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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

AK 24

Supreme
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(UPDATE-64)


रोहन थोड़ी देर सोचा की यह लड़की क्या बात लेकर बैठ गयी है. लेकिन कुछ सोचकर उसने कहा.
“रोहन! रोहन नाम है मेरा.”
“अच्छा नाम है.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी की शायद रोहन उससे भी उसका नाम पूछे. लेकिन जब उसने देखा की वो बाहर और आलू बुखारे के फल खाने में व्यस्त है तो उसने पूछा.
“मेरा नाम नहीं पूचोगे?”
“क्या करूँगा जानकार? मैंने कहा ना मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करनी है.” रोहन सिर्फ़ इतना ही कहा.
“अरे तो मैंने सिर्फ़ दोस्ती करने के लिए ही नाम नहीं पूछा था. में तो बस ऐसे ही पूंछ लिया था.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी फिर कहा.
“और यह तुम क्यों मुझसे तेरे मेरे से बात करते हो. तुम्हें नहीं लगता लड़कियों से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.” श्रुति जो रोहन से अब तक सिर्फ़ जरूरत भर की बात किया करती थी अचानक से ना जाने क्यों उससे काफी घुल मिलकर बात करने की कोशिश कर रही थी. श्रुति के इस तरह कहने से रोहन को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था. पहले तो वो थोड़ी देर तक चुप बैठा. फिर उसने देखा की श्रुति अब भी उसके जवाब वेट कर रही थी तो उसने आख़िर कह ही दिया .
“में लड़कियों से ऐसे ही बात करता हूँ.”
“क्यों? कोई खास वजह?” श्रुति ने कहा.
“असल में…..देखो बुरा मत मना में तेरे बारे में नहीं कह रहा हूँ. मुझे लगता है लड़कियाँ जो होती है बहुत धोकेबाज़ होती है. वो सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचती है.” रोहन ने कहा.
“क्यों तुम ऐसा क्यों सोचते हो? क्या किसी लड़की ने तुम्हें धोखा दिया था क्या?” श्रुति ने फिर से रोहन से सवाल पूछा. रोहन को थोड़ा अजीब लग रहा था इस लड़की से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बात करना और दूसरी वजह यह भी थी के कल उन दोनों के बीच जो शारीरिक संभंध हुआ था उसकी वजह से वो थोड़ा शर्मिंदा भी था जिसकी वजह से वो बातें करने में थोड़ा झीजक रहा था. लेकिन उसे बड़ी हैरत हो रही थी के इस लड़की को और ज्यादा शरमाते के बजाए यह उससे बिलकुल खुल कर बातें कर रही थी.
“अरे चुप क्यों बैठे हो बताओ? “ श्रुति ने कहा.
“हां….थी एक लड़की” आख़िर रोहन, श्रुति के बार बार आग्रह करने पर अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताने लगा.
“संध्या नाम था उसका. मेरे स्कूल में पढ़ती थी वो. बहुत मासूम, बहुत ही भोली. उसकी अंदर जो चीज़ मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती थी वो थी उसकी मुस्कान.” रोहन अपनी इस कहानी के बारे में बताते हुए बिलकुल खो सा गया था. जैसे वो सारा दृश्या उसके सामने फिर से चल रहा हो.
“उसकी एक मुस्कान के लिए में सबकी नज़रे बचके घंटों उसे निहारा करता था. एक दिन ऐसे ही में उसे निहार रहा था की उसने भी जैसे समझ लिया था की में चुप चुप के उसे ही देख रहा हूँ. उस दिन तो वो कुछ ना बोली लेकिन जब उसने देखा की मेरा यूँ रोज़ रोज़ उसको निहारना बंद नहीं हो रहा तो एक दिन अपनी सहेलियों से दूर अकेले में उसने मुझे बुलाया. और मुझसे कहने लगी की में क्यों उसे रोज़ रोज़ देखता हूँ.” अचानक रोहन को याद आया की वो कुछ ज्यादा ही डीटेल में उसे कहानी बता रहा है. वो सोचने लगा की कही वो बोर तो नहीं हो रही है.
“अरे में भी तुझे कहा इतनी बातें करके बोर कर रहा हूँ. वो दरअसल बाद में यूँ हुआ की….” रोहन अभी पूरी बात कर भी नहीं पाया था की श्रुति उसे टोकते हुए कहा.
“अरे क्या हुआ? में कहा बोर हो रही हूँ. इनफॅक्ट मुझे तुम्हारी स्टोरी अच्छी लग रही है. तुम मुझे बताओ उसके बाद क्या हुआ जब उसने तुम्हें अकेले में बुलाया था?” श्रुति, रोहन की कहानी में काफी रूचि लेते हुए कह रही थी. रोहन थोड़ा रुका फिर कहना चालू किया.
“जब उसने यह कहा की में उसे क्यों घूर घूर के देखता हूँ तो….पहले तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था. क्योंकि में अंदर से बहुत डरा हुआ था. थोड़े देर तक तो में उस का हसीना चेहरा ही देखता रहा , लेकिन जब उसने मुझे दोबारा टोका तो मैंने भी झट से कह दिया की “जब तुम मुस्कुराती रहती हो तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और में बस घंटों भर तुम्हारी यही मुस्कुराहट देखने की कोशिश किया करता रहता हूँ. मुझे तो लगा था मेरे ऐसे कहने से वो खफा हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि वो मुझे कहने लगी “ तुम्हें सिर्फ़ मेरी मुस्कुराहट अच्छी लगती है और कुछ नहीं?” इतना कहते हुए वो हंसते हुए वहां से चली गयी. लेकिन जाते हुए अपने साथ में मेरा दिल भी ले गयी थी क्योंकि अब तक तो में दूर से बैठे हुए मुस्कुराते हुए देखा करता था लेकिन उस रोज़ में उसे अपने नज़दीक से हंसते हुए देखा था जैसे कोई मोटी बरस रहे हो. खैर उसका यूँ हंस कर चला जाना यह इस बात का संकेत था की जो मेरे दिल में उसके लिए जज़्बात है वो उसके दिल में भी….
 

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(UPDATE-65)


