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Looteraaa

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Bhai light lo yaar it's just an story aur aise types me thoda bahut chalta hai public demand😂
Kya karu yaar...... mai aisi hi soch ka aadmi hu👻
 
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Looteraaa

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Update 6


अब तक...


काव्या और वीर दोनो ही बाग के लिए निकल चुके है


अब आगे..

वीर और काव्या दोनो ही गार्डन में पहुंच चुके है... काव्या तो इतने सारे 'फलों के पेड़' देखकर खुश हो जाती है.......और वहा आस पास से उठने वाली सौंधी सौंधी खुशबू, काव्या को भा जाती है


काव्या : यहां पर कितनी मीठी खुशबू आ रही है ना? और वो अपनी बाहें फैलाकर एक गोल चक्कर लगाती है और चारों और देखने लगती है

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तभी वीर उसे पीछे से हग कर लेता है और कहता है
वीर : लेकिन तुमसे ज्यादा अच्छी खुशबू ...मुझे कहीं और से नही आती!


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काव्या : आप तो बोहोत ही ज्यादा रोमांटिक बाते करते हो......तो फिर मै आपसे कुछ पूछना चाहती हू?

वीर : (काव्या के गालों को दोनो हाथों में लेते हुए)....तुम्हे कुछ भी पूछने के लिए परमिशन की जरूरत नहीं है काव्या

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काव्या : आप मुझे ये बताओ कि, किरण दीदी क्या अब भी आपके दिल में है?.......क्या आप उन पर अब भी गुस्सा हो?

(दोस्तों काव्या को लगता है कि किरण वीर का पहला प्यार है.... कहीं अब भी वो उसके दिल में न हो....ये सब पूछने के लिए वो सही जगह और सही मूड का वेट कर रही थी)


वीर : मैं किसी पर गुस्सा नही हूं काव्या.......और हां, सच्चे प्यार की तलाश में, न जाने कितनी लड़कियां मेरी जिंदगी में आई और मेरा भरोसा तोड़कर चली गई......किरण भी उनमें से एक है।
काव्या : लेकिन...


वीर : रुको, उसके मुंह पर हाथ रखते हुए; पहले मेरी बात तो खत्म होने दो! .....और उसके माथे पर किस करता है, फिर उसकी आंखों में देखते हुए कहता है 'जीवन में किसी को भी सबकुछ नही मिलता'


लेकिन.....

"मैंने तुम्हे अपना सबकुछ मान लिया है "
और अब,जब तुम मेरी हो गई हो .....तो मुझे सबकुछ मिल गया है!!


काव्या : अरे! आप तो सीरियस ही हो गए..... मैं...मैं तो बस यूंही जानना चाहती थी; कि कही दीदी के छोड़ने से आप अंदर से दुखी न हो?



वीर : काव्या को गले लगाते हुए ....ज्यादा मत सोचो...तुम जैसी, इतनी प्यारी सी वाइफ जिसके पास हो वो, दुखी कैसे हो सकता है
काव्या (खुश होते हुए) : 'आई लव यू '......



तभी दोनो एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाते है और वीर काव्या से कहता है-

वीर : तुम अब से हॉस्टल में नहीं रहोगी.......मेरी एक बहन है जिसके साथ तुम रहना और अपनी पढ़ाई करना
काव्या : बहन! लेकिन आपकी दीदी तो टीचर है और वो भोपाल में नहीं रहती ( यहाँ पर काव्या वीर की बड़ी बहन मीरा की बात कर रही थी )



वीर : उसका नाम रिया है ... और वो एक नर्स है
काव्या : शक करते हुए ......आप मुझे ठीक से बताओ; ये बहन कहा से आ गई ?....कही आप मुझसे कुछ छिपा तो नही रहे? .....वो आपकी बहन कहा से लगती है?



वीर : (काव्या के मुंह पर हाथ रखते हुए) बताता हूं बताता हूं........बोहोत लंबी कहानी है!
काव्या : वीर के सीने में हाथ से मुक्के मारते हुए .......मुझे सब जानना है; जल्दी बताओ
वीर : ठीक है ...ठीक है ! लेकिन इसकी शुरुआत जैक से होगी



फ्लैशबैक (जैक का परिचय) :


जब वीर भोपाल में, कॉलेज के सेकंड ईयर में था तभी एक दिन शाम के समय अचानक से चौराहे के पास एक गली में वीर के सिर पर पीछे से एक डंडा आकर लगता है, और वो बेहोश हो जाता है।

(वीर तो गली से निकलकर चौराहे पर, बस चाय पीने जा रहा था)



उसके मुंह पर जब पानी डाल के उसको होश में लाया जाता है तब वो देखता है कि उसे एक खंडर जैसी बिल्डिंग में रस्सियों से बांध दिया गया है और उसके सामने 12 बंदे खड़े है जो होश में आते ही उसपर लात घूंसो की बरसात चालू कर देते है।



वीर : आह्ह्ह रूक जाओ प्लीज़ तुम्हे जितने पैसे चाहिए; मैं देने को तैयार हूं मुझे जाने दो, लेकिन वो गुंडे उसकी एक बात नही सुनते , उन्हीं में से एक वीर के पेट में चाकू मार देता है और उसे लात मारकर कुर्सी सहित फर्स्ट फ्लोर से नीचे फेंक देता ...


( इसके पीछे वीर के 4.5 साल चलने वाले प्यार का आशिक था जिसने वीर को उससे दूर रहने की धमकी दी थी, वीर अपनी ठकुराशी के चक्कर में उसे इग्नोर कर देता है ...लेकिन ये ब्रिजपुर नही भोपाल था)


वीर नीचे जाकर सीधा नाले में गिरता है और बरसात के पानी के कारण नाला काफी उफान पर था तो वीर बहते बहते एक किनारे पे पहुंच जाता है


जहां पर एक पन्नी (प्लास्टिक बैग) चुगने वाला लड़का उसे देख लेता है और वो आकर वीर की सांसे चेक करता है तो वीर अभी जिंदा होता है

रस्सियों से छुड़ा कर ...

वो लड़का, वीर को अपनी बस्ती में ले जाता है जो कि काफी गंदी होती है, वो वीर को लेकर अपने टीन की छत वाले रूम में नीचे लिटा देता है उस कमरे में जगह जगह से पानी टपक रहा था क्यूंकि टीन से सारा एरिया कवर नहीं था


कुछ हिस्से में पुरानी त्रिपाल और पन्निया लगी हुई थी; जिससे टप-टप पानी के टपकाने की आवाज आ रही थी, बहते समय वीर के पेट पर लगा चाकू कही फसकर निकल गया, जिसकी वजह से वीर का काफी ज्यादा ब्लड लॉस हो गया था


थोड़ी देर बाद,बस्ती में ही रहने वाली एक नर्स (रिया) को लेकर वो लड़का आता है, तो नर्स वीर को देखकर घबरा जाती है और कुछ भी करने से इंकार करने लगती है लेकिन बार बार मनाने पर वो जैसा उसको आता था पेनकिलर खिला देती है, स्टीचेस करना तो उसे नहीं आता था क्योंकि वो अभी बस एक स्टूडेंट थी

लेकिन उसे पट्टी करना आता था तो वो डरते डरते वीर को पट्टी कर देती है और कहती है इसे सरकारी अस्पताल में ले जाओ लेकिन वो लड़का पुलिस केस में इंवॉल्व होने से डर रहा था इसीलिए वहा न जाने का डिसाइड करता है

