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Likhne ka man nahi kar rha.....but try karunga jald se jald update dene ka 15 din me 10 update de diye.....ho sakta hai dimag thoda break chahta ho....
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रंभा : बोला था न कि देर हो जायेगी....... तू क्या मेरे बच्चों को भूखा मरना चाहती है?.....चल जल्दी से खाना लगा!!
( रिया को खाना बनाना नहीं आता है......ये तो रंभा ही बनाकर गई थी, क्योंकि उन्हें भी पता था आज वीर और काव्या आने वाले है इसीलिए उन्होंने रिया को भी आज छुट्टी करने के लिए कह दिया था )
रिया और सभी मिलकर खाना खाते है..खाने के बाद
वीर : मां ये मम्मी ने आपके लिए भिजवाई है....और एक साड़ी आगे कर देता है!!
रिया : और मेरे लिए??
काव्या : दी! ये मेरे और वीर की तरफ से, आपके लिए ........न्यू ड्रेस के साथ चॉकलेट और फ्रूट्स आगे करते हुए काव्या ने कहा...
फिर सभी काफी देर तक बातें करते है...और कुछ देर बाद
रिया : चलिए भाभी मैं आपकों आपका रूम दिखाती हूं....
( घर में दो रूम, एक हाल और एक किचन है......दोनो ही रूम्स काफी बड़े है जिनमे बाथरूम भी अटैच्ड है )
काव्या रूम को देखती है, जो कि उसे काफी पसंद आता है..... रिया उसे आराम करने को बोलकर चली जाती है...
थोड़ी देर बाद...
काव्या नींद से जागकर जैसे ही हाल में आती है...... तो उसे वीर और रिया की आवाज सुनाई देती है...
वीर : दीदी, काव्या को इस बारे में पता नहीं लगना चाहिए..
रिया : अरे चिंता क्यों करता है.....मैं सीक्रेट रखने में बोहोत अच्छी हूं !
काव्या (मन में) : जरूर कोई बात है, जो मुझसे छिपाई जा रही है ....लेकिन मेरा नाम भी काव्या है.......पता लगाकर ही रहूंगी..
काव्या : तेज कदमों के साथ वीर के पास आती है, और पूछती है क्या चल रहा है??
वीर : क..कुछ नहीं
रिया : अरे मैं और वीर तो शॉपिंग पर चलने के बारे में बात कर रहे थे!!!
काव्या (मन में) : टॉपिक चेंज, पर कोई बात नहीं रात में इनसे तो पता लगा ही लूंगी, कि आखिर बात क्या है??...तभी डोरबेल बजती है,
रिया : अरे यशस्वी तुम! मैं तो तुम्हे ही कॉल करने वाली थी अच्छा हुआ कि..... तुम खुद ही आ गई
यशस्वी : कोई काम था क्या दीदी,???
काव्या (मन में) : ये, वीर जी को क्यों ताड़े जा रही है.... कहीं ये दोनो इसी को लेकर बात तो नहीं कर रहे थे!
रिया : अरे कोई काम नही था.....बस हम लोग मॉल जा रहे थे तो सोचा तुम भी साथ चलो!!
यशस्वी (खुशी से) : दीदी, मैं अभी रेडी होकर आती हूं!!!
थोड़ी देर बाद :
तीनो को लेकर वीर निकल पड़ता है मॉल की ओर.....
काव्या : बार बार मिरर में देख रही थी....क्योंकि यशस्वी लगातार वीर को ही घूरे जा रही थी.....
काव्या (मन में): चुड़ैल कही की...
( अभी तक काव्या को नहीं पता है कि यशस्वी उसकी जूनियर है और उसी के साथ वो डेली कॉलेज जाने वाली है )
थोड़ी ही देर बाद चारों मॉल में होते है:
मॉल में घुसते ही यशस्वी की नजर एक लड़के पर पड़ती है.... हॉफ टी शर्ट में जिसके डोले देखकर वो एक अलग ही दुनिया में खो जाती है...
वीर : दीदी आप इन्हे शॉपिंग कराओ, तब तक मैं यही हूं.....जब हो जाए तो कॉल कर देना!!!
रिया, काव्या और यशस्वी को लेकर चली जाती है लेकिन..... यशस्वी वाशरूम का बहाना बनाकर बाहर आ जाती है, और उसी लड़के को ढूंढने लगती .....कुछ ही देर में यशस्वी को वो लड़का मिल जाता है
यशस्वी का दिल तेजी से धड़क रहा था; और पास....और पास वो बस जूम ही किए जा रही थी और एक फोटो क्लिक कर लेती है ...लेकिन वो लड़का यशस्वी को फोटो लेते हुए देख लेता है
लड़का : ये! तूने मेरी फोटो क्यूं निकाली?? (पास आते हुए) दिखने में तो एकदम माल लगती हो.....
यशस्वी : मैने तुम्हारी फोटो नहीं ली, भैया
लड़का : देखो मैं जानता हूं कि मैं तुम्हे पसंद आ गया हूं; तो ये भैया भैया क्या लगा रखा है? सीधा सैया बोलो ना, और उसका हाथ पकड़ लेता है...
यशस्वी : ये क्या बत्तमीजी है, छोड़ो मेरा हाथ
लड़का : अरे अब क्यों शर्मा रही हो....बताओ ना क्या इरादे है???
यशस्वी : हेल्प हेल्प....कोई बचाओ ये लड़का मुझे छेड़ रहा है..
लड़का : अरे चिल्ला क्यूं रही है, तू ही तो फोटो खींचकर लाइन दे रही थी....लड़का इतना बोल ही रहा था कि तभी...
एक पंच आके उसके मुंह पर लैंड करता है और लड़का दूर जा गिरता है..
यशस्वी (मन में) : मेरा हीरो!.......
फिर वीर लड़के के पास जाके उसका हाथ पकड़ कर पीछे मोड़ देता है और उसके कान में कहता है, अगर दोबारा किसी लड़की को छेड़ा तो तेरा बाप खंगार भी तुझे नहीं बचा पाएगा ......(लोकल गैंगस्टर : अरुण खंगार)
लड़का (मन में): ये मेरे पापा को कैसे जानता है ??...कही मैटर ज्यादा तो नहीं बढ़ जाएगा!
लड़का : भैया! इस लड़की ने ही.. बिना मुझसे पूछे मेरी फोटो खींची है...
वीर : यशस्वी!!!....
यशस्वी : नही जीजू, मैने तो कोई फोटो नही ली
लड़का : भैया, ये लड़की झूठ बोल रही है!! आप इसके फोन में देख लो...
वीर : यशस्वी अपना मोबाइल दो.....
यशस्वी ( डरते हुए) : अपना मोबाइल वीर को दे देती है!
वीर : चल इसमें अपनी फोटो बता कहा है?.....और लड़का गैलरी में फोटो ढूंढने लगता है लेकिन उसे कही नही मिलती..
लड़का : भैया, इसने फोटो खींची थी मैंने खुद देखा था ....
वीर : लड़के के पिछवाड़े पर किक करते हुए .....चल भाग यहां से
यशस्वी : वीर का हाथ पकड़ते हुए,,,,,, थैंक यू जीजू!!
वही दूर से वीर का हाथ पकड़ते हुए काव्या यशस्वी को देख लेती है, जो कि उसे ही देखने वहां आई थी!!
