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(UPDATE-64)
रोहन थोड़ी देर सोचा की यह लड़की क्या बात लेकर बैठ गयी है. लेकिन कुछ सोचकर उसने कहा.
“रोहन! रोहन नाम है मेरा.”
“अच्छा नाम है.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी की शायद रोहन उससे भी उसका नाम पूछे. लेकिन जब उसने देखा की वो बाहर और आलू बुखारे के फल खाने में व्यस्त है तो उसने पूछा.
“मेरा नाम नहीं पूचोगे?”
“क्या करूँगा जानकार? मैंने कहा ना मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करनी है.” रोहन सिर्फ़ इतना ही कहा.
“अरे तो मैंने सिर्फ़ दोस्ती करने के लिए ही नाम नहीं पूछा था. में तो बस ऐसे ही पूंछ लिया था.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी फिर कहा.
“और यह तुम क्यों मुझसे तेरे मेरे से बात करते हो. तुम्हें नहीं लगता लड़कियों से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.” श्रुति जो रोहन से अब तक सिर्फ़ जरूरत भर की बात किया करती थी अचानक से ना जाने क्यों उससे काफी घुल मिलकर बात करने की कोशिश कर रही थी. श्रुति के इस तरह कहने से रोहन को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था. पहले तो वो थोड़ी देर तक चुप बैठा. फिर उसने देखा की श्रुति अब भी उसके जवाब वेट कर रही थी तो उसने आख़िर कह ही दिया .
“में लड़कियों से ऐसे ही बात करता हूँ.”
“क्यों? कोई खास वजह?” श्रुति ने कहा.
“असल में…..देखो बुरा मत मना में तेरे बारे में नहीं कह रहा हूँ. मुझे लगता है लड़कियाँ जो होती है बहुत धोकेबाज़ होती है. वो सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचती है.” रोहन ने कहा.
“क्यों तुम ऐसा क्यों सोचते हो? क्या किसी लड़की ने तुम्हें धोखा दिया था क्या?” श्रुति ने फिर से रोहन से सवाल पूछा. रोहन को थोड़ा अजीब लग रहा था इस लड़की से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बात करना और दूसरी वजह यह भी थी के कल उन दोनों के बीच जो शारीरिक संभंध हुआ था उसकी वजह से वो थोड़ा शर्मिंदा भी था जिसकी वजह से वो बातें करने में थोड़ा झीजक रहा था. लेकिन उसे बड़ी हैरत हो रही थी के इस लड़की को और ज्यादा शरमाते के बजाए यह उससे बिलकुल खुल कर बातें कर रही थी.
“अरे चुप क्यों बैठे हो बताओ? “ श्रुति ने कहा.
“हां….थी एक लड़की” आख़िर रोहन, श्रुति के बार बार आग्रह करने पर अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताने लगा.
“संध्या नाम था उसका. मेरे स्कूल में पढ़ती थी वो. बहुत मासूम, बहुत ही भोली. उसकी अंदर जो चीज़ मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती थी वो थी उसकी मुस्कान.” रोहन अपनी इस कहानी के बारे में बताते हुए बिलकुल खो सा गया था. जैसे वो सारा दृश्या उसके सामने फिर से चल रहा हो.
“उसकी एक मुस्कान के लिए में सबकी नज़रे बचके घंटों उसे निहारा करता था. एक दिन ऐसे ही में उसे निहार रहा था की उसने भी जैसे समझ लिया था की में चुप चुप के उसे ही देख रहा हूँ. उस दिन तो वो कुछ ना बोली लेकिन जब उसने देखा की मेरा यूँ रोज़ रोज़ उसको निहारना बंद नहीं हो रहा तो एक दिन अपनी सहेलियों से दूर अकेले में उसने मुझे बुलाया. और मुझसे कहने लगी की में क्यों उसे रोज़ रोज़ देखता हूँ.” अचानक रोहन को याद आया की वो कुछ ज्यादा ही डीटेल में उसे कहानी बता रहा है. वो सोचने लगा की कही वो बोर तो नहीं हो रही है.