मेरे लिए वैसे ही जज़्बात है. फिर हम दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. यहां तक की साथ में जीने मरने की कस्में भी खाली. शादी करने का वादा भी एक दूसरे से कर लिया. लेकिन फिर ना जाने…. किसकी नज़र हमारे इस प्यार को लग गयी. जब हम हे स्कूल पास करके कॉलेज में कदम रखे तो वहां की दुनिया स्कूल के माहौल से थोड़ी अलग थी. नये नये दोस्त बनाने का रिवाज़ चालू हो गया. लेकिन यह सब मुझे इतना आकर्षित ना कर सके क्योंकि मेरी दुनिया तो एक ही जगह बस्ती थी, और वो थी संध्या. लेकिन यह मेरी सोच थी की जैसा में सोचता हूँ संध्या भी वैसा ही सोचती है. कॉलेज में आकर उसने बहुत सारे नये नये फ्रेंड्स बनाए थे जिनमें से कुछ लड़कियाँ थी तो कुछ लड़के भी थे. पहले शुरू शुरू में तो उसका ध्यान मुझपर था लेकिन जैसे जैसे कॉलेज का दिन आगे बढ़ता गया संध्या का मुझपर लगाओ भी कम होता गया. पहले तो में इसे अपना वहाँ समझ रहा था लेकिन हकीकत तब पता चली जब मैंने उसे अपने कॉलेज के पास बने हुए गर्दन में उसे ढूँढ रहा तो उसे एक लड़के की बाहों में पाया. उस दिन मेरा दिल किर्छी किर्छी हो गया था. मानो जैसे मेरे ऊपर आसमान टूट पड़ा हो. मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे जिस ज़मीन पर में खड़ा हूँ वो फॅट जाए और में उस में समा जाओं. उस दिन मैंने बहुत रोया, बहुत आँसू बहाया. शायद उसके बाद मैंने आज तक नहीं रोया. फिर उस दिन के बाद तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी संध्या से सामना करने की, लेकिन में चाहता था उससे पूछो की उसको क्या हक़ था यूँ मेरे साथ धोखा देने का. अगर में उसे पसंद नहीं था तो मेरे साथ यूँ प्रेम संबंध क्यों बनाए. फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके आख़िर संध्या से पूंछ लिया जो उसने मेरे साथ किया था. लेकिन उसने जो जवाब दिया उसे तो सुनकर तो जैसे उस दिन मेरी आत्मा भी जख्मी हो गयी थी. उसने कहा था की हमने जो प्यार किया था वो एक भूल थी, वो कम उमारी में लड़कपन वाला प्यार था. जिसमें ना समझी के अलावा कुछ और नहीं था. उसका कहना था की उसे उस वक्त अक़ल नहीं थी की क्या सही है और क्या गलत. खैर उसके बाद मैंने उससे कुछ और नहीं पूछा, में वहां से सीधा चला गया. में चाहता था की मेरा सामना संध्या से आज के बाद ना हो. अगर वो मेरे सामने आएगी तो मुझे उसकी वही मुस्कुराहट दिखेगी जिसका में दीवाना था. और में नहीं चाहता था की में उसके पीछे दीवाना और मजनू बन के फिरू. इसलिए मैंने वो कॉलेज ही चोद दिया. बल्कि मैंने उसके बाद कोई और कॉलेज जॉइंट नहीं किया. क्योंकि मेरा मना था इसी कॉलेज की चखचौंड ने मुझसे मेरी संध्या छ्चीनी थी. फिर उसके बाद से ही मुझे लड़की ज़ात से जैसे नफरत सी होने लगी थी. उसके बाद जितना भी मेरे से मुमकिन हो सका मैंने लड़कियों से कम ही वास्ता रखा” अपनी पूरी कहानी सुनाने के बाद रोहन की आँखें थोड़ी नाम हो गयी थी. श्रुति ने भी देख लिया था की रोहन थोड़ा भावक हो गया है.
“ई आम सॉरी!! मैंने तुम्हें फोर्स किया तुम्हारी कहानी सुनाने को. आक्च्युयली मुझे नहीं पता था यह इतनी परेशान स्टोरी होगी. में तो बस यह जानना चाहती थे के तुम लड़कियों से इतनी नफरत क्यों करते हो.” श्रुति ने कहा.
“कोई बात नहीं, क्या फर्क पढ़ता है. और वैसे भी बारे दीनों बाद आज ऐसा लगा है जैसे मेरा मन कुछ हल्का हो गया. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे में कोई भोज अपने दिल में लिए फिरता रहता हूँ. तू ने आज…..सॉरी.” रोहन थोड़ा हंसते हुआ कहा “तुमने आज अगर मेरे से ज़बरदस्ती मेरे अतीत के बारे में ना पूछती तो अभी में जितना बेहतर महसूस कर रहा हूँ शायद ना करता. इसलिए तुम्हारा शुक्रिया” रोहन ने श्रुति की तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
“थॅंक गोद तुमने मुझसे ‘तुम’ से बात तो किया. मतलब अब सारी नाराज़गी दूर हो गयी. अगर मुझे पहले से मालूम होता तो की तुम इतना भोज अपने दिल में लिए फिर रहे हो तो में कबका तुमसे तुम्हारा पस्त पूंछ लेती.” श्रुति ने कहा.
“नहीं…तुम ऐसा नहीं करती” रोहन ने कहा.
“वो क्यों? श्रुति थोड़ा हैयरसत से कहा.
“वो इसलिए क्योंकि तेरी…..सॉरी तुम्हारी नजारे में इससे पहले तुम्हारा नो. 1 दुश्मन था में. तुम तो मुझसे ढंग से बात भी नहीं कर रही थी. तो मेरे दिल का हाल क्या खाक पूछती.” रोहन ने कहा. श्रुति, रोहन के इस तरह कहने से थोड़ा मुस्कराई फिर उसने कहा.
“ताकि बात और थी….अगर मेरी जगह कोई और होता तो भी वो वही करता. एनीवे फिर भी ई आम सॉरी” श्रुति बड़ी मासूमियत से अपने दोनों कानों को अपने हाथों से पकड़ते हुए माफी माँगनी लगी. उसके इस तरह से माफी माँगने पर जैसे रोहन के दिल में एक बार वैसी ही घंटी बजने लगी जैसे बरसों पहले बाजी थी. श्रुति का यह भोला….
 

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(UPDATE-66)


भाला चेहरा उसका मान मो रहा था. वो फिर से उसे वैसे एक टुक देखे जा रहा था की तभी श्रुति ने उसे टोका.
“क्या हुआ तुमने मुझे माफ नहीं किया?” रोहन थोड़ा चौंक गया था श्रुति के इस तरह कहने से
“अरे ऐसी बात नहीं है. वो में कुछ और ही सोच रहा था.” रोहन ने कहा.
“तो इसका मतलब तुमने मुझे माफ नहीं किया क्या.? श्रुति ने फिर से बारे भोलेपन से कहा.
“अरे ऐसी बात नहीं है. इसमें माफी माँगने वाली कौनसी बात है. वो हालत ही ऐसे थे. इसमें तुम्हारा थोड़े ही कोई कसूर है.” रोहाना ने कहा.
“ओके ठीक है. अब तो हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है. तो क्यों ना हम एक दूसरे के दोस्त बन जाते है.” कहते हुए श्रुति ने रोहन की तरफ अपना दाया हाथ बढ़ा दिया.
“हां हां क्यों नहीं..लेकिन मुझे मालूम तो पढ़े की मेरे दोस्त का नाम क्या है?” रोहन मुस्कुराते हुए श्रुति की तरफ देखकर कहा. श्रुति भी रोहन के इस तरह कहने से थोड़ा मुस्कराने लगी और कहने लगी.
“मेरा नाम श्रुति कपूर है.”
“श्रुति!! जैसी प्यारी तुम हो वैसा ही प्यारा नाम भी है…..” रोहन को कहने के बाद में एहसास हुआ की वो क्या बोल गया. श्रुति भी थोड़ा झेंप सी गयी थी. रोहन ने जल्दी से बात को दूसरी और घुमा लिया.
“अगर तुम्हारा पेट भरा हो चलें आगे की और?”
“हां हां क्यों नहीं.” श्रुति भी कहते हुए उठ के चलने लगी.
“श्रुति? तुम्हारे घर में कौन कौन है?” चलते हुए रोहन ने कहा.
“मेरे घर में मेरे पापा, मामा और में. यानि की सिर्फ़ तीन. और तुम्हारे घर में?” श्रुति भी रोहन से कहने लगी.
“मेरी मां,छोटी बहन और उससे छोटा एक भाई.” रोहन ने जवाब दिया.
“और तुम्हारे पापा?” श्रुति ने पूछा.
“अब इस दुनिया में नहीं है. में ही हूँ जो अपने घर वालो का पेट पालता हूँ.” रोहन थोड़ा रुका फिर श्रुति की और देख कर कहा “इसलिए में यह सब काम करता हूँ. अगर में यह काम ना करूं तो मेरा परिवार भूखा मर जाएगा.”
“ओह ई आम सॉरी!! वो तो ठीक है रोहन, लेकिन तुमने सोचा है अगर तुम्हें यह काम करते हुए कुछ हो गया तो सोचो तब तुम्हारे परिवार का क्या होगा? तब क्या वो भूखे नहीं मरेंगे?” श्रुति ने कहा.
“मुझे पता है श्रुति. यही डर मुझे सब से ज्यादा खाए जाता है. यह जो में इस बार की ट्रिप में आया था मैंने तय किया था की यह मेरी लास्ट ट्रिप होगी. इसके बाद कोई भी ज़ोख़्म वाला काम नहीं करता. लेकिन खैर अब क्या हो सकता है. अभी तो फिलहाल हम अपनी जान ही बचाल ले उन हैवानो से यही बहुत बड़ी बात है.


