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Kya karu yaar...... mai aisi hi soch ka aadmi huBhai light lo yaar it's just an story aur aise types me thoda bahut chalta hai public demand
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Kya karu yaar...... mai aisi hi soch ka aadmi huBhai light lo yaar it's just an story aur aise types me thoda bahut chalta hai public demand
"Turn crisis into opportunity" it's a simple but great line, You mentioned that the story took an unexpected turn, right? That's the beauty of it! Sometimes, you just have to go with the flow and see where it leads you.Thank you
Dekhte hai
Hmmm
Darasal maine khud jesa story ko likhne ka socha tha, wesi nhi likh rha hu.........romance ko itna intense nahi banana tha main characters ke bich.......maine socha tha, side me jo characters aayenge unke through hard sex show karaunga taki balance bana rhe
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. response ki wajah se hi mene sex ko thoda sa rough bana diya .....mai khud apni zindagi mai aisa nhi hu to aise scenes likhne me kitna ganda lagta hai kya hi batau???
kabhi kabhi lagta hai Mai kitna ganda insan jo apni ....main lead ke sath galat kar rha hu ....
Thank you, for your guidance and support your every word inspirers me...."Turn crisis into opportunity" it's a simple but great line, You mentioned that the story took an unexpected turn, right? That's the beauty of it! Sometimes, you just have to go with the flow and see where it leads you.
Surely, i will do that....story is on it's path but 'rough sex scenes' are not my taste, that is the main problem which makes me think like i spoiled my vision......but i will try to change my mindset accordinglyYou need to have a vision of where you want to go, but let the characters tell their own stories! As for the loopholes you're worried about, think about how you can turn them to your advantage.
If things aren't working out, at least make sure to give the story a proper ending.
If you don’t like the rough sex scenes in the story, you can tone them down! This could actually be a great opportunity to reshape the narrative.Thank you, for your guidance and support your every word inspirers me....
Surely, i will do that....story is on it's path but 'rough sex scenes' are not my taste, that is the main problem which makes me think like i spoiled my vision......but i will try to change my mindset accordingly
Thank you! Master...If you don’t like the rough sex scenes in the story, you can tone them down! This could actually be a great opportunity to reshape the narrative.
Just make sure to take your time with the changes and don’t rush it! Instead of just cutting them out, think about how you can use those scenes to align with your vision for the story.
The resion behind this..... maximum log without id dekhte h and jinki id h bhi....wo bas padh ke chale jate h....ya aadat nahi hogibut hads off on your story kafi cool story lagihope aap updates time pe rakhe.......Update 6
अब तक...
काव्या और वीर दोनो ही बाग के लिए निकल चुके है
अब आगे..
वीर और काव्या दोनो ही गार्डन में पहुंच चुके है... काव्या तो इतने सारे 'फलों के पेड़' देखकर खुश हो जाती है.......और वहा आस पास से उठने वाली सौंधी सौंधी खुशबू, काव्या को भा जाती है
काव्या : यहां पर कितनी मीठी खुशबू आ रही है ना? और वो अपनी बाहें फैलाकर एक गोल चक्कर लगाती है और चारों और देखने लगती है
तभी वीर उसे पीछे से हग कर लेता है और कहता है
वीर : लेकिन तुमसे ज्यादा अच्छी खुशबू ...मुझे कहीं और से नही आती!
काव्या : आप तो बोहोत ही ज्यादा रोमांटिक बाते करते हो......तो फिर मै आपसे कुछ पूछना चाहती हू?
वीर : (काव्या के गालों को दोनो हाथों में लेते हुए)....तुम्हे कुछ भी पूछने के लिए परमिशन की जरूरत नहीं है काव्या
काव्या : आप मुझे ये बताओ कि, किरण दीदी क्या अब भी आपके दिल में है?.......क्या आप उन पर अब भी गुस्सा हो?
(दोस्तों काव्या को लगता है कि किरण वीर का पहला प्यार है.... कहीं अब भी वो उसके दिल में न हो....ये सब पूछने के लिए वो सही जगह और सही मूड का वेट कर रही थी)
वीर : मैं किसी पर गुस्सा नही हूं काव्या.......और हां, सच्चे प्यार की तलाश में, न जाने कितनी लड़कियां मेरी जिंदगी में आई और मेरा भरोसा तोड़कर चली गई......किरण भी उनमें से एक है।
काव्या : लेकिन...