नर्स जा चुकी थी और वो वीर को तिरछी नजरों से एकटक, देखे ही जा रहा था.....फिर वो लड़का अचानक से खड़ा होता है, और बाहर चला जाता है एक हॉस्पिटल के सामने काफी देर खड़ा रहने के बाद, जैसे ही थोड़ा सा अंधेरा होता है एक डॉक्टर,उसे हॉस्पिटल से बाहर आते हुए दिखता है

कुछ देर सोचने के बाद वो पीछे से उसका मुंह दबा लेता है और कहता है, चुपचाप सीधे चलते रहो नही तो मैं तुम्हे गोली मार दूंगा डॉक्टर भी बूढ़ा था तो डरते हुए पीछे नहीं देखता की कही सच में वो उसे गोली न मार दे।


वो डॉक्टर को गलियों के बीच से अपनी बस्ती लेकर आ जाता है और वीर के पास लाते हुए कहता है, इसका इलाज करो डॉक्टर डर रहा होता है लेकिन फिर भी वो वीर की पेट की पट्टी खोल देता है और कहता है ,इसको तो स्टीचेस लगाने पड़ेंगे और न मेरे पास दवाई है न ही कोई औजार (टूल्स)


डॉक्टर से वो सारी चीजे जो भी उसे चाहिए थी; एक पेपर पर वो लड़का, लिखवा लेता है और उसे रस्सियों से बांध कर, उस नर्स के पास जाता है, और डॉक्टर से लिए गए पैसे उसे देकर कहता है ये सारा सामान लेने चलो



आधे घंटे बाद :

जब दोनो वापिस से वीर के पास आते है तो डॉक्टर को खोल देते है, और सारा सामान उसे पकड़ा देते है; फिर डॉक्टर वीर को स्टीचेस लगता है और सुबह तक होश आने का कहता है


जब बाकी की चीजे डॉक्टर उस लड़के को बताने लगता है, तो वो रिया को आगे कर उसे बताने के लिए कहता है; और बताता है की ये भी नर्सिंग कर रही है। डॉक्टर भी थोड़ा खुश होता है,और उसे आगे के लिए सब बता देता है साथ ही उसके सिर और पेट पर पट्टी करने के तरीके की तारीफ भी करता है, और कब उसे स्टीचेस खुलवाने के लिए आना है ये भी बता देता है


फिर डॉक्टर चला जाता है तब रिया उस लड़के से कहती है बाबू (लड़के को बस्ती में सभी बाबू ही कहते थे उसका कभी कोई नाम नहीं रखा गया था )



रिया : बाबू ये कौन है .....तब बाबू उसे कहता है मुझे नहीं पता ये मुझे नाले के पास पड़ा हुआ मिला!


रिया : और तुम इसे घर ले आए देखो मैं तुमको अपना भाई मानती हूं इसीलिए कहे देती ऐसे चक्करो से दूर रहा करो


बाबू : तुम्हे तो खुश होना चाहिए अब से तुम्हारा एक और भाई होगा ....इस पर रिया सोचने लगती है..... कि किस तरह शाम के वक्त जब एक दारूखोर उसके पीछे पड़ा था तब बाबू ने ही उसे बचाया था


रिया : ठीक है मैं कल सुबह आके इसे देख लूंगी अब तुम मुझे मेरे घर छोड़ने चलो........और बाबू उसे घर छोड़ देता है


सुबह 9 बजे
बाबू को वीर के कराहने की आवाज आती है तो वो उसे उठा लेता है और वीर पानी पानी कर था था तो उसे पानी पिलाने लगता है जब वीर अपनी आंखे खोलता है तो उसे बाबू दिखाई देता है


बाबू के बाल लंबे थे साथ ही दाड़ी भी थी वीर को उसे देखकर "पाइरेट्स ऑफ़ कैरेबियन" के जैक की याद आ जाती है


वीर : कौन हो तुम....और मैं कहा हूं?
बाबू : मैंने तुम्हे नाले के पास से उठाया था........फिर वो कल की सारी राम कहानी उसे बता देता है


वीर : आज से तुम मेरे छोटे भाई हो एक बार मैं ठीक हो जाऊं फिर तुम्हे मै अपने साथ ले जाऊंगा .....


तभी बाहर से रिया बाबू को आवाज देती है तो वो उसे अंदर आने को कहता है....
वीर : ब..बहन आज से तुम मेरी भी बहन हो रिया वीर की तरफ देखती है तो थोड़ा इमोशनल हो जाती है और कहती है ज्यादा बात मत करो अभी तुम ठीक नही हो



रिया वीर के लिए दलिया लेकर आई थी जो उसे खिलाने के बाद दवाई खिला देती है और उसकी चोटों पर क्रीम लगाने लगती है तब वीर उसके घर में कौन कौन है ये पूछता है तब वो बताती है कि उसकी मां अस्पताल में खाना बनाती है और पिताजी 2 साल पहले गुजर गए


इस पर वीर उसके सिर पर हाथ रख देता है, अब से मैं तुम्हारे साथ हूं ये सुनकर रिया की आंखों में आंसू आ जाते है और वो वीर को लिटाकर वहा से चली जाती है


वीर लेटे लेटे सोचता मुझे यहा कितने अच्छे लोग मिल गए ( वीर दरअसल अकेला ही रहता था
उसने एक बड़ा सा रूम लिया था जिसके साथ अटैच बाथरूम और छोटा सा किचन भी था )

वीर उसी बस्ती में बोहोत से दिन गुजारता है, रिया अक्सर ही उसके लिए खाना लाया करती थी....और दलिया तो उसकी मां लगभग रोज ही अस्पताल में बनाया करती थी जिसे वो टिफिन में पैक कर वीर के लिए लाती थी......



इसी बीच वीर के स्टीचेस खुलने का समय हो जाता है अब वो पूरी तरीके से ठीक हो चुका था, डॉक्टर भी वीर के बारे में जान के खुश होता है क्योंकि उसकी वाइफ भी बृजपुर से थी....(ये डॉक्टर खरे है ....इनकी मदद भी वीर आगे जाके करेगा तो याद रखना इन्हें भी)


वीर तो बाबू को अब जैक ही कहने लगा था इसमें उसका साथ रिया भी देती थी और बाबू को भी ये नया नाम काफी पसंद आ जाता है



जब वीर जैक को लेकर अपने रूम पहुंचता है, तो उसे याद आता है कि चाभी तो उसके जेब से गिर चुकी है....अब क्या करे?



तभी जैक पत्थर उठाकर लाता है और ताला तोड़कर दोनो अंदर चले जाते है जैक वीर के रूम में रखी चीजों को गौर से देखता है और छूने लगता है....फिर जल्दी से अपना हाथ वापिस खीच लेता


वीर ये देखकर हंसता है और जैक से कहता है ये सब अब से तुम्हारा भी है तुम मेरे छोटे भाई हो.... फिर वो दोनो नहाते है और वीर उसे अपने कपड़े पहनने को देता है


वीर जैक को सैलून ले जाता है और उसका पूरा हुलिया ही चेंज करवा देता है ..... जैक तो खुद को मिरर में देखकर हैरान ही हो जाता है


शाम को वीर जैक को शॉपिंग भी कराता है पहली बार मॉल में लिफ्ट और एस्कलेटर पर चढ़कर जैक डर जाता है......जिसमे वीर को बोहोत मजा आता है !


(अब वीर और जैक दोनो साथ में रहते है,वीर ने मकान मालिक से भी जैक के लिए बात कर ली थी)


अगले दिन

जब वीर और जैक रिया के पास पहुंचते है वीर रिया के लिए गिफ्ट भी लाया था...रिया जब उसे खोलकर देखती है तो लैपटॉप था वो लेने से मना करती है तो वीर उसे जबरदस्ती पकड़ाता है और कहता आप मेरी बड़ी बहन जैसी हो ....और अभी तो में आपको बोहोत कुछ देना चाहता हु चलो मेरे साथ...