विजय कपूर तैयार होकर अपने ऑफिस जाने की तैयारी कर रहा था की तभी टीवी में कोई न्यूज चॅनेल चल रहा था. जिसमें कोई ब्रेकिंग न्यूज दिखाई जा रही थी. पहले तो विजय कपूर कोई खास ध्यान नहीं दिया लेकिन उस न्यूज चॅनेल के न्यूज रीडर ने यह कहा की “जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जो की नैनीताल के पास पढ़ता है” यह सुनकर विजय कपूर के कदम थोड़े तित्के. क्योंकि उसे ध्यान आया की श्रुति भी तो दो दिन पहले अपने दोस्तों के साथ नैनीताल जाने की बात कर रही थी. और अभी यह न्यूज में नैनीताल के से रिलेटेड कोई न्यूज दिखाया जा रहा है. वो यही सोचते हुए टीवी का रिमोट अपने हाथ में लेते हुए उसका वॉल्यूम बढ़ने लगा क्योंकि उसे जानना था की सब ठीक तो है ना नैनीताल में. विजय ने देखा की टीवी में एक न्यूज करेस्पॉंडेंट (संवादाता) कुछ कह रही थी.
“आज हमको कुछ ऐसा बताने वाले है जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे. में यहां इस वक्त जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हूँ. यहां पर पिछले कुछ दीनों से कुछ अजीब सा हो रहा है. इतना अजीब के यहां पर लोगों की जानें जा रही है. जिनमें यहां आने वाले कुछ टूरिस्ट्स है कुछ यहां के आस पास बसे गाँव के आदिवासी है और कुछ यहां के फोरेस्ट ऑफिसर्स भी है. और यह सब जानें ले रहे है कोई आदमख़ोर जानवर!! यानि मान ईटर्स!.जब भी आपके दिमाग में आदमख़ोर या मान ईटर के शब्द आपको सुनाई देगा तो आप सिर्फ़ एक ही जानवर के बारे में सोचेंगे, और वो है शेयर. लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है? नहीं!! क्योंकि यह किसी शेयर या तेंदुए का काम नहीं है. शेयर हो या तेंदुआ या फिर कोई और अन्य जंगली जानवर. अपने शिकार पर इस तरह हमला नहीं करते और हमला करने के बाद उन्हें इस तरह अपना भोजन नहीं बनाते है. क्योंकि, यहां इस जंगल में, पिछले दीनों जो मौतें हो रही है उनके बारे में अगर आप सुनेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे. में जिस जानवर की बात कर रही हूँ वो अकेले ही दस आदमी पर इस तरह से झपट्टा है की किसी को भी संभालने का मौका नहीं मिलता. और जब उन्हें समझ में आता है की उनपर किसी जानवर ने या किसी हैवान ने हमला किया है तो उससे पहले ही वो जानवर अपने तेज और बारे नुकिले दाँतों और नाखूनओ से उनको….
 

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(UPDATE-67)


चियर फाड़ डालते है. और फिर उन्हें मौत के घाट उतारने के बाद वो उनके शरीर से एक एक बोटी नोंच नोंच के कहा लेता है. यहां तक उनके जिस्म से सारा खून भी पी लेता है. मानो ऐसा लगता है जैसे वो कई जन्मो के भूखे हो. “ फिर आरती अपने माइक को पास में खड़े एक गाँव वाले की तरफ ले जाती है और उससे सवाल पूच्छने लगती है.
“हमारे साथ यहां के कुछ गाँव वाले है वो आपको इन हैवानो के बारे में और खुलासा करके बताएँगे?” फिर विजय ने देखा की वो न्यूज रिपोर्टर एक गाँव वाले का इंटरव्यू ले रही थी.
“आप का नाम क्या है?
“मेरा नाम देव है.” उस गाँव वाले ने बताया
“देव क्या आप हमें बताएँगे की यहां पर जो बुरा घाट रहा है. जो मौते हो रही है उसके पीछे क्या कारण है?” पहले तो उस आदिवासी देव को कुछ समझ नहीं आ रहा था की कैसे बोले लेकिन फिर भी उसने कहना चालू किया.
“वो लोग दरिंदे है…..शैतान है…वो इसनानो का खून पीते है. उनका माँस खाते है. जो भी उन दरिंदों का शिकार होता है उसके जिस्म पर हड्डियों के सिवाय कुछ नहीं बचता….ऐसा लगता है जैसे वह दरिंदे बोटी नोंच नोंच के खाए हुए हो. मानो वो जन्मो के भूखे हो.” इतना कहकर देव चुप हो गया.
“लेकिन यह जानवर जिस की आप बात कर रहे है यह कहा से अचानक आ गये…..? क्या इससे पहले भी किसी ने इनके बारे में सुना या देखा है?” आरती ने पूछा.
“नहीं आज से पहले ना तो इन्हें किसी ने देखा और ना ही इनके बारे में कुछ सुना है. पता नहीं यह जीभ अचानक कहा से आ गये.” देव ने आरती के सवाल का जवाब देते हुए कहा.
“क्या आपने देखा है?”
“जी…..हां मैंने अपनी आखों से देखा है. में पास के गाँव से गुजर रहा था तो मैंने देखा था कोई चार या पाँच वहशी जानवर यहां के फोरेस्ट गार्ड्स और कुछ टौरिस्टो पर हमला कर रहे थे. मेरे देखे ही देखते वह सब उन लोगों को इस तरह से कहा गये मानो वो कोई इंसान ना कोई मुर्गी हो.. इतना भयानक दहशत भरा माहौल जब मैंने देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गये थे. फिर इससे पहले की उन दरिंदो का ध्यान मेरी और जाता मैंने वहां से भाग जाना ही उचीत समझा.” देव ने कहा.
“अच्छा यह बताए जब जंगल के आस पास इतना दहशत का माहौल है तो यहां के प्रशासन क्या कर रही है? क्या गाँव वालो को कोई सुरक्षा प्रदान की जा रही है प्रशासन की तरफ से?” आरती ने कहा.
“नहीं!! ऐसा भी कुछ भी यहां नहीं हो रहा है. हमें किसी भी प्रकार की कोई सुरक्षा नहीं दी जा रही है. हमारे पास के गाँव में कुछ लोगों को वो दरिंदे अपना शिकार बना चुके है. हम सब ने इसकी शिकायत यहां के फोरेस्ट ऑफिसर से भी की. लेकिन ऐसा लगता है जैसे उन्हें हमारी जान की कोई परवाह ही नहीं है. वो तो सिर्फ़ यहां पर जो टूरिस्ट आते है उनकी ही सुरक्षा में लगे हुए है. जितना हो सके अपनी सुरक्षा तो हम खुद से ही करते है. लेकिन वो दरिंदे कोई आम से जानवर नहीं है जिन्हें लाठियों के ज़ोर से हक़ाल दिया जाए, वो तो वहशी है, बारे खतरनाक है. हम अपनी सुरक्षा उन दरिंदो से लाठियों से नहीं कर सकते. “ इतना सब कुछ कहने के बाद देव चुप हो गया.
“तो यह थे देव जो यहां के पास के ही गाँव के राहिवासी है. अभी अभी इन्होंने हमें जो बताया, उसे सुनकर तो मेरे भी रोंगटे खड़े हो गये है….यह जंगल इतना भी भयानक हो सकता है, मुझे पता नहीं था. मुझे तो लग रहा है में यहां पर खड़े हुए यह रिपोर्टिंग कर रही हूँ और फिर शायद ऐसा भी हो की वह दरिंदे यहां पर भी आ जाए. खैर बात करते है यहां के गाँव वालों की जिन्हें अपनी जान उन दरिंदो से बचना अब मुश्किल लग रहा है. लेकिन अभी तक यहां के प्रशासन के द्वारा हमें कोई जवाब नहीं मिला है.” कहते हुए आरती थोड़ा रुकी फिर वो अपने फोटोग्राफर दोस्त मयंक की तरफ मुड़ी जो इतनी देर से उसके साथ में था.
“अभी अभी मैंने आपको यहां के एक गाँव वालो के बारे में बताया की वो क्या खतरा महसूस करते है. लेकिन अभी में आपसे मिलवाओंगी एक फोटोग्राफर से. जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस जंगल में बिताए है. “ फिर आरती मयंक की तरफ माइक करते हुए कहा.
“जी आपका नाम?”
“मेरा नाम मयंक है. और में एक नेचर फोटोग्राफर हूँ. “ मयंक ने कहा.
“मयंक अभी अभी हमने यहां के गाँव वासी देव से बात की. उन्होंने हमें एक खूणकार जानवर के बारे में बताया, जो इंसानो का खून और उनका माँस कहा जाता है. आप ज़रा इसके ऊपर कुछ रोशनी डाल सकते है?” आरती ने कहा.
“हां बिलकुल….जैसा की देव ने अभी जो बताया वो बिलकुल सच है. में पिछले 10 दीनों से यहां इस जंगल में हूँ. पहले तो मैंने ऐसा किसी घटना के बारे में नहीं सुना और नाहीं देखा…..
 

