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Romance Three Idiot's

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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कहां हम मोहन को एक नम्बर का बकलोल और बेवकूफ समझ रहे थे और कहां ये तो बड़ा ही चतुर - चालक निकला ! बड़ी आसानी से एक जवान छोरी से ओपनली अश्लील बातें कर गया।
ऐसा जिगरा तो बड़े - बड़े तुर्रम खान के पास नही होता। और हमारी शालू भी तो कितनी प्रेम से उसकी इन अश्लील बातों को सुन भी रही है और जबाव भी दे रही है।
Uska bebaak andaz aur pichhwade ki khujli kuch na kuch usse karwayegi hi...
ये लड़का भले ही एक बार और मार खा ले लेकिन उसके पहले किसी न किसी महिला को जरूर अपने नीचे ला पटकेगा। अब वो शालू होगी या उसकी मां कमला और या फिर प्रीतो , ये देखना है ! :D
:laughing: Ab ye to aane wala wakt hi batayega ki wo kisi ko apne niche la payega ya sirf kutega :D
शानदार और कॉमेडी से भरपूर अपडेट शुभम भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
Thanks
 
Last edited:

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Wah The_InnoCent Shubham Bhai,

Dono hi updates ek dum dhansu he.............jaha preeto ne aakar joginder ki khatiya khadi kar di.............wahi lage haath uski bhi jaan atki padi he ki agar preeto ko kamla aur uske baare pata chal gaya to kya hoga...........
Jogindar filhal apni biwi se daba hua hai kamla se apne najayaz relationship ki vajah se. Udhar preeto ke man me kya hai ye aage pata chal hi jayega...
Mohan he to vaise daring wala aadmi, preeto par bhi dil luta raha he aur sath hi sath shaalu ke sath bhi khullam khull chance maar raha he.........
Kya kare ladki athwa aurat jaat ka asar hi aisa hota hai laundo par :D
Keep posting Bhai
Thanks
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Nice and lovely update
मोहन कितनी भी मार खा ले लेकिन ये कभी नहीं सुधर सकता । मानना पड़ेगा बंदे में जिगरा है शालू से सीधा अश्लील बाते कर रहा है प्रीतो को भी घूर रहा था।शालू भी मोहन की अश्लील बातो का बड़े प्यार से जवाब दे रही है लेकिन शालू ने बेचारे की इज्जत का कचरा कर दिया अब देखते हैं ये शालू को अपनी मार खाने की क्या वजह बताता है
Jald hi pata chalega..
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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Update - 14
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"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" शालू उसकी बात सुन कर आश्चर्य से बोल पड़ी____"मेरी अम्मा ने तुम्हें पिटवाया? नहीं नहीं, झूठ बोल रहे हो तुम? वो भला क्यों तुम लोगों को पिटवाएगी?"

शालू ने ये पूछा तो एकदम से मोहन के मन में कई सारे ख़याल उभरने लगे और फिर अचानक ही बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कोई पिलान आ गया। मोहन मन ही मन बड़ा खुश हुआ और सोचा____'बेटीचोद ये तो झक्कास पिलान है लौड़ा।'
अब आगे....


"यार ये तो ग़ज़ब ही हो गया।" प्रीतो किसी काम से तबेले से बाहर गई तो मंगू झट से बबलू के पास आ कर बोला____"तूने देखा न मालकिन ने कमला की बेटी को उस नमूने मोहन के पास भेज दिया है। ये कह कर कि वो वहां जा कर बर्तन धोने में उसकी मदद करे।"

"हां देखा है मैंने।" बबलू ने थोड़ा चिंतित भाव से कहा____"शालू गई तो है उस नमूने के पास लेकिन मुझे डर है कि वो नमूना अपनी ऊटपटांग हरकतों से कहीं कोई गड़बड़ न कर दे। साले का कोई भरोसा नहीं है। कल भी वो शालू को देख के हीरो बन कर गाना गा रहा था और अब तो वो उसके पास ही बर्तन धोते हुए रहेगी। इस लिए पक्का वो कोई न कोई हरकत करेगा।"

"यही तो मैं भी सोच रहा हूं।" मंगू ने कहा____"वो साला पक्का शालू के साथ कोई न कोई उटपटांग हरकत करेगा जिसके चलते निश्चित ही उसकी कुटाई होगी।"

"मरने दो साले को।" बबलू ने कहा____"उस बैल बुद्धि को समझाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जैसा करेगा वैसा भुगतेगा भी। वैसे मुझे लग रहा है कि इस बार वो बिरजू के हाथों ही कुटेगा।"

"हां सही कह रहा है तू।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"उसकी माल पर लाइन मारेगा तो बिरजू तो कूटेगा ही उसको। वैसे मैं ये सोच के हैरान हूं कि मालकिन ने शालू को उस नमूने की मदद करने के लिए उसके पास क्यों भेजा होगा?"

"क्या मतलब है तेरा?" बबलू के माथे पर शिकन उभर आई, बोला____"अबे उसकी मर्ज़ी थी इस लिए भेज दिया और क्या।"
"चल मान लिया कि उसकी मर्ज़ी थी।" मंगू ने कहा____"मगर शालू को ही क्यों? मोहन के साथियों को क्यों नहीं भेजा?"

"आख़िर कहना क्या चाहता है तू?" बबलू ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।
"भाई मुझे तो इसमें कोई लोचा लग रहा है।" मंगू ने दृढ़ता से कहा____"इतना तो मालकिन को भी पता है कि शालू एक जवान लड़की है और मोहन भी। उसे ये भी पता है कि एक लड़का और एक लड़की जब अकेले होते हैं तो पक्का ग़लत काम को अंजाम देने की कोशिश शुरू हो जाती है। अब सोचने वाली बात है कि ये सब समझते हुए भी मालकिन ने शालू को उस नमूने के पास क्यों भेज दिया? जबकि वो उसके साथियों को भी भेज सकती थी। क्या तुझे इसमें कोई झोल नहीं लग रहा?"

"बात तो तेरी ठीक है।" बबलू ने सिर हिलाते हुए कहा____"मगर क्या झोल हो सकता है इसमें?"
"मुझे तो लग रहा है कि मालकिन ने जान बूझ कर शालू को मोहन के पास भेजा है।" मंगू ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा____"शायद वो चाहती है कि शालू और मोहन के बीच में कोई गड़बड़ वाला काम हो।"

"अबे ये क्या बकवास कर रहा है तू?" बबलू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"नहीं नहीं, अपनी मालकिन जान बूझ कर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती। तेरे दिमाग़ में पता नहीं कहां से ऐसी उटपटांग बातें आ जाती हैं। चल अब बकवास न कर और दूध निकाल। मालकिन आती ही होगी।"

इसके बाद दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों दूध निकालने के काम पर लग गए। प्रीतो तबेले में आई और एक बाल्टी ले कर भैंस के पास बैठ कर उसका दूध निकालने लगी।

[][][][][]

"क...क्या सोचने लगे तुम?" मोहन को कहीं खोया देख शालू ने व्याकुलता से पूछा____"अब बताओ न, मेरी मां भला क्यों पिटवायेगी तुम्हें?"

"अबे मत पूछ।" मोहन ने कहा___"तू सुन नहीं पाएगी।"
"क्यों नहीं सुन पाऊंगी मैं?" शालू के चेहरे पर बड़े ही अजीब से भाव उभर आए थे____"मैं जानना चाहती हूं कि आख़िर मेरी मां ने किस वजह से तुम्हें पिटवाया?"

"क्या सच में तू जानना चाह रेली है?" मोहन ने जैसे उसे परखना चाहा।
"हां मैं जानना चाहती हूं।" शालू ने उसी व्याकुलता से कहा___"मुझे विश्वास नहीं हो रहा तुम्हारी बात पर।"

"लौड़ा अपन को भी नहीं हो रेला था।" मोहन अपनी आदत से मजबूर झोंक में बोल पड़ा___"पर अपन ने तो अपनी आंखों से देखेला था इस लिए यकीन तो करनाइच पड़ा अपन को।"

"क...क्या देखा था तुमने?" शालू की धड़कनें एकाएक ही तेज़ हो ग‌ईं____"साफ साफ बताओ आख़िर बात क्या है?"

"देख अपन टपोरी टाइप ज़रूर है।" मोहन ने कहा____"पर अपन ने अख्खा लाइफ़ में कभी झूठ नहीं बोलेला है। तू पूछ रेली है इस लिए अपन तेरे को सच बता रेला है। अपन तीन दोस्त हैं जो हमेशा साथ में ही रहते हैं। अपन लोग कुछ दिन पहले इस तबेले में आएले थे। बेटीचोद भूख से मर रेले थे अपन लोग। जब अपन की नज़र इस तबेले में पड़ी तो अपन लोग ये सोच के खुश हो ग‌एले थे कि इधर अपन लोग को खाने पीने का कोई जुगाड़ हो ही जाएगा। साला अपन लोग थोड़ा भेजे से सटकेले हैं तो अपन लोग को समझ में नहीं आ रेला था कि इधर खाने पीने का कैसे जुगाड़ बनाएं? तभी अपन लोग की नज़र तबेले के पीछे पड़ी। अपन सच बोल रेला है, अपन लोग ने उधर जो देखेला था उसको देख के अपन लोग को बिजली के माफिक ज़ोर का झटका लग ग‌एला था। अपन लोग ने देखा कि तबेले के पीछे अपन के जैसा ही एक लड़का एक औरत को चिपकाएला था और तो और लौड़ा उस औरत के बड़े बड़े दुधू भी दबाए जा रेला था।"

"छी कितने गंदे हो तुम।" शालू एकदम से हड़बड़ा कर बोल पड़ी____"मुझे नहीं सुननी तुम्हारी ये बेहूदा बातें।"

"अबे तेरे को ही तो जानने का था कि अपन को तेरी मां ने क्यों कुटवाएला था?" मोहन ने अपने ही अंदाज़ में कहा।

"तो ये तुम मेरी मां के बारे में बता रहे हो?" शालू ने उसे घूरते हुए कहा____"या मुझसे बेहूदा बातें कर रहे हो। बहुत गंदे हो तुम, तुम्हारी शिकायत करूंगी मालकिन से।"

"जा कर दे।" मोहन ने तैश में आ कर हाथ झटकते हुए कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। लौड़ा अपन सच बोलता है तब भी अपन की पेलाई करवा देते हैं बेटीचोद।"

शालू उसके मुख से ऐसी गन्दी गालियां सुन कर कुछ ज़्यादा ही असहज हो गई। उसे समझ न आया कि अब वो क्या कहे उससे लेकिन वो ये ज़रूर सोचने लगी थी कि अगर ये सच बोलता है तो इसकी कुटाई क्यों करवाते हैं? आख़िर वो कैसा सच है जिसके लिए उसे मार पड़ गई? शालू के भोले मन में एकदम से इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई। दूसरी तरफ वो ये भी जानना चाहती थी कि उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"फ...फिर क्या हुआ था?" शालू ने झिझकते हुए उसकी तरफ देख कर पूछा____"देखो मैं सिर्फ ये जानना चाहती हूं कि मेरी मां ने तुम्हारी कुटाई क्यों करवाई?"

"अबे अपन वही तो बता रेला था।" मोहन ने तपाक से कहा____"तुझे ही नहीं सुनने का है तो अपन क्या करे?"

"हां तो मुझे वो सब गंदी बातें नहीं सुननी हैं।" शालू ने नज़रें झुकाए हुए कहा____"मुझे सिर्फ अपनी मां के बारे में सुनना है कि उसने क्यों तुम्हारी कुटाई करवाई?"

"लो कर लो बात।" मोहन ने जैसे सिर पीटते हुए कहा____"अबे तेरे भेजे में भेजा है कि नहीं या जगन की तरह तेरा भेजा भी खाली है?"
"ज...जगन कौन?" शालू के मुख से जैसे अनायास ही निकल गया।

"अबे वो एक नंबर का शून्य बुद्धि है।" मोहन ने एकाएक सीना चौड़ा करते हुए कहा____"अपने दो दोस्तों में एक अपन ही है जिसके पास भेजा नाम की चीज़ है, समझी क्या?"

मोहन का बर्ताव देख शालू के होठों पर एकदम से मुस्कान उभर आई लेकिन फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कान को छुपा लिया। उसे अब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था कि मोहन किस तरह का लड़का है।

"त..तो अब बताओ कि मेरी मां ने क्यों पिटवाया था तुम्हें?" शालू ने अजीब भाव से उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

"हां तो अपन बता रेला था कि वो लड़का उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाए जा रेला था।" मोहन ने बिना झिझक के इस तरह बताना शुरू किया जैसे वो कोई बहुत ही दिलचस्प कहानी सुना रहा हो____"बेटीचोद अपन लोग की तो ये नज़ारा देख आंखें ही फट ग‌एली थीं। अम्मा क़सम उस वक्त अपन लोग भी ये दुआ कर रेले थे कि उस लड़के के माफिक अपन लोग को भी उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाने को मिल जाएं तो मज़ा ही आ जाए पर लौड़ा अपन लोग के नसीब में ऐसे मज़े कहां।"

"छी छी, कितनी गंदी बातें बता रहे हो तुम।" शालू शर्म से पानी पानी हो गई थी और जब उससे बर्दास्त न हुआ तो बोल पड़ी____"तुम्हें क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती ऐसी बातें बताने में?"

