the sexy boy 97
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bhai, Romance mein itna adhik violence sahi nahi lagta....Veer ek Romantic hero hai na ki koi khooni darinda jo molestation jaisi baat par logon ki fingers kaat kar unhe maar de.Update 5
अब तक..
होम मिनिस्टर के कॉल करने पर पुलिस ने जैक को छोड़ दिया..
अब आगे ...
दिन डूब चुका है; और वीर,काव्या और बाकी सब को लेकर घर आ जाता है; उसका प्लान था कि आज वह सबको रेस्टोरेंट का खाना खिलाएगा और फिर आइस क्रीम खिलाने ले जाएगा !!!
( वीर के निकलने से पहले जैक कुछ स्नेक्स रूही को पकड़ा जाता है ताकि ......उसकी भाभी और बहने भूखी न रहें )
लेकिन आज जो हुआ; उसका गुस्सा पूरे रास्ते वीर के फेस पर रहा, इसीलिए पूरे रास्ते किसी के मुंह से चू तक नहीं निकली...
फिर घर में थोड़ी देर रुकने के बाद, वीर काम का बहाना करके निकल जाता है...
रात 9 बजे बृजपुर जंगल के बीचों बीच :
मैनेजर का लड़का दीपांशु नीचे पड़ा हुआ है और बेहोश है
पास्ट..
दरअसल जब वीर घर के लिए निकल रहा था। तो बिना कुछ कहे ही जैक समझ जाता है की आगे क्या करना है वो अपने आदमियों को बुलाकर थाने से दूर फील्डिंग सेट करता है जबकि एक आदमी को वही थाने के गेट पर आस पास घूमकर नजर रखने के लिए छोड़ देता है
मैनेजर पैसे खिलाकर किसी तरीके से अपने लड़के को छुड़वा लेता है क्योंकि केस इतना स्ट्रॉन्ग नहीं था और वो उसे लेकर जा ही रहा होता है की उसकी कार के आगे से, दो कारें आ जाती है
मैनेजर सारा मामला समझ चुका था कि वो गलत जगह फंस चुका है उपर से इलाका "एकदम सुनसान" .......वो खुद ही ड्राइव कर रहा था इसलिए जैसे ही बैक करने लगता है पीछे से भी, दो कारे आ जाती है वो डरकर गेट खोलता है और दोनो बाप बेटे भागने को होते है की तभी जैक और उसके आदमी उन्हें उठा लेते है
वर्तमान...
वीर दीपांशु के पास आता है और उसके थोपड़े को एक हाथ से पकड़ कर जोर से कहता है कहता है
वीर : उठ मादरचोद! उठ न.......लेकिन जब वह नहीं उठता, तो वीर उसे गुस्से से उठाकर दूर फेंक देता है जिससे उसका सिर एक पेड़ से टकरा जाता है और खून बहने लगता है
जैक के इशारे पर एक आदमी दीपांशु के मुंह पर पानी फेंक कर मारता है तब भी वो पूरी तरह से होश में नहीं आता लेकिन उसके कराहने की आवाज वीर के कानों में पड़ जाती है और उसके होठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ जाती है।
वीर अपने हाथ में एक कटर लेकर उसके पास जाता है और उसके नाखूनों को खीच के निकालने लगता है तो.....दीपांशु गला फाड़कर चिल्लाने लगता है
लेकिन जब इससे भी वीर का मन नहीं भरता, तो वह उसकी उंगलियों को बारी बारी से काटने लगता है; कि अचानक से वही सीन फिर से वीर के दिमाग में घूम जाता है कि कैसे उसने रुही का हाथ पकड़ा था; जिससे उसका गुस्सा और भड़क जाता है
तो वह उसके दाएं हाथ को पकड़कर उखाड़ने लगता है; जिससे हाथ अपनी जगह से डिस्लोकैट हो जाता है और दीपांशु बेतहाशा दर्द से गला फाड़कर चिल्लाने लगता है उसकी चीख पूरे जंगल में गूंज जाती है, लेकिन हाथ अलग नहीं होता। कि तभी..
वीर पास पड़ी कुल्हाड़ी को उठा लेता है और गुस्से से खच्च; एक बारे में उसका दायां हाथ कटके अलग हो जाता है, खून के छीटें वीर के मुंह पर पड़ते है, और वह शांत हो जाता है ..
अब वीर अपने कपड़े चेंज करता है और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पल भर में बदल जाते है.....ऐसा लगता है जैसे कुछ हुआ ही न हो। और वीर घर के लिए निकल जाता है
रात 11:45 बजे
काव्या वीर का इंतजार कर रही है और बार बार गेट की तरफ ही देखे जा रही थी; जैसा वीर का मूड, आज उसने देखा था वह कॉल करने की हिम्मत भी नहीं कर सकती थी।
[कीर्ति और रूही ने भी काव्या को वीर के गुस्से के बारे में बता दिया था ...]
अब काव्या की आंखे जैसे ही बंद होने को होती, उसे वीर का गुस्से वाला फेस नजर आ जाता जिससे वो फटाक से अपनी आंखे खोल लेती.......और सोचने लगती है कि.. नही... नहीं....वो मेरा हसबेंड है मुझे यूं डरना नहीं चाहिए
तभी गेट पर नॉक होता है तो काव्या डर से चौंक जाती है और पूछती है...क..क ...कौन.....पर जब कोई आवाज नहीं आती तो वो दरवाजे के पास जाती है और
पीप होल से देखने पर उसे पता चलता है कि बाहर तो वीर है और उसने काव्या की आवाज नहीं सुनी थी जब उसने पूछा था कि, कौन?
वीर अंदर आता है और काव्या को देखता है जो कि काफी प्यारी ड्रेस में थी
वीर सीधा काव्या को कस के गले लगा लेता है.... काफी देर तक जब वीर उसे नही छोड़ता तब वह उससे पूछती है क्या हुआ है, आपको.....कहा चले गए थे?
वीर तो उसके मुंह पर हाथ रख लेता है, लेकिन वह कुछ न कुछ बोलती ही रहती है.... हुम्मम.. हम्मम...खाना ( और टेबल की तरफ इशारा कर देती है जहां पर खाना रखा होता है )
वीर काव्या को उठा लेता है जिससे उसके पैर वीर की कमर पर और हाथ गले के चारो और होते है ...तभी वीर उसकी नाक को टच करता है और पूछता है तुमने खाना खाया?....जिसपर
काव्या मुंडी हिलाते हुए न में इशारा करते हुए कहती है ऊंहूं
वीर को तो वो काफी क्यूट लगती है तभी वीर....
"खाना क्यूं नही खाया इसकी पनिशमेंट तो तुम्हे आज ज़रूर मिलेगी"
और फिर उसे अपने अपनी गोद में लेकर टेबल के सामने बैठ जाता है; प्लेट में खाना परोसता है
और काव्या को अपने हाथो से खिलाने लगता है.....और काव्या भी वैसा ही करती है.......खाना खत्म होते ही वीर अब बताओ खाना क्यों नही खाया था?