काव्या (मन में) : ये छिपकली...कुछ ज्यादा ही चिपक रही है वीर जी से, मुझे जल्द से जल्द कुछ करना ही होगा
[अब मोबाइल में फोटो इसलिए नही मिली क्योंकि यशस्वी ने उसके डोले की फोटो
ली थी जिसमें जूम करने की वजह से मात्र स्किन ही आई ....ना उस लड़के का फेस आया न ही कोई कपड़ा ]
वीर : ठीक है, ठीक है और उसके सिर पे हल्के से मार के कहता है जाओ अब!! शॉपिंग करो
यशस्वी (मन में) : जीजू जीजू ....आप कितने अच्छे हो और स्माइल करते हुए रिया के पास जाने लगती है..... दूसरी ओर, काव्या का ये सब देख कर खून जलने लगता है!!!
रिया : अरे यशस्वी!.... कहां गायब हो गई थी? हमने तो शॉपिंग कर ली.... तुझे कुछ नही लेना क्या??
यशस्वी : दीदी, एक लड़का मेरे पीछे पड़ गया था! इसलिए टाइम लग गया और आपको पता तो है....मैं कपड़े अपने पापा के साथ ही लेना पसंद करती हूं!
काव्या ( मन में) : कितना झूठ बोलती है; बेशर्म कहीं की .....खुद ही वीर जी से चिपक रही थी!
फिर तीनो बाते करते हुए नीचे आ जाती है.....
यशस्वी : जीजू! कही और घूमाने ले चलो ना..
वीर ( मुस्कुराते हुए ) : बताओ, फिर कहां जाना है?
काव्या (मन में): ये सब क्या चल रहा है? नहीं मुझे ये नही होने देना चाहिए..
काव्या : नही, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा तो सीधे घर चलो और अपना पेट पकड़ लेती है !
वीर : अरे अरे क्या हुआ? हॉस्पिटल ले चलूं क्या?
काव्या : नहीं, घर पे थोड़ा आराम करूंगी तो ठीक हो जाएगा ...आप घर चलो !!
वीर : ठीक है, तो फिर....कभी और घूम लेंगे
यशस्वी : कोई बात नही जीजू अभी तो छुट्टियां है, तो कभी भी घूमने आ सकते हैं!!
काव्या (मन में) : , कमिनी!, ये सब तेरी ही वजह से करना पड़ रहा है.....
वीर काव्या को गोद में उठाकर....गाड़ी में बैठा देता है...
यशस्वी (मन में) : वाओ! ये सब कितना रोमांटिक है
वहीं काव्या का गुस्सा, यशस्वी की स्माइल देखकर बढ़ता ही जा रहा था...क्योंकि यशस्वी ने पूरे रास्ते ही वीर को घूरा था
घर पर :
वीर काव्या को गोद में उठाए उठाए रूम तक लेके आता है, और उसके सिर पे हाथ फेरते हुए,आराम करो...... कहता है
काव्या (फीकी मुस्कान के साथ) : ठीक है
फिर वीर और रिया कल को लेकर बातें करने बैठ जाते है....
रात में :
वीर, काव्या, रिया और रंभा सभी डिनर टेबल पे है ....सभी खा रहे है लेकिन आज काव्या से बिलकुल भी खाना नही निगला जा रहा ..
रंभा : अरे बहु, खाना पसंद नही आया क्या?
काव्या : नहीं मम्मी ....खाना तो बोहोत अच्छा है लेकिन मुझे भूख नहीं है
रंभा : देख बहु! ठीक से खाया कर, एक तो तू इतनी पतली है ऊपर से खाना भी नहीं खा रही.....तभी
वीर अपने हाथों से काव्या को खिलाने का ट्राय करता है....लेकिन वह ये कह कर मुंह फेर लेती है कि....मुझे भूख नहीं!!
डिनर के बाद काव्या बर्तन साफ करने में मदद करना चाहती थी लेकिन रिया ने ये कह कर मना कर दिया कि अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है..
थोड़ी देर बाद ..
काव्या रूम में जाती है जहां वीर लेटा हुआ था ......काव्या (मन में) अब वक्त आ गया है अपना जादू चलाने का.....अब तो सब कुछ पूछ के ही रहूंगी,,,,,,
काव्या आगे बढ़ती है और वीर को किस करने लगती है
वीर (उखड़े मन से) : आज नहीं काव्या
काव्या : ऐसे कैसे नहीं.....आज तो आपको करना ही होगा ...और जबरदस्ती उसे काटने लगती है
वीर (थोड़ा जोर से ) : ...एक बार में समझ नहीं आता क्या ??
काव्या : नहीं आता समझ ....और आज आपने मुझे रोका तो फिर देखना..
वीर (मन में) : इसकी कल सर्जरी है मैं नहीं चाहता उस पर कोई असर पड़े
.....मगर ये लड़की तो मान ही नहीं रही है
वीर : देखो काव्या मेरा जरा भी मन नही है...तो शांति से सो जाओ
काव्या : उदास होते हुए ....दूसरे तरफ अपना फेस करके लेट जाती है..
थोड़ी देर बाद :
जब वीर काव्या की तरफ देखता है तो उसकी आंसू से गंगा बह रही थी
वीर : वाइफी, तुम रो क्यों रही हो? .....कहते हुए उसको अपनी तरफ पलट लेता है.....और वो जानता था कि काव्या जाग रही है इसीलिए कहता है..
वीर : अच्छा, चलो ये ही बता दो कि नाराज किस बात पर हो....लेकिन काव्या सब चुपचाप सुनती रहती है और कुछ नही बोलती
वीर : ठीक है "चलो करते है".....ये सुनते ही काव्या अपनी आंखे खोल देती है
तभी वीर.....अच्छा तो ये बात है जिस पर तुम गुस्सा थी,,,,,,अब तो आज हम बिल्कुल भी नही करेंगे
तो काव्या मुंह फुला के सो जाती है और वीर उसके मासूम चेहरे पर हाथ फिराते हुए कहता ....कितनी प्यारी हो तुम, काव्या....और उसके माथे पर किस करके, गले लगाते हुए सो जाता है
अगले दिन :
काव्या, सुबह उठाती है तो वीर उसके पास नही था..
रिया : भाई, सारी तैयारी हो चुकी है किसी भी तरीके से भाभी को लेकर.... 11 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचना है..
वीर : आप बस देखती जाओ, मैं क्या करता हूं!!!
काव्या रेडी होकर बाहर आती है, लेकिन उसका मूड कुछ खास अच्छा नही था....तभी रिया
रिया : आओ भाभी नाश्ता करते है...
काव्या (बिना कुछ कहे) : आकर सोफे पर बैठ जाती है..
वीर ( मन में) : ये लड़की भी न.......इसी की भलाई के लिए ही मैं रात में इसके साथ फिजिकल नही हुआ और ये पागल नाराज होके बैठी है...
सभी नाश्ता करते है.....तभी वीर काव्या के नजदीक आकर उसके कान में कहता है....
वीर : गुस्सा मत हो ! आज मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगा.....
लेकिन काव्या को तो उसकी बातों से अब कोई फर्क ही नही पड़ रहा था...
रिया : भाभी! आपका मूड ठीक क्यूं नही है?आज तो हम आपको एक सरप्राइस देने वाले है..
