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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

AK 24

Supreme
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(UPDATE-38)



उसने फौरन राका को अपने से दूर फेंका और झट से श्रुति का हाथ पकड़ा और वहां से उल्टी दिशा में भागने लगा. श्रुति भी उसके साथ भागने लगी बावजूद इसके के उसका बाया पैर में बिलकुल ताक़त नहीं थी. पर उस वहशी दरिंदे को देखकर तो मुर्दा भी जगह जाए उसका पैर क्या चीज़ है. वो दोनों भागते रहे जितनी दूर हो सके. उन्होंने पलट कर देखने की भी कोशिश नहीं की राका और उसके साथियों का क्या हाल हो रहा होगा वहां पर. बल्कि उन्हें देखने की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि उनकी चीखें ही उन्हें वहां का सारा हाल बता रही थी.

आधे घंटे तक भागते भागते अचानक श्रुति के बायें पैर में एकदम से दर्द उठा. और श्रुति कराहते हुए वही ज़मीन पर गिर पड़ी.
“क्या हुआ?” रोहन उसे ज़मीन पर गिरते हुए देखा तो बोला.
“मेरा पैर!!!! अब मुझमें और ताक़त नहीं है दौड़ने की बल्कि में तो अब चल भी नहीं सकती.” दर्द से कराहते हुए श्रुति ने कहा. रोहन ने देखा की श्रुति वास्तव में अपना पैर पकड़ के एक दम रोने सी सूरत बनाई हुई थी. इतनी देर से दोनों के भागने के कारण वो दोनों साँसें भी तेज तेज ले रहे थे जिसकी वजह से श्रुति की दोनों चुचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थी. मगर रोहन का ज़हन इतना ठरकी क़िस्म का नहीं था की वो औरतों के जिस्म को निहारे. पर श्रुति की बड़ी बड़ी च्चातियाँ थी ही ऐसी और उसपर उसका जो टी-शर्ट था वो आगे से पूरा फटा हुआ था. सिर्फ़ नीचे से उसकी नाआभी तक कुछ बच्चा हुआ था. जिसकी वजह से उसकी छ्चातियाँ सिर्फ़ उसके ब्रा में ही दिख रही थी. अब अगर ऐसा नज़ारा होगा तो रोहन क्या अच्छे अच्छे ईमान वालो का ईमान डगमगा जाए. पीछे मौत भी सर पर सवार थी फिर भी इसके बावजूद रोहन अपने आपको श्रुति की दोनों कोमल छातियाँ को देखे बगैर ना रही सका. वो दो या तीन बार देखता फिर नज़र फेयर लेता. थोड़े देर बाद श्रुति को भी एहसास हुआ की पीछे आती मौत की वजह से और पाई के दर्द की वजह से वो यह भूल गयी थी के उसकी दोनों छाती आधी से ज्यादा नंगी है . क्योंकि उसके ब्रा के कप का साइज इतना भी बड़ा नहीं था की वो उसकी कोमल चुचियों को छुपा सके. श्रुति ने फौरन अपने दोनों हाथों से अपने सीने को ढकने की कोशिश की.


यह देखकर रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ की वो क्या कर रहा था. बेचारी यह लड़की उसी की ही वजह से उसकी यह हालत हुई है और वो उसी ही बदन को निहार रहा था. उसे फौरन अपनी गलती का एहसास हुआ और जल्दी से अपनी जॅकेट उतारते हुए श्रुति की तरफ बढ़ा दिया.
“लो यह जॅकेट पहन लो.” रोहन, श्रुति को जॅकेट देते हुए कहा.
“नहीं चाहिए मुझे यह तुम्हारी गंदी सी जॅकेट.” श्रुति का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था. क्योंकि जब भी उसे अपनी तक़लीफ़ का एहसास होता तो इसका जिम्मेदार रोहन को ही मानती थी.
“देखो मुझे पता है के यह जॅकेट तुम अमीरों के लायक नहीं है पर इस वक्त यह तुम्हारा जिस्म ढकने के लिए काफी है.” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा. फिर श्रुति थोड़ा जीझक कर वो जॅकेट पकड़ ली और उसे पहनने लगी. जब उसने वो जॅकेट पहन लिया तो उसे कुछ राहत मिली. एक तो उसका जिस्म भी नुमाया था दूसरे उसे अब ठंड का एहसास थोड़ा कम लगने लगा.
“अपना पैर दिखा.” रोहन, श्रुति के पास भात ते हुए कहा.
“इसकी कोई जरूरत नहीं है. पहले चोट दो फिर बाद में मरहम भी खुदी लगाने आओ.” श्रुति ने रोहन पर व्यंग करते हुए कहा.
“देखो उसके बारे में बाद में बात करेंगे पहले यहां से हमें निकलना होगा वरना यहां कब और किस मोड़ पे वही दरिन्दा दोबारा आ जाए कुछ कह नहीं सकते…” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा. श्रुति पहले तो कुछ नहीं बोली . फिर उसे एहसास हुआ की रोहन सही कह रहा है उन्हें अभी इसी वक्त यहां से निकालने के बारे में शोचना होगा वरना वो दरिंदे पता नहीं फिर कहा से आ जाए.
“पर कैसे? मुझे तो मेरा पैर उठाया ही नहीं जा रहा है. में चलूंगी कैसे?” श्रुति ने कहा.
“हां हां में जानता हूँ, इसलिए तो कह रहा हूँ अपना पैर दिखाओ मुझे.” रोहन ने कहा. श्रुति बॉटम से अपनी जीन्स को थोड़ा उठाते हुए दिखाया . रोहन ने देखा की उसकी एडी एक दम सूजी हुई थी. एडी की जो हड्डी होती है वो तो दिख ही नहीं रही थी.
“अरे बाप रे!!! यह तो एकदम सूजा हुआ है.” रोहन, श्रुति की तरफ हैरत से देखते हुए कहा.
“हां मुझे पता है, तभी तो मुझे दर्द हो रहा है. “ श्रुति ने च्चिदते हुए कहा.
“देखो हमें फिलहाल यहां से किसी भी सूरत में निकलना होगा और उसके लिए हमें किसी सुरक्षित जगह पर जाना होगा. अगर तू बुरा ना मानो तो क्या में तुझे सहारा दे सकता हूँ चलने में.” रोहन ने श्रुति से आग्रह करते हुए कहा. श्रुति ने कुछ देर सोचा….
 

