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Update 2
अब तक ...
वीर के मन में काफी उथल पुथल मची हुई थी और अब वो काव्या से बात करने जा रहा है
अब आगे ...
सच्चे प्यार की तलाश में वीर ने कई लड़कियों पे ट्राय किया...... लेकिन उसे उसका हमसफर नहीं मिला और आखिर में जिसे वो अपनी डेस्टिनी मान बैठा था, अपने बड़ो का आशीर्वाद समझ रहा था.....वो भी उसे छोड़ के चली गई..
वीर के मन में अब बहुत सारे प्रश्न उठ रहे थे.... काव्या भी तो किरण की बहन है....और वह किसी लकी नाम के लड़के को पसंद भी करती है, कही फिर से तो.... मेरे दिल को चोट नहीं पहुंचेगी..
वीर अपने मन में काव्या के प्रति तरह तरह के विचार, भावनाएं, अपेक्षाएं और आशाएं संजोए आगे बढ़ रहा था..
वहीं काव्या...
आंखों में आशू लिए बस यही सोचे जा रही थी कि उसे वीर को हां ही कहना है , हालांकि उसका मन नहीं है की वह अभी से शादी करे और उसे तो लव मैरिज ही पसंद है...फिर उसकी क्या मजबूरी है कि वो बस शादी के लिए हां ही कहना चाह रही है ( आगे पता लगेगा), साथ ही उसके मन में उसके फ्यूचर को लेकर कई सवाल है कि वह अपनी पढ़ाई कैसे पूरी करेगी वह भी उसी कॉलेज से बीए कर रही है जहां से वीर ने अपनी पढ़ाई पूरी की थी.....
शादी के बाद तो न ही उसे कभी टाइम मिल पाएगा न ही वह अपनी जिंदगी जी सकेगी.... आखिर ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ कल तक तो सब ठीक था उसे अपनी बहन को लेकर भी कई विचार आ रहे थे कि वो ऐसा कैसे कर सकती है आखिर उनकी ही गलती है कि मेरे साथ ऐसा हो रहा है .......नही नहीं मैं ये क्या सोच रही हूं दीदी है वो मेरी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और वो दरवाजा खोलने जाती है
दरवाजा खुलने के बाद....
काव्या वीर को देखते ही जीजू कहने ही वाली थी कि वो अचानक सहम सी जाती है और अपनी नजरे झुका लेती है जैसे ही वीर अंदर आता है तो वह दीवार की तरफ अपना मुंह कर लेती है अभी भी उसकी आंखो में आशू थे.....दिल जोरो से धड़क रहा था
इधर वीर को भी कुछ भी समझ नही आ रहा होता है कि वह क्या बात करे वह आ तो गया था कि उससे बात करेगा लेकिन कहां से शुरूवात करे उसे सूझ ही नहीं रहा था आखिर में हिम्मत करके वीर बोला
वीर : क्या तुम सच में मुझसे शादी करना चाहती हो ?
( काव्या ये सुनकर एकदम शांत खड़ी रही उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर भी वो हिम्मत जुटा कर धीरे से बोली )
काव्या: हां..... और फिर से वो खामोश हो गई न वीर कुछ बोल रहा था न ही काव्या बस खामोशी और दिलों की जोर की धड़कन....कुछ देर रुककर वीर फिर से बोला
वीर : मैं तुमसे उम्र में काफी बड़ा हू और तुम्हे तो लव मैरिज पसंद है फिर लकी का क्या होगा ?
काव्या : कुछ देर सोचकर........ अब से मेरे दिल में सिर्फ आप ही रहेंगे
वीर : फिर लकी का क्या होगा ?
