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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

abhi1008

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(UPDATE-48)



तक सोई हुई थी.?” श्रुति ने रोहन का सवाल का जवाब ना देते हुए सब कुछ एक ही झटके में कह डाला.
“यही कोई साथ घंटा.” रोहन ने जवाब दिया.
“साथ घंटा? में साथ घंटे तक सोई थी और मुझे पता भी नहीं चला? और…..तुम साथ घंटे तक ऐसे ही भायते रहे थे.?” श्रुति ने हैरत में पढ़ते हुए कहा. रोहन ने जवाब में कुछ नहीं कहा बस धाम से वही ज़मीन पर लेट गया. उसकी कमर और पीठ सात घंटे तक एक ही पोज़िशन में बैठे रहने से दुखने लगी थी. श्रुति फिर रोहन से पूछने लगी
“तुम रियली ऐसे ही साथ घंटे तक सोए थे ?”
“तुम्हें क्या लगता है?” रोहन ने कहा.
“ई डोंट बिलीव इट” तुम सात घंटे तक ऐसे ही बैठे थे? मुझे उठा देते यूँ एक ही पोज़िशन में इतना लंबा बैठने की क्या जरूरत थी” श्रुति ने कहा.
“कोई बात नहीं. मैंने कोई बड़ा काम नहीं किया है. मुझे आदत है इतनी तक़लीफ़ उठाने की और वैसे भी तुम ताकि हुई थी और जख्मी भी थी इसलिए मैंने सोचा की अगर तुम थोड़ा सो जाओगी तो तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा.” रोहन, श्रुति से कहने लगा. श्रुति को विश्वास नहीं हो रहा था जिस आदमी की वजह से उसकी यह हालत हुई थी वही आज उसके लिए इतनी तक़लीफ़ उठा रहा था. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो कैसे शुक्रिया अदा करे. फिर भी उसने कहा.
“एनीवे थॅंक्स!! “मुस्कुराते हुए श्रुति, रोहन का शुक्रिया अदा करने लगी. रोहन और श्रुति जब तक साथ में थे यह पहला मौका जब श्रुति ने उसकी तरफ मुस्करा कर देखा था.
“अब यह थेन्क यू वंकयौ रहने दे और यह बता तेरा पैर कैसा है? “
“अब थोड़ा ठीक है” श्रुति अपने पैर की एडी दिखाते हुए कहा जो वास्तव में उसके पैर की सूजन कम हो गयी थी.
“तो तू चल सकती है अभी?” रोहन ने कहा.
“हम…”श्रुति ने बस इतना ही कहा.
“तो ठीक है चलते है फिर.” रोहन अपनी जगह से खड़े होते हुए बोला.
“क्या हमें उसी ढलान पर चलना होगा?” श्रुति ने थोड़ा चिंतित स्वर में कहा.
“हां उसी ढलान पर चलना होगा पर, तू घबरा मत में तेरी मदद करूँगा चढ़ने में.” रोहन ने कहा.
“ओके ठीक है चलो.” श्रुति भी अपनी जगह से खड़े होते हुए बोली. उसके पैर का दर्द तो तदोआ कम हो गया था पर इतना भी कम नहीं हुआ था. उसे अब भी चलने में कठिनाइया हो रही थी. पर इस बार वो कोशिश कर रही थी वो बिना रोहन के सहारे चले. हालाँकि पहले की तरह उसका गुस्सा रोहन पर से थोड़ा कम हो गया था पर भी वो रोहन से थोड़ा दूरी बनाना चाहती थी.
“तुम्हारे अंदाज़े से कितना देर लगेगा हमें वहां तक पहुंचने में?” श्रुति ने रोहन से कहा.
“यही कोई डेढ़ दो घंटा.” रोहन बस इतना कहते हुए आगे बढ़ने लगा. उन्हें चलते हुए कुछ एक घंटा हुआ होगा तभी वो एक नदी के पास पहुंचे तो श्रुति ने रोहन से कहा.
“सुनो!! थोड़े देर यही पर रुक जाते है, मुझे थोड़ी थकान भी लग रही है.” श्रुति ने कहा.
“ठीक है “ कहते हुए रोहन वहां पर एक बारे से पत्थर के ऊपर बैठ गया. वो दोनों अभी एक नदी के किनारे बैठे हुए थे और अपनी थकान मिटा रहे थे. पर वो इस बात से अंजान थे की उनके पीछे नदी के अंदर से एक मौत उनकी तरफ धीरे धीरे तरफ रही है. पहले तो रोहन का ध्यान उस और नहीं गया था पर, जब उसने देखा की नदी के अंदर से कोई चीज़ उनकी तरफ तरफ रही है. उसे उस वक्त समझ में नहीं आ रहा था फिर वो चीज़ ज़रा और करीब आई और श्रुति के करीब पहुँची तो उसे समझ में आ गया था की वो क्या चीज़ है. उसने देखा की एक मगरमच्छ (क्रॉकडाइल) अपना जबड़ा फाड़े श्रुति की तरफ तरफ रहा था. रोहन फौरन जूते में फँसे हुआ खंजर निकाला और श्रुति की तरफ बढ़ा और उसका हाथ पकड़ उसे उठाया और एक तरफ कर दिया फिर उस मगरमच्छ पर झपट पढ़ा.
श्रुति की तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अचानक यह आदमी हाथ में खंजर लिए उसे धकेल कर क्या करने जा रहा था. लेकिन जब उसने देखा की रोहन एक मगरमच्छ पर अपने खंजर से हमला कर रहा है तो यह देख कर उसकी चीख निकल गयी. उसने देखा की रोहन उस मगरमच्छ पर अनगिनत वार किए जा रहा था. वो एक दम घबरा गयी थी और दहशत के मारे थर थर काँप रही थी. एक के बाद एक मुसीबत से वो एक दम निढल हो गयी थी. फिर थोड़ी देर के बाद रोहन उस मगरमच्छ को मौत के घाट उतार कर श्रुति की तरफ पलटा. उसने देखा की श्रुति थर थर काँपे जा रही थी. फिर वो श्रुति के करीब गया और उससे कहने लगा.