काव्या : मैं आपका वेट कर रही थी और आपसे पहले मैं कैसे खा सकती हूं
वीर : ये सब क्या नॉनसेंस!....और फिर अपने सिर पर हाथ रखता है...अब से तुम टाइम पर खाना खाओगी ..…..समझ आया !
काव्या : हा में मुंडी हिलती है
वीर : और अब है, तुम्हारी पनिशमेंट की बारी ये कहते हुए .......वीर उसके होंठो को अपनी गिरफ्त में ले लेता है ... काव्या भी उसे सपोर्ट करती है
दोनों जल्दी से एक-दूसरे को अनड्रेस करते है और अब काव्या सिर्फ ब्रा और पेंटी में बिस्तर पर लेटी हुई थी वीर उसे गौर से देखता है....उसे तो आज काव्या के जले के निशान भी नजर नहीं आ रहे थे फिर वीर कहता है
"आज तो मैं तुम्हे खा जाऊंगा" और उस पर टूट पड़ता है, अपने हाथों का कमाल दिखाते हुए किस भी करने लगता है यहां वीर के हाथ एक प्रॉपर मोशन को फॉलो करते है....जिसे काव्या भी फील कर पाती है उसका टच, था हि इतना खास
अब वीर काव्या के हाथ को पकड़कर नीचे ले जाता है और अपने लंड पर रखता है.......काव्या झटके से अपने हाथ को वापिस खीच लेता है, तो वीर फिर से उसे पकड़ कर अपना लंड पकड़ा देता है
काव्या : अअह्ह्ह्ह ये कितना गरम है.....और उसे फील करने लगती है, जब वह अपनी उंगलियां चलाती है तो उसे उसकी नशें फील होने लगती है
वीर आज कुछ ज्यादा ही गरम हो गया था इसीलिए सीधे ही नीचे जाकर उसकी चूत चांटने लगता है ....जब वह अपनी जीभ अंदर करता है तो काव्या अपनी कमर उठा देती है और धनुष जैसी आकृति में आ जाती है
काफी देर रसपान करने के बाद, वीर उसे उठाता है और होंठो को चूमते हुए उसे नीचे कर देता है ......अब वीर के हाथ में काव्या के बल थे और काव्या में मुंह में वीर लंड
वीर आज बोहोत जोर से उसके मुंह को चोदने में लगा हुआ था कि काव्या की सांस भरी होने लगती है तब वह उसे अलग करता है और काव्या अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए रोने लग जाती है
वीर उसे गले लगाने का ट्राय करता है, तो वो उसे पीछे ढकेल देती है....और कहती है हाथ मत लगाना मुझे!.........आंसू ही तो थे जो कभी भी वीर, काव्या के चेहरे पर नहीं देखना चाहता था।
और अब उसी की वजह से उसकी आंखों में आंसू थे ....वीर जाके बाथरूम में शावर लेता है और खुद को ठंडा करता है.....आंखे बंद करते ही उसे, फिर से वही सीन दिखाई देता है जिसमे कि वो अपने प्लेजर के चक्कर में काव्या को तकलीफ दे रहा था
कि तभी वीर अपने हाथ को जोर से बाथरूम की दीवार पर पंच करता है तो वहां लगी टाइल पर दरार आ जाती है और वीर के हाथ से खून बहने लगता है
वीर नहाकर बाहर आता है तो काव्या दूसरी तरफ मुंह करके लेटी हुई थी वीर उसे आवाज देता है तो काव्या कुछ नही बोलती .......उसे लगता है कि वो सो चुकी है.....तो उसके कान के पास आकर धीरे से कहता सॉरी कब्बू, मैं तुम्हे कभी भी तकलीफ नहीं दूंगा ।
और फिर वीर भी दूसरी तरफ मुंह करके लेट जाता है। काव्या सोच में पड़ जाती है, कि शायद उसने ही वीर को निराश किया है.....अब वह रिग्रेट कर रही थी कि उसे ऐसा बिहेव नहीं करना चाहिए था
हिम्मत करके वो पलटती वीर आंखे बंद करके लेटा हुआ था उसे काव्या के पलटने का एहसास हो जाता है लेकिन वो कोई भी रिएक्शन नही देता...... कि तभी काव्या उसे पीछे से हग कर लेती है
और फिर से रोने लगती है उसके आंसू वीर को अपनी पीठ पर महसूस होते है और काव्या भी सिसक सिसक के रो रही थी.....तो वीर खुद को रोक नहीं पाता और पलट जाता जाता है
उसे चुप कराता है आंखों से उसके आंसू पोंछता है तभी काव्या की नजर वीर के हाथ पर पड़ती है तो वो उठ कर जाने लगती है वीर उससे कुछ नहीं पूछता..... जाने देता है
काव्या हाथ में घाव साफ करने के लिए स्टेराइल वाटर, क्रीम और बांधने के लिए पट्टी लेकर आती है जब वह घाव को क्लीन करती है तो वीर के मुंह से इस्स निकल जाता है
क्योंकि उसे वहां पर जलन होने लगती है.....और काव्या के आंसू फिर निकल पड़ते है.... वो वीर के हाथ पर हल्की फूक मारती है और ... क्रीम लगाकर पट्टी कर देती है
काव्या जब वापिस आती है तो नजरे झुकाकर वहीं बैठ जाती है तो वीर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है ......पागल मैं कहा नाराज हूं.....गलती तो मेरी है न
तभी काव्या सिर झुकाए झुकाए ही कहती है.....,...,चलो फिर से करते है!
वीर उसे मना करके सोने के लिए कहता है और लिटा देता है
जैसे ही वीर लेटता है तो काव्या उसके ऊपर चढ़ जाती है और कहती है.....मेने कहा न करो और उसे जोरदार किस करती है!
