• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
प्रिय पाठकों सभी से निवेदन हैं अपडेट को पड़ने से पहले उपर दिए अनुनय विनय को पढ़ लिजिए

Update - 2

बदन का कोना कोना घिस घिस कर चमकाया गया। इतना घिसा गया बेदाग बदन पर लाल लाल निशान पड़ गया मानो राघव को अपने बदन से कोई खुन्नाश हो जिसे वो घिस घिस कर निकाल रहा हों। मल युद्ध खत्म हुआ भीगे बदन को तौलिए से सुखाकर राघव बाथरूम से निकला, अलमीरा से कपड़े निकाल पहना फिर शीशे के समने खड़े होकर हेयर ड्रायर से बालों को सुखाकर जेल लगाया फिर तरह तरह के हेयर स्टाइल बनाकर देखा संतुष्टि मिलते ही थोडा ओर टच ऑफ देकर डन कर दिया। डीईओ से खुद को महकाया और रूम फ्रेशनर से रूम को भी महका दिया जिससे लगे एक नए दिन की शुभारंभ हों चुका था लेकिन कितना शुभ होगा यह तो ऊपर बैठा जिसे लोग न जाने किस किस नाम से बुलाते हैं। वहीं जनता हैं।

राघव रूम फ्रेशनर स्प्रे कर ही रहा था। तभी तन्नू ने आकार जोर जोर से दरवाजा पीटते हुए धावा बोल दिया। इतने जोर जोर से दरवाजा पीटे जाने से राघव बोला " कौन हो भाई दरवाजा अच्छा नहीं लगा रहा जो पीट पीट कर तोड़ने पर तुली हों। एक मिनट रुको मैं आया।"

तन्नु " भईया जल्दी दरवाजा खोलो सुनामी आया। आप बह जाओगे।"

सुनामी सुनते ही अच्छे अच्छे पहलवान की गीली-पीली हों जाती हैं। राघव ठहरा साधारण इंसान, इसको डर और अचंभे ने ऐसा मर मार विचारे की दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया। क्या करें समझ नहीं आया तो जाकर दरवाजा खोला, बाहर मुंडी निकलकर देखते हुए बोला " कहा आया सुनामी।"

तन्नु " ही ही ही …… भईया आपके कमरे में अपकी प्यारी बहनिया सुनामी बनकर आईं।"

एक गहरी श्वास लिया छीने पर हाथ रख राघव बोला " क्या यार तन्नु डरा दिया, मुझसे मिलने का तुझे कोई ओर तरीका नहीं सूझता।"

तन्नु " भईया आप जानते हों न जब भी मैं आपसे मिलने आती हूं,, मूझसे वेट नहीं होता इसलिए मैं तरह तरह के बहने बनाकर दरवाजा खुलवाती हूं।"

राघव "हां हां जनता हूं मेरी बहना प्यारी को, वो बहुत नटखट हैं। उसकी ये अदा मेरे दिन को सुहाना कर देता हैं।"

तन्नु " ही ही ही…. वो तो मैं हूं ही अब आप जल्दी चलो।"

राघव तन्नू का हाथ पकड़ चल देता जैसे ही दोनो डायनिंग हॉल में पहुंचे, वहां अटल जी बैठे प्रगति के साथ चाय पर चर्चा कर रहे थे। राघव को तन्नु के साथ आते देख टोंट करते हुए बोले "देखो तो ऐसे आ रहे हैं जैसे किसी रियासत का राजा हों। तनुश्री बेटा जिसका हाथ थामे दसी की तरह ला रहे हों ये निक्कमा किसी रियासत का राजा नहीं, डिग्री तो ले लिया जो इसके किसी काम का नहीं मेरे छीने पर मूंग डाले बैठा हैं और बोटी बोटी नोच रहा हैं।"

हो गई सुभारंभ दिल की खोली में अरमान लिए आया था चैन से बैठ कर दो रोटी खायेगा, रोटी तो मिली नहीं रोटी की जगह खाने को ताने मिला, हाथ झटककर छुड़ाया फिर चल दिया तन्नु तकती रह गई। तन्नु उसके पीछे जा ही रही थीं कि अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों,जाने दो उसे वो इसी लायक हैं। तुम उसके पिछे गई तो अच्छा नहीं होगा। चुप चाप यहां बैठो और नाश्ता करों"

तन्नु बाप के आज्ञा का निरादर नहीं कर सकता था इसलिए मुंह लटकाएं आंखो में पानी लिए चुप चाप बैठ गई। हल्की नमी प्रगति के आंखो ने भी बाह दिया लेकिन अटल जी बिलकुल अटल रहे न दिल पसीजा न ही जुबान लड़खड़ाया। चाय का काफ मेज पर रख प्रगति से मुखातिब हुए " ऐसे न देखो दिल के झरोखे में छाले पड़ जायेंगे, जाकर तनुश्री को नाश्ता दो।

प्रगति क्या बोलती पतिव्रता नारी हैं साथ फेरो के साथ वचनों से बंधी, आंखो में आई नमी को पोछकर दर्द जो दिल में उठा उसे दबाकर चल दिया। किचन में जाकर प्रगति खुद को ओर न रोक पाई और सुबक सुबक कर रोने लगीं, रोना शायद विधाता ने इसके किस्मत में लिखकर भेजा। तभी तो अंचल में मुंह छुपाए बीना आवाज किए रो रहीं थीं। आने में देर लागी तो फिर से अटल जी की वाणी का तीर छूटा " कितना देर लगाओगी इतनी देर में तो बाघ एक्सप्रेस काठगोदाम से हावड़ा पहुंच जाता। तुम भी इस बेरोजगार की तरह अलसी हों जब तक दो चार डोज न मिले हाथ पांव नहीं चलता।"

तन्नु नजरे उठाकर देखी जो अब तक झुकी हुई थीं। बाप के हाव भाव समझना चाही लेकिन बाप तो पत्थर की मूरत, जिसे न हवा पानी न ही धूप नुकसान पहुंचा पाए फिर करना किया था आराम से नजरे झुका लीं। प्रगति एक प्लेट में जो कुछ भी बनया था लेकर आई, मेज पर तन्नु के सामने रख दिया। तन्नु का मन नहीं था बेमन से खाने लगी, बेमन का भाव देखकर अटल जी बोले "खाना हैं तो मन से खाओ, खाने की बेअदगी मुझे बर्दास्त नहीं, नहीं मन हैं तो थाली छोड़कर उठ जाओ"

तन्नु क्या करती बाप की बातों से पेट का कोना कोना भर गया था लेकिन उसे बाप की उम्मीद पे खारा जो उतरना था इसलिए न चाहते हुए भी मन लगाकर खाने लगीं तन्नु को खाता देखकर अटल जी बोले " साबास बेटी इस घर में तुम ही एक हों जो मेरी उम्मीद के पुल पर चलती हों, बाकी तो सब मेरे उम्मीद पर पानी फेर देते हैं"

प्रगति इस तरह का टोंट बर्दास्त नहीं कर पाई इसलिए किचन की ओर जानें लगीं तब अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों कमरे से मेरी पोथी का पोटला ले आओ मुझे एक जजमान से मिलने जाना हैं।"

प्रगति चुपचाप घूमकर कमरे में गई पोथी का पोटला उठाया फिर लेकर अटल जी को दे दिया। अटल जी जाते हुए बोले " दिवाली आने वाली हैं अपने बेटे से कहना घर की सफाई ढंग से करे मुझे कही कोई कमी नहीं दिखना चाहिए"

इस बार प्रगति साहस की कुछ बूंदे इकट्ठा कर बोली " राघव को रहने दो एक काम वाली को बुलाकर सफाई करवा लूंगी।"