AK 24

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(UPDATE-39)



की क्या करे क्योंकि उसे प्राब्लम थी की रोहन उसे छ्छूए. पर इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था क्योंकि उसे भी पता था की यहां से निकलना है.
“ठीक है.” श्रुति ने बस इतना कहा. और फिर रोहन, श्रुति के बायें आकर उसे खड़े से सहारा देने की कोशिश करने लगा. जब श्रुति, रोहन के सहारे पूरी तरह खड़ी हो गयी तो रोहन ने कहा की वो उसके खड़े पर अपना हाथ रख ले ताकि बैलेन्स बना रहे. पहले तो श्रुति ऐसा करने में हिचकिचाई पर फिर और कोई चारा ना देख कर वो रोहन के खड़े पर अपना हाथ रख दिया. रोहन भी उसे पूरी तरह सहारे देने के लिए उसके दायें खड़े को पकड़ लिया. पहली बार उसे कोई मर्द उसके इतनी करीब आया था. रोहन के बदन से उठी हुई महक भी श्रुति को आ रही थी. श्रुति इस सब सिचुयेशन में अपने आपको कंफर्टबल महसूस नहीं कर पा रही थी. भले ही वो एक मल्टी-बिलियनेर की बेटी थी पर वो अपनी जिंदगी में कभी भी मर्दों को इतने करीब नहीं आने दी थी. उसे तो बस वेट था उस व्यक्ति का जो उसके ख्वाबो में आया करता था, वो चाहती थी की उसे वही व्यक्ति पहले छ्छूए जो उसके दिल के करीब हो. इसलिए आज तक वो वर्जिन थी. उसके ग्रुप में ऐसी कोई या शायद पूरे कॉलेज में ऐसी कोई लड़की नहीं होगी जो वर्जिन ना हो. श्रुति के अब तक वर्जिन होने पर उसके दोस्त उसका मज़ाक भी उड़ाया करते थे. उसके सपनों के राजकुमार के नाम से उसे च्चिदाते थे. और यही वजह थी की श्रुति, रोहन को अपने इतने करीब पकड़ असहज महसूस कर रही थी. उसने कभी सपने में भ नहीं सोचा होगा की जिस व्यक्ति से वो इतनी नफरत करती है वही व्यक्ति उसके इतने करीब आना वाला पहला मर्द होगा.