वीर मन से सोचता है....ये क्या है? इसे दौरे पड़ते है क्या? वो अपना ख्यालों से बाहर आता है और काव्या को अपने नीचे करता है फिर किस करते हुए उसको काटने लगता है दोनों बोहोत ही जल्दी गरम हो जाते है इसीलिए
वीर, इस बार अपना लंड सीधा उसकी चूत में लगाके हल्के से धक्का मारता है और उसका सुपाड़ा अंदर चला जाता है...फिर उसके होंठो को गिरफ्त में लेकर एक जोर का धक्का देता है तो लंड 5 इंच अंदर चला जाता है और काव्या को बोहोत ज्यादा दर्द होने लगता है
लेकिन वो उसे सहती है, और वीर की जीभ के साथ खेलने लगती है .........यहां वीर के हाथ भी उसके बूब्स पर अपना कमाल दिखा रहे थे उसके छोटे छोटे बूब्स को वीर तेजी से मसल रहा था और निप्पल को उंगली और अंगूठे के बीच फसाकर उमेठ रहा था
काफी देर आधे लंड से चोदने के बाद वीर काव्या के कंधो को पकड़ता है और हुमच के एक धक्का लगाता है और पूरा का पूरा लंड काव्या की चूत में चला जाता है
काव्या अपने होंठो को वीर से छुड़ाकर लंबी लंबी सांसे लेने लगती है वीर प्यार से उसके गालों पर हाथ फेरता है......और वापिस से कंधो को पकड़ के अपना लंड बाहर निकलता है और एक ही बार में पूरा का पूरा एकसाथ घुसा देता है
इस पर काव्या काफी जोर से चीखती है .....तभी वीर उसे प्यार से सहला कर चुप करने लगता है और धीरे धीरे अपने लंड आगे पीछे करता है... काव्या के मुंह से भी सिसकारियां निकलने लगती है और कमरे में गूंजने लगती है
(ऊपर के चार कमरों में से तीन में कोई भी नही रहता, केवल वीर ही एक में रहता है.....बाकी के अलग अलग तरीके से यूज होते है )
काव्या वीर को और जोर से करने को कहती है... आह्ह्ह्ह्ह तेज और तेज अःह्ह्ह्ह मम्मी..... उम्मम्म अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह वीर को जोर से भींचकर अअह्ह्ह्ह मजा रहा है ओह!! उम्मम्म !और तेज आह्ह्ह्ह्ह
वीर मन में सोचने लगता है ये काव्या को क्या हो गया है.....लेकिन रुकता नही है और कुछ नया ट्राय करने के लिए उसे पलटा देता है और घोड़ी बनने को कहता है काव्या तुरंत घोड़ी बन जाती है
और वीर पीछे से उसे ठोंकने लगता है काव्या की आन्हे और तेज हो जाती है ......तभी काव्या वीर का हाथ पकड़कर अपने बाल उसे पकड़ा देती है
अब वीर भी समझ गया था ...शायद काव्या को वाइल्ड सेक्स पसंद है तो उसके बालों पर मुट्ठी कसके, जोर से पीछे खींचता है जिससे दर्द भरी अःह्ह्ह उसके मुंह से निकलती है और उसका मुंह ऊपर छत की और 45 डिग्री में हो जाता है
फिर दांए हाथ से उसके पिछवाड़े पर थप्पड़ पे थप्पड़ मारने लगता है जिससे उसका पिछवाड़ा लाल हो जाता है और तेजी से उसे पेलता है
अभी दोनो का नहीं हुआ था इसीलिए वीर उसके बालों को पकड़े पकड़े उसे बिस्तर से नीचे उतर देता है और खड़े खड़े चोदने लगता है
कुछ देर बाद जब दोनो खड़े खड़े थकने लगते है तो वीर काव्या को वापिस से बिस्तर पर घोड़ी बना देता है
क्योंकि अब वह झड़ने के करीब था तो बालों को एक बार फिर से खींचता है और काव्या को पीठ पर थप्पड़ मारते हुए चोदने लगता है.....और दोनो एकसाथ झड़ जाते है
काफी देर तक वाइल्ड तरीके से सेक्स करने से दोनो थक चुके थे और लेटते ही दोनो गहरी नींद में चले जाते है
सुबह काव्या जल्दी उठ जाती है तो कल की वजह से जल्दी नहाने भागती है और तैयार होके खिसक लेती है ताकि वीर की नजरों में ना आए
जैसे ही नीचे आती है तो लोकल न्यूज चैनल में न्यूज आ रही थी मॉल मैनेजर का बेटा बोहोत बुरी हालत में पाया गया तस्वीरे ब्लर थी
लेकिन उसमे बताया जा रहा था कि उसका दांया हाथ कटा हुआ था और उसके हाथ से उंगलियां भी गायब थी....ये सुनके तो काव्या काफी घबरा जाती है क्योंकि बगल वाली स्क्रीन में उसी लड़के की तस्वीर भी चल रही थी
काव्या पहचान गई कि ये तो वही लड़का है.....लेकिन ये हुआ कैसे ?? काव्या एकदम शॉक्ड उसी जगह पर जम गई, लेकिन वह इसका पता लगाना चाहती थी कि इसके पीछे कौन है?
तभी उसके कानो में मम्मी की आवाज पड़ती है ....जो पूछती है बेटा कहा खोई हो...
काव्या : कही नही मम्मी जी
मम्मी उसे कच्चे घर में लेकर जाती है क्योंकि मम्मी पापा उसे छोड़ने को तैयार ही नही थे उसी में रहते थे.......मम्मी उसे कमरे में लेजाकर उसे कुछ पैसे, गहने और चाभियां देती है
काव्या कन्फ्यूज .... पैसे और गहने तो ठीक है लेकिन चाभियां वो भी इतनी सारी! है किस चीज की ?...और वो लेने से मना करने लगती है
तब मम्मी उसे कहती है ये पैसे मैने अपनी बहु के लिए खुद जोड़े है और ये गहने भी बनवाए है ताकि अपने बेटे की बहु दे सकूं .....ये नए जमाने के गहने है और .....ये चाभियां, इस खानदान में हमेशा से एक सास अपनी बहु को देती आई है इसमें
घर की सभी जरूरी चाभियां है मेरे जमाने के गहने जहां रखे वो चाभी भी इसी में है अब में तुम्हे ये जिम्मेदारी सौंपना चाहती हूं
तभी वीर वहा आ जाता है और मम्मी से कहता है .......काव्या अभी छोटी है, वो ये जिम्मेदारी नहीं उठाएगी आप उसे कुछ भी मत दो मैं हूं ना पैसे देने के लिए और ये गहने ......सबकुछ अपने पास सेफ रख लो
अभी काव्या को आगे की पढ़ाई करनी है और आजकल गहने कौन पहनता है?..... काव्या ये सुनकर तो खुशी से रोने ही लगती है और उसकी आंखे भर आती है
मम्मी को लगा कि बहु को ये चाहिए तभी रो रही है तो वो कहती है, सुबह सुबह रूला दिया देख उसको चाहिए है ये सब
वीर शॉक्ड! काव्या को अपनी तरफ पलटाता है तो वो गले लग जाती और जोर से भींच लेती ..... यहां मम्मी भी शॉक्ड; ये क्या हो रहा है? सुबह सुबह
तभी काव्या .....आपको कैसे पता मुझे आगे पढ़ना है??
खुदसे अलग करते हुए वीर....बस मैं जानता हूं
मम्मी : ठीक है लेकिन ये पैसे तो मैं देकर ही रहूंगी इसे पकड़ और बहु के खाते में डाला देना
वीर : ठीक है .....थोड़ी देर बाद मैं तुमसे कॉलेज को लेकर बात करूंगा
काव्या : ओके
(यहां वीर अपने अकाउंट से 50 हजार काव्या को ट्रांसफर कर देता है और कैश खुद के पास रख लेता है, काव्या भी वो मैसेज देख लेती है)
काव्या सभी को नाश्ता देती है और फिर वीर के पास जाती है जब वीर नाश्ता कर रहा होता है तब वह पूछती है इतने सारे पैसे क्यों किए ......