रिया : मां क्या मैं वीर के साथ जाऊ?
रिया की मां : अब तेरा भाई तुझे ले जा रहा है तो जा ना ( दरअसल वीर के बारे में रिया सबकुछ अपनी मां को बता चुकी है.....जब उसकी मां ने पूछा था उसे तो दलिया पसंद नही; फिर किसके लिए ले जाती हो)



वीर रिया को लेकर अस्पताल के पास बनी कॉलोनी में लेकर आता है
रिया : तो आप यहां रहते हो ..... यहां रहना तो काफी महंगा पड़ता होगा न (दोस्तों ये थोड़ा एक्सपेंसिव एरिया था )




वीर : नहीं में यहां नहीं रहता....लेकिन मेरी बहन अब से यही रहेगी
रिया : नही नही .....इसमें तो बोहोत पैसे लगेंगे...इतने पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है, हम बस्ती में ही ठीक है!


वीर : यहां से आपका कॉलेज भी पास है और मां का अस्पताल भी.....और अगर सच में आप मुझे अपना छोटा भाई मानती हो तो इसके लिए मना मत करना।
रिया : लेकिन मां....
वीर : मैं उन्हें मना लूंगा आप फ्लैट देखने चलो ...


रिया अंदर जाते ही हैरान हो जाती है......फिर कहती है भाई इसमें तो बोहोत ज्यादा पैसे लगेंगे , इसकी क्या जरूरत है?


वीर : लगता है तुम मुझे दिल से, अपना भाई न.......वीर आगे कुछ कहता इसके पहले ही रिया उसके मुंह पर अपना हाथ रख देती और कहती है...
रिया : खबरदार ऐसा कभी बोला तो......मैं यही रहूंगी!



वीर : (वीर हाथ हटाते हुए) ये मेरी और जैक की पसंद है....... यहां कि सिक्योरिटी भी काफी अच्छी है आपको कभी भी कोई दिक्कत नही आयेगी



[ दोस्तों मैंने आपको शुरू में ही बताया था अपना हीरो थोड़ा इमोशनल है, अभी उसकी दूसरी आईडेंटिटी ने जन्म नही लिया है, तो वो अभी मार धाड़ से दूर है........ये उसका इमोशनल पक्ष है जिसमें उसने रिया को अपनी बहन मान लिया है इसीलिए वो ये सब कर रहा है.......वीर अपने घरवालों को भी सबकुछ बता चुका था .....और उसके पापा तो अपनी बॉर्डर ड्यूटी पर रहते है तो घर में सारे पैसे वीर ही हैंडल करता है ]


अब तीनों बाते करते हुए वहा से निकल जाते है और मॉल पहुंचते है...


रिया एक-एक कर कपड़े ट्राय करती है और अपने भाइयों को भी दिखाती है .......जब वह थक जाती है तो कहती है बस अब और नहीं...आप लोगो को कपड़े पसंद ही नहीं आते



वीर : ठीक है, हम फिर आकर और ले जायेंगे....तुम मां के लिए भी कुछ लेलो
रिया : वैसे भी 5 ड्रेसेस आप दिला चुके हो तो फिर आने की कोई जरूरत नहीं.....फिर रिया मां के लिए भी 3 साडिया ले लेती है..



यहां जब तक रिया मां के लिए साडिया सेलेक्ट कर रही थी तब तक वीर उसके लिए एक एंड्रॉइड मोबाइल लाता है जो सेम उसी के मोबाईल जैसा था



रिया : मोबाइल को देखते हुए खुश हो जाती है क्योंकि ऐसा ही फोन उसकी फ्रेंड के पास भी था...जो उसे दिखा दिखा के बोलती थी ये देखो, OnePlus बोहोत ही महंगा आता है....और बड़ी बड़ी बाते कर सेखि बघारती रहती थी!



तीनों ही शॉपिंग के बाद रिया के घर आ जाते है जहा वीर रिया की मां को इमोश
नल करके वहां से शिफ्ट होने के लिए मना लेता है...
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🤔1000 views par 3-4 logo ke comments wahhh!...lekin jo bhi ise padh rhe hai unka dil se thanks 🙏
 
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Salty~Otaku

ᴺᵒ ᴹᵃᵗᵗᵉʳ ᵂʰᵃᵗ ᴵ’ᵐ ᶜˡᵒᶜᵏⁱⁿᵍ ᴼᵘᵗ ᴮʸ ˢⁱˣ
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Thank you❣️

Dekhte hai

Hmmm


Darasal maine khud jesa story ko likhne ka socha tha🤔, wesi nhi likh rha hu.........romance ko itna intense nahi banana tha main characters ke bich🤔.......maine socha tha, side me jo characters aayenge unke through hard sex show karaunga🙊 taki balance bana rhe
.
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. response ki wajah se hi mene sex ko thoda sa rough bana diya☠️ .....mai khud apni zindagi mai aisa nhi hu to aise scenes likhne me kitna ganda lagta hai kya hi batau???

🤔kabhi kabhi lagta hai Mai kitna ganda insan jo apni ....main lead ke sath galat kar rha hu ....
"Turn crisis into opportunity" it's a simple but great line, You mentioned that the story took an unexpected turn, right? That's the beauty of it! Sometimes, you just have to go with the flow and see where it leads you.


You need to have a vision of where you want to go, but let the characters tell their own stories! As for the loopholes you're worried about, think about how you can turn them to your advantage.


If things aren't working out, at least make sure to give the story a proper ending.
 
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Looteraaa

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"Turn crisis into opportunity" it's a simple but great line, You mentioned that the story took an unexpected turn, right? That's the beauty of it! Sometimes, you just have to go with the flow and see where it leads you.
Thank you, for your guidance and support your every word inspirers me....
You need to have a vision of where you want to go, but let the characters tell their own stories! As for the loopholes you're worried about, think about how you can turn them to your advantage.


If things aren't working out, at least make sure to give the story a proper ending.
Surely, i will do that....story is on it's path but 'rough sex scenes' are not my taste, that is the main problem which makes me think like i spoiled my vision......but i will try to change my mindset accordingly
 
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Salty~Otaku

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Thank you, for your guidance and support your every word inspirers me....

Surely, i will do that....story is on it's path but 'rough sex scenes' are not my taste, that is the main problem which makes me think like i spoiled my vision......but i will try to change my mindset accordingly
If you don’t like the rough sex scenes in the story, you can tone them down! This could actually be a great opportunity to reshape the narrative.


Just make sure to take your time with the changes and don’t rush it! Instead of just cutting them out, think about how you can use those scenes to align with your vision for the story.
 

Looteraaa

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Maine jaldbaji me; lagbhag sare hi upadate post kiye hai, jisse kaafi sare scenes achhe se nhi likhe gaye....aur bohot sa matter mene short me likh diya.

Aage se achha content likhne ki koshish rhegi....khair views teji se nhi aa rhe, iska karan hai ki meri story ka tittle clickbait wala nahi hai

Bane rahiye❣️
 

Looteraaa

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If you don’t like the rough sex scenes in the story, you can tone them down! This could actually be a great opportunity to reshape the narrative.


Just make sure to take your time with the changes and don’t rush it! Instead of just cutting them out, think about how you can use those scenes to align with your vision for the story.
Thank you! Master...
 

yasasvi4

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अब तक...


काव्या और वीर दोनो ही बाग के लिए निकल चुके है


अब आगे..