तकरीबन एक घंटे चलने के बाद वो दोनों काफी दूर तक आ गये थे. फिर श्रुति को थकान भी लगने लगी. उसने रोहन से कहा की .”रुको! अब मुझसे और नहीं चला जा रहा है और मुझे लगता है की शायद वो जानवर अब हमारे पीछे नहीं आएँगे तो क्या में थोड़ी देर आराम कर सकती हूँ.” श्रुति ने रोहन से कहा.
“हां हां ठीक है.” रोहन ने कहा. वो भी थोड़ा तक गया था तो उसने सोचा इस बहाने वो भी अपनी थकान मिटा लेगा. फिर उसने श्रुति को एक पत्थर पर भीताया और अपना भी थोड़ी दूर दूसरे पत्थर पर भात गया. तकरीबन 10 मिनट तक उन दोनों के बीह में कोई बात नहीं हुई. फिर रोहन को श्रुति के पैर के बारे में याद आया वो उठा और यहां वहां झाड़ियों में कुछ तलाश करने लगा और तलाश करते करते हुए वो थोड़ा झाड़ियों के अंदर की और चला गया. श्रुति भी देख रही थी की इसे अचानक क्या हुआ है और यह किस चीज़ को इतने जिज्ञासा से ढूंढ. रहा है. जब रोहन झाड़ियों के अंदर चला गया था तो वो थोड़ी चिंतित होने लगी की आख़िर यह कहा जा रहा है उसे अकेला चोद के. वो सोचने लगी के कही यह वापस से तो नहीं उसे अकेला चोद कर जा रहा है. वो घबरा के अपनी जगह से उठने की कोशिश कर ही रही थी तभी उसे रोहन झाड़ियों से निकलता हुआ दिखाई दिया और उसके हाथ में इस वक्त में पट्टियों जैसा कुछ था. फिर वो उन पट्टियों को लेकर एक छोटे से घड़दे में पानी पड़ा हुआ था , उस पानी से उसने उस पट्टियों को अच्छी तरह से भिगोया और फिर श्रुति ने देखा की रोहन उसी की और वो पत्तियाँ लेकर आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी की अचानक उसे इस पट्टी की क्या जरूरत पढ़ गयी.
“अपनी जीन्स अपनी घुटनों तक मोड़ लो.” रोहन, श्रुति के सामने घुटनों के बाल भात ते हुए कहा.
“क्या? पर क्यों?” श्रुति ने कहा.
“देख यहां कोई डॉक्टर तो आएगा नहीं तेरे इस सूजे हुए पैर का इलाज करने के लिए, इसलिए अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो यह और सूज जाएगा. तो इसलिए जो हो सकता है में वो करने की कोशिश कर रहा हूँ इस सूजन को दूर करने के लिए.” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा.
“तो क्या इस पट्टियों से मेरे पैर की सूजन कम हो जाएगी?” श्रुति ने पूछा.
“पूरी तरह तो नहीं होगी लेकिन कुछ राहत तो जरूर मिलेगी.” रोहन ने कहा.
“ठीक है.” कहते हुए श्रुति ने अपना जीन्स को बॉटम से उठा कर थोड़ा ऊपर कर दिया.
“देख जब में इस पट्टियों को तेरे पैर में लगाओंगा तो थोड़ा जलेगा पर तू हिलना डुलना बिलकुल नहीं वरना यह निकल जाएँगी. जितना यह जलेगा उतना ही तेरे पैर की सूजन के लिए अच्छा रहेगा” रोहन उसे समझाते हुए कहा जिसके जवाब में श्रुति ने सिर्फ़ सर हिला कर यह कहना चाहा की वो उसकी बात समझ गयी है.
“ जीन्स थोड़ी सी और ऊपर कर.” रोहन ने फिर से श्रुति से कहा. श्रुति थोड़ा झिझकने लगी.
“देख मुझे पत्तियाँ बाँधने के लिए थोड़ी जगा चाहिए और तेरी जीन्स की वजह से मुझे….
 

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Both updates are awesome ....great going bro.. :yourock: :yourock:

(UPDATE-24)


रहा था. वैसे इसके दोस्त लोग कहा है?” परवेज़ , रोहन से फूचने लगा.
“वो लोग अभी अंदर ही है. यह मैडम की तबीयत ज़रा खराब है इसलिए आराम फरमाने गाड़ी में आकर भात गयी थी.” रोहन ने उसे बताया.
“और हमारा काम आसान कर गयी.” परवेज़ ने जल्दी से कहा.
“तुम लोग को आख़िर क्या चाहिए?” श्रुति ने कहा जो अब थोड़ा नॉर्मल हो चुकी थी.
“तुम्हारे दोस्तों को आने दो पता चल जाएगा. बस तुम इतना समझ लो हम तुम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुचना चाहते. हमें अपनी मंजिल तक जाना है और इसमें हमें तुम लोगों की जरूरत पड़ेगी.” रोहन ने कहा. फिर रोहन ने देखा की श्रुति के सारे दोस्त ढाबे से बाहर आ रहे थे.
“चुप चाप भायते रहना. ज़रा सा भी हिलने की कोशिश की ना तो यही ठोंक दूँगा और गोली की आवाज़ भी बाहर नहीं जाएगी क्योंकि इस गुण पर साइलेनसर लगा हुआ है.” रोहन ने श्रुति के ऊपर गुण तानते हुए कहा.

श्रुति उस वक्त को कोसने लगी की जब निशा ने उसे अपने साथ इस ट्रिप पर चलने को कहा था और उसके बहुत रिकवेस्ट करने पर वो राजी हो गयी थी उन लोगों के साथ चलने को. वरना उसका मान तो नहीं था इन लोगों के साथ में चलने का. उसके बाद तो और नहीं हुआ जब उसे पता चला की निखिल भी उनके साथ आ रहा है, बल्कि वो लोग निखिल के ही फार्महाउस पर जो नैनीताल में है जा रहे है. पर निशा के काफी समझने पर वो राजी हो गयी थी. फिर उसके बाद उसकी नोक झोंक भी हो गयी थी निखिल और छाया के साथ जिससे उसका मूंड़ अब तक नहीं ठीक हुआ था. अभी वो यह सब चीज़ों के बारे में सोच रही की इतने में यह एक नयी मुसीबत आ गयी. उसने सोचा की आज कल उसका दिन ही उसके लिए बहुत खराब चल रहा है, घर में पापा का अलग टेन्शन है ऊपर से यह नयी मुसीबत गले पढ़ गयी है.