“घबरा मत वो अब मर चुका है.” पर रोहन के समझने पर भी श्रुति रोए जा रही थी. क्योंकि इससे पहले उसने अपनी जिंदगी में मौत को अपने इतने करीब कभी नहीं देखा था. मगर कल से उसे ना जाने कितनी…
Awesome update bro.....brilliantly written ... :yourock: :yourock:
 

AK 24

Supreme
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Jabardast dhamakedar khatarnak romanchak shandar behtareen fantastic update brother......
to akhir kar jo socha tha voh ho gaya...lekin is sab ke bad Shruti kaise react karegi...bahud bhadiya likha tumne brother..... bichara bhima janeka man bhi nahi tha fir bhi gaya or mara gaya....Parvez aur Sushant ki to halat kharab ho gayi...bal bal bache bichare ab dekhte hai ki tiwari ji yeh sab Jan ne ke bad kya kadam uthaenge.....
keep writing...
keep posting......
THANKS BROTHER
KEEP SUPPORTING
 

AK 24

Supreme
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(UPDATE-61)


मिली और उसके आस पास मानव कंकाल मिले. पहले तो हमें समझ में नहीं आया की यह सब क्या और कैसे हुआ. हम इसी के बारे में सोच ही रहे थे तभी हमने एक ऐसे हैवान को देखा जिसको देखने के बाद अच्छे अच्छे के होश उड़ जाएँ. वो हैवान एक बंदर की शकल वाला था और उसने देखते ही देखते हमारे साथ पास का एक गाँव वाला और भी था उसको चियर फाड़ के उसको मौत के घाट उतार दिया. में तो उस हैवान को देख कर ही अपने होश खो बैठा था. लेकिन में और मेरा दोस्त जैसे तैसे करके वहां से अपनी जान बचके भाग लिए.” फिर सुशांत थोड़ा रुक कर फिर से कहा “ सर! हमें जल्द से जल्द कुछ करना होगा वरना…..” सुशांत कुछ और कहने ही वाला था की तभी उमेश जो इतनी देर से खामोश बैठा हुआ सुशांत की बातें सुन रहा था कहने लगा.
“तुम जिस जानवर के बारे में बता रहे हो उसके बारे में हमें पता है. लेकिन मुझे यह नहीं मालूम था जो कालगरह में हुआ वो वहां पर भी हो जाएगा.”
“वही तो में भी कह रहा हूँ सर! अगर हम उन जानवरों को जल्दी नहीं रोके तो प्रलय मच जाएगी. हमें जल्दी से कोई एक्शन लेना होगा.” सुशांत ने कहा.
“मैंने अल्लरेअदी तमाम फोरेस्ट रेंजर्स को हर टूरिस्ट स्पॉट पर तैनात किया हुआ. बल्कि अब हमें उन सब टूरिस्ट्स को इस जंगल से जितनी जल्दी हो सके बाहर निकालना होगा. अगर हमने जल्दी कुछ नहीं किया तो पता नहीं क्या हो जाए.” उमेश ने कहा.
“वो तो ठीक है सर! लेकिन इस वक्त मुझे मेरे दोस्त की जान बचना बहुत जरूरी है. पता नहीं उसके साथ क्या गुजर रही हो.”
“वो तुम्हारा कौन दोस्त है? और इस वक्त अकेले उधर क्या कर रहा था.?” उमेश ने सुशांत से सवाल पूछा. पहले तो सुशांत थोड़ा झिजक की वो क्या जवाब दे इसे. वो कैसे बताता की वो एक पोचर है और वो भी खुद उसके साथ मिला हुआ है. लेकिन फिर वो हिम्मत करके जवाब दिया.