"अबे शर्म तो औरतों को आती है।" मोहन ने बड़े शान से कहा____"जैसे अभी तेरे को आ रेली है। अपन तो मर्द फिलम के हीरो के माफिक मर्द है।"

"हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं।" शालू ने बुरा सा मुंह बना कर कहा____"अगर तुम्हें बताना है तो ढंग से बताओ वरना जाने दो। मुझे नहीं जानना कुछ।"

"बेटीचोद एकदम सही सुनेला है अपन ने। लड़की लोग बहुत भाव खाती हैं लौड़ा।" मोहन ने कनस्तर को उठा कर शालू की तरफ रख दिया फिर बोला___"चल ठीक है। तू इतना ही ज़ोर दे रेली है तो अपन बता देता है तेरे को।"

"मुझे नहीं जानना कुछ।" शालू ने कनस्तर को पकड़ कर उसे धोते हुए कहा___"कितना गन्दा बोलते हो। लड़की से बात करने की तमीज ही नहीं है तुम्हारे पास।"

"कमीज़???" मोहन झट से बोल पड़ा____"अबे अपन कमीज़ का क्या करेगा? वैसे कमीज़ तो तेरे पास भी नहीं है। अपन ने देखा था तूने अंदर कुछ नहीं पहना था और तेरे दूधू फोकट में हिल रेले थे।"

मोहन की बात सुन कर शालू भौचक्की सी उसे देखती रह गई। फिर एकदम से उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आई और उसने अपना सिर झुका लिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था मोहन पर लेकिन वो ये भी समझ रही थी कि ऐसे बेशर्म लड़के को कुछ कहने का भी कोई फ़ायदा नहीं है। वो चाहती थी कि जल्द से जल्द बर्तन धुल जाएं ताकि वो जल्दी से यहां से भाग जाए।

"वैसे अपन अम्मा बापू की क़सम खा के बोल रेला है।" शालू को शर्म से सिर झुकाए देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"तू शर्माते हुए और भी झक्कास लग रेली है। एकदम फिलम की हिरोइन के माफिक।"

"चुप करो तुम।" शालू ने झटके से सिर उठा कर उसकी तरफ गुस्से से देखा____"तुम्हारी बेहूदा बातें नहीं सुनना चाहती मैं। जल्दी जल्दी बर्तन मांज दो ताकि मैं धो कर यहां से जल्दी जा सकूं और तुमसे पूछा छूटे मेरा।"

'बेटीचोद लगता है भारी गड़बड़ हो गएली है अपन से।" मोहन ने मन ही मन सोचा____"लौड़ा ये तो गुस्सा हो ग‌एली है अपन से। अपन को जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा वरना बिरजू गुरु का माल अपन के हाथ से रेत के माफिक फिसल जाएगा।'

"अच्छा माफ़ कर दे अपन को।" मोहन ने अपने कान पकड़ते हुए कहा____"अपन को सच में बात करने का कमीज़....अपन का मतलब है कि तमीज नहीं है। अख्खा लाइफ़ में अपन लोग ने कभी किसी लड़की से बात ही नहीं कियेला है इस लिए अपन को मालूम ही नहीं कि कैसे किसी लड़की से बात करने का है?"

मोहन की बात सुन शालू ने सिर उठा कर एक नज़र मोहन की तरफ देखा। मोहन के चेहरे पर इस वक्त भोलापन देख शालू का गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ जिसके बारे में उसे भी समझ न आया।

"अब अपन तेरे से कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने एक मध्यम आकार के कनस्तर को मांजते हुए कहा____"अपन की बात सुन के तेरे को बुरा लगा तो अपन को भी अब बुरा लग रेला है।"

कहने के साथ ही मोहन कनस्तर को जल्दी जल्दी मांजने लगा। इस वक्त सच में उसे बुरा ही लग रहा था। पहले उसे लग रहा था कि वो किसी न किसी तरह शालू को फांस ही लेगा मगर अब जब उसने शालू को गुस्सा हो गया देखा तो उसे बुरा सा लगने लगा था। वो शालू को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उसे एकदम से ख़ामोश हो गया देख शालू को बड़ी हैरानी हुई। उसे यही लग रहा था कि वो फिर से अपनी गंदी बातें शुरू कर देगा किंतु वो तो चुप ही हो गया था। उसे याद आया कि मोहन ने उसकी मां के बारे में कहा था कि उसी ने उसे कुटवाया था। शालू सोचने लगी कि आख़िर उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"क्या तुम ये नहीं बताओगे कि मेरी मां ने तुम्हें क्यों पिटवाया था?" शालू ने अपनी मां के बारे में जानने की उत्सुकता के चलते पूछा।

"ना, अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा____"अपन को बोलने का तमीज नहीं है। साला फिर से कुछ उल्टा पुल्टा अपन के मुख से निकल गया तो तू अपन को फिर से बेशर्म बोलेगी और अपन पर गुस्सा हो जाएगी। इस लिए अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।"

"क्या तुम सबसे ऐसे ही बातें करते हो?" शालू ने उत्सुकतावश पूछा।
"अपन को ऐसे ही बात करना आता है तो क्या करे?" मोहन ने कहा___"साला बचपन में ही अपन लोग के अम्मा बापू मर गएले थे तो अपन लोग ऐसे ही पता नहीं किधर किधर भटकते रहे। अपन लोग के नसीब में कभी अच्छे लोग आएले ही नहीं जो अपन लोग को तमीज से बात करना सिखाते।"

मोहन थोड़ा भावुक सा हो गया था और ये उसके चेहरे पर भी दिखने लगा था जिसे देख शालू को बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। उसे मोहन से थोड़ी सहानुभूति सी हुई। उसके सीने में धड़कते हुए दिल में अजीब सी हलचल भी हुई।

"अबे तू यहां बातें पेल रेला है और उधर उस्ताद की बीवी कनस्तर का पूछ रेली है।" संपत आते ही मोहन पर एकदम से चिल्ला उठा____"जल्दी से कनस्तर धो के दे वरना वो अपन लोग की बिना तेल लगाए ही गां....।"

"कमीज़ से बात कर बे।" संपत की बात पूरी होने से पहले ही मोहन हड़बड़ा कर जल्दी से बोल पड़ा।
"अबे कमीज़ से कौन बात करता है लौड़े?" संपत ने हैरानी से उसे देखा तो मोहन को एहसास हुआ कि उसने जल्दी में क्या बोल दिया था।

उधर शालू इन दोनों की बातें सुन कर पहले तो हड़बड़ा गई थी फिर एकदम से उसके होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे उसने जल्दी से सिर झुका कर छुपा लिया। दूसरी तरफ जगन ख़ामोशी से शालू को ही देखे जा रहा था।

"अबे वो जल्दी में अपन के मुख से निकल गएला था।" मोहन ने बात को सम्हालते हुए कहा____"अपन ये बोल रेला है कि लड़की के सामने तमीज से बोलने का, समझा क्या?"

"हां हां अपने बाप को मत सिखा लौड़े।" संपत ने हाथ झटकते हुए लापरवाही से कहा___"अब चल जल्दी जल्दी हाथ मार और कनस्तर धो वरना तेरे को को पता है ना कि अपन लोग के साथ क्या होएगा?"

"अबे आज इतना टाइम क्यों लगाया बे तूने?" जगन ने मोहन को घूरते हुए कहा____"लौड़ा हर रोज़ तो जल्दी धो डालता था न?"

"तेरे को क्या पिराब्लम है बे?" मोहन खिसियाते हुए बोल पड़ा____"तू जा न लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो अपन गांड़ फाड़ देगा तेरी।" जगन ने गुस्से में आ कर कहा____"बेटीचोद लड़की के सामने नाटक पेल रेला है अपन से। जल्दी धो वरना यहीं पेल देगा अपन तेरे को।"

"अब तो घंटा नहीं धोएगा अपन।" शालू के सामने अपनी इज्ज़त का कचरा होते देख मोहन गुस्से में चीख ही पड़ा____"तेरे को जो उखाड़ना है उखाड़ ले अपन का।"

मोहन की बात सुन कर जगन अभी उस पर झपट ही पड़ने वाला था कि संपत ने पकड़ लिया उसे। उधर इन तीनों का ये बवाल देख शालू बुरी तरह घबरा गई थी। पहले तो उसे हंसी आ रही थी तीनों की बातें सुन कर किंतु अब जब उसने देखा कि तीनों लड़ ही पड़ेंगे तो उसकी भी सांसें अटक गईं थी। संपत ने ऐन मौके पर माहौल की नज़ाकत को समझ लिया और उसने लड़ाई होने से बचा लिया। उसने नर्मी से समझा कर मोहन को बर्तन धोने के लिए मनाया और फिर वो जगन को ले दूर जा कर बैठ गया। उन दोनों के जाते ही मोहन ने एक नज़र शालू को देखा और फिर जल्दी जल्दी कनस्तर को मांजने लगा।

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parkas

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Update - 14
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"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" शालू उसकी बात सुन कर आश्चर्य से बोल पड़ी____"मेरी अम्मा ने तुम्हें पिटवाया? नहीं नहीं, झूठ बोल रहे हो तुम? वो भला क्यों तुम लोगों को पिटवाएगी?"

शालू ने ये पूछा तो एकदम से मोहन के मन में कई सारे ख़याल उभरने लगे और फिर अचानक ही बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कोई पिलान आ गया। मोहन मन ही मन बड़ा खुश हुआ और सोचा____'बेटीचोद ये तो झक्कास पिलान है लौड़ा।'
अब आगे....


"यार ये तो ग़ज़ब ही हो गया।" प्रीतो किसी काम से तबेले से बाहर गई तो मंगू झट से बबलू के पास आ कर बोला____"तूने देखा न मालकिन ने कमला की बेटी को उस नमूने मोहन के पास भेज दिया है। ये कह कर कि वो वहां जा कर बर्तन धोने में उसकी मदद करे।"

"हां देखा है मैंने।" बबलू ने थोड़ा चिंतित भाव से कहा____"शालू गई तो है उस नमूने के पास लेकिन मुझे डर है कि वो नमूना अपनी ऊटपटांग हरकतों से कहीं कोई गड़बड़ न कर दे। साले का कोई भरोसा नहीं है। कल भी वो शालू को देख के हीरो बन कर गाना गा रहा था और अब तो वो उसके पास ही बर्तन धोते हुए रहेगी। इस लिए पक्का वो कोई न कोई हरकत करेगा।"

"यही तो मैं भी सोच रहा हूं।" मंगू ने कहा____"वो साला पक्का शालू के साथ कोई न कोई उटपटांग हरकत करेगा जिसके चलते निश्चित ही उसकी कुटाई होगी।"

"मरने दो साले को।" बबलू ने कहा____"उस बैल बुद्धि को समझाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जैसा करेगा वैसा भुगतेगा भी। वैसे मुझे लग रहा है कि इस बार वो बिरजू के हाथों ही कुटेगा।"

"हां सही कह रहा है तू।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"उसकी माल पर लाइन मारेगा तो बिरजू तो कूटेगा ही उसको। वैसे मैं ये सोच के हैरान हूं कि मालकिन ने शालू को उस नमूने की मदद करने के लिए उसके पास क्यों भेजा होगा?"

"क्या मतलब है तेरा?" बबलू के माथे पर शिकन उभर आई, बोला____"अबे उसकी मर्ज़ी थी इस लिए भेज दिया और क्या।"
"चल मान लिया कि उसकी मर्ज़ी थी।" मंगू ने कहा____"मगर शालू को ही क्यों? मोहन के साथियों को क्यों नहीं भेजा?"

"आख़िर कहना क्या चाहता है तू?" बबलू ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।
"भाई मुझे तो इसमें कोई लोचा लग रहा है।" मंगू ने दृढ़ता से कहा____"इतना तो मालकिन को भी पता है कि शालू एक जवान लड़की है और मोहन भी। उसे ये भी पता है कि एक लड़का और एक लड़की जब अकेले होते हैं तो पक्का ग़लत काम को अंजाम देने की कोशिश शुरू हो जाती है। अब सोचने वाली बात है कि ये सब समझते हुए भी मालकिन ने शालू को उस नमूने के पास क्यों भेज दिया? जबकि वो उसके साथियों को भी भेज सकती थी। क्या तुझे इसमें कोई झोल नहीं लग रहा?"

