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Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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:respekt:

बेशक लगाओ क्लास
बड़े भाई हो जु के
उम्मीद से बंधी डोर
टूटने न दू
साथ हों साथ चलते रहो
थोड वक्त दो
फिर देखो जोर

शुक्रिया बड़े भाई इतनी खुबसूरत फुल बरसते शब्दो के लिए बस थोड़ी व्यस्तता के कारण अपडेट छोटा हों रहा हैं।
Koi nhi joke spat tha

Mst update 😊😊😊
Lage raho
 

Jaguaar

Well-Known Member
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Update - 3

राघव सृष्टि के कंधे पर सर रख नीर बहा रहा था और कांधे को भिगो रहा था। गीला पान चूबते ही सृष्टि ने राघव का सर उठाया उसके आशु पोछा फिर बोला " क्या हुआ राघव आज फिर से कहा सुनी हुई। मत रो तुम्हारे अंशु मेरे दिल को खचोट रहीं तुम ने रोना बन्द नहीं किया तो मैं भी रो दूंगी।


राघव सृष्टि की आंखो में देखकर उसके लवों को अपने लवों से मिलाया ये अदभूत क्षण कुछ ही सेकंड के लिए था। अलग होकर राघव बोला " रोऊ न तो और क्या करू पापा की तीखी बाते और सहन नहीं होता। मैं क्या करूं जो उनके दिल में पुरानी जगह बना पाऊं"


सृष्टि " करना कुछ नहीं हैं सिर्फ़ आंखे मूंदे सुनती रहो, जो कह रहे हैं एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो तुमने उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर काम किया तो गुंबार तो पनपना ही था। जिस दिन उन्हे अहसास होगा तुम सही थे देखना पुराना दुलार लौट आएगा।


राघव " न जानें कब लौटेगा, उम्मीद खो चुका हूं अब तो मन करता हैं….."


लवों पे उंगली रख सृष्टि कहती हैं " चुप बिलकुल कुछ भी उटपटांग न कहना।"


राघव मुस्कुराया लबों से उंगली हटाकर हाथ को चूमा फिर बोला " अच्छा नहीं कहता बाबा… मैं उटपटांग बोलूं या न बोलूं किसे फर्क पड़ता हैं।"


सृष्टि " आज कहा हैं दुबारा न कहना सब को फर्क पड़ता हैं, मैं हूं , आंटी हैं, तन्नु हैं, अंकल हैं।


राघव "hummm अंकल आंटी….


सृष्टि कान पकड़ भोली सूरत और मासूम अदा से बोली " सॉरी न babaaaa,


राघव " hummm ये ठीक हैं। इतनी भोली सूरत मासूम अदा से बोलोगी तो कौन माफ नहीं करेगा।


सृष्टि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर बोली " माफ तो करना ही था। मुझसे इतना प्यार जो करते हों, मैं जो बोलती हूं वो सुनो अभी हमारी शादी नहीं हुई। इसलिए उन्हे अंकल आंटी बोल सकती हूं।


राघव " मोबइल दो जरा मां से पूछकर बताता हूं।


सृष्टि " न बाबा न उनसे न पुछना बहुत डाटेगी। मां से याद आया जल्दी घर जाओ मां टेंशन में हैं।


राघव " ओ तो मां ने तुम्हें मेरे यहां होने की ख़बर दी।


सृष्टि " मां ने सिर्फ इतना बताया पापा ने तुम्हें भला बुरा कहा और तुम घर से निकल आए।"


राघव " फिर तुम कैसे जान पाए मैं यहां हूं?"


सृष्टि " तुम न पुरे के पूरे झल्ले हों जानते सब हों जानकर भी अनजान बनते हो। जब भी तुम्हारा पापा से नोक झोंक होता हैं। तुम अपना ये क्यूट सा चहरा कद्दू जैसा बनाकर यहां आ जाते हों।


राघव " मेरा चहरा कद्दू जैसा तो क्या तुम्हारा चहरा फुल गोभी जैसा।"


सृष्टि " न न मेरा चहरा गोभी जैसा क्यों होगा। खिला हुआ गुलाब हैं जिसे देखकर तुम्हारे चहरे की क्यूटनेंस ओर बड़ जाती हैं।


राघव " न जाने कब ये खिला हुआ गुलाब मेरे अंगना आकार महकेगा।"


सृष्टि " वो दिन तो तब आएगा जब मम्मी पापा चाहेंगे।"


राघव " फिर तो वो दिन आने से रहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं ।"


सृष्टि मुस्कुराया पीट पे एक धाप दिया फिर बोला " नौकरी से याद आया एक जगह बात किया हैं तुम्हारे नाक पर मक्खी न बैठें तो जाकर देख आना।"


राघव " मेरे नाक पे भला मक्खी क्यों बैठेगा। बैठा तो उसे मसल न दू।"


राघव के नाक पकड़ हिलाते हुए सृष्टि बोली " कभी कभी इगो आड़े आ जाती हैं अहम को चोट न पहुंचे इसलिए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता हैं।


राघव " मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया। तूम जो कुछ भी मेरे लिए करती उससे मुझे खुशी मिलता हैं। तुम्हारी जैसी गर्लफ्रेंड बहुत नसीब वालो को मिलाता हैं। शायद किसी जनम में बहुत पुण्य काम किया होगा जिसके फलस्वरूप तुम मुझे मिली।"


सृष्टि " ये कैसी बाते कर रहें हों नसीब वाली तो मैं हु जो तुम मुझे मिले। तुम्हारे लिए नहीं करूंगी तो ओर किसके लिए करूंगी तुम्हारे अलावा मेरा कौन हैं।"


राघव " haumnnn……


सृष्टि " रूको रुको फुन आई बात कर लू फिर जो बोलना हैं बोल लेना।"


सृष्टि बात करती हैं फिर राघव को बोलती हैं " बहुत देर हों गई अब हमे चलना चहिए। तुम भी जाओ मां वहा टेंशन के मारे फिर से फेरे लेने पे तुली हैं।"


राघव एक छोटा सा kiss 😘 कर चल देता हैं तब सृष्टि राघव को रोक कर बोलती हैं " एड्रेस तो लिया नहीं बिना एड्रेस के जॉब की इंटरव्यू देने कैसे जाओगे।


सृष्टि राघव को एड्रेस बता देती हैं। राघव चलने लगता हैं तब सृष्टि पिछे से बोलती हैं " कल याद से मिल लेना और शाम को मुझे good news देना।"


राघव मुंडी hannn में हिलाया, सृष्टि मुस्कुराते हुए चल दिया। राघव भी मस्त मौला चल दिए। चाल से जान पड़ता, बहुत खुश होकर जा रहा था। कौन कहेगा कुछ देर पहले राघव को बाप ने तीखी मिर्ची वाली चटनी चटाई। बस लवर के होटों का मिठास चाट लिया और सारा तीखापन भूल गया। ये कैसा प्यार है कुछ पल्ले न पड़ा। ऐसी प्रेमिका सब की लाइफ में आ जाए तो बल्ले बल्ले डिस्को भांगड़ा तिनक धीन ताना नाचू मैं टांग उठाके।


राघव सभी बाते भुलाकर मन मौजी नाचते हुए घर पहुंचा। वहां तन्नु और प्रगति डायनिग टेबल पर कोहनी टिकाए दोनों गालों को पकड़े सोच की मुद्रा में बैठी थीं। नाश्ते की प्लेट दोनों के सामने रखा था। तन्नु की पेट की खोली पहले से थोडा सा भरा था। इसलिए खाएं न खाए कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रगति के सामने रखी प्लेट में से एक भी निवाला खाया नहीं गया। प्रगति बीच बीच में सर को हिला रहीं थीं। ये देखकर राघव की हंसी छूट गया। राघव khiii..khiii...khiii… कर हसने लगा। हसी कि आवाज कानों में पड़ते ही दोनों का ध्यान भंग हुआ। राघव को देखकर प्रगति राघव के पास गईं और बोली " तुझे मज़ा आ रहा हैं यहां हमारी टेंशन के मारे दो चार किलो वजन कम हों गया। नाराज होकर कहा गया था। तेरे बाप को ना जाने कौन-सा खुन्नस चढ़ा हुआ हैं। जो मन में आता बोल देता किसी को नहीं बकस्ता। तू भी ऐसा करेगा तो देख लेना किसी दिन मैं कुछ कर बैठूंगी।


मां की बात सुनाकर राघव की सारी हसी गायब हों गया। राघव कान पकड़ कर " soryyy.. soryyy..soryyy….. आगे से ऐसा नहीं करूंगा।


तन्नु " कोई सॉरी बोरी नहीं चलेगी मेरी जान हलक में आ गई थी और अपको khiii..khiii... सूझ रहीं थीं।


तन्नु फुल्के की तरह मुंह फुलाकर खड़ी हों गईं। राघव सोचे मनाए तो किसे मनाए मां अलग रूठी हैं, तन्नु अलग रूठी हैं। कुछ समझ न आया करे तो क्या करें फिर अचानक करेंट का फ्लो तेज हुआ दिमाग की ट्यूब लाईट जली चाट से एक चुटकी बजाई और जाकर डयानिग टेबल पर बैठ गई और तन्नु की झुटी प्लेट से चाटा... चाट…, चाटा….. चाट…. चपाती खाने लगा। हपसी की तरह खाते देख प्रगति और तन्नु का चेहरा खिल उठा और हसी छूट गई। हंसते हुऐ तन्नु बोली "देखो भुक्कड़ को हपसी की तरह खाए जा रहा हैं। हम रूठे हैं माने के बजाय गपागप गपागप खाए जा रहा हैं"