“अरे में भी तुझे कहा इतनी बातें करके बोर कर रहा हूँ. वो दरअसल बाद में यूँ हुआ की….” रोहन अभी पूरी बात कर भी नहीं पाया था की श्रुति उसे टोकते हुए कहा.
“अरे क्या हुआ? में कहा बोर हो रही हूँ. इनफॅक्ट मुझे तुम्हारी स्टोरी अच्छी लग रही है. तुम मुझे बताओ उसके बाद क्या हुआ जब उसने तुम्हें अकेले में बुलाया था?” श्रुति, रोहन की कहानी में काफी रूचि लेते हुए कह रही थी. रोहन थोड़ा रुका फिर कहना चालू किया.
“जब उसने यह कहा की में उसे क्यों घूर घूर के देखता हूँ तो….पहले तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था. क्योंकि में अंदर से बहुत डरा हुआ था. थोड़े देर तक तो में उस का हसीना चेहरा ही देखता रहा , लेकिन जब उसने मुझे दोबारा टोका तो मैंने भी झट से कह दिया की “जब तुम मुस्कुराती रहती हो तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और में बस घंटों भर तुम्हारी यही मुस्कुराहट देखने की कोशिश किया करता रहता हूँ. मुझे तो लगा था मेरे ऐसे कहने से वो खफा हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि वो मुझे कहने लगी “ तुम्हें सिर्फ़ मेरी मुस्कुराहट अच्छी लगती है और कुछ नहीं?” इतना कहते हुए वो हंसते हुए वहां से चली गयी. लेकिन जाते हुए अपने साथ में मेरा दिल भी ले गयी थी क्योंकि अब तक तो में दूर से बैठे हुए मुस्कुराते हुए देखा करता था लेकिन उस रोज़ में उसे अपने नज़दीक से हंसते हुए देखा था जैसे कोई मोटी बरस रहे हो. खैर उसका यूँ हंस कर चला जाना यह इस बात का संकेत था की जो मेरे दिल में उसके लिए जज़्बात है वो उसके दिल में भी….
रोहन थोड़ी देर सोचा की यह लड़की क्या बात लेकर बैठ गयी है. लेकिन कुछ सोचकर उसने कहा.
“रोहन! रोहन नाम है मेरा.”
“अच्छा नाम है.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी की शायद रोहन उससे भी उसका नाम पूछे. लेकिन जब उसने देखा की वो बाहर और आलू बुखारे के फल खाने में व्यस्त है तो उसने पूछा.
“मेरा नाम नहीं पूचोगे?”
“क्या करूँगा जानकार? मैंने कहा ना मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करनी है.” रोहन सिर्फ़ इतना ही कहा.
“अरे तो मैंने सिर्फ़ दोस्ती करने के लिए ही नाम नहीं पूछा था. में तो बस ऐसे ही पूंछ लिया था.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी फिर कहा.
“और यह तुम क्यों मुझसे तेरे मेरे से बात करते हो. तुम्हें नहीं लगता लड़कियों से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.” श्रुति जो रोहन से अब तक सिर्फ़ जरूरत भर की बात किया करती थी अचानक से ना जाने क्यों उससे काफी घुल मिलकर बात करने की कोशिश कर रही थी. श्रुति के इस तरह कहने से रोहन को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था. पहले तो वो थोड़ी देर तक चुप बैठा. फिर उसने देखा की श्रुति अब भी उसके जवाब वेट कर रही थी तो उसने आख़िर कह ही दिया .
“में लड़कियों से ऐसे ही बात करता हूँ.”
“क्यों? कोई खास वजह?” श्रुति ने कहा.
“असल में…..देखो बुरा मत मना में तेरे बारे में नहीं कह रहा हूँ. मुझे लगता है लड़कियाँ जो होती है बहुत धोकेबाज़ होती है. वो सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचती है.” रोहन ने कहा.