"बात तो तेरी ठीक है।" बबलू ने सिर हिलाते हुए कहा____"मगर क्या झोल हो सकता है इसमें?"
"मुझे तो लग रहा है कि मालकिन ने जान बूझ कर शालू को मोहन के पास भेजा है।" मंगू ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा____"शायद वो चाहती है कि शालू और मोहन के बीच में कोई गड़बड़ वाला काम हो।"

"अबे ये क्या बकवास कर रहा है तू?" बबलू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"नहीं नहीं, अपनी मालकिन जान बूझ कर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती। तेरे दिमाग़ में पता नहीं कहां से ऐसी उटपटांग बातें आ जाती हैं। चल अब बकवास न कर और दूध निकाल। मालकिन आती ही होगी।"

इसके बाद दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों दूध निकालने के काम पर लग गए। प्रीतो तबेले में आई और एक बाल्टी ले कर भैंस के पास बैठ कर उसका दूध निकालने लगी।

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"क...क्या सोचने लगे तुम?" मोहन को कहीं खोया देख शालू ने व्याकुलता से पूछा____"अब बताओ न, मेरी मां भला क्यों पिटवायेगी तुम्हें?"

"अबे मत पूछ।" मोहन ने कहा___"तू सुन नहीं पाएगी।"
"क्यों नहीं सुन पाऊंगी मैं?" शालू के चेहरे पर बड़े ही अजीब से भाव उभर आए थे____"मैं जानना चाहती हूं कि आख़िर मेरी मां ने किस वजह से तुम्हें पिटवाया?"

"क्या सच में तू जानना चाह रेली है?" मोहन ने जैसे उसे परखना चाहा।
"हां मैं जानना चाहती हूं।" शालू ने उसी व्याकुलता से कहा___"मुझे विश्वास नहीं हो रहा तुम्हारी बात पर।"

"लौड़ा अपन को भी नहीं हो रेला था।" मोहन अपनी आदत से मजबूर झोंक में बोल पड़ा___"पर अपन ने तो अपनी आंखों से देखेला था इस लिए यकीन तो करनाइच पड़ा अपन को।"

"क...क्या देखा था तुमने?" शालू की धड़कनें एकाएक ही तेज़ हो ग‌ईं____"साफ साफ बताओ आख़िर बात क्या है?"

"देख अपन टपोरी टाइप ज़रूर है।" मोहन ने कहा____"पर अपन ने अख्खा लाइफ़ में कभी झूठ नहीं बोलेला है। तू पूछ रेली है इस लिए अपन तेरे को सच बता रेला है। अपन तीन दोस्त हैं जो हमेशा साथ में ही रहते हैं। अपन लोग कुछ दिन पहले इस तबेले में आएले थे। बेटीचोद भूख से मर रेले थे अपन लोग। जब अपन की नज़र इस तबेले में पड़ी तो अपन लोग ये सोच के खुश हो ग‌एले थे कि इधर अपन लोग को खाने पीने का कोई जुगाड़ हो ही जाएगा। साला अपन लोग थोड़ा भेजे से सटकेले हैं तो अपन लोग को समझ में नहीं आ रेला था कि इधर खाने पीने का कैसे जुगाड़ बनाएं? तभी अपन लोग की नज़र तबेले के पीछे पड़ी। अपन सच बोल रेला है, अपन लोग ने उधर जो देखेला था उसको देख के अपन लोग को बिजली के माफिक ज़ोर का झटका लग ग‌एला था। अपन लोग ने देखा कि तबेले के पीछे अपन के जैसा ही एक लड़का एक औरत को चिपकाएला था और तो और लौड़ा उस औरत के बड़े बड़े दुधू भी दबाए जा रेला था।"

"छी कितने गंदे हो तुम।" शालू एकदम से हड़बड़ा कर बोल पड़ी____"मुझे नहीं सुननी तुम्हारी ये बेहूदा बातें।"

"अबे तेरे को ही तो जानने का था कि अपन को तेरी मां ने क्यों कुटवाएला था?" मोहन ने अपने ही अंदाज़ में कहा।

"तो ये तुम मेरी मां के बारे में बता रहे हो?" शालू ने उसे घूरते हुए कहा____"या मुझसे बेहूदा बातें कर रहे हो। बहुत गंदे हो तुम, तुम्हारी शिकायत करूंगी मालकिन से।"

"जा कर दे।" मोहन ने तैश में आ कर हाथ झटकते हुए कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। लौड़ा अपन सच बोलता है तब भी अपन की पेलाई करवा देते हैं बेटीचोद।"

शालू उसके मुख से ऐसी गन्दी गालियां सुन कर कुछ ज़्यादा ही असहज हो गई। उसे समझ न आया कि अब वो क्या कहे उससे लेकिन वो ये ज़रूर सोचने लगी थी कि अगर ये सच बोलता है तो इसकी कुटाई क्यों करवाते हैं? आख़िर वो कैसा सच है जिसके लिए उसे मार पड़ गई? शालू के भोले मन में एकदम से इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई। दूसरी तरफ वो ये भी जानना चाहती थी कि उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"फ...फिर क्या हुआ था?" शालू ने झिझकते हुए उसकी तरफ देख कर पूछा____"देखो मैं सिर्फ ये जानना चाहती हूं कि मेरी मां ने तुम्हारी कुटाई क्यों करवाई?"

"अबे अपन वही तो बता रेला था।" मोहन ने तपाक से कहा____"तुझे ही नहीं सुनने का है तो अपन क्या करे?"

"हां तो मुझे वो सब गंदी बातें नहीं सुननी हैं।" शालू ने नज़रें झुकाए हुए कहा____"मुझे सिर्फ अपनी मां के बारे में सुनना है कि उसने क्यों तुम्हारी कुटाई करवाई?"

"लो कर लो बात।" मोहन ने जैसे सिर पीटते हुए कहा____"अबे तेरे भेजे में भेजा है कि नहीं या जगन की तरह तेरा भेजा भी खाली है?"
"ज...जगन कौन?" शालू के मुख से जैसे अनायास ही निकल गया।

"अबे वो एक नंबर का शून्य बुद्धि है।" मोहन ने एकाएक सीना चौड़ा करते हुए कहा____"अपने दो दोस्तों में एक अपन ही है जिसके पास भेजा नाम की चीज़ है, समझी क्या?"

मोहन का बर्ताव देख शालू के होठों पर एकदम से मुस्कान उभर आई लेकिन फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कान को छुपा लिया। उसे अब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था कि मोहन किस तरह का लड़का है।

"त..तो अब बताओ कि मेरी मां ने क्यों पिटवाया था तुम्हें?" शालू ने अजीब भाव से उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

"हां तो अपन बता रेला था कि वो लड़का उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाए जा रेला था।" मोहन ने बिना झिझक के इस तरह बताना शुरू किया जैसे वो कोई बहुत ही दिलचस्प कहानी सुना रहा हो____"बेटीचोद अपन लोग की तो ये नज़ारा देख आंखें ही फट ग‌एली थीं। अम्मा क़सम उस वक्त अपन लोग भी ये दुआ कर रेले थे कि उस लड़के के माफिक अपन लोग को भी उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाने को मिल जाएं तो मज़ा ही आ जाए पर लौड़ा अपन लोग के नसीब में ऐसे मज़े कहां।"

"छी छी, कितनी गंदी बातें बता रहे हो तुम।" शालू शर्म से पानी पानी हो गई थी और जब उससे बर्दास्त न हुआ तो बोल पड़ी____"तुम्हें क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती ऐसी बातें बताने में?"

"अबे शर्म तो औरतों को आती है।" मोहन ने बड़े शान से कहा____"जैसे अभी तेरे को आ रेली है। अपन तो मर्द फिलम के हीरो के माफिक मर्द है।"

"हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं।" शालू ने बुरा सा मुंह बना कर कहा____"अगर तुम्हें बताना है तो ढंग से बताओ वरना जाने दो। मुझे नहीं जानना कुछ।"

"बेटीचोद एकदम सही सुनेला है अपन ने। लड़की लोग बहुत भाव खाती हैं लौड़ा।" मोहन ने कनस्तर को उठा कर शालू की तरफ रख दिया फिर बोला___"चल ठीक है। तू इतना ही ज़ोर दे रेली है तो अपन बता देता है तेरे को।"

"मुझे नहीं जानना कुछ।" शालू ने कनस्तर को पकड़ कर उसे धोते हुए कहा___"कितना गन्दा बोलते हो। लड़की से बात करने की तमीज ही नहीं है तुम्हारे पास।"

"कमीज़???" मोहन झट से बोल पड़ा____"अबे अपन कमीज़ का क्या करेगा? वैसे कमीज़ तो तेरे पास भी नहीं है। अपन ने देखा था तूने अंदर कुछ नहीं पहना था और तेरे दूधू फोकट में हिल रेले थे।"

मोहन की बात सुन कर शालू भौचक्की सी उसे देखती रह गई। फिर एकदम से उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आई और उसने अपना सिर झुका लिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था मोहन पर लेकिन वो ये भी समझ रही थी कि ऐसे बेशर्म लड़के को कुछ कहने का भी कोई फ़ायदा नहीं है। वो चाहती थी कि जल्द से जल्द बर्तन धुल जाएं ताकि वो जल्दी से यहां से भाग जाए।

"वैसे अपन अम्मा बापू की क़सम खा के बोल रेला है।" शालू को शर्म से सिर झुकाए देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"तू शर्माते हुए और भी झक्कास लग रेली है। एकदम फिलम की हिरोइन के माफिक।"

"चुप करो तुम।" शालू ने झटके से सिर उठा कर उसकी तरफ गुस्से से देखा____"तुम्हारी बेहूदा बातें नहीं सुनना चाहती मैं। जल्दी जल्दी बर्तन मांज दो ताकि मैं धो कर यहां से जल्दी जा सकूं और तुमसे पूछा छूटे मेरा।"

'बेटीचोद लगता है भारी गड़बड़ हो गएली है अपन से।" मोहन ने मन ही मन सोचा____"लौड़ा ये तो गुस्सा हो ग‌एली है अपन से। अपन को जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा वरना बिरजू गुरु का माल अपन के हाथ से रेत के माफिक फिसल जाएगा।'

"अच्छा माफ़ कर दे अपन को।" मोहन ने अपने कान पकड़ते हुए कहा____"अपन को सच में बात करने का कमीज़....अपन का मतलब है कि तमीज नहीं है। अख्खा लाइफ़ में अपन लोग ने कभी किसी लड़की से बात ही नहीं कियेला है इस लिए अपन को मालूम ही नहीं कि कैसे किसी लड़की से बात करने का है?"

मोहन की बात सुन शालू ने सिर उठा कर एक नज़र मोहन की तरफ देखा। मोहन के चेहरे पर इस वक्त भोलापन देख शालू का गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ जिसके बारे में उसे भी समझ न आया।

"अब अपन तेरे से कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने एक मध्यम आकार के कनस्तर को मांजते हुए कहा____"अपन की बात सुन के तेरे को बुरा लगा तो अपन को भी अब बुरा लग रेला है।"

कहने के साथ ही मोहन कनस्तर को जल्दी जल्दी मांजने लगा। इस वक्त सच में उसे बुरा ही लग रहा था। पहले उसे लग रहा था कि वो किसी न किसी तरह शालू को फांस ही लेगा मगर अब जब उसने शालू को गुस्सा हो गया देखा तो उसे बुरा सा लगने लगा था। वो शालू को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उसे एकदम से ख़ामोश हो गया देख शालू को बड़ी हैरानी हुई। उसे यही लग रहा था कि वो फिर से अपनी गंदी बातें शुरू कर देगा किंतु वो तो चुप ही हो गया था। उसे याद आया कि मोहन ने उसकी मां के बारे में कहा था कि उसी ने उसे कुटवाया था। शालू सोचने लगी कि आख़िर उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"क्या तुम ये नहीं बताओगे कि मेरी मां ने तुम्हें क्यों पिटवाया था?" शालू ने अपनी मां के बारे में जानने की उत्सुकता के चलते पूछा।

"ना, अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा____"अपन को बोलने का तमीज नहीं है। साला फिर से कुछ उल्टा पुल्टा अपन के मुख से निकल गया तो तू अपन को फिर से बेशर्म बोलेगी और अपन पर गुस्सा हो जाएगी। इस लिए अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।"

"क्या तुम सबसे ऐसे ही बातें करते हो?" शालू ने उत्सुकतावश पूछा।
"अपन को ऐसे ही बात करना आता है तो क्या करे?" मोहन ने कहा___"साला बचपन में ही अपन लोग के अम्मा बापू मर गएले थे तो अपन लोग ऐसे ही पता नहीं किधर किधर भटकते रहे। अपन लोग के नसीब में कभी अच्छे लोग आएले ही नहीं जो अपन लोग को तमीज से बात करना सिखाते।"

मोहन थोड़ा भावुक सा हो गया था और ये उसके चेहरे पर भी दिखने लगा था जिसे देख शालू को बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। उसे मोहन से थोड़ी सहानुभूति सी हुई। उसके सीने में धड़कते हुए दिल में अजीब सी हलचल भी हुई।

"अबे तू यहां बातें पेल रेला है और उधर उस्ताद की बीवी कनस्तर का पूछ रेली है।" संपत आते ही मोहन पर एकदम से चिल्ला उठा____"जल्दी से कनस्तर धो के दे वरना वो अपन लोग की बिना तेल लगाए ही गां....।"

"कमीज़ से बात कर बे।" संपत की बात पूरी होने से पहले ही मोहन हड़बड़ा कर जल्दी से बोल पड़ा।
"अबे कमीज़ से कौन बात करता है लौड़े?" संपत ने हैरानी से उसे देखा तो मोहन को एहसास हुआ कि उसने जल्दी में क्या बोल दिया था।

उधर शालू इन दोनों की बातें सुन कर पहले तो हड़बड़ा गई थी फिर एकदम से उसके होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे उसने जल्दी से सिर झुका कर छुपा लिया। दूसरी तरफ जगन ख़ामोशी से शालू को ही देखे जा रहा था।

"अबे वो जल्दी में अपन के मुख से निकल गएला था।" मोहन ने बात को सम्हालते हुए कहा____"अपन ये बोल रेला है कि लड़की के सामने तमीज से बोलने का, समझा क्या?"