बस फिर किया था अटल जी अटल मुद्रा धारण किया फिर बोले " पैसे पेड़ पर नहीं उगते, कमाने में सर का पसीना पाव में आ जाता। किसी काम वाली को बुलाने की जरूरत नहीं, बेरोजगारी की हदें पार कर घर बैठा हैं उसी से करवाना एवज में उसे कुछ खर्चा मिल जाएगा।"

इसके बाद तो प्रगति के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं था। शब्दों की तीर जो दिल को छलनी कर दे न जानें मां का दिल कितनी बार छलनी हुआ। छलनी होकर जार जार हो गई, फिर भी कुछ कह न पाई कई बार कोशिश किया हर बर मुंह की खानी पड़ी। क्योंकि अटल के अटल इरादे के सामने प्रगति न टिक पाई। अटल के जाते ही प्रगति दौड़ी, तन्नु खाने की थाली वैसे ही छोड़कर भागी दोनों पहुंचे जाकर राघव के कमरे, कमरे का दरवाजा खुला था राघव अदंर नही था। प्रगति और तन्नु एक दूसरे का मुंह ताके राघव गया तो गया कहा। राघव को न देखकर तन्नु रुवाशा होकर बोली " मम्मा भईया तो यह नहीं हैं कहा गए होंगे"

प्रगति को पता होता तो खुद न चाली जाती। तन्नु को सुनाकर प्रगति परेशान होकर बोली " पता नहीं कहा गई। इनको भी हमेशा चूल चढ़ी रहती हैं जो कहना हैं खाने के वक्त ही कहेंगे मेरे बेटे का जीना ही दुभर कर दिया हैं, न जानें किस जन्म का बदला ले रहे हैं।"

तन्नु " मम्मा बदला वादला छोड़ो चलो भईया को ढूंढते हैं।"

दोनों घर से निकाल पड़ी राघव को ढूंढने बहार आते ही देखा राघव की बाइक वहीं खड़ी थी। जिसे प्रगति ने पिछले बर्थ डे में गिफ्ट किया था। प्रगति झूठ बोलकर अटल से पैसे लेकर राघव के लिए खुद जाकर बाइक पसंद किया था। साथ में तन्नु भी गई थी। बाइक के आते ही अटल जी अटल मुद्रा धारण किया और बवाल मांचा दिया उस दिन राघव का बर्थ डे था प्रगति नहीं चहती थी राघव का यह दिन खराब हो इसलिए प्रगति काम करके पैसे चुकाने की बात कहीं तो यह बात अटल को अहम पर चोट जैसी लगीं। तब जाकर अटल के तेवर में कमी आई।

बाइक देखकर तन्नु बोली " मम्मा बाइक तो यहां खड़ी हैं इससे जन पड़ता, भईया पैदल ही गए हैं।

तब प्रगति बोली " जाकर मेरा मोबाइल लेकर आ"

तन्नु भागी अंदर। अब देखते हैं राघव कहा गया। राघव बाप की खारी खोटी सुनकर सीधा घर से बाहर निकला बाहर आते आते उसके मन को जो ठेस पहुंचा था वो नीर बनकर अविरल बह निकला, राघव नीर बहते हुए बाइक को एक नजर देखा फिर पैदल ही चल दिया। घर से कुछ ही दूरी पर एक मैदान हैं। राघव वहा जाकर बैठ गया, बाप के बातो से उसे इतना चोट पहुंचा था। जिसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं था। राघव बीते दिनो को याद कर नीर बहाए जा रहा था। ऐसा नहीं की अटल हमेशा से राघव के साथ सौतेला व्यवहार करते थे। वो राघव से बहुत प्यार करते थे उनके व्यवहार में तब से परिवर्तन आने लगा जब राघव उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर इलेक्ट्रिक इंजीनियर की पढ़ाई किया। राघव बैठे बैठें उन प्यार भरे पालो को याद करने लगा। यादों में इस कदर खोया था। उसे ध्यान ही नहीं रहा कोई उसके पास आकार खडा हुआ और उसे आवाज दे रहा था। आवाज देने वाले शख्स को प्रतिक्रिया न मिलने पर कंधा पकड़ हिलाया। दो तीन बार हिलाने पर राघव यादों की झरोखे से बाहर निकला पलटकर पिछे देखा। देखते ही राघव के लव जो अब तक भोजिल थे। खुला और उदास चहरे पर एक सुहानी मुस्कान आया फिर राघव बोला " सृष्टि तुम! कब आई ? कैसी हों?"

जी ये हैं राघव की सोनू मोनू बाबू सोना वाली गर्लफ्रेंड। ऐसा नहीं कहूंगा विश्व सुंदरी हैं। जरूरी तो नहीं सिर्फ विश्व सुंदरियों से प्रेम हों। हीरो अपना सुपर स्मार्ट लेकिन हीरोइन थोड़ी ढल हैं। नैन जिसके मद रस से भरी पीकर दीवाना हो जाइए बैरी बाबरी, गालों पे एक डिंपपल जो दिलकश चहरे को मन लुभावन का भाव दे। रस की भरमार होंटो के किया ही कहने। निचली होंठ के किनारे एक छोटा सा तिल दमकते चहरे के पहरेदारी में खडा मानो कह रहीं हो इधर न देखना नजरे उठा कर वरना पहरा लगा दूंगा नकाब का लबों पे रहती हैं हमेशा एक मीठी सी मुस्कान ये है अपनी हीरोइन की पहचान।

नाम सृष्टि बनर्जी हैं लेकिन इस धरा पर राघव के अलावा कोई ओर नहीं था अनाथ आलय में पली बड़ी हुई दोनों का प्रेम प्रसंग पिछले छ साल से चल रहा हैं दोनों एक फंक्शन मिले थे। राघव को उसके गालों पर पड़ने वाली डिम्पल और होटों के पहरेदारी में खड़ी तिल ने राघव के मन मोह लिया दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़े सृष्टि ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था और इस वक्त एक अच्छी जॉब करती हैं। राघव के बेरोजगार होने से उसे कोई मतलब नहीं क्योंकि दोनों के प्रेम डोर दिल से जुड़े हैं न की जिस्म और परिस्थिती से जुड़ा हैं।


सृष्टि लबों पे मुस्कान लिए बोली " मैं तो अभी अभी आई हूं, तुम किस सोच में गुम थे कितनी आवाज दी सुना ही नहीं।"

राघव हाथ पकड़ सृष्टि को पास बिठाया उसके कंधे पर सर रखा। सर रखते ही राघव को अपर शांति की अनुभूति हुआ। शायद इसलिए कहते हैं जीवन में सच्चा प्रेम का होना बहुत जरूरी हैं। जो शांति सकून एक सच्चा प्रेमी या प्रेमिका दे सकता/ सकती वो ढोंगी प्रेमी नही दे सकता। प्रेम की अनुभूति अगर सच्चा हो तो दोनों प्रेमी खींचा चला आता। चाहे यह लोक हों या प्रलोक इसलिए तो विधाता ने मूलवान उपहार स्वरूप प्रेम का वरदान दिया । लेकिन यह वरदान हमेशा अभिशाप बनकर रह क्योंकि समाज के कायदे कानून प्रेम को तिरस्कार की दृष्टि से देखता, समझ नहीं आता ये कैसे कायदे कानून हैं जो सिर्फ़ प्रेमी जोड़े के लिए हैं। प्रेम की परिभाषा समझाने वाले की पूजा करते हैं लेकिन एक इंसान दूसरे इंसान से प्रेम करे तो इनके आंखो में खटकता हैं। जो प्रेमियों के राह में कटे बिछा देते, जो इनके लिए दुःख दाई , पीड़ा दाई ओर कष्टों से भरा होता हैं।

