shivsharma
Ride to death
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Nice update broUpdate 12
अब तक :
वीर सुबह सुबह जेसियन द्वारा भेजे गए ईमेल के बारे में ही सोच रहा था..
अब आगे :
वीर काव्या को ऐसा वातावरण देना चाहता था जिसमे वह बेफिक्र होके अपनी पढ़ाई कर सके लेकिन जेसियन द्वारा भेजे गए मेल ने उसे असमंजस में डाल दिया था
मेल से वीर को लकी की काफी सारी बाते पता चली, जिसमें ......उसकी अय्याशी जो वो लोगों से छिपाकर करता है और लड़कियों को फंसा कर उनको ब्लैकमेल कर दूसरी लड़कियों को भी अपने झांसे में कैसे लेता है सब था..
पर इसमें सबसे बड़ी चिंता की बात ये थी कि..... जानवी भी इसी चक्कर में फंस चुकी थी और अब वो काव्या को लकी के लिए सेट करना चाहती थी
वीर के मन में दो तरीके के विचार आ रहे थे.....या तो वो काव्या को सब कुछ सच बता दे या फिर लकी को हमेशा - हमेशा के लिए रास्ते से हटा दे
लेकिन परसों ही उसका इंटरव्यू भी था जिसे वह उतना सीरियस नहीं ले रहा था क्योंकि पहले ही वो 2 बार इंटरव्यू से बाहर हो चुका था, अंत में वीर बीच का रास्ता निकालते हुए उसे सिक्रेटली प्रोटेक्ट करने का निर्णय लेता है
अभी वीर ख्यालों में ही खोया था.. कि काव्या नींद से जगती है, और उठते ही वीर के गालों पर मॉर्निग किस चिपका देती है
काव्या : मॉर्निंग .. हबी
वीर (रिटर्न किस करते हुए) : गुड मॉर्निंग वाइफी!!
सुबह सुबह फ्रेश होने के बाद काव्या जल्दी से किचन में जाकर चाय बनाने लगती है... तभी वीर पीछे से आता है और काव्या को देखते हुए मन में
" अरे! मेरी बिल्ली तो पीछे से भी सेक्सी लगती है" और उसे पकड़ लेता है......
काव्या : छोड़ो !! कोई आ जाएगा
वीर : आ जाने दो
काव्या : प्लीज़ न
वीर : नहीं, अभी मेरा मन नहीं भरा.... तभी किसी के आने की आहट होती है
रिया : अरे! बेटू तू यहां किचन में क्या कर रहा है?....बाहर बैठ, मैं वही चाय लेके आती हूं और भाभी मुझे तो कुछ भी बनाना नहीं आता इसीलिए आप सब सिखा देना ......चलिए मैं आपकी नाश्ता बनाने में आपकी मदद करती हूं !
थोड़ी देर बाद :
सभी नाश्ता कर चुके थे ...... वहीं काव्या तैयार हो रही थी कॉलेज के लिए और मन में सोचती है.... जानवी को मैंने अब तक नही बताया कि मैं अब हॉस्टल में नहीं रहूंगी ...ऊपर से मैंने तो उससे फोन पर भी लड़ाई कर ली थी पता नहीं आज कैसे रिएक्ट करेगी यही सब सोचते हुए वो तैयार हो जाती है
वही यशस्वी तैयार होके आ चुकी थी और आते है, जीजू!! क्या दीदी तैयार हो गई?
वीर : हां, बस आती ही होगी..
तभी काव्या नीचे आती है... और वीर उसे कॉलेज ड्रेस में देखते ही अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है और उसकी नजरें तो काव्या से हट ही नहीं रही थी!!
यशस्वी (मन में) : वाओ! क्या सीन है?
तभी काव्या वीर का हाथ पकड़ लेती है और कहती है चले!....... फिर तीनों कार में बैठ कर कालेज के लिए निकल जाते है!!
एक्सीलेंस कॉलेज, भोपाल :
वीर, काव्या को बाहर ही छोड़कर ...उसे अंदर जाते हुए देखता है तभी यशस्वी कहती है दीदी!! जीजू की नज़रे तो आपसे हट ही नहीं रही ....देखो अभी तक इसी तरफ देख रहे है!
काव्या (ध्यान न देते हुए) : हम्म्म....