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(UPDATE-68)


जंगल पहले की तरह बिलकुल पुरसुकून था. ना कोई हलचल ना कोई शोर शराबा कुछ भी नहीं. लेकिन पिछले 3 दीनों से यहां पर कुछ अजीब सा हो रहा है.यहां पर लोगों की मौतें हो रही है. पहले तो में समझ नहीं पा रहा था की इन सब चीज़ों के पीछे कारण क्या है, लेकिन जब मैंने खुद अपनी आँखों से उन लाशों को देखा……सॉरी!! लाश नहीं कंकाल कहना ठीक रहेगा, मानव कंकाल!! जब मैंने उन कंकालो को देखा तो ऐसा लग रहा था जैसे उन लाशों के ऊपर से किसी ने बड़ी सफाई से उनके ऊपर से सारा माँस निकाल लिया हो. उनके जिस्म से या फिर उन कंकालों के आस पास भी कोई माँस का टुकड़ा तक नहीं मिला. मैंने अपने 15 सालों के कैरियर में ऐसी चीज़ नहीं देखी . क्योंकि मुझे पता है कोई भी जंगली जानवर इस तरह से शिकार नहीं करता, यह तो कोई और ही चक्कर है. फिर उसके बाद मैंने देखा की यहां के तमाम फोरेस्ट अफीशियल्स जैसे अलर्ट हो गये हो जैसे कोई बहुत बड़ी प्रलय आ गयी हो. वो लोग जंगल में हर एक टूरिस्ट्स को यहां से बाहर निकाल रहे है. में तो खैर फिर भी यहां पर किसी तरह दाता हुआ हूँ. लेकिन अगर उन दरिंदो को अभी रोका नहीं गया तो वह जितना उत्पात इस जंगल में मचाए हुए है इस जंगल के बाहर भी कर सकते है. इस जुंलगे के आस पास जीतने भी इलाके है उनसब पर भी खतरा मंडरा सकता है. या फिर यह हो सकता है वो जंगल से निकल कर शहरों में चलें जाए. अगर ऐसा हो गया तो समझो कयामत आ जाएगी. इसलिए प्रशासन को जल्द से जल्द बाहरी मदद बुलानी होगी. “ कहते हुए मयंक चुप हो गया.
“तो आपने सुना यहां इस जंगल में क्या हो रहा है. अगर प्रशासन ने समय रहते हुए कोई ठोस कदम ना उठाए तो हो सकता है बहुत बड़ी प्रलय आ जाए. अगर वह दरिंदे इस जंगल से बाहर निकल गये तो शहरी जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा. हमारा ख्याल है प्रशासन को जल्द से जल्द मिलिटरी फोर्स बुला लेनी चाहिए ताकि हम जल्द से जल्द उन जानवरों से च्छुतकारा पा लें. आप हमारे साथ बने रहिए क्योंकि हम आपको इस जंगल में और क्या हो रहा है इसकी पल पल की जानकारी देते रहेंगे. कॅमरमन विश्वास के साथ, में आरती सिन्हा ए भी सी दी न्यूज से.” कहते हुए आरती अपनी रिपोर्टिंग खत्म कर दी.
इसी के साथ विजय कपूर ने भी अपनी टीवी बंद कर दिया. फिर वो बड़ी गहरी सोच में डूब गया. वो सोचने लगा के यह क्या माजरा है. यह कैसे जानवर है जो इतना उत्पात मचा रहे है. और तो और जैसा वो गाँव वाला कह रहा था की वो इंसानो को मारने के बाद उन्हें बिलकुल कंकाल में तब्दील कर देते है, और वो भी इतनी जल्दी. यह कैसे मुमकिन है. फिर उसे फोटोग्राफर की बात का ध्यान आया की वो कह रहा था की अगर इन्हें नहीं रोका गया तो वो उस जंगल के बाहर शहरो में भी जा सकते है. और नैनीताल तो सबसे पास में पढ़ता है जहाँ श्रुति अपने दोस्तों के साथ घूमने गयी है. अपनी बीवी से बातचीत ना होने के कारण उसे श्रुति की भी कोई खबर नहीं मिली थी की क्या वो ठीक है की नहीं नैनीताल में. यही सोचते हुए वो अपने जेब से मोबाइल फोन निकाला और श्रुति को फोन करने लगा. थोड़े देर के बाद आन्सरिंग महसिने से उसे मालूम पड़ा की श्रुति का मोबाइल स्विच ऑफ है. विजय बहुत परेशान हो गया. उसके बाद फिर भी उसने कई बार कोशिश की श्रुति को फोन करने के लेकिन हर बार उसे आन्सरिंग मशीन से वही जवाब मिलता. श्रुति के मोबाइल से कॉंटॅक्ट ना होता देख आख़िरकार विजय अपनी बीवी सौंदर्या के पास गया और उससे कहने लगा.
“श्रुति से तुम्हारे बात आखिरी बार कब हुई थी?” विजय एक दम रूखे स्वर में कहा. पहले तो सौंदर्या ने विजय को थोड़ा घूर कर देखा. वो सोच रही थी की अचानक इसे क्या हुआ जो यह मेरे से बात कर रहा है.
“जब वो अपने दोस्तों के साथ नैनीताल के लिए निकली थी तभी मेरी उससे आखिरी बार बात हुई थी….क्यों क्या हुआ?” सौंदर्या ने विजय से कहा.
“क्या? जबसे वो नैनीताल के लिए गयी है तुमने उसे एक बार भी कॉंटॅक्ट नहीं किया?” आख़िर गैर जिम्मेदारी भी कोई हद होती है.” विजय एक बार फिर सौंदर्या पर बरसते हुए कहा.
“तुम फिर मुझ पर बरसने के लिए आ गये. तुम्हें कोई और काम नहीं है क्या?” सौंदर्या भी तुर्की बीए तुर्की जवाब देने लगी.
“तुम्हारी हरकत ही ऐसी है. तुम्हें चिल्लाओ नहीं तो और क्या करूं. दो दिन से श्रुति घर से बाहर है और तुमने उसकी ख़ैरियत लेने की ज़हमत भी नहीं की?” विजय, सौंदर्या पर बरसते हुए कहा.
“वो अपने दोस्तों के साथ नैनीताल एंजाय करने गयी है. मेरा यूँ उसको फोन करना उसे अच्छा नहीं लगेगा. इसलिए में नहीं चाहती की वो अपने दोस्तों के बीच एंबरस्स्मेंट फील करे.” सौंदर्या ने कहा.
“अजीब….
 