राघव के मुंह में निवाला था। पानी पीकर निवाला गटका फिर बोला " वो क्या है न मुझे बड़ी जोरो की भूख लगा था मेरी प्यारी बहनिया की झूठी प्लेट देखा तब भूख ओर बड़ गया। सोचा पेट को शांत कर लूं फिर दोनों को माना लूंगा।"


प्रगति हंस दिया तन्नु मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव की ओर दौड़ी गला दबाने का ढोंग करते हुए बोली " मन कर रहा हैं अपका गला दबा दूं।"


राघव "चल हट पगली पहले खाने दे फिर शौक से गला दवा लेना।"


तन्नु आंखे मलते हुए uaammm.. uaammm… करने लागी। राघव तन्नु को रोने की एक्टिंग करते देखकर खडा हुआ और बोला

"तन्नु तू रो क्यों रहीं"


तन्नु प्रगति की ओर उंगली दिखते हुए बोली "मम्मा"


राघव प्रगति की ओर देखकर बोला " मां अपने कुछ कहा"


प्रगति " मैने कहां कुछ कहा, कहता तो तुझे सुनाई नहीं देता। ये ढोंगी, ढोंग करना बंद कर जब देखो नौटंकी करती रहेंगी।"


तन्नु किया करती उसकी भांडा तो फुट गया। मुस्कुराते हुए आंखों से हाथ हटा लिया और भोली सुरत बना लिया। भोली सुरत देखकर राघव मुस्कुराया और फिर से खाने बैठ गया।


(' ये हापसी कितना खायेगा पेट हैं की कुंआ '

राघव " चुप चाप स्टोरी लिख, ज्यादा भूख लागी हैं तो आ जा जली हुई चपाती के साथ मोमो वाली थिखी चटनी चाट के निकल जाना"

"ये हलकट चुप रह")


राघव को दुबारा खान खाते देखकर प्रगति सर पर हाथ मरते हुए बोला " हे भगवान कैसा चिराग दिया। मां भूखा है पूछने के बजाय खुद खाने बैठ गया। राघव तू कैसा बेटा हैं मां को पुछ तो लेता।"


राघव " पुछना किया अपने हाथ से खिलाता हूं।"


कहकर प्लेट हाथ में लिया मां के पास गया एक छोटा निवाला बनाकर हाथ आगे बढाया तो प्रगति ने सर हिलाकर मना कर दिया तब राघव बोला " आले ले ले मेरा सोना मम्मा नलाज हो गया। चलो मुंह खोलो छोटे बच्चे की तरह जिद्द नहीं करते।"


प्रगति भाव विहीन होकर राघव को देखने लगीं। उसकी पलके भोजील हुईं तो आंख मिच लिया। आंख मिचते ही दो बूंद नीर बह निकला, आंखे पोछा मुंह खोला और निवाला लपक लिया। आंख पोछते देखकर राघव पूछा " मां किया हुआ आप रो क्यों रहे हों?"


प्रगति " कुछ नही रे बचपन में तू न खाने की जिद्द करता तो मैं तुझे ऐसे ही मनाया करती थीं। वो पल याद आ गया इसलिए आंखे नम हों गईं।


तन्नु " अच्छा तो फिर अपने मुझे भी खिलाया था।"


प्रगति " हां दोनों को खिलाया था। तू तो सबसे ज्यादा जिद्द करती थी और मेरे हाथों से खाती ही नहीं थी राघव खिलाता तो झट से खां लेती थीं।"


तन्नु " वो मैं आज भी खाती हूं भईया की प्यारी बहनिया जो हूं। क्यों सही कहा न भईया।"


राघव " तूने कभी गलत बोला हैं जो अब बोलेगी तू तो मेरी चुनूं सी, मुन्नू सी बहना प्यारी हैं।"


राघव बोलते हुए मुंह ही इस तरीके से बनया था। सब के चहरे पर हसी छा गईं फिर प्रगति बोली "चलो बहुत हुआ हसी मजाक अब आराम से बैठ कर नाश्ता करते हैं।"


डायनिंग टेबल पर जाकर तीनों नाश्ता करने बैठ गए। क्या मनोरम दृश्य था। तीनों मां, बेटी, बेटा एक ही थाली से खां रहे थे और एक दुसरे को खिला रहे थे। इनकी खुशी की झलकी देखकर कोई कह नहीं पाएगा जैसे अभी अभी कुछ देर पहले कुछ हुआ था। तन्नु ठहरी चुलबुली बच्ची उसके मस्तिष्क के खोचे में चूल मची रहती तो फिर किया चूल मची और बोल बैठी " वैसे तो आप उदास चहरा , रोतढू सकल के साथ गए थे। भाभी ने ऐसा किया चखा दिया जो खिलखिलाते हुए आए।"


राघव कुछ बोलता उससे पहले प्रगति बोल पड़ी " चुप कर बड़बोला कही का जब देखो बक बक करती रहेंगी साथ ही मेरे बेटे को परेशान करती रहेंगी।"


फिर किया था तन्नु की एक्टिंग शुरू इसे अगर एक्टिंग की कंपीटीशन में भेजा जाए तो जज का भेजा खाके फर्स्ट प्राइज लेकर आएगी। रोतढू सकल बनके दोनों आंखे मलते हुए बोली "uaammm.. uaammm… भईया मम्मा डाट रहीं हैं।"


राघव " मां अपने डांटा क्यों, तू चुप कर कोई नहीं डांटेगा।"


तन्नु " sachiiii"


राघव " mucchiiii"


तन्नु " तो फिर बोलो न भईया भाभी ने किया किया?"


प्रगति " tannuuuuu"


तन्नु " भईया देखो फिर से"


प्रगति " भईया की बच्ची रुक तुझे बताती हूं।"


प्रगति जैसे ही अपने जगह से उठी तन्नु जीव दिखाकर fhurrr से भागी जाकर कमरे में रूकी और दरवाजा बन्द कर लिया। प्रगति पहुंची दरवाजा पीटते रह गई दरवजा नहीं खुला। इन मां बेटी की tom and jerry सो देखकर राघव के पेट में गुदगुदी मची और जी भर के हंसा। प्रगति थक हर के वापस आईं। राघव को हंसता देखकर बोली " तुझे क्या हुआ भांग बांग पी लिया जो वाबलो की तरह हासे जा रहा हैं।


राघव " आप दोनों के tom and jerry वाला सो देख के खुद को रोक नहीं पाया और बावला बनके हंसने लगा।"


प्रगति "ऐसे ही हंसती रहा कर। ये जो कुछ भी हों रहीं है सब तेरी कारिस्तानी है। तेरी वजह से ही इतनी सर चढ़ी हुई हैं।"


राघव "अरे मां करने दो न जो करती है। अभी उसे उसकी मन की करने दो शादी के बाद न जानें कैसा ससुराल मिलेगा क्या पाता शादी के बाद ऐसे मस्ती ही न कर पाए।"


प्रगति " तू कहता है तो करने देती हूं। तेरे सामने तो कुछ कह नहीं पाऊंगी तेरे पिछे उसकी ढोलक दवाके बजूंगी।



फिल्म का पॉज बटन यहां दबाता हूं। अब प्ले बटन तब दवेगा जब आप मस्त मस्त रेवो के संग लाईक ठोकोगे। तो भाऊ और भाऊ लोगों आज के लिए विदा लेते हूं सास रही तो फिर मिलूंगा।
Bahot hi achha update thaaa maza aaya padh ke
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Update - 3

राघव सृष्टि के कंधे पर सर रख नीर बहा रहा था और कांधे को भिगो रहा था। गीला पान चूबते ही सृष्टि ने राघव का सर उठाया उसके आशु पोछा फिर बोला " क्या हुआ राघव आज फिर से कहा सुनी हुई। मत रो तुम्हारे अंशु मेरे दिल को खचोट रहीं तुम ने रोना बन्द नहीं किया तो मैं भी रो दूंगी।


राघव सृष्टि की आंखो में देखकर उसके लवों को अपने लवों से मिलाया ये अदभूत क्षण कुछ ही सेकंड के लिए था। अलग होकर राघव बोला " रोऊ न तो और क्या करू पापा की तीखी बाते और सहन नहीं होता। मैं क्या करूं जो उनके दिल में पुरानी जगह बना पाऊं"


सृष्टि " करना कुछ नहीं हैं सिर्फ़ आंखे मूंदे सुनती रहो, जो कह रहे हैं एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो तुमने उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर काम किया तो गुंबार तो पनपना ही था। जिस दिन उन्हे अहसास होगा तुम सही थे देखना पुराना दुलार लौट आएगा।


राघव " न जानें कब लौटेगा, उम्मीद खो चुका हूं अब तो मन करता हैं….."


लवों पे उंगली रख सृष्टि कहती हैं " चुप बिलकुल कुछ भी उटपटांग न कहना।"


राघव मुस्कुराया लबों से उंगली हटाकर हाथ को चूमा फिर बोला " अच्छा नहीं कहता बाबा… मैं उटपटांग बोलूं या न बोलूं किसे फर्क पड़ता हैं।"


सृष्टि " आज कहा हैं दुबारा न कहना सब को फर्क पड़ता हैं, मैं हूं , आंटी हैं, तन्नु हैं, अंकल हैं।


राघव "hummm अंकल आंटी….


सृष्टि कान पकड़ भोली सूरत और मासूम अदा से बोली " सॉरी न babaaaa,


राघव " hummm ये ठीक हैं। इतनी भोली सूरत मासूम अदा से बोलोगी तो कौन माफ नहीं करेगा।


सृष्टि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर बोली " माफ तो करना ही था। मुझसे इतना प्यार जो करते हों, मैं जो बोलती हूं वो सुनो अभी हमारी शादी नहीं हुई। इसलिए उन्हे अंकल आंटी बोल सकती हूं।


राघव " मोबइल दो जरा मां से पूछकर बताता हूं।


सृष्टि " न बाबा न उनसे न पुछना बहुत डाटेगी। मां से याद आया जल्दी घर जाओ मां टेंशन में हैं।


राघव " ओ तो मां ने तुम्हें मेरे यहां होने की ख़बर दी।


सृष्टि " मां ने सिर्फ इतना बताया पापा ने तुम्हें भला बुरा कहा और तुम घर से निकल आए।"


राघव " फिर तुम कैसे जान पाए मैं यहां हूं?"