वीर और काव्या दोनो ही गार्डन में पहुंच चुके है... काव्या तो इतने सारे 'फलों के पेड़' देखकर खुश हो जाती है.......और वहा आस पास से उठने वाली सौंधी सौंधी खुशबू, काव्या को भा जाती है


काव्या : यहां पर कितनी मीठी खुशबू आ रही है ना? और वो अपनी बाहें फैलाकर एक गोल चक्कर लगाती है और चारों और देखने लगती है

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तभी वीर उसे पीछे से हग कर लेता है और कहता है
वीर : लेकिन तुमसे ज्यादा अच्छी खुशबू ...मुझे कहीं और से नही आती!


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काव्या : आप तो बोहोत ही ज्यादा रोमांटिक बाते करते हो......तो फिर मै आपसे कुछ पूछना चाहती हू?

वीर : (काव्या के गालों को दोनो हाथों में लेते हुए)....तुम्हे कुछ भी पूछने के लिए परमिशन की जरूरत नहीं है काव्या

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काव्या : आप मुझे ये बताओ कि, किरण दीदी क्या अब भी आपके दिल में है?.......क्या आप उन पर अब भी गुस्सा हो?

(दोस्तों काव्या को लगता है कि किरण वीर का पहला प्यार है.... कहीं अब भी वो उसके दिल में न हो....ये सब पूछने के लिए वो सही जगह और सही मूड का वेट कर रही थी)


वीर : मैं किसी पर गुस्सा नही हूं काव्या.......और हां, सच्चे प्यार की तलाश में, न जाने कितनी लड़कियां मेरी जिंदगी में आई और मेरा भरोसा तोड़कर चली गई......किरण भी उनमें से एक है।
काव्या : लेकिन...


वीर : रुको, उसके मुंह पर हाथ रखते हुए; पहले मेरी बात तो खत्म होने दो! .....और उसके माथे पर किस करता है, फिर उसकी आंखों में देखते हुए कहता है 'जीवन में किसी को भी सबकुछ नही मिलता'


लेकिन.....

"मैंने तुम्हे अपना सबकुछ मान लिया है "
और अब,जब तुम मेरी हो गई हो .....तो मुझे सबकुछ मिल गया है!!


काव्या : अरे! आप तो सीरियस ही हो गए..... मैं...मैं तो बस यूंही जानना चाहती थी; कि कही दीदी के छोड़ने से आप अंदर से दुखी न हो?



वीर : काव्या को गले लगाते हुए ....ज्यादा मत सोचो...तुम जैसी, इतनी प्यारी सी वाइफ जिसके पास हो वो, दुखी कैसे हो सकता है
काव्या (खुश होते हुए) : 'आई लव यू '......



तभी दोनो एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाते है और वीर काव्या से कहता है-

वीर : तुम अब से हॉस्टल में नहीं रहोगी.......मेरी एक बहन है जिसके साथ तुम रहना और अपनी पढ़ाई करना
काव्या : बहन! लेकिन आपकी दीदी तो टीचर है और वो भोपाल में नहीं रहती ( यहाँ पर काव्या वीर की बड़ी बहन मीरा की बात कर रही थी )



वीर : उसका नाम रिया है ... और वो एक नर्स है
काव्या : शक करते हुए ......आप मुझे ठीक से बताओ; ये बहन कहा से आ गई ?....कही आप मुझसे कुछ छिपा तो नही रहे? .....वो आपकी बहन कहा से लगती है?



वीर : (काव्या के मुंह पर हाथ रखते हुए) बताता हूं बताता हूं........बोहोत लंबी कहानी है!
काव्या : वीर के सीने में हाथ से मुक्के मारते हुए .......मुझे सब जानना है; जल्दी बताओ
वीर : ठीक है ...ठीक है ! लेकिन इसकी शुरुआत जैक से होगी



फ्लैशबैक (जैक का परिचय) :


जब वीर भोपाल में, कॉलेज के सेकंड ईयर में था तभी एक दिन शाम के समय अचानक से चौराहे के पास एक गली में वीर के सिर पर पीछे से एक डंडा आकर लगता है, और वो बेहोश हो जाता है।

(वीर तो गली से निकलकर चौराहे पर, बस चाय पीने जा रहा था)



उसके मुंह पर जब पानी डाल के उसको होश में लाया जाता है तब वो देखता है कि उसे एक खंडर जैसी बिल्डिंग में रस्सियों से बांध दिया गया है और उसके सामने 12 बंदे खड़े है जो होश में आते ही उसपर लात घूंसो की बरसात चालू कर देते है।



वीर : आह्ह्ह रूक जाओ प्लीज़ तुम्हे जितने पैसे चाहिए; मैं देने को तैयार हूं मुझे जाने दो, लेकिन वो गुंडे उसकी एक बात नही सुनते , उन्हीं में से एक वीर के पेट में चाकू मार देता है और उसे लात मारकर कुर्सी सहित फर्स्ट फ्लोर से नीचे फेंक देता ...


( इसके पीछे वीर के 4.5 साल चलने वाले प्यार का आशिक था जिसने वीर को उससे दूर रहने की धमकी दी थी, वीर अपनी ठकुराशी के चक्कर में उसे इग्नोर कर देता है ...लेकिन ये ब्रिजपुर नही भोपाल था)


वीर नीचे जाकर सीधा नाले में गिरता है और बरसात के पानी के कारण नाला काफी उफान पर था तो वीर बहते बहते एक किनारे पे पहुंच जाता है


जहां पर एक पन्नी (प्लास्टिक बैग) चुगने वाला लड़का उसे देख लेता है और वो आकर वीर की सांसे चेक करता है तो वीर अभी जिंदा होता है

रस्सियों से छुड़ा कर ...

वो लड़का, वीर को अपनी बस्ती में ले जाता है जो कि काफी गंदी होती है, वो वीर को लेकर अपने टीन की छत वाले रूम में नीचे लिटा देता है उस कमरे में जगह जगह से पानी टपक रहा था क्यूंकि टीन से सारा एरिया कवर नहीं था


कुछ हिस्से में पुरानी त्रिपाल और पन्निया लगी हुई थी; जिससे टप-टप पानी के टपकाने की आवाज आ रही थी, बहते समय वीर के पेट पर लगा चाकू कही फसकर निकल गया, जिसकी वजह से वीर का काफी ज्यादा ब्लड लॉस हो गया था


थोड़ी देर बाद,बस्ती में ही रहने वाली एक नर्स (रिया) को लेकर वो लड़का आता है, तो नर्स वीर को देखकर घबरा जाती है और कुछ भी करने से इंकार करने लगती है लेकिन बार बार मनाने पर वो जैसा उसको आता था पेनकिलर खिला देती है, स्टीचेस करना तो उसे नहीं आता था क्योंकि वो अभी बस एक स्टूडेंट थी

लेकिन उसे पट्टी करना आता था तो वो डरते डरते वीर को पट्टी कर देती है और कहती है इसे सरकारी अस्पताल में ले जाओ लेकिन वो लड़का पुलिस केस में इंवॉल्व होने से डर रहा था इसीलिए वहा न जाने का डिसाइड करता है

नर्स जा चुकी थी और वो वीर को तिरछी नजरों से एकटक, देखे ही जा रहा था.....फिर वो लड़का अचानक से खड़ा होता है, और बाहर चला जाता है एक हॉस्पिटल के सामने काफी देर खड़ा रहने के बाद, जैसे ही थोड़ा सा अंधेरा होता है एक डॉक्टर,उसे हॉस्पिटल से बाहर आते हुए दिखता है