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औरत हो तुम. अपनी बेटी की ख़ैरियत जानना तुम्हें एंबरस्स्मेंट फील करना लगता है?” विजय ने कहा.
“ओह कम ऑन विजय….में वही कर रही हूँ जो आज कल की जेनरेशन्स को पसंद है.” सौंदर्या ने चिढ़ते हुए कहा. विजय सिर्फ़ मायूसी में अपना सर हिलता रही गया.
“तुम्हें श्रुति के किसी दोस्त का कॉंटॅक्ट नंबर पता है?” विजय ने कहा.
“अब उसके दोस्तों का नंबर तुम्हें क्यों चाहिए?” सौंदर्या ने कहा.
“क्योंकि श्रुति का मोबाइल फोन बंद बता रहा है. और तुम्हें कुछ पता भी है की दुनिया में क्या हो रहा है?” विजय ने कहा.
“क्यों क्या हुआ?” सब कुछ ठीक तो है?”अब सौंदर्या थोड़ा सा घबराते हुए कहा.
“नैनीताल के आस पास के जंगल्स में कोई भयानक जानवर पाए गये है. जो इंसानो को पालक झपकते ही मौत के घाट उतार रहे है.” विजय ने कहा.
“में कुछ समझी नहीं. तुम क्या कह रहे हो?” सौंदर्या ने कहा. फिर विजय ने उसे वो बताया जो उसने थोड़ी देर पहले टीवी पर देखा था. यह सब सुनकर सौंदर्या भी घबरा गयी. उसके तो हाथ पैर ठंडे होने लग गये. वो जल्दी से श्रुति के मोबाइल पर फोन करने लगी.
“मैंने कोशिश की थी. उसका फोन बंद बता रहा है. इसलिए मैंने तुमसे उसके दोस्तों का नंबर पूछा था.” विजय ने सौंदर्या को अपने मोबाइल से फोन करते हुए देखा तो कहा. पहले तो सौंदर्या ने कुछ नहीं कहा. क्योंकि उसके तो हाथ पैर ठंडे हो रहे थे. एक तो उसने जो खबर विजय से सुनी थी और दूसरे श्रुति का फोन बंद बता रहा था.
“तुम्हें उसके किसी दोस्तों का नंबर पता है?’ एक बार फिर विजय ने कहा.
“हां…..हां….उसके कुछ दोस्तों का नंबर है मेरे पास.” कहते हुए सौंदर्या अपने मोबाइल फोन से श्रुति की सबसे क्लोज़ फ़्रेंड निशा का नंबर लगाने लगी. लेकिन उसका फोन भी बंद बता रहा था. सौंदर्या एक दम घबराने लग गयी. फिर उसके बाद विजय और सौंदर्या ने मिलकर श्रुति के तमाम दोस्तों को कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की. लेकिन जब सभी का फोन स्विच ऑफ बता रहा था तो उन्होंने उनके पेरेंट्स को कॉंटॅक्ट करने की कोशिश करने लगे. लेकिन वहां से भी उन्हें यही जवाब मिला की वह भी अपने अपने बाकचों से कॉंटॅक्ट करने की कोशिश कर रहे है लेकिन कोई कॉंटॅक्ट नहीं हो पा रहा है. जब हर जगह से मायूसी हाथ लगी तो सौंदर्या ने रोना धोना मचा दिया. उसे रोता हुआ देख विजय को गुस्सा आ गया और वो उस पर और बरसने लगा.
“अब क्यों रो रही हो. पहले जब में कुछ कहता था तो मेरा मुंह बंद करा देती थी. अब जब अपनी वाली करली हो रो रही हो. यह मगरमच्छ के आँसू बहाना बंद करो.”
“विजय प्लीज़!! क्या कह रहे हो तुम? यह मगरमच्छ के आँसू नहीं है…..” श्रुति थोड़ी देर तक ऐसे ही रोती रही, फिर उसने कहा.
“विजय ई आम सॉरी….अभी यह वक्त इन बातों का नहीं है. जल्दी से कुछ करो. पता लगाओ की श्रुति कहा है. प्लीज़!!!” विजय भी देख रहा था की सौंदर्या वास्तव में एक दम घबरा हुई थी. उसने आगे बढ़कर सौंदर्या को अपने गले लगाया और कहने लगा.
“डोंट वरी कुछ करता हूँ में.”


अभी रोहन और श्रुति को साथ में चलते हुए कुछ ही देर हुआ था की तभी उन्हें अपने भाई और की झाड़ियों में से किन्हीं के कदमों की आवाजें आने लगी. रोहन जल्दी से श्रुति को अपने पीछे कर लिया. श्रुति भी घबराई और डरी हुई रोहन के कंधों पर अपना हाथ रखे हुए आने वाली मुसीबत को देखने लगी. उन दोनों को बस वही दरिंदो का डर था. इससे पहले तो वह जैसे तैसे बच गये थे, लेकिन अब उन्हें अपनी मौत सामने नज़र आने लग रही थी. रोहन एक दम तैयार था अपना चाकू लिए. फिर जब उन्हें झाड़ियों से कुछ आकृति दिखने लगी तो रोहन ने जल्दी से उस आकृति पर हमला करने ही वाला था की कुछ देख कर हूँ रुक गया. उसने देखा की वो जिस दरिंदे की अपेक्षा कर रहा था वो बल्कि एक इंसान था. उसने देखा की उन झाड़ियों में यकायक तीन इंसान नामूडार हुए. जिनमें से दो मर्द थे और एक औरत. वह दिखने में फिरंगी लग रहे थे. रोहन उन्हें देखकर चौंक तो गया ही था, लेकिन जब उसने उन लोगों के ऊपर से खून के छींटे देखे तो उसे और हैरत हुई. अभी रोहन उन्हें हैरत भारी निगाहों से देख ही रहा था की उनमें से एक ने मिन्मीनाते हुए कहने लगा.
“हेल्प!! हेल्प!! प्लीज़ हेल्प उस……!! थे’ल्ल किल उस. रोहन के तो इतना समझ में आ गया था की वो फिरंगी मदद के लिए बोल रहा है लेकिन उसे वो उसकी जबान में कैसे पूछे की उसे क्या हुआ है तो इसके लिए उसने श्रुति की तरफ देख कर कहा.
“इनसे पूच्छो क्या हुआ है इनके साथ में?” श्रुति भी अपनी मूंदी हिलाते हुए हामी भारी और उन लोगों से पूच्छने लगी.
“वॉट हॅपंड विद यू पीपल? और वॉट अबौट ऑल दीज़ ब्लडस ऑन युवर शर्ट्स?”
“थे बीस्ट…..थे बीस्ट इस गोयिंग तो किल उस!! थे अरे……..वेरी डेंजरस. थे विल नोट स्पेर अन्य ऑफ उस.” जब वो फिरंगी यह….
 