काव्या (मन में) : मेरी पीठ पीछे क्या क्या चल रहा है.....ये जानने के लिए थोड़ी सी एक्टिंग तो करनी ही पड़ेगी...
काव्या : वो मैं अभी अभी आई हूं ना, तो थोड़ा सा वक्त लगेगा यहां एडजस्ट होने में
वीर अब मेरी बारी :
वीर (एक्टिंग करते हुए) : दीदी, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा ....चक्कर से आ रहे है...
रिया : भाई! भाई! क्या हुआ तुम्हें?
काव्या (घबराते हुए) : क्या हुआ है आपको? .....अभी तो एकदम ठीक थे और जाकर वीर को पकड़ के बैठ जाती है
रिया : भाभी हमें हॉस्पिटल जाके दिखाना चाहिए....
काव्या : हां हां..चलो अचानक से ये क्या हो रहा है आपको ?..(और घबराते हुए रोने ही लग जाती है)
10:30 बजे :
रिया अपॉइंटमेंट के हिसाब से काव्या के नंबर का वेट कर रही थी...
काव्या : दीदी आप तो यहां काम करती हो न ......कुछ करिए कही इन्हे कुछ हो न जाए....(वीर भी अपनी एक्टिंग कंटिन्यू रखे हुए था)
रिया : ठीक है भाभी मैं कुछ करती हूं.....और रिया आकर बताती है कि बस वीर का नंबर आने ही वाला है!
11: 00 बजे
काव्या का नाम अनाउंस होता है तो वो चौंक जाती है .....लेकिन रिया उससे कहती है.... कि उन्होंने गलती से पेशेंट की जगह उसकी वाइफ का नाम ले लिया
काव्या और रिया ....वीर को अंदर ले जाते है लेकिन इंटर करने से पहले ही वीर ठीक से खड़ा हो जाता है...और काव्या से कहता है तुम अंदर जाओ तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है
काव्या : आप तो ठीक हो.....और मैं क्यों अंदर जाऊ?
रिया : भाभी यही तो सरप्राइस है.....भैया आपकी जली हुई स्किन की सर्जरी कराना चाहते थे, इसीलिए तो हम यहां आए है!
काव्या : पर.....
रिया : कोई पर वर नहीं....आप जल्दी से अन्दर जाओ, नहीं तो लेट हो जाएगा
तो काव्या अंदर चली जाती है... और काफी देर तक उसका ट्रीटमेंट चलता है, शाम को जब उसको होंश आता है....तो वीर उसके पास ही बैठा हुआ था
वीर : कैसा लगा सरप्राइज़!...... काव्या आंखों से गंगा बहाते हुए इसमें तो काफी पैसे लगे होंगे न
वीर : मेरी पत्नी और पैसों की चिंता.... "बिल्कुल भी नहीं" जो कुछ मेरा है, वो सब तुम्हारा ही तो है....... काव्या के दोनो गालों पर हाथ रखते हुए वीर...
"कबु तुम्हे ज़रा भी अंदाजा है कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं"
काव्या (नजरे चुराते हुए) : तो फिर आपके और यशस्वी के बीच क्या चल रहा है???
वीर : क्या चल रहा है??
काव्या : झूठ बोलने की जरूरत नहीं है, मैंने कल उसे आपका हाथ पकड़ते हुए मॉल में देखा था.....और यशस्वी ने खुद ही कहा था कि...वो
वीर : चुप! बिल्कुल चुप! अभी अभी सर्जरी हुई है, तो ज्यादा बोलो मत......कल एक लड़का उसे छेड़ रहा था, जिससे मैने उसे बचाया था..... शायद इसी बीच गलती से मेरा हाथ, उसने पकड़ लिया होगा
काव्या : लेकिन जब देखो तब वो आपको घूरती ही रहती है...
वीर : ये सब फालतू की बातें तुम्हारे इस छोटे से दिमाग में आती कहां से है?? ........(प्यार से) तुम तो मेरी प्यारी वाइफी हो और..
"इस जीवन में कोई दूसरी, कभी नही आयेगी"
काव्या : कल आप दीदी से किसी सीक्रेट की बात कर रहे थे....क्या ये सरप्राइज़ ही वो सीक्रेट है??
वीर : हां.....यही वो बात है जो हम छिपा रहे थे, और हम भोपाल भी जल्दी इसीलिए आए है ताकि तुम्हारा इलाज करवा सकें!!
काव्या : वैसे यहां कब तक एडमिट रहना पड़ेगा .....
वीर : 2 वीक्स तक...
काव्या : इतना ज्यादा
वीर : हां, स्किन बोहोत ही सेंसिटिव पार्ट है तो अंडर ऑब्जर्वेशन तो रखना ही पड़ेगा .....कही इरिटेशन या रैशेज न होने लगे
काव्या : अभी तो मेरी छुट्टियां है, लेकिन फिर भी बाद में 5 दिन की क्लासेज मिस हो जाएगी...
वीर : कोई बात नहीं....मैं तुम्हे पढ़ा दूंगा
काव्या : लेकिन अटेंडेंस...
वीर : 75% चाहिए होती है और उतनी तो पूरी हो ही जाती है अगर एक पूरा महीना भी न जाओ .....लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो मेडिकल तो है ही तुम्हारे पास
काव्या : ठीक है.....(और मन में) तू तो फालतू शक कर रही थी,काव्या....वीर जी पर, लेकिन उस छिपकली का क्या?? कुछ तो करना ही पड़ेगा???
वीर हॉस्पिटल में काव्या के पास ही रुका था....लेकिन रिया उसे बीच बीच में घर भेज ही देती थी ताकि वो थोड़ा आराम कर सके
9 दिन बाद, कॉलेज का तीसरा दिन :
जानवी : बोला था न, काव्या काफी बीमार है....मेरी खुद उसके हसबैंड से बात हुई है, वो अगले सोमवार से ही आ पाएगी!!
लकी : बोहोत हो गया अब ........आज मैं खुद ही उससे बात करूंगा!!
हॉस्पिटल में 5:00 pm
काव्या सो रही है और रिया वीर के लिए स्नैक्स लेकर आई है.....तभी चार्जिंग पे लगा काव्या का मोबाइल रिंग करने लगता है...
रिया : अननोन नंबर?....वीर कॉल रिसीव करने का इशारा करता है..
रिया : हेलो
लकी : हेलो! काव्या
रिया : कौन??
लकी : अरे! इतनी जल्दी भूल गई......अपने प्यार को.....ये सुनते ही रिया के हाथ से मोबाइल गिर जाता है,,,,
वीर : कौन था?.....आदमी की आवाज सुनते ही लकी ने फोन काट दिया...
रिया : कोई नही.... रॉन्ग नंबर
रिया (मन में) : भाभी...भैया पे चीट कर रही है अगर उन्हें ये पता चला तो वो तो उन्हे मार ही डालेंगे....मुझे भाभी से इस बारे में बात करनी ही होगी
रिया बहाने से वीर को घर भेज देती है और काव्या को नींद से उठा देती है...
काव्या : क्या हुआ दीदी!!
रिया ( गुस्से से ) :....भाभी आपकी हिम्मत कैसे हुई भाई पर चीट करने की ?
काव्या : दीदी! ये आप क्या बोल रही हो??
रिया : बस भाभी .....और कितना झूठ बोलेंगी आप, भैया कितना प्यार करते है आपसे, और आप छी!!!