कुछ ज्यादा ही फ्लो में बह गया था और लम्बा चौड़ा प्रवचन लिख डाला क्या करूं प्रेम पुजारी हुं लेकिन जिसकी प्रेम की पूजा करना चाहता हूं वो अभी तक नहीं मिला लगता हैं इधर का रस्ता ही भुल गई और किसी दूसरे प्लानेट पर लैंड कर गई। खैर गौर तलब मुद्दा ये हैं खोजबीन जारी हैं मिल गई तो मस्त स्माइल के साथ फोटो पोस्ट कर दूंगा लाईक और कोमेट कर देना।


अपडेट यहीं खत्म करता हूं। दोनों प्रेमी जोड़े का वर्तालब next Update में दूंगा जानें से पहले इतना कहूंगा उंगली करके लाईक ओर कॉमेंट छोड़ जाना बरना…… बरना क्या करूंगा कुछ नहीं कर सकता अपकी उंगली अपका मोबाइल, अपका लैपटॉप उंगली करे या न करें अपकी इच्छा मेरी इच्छा से थोड़ी न चलेंगे।
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
नई कहानी शुरू करने के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामना मान्यवर।
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂

Bahot hi behtareen tarike shruwaat ki gayi hai kahani ko.... jaha hai thodi bahot comedy ka tadka, kuch family drama aur kuch samasyaye jo aamtaur pe dekhne ko milti hai..
Ek taraf ghar ke mukhiya atal ji... jinhe ghar pe bas apni hi marji chalani hai...jaha unka faisla hai akhiri faisla hota hai... apne bachho se kuch na khush bhi hai atal ji.. kyunki unke mutabik naa jaake apni khud ki choice select kar study ki dono ne.... waise niv hai us ghar ke... unka itna to chalna hi chahiye...
Pragati ji...atal ji ki wife jo us ghar pe bahut banke pravesh karne ke baad kayi sacrifices bhi ki... apne bachho ke samarthan mein rehne wali ek achhi samajhdaar maa...
Raghav.... waise mahashay apne pita ki baat maan leta to aaj berozgaar hoke ghar pe nahi baithna padta.... ab usko kya chul machi ki engineering ko hi raah samjha manjil paane ke liye...
Tannu......sundar aur sanskari ladki.... apni mom aur bade bhai laadli....

Khair..... lagta hai kahani kaafi dilchasp hone wale hai aage aane wale har mod ke sath...

haandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan..
Aise hi likhte rahiye aur aur apni manoram lekhni se hum readers ka manoranjan karte rahiye...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause:

Superb Updatee

Pehla Update bahot achha thaa. Umeed hai aage ke updates bhi aise hi honge.

Ye bas majak tha..ju kisi bhi baat ko ek unique tarike se reply karte ho Jo ki mujhe bahut pasand aata hai bas isiliye ye wali bakchodi ki ....so agala update kab aa RHA hai bandhu...

अद्भूत , रोचक , मनमुग्ध और उत्तम कोटि का परिचय प्रसंग
एक पिता , एक मा , एक बेटा और एक बेटी
एक परिवार , एक समाज
सबका सही अर्थ मे उनका दायित्व , उनकी आशाये , उनके आचार विचार और रिश्तों से जुडी उम्मीदो का तान्ता
सब कुछ बिल्कुल लयब्द्ध तरीके से एक नये चटपटे अंदाज मे निर्देशन कर एक दृश्य चित्रण करते हुए कहानी के रूप लिखना बहुत ही दुर्लभ होता है ।
उम्मीद से परे था ये परिचय भाग
मानो कोई टीवी सिरियल का लाइव प्रसारण चल रहा हो जहा कहानी से जुड़े एक एक किरदार खुद की जीवनी से जुडा हो ।

कोई भी नाट्य , कहानी या प्रसंग तब तक सफल नही होता है जब तक वो स्रोता या दर्शक से भावनतम्क रूप से ना जुड़ जाये ।
लेखक ने बहुत ही सुन्दरता से सामान्य जीवन से जुडी बातो को महत्व देते हुए एक भावनतम्क रूप से पाठको को कहानी से जोडने की कोशिस की हैं।


मै काफी समय से लेखन से जुडा हू लेकिन आज इस रचना एक प्रस्तावना मात्र पढ कर मै दिल से प्रभावित हू और तहे दिल से लेखक को धन्यवाद देना चाहूँगा कि वो ऐसी शानदार लेखनी को हम सब के समक्ष प्रस्तुत कर रहे है ।
आज बस इतना ही अगली मुलाकात अगली कड़ी मे होगी ।

:congrats: For completed 1k views on your story thread.....

मान्यवर अपडेट पोस्ट कर दिया हैं पसंद आए तो तड़कता भड़कता रेवो और लाईक ठोक देना सिंघम भाऊ के स्टाइल में।
 

11 ster fan

Lazy villain
2,961
7,007
143
अब किया करे भारतीय तकनीकी व्यवस्था हैं ही ऐसी तो देर हों जाता हैं उपर से लोको पायलट इतना अलसी किया ही कहने सो सो के चलता हैं।

Nain 11 ster Ji का मैं भी तगड़ा वाला फैन हूं। क्या लिखते हैं गजब टिपड़ी करना संभव नहीं लेकिन थोड नाराज भी ही इतनी सारी रेवो दिया एक का भी जवाब नहीं दिया न ही आंख उठाकर देखा।
Abhi abhi shadi hui hai unki... isiliye vacation par hai...nahi to wo harek comment ka answer karte chahe wo negative ho ya positive ...so chill jab wo aayenge to wo sabhi comments ka counter reply jarur karenge...aur phir unke counter reply dekhakar kahoge wah kya baat hai...Naina mam ,Mai xabhi aur bahut sare hai ,hamare comments aise hote the ki normal writer to ro pade lekin baap re Kya counter reply dete the...jab wo aayenge to dekhana...
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,116
19,966
174
ये चेतावनी भी बडी लाजवाब है
5 रुपये की चिकन बिरयानी मे मिला कवाब है
चमन चुतियो की फिकर ना करो वो ऐसे ही रहेंगे
चोद लेंगे खुद मा अपनी और मागते तर्को पर जवाब है

😝😝😝😝
 

Jaguaar

Well-Known Member
17,679
60,551
244
प्रिय पाठकों सभी से निवेदन हैं अपडेट को पड़ने से पहले उपर दिए अनुनय विनय को पढ़ लिजिए

Update - 2

बदन का कोना कोना घिस घिस कर चमकाया गया। इतना घिसा गया बेदाग बदन पर लाल लाल निशान पड़ गया मानो राघव को अपने बदन से कोई खुन्नाश हो जिसे वो घिस घिस कर निकाल रहा हों। मल युद्ध खत्म हुआ भीगे बदन को तौलिए से सुखाकर राघव बाथरूम से निकला, अलमीरा से कपड़े निकाल पहना फिर शीशे के समने खड़े होकर हेयर ड्रायर से बालों को सुखाकर जेल लगाया फिर तरह तरह के हेयर स्टाइल बनाकर देखा संतुष्टि मिलते ही थोडा ओर टच ऑफ देकर डन कर दिया। डीईओ से खुद को महकाया और रूम फ्रेशनर से रूम को भी महका दिया जिससे लगे एक नए दिन की शुभारंभ हों चुका था लेकिन कितना शुभ होगा यह तो ऊपर बैठा जिसे लोग भगवान, गॉड, अल्ला, परवरदिगार ओर पाता नहीं किस किस नाम से बुलाते हैं। वहीं जनता हैं।