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कह रहा था तो उसकी आँखों में खौफ साफ देखा जा सकता था.
”क्या कहा उसने?” रोहन ने श्रुति से कहा.
“वो कह रहा है की कोई दरिन्दा है जो उन्हें मर डालेगा और वह बहुत खतरनाक है. वह हम में से किसी कोई भी नहीं छोड़ेंगे.” कहते श्रुति खामोश हो गयी. क्योंकि दोनों ही समझ गये थे की वह लोग किसकी बात कर रहे है. फिर तभी रोहन ने श्रुति से कहा.
“इनसे कहो की आख़िर इनके साथ हुआ क्या था.?”
“विल यू तेल उस एग्ज़ॅक्ट्ली वॉट हॅपंड विद यू पीपल अट तेरे?” श्रुति ने उसी फिरंगी से कहा. पहले वो फिरंगी अपनी साँसें थोड़ी दुरुस्त किया फिर कहने लगा.
“अभी अरे हियर फॉर सेम असाइनमेंट्स. सो अभी हॅव तो कम तो तीस जंगल लेकिन, वेन अभी वर डूयिंग और रिसर्च सडन्ली सेम वियर्ड काइंड ऑफ अनिमल्स अटॅक्ड ऑन उस और और अदर टीम मेंबर्स. अभी डिड्न’त अंडरस्टॅंड फर्स्ट वॉट वाज़ गोयिंग ऑन लेकिन, लेटर अभी रियलाइज़्ड आफ्टर सीयिंग तोसे डेंजरस अनिमल्स किल्लिंग और टीम मेंबर्स. अभी हद नो आइडिया वॉट तो दो. विदिन आ मिनट थे किल्ड ऑल और टीम मेंबर्स. अभी सेम हाउ मॅनेज्ड तो एस्केप फ्रॉम तेरे”…….फिर वो फिरंगी साँस लेने की लिए थोड़ा रुका फिर अपनी बात जारी रखी.
“ई थिंक अभी शुड मूव फ्रॉम हियर अदरवाइज़ थे माइट भी हियर इन अन्य टाइम.” जब वो फिरंगी अपनी बात खत्म कर लिया तो रोहन, श्रुति की तरफ सवाली नजारे से देखने लगा. श्रुति भी समझ गयी थी उसके इस तरह देखने से.
“यह कह रहा था की..…यह लोग किसी जरूरी काम से यहां इस जंगल में आए हुए थे. और वह जब अपनी रिसर्च कर रहे थे तभी उन पर उन्हीं दरिंदो ने हमला कर दिया और इनके और साथियों को मर डाला. यह तीनों जैसे तैसे कर के अपनी जान बच्चा कर वहां से भाग लिए.
“इनसे पूच्छो की क्या इन लोगों पर भी वैसे ही जानवरो ने हमला किए थे जैसे वह हमारे साथ में किए थे?” रोहन ने श्रुति से कहा.
“ओह कम ऑन रोहन!! और कौन कर सकता है इतना भयानक हमला. इनकी हालत देख कर ही मालूम पढ़ता है की इन लोगों के साथ में क्या हुआ होगा.” श्रुति ने कहा.
“में भी समझ रहा हूँ. लेकिन में एक बार कन्फर्म करना चाहता हूँ की यह लोग उन्हीं जानवरो की बात कर रहे है जिनकी हम बात कर रहे है.” रोहन ने कहा.
“ओककक!! कहते हुए श्रुति उसी फिरंगी से फिर से पूच्छने लगी.
“वॉट काइंड ऑफ अनिमल्स अटॅक्ड ऑन यू? ई मीन तो से दीदी यू सी थे हॅव लोंग नाइल्स, टीत और हेयर. और थे सम्हाउ लुक लाइक मंकीस?”
“इसे! इसे! यू अरे करेक्ट. हाउ दीदी यू नो अबौट देम? दीदी थे ऑल्सो अटॅक ऑन यू?” उसी फिरंगी ने श्रुति से सवाल किया.
“इसे! अभी ऑल्सो हॅव बिन अटॅक्ड बायें देम लेकिन, फॉर्चुनेट्ली अभी मॅनेज्ड तो शेव और लाइफ. लेकिन हाउ लोंग अभी अरे गोयिंग तो शेव और लाइफ ई डोंट ईवन नो” श्रुति ने कहा.
“सो वॉट अभी शुड दो नाउ?” उस फिरंगी ने कहा. उस फिरंगी का इतना कहना था की श्रुति, रोहन की तरफ देखने लगी. श्रुति को अपनी तरफ सवालिया नजारे से देखते हुए देखा तो रोहन ने कहा.
“क्या हुआ? इस तरह क्यों देख रही हो मुझे? क्या कहा इस फिरंगी ने?”
“यह भी उन्हीं वहशी जानवरों के बारे में बात कर रहा था. और इसके साथ में पूंछ रहा है की हमें अब क्या करना चाहिए?” श्रुति ने कहा.
“करना क्या है, जो हमने अपने बारे में सोच रखा है की कैसे इस जंगल से निकले वैसे ही इन्हें भी अपने साथ में ले लेते है.” रोहन ने कहा.
“ओके फॉलो उस!! में फ़्रेंड नोस हाउ तो गेट आउट फ्रॉम तीस जंगल.” श्रुति ने उस फिरंगी से कहा. श्रुति का इतना कहना ही था की वो खुश होता हुआ अपने बाकी के दो साथिए से कहने लगा की अब हम शायद इस आफत से बच सकते है क्योंकि इसके साथी को पता है जंगल से बाहर निकालने का रास्ता. फिर वह सब चल पढ़े अपनी मंजिल की और. काफी देर बाद जब वह उस ऊँच्चे टीले पर पहुंचे तो रोहन ने यकायक अपने पीछे आते हुए सबको रोका और अपनी उंगली अपने मुंह पर रखते हुए उन्हें खामोश रहने का इशारा किया. श्रुति और बाकी के फिरंगीओ को कुछ समझ में नहीं आया की आख़िर क्या माजरा है. वह देख रहे थे की रोहन टीले के दूसरे ढलान की और चुपके से झाँक रहा था. काफी देर तक झाँके के बाद रोहन उन लोगों की और पलटा और उन्हें हाथ के इशारे से टीले से नीचे की और चलने के कहा. श्रुति के कुछ समझ में नहीं आ रहा था की आख़िर रोहन ने ऐसा क्या देख लिया की हूँ उन्हें नीचे की और जाने बोल रहा है. क्योंकि बड़ी मूसखिल से तो हूँ इस टीले पर चड्डी थी. एक तो वो घायल थी और दूसरे भूखी और प्यासी भी थी. फिर भी इतनी मेहनत से चढ़ने के बाद रोहन उसे नीचे उतरने के लियले कह रहा है. वो भी रोहन को अपने हाथों के इशारे से पूंछ रही की आख़िर….
 

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माजरा क्या है, क्यों उन्हें नीचे की और उतरने बोल रहे हो. रोहन फिर उसकी सवाल का जवाब ना देते हुए नीचे की और उतरने के लिलये कहा. जब श्रुति ने देखा की यह अब बताने वाले नहीं है तो उसने ज्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और जैसा रोहन कह रहा है वैसा ही करना ठीक रहेगा. फिर थोड़ी देर के बाद वो सभी उस टीले से नीचे उतार गये. फिर रोहन ने उन्हें कहना चालू किया की क्यों वो उन सबको उस टीले से नीचे ले आया है.
“जब हम उस टीले पर पहुंचे थे, तो मैंने कुछ आवाजें सुनी थी. पहले तो में समझा की यह मेरा वहाँ है. लेकिन जब वो आवाज़ीएईन फिर से आने लगी तो मुझे कुछ शक़ुए सा हुआ . फिर जब मैंने उस टीले के उस पार जो नज़ारा मैंने देखा अगर वो तुम सब देख लेते तो यक़ीनन चीखते और चिल्लाते. क्योंकि वहां उस टीले के ढलान के नीचे वही ढेर सारे जानवर थे. और वह वहां पर जानवरो और इंसानो का शिकार कर रहे थे.” इतना कहकर रोहन खामोश हो गया. जब रोहन को खामोश होता हुआ देख उस फिरंगी ने देखा तो उसने श्रुति से पूच्छने लगा की रोहन क्या कह रहा था. श्रुति ने उसे वही सारी बात बताई जो अभी रोहन ने कहा था. पूरी बात सुनाने के बाद सबके चेहरे मायूसी से घिर गये. अब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब क्या करे. क्योंकि वही टीला उनकी उम्मीद थी और उसी टीले की दूसरी और यह सारा भयानक मंजर चल रहा था. जब काफी देर तक किसी ने कुछ नहीं कहा तो रोहन फिर से कहने लगा.
“मेरे ख्याल से अब हमें यहां से चलना चाहिए. अगर हम यहां रुके रहे तो हो सकता है वह दरिंदे उस टीले से इस तरफ आ जाए.”
“लेकिन हम जाएँगे कहा?” श्रुति ने कहा जो अब थोड़ी सी रूहाँसी हो गयी थी. रोहन को भी कुछ जवाब नहीं मिल रहा था की वो उसे कैसे दिलासा दे. क्योंकि उसे खुद ही नहीं समझ में आ रहा था की ऐसे हालत में क्या करना चाहिए. वो सोचना लगा की अगर यह आदमख़ोर जानवर नहीं होते तो हूँ कैसे भी कर के इस जंगल में से रास्ता ढूँढ लेता. मगर यहां उसके लिए मुश्किल वही खूनी जानवर थे. वह जहां भी जाते वह दरिंदे काल की तरह उन लोगों पर टूट पढ़ते. खैर काफी सोच विचार करने के बाद उसने कहा.
“मुझे लगता है अब हमें यहां से उल्टी दिशा में जाना होगा. क्योंकि इस तरफ तो मौत हमारा वेट कर रही है. इसलिए बेहतर है की हम यही रास्ता छूने.” रोहन ने टीले की विपरीत दिशा में इशारा करते हुए बोला.
“ठीक है रोहन जैसा तुम ठीक समझो.” श्रुति ने कहा. फिर वह सब उस टीले की विपरीत दिशा में चलने लगे. जब उन्हें चलते चलते काफी देर हो गयी तो उन फिरंगियो में से जो लड़की थी अचानक से उसका सर चकराने लगा. वो गिर ही जाती की रोहन जो उसके पीछे पीछे चल रहा था उसे थाम लीलया. उस लड़की के दोनों दोस्त और श्रुति भी आकर देखने लगे की क्या हुआ था उसके साथ. फिर थोड़ी देर तक उस लड़की से बातचीत करने पर उन्हें पता चला की वह काफी देर से भूखे थे और उन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था इसलिए वो लड़की खाली पेट रहने से भूख बर्दाश्त नहीं कर पाई और चकरा कर गिर गयी. फिर उसके बाद उन्होंने तय किया की थोड़ी देर तक उन दरिंदो से चुप कर झाड़ियों में रेस्ट ले लेते है.