काव्या ( रोते हुए ) : दीदी आप क्या बात कर रही हो? मैने कोई चीटिंग नही की.......मैं तो खुद वीर जी से बोहोत प्यार करती हूं
रिया : "प्यार माय फुट" बताओ ये सब क्या है भाभी?? कॉल हिस्ट्री दिखाते हुए...... ये नंबर आपके प्यार का है ना???
काव्या : कौन सा प्यार .... मैं तुम्हारे भैया के अलावा किसी से प्यार नहीं करती!
रिया : ठीक है तो फिर कॉल करते है... और रिया स्पीकर ऑन करके कॉल कर देती है??
लकी : हेलो काव्या
काव्या : कौन ....
लकी : तुम इस तरह से बार बार क्यूं पूछ रही हो?? ....मैं लकी बोल रहा हूं!! कहीं पिछली बार की कॉल की वजह से तुम्हारे हसबैंड ने शक तो नही कर लिया
रिया काव्या को घूरने लगती है
काव्या (गुस्से से ) : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की और तुम्हे मेरा नंबर कहा से मिला??
लकी : तुम ये सब क्या बोल रही हो??..... मुझे पता है, तुम अब भी मुझे पसंद करती हो !!
काव्या (गुस्से में) : मैने तो तुमसे कभी बात तक नहीं की ....तो ये सब क्या बक रहे हो?.... पसंद! और तुम्हे??
लकी (गुस्से से) : बकवास बंद करो ....बोहोत हो गया तुम्हारा,,,,, तुम्हारी ही बेस्ट फ्रेंड जानवी ने बताया था कि तुम मुझे पसंद करती हो, और उसी ने नंबर भी दिया था।।
काव्या ( गुस्से से) : मैंने कभी नही कहा कि मैं तुम्हे पसंद करती हूं .....तो अपनी ये बकबास बंद करो....और कॉल कट कर देती है
रिया : ये सब क्या है भाभी???
काव्या (रोते हुए) : दीदी मैं सच, बोल रही हूं मैने आज पहली बार लकी से बात की है !!
रिया : तो फिर आपकी बेस्ट फ्रेंड....
काव्या : वो तो बस लकी का ही गुणगान करती रहती है, जिसमें उसने मुझसे भी पूछा था कि लकी मुझे कैसा लगता है?....तो मैने बस थोड़ी सी तारीफ की थी...लेकिन मैंने ये कभी नही कहा कि मैं उसे पसंद करती हूं
रिया : तो अब भैया को...
काव्या : जब वो दीदी से प्यार करते थे तब उन्होंने पूछा था, कि क्या मैं किसी को पसंद करती हूं तो मैने कूल बनने के चक्कर में बस यूं ही लकी का नाम बता दिया था!!
रिया : तो क्या आप उससे.....
काव्या : कभी नहीं.....हमारे स्टेटस में इतना अंतर था कि उसके लिए प्यार जैसा ख्याल मेरे मन में कभी नहीं आया .....बस वो एक अच्छा लड़का है
रिया : ठीक है! भाभी आप टेंशन न लो
दूसरी तरफ लकी :
बहुत हो गया शरीफ बनने का नाटक अब खुल के सामने आना ही पड़ेगा....
[ दरअसल लकी का प्लान ये था कि वो बस काव्या और जानवी के आस पास उन पर ध्यान दिए बगैर मंडराएगा जिस बीच जानवी, काव्या से उसकी बोहोत ज्यादा तारीफ करेगी और वो काव्या के दिल में अपनी जगह बना लेगा ]
इधर काव्या :
जानवी : हेलो काव्या
काव्या : तुझे बोला था न कि मेरी शादी हो चुकी है..........और मैने कब कहा कि मैं लकी से प्यार करती हूं
जानवी : गलती हो गई मेरी मां....लेकिन गुस्सा क्यों कर रही है??
काव्या : तूने ही लकी को मेरा नंबर दिया था न .....अब वो मुझे परेशान कर रहा है!
जानवी : पर मैंने तो उसे मना किया था!!
काव्या : देख जानवी ...ये सब तेरी ही वजह से हो रहा है, किसी भी तरीके से रोक नही तो हमारी दोस्ती नहीं रहेगी
जानवी : तू मुझे धमका क्यों रही है?.....मैने कुछ भी गलत नही किया और भूल गई जब तुझे जरूरत के वक्त मैंने कितनी ही बार पैसे दिए है!!
काव्या ( कुछ सोचते हुए) : मैने भी तो पढ़ाई में तेरी खूब मदद की है!!....और रही बात पैसों की तो एक भी पैसा मेरे पर तेरा बाकी नही है!!
जानवी : ठीक है, अगर तुझे मैं गलत लगती हूं तो अब से हमारी दोस्ती खत्म
काव्या : ऐसा नहीं है जानवी.....लेकिन तूने झूठ क्यों बोला कि मैं लकी से प्यार करती हूं??
जानवी : मुझे अभी तुमसे कोई बात नही करनी ...और कॉल कट कर देती है..
(जानवी (मन में)... कु**तिया कहीं की, एक बार आ तो जा हॉस्टल में......फिर तुझे बताती हूं)
काव्या (मन में) : अगर मैने वीर को बताया कि लकी .....नही नही मै उसे खुद समझा दूंगी ( क्योंकि उसके मन में मैनेजर के लड़के का हाल क्या हुआ था, ये दृश्य आ गया)
रात 9 बजे :
रिया : भैया, कोई लकी नाम का लड़का शायद भाभी के पीछे है...आप जरा इस बात पर ध्यान देना ...
वीर : हां......काव्या ने बताया तो था कि वो भी उसे पसंद करती थी लेकिन वो सब एक तरफा था!!!
[ Update 2 में काव्या, वीर से कहती है कि उसका लकी को पसंद करना एकतरफा था .....लेकिन वो भी क्या करती क्योंकि उसने पहले झूठ जो बोला था अपने जीजू से कि....लकी नाम के लड़के पर उसका क्रश है जबकि न तो उसने कभी लकी से प्यार किया न ही पसंद......बस एक बार तारीफ की थी, जिसे जानवी ने रिकॉर्ड कर लिया....... जिसमें प्यार या पसंद नाम की चीज का कोई जिक्र नहीं था ]
रिया : लेकिन भैया..
वीर : ठीक है मैं देख लूंगा तुम उसकी टेंशन न लो...
रिया : भैया मैं ये कह रही थी कि भाभी ने एकतरफा भी किसी को पसंद नहीं किया???
वीर : क्या मतलब??
रिया : तब आप किरण के प्यार में थे तो भाभी ने भी कूल बनने के चक्कर में ऐसे ही बोल दिया था
वीर ( मन में) : इसका मतलब काव्या ने मेरी वजह से अपना एकतरफा प्यार नही छोड़ा..... तभी मैं सोचूं उसने इतनी आसानी से 'गिव अप' कैसे कर दिया
वीर : ठीक है, दीदी आप काव्या का ध्यान रखो, मैं घर जाता हूं
रात 11 बजे :
वीर, डार्क वेब पर 'the sexy boy 97' नाम के यूजर से
वीर : हेलो
यूजर : हेलो "killer no. 1"
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Dosto user veer ko killer no. 1 kyu keh rha ha???, kya wo pehle se hi ek dusre ko jante hai??? .....jaanne k liye bane rahiye
Thank you
वीर ने "the sexy boy 97" नाम के यूजर से कॉन्टेक्ट किया..