"हां हां अपने बाप को मत सिखा लौड़े।" संपत ने हाथ झटकते हुए लापरवाही से कहा___"अब चल जल्दी जल्दी हाथ मार और कनस्तर धो वरना तेरे को को पता है ना कि अपन लोग के साथ क्या होएगा?"

"अबे आज इतना टाइम क्यों लगाया बे तूने?" जगन ने मोहन को घूरते हुए कहा____"लौड़ा हर रोज़ तो जल्दी धो डालता था न?"

"तेरे को क्या पिराब्लम है बे?" मोहन खिसियाते हुए बोल पड़ा____"तू जा न लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो अपन गांड़ फाड़ देगा तेरी।" जगन ने गुस्से में आ कर कहा____"बेटीचोद लड़की के सामने नाटक पेल रेला है अपन से। जल्दी धो वरना यहीं पेल देगा अपन तेरे को।"

"अब तो घंटा नहीं धोएगा अपन।" शालू के सामने अपनी इज्ज़त का कचरा होते देख मोहन गुस्से में चीख ही पड़ा____"तेरे को जो उखाड़ना है उखाड़ ले अपन का।"

मोहन की बात सुन कर जगन अभी उस पर झपट ही पड़ने वाला था कि संपत ने पकड़ लिया उसे। उधर इन तीनों का ये बवाल देख शालू बुरी तरह घबरा गई थी। पहले तो उसे हंसी आ रही थी तीनों की बातें सुन कर किंतु अब जब उसने देखा कि तीनों लड़ ही पड़ेंगे तो उसकी भी सांसें अटक गईं थी। संपत ने ऐन मौके पर माहौल की नज़ाकत को समझ लिया और उसने लड़ाई होने से बचा लिया। उसने नर्मी से समझा कर मोहन को बर्तन धोने के लिए मनाया और फिर वो जगन को ले दूर जा कर बैठ गया। उन दोनों के जाते ही मोहन ने एक नज़र शालू को देखा और फिर जल्दी जल्दी कनस्तर को मांजने लगा।

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Bahut hi shaandar update diya hai The_InnoCent bhai....
Nice and lovely update.....
 
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सिर्फ मोहन ही नही बल्कि तीनो को , लगता नही कि कभी किसी औरत से पाला पड़ा होगा !
मर्दों से टपोरी की तरह बातें करते है , समझ आता है । अश्लील मतलब कलरफुल बातें करते है , समझ आता है । बेवकूफाना हरकतें करते है , ये भी समझ मे आता है । लेकिन महिलाओ से इस तरह की बातें करने का मतलब यही निकलता है कि ये आज तक किसी भी औरत के सम्पर्क मे आए ही नही।
वैसे शालू कभी-कभार मन ही मन इन बातों का लुत्फ भी उठा रही है । लेकिन तीन - तीन मर्द एक साथ ही किसी औरत के साथ ऐसी अश्लील बातें करने लगे तो वो इसे हरगिज ही पसंद नही करेगी।

जोगिन्दर के पंटरों का शक करना वाजिब है कि आखिर प्रीतो ने मोहन के पास शालू को ही क्यों भेजा ।
शायद कुछ तो अवश्य सोच रखी है प्रीतो ने !

बहुत ही बेहतरीन अपडेट शुभम भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 

kas1709

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Update - 14
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"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" शालू उसकी बात सुन कर आश्चर्य से बोल पड़ी____"मेरी अम्मा ने तुम्हें पिटवाया? नहीं नहीं, झूठ बोल रहे हो तुम? वो भला क्यों तुम लोगों को पिटवाएगी?"

शालू ने ये पूछा तो एकदम से मोहन के मन में कई सारे ख़याल उभरने लगे और फिर अचानक ही बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कोई पिलान आ गया। मोहन मन ही मन बड़ा खुश हुआ और सोचा____'बेटीचोद ये तो झक्कास पिलान है लौड़ा।'
अब आगे....


"यार ये तो ग़ज़ब ही हो गया।" प्रीतो किसी काम से तबेले से बाहर गई तो मंगू झट से बबलू के पास आ कर बोला____"तूने देखा न मालकिन ने कमला की बेटी को उस नमूने मोहन के पास भेज दिया है। ये कह कर कि वो वहां जा कर बर्तन धोने में उसकी मदद करे।"

"हां देखा है मैंने।" बबलू ने थोड़ा चिंतित भाव से कहा____"शालू गई तो है उस नमूने के पास लेकिन मुझे डर है कि वो नमूना अपनी ऊटपटांग हरकतों से कहीं कोई गड़बड़ न कर दे। साले का कोई भरोसा नहीं है। कल भी वो शालू को देख के हीरो बन कर गाना गा रहा था और अब तो वो उसके पास ही बर्तन धोते हुए रहेगी। इस लिए पक्का वो कोई न कोई हरकत करेगा।"

"यही तो मैं भी सोच रहा हूं।" मंगू ने कहा____"वो साला पक्का शालू के साथ कोई न कोई उटपटांग हरकत करेगा जिसके चलते निश्चित ही उसकी कुटाई होगी।"

"मरने दो साले को।" बबलू ने कहा____"उस बैल बुद्धि को समझाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जैसा करेगा वैसा भुगतेगा भी। वैसे मुझे लग रहा है कि इस बार वो बिरजू के हाथों ही कुटेगा।"

"हां सही कह रहा है तू।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"उसकी माल पर लाइन मारेगा तो बिरजू तो कूटेगा ही उसको। वैसे मैं ये सोच के हैरान हूं कि मालकिन ने शालू को उस नमूने की मदद करने के लिए उसके पास क्यों भेजा होगा?"

"क्या मतलब है तेरा?" बबलू के माथे पर शिकन उभर आई, बोला____"अबे उसकी मर्ज़ी थी इस लिए भेज दिया और क्या।"
"चल मान लिया कि उसकी मर्ज़ी थी।" मंगू ने कहा____"मगर शालू को ही क्यों? मोहन के साथियों को क्यों नहीं भेजा?"

"आख़िर कहना क्या चाहता है तू?" बबलू ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।
"भाई मुझे तो इसमें कोई लोचा लग रहा है।" मंगू ने दृढ़ता से कहा____"इतना तो मालकिन को भी पता है कि शालू एक जवान लड़की है और मोहन भी। उसे ये भी पता है कि एक लड़का और एक लड़की जब अकेले होते हैं तो पक्का ग़लत काम को अंजाम देने की कोशिश शुरू हो जाती है। अब सोचने वाली बात है कि ये सब समझते हुए भी मालकिन ने शालू को उस नमूने के पास क्यों भेज दिया? जबकि वो उसके साथियों को भी भेज सकती थी। क्या तुझे इसमें कोई झोल नहीं लग रहा?"

"बात तो तेरी ठीक है।" बबलू ने सिर हिलाते हुए कहा____"मगर क्या झोल हो सकता है इसमें?"
"मुझे तो लग रहा है कि मालकिन ने जान बूझ कर शालू को मोहन के पास भेजा है।" मंगू ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा____"शायद वो चाहती है कि शालू और मोहन के बीच में कोई गड़बड़ वाला काम हो।"

"अबे ये क्या बकवास कर रहा है तू?" बबलू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"नहीं नहीं, अपनी मालकिन जान बूझ कर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती। तेरे दिमाग़ में पता नहीं कहां से ऐसी उटपटांग बातें आ जाती हैं। चल अब बकवास न कर और दूध निकाल। मालकिन आती ही होगी।"

इसके बाद दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों दूध निकालने के काम पर लग गए। प्रीतो तबेले में आई और एक बाल्टी ले कर भैंस के पास बैठ कर उसका दूध निकालने लगी।

[][][][][]

"क...क्या सोचने लगे तुम?" मोहन को कहीं खोया देख शालू ने व्याकुलता से पूछा____"अब बताओ न, मेरी मां भला क्यों पिटवायेगी तुम्हें?"

"अबे मत पूछ।" मोहन ने कहा___"तू सुन नहीं पाएगी।"
"क्यों नहीं सुन पाऊंगी मैं?" शालू के चेहरे पर बड़े ही अजीब से भाव उभर आए थे____"मैं जानना चाहती हूं कि आख़िर मेरी मां ने किस वजह से तुम्हें पिटवाया?"

"क्या सच में तू जानना चाह रेली है?" मोहन ने जैसे उसे परखना चाहा।
"हां मैं जानना चाहती हूं।" शालू ने उसी व्याकुलता से कहा___"मुझे विश्वास नहीं हो रहा तुम्हारी बात पर।"

"लौड़ा अपन को भी नहीं हो रेला था।" मोहन अपनी आदत से मजबूर झोंक में बोल पड़ा___"पर अपन ने तो अपनी आंखों से देखेला था इस लिए यकीन तो करनाइच पड़ा अपन को।"

"क...क्या देखा था तुमने?" शालू की धड़कनें एकाएक ही तेज़ हो ग‌ईं____"साफ साफ बताओ आख़िर बात क्या है?"

"देख अपन टपोरी टाइप ज़रूर है।" मोहन ने कहा____"पर अपन ने अख्खा लाइफ़ में कभी झूठ नहीं बोलेला है। तू पूछ रेली है इस लिए अपन तेरे को सच बता रेला है। अपन तीन दोस्त हैं जो हमेशा साथ में ही रहते हैं। अपन लोग कुछ दिन पहले इस तबेले में आएले थे। बेटीचोद भूख से मर रेले थे अपन लोग। जब अपन की नज़र इस तबेले में पड़ी तो अपन लोग ये सोच के खुश हो ग‌एले थे कि इधर अपन लोग को खाने पीने का कोई जुगाड़ हो ही जाएगा। साला अपन लोग थोड़ा भेजे से सटकेले हैं तो अपन लोग को समझ में नहीं आ रेला था कि इधर खाने पीने का कैसे जुगाड़ बनाएं? तभी अपन लोग की नज़र तबेले के पीछे पड़ी। अपन सच बोल रेला है, अपन लोग ने उधर जो देखेला था उसको देख के अपन लोग को बिजली के माफिक ज़ोर का झटका लग ग‌एला था। अपन लोग ने देखा कि तबेले के पीछे अपन के जैसा ही एक लड़का एक औरत को चिपकाएला था और तो और लौड़ा उस औरत के बड़े बड़े दुधू भी दबाए जा रेला था।"

"छी कितने गंदे हो तुम।" शालू एकदम से हड़बड़ा कर बोल पड़ी____"मुझे नहीं सुननी तुम्हारी ये बेहूदा बातें।"

"अबे तेरे को ही तो जानने का था कि अपन को तेरी मां ने क्यों कुटवाएला था?" मोहन ने अपने ही अंदाज़ में कहा।

"तो ये तुम मेरी मां के बारे में बता रहे हो?" शालू ने उसे घूरते हुए कहा____"या मुझसे बेहूदा बातें कर रहे हो। बहुत गंदे हो तुम, तुम्हारी शिकायत करूंगी मालकिन से।"

"जा कर दे।" मोहन ने तैश में आ कर हाथ झटकते हुए कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। लौड़ा अपन सच बोलता है तब भी अपन की पेलाई करवा देते हैं बेटीचोद।"

शालू उसके मुख से ऐसी गन्दी गालियां सुन कर कुछ ज़्यादा ही असहज हो गई। उसे समझ न आया कि अब वो क्या कहे उससे लेकिन वो ये ज़रूर सोचने लगी थी कि अगर ये सच बोलता है तो इसकी कुटाई क्यों करवाते हैं? आख़िर वो कैसा सच है जिसके लिए उसे मार पड़ गई? शालू के भोले मन में एकदम से इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई। दूसरी तरफ वो ये भी जानना चाहती थी कि उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"फ...फिर क्या हुआ था?" शालू ने झिझकते हुए उसकी तरफ देख कर पूछा____"देखो मैं सिर्फ ये जानना चाहती हूं कि मेरी मां ने तुम्हारी कुटाई क्यों करवाई?"

"अबे अपन वही तो बता रेला था।" मोहन ने तपाक से कहा____"तुझे ही नहीं सुनने का है तो अपन क्या करे?"