तब वीर कहता है मैं तो वैसे भी तुम्हे देने वाला था, खैर ये समझ लो कि मैने मम्मी के पैसों में खुद के कुछ मिलाकर तुम्हे दिए है....और ...चलो जाओ तुम भी यही नाश्ता ले आओ
फिर दोनो नाश्ता करते है तभी वीर काव्या से... चलो बाग में घूमकर आते है वही कॉलेज की बात भी हो जाएगी
फिर काव्या और वीर दोनो बाग में घूमने के लिए चले जाते है.......
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Response na dene walo ko dil se gali aur dene walo dil se shukriya ....
|| Agle update me zack ke baare me pata lagega...aur veer ki college life ke bare me v ||
Thank you
1. Hnn maine use emotional bhi banaya hai.....romantic bhi....aur ek dusra side bhi dikhane ka prayash haibhai, Romance mein itna adhik violence sahi nahi lagta....Veer ek Romantic hero hai na ki koi khooni darinda jo molestation jaisi baat par logon ki fingers kaat kar unhe maar de.
pls use ek Romantic hero banaye rakho
Nice update bro and thank you so much for adding me in the storyUpdate 10
अब तक :
वीर और काव्या, गिफ्ट शॉपिंग कर रिया के घर के लिए निकल चुके है!
अब आगे :
दरवाजे पर पहुंचते ही काव्या नर्वस हो जाती है, तो वीर उसके कंधे पर हाथ रख देता है, जिससे उसे थोड़ा कॉन्फिडेंट महसूस होता है।
वीर डोरबेल बजाता है !!!
डिंग डोंग
थोड़ी देर में दरवाजा खुलता है...
वीर : तुम कौन....इतने में ही रिया पीछे से आ जाती है और झपट्टा मारकर काव्या को गले लगा लेती है।
रिया : कैसी हो भाभी??
वीर : दीदी वो लड़की...
रिया : अरे! यही तो है यशस्वी....भाभी आप बैठो मैं आपके लिए पानी लेकर आती हूं!!
इधर,
यशस्वी भागते हुए अपने घर को आ जाती है और तेजी से सांसे लेने लगती है
यशस्वी : तो ये है मिस्टर वीर, सो हैंडसम..... और शर्माने लगती है..
(दोस्तों अगर याद न हो तो बता दूं, यशस्वी काव्या की जूनियर है ....और अपने पापा के साथ ही रिया के पड़ोस में रहती है)
रिया के घर :
रिया : काव्या को पानी देते हुए.....भाभी आने में कोई तकलीफ तो नही हुई तभी..वीर
वीर : दीदी, जब से आया हूं आप मुझे इग्नोर किए जा रही हो......ऐसे तो फोन पर खूब डांटती हो कि मिलने नही आता !!
रिया : तू इतना क्यों जल रहा है, तेरी ही बीबी है.........और कितनी¡¡¡ प्यारी है कहते हुए काव्या के गालों पर हाथ फेरती है
काव्या : आप भी बोहोत ही ज्यादा प्यारी हो दीदी!!
रिया : बस मम्मी आती ही होंगी...फिर हम सब खाना खाएंगे तभी...डोरबेल बजती है, और रिया की मम्मी रंभा अंदर आ जाती है !!
रंभा : बहू!!.....उन्होंने इतना कहा ही था कि काव्या जाके उनके पांव छू लेती है
वीर (थोड़ा जोर से) : आज मैं किसी को दिखाई नही दे रहा क्या???
रिया की मां : बेटा, कौन हो तुम?? और यहां क्या कर रहे हो?
वीर : क्या????..........इतने में ही काव्या को हंसी आ जाती है और वो रिया के साथ मिलकर जोर जोर से हंसने लगती है!
रंभा : अरे बेटा मैं तो मजाक कर रही थी, कोई मां अपने बेटे को भूल सकती है क्या??
वीर : चैन को सांस लेते हुए..... मैं तो डर ही गया था!!
रंभा (रिया से) : बेटी क्या, तुमने मेरे बच्चों को खाना खिला दिया???
रिया : मां, हम तो आपका ही इंतजार कर रहे थे!!
रंभा : बोला था न कि देर हो जायेगी....... तू क्या मेरे बच्चों को भूखा मरना चाहती है?.....चल जल्दी से खाना लगा!!
( रिया को खाना बनाना नहीं आता है......ये तो रंभा ही बनाकर गई थी, क्योंकि उन्हें भी पता था आज वीर और काव्या आने वाले है इसीलिए उन्होंने रिया को भी आज छुट्टी करने के लिए कह दिया था )
रिया और सभी मिलकर खाना खाते है..खाने के बाद
वीर : मां ये मम्मी ने आपके लिए भिजवाई है....और एक साड़ी आगे कर देता है!!
रिया : और मेरे लिए??
काव्या : दी! ये मेरे और वीर की तरफ से, आपके लिए ........न्यू ड्रेस के साथ चॉकलेट और फ्रूट्स आगे करते हुए काव्या ने कहा...
फिर सभी काफी देर तक बातें करते है...और कुछ देर बाद
रिया : चलिए भाभी मैं आपकों आपका रूम दिखाती हूं....
( घर में दो रूम, एक हाल और एक किचन है......दोनो ही रूम्स काफी बड़े है जिनमे बाथरूम भी अटैच्ड है )
काव्या रूम को देखती है, जो कि उसे काफी पसंद आता है..... रिया उसे आराम करने को बोलकर चली जाती है...
थोड़ी देर बाद...
काव्या नींद से जागकर जैसे ही हाल में आती है...... तो उसे वीर और रिया की आवाज सुनाई देती है...
वीर : दीदी, काव्या को इस बारे में पता नहीं लगना चाहिए..
रिया : अरे चिंता क्यों करता है.....मैं सीक्रेट रखने में बोहोत अच्छी हूं !
काव्या (मन में) : जरूर कोई बात है, जो मुझसे छिपाई जा रही है ....लेकिन मेरा नाम भी काव्या है.......पता लगाकर ही रहूंगी..
काव्या : तेज कदमों के साथ वीर के पास आती है, और पूछती है क्या चल रहा है??
वीर : क..कुछ नहीं
रिया : अरे मैं और वीर तो शॉपिंग पर चलने के बारे में बात कर रहे थे!!!
काव्या (मन में) : टॉपिक चेंज, पर कोई बात नहीं रात में इनसे तो पता लगा ही लूंगी, कि आखिर बात क्या है??...तभी डोरबेल बजती है,
रिया : अरे यशस्वी तुम! मैं तो तुम्हे ही कॉल करने वाली थी अच्छा हुआ कि..... तुम खुद ही आ गई
यशस्वी : कोई काम था क्या दीदी,???