अब आगे :
वीर : लकी, एक्सीलेंस कॉलेज, मोबाइल नंबर 7440****38
जेसियन : हां, बॉस काम हो जाएगा .....और कुछ ही देर बाद वीर को एक मेल रिसीव होता है...
अब ये जेसियन कौन है? और ये क्या काम हो जाने की बात कर रहा है?...( सब आगे )
फ्लैशबैक :
राणे : हां बेटा वीर, बताओ कैसे आना हुआ??
वीर : सर वो..
राणे: कितनी बार कहा है तुमसे, मैं तुम्हे अपना बेटा और sr. रूही तुम्हे अपना भाई मानती है.......अगर सर ही बोलना हो तो आगे से बिना अपॉइंटमेंट मत आना
वीर : सॉरी अंकल..
राणे (मुस्कुराते हुए): बरखुरदार! अब बताओ भी क्या काम है???
वीर : अंकल....कुछ लोगो को ढूंढने में आपकी मदद मिल सकती है क्या?
राणे : कौन लोग?
वीर : मुझे नहीं पता अंकल लेकिन 6 महीने पहले मुझ पर एक जानलेवा हमला हुआ था....जिसमे मेरी जान जाते जाते बची थी?
राणे : और कुछ याद है?
वीर : नहीं
राणे (कुछ सोचते हुए): जरूर कुछ वजह रही होगी जो तुम पर जानलेवा हमला हुआ .....ध्यान से सोचो इस बारे में!!
वीर : लेकिन अंकल, मैं तो यहां किसी को जानता तक नही और न ही आज तक मैंने किसी को कोई नुकसान पहुंचाया है!
राणे : फिर तो ऐसे मामलो में एक ही शक्स मदद कर सकता है.....
वीर : कौन...?
राणे : है एक हैकर, जिसकी आइडेंटिटी तो किसी को भी नही पता....पर उसकी खासियत है कि वो जेनुइन लोगो की ही मदद करता है
वीर : लेकिन इतने काम का व्यक्ति इतना मिस्टीरियस कैसे हो सकता है?
राणे : होगी कुछ वजह लेकिन ऑर्डर मिलते ही वो 1 वीक में उसे पूरा कर देता है....और सुना है इस एक वीक में वो ऑर्डर देने वाले के बारे में सबसे पहले पता करता है ...अगर वो ही फ्रॉड निकल जाए तो ऑर्डर कैंसल
वीर : हम्म्म... लेकिन उसको ऑर्डर देते कैसे है?
राणे : सुना है, डार्क वेब के द्वारा उस हैकर तक पहुंचा जा सकता है....
वीर : पर कैसे ?
राणे : रुको! थोड़ी देर इंतजार करो!
अपने कॉन्टैक्ट्स के थ्रू एमएलए राणे पता लगाता है, कि उन्हें जिस हैकर की तलाश है...उसका यूजरनेम "the sexy boy 97" है...
अब वीर और हैकर :
वीर : हेलो !
यूजर : हेलो मिस्टर वीर...
वीर (शॉक्ड) : तुम मुझे कैसे जानते हो??
यूजर : ये तो कोई भी बता सकता है.....लेकिन जो वो नहीं बता सकता ........वो ये कि तुमने हाल ही में 23 लोगो की जानें ली है!
वीर : ये सब तुम्हें कैसे पता ?
यूजर : इतनी बड़ी घटना का यूं दब जाना, मुझे कुछ जमा नहीं.... इसीलिए मैने सारा कच्चा चिट्ठा खोज निकाला..
वीर : और क्या जानते हो मेरे बारे में?
यूजर : तुम्हे 12 लोगो की तलाश है जिन्होंने तुम्हे मारने की कोशिश की थी !
वीर (हैरत से) : तुम्हे कैसे पता कि वो 12 ही लोग थे....मैने तो किसी को भी नंबर नहीं बताया..
यूजर : मिस्टर वीर, जिंदगी की पहली ही फाइट में 23 हथियारबंद लोगो को मार गिराना,,,,,,,,,चाहे कोई कितना भी शूटिंग प्रैक्टिस क्यूं ना करता हो,असल भिडंत में ऐसा कर पाना नामुमकिन है!!
वीर : तो तुम्हे सब कुछ पता है मेरे बारे में
यूजर : हां
वीर : लेकिन तुम मेरे बारे में इतना सब पता क्यूं लगाए बैठे हो!
यूजर : जेसियन !!
वीर : क्या मतलब....
यूजर : जेसियन.....ये मेरा असली नाम है..
वीर : लेकिन तुम तो अपनी आइडेंटिटी किसी को भी नही बताते ?
यूजर : मैं तुम पर कितना भरोसा करता हूं.....ये उस बात के सबूत के तौर काफी है!
वीर : इतना सब पता लगाया है तो .... जरूर कुछ तो चाहिए ही होगा मुझसे!
जेसियन : मैं भी किसी को सालों से ढूंढ रहा हूं.....बस कभी वो तुमसे टकराए तो मुझे सौंप देना
वीर : ये तो तुम खुद भी पता लगा सकते हो..... वैसे दुश्मनी क्या है??
जेसियन : जब में सात साल का था तब मेरे पापा को किसी ने मेरी ही आंखों के सामने मार दिया और मेरे दोनो पैर तोड़कर अपाहिज बना दिया........वो भी एक हैकर थे, किसी से उनकी कोई भी दुश्मनी नहीं थी इसलिए मैं आज तक उस आदमी की तलाश में हूं
वीर : पर मैं उसे पहचानूंगा कैसे?
जेसियन : उसका दांया कान कटा हुआ है और गले पर टाइगर का टैटू है.....
वीर : लेकिन मैं कैसे??
जेसियन : वो जरूर कोई न कोई गैंगस्टर होगा ....इसीलिए जब भी कोई घटना घटती है, मैं उसमे उसे ढूंढने की कोशिश करता हूं!!
वीर : इतना बड़ा हैकर सालों से जिसका पता नहीं लगा पाया!!!......या तो वो मर चुका है या खुद को कहीं छुपा रखा है
जेसियन : वजह चाहे जो भी हो ....बस तुम्हे उसको ढूंढना है
वीर : ठीक है डील....लेकिन उन 12 लोगो का पता मुझे चाहिए?
जेसियन : ओके डन !!
फाल्शबैक ओवर :
अगला दिन हॉस्पिटल :
सुबह 8 बजे...
काव्या वीआईपी वार्ड में सो रही है जिसे, वीर आते ही किस करते हुए जागता है...
काव्या : आप आ गए!
वीर : हम्मम...और ये कहते हुए शर्ट हटाकर काव्या का पेट देखने लगता है....
काव्या : ये मेरा पेट अब तक लाल क्यूं है?
वीर : ये धीरे धीरे ही ठीक होगा और लाल रंग हट जाएगा
काव्या : और इसे पूरी तरह से हटने कितने दिन लगेंगे??..
वीर : क्यूं, मुझे तो तुम्हारा पेटू ऐसे भी प्यारा लगता है और काव्या की नाभि पर किस कर देता है..
काव्या : अरे बताओ ना ??