श्रुति देख रही थी रोहन उस फिरंगी को कुछ फल खिला रहा था जो उसने पास के पेड़ो से तोड़ कर लाया था. वो देख रही थी रोहन उस लड़की का सर अपने अपनी गोद में रखा हुआ था. पहले तो श्रुति ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने देखा की रोहन उसपर कुछ ज्यादा ही मेहरबाानी दिखा रहा है तो उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसे अपने आप पर भी हैरत हो रही थी उसे क्यों बुरा लग रहा है अगर रोहन उस लड़की पर अपनी मेहरबानियाँ निच्छवर कर रहा है. वो चाहे जो करे उस लड़की के साथ उसे क्या करना है. वो अपना ध्यान रोहन और उस लड़की से हटाके कही और लगाने लगी. वो देख रही थी जबसे रोहन उस लड़की की तिमारदारी में लगा हुआ था तबसे वो उसकी तरफ एक बार भी नज़र उठा के नहीं देखा था. वो यही सब सोच रही थी लेकिन जब उसे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो उठ कर वहां से थोड़ी दूर पर चली गयी ताकि उसका ध्यान रोहन और उस गोरी लड़की पर ना जाए. रोहन भी देखा की श्रुति अपनी जगह से उठ कर कही जाने की तैयारी कर रही थी. रोहन उसे टोकते हुए बोला.

“क्या हुआ श्रुति कहा जा रही हो?”
“कही नहीं….बस ऐसे ही थोड़ा टहलना चाहती हूँ.” श्रुति ने थोड़ा रूखे स्वर में कहा.
“अरे तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ना? यह कोई टहलने की जगह….
 

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है….चुप चाप बैठ जाओ.”रोहन ने कहा. इससे पहले की श्रुति कुछ कह पति उसने अपने सामने की झाड़ियों में कुछ ऐसा देख लिया जिसकी वजह से उसके मुंह से कोई आवाज़ ही नहीं निकल रही थी.

“क्या हुआ….? तुम कुछ कहती क्यों नहीं?” रोहन फिर श्रुति को टोकते हुए कहा. श्रुति ने अचानक रोहन की तरफ देखा. उसके चेहरे पर दहशत साफ देखी जा सकती थी. रोहन ने भी भाँप लिया था की श्रुति ने जरूर कुछ देखा है जिसकी वजह से दहशत से उसकी आँखें फटी हुई थी.


“क्या हुआ….? रोहन, श्रुति की तरफ देखकर कहा.
“वववव…….वहां पर कुछ है.” डरते हुए श्रुति ने रोहन से कहा. रोहन भी श्रुति से कुछ और सवाल ना पूचहते हुए खुद ही उधर जाकर देखने लगा जिधर श्रुति ने इशारा किया था. रोहन ने जो देखा तो उसे समझने में देर नहीं लगी की वो क्या बाला है. उसने देखा की वही लाल आँखें जो वो उन हैवानो में देखा था उन्हीं लोगों की और घूर रही थी. वो सोचने लगा की अब इनके साथ कैसे मुकाबले किया जाए . उसे बस एक चारा समझ में आया और वो यह की जितना हो सके उतनी तेजी से इनसे दूर भागो. उसने तुरंत उन मर्द फिरंगीओ को जो सोए हुए थे उठाया और अपने हाथ से उसी दिशा की और इशारा किया और सिर्फ़ इतना कहा “ऋण!”. वह दोनों जो एक दम गहरी नींद से जागे थे आँखें फाड़ फाड़ के देखने लगे की रोहन उन्हें वहां पर क्या दिखना चाह रहा था. उन्होंने ने भी देख लिया था रोहन उन्हें क्या दिखा रहा था. उनके चेहरों पर तो जैसे हवाइयाँ उड़ने लगी. दहशत के मारे उनसे उठा ही नहीं जा रहा था मानो उनके कदम वही जम से गये हुए हो. क्योंकि उन्होंने देखा था की कैसे वह दरिंदे उनके साथियों को पालक झपकते ही मौत के घाट उतार दिया था. यही सब सोच कर वह थर थर के काँपने लगे. रोहन ने भी देख लिया था वह एक दम डरे हुए थे. उसने जल्दी से उनसे कहा “हेलो !! ऋण!!” वह दोनों फिर जैसे होश में आ गये. रोहन जल्दी से उस फिरंगी लड़की को उठाने लगा. श्रुति को हैरत होने लगी के इतनी भगदड़ में भी उसे उस लड़की का ही ख्याल आ रहा था. रोहन जल्दी से अपना इकलौता हथियार वो चाकू निकाला और उन सबको वहां से लेकर भागने लगा. वो दरिन्दा भी देखा की उसके शिकार भाग रहे है तो वो फौरन एक जोरदार दहाड़ निकालता हुए उनकी तरफ भागने लगा. रोहन ने देखा की उनकी भागने की रफ्तार और उस दरिंदे की भागने की रफ्तार उनसे तेज थी. वो समझ लिया था की भाग कर नहीं बल्कि मुकाबला करके ही लड़ना पड़ेगा. रोहन पलट कर देखा की वो दरिन्दा उनके एक दम करीब पहुंच गया था और वो श्रुति के एक दम करीब आ गया था. रोहन की तो जैसे सानेसिन ही रुक गयी थी जब उसने देखा की श्रुति उस दरिंदे का शिकार बनने के एक दम करीब है. फिर उसने आव देखा ना ताव, वो फौरन एक लंबी छलांग लगते हुए उस दरिंदे के ऊपर अपने चाकू से उसके सीने पर एक जोरदार हमला कर दिया. उस दरिंदे को भी जैसे इस हमले की उम्मीद नहीं थी. वो अपने ऊपर अचानक हुए इस हमले से एक दम भौक्ला गया और अपने तेज़धार वाले नाखूनओ से एक जोरदार प्रहार रोहन पर किया. रोहन भी देख लिया था चाकू उसके सीने में घोंपने से उस दरिंदे पर कोई खास असर नहीं हुआ था बल्कि वो और खूणकार हो चुका था और उस पर अपने तेज नाखूनओ से उसका सर उसके धड़ से अलग करने के लिए अपना हाथ उस पर चलाया था. लेकिन रोहन एक कुशल शिकारी था और बहुत फुर्तीला भी था. वो फौरन उस दरिंदे का प्रहार बच्चा लिया. उसने अपना सर तो काटने से तो बच्चा लिया था लेकिन अपना सर बचाने के चक्कर में उस दरिंदे का नाखून उसके डाईएइन हाथ के बाजू पर पढ़ गया. रोहन के ऐसा महसूस हुआ जैसे उसके बाजू में किसी ने तेज धार वाली तलवार से हमला कर दिया. रोहन इस हमले से एक तरफ को लुढ़क गया था, लेकिन वो दरिन्दा अब पहले से भी ज्यादा बौराया हुआ अपने आगे उन दोनों फिरंगीओ को देखा और झट से उनका सर उनके धढ़ से अलग कर दिया. बेचारो को तो चीखने का भी मौका नहीं मिला. इस पर भी उस दरिंदे को चैन नहीं आया वो फिर से श्रुति के ऊपर झपटने की तैयारी करने लगा. श्रुति ने भी उसे देख लिया था अपनी और आते हुए. वो जल्दी से वहां से भागने की तैयारी करने लगी लेकिन, अंधाधुंड भागने के चक्कर में उसका पैर एक पत्थर से टकरा गया और वो लड़खड़ा कर गिर पढ़ी. उसने पलट कर देखा वही दरिन्दा अब उसको मौत के घाट उतारने के लिए उतावला हो रहा था. श्रुति ने भी देख लिया था की अब उसको मरने से कोई नहीं बच्चा सकता. लेकिन ऊपर वाले को श्रुति के प्राण अभी नहीं हारना….
 