“परवेज़? तू जल्दी से गाड़ी उतार और वो लोग के पीछे पीछे आ. फिर जैसे ही वो लोग गाड़ी के करीब पहुचेंगे तू उन्हें बताना की……..” रोहन परवेज़ की तरफ देखते हुए बोला. “ आगे कुछ और बोलने की जरूरत है तुझे?”
“नहीं बॉस! में समझ गया मुझे क्या करना है. फिक्र मत कर में सब संभाल लूँगा.” कहते हुए परवेज़ गाड़ी से उतार गया.


“चलो देखते है मैडम का क्या हाल है. अकेली भैते भैते शायद उसका दिमाग कुछ ठीक हुआ हो.” छाया ने कहा जो अपने दोस्तों के साथ ढाबे से बाहर आ रही थी.
“छाया प्लीज़, अभी उसे मत च्छेदना और नाहीं उससे कुछ कहना. उसका मूंड़ वैसे ही खराब है और खराब हो जाएगा.” निशा ने छाया को समझाते हुए कहा.
“हां छाया प्लीज़, अभी यह सब मत करना. अभी वॉंट तो एंजाय और उसके खराब मूंड़ से सारा एजॉयंेंट स्पायिल हो जाता है.” आहना भी निशा का साथ देते हुए बोली.
“ओके ठीक है बाबा, कुछ नहीं बोलूँगी उसे . फाइन? “ छाया च्चिदते हुए निशा और आहना की तरफ देखते हुए बोली. यही सब कहते हुए सभी जैसे ही गाड़ी की तरफ बढ़े, अचानक उन्हें पीछे से एक आवाज़ आई “ सुनो भी ओये लौंदो लोग!! यह आवाज़ सुनकर सभी लोग ने पीछे मुड़कर देखा की एक आदमी अपने हाथ में पिस्तौल कमर के पास छुपा के उनके तरफ तन के खड़ा था. यह देख कर सभी लोग दहशत में आ गये. “अंदर जो तुम्हारी दोस्त है ना? उसके साथ में अपना एक यार भरता है और वो उसके भेजे में गुण रखा हुआ है. तुम लोग बस सिर्फ़ इतना करो की बिना कोई आवाज़ किए गाड़ी में चुप चाप भात जाओ. वरना में और मेरा दोस्त तुम लोग के साथ क्या करेंगे यह तुम लोगों को कहने की जरूरत नहीं है मुझे. समझे??” परवेज़ ने उन्हें भी अपनी गुण दिखाते हुए बोला. उन सभी ने खिड़की के अंदर से देखा की वास्तव में श्रुति के साथ कोई भरता हुआ है और उस पर गुण ताने हुए है. फिर वो लोग ज्यादा कुछ नहीं किए और चुपचाप जाकर गाड़ी में भइतने लगे.
“ओये हीरो! तू इधर आ क्या नाम है तेरा ? परवेज़ ने उनमें से एक को बुला कर पूछा.
“जी निखिल!!!.” निखिल डरते हुए जवाब दिया.
“गाड़ी कौन तेरा बाप चलाएगा??….चुप चाप जाकर ड्राइविंग सीट पर भात और जहाँ चलने बोलू वही चलना और कोई होशियारी मत करना समझा?” निखिल बिना कुछ बोले ड्राइविंग सीट पे भात गया. फिर उसके बाद परवेज़ गाड़ी की एक वाली पीछे की सीट पे भटीह गया. यह एक 7 सीटर वाली सुव थी लेकिन अब बैठने वाले 9 थे.

रोहन और परवेज़ के बैठने के बाद उसमें जगह नहीं हो रही थी मगर फिर भी दोनों एडस पड़स जगह बनाते हुए उन लोगों के बीच बैठ गये थे.. परवेज़, निशा , प्रतीक और ऋषि एक दम पीछे वाली सीट पर भायते हुए थे और रोहन, श्रुति, और छाया बीच वाली सीट पर भायते हुए थे और आहना , निखिल के साथ ड्राइविंग सीट के पास वाली सीट पर भाती हुई थी.
“सुनो भी….
(UPDATE-25)