“सर! वो एक नेचर फोटोग्राफर है. वो अक्सर इस नेशनल पार्क में आता जाता रहता है और थोड़ा अद्वेंटरऔस भी है इसलिए कही भी और किसी भी वक्त चला जाता है. “
“तो तुम्हें क्या लगता है उसके साथ में कुछ नहीं हुआ होगा? जैसा तुम बता रहे हो की वो जानवर तुम्हारे ऊपर हमला किया था तो हो सकता है उस पर भी हमला किया होगा. अगर वो ज़िंदा भी होता तो अब तक उसका पता चल जाना था.” उमेश ने कहा.
“वो तो ठीक है सर लेकिन हम उम्मीद तो नहीं चोद सकते. प्लीज़ सर! मुझे अपने साथ गार्ड्स ले जाने की पर्मिशन दे दीजिए.” सुशांत इस बार उससे थोड़ा रिकवेस्ट करने लगा.
“ओके ओके ठीक है! जब तुम इतना कह रहे हो तो ठीक है ले जाओ. लेकिन अगर सुबह तक ना मिले तो वापस चले आना. समझ जाना की वो अब ज़िंदा नहीं है. और इसके अलावा हमें और गार्ड्स की जरूरत भी पड़ेगी पूरा जंगल खाली करने के लिए.”
“ओके सर! में समझ गया. जैसा आप कह रहे है वैसे ही होगा. अब में चलता हूँ.” सुशांत अपनी सीट से उत्ते हुए उमेश की केबिन से निकल गया.


उमेश की ऑफिस से निकालने के बाद सुशांत अपने साथ और गार्ड्स लिया और रेस्ट हाउस पहुंच कर परवेज़ को भी अपने साथ ले लिया. फिर उसके बाद वो सब उसी जगह पर पहुंच गये जहां पर उस गाड़ी के पास वो सारे कंकाल मिले थे. वहां पहुंच कर सुशांत ने अपने सारे गार्ड्स को जरूरी निर्देश दिए और वो सब रोहन की तलाश में निकल पड़े.

इधर दिल्ली में,

रात की खामोशी में अपने अपार्टमेंट में आरती अपने बेडरूम में दो दिन से थके होने के कारण एक दम गहरी नींद में सोई हुई थी. तभी उसके पलंग के पास में रखे हुए टेबल पर रखा हुआ उसका मोबाइल बजने लगा. आरती नींद से बेमन से उत्त्ते हुए फोन में देखे बिना ही फोन काट दिया. अभी उसे फोन काटे हुए थोड़ा ही देर हुआ था की उसका मोबाइल दोबारा बजने लगा. इस बार चिथड़े हुए उसने उत्त्ते हुए अपना मोबाइल उठाया और देखने लगी के किसका फोन है. उसने देखा की उसका एक फोटोग्राफर दोस्त मयंक का फोन था. वो अपने में बड़बड़ाते हुए बोली “ओफफो हो…..अभी इसे क्या काम पढ़ गया. इतनी रात को फोन कर रहा है.”
“क्या बात है मयंक? ऐसा कौनसा जरूरी काम पढ़ गया जो रात के 3 बजे मुझे नींद से जगा के परेशान कर रहे हो?” आधी नींद में डूबते हुए आरती ने दूसरी तरफ मयंक से कहा.
“एक जर्नलिस्ट के लिए क्या रात और क्या दिन. तुम्हें तो हर वक्त तैयार रहना चाहिए की कही कोई खबर तुम्हारा वेट कर रही हो.” मयंक ने कहा.
“आआआहह…..” एक लंबी जमाई लेती हुई आरती ने फिर मयंक से पूछा “ओके ठीक है अब यह लेक्चर देना बंद करो….और कहो किस लिए फोन किए हो.”
“तुम कहा हो इस वक्त अभी?” मयंक ने कहा.
“ओह कामन मयंक….अब यह क्या सवाल है? ओफ्कोर्स में सो रही हूँ तो अपने घर पर….
 