काव्या (मन में) : ये, वीर जी को क्यों ताड़े जा रही है.... कहीं ये दोनो इसी को लेकर बात तो नहीं कर रहे थे!
रिया : अरे कोई काम नही था.....बस हम लोग मॉल जा रहे थे तो सोचा तुम भी साथ चलो!!
यशस्वी (खुशी से) : दीदी, मैं अभी रेडी होकर आती हूं!!!
थोड़ी देर बाद :
तीनो को लेकर वीर निकल पड़ता है मॉल की ओर.....
काव्या : बार बार मिरर में देख रही थी....क्योंकि यशस्वी लगातार वीर को ही घूरे जा रही थी.....
काव्या (मन में): चुड़ैल कही की...
( अभी तक काव्या को नहीं पता है कि यशस्वी उसकी जूनियर है और उसी के साथ वो डेली कॉलेज जाने वाली है )
थोड़ी ही देर बाद चारों मॉल में होते है:
मॉल में घुसते ही यशस्वी की नजर एक लड़के पर पड़ती है.... हॉफ टी शर्ट में जिसके डोले देखकर वो एक अलग ही दुनिया में खो जाती है...
वीर : दीदी आप इन्हे शॉपिंग कराओ, तब तक मैं यही हूं.....जब हो जाए तो कॉल कर देना!!!
रिया, काव्या और यशस्वी को लेकर चली जाती है लेकिन..... यशस्वी वाशरूम का बहाना बनाकर बाहर आ जाती है, और उसी लड़के को ढूंढने लगती .....कुछ ही देर में यशस्वी को वो लड़का मिल जाता है
यशस्वी का दिल तेजी से धड़क रहा था; और पास....और पास वो बस जूम ही किए जा रही थी और एक फोटो क्लिक कर लेती है ...लेकिन वो लड़का यशस्वी को फोटो लेते हुए देख लेता है
लड़का : ये! तूने मेरी फोटो क्यूं निकाली?? (पास आते हुए) दिखने में तो एकदम माल लगती हो.....
यशस्वी : मैने तुम्हारी फोटो नहीं ली, भैया
लड़का : देखो मैं जानता हूं कि मैं तुम्हे पसंद आ गया हूं; तो ये भैया भैया क्या लगा रखा है? सीधा सैया बोलो ना, और उसका हाथ पकड़ लेता है...
यशस्वी : ये क्या बत्तमीजी है, छोड़ो मेरा हाथ
लड़का : अरे अब क्यों शर्मा रही हो....बताओ ना क्या इरादे है???
यशस्वी : हेल्प हेल्प....कोई बचाओ ये लड़का मुझे छेड़ रहा है..
लड़का : अरे चिल्ला क्यूं रही है, तू ही तो फोटो खींचकर लाइन दे रही थी....लड़का इतना बोल ही रहा था कि तभी...
एक पंच आके उसके मुंह पर लैंड करता है और लड़का दूर जा गिरता है..
यशस्वी (मन में) : मेरा हीरो!.......
फिर वीर लड़के के पास जाके उसका हाथ पकड़ कर पीछे मोड़ देता है और उसके कान में कहता है, अगर दोबारा किसी लड़की को छेड़ा तो तेरा बाप खंगार भी तुझे नहीं बचा पाएगा ......(लोकल गैंगस्टर : अरुण खंगार)
लड़का (मन में): ये मेरे पापा को कैसे जानता है ??...कही मैटर ज्यादा तो नहीं बढ़ जाएगा!
लड़का : भैया! इस लड़की ने ही.. बिना मुझसे पूछे मेरी फोटो खींची है...
वीर : यशस्वी!!!....
यशस्वी : नही जीजू, मैने तो कोई फोटो नही ली
लड़का : भैया, ये लड़की झूठ बोल रही है!! आप इसके फोन में देख लो...
वीर : यशस्वी अपना मोबाइल दो.....
यशस्वी ( डरते हुए) : अपना मोबाइल वीर को दे देती है!
वीर : चल इसमें अपनी फोटो बता कहा है?.....और लड़का गैलरी में फोटो ढूंढने लगता है लेकिन उसे कही नही मिलती..
लड़का : भैया, इसने फोटो खींची थी मैंने खुद देखा था ....
वीर : लड़के के पिछवाड़े पर किक करते हुए .....चल भाग यहां से
यशस्वी : वीर का हाथ पकड़ते हुए,,,,,, थैंक यू जीजू!!
वही दूर से वीर का हाथ पकड़ते हुए काव्या यशस्वी को देख लेती है, जो कि उसे ही देखने वहां आई थी!!
काव्या (मन में) : ये छिपकली...कुछ ज्यादा ही चिपक रही है वीर जी से, मुझे जल्द से जल्द कुछ करना ही होगा
[अब मोबाइल में फोटो इसलिए नही मिली क्योंकि यशस्वी ने उसके डोले की फोटो
ली थी जिसमें जूम करने की वजह से मात्र स्किन ही आई ....ना उस लड़के का फेस आया न ही कोई कपड़ा ]
वीर : ठीक है, ठीक है और उसके सिर पे हल्के से मार के कहता है जाओ अब!! शॉपिंग करो
यशस्वी (मन में) : जीजू जीजू ....आप कितने अच्छे हो और स्माइल करते हुए रिया के पास जाने लगती है..... दूसरी ओर, काव्या का ये सब देख कर खून जलने लगता है!!!
रिया : अरे यशस्वी!.... कहां गायब हो गई थी? हमने तो शॉपिंग कर ली.... तुझे कुछ नही लेना क्या??
यशस्वी : दीदी, एक लड़का मेरे पीछे पड़ गया था! इसलिए टाइम लग गया और आपको पता तो है....मैं कपड़े अपने पापा के साथ ही लेना पसंद करती हूं!
काव्या ( मन में) : कितना झूठ बोलती है; बेशर्म कहीं की .....खुद ही वीर जी से चिपक रही थी!
फिर तीनो बाते करते हुए नीचे आ जाती है.....
यशस्वी : जीजू! कही और घूमाने ले चलो ना..
वीर ( मुस्कुराते हुए ) : बताओ, फिर कहां जाना है?
काव्या (मन में): ये सब क्या चल रहा है? नहीं मुझे ये नही होने देना चाहिए..
काव्या : नही, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा तो सीधे घर चलो और अपना पेट पकड़ लेती है !
वीर : अरे अरे क्या हुआ? हॉस्पिटल ले चलूं क्या?
काव्या : नहीं, घर पे थोड़ा आराम करूंगी तो ठीक हो जाएगा ...आप घर चलो !!
वीर : ठीक है, तो फिर....कभी और घूम लेंगे
यशस्वी : कोई बात नही जीजू अभी तो छुट्टियां है, तो कभी भी घूमने आ सकते हैं!!