सृष्टि " तुम न पुरे के पूरे झल्ले हों जानते सब हों जानकर भी अनजान बनते हो। जब भी तुम्हारा पापा से नोक झोंक होता हैं। तुम अपना ये क्यूट सा चहरा कद्दू जैसा बनाकर यहां आ जाते हों।


राघव " मेरा चहरा कद्दू जैसा तो क्या तुम्हारा चहरा फुल गोभी जैसा।"


सृष्टि " न न मेरा चहरा गोभी जैसा क्यों होगा। खिला हुआ गुलाब हैं जिसे देखकर तुम्हारे चहरे की क्यूटनेंस ओर बड़ जाती हैं।


राघव " न जाने कब ये खिला हुआ गुलाब मेरे अंगना आकार महकेगा।"


सृष्टि " वो दिन तो तब आएगा जब मम्मी पापा चाहेंगे।"


राघव " फिर तो वो दिन आने से रहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं ।"


सृष्टि मुस्कुराया पीट पे एक धाप दिया फिर बोला " नौकरी से याद आया एक जगह बात किया हैं तुम्हारे नाक पर मक्खी न बैठें तो जाकर देख आना।"


राघव " मेरे नाक पे भला मक्खी क्यों बैठेगा। बैठा तो उसे मसल न दू।"


राघव के नाक पकड़ हिलाते हुए सृष्टि बोली " कभी कभी इगो आड़े आ जाती हैं अहम को चोट न पहुंचे इसलिए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता हैं।


राघव " मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया। तूम जो कुछ भी मेरे लिए करती उससे मुझे खुशी मिलता हैं। तुम्हारी जैसी गर्लफ्रेंड बहुत नसीब वालो को मिलाता हैं। शायद किसी जनम में बहुत पुण्य काम किया होगा जिसके फलस्वरूप तुम मुझे मिली।"


सृष्टि " ये कैसी बाते कर रहें हों नसीब वाली तो मैं हु जो तुम मुझे मिले। तुम्हारे लिए नहीं करूंगी तो ओर किसके लिए करूंगी तुम्हारे अलावा मेरा कौन हैं।"


राघव " haumnnn……


सृष्टि " रूको रुको फुन आई बात कर लू फिर जो बोलना हैं बोल लेना।"


सृष्टि बात करती हैं फिर राघव को बोलती हैं " बहुत देर हों गई अब हमे चलना चहिए। तुम भी जाओ मां वहा टेंशन के मारे फिर से फेरे लेने पे तुली हैं।"


राघव एक छोटा सा kiss 😘 कर चल देता हैं तब सृष्टि राघव को रोक कर बोलती हैं " एड्रेस तो लिया नहीं बिना एड्रेस के जॉब की इंटरव्यू देने कैसे जाओगे।


सृष्टि राघव को एड्रेस बता देती हैं। राघव चलने लगता हैं तब सृष्टि पिछे से बोलती हैं " कल याद से मिल लेना और शाम को मुझे good news देना।"


राघव मुंडी hannn में हिलाया, सृष्टि मुस्कुराते हुए चल दिया। राघव भी मस्त मौला चल दिए। चाल से जान पड़ता, बहुत खुश होकर जा रहा था। कौन कहेगा कुछ देर पहले राघव को बाप ने तीखी मिर्ची वाली चटनी चटाई। बस लवर के होटों का मिठास चाट लिया और सारा तीखापन भूल गया। ये कैसा प्यार है कुछ पल्ले न पड़ा। ऐसी प्रेमिका सब की लाइफ में आ जाए तो बल्ले बल्ले डिस्को भांगड़ा तिनक धीन ताना नाचू मैं टांग उठाके।


राघव सभी बाते भुलाकर मन मौजी नाचते हुए घर पहुंचा। वहां तन्नु और प्रगति डायनिग टेबल पर कोहनी टिकाए दोनों गालों को पकड़े सोच की मुद्रा में बैठी थीं। नाश्ते की प्लेट दोनों के सामने रखा था। तन्नु की पेट की खोली पहले से थोडा सा भरा था। इसलिए खाएं न खाए कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रगति के सामने रखी प्लेट में से एक भी निवाला खाया नहीं गया। प्रगति बीच बीच में सर को हिला रहीं थीं। ये देखकर राघव की हंसी छूट गया। राघव khiii..khiii...khiii… कर हसने लगा। हसी कि आवाज कानों में पड़ते ही दोनों का ध्यान भंग हुआ। राघव को देखकर प्रगति राघव के पास गईं और बोली " तुझे मज़ा आ रहा हैं यहां हमारी टेंशन के मारे दो चार किलो वजन कम हों गया। नाराज होकर कहा गया था। तेरे बाप को ना जाने कौन-सा खुन्नस चढ़ा हुआ हैं। जो मन में आता बोल देता किसी को नहीं बकस्ता। तू भी ऐसा करेगा तो देख लेना किसी दिन मैं कुछ कर बैठूंगी।


मां की बात सुनाकर राघव की सारी हसी गायब हों गया। राघव कान पकड़ कर " soryyy.. soryyy..soryyy….. आगे से ऐसा नहीं करूंगा।


तन्नु " कोई सॉरी बोरी नहीं चलेगी मेरी जान हलक में आ गई थी और अपको khiii..khiii... सूझ रहीं थीं।


तन्नु फुल्के की तरह मुंह फुलाकर खड़ी हों गईं। राघव सोचे मनाए तो किसे मनाए मां अलग रूठी हैं, तन्नु अलग रूठी हैं। कुछ समझ न आया करे तो क्या करें फिर अचानक करेंट का फ्लो तेज हुआ दिमाग की ट्यूब लाईट जली चाट से एक चुटकी बजाई और जाकर डयानिग टेबल पर बैठ गई और तन्नु की झुटी प्लेट से चाटा... चाट…, चाटा….. चाट…. चपाती खाने लगा। हपसी की तरह खाते देख प्रगति और तन्नु का चेहरा खिल उठा और हसी छूट गई। हंसते हुऐ तन्नु बोली "देखो भुक्कड़ को हपसी की तरह खाए जा रहा हैं। हम रूठे हैं माने के बजाय गपागप गपागप खाए जा रहा हैं"


राघव के मुंह में निवाला था। पानी पीकर निवाला गटका फिर बोला " वो क्या है न मुझे बड़ी जोरो की भूख लगा था मेरी प्यारी बहनिया की झूठी प्लेट देखा तब भूख ओर बड़ गया। सोचा पेट को शांत कर लूं फिर दोनों को माना लूंगा।"


प्रगति हंस दिया तन्नु मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव की ओर दौड़ी गला दबाने का ढोंग करते हुए बोली " मन कर रहा हैं अपका गला दबा दूं।"


राघव "चल हट पगली पहले खाने दे फिर शौक से गला दवा लेना।"


तन्नु आंखे मलते हुए uaammm.. uaammm… करने लागी। राघव तन्नु को रोने की एक्टिंग करते देखकर खडा हुआ और बोला

"तन्नु तू रो क्यों रहीं"


तन्नु प्रगति की ओर उंगली दिखते हुए बोली "मम्मा"


राघव प्रगति की ओर देखकर बोला " मां अपने कुछ कहा"


प्रगति " मैने कहां कुछ कहा, कहता तो तुझे सुनाई नहीं देता। ये ढोंगी, ढोंग करना बंद कर जब देखो नौटंकी करती रहेंगी।"


तन्नु किया करती उसकी भांडा तो फुट गया। मुस्कुराते हुए आंखों से हाथ हटा लिया और भोली सुरत बना लिया। भोली सुरत देखकर राघव मुस्कुराया और फिर से खाने बैठ गया।


(' ये हापसी कितना खायेगा पेट हैं की कुंआ '

राघव " चुप चाप स्टोरी लिख, ज्यादा भूख लागी हैं तो आ जा जली हुई चपाती के साथ मोमो वाली थिखी चटनी चाट के निकल जाना"

"ये हलकट चुप रह")


राघव को दुबारा खान खाते देखकर प्रगति सर पर हाथ मरते हुए बोला " हे भगवान कैसा चिराग दिया। मां भूखा है पूछने के बजाय खुद खाने बैठ गया। राघव तू कैसा बेटा हैं मां को पुछ तो लेता।"


राघव " पुछना किया अपने हाथ से खिलाता हूं।"


कहकर प्लेट हाथ में लिया मां के पास गया एक छोटा निवाला बनाकर हाथ आगे बढाया तो प्रगति ने सर हिलाकर मना कर दिया तब राघव बोला " आले ले ले मेरा सोना मम्मा नलाज हो गया। चलो मुंह खोलो छोटे बच्चे की तरह जिद्द नहीं करते।"


प्रगति भाव विहीन होकर राघव को देखने लगीं। उसकी पलके भोजील हुईं तो आंख मिच लिया। आंख मिचते ही दो बूंद नीर बह निकला, आंखे पोछा मुंह खोला और निवाला लपक लिया। आंख पोछते देखकर राघव पूछा " मां किया हुआ आप रो क्यों रहे हों?"