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(UPDATE-62)



ही रहूंगी.” आरती ने कहा
“नहीं…मुझे लगा की हो सकता है तुम शायद कही अपने किसी मिशन पर हो.” मयंक ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
“नो यार आज कल कोई काम नहीं है इसलिए सारे घोड़े बेच के सो रही थी. सोचा था आज जी भर के सो लूँगी, लेकिन अब लगता है तुम फिर कोई घोड़ा लेकर आए हो मेरे लिए.” आरती ने कहा.
“हां तुमने ठीक कहा में तुम्हारे लिए एक बेहतरीन घोड़ा लाया हूँ. जिसे बेच कर तुम मालामाल हो जाओगी.” मयंक ने कहा.
“अब बस भी करो मयंक….में नींद में हूँ जल्दी से बताओ तुम कहना क्या चाहते हो?” आरती ने कहा.
“तुम अभी और इसी वक्त जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के लिए निकल सकती हो?” मयंक ने कहा.
“जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क? और वो भी इस वक्त. तुम क्या वहां उस जंगल में सही में कोई घोड़ा मेरे लिए देखे हो क्या?” आरती ने थोड़ा चौंकते हुए कहा.
“देखो मेरी बात को मज़ाक में मत लो. अगर तुम सुबह तक यहां पर आ सकती तो तुम्हें एक बड़ी धमाकेदार और सेन्सेशनल न्यूज कवर करने को मिलेगी और तुम यह न्यूज सबसे पहले कवर करोगी तो….शायद मुझे तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है इससे तुम्हें और तुम्हारी न्यूज चॅनेल वाले को कितना फायदा पहुंचेगा.” मयंक ने कहा.
“ऐसी कौनसी न्यूज है जिससे मुझे और मेरे न्यूज चॅनेल को इतना फायदा होगा और वो भी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में?” आरती ने कहा.
“यहां इस जंगल में पिछले दो दीनों से कुछ गड़बड़ चल रही है…..पहले तो यहां के फोरेस्ट रेंजर्स वाले तो इस बात को दबा ने की कोशिश में लगे थे. लेकिन आज यह लोग तमाम टूरिस्ट्स को इस नेशनल पार्क से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे है. कहते है जंगल टूरिस्ट्स लोगों के लिए ख़तनाक हो चुका है. अब वो क्यों हुआ है यह तो नहीं बता रहे है ” इतना कह कर मयंक थोड़ा रुका ही था की आरती ने बीच में कह दिया.
“मगर क्यों? ऐसी क्या बात हो गयी की सारे टूरिस्ट्स को वहां से हटाया जा रहा है?”
“वो इसलिए क्योंकि यहां इस जंगल में कुछ दीनों से कुछ अजीब से दिखने वाले जानवर है, मैंने तो अपनी आँखों से तो देखा नहीं लेकिन जितना सुना हूँ उसके मुताबिक़ वो जानवरो की शकल बंदारो से बहुत मिलती जुलती है. लेकिन वो कोई आम से बंदर नहीं है, बल्कि अगर उन्हें हैवान या दरिन्दा कहा जाए तो गलत ना होगा. उन्होंने यहां इतना उत्पात मचाया हुआ है की उनसे पूरा जंगल खौफ खाए बैठा है. उन्होंने तो कितने फोरेस्ट ऑफिसर्स, टूरिस्ट्स और कुछ गाँव वालों को भी अपना निशाना बनाया है. अगर तुम इन लोगों के बारे में अपने न्यूज चॅनेल वालो के जरिए लोगों को बनाएगी तो तहलका मच जाएगा.” मयंक इतना कह कर चुप हो गया.
“हम….खबर तो काफी इंट्रेस्टिंग है लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा है जिस जानवरो की तुम बात कर रहे हो वो अचानक कहा से पैदा हो गये?” आरती ने कहा.
“अब यही तो पहेली है आरती . यह तो अभी किसी के समझ में नहीं आ रहा है की वो इतनी तादाद में कहा से आ गये. लेकिन तुम देर ना करते हुए अगर सुबह यहां जल्दी आ गयी तो बेहतर होगा तुम्हारे लिए.” मयंक ने कहा.
“वो तो ठीक है मयंक. लेकिन जैसा तुम कह रहे हो सारे टूरिस्ट्स को वहां से निकाला जा रहा है तो जाहिर सी बात है हमें अंदर भी आने नहीं दिया जाएगा? और मीडिया वालो को तो और भी नहीं” आरती ने कहा.
“तुम इसकी फिक्र मत करो आरती. वो मुझ पर चोद दो. यहां मेरी अच्छी खासी पहचान है. इतने सालों से मैंने यहां खाक नहीं छ्चानि है. तुम कैसे भी करके सुबह तक यहां आ जाओ. “ कहते हुए मयंक थोड़ा रुका फिर कहा “ और ज़रा मेरे बारे में भी ज़रा ख्याल करना.” मयंक का मतलब था की इतनी जरूरी इन्फार्मेशन के लिए भी कमिशन चाहिए था.
“तुम उसकी फिर्क मत करो. तुम्हें तुम्हारा हिस्सा मिल जाएगा. में सुबह तक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंच जाओंगी तुम तैयार रहना.” आरती ने कहा.
“ओके ठीक है में तैयार रहूँगा.” उसके बाद दोनों के बीच बातचीत खत्म हो गयी.