"हां तो मुझे वो सब गंदी बातें नहीं सुननी हैं।" शालू ने नज़रें झुकाए हुए कहा____"मुझे सिर्फ अपनी मां के बारे में सुनना है कि उसने क्यों तुम्हारी कुटाई करवाई?"

"लो कर लो बात।" मोहन ने जैसे सिर पीटते हुए कहा____"अबे तेरे भेजे में भेजा है कि नहीं या जगन की तरह तेरा भेजा भी खाली है?"
"ज...जगन कौन?" शालू के मुख से जैसे अनायास ही निकल गया।

"अबे वो एक नंबर का शून्य बुद्धि है।" मोहन ने एकाएक सीना चौड़ा करते हुए कहा____"अपने दो दोस्तों में एक अपन ही है जिसके पास भेजा नाम की चीज़ है, समझी क्या?"

मोहन का बर्ताव देख शालू के होठों पर एकदम से मुस्कान उभर आई लेकिन फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कान को छुपा लिया। उसे अब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था कि मोहन किस तरह का लड़का है।

"त..तो अब बताओ कि मेरी मां ने क्यों पिटवाया था तुम्हें?" शालू ने अजीब भाव से उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

"हां तो अपन बता रेला था कि वो लड़का उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाए जा रेला था।" मोहन ने बिना झिझक के इस तरह बताना शुरू किया जैसे वो कोई बहुत ही दिलचस्प कहानी सुना रहा हो____"बेटीचोद अपन लोग की तो ये नज़ारा देख आंखें ही फट ग‌एली थीं। अम्मा क़सम उस वक्त अपन लोग भी ये दुआ कर रेले थे कि उस लड़के के माफिक अपन लोग को भी उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाने को मिल जाएं तो मज़ा ही आ जाए पर लौड़ा अपन लोग के नसीब में ऐसे मज़े कहां।"

"छी छी, कितनी गंदी बातें बता रहे हो तुम।" शालू शर्म से पानी पानी हो गई थी और जब उससे बर्दास्त न हुआ तो बोल पड़ी____"तुम्हें क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती ऐसी बातें बताने में?"

"अबे शर्म तो औरतों को आती है।" मोहन ने बड़े शान से कहा____"जैसे अभी तेरे को आ रेली है। अपन तो मर्द फिलम के हीरो के माफिक मर्द है।"

"हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं।" शालू ने बुरा सा मुंह बना कर कहा____"अगर तुम्हें बताना है तो ढंग से बताओ वरना जाने दो। मुझे नहीं जानना कुछ।"

"बेटीचोद एकदम सही सुनेला है अपन ने। लड़की लोग बहुत भाव खाती हैं लौड़ा।" मोहन ने कनस्तर को उठा कर शालू की तरफ रख दिया फिर बोला___"चल ठीक है। तू इतना ही ज़ोर दे रेली है तो अपन बता देता है तेरे को।"

"मुझे नहीं जानना कुछ।" शालू ने कनस्तर को पकड़ कर उसे धोते हुए कहा___"कितना गन्दा बोलते हो। लड़की से बात करने की तमीज ही नहीं है तुम्हारे पास।"

"कमीज़???" मोहन झट से बोल पड़ा____"अबे अपन कमीज़ का क्या करेगा? वैसे कमीज़ तो तेरे पास भी नहीं है। अपन ने देखा था तूने अंदर कुछ नहीं पहना था और तेरे दूधू फोकट में हिल रेले थे।"

मोहन की बात सुन कर शालू भौचक्की सी उसे देखती रह गई। फिर एकदम से उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आई और उसने अपना सिर झुका लिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था मोहन पर लेकिन वो ये भी समझ रही थी कि ऐसे बेशर्म लड़के को कुछ कहने का भी कोई फ़ायदा नहीं है। वो चाहती थी कि जल्द से जल्द बर्तन धुल जाएं ताकि वो जल्दी से यहां से भाग जाए।

"वैसे अपन अम्मा बापू की क़सम खा के बोल रेला है।" शालू को शर्म से सिर झुकाए देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"तू शर्माते हुए और भी झक्कास लग रेली है। एकदम फिलम की हिरोइन के माफिक।"

"चुप करो तुम।" शालू ने झटके से सिर उठा कर उसकी तरफ गुस्से से देखा____"तुम्हारी बेहूदा बातें नहीं सुनना चाहती मैं। जल्दी जल्दी बर्तन मांज दो ताकि मैं धो कर यहां से जल्दी जा सकूं और तुमसे पूछा छूटे मेरा।"

'बेटीचोद लगता है भारी गड़बड़ हो गएली है अपन से।" मोहन ने मन ही मन सोचा____"लौड़ा ये तो गुस्सा हो ग‌एली है अपन से। अपन को जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा वरना बिरजू गुरु का माल अपन के हाथ से रेत के माफिक फिसल जाएगा।'

"अच्छा माफ़ कर दे अपन को।" मोहन ने अपने कान पकड़ते हुए कहा____"अपन को सच में बात करने का कमीज़....अपन का मतलब है कि तमीज नहीं है। अख्खा लाइफ़ में अपन लोग ने कभी किसी लड़की से बात ही नहीं कियेला है इस लिए अपन को मालूम ही नहीं कि कैसे किसी लड़की से बात करने का है?"

मोहन की बात सुन शालू ने सिर उठा कर एक नज़र मोहन की तरफ देखा। मोहन के चेहरे पर इस वक्त भोलापन देख शालू का गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ जिसके बारे में उसे भी समझ न आया।

"अब अपन तेरे से कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने एक मध्यम आकार के कनस्तर को मांजते हुए कहा____"अपन की बात सुन के तेरे को बुरा लगा तो अपन को भी अब बुरा लग रेला है।"

कहने के साथ ही मोहन कनस्तर को जल्दी जल्दी मांजने लगा। इस वक्त सच में उसे बुरा ही लग रहा था। पहले उसे लग रहा था कि वो किसी न किसी तरह शालू को फांस ही लेगा मगर अब जब उसने शालू को गुस्सा हो गया देखा तो उसे बुरा सा लगने लगा था। वो शालू को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उसे एकदम से ख़ामोश हो गया देख शालू को बड़ी हैरानी हुई। उसे यही लग रहा था कि वो फिर से अपनी गंदी बातें शुरू कर देगा किंतु वो तो चुप ही हो गया था। उसे याद आया कि मोहन ने उसकी मां के बारे में कहा था कि उसी ने उसे कुटवाया था। शालू सोचने लगी कि आख़िर उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"क्या तुम ये नहीं बताओगे कि मेरी मां ने तुम्हें क्यों पिटवाया था?" शालू ने अपनी मां के बारे में जानने की उत्सुकता के चलते पूछा।

"ना, अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा____"अपन को बोलने का तमीज नहीं है। साला फिर से कुछ उल्टा पुल्टा अपन के मुख से निकल गया तो तू अपन को फिर से बेशर्म बोलेगी और अपन पर गुस्सा हो जाएगी। इस लिए अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।"

"क्या तुम सबसे ऐसे ही बातें करते हो?" शालू ने उत्सुकतावश पूछा।
"अपन को ऐसे ही बात करना आता है तो क्या करे?" मोहन ने कहा___"साला बचपन में ही अपन लोग के अम्मा बापू मर गएले थे तो अपन लोग ऐसे ही पता नहीं किधर किधर भटकते रहे। अपन लोग के नसीब में कभी अच्छे लोग आएले ही नहीं जो अपन लोग को तमीज से बात करना सिखाते।"

मोहन थोड़ा भावुक सा हो गया था और ये उसके चेहरे पर भी दिखने लगा था जिसे देख शालू को बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। उसे मोहन से थोड़ी सहानुभूति सी हुई। उसके सीने में धड़कते हुए दिल में अजीब सी हलचल भी हुई।

"अबे तू यहां बातें पेल रेला है और उधर उस्ताद की बीवी कनस्तर का पूछ रेली है।" संपत आते ही मोहन पर एकदम से चिल्ला उठा____"जल्दी से कनस्तर धो के दे वरना वो अपन लोग की बिना तेल लगाए ही गां....।"

"कमीज़ से बात कर बे।" संपत की बात पूरी होने से पहले ही मोहन हड़बड़ा कर जल्दी से बोल पड़ा।
"अबे कमीज़ से कौन बात करता है लौड़े?" संपत ने हैरानी से उसे देखा तो मोहन को एहसास हुआ कि उसने जल्दी में क्या बोल दिया था।

उधर शालू इन दोनों की बातें सुन कर पहले तो हड़बड़ा गई थी फिर एकदम से उसके होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे उसने जल्दी से सिर झुका कर छुपा लिया। दूसरी तरफ जगन ख़ामोशी से शालू को ही देखे जा रहा था।

"अबे वो जल्दी में अपन के मुख से निकल गएला था।" मोहन ने बात को सम्हालते हुए कहा____"अपन ये बोल रेला है कि लड़की के सामने तमीज से बोलने का, समझा क्या?"

"हां हां अपने बाप को मत सिखा लौड़े।" संपत ने हाथ झटकते हुए लापरवाही से कहा___"अब चल जल्दी जल्दी हाथ मार और कनस्तर धो वरना तेरे को को पता है ना कि अपन लोग के साथ क्या होएगा?"

"अबे आज इतना टाइम क्यों लगाया बे तूने?" जगन ने मोहन को घूरते हुए कहा____"लौड़ा हर रोज़ तो जल्दी धो डालता था न?"

"तेरे को क्या पिराब्लम है बे?" मोहन खिसियाते हुए बोल पड़ा____"तू जा न लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो अपन गांड़ फाड़ देगा तेरी।" जगन ने गुस्से में आ कर कहा____"बेटीचोद लड़की के सामने नाटक पेल रेला है अपन से। जल्दी धो वरना यहीं पेल देगा अपन तेरे को।"

"अब तो घंटा नहीं धोएगा अपन।" शालू के सामने अपनी इज्ज़त का कचरा होते देख मोहन गुस्से में चीख ही पड़ा____"तेरे को जो उखाड़ना है उखाड़ ले अपन का।"

मोहन की बात सुन कर जगन अभी उस पर झपट ही पड़ने वाला था कि संपत ने पकड़ लिया उसे। उधर इन तीनों का ये बवाल देख शालू बुरी तरह घबरा गई थी। पहले तो उसे हंसी आ रही थी तीनों की बातें सुन कर किंतु अब जब उसने देखा कि तीनों लड़ ही पड़ेंगे तो उसकी भी सांसें अटक गईं थी। संपत ने ऐन मौके पर माहौल की नज़ाकत को समझ लिया और उसने लड़ाई होने से बचा लिया। उसने नर्मी से समझा कर मोहन को बर्तन धोने के लिए मनाया और फिर वो जगन को ले दूर जा कर बैठ गया। उन दोनों के जाते ही मोहन ने एक नज़र शालू को देखा और फिर जल्दी जल्दी कनस्तर को मांजने लगा।

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"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" शालू उसकी बात सुन कर आश्चर्य से बोल पड़ी____"मेरी अम्मा ने तुम्हें पिटवाया? नहीं नहीं, झूठ बोल रहे हो तुम? वो भला क्यों तुम लोगों को पिटवाएगी?"

शालू ने ये पूछा तो एकदम से मोहन के मन में कई सारे ख़याल उभरने लगे और फिर अचानक ही बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कोई पिलान आ गया। मोहन मन ही मन बड़ा खुश हुआ और सोचा____'बेटीचोद ये तो झक्कास पिलान है लौड़ा।'
अब आगे....


"यार ये तो ग़ज़ब ही हो गया।" प्रीतो किसी काम से तबेले से बाहर गई तो मंगू झट से बबलू के पास आ कर बोला____"तूने देखा न मालकिन ने कमला की बेटी को उस नमूने मोहन के पास भेज दिया है। ये कह कर कि वो वहां जा कर बर्तन धोने में उसकी मदद करे।"

"हां देखा है मैंने।" बबलू ने थोड़ा चिंतित भाव से कहा____"शालू गई तो है उस नमूने के पास लेकिन मुझे डर है कि वो नमूना अपनी ऊटपटांग हरकतों से कहीं कोई गड़बड़ न कर दे। साले का कोई भरोसा नहीं है। कल भी वो शालू को देख के हीरो बन कर गाना गा रहा था और अब तो वो उसके पास ही बर्तन धोते हुए रहेगी। इस लिए पक्का वो कोई न कोई हरकत करेगा।"

"यही तो मैं भी सोच रहा हूं।" मंगू ने कहा____"वो साला पक्का शालू के साथ कोई न कोई उटपटांग हरकत करेगा जिसके चलते निश्चित ही उसकी कुटाई होगी।"

"मरने दो साले को।" बबलू ने कहा____"उस बैल बुद्धि को समझाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जैसा करेगा वैसा भुगतेगा भी। वैसे मुझे लग रहा है कि इस बार वो बिरजू के हाथों ही कुटेगा।"

"हां सही कह रहा है तू।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"उसकी माल पर लाइन मारेगा तो बिरजू तो कूटेगा ही उसको। वैसे मैं ये सोच के हैरान हूं कि मालकिन ने शालू को उस नमूने की मदद करने के लिए उसके पास क्यों भेजा होगा?"