कुछ देर सोचने के बाद वो पीछे से उसका मुंह दबा लेता है और कहता है, चुपचाप सीधे चलते रहो नही तो मैं तुम्हे गोली मार दूंगा डॉक्टर भी बूढ़ा था तो डरते हुए पीछे नहीं देखता की कही सच में वो उसे गोली न मार दे।


वो डॉक्टर को गलियों के बीच से अपनी बस्ती लेकर आ जाता है और वीर के पास लाते हुए कहता है, इसका इलाज करो डॉक्टर डर रहा होता है लेकिन फिर भी वो वीर की पेट की पट्टी खोल देता है और कहता है ,इसको तो स्टीचेस लगाने पड़ेंगे और न मेरे पास दवाई है न ही कोई औजार (टूल्स)


डॉक्टर से वो सारी चीजे जो भी उसे चाहिए थी; एक पेपर पर वो लड़का, लिखवा लेता है और उसे रस्सियों से बांध कर, उस नर्स के पास जाता है, और डॉक्टर से लिए गए पैसे उसे देकर कहता है ये सारा सामान लेने चलो



आधे घंटे बाद :

जब दोनो वापिस से वीर के पास आते है तो डॉक्टर को खोल देते है, और सारा सामान उसे पकड़ा देते है; फिर डॉक्टर वीर को स्टीचेस लगता है और सुबह तक होश आने का कहता है


जब बाकी की चीजे डॉक्टर उस लड़के को बताने लगता है, तो वो रिया को आगे कर उसे बताने के लिए कहता है; और बताता है की ये भी नर्सिंग कर रही है। डॉक्टर भी थोड़ा खुश होता है,और उसे आगे के लिए सब बता देता है साथ ही उसके सिर और पेट पर पट्टी करने के तरीके की तारीफ भी करता है, और कब उसे स्टीचेस खुलवाने के लिए आना है ये भी बता देता है


फिर डॉक्टर चला जाता है तब रिया उस लड़के से कहती है बाबू (लड़के को बस्ती में सभी बाबू ही कहते थे उसका कभी कोई नाम नहीं रखा गया था )



रिया : बाबू ये कौन है .....तब बाबू उसे कहता है मुझे नहीं पता ये मुझे नाले के पास पड़ा हुआ मिला!


रिया : और तुम इसे घर ले आए देखो मैं तुमको अपना भाई मानती हूं इसीलिए कहे देती ऐसे चक्करो से दूर रहा करो


बाबू : तुम्हे तो खुश होना चाहिए अब से तुम्हारा एक और भाई होगा ....इस पर रिया सोचने लगती है..... कि किस तरह शाम के वक्त जब एक दारूखोर उसके पीछे पड़ा था तब बाबू ने ही उसे बचाया था


रिया : ठीक है मैं कल सुबह आके इसे देख लूंगी अब तुम मुझे मेरे घर छोड़ने चलो........और बाबू उसे घर छोड़ देता है


सुबह 9 बजे
बाबू को वीर के कराहने की आवाज आती है तो वो उसे उठा लेता है और वीर पानी पानी कर था था तो उसे पानी पिलाने लगता है जब वीर अपनी आंखे खोलता है तो उसे बाबू दिखाई देता है


बाबू के बाल लंबे थे साथ ही दाड़ी भी थी वीर को उसे देखकर "पाइरेट्स ऑफ़ कैरेबियन" के जैक की याद आ जाती है


वीर : कौन हो तुम....और मैं कहा हूं?
बाबू : मैंने तुम्हे नाले के पास से उठाया था........फिर वो कल की सारी राम कहानी उसे बता देता है


वीर : आज से तुम मेरे छोटे भाई हो एक बार मैं ठीक हो जाऊं फिर तुम्हे मै अपने साथ ले जाऊंगा .....


तभी बाहर से रिया बाबू को आवाज देती है तो वो उसे अंदर आने को कहता है....
वीर : ब..बहन आज से तुम मेरी भी बहन हो रिया वीर की तरफ देखती है तो थोड़ा इमोशनल हो जाती है और कहती है ज्यादा बात मत करो अभी तुम ठीक नही हो



रिया वीर के लिए दलिया लेकर आई थी जो उसे खिलाने के बाद दवाई खिला देती है और उसकी चोटों पर क्रीम लगाने लगती है तब वीर उसके घर में कौन कौन है ये पूछता है तब वो बताती है कि उसकी मां अस्पताल में खाना बनाती है और पिताजी 2 साल पहले गुजर गए


इस पर वीर उसके सिर पर हाथ रख देता है, अब से मैं तुम्हारे साथ हूं ये सुनकर रिया की आंखों में आंसू आ जाते है और वो वीर को लिटाकर वहा से चली जाती है


वीर लेटे लेटे सोचता मुझे यहा कितने अच्छे लोग मिल गए ( वीर दरअसल अकेला ही रहता था
उसने एक बड़ा सा रूम लिया था जिसके साथ अटैच बाथरूम और छोटा सा किचन भी था )

वीर उसी बस्ती में बोहोत से दिन गुजारता है, रिया अक्सर ही उसके लिए खाना लाया करती थी....और दलिया तो उसकी मां लगभग रोज ही अस्पताल में बनाया करती थी जिसे वो टिफिन में पैक कर वीर के लिए लाती थी......



इसी बीच वीर के स्टीचेस खुलने का समय हो जाता है अब वो पूरी तरीके से ठीक हो चुका था, डॉक्टर भी वीर के बारे में जान के खुश होता है क्योंकि उसकी वाइफ भी बृजपुर से थी....(ये डॉक्टर खरे है ....इनकी मदद भी वीर आगे जाके करेगा तो याद रखना इन्हें भी)


वीर तो बाबू को अब जैक ही कहने लगा था इसमें उसका साथ रिया भी देती थी और बाबू को भी ये नया नाम काफी पसंद आ जाता है



जब वीर जैक को लेकर अपने रूम पहुंचता है, तो उसे याद आता है कि चाभी तो उसके जेब से गिर चुकी है....अब क्या करे?



तभी जैक पत्थर उठाकर लाता है और ताला तोड़कर दोनो अंदर चले जाते है जैक वीर के रूम में रखी चीजों को गौर से देखता है और छूने लगता है....फिर जल्दी से अपना हाथ वापिस खीच लेता


वीर ये देखकर हंसता है और जैक से कहता है ये सब अब से तुम्हारा भी है तुम मेरे छोटे भाई हो.... फिर वो दोनो नहाते है और वीर उसे अपने कपड़े पहनने को देता है


वीर जैक को सैलून ले जाता है और उसका पूरा हुलिया ही चेंज करवा देता है ..... जैक तो खुद को मिरर में देखकर हैरान ही हो जाता है


शाम को वीर जैक को शॉपिंग भी कराता है पहली बार मॉल में लिफ्ट और एस्कलेटर पर चढ़कर जैक डर जाता है......जिसमे वीर को बोहोत मजा आता है !


(अब वीर और जैक दोनो साथ में रहते है,वीर ने मकान मालिक से भी जैक के लिए बात कर ली थी)


अगले दिन

जब वीर और जैक रिया के पास पहुंचते है वीर रिया के लिए गिफ्ट भी लाया था...रिया जब उसे खोलकर देखती है तो लैपटॉप था वो लेने से मना करती है तो वीर उसे जबरदस्ती पकड़ाता है और कहता आप मेरी बड़ी बहन जैसी हो ....और अभी तो में आपको बोहोत कुछ देना चाहता हु चलो मेरे साथ...