वीर : रुको, उसके मुंह पर हाथ रखते हुए; पहले मेरी बात तो खत्म होने दो! .....और उसके माथे पर किस करता है, फिर उसकी आंखों में देखते हुए कहता है 'जीवन में किसी को भी सबकुछ नही मिलता'
लेकिन.....
"मैंने तुम्हे अपना सबकुछ मान लिया है "
और अब,जब तुम मेरी हो गई हो .....तो मुझे सबकुछ मिल गया है!!
काव्या : अरे! आप तो सीरियस ही हो गए..... मैं...मैं तो बस यूंही जानना चाहती थी; कि कही दीदी के छोड़ने से आप अंदर से दुखी न हो?
वीर : काव्या को गले लगाते हुए ....ज्यादा मत सोचो...तुम जैसी, इतनी प्यारी सी वाइफ जिसके पास हो वो, दुखी कैसे हो सकता है
काव्या (खुश होते हुए) : 'आई लव यू '......
तभी दोनो एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ जाते है और वीर काव्या से कहता है-
वीर : तुम अब से हॉस्टल में नहीं रहोगी.......मेरी एक बहन है जिसके साथ तुम रहना और अपनी पढ़ाई करना
काव्या : बहन! लेकिन आपकी दीदी तो टीचर है और वो भोपाल में नहीं रहती ( यहाँ पर काव्या वीर की बड़ी बहन मीरा की बात कर रही थी )
वीर : उसका नाम रिया है ... और वो एक नर्स है
काव्या : शक करते हुए ......आप मुझे ठीक से बताओ; ये बहन कहा से आ गई ?....कही आप मुझसे कुछ छिपा तो नही रहे? .....वो आपकी बहन कहा से लगती है?
वीर : (काव्या के मुंह पर हाथ रखते हुए) बताता हूं बताता हूं........बोहोत लंबी कहानी है!
काव्या : वीर के सीने में हाथ से मुक्के मारते हुए .......मुझे सब जानना है; जल्दी बताओ
वीर : ठीक है ...ठीक है ! लेकिन इसकी शुरुआत जैक से होगी
फ्लैशबैक (जैक का परिचय) :
जब वीर भोपाल में, कॉलेज के सेकंड ईयर में था तभी एक दिन शाम के समय अचानक से चौराहे के पास एक गली में वीर के सिर पर पीछे से एक डंडा आकर लगता है, और वो बेहोश हो जाता है।
(वीर तो गली से निकलकर चौराहे पर, बस चाय पीने जा रहा था)
उसके मुंह पर जब पानी डाल के उसको होश में लाया जाता है तब वो देखता है कि उसे एक खंडर जैसी बिल्डिंग में रस्सियों से बांध दिया गया है और उसके सामने 12 बंदे खड़े है जो होश में आते ही उसपर लात घूंसो की बरसात चालू कर देते है।
वीर : आह्ह्ह रूक जाओ प्लीज़ तुम्हे जितने पैसे चाहिए; मैं देने को तैयार हूं मुझे जाने दो, लेकिन वो गुंडे उसकी एक बात नही सुनते , उन्हीं में से एक वीर के पेट में चाकू मार देता है और उसे लात मारकर कुर्सी सहित फर्स्ट फ्लोर से नीचे फेंक देता ...
( इसके पीछे वीर के 4.5 साल चलने वाले प्यार का आशिक था जिसने वीर को उससे दूर रहने की धमकी दी थी, वीर अपनी ठकुराशी के चक्कर में उसे इग्नोर कर देता है ...लेकिन ये ब्रिजपुर नही भोपाल था)
वीर नीचे जाकर सीधा नाले में गिरता है और बरसात के पानी के कारण नाला काफी उफान पर था तो वीर बहते बहते एक किनारे पे पहुंच जाता है
जहां पर एक पन्नी (प्लास्टिक बैग) चुगने वाला लड़का उसे देख लेता है और वो आकर वीर की सांसे चेक करता है तो वीर अभी जिंदा होता है
रस्सियों से छुड़ा कर ...