तुम सब!! हम लोग का इरादा तुम लोगों को कोई चोट पहुचाने का नहीं है. हमें बस अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तुम सब लोगों की जरूरत है. इसलिए तुम सब लोग हमारे साथ अच्छे से रहना, अगर ज़रा सी भी कोई होशियारी दिखाने की कोशिश की तो सालों भून के रख दूँगा सभी को. समझे क्या? “ रोहन ने चिल्लाते हुए सभी से कहा. फिर सभी ने बड़ी बड़ी “जी और हां हां” कहते रहे .
“हम….इसी में तुम सबकी भलाई है वरना मुझे किसी को जान से मारने में ज़रा भी देर नहीं लगती. तुम सब को ठोंक कर चला भी जाऊंगा तो भी मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि यह मेरा रोज़ का काम है. “ अब किसी के अंदर हिम्मत नहीं हो रही थी वो सब उन दोनों की गन्स और उनका मुकाबला कर सके. क्योंकि रोहन ने उन्हें इतना डरा दिया था की वो लोग की हिम्मत ही नहीं हो रही थी कुछ करने की. और वैसे भी उसने उन लोगों से कह दिया था की वो सिर्फ़ उसके मंजिल तक उसे चोद दे बस. इसलिए उन्होंने और ज्यादा कुछ करने का साहस पैदा नहीं हुआ.
“आबे ड्राइवर के बच्चे? क्या नाम है तेरा ? रोहन ने निखिल से कहा.
“निखिल. “ निखिल सिर्फ़ इतना ही कहा.
“सुन? मोरडाबाद बायें पास से जो लेफ्ट टर्न है वहां से लेफ्ट टर्न लेकर रामनगर की और चलना. समझा? रोहन ने उसे आर्डर देते हुए कहा.
“र्र..र्र…रामनगर? हमें रामनगर जाना होगा? तुमने तो कहा था की सिर्फ़ तुम्हारी मंजिल तक पहुंचा दे ? “ निखिल ने ड्राइविंग करते हुए कहा.
“हां तो रामनगर ही हमारी मंजिल है. बल्कि हमें तो उससे भी थोड़ा आगे जाना है. अब तू ज्यादा सवाल पूंछ पूंछ के मेरा भेजा मत खाना चुप चाप गाड़ी ड्राइव करते रही. रोहन ने कहा.
“सुनिए? निशा ने रोहन से कहा. “आपको अगर हमारी गाड़ी की जरूरत है तो गाड़ी ले जाए पर प्लीज़ हमें चोद दीजिए.” निशा ने बहुत गिड गीदा कर कहा.
“हहाहहाहा…” रोहन हंसते हुए कहा. “तुझे क्या लगता है हमारे पास गाड़ी नहीं थी या फिर हमें तेरी गाड़ी के लालच में यह सब कर रहे है? नहीं ऐसा नहीं है. बल्कि हमें तुम लोगों की जरूरत है . “ रोहन ने कहा.
“हमारी जरूरत? मतलब?” छाया ने जल्दी से कहा.
“मतलब भी समझ में आ जाएगा पर फिलहाल अभी चुप भायतो वरना मेरा दिमाग खराब हुआ तो सालों सबको यही ठोंक दूँगा. ….कोई कुछ नहीं बोलेगा अब.” रोहन ने सबको वॉर्निंग देते हुए कहा.


कोई एक डेढ़ घंटे के बाद वो लोग रामनगर पहुंचे तो रोहन ने निखिल से कहा “ आबे ओये ड्राइवर यहां से यह लेफ्ट वाले रोड पे टर्न ले और चल जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क.”
“जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क? हमें वहां तक जाना होगा?” ऋषि ने कहा.
“वहां तक नहीं बल्कि अंदर तक जाना होगा. यही तो सारा खेल है. उसके अंदर पहुँचे का जरिया बनाना चाहता हूँ में तुम लोगों को.” रोहन ने कहा.
“प्लीज़, ऐसा मत करो. अपना कहा था की आपकी मंजिल तक पहुंचा दे. हम आपको वहां तक चोद देंगे. फिर अंदर जाने के क्या मतलब? प्रतीक ने कहा.
“में आखिरी बार सबसे कह रहा हूँ, वरना अभी क्सिी ने कुछ एक लफ़्ज़ भी मुंह से निकाला ना तो सच में साअला यही ठोंक दूँगा भेंचूड़ लोग. मेरी बात किसी की समझ में नहीं आ रही है क्या, मादरोचूड़ो? “ रोहन को अब वास्तव में गुस्सा आने लगा था और जब वो गुस्से में आता है तो ऐसे ही गालिया बकते रहता है. रोहन को चिल्लाते हुए देखकर अब किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ बोलने की. सब लोग चुप चाप भाई हुए थे. कुछ 15 मिनट की ड्राइव के बाद रोहन ने निखिल को गाड़ी रोकने के लिए कहा.
“फिर रोहन, प्रतीक की तरफ घूमते हुए कहा “ओये तू? वो जो काउंटर दिख रहा है ना वहां से हम सब के लिए टिकट ले ले. और वो जो भी पूछे उसका जवाब ठीक से देना. हमारे बारे में उन्हें कुछ मत बताना. उन लोगों से कहना की सब तेरे फ्रेंड्स है और हम लोग पार्क में घूमने के लिए आए है , समझा? अगर कोई गड़बड़ किया ना तो तू जानता है में क्या करूँगा.” रोहन, श्रुति के ऊपर गुण तानते हुए कह रहा था. “तेरे पास तेरा आइडी हैं ना?” रोहन ने प्रतीक से कहा
“ हां हां मेरे पास मेरा आइडी है.” प्रतीक ने जवाब दिया.
“और सुन हम दोनों के नाम विवेक और राजन बताना समझा? रोहन ने उसे फिर कहा.
“ओके ठीक है.” प्रतीक कहता हुआ वहां से टिकट काउंटर पर चला गया.
“अगर वो लोग इधर आए चेकिंग के लिए तो कह देना की हम सब तुम्हारे दोस्त है.” रोहन ने सभी से कहा.