यशस्वी : दीदी, वैसे जीजू कितने अच्छे है न....सबकी मदद करते है!
काव्या (कुछ सोचते हुए) : नहीं बिलकुल नहीं, असल में तो वो बोहोत ही गुस्सैल, चिड़चिड़े और खडूस है !!...कभी कभी तो लगता है किस पगलेट के मत्थे बांध गई..
यशस्वी : लेकिन ऐसा लगता तो नही है
काव्या (मन में) : वो तो मुझे भी पता है.... लेकिन चुड़ैल तेरी नियत मुझे कुछ ठीक नही लगती!!
तभी यशस्वी अरे! दीदी कहां खो गई??
काव्या : हम्म्म.....क..कही नहीं...चलो चलते है! यशस्वी : दीदी ब्रेक में आप कैंटीन आ जाना और बाय बोलकर वो भी क्लास के लिए अपने रस्ते निकल जाती है
दूसरी तरफ :
वीर : समझ गए ना! भाभी का ध्यान रखना और कुछ भी जरूरत पड़े तो बता देना,वीर एक लड़के से कहता है........जो काव्या के साथ ही पढ़ता है और उसका बड़ा भाई वीर के अंडर काम करता है!!
लड़का : जी बड़े भैया....
वहीं कॉलेज के अंदर :
जानवी अरे! काव्या तू!!!!.... क्या हो गया था तुझे? इतने दिन हॉस्पिटल में क्यूं रहना पड़ा? अब "काव्या भी फोन पे हुई लड़ाई की बात भूलते हुए उसके गले लग जाती है".... और कहती है मैं ठीक हूं, और कुछ नही हुआ मुझे, अपना बता तू कैसी है?
जानवी : फर्स्ट क्लास, एकदम चकाचक
काव्या : वो तो दिख ही रहा है, कही कोई मिल तो नही गया??
जानवी : अरे नही बाबा! मेरी ऐसी किस्मत कहां .....एक तू है जिसके पीछे लकी जैसा लड़का पड़ा है और तू उसे इग्नोर कर रही है..... पर सच कहूं तो लकी कहता नही है, लेकिन उसकी आंखो में मैंने तेरे लिए सच्चा प्यार देखा है!!
काव्या (चिल्लाते हुए) : जानवी !! मना किया न तुझे ...फिर भी समझती क्यूं नही मेरी शादी हो चुकी है!!
जानवी : एक बार जरा पीछे तो देख..... काव्या जैसे ही पीछे देखती है "लकी स्वैग से एंट्री ले रहा था"
काव्या उसे नजरंदाज कर देती है और अब तो वो जानवी से भी नाराज हो चुकी थी इसीलिए चुपचाप अपनी क्लास में चली जाती है!!!
वहीं लकी मन में मुझे इग्नोर करके ...खुद को पता नही क्या समझती है, इसको तो इसकी औकात दिखाकर रहूंगा.... रांड बनूंगा साली को
सोनू : अरे! भाई,कब तक यूं ही बस देखते रहोगे? कभी तो आगे बढ़ो
लकी : ठीक कह रहा है बे.....अब थोड़ा छेड़ छाड़ करनी ही पड़ेगी ....साली बोहोत नखरे दिखाती है..
सोनू : नहीं भाई, कॉलेज के अंदर पंगा मत करना.......सभी जगह कैमरा है!!
लकी : सभी जगह नही है.. बे और वैसे भी मेरा कोई क्या ही उखाड़ लेगा..
सोनू : हां लेकिन फिर भी सम्हाल के
लकी : तू ज्यादा मत सोच भोसड़ी के.... प्यार से नही मान रही तो अब इसको दूसरी भाषा में समझाऊंगा!!
यहां जानवी भी खुन्नस लिए मन ही मन काव्या को गालियां दे रही थी और क्लास में जाती है... काव्या के पास बैठ कर उससे बात करने की कोशिश करती है लेकिन काव्या उसे कोई जवाब नही देती बस पेन से कॉपी को ही गोदे जा रही थी और अपना गुस्सा उस पर निकाल रही थी
जानवी : सॉरी काव्या!... लेकिन क्या तू सच में लकी जैसे लड़के को ऐसे ही जाने देगी, वो भी अपने उस हसबैंड के लिए..