वो लड़का, वीर को अपनी बस्ती में ले जाता है जो कि काफी गंदी होती है, वो वीर को लेकर अपने टीन की छत वाले रूम में नीचे लिटा देता है उस कमरे में जगह जगह से पानी टपक रहा था क्यूंकि टीन से सारा एरिया कवर नहीं था
कुछ हिस्से में पुरानी त्रिपाल और पन्निया लगी हुई थी; जिससे टप-टप पानी के टपकाने की आवाज आ रही थी, बहते समय वीर के पेट पर लगा चाकू कही फसकर निकल गया, जिसकी वजह से वीर का काफी ज्यादा ब्लड लॉस हो गया था
थोड़ी देर बाद,बस्ती में ही रहने वाली एक नर्स (रिया) को लेकर वो लड़का आता है, तो नर्स वीर को देखकर घबरा जाती है और कुछ भी करने से इंकार करने लगती है लेकिन बार बार मनाने पर वो जैसा उसको आता था पेनकिलर खिला देती है, स्टीचेस करना तो उसे नहीं आता था क्योंकि वो अभी बस एक स्टूडेंट थी
लेकिन उसे पट्टी करना आता था तो वो डरते डरते वीर को पट्टी कर देती है और कहती है इसे सरकारी अस्पताल में ले जाओ लेकिन वो लड़का पुलिस केस में इंवॉल्व होने से डर रहा था इसीलिए वहा न जाने का डिसाइड करता है
नर्स जा चुकी थी और वो वीर को तिरछी नजरों से एकटक, देखे ही जा रहा था.....फिर वो लड़का अचानक से खड़ा होता है, और बाहर चला जाता है एक हॉस्पिटल के सामने काफी देर खड़ा रहने के बाद, जैसे ही थोड़ा सा अंधेरा होता है एक डॉक्टर,उसे हॉस्पिटल से बाहर आते हुए दिखता है
कुछ देर सोचने के बाद वो पीछे से उसका मुंह दबा लेता है और कहता है, चुपचाप सीधे चलते रहो नही तो मैं तुम्हे गोली मार दूंगा डॉक्टर भी बूढ़ा था तो डरते हुए पीछे नहीं देखता की कही सच में वो उसे गोली न मार दे।
वो डॉक्टर को गलियों के बीच से अपनी बस्ती लेकर आ जाता है और वीर के पास लाते हुए कहता है, इसका इलाज करो डॉक्टर डर रहा होता है लेकिन फिर भी वो वीर की पेट की पट्टी खोल देता है और कहता है ,इसको तो स्टीचेस लगाने पड़ेंगे और न मेरे पास दवाई है न ही कोई औजार (टूल्स)
डॉक्टर से वो सारी चीजे जो भी उसे चाहिए थी; एक पेपर पर वो लड़का, लिखवा लेता है और उसे रस्सियों से बांध कर, उस नर्स के पास जाता है, और डॉक्टर से लिए गए पैसे उसे देकर कहता है ये सारा सामान लेने चलो
आधे घंटे बाद :
जब दोनो वापिस से वीर के पास आते है तो डॉक्टर को खोल देते है, और सारा सामान उसे पकड़ा देते है; फिर डॉक्टर वीर को स्टीचेस लगता है और सुबह तक होश आने का कहता है
जब बाकी की चीजे डॉक्टर उस लड़के को बताने लगता है, तो वो रिया को आगे कर उसे बताने के लिए कहता है; और बताता है की ये भी नर्सिंग कर रही है। डॉक्टर भी थोड़ा खुश होता है,और उसे आगे के लिए सब बता देता है साथ ही उसके सिर और पेट पर पट्टी करने के तरीके की तारीफ भी करता है, और कब उसे स्टीचेस खुलवाने के लिए आना है ये भी बता देता है
फिर डॉक्टर चला जाता है तब रिया उस लड़के से कहती है बाबू (लड़के को बस्ती में सभी बाबू ही कहते थे उसका कभी कोई नाम नहीं रखा गया था )
रिया : बाबू ये कौन है .....तब बाबू उसे कहता है मुझे नहीं पता ये मुझे नाले के पास पड़ा हुआ मिला!