"क्या मतलब है तेरा?" बबलू के माथे पर शिकन उभर आई, बोला____"अबे उसकी मर्ज़ी थी इस लिए भेज दिया और क्या।"
"चल मान लिया कि उसकी मर्ज़ी थी।" मंगू ने कहा____"मगर शालू को ही क्यों? मोहन के साथियों को क्यों नहीं भेजा?"

"आख़िर कहना क्या चाहता है तू?" बबलू ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।
"भाई मुझे तो इसमें कोई लोचा लग रहा है।" मंगू ने दृढ़ता से कहा____"इतना तो मालकिन को भी पता है कि शालू एक जवान लड़की है और मोहन भी। उसे ये भी पता है कि एक लड़का और एक लड़की जब अकेले होते हैं तो पक्का ग़लत काम को अंजाम देने की कोशिश शुरू हो जाती है। अब सोचने वाली बात है कि ये सब समझते हुए भी मालकिन ने शालू को उस नमूने के पास क्यों भेज दिया? जबकि वो उसके साथियों को भी भेज सकती थी। क्या तुझे इसमें कोई झोल नहीं लग रहा?"

"बात तो तेरी ठीक है।" बबलू ने सिर हिलाते हुए कहा____"मगर क्या झोल हो सकता है इसमें?"
"मुझे तो लग रहा है कि मालकिन ने जान बूझ कर शालू को मोहन के पास भेजा है।" मंगू ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा____"शायद वो चाहती है कि शालू और मोहन के बीच में कोई गड़बड़ वाला काम हो।"

"अबे ये क्या बकवास कर रहा है तू?" बबलू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"नहीं नहीं, अपनी मालकिन जान बूझ कर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती। तेरे दिमाग़ में पता नहीं कहां से ऐसी उटपटांग बातें आ जाती हैं। चल अब बकवास न कर और दूध निकाल। मालकिन आती ही होगी।"

इसके बाद दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों दूध निकालने के काम पर लग गए। प्रीतो तबेले में आई और एक बाल्टी ले कर भैंस के पास बैठ कर उसका दूध निकालने लगी।

[][][][][]

"क...क्या सोचने लगे तुम?" मोहन को कहीं खोया देख शालू ने व्याकुलता से पूछा____"अब बताओ न, मेरी मां भला क्यों पिटवायेगी तुम्हें?"

"अबे मत पूछ।" मोहन ने कहा___"तू सुन नहीं पाएगी।"
"क्यों नहीं सुन पाऊंगी मैं?" शालू के चेहरे पर बड़े ही अजीब से भाव उभर आए थे____"मैं जानना चाहती हूं कि आख़िर मेरी मां ने किस वजह से तुम्हें पिटवाया?"

"क्या सच में तू जानना चाह रेली है?" मोहन ने जैसे उसे परखना चाहा।
"हां मैं जानना चाहती हूं।" शालू ने उसी व्याकुलता से कहा___"मुझे विश्वास नहीं हो रहा तुम्हारी बात पर।"

"लौड़ा अपन को भी नहीं हो रेला था।" मोहन अपनी आदत से मजबूर झोंक में बोल पड़ा___"पर अपन ने तो अपनी आंखों से देखेला था इस लिए यकीन तो करनाइच पड़ा अपन को।"

"क...क्या देखा था तुमने?" शालू की धड़कनें एकाएक ही तेज़ हो ग‌ईं____"साफ साफ बताओ आख़िर बात क्या है?"

"देख अपन टपोरी टाइप ज़रूर है।" मोहन ने कहा____"पर अपन ने अख्खा लाइफ़ में कभी झूठ नहीं बोलेला है। तू पूछ रेली है इस लिए अपन तेरे को सच बता रेला है। अपन तीन दोस्त हैं जो हमेशा साथ में ही रहते हैं। अपन लोग कुछ दिन पहले इस तबेले में आएले थे। बेटीचोद भूख से मर रेले थे अपन लोग। जब अपन की नज़र इस तबेले में पड़ी तो अपन लोग ये सोच के खुश हो ग‌एले थे कि इधर अपन लोग को खाने पीने का कोई जुगाड़ हो ही जाएगा। साला अपन लोग थोड़ा भेजे से सटकेले हैं तो अपन लोग को समझ में नहीं आ रेला था कि इधर खाने पीने का कैसे जुगाड़ बनाएं? तभी अपन लोग की नज़र तबेले के पीछे पड़ी। अपन सच बोल रेला है, अपन लोग ने उधर जो देखेला था उसको देख के अपन लोग को बिजली के माफिक ज़ोर का झटका लग ग‌एला था। अपन लोग ने देखा कि तबेले के पीछे अपन के जैसा ही एक लड़का एक औरत को चिपकाएला था और तो और लौड़ा उस औरत के बड़े बड़े दुधू भी दबाए जा रेला था।"

"छी कितने गंदे हो तुम।" शालू एकदम से हड़बड़ा कर बोल पड़ी____"मुझे नहीं सुननी तुम्हारी ये बेहूदा बातें।"

"अबे तेरे को ही तो जानने का था कि अपन को तेरी मां ने क्यों कुटवाएला था?" मोहन ने अपने ही अंदाज़ में कहा।

"तो ये तुम मेरी मां के बारे में बता रहे हो?" शालू ने उसे घूरते हुए कहा____"या मुझसे बेहूदा बातें कर रहे हो। बहुत गंदे हो तुम, तुम्हारी शिकायत करूंगी मालकिन से।"

"जा कर दे।" मोहन ने तैश में आ कर हाथ झटकते हुए कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। लौड़ा अपन सच बोलता है तब भी अपन की पेलाई करवा देते हैं बेटीचोद।"

शालू उसके मुख से ऐसी गन्दी गालियां सुन कर कुछ ज़्यादा ही असहज हो गई। उसे समझ न आया कि अब वो क्या कहे उससे लेकिन वो ये ज़रूर सोचने लगी थी कि अगर ये सच बोलता है तो इसकी कुटाई क्यों करवाते हैं? आख़िर वो कैसा सच है जिसके लिए उसे मार पड़ गई? शालू के भोले मन में एकदम से इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई। दूसरी तरफ वो ये भी जानना चाहती थी कि उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"फ...फिर क्या हुआ था?" शालू ने झिझकते हुए उसकी तरफ देख कर पूछा____"देखो मैं सिर्फ ये जानना चाहती हूं कि मेरी मां ने तुम्हारी कुटाई क्यों करवाई?"

"अबे अपन वही तो बता रेला था।" मोहन ने तपाक से कहा____"तुझे ही नहीं सुनने का है तो अपन क्या करे?"

"हां तो मुझे वो सब गंदी बातें नहीं सुननी हैं।" शालू ने नज़रें झुकाए हुए कहा____"मुझे सिर्फ अपनी मां के बारे में सुनना है कि उसने क्यों तुम्हारी कुटाई करवाई?"

"लो कर लो बात।" मोहन ने जैसे सिर पीटते हुए कहा____"अबे तेरे भेजे में भेजा है कि नहीं या जगन की तरह तेरा भेजा भी खाली है?"
"ज...जगन कौन?" शालू के मुख से जैसे अनायास ही निकल गया।

"अबे वो एक नंबर का शून्य बुद्धि है।" मोहन ने एकाएक सीना चौड़ा करते हुए कहा____"अपने दो दोस्तों में एक अपन ही है जिसके पास भेजा नाम की चीज़ है, समझी क्या?"

मोहन का बर्ताव देख शालू के होठों पर एकदम से मुस्कान उभर आई लेकिन फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कान को छुपा लिया। उसे अब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था कि मोहन किस तरह का लड़का है।

"त..तो अब बताओ कि मेरी मां ने क्यों पिटवाया था तुम्हें?" शालू ने अजीब भाव से उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

"हां तो अपन बता रेला था कि वो लड़का उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाए जा रेला था।" मोहन ने बिना झिझक के इस तरह बताना शुरू किया जैसे वो कोई बहुत ही दिलचस्प कहानी सुना रहा हो____"बेटीचोद अपन लोग की तो ये नज़ारा देख आंखें ही फट ग‌एली थीं। अम्मा क़सम उस वक्त अपन लोग भी ये दुआ कर रेले थे कि उस लड़के के माफिक अपन लोग को भी उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाने को मिल जाएं तो मज़ा ही आ जाए पर लौड़ा अपन लोग के नसीब में ऐसे मज़े कहां।"

"छी छी, कितनी गंदी बातें बता रहे हो तुम।" शालू शर्म से पानी पानी हो गई थी और जब उससे बर्दास्त न हुआ तो बोल पड़ी____"तुम्हें क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती ऐसी बातें बताने में?"

"अबे शर्म तो औरतों को आती है।" मोहन ने बड़े शान से कहा____"जैसे अभी तेरे को आ रेली है। अपन तो मर्द फिलम के हीरो के माफिक मर्द है।"

"हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं।" शालू ने बुरा सा मुंह बना कर कहा____"अगर तुम्हें बताना है तो ढंग से बताओ वरना जाने दो। मुझे नहीं जानना कुछ।"

"बेटीचोद एकदम सही सुनेला है अपन ने। लड़की लोग बहुत भाव खाती हैं लौड़ा।" मोहन ने कनस्तर को उठा कर शालू की तरफ रख दिया फिर बोला___"चल ठीक है। तू इतना ही ज़ोर दे रेली है तो अपन बता देता है तेरे को।"

"मुझे नहीं जानना कुछ।" शालू ने कनस्तर को पकड़ कर उसे धोते हुए कहा___"कितना गन्दा बोलते हो। लड़की से बात करने की तमीज ही नहीं है तुम्हारे पास।"

"कमीज़???" मोहन झट से बोल पड़ा____"अबे अपन कमीज़ का क्या करेगा? वैसे कमीज़ तो तेरे पास भी नहीं है। अपन ने देखा था तूने अंदर कुछ नहीं पहना था और तेरे दूधू फोकट में हिल रेले थे।"

मोहन की बात सुन कर शालू भौचक्की सी उसे देखती रह गई। फिर एकदम से उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आई और उसने अपना सिर झुका लिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था मोहन पर लेकिन वो ये भी समझ रही थी कि ऐसे बेशर्म लड़के को कुछ कहने का भी कोई फ़ायदा नहीं है। वो चाहती थी कि जल्द से जल्द बर्तन धुल जाएं ताकि वो जल्दी से यहां से भाग जाए।

"वैसे अपन अम्मा बापू की क़सम खा के बोल रेला है।" शालू को शर्म से सिर झुकाए देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"तू शर्माते हुए और भी झक्कास लग रेली है। एकदम फिलम की हिरोइन के माफिक।"

"चुप करो तुम।" शालू ने झटके से सिर उठा कर उसकी तरफ गुस्से से देखा____"तुम्हारी बेहूदा बातें नहीं सुनना चाहती मैं। जल्दी जल्दी बर्तन मांज दो ताकि मैं धो कर यहां से जल्दी जा सकूं और तुमसे पूछा छूटे मेरा।"

'बेटीचोद लगता है भारी गड़बड़ हो गएली है अपन से।" मोहन ने मन ही मन सोचा____"लौड़ा ये तो गुस्सा हो ग‌एली है अपन से। अपन को जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा वरना बिरजू गुरु का माल अपन के हाथ से रेत के माफिक फिसल जाएगा।'

"अच्छा माफ़ कर दे अपन को।" मोहन ने अपने कान पकड़ते हुए कहा____"अपन को सच में बात करने का कमीज़....अपन का मतलब है कि तमीज नहीं है। अख्खा लाइफ़ में अपन लोग ने कभी किसी लड़की से बात ही नहीं कियेला है इस लिए अपन को मालूम ही नहीं कि कैसे किसी लड़की से बात करने का है?"