(दरसल वीर को डर था कि कही उसे बेवफाई न मिले )
काव्या : फिर से कुछ सोचकर.... हां मुझे वो पसंद है लेकिन मैने आज तक उससे कभी बात नही की तो मेरा उसे पसंद करना एकतरफा रहा और मुझे नही लगता वो मुझे कभी पसंद भी करेगा तो अब मैं उसे भूलना ही पसंद करूंगी
( बात ये है की काव्या बहुत ही गरीब घर से बिलांग करती है, जबकि लकी के पापा एसडीएम है )
इधर वीर के मन में यही चल रहा होता है कि ये कैसी लड़की है ये भी तो किसी को छोड़कर ही मेरे पास आ रही है.....क्या ये ठीक है आखिर अपने प्यार को कोई कैसे छोड़ सकता है और यहां वीर के मन में कही न कही काव्या को लेकर असमंजस कि स्थिति बनी हुई है
वीर को अपने परिवार की इज़्जत की फिक्र भी है, अगर वो बिना शादी किए गया तो लोगो के ताने सुनने को मिलेंगे ...... अंत में उसने पूछा तुम्हारी मुझसे क्या उम्मीद है
काव्या : आप जैसे मुझे रखोगे मैं वैसे ही रह लूंगी ( ये जवाब काव्या का नही था बल्कि उसकी मम्मी उसे अभी जो सिखाकर गई थी उसका प्रभाव था)
चूंकि वीर बोहोत सोच समझकर उससे बात कर रहा था फिर भी काव्या बस छोटा सा ही जवाब दे रही थी जिससे वीर कुछ समझ नहीं पा रहा था वो इरिटेट भी हो रहा था कि वो फिर से पूछता है
वीर : अगर लकी भी तुम्हे पसंद करने लगे तो तुम क्या करोगी?
काव्या : अगर मैं आपकी हो गई तो फिर आपकी ही रहूंगी
वीर : क्या तुम्हे भी कुछ जानना या पूछना है?
काव्या : नहीं ( वह अपनी पढ़ाई और भविष्य को लेकर कई सवाल पूछना चाहती थी लेकिन उसकी मम्मी की वजह से वो नही पूछ रही थी )
इधर को काव्या की बाते वीर को फिल्मी लग रही थी उसने भी अब बिना कुछ ज्यादा सोचे कहा ठीक है फिर 'लेट्स गेट मैरिड'
वीर कमरे से बाहर आता है
वीर के कमरे से बाहर आते ही सारे प्रोग्राम्स फिर से चलने लगते है चहल पहल और दूसरी तरफ पंगत में भोजन का दौर चल रहा होता है ( बताया था कि गरीबी है और मैं खुद बूफे से ज्यादा नीचे बैठकर खाना पसंद करता हू )
थोड़ी ही देर के बाद हम देखते है कि स्टेज सजा हुआ है जहां पर वीर विराजमान है ,उसके स्कूल और कॉलेज के कुछ खास दोस्त भी उसके आस पास ही है मस्ती मजाक का दौर भी चल रहा होता है इधर जैक भी अपने दोस्त के लिए खुश है
अब दुल्हन की एंट्री होती है जिसे वीर तो देखता ही रह जाता है
क्योंकि उसने काव्या को श्रृंगार किए हुए नही देखा था जब वह बात करने भी गया था तो वहां वह काव्या का चेहरा नहीं देख पाया था , क्योंकि काव्या तो दीवार की तरफ सिर किए हुई थी और जब सामने देखती तो सिर झुका लेती, कमरे में रोशनी कम होने से वैसे भी कुछ खास दिखाई नहीं दे पाता
वीर जब तक अपने ख्यालों से बाहर आया तब तक काव्या उसके बगल में आके बैठ चुकी थी .....आगे वरमाला (जयमाल) का कार्यक्रम हुआ उसके बाद फोटो सेशन
अब तक सभी थक कर सो चुके थे रात गहरी हो रही थी लेकिन वीर तो अपने ख्यालों में ही खोया था की उसके मोबाइल पर अलार्म बजने लगा सुबह के 5 बज रहे थे और उसने तुरंत ही उसे बंद किया और अपने अलार्म को रीसेट किया क्योंकि उसमें तू है मेरी किरण गाने का इंस्ट्रूमेंटल रिंगटोन लगा हुआ था उसने फिर उसे सभी जगह से हटा दिया और अपने मोबाइल से किरण की सारी तस्वीरें भी डिलीट कर दी तब जाके उसके मन को शांति मिली.....