काव्या (भड़कते हुए) : चुप कर तू! कुछ भी बके जा रही है... जब उन्हे जानती नहीं तो फालतू मत बोल, और लकी कौन लकी?? मैं तो उसे ठीक से जानती भी नही!
जानवी : लेकिन..
काव्या : अभी मेरी बात खत्म हो जाने दे...मैं अपने पति से बोहोत प्यार करती हूं और अगर किसी और का जिक्र भी मेरे सामने किया तो मुझसे बुरा कोई नही होगा
तो जानवी मन में गालियां बकते हुए, उससे माफी मांगने का नाटक करने लगती है....अब काव्या और जानवी थीं तो दोनो बेस्टफ्रेंड ही .....और हॉस्टल में रूममेट होने की वजह से दोनो एक दूसरे के काफी क्लोज भी थी
"इसी वजह से काव्या ज्यादा देर तक कैसे नाराज रह सकती थी?? इसीलिए वो उसे माफ कर देती है"
तभी क्लास में टीचर की एंट्री होती है और जब क्लास खत्म होती है तो काव्या जल्दी से कैंटीन के लिए निकल पड़ती है, तभी जानवी उसे रोकती है अरे! कहां चली?
काव्या : कैंटीन....और तेजी से जाने को होती है
जानवी सोच रही थी कि ये कैंटीन क्यूं जा रही है, इसने तो कभी कैंटीन में पैर तक नहीं रखा हम्म्म लगता है....अब पैसे आ गए है तो वो उसे रोक लेती है और साथ लेकर चलने को कहती है जैसे ही दोनों कैंटीन पहुंचती है उन्हें आवाज आती है!!
दीदी ....यहां यहां!! तो काव्या जाकर यशस्वी के साथ बैठ जाती है, अब जानवी और यशस्वी एक दूसरे को ही देखे जा रही थी कि ये है कौन.... तभी काव्या कहती है ये है मेरी बेस्टफ्रेंड जानवी और जानवी ये है अपनी जू ......यशस्वी तपाक से "मैं हूं इनकी छोटी बहन और आपकी जूनियर यशस्वी"
फिर यशस्वी सभी के लिए पेटिस ऑर्डर करती है …... तभी जानवी कहती है; काव्या! तुमने कभी "अपनी इस बहन" के बारे में क्यों नहीं बताया???तो काव्या उसे बताती है कि वो दोनो अच्छे नेबर्स है, और अब वो इसी के साथ ही कॉलेज आया करेगी
जानवी : म..मतलब अब तुम हॉस्टल में नहीं रहोगी
काव्या : नही..
जानवी : तुमने पहले क्यू नही बताया ... अब मेरा क्या होगा?...... (मन में "इससे तो मेरे सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा)
काव्या : कोई बात नही जानू, वैसे भी हम कॉलेज में तो मिलते ही रहेंगे... लेकिन अगर मेरी ननद और माजी के होते हुए मैं हॉस्टल में रही तो उन्हें बुरा जरूर लगेगा !
फिर तीनों उठते और जैसे ही यशस्वी पे करने जाती है तो काव्या उसे रोक देती है और खुद ही बैग से फोन निकल कर पेमेंट कर देती है....तभी जानवी
काव्या ये..ये...आइफोन कहां से आया तुम्हारे पास ??
काव्या : मेरे हबी ने दिया है...और मन ही मन खुश हो जाती है
तीनों कैंटीन से बाहर आती है तभी यशस्वी को उसकी फ्रेंड मिल जाती है जो उसे प्रोजेक्ट के रिगार्डिंग बात करने के लिए अपने साथ ले जाती है.... वहीं काव्या, जानवी को लेकर पेड़ के नीचे बेंच पर बैठ जाती है...
जानवी : पहले तो तूने ये नही बताया कि अब तू हॉस्टल में नहीं रहेगी
और अब ये आईफोन .....सच सच बता!! और क्या क्या छुपा रखा है मुझसे??
काव्या : मैं यहां किसी को दिखावा करने थोड़ी ना आई थी.... जो उन्हे फोन दिखाते फिरती
जानवी : देख काव्या अगर तू शादी से खुश नहीं है तो जाने दे अभी तेरी पूरी जिंदगी बाकी है
काव्या : फिर वही बकवास
जानवी : इसमें बकवास क्या है? तेरा हसबैंड उम्र में तुझसे इतना बड़ा है कि तुझे तोफे दे दे कर खुश कर रहा है, मानती हूं के तेरे परिवार के पास पैसे नहीं है लेकिन तू सिर्फ पैसों के लिए उसके साथ क्यों है पता नहीं कैसा दिखता होगा ??