वीर : पूरी तरह गायब होने में तो महीनों लग जाएंगे
काव्या : महीनों...
वीर : हां, फेस का छोटा सा दाग जाने में कितना समय लगता है और तुम्हारी तो इनर स्किन तक डैमेज थी......जिसे सर्जरी की वजह से इसे ठीक तो कर दिया गया है लेकिन तुम्हारा पेटू कुछ समय तक लाल ही रहेगा!!
काव्या : क्या यहां से जल्दी डिस्चार्ज नही करवा सकते!
वीर : नही, परसों तक का वेट करो हम सुबह ही डिस्चार्ज ले लेंगे!!
काव्या : मुझे .... आपको कुछ बताना था?
वीर : हां हां ....बताओ
काव्या : कुछ सोचते हुए......वो... वो..नही कुछ नहीं
वीर ( काव्या के बालों को सहलाते हुए) : अगर नही बताना है, तो कोई बात नही
काव्या : नहीं, लेकिन अगर मैं कहूं कि मैंने आपसे एक झूठ बोला है...
वीर : अगर नहीं बताना है तो मत बताओ....मैं तुम्हे फोर्स थोड़े ही कर रहा हूं
काव्या : नही, वो बात नही है
वीर : ज्यादा स्ट्रेस लेने की जरूरत नही है..तभी
काव्या (तपाक से) : वो, मैने झूठ बोला था कि मेरा लकी पर क्रश है...और ये कहते ही वो चद्दर से अपना मुंह ढक लेती है!
वीर : अरे पागल...ये तो अच्छी बात है न
काव्या (चद्दर हटते हुए): अच्छी बात..
वीर : हां, क्योंकि इसका मतलब तुम्हे अभी तक किसी से प्यार नहीं हुआ
काव्या : वो तो है...लेकिन जब आप दीदी से बातें करते थे और गिफ्ट भेजते थे तो मुझे, लगता था कि काश कोई मेरे लिए भी ऐसा करता....
वीर : और अब क्या लगता है?
काव्या (शरमाते हुए) : अब तो मुझे मेरा प्यार मिल गया है...
इसी तरह से हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने का दिन आ गया इसी बीच वीर ने भी काव्या को काफी आगे तक की पढ़ाई कवर करा दी...
रविवार, सुबह
डिस्चार्ज का दिन
रिया : भैया, आप चलिए मैं सारी फॉर्मेलिटीज पूरा करा दूंगी
वीर : ठीक है
काव्या और वीर साथ ही बाहर आते है और एंट्रेंस के पास वीर किसी को देखकर एक पल के लिए रुक जाता है...और फिर इग्नोर कर, उसके सामने ही काव्या को गोद में उठा कर बाहर निकल जाता है...
दोपहर में,
वीर काव्या को फ्रूट्स खिला रहा था...तभी
काव्या : कल से मेरी क्लासेस है!!......तो क्या जब तक आप यहां हैं मुझे कॉलेज छोड़ने चलेंगे
वीर : ठीक है,तुम यशस्वी से भी बात कर लेना .....ये सुनते ही काव्या के हाव भाव बदलने लगे
काव्या : क्या बात करनी है यशस्वी से
वीर : यही की वो भी हमारे साथ चले!!
काव्या (गुस्से से): वो क्यूं चलेगी हमारे साथ
वीर : जब मैं यहां से चला जाऊंगा तो यशस्वी ही तो तुम्हे कॉलेज लेके जाएगी
काव्या : वो क्यूं लेके जाएगी..
वीर ( मन में) : अब इसे क्या हो गया...इतना क्यों भड़क रही है
वीर : वो तुम्हारी जूनियर है, तो उसके साथ जाने में क्या दिक्कत है?
काव्या :क्या? वो ..वो.. मेरे ही कॉलेज में पढ़ती है
वीर : हां, बाबा और उसका डिपार्टमेंट भी हिस्ट्री है
काव्या ( मन में) : अब आएगा मजा ........लेकिन एक मिनट..
काव्या : आपको ये सब कैसे पता? कही आप...
वीर : काव्या के मुंह पर हाथ रखते हुए....आगे कुछ मत बोलना, ये सब मुझे रिया दीदी ने बताया है
काव्या (तिरछी नजरों से) : क्या सच में??
वीर : हां बाबा.....अब आराम करो!!
शाम के समय :
हाल में
वीर, काव्या, रिया और यशस्वी चारों बैठे हुए थे...
रिया : भैया....कल से तो भाभी कॉलेज जाएगी तब आप घर पर क्या करोगे??
वीर : दीदी! कुछ दिनों में मेरा इंटरव्यू है....तो उसी के बारे में और ज्यादा तैयारी करूंगा
रिया : वैसे भाई आप हॉस्पिटल भी बीच बीच में घूम जाना...तो आपका और भी ज्यादा मन लगा रहेगा
वीर : ठीक है दीदी
यशस्वी (मन में) : मुस्कुराते हुए मैं और काव्या दीदी कल से साथ में कॉलेज जाएंगे....एक सीनियर से दोस्ती.....वाओ!!!!....मजा ही आ जाएगा
काव्या (मन में) : ये चुड़ैल को तो देखो कैसे बैठे बैठे मुस्कुरा रही है??
रिया : भाभी, क्या आप स्कूटी चला लेती हो??
काव्या : नहीं
यशस्वी : कोई बात नहीं....दीदी को मैं सिखा दूंगी!!
काव्या ( मन में) : देखो, कैसे अच्छा बनने का नाटक कर रही है, बेशरम कही की!!!
रिया : हां साथ ही आना जाना है तो भाभी भी सिख लेंगी....कभी जरूरत पड़ गई तो,,,
वीर : जब तक मैं यहां हूं....... दोनो को छोड़ने चलूंगा??
काव्या : नही हम दोनो साथ चली जाएगी, आपको साथ चलने की कोई जरूरत नहीं ..
रिया : नही भाभी, अभी अभी तो आपकी शादी हुई है...... तो जहा भी जाना हो भाई के साथ जाईए और ज्यादा से ज्यादा समय भाई के साथ बिताइए!!
काव्या (मन में) : चाहती तो में भी यही हूं लेकिन इस छिपकली का क्या करूं ये तो साथ ही चिपकी रहेगी...
काव्या : ठीक है दीदी, आप कहती है तो इन्ही के साथ जाऊंगी...तभी
वीर का मोबाइल रिंग करने लगता है....
वीर : हेलो....बेटू
रूही : भैया जल्दी से भाभी को फोन दो..
वीर : तो उन्हे को लगाना चाहिए था न......
रूही : उप्स.... ये बात मेरे इस छोटे से दिमाग में क्यों नहीं आई
वीर : बस बस .... लो करलो बात भाभी से
काव्या : हेलो!!
रूही : कैसी हो भाभी.?
काव्या: मैं ठीक हूं...तुम बताओ, वहा सब कैसे है?
रूही : अरे भाभी वो छोड़ो सब ठीक है, ये बताओ....इतने दिनो मे भैया ने आपको कहा कहा घुमाया.....मजा तो आ रहा है न??
काव्या : अरे!! अब तक तो मैं हॉस्पिटल में थी?
रुही (चिल्लाते हुए) : मम्मी....मम्मी !!! भाभी को कुछ हो गया है ......और दौड़कर मम्मी के पास चली जाती है?
मम्मी : क्या हुआ??