प्रगति " कुछ नही रे बचपन में तू न खाने की जिद्द करता तो मैं तुझे ऐसे ही मनाया करती थीं। वो पल याद आ गया इसलिए आंखे नम हों गईं।


तन्नु " अच्छा तो फिर अपने मुझे भी खिलाया था।"


प्रगति " हां दोनों को खिलाया था। तू तो सबसे ज्यादा जिद्द करती थी और मेरे हाथों से खाती ही नहीं थी राघव खिलाता तो झट से खां लेती थीं।"


तन्नु " वो मैं आज भी खाती हूं भईया की प्यारी बहनिया जो हूं। क्यों सही कहा न भईया।"


राघव " तूने कभी गलत बोला हैं जो अब बोलेगी तू तो मेरी चुनूं सी, मुन्नू सी बहना प्यारी हैं।"


राघव बोलते हुए मुंह ही इस तरीके से बनया था। सब के चहरे पर हसी छा गईं फिर प्रगति बोली "चलो बहुत हुआ हसी मजाक अब आराम से बैठ कर नाश्ता करते हैं।"


डायनिंग टेबल पर जाकर तीनों नाश्ता करने बैठ गए। क्या मनोरम दृश्य था। तीनों मां, बेटी, बेटा एक ही थाली से खां रहे थे और एक दुसरे को खिला रहे थे। इनकी खुशी की झलकी देखकर कोई कह नहीं पाएगा जैसे अभी अभी कुछ देर पहले कुछ हुआ था। तन्नु ठहरी चुलबुली बच्ची उसके मस्तिष्क के खोचे में चूल मची रहती तो फिर किया चूल मची और बोल बैठी " वैसे तो आप उदास चहरा , रोतढू सकल के साथ गए थे। भाभी ने ऐसा किया चखा दिया जो खिलखिलाते हुए आए।"


राघव कुछ बोलता उससे पहले प्रगति बोल पड़ी " चुप कर बड़बोला कही का जब देखो बक बक करती रहेंगी साथ ही मेरे बेटे को परेशान करती रहेंगी।"


फिर किया था तन्नु की एक्टिंग शुरू इसे अगर एक्टिंग की कंपीटीशन में भेजा जाए तो जज का भेजा खाके फर्स्ट प्राइज लेकर आएगी। रोतढू सकल बनके दोनों आंखे मलते हुए बोली "uaammm.. uaammm… भईया मम्मा डाट रहीं हैं।"


राघव " मां अपने डांटा क्यों, तू चुप कर कोई नहीं डांटेगा।"


तन्नु " sachiiii"


राघव " mucchiiii"


तन्नु " तो फिर बोलो न भईया भाभी ने किया किया?"


प्रगति " tannuuuuu"


तन्नु " भईया देखो फिर से"


प्रगति " भईया की बच्ची रुक तुझे बताती हूं।"


प्रगति जैसे ही अपने जगह से उठी तन्नु जीव दिखाकर fhurrr से भागी जाकर कमरे में रूकी और दरवाजा बन्द कर लिया। प्रगति पहुंची दरवाजा पीटते रह गई दरवजा नहीं खुला। इन मां बेटी की tom and jerry सो देखकर राघव के पेट में गुदगुदी मची और जी भर के हंसा। प्रगति थक हर के वापस आईं। राघव को हंसता देखकर बोली " तुझे क्या हुआ भांग बांग पी लिया जो वाबलो की तरह हासे जा रहा हैं।


राघव " आप दोनों के tom and jerry वाला सो देख के खुद को रोक नहीं पाया और बावला बनके हंसने लगा।"


प्रगति "ऐसे ही हंसती रहा कर। ये जो कुछ भी हों रहीं है सब तेरी कारिस्तानी है। तेरी वजह से ही इतनी सर चढ़ी हुई हैं।"


राघव "अरे मां करने दो न जो करती है। अभी उसे उसकी मन की करने दो शादी के बाद न जानें कैसा ससुराल मिलेगा क्या पाता शादी के बाद ऐसे मस्ती ही न कर पाए।"


प्रगति " तू कहता है तो करने देती हूं। तेरे सामने तो कुछ कह नहीं पाऊंगी तेरे पिछे उसकी ढोलक दवाके बजूंगी।



फिल्म का पॉज बटन यहां दबाता हूं। अब प्ले बटन तब दवेगा जब आप मस्त मस्त रेवो के संग लाईक ठोकोगे। तो भाऊ और भाऊ लोगों आज के लिए विदा लेते हूं सास रही तो फिर मिलूंगा।
Kaafi romantic mahol raha.... ab pyar mohabbat jitna bhi chupa lo der saber aas paas walo pata chal hi jaani hai... shayad jaise tannu aur pragati ko pata hai srishti aur raghav ke baare mein....
Well....Raghav aur srishti ki chahat puri jor pe hai.... dono khud se zyada ek duje ko samajhate hai.. ek baar raghav ki naukri lag jaaye to phir shaadi pakki...
well.. jab ghar aaya to thodi bahot family drama.... waise yun aise pita ke taane sun apni mom aur sis pareshaan karna achhi baat na hai.... atal ji to har roz taane maarte hai... Adat daal leni chahiye, thodi na yun ghar chhod ke chala jana chahiye...
khair ushe ghar pe dekh dono ke dil ko sukun mila..

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan....har shabd ek alag kahani bayaan kar raha tha.. update padhte waqt aisa lage ki jaise likha gaya har shabd jeevit ho utha ho aur mujhe ye update mein ghatit drishya ko dikha rahe hai.... .
Kayi mamlo mein ye update sarvashresth hai....mujhe koi wajah najar nahin aayi ki main is update se koi kami nikalu.... ye update mann ko tarotaaja hone ka ahasaas deta hai aur sath hi ek sikh bhi de gaye...
ek paathak ke liye sab se badi khushi ki baat yahin hoti hai ki aise update padhne ko mile .. bahut bahut dhanyavaad aapko jo itna achha sundar update ham sab pathakon ke madhya rakhe... mein is update ko 5 mein se 5 ank deti hoon..
.. The narration and the dialogues were perfect fit for the atmosphere of the update.
Btw brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
33,660
59,078
304
पहला भाग।

बहुत ही बेहतरीन शुरुआत।।

कहानी की शुरुआत होती है अटल जी से जो पेशे से पंडिताई करते हैं सेवनिवित्त सरकारी कर्मचारी थे अटल जी लेकिन उन्होंने नौकरी के बाद अपने खानदानी पेशे को अपनाया। ये इस युग के भीष्म हैं जिनकी प्रतिज्ञा की तरह अटल के सिद्धांत भी अटल है। पत्नी को बहुत प्यार करते हैं लेकिन हमेशा उसकी खिंचाई भी करते हैं।।

हर बाप को ये उम्मीद होती है कि उसका बेटा उसके खानदानी पेशे को ही अपनाए और जब बेटा अपनी पसंद का काम करने लगता है तो पिता को वो नागवार गुजरता ही है। यही सब राघव को अपनव पिता से दूरी बनाकर रखने में विवश करता है। लड़की तन्नू ख़ूबसूरत होने के साथ साथ संस्कारी भी है और अपने बाप से डरती भी है इसलिए उसका अभी तक कोई लफड़ा नहीं है।।
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Kaafi romantic mahol raha.... ab pyar mohabbat jitna bhi chupa lo der saber aas paas walo pata chal hi jaani hai... shayad jaise tannu aur pragati ko pata hai srishti aur raghav ke baare mein....
Well....Raghav aur srishti ki chahat puri jor pe hai.... dono khud se zyada ek duje ko samajhate hai.. ek baar raghav ki naukri lag jaaye to phir shaadi pakki...
well.. jab ghar aaya to thodi bahot family drama.... waise yun aise pita ke taane sun apni mom aur sis pareshaan karna achhi baat na hai.... atal ji to har roz taane maarte hai... Adat daal leni chahiye, thodi na yun ghar chhod ke chala jana chahiye...
khair ushe ghar pe dekh dono ke dil ko sukun mila..

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan....har shabd ek alag kahani bayaan kar raha tha.. update padhte waqt aisa lage ki jaise likha gaya har shabd jeevit ho utha ho aur mujhe ye update mein ghatit drishya ko dikha rahe hai.... .
Kayi mamlo mein ye update sarvashresth hai....mujhe koi wajah najar nahin aayi ki main is update se koi kami nikalu.... ye update mann ko tarotaaja hone ka ahasaas deta hai aur sath hi ek sikh bhi de gaye...
ek paathak ke liye sab se badi khushi ki baat yahin hoti hai ki aise update padhne ko mile .. bahut bahut dhanyavaad aapko jo itna achha sundar update ham sab pathakon ke madhya rakhe... mein is update ko 5 mein se 5 ank deti hoon..
.. The narration and the dialogues were perfect fit for the atmosphere of the update.
Btw brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:

:respekt:

असाधारण रेवो इतनी अच्छी वर्गीकरण के साथ और फुल रेटिंग प्वाइंट देने के लिए शत शत नमन करते हुए बहुत बहुत धन्यवाद

कभी कभी आपके रेवो देखकर मन में ये शंका पैदा होता है कि ये हम सब के प्रिय और चुलबुली naina मैडम हों जो पत्रों की खिंचाई करके उनका xf में पेश स्टोरी में जीना मुस्किल कर देते हैं। समय हो तो मेरी इस शंका को दूर करें।

राघव कोई ढिट चमड़ी वाला तो नहीं हैं जो तीखी और ताने भरी बातों से फर्क न पड़े :tease3:
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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998
93
पहला भाग।

बहुत ही बेहतरीन शुरुआत।।

कहानी की शुरुआत होती है अटल जी से जो पेशे से पंडिताई करते हैं सेवनिवित्त सरकारी कर्मचारी थे अटल जी लेकिन उन्होंने नौकरी के बाद अपने खानदानी पेशे को अपनाया। ये इस युग के भीष्म हैं जिनकी प्रतिज्ञा की तरह अटल के सिद्धांत भी अटल है। पत्नी को बहुत प्यार करते हैं लेकिन हमेशा उसकी खिंचाई भी करते हैं।।