राघव रूम फ्रेशनर स्प्रे कर ही रहा था। तभी तन्नू ने आकार जोर जोर से दरवाजा पीटते हुए धावा बोल दिया। इतने जोर जोर से दरवाजा पीटे जाने से राघव बोला " कौन हो भाई दरवाजा अच्छा नहीं लगा रहा जो पीट पीट कर तोड़ने पर तुली हों। एक मिनट रुको मैं आया।"

तन्नु " भईया जल्दी दरवाजा खोलो सुनामी आया। आप बह जाओगे।"

सुनामी सुनते ही अच्छे अच्छे पहलवान की गीली-पीली हों जाती हैं। राघव ठहरा साधारण इंसान, इसको डर और अचंभे ने ऐसा मर मार विचारे की दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया। क्या करें समझ नहीं आया तो जाकर दरवाजा खोला, बाहर मुंडी निकलकर देखते हुए बोला " कहा आया सुनामी।"

तन्नु " ही ही ही …… भईया आपके कमरे में अपकी प्यारी बहनिया सुनामी बनकर आईं।"

एक गहरी श्वास लिया छीने पर हाथ रख राघव बोला " क्या यार तन्नु डरा दिया, मुझसे मिलने का तुझे कोई ओर तरीका नहीं सूझता।"

तन्नु " भईया आप जानते हों न जब भी मैं आपसे मिलने आती हूं,, मूझसे वेट नहीं होता इसलिए मैं तरह तरह के बहने बनाकर दरवाजा खुलवाती हूं।"

राघव "हां हां जनता हूं मेरी बहना प्यारी को, वो बहुत नटखट हैं। उसकी ये अदा मेरे दिन को सुहाना कर देता हैं।"

तन्नु " ही ही ही…. वो तो मैं हूं ही अब आप जल्दी चलो।"

राघव तन्नू का हाथ पकड़ चल देता जैसे ही दोनो डायनिंग हॉल में पहुंचे, वहां अटल जी बैठे प्रगति के साथ चाय पर चर्चा कर रहे थे। राघव को तन्नु के साथ आते देख टोंट करते हुए बोले "देखो तो ऐसे आ रहे हैं जैसे किसी रियासत का राजा हों। तनुश्री बेटा जिसका हाथ थामे दसी की तरह ला रहे हों ये निक्कमा किसी रियासत का राजा नहीं, डिग्री तो ले लिया जो इसके किसी काम का नहीं मेरे छीने पर मूंग डाले बैठा हैं और बोटी बोटी नोच रहा हैं।"

हो गई सुभारंभ दिल की खोली में अरमान लिए आया था चैन से बैठ कर दो रोटी खायेगा, रोटी तो मिली नहीं रोटी की जगह खाने को ताने मिला, हाथ झटककर छुड़ाया फिर चल दिया तन्नु तकती रह गई। तन्नु उसके पीछे जा ही रही थीं कि अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों,जाने दो उसे वो इसी लायक हैं। तुम उसके पिछे गई तो अच्छा नहीं होगा। चुप चाप यहां बैठो और नाश्ता करों"

तन्नु बाप के आज्ञा का निरादर नहीं कर सकता था इसलिए मुंह लटकाएं आंखो में पानी लिए चुप चाप बैठ गई। हल्की नमी प्रगति के आंखो ने भी बाह दिया लेकिन अटल जी बिलकुल अटल रहे न दिल पसीजा न ही जुबान लड़खड़ाया। चाय का काफ मेज पर रख प्रगति से मुखातिब हुए " ऐसे न देखो दिल के झरोखे में छाले पड़ जायेंगे, जाकर तनुश्री को नाश्ता दो।

प्रगति क्या बोलती पतिव्रता नारी हैं साथ फेरो के साथ वचनों से बंधी, आंखो में आई नमी को पोछकर दर्द जो दिल में उठा उसे दबाकर चल दिया। किचन में जाकर प्रगति खुद को ओर न रोक पाई और सुबक सुबक कर रोने लगीं, रोना शायद विधाता ने इसके किस्मत में लिखकर भेजा। तभी तो अंचल में मुंह छुपाए बीना आवाज किए रो रहीं थीं। आने में देर लागी तो फिर से अटल जी की वाणी का तीर छूटा " कितना देर लगाओगी इतनी देर में तो बाघ एक्सप्रेस काठगोदाम से हावड़ा पहुंच जाता। तुम भी इस बेरोजगार की तरह अलसी हों जब तक दो चार डोज न मिले हाथ पांव नहीं चलता।"

तन्नु नजरे उठाकर देखी जो अब तक झुकी हुई थीं। बाप के हाव भाव समझना चाही लेकिन बाप तो पत्थर की मूरत, जिसे न हवा पानी न ही धूप नुकसान पहुंचा पाए फिर करना किया था आराम से नजरे झुका लीं। प्रगति एक प्लेट में जो कुछ भी बनया था लेकर आई, मेज पर तन्नु के सामने रख दिया। तन्नु का मन नहीं था बेमन से खाने लगी, बेमन का भाव देखकर अटल जी बोले "खाना हैं तो मन से खाओ, खाने की बेअदगी मुझे बर्दास्त नहीं, नहीं मन हैं तो थाली छोड़कर उठ जाओ"

तन्नु क्या करती बाप की बातों से पेट का कोना कोना भर गया था लेकिन उसे बाप की उम्मीद पे खारा जो उतरना था इसलिए न चाहते हुए भी मन लगाकर खाने लगीं तन्नु को खाता देखकर अटल जी बोले " साबास बेटी इस घर में तुम ही एक हों जो मेरी उम्मीद के पुल पर चलती हों, बाकी तो सब मेरे उम्मीद पर पानी फेर देते हैं"

प्रगति इस तरह का टोंट बर्दास्त नहीं कर पाई इसलिए किचन की ओर जानें लगीं तब अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों कमरे से मेरी पोथी का पोटला ले आओ मुझे एक जजमान से मिलने जाना हैं।"

प्रगति चुपचाप घूमकर कमरे में गई पोथी का पोटला उठाया फिर लेकर अटल जी को दे दिया। अटल जी जाते हुए बोले " दिवाली आने वाली हैं अपने बेटे से कहना घर की सफाई ढंग से करे मुझे कही कोई कमी नहीं दिखना चाहिए"

इस बार प्रगति साहस की कुछ बूंदे इकट्ठा कर बोली " राघव को रहने दो एक काम वाली को बुलाकर सफाई करवा लूंगी।"

बस फिर किया था अटल जी अटल मुद्रा धारण किया फिर बोले " पैसे पेड़ पर नहीं उगते, कमाने में सर का पसीना पाव में आ जाता। किसी काम वाली को बुलाने की जरूरत नहीं, बेरोजगारी की हदें पार कर घर बैठा हैं उसी से करवाना एवज में उसे कुछ खर्चा मिल जाएगा।"

इसके बाद तो प्रगति के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं था। शब्दों की तीर जो दिल को छलनी कर दे न जानें मां का दिल कितनी बार छलनी हुआ। छलनी होकर जार जार हो गई, फिर भी कुछ कह न पाई कई बार कोशिश किया हर बर मुंह की खानी पड़ी। क्योंकि अटल के अटल इरादे के सामने प्रगति न टिक पाई। अटल के जाते ही प्रगति दौड़ी, तन्नु खाने की थाली वैसे ही छोड़कर भागी दोनों पहुंचे जाकर राघव के कमरे, कमरे का दरवाजा खुला था राघव अदंर नही था। प्रगति और तन्नु एक दूसरे का मुंह ताके राघव गया तो गया कहा। राघव को न देखकर तन्नु रुवाशा होकर बोली " मम्मा भईया तो यह नहीं हैं कहा गए होंगे"

