- 2,959
- 12,553
- 144
Wahh...shero shayri krne lgi sir ji ...हया में छुपी ये मोहब्बत दे गई मुझे इनाम कहीं ।
तेरा धीरे से पलकों को उठाना ले लेता मेरी जान कहीं ।
तेरी कोमल सी पंखुड़ी से होंठ देते मुझे ठंडक कहीं ।
ये मीठी सी मुस्कान अंधेरों में फैलाती उजियारा कहीं ।
तेरा मंद मंद मुस्कराना और धीरे से इशारों में बुलाना हाय !!!
तेरी हया में छुपी हुई ये मोहब्बत ले ना ले मेरी जान कहीं ।