रूही : मम्मी भाभी बोल रही है वो इतने दिनो से हॉस्पिटल में थी....जरूर कुछ हुआ है??
इधर काव्या ,
काव्या : हेलो... हेलो... (मन में) ये लड़की भी न कान में मोबाइल ही नही लगा रखा !!
मम्मी : ला दे बात करवा मेरी...
काव्या : हेलो मम्मी!!
मम्मी (रोते हुए) : बहु क्या हो गया... तू.. तू ठीक तो है न और मेरा बेटा वीर...?
काव्या : सब ठीक है मम्मी किसी को कुछ नही हुआ
मम्मी : तो फिर हॉस्पिटल में क्यूं थी इतने दिनो तक??......और न ही तुम लोगो ने कॉल नहीं किया.... मेरा तो अब जी घबरा रहा है??
वीर (काव्या के हाथ से मोबाइल लेते हुए) : अरे मम्मी किसी को कुछ नही हुआ....और आप ..आप रो क्यों रही हो??
मम्मी : कैसे कुछ नहीं हुआ मुझे लगा अकेले समय बिता रहे होंगे....लेकिन तुम तो इतने दिनो से हॉस्पिटल में थे
वीर : अरे मम्मी काव्या की सर्जरी हुई है....आप शांत हो जाओ
मम्मी : कैसे शांत हो जाऊ? और कैसी सर्जरी???...... तुने मुझे कुछ बताया क्यूं नही ??
वीर : अरे मम्मी मैं बताने ही वाला था
मम्मी : कब बताने वाला था तू??......इन्हे तो मैने ही मना कर रखा था कॉल करने से....पर तेरे क्या हाथ टूट गए थे
वीर : मम्मी पहले मेरी बात सुनो......और फिर वीर बताता है कि...... काव्या की मम्मी ने जो उसे जलाया था उसी के निशान हटाने के लिए सर्जरी करवाई है!!
मम्मी : तो मुझे पहले नही बता सकता था बहु का ध्यान रखने अस्पताल ही आ जाती!!
वीर : अरे मम्मी यहां... सब है न उसका ख्याल रखना के लिए और आप इतना क्यों घबरा जाती हो??
मम्मी : मेरी इकलौती बहु को कुछ हो जाता तो??
वीर : बेटा भी तो इकलौता है!!!!...
मम्मी : ठीक है रख मुझे काम करना है.....तभी पीछे से रूही....भैया मेरे लिए कुछ लाना मत भूलना
यशस्वी (मन में) : मैं तो रिया दीदी की मम्मी को देखकर सोचती थी कि काश! मेरी भी मम्मी होती लेकिन .. काव्या दीदी की मम्मी को सोचकर तो लगता है....
रिया : यशस्वी कहां खोई हो??
यशस्वी : कहीं नहीं दीदी, अब मैं घर जा रही हूं.... पापा भी आ गए होंगे ट्यूशन पढ़ाके और उदास मन लेके घर चली जाती है..
रात में :
डिनर के बाद
वीर ( बिस्तर में लेटे हुए) : क्या बोल दूं उसे.....नहीं..नही कितनी बार तो मैने खुद ही मना किया है ....कही गुस्सा हो गई तो...इतने में काव्या बाथरूम से बाहर आ जाती है
काव्या : कहां खोए हो पतिदेव??
वीर : कहीं नहीं !!.....और काव्या को खींचकर अपने पास गिरा लेता है
काव्या : क्या बात है??
वीर : कुछ नही, तुम्हे यहां दर्द हो रहा है क्या?? और अपना हाथ उसके पेट पर रख देता है..
काव्या : नही तो क्यूं??
वीर : तो फिर यहां.... (पीठ पर हाथ रखते हुए)
काव्या : अरे पेट और पीठ लाल जरूर है ....लेकिन फर्स्ट दिन से ही जरा भी दर्द नही है
वीर : सच्ची??
काव्या : वीर की नाक पर उंगली रखते हुए ....सच्ची, लेकिन आप इतना खुश क्यों हो??
वीर : नहीं नहीं ..कुछ नही
काव्या : कुछ तो ??? कही दर्द देने का इरादा तो नही ??..... और मुस्कुराते हुए अपना हाथ नीचे लेजाकर वीर के समान पर रख देती है.....बताओ करने का मन है???
वीर : नहीं, बिल्कुल नही
काव्या : लेकिन मेरा मन तो है!!!.. आखिर आपने मुझे इतना अच्छा सरप्राइज जो दिया था..!
वीर : काव्या के ऊपर चढ़ते हुए .....तो क्या ?अब मैं उसकी कीमत वसूल करू??
काव्या : हां....मैं तो यही चाहती हूं... क्योंकि मैं फ्री का कुछ नही रखती
वीर : ठीक है फिर...और वीर जो आज पूरी तैयारी करके बैठा था..
सबसे पहले काव्या की आंखों पर पट्टी बांधता है....... फिर उसके दोनो हाथो को ऊपर करते हुए ........उन्हे साथ में बांध देता है.......और कान में ..."लेट्स ट्राय समथिंग न्यू, बेबी......टुडे यू जस्ट हैव टू फील मी!!"
वीर काव्या की शर्ट को अनबटन करते हुए....जैसे जैसे बटने खोल रहा था काव्या की ब्लैक ब्रा नजर आने लगती है.......वीर की धड़कन और सांसे दोनो ही कंट्रोल से बाहर ....ऐसा वो पहली बार नहीं कर रहा था...... फिर भी ऐसा हो रहा है .... वीर, काव्या के होंठो को चूसते हुए ..... कबु!! इनका टेस्ट तो दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है ....और उसके पूरे चेहरे पर हल्के हल्के चुम्बन देते हुए..... गले में किस करने के बाद बोहोत सारे लव बाइट देता है..... थोड़ी ही देर में वीर ने खुद को अनड्रेस कर लिया और काव्या भी अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी ...
फील मी बेबी........मदहोश होते हुए इस्स.... उम्म्म ... आय वाना.. अह्ह् होल्ड यू टाईट!!! ......सुनते ही ...वीर काव्या के हाथो को आजाद कर देता है.....काव्या उससे लिपटकर जगह जगह लव बाइट्स बना देती है... और हाथो से छूकर इस नए अंदाज में फील लेती है.. अम्म्म..
वीर, काव्या को बालों से पकड़कर उठाता है और अपना लंड उसके मुंह के पास ले जाता है ...... .......अब काव्या भी अपने हाथों का अच्छे से इस्तेमाल करते हुए उसे आगे पीछे करके चूसने लगती है....और .....बीच बीच में बाहर निकालकर किस करती......अपनी जीभ पर मारती....चाटती..... और फिर से मुंह में भर लेती... ......वीर भी काव्या की इन हरकतों का मजा लेते हुए उसके लिप्स की गर्माहट को महसूस कर रहा था..... ..... साथ ही उसके मुंह से अह्ह्ह्ह .... ओह्ह बोहोत मजा आ रहा है.....ऐसे ही कबु .... अःह्ह्ह ..... जैसी आवाजें निकल रही थी..... और काव्या भी जब लंड बाहर निकलती तो उम्मम्म.... हाह्ह..... सस्सस .....येस्स...... टेस्ट्स सो गुड.. अम्म्म.... हॉट सो हॉट..... उम्म्म.... इट्स सो हार्ड....ऐसी आवाजें निकल रही थी..