हर बाप को ये उम्मीद होती है कि उसका बेटा उसके खानदानी पेशे को ही अपनाए और जब बेटा अपनी पसंद का काम करने लगता है तो पिता को वो नागवार गुजरता ही है। यही सब राघव को अपनव पिता से दूरी बनाकर रखने में विवश करता है। लड़की तन्नू ख़ूबसूरत होने के साथ साथ संस्कारी भी है और अपने बाप से डरती भी है इसलिए उसका अभी तक कोई लफड़ा नहीं है।।

बहुत बहुत धन्यवाद माही मैडम

तन्नु को संस्कारी होना ही था आखिर अटल जी ने गुलूकोस की बोतल में संस्कार डालकर उसके रगो में जो चढ़ाया था।☺️☺️
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,311
304
:respekt:

असाधारण रेवो इतनी अच्छी वर्गीकरण के साथ और फुल रेटिंग प्वाइंट देने के लिए शत शत नमन करते हुए बहुत बहुत धन्यवाद

कभी कभी आपके रेवो देखकर मन में ये शंका पैदा होता है कि ये हम सब के प्रिय और चुलबुली naina मैडम हों जो पत्रों की खिंचाई करके उनका xf में पेश स्टोरी में जीना मुस्किल कर देते हैं। समय हो तो मेरी इस शंका को दूर करें।

राघव कोई ढिट चमड़ी वाला तो नहीं हैं जो तीखी और ताने भरी बातों से फर्क न पड़े :tease3:
Yahan mere revos check kijiye... shayad sanka door ho jaaye :declare:
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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998
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Update - 4


राघव "मेरे पीछे उसे पीटेंगे तो आपको क्या लगता हैं मेरे आने पर शिकायत नहीं करेंगी

प्रगति "तो क्या तू मुझे डाटेगा।"

राघव "आप मेरी मां जगद जननी हों मैं आपको कैसे डांट सकता हूं। मैं तो समझा बुझा कर तन्नु को चॉकलेट 🍫 देकर चुप करा दूंगा।"

प्रगति "यही ठीक रहेगी तू बैठ मैं झूठे बर्तन रखकर आती हू।"

प्रगति झूठे बर्तन रखने किचन गई राघव वहां बैठा रहा तभी तन्नू आई और बोली "भईया मम्मा कहा हैं।"

प्रगति ने शायद तन्नु की आवाज सुन लिया था। हाथ में बेलन लेकर बाहर आई दूसरे हाथ पर बेलन मरते हुए बोली "मैं इधर हु बोल क्या काम हैं?"

तन्नु बेलन हाथ में देखकर राघव के पास गई और बोली "भईया देखो मम्मी डांट रहीं हैं। आप कुछ नहीं कहोगे।"

प्रगति "चुप कर नौटंकी क्यो मां बेटे के बीच झगड़ा करवाने पे तुली हैं चुप चाप कॉलेज जा नहीं तो लेट हों जायेगी।

तन्नु "ठीक हैं अभी तो जा रही हूं। मम्मा आप न दूध गर्म करके रखना कॉलेज से आने के बाद जम के मुकाबला होगी।"

राघव "मुकाबला करेगी, तो दूध कहा से बीच में आ गया।"

तन्नु "दिन भर की पढ़ाई से मेरी एनर्जी डाउन हो जायेगी मां से मुकाबला करने के लिए मुझे एनर्जी की जरूरत पड़ेगी। दूध पाऊंगी तभी तो एनर्जी बड़ेगी इतना भी नहीं समझते बुद्ध कहीं के।"

तन्नु के बोलते ही हंसी ठहाके का माहौल बन गया। हंसते हुए प्रगति बेलन दिखाने लगी तब तन्नु कॉलेज जाना ही बेहतर समझा और कॉलेज को चाली गई तन्नु के जाते ही राघव बोला "मां कल मुझे इंटरव्यू देने जाना हैं मेरा फॉर्मल ड्रेस गंदा हैं धो देना।"

प्रगति haummm बोला और अपना काम करने लग गई राघव कुछ काम का बोलकर बाहर चला गया। ऐसे ही दिन का वक्त बीत गया। इसी बीच राघव ने ये बोल दिया जब तक बाप बेटे का रिश्ता सुधार नहीं जाता तब तक सब के साथ बैठ कर न नाश्ता करेंगा न खान खाएगा हां जब पापा बाहर जाएंगे तब तन्नु और प्रगति के साथ खां लेगा। प्रगति का मन माना करने को कहा लेकिन परिस्थिती को भाप कर हां कह दिया। रात के खाने के वक्त राघव को न देखकर अटल कारण जाना चाहा तो प्रगति ने कारण बता दिया तब अटल ने कहा " अच्छा हैं! उसके लिए और मेरे लिए यह ठीक रहेगा, काम से काम मेरे मन को तो शांति मिलेगा।"

बहुत कुछ बोलना चाहती थीं लेकिन प्रिस्थिती बिगड़ न जाएं इसलिए चुप रहीं। राघव अपने रूम में ही खा लेता हैं। यहां भी तीनों खाने का काम निपटा लेते हैं। तन्नु और प्रगति को तोड़ा अजीब लगा लेकिन शांति इस बात की मिली राघव बिना ताने सुने शांति से खाना खां लिया। ऐसे ही रात बीत गई अगले दिन अटल तड़के सुबह कही चले गए। राघव तैयार होकर रूम से निकला मां को बोलकर जाने लगा तब प्रगति राघव को रोक कर दही शक्कर लाकर खिलाया फिर उसके हाथ में कुछ पैसे रख दिए राघव न नुकार करने लगा। तब प्रगति ने डांटकर जबर्दस्ती पैसे जेब में ढाल दिया। बाहर आकर बाइक लिया और चल दिया।

इंटरव्यू की जगह राघव के घर से बहुत दूर था उसे जाने में काम से काम एक घंटा लगता। राघव अभी आधे रस्ते तक ही पहुंचा था की बाईक बंद हों गई। बाईक बंद भी ऐसी जगह हुआ जहां चहल पहल भी काम था। राघव किक पे किक मारे जा रहा था लेकिन बाईक हैं की स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किक मरते मरते राघव परेशान हों गया लेकिन बाईक बाबू मन बनकर बैठे हैं स्टार्स ही नहीं होने का मार ले किक जितनी मारनी हैं बाइक को हिलाए डुलाए फिर किक मारे बाईक स्टार्ट ही न हों। परेशान मुद्रा में राघव इधर उधार ताके ओर बाइक को किक मारे यह समय निकलता जा रहा था किया करे समझ नहीं आ रहा था। टेंशन के मारे दिमाग ने अपना फटक बंध कर लिया टेंशन में राघव बाइक के चक्कर काटे फिर रूखे शायद इस बार बाईक स्टार्ट हो जाए ये सोचकर किक मारे कोई नतीजा हाथ में न आएं बडा ही विकट परिस्थिती में फस गया। किसका मुंह देखकर निकला था जो ऐसा हो रहा था आज ही इसे बंद पड़ना था। कितने दिनों बाद मौका हाथ आया अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो सृष्टि नाराज होगी सो अलग मां और तन्नु भी नाराज होगी। आज नौकरी की व्यवस्था नहीं हुआ तो कही मेरा बाप मुझे घर से न निकल दे सोचते हुए राघव घड़ी देखता और घूम घूम कर बाइक को देखता, हुआ तो हुआ किया जो बाइक स्टार्ट नहीं हों रहा। फिर सोचे किसी से लिफ्ट मांगकर उसके साथ चल दे लेकिन बाईक का किया यहां छोड़कर भी नही जा सकता चोर उचक्के तो ऐसे मौके के तलाश में रहते कोई बाइक खाली मिले और उसे उड़ा ले। बाईक भी नहीं छोड़ सकता छोड़े तो छोड़े किसके भरोसे कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं हैं। अब तो उसे यह भी डर लगने लगा नौकरी समझो गई हाथ से ये विचार मन में आते ही राघव का चेहरा रुवशा जैसा हों गया। किस्मत भी अजीब चीज हैं जरूरत के वक्त गुलाटी मारके दूसरी पले से खेलना शुरू कर देता हैं। अब तो राघव उम्मीद भी खोता जा रहा था और ज्यादा देर हुआ तो मिलने वाली नौकरी भी हाथ से निकल जाएगा। तभी अचानक उम्मीद की किरण बनकर कोई आया बाइक रोका और बोला " ओए यारा बाइक के साथ फेर ले रहा हैं तो सृष्टि भाभी के साथ फेरे कौन लेगा।"

राघव जो नजर निचे किए सोचते हुए बाइक के चाकर काट रहा था। उसको ये आवाज जाना पहचाना लगा। उसको देखकर राघव हर्षित हों उठा, thanks 👍 बोलने का मान किया। Thanks बोलने में समय बरबाद कौन करें इसलिए एक cute सा स्माइल लवों पर सजाकर बोला "सार्थक तू सही टाइम पर आया, दोस्त हों तो तेरे जैसा।"

अचानक उम्मीद की किरण बनकर आया इस शख्स का परिचय तो होना ही चहिए इनका पूरा नाम है सार्थक सिंह, बंदा है तोड़ा कॉमेडी टाइप और मस्त मौला ज़िंदगी को खुल कर जीने वाला। राघव के दोस्तों में सबसे खाश दोस्त, राघव के घर से दो गली छोड़कर इसका घर हैं। भाई जी राघव के बचपन का दोस्त हैं, साथ में स्कूल गए और एक ही कॉलेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की डिग्री लिया। लेकिन भाई जी को नौकरी से कोई लेना देना नहीं बेफलतु में डिग्री का तमगा अपने गले में लटका लिया। दिन भर बाप की दुकान में बैठ मौज करता बंदा हैं थोडा छिछौरा टाइप का लेकिन यारी बिलकुल पक्की जब राघव के साथ होता तो कोई भी छिछौरा पान नहीं करता लेकिन जब अकेले या किसी और दोस्त के साथ होता तो छिछौरा पान का कीड़ा कुलबुला उठता। भाई साहब की यारी इतनी पक्की हैं। राघव जब जब मुसीबत में फंसाता ये भाई जी खेवन हर बनके वह पहुंच ही जाता हैं।