फिर कुछ आधे घंटे तक उनकी पूरी फॉरमॅलिटी हो गयी. उन्होंने भी कुछ ज्यादा चेकिंग नहीं की वो यह ही समझते रहे की यह लोग कॉलेज स्टूडेंट्स है पार्क के अंदर घूमने के लिए आए हुए है. इसलिए उनकी सामानो की भी ज्यादा तलाशी नहीं हुई और फिर उसके बाद उन्हें पार्क के अंदर जाने दिया गया.

फिर जब पार्क के कुछ अंदर….
 

abhi1008

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super fantastic udate bro with brilliant writing skills
sab badh chale maut ki or

:yourock: :yourock: :yourock:
(UPDATE-28)


कहा.
“ओके सर! में अभी सब चीज़ का बंदोबस्त करता हूँ.” कहते हुए रामसिंघ उमेश के केबिन से निकल गया. रामसिंघ के जाने के बाद उमेश सोच में पढ़ गया की आख़िर यह क्या हो रहा है. पहले वो उन लोगों से परेशान था जो जंगली जानवरों का शिकार करते थे और उनके बॉडी पार्ट्स को बेचते थे , अब यह नयी मुसीबत गले लग गयी थी यह अजीब से दिखने वाले जानवर. आज से इससे पहले तो ऐसी कोई बात नहीं हुई यहां पर अचानक ऐसे कैसे हो गया. कहा से यह जानवर आएँगे होंगे. रात्ोड़ कह रहा था वो बंदर जैसे दिहकते है पर बंदर नहीं थे. और सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है की वो पूरा का पूरा इंसान को एक ही झटके में कहा जाते है वो भी इतनी सफाई से की जिस्म का एक भी माँस नहीं बचता. यही सब सोचते सोचते उमेश ने फैसला किया की वो अभी खुद जाएगा सर्च पार्टी के साथ उन जानवरो की तलाश में.


