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Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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raghav to aise taiyar ho raha jaise kahi shaadi pe jaa raha ho.... :D
so...... atal ji ke taane suru subhah subhah hi ... wo bhi naaste par hi....
yahan is point par jis tarah baatein suna rahe the wo....kam se kam khane waqt aisi karwi baate nahi karni chahiye,aur wo koi aur nahi unka hi beta hai....beta bina kuch khaye nikal gaya ghar se par unko to jaise fark hi nahi para...ek baat ajal ji ko bhi samajhna chahiye ki aaj ke jamaane mein aise hi naukri nahi mil jaati... aisa to nahi hai ki raghav koshish nahi kar raha ho.. wo bhi to ishi koshish mein hai ki ushe bhi job lag jaye.... ab naukri nahi lag rahi hai to bachhe ka jaan lega kya atal ji...

raghav ke leke aisi katu baatein sun pragati aur tannu ke dil mei ek peeda sir uthi ho...jis tarah se wo bahar chala gaya... Ab usko khojte huye dono pareshaan bhi hai...

Udhar raghav majashay bhi dukhi apne pita ke taane sun...ki tabhi uske dil ke dard kam karne uske paas pahuchi uski premika srishti..... chalo achha hai.... ab zyada apne pita ke taano ko yaad nahi karega...

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan....
Aise hi likhte rahiye aur hum pathako ka manoranjan karte rahiye..
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:

बहुत बहुत शुक्रिया नैना जी आपके इस शानदार रेवो के लिए

raghav to aise taiyar ho raha jaise kahi shaadi pe jaa raha ho.... :D

अब किया करे नए जमाने का हीरो हैं एक्शन में भले ही फेल बोले तो डब्बा गुल हों। लेकिन हीरो गिरी करने में पूरा का पूरा हीरो हैं उपर से रोमांटिक तो इतना तो बनता है 😁

अटल जी के उम्मीद का पिटारा फुट गया और उनके अहम अड़े आ गया तो जब राघव को देखता उनका अहम उछल पड़ती और शब्दो का तीर छूटता। जो राघव को जाकर लगता।,😰
 
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Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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:respekt:

कहा थे मान्यवर आप अभी तक
आप तो शब्दो के PC SORCAR निकले
अपडेट के हर लाईन मे गहरी बाते और उनसे जुडी भावनाये तो दिल को कचोट लेती है ।
क्या सुन्दर वर्णन हुआ राघव की प्रियतमा का
प्यार की ताकत है ही ऐसी कि अगर सच्चे प्यार के बारे पढ भी ले तो दर्द ए दिल को सुकून मिल जाता है । वही मह्सूस हुआ मुझे आज

शब्द नहीं हैं दोस्त आपकी प्रतिभा के व्य्ख्यान के लिए मेरे पास

उम्मीद एक बहुत गहरी और विश्वास की भावना है जो हमारे अहम के बहुत ही निकट वास करती है ।
और अहम उम्मीद का वही ईर्ष्यालु पड़ोसी है जो हमारे घर समाज मे होते है , जरा से हमारे टुटने या कमजोर होने पर हम पर हावी हो जाते है ।
ठीक यही अटल जी के साथ हैं
पूर्वजो की परम्परा को जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि समझ कर उसे और विस्तार करने के लिए अपनी उम्मीद का थिकरा अपने बेटे के माथे बान्धा ।
हुआ क्या राघव ने नकारा तो अटल जी का उम्मिद का घडा टुट गया और अहम के धुए ने उन्हे अपने गिरफ्त मे ले लिया ।

अक्सर यही होता है ल्ग्भग हर परिवार मे जहा माता पिता उम्मीद करते है कि उनका बेटा समझदार हो लेकिन करे वही जो वो कहे ।
माता पिता ये नही सोचते कि जब वो समझदार होगा तो उसके विचार अपने लिये जो जिम्मेदारीया है उसके बारे भी सोचेगे । वो भी अपने लिये कुछ उम्मीदे बनाएगा जिन्हे शायद उसके मा बाप ही पुरा कर सके ।

समय के साथ होते बदलाव और समाज के गलत संगत का भय से माता पिता अपने बच्चो को बचपन से अनुशासन मे रखने की कोशिस करते है और समय के साथ उनकी जिम्मेदारि और अनुशाशन का दायरा एक जिद की दहलिज का रूप ले लेता है , जिसे पार कर आप उनके जिद भरी उम्मीद को तोड देते हो और वही उनका अहम उन्हे घेर लेता है ।
वो आपके प्रति की गयी अपनी जिम्मेदारी को एक अहसान के रूप मे थोपने लगेंगे और आप उनकी नाफरमानी कर एक बुरे व्यकित्व के रूप मे उनके सामने रहोगे ।


उम्मीद
ये शब्द बहुत ही गहरे है दोस्त
जीवन कम पड़ जाते है इसे पुरा करते करते
एक बार फिर से शुक्रिया ऐसे सुन्दर प्रसंग को यहा प्रस्तुत करने के लिए
:respekt:

अपका दिया हुआ रेवो कबीले तारीफ हैं इस रेवो को पढ़कर अपडेट में छुपी हुई बाते पाठकों को अच्छे से समझ आ जाए।
कहा थे मान्यवर आप
शब्द कितने हैं मेरे पास यह तो कहना मुस्किल हैं इन शब्दों के लिए तारीफ की भागी मैं नहीं वो सभी लेखक हैं जिनकी कहानी पड़कर शब्द भंडार मेरे अदंर पनपा जिनमें से कुछ का नाम पहले पेज पर दिया।

गलत प्लानेट पर लैंड करने वाला था। एक उल्का पिंड टकराया विमान में टेक्निकल खराबी आई और गुलाटी मारके with पैराशूट xf पर लैंड कर गया।😄😄
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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कहानी अपनी लाईन पर शुरु हो गयी है
Anitarani जी बस इतना सा रेवो कुछ बडा बडा भेजा तब न मजा आयेगा।
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,311
304
Anitarani जी बस इतना सा रेवो कुछ बडा बडा भेजा तब न मजा आयेगा।
Jitna mila hai utne mein kuch raha kijiye...
wo kehte hai na... zyada laalach buri bala hoti hai :D
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Jitna mila hai utne mein kuch raha kijiye...
wo kehte hai na... zyada laalach buri bala hoti hai :D

खुशी जीतना मिले काम हैं खुशी का डोज पूरा हुआ हैं, कभी 🤪
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Update - 3

राघव सृष्टि के कंधे पर सर रख नीर बहा रहा था और कांधे को भिगो रहा था। गीला पान चूबते ही सृष्टि ने राघव का सर उठाया उसके आशु पोछा फिर बोला " क्या हुआ राघव आज फिर से कहा सुनी हुई। मत रो तुम्हारे अंशु मेरे दिल को खचोट रहीं तुम ने रोना बन्द नहीं किया तो मैं भी रो दूंगी।


राघव सृष्टि की आंखो में देखकर उसके लवों को अपने लवों से मिलाया ये अदभूत क्षण कुछ ही सेकंड के लिए था। अलग होकर राघव बोला " रोऊ न तो और क्या करू पापा की तीखी बाते और सहन नहीं होता। मैं क्या करूं जो उनके दिल में पुरानी जगह बना पाऊं"


सृष्टि " करना कुछ नहीं हैं सिर्फ़ आंखे मूंदे सुनती रहो, जो कह रहे हैं एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो तुमने उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर काम किया तो गुंबार तो पनपना ही था। जिस दिन उन्हे अहसास होगा तुम सही थे देखना पुराना दुलार लौट आएगा।


राघव " न जानें कब लौटेगा, उम्मीद खो चुका हूं अब तो मन करता हैं….."


लवों पे उंगली रख सृष्टि कहती हैं " चुप बिलकुल कुछ भी उटपटांग न कहना।"


राघव मुस्कुराया लबों से उंगली हटाकर हाथ को चूमा फिर बोला " अच्छा नहीं कहता बाबा… मैं उटपटांग बोलूं या न बोलूं किसे फर्क पड़ता हैं।"


सृष्टि " आज कहा हैं दुबारा न कहना सब को फर्क पड़ता हैं, मैं हूं , आंटी हैं, तन्नु हैं, अंकल हैं।


राघव "hummm अंकल आंटी….


सृष्टि कान पकड़ भोली सूरत और मासूम अदा से बोली " सॉरी न babaaaa,


राघव " hummm ये ठीक हैं। इतनी भोली सूरत मासूम अदा से बोलोगी तो कौन माफ नहीं करेगा।


सृष्टि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर बोली " माफ तो करना ही था। मुझसे इतना प्यार जो करते हों, मैं जो बोलती हूं वो सुनो अभी हमारी शादी नहीं हुई। इसलिए उन्हे अंकल आंटी बोल सकती हूं।


राघव " मोबइल दो जरा मां से पूछकर बताता हूं।


सृष्टि " न बाबा न उनसे न पुछना बहुत डाटेगी। मां से याद आया जल्दी घर जाओ मां टेंशन में हैं।


राघव " ओ तो मां ने तुम्हें मेरे यहां होने की ख़बर दी।


सृष्टि " मां ने सिर्फ इतना बताया पापा ने तुम्हें भला बुरा कहा और तुम घर से निकल आए।"


राघव " फिर तुम कैसे जान पाए मैं यहां हूं?"