मोहन की बात सुन शालू ने सिर उठा कर एक नज़र मोहन की तरफ देखा। मोहन के चेहरे पर इस वक्त भोलापन देख शालू का गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ जिसके बारे में उसे भी समझ न आया।

"अब अपन तेरे से कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने एक मध्यम आकार के कनस्तर को मांजते हुए कहा____"अपन की बात सुन के तेरे को बुरा लगा तो अपन को भी अब बुरा लग रेला है।"

कहने के साथ ही मोहन कनस्तर को जल्दी जल्दी मांजने लगा। इस वक्त सच में उसे बुरा ही लग रहा था। पहले उसे लग रहा था कि वो किसी न किसी तरह शालू को फांस ही लेगा मगर अब जब उसने शालू को गुस्सा हो गया देखा तो उसे बुरा सा लगने लगा था। वो शालू को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उसे एकदम से ख़ामोश हो गया देख शालू को बड़ी हैरानी हुई। उसे यही लग रहा था कि वो फिर से अपनी गंदी बातें शुरू कर देगा किंतु वो तो चुप ही हो गया था। उसे याद आया कि मोहन ने उसकी मां के बारे में कहा था कि उसी ने उसे कुटवाया था। शालू सोचने लगी कि आख़िर उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"क्या तुम ये नहीं बताओगे कि मेरी मां ने तुम्हें क्यों पिटवाया था?" शालू ने अपनी मां के बारे में जानने की उत्सुकता के चलते पूछा।

"ना, अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा____"अपन को बोलने का तमीज नहीं है। साला फिर से कुछ उल्टा पुल्टा अपन के मुख से निकल गया तो तू अपन को फिर से बेशर्म बोलेगी और अपन पर गुस्सा हो जाएगी। इस लिए अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।"

"क्या तुम सबसे ऐसे ही बातें करते हो?" शालू ने उत्सुकतावश पूछा।
"अपन को ऐसे ही बात करना आता है तो क्या करे?" मोहन ने कहा___"साला बचपन में ही अपन लोग के अम्मा बापू मर गएले थे तो अपन लोग ऐसे ही पता नहीं किधर किधर भटकते रहे। अपन लोग के नसीब में कभी अच्छे लोग आएले ही नहीं जो अपन लोग को तमीज से बात करना सिखाते।"

मोहन थोड़ा भावुक सा हो गया था और ये उसके चेहरे पर भी दिखने लगा था जिसे देख शालू को बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। उसे मोहन से थोड़ी सहानुभूति सी हुई। उसके सीने में धड़कते हुए दिल में अजीब सी हलचल भी हुई।

"अबे तू यहां बातें पेल रेला है और उधर उस्ताद की बीवी कनस्तर का पूछ रेली है।" संपत आते ही मोहन पर एकदम से चिल्ला उठा____"जल्दी से कनस्तर धो के दे वरना वो अपन लोग की बिना तेल लगाए ही गां....।"

"कमीज़ से बात कर बे।" संपत की बात पूरी होने से पहले ही मोहन हड़बड़ा कर जल्दी से बोल पड़ा।
"अबे कमीज़ से कौन बात करता है लौड़े?" संपत ने हैरानी से उसे देखा तो मोहन को एहसास हुआ कि उसने जल्दी में क्या बोल दिया था।

उधर शालू इन दोनों की बातें सुन कर पहले तो हड़बड़ा गई थी फिर एकदम से उसके होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे उसने जल्दी से सिर झुका कर छुपा लिया। दूसरी तरफ जगन ख़ामोशी से शालू को ही देखे जा रहा था।

"अबे वो जल्दी में अपन के मुख से निकल गएला था।" मोहन ने बात को सम्हालते हुए कहा____"अपन ये बोल रेला है कि लड़की के सामने तमीज से बोलने का, समझा क्या?"

"हां हां अपने बाप को मत सिखा लौड़े।" संपत ने हाथ झटकते हुए लापरवाही से कहा___"अब चल जल्दी जल्दी हाथ मार और कनस्तर धो वरना तेरे को को पता है ना कि अपन लोग के साथ क्या होएगा?"

"अबे आज इतना टाइम क्यों लगाया बे तूने?" जगन ने मोहन को घूरते हुए कहा____"लौड़ा हर रोज़ तो जल्दी धो डालता था न?"

"तेरे को क्या पिराब्लम है बे?" मोहन खिसियाते हुए बोल पड़ा____"तू जा न लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो अपन गांड़ फाड़ देगा तेरी।" जगन ने गुस्से में आ कर कहा____"बेटीचोद लड़की के सामने नाटक पेल रेला है अपन से। जल्दी धो वरना यहीं पेल देगा अपन तेरे को।"

"अब तो घंटा नहीं धोएगा अपन।" शालू के सामने अपनी इज्ज़त का कचरा होते देख मोहन गुस्से में चीख ही पड़ा____"तेरे को जो उखाड़ना है उखाड़ ले अपन का।"

मोहन की बात सुन कर जगन अभी उस पर झपट ही पड़ने वाला था कि संपत ने पकड़ लिया उसे। उधर इन तीनों का ये बवाल देख शालू बुरी तरह घबरा गई थी। पहले तो उसे हंसी आ रही थी तीनों की बातें सुन कर किंतु अब जब उसने देखा कि तीनों लड़ ही पड़ेंगे तो उसकी भी सांसें अटक गईं थी। संपत ने ऐन मौके पर माहौल की नज़ाकत को समझ लिया और उसने लड़ाई होने से बचा लिया। उसने नर्मी से समझा कर मोहन को बर्तन धोने के लिए मनाया और फिर वो जगन को ले दूर जा कर बैठ गया। उन दोनों के जाते ही मोहन ने एक नज़र शालू को देखा और फिर जल्दी जल्दी कनस्तर को मांजने लगा।

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"य...ये क्या कह रहे हो तुम?" शालू उसकी बात सुन कर आश्चर्य से बोल पड़ी____"मेरी अम्मा ने तुम्हें पिटवाया? नहीं नहीं, झूठ बोल रहे हो तुम? वो भला क्यों तुम लोगों को पिटवाएगी?"

शालू ने ये पूछा तो एकदम से मोहन के मन में कई सारे ख़याल उभरने लगे और फिर अचानक ही बिजली की तरह उसके दिमाग़ में कोई पिलान आ गया। मोहन मन ही मन बड़ा खुश हुआ और सोचा____'बेटीचोद ये तो झक्कास पिलान है लौड़ा।'
अब आगे....


"यार ये तो ग़ज़ब ही हो गया।" प्रीतो किसी काम से तबेले से बाहर गई तो मंगू झट से बबलू के पास आ कर बोला____"तूने देखा न मालकिन ने कमला की बेटी को उस नमूने मोहन के पास भेज दिया है। ये कह कर कि वो वहां जा कर बर्तन धोने में उसकी मदद करे।"

"हां देखा है मैंने।" बबलू ने थोड़ा चिंतित भाव से कहा____"शालू गई तो है उस नमूने के पास लेकिन मुझे डर है कि वो नमूना अपनी ऊटपटांग हरकतों से कहीं कोई गड़बड़ न कर दे। साले का कोई भरोसा नहीं है। कल भी वो शालू को देख के हीरो बन कर गाना गा रहा था और अब तो वो उसके पास ही बर्तन धोते हुए रहेगी। इस लिए पक्का वो कोई न कोई हरकत करेगा।"

"यही तो मैं भी सोच रहा हूं।" मंगू ने कहा____"वो साला पक्का शालू के साथ कोई न कोई उटपटांग हरकत करेगा जिसके चलते निश्चित ही उसकी कुटाई होगी।"

"मरने दो साले को।" बबलू ने कहा____"उस बैल बुद्धि को समझाने का कोई फ़ायदा नहीं है। जैसा करेगा वैसा भुगतेगा भी। वैसे मुझे लग रहा है कि इस बार वो बिरजू के हाथों ही कुटेगा।"

"हां सही कह रहा है तू।" मंगू ने मुस्कुराते हुए कहा____"उसकी माल पर लाइन मारेगा तो बिरजू तो कूटेगा ही उसको। वैसे मैं ये सोच के हैरान हूं कि मालकिन ने शालू को उस नमूने की मदद करने के लिए उसके पास क्यों भेजा होगा?"

"क्या मतलब है तेरा?" बबलू के माथे पर शिकन उभर आई, बोला____"अबे उसकी मर्ज़ी थी इस लिए भेज दिया और क्या।"
"चल मान लिया कि उसकी मर्ज़ी थी।" मंगू ने कहा____"मगर शालू को ही क्यों? मोहन के साथियों को क्यों नहीं भेजा?"

"आख़िर कहना क्या चाहता है तू?" बबलू ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।
"भाई मुझे तो इसमें कोई लोचा लग रहा है।" मंगू ने दृढ़ता से कहा____"इतना तो मालकिन को भी पता है कि शालू एक जवान लड़की है और मोहन भी। उसे ये भी पता है कि एक लड़का और एक लड़की जब अकेले होते हैं तो पक्का ग़लत काम को अंजाम देने की कोशिश शुरू हो जाती है। अब सोचने वाली बात है कि ये सब समझते हुए भी मालकिन ने शालू को उस नमूने के पास क्यों भेज दिया? जबकि वो उसके साथियों को भी भेज सकती थी। क्या तुझे इसमें कोई झोल नहीं लग रहा?"

"बात तो तेरी ठीक है।" बबलू ने सिर हिलाते हुए कहा____"मगर क्या झोल हो सकता है इसमें?"
"मुझे तो लग रहा है कि मालकिन ने जान बूझ कर शालू को मोहन के पास भेजा है।" मंगू ने सोचने वाले अंदाज़ से कहा____"शायद वो चाहती है कि शालू और मोहन के बीच में कोई गड़बड़ वाला काम हो।"

"अबे ये क्या बकवास कर रहा है तू?" बबलू ने आंखें फैलाते हुए कहा____"नहीं नहीं, अपनी मालकिन जान बूझ कर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती। तेरे दिमाग़ में पता नहीं कहां से ऐसी उटपटांग बातें आ जाती हैं। चल अब बकवास न कर और दूध निकाल। मालकिन आती ही होगी।"

इसके बाद दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों दूध निकालने के काम पर लग गए। प्रीतो तबेले में आई और एक बाल्टी ले कर भैंस के पास बैठ कर उसका दूध निकालने लगी।

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"क...क्या सोचने लगे तुम?" मोहन को कहीं खोया देख शालू ने व्याकुलता से पूछा____"अब बताओ न, मेरी मां भला क्यों पिटवायेगी तुम्हें?"

"अबे मत पूछ।" मोहन ने कहा___"तू सुन नहीं पाएगी।"
"क्यों नहीं सुन पाऊंगी मैं?" शालू के चेहरे पर बड़े ही अजीब से भाव उभर आए थे____"मैं जानना चाहती हूं कि आख़िर मेरी मां ने किस वजह से तुम्हें पिटवाया?"

"क्या सच में तू जानना चाह रेली है?" मोहन ने जैसे उसे परखना चाहा।
"हां मैं जानना चाहती हूं।" शालू ने उसी व्याकुलता से कहा___"मुझे विश्वास नहीं हो रहा तुम्हारी बात पर।"

"लौड़ा अपन को भी नहीं हो रेला था।" मोहन अपनी आदत से मजबूर झोंक में बोल पड़ा___"पर अपन ने तो अपनी आंखों से देखेला था इस लिए यकीन तो करनाइच पड़ा अपन को।"

"क...क्या देखा था तुमने?" शालू की धड़कनें एकाएक ही तेज़ हो ग‌ईं____"साफ साफ बताओ आख़िर बात क्या है?"

"देख अपन टपोरी टाइप ज़रूर है।" मोहन ने कहा____"पर अपन ने अख्खा लाइफ़ में कभी झूठ नहीं बोलेला है। तू पूछ रेली है इस लिए अपन तेरे को सच बता रेला है। अपन तीन दोस्त हैं जो हमेशा साथ में ही रहते हैं। अपन लोग कुछ दिन पहले इस तबेले में आएले थे। बेटीचोद भूख से मर रेले थे अपन लोग। जब अपन की नज़र इस तबेले में पड़ी तो अपन लोग ये सोच के खुश हो ग‌एले थे कि इधर अपन लोग को खाने पीने का कोई जुगाड़ हो ही जाएगा। साला अपन लोग थोड़ा भेजे से सटकेले हैं तो अपन लोग को समझ में नहीं आ रेला था कि इधर खाने पीने का कैसे जुगाड़ बनाएं? तभी अपन लोग की नज़र तबेले के पीछे पड़ी। अपन सच बोल रेला है, अपन लोग ने उधर जो देखेला था उसको देख के अपन लोग को बिजली के माफिक ज़ोर का झटका लग ग‌एला था। अपन लोग ने देखा कि तबेले के पीछे अपन के जैसा ही एक लड़का एक औरत को चिपकाएला था और तो और लौड़ा उस औरत के बड़े बड़े दुधू भी दबाए जा रेला था।"

"छी कितने गंदे हो तुम।" शालू एकदम से हड़बड़ा कर बोल पड़ी____"मुझे नहीं सुननी तुम्हारी ये बेहूदा बातें।"

"अबे तेरे को ही तो जानने का था कि अपन को तेरी मां ने क्यों कुटवाएला था?" मोहन ने अपने ही अंदाज़ में कहा।

"तो ये तुम मेरी मां के बारे में बता रहे हो?" शालू ने उसे घूरते हुए कहा____"या मुझसे बेहूदा बातें कर रहे हो। बहुत गंदे हो तुम, तुम्हारी शिकायत करूंगी मालकिन से।"

"जा कर दे।" मोहन ने तैश में आ कर हाथ झटकते हुए कहा____"अपन घंटा किसी से नहीं डरता। लौड़ा अपन सच बोलता है तब भी अपन की पेलाई करवा देते हैं बेटीचोद।"

शालू उसके मुख से ऐसी गन्दी गालियां सुन कर कुछ ज़्यादा ही असहज हो गई। उसे समझ न आया कि अब वो क्या कहे उससे लेकिन वो ये ज़रूर सोचने लगी थी कि अगर ये सच बोलता है तो इसकी कुटाई क्यों करवाते हैं? आख़िर वो कैसा सच है जिसके लिए उसे मार पड़ गई? शालू के भोले मन में एकदम से इस बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ गई। दूसरी तरफ वो ये भी जानना चाहती थी कि उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"फ...फिर क्या हुआ था?" शालू ने झिझकते हुए उसकी तरफ देख कर पूछा____"देखो मैं सिर्फ ये जानना चाहती हूं कि मेरी मां ने तुम्हारी कुटाई क्यों करवाई?"