सार्थक बाइक पर ही बैठा था राघव हाथ पकड़ खींचते हुए "सार्थक बाइक दे जल्दी कही जाना हैं।"

सार्थक "यारा मेरे ही बाइक से मुझे ही उतरता मजरा किया हैं।"

राघव "यार इंटरव्यू के लिए जाना हैं जल्दी बाइक छोड़ मुझे देर हों रहा हैं।"

सार्थक के बाइक से उतरते ही राघव बैठा स्टार्ट किया और जाते हुए बोला "बाइक ठीक करबाके घर छोड़ denaaaaaa।"

सार्थक बाइक के पास गया और खुद भी किक मार कर देखा लेकिन रिजल्ट बोही बाइक स्टार्ट नहीं हुआ। तब टंकी के पास कान लेकर बाइक हिलाया फिर टंकी का ढक्कन खोल कर देखा और बोला "आब्बे इसका तो दाना पानी खत्म हों गया मेरा फूल टंकी वाला बाइक ले गया और अपना ये खाली टंकी मुझे पकड़ा गया।"

सार्थक एक बार आगे देखें तो एक बार पीछे देखें फिर बोला "यहां तो दूर दूर तक कोई पेट्रोल पंप भी नहीं हैं यू राघव भी न मुसीबत की टोकरी सर पर लिए पैदा हुआ जब देखो तब मुसुबत में ही फंसा मिलता हैं और हर बार अपना मुसीबत मेरे गले टांग चल देता हैं। कोई नही अपना जिगरी दोस्त हैं इतना तो करना बनता है। चल बेटा बैल गाड़ी को लगा धक्का ।"

सार्थक बाइक धकेलते हुए जा रहा था अभी कुछ ही दूर गया था की उसका मोबाइल झनझना उठा। मोबइल निकाला कॉल रिसीव किया, हां हूं में बात किया, फिर कॉल कट किया, मोबाइल जेब में रखते हुए बोला " अजीब मुसीबत हैं gf की सुनूं या दोस्त की, दोस्त की सुनूं तो gf नाराज gf की सुनूं तो दोस्त नाराज, gf तो सृष्टि भाभी जैसी होना चहिए नाराज ही नहीं होती। इस मामले में अपनें दोस्त की किस्मत बुलंदी पे हैं। खर्चे की कोई टेंशन ही नहीं उल्टा gf उसपे खर्चा करता हैं। यह अपनी वाली खर्चा करना तो दूर मेरे ही जेब पे डंका डाल देती हैं। ऐसा चलता रहा तो एक दिन मेरा बाप दिवालिया हो जाएगा। छायां लगता हैं इसको रिटायरमेंट देने का टाइम आ गया चल बेटा पुरानी वाली को छोड़ नहीं gf ढूंढते हैं बिलकुल सृष्टि भाभी जैसा नो चिक चिक नो झिक झिक।

ऐसे ही अकेले में बड़बड़ते हुए लमसम दो ढाई किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप आता हैं। पेट्रोल पंप देखते ही सर्तक एक चैन की सांस लेता है और पेट्रोल भरवा कर चल देता हैं।

राघव इंटरव्यू वाले जगह पहुंचता हैं। रिसेप्शन पर एक खुबसूरत लडक़ी बैठी थीं। उसके पास गया मस्त स्माइल देते हुए कहा "मैडम मैं इंटरव्यू देने आया हूं। आप बताएंगे इंटरव्यू किस तरफ हों रहा हैं।"

रिसेप्शन वाली ने भी रिप्लाई में एक क्यूटीपाई 🌝 वाली स्माइल दिया और बोला "सर आज तो कोई इंटरव्यू नहीं हों रहा शायद आपको किसी ने गलत इनफॉर्मेशन दिया था।"

ले इतनी भागा दौड़ी हाथ किया आया ठेंगा। राघव के चहरे पर चिंता की लकीर छाया। चिंतित होकर राघव बोला "मेम मुझे कैरेक्ट इनफॉर्मेशन मिला था और मैं सही जगह पर आया हूं। शायद आपसे कोई भूल हों रहीं होगी। आप एक बार ठीक से पता कर लिजिए।"

रिसेप्शन वाली "जब कोई इंटरव्यू हों ही नहीं रहा तो पाता किया करना। आप अपना भी समय बर्बाद कर रहे हैं और मेरी भी, इसलिए आप जा सकते हैं।"

रिसेप्शन वाली के दो टूक ज़बाब देने पर राघव को बहुत गुस्सा आया। लेकिन गुस्से को दवा लिया क्या करें नौकरी का सवाल था फिर जाकर एक कोने में खडा हों गया और सृष्टि को कॉल किया सृष्टि ने न जाने किया कहा राघव रिसेप्शन पर गया और लडक़ी की और मोबाइल बड़ाकर बोला "मैम कोई आपसे बात करना चहती हैं आप बात कर लेते तो अच्छा होता।"

रिसेप्शन वाली "कौन हैं" कहकर मोबाइल लिया कुछ देर बात किया फिर मुस्कुराते हुए मोबाइल देकर कहा "ओ तो वो हो आप जिसका गुण गान सृष्टि गाती रहती हैं। वैसे हों बहुत स्मार्ट , सृष्टि बहुत भाग्य साली लडक़ी हैं।"

फ्री में तारीफ सुनने को मिले तो किसको अच्छा नहीं लगेगा और एक लडक़ी, लडके की तारीफ करें फिर तो सोने पे सुहागा बस किया था राघव गदगद हों उठा, मुस्कुराते हुए बोला "मुझे नज़र लगाने के वजह आप यह बताइए जाना किस तरफ हैं।"

लडक़ी मुंह भीतकाई 😏 और जाना किस तरफ हैं, किससे मिलना हैं , बता दिया। राघव उस तरफ चल दिया राघव के जाते ही। लिडकी ने अपने मोबाईल से किसी को कॉल किया। राघव बताए रूम के पास गया दरवाजा खटखटाया अदब से पूछकर अंदर गया। अदंर जो शक्श बैठा था उसके पूछने पर राघव ने अपना नाम और आने का करण बताया। तब शख्स ने कहा "तो आप ही हों जिसकी सिफारिश करवाई गई थीं जरा अपनी काबिलियत के सर्टिफिकेट तो दिखाइए।"

राघव ने सर्टिफिकेट दिया सामने बैठा बंदा किसी नमूने से कम नहीं सर्टिफिकेट देखते हुए aanhaaaa ,unhuuuu कर रहा था और सर हिला रहा था। राघव का मन हंसने का कर रहा था लेकिन खुद पर खाबू रखा ये सोचते हुए कहीं बुरा न मान जाए और नौकरी मिलने से पहले ही निकाल दे, सर्टिफिकेट देखने के बाद बोला "सार्टिफिकेट में परसेंटेज बहुत अच्छा हैं लेकिन कोई वर्क experience नहीं हैं ऐसा क्यों बता सकते हों।

राघव "जॉब ही नहीं मिल रहा था। जॉब ही नहीं तो experience कैसा।"

शख्स "हां जॉब की मारा मारी ही इतनी है तो जॉब कैसे मिलता। यह भी नहीं मिलता वो तो एक खुबसूरत लडक़ी ने अपकी सिफारिश किया हैं। इसलिए आपको जॉब मिल रहा हैं।"

खुबसूरत लडक़ी का जिक्र सुनते ही राघव मन ही मन बोला "बूढ़ा खुसट एक टांग कब्र में लटका हैं फिर भी लडक़ी की खुबसूरती देखने में बांज नहीं आ रहा। मेरी सृष्टि की ओर आंख उठा कर देखा तो तेरी आंख निकलकर आन्टा खेलूंगा।"

राघव पर इंटरव्यू के रूप में बहुत सारे सवाल पूछा गया। निजी जिंदगी से जुड़ा सवाल पूछा गया। जॉब से रिलेटेट सवाल पूछा गया। क्लॉन्ट को कैसे इंप्रेस करोगे। कोई अड़ा टेड़ा क्लाइंट मिल गया तो कैसे हैंडल करोगे कैसे उनको कन्वेंस करोगे। मतलब की राघव के योग्यता को ठोक बजाके चेक किया गया। राघव ने भी योग्यता अनुसार प्रदर्शन किया और सभी सवाल का माकूल ज़बाब दिया। राघव के बात करने का स्टाइल, वाणी में शालीनता और बातो में फंसकर कन्वेंस करने के तरीकों से इंटरव्यू लेने वाला बहुत प्रभावित हुआ। फिर बोला "फील्ड electrician के पोस्ट के लिए हमें जैसी योग्यता चाहिए आप उसमे खारे उतरे तो किया आप फील्ड electrician का जॉब करना चाहेंगे।"

राघव सोच में पड गया की क्या बोला जाएं सोच विचार करते हुए जॉब न होने से बेहतर तो यहीं हैं ये वाला जॉब कर लेता हूं वैसे भी कोई काम छोटा या बडा नहीं होता लोगों की बिगड़ी ही तो बनना हैं लोगों की बिगड़ी बनने में जो मज़ा हैं वो और किसी काम में नहीं, क्या पता किस्मत साथ दे जाएं और मेरा यह जॉब मुझे मेरे मंजिल तक पहुंचा दे जहां मैं पहुंचना चहता हूं। तरह तरह के सोच विचार करने के बाद राघव ने हां कर दिया। तब सैलरी वेलरी की बात हुआ लेकिन सैलरी राघव को उम्मीद से काम लगा फिर ये सोचते हुए खाली जेब घूमने से अच्छा थोडा तो जेब भरेगा। अच्छा काम करूंगा तो आज नहीं तो कल सैलरी बड़ ही जाएगा। इतना सोच विचार करने के बाद राघव ने मिलने वाली सैलरी को भी हां कह दिया। राघव के हां कहने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ने राघव को दिवाली के बाद ज्वाइन करने को कहा


( वो इसलिए हमने तो दिवाली मना लिया लेकिन कहानी में दिवाली का किस्सा रहा गया और कहानी में दीवाली आने में अभी चार पांच दिन रह गया।)


राघव ने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद कहा। तब राघव जाते हुए पूछा "सर मैं जान सकता हूं किस खुबसूरत लडक़ी ने मेरे लिए सिफारिस किया वो क्या हैं उससे thank You बोलना हैं ☺️।"


(आगे जहां भी इंटरव्यू लेने वाले का पार्ट आए गा उन्हें बॉस नाम से परिचित करवाऊंग)


बॉस "हां हां क्यों नहीं रिसेप्शन पर जो खुबसूरत बाला बैठी हैं उसी ने सिफारिस किया था। उससे थोडा दूरी बना कर रखना बहुत खूंखार लडक़ी हैं। वैसे बता सकते हों उससे तुम्हारा किया रिश्ता हैं?"