रिया : और तुम इसे घर ले आए देखो मैं तुमको अपना भाई मानती हूं इसीलिए कहे देती ऐसे चक्करो से दूर रहा करो
बाबू : तुम्हे तो खुश होना चाहिए अब से तुम्हारा एक और भाई होगा ....इस पर रिया सोचने लगती है..... कि किस तरह शाम के वक्त जब एक दारूखोर उसके पीछे पड़ा था तब बाबू ने ही उसे बचाया था
रिया : ठीक है मैं कल सुबह आके इसे देख लूंगी अब तुम मुझे मेरे घर छोड़ने चलो........और बाबू उसे घर छोड़ देता है
सुबह 9 बजे
बाबू को वीर के कराहने की आवाज आती है तो वो उसे उठा लेता है और वीर पानी पानी कर था था तो उसे पानी पिलाने लगता है जब वीर अपनी आंखे खोलता है तो उसे बाबू दिखाई देता है
बाबू के बाल लंबे थे साथ ही दाड़ी भी थी वीर को उसे देखकर "पाइरेट्स ऑफ़ कैरेबियन" के जैक की याद आ जाती है
वीर : कौन हो तुम....और मैं कहा हूं?
बाबू : मैंने तुम्हे नाले के पास से उठाया था........फिर वो कल की सारी राम कहानी उसे बता देता है
वीर : आज से तुम मेरे छोटे भाई हो एक बार मैं ठीक हो जाऊं फिर तुम्हे मै अपने साथ ले जाऊंगा .....
तभी बाहर से रिया बाबू को आवाज देती है तो वो उसे अंदर आने को कहता है....
वीर : ब..बहन आज से तुम मेरी भी बहन हो रिया वीर की तरफ देखती है तो थोड़ा इमोशनल हो जाती है और कहती है ज्यादा बात मत करो अभी तुम ठीक नही हो
रिया वीर के लिए दलिया लेकर आई थी जो उसे खिलाने के बाद दवाई खिला देती है और उसकी चोटों पर क्रीम लगाने लगती है तब वीर उसके घर में कौन कौन है ये पूछता है तब वो बताती है कि उसकी मां अस्पताल में खाना बनाती है और पिताजी 2 साल पहले गुजर गए
इस पर वीर उसके सिर पर हाथ रख देता है, अब से मैं तुम्हारे साथ हूं ये सुनकर रिया की आंखों में आंसू आ जाते है और वो वीर को लिटाकर वहा से चली जाती है
वीर लेटे लेटे सोचता मुझे यहा कितने अच्छे लोग मिल गए ( वीर दरअसल अकेला ही रहता था
उसने एक बड़ा सा रूम लिया था जिसके साथ अटैच बाथरूम और छोटा सा किचन भी था )
वीर उसी बस्ती में बोहोत से दिन गुजारता है, रिया अक्सर ही उसके लिए खाना लाया करती थी....और दलिया तो उसकी मां लगभग रोज ही अस्पताल में बनाया करती थी जिसे वो टिफिन में पैक कर वीर के लिए लाती थी......
इसी बीच वीर के स्टीचेस खुलने का समय हो जाता है अब वो पूरी तरीके से ठीक हो चुका था, डॉक्टर भी वीर के बारे में जान के खुश होता है क्योंकि उसकी वाइफ भी बृजपुर से थी....(ये डॉक्टर खरे है ....इनकी मदद भी वीर आगे जाके करेगा तो याद रखना इन्हें भी)
वीर तो बाबू को अब जैक ही कहने लगा था इसमें उसका साथ रिया भी देती थी और बाबू को भी ये नया नाम काफी पसंद आ जाता है
जब वीर जैक को लेकर अपने रूम पहुंचता है, तो उसे याद आता है कि चाभी तो उसके जेब से गिर चुकी है....अब क्या करे?
तभी जैक पत्थर उठाकर लाता है और ताला तोड़कर दोनो अंदर चले जाते है जैक वीर के रूम में रखी चीजों को गौर से देखता है और छूने लगता है....फिर जल्दी से अपना हाथ वापिस खीच लेता
वीर ये देखकर हंसता है और जैक से कहता है ये सब अब से तुम्हारा भी है तुम मेरे छोटे भाई हो.... फिर वो दोनो नहाते है और वीर उसे अपने कपड़े पहनने को देता है
वीर जैक को सैलून ले जाता है और उसका पूरा हुलिया ही चेंज करवा देता है ..... जैक तो खुद को मिरर में देखकर हैरान ही हो जाता है
शाम को वीर जैक को शॉपिंग भी कराता है पहली बार मॉल में लिफ्ट और एस्कलेटर पर चढ़कर जैक डर जाता है......जिसमे वीर को बोहोत मजा आता है !