प्रगति को पता होता तो खुद न चाली जाती। तन्नु को सुनाकर प्रगति परेशान होकर बोली " पता नहीं कहा गई। इनको भी हमेशा चूल चढ़ी रहती हैं जो कहना हैं खाने के वक्त ही कहेंगे मेरे बेटे का जीना ही दुभर कर दिया हैं, न जानें किस जन्म का बदला ले रहे हैं।"

तन्नु " मम्मा बदला वादला छोड़ो चलो भईया को ढूंढते हैं।"

दोनों घर से निकाल पड़ी राघव को ढूंढने बहार आते ही देखा राघव की बाइक वहीं खड़ी थी। जिसे प्रगति ने पिछले बर्थ डे में गिफ्ट किया था। प्रगति झूठ बोलकर अटल से पैसे लेकर राघव के लिए खुद जाकर बाइक पसंद किया था। साथ में तन्नु भी गई थी। बाइक के आते ही अटल जी अटल मुद्रा धारण किया और बवाल मांचा दिया उस दिन राघव का बर्थ डे था प्रगति नहीं चहती थी राघव का यह दिन खराब हो इसलिए प्रगति काम करके पैसे चुकाने की बात कहीं तो यह बात अटल को अहम पर चोट जैसी लगीं। तब जाकर अटल के तेवर में कमी आई।

बाइक देखकर तन्नु बोली " मम्मा बाइक तो यहां खड़ी हैं इससे जन पड़ता, भईया पैदल ही गए हैं।

तब प्रगति बोली " जाकर मेरा मोबाइल लेकर आ"

तन्नु भागी अंदर। अब देखते हैं राघव कहा गया। राघव बाप की खारी खोटी सुनकर सीधा घर से बाहर निकला बाहर आते आते उसके मन को जो ठेस पहुंचा था वो नीर बनकर अविरल बह निकला, राघव नीर बहते हुए बाइक को एक नजर देखा फिर पैदल ही चल दिया। घर से कुछ ही दूरी पर एक मैदान हैं। राघव वहा जाकर बैठ गया, बाप के बातो से उसे इतना चोट पहुंचा था। जिसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं था। राघव बीते दिनो को याद कर नीर बहाए जा रहा था। ऐसा नहीं की अटल हमेशा से राघव के साथ सौतेला व्यवहार करते थे। वो राघव से बहुत प्यार करते थे उनके व्यवहार में तब से परिवर्तन आने लगा जब राघव उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर इलेक्ट्रिक इंजीनियर की पढ़ाई किया। राघव बैठे बैठें उन प्यार भरे पालो को याद करने लगा। यादों में इस कदर खोया था। उसे ध्यान ही नहीं रहा कोई उसके पास आकार खडा हुआ और उसे आवाज दे रहा था। आवाज देने वाले शख्स को प्रतिक्रिया न मिलने पर कंधा पकड़ हिलाया। दो तीन बार हिलाने पर राघव यादों की झरोखे से बाहर निकला पलटकर पिछे देखा। देखते ही राघव के लव जो अब तक भोजिल थे। खुला और उदास चहरे पर एक सुहानी मुस्कान आया फिर राघव बोला " सृष्टि तुम! कब आई ? कैसी हों?"

जी ये हैं राघव की सोनू मोनू बाबू सोना वाली गर्लफ्रेंड। ऐसा नहीं कहूंगा विश्व सुंदरी हैं। जरूरी तो नहीं सिर्फ विश्व सुंदरियों से प्रेम हों। हीरो अपना सुपर स्मार्ट लेकिन हीरोइन थोड़ी ढल हैं। नैन जिसके मद रस से भरी पीकर दीवाना हो जाइए बैरी बाबरी, गालों पे एक डिंपपल जो दिलकश चहरे को मन लुभावन का भाव दे। रस की भरमार होंटो के किया ही कहने। निचली होंठ के किनारे एक छोटा सा तिल दमकते चहरे के पहरेदारी में खडा मानो कह रहीं हो इधर न देखना नजरे उठा कर वरना पहरा लगा दूंगा नकाब का लबों पे रहती हैं हमेशा एक मीठी सी मुस्कान ये है अपनी हीरोइन की पहचान।

नाम सृष्टि बनर्जी हैं लेकिन इस धरा पर राघव के अलावा कोई ओर नहीं था अनाथ आलय में पली बड़ी हुई दोनों का प्रेम प्रसंग पिछले छ साल से चल रहा हैं दोनों एक फंक्शन मिले थे। राघव को उसके गालों पर पड़ने वाली डिम्पल और होटों के पहरेदारी में खड़ी तिल ने राघव के मन मोह लिया दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़े सृष्टि ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था और इस वक्त एक अच्छी जॉब करती हैं। राघव के बेरोजगार होने से उसे कोई मतलब नहीं क्योंकि दोनों के प्रेम डोर दिल से जुड़े हैं न की जिस्म और परिस्थिती से जुड़ा हैं।


सृष्टि लबों पे मुस्कान लिए बोली " मैं तो अभी अभी आई हूं, तुम किस सोच में गुम थे कितनी आवाज दी सुना ही नहीं।"

राघव हाथ पकड़ सृष्टि को पास बिठाया उसके कंधे पर सर रखा। सर रखते ही राघव को अपर शांति की अनुभूति हुआ। शायद इसलिए कहते हैं जीवन में सच्चा प्रेम का होना बहुत जरूरी हैं। जो शांति सकून एक सच्चा प्रेमी या प्रेमिका दे सकता/ सकती वो ढोंगी प्रेमी नही दे सकता। प्रेम की अनुभूति अगर सच्चा हो तो दोनों प्रेमी खींचा चला आता। चाहे यह लोक हों या प्रलोक इसलिए तो विधाता ने मूलवान उपहार स्वरूप प्रेम का वरदान दिया । लेकिन यह वरदान हमेशा अभिशाप बनकर रह क्योंकि समाज के कायदे कानून प्रेम को तिरस्कार की दृष्टि से देखता, समझ नहीं आता ये कैसे कायदे कानून हैं जो सिर्फ़ प्रेमी जोड़े के लिए हैं। प्रेम की परिभाषा समझाने वाले की पूजा करते हैं लेकिन एक इंसान दूसरे इंसान से प्रेम करे तो इनके आंखो में खटकता हैं। जो प्रेमियों के राह में कटे बिछा देते, जो इनके लिए दुःख दाई , पीड़ा दाई ओर कष्टों से भरा होता हैं।

कुछ ज्यादा ही फ्लो में बह गया था और लम्बा चौड़ा प्रवचन लिख डाला क्या करूं प्रेम पुजारी हुं लेकिन जिसकी प्रेम की पूजा करना चाहता हूं वो अभी तक नहीं मिला लगता हैं इधर का रस्ता ही भुल गई और किसी दूसरे प्लानेट पर लैंड कर गई। खैर गौर तलब मुद्दा ये हैं खोजबीन जारी हैं मिल गई तो मस्त स्माइल के साथ फोटो पोस्ट कर दूंगा लाईक और कोमेट कर देना।


अपडेट यहीं खत्म करता हूं। दोनों प्रेमी जोड़े का वर्तालब next Update में दूंगा जानें से पहले इतना कहूंगा उंगली करके लाईक ओर कॉमेंट छोड़ जाना बरना…… बरना क्या करूंगा कुछ नहीं कर सकता अपकी उंगली अपका मोबाइल, अपका लैपटॉप उंगली करे या न करें अपकी इच्छा मेरी इच्छा से थोड़ी न चलेंगे।
Awesome Updateee

Atal ji jaisa haal toh aajkal bahot se ghar mein dekhne ko milta hai. Jaha berojgaar bete ko roj taana sunne ko milta hai.