काव्या : बस जानवी...... मैं कब से तेरे मुंह से बकवास सुने जा रही हूं, और तू क्या कह रही कैसा दिखता होगा?? तो ले... देख ले "काव्या अपने मोबाइल में वीर की फोटो दिखाती है"...... आगे से मेरे पति के बारे में इत्तू सा भी बुरा मत बोलना
मुझे तुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, जानू... जब मुझे कोई परेशानी नहीं है तो क्यों? "वही बात बार बार कर रही है".... शुरू से ही हम दोनो रूममेट रहे और हर मुसीबत में एक दूसरे का साथ दिया है, मैंने तेरे अलावा किसी को दोस्त भी नही बनाया लेकिन आगे से अगर तूने मेरे हसबैंड के लिए कुछ भी गलत बोला तो सच कह रही हूं.... "कभी बात नही करूंगी" तभी उनके पास लकी आता है
लकी : अरे जानवी! यहां क्यों बैठी हो? चलो कैंटीन चलते है "ये सब वो काव्या की तरफ देख कर ही बोल रहा था"... तभी जानवी कहती है नही हम अभी ही तो वहा से आए है
लकी (जानवी को घूरते हुए): अरे चलो ना यार "एक काफी और पी लेना" ... तो जानवी को हां कहना ही पड़ता है.... और वो काव्या का हाथ पकड़ कर उसे उठाने लगती है और कहती है, चल अब गुस्सा थूक दे !!
काव्या : नही मुझे नही जाना और वो हाथ छुड़ाकर अपनी क्लास की ओर जाने लगती है लेकिन लकी उसका हाथ पकड़ लेता है और अपने पास खींचता है लेकिन काव्या भी जोर लगा देती है और अपना हाथ छुड़ाते हुए!!
काव्या : तुम अपनी हद में रहो और आइंदा मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा और वो वहां से चली जाती है!!
लकी : साली रांड, एक बार बस एकबार तू मेरे नीचे आजा तेरे सारे नखरे उतार दूंगा और जानवी से कहता है..... लगता है तू ठीक से अपना काम नहीं कर रही
तो जानवी उसे बताती है कि "अब वो हॉस्टल में नही रहेगी और तो और उसका हसबैंड काफी पैसे वाला लगता है उसने उसे लेटेस्ट आईफोन दिया है"
लकी : बंद कर अपनी ये बकवास और तुझे क्या लगता है मैं आईफोन नही ले सकता .....
"अगर तू मेरा काम कर दे तो तुझे आईफोन भी ला दूंगा और तेरे सारे विडियोज भी डिलीट कर दूंगा" चल जा अब और सही से अपना काम कर
यहां वाशरूम में "काव्या मिरर में देखते हुए अपने हाथों को धो रही थी, तभी उसे याद याद आता है कि लकी ने उसका हाथ पकड़ लिया था तो वो उसे और भी ज्यादा घिस घिस कर धोने लगती है" और फिर अपनी क्लास के लिए निकल जाती है तभी उसे रास्ते में यशस्वी मिल जाती है
यशस्वी : दीदी क्या हुआ आपको?... आपने मुंह क्यों लटकाया हुआ है
काव्या : कुछ नहीं
यशस्वी : दीदी अगर कोई परेशानी हो तो आपकी छोटी बहन है न..... वैसे अगर जीजू की वजह से ऐसा है तो मैं आपके बोहोत काम आ सकती हूं.....ये सुनते ही "काव्या अभी की बात का गुस्सा यशस्वी पे निकल देती है और कहती है"
तू क्यूं पड़ी है वीर जी के पीछे "एक तरफ तो दीदी दीदी कहती है और दूसरी तरफ अपनी ही बहन के पति पर डोरे डालती है, तुझे शर्म नही आती"
यशस्वी : दीदी... ये क्या कह रही हो मेरे मन मैं जीजू के लिए ऐसा वैसा कुछ नही है "मैं तो बस यही चाहती हू कि उनके जैसा ही मुझे भी कोई मिल जाए"
काव्या : उनके जैसा नहीं ....बल्कि तू तो यही चाहती है की वो ही तुझे मिल जाए मैने मॉल में देखा था कैसे हाथ पकड़ा था तूने और जिस तरह से तू उनको देखती है अगर आगे से देखा तो तेरी ये आंखे नोच लूंगी!!