“क्यों तुम ऐसा क्यों सोचते हो? क्या किसी लड़की ने तुम्हें धोखा दिया था क्या?” श्रुति ने फिर से रोहन से सवाल पूछा. रोहन को थोड़ा अजीब लग रहा था इस लड़की से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बात करना और दूसरी वजह यह भी थी के कल उन दोनों के बीच जो शारीरिक संभंध हुआ था उसकी वजह से वो थोड़ा शर्मिंदा भी था जिसकी वजह से वो बातें करने में थोड़ा झीजक रहा था. लेकिन उसे बड़ी हैरत हो रही थी के इस लड़की को और ज्यादा शरमाते के बजाए यह उससे बिलकुल खुल कर बातें कर रही थी.
“अरे चुप क्यों बैठे हो बताओ? “ श्रुति ने कहा.
“हां….थी एक लड़की” आख़िर रोहन, श्रुति के बार बार आग्रह करने पर अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताने लगा.
“संध्या नाम था उसका. मेरे स्कूल में पढ़ती थी वो. बहुत मासूम, बहुत ही भोली. उसकी अंदर जो चीज़ मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती थी वो थी उसकी मुस्कान.” रोहन अपनी इस कहानी के बारे में बताते हुए बिलकुल खो सा गया था. जैसे वो सारा दृश्या उसके सामने फिर से चल रहा हो.
“उसकी एक मुस्कान के लिए में सबकी नज़रे बचके घंटों उसे निहारा करता था. एक दिन ऐसे ही में उसे निहार रहा था की उसने भी जैसे समझ लिया था की में चुप चुप के उसे ही देख रहा हूँ. उस दिन तो वो कुछ ना बोली लेकिन जब उसने देखा की मेरा यूँ रोज़ रोज़ उसको निहारना बंद नहीं हो रहा तो एक दिन अपनी सहेलियों से दूर अकेले में उसने मुझे बुलाया. और मुझसे कहने लगी की में क्यों उसे रोज़ रोज़ देखता हूँ.” अचानक रोहन को याद आया की वो कुछ ज्यादा ही डीटेल में उसे कहानी बता रहा है. वो सोचने लगा की कही वो बोर तो नहीं हो रही है.
“अरे में भी तुझे कहा इतनी बातें करके बोर कर रहा हूँ. वो दरअसल बाद में यूँ हुआ की….” रोहन अभी पूरी बात कर भी नहीं पाया था की श्रुति उसे टोकते हुए कहा.
“अरे क्या हुआ? में कहा बोर हो रही हूँ. इनफॅक्ट मुझे तुम्हारी स्टोरी अच्छी लग रही है. तुम मुझे बताओ उसके बाद क्या हुआ जब उसने तुम्हें अकेले में बुलाया था?” श्रुति, रोहन की कहानी में काफी रूचि लेते हुए कह रही थी. रोहन थोड़ा रुका फिर कहना चालू किया.
“जब उसने यह कहा की में उसे क्यों घूर घूर के देखता हूँ तो….पहले तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था. क्योंकि में अंदर से बहुत डरा हुआ था. थोड़े देर तक तो में उस का हसीना चेहरा ही देखता रहा , लेकिन जब उसने मुझे दोबारा टोका तो मैंने भी झट से कह दिया की “जब तुम मुस्कुराती रहती हो तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और में बस घंटों भर तुम्हारी यही मुस्कुराहट देखने की कोशिश किया करता रहता हूँ. मुझे तो लगा था मेरे ऐसे कहने से वो खफा हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि वो मुझे कहने लगी “ तुम्हें सिर्फ़ मेरी मुस्कुराहट अच्छी लगती है और कुछ नहीं?” इतना कहते हुए वो हंसते हुए वहां से चली गयी. लेकिन जाते हुए अपने साथ में मेरा दिल भी ले गयी थी क्योंकि अब तक तो में दूर से बैठे हुए मुस्कुराते हुए देखा करता था लेकिन उस रोज़ में उसे अपने नज़दीक से हंसते हुए देखा था जैसे कोई मोटी बरस रहे हो. खैर उसका यूँ हंस कर चला जाना यह इस बात का संकेत था की जो मेरे दिल में उसके लिए जज़्बात है वो उसके दिल में भी….