क्या जब दे राघव सोचने लगा तब राघव के दिमाग का ट्यूब लाईट जाला और रिसेप्शन पर हुआ किस्सा ध्यान आया तब राघव बोला "सर वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं। मैं तो उन्हें जनता भी नहीं आज ही मिला हूं।

इतना कहकर राघव thank you बोला सर्टिफिकेट लिया और चल दिया। बहार आकार रिसेप्शन पर गया और बोला "मैने जो मिसबिहेव किया उसके लिए माफी चाहता हु और जॉब दिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"

लडक़ी ने मुस्कुरा कर राघव की और देखा राघव भी बत्तीसी फाड़ दिया और बाय बोलकर चल दिया। राघव के जाने के बाद लडक़ी ने फिर किसी को कॉल किया। राघव बाहर आकार सृष्टि को कॉल किया कुछ देर बाते किया फिर खुशी के मरे फुल स्पीड में बाइक दौड़ा दिया। मार्केट में जाकर रुका मिठाई के दुकान से एक डब्बा स्वादिष्ट मिठाई लिया और चल दिया।



आज के लिए कहानी को यही रोकता हूं। इससे आगे बस इतना कहूंगा बहुत दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद अचानक रोजगार मिलने पर क्या क्या बाते मन में चलता हैं। ये चित्रणन आप सब पाठकों को कितना अच्छा लगा। बताना न भूलिएगा। ओर ज्यादा शब्द जाया न करते हुए। बेरोजगार पाठकों को जल्दी से रोजगार मिले इसकी दुआ करते हुए विदा लेता हूं। आज के लिए शव्वाखैर सांसे रहीं तो फिर मिलेंगे।
 
Last edited:

parkas

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303
Update - 3

राघव सृष्टि के कंधे पर सर रख नीर बहा रहा था और कांधे को भिगो रहा था। गीला पान चूबते ही सृष्टि ने राघव का सर उठाया उसके आशु पोछा फिर बोला " क्या हुआ राघव आज फिर से कहा सुनी हुई। मत रो तुम्हारे अंशु मेरे दिल को खचोट रहीं तुम ने रोना बन्द नहीं किया तो मैं भी रो दूंगी।


राघव सृष्टि की आंखो में देखकर उसके लवों को अपने लवों से मिलाया ये अदभूत क्षण कुछ ही सेकंड के लिए था। अलग होकर राघव बोला " रोऊ न तो और क्या करू पापा की तीखी बाते और सहन नहीं होता। मैं क्या करूं जो उनके दिल में पुरानी जगह बना पाऊं"


सृष्टि " करना कुछ नहीं हैं सिर्फ़ आंखे मूंदे सुनती रहो, जो कह रहे हैं एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो तुमने उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर काम किया तो गुंबार तो पनपना ही था। जिस दिन उन्हे अहसास होगा तुम सही थे देखना पुराना दुलार लौट आएगा।


राघव " न जानें कब लौटेगा, उम्मीद खो चुका हूं अब तो मन करता हैं….."


लवों पे उंगली रख सृष्टि कहती हैं " चुप बिलकुल कुछ भी उटपटांग न कहना।"


राघव मुस्कुराया लबों से उंगली हटाकर हाथ को चूमा फिर बोला " अच्छा नहीं कहता बाबा… मैं उटपटांग बोलूं या न बोलूं किसे फर्क पड़ता हैं।"


सृष्टि " आज कहा हैं दुबारा न कहना सब को फर्क पड़ता हैं, मैं हूं , आंटी हैं, तन्नु हैं, अंकल हैं।


राघव "hummm अंकल आंटी….


सृष्टि कान पकड़ भोली सूरत और मासूम अदा से बोली " सॉरी न babaaaa,


राघव " hummm ये ठीक हैं। इतनी भोली सूरत मासूम अदा से बोलोगी तो कौन माफ नहीं करेगा।


सृष्टि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर बोली " माफ तो करना ही था। मुझसे इतना प्यार जो करते हों, मैं जो बोलती हूं वो सुनो अभी हमारी शादी नहीं हुई। इसलिए उन्हे अंकल आंटी बोल सकती हूं।


राघव " मोबइल दो जरा मां से पूछकर बताता हूं।


सृष्टि " न बाबा न उनसे न पुछना बहुत डाटेगी। मां से याद आया जल्दी घर जाओ मां टेंशन में हैं।


राघव " ओ तो मां ने तुम्हें मेरे यहां होने की ख़बर दी।


सृष्टि " मां ने सिर्फ इतना बताया पापा ने तुम्हें भला बुरा कहा और तुम घर से निकल आए।"


राघव " फिर तुम कैसे जान पाए मैं यहां हूं?"


सृष्टि " तुम न पुरे के पूरे झल्ले हों जानते सब हों जानकर भी अनजान बनते हो। जब भी तुम्हारा पापा से नोक झोंक होता हैं। तुम अपना ये क्यूट सा चहरा कद्दू जैसा बनाकर यहां आ जाते हों।


राघव " मेरा चहरा कद्दू जैसा तो क्या तुम्हारा चहरा फुल गोभी जैसा।"


सृष्टि " न न मेरा चहरा गोभी जैसा क्यों होगा। खिला हुआ गुलाब हैं जिसे देखकर तुम्हारे चहरे की क्यूटनेंस ओर बड़ जाती हैं।


राघव " न जाने कब ये खिला हुआ गुलाब मेरे अंगना आकार महकेगा।"


सृष्टि " वो दिन तो तब आएगा जब मम्मी पापा चाहेंगे।"


राघव " फिर तो वो दिन आने से रहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं ।"


सृष्टि मुस्कुराया पीट पे एक धाप दिया फिर बोला " नौकरी से याद आया एक जगह बात किया हैं तुम्हारे नाक पर मक्खी न बैठें तो जाकर देख आना।"


राघव " मेरे नाक पे भला मक्खी क्यों बैठेगा। बैठा तो उसे मसल न दू।"


राघव के नाक पकड़ हिलाते हुए सृष्टि बोली " कभी कभी इगो आड़े आ जाती हैं अहम को चोट न पहुंचे इसलिए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता हैं।


राघव " मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया। तूम जो कुछ भी मेरे लिए करती उससे मुझे खुशी मिलता हैं। तुम्हारी जैसी गर्लफ्रेंड बहुत नसीब वालो को मिलाता हैं। शायद किसी जनम में बहुत पुण्य काम किया होगा जिसके फलस्वरूप तुम मुझे मिली।"


सृष्टि " ये कैसी बाते कर रहें हों नसीब वाली तो मैं हु जो तुम मुझे मिले। तुम्हारे लिए नहीं करूंगी तो ओर किसके लिए करूंगी तुम्हारे अलावा मेरा कौन हैं।"


राघव " haumnnn……


सृष्टि " रूको रुको फुन आई बात कर लू फिर जो बोलना हैं बोल लेना।"


सृष्टि बात करती हैं फिर राघव को बोलती हैं " बहुत देर हों गई अब हमे चलना चहिए। तुम भी जाओ मां वहा टेंशन के मारे फिर से फेरे लेने पे तुली हैं।"


राघव एक छोटा सा kiss 😘 कर चल देता हैं तब सृष्टि राघव को रोक कर बोलती हैं " एड्रेस तो लिया नहीं बिना एड्रेस के जॉब की इंटरव्यू देने कैसे जाओगे।


सृष्टि राघव को एड्रेस बता देती हैं। राघव चलने लगता हैं तब सृष्टि पिछे से बोलती हैं " कल याद से मिल लेना और शाम को मुझे good news देना।"


राघव मुंडी hannn में हिलाया, सृष्टि मुस्कुराते हुए चल दिया। राघव भी मस्त मौला चल दिए। चाल से जान पड़ता, बहुत खुश होकर जा रहा था। कौन कहेगा कुछ देर पहले राघव को बाप ने तीखी मिर्ची वाली चटनी चटाई। बस लवर के होटों का मिठास चाट लिया और सारा तीखापन भूल गया। ये कैसा प्यार है कुछ पल्ले न पड़ा। ऐसी प्रेमिका सब की लाइफ में आ जाए तो बल्ले बल्ले डिस्को भांगड़ा तिनक धीन ताना नाचू मैं टांग उठाके।