काव्या (मन में) : , कमिनी!, ये सब तेरी ही वजह से करना पड़ रहा है......
वीर काव्या को गोद में उठाकर....गाड़ी में बैठा देता है...
यशस्वी (मन में) : वाओ! ये सब कितना रोमांटिक है
वहीं काव्या का गुस्सा, यशस्वी की स्माइल देखकर बढ़ता ही जा रहा था...क्योंकि यशस्वी ने पूरे रास्ते ही वीर को घूरा था
घर पर :
वीर काव्या को गोद में उठाए उठाए रूम तक लेके आता है, और उसके सिर पे हाथ फेरते हुए,आराम करो...... कहता है
काव्या (फीकी मुस्कान के साथ) : ठीक है
फिर वीर और रिया कल को लेकर बातें करने बैठ जाते है....
रात में :
वीर, काव्या, रिया और रंभा सभी डिनर टेबल पे है ....सभी खा रहे है लेकिन आज काव्या से बिलकुल भी खाना नही निगला जा रहा ..
रंभा : अरे बहु, खाना पसंद नही आया क्या?
काव्या : नहीं मम्मी ....खाना तो बोहोत अच्छा है लेकिन मुझे भूख नहीं है
रंभा : देख बहु! ठीक से खाया कर, एक तो तू इतनी पतली है ऊपर से खाना भी नहीं खा रही.....तभी
वीर अपने हाथों से काव्या को खिलाने का ट्राय करता है....लेकिन वह ये कह कर मुंह फेर लेती है कि....मुझे भूख नहीं!!
डिनर के बाद काव्या बर्तन साफ करने में मदद करना चाहती थी लेकिन रिया ने ये कह कर मना कर दिया कि अभी आपकी तबियत ठीक नहीं है..
थोड़ी देर बाद ..
काव्या रूम में जाती है जहां वीर लेता हुआ था ......काव्या (मन में) अब वक्त आ गया है अपना जादू चलाने का.....अब तो सब कुछ पूछ के ही रहूंगी,,,,,,
काव्या आगे बढ़ती है और वीर को किस करने लगती है
वीर (उखड़े मन से) : आज नहीं काव्या
काव्या : ऐसे कैसे नहीं.....आज तो आपको करना ही होगा ...और जबरदस्ती उसे काटने लगती है
वीर (थोड़ा जोर से ) : ...एक बार में समझ नहीं आता क्या ??
काव्या : नहीं आता समझ ....और आज आपने मुझे रोका तो फिर देखना..
वीर (मन में) : इसकी कल सर्जरी है मैं नहीं चाहता उस पर कोई असर पड़े
.....मगर ये लड़की तो मान ही नहीं रही है
वीर : देखो काव्या मेरा जरा भी मन नही है...तो शांति से सो जाओ
काव्या : उदास होते हुए ....दूसरे तरफ अपना फेस करके लेट जाती है..
थोड़ी देर बाद :
जब वीर काव्या की तरफ देखता है तो उसकी आंसू से गंगा बह रही थी
वीर : वाइफी, तुम रो क्यों रही हो? .....कहते हुए उसको अपनी तरफ पलट लेता है.....और वो जानता था कि काव्या जाग रही है इसीलिए कहता है..
वीर : आंखे खोलो कबु.....पर काव्या अपनी आंखे बिल्कुल नही खोलती!!!
वीर : अच्छा, चलो ये ही बता दो कि नाराज किस बात पर हो....लेकिन काव्या सब चुपचाप सुनती रहती है और कुछ नही बोलती
वीर : ठीक है "चलो करते है".....ये सुनते ही काव्या अपनी आंखे खोल देती है
तभी वीर.....अच्छा तो ये बात है जिस पर तुम गुस्सा थी,,,,,,अब तो आज हम बिल्कुल भी नही करेंगे
तो काव्या मुंह फुला के सो जाती है और वीर उसके मासूम चेहरे पर हाथ फिराते हुए कहता ....कितनी प्यारी हो तुम, काव्या....और उसके माथे पर किस करके, गले लगाते हुए सो जाता है
अगले दिन :
काव्या, सुबह उठाती है तो वीर उसके पास नही था..
रिया : भाई, सारी तैयारी हो चुकी है किसी भी तरीके से भाभी को लेकर.... 11 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचना है..
वीर : आप बस देखती जाओ, मैं क्या करता हूं!!!
काव्या रेडी होकर बाहर आती है, लेकिन उसका मूड कुछ खास अच्छा नही था....तभी रिया
रिया : आओ भाभी नाश्ता करते है...
काव्या (बिना कुछ कहे) : आकर सोफे पर बैठ जाती है..
वीर ( मन में) : ये लड़की भी न.......इसी की भलाई के लिए ही मैं रात में इसके साथ फिजिकल नही हुआ और ये पागल नाराज होके बैठी है...
सभी नाश्ता करते है.....तभी वीर काव्या के नजदीक आकर उसके कान में कहता है....
वीर : गुस्सा मत हो ! आज मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगा.....
लेकिन काव्या को तो उसकी बातों से अब कोई फर्क ही नही पड़ रहा था...
रिया : भाभी! आपका मूड ठीक क्यूं नही है?आज तो हम आपको एक सरप्राइस देने वाले है..
काव्या (मन में) : मेरी पीठ पीछे क्या क्या चल रहा है.....ये जानने के लिए थोड़ी सी एक्टिंग तो करनी ही पड़ेगी...
काव्या : वो मैं अभी अभी आई हूं ना, तो थोड़ा सा वक्त लगेगा यहां एडजस्ट होने में
वीर अब मेरी बारी :
वीर (एक्टिंग करते हुए) : दीदी, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा ....चक्कर से आ रहे है...
रिया : भाई! भाई! क्या हुआ तुम्हें?
काव्या (घबराते हुए) : क्या हुआ है आपको? .....अभी तो एकदम ठीक थे और जाकर वीर को पकड़ के बैठ जाती है
रिया : भाभी हमें हॉस्पिटल जाके दिखाना चाहिए....
काव्या : हां हां..चलो अचानक से ये क्या हो रहा है आपको ?..(और घबराते हुए रोने ही लग जाती है)
10:30 बजे :
रिया अपॉइंटमेंट के हिसाब से काव्या के नंबर का वेट कर रही थी...
काव्या : दीदी आप तो यहां काम करती हो न ......कुछ करिए कही इन्हे कुछ हो न जाए....(वीर भी अपनी एक्टिंग कंटिन्यू रखे हुए था)
रिया : ठीक है भाभी मैं कुछ करती हूं.....और रिया आकर बताती है कि बस वीर का नंबर आने ही वाला है!