Lekin baap ko kaun samjhaye aaj ke samay mein naukri milna kitna mushkil hai.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,286
304
raghav to aise taiyar ho raha jaise kahi shaadi pe jaa raha ho.... :D
so...... atal ji ke taane suru subhah subhah hi ... wo bhi naaste par hi....
yahan is point par jis tarah baatein suna rahe the wo....kam se kam khane waqt aisi karwi baate nahi karni chahiye,aur wo koi aur nahi unka hi beta hai....beta bina kuch khaye nikal gaya ghar se par unko to jaise fark hi nahi para...ek baat ajal ji ko bhi samajhna chahiye ki aaj ke jamaane mein aise hi naukri nahi mil jaati... aisa to nahi hai ki raghav koshish nahi kar raha ho.. wo bhi to ishi koshish mein hai ki ushe bhi job lag jaye.... ab naukri nahi lag rahi hai to bachhe ka jaan lega kya atal ji...

raghav ke leke aisi katu baatein sun pragati aur tannu ke dil mei ek peeda sir uthi ho...jis tarah se wo bahar chala gaya... Ab usko khojte huye dono pareshaan bhi hai...

Udhar raghav majashay bhi dukhi apne pita ke taane sun...ki tabhi uske dil ke dard kam karne uske paas pahuchi uski premika srishti..... chalo achha hai.... ab zyada apne pita ke taano ko yaad nahi karega...

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan....
Aise hi likhte rahiye aur hum pathako ka manoranjan karte rahiye..
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,116
19,966
174
प्रिय पाठकों सभी से निवेदन हैं अपडेट को पड़ने से पहले उपर दिए अनुनय विनय को पढ़ लिजिए

Update - 2

बदन का कोना कोना घिस घिस कर चमकाया गया। इतना घिसा गया बेदाग बदन पर लाल लाल निशान पड़ गया मानो राघव को अपने बदन से कोई खुन्नाश हो जिसे वो घिस घिस कर निकाल रहा हों। मल युद्ध खत्म हुआ भीगे बदन को तौलिए से सुखाकर राघव बाथरूम से निकला, अलमीरा से कपड़े निकाल पहना फिर शीशे के समने खड़े होकर हेयर ड्रायर से बालों को सुखाकर जेल लगाया फिर तरह तरह के हेयर स्टाइल बनाकर देखा संतुष्टि मिलते ही थोडा ओर टच ऑफ देकर डन कर दिया। डीईओ से खुद को महकाया और रूम फ्रेशनर से रूम को भी महका दिया जिससे लगे एक नए दिन की शुभारंभ हों चुका था लेकिन कितना शुभ होगा यह तो ऊपर बैठा जिसे लोग भगवान, गॉड, अल्ला, परवरदिगार ओर पाता नहीं किस किस नाम से बुलाते हैं। वहीं जनता हैं।

राघव रूम फ्रेशनर स्प्रे कर ही रहा था। तभी तन्नू ने आकार जोर जोर से दरवाजा पीटते हुए धावा बोल दिया। इतने जोर जोर से दरवाजा पीटे जाने से राघव बोला " कौन हो भाई दरवाजा अच्छा नहीं लगा रहा जो पीट पीट कर तोड़ने पर तुली हों। एक मिनट रुको मैं आया।"

तन्नु " भईया जल्दी दरवाजा खोलो सुनामी आया। आप बह जाओगे।"

सुनामी सुनते ही अच्छे अच्छे पहलवान की गीली-पीली हों जाती हैं। राघव ठहरा साधारण इंसान, इसको डर और अचंभे ने ऐसा मर मार विचारे की दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया। क्या करें समझ नहीं आया तो जाकर दरवाजा खोला, बाहर मुंडी निकलकर देखते हुए बोला " कहा आया सुनामी।"

तन्नु " ही ही ही …… भईया आपके कमरे में अपकी प्यारी बहनिया सुनामी बनकर आईं।"

एक गहरी श्वास लिया छीने पर हाथ रख राघव बोला " क्या यार तन्नु डरा दिया, मुझसे मिलने का तुझे कोई ओर तरीका नहीं सूझता।"

तन्नु " भईया आप जानते हों न जब भी मैं आपसे मिलने आती हूं,, मूझसे वेट नहीं होता इसलिए मैं तरह तरह के बहने बनाकर दरवाजा खुलवाती हूं।"

राघव "हां हां जनता हूं मेरी बहना प्यारी को, वो बहुत नटखट हैं। उसकी ये अदा मेरे दिन को सुहाना कर देता हैं।"

तन्नु " ही ही ही…. वो तो मैं हूं ही अब आप जल्दी चलो।"

राघव तन्नू का हाथ पकड़ चल देता जैसे ही दोनो डायनिंग हॉल में पहुंचे, वहां अटल जी बैठे प्रगति के साथ चाय पर चर्चा कर रहे थे। राघव को तन्नु के साथ आते देख टोंट करते हुए बोले "देखो तो ऐसे आ रहे हैं जैसे किसी रियासत का राजा हों। तनुश्री बेटा जिसका हाथ थामे दसी की तरह ला रहे हों ये निक्कमा किसी रियासत का राजा नहीं, डिग्री तो ले लिया जो इसके किसी काम का नहीं मेरे छीने पर मूंग डाले बैठा हैं और बोटी बोटी नोच रहा हैं।"

हो गई सुभारंभ दिल की खोली में अरमान लिए आया था चैन से बैठ कर दो रोटी खायेगा, रोटी तो मिली नहीं रोटी की जगह खाने को ताने मिला, हाथ झटककर छुड़ाया फिर चल दिया तन्नु तकती रह गई। तन्नु उसके पीछे जा ही रही थीं कि अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों,जाने दो उसे वो इसी लायक हैं। तुम उसके पिछे गई तो अच्छा नहीं होगा। चुप चाप यहां बैठो और नाश्ता करों"

तन्नु बाप के आज्ञा का निरादर नहीं कर सकता था इसलिए मुंह लटकाएं आंखो में पानी लिए चुप चाप बैठ गई। हल्की नमी प्रगति के आंखो ने भी बाह दिया लेकिन अटल जी बिलकुल अटल रहे न दिल पसीजा न ही जुबान लड़खड़ाया। चाय का काफ मेज पर रख प्रगति से मुखातिब हुए " ऐसे न देखो दिल के झरोखे में छाले पड़ जायेंगे, जाकर तनुश्री को नाश्ता दो।

प्रगति क्या बोलती पतिव्रता नारी हैं साथ फेरो के साथ वचनों से बंधी, आंखो में आई नमी को पोछकर दर्द जो दिल में उठा उसे दबाकर चल दिया। किचन में जाकर प्रगति खुद को ओर न रोक पाई और सुबक सुबक कर रोने लगीं, रोना शायद विधाता ने इसके किस्मत में लिखकर भेजा। तभी तो अंचल में मुंह छुपाए बीना आवाज किए रो रहीं थीं। आने में देर लागी तो फिर से अटल जी की वाणी का तीर छूटा " कितना देर लगाओगी इतनी देर में तो बाघ एक्सप्रेस काठगोदाम से हावड़ा पहुंच जाता। तुम भी इस बेरोजगार की तरह अलसी हों जब तक दो चार डोज न मिले हाथ पांव नहीं चलता।"