राघव सभी बाते भुलाकर मन मौजी नाचते हुए घर पहुंचा। वहां तन्नु और प्रगति डायनिग टेबल पर कोहनी टिकाए दोनों गालों को पकड़े सोच की मुद्रा में बैठी थीं। नाश्ते की प्लेट दोनों के सामने रखा था। तन्नु की पेट की खोली पहले से थोडा सा भरा था। इसलिए खाएं न खाए कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रगति के सामने रखी प्लेट में से एक भी निवाला खाया नहीं गया। प्रगति बीच बीच में सर को हिला रहीं थीं। ये देखकर राघव की हंसी छूट गया। राघव khiii..khiii...khiii… कर हसने लगा। हसी कि आवाज कानों में पड़ते ही दोनों का ध्यान भंग हुआ। राघव को देखकर प्रगति राघव के पास गईं और बोली " तुझे मज़ा आ रहा हैं यहां हमारी टेंशन के मारे दो चार किलो वजन कम हों गया। नाराज होकर कहा गया था। तेरे बाप को ना जाने कौन-सा खुन्नस चढ़ा हुआ हैं। जो मन में आता बोल देता किसी को नहीं बकस्ता। तू भी ऐसा करेगा तो देख लेना किसी दिन मैं कुछ कर बैठूंगी।


मां की बात सुनाकर राघव की सारी हसी गायब हों गया। राघव कान पकड़ कर " soryyy.. soryyy..soryyy….. आगे से ऐसा नहीं करूंगा।


तन्नु " कोई सॉरी बोरी नहीं चलेगी मेरी जान हलक में आ गई थी और अपको khiii..khiii... सूझ रहीं थीं।


तन्नु फुल्के की तरह मुंह फुलाकर खड़ी हों गईं। राघव सोचे मनाए तो किसे मनाए मां अलग रूठी हैं, तन्नु अलग रूठी हैं। कुछ समझ न आया करे तो क्या करें फिर अचानक करेंट का फ्लो तेज हुआ दिमाग की ट्यूब लाईट जली चाट से एक चुटकी बजाई और जाकर डयानिग टेबल पर बैठ गई और तन्नु की झुटी प्लेट से चाटा... चाट…, चाटा….. चाट…. चपाती खाने लगा। हपसी की तरह खाते देख प्रगति और तन्नु का चेहरा खिल उठा और हसी छूट गई। हंसते हुऐ तन्नु बोली "देखो भुक्कड़ को हपसी की तरह खाए जा रहा हैं। हम रूठे हैं माने के बजाय गपागप गपागप खाए जा रहा हैं"


राघव के मुंह में निवाला था। पानी पीकर निवाला गटका फिर बोला " वो क्या है न मुझे बड़ी जोरो की भूख लगा था मेरी प्यारी बहनिया की झूठी प्लेट देखा तब भूख ओर बड़ गया। सोचा पेट को शांत कर लूं फिर दोनों को माना लूंगा।"


प्रगति हंस दिया तन्नु मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव की ओर दौड़ी गला दबाने का ढोंग करते हुए बोली " मन कर रहा हैं अपका गला दबा दूं।"


राघव "चल हट पगली पहले खाने दे फिर शौक से गला दवा लेना।"


तन्नु आंखे मलते हुए uaammm.. uaammm… करने लागी। राघव तन्नु को रोने की एक्टिंग करते देखकर खडा हुआ और बोला

"तन्नु तू रो क्यों रहीं"


तन्नु प्रगति की ओर उंगली दिखते हुए बोली "मम्मा"


राघव प्रगति की ओर देखकर बोला " मां अपने कुछ कहा"


प्रगति " मैने कहां कुछ कहा, कहता तो तुझे सुनाई नहीं देता। ये ढोंगी, ढोंग करना बंद कर जब देखो नौटंकी करती रहेंगी।"


तन्नु किया करती उसकी भांडा तो फुट गया। मुस्कुराते हुए आंखों से हाथ हटा लिया और भोली सुरत बना लिया। भोली सुरत देखकर राघव मुस्कुराया और फिर से खाने बैठ गया।


(' ये हापसी कितना खायेगा पेट हैं की कुंआ '

राघव " चुप चाप स्टोरी लिख, ज्यादा भूख लागी हैं तो आ जा जली हुई चपाती के साथ मोमो वाली थिखी चटनी चाट के निकल जाना"

"ये हलकट चुप रह")


राघव को दुबारा खान खाते देखकर प्रगति सर पर हाथ मरते हुए बोला " हे भगवान कैसा चिराग दिया। मां भूखा है पूछने के बजाय खुद खाने बैठ गया। राघव तू कैसा बेटा हैं मां को पुछ तो लेता।"


राघव " पुछना किया अपने हाथ से खिलाता हूं।"


कहकर प्लेट हाथ में लिया मां के पास गया एक छोटा निवाला बनाकर हाथ आगे बढाया तो प्रगति ने सर हिलाकर मना कर दिया तब राघव बोला " आले ले ले मेरा सोना मम्मा नलाज हो गया। चलो मुंह खोलो छोटे बच्चे की तरह जिद्द नहीं करते।"


प्रगति भाव विहीन होकर राघव को देखने लगीं। उसकी पलके भोजील हुईं तो आंख मिच लिया। आंख मिचते ही दो बूंद नीर बह निकला, आंखे पोछा मुंह खोला और निवाला लपक लिया। आंख पोछते देखकर राघव पूछा " मां किया हुआ आप रो क्यों रहे हों?"


प्रगति " कुछ नही रे बचपन में तू न खाने की जिद्द करता तो मैं तुझे ऐसे ही मनाया करती थीं। वो पल याद आ गया इसलिए आंखे नम हों गईं।


तन्नु " अच्छा तो फिर अपने मुझे भी खिलाया था।"


प्रगति " हां दोनों को खिलाया था। तू तो सबसे ज्यादा जिद्द करती थी और मेरे हाथों से खाती ही नहीं थी राघव खिलाता तो झट से खां लेती थीं।"


तन्नु " वो मैं आज भी खाती हूं भईया की प्यारी बहनिया जो हूं। क्यों सही कहा न भईया।"


राघव " तूने कभी गलत बोला हैं जो अब बोलेगी तू तो मेरी चुनूं सी, मुन्नू सी बहना प्यारी हैं।"


राघव बोलते हुए मुंह ही इस तरीके से बनया था। सब के चहरे पर हसी छा गईं फिर प्रगति बोली "चलो बहुत हुआ हसी मजाक अब आराम से बैठ कर नाश्ता करते हैं।"


डायनिंग टेबल पर जाकर तीनों नाश्ता करने बैठ गए। क्या मनोरम दृश्य था। तीनों मां, बेटी, बेटा एक ही थाली से खां रहे थे और एक दुसरे को खिला रहे थे। इनकी खुशी की झलकी देखकर कोई कह नहीं पाएगा जैसे अभी अभी कुछ देर पहले कुछ हुआ था। तन्नु ठहरी चुलबुली बच्ची उसके मस्तिष्क के खोचे में चूल मची रहती तो फिर किया चूल मची और बोल बैठी " वैसे तो आप उदास चहरा , रोतढू सकल के साथ गए थे। भाभी ने ऐसा किया चखा दिया जो खिलखिलाते हुए आए।"


राघव कुछ बोलता उससे पहले प्रगति बोल पड़ी " चुप कर बड़बोला कही का जब देखो बक बक करती रहेंगी साथ ही मेरे बेटे को परेशान करती रहेंगी।"


फिर किया था तन्नु की एक्टिंग शुरू इसे अगर एक्टिंग की कंपीटीशन में भेजा जाए तो जज का भेजा खाके फर्स्ट प्राइज लेकर आएगी। रोतढू सकल बनके दोनों आंखे मलते हुए बोली "uaammm.. uaammm… भईया मम्मा डाट रहीं हैं।"


राघव " मां अपने डांटा क्यों, तू चुप कर कोई नहीं डांटेगा।"


तन्नु " sachiiii"


राघव " mucchiiii"


तन्नु " तो फिर बोलो न भईया भाभी ने किया किया?"


प्रगति " tannuuuuu"


तन्नु " भईया देखो फिर से"


प्रगति " भईया की बच्ची रुक तुझे बताती हूं।"


प्रगति जैसे ही अपने जगह से उठी तन्नु जीव दिखाकर fhurrr से भागी जाकर कमरे में रूकी और दरवाजा बन्द कर लिया। प्रगति पहुंची दरवाजा पीटते रह गई दरवजा नहीं खुला। इन मां बेटी की tom and jerry सो देखकर राघव के पेट में गुदगुदी मची और जी भर के हंसा। प्रगति थक हर के वापस आईं। राघव को हंसता देखकर बोली " तुझे क्या हुआ भांग बांग पी लिया जो वाबलो की तरह हासे जा रहा हैं।


राघव " आप दोनों के tom and jerry वाला सो देख के खुद को रोक नहीं पाया और बावला बनके हंसने लगा।"


प्रगति "ऐसे ही हंसती रहा कर। ये जो कुछ भी हों रहीं है सब तेरी कारिस्तानी है। तेरी वजह से ही इतनी सर चढ़ी हुई हैं।"


राघव "अरे मां करने दो न जो करती है। अभी उसे उसकी मन की करने दो शादी के बाद न जानें कैसा ससुराल मिलेगा क्या पाता शादी के बाद ऐसे मस्ती ही न कर पाए।"


प्रगति " तू कहता है तो करने देती हूं। तेरे सामने तो कुछ कह नहीं पाऊंगी तेरे पिछे उसकी ढोलक दवाके बजूंगी।



फिल्म का पॉज बटन यहां दबाता हूं। अब प्ले बटन तब दवेगा जब आप मस्त मस्त रेवो के संग लाईक ठोकोगे। तो भाऊ और भाऊ लोगों आज के लिए विदा लेते हूं सास रही तो फिर मिलूंगा।
Nice and excellent update...
 
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