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था. इससे पहले की वो दरिन्दा उस पर झपट्टा उन फिरंगीओ में से वो लड़की ने एक बारे से पत्थर से उस दरिंदे पर हमला कर दिया. वो दरिन्दा फिर से अपने ऊपर हुए इस हमले से भौक्ला गया और फिर अपनी खूणकार लाल लाल आँखों से उस लड़की को घूर ने लगा और एक खौफनाक दहाड़ मारते हुए उस लड़की की और झपटने लगा. उस फिरंगी लड़की को भी बाद में एहसास हुआ की उसने क्या गलती करी थी. वो दरिन्दा एक लंबी छलांग मारते हुए उस लड़की के पेट में अपने नाखूनओ से प्रहार किया और उसके अंदर की सारी अंतड़िया बाहर निकाल लिया. फिर उसके बाद उसके जिस्म के टुकड़े करते हुए अपना सारा गुस्सा निकालने लगा. वो अभी यही सब करने में व्यस्त था की रोहन अपनी जगह से उठते हुए जल्दी से श्रुति का हाथ पकड़ा और जल्दी से उसे वहां से भागना लगा. फिर वो दोनों जैसे पहले भी अपनी जान उन दरिंदो से बचाने के लिलये दौड़ लगाए थे ठीक उसी तरह इस बार भी वह दोनों पहले से भी ज्यादा दौड़ पढ़े मानो जैसे उनके पैरों में इस बार पहिए लगे हुए हो.

काफी देर तक उस दरिंदे से दूर भागते रहने के बाद वह दोनों एक जगह रुक गये. रोहन ने देखा की अब उन्हें कोई खतरा नहीं है क्योंकि वह बहुत दूर आ गये थे उस दरिंदे के चंगुल से. रोहन ने श्रुति की तरफ देखा, जो अब एक दम निढल सी हुई थी. एक दम बाज़ार, उधस लग रही थी.
“क्या हुआ श्रुति तुम ठीक तो है?” रोहन उसकी तरफ देखकर कहा. श्रुति ने पहले कुछ नहीं कहा फिर अपना सर दूसरी और करके रोने लगी. रोहन, श्रुति को रोता देख रोहन उस के पास आ गया और उससे कहने लगा.
“श्रुति!! श्रुति!! क्या हुआ?” श्रुति अपना सर रोहन की और किया फिर उसके खड़े पर अपना सर रख कर और ज़ोर से रोने लगी.
“अरे क्या हुआ? कुछ बोलो तो सही?” रोहन ने कहा.
“रोहन…..लगता है अब हम नहीं बचेंगे…..” श्रुति ने रोते हुए कहा.
“नहीं श्रुति ऐसा मत कहो…..सब कुछ ठीक हो जाएगा.” रोहन, श्रुति को दिलासा देते हुए कहा.
“नहीं रोहन!! मुझे नहीं लगता की अब हमें मरने से कोई बच्चा सकता है…हमारी किस्मत अच्छी थी की हम इससे पहले 4 बार हम उन दरिंदो से बच चुके है…अगली बार शायद हमारी किस्मत हमारे ऊपर मेहरबान ना हो. तुमने देखा नहीं कैसे उस हैवान ने उन बेचारो को अपना शिकार बनाया. हो सकता है अगली बार हम उनका शिकार बन जाए?” श्रुति एक दम बोझल मान से कह रही थी.
“नहीं श्रुति हिम्मत से काम लो. तुम जरूर इस जंगल से सही सलामत वापस जाओगी. यह मेरा तुमसे वादा है. मेरी वजह से तुम इस मुसीबत में हो. तुम्हारी जिंदगी मुझ पर कर्ज है. में अपनी जान पर खेल कर तुम्हें यहां से निकालूंगा. भरोसा रखो मुझ पर.” रोहन, श्रुति को दिलासा देता हुए कहा.
“तुम क्या करोगे रोहन? देखा नहीं वो जानवर कितने खूणकार है? उनसे लड़ना इतना आसान नहीं है. तुम अकेले कितना लड़ोगे?” श्रुति ने कहा.


“बात तो सही है तुम्हारी…मगर हम यूँ हिम्मत हार के तो नहीं बैठ सकते ना? हमें ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ेगा.” रोहन ने कहा.
“लेकिन हम अब क्या करेंगे? क्योंकि मेरे अंदर अब ज़रा भी जान नहीं है. मुझे बहुत कमज़ोरी महसूस हो रही है. मुझसे अब ज़रा भी चला नहीं जा रहा है.” श्रुति ने एक दम थके हुए अंदाज़ में कहा. जैसे कोई इंसान कई दीनों से भूखा हो.

“हां तो ठीक है तो हम यही पर आराम करेंगे….में तुम्हारे लिए कुछ खाने और पीने का बंदोबस्त करता हूँ.” रोहन ने कहा.
“नहीं नहीं!! तुम कही नहीं जाओगे मुझे छोढ़कर…में यहां अकेले नहीं रही सकती.” श्रुति ने जल्दी से कहा.
“श्रुति…में कोई ज्यादा दूर थोड़े ही जा रहा हूँ.” फिर रोहन पास के पेड़ो की तरफ इशारा करते कहा “तुम वो सब पेड़ देख रही हो? मुझे उसमें काफी फल दिख रहे है. में उसमें से फल तोड़ कर लाता हूँ. फिर जब हमारा पेट इन फलो को कहा कर भर जाएगा तो पास ही झरना बह रहा है, हम उस झरने के पानी से अपनी प्यास भी भुजा लेंगे. ठीक है?”

“लेकिन फिर भी तुम्हें वो सारे फल तोड़ने के लिए उतनी ही दूर तो जाना पड़ेगा ना?” श्रुति ने कहा.
“ठीक है…तो तुम भी उधर ही चलो. में पेड़ पर चढ़ता हूँ तुम नीचे खड़े रहना.”
“हम….ठीक है. लेकिन में नीचे खड़ी रहूंगी और तुम ऊपर, और इसी डुआरन में कही वो जानवर आ गया तो?” श्रुति ने कहा.
“तो में वही ऊपर से छलांग लगा दूँगा और उसे एक पप्पी ले लूँगा….ठीक है?” रोहन ने कहा. श्रुति भी थोड़ा हंसते हुए कहा.
“ठीक है.” फिर रोहन के काफी सारे फल तोड़ने के बाद उन्होंने उसे खाया और पास के झरने से पानी पीकर अपनी प्यास भी भूजली. इतना खा पी लेने के बाद अब श्रुति थोड़ा अपने आपको थोड़ा तरो ताजा महसूस कर रही थी. अब उसे अंदर से पहले की तरफ कमज़ोरी नहीं लग रही थी.

“अब हमें क्या करना चाहिए रोहन. कोई प्लान है तुम्हारे पास?”…
 
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