जैसे ही वीर का जोश.... एक हद से ऊपर गया... उसके हाथ अपने आप ही.....काव्या के बालों पर कस गए....और वीर उसके मुंह को ....बहुत ही बुरी तरीके से चोदने लगा .......जिससे काव्या को .....सांस लेने में दिक्कत होने लगी.... .....आंखो से आंसू भी बाहर आ गए ...और वो वीर को हाथ मारकर पीछे धकेलने लगी... ........जब वीर को इस बात का एहसास हुआ तो...वो उसको अलग करते हुए...... आंखो की पट्टी हटा देता है.....काव्या जोर जोर से सांस लेने लगती है ......वीर का लंड थूक से सना हुआ था........ और काव्या के मुंह से लार नीचे झूल रही थी....
वीर सोच रहा था कि काव्या अब गुस्सा करेगी.... .....लेकिन वो कुछ नहीं कहती..... और फिर से किस करने लगती है....किस करते हुए ....बेबी!!! आगे से ध्यान रखना 10 मिनिट से ऊपर जाते ही तुम्हारा तुम पर काबू नही रहता....
......अब वीर उसके बूब्स को बोहोत ही जोर से मसलता है और...फिर उन पर अपने दांत गड़ा देता है..... काव्या, अब रहा नही जा रहा... प्लीज...जल्दी करो!!!! ....वीर भी अब ज्यादा देर न करते हुए......एक ही झटके में आधे से ज्यादा लंड काव्या की चूत में उतार देता है.... .....जिससे काव्या अपने नाखून वीर की पीठ पर गड़ा देती है....और वीर जो..... उसकी आवाज रोकने के लिए ...उसके होंठो को अपनी गिरफ्त में लिए हुए था...... आज़ाद कर देता है
वीर उसके बूब्स पर थप्पड़ मारते हुए वाइल्ड किस करने लगता है.... जिससे काव्या थोड़ा नॉर्मल होती है .......और वीर फिर से काव्या के मुंह पर हाथ रखते हुए एक जोरदार धक्का देता है......जिससे पूरा का पूरा लंड काव्या की चूत में समा जाता है...कुछ देर रुकने के बाद वीर अपना लंड आगे पीछे करने लगता है और... ....अःह्ह्ह्ह... उम्म्म....येस्स.....और जोर अअह्ह्ह्ह ...से...... अह्ह्ह हब्ब्बी..... उम्म्म.... उह्ह्ह्ह्ह....मजा.... ओह्ह्..... आआआ....रहा है.... अम्म.... आउच वहा मत...... अःह्ह्ह .....काटो..
काव्या तो सातवें आसमान में थी कि तभी.. आह्ह्ह्ह्ह.... नहीं.... आ..आज... ना....नही.....वहां से..से... ऊंगली.. ली....नि .. निकाआआआआलो प्लीजजज्जज्ज ....
मैं तुम्हारी हर बात मानूंगा.... लेकिन .. बेड पर सिर्फ मेरी चलेगी ....ये कहते हुए....वीर एक जैली निकाल कर काव्या की गांड पर मलने लगता है ......और उसके बम पर हाथ रखते हुए कान में कहता है....अब तो ये गई..
.....और काव्या को घोड़ी बनाने लगता है....लेकिन वो नही मानती......तो वीर....अगर खुद से मान जाओगी ........तो प्यार से करूंगा...नही तो आज इसकी धज्जियां उड़ेगी.....ये सुनकर तो काव्या की गांड ही फट जाती है ......और वो चुपचाप घोड़ी बन जाती है....वीर उसके मुंह में कपड़ा ठूंस देता है....
....फिर काव्या के पीछे आते ही.....अपना लंड सेट करता है .....और हल्का सा धक्का देता है जिससे....टोपा अंदर चला जाता है....
...जब आगे की ओर ...थोड़ा सा झुकते हुए.....वीर एक जोरदार धक्का लगाता है तो ....पहली ही बार में .......लंड 4 इंच तक अंदर चला जाता है ..... काव्या का सिर तकिए से जा लगा...... और आंसू तो बह ही रहे थे ..... कस के चद्दर पकड़ने से उसमे भी सिलवटे पड़ गई थी..... काव्या मुंह से कपड़ा अलग करते हुए... आहज्झ..... प्लीज़ जज्जज्ज..... निका.... ल.... लो... आह्ह्ह्ह्ह.....मर ...गई...वीर अभी नहीं मरेगी कहते हुए...... उसकी गांड़ पर थप्पड़ पे थप्पड़ जड़ने लगता है.....और फिर कपड़ा वापिस मुंह में ठूंसकर .....एक और जोरदार धक्का देता है.... तो लंड 3 इंच और अंदर चला जाता है
.......वीर कभी काव्या की पीठ पर भी थप्पड़ जड़ता.... तो कभी उसकी बम पर.....बाकी का 1.5 इंच अंदर करने से पहले काव्या के मुंह से कपड़ा बाहर था.......जो वीर को भी नही पता था और वो एक जोर का धक्का देता है... काव्या...... आह्ह्ह्ह.....जीजू..
वीर को ये सुनकर..... थोड़ा अजीब लगा ....लेकिन वो भी यही इमेजिन करने लगा कि काव्या उसकी साली है......और फिर काव्या के बाल पकड़ते हुए...धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा..... अह्ह्ह्ह...धीरे.... प्लीज़.... नहीं... अह्ह्ह्ह बोहोत... आह .. दर्द...वीर अपना सर झटके हुए नही ये उसकी साली नही बीवी है......और... उसके बालों को कसकर खींचते हुए ....जोर के धक्के लगाने लगा ....और काव्या..... अह्ह्ह्ह.....उफ्फ..अब ..... आह्ह्ह्हह और....न... नहीं... आह्ह्हह...…... नही...ंअह्ह्ह्ह प्लीज.....छोड़ दो..... आम्म्म.. नहीं..... मै..मम्मी....बोहोत. आह..दर्द ... आसासस्स कर रहा है...... अम्म्म ... अम्म्म .. मम्मी...आउच.....प्लीज....निकालो.....इसे.... अःह्ह्ह ...... जजज्ज जलन....हो....रही...है..... अह्ह्ह्ह ....मम्म ... मी...... प्लीज़.....इसी बीच वीर चार पांच थप्पड़ और काव्या के बम पर जड़ देता है.... और कुछ ही धक्कों के बाद ही दोनो शांत पड़ जाते है .....और गहरी नींद में ... सो जाते है!!
सुबह 5 बजे :
वीर उठते ही ....जल्दी से पानी गरम करके लाता है ......और काव्या के बम के आस पास सिकाई करने लगता है..... जिससे काव्या उठ जाती है... .....उसे तो ये सब देखकर अच्छा लग रहा था... ..... इसलिए वो पड़ी पड़ी मुस्कुराती रहती है.....
सिकाई करने के बाद वीर दोबारा से लेट जाता है....और सोचता है...अब ठीक है!!!......ये आराम से कॉलेज जा सकेगी.......पर कॉलेज की बात आते ही....उसे उस ईमेल की याद आ जाती है जो उसे जेसियन ने भेजा था!!!
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to dosto kya tha us e-mail me ye agle update me aur baaki sabhi prashno ke uttar bhi samay aane par... Thank you...