तन्नु नजरे उठाकर देखी जो अब तक झुकी हुई थीं। बाप के हाव भाव समझना चाही लेकिन बाप तो पत्थर की मूरत, जिसे न हवा पानी न ही धूप नुकसान पहुंचा पाए फिर करना किया था आराम से नजरे झुका लीं। प्रगति एक प्लेट में जो कुछ भी बनया था लेकर आई, मेज पर तन्नु के सामने रख दिया। तन्नु का मन नहीं था बेमन से खाने लगी, बेमन का भाव देखकर अटल जी बोले "खाना हैं तो मन से खाओ, खाने की बेअदगी मुझे बर्दास्त नहीं, नहीं मन हैं तो थाली छोड़कर उठ जाओ"

तन्नु क्या करती बाप की बातों से पेट का कोना कोना भर गया था लेकिन उसे बाप की उम्मीद पे खारा जो उतरना था इसलिए न चाहते हुए भी मन लगाकर खाने लगीं तन्नु को खाता देखकर अटल जी बोले " साबास बेटी इस घर में तुम ही एक हों जो मेरी उम्मीद के पुल पर चलती हों, बाकी तो सब मेरे उम्मीद पर पानी फेर देते हैं"

प्रगति इस तरह का टोंट बर्दास्त नहीं कर पाई इसलिए किचन की ओर जानें लगीं तब अटल जी बोले " कहा जा रहीं हों कमरे से मेरी पोथी का पोटला ले आओ मुझे एक जजमान से मिलने जाना हैं।"

प्रगति चुपचाप घूमकर कमरे में गई पोथी का पोटला उठाया फिर लेकर अटल जी को दे दिया। अटल जी जाते हुए बोले " दिवाली आने वाली हैं अपने बेटे से कहना घर की सफाई ढंग से करे मुझे कही कोई कमी नहीं दिखना चाहिए"

इस बार प्रगति साहस की कुछ बूंदे इकट्ठा कर बोली " राघव को रहने दो एक काम वाली को बुलाकर सफाई करवा लूंगी।"

बस फिर किया था अटल जी अटल मुद्रा धारण किया फिर बोले " पैसे पेड़ पर नहीं उगते, कमाने में सर का पसीना पाव में आ जाता। किसी काम वाली को बुलाने की जरूरत नहीं, बेरोजगारी की हदें पार कर घर बैठा हैं उसी से करवाना एवज में उसे कुछ खर्चा मिल जाएगा।"

इसके बाद तो प्रगति के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं था। शब्दों की तीर जो दिल को छलनी कर दे न जानें मां का दिल कितनी बार छलनी हुआ। छलनी होकर जार जार हो गई, फिर भी कुछ कह न पाई कई बार कोशिश किया हर बर मुंह की खानी पड़ी। क्योंकि अटल के अटल इरादे के सामने प्रगति न टिक पाई। अटल के जाते ही प्रगति दौड़ी, तन्नु खाने की थाली वैसे ही छोड़कर भागी दोनों पहुंचे जाकर राघव के कमरे, कमरे का दरवाजा खुला था राघव अदंर नही था। प्रगति और तन्नु एक दूसरे का मुंह ताके राघव गया तो गया कहा। राघव को न देखकर तन्नु रुवाशा होकर बोली " मम्मा भईया तो यह नहीं हैं कहा गए होंगे"

प्रगति को पता होता तो खुद न चाली जाती। तन्नु को सुनाकर प्रगति परेशान होकर बोली " पता नहीं कहा गई। इनको भी हमेशा चूल चढ़ी रहती हैं जो कहना हैं खाने के वक्त ही कहेंगे मेरे बेटे का जीना ही दुभर कर दिया हैं, न जानें किस जन्म का बदला ले रहे हैं।"

तन्नु " मम्मा बदला वादला छोड़ो चलो भईया को ढूंढते हैं।"

दोनों घर से निकाल पड़ी राघव को ढूंढने बहार आते ही देखा राघव की बाइक वहीं खड़ी थी। जिसे प्रगति ने पिछले बर्थ डे में गिफ्ट किया था। प्रगति झूठ बोलकर अटल से पैसे लेकर राघव के लिए खुद जाकर बाइक पसंद किया था। साथ में तन्नु भी गई थी। बाइक के आते ही अटल जी अटल मुद्रा धारण किया और बवाल मांचा दिया उस दिन राघव का बर्थ डे था प्रगति नहीं चहती थी राघव का यह दिन खराब हो इसलिए प्रगति काम करके पैसे चुकाने की बात कहीं तो यह बात अटल को अहम पर चोट जैसी लगीं। तब जाकर अटल के तेवर में कमी आई।

बाइक देखकर तन्नु बोली " मम्मा बाइक तो यहां खड़ी हैं इससे जन पड़ता, भईया पैदल ही गए हैं।

तब प्रगति बोली " जाकर मेरा मोबाइल लेकर आ"

तन्नु भागी अंदर। अब देखते हैं राघव कहा गया। राघव बाप की खारी खोटी सुनकर सीधा घर से बाहर निकला बाहर आते आते उसके मन को जो ठेस पहुंचा था वो नीर बनकर अविरल बह निकला, राघव नीर बहते हुए बाइक को एक नजर देखा फिर पैदल ही चल दिया। घर से कुछ ही दूरी पर एक मैदान हैं। राघव वहा जाकर बैठ गया, बाप के बातो से उसे इतना चोट पहुंचा था। जिसे शब्दों में बयां करना संभव नहीं था। राघव बीते दिनो को याद कर नीर बहाए जा रहा था। ऐसा नहीं की अटल हमेशा से राघव के साथ सौतेला व्यवहार करते थे। वो राघव से बहुत प्यार करते थे उनके व्यवहार में तब से परिवर्तन आने लगा जब राघव उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर इलेक्ट्रिक इंजीनियर की पढ़ाई किया। राघव बैठे बैठें उन प्यार भरे पालो को याद करने लगा। यादों में इस कदर खोया था। उसे ध्यान ही नहीं रहा कोई उसके पास आकार खडा हुआ और उसे आवाज दे रहा था। आवाज देने वाले शख्स को प्रतिक्रिया न मिलने पर कंधा पकड़ हिलाया। दो तीन बार हिलाने पर राघव यादों की झरोखे से बाहर निकला पलटकर पिछे देखा। देखते ही राघव के लव जो अब तक भोजिल थे। खुला और उदास चहरे पर एक सुहानी मुस्कान आया फिर राघव बोला " सृष्टि तुम! कब आई ? कैसी हों?"