यशस्वी (हंसते हुए): अरे! मेरे बहन तो अपने पति को लेकर कुछ ज्यादा ही पॉसेसिव है.... "लेकिन दीदी मैं जीजू को आपसे क्यूं छीनूगी"
आपने कुछ ज्यादा ही सोच लिया, मैं सिर्फ उनको नही बल्कि आप दोनो को देखती हूं और मॉल में उन्होंने मेरी मदद की थी... तो वो मेरे हीरो है
आप ज्यादा मत सोचो ...... भला मैं अपने ही हीरो की जिंदगी बरबाद क्यूं करूंगी? और वैसे भी मैं तो आपकी छोटी बहन जैसी हूं न, तो साली होने के नाते थोड़ी बोहोत छेड़ छाड़ तो कर ही सकती हूं
यशस्वी, काव्या के हाथो को अपने हाथो में पकड़ते कहती है..दीदी आपको मेरे ऊपर विश्वास तो है न तभी वहां से एक लड़का गुजरता है जिसे यशस्वी घूरने लगती और काव्या उसे नोटिस कर लेती है
काव्या : तू क्या सभी को ऐसे ही घूरती है.....
तो यशस्वी कहती है "अरे नही दीदी मैं तो उसकी बॉडी देख रही थी हए! क्या फिटनेस है बंदे की, दीदी आपको नही पता मेरे रूम में कितने सारे मेल मॉडल्स की फोटोज लगी है"
तो काव्या इसका मतलब तुझे.... लडको से नहीं उनकी बॉडी से ऑब्सेशन है
यशस्वी : हां तो ..... और जीजू की बॉडी भी मस्त है और सोचते हुए मुस्कुरा देती है
काव्या : ज्यादा मुस्कुरा मत और दोनो ही हंसने लगती है.....और काव्या सोचती है वीर जी सही कह रहे थे मेरा छोटा सा दिमाग सच में उल्टी सीधी बाते सोचता है और दोनो ही क्लास के लिए निकल जाती है
क्लासेस खत्म होने के बाद तीनों ही बाहर आती जहां पहली बार जानवी वीर को देखती और सोचने लगती लड़का तो सच में अच्छा है ......वही दूर खड़ा लकी भी पहली बार वीर को देख रहा था .....
वीर को आज की घटना का भी पता था लेकिन वो अभी के लिए सब नजरंदाज कर देता है क्योंकि काव्या ने उसे वार्निंग देकर छोड़ दिया था!!
यशस्वी : जीजू! कही घूमाने ले चलो न.......
वीर काव्या की और देखता है तो वो कहती है हां ले चलो ना.....
वीर दोनो को लेकर पहुंचता "लेकव्यू" जहां पानी के ऊपर से हवा बहते हुए आती है और जब-जब वो शरीर को छूती है तो सिहरन सी पैदा हो जाती है और हवा जब नाक से अंदर जाती है तो ताजगी का एहसास कराती है... वहा की हवा को महसूस करना बोहोत ही ज्यादा रोमांचक था!
फिर तीनों वही सड़क किनारे लगे स्टाल्स में से स्नैक्स लेकर खाते हुए एंजॉय करते है....
थोड़ी देर बाद वीर कहता अब बताओ और कहा जाना है, तब यशस्वी कहती है न्यू मार्केट तो वीर उन्हें वहा ले जाता है और वो दोनो काफी सारी शॉपिंग करती है जिसमें काव्या वीर के लिए शर्ट लेती है और एक खूबसूरत सा ब्रेसलेट भी उसे पहना देती है
यहां वीर रिया को कॉल करके बता देता है कि वो तीनो लेट हो जाएंगे तो चिंता न करे और रात का डिनर भी वो बाहर करने वाले है...... और तीनों ही डिनर के लिए रेस्टोरेंट निकल जाते है
यहां रिया यशस्वी के पापा को सब बताती है और उन्हें घर पर डिनर के लिए इन्वाइट करती है जब अशोक डिनर के लिए आता है तो रंभा गेट खोलती है अशोक तो बस उसे देखते ही रह जाता है.... जी..जी मैं यशस्वी का पापा "रंभा उन्हें अंदर आकर बैठने को बोलती है"
यहां अशोक सोच रहा था कि "ये है वो महिला जिसका गुणगान मेरी बेटी करती रहती है और तभी खाना लग जाता है"
वही दूसरी ओर..... काव्या डिनर के बाद आइसक्रीम के लिए कहती है तो वीर उसे लाकर देता है और कहता है गाड़ी में ही खा लेना.... "चलो जल्दी बैठो यशस्वी के पापा चिंता कर रहे होंगे !!"