“थॅंक गोद, आख़िर उन दोनों से च्छुतकारा मिला.” छाया ने कहा.
“में पहले भी नहीं आना चाहती थी तुम लोगों के साथ में और फिर तुम लोगों की वजह से में इस मुसीबत पे पढ़ गयी.” श्रुति ने एकदम गुस्से में आकर कहा.
“ओह हेलो! कोई किसी को फोर्स नहीं किया है साथ में चलने को, सब अपनी मर्जी से आए है.” च्चाइया ने श्रुति के ऊपर गुस्सा करते हुए कहा.
“मैंने तुमसे नहीं कहा है. यू जस्ट चुत युवर मौत. ओके?” श्रुति ने उंगली दिखाते हुए गुस्से से छाया की तरफ देखते हुए कहा.
“वाइ शुड ई चुत में मौत? यू चुत युवर मौत यू बिच. तुम्हारी वजह से हमारी पूरी जर्नी स्पायिल हुई है.” छाया ने भी गुस्से से कहा.
“चुप भैइतो तुम दोनूऊ!!!! तुम दोनों पागलों की तरह लड़ना बंद करो.”ऋषि ने चिल्लाते हुए दोनों से कहा . “शुक्र मनाओ की हम उस कमीने के चंगुल से आज़ाद हो गये है “ में अभी दरवाजा पर पहुंच कर साले के बारे में बताऊंगा की अंदर साले दो आतंकवादी घुस गये है. उनके पास हथियार भी है.”
“तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे ऋषि!!! उसने हमें वॉर्न किया है की अगर हमने उनके बारे में कुछ कहा तो वो हमें छोड़ेगा नहीं और स्पेशली मुझे क्योंकि वो बस्टर्ड ने मुझे अकेले बुलाकर धमकिया दे रहा था.” कहते हुए निखिल चुप बैठ गया.
“पर निखिल तुम बताते क्यों नहीं की उसने आख़िर तुमसे और क्या क्या कह रहा था क्योंकि उसे धमकिया देना होता तो वो हम सबके सामने तुम्हें धमकिया दे सकता था, यूँ अकेले नहीं बुलाता.” आहना ने निखिल से कहा.
“में अभी उस बारे कुछ नहीं कह सकता. बस इतना समझ लो की अगर हमने उन दोनों के खिलाफ कुछ कदम उठाया तो हमारे साथ बहुत बुरा होगा.” निखिल ने कहा.
इससे पहले की कोई कुछ और कहता उनको कुछ फोरेस्ट रेंजर्स ने उनका रोसता रोका.
“क्या बात है? क्या हुआ? निखिल ने अपने पास आते हुए गार्ड्स से कहा.
“आप लोग कहा जा रहे है.” उस गार्ड ने कहा.
“हम कालगरह जा रहे है फिर वहां से हम इस पार्क से निकल जाएँगे. क्यों क्या हुआ ऑफिसर? “निखिल ने कहा.
“आप को वापस जाना होगा क्योंकि कालगरह का रास्ता किन्हीं जरूरी कारानो की वजह से बंद कर दिया गया है. आप लोगों को झिरना के रास्ते से बाहर जाना पड़ेगा. और आप लोगों के साथ में हमारा एक गार्ड भी होगा.” उस ऑफिसर ने बताया.
“पर क्यों ? रास्ता क्यों बंद है. देखिए हमें जल्दी नैनीताल पहुचना है हमें पहले से ही देर हो रही है और अगर हम झिरना से जाएँगे तो हमें और लेट हो जाएगा.” निखिल ने कहा.
“सॉरी! आप यहां से नहीं जा सकते कुछ खतरा है यहां से. आपको झिरना के रास्ते से ही जाना होगा.
“जाने दो ना हम वही से निकलते है “ आहना ने निखिल को समझते हुए कहा.
“ठीक है हम वही से जाएँगे. ओके थेन्क यू!!! निखिल ने कहा.
“पर आपके साथ हमारा एक गार्ड भी जाएगा.”
“अब गार्ड की क्या जरूरत है में कोई पहली बार नहीं आया हूँ. मुझे वहां का रास्ता पता है.” निखिल ने कहा.
“देखिए हम आपको बिना गार्ड के नहीं भेज सकते क्योंकि अब रात भी होने वाली है . तो इसलिए खतरा बना रहेगा.” उस ऑफिसर ने समझाते हुए कहा.
“खतरा कैसे खतरा? देखो यहां कौनसा जुनगल्ली जानवर आएगा ? यह कोई कोर एरिया तो है नहीं” निखिल ने कहा.
“ हां में जानता हूँ फिर भी आपको गार्ड को अपने साथ लेकर जाने होगा यह सिर्फ़ आपकी प्रोटेक्शन के लिए है.” और इसी तरह की और भी बातचीत होती रही निखिल और उस ऑफिसर में. फिर बाद में तय हुआ की उनके साथ एक गार्ड भी जाएगा. निखिल, आहना को फीचे भीता दिया और उस गार्ड को अपने बाजू में.

“परवेज़? सुशांत को फोन लगा और उसे बोल दे की हम लोग नेशनल पार्क के अंदर पहुंच गये है.” रोहन ने कहा. फिर परवेज़ अपनी जेब से मोबाइल निकाला और सुशांत को फोन लगाने लगा.
“हेलो! सुशांत! मैंने तुम्हें यह कहने के लिए फोन किया है की हम नेशनल पार्क के अंदर पहुंच गये है.”
“तुम लोग अंदर….
(UPDATE-29)




पहुंच गये हो……? पर कैसे? क्या तुम्हें किसी ने रोका नहीं?” दूसरी तरफ सुशांत ने हैरत से कहा.
“अरे सुशांत कितनी भी सेक्यूरिटी टाइट कर लो तुम लोग परवेज़ जैसे चट्टान को नहीं रोक पाओगे.” परवेज़ अपंदी बधाई करते हुए बोला.
“खैर वो सब थोड़ी. यह बताओ की तुम हमें कहा मिल रहे हो? क्योंकि हम दोनों धिकला फोरेस्ट लोंज पहुंच गये है और थोड़े ही देर में भीमा भी आने वाला है” परवेज़ ने फिर कहा.
“मुझे तो अभी थोड़ा टाइम लगेगा. एक काम करो तुम लोग वही लोंज में मेरा वेट करो में तुम्हें ड्यूटी से छूटने के बाद आकर मिलता हूँ.” सुशाण ने कहा.
“चल ठीक है कोई बात नहीं, हम भी रेस्ट हाउस में अपनी कमर थोड़े सीधी कर लेंगे. तुम आ जाना अपना काम पता कर.” कहते हुए परवेज़ ने फोन काट दिया. फिर वो रोहन की तरफ घूमा और कहने लगा.
“वो कह रहा है की अपना काम पता……..” परवेज़ कुछ और कहता उससे पहले ही रोहन उसे टोकते हुए बोला.
“हां हां पता है मुझे वो अपनी ड्यूटी पूरी करके आएगा और हमें इस लोंज में आकर मिलेगा. मुझे सब समझ में आ गया है.” रोहन ने कहा. फिर उन्हें दूर से भीमा आते हुए दिखा. भीमा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के आस पास बसे हुए गाँव का निवासी था. वो रोहन और परवेज़ को जानवरो का शिकार करने में और उन्हें यहसे सुरक्षित निकालने में उनकी मदद करता था जिससे उसे अच्छे पैसे मिलते थे.