रिया : मां क्या मैं वीर के साथ जाऊ?
रिया की मां : अब तेरा भाई तुझे ले जा रहा है तो जा ना ( दरअसल वीर के बारे में रिया सबकुछ अपनी मां को बता चुकी है.....जब उसकी मां ने पूछा था उसे तो दलिया पसंद नही; फिर किसके लिए ले जाती हो)



वीर रिया को लेकर अस्पताल के पास बनी कॉलोनी में लेकर आता है
रिया : तो आप यहां रहते हो ..... यहां रहना तो काफी महंगा पड़ता होगा न (दोस्तों ये थोड़ा एक्सपेंसिव एरिया था )




वीर : नहीं में यहां नहीं रहता....लेकिन मेरी बहन अब से यही रहेगी
रिया : नही नही .....इसमें तो बोहोत पैसे लगेंगे...इतने पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है, हम बस्ती में ही ठीक है!


वीर : यहां से आपका कॉलेज भी पास है और मां का अस्पताल भी.....और अगर सच में आप मुझे अपना छोटा भाई मानती हो तो इसके लिए मना मत करना।
रिया : लेकिन मां....
वीर : मैं उन्हें मना लूंगा आप फ्लैट देखने चलो ...


रिया अंदर जाते ही हैरान हो जाती है......फिर कहती है भाई इसमें तो बोहोत ज्यादा पैसे लगेंगे , इसकी क्या जरूरत है?


वीर : लगता है तुम मुझे दिल से, अपना भाई न.......वीर आगे कुछ कहता इसके पहले ही रिया उसके मुंह पर अपना हाथ रख देती और कहती है...
रिया : खबरदार ऐसा कभी बोला तो......मैं यही रहूंगी!



वीर : (वीर हाथ हटाते हुए) ये मेरी और जैक की पसंद है....... यहां कि सिक्योरिटी भी काफी अच्छी है आपको कभी भी कोई दिक्कत नही आयेगी



[ दोस्तों मैंने आपको शुरू में ही बताया था अपना हीरो थोड़ा इमोशनल है, अभी उसकी दूसरी आईडेंटिटी ने जन्म नही लिया है, तो वो अभी मार धाड़ से दूर है........ये उसका इमोशनल पक्ष है जिसमें उसने रिया को अपनी बहन मान लिया है इसीलिए वो ये सब कर रहा है.......वीर अपने घरवालों को भी सबकुछ बता चुका था .....और उसके पापा तो अपनी बॉर्डर ड्यूटी पर रहते है तो घर में सारे पैसे वीर ही हैंडल करता है ]


अब तीनों बाते करते हुए वहा से निकल जाते है और मॉल पहुंचते है...


रिया एक-एक कर कपड़े ट्राय करती है और अपने भाइयों को भी दिखाती है .......जब वह थक जाती है तो कहती है बस अब और नहीं...आप लोगो को कपड़े पसंद ही नहीं आते



वीर : ठीक है, हम फिर आकर और ले जायेंगे....तुम मां के लिए भी कुछ लेलो
रिया : वैसे भी 5 ड्रेसेस आप दिला चुके हो तो फिर आने की कोई जरूरत नहीं.....फिर रिया मां के लिए भी 3 साडिया ले लेती है..



यहां जब तक रिया मां के लिए साडिया सेलेक्ट कर रही थी तब तक वीर उसके लिए एक एंड्रॉइड मोबाइल लाता है जो सेम उसी के मोबाईल जैसा था



रिया : मोबाइल को देखते हुए खुश हो जाती है क्योंकि ऐसा ही फोन उसकी फ्रेंड के पास भी था...जो उसे दिखा दिखा के बोलती थी ये देखो, OnePlus बोहोत ही महंगा आता है....और बड़ी बड़ी बाते कर सेखि बघारती रहती थी!



तीनों ही शॉपिंग के बाद रिया के घर आ जाते है जहा वीर रिया की मां को इमोश
नल करके वहां से शिफ्ट होने के लिए मना लेता है...
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🤔1000 views par 3-4 logo ke comments wahhh!...lekin jo bhi ise padh rhe hai unka dil se thanks 🙏
The resion behind this..... maximum log without id dekhte h and jinki id h bhi....wo bas padh ke chale jate h....😅ya aadat nahi hogi🫡but hads off on your story kafi cool story lagi💀hope aap updates time pe rakhe.......
 
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अब तक..

वीर रिया की मां को शिफ्ट करने के लिए मना चुका है



अब आगे ..

वीर : काव्या के गाल खींचते हुए ......अब समझी कि मैं किस बहन की बात कर रहा था, मेरी बहन और मां के होते हुए तुम हॉस्टल में क्यों रहोगी?
काव्या : अगर आप उन्हें इतना मानते हो, तो मैं उन्हीं के साथ, ही रहूंगी लेकिन..... वो हमारी शादी में क्यों नहीं आए ?



ये सुनकर वीर थोड़ा, परेशान सा हो जाता है क्योंकि कुछ दृश्य उसके दिमाग में घूम जाते है..... और थोड़ी देर शांत रहने के बाद; वीर.....काव्या से झूठ नहीं बोलना चाहता था इसलिए कहता है...



वीर : दीदी को शादियों से डर लगता है उन्हें शादी और पार्टी जैसी गैदरिंग से मेंटल ट्रॉमा है
काव्या : (वीर के सेड फेस को देखते हुए)....क्या इसका आपसे कुछ लेना देना है? आप इतना दुखी क्यूं हो?



तभी वीर उसे कस के पकड़ लेता है और कहता है............ हां ,शायद मैं इसका जिम्मेदार हूं !
काव्या : शायद???....आप मुझे पूरी बात बताओ ना!



वीर खुद को शांत करते हुए ....जब स्टेबल हो जाता है तो बताना शुरू करता है



फ्लैशबैक :

हमें एक शादी का सीन दिखाया जाता है....जिसमे रिया भी होती है
ये किसकी शादी है? और रिया यहां क्या कर रही है?


दरअसल ये शादी डॉक्टर खरे के बेटे की है.....वीर,जैक और रिया अक्सर ही डॉक्टर से मिलने जाया करते थे, इसीलिए इनके संबंध काफी अच्छे हो चुके थे और वो सभी यहां इनवाइटेड थे ...


तीनों साथ ही, शादी में एंजॉय कर रहे थे कि ....तभी डॉक्टर आकर जैक को अपने काम से कुछ लोगो के साथ, सामान रिसीव करने के लिए बाहर भेज देता है।



जैक : "तुम दोनो साथ में एन्जॉय करो" मैं आता हूं....कहते हुए निकल जाता है



इतने में वीर को भी उसके कॉलेज लव का कॉल आ जाता है और वो उससे लवी - डवी बातें करने के लिए, एकांत ढूंढ लेता है।



वीर को बात करते हुए काफी देर हो जाती है....... तभी उसके मोबाइल पर इमरजेंसी मैसेज आता है, जिसमे लोकेशन भी होती है



वीर परेशान ही जाता है क्योंकि ये मैसेज रिया ने भेजा था ....वीर तुरंत ही उस लोकेशन के लिए निकल जाता है जो कि 5 किमी दूर की थी।


वीर अपनी बाइक कुछ दूरी पर रोककर .….धीरे धीरे एक पुरानी बिल्डिंग की और बढ़ता है.....जहां पर उसे कुछ आदमी दिखाई देते है जो आपस में बाते कर रहे थे


आदमी 1 : साला राणे, हमारे बॉस की बात मान लेता तो आज उसकी बेटी यहां न होती
आदमी 2 : पर अब क्या फायदा......विदेश में जाके तो किसी का बिस्तर ही गरम करेगी......और दोनो जोरों से हंसने लगते है !!!!