यहां ये तीनों खाना खत्म करते है तभी डोरबेल बजती है और जब रिया गेट खोलती है तो काव्या ,यशस्वी और वीर अंदर आ जाते है....
काव्या शॉपिंग बैग्स को दूर रखते हुए रिया को आइसक्रीम पकड़ती है .... तभी यशस्वी "अरे पापा आप यहां"...
वीर: नमस्ते अंकल.....और काव्या भी उन्हें नमस्ते करती है..
थोड़ी देर बातचीत के बाद अशोक उनसे विदा लेता है और वीर छत पर चला जाता है
वीर :.... हां यही काम है और मुझे तुम्हारी जरूरत है!!
लड़की : 10 लाख
वीर : ठीक है
लड़की : ओके डन!!
(अब ये नई लड़की कौन है?? और वो लड़का कौन था??जिसे वीर ने काव्या का ध्यान रखने के लिए कहा था सब आगे ...)
फिर वीर नीचे आता और बेडरूम में पहुंचता है तो काव्या बाथरूम में थी जैसे ही वो बाहर आती है, वीर उसे दीवार से लगा देता है और कहता है....सुबह, जब से तुम्हे कॉलेज ड्रेस में देखा है कंट्रोल किए हुए हूं, उपर से अब ये नाईटी...... बस..... अब और नहीं!!
वीर उसे जोरों से किस करने लगता है साथ ही नाइटी की डोरी खींचते हुए उसे खोल देता है ..... वीर जैसे ही काव्या के बूब्स को तेजी से दबाता है काव्या आआह्ह करके वीर को जोर से भींच लेती है जिससे वीर उसे और तेजी से किस करने लगता है और उसके गले पर छाती पर बोहोत सारे लव बाइट देता है !
फिर वीर जैसे ही पूरी नाईटी अलग करता है वोअह्ह्!! काव्या उसके सामने ब्लैक ब्रा और पैंटी में थी, बोहोत खूबसूरत उसके गोरे बदन पे ये काली ब्रा उसपर चार चांद लगा रही थी........वीर घुटनो पर बैठता है और सीधा अपना मुंह पेटी के ऊपर रख देता है; काव्या उम्म्म... स्सस...करती है, और वीर किस करते हुए पेंटी उतार देता है, काव्या तो अपनी टांगे सिकोड़ लेती है लेकिन वीर उसकी जांघों को सहलाते हुए उन्हे अलग करता है और चूत चाटने लगता है काव्या आउच.... अअह्ह्ह्ह... अम्म्म करते हुए उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबाने लगती है अअह्ह्ह....आईसास्स.... उम्म्म थोड़ी ही देर में वीर की लार से उसकी चूत चमकने लगती है और वीर उठते हुए उसके गोरे बदन से ब्रा को अलग कर देता है और उसके बूब्स चूसने और काटने लगता है
काव्या अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह... आइस्स्स और उसके सिर को जोरों से अपने बूब्स पर दबाती है.... जब वीर उसके सिर पर हाथ रखते हुए उसे दबाता है तो वो नीचे बैठ जाती है और वीर के लंड को चूसने लगती है जैसे ही लंड थोड़ा सा चिकना होता है वीर उसके मुंह को ही चोदने लगता है..... काव्या अग्ग्घह..... अग्ग्घ.... अर्रर करती है और वीर तब तक नहीं रुकता जब तक काव्या उसकी जांघ पर हाथ नही मारने लगती
वीर जैसे ही लंड को बाहर निकलता काव्या के मुंह से एक लार की डोरी जैसी संरचना बाहर आती है और वो तेजी से सांस लेने लगती है....
