(UPDATE-48)
तक सोई हुई थी.?” श्रुति ने रोहन का सवाल का जवाब ना देते हुए सब कुछ एक ही झटके में कह डाला.
“यही कोई साथ घंटा.” रोहन ने जवाब दिया.
“साथ घंटा? में साथ घंटे तक सोई थी और मुझे पता भी नहीं चला? और…..तुम साथ घंटे तक ऐसे ही भायते रहे थे.?” श्रुति ने हैरत में पढ़ते हुए कहा. रोहन ने जवाब में कुछ नहीं कहा बस धाम से वही ज़मीन पर लेट गया. उसकी कमर और पीठ सात घंटे तक एक ही पोज़िशन में बैठे रहने से दुखने लगी थी. श्रुति फिर रोहन से पूछने लगी
“तुम रियली ऐसे ही साथ घंटे तक सोए थे ?”
“तुम्हें क्या लगता है?” रोहन ने कहा.
“ई डोंट बिलीव इट” तुम सात घंटे तक ऐसे ही बैठे थे? मुझे उठा देते यूँ एक ही पोज़िशन में इतना लंबा बैठने की क्या जरूरत थी” श्रुति ने कहा.
“कोई बात नहीं. मैंने कोई बड़ा काम नहीं किया है. मुझे आदत है इतनी तक़लीफ़ उठाने की और वैसे भी तुम ताकि हुई थी और जख्मी भी थी इसलिए मैंने सोचा की अगर तुम थोड़ा सो जाओगी तो तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा.” रोहन, श्रुति से कहने लगा. श्रुति को विश्वास नहीं हो रहा था जिस आदमी की वजह से उसकी यह हालत हुई थी वही आज उसके लिए इतनी तक़लीफ़ उठा रहा था. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो कैसे शुक्रिया अदा करे. फिर भी उसने कहा.
“एनीवे थॅंक्स!! “मुस्कुराते हुए श्रुति, रोहन का शुक्रिया अदा करने लगी. रोहन और श्रुति जब तक साथ में थे यह पहला मौका जब श्रुति ने उसकी तरफ मुस्करा कर देखा था.
“अब यह थेन्क यू वंकयौ रहने दे और यह बता तेरा पैर कैसा है? “
“अब थोड़ा ठीक है” श्रुति अपने पैर की एडी दिखाते हुए कहा जो वास्तव में उसके पैर की सूजन कम हो गयी थी.
“तो तू चल सकती है अभी?” रोहन ने कहा.
“हम…”श्रुति ने बस इतना ही कहा.
“तो ठीक है चलते है फिर.” रोहन अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला.
“क्या हमें उसी ढलान पर चलना होगा?” श्रुति ने थोड़ा चिंतित स्वर में कहा.
“हां उसी ढलान पर चलना होगा पर, तू घबरा मत में तेरी मदद करूँगा चढ़ने में.” रोहन ने कहा.
“ओके ठीक है चलो.” श्रुति भी अपनी जगह से खड़े होते हुए बोली. उसके पैर का दर्द तो तदोआ कम हो गया था पर इतना भी कम नहीं हुआ था. उसे अब भी चलने में कठिनाइया हो रही थी. पर इस बार वो कोशिश कर रही थी वो बिना रोहन के सहारे चले. हालाँकि पहले की तरह उसका गुस्सा रोहन पर से थोड़ा कम हो गया था पर भी वो रोहन से थोड़ा दूरी बनाना चाहती थी.
“तुम्हारे अंदाज़े से कितना देर लगेगा हमें वहां तक पहुंचने में?” श्रुति ने रोहन से कहा.
“यही कोई डेढ़ दो घंटा.” रोहन बस इतना कहते हुए आगे बढ़ने लगा. उन्हें चलते हुए कुछ एक घंटा हुआ होगा तभी वो एक नदी के पास पहुंचे तो श्रुति ने रोहन से कहा.
“सुनो!! थोड़े देर यही पर रुक जाते है, मुझे थोड़ी थकान भी लग रही है.” श्रुति ने कहा.
“ठीक है “ कहते हुए रोहन वहां पर एक बारे से पत्थर के ऊपर बैठ गया. वो दोनों अभी एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और अपनी थकान मिटा रहे थे. पर वो इस बात से अंजान थे की उनके पीछे नदी के अंदर से एक मौत उनकी तरफ धीरे धीरे तरफ रही है. पहले तो रोहन का ध्यान उस और नहीं गया था पर, जब उसने देखा की नदी के अंदर से कोई चीज़ उनकी तरफ तरफ रही है. उसे उस वक्त समझ में नहीं आ रहा था फिर वो चीज़ ज़रा और करीब आई और श्रुति के करीब पहुँची तो उसे समझ में आ गया था की वो क्या चीज़ है. उसने देखा की एक मगरमच्छ (क्रॉकडाइल) अपना जबड़ा फाड़े श्रुति की तरफ तरफ रहा था. रोहन फौरन जूते में फँसे हुआ खंजर निकाला और श्रुति की तरफ बढ़ा और उसका हाथ पकड़ उसे उठाया और एक तरफ कर दिया फिर उस मगरमच्छ पर झपट पढ़ा.
श्रुति की तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अचानक यह आदमी हाथ में खंजर लिए उसे धकेल कर क्या करने जा रहा था. लेकिन जब उसने देखा की रोहन एक मगरमच्छ पर अपने खंजर से हमला कर रहा है तो यह देख कर उसकी चीख निकल गयी. उसने देखा की रोहन उस मगरमच्छ पर अनगिनत वार किए जा रहा था. वो एक दम घबरा गयी थी और दहशत के मारे थर थर काँप रही थी. एक के बाद एक मुसीबत से वो एक दम निढल हो गयी थी. फिर थोड़ी देर के बाद रोहन उस मगरमच्छ को मौत के घाट उतार कर श्रुति की तरफ पलटा. उसने देखा की श्रुति थर थर काँपे जा रही थी. फिर वो श्रुति के करीब गया और उससे कहने लगा.
“घबरा मत वो अब मर चुका है.” पर रोहन के समझने पर भी श्रुति रोए जा रही थी. क्योंकि इससे पहले उसने अपनी जिंदगी में मौत को अपने इतने करीब कभी नहीं देखा था. मगर कल से उसे ना जाने कितनी…