सुबह जब श्रुति की आँख खुली तो उसने अपने चारों तरफ देखने लगी. अचानक उसे कल रात में जो घटा था वो सब याद आने लगा. शर्म और पछतावे से उसकी आँखें झुक गयी. फिर उसने अपने बाजू में देखा तो रोहन वहां पर नहीं लेता हुआ था. वो उठ कर बैठने की कोशिश करने लगी. उसने देखा की उसे वही चादर जो उसने रोहन के बदन पर लपेटा था अब उसके बदन पर लिपटा हुआ है. वो समझ गयी थी की रात में उसे ठंड लग रही होगी तो उसने उसे यह चादर ओढ़ा दी होगी. “लेकिन वो है कहा?” सोचते हुए श्रुति उस चादर को अपने बदन पर अच्छी तरह लपेटने के बाद पलंग से उतरने लगी. तभी उसने देखा की पलंग के थोड़े दूर पर लड़की का ढेर पर पढ़ा हुआ है और किसी ने उस पर आग जलाई हुई है ठंड से बचने के लिए. यह देख….
 

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(UPDATE-63)

कर श्रुति को बहुत अच्छा लगा की उसने उसका कितना ख्याल रखा है. उसे ठंड से बचाने के लिए उसे चादर ओढ़ाया फिर आग जलाई ताकि कुछ ठंड से और राहत मिले. फिर श्रुति पलंग से उतार कर बाहर वाले कमरे में जाने लगी. लेकिन उसे रोहन वहां नहीं दिखा. वो थोड़ा परेशान हो गयी की यह किधर गया.वो फौरन यहां वहां देखने लगी लेकिन रोहन को ना पकड़ उसने घर के दरवाजे की तरफ जाते हुए बाहर देखने लगी. उसने देखा की बाहर अब बारिश थाम चुकी थी और सारे परिंदे अपनी अपनी आवाजें निकाल रहे थे. उनकी इस आवाज़ों से श्रुति काफी मनोरणजीत हो रही थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे की हूँ सब मिलकर कोई गाना गया रहे हो. फिर बाहर का इतना हसीना नज़ारा देखने के बाद श्रुति की निगाहें रोहन को ढूंढ़ने लगी की तभी उसे रोहन एक पेड़ के सहारे सिगरेट पीता हुआ मिला. श्रुति की तो जैसे जान में जान आई रोहन को देखकर. उसे तो लगा था की कही वो फिर से ना उसे चोद कर चला गया हो. रोहन भी उसे देख लिया था दरवाजे पर खड़े होते हुए.
“उठ गयी गयी तू……..? तेरे कपड़े सूख गये होंगे, मैंने उन्हें अंदर एक कुर्सी पर तांगा हुआ है. पहन लो उसे.” रोहन ने कहा. जवाब में श्रुति सिर्फ़ अपनी गर्दन थोड़ी हां के अंदाज़ में हिलाई और अंदर जाकर उस कुर्सी पर से अपने कपड़े उठाए और उसे पहन ने लगी.

थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहने कर बाहर आई जहां रोहन खड़े हुए अभी भी सिगरेट सुलगा रहा था. रोहन उसकी तरफ देखा फिर बोला.
“चलें?”
“हम….” श्रुति के इतना कहते ही दोनों अपनी मंजिल की और चलने लगे. दोनों कोशिश कर रहे थे एक दूसरे से नज़रे ना मिलने की. शायद वो दोनों कल रात में जो कुछ भी हुआ था उस पर शर्मिंदा थे. खासकर के श्रुति से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था. वो दोनों ऐसे ही थोड़ी देर तक चलते रहे की तभी


श्रुति ने रोहन से कहा.
“सुनो!!” श्रुति की आवाज़ पर रोहन पलट कर उसे देखने लगा
“मुझे भूख लगी है. मुझसे एक कदम भी आगे नहीं चला जबा रहा है.” कहते हुए श्रुति वही पास के एक पेड़ के पास तक लगा के खड़ी हो गयी. रोहन भी सोचा की उन दोनों ने डेढ़ दिन से कुछ खाया पिया नहीं है. भूख लगना तो लाज़मी है.
“रुको में कुछ इंतजाम करता हूँ.” रोहन ने कहा.
“तुम कहा जाओगे? में भी तुम्हारे साथ चलूंगी.” श्रुति ने कहा.
“रुको तुम….में कोई ज्यादा दूर नहीं जा रहा हूँ….यही पर हूँ.” कहते हुए रोहन आस पास के पेड़ो पर देखने लगा की कोई खाने लायक फल है की नहीं. तभी उसे बाहर और आलू बुखारे का पेड़ दिखा.
“वो देखो बाहर और आलू बकयरा का पेड़. अभी तो फिलहाल हमें इनसे ही अपनी भूख मिटानी होगी.” रोहन, श्रुति से कहते हुआ बाहर के पेड़ के पास गया और उसकी एक टहनी को जो काफी नीचे थी पकड़ के हिलाने लगा. उसके इस तरह थाने हिलाने से ढेर सारा बाहर के फल ज़मीन पर गिरने लगे. जब बहुत सारे बाहर के फल जमा हो गये तो उसने इसी तरह आलू बुखारे के फल भी जमा कर लिया. अब उनके पास इतने तो फल हो चुके थे की वो अपनी भूख को भगा सकते थे. सारे फल को रोहन एक जगह जमा कर के श्रुति को भी वही बुलाया और उससे कहने लगा
“अब यही मिले है मुझे. इसे खाके अपनी भूख मिटा ले.”
“यह क्या है? “ श्रुति आलू बुखारे को उठाते हुए कहा.
“आलू बकयरा. बहुत ही स्वादिष्ट होता है खाने में. खाके तो देखो” रोहन ने कहा. रोहन की बात सुनकर श्रुति उस आलू बुखारे के फल को खाने लगी.
“कैसे लगा?” रोहन ने श्रुति को खाते हुए देखा तो पूछा.
“हम………इट’से गुड….अच्छा है.” कहते हुए श्रुति इस बार बाहर के फल चखने लगी. वो दोनों कुछ देर तक इसी तरह खामोशी से फलों को कहा रहे थे. फिर थोड़ी देर के बाद श्रुति ने पूछा .
“अब हम क्या करेंगे? मतलब हमें उसी छोटी पर जाना होगा?”
“हां क्यों? तेरा पैर तो पहले से ठीक है ना?” रोहन, श्रुति के पैर की और देख कर कहा.
“हां मेरा पैर पहले से बेहतर है.” श्रुति ने रोहन के सवाल का जवाब दिया.
“हां तो बस अपना पेट भर के हम फिर वही चलेंगे.” रोहन ने कहा. फिर दोनों के बीच थोड़ी देर तक खामोशी च्छाई रही. फिर थोड़ी देर बाद श्रुति उस खोमोशी को तोड़ते हुए कहा.
“तुम्हें कुछ अजीब सा नहीं लगता.” श्रुति ने रोहन से कहा.
“क्या?” रोहन बाहर के फल को अपने मुंह में चबाते हुए कहा.
“हम पिछले दो दिन से साथ ही में है पर एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते.” श्रुति, रोहन की आँखों में देखकर कहा.
“क्या करेंगे नाम जानकार. मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करना है. में तो बस तुझे सही सलामत तेरे घर तक चोद दम, फिर तू अपने रास्ते और में अपने रास्ते.” रोहन ने कहा.
“क्यों नाम जाने के लिए दोस्ती करना जरूरी है क्या? अजनाबीयों के नाम नहीं होते क्या?” श्रुति ने कहा…..
 
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