“हां भीमा क्या हाल है.” रोहन भीमा को देखते हुए कहा..
“सब चंगा है सरकार, आप अपनी सुनाए. “ भीमा अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा.
“हम भी मजे में है दोस्त” रोहन ने जवाब दिया.
. वो तीनों अब थोड़े ही दूर पर बने हुए एक रेस्ट हाउस की तरफ जा रहे थे जहाँ उन्हें रुकना था.
“इधर का माहौल कैसा है भीमा?” रोहन ने चलते हुए कहा
“मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं है, लेकिन जहाँ तक में समझ रहा हूँ माहौल कुछ ठीक नहीं है. पता नहीं आज कल यह फोरेस्ट रेंजर वाले इतने चौकसी क्यों बढ़ा दी है. जब आपने फोन किया मुझे की आप लोग आने वाले है तो मैंने सोचा की एक बार आप लोगों को मना कर दम. फिर जब आपने यह कहा की इस बार काम किसी चीनी पार्टी का है और काम बड़ा करना है तो फिर मैंने कुछ कहा नहीं.” भीमा ने रोहन को समझाते हुए कहा.
“पर इतनी टाइट सेक्यूरिटी क्यों बढ़ा दी गयी है? ऐसा क्या गज़ब हुआ है?” परवेज़ ने कहा.
“सरकार! अभी थोड़े ही देर पहले मेरा एक साथी मुझे बता रहा था की कालगरह के आस पास इलाके में कुछ जानवरो ने कुछ फोरेस्ट ऑफिसर्स और तौरसितस पर हमला किए है. वो यह भी बता रहा था की वो आम जंगली जानवर नहीं थे बल्कि कोई विचित्र जानवर थे जिन्हें इससे पहले नाहीं कभी देखा गया है और नाहीं कभी उनके बारे में सुना गया है. वो और भी कुछ बता रहा था की उससे पहले आप लोगों का फोन आ गया तो मैंने बात अधूरी चोद कर आप लोगों से मिलने चला आया.” भीमा ने कहा.
“में समझा नहीं. विचित्र जानवर बोले तो?” रोहन ने भीमा से कहा.
“विचित्र मतलब थोड़े से अजीब जानवर.” भीम ने उसे विचित्र के मतलब बताते हुए कहा.
“अरे भीमा….मैंने विचित्र का मतलब नहीं पूछा है तुमसे , मेरा यह कहने का मतलब है ऐसा कौनसा जानवर है जिसे आज तक किसी ने देखा नहीं और नाहीं उनके बारे में सुना है.” रोहन ने कहा.
“मुझे भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, जैसा के मैंने अभी आप को बताया की आप लोगों का फोन आने पर में यही चला आया.” भीमा ने कहा.
“वो तो खैर ठीक है पर जब चौकसी इतनी तरफ गयी है तो हम शिकार कैसे करेंगे?” इस बार परवेज़ कुछ चिंतित स्वर में भीमा से कहा.
“फिक्र मत करिए परवेज़ बाबू! यह लोग चाहे कितनी भी चौकसी बदहले हम गाँव वाले को थोड़े ही ना रोक पाएँगे. इतने बारे जंगल का मुझे चप्पा चप्पा पता है. अगर हम इन लोगों से डर के भात गये तो हो गया हमारा काम. इन्हें चकमा कैसे देना है वो हम अच्छी तरह से जानते है. आप लोग उसकी फिक्र मत करो.” भीमा ने कहा.
“हां भीमा वो हमें पता है तुम कितने काम के आदमी हो. खैर वो सब चोदो क्या अपने आदमी जमा कर लिए हो ना?” रोहन ने भीमा से कहा.
“हां सरकार जब आप लोगों का फोन आया तभी से में इस जुगाड़ में लग गया था.” भीमा ने कहा.
“सरकार? इस बार कितना माल मिलेगा? क्योंकि क्या है हमारी तो ज़मीन जायदाद तो है नहीं और हमें इस काम के अलावा कोई काम धाम भी नहीं आता तो हमें इसी काम पर निर्भर रहना पढ़ता है और ऊपर से इतने दीनों से कोई काम भी नहीं हुआ है तो हम सब लोग बेरोज़गार भायते हुए है….अगर इस बार ज़रा कुछ ज्यादा मिल जाता तो बड़ी मेहरबानी होगी सरकार….” भीमा बारे
“हां भीमा में भी इस बात को समझता हूँ. तुम फिक्र मत करो इस बार तुम्हें और तुम्हारे साथियों को जितना भी दूँगा….

 
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