11: 00 बजे
काव्या का नाम अनाउंस होता है तो वो चौंक जाती है .....लेकिन रिया उससे कहती है.... कि उन्होंने गलती से पेशेंट की जगह उसकी वाइफ का नाम ले लिया
काव्या और रिया ....वीर को अंदर ले जाते है लेकिन इंटर करने से पहले ही वीर ठीक से खड़ा हो जाता है...और काव्या से कहता है तुम अंदर जाओ तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है
काव्या : आप तो ठीक हो.....और मैं क्यों अंदर जाऊ?
रिया : भाभी यही तो सरप्राइस है.....भैया आपकी जली हुई स्किन की सर्जरी कराना चाहते थे, इसीलिए तो हम यहां आए है!
काव्या : पर.....
रिया : कोई पर वर नहीं....आप जल्दी से अन्दर जाओ, नहीं तो लेट हो जाएगा
तो काव्या अंदर चली जाती है... और काफी देर तक उसका ट्रीटमेंट चलता है, शाम को जब उसको होंश आता है....तो वीर उसके पास ही बैठा हुआ था
वीर : कैसा लगा सरप्राइज़!...... काव्या आंखों से गंगा बहाते हुए इसमें तो काफी पैसे लगे होंगे न
वीर : मेरी पत्नी और पैसों की चिंता.... "बिल्कुल भी नहीं" जो कुछ मेरा है, वो सब तुम्हारा ही तो है....... काव्या के दोनो गालों पर हाथ रखते हुए वीर...
"कबु तुम्हे ज़रा भी अंदाजा है कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं"
काव्या (नजरे चुराते हुए) : तो फिर आपके और यशस्वी के बीच क्या चल रहा है???
वीर : क्या चल रहा है??
काव्या : झूठ बोलने की जरूरत नहीं है, मैंने कल उसे आपका हाथ पकड़ते हुए मॉल में देखा था.....और यशस्वी ने खुद ही कहा था कि...वो
वीर : चुप! बिल्कुल चुप! अभी अभी सर्जरी हुई है, तो ज्यादा बोलो मत......कल एक लड़का उसे छेड़ रहा था, जिससे मैने उसे बचाया था..... शायद इसी बीच गलती से मेरा हाथ, उसने पकड़ लिया होगा
काव्या : लेकिन जब देखो तब वो आपको घूरती ही रहती है...
वीर : ये सब फालतू की बातें तुम्हारे इस छोटे से दिमाग में आती कहां से है?? ........(प्यार से) तुम तो मेरी प्यारी वाइफी हो और..
"इस जीवन में कोई दूसरी, कभी नही आयेगी"
काव्या : कल आप दीदी से किसी सीक्रेट की बात कर रहे थे....क्या ये सरप्राइज़ ही वो सीक्रेट है??
वीर : हां.....यही वो बात है जो हम छिपा रहे थे, और हम भोपाल भी जल्दी इसीलिए आए है ताकि तुम्हारा इलाज करवा सकें!!
काव्या : वैसे यहां कब तक एडमिट रहना पड़ेगा .....
वीर : 2 वीक्स तक...
काव्या : इतना ज्यादा
वीर : हां, स्किन बोहोत ही सेंसिटिव पार्ट है तो अंडर ऑब्जर्वेशन तो रखना ही पड़ेगा .....कही इरिटेशन या रैशेज न होने लगे
काव्या : अभी तो मेरी छुट्टियां है, लेकिन फिर भी बाद में 5 दिन की क्लासेज मिस हो जाएगी...
वीर : कोई बात नहीं....मैं तुम्हे पढ़ा दूंगा
काव्या : लेकिन अटेंडेंस...
वीर : 75% चाहिए होती है और उतनी तो पूरी हो ही जाती है अगर एक पूरा महीना भी न जाओ .....लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो मेडिकल तो है ही तुम्हारे पास
काव्या : ठीक है.....(और मन में) तू तो फालतू शक कर रही थी,काव्या....वीर जी पर, लेकिन उस छिपकली का क्या?? कुछ तो करना ही पड़ेगा???
वीर हॉस्पिटल में काव्या के पास ही रुका था....लेकिन रिया उसे बीच बीच में घर भेज ही देती थी ताकि वो थोड़ा आराम कर सके
9 दिन बाद, कॉलेज का तीसरा दिन :
जानवी : बोला था न, काव्या काफी बीमार है....मेरी खुद उसके हसबैंड से बात हुई है, वो अगले सोमवार से ही आ पाएगी!!
लकी : बोहोत हो गया अब ........आज मैं खुद ही उससे बात करूंगा!!
हॉस्पिटल में 5:00 pm
काव्या सो रही है और रिया वीर के लिए स्नैक्स लेकर आई है.....तभी चार्जिंग पे लगा काव्या का मोबाइल रिंग करने लगता है...
रिया : अननोन नंबर?....वीर कॉल रिसीव करने का इशारा करता है..
रिया : हेलो
लकी : हेलो! काव्या
रिया : कौन??
लकी : अरे! इतनी जल्दी भूल गई......अपने प्यार को.....ये सुनते ही रिया के हाथ से मोबाइल गिर जाता है,,,,
वीर : कौन था?.....आदमी की आवाज सुनते ही लकी ने फोन काट दिया...
रिया : कोई नही.... रॉन्ग नंबर
रिया (मन में) : भाभी...भैया पे चीट कर रही है अगर उन्हें ये पता चला तो वो तो उन्हे मार ही डालेंगे....मुझे भाभी से इस बारे में बात करनी ही होगी
रिया बहाने से वीर को घर भेज देती है और काव्या को नींद से उठा देती है...
काव्या : क्या हुआ दीदी!!
रिया ( गुस्से से ) :....भाभी आपकी हिम्मत कैसे हुई भाई पर चीट करने की ?
काव्या : दीदी! ये आप क्या बोल रही हो??
रिया : बस भाभी .....और कितना झूठ बोलेंगी आप, भैया कितना प्यार करते है आपसे, और आप छी!!!
काव्या ( रोते हुए ) : दीदी आप क्या बात कर रही हो? मैने कोई चीटिंग नही की.......मैं तो खुद वीर जी से बोहोत प्यार करती हूं
रिया : "प्यार माय फुट" बताओ ये सब क्या है भाभी?? कॉल हिस्ट्री दिखाते हुए...... ये नंबर आपके प्यार का है ना???
काव्या : कौन सा प्यार .... मैं तुम्हारे भैया के अलावा किसी से प्यार नहीं करती!
रिया : ठीक है तो फिर कॉल करते है... और रिया स्पीकर ऑन करके कॉल कर देती है??
लकी : हेलो काव्या
काव्या : कौन ....
लकी : तुम इस तरह से बार बार क्यूं पूछ रही हो?? ....मैं लकी बोल रहा हूं!! पिछली बार तुम्हारे हसबैंड ने कहीं शक तो नही कर लिया
रिया काव्या को घूरने लगती है
काव्या (गुस्से से ) : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की और तुम्हे मेरा नंबर कहा से मिला??
