िर में हिम्मत मिली. उसके अंदर मानो एक नयी ऊर्जा सी आ गयी और वो फिर हिम्मत करके उठने की कोशिश करने लगी, बल्कि यह कहे की ज़िंदा रहने की कोशिश करने लगी. उसने देखा की कुछ दूरी पर लकड़ी का ताना पड़ा हुआ था. उसने थोड़ा रेंग रेंग वहां पर गयी और उस ताने को अपने हाथ में लिया और उसके सहारे खड़े होने लगी. अब वो उसी ताने के सहारे चलने की कोशिश करने लगी. उसके मान में यही था की वो जल्द जल्द इस जंगल से निकले. और इसके लिए पहले एक रास्ता तलाश करना होगा. वो जानती थी की रोड उस खाई के ऊपर है पर उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी वो उसपर चढ़ कर रोड की तरफ जाए. आख़िर में उसने यही तय किया की वो उस रोड की सीध में जाएगी और जहाँ ढलान थोड़ी कम होगी वहां से ऊपर चढ़ कर वो रोड पर चली जाएगी. वहां से कोई ना कोई गाड़ी जरूर गुज़रेगी तो वो उनसे मदद माँग लेगी.
रोहन को चलते चलते एक घंटा बीत चुका था और उसका दिमाग बहुत खराब था. वो यही सोच रहा था की साला कितनी मुश्किल से उस हैवान से लड़कर मैंने उस रंडी लड़की की जान बचाई थी और मादरचोड़ मेरी ही अंडवे पे लात मर दी. साला अभी तक दुख रहा है. रोहन यही सोच रहा था की वो क्या सोच कर उनके पीछे आया था और क्या वो लोग के साथ हो गया. फिर अचानक उसका ध्यान भीमा की कही हुई बातों पर गया जिसे भीमा ने विचित्र प्राणी कह रहा था कही वो यही दरिंदे तो नहीं थे. वो सोचने लगा की आख़िर यह किस तरह का….