उनकी बाते सुनकर वीर को पता चलता है कि यहां पर और भी लड़कियां है..... वो थोड़ा सतर्क हो जाता है तभी उसे पास ही एक लोहे का रोड पड़ा हुआ दिखाई देता है, जिसे वो उठा लेता है



फिर यहां वहां घूमकर पता लगाने की कोशिश करता है कि आखिर यहां कितने लोग है?और रिया और बाकी लड़कियों को कहा रखा गया है....वीर को पता लगता है कि वहा लगभग 21 लोग है


लेकिन अभी भी उसे लड़किया का नही पता था कि वो कहा है?..आसपास जितना हो सकता था उसने ढूंढा पर उसे कोई नही मिला और उन्हें लेकर वो कोई रिस्क नहीं ले सकता था


वीर प्लान करने लगता है कि कैसे उन्हें बचाया जाए, तभी वीर को एक आदमी दिखाई देता है.....जो कि झाड़ियों की तरफ बाथरूम करने के लिए जा रहा था



वीर छुपते हुए, किसी तरीके से उसके पीछे जाके सिर पर लोहे का रॉड दे मारता है, और उसके पास से गन ले लेता है ....उसकी जेब चेक करने पर उसमे लाइटर होता है जिसे वो अपने पास रख लेता है और अपने कपड़े, जबरदस्ती उसे पहना देता है(क्योंकि वो थोड़ा मोटा था); और उसके कपड़े खुद पहन लेता है


फिर वो उस आदमी के हाथ पर बेल्ट कस देता है और उसे उठाने की कोशिश करता है .....उसे जैसे ही होश आता है उसके मुंह में गन थी



वीर : चुपचाप बताओ की लड़कियों को कहा रखा गया है......वो आदमी ऊपर की ओर नजरों से इशारा करता है और अपने दोनो हाथो को भी उठाकर इशारा करने को होता है कि वीर जोर से उसका गला पकड़कर उसे मार देता है...


कुछ सोचते हुए वीर उसे ऐसे छिपाता है जैसे कोई छिपने कोशिश कर रहा हो .......उसके मन में अभी यही चल रहा था ......गोलियां कम और आदमी ज्यादा.......वीर शूटिंग में अच्छा था, (क्योंकि एज स्पोर्ट वो निशाने की प्रैक्टिस करता था) उसके पापा ने भी उसे वन टू वन फाइट के लिए ट्रेन किया था


अब थोड़ा सा रिस्क लेने के लिए वो भी तैयार था ...सारा प्लान उसकी आंखों के आगे किसी मूवी की तरह घूम जाता है



वीर सबसे पहले एक कार के पास जाता है......और अपनी जेब से लाइटर निकालकर उसे उड़ा देता है .....जिसकी धमक से चारों और भगदड़ मच जाती है



बोहोत सारे आदमी गन के साथ ब्लास्ट वाली जगह की ओर आते है और यहां-वहां देखने लगते है ...वीर बारी बारी से उन्हें शूट कर देता है



लेकिन अभी केवल 5 लोग मरे थे .......वीर के पास अब गोलियां खत्म हो चुकी थी इसीलिए वो गन लेकर बाहर निकल आता है और यहां वहा ढूंढने की एक्टिंग करने लगता है



इससे उसके हाथ तीन गन आ जाती है, वो चौथे आदमी के पास जा ही रहा था कि तभी उसे आवाज आती है वो रहा .....वीर तो डर ही जाता है कि तभी सब उस छिपाए गए आदमी की ओर बढ़ने लगते है और उसे निशाने पर ले लेते है



वीर इस मौके का फायदा उठाकर फिर से छिप जाता है और 7 आदमियों को शूट कर देता है......ऐसा करते हुए एक आदमी वीर को देख लेता है, इससे पहले कि वो कुछ करता वीर उसे भी गोली मार देता है



अभी भी कुछ लोग बाहर नहीं आए थे वीर इंतजार करता है...जब कोई नही आता तो वो अंदर जाने का डिसाइड करता है....वीर रेंगते हुए आगे बढ़ने लगता है कि उपर से फायरिंग होने लगती है


अब वीर उनकी नजर में आ चुका था ....और उन्हें पता लग गया था कि, उनकी ही ड्रेस में कोई बंदा उन्हे मार रहा है



वीर के कान के पास से गोली निकल जाती है वो रोल करते हुए दीवार के पास चला जाता जहां उपर से कोई खतरा नहीं था



वीर छिपा रहता है तभी दो बंदे बाहर आते है....वीर पत्थर मारकर उनका ध्यान दूसरी तरफ करके, उन्हें शूट कर देता है



और
किनारे-किनारे चलते हुए अपनी जगह बदलता है तभी उसे एक होल से दो आदमी दिखाई दे रहे थे जिन्हे फायर करके वो गिरा देता है .....


अंदर मौजूद लोगों को वीर की लोकेशन पता लग जाती है क्योंकि गोलियां एक होल की तरफ से आई थी


खतरा न जान कर वो सभी बाहर आते है कि सरप्राइस!!!.....वीर वापिस से वही पहुंच गया था और चारों लोग मारे जाते है।


वीर के हिसाब से सारे ही लोग मारे जा चुके है लेकिन उपर कितने लोग है ....इसका उसे जरा भी अंदाजा नहीं था


वीर तीन फुली लोडेड गन एक चाकू और एक लाइटर....(सब मारे गए आदमियों के पास से ) साथ लेकर आगे बढ़ता है।


वीर के दिमाग में आगे का सीन चल रहा था ....... कि अगर ऊपर 10 लोग हुए तो क्या,15 हुए तो क्या.....अब वो कुछ भी सोच नहीं पा रहा था


अचानक ही उसके दिमाग में रिया का ख्याल आता है और फिर जैक के वो शब्द दिमाग में गूंजने लगते है "तुम दोनो साथ में एन्जॉय करो मैं आता हूं"


वीर सोचता है कि काश वो जैक की बात पर गौर कर लेता और रिया के साथ रहता ......



तभी आवाज आती है अरे ओ छछुंदर की औलाद कहा छुपा बैठा है, दम है तो सामने आ .......


वीर कुछ देर और रुकता है .... कि अगर आवाज आई है तो शायद आदमी भी आए.....वीर छिपकर 10 मिनट वेट करता है लेकिन कोई नही आता!!


वीर अब सबकुछ भगवान भरोसे छोड़कर रश करने का सोचता है और उपर की और दौड़ लगा देता है, उपर जाता है तो एक ही आदमी था जो कि रिया को बालों से पकड़े हुए था और उसके उपर गन ताने हुए था ....वीर ये देखकर एकदम से रूक जाता है



तभी उसके पैर पर पीछे से एक गोली आकर लगती है.....वीर तुरंत ही पलटकर उसके माथे पर गोली मार देता है (एज अ क्विक रिस्पॉन्स )




इसी बीच रिया बोहोत जोर से चिल्लाती है नहीं!!!!!!! और बेहोश हो जाती है........(वीर समझ चुका था कि बस दो ही बचे थे इसीलिए नीचे नही आ रहे थे)


तभी सामने से ......तेरा निशाना तो गजब का है, लड़के और जिस तरह से ये लड़की चिल्लाई, तू जरूर इसका कुछ लगता होगा....तो चल अब अपने सारे हथियार फेक दे नहीं तो ये लड़की मरेगी (पीछे लगभग 20 लड़कियां और बंद थी)



वीर अपने सारे हथियार अलग अलग डायरेक्शन में फेक देता हैं तभी वो आदमी रिया को छोड़ वीर को गन प्वाइंट पर रखे रखे उसके पास तक आ जाता है



वीर के पैर पर जहां, उसे गोली लगी थी, उसी जगह पर अपना पैर रखके जोर से दबाता है जिससे वीर चीखने लगता है और यहां वहां तड़फने की एक्टिंग करता है