लकी : तुम ये सब क्या बोल रही हो??..... मुझे पता है, तुम अब भी मुझे पसंद करती हो न!!
काव्या (गुस्से में) : मैने तो तुमसे कभी बात तक नहीं की ....तो ये सब क्या बक रहे हो?.... पसंद! और तुम्हे??
लकी (गुस्से से) : बकवास बंद करो ....बोहोत हो गया तुम्हारा,,,,, तुम्हारी ही बेस्ट फ्रेंड जानवी ने बताया था कि तुम मुझे पसंद करती हो, और उसी ने नंबर भी दिया था।।
काव्या ( गुस्से से) : मैंने कभी नही कहा कि मैं तुम्हे पसंद करती हूं .....तो अपनी ये बकबास बंद करो....और कॉल कट कर देती है
रिया : ये सब क्या है भाभी???
काव्या (रोते हुए) : दीदी मैं सच, सच बोल रही हूं मैने आज पहली बार लकी से बात की है !!
रिया : तो फिर आपकी बेस्ट फ्रेंड....
काव्या : वो तो बस लकी का ही गुणगान करती रहती है, जिसमें उसने मुझसे भी पूछा था कि लकी मुझे कैसा लगता है?....तो मैने बस थोड़ी सी तारीफ की थी...लेकिन मैंने ये कभी नही कहा कि मैं उसे पसंद करती हूं
रिया : तो अब भैया को...
काव्या : जब वो दीदी से प्यार करते थे तब उन्होंने पूछा था, कि क्या मैं किसी को पसंद करती हूं तो मैने कूल बनने के चक्कर में बस यूं ही लकी का नाम बता दिया था!!
रिया : तो क्या आप उससे.....
काव्या : कभी नहीं.....हमारे स्टेटस में इतना अंतर था कि उसके लिए प्यार जैसा ख्याल मेरे मन में कभी नहीं आया .....बस वो एक अच्छा लड़का है
रिया : ठीक है! भाभी आप टेंशन न लो
दूसरी तरफ लकी :
बहुत हो गया शरीफ बनने का नाटक अब खुल के सामने आना ही पड़ेगा....
[ दरअसल लकी का प्लान ये था कि वो बस काव्या और जानवी के आस पास उन पर ध्यान दिए बगैर मंडराएगा जिस बीच जानवी, काव्या से उसकी बोहोत ज्यादा तारीफ करेगी और वो काव्या के दिल में अपनी जगह बना लेगा ]
इधर काव्या :
जानवी : हेलो काव्या
काव्या : तुझे बोला था न कि मेरी शादी हो चुकी है..........और मैने कब कहा कि मैं लकी से प्यार करती हूं
जानवी : गलती हो गई मेरी मां....लेकिन गुस्सा क्यों कर रही है??
काव्या : तूने ही लकी को मेरा नंबर दिया था न .....अब वो मुझे परेशान कर रहा है!
जानवी : पर मैंने तो उसे मना किया था!!
काव्या : देख जानवी ...ये सब तेरी वजह से हो रहा है, किसी भी तरीके से रोक नही तो हमारी दोस्ती नहीं रहेगी
जानवी : तू मुझे धमका क्यों रही है?.....मैने कुछ भी गलत नही किया और भूल गई जब तुझे जरूरत के वक्त मैंने कितनी ही बार पैसे दिए है!!
काव्या ( कुछ सोचते हुए) : मैने भी तो पढ़ाई में तेरी खूब मदद की है!!....और रही बात पैसों की तो एक भी पैसा मेरे पर तेरा बाकी नही है!!
जानवी : ठीक है, अगर तुझे मैं गलत लगती हूं तो अब से हमारी दोस्ती खत्म
काव्या : ऐसा नहीं है जानवी.....लेकिन तूने झूठ क्यों बोला कि मैं लकी से प्यार करती हूं??
जानवी : मुझे अभी तुमसे कोई बात नही करनी ...और कॉल कट कर देती है..
(जानवी (मन में)... कु**तिया कहीं की, एक बार आ तो जा हॉस्टल में फिर तुझे बताती हूं)
काव्या (मन में) : अगर मैने वीर को बताया कि लकी .....नही नही मै उसे खुद समझा दूंगी ( क्योंकि उसके मन में मैनेजर के लड़के का हाल क्या हुआ था, ये दृश्य आ गया)
रात 9 बजे :
रिया : भैया, कोई लकी नाम का लड़का शायद भाभी के पीछे है...आप जरा इस बात पर ध्यान देना ...
वीर : हां......काव्या ने बताया तो था कि वो भी उसे पसंद करती थी लेकिन वो सब एक तरफा था!!!
[ Update 2 में काव्या, वीर से कहती है कि उसका लकी को पसंद करना एकतरफा था .....लेकिन वो भी क्या करती क्योंकि उसने पहले झूठ जो बोला था अपने जीजू से कि....लकी नाम के लड़के पर उसका क्रश है जबकि न तो उसने कभी लकी से प्यार किया न ही पसंद......बस एक बार तारीफ की थी, जिसे जानवी ने रिकॉर्ड कर लिया....... जिसमें प्यार या पसंद नाम की चीज का कोई जिक्र नहीं था ]
रिया : लेकिन भैया..
वीर : ठीक है मैं देख लूंगा तुम उसकी टेंशन न लो...
रिया : भैया मैं ये कह रही थी कि भाभी ने एकतरफा भी किसी को पसंद नहीं किया???
वीर : क्या मतलब??
रिया : तब आप किरण के प्यार में थे तो भाभी ने भी कूल बनने के चक्कर में ऐसे ही बोल दिया था
वीर ( मन में) : इसका मतलब काव्या ने मेरी वजह से अपना एकतरफा प्यार नही छोड़ा..... तभी मैं सोचूं उसने इतनी आसानी से 'गिव अप'
कैसे कर दिया
वीर : ठीक है, दीदी आप काव्या का ध्यान रखो, मैं घर जाता हूं
रात 11 बजे :
वीर, डार्क वेब पर 'the sexy boy 97' नाम के यूजर से
वीर : हेलो
यूजर : हेलो "killer no. 1"
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Dosto user veer ko killer no. 1 kyu keh rha ha???, kya wo pehle se hi ek dusre ko jante hai??? .....jaanne k liye bane rahiye
Thank you
achhi baat hai, but story ko Romance mein tag Kiya hai na ki Thriller me...so Romance maximum hona chahiye Thriller aur Action ke1. Hnn maine use emotional bhi banaya hai.....romantic bhi....aur ek dusra side bhi dikhane ka prayash hai
Jitna sambhav ho sakta tha.....mene wahi krne ka try kiya h...achhi baat hai, but story ko Romance mein tag Kiya hai na ki Thriller me...so Romance maximum hona chahiye Thriller aur Action ke
Thank youअच्छी कहानी और बढ़िया प्रस्तुतीकरण
Nice update bro and thank you so much for adding me in the story