अब वह शांत मन से आंखों को बंद कर काव्या के बारे में ही सोच रहा था और उसके फेस पर भी स्माइल आ चुकी थी..... कि कुछ ही देर में उसे उसके जीजाजी ने उठा दिया ताकि फ्रेश होकर जल्द से जल्द सारी रस्में अदा की जा सके
( वीर की 3 बहनों में मीरा (27 साल) सबसे बड़ी है जिनके हसबैंड अमर ने अभी वीर को जगाया बाकी दो बहनें वीर से काफी छोटी है सबसे छोटी 1* साल की रूही और फिर 18 साल की कीर्ति
वीर के माता पिता की शादी काफी कम उम्र में हो चुकी थी जिसके कारण दो बच्चे के बाद उन्हें आगे बेबी कंसीव करने के लिए डाक्टर ने मना कर दिया था तो काफी सालों तक भी कोई प्लानिंग नही की वैसे भी वीर के पिताजी को लिमिटेड छुट्टियां ही मिलती थी )
वीर के फ्रेश होते ही सारी रस्मो को पूरा किया गया और अब विदाई का समय हो चला था ..... मैने देखा कि सब काव्या से लिपट कर रो रहे है और काव्या की आंखों में कोई आंसू नहीं है
इस रोने-धोने के कार्यक्रम के बाद विदाई हुई और वीर के बगल में काव्या बैठी थी लेकिन बीच में जुही (बुआ की बेटी, उम्र * साल ) बैठी हुई थी
कार चलने लगी और चंद्रनगर से निकलते ही काव्या को काफी नींद आने लगी थी जिससे उसका सिर बार बार गिर रहा था जिसे वीर ने भी नोटिस कर लिया था इसलिए उसने उसके सिर को अपने हाथ फैलाकर आर्म्स में होल्ड कर लिया शायद वह टेंशन में रात में सो नहीं सकी है
वीर बस उसे देखे ही जा रहा था और रास्ता भी लंबा नहीं था 80 km .....तो जल्द ही बृजपुर की सीमा पर वो जा पहुंचे जहां वीर को उसे उठाना सही नही लगा तो उसने उसे सोने दिया जब तक की घर पहुंचकर ड्राइवर ने हॉर्न नहीं बजाया
यहां घर पर भी ये बात पता लग चुकी थी कि किरण भाग गई है और वीर कि शादी काव्या से हुई है तो लोग बेशब्री से इंतजार कर रहे थे कि कब उन्हें दुल्हन का फेस देखने मिलेगा साथ ही रूही और कीर्ति भी बोहोत ज्यादा एक्साइटेड थी अपनी होने वाली भाभी को लेकर..... उन्हें उनकी ही उम्र की दोस्त जो मिलने जा रही थी
घर आते ही द्वार पर आरती की गई और फिर रुही और कीर्ति पैसों की डिमांड करने लगी तब वीर ने उन्हें 5-5 हजार दिए , जैसे ही इनसे जान छूटी तो और भी चीजे की जाने लगी जिसमे काव्या की भूमिका ज्यादा थी मै तो ऊपर अपने रूम में चला गया और नहाने के बाद सो गया
4 बजे में नींद से जागा तब रुही का मैसेज देखा जिसमें उसने बताया कि लोग भाभी के बारे में उल्टी सीधी बात कर रहे थे कि कितनी भी सुंदर क्यूं ना हो आखिर है तो उसी की बहन न इस पर रूही और कीर्ति ने भी जमकर झगड़ा किया
[ वीर की जगह कई जगह पर में ' मैं ' लिख देता हू जिसे आप वीर ही समझना ]
मैं ये सब जानकर बोहोत ही ज्यादा गुस्से में था फिर खुद को शांत किया और काव्या को उपर छत पर आने को बोला लेकिन जूही भी उसके साथ ही आ गई तो मैंने उसे पानी के बहाने से नीचे भेज दिया
अब मेने काव्या से पूछा थोड़ा जोर से ....क्या हुआ था नीचे ? वो डर गई और घबराने लगी क्युकी जब लोग उसकी बहन को बुरा भला बोल रहे थे तो उसने भी थोड़ी बहस कर ली थी, उसे लगा मैं उसी चीज को लेकर बात कर रहा हूं और उसे पता था कि मैं भी किरण को लेकर नाराज हूं तो और भी डर गई