जी ये हैं राघव की सोनू मोनू बाबू सोना वाली गर्लफ्रेंड। ऐसा नहीं कहूंगा विश्व सुंदरी हैं। जरूरी तो नहीं सिर्फ विश्व सुंदरियों से प्रेम हों। हीरो अपना सुपर स्मार्ट लेकिन हीरोइन थोड़ी ढल हैं। नैन जिसके मद रस से भरी पीकर दीवाना हो जाइए बैरी बाबरी, गालों पे एक डिंपपल जो दिलकश चहरे को मन लुभावन का भाव दे। रस की भरमार होंटो के किया ही कहने। निचली होंठ के किनारे एक छोटा सा तिल दमकते चहरे के पहरेदारी में खडा मानो कह रहीं हो इधर न देखना नजरे उठा कर वरना पहरा लगा दूंगा नकाब का लबों पे रहती हैं हमेशा एक मीठी सी मुस्कान ये है अपनी हीरोइन की पहचान।

नाम सृष्टि बनर्जी हैं लेकिन इस धरा पर राघव के अलावा कोई ओर नहीं था अनाथ आलय में पली बड़ी हुई दोनों का प्रेम प्रसंग पिछले छ साल से चल रहा हैं दोनों एक फंक्शन मिले थे। राघव को उसके गालों पर पड़ने वाली डिम्पल और होटों के पहरेदारी में खड़ी तिल ने राघव के मन मोह लिया दोनों अलग अलग कॉलेज में पढ़े सृष्टि ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था और इस वक्त एक अच्छी जॉब करती हैं। राघव के बेरोजगार होने से उसे कोई मतलब नहीं क्योंकि दोनों के प्रेम डोर दिल से जुड़े हैं न की जिस्म और परिस्थिती से जुड़ा हैं।


सृष्टि लबों पे मुस्कान लिए बोली " मैं तो अभी अभी आई हूं, तुम किस सोच में गुम थे कितनी आवाज दी सुना ही नहीं।"

राघव हाथ पकड़ सृष्टि को पास बिठाया उसके कंधे पर सर रखा। सर रखते ही राघव को अपर शांति की अनुभूति हुआ। शायद इसलिए कहते हैं जीवन में सच्चा प्रेम का होना बहुत जरूरी हैं। जो शांति सकून एक सच्चा प्रेमी या प्रेमिका दे सकता/ सकती वो ढोंगी प्रेमी नही दे सकता। प्रेम की अनुभूति अगर सच्चा हो तो दोनों प्रेमी खींचा चला आता। चाहे यह लोक हों या प्रलोक इसलिए तो विधाता ने मूलवान उपहार स्वरूप प्रेम का वरदान दिया । लेकिन यह वरदान हमेशा अभिशाप बनकर रह क्योंकि समाज के कायदे कानून प्रेम को तिरस्कार की दृष्टि से देखता, समझ नहीं आता ये कैसे कायदे कानून हैं जो सिर्फ़ प्रेमी जोड़े के लिए हैं। प्रेम की परिभाषा समझाने वाले की पूजा करते हैं लेकिन एक इंसान दूसरे इंसान से प्रेम करे तो इनके आंखो में खटकता हैं। जो प्रेमियों के राह में कटे बिछा देते, जो इनके लिए दुःख दाई , पीड़ा दाई ओर कष्टों से भरा होता हैं।

कुछ ज्यादा ही फ्लो में बह गया था और लम्बा चौड़ा प्रवचन लिख डाला क्या करूं प्रेम पुजारी हुं लेकिन जिसकी प्रेम की पूजा करना चाहता हूं वो अभी तक नहीं मिला लगता हैं इधर का रस्ता ही भुल गई और किसी दूसरे प्लानेट पर लैंड कर गई। खैर गौर तलब मुद्दा ये हैं खोजबीन जारी हैं मिल गई तो मस्त स्माइल के साथ फोटो पोस्ट कर दूंगा लाईक और कोमेट कर देना।


अपडेट यहीं खत्म करता हूं। दोनों प्रेमी जोड़े का वर्तालब next Update में दूंगा जानें से पहले इतना कहूंगा उंगली करके लाईक ओर कॉमेंट छोड़ जाना बरना…… बरना क्या करूंगा कुछ नहीं कर सकता अपकी उंगली अपका मोबाइल, अपका लैपटॉप उंगली करे या न करें अपकी इच्छा मेरी इच्छा से थोड़ी न चलेंगे।
:respekt:

कहा थे मान्यवर आप अभी तक
आप तो शब्दो के PC SORCAR निकले
अपडेट के हर लाईन मे गहरी बाते और उनसे जुडी भावनाये तो दिल को कचोट लेती है ।
क्या सुन्दर वर्णन हुआ राघव की प्रियतमा का
प्यार की ताकत है ही ऐसी कि अगर सच्चे प्यार के बारे पढ भी ले तो दर्द ए दिल को सुकून मिल जाता है । वही मह्सूस हुआ मुझे आज

शब्द नहीं हैं दोस्त आपकी प्रतिभा के व्य्ख्यान के लिए मेरे पास

उम्मीद एक बहुत गहरी और विश्वास की भावना है जो हमारे अहम के बहुत ही निकट वास करती है ।
और अहम उम्मीद का वही ईर्ष्यालु पड़ोसी है जो हमारे घर समाज मे होते है , जरा से हमारे टुटने या कमजोर होने पर हम पर हावी हो जाते है ।
ठीक यही अटल जी के साथ हैं
पूर्वजो की परम्परा को जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि समझ कर उसे और विस्तार करने के लिए अपनी उम्मीद का थिकरा अपने बेटे के माथे बान्धा ।
हुआ क्या राघव ने नकारा तो अटल जी का उम्मिद का घडा टुट गया और अहम के धुए ने उन्हे अपने गिरफ्त मे ले लिया ।

अक्सर यही होता है ल्ग्भग हर परिवार मे जहा माता पिता उम्मीद करते है कि उनका बेटा समझदार हो लेकिन करे वही जो वो कहे ।
माता पिता ये नही सोचते कि जब वो समझदार होगा तो उसके विचार अपने लिये जो जिम्मेदारीया है उसके बारे भी सोचेगे । वो भी अपने लिये कुछ उम्मीदे बनाएगा जिन्हे शायद उसके मा बाप ही पुरा कर सके ।

समय के साथ होते बदलाव और समाज के गलत संगत का भय से माता पिता अपने बच्चो को बचपन से अनुशासन मे रखने की कोशिस करते है और समय के साथ उनकी जिम्मेदारि और अनुशाशन का दायरा एक जिद की दहलिज का रूप ले लेता है , जिसे पार कर आप उनके जिद भरी उम्मीद को तोड देते हो और वही उनका अहम उन्हे घेर लेता है ।
वो आपके प्रति की गयी अपनी जिम्मेदारी को एक अहसान के रूप मे थोपने लगेंगे और आप उनकी नाफरमानी कर एक बुरे व्यकित्व के रूप मे उनके सामने रहोगे ।


उम्मीद
ये शब्द बहुत ही गहरे है दोस्त
जीवन कम पड़ जाते है इसे पुरा करते करते
एक बार फिर से शुक्रिया ऐसे सुन्दर प्रसंग को यहा प्रस्तुत करने के लिए
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
ये चेतावनी भी बडी लाजवाब है
5 रुपये की चिकन बिरयानी मे मिला कवाब है
चमन चुतियो की फिकर ना करो वो ऐसे ही रहेंगे
चोद लेंगे खुद मा अपनी और मागते तर्को पर जवाब है

😝😝😝😝
दादा चमन चुतियो से कौन डरता इनसे तो रोज दो चार होना पड़ता लेकिन बात वह खटकता जब समझदार लोग समझ कर भी न समझी का ढोंग करे.......
आप समझ ही गए होंगे मैं किनके बरे में बोल रहा हूं।
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Awesome Updateee

Atal ji jaisa haal toh aajkal bahot se ghar mein dekhne ko milta hai. Jaha berojgaar bete ko roj taana sunne ko milta hai.

Lekin baap ko kaun samjhaye aaj ke samay mein naukri milna kitna mushkil hai.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.

बड़े भाई 💯 प्रतिशत सही कहा बस इतना समझ लिए एक वक्त मैं भी इस दौर से गुज़र दिल का दर्द शब्दों में बाहर आया बस सच इतना हैं कि मेरे बापू अटल जी जैसे ताने नहीं देते थे बस कहते थे कोशिश कर कुछ न कुछ ढंग का मिल ही जाएगा

आगे होगा दोनों प्रेमियों की वार्तालाप और तन्नु की नटखट और चुलबुली कांड।

बहुत बहुत शुक्रिया जगुआर जी
 
Top