जब वह शांत हो जाती है तो वीर उसे खड़ा करता है और उसकी एक टांग को अपने हाथ में उठा लेता है... काव्या अह्ज्ज मैं गिर जाऊंगी .... पर वीर उसकी एक नही सुनता और अपना लंड उसकी चूत पर लगा देता है फिर एक ही झटके में आधा लंड अंदर और..... काव्या अज्झ....अह्ह्ह... अज्जज... थोड़ा....आआ धीरे लेकिन वीर उसकी गर्दन पर अपने दूसरे हाथ की ग्रिप टाइट करते हुए एक और धक्का लगाता है तो उसका पूरा का पूरा लंड अंदर हो जाता है .....
काव्या उसके कंधे पर दांत गडा कर अपने आपको शांत करती है और उसे थोड़ा रुकने को कहती है
थोड़ी ही देर में वीर तेजी से धक्के लगाने लगता है और काव्या अअह्ह्ह्ह....अम्ममम्म और जज्ज जोर से ........ अह्ह्ह मज़ा आआ आह्ह्ह्ह रहा है.... आह्ह्ह्ह... अःह्ह्ह्ह... उम्मम्म.... आऊच..... ओ....बाबा ..... रे.. अःह्ह्ह..... हम्म्म प्लीज़.... बब्ब.. बेड पर....चलो..., अह्ह्ह्ह अब अअह्ह्ह्ह और खड़ा.... नन्नाही रहा जज्जज...ता
तो वीर उसे उठाकर टेबल के सहारे लगा देता है और उसके पीछे आते ही उसकी गांड पर दो चार थप्पड़ मारता है ....फिर उसकी पीठ पर अपने दांत गडा देता है और अपने लंड को पीछे से उसकी चूत पर रगड़ने लगता है और जब काव्या काफी गरम होके उसे डालने को कहती है तो एक और चुदाई का घमासान राउंड चलता है..... काव्या तो अब थक चुकी थी ....तो वो कहती है बस अब नहीं.... वीर थोड़ी देर रुकता है.... लेकिन फिर से उसकी गांड़ पर थप्पड़ मारते हुए उसे टेबल पर झुका देता है और अपना लंड काव्या की गांड पर सेट करते हुए एक धक्का लगाता है ....अभी भी काव्या की गांड का छेद काफी टाइट था इसलिए लंड केवल 2 इंच अंदर जाता है और काव्या अअह्ह्ह..... जोर से चिल्लाती है
वीर आगे की तरफ झुकते हुए उसके कंधों को पकड़ कर फिर से एक जोर का झटका देता है तो लंड 4 इंच और अंदर चला जाता
काव्या अःह्ह्ह... न्नन....नही बब्ब... बस कक्क...करो दर्द हो ...र्रार रहा है लेकिन अभी भी वीर का लंड 2.5 बाहर था लेकिन वह उतने से अंदर बाहर करने लगता है ... अब काव्या अह्ह्ह्ह..... अह्ह्ह्ह....... अम्म्म करने लगती है वीर जैसे ही देखता है काव्या को मजा आने लगा है तो एक आखिरी धक्का लगाता है और पूरा का पूरा लंड अंदर.... काव्या बोहोत जोर से चिल्लाती है अह्ह्ह्ह.... और अपने हाथों को टेबल पर पटकने लगती है....
वीर उसके बालो को पकड़ कर तेजी से धक्के लगाना शुरू करता है और काव्या अह्ह्ह्ह ... अह्ह्ह साथ ही उसे गांड पर थप्पड़ भी पड़ रहे थे जिससे वह और भी चिल्ला रही थी अह्ह्ह्ह..... धध्ध...धीरे ....धीरे
अब वीर झड़ने के करीब था...
वही रंभा कमरे के बाहर पानी लेने आई थी तो उसे हल्की सी सिसकी सुनाई देती है
तो वो मुस्कुराते हुए कहती है ये बच्चे भी न और अंदर चली जाती है.....
यहां वीर झड़ने के करीब था इसीलिए और तेजी से धक्के लगाता है और फिर उसकी पीठ पर गिरकर हांफने लगता है .....जब दोनो थोड़ा शांत होते है तो वीर उसे लाकर बिस्तर पर लिटा देता है
काव्या उससे चिपक जाती है और बोलती लव यू हबी....और दोनो एक दूसरे को गले लगाकर सो जाते है
Aage ki kahani jaanne ke liye bane rahiye
Thank you