वो कुछ भी बोल नही रही थी मैने उसे गौर से देखा तो उसने खुद को पूरी तरीके से साड़ी से कवर किया हुआ था उसकी कमर भी नजर नहीं आ रही थी तो मैने उसे कमर से पकड़ के अपने पास खींचा तो उसके मुंह से जोर की सिसकी नकीली आह्ह्ह.....मुझे लगा ये क्या हो गया
मैंने कमर से उसकी साड़ी हटाकर देखा तो साइड से कुछ जलने के निसान दिखाई दिए ....मेरा पारा ऊपर चढ़ने लगा किसने किया ये ( मैं जोर से बोला ) तो काव्या रोने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं
काव्या मन में
अगर मैने बता दिया कि ये सब मां ने किया है तो बोहोत दिक्कत हो जाएगी तो में क्या बोलू ये सोचते हुए काव्या अचानक से बोली....वो...वो... गलती से मैने खुद को जला लिया था
मुझे पता था कि ये झूठ बोल रही है लेकिन उसे इस वक्त ज्यादा परेशान मैं नहीं कर सकता था तो उसके गालों को मेने खींचा फिर सर पर हाथ फेरकर उसे जाने दिया
सबसे पहले मुझे उसके मन से डर को निकलना था और उसे हर परिस्थिति में उसके साथ रहने का एहसास दिलाना था ताकि वो खुल कर मेरे साथ हर चीजे बांट सके ...... आखिर इसके मन में इतना डर है कैसे इस उम्र में आकर भी
ये मुझे आज तक फील नहीं हुआ था लेकिन अब मैं उसे और करीब से जानना चाहता था
इधर काव्या नीचे
मन में सोच रही थी कि आज नही तो कल उन्हें सबकुछ पता चल जाएगा
अगर उन्होंने सारे घाव देख लिए तो मैं क्या करूंगी अभी तो 13 दिन की छुट्टियां और है ( सेमेस्टर गैप) चौथा सेम स्टार्ट होने में ......तो क्या में उनसे कॉलेज की बात करूं अगर उन्होंने जाने देने से मना कर दिया तो और ये सब सोचकर वो दुखी हो जाती है और अंदर ही अंदर रोने लग जाती है
रात में डिनर करने के बाद जब मे रुम में आया तो वहां काव्या बैठी हुई थी साथ ही जूही भी थी ......मुझे लगा कि ये जूही मुझे काव्या के करीब नहीं जाने देगी तो मेने रूही को मैसेज किया की वो जूही को अपने साथ सुला ले
घर का विवरण
कच्चे घर के सामने ही पक्का घर बना हुआ है और दोनो के बीच मे बड़ा सा आंगन भी है पक्के मकान में चार नीचे और चार उपर रूम बने हुए है
नीचे एक बड़ा सा हाल भी है और उपर उतनी ही जगह पर छत है....... जो चारो रूम उपर है उसके ऊपर भी छत बनी हुई है लोगो के हिसाब से हमारा घर काफी बड़ा है
और कच्चे मकान में दो लंबे लंबे कमरे बने जिनमे अनाज भंडारण की व्यवस्था भी है एक किचन है जहा अब भी खाना बनता है और साथ ही एक रूम में घर के देवी देवताओं को स्थान दिया गया है बाकी दोनों साइड की बात करे तो एक तरफ बड़े पापा का घर और एक तरफ मझले पापा का घर बना हुआ है उन दोनो के दरवाजे ही हमारे आंगन की ओर भी खुलते है,
कच्चे घर के पीछे भी बोहोत कुछ बना हुआ है पानी की एक बोहोत बड़ी सीमेंट की टंकी बनी हुई है और वही झूला भी लगा हुआ है चारो ओर जो बाउंड्री की गई है उस पर बोहोत से गमले रखे है पक्के घर की छत से हमारे खेतो का कुछ हिस्सा भी दिखाई देता है
अब वापिस आते है रूम पर तो अब तक रुही भी आ चुकी थी जूही को ले जाने
के लिए और वो भी रुही के मोबाइल के लालच में चली गई अब हम दोनो ही अकेले थे रूम पर
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काव्या और वीर के बीच आगे क्या होने वाला है...जानने के लिए बने रहिए
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