हालांकि उसे सचमुच काफी दर्द हो रहा था तभी उसके हाथ में चाकू आ जाता है जिसे उसने पास ही गिराया था



जैसे ही वीर, चाकू उसके पैर में घुसता है वो डिसबैलेंस हो जाता है .......... वीर उसके मैन प्वाइंट पर एक जोरदार लात मारता है और वो गिर जाता है


गन उसके हाथ में अब भी थी लेकिन इसके पहले कि वो वीर को मारता.....वीर गन उठाकर उसके हाथ में गोली मार देता है, और उसके हाथ से गन छूटकर नीचे गिर जाती है


वीर उसे घसीटते हुए एक कोने तक ले जाता है फिर उसके पैर में घुसी हुई चाकू पर पैर रखता जिससे वो चीखने लगता है


गुस्से में वीर चाकू निकालकर उसके हाथ में घुसा देता हैं.....यही है न वो हाथ जिससे तूने रिया को छुआ था ....... और वीर पागलों की तरह बार बार उसके उसी हाथ में चाकू घोंपता रहता है!!! (यहाँ वो आदमी इतना तेज,गला
फाड़कर चिल्ला रहा था की अंदर बंद लड़किया सहम जाती है)


इससे भी जब वीर का गुस्सा शांत नही होता तो वह उसकी उंगलियां काटने लगता है लेकिन वो उस चाकू से कट ही नहीं रही थी....इससे वीर का गुस्सा और भी ज्यादा भड़क जाता है, तो..


वीर उसके दूसरे हाथ पर भी चाकू घोंपने लगता है.....तभी रिया की आवाज उसके कानों पर पड़ती है और उसे "भाई" सुनाई देता है!!


वीर उसकी तरफ देखता है, तो वो वीर से डर रही थी......वीर उसके पास जाने की कोशिश करता है तो वो पीछे जाने लगती है


लेकिन वीर तुरंत ही उसे कस के गले लगा लेता .....चिंता मत करो तुम्हारे भाई के होते हुए तुम्हे कोई भी हाथ नहीं लगा सकता ....रिया फिर से बेहोश हो जाती है वीर का गुस्सा अब शांत हो चुका था लेकिन


वीर उसके पास जाके, उसपर एक पूरा राउंड फायर कर देता है....


वीर उन लड़कियों के पास जाता है और कहता है इसके बारे में किसी को भी पता नही चलाना चाहिए .....जिससे सभी हां में सिर हिलाती है


वीर उन सबको आजाद कर देता है ....तभी एक लड़की वीर के पास आकर, भैया
क्या आप मेरे घर आओगे? .....मेरा नाम रूही है ( वीर ये नाम सुनकर आने के लिए हां कर देता है और उसे भी गले लगा लेता है )


तभी डॉक्टर खरे की बेटी बोलती है भैया रिया मुझे बचाने के चक्कर में यहां फंस गई!!! ....और रोते हुए माफी मांगने लगती है तो वीर उसे माफ कर देता है



[ दरअसल इन्ही में से एक आदमी आकर, डॉक्टर की बेटी से कहता है कि उसे कोई बाहर बुला रहा है और वो देखने जाने लगती है; लेकिन रिया भी उसके पीछे-पीछे बाहर आ जाती है जो किडनैपिंग करते हुए उन्हें देख लेती है;
तभी एक गुंडा आकर उसको भी पकड़कर, गाड़ी में धर लेता है.....लेकिन रिया मौका पाकर अपने मोबाइल के पावर बटन को 5 बार प्रेस कर देती है जिससे वीर को इमरजेंसी मैसेज चला जाता है; मैसेज तो जैक के पास भी गया था लेकिन उसे इतना पढ़ना नहीं आता था ]



वीर के मोबाइल की बैट्री तो यहाँ पहुंचते ही खत्म हो गई थी.....तभी वीर उस गुंडे से उसका फोन लेता है और उसके कपड़ों पर लाइटर से आग लगा देता है


[हम एमएलए की बेटी रूही को sr.रूही लिखेंगे]

वीर डॉक्टर को कॉल करने ही वाला था कि sr.रुही कहती है भैया यहां तो बोहोत सारे लोग है, मेरे पापा एमएलए है उनको कॉल करोगे तो ज्यादा ठीक रहेगा!!


sr.रूही वीर के हाथ से मोबाइल लेकर अपने पापा को कॉल करती है जो खुद पुलिस को अपनी बेटी को जल्द से जल्द ढूंढने के लिए धमकाए जा रहे थे.........उनसे कुछ देर बात sr.रूही करती है और फिर वीर...... उन्हें सबकुछ बताने लगता है


(इस घटना से वीर का एक नया रूप देखने को मिल; जो कि इमोशनली अग्रेसिव है, ऐसा पागलपन रिया को खतरे में देखकर ही जागा था....आगे चलकर यही रूप वीर की, दूसरी आइडेंटी बनेगा)



अगले दिन
एमएलए हाउस :

वीर के पैर में पट्टी बंधी हुई है ....और वो जैक और रिया के साथ नाश्ते की टेबल पर एमएलए 'नारायण राणे' के सामने बैठा हुआ है


राणे : तुमने अकेले ही 23 लोगो को मारा है... इसमें कोई शक नही कि तुम्हारी रगों में एक फौजी का खून दौड़ रहा है.......मैंने सारा मामला सम्हाल लिया है इसमें कहीं भी तुम्हारा नाम नही आयेगा



वीर : आपका बोहोग बोहोत धन्यवाद सर ....
राणे : बेटा! तुमने तो मेरी बेटी की जान बचाई है, इतना तो मैं तुम्हारे लिए कर ही सकता हूं
वीर : मेरी एक छोटी बहन है,उसका भी नाम रूही है .....तो अब से ये भी मेरी बहन ही हुई!!



राणे : वीर की बातों से खुश होते हुए.......तुम्हे कभी भी जरूरत हो मुझे याद करना और अगर अभी मैं तुम्हारे लिए कुछ कर सकू तो वो भी बता दो....
वीर : अभी तो कुछ नहीं



फ्लैशबैक ओवर:

काव्या : आंखों में आंसू के साथ ...... कॉलेज लाइफ में आपके साथ कितना कुछ हुआ है
वीर : अरे वो सब पुरानी बातें है भूल जाओ
काव्या : क्या ये वही नारायण राणे है जो होम मिनिस्टर बन चुके है?


वीर : काव्या के सिर पर उंगली से फ्लिक करते हुए .....करेक्ट, मेरी वाइफी कितनी स्मार्ट है और फिर से उसे गले लगा लेता है


काव्या मन में...इसका मतलब मैनेजर का लड़का...वो थोड़ा सहम जाती अब तो उसमे हिम्मत ही नहीं बची
थी कि वीर से सवाल करे

(वीर की दूसरी दूसरी आईडेंटिटी, राणे के सपोर्ट से ही बनती है....जिसका आगे जाकर पता लगेगा)



दोपहर के समय :

वीर और काव्या दोनो ही घर आ चुके थे वीर रेडी हो रहा था क्योंकि आज उसे पापा को स्टेशन छोड़ने जाना था


वीर : तुम्हे कुछ चाहिए?.... मैं स्टेशन तक जा रहा हूं
काव्या : कुछ सोचते हुए ....नहीं



वीर : ठीक है लेकिन....अगर कुछ याद आए तो कॉल करना
(वीर अपने पापा को लेकर स्टेशन के लिए निकल पड़ता है)
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||Aage kaafi kuchh interesting tarike se pesh karunga, bane rahiye||
Thank you❣️
 
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