(अब वीर और जैक दोनो साथ में रहते है,वीर ने मकान मालिक से भी जैक के लिए बात कर ली थी)
अगले दिन
जब वीर और जैक रिया के पास पहुंचते है वीर रिया के लिए गिफ्ट भी लाया था...रिया जब उसे खोलकर देखती है तो लैपटॉप था वो लेने से मना करती है तो वीर उसे जबरदस्ती पकड़ाता है और कहता आप मेरी बड़ी बहन जैसी हो ....और अभी तो में आपको बोहोत कुछ देना चाहता हु चलो मेरे साथ...
रिया : मां क्या मैं वीर के साथ जाऊ?
रिया की मां : अब तेरा भाई तुझे ले जा रहा है तो जा ना ( दरअसल वीर के बारे में रिया सबकुछ अपनी मां को बता चुकी है.....जब उसकी मां ने पूछा था उसे तो दलिया पसंद नही; फिर किसके लिए ले जाती हो)
वीर रिया को लेकर अस्पताल के पास बनी कॉलोनी में लेकर आता है
रिया : तो आप यहां रहते हो ..... यहां रहना तो काफी महंगा पड़ता होगा न (दोस्तों ये थोड़ा एक्सपेंसिव एरिया था )
वीर : नहीं में यहां नहीं रहता....लेकिन मेरी बहन अब से यही रहेगी
रिया : नही नही .....इसमें तो बोहोत पैसे लगेंगे...इतने पैसे खर्च करने की क्या जरूरत है, हम बस्ती में ही ठीक है!
वीर : यहां से आपका कॉलेज भी पास है और मां का अस्पताल भी.....और अगर सच में आप मुझे अपना छोटा भाई मानती हो तो इसके लिए मना मत करना।
रिया : लेकिन मां....
वीर : मैं उन्हें मना लूंगा आप फ्लैट देखने चलो ...
रिया अंदर जाते ही हैरान हो जाती है......फिर कहती है भाई इसमें तो बोहोत ज्यादा पैसे लगेंगे , इसकी क्या जरूरत है?
वीर : लगता है तुम मुझे दिल से, अपना भाई न.......वीर आगे कुछ कहता इसके पहले ही रिया उसके मुंह पर अपना हाथ रख देती और कहती है...
रिया : खबरदार ऐसा कभी बोला तो......मैं यही रहूंगी!
वीर : (वीर हाथ हटाते हुए) ये मेरी और जैक की पसंद है....... यहां कि सिक्योरिटी भी काफी अच्छी है आपको कभी भी कोई दिक्कत नही आयेगी
[ दोस्तों मैंने आपको शुरू में ही बताया था अपना हीरो थोड़ा इमोशनल है, अभी उसकी दूसरी आईडेंटिटी ने जन्म नही लिया है, तो वो अभी मार धाड़ से दूर है........ये उसका इमोशनल पक्ष है जिसमें उसने रिया को अपनी बहन मान लिया है इसीलिए वो ये सब कर रहा है.......वीर अपने घरवालों को भी सबकुछ बता चुका था .....और उसके पापा तो अपनी बॉर्डर ड्यूटी पर रहते है तो घर में सारे पैसे वीर ही हैंडल करता है ]
अब तीनों बाते करते हुए वहा से निकल जाते है और मॉल पहुंचते है...
रिया एक-एक कर कपड़े ट्राय करती है और अपने भाइयों को भी दिखाती है .......जब वह थक जाती है तो कहती है बस अब और नहीं...आप लोगो को कपड़े पसंद ही नहीं आते
वीर : ठीक है, हम फिर आकर और ले जायेंगे....तुम मां के लिए भी कुछ लेलो
रिया : वैसे भी 5 ड्रेसेस आप दिला चुके हो तो फिर आने की कोई जरूरत नहीं.....फिर रिया मां के लिए भी 3 साडिया ले लेती है..
यहां जब तक रिया मां के लिए साडिया सेलेक्ट कर रही थी तब तक वीर उसके लिए एक एंड्रॉइड मोबाइल लाता है जो सेम उसी के मोबाईल जैसा था
रिया : मोबाइल को देखते हुए खुश हो जाती है क्योंकि ऐसा ही फोन उसकी फ्रेंड के पास भी था...जो उसे दिखा दिखा के बोलती थी ये देखो, OnePlus बोहोत ही महंगा आता है....और बड़ी बड़ी बाते कर सेखि बघारती रहती थी!
तीनों ही शॉपिंग के बाद रिया के घर आ जाते है जहा वीर रिया की मां को इमोशनल करके वहां से शिफ्ट होने के लिए मना लेता है...
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