"अबे अपन वही तो बता रेला था।" मोहन ने तपाक से कहा____"तुझे ही नहीं सुनने का है तो अपन क्या करे?"

"हां तो मुझे वो सब गंदी बातें नहीं सुननी हैं।" शालू ने नज़रें झुकाए हुए कहा____"मुझे सिर्फ अपनी मां के बारे में सुनना है कि उसने क्यों तुम्हारी कुटाई करवाई?"

"लो कर लो बात।" मोहन ने जैसे सिर पीटते हुए कहा____"अबे तेरे भेजे में भेजा है कि नहीं या जगन की तरह तेरा भेजा भी खाली है?"
"ज...जगन कौन?" शालू के मुख से जैसे अनायास ही निकल गया।

"अबे वो एक नंबर का शून्य बुद्धि है।" मोहन ने एकाएक सीना चौड़ा करते हुए कहा____"अपने दो दोस्तों में एक अपन ही है जिसके पास भेजा नाम की चीज़ है, समझी क्या?"

मोहन का बर्ताव देख शालू के होठों पर एकदम से मुस्कान उभर आई लेकिन फिर जल्दी ही उसने अपनी मुस्कान को छुपा लिया। उसे अब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था कि मोहन किस तरह का लड़का है।

"त..तो अब बताओ कि मेरी मां ने क्यों पिटवाया था तुम्हें?" शालू ने अजीब भाव से उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

"हां तो अपन बता रेला था कि वो लड़का उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाए जा रेला था।" मोहन ने बिना झिझक के इस तरह बताना शुरू किया जैसे वो कोई बहुत ही दिलचस्प कहानी सुना रहा हो____"बेटीचोद अपन लोग की तो ये नज़ारा देख आंखें ही फट ग‌एली थीं। अम्मा क़सम उस वक्त अपन लोग भी ये दुआ कर रेले थे कि उस लड़के के माफिक अपन लोग को भी उस औरत के बड़े बड़े दुधू दबाने को मिल जाएं तो मज़ा ही आ जाए पर लौड़ा अपन लोग के नसीब में ऐसे मज़े कहां।"

"छी छी, कितनी गंदी बातें बता रहे हो तुम।" शालू शर्म से पानी पानी हो गई थी और जब उससे बर्दास्त न हुआ तो बोल पड़ी____"तुम्हें क्या बिल्कुल भी शर्म नहीं आती ऐसी बातें बताने में?"

"अबे शर्म तो औरतों को आती है।" मोहन ने बड़े शान से कहा____"जैसे अभी तेरे को आ रेली है। अपन तो मर्द फिलम के हीरो के माफिक मर्द है।"

"हां तो मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं।" शालू ने बुरा सा मुंह बना कर कहा____"अगर तुम्हें बताना है तो ढंग से बताओ वरना जाने दो। मुझे नहीं जानना कुछ।"

"बेटीचोद एकदम सही सुनेला है अपन ने। लड़की लोग बहुत भाव खाती हैं लौड़ा।" मोहन ने कनस्तर को उठा कर शालू की तरफ रख दिया फिर बोला___"चल ठीक है। तू इतना ही ज़ोर दे रेली है तो अपन बता देता है तेरे को।"

"मुझे नहीं जानना कुछ।" शालू ने कनस्तर को पकड़ कर उसे धोते हुए कहा___"कितना गन्दा बोलते हो। लड़की से बात करने की तमीज ही नहीं है तुम्हारे पास।"

"कमीज़???" मोहन झट से बोल पड़ा____"अबे अपन कमीज़ का क्या करेगा? वैसे कमीज़ तो तेरे पास भी नहीं है। अपन ने देखा था तूने अंदर कुछ नहीं पहना था और तेरे दूधू फोकट में हिल रेले थे।"

मोहन की बात सुन कर शालू भौचक्की सी उसे देखती रह गई। फिर एकदम से उसके चेहरे पर शर्म की लाली उभर आई और उसने अपना सिर झुका लिया। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था मोहन पर लेकिन वो ये भी समझ रही थी कि ऐसे बेशर्म लड़के को कुछ कहने का भी कोई फ़ायदा नहीं है। वो चाहती थी कि जल्द से जल्द बर्तन धुल जाएं ताकि वो जल्दी से यहां से भाग जाए।

"वैसे अपन अम्मा बापू की क़सम खा के बोल रेला है।" शालू को शर्म से सिर झुकाए देख मोहन मुस्कुराते हुए बोला____"तू शर्माते हुए और भी झक्कास लग रेली है। एकदम फिलम की हिरोइन के माफिक।"

"चुप करो तुम।" शालू ने झटके से सिर उठा कर उसकी तरफ गुस्से से देखा____"तुम्हारी बेहूदा बातें नहीं सुनना चाहती मैं। जल्दी जल्दी बर्तन मांज दो ताकि मैं धो कर यहां से जल्दी जा सकूं और तुमसे पूछा छूटे मेरा।"

'बेटीचोद लगता है भारी गड़बड़ हो गएली है अपन से।" मोहन ने मन ही मन सोचा____"लौड़ा ये तो गुस्सा हो ग‌एली है अपन से। अपन को जल्दी कुछ सोचना पड़ेगा वरना बिरजू गुरु का माल अपन के हाथ से रेत के माफिक फिसल जाएगा।'

"अच्छा माफ़ कर दे अपन को।" मोहन ने अपने कान पकड़ते हुए कहा____"अपन को सच में बात करने का कमीज़....अपन का मतलब है कि तमीज नहीं है। अख्खा लाइफ़ में अपन लोग ने कभी किसी लड़की से बात ही नहीं कियेला है इस लिए अपन को मालूम ही नहीं कि कैसे किसी लड़की से बात करने का है?"

मोहन की बात सुन शालू ने सिर उठा कर एक नज़र मोहन की तरफ देखा। मोहन के चेहरे पर इस वक्त भोलापन देख शालू का गुस्सा ठंडा पड़ता नज़र आया। उसे अपने अंदर कुछ महसूस हुआ जिसके बारे में उसे भी समझ न आया।

"अब अपन तेरे से कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने एक मध्यम आकार के कनस्तर को मांजते हुए कहा____"अपन की बात सुन के तेरे को बुरा लगा तो अपन को भी अब बुरा लग रेला है।"

कहने के साथ ही मोहन कनस्तर को जल्दी जल्दी मांजने लगा। इस वक्त सच में उसे बुरा ही लग रहा था। पहले उसे लग रहा था कि वो किसी न किसी तरह शालू को फांस ही लेगा मगर अब जब उसने शालू को गुस्सा हो गया देखा तो उसे बुरा सा लगने लगा था। वो शालू को नाराज़ नहीं करना चाहता था। उसे एकदम से ख़ामोश हो गया देख शालू को बड़ी हैरानी हुई। उसे यही लग रहा था कि वो फिर से अपनी गंदी बातें शुरू कर देगा किंतु वो तो चुप ही हो गया था। उसे याद आया कि मोहन ने उसकी मां के बारे में कहा था कि उसी ने उसे कुटवाया था। शालू सोचने लगी कि आख़िर उसकी मां ने उसे क्यों कुटवाया होगा?

"क्या तुम ये नहीं बताओगे कि मेरी मां ने तुम्हें क्यों पिटवाया था?" शालू ने अपनी मां के बारे में जानने की उत्सुकता के चलते पूछा।

"ना, अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।" मोहन ने बिना उसकी तरफ देखे कहा____"अपन को बोलने का तमीज नहीं है। साला फिर से कुछ उल्टा पुल्टा अपन के मुख से निकल गया तो तू अपन को फिर से बेशर्म बोलेगी और अपन पर गुस्सा हो जाएगी। इस लिए अब अपन कुछ नहीं बोलेगा।"

"क्या तुम सबसे ऐसे ही बातें करते हो?" शालू ने उत्सुकतावश पूछा।
"अपन को ऐसे ही बात करना आता है तो क्या करे?" मोहन ने कहा___"साला बचपन में ही अपन लोग के अम्मा बापू मर गएले थे तो अपन लोग ऐसे ही पता नहीं किधर किधर भटकते रहे। अपन लोग के नसीब में कभी अच्छे लोग आएले ही नहीं जो अपन लोग को तमीज से बात करना सिखाते।"

मोहन थोड़ा भावुक सा हो गया था और ये उसके चेहरे पर भी दिखने लगा था जिसे देख शालू को बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। उसे मोहन से थोड़ी सहानुभूति सी हुई। उसके सीने में धड़कते हुए दिल में अजीब सी हलचल भी हुई।

"अबे तू यहां बातें पेल रेला है और उधर उस्ताद की बीवी कनस्तर का पूछ रेली है।" संपत आते ही मोहन पर एकदम से चिल्ला उठा____"जल्दी से कनस्तर धो के दे वरना वो अपन लोग की बिना तेल लगाए ही गां....।"

"कमीज़ से बात कर बे।" संपत की बात पूरी होने से पहले ही मोहन हड़बड़ा कर जल्दी से बोल पड़ा।
"अबे कमीज़ से कौन बात करता है लौड़े?" संपत ने हैरानी से उसे देखा तो मोहन को एहसास हुआ कि उसने जल्दी में क्या बोल दिया था।

उधर शालू इन दोनों की बातें सुन कर पहले तो हड़बड़ा गई थी फिर एकदम से उसके होठों पर मुस्कान उभर आई जिसे उसने जल्दी से सिर झुका कर छुपा लिया। दूसरी तरफ जगन ख़ामोशी से शालू को ही देखे जा रहा था।

"अबे वो जल्दी में अपन के मुख से निकल गएला था।" मोहन ने बात को सम्हालते हुए कहा____"अपन ये बोल रेला है कि लड़की के सामने तमीज से बोलने का, समझा क्या?"

"हां हां अपने बाप को मत सिखा लौड़े।" संपत ने हाथ झटकते हुए लापरवाही से कहा___"अब चल जल्दी जल्दी हाथ मार और कनस्तर धो वरना तेरे को को पता है ना कि अपन लोग के साथ क्या होएगा?"

"अबे आज इतना टाइम क्यों लगाया बे तूने?" जगन ने मोहन को घूरते हुए कहा____"लौड़ा हर रोज़ तो जल्दी धो डालता था न?"

"तेरे को क्या पिराब्लम है बे?" मोहन खिसियाते हुए बोल पड़ा____"तू जा न लौड़े अपना काम कर।"
"भोसड़ी के ज़्यादा बोलेगा तो अपन गांड़ फाड़ देगा तेरी।" जगन ने गुस्से में आ कर कहा____"बेटीचोद लड़की के सामने नाटक पेल रेला है अपन से। जल्दी धो वरना यहीं पेल देगा अपन तेरे को।"

"अब तो घंटा नहीं धोएगा अपन।" शालू के सामने अपनी इज्ज़त का कचरा होते देख मोहन गुस्से में चीख ही पड़ा____"तेरे को जो उखाड़ना है उखाड़ ले अपन का।"

मोहन की बात सुन कर जगन अभी उस पर झपट ही पड़ने वाला था कि संपत ने पकड़ लिया उसे। उधर इन तीनों का ये बवाल देख शालू बुरी तरह घबरा गई थी। पहले तो उसे हंसी आ रही थी तीनों की बातें सुन कर किंतु अब जब उसने देखा कि तीनों लड़ ही पड़ेंगे तो उसकी भी सांसें अटक गईं थी। संपत ने ऐन मौके पर माहौल की नज़ाकत को समझ लिया और उसने लड़ाई होने से बचा लिया। उसने नर्मी से समझा कर मोहन को बर्तन धोने के लिए मनाया और फिर वो जगन को ले दूर जा कर बैठ गया। उन दोनों के जाते ही मोहन ने एक नज़र शालू को देखा और फिर जल्दी जल्दी कनस्तर को मांजने लगा।

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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
तीनो टपोरी का कभी किसी औरत से पाला नही पड़ा है इसलिए इन्हे औरतों के सामने केसे बात करनी चाहिए नही पता प्रीतो के सामने भी और शालू के सामने भी बेधड़क अपनी टपोरी भाषा बोल रहे हैं शालू को मोहन की बातो पर गुस्सा भी आ रहा है और मजे भी ले रही है बबलू और मंगू का शक करना बाजिब है कि प्रीतो ने शालू को मोहन के पास क्यों भेजा
 
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