सृष्टि " तुम न पुरे के पूरे झल्ले हों जानते सब हों जानकर भी अनजान बनते हो। जब भी तुम्हारा पापा से नोक झोंक होता हैं। तुम अपना ये क्यूट सा चहरा कद्दू जैसा बनाकर यहां आ जाते हों।


राघव " मेरा चहरा कद्दू जैसा तो क्या तुम्हारा चहरा फुल गोभी जैसा।"


सृष्टि " न न मेरा चहरा गोभी जैसा क्यों होगा। खिला हुआ गुलाब हैं जिसे देखकर तुम्हारे चहरे की क्यूटनेंस ओर बड़ जाती हैं।


राघव " न जाने कब ये खिला हुआ गुलाब मेरे अंगना आकार महकेगा।"


सृष्टि " वो दिन तो तब आएगा जब मम्मी पापा चाहेंगे।"


राघव " फिर तो वो दिन आने से रहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं ।"


सृष्टि मुस्कुराया पीट पे एक धाप दिया फिर बोला " नौकरी से याद आया एक जगह बात किया हैं तुम्हारे नाक पर मक्खी न बैठें तो जाकर देख आना।"


राघव " मेरे नाक पे भला मक्खी क्यों बैठेगा। बैठा तो उसे मसल न दू।"


राघव के नाक पकड़ हिलाते हुए सृष्टि बोली " कभी कभी इगो आड़े आ जाती हैं अहम को चोट न पहुंचे इसलिए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता हैं।


राघव " मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया। तूम जो कुछ भी मेरे लिए करती उससे मुझे खुशी मिलता हैं। तुम्हारी जैसी गर्लफ्रेंड बहुत नसीब वालो को मिलाता हैं। शायद किसी जनम में बहुत पुण्य काम किया होगा जिसके फलस्वरूप तुम मुझे मिली।"


सृष्टि " ये कैसी बाते कर रहें हों नसीब वाली तो मैं हु जो तुम मुझे मिले। तुम्हारे लिए नहीं करूंगी तो ओर किसके लिए करूंगी तुम्हारे अलावा मेरा कौन हैं।"


राघव " haumnnn……


सृष्टि " रूको रुको फुन आई बात कर लू फिर जो बोलना हैं बोल लेना।"


सृष्टि बात करती हैं फिर राघव को बोलती हैं " बहुत देर हों गई अब हमे चलना चहिए। तुम भी जाओ मां वहा टेंशन के मारे फिर से फेरे लेने पे तुली हैं।"


राघव एक छोटा सा kiss 😘 कर चल देता हैं तब सृष्टि राघव को रोक कर बोलती हैं " एड्रेस तो लिया नहीं बिना एड्रेस के जॉब की इंटरव्यू देने कैसे जाओगे।


सृष्टि राघव को एड्रेस बता देती हैं। राघव चलने लगता हैं तब सृष्टि पिछे से बोलती हैं " कल याद से मिल लेना और शाम को मुझे good news देना।"


राघव मुंडी hannn में हिलाया, सृष्टि मुस्कुराते हुए चल दिया। राघव भी मस्त मौला चल दिए। चाल से जान पड़ता, बहुत खुश होकर जा रहा था। कौन कहेगा कुछ देर पहले राघव को बाप ने तीखी मिर्ची वाली चटनी चटाई। बस लवर के होटों का मिठास चाट लिया और सारा तीखापन भूल गया। ये कैसा प्यार है कुछ पल्ले न पड़ा। ऐसी प्रेमिका सब की लाइफ में आ जाए तो बल्ले बल्ले डिस्को भांगड़ा तिनक धीन ताना नाचू मैं टांग उठाके।


राघव सभी बाते भुलाकर मन मौजी नाचते हुए घर पहुंचा। वहां तन्नु और प्रगति डायनिग टेबल पर कोहनी टिकाए दोनों गालों को पकड़े सोच की मुद्रा में बैठी थीं। नाश्ते की प्लेट दोनों के सामने रखा था। तन्नु की पेट की खोली पहले से थोडा सा भरा था। इसलिए खाएं न खाए कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रगति के सामने रखी प्लेट में से एक भी निवाला खाया नहीं गया। प्रगति बीच बीच में सर को हिला रहीं थीं। ये देखकर राघव की हंसी छूट गया। राघव khiii..khiii...khiii… कर हसने लगा। हसी कि आवाज कानों में पड़ते ही दोनों का ध्यान भंग हुआ। राघव को देखकर प्रगति राघव के पास गईं और बोली " तुझे मज़ा आ रहा हैं यहां हमारी टेंशन के मारे दो चार किलो वजन कम हों गया। नाराज होकर कहा गया था। तेरे बाप को ना जाने कौन-सा खुन्नस चढ़ा हुआ हैं। जो मन में आता बोल देता किसी को नहीं बकस्ता। तू भी ऐसा करेगा तो देख लेना किसी दिन मैं कुछ कर बैठूंगी।


मां की बात सुनाकर राघव की सारी हसी गायब हों गया। राघव कान पकड़ कर " soryyy.. soryyy..soryyy….. आगे से ऐसा नहीं करूंगा।


तन्नु " कोई सॉरी बोरी नहीं चलेगी मेरी जान हलक में आ गई थी और अपको khiii..khiii... सूझ रहीं थीं।


तन्नु फुल्के की तरह मुंह फुलाकर खड़ी हों गईं। राघव सोचे मनाए तो किसे मनाए मां अलग रूठी हैं, तन्नु अलग रूठी हैं। कुछ समझ न आया करे तो क्या करें फिर अचानक करेंट का फ्लो तेज हुआ दिमाग की ट्यूब लाईट जली चाट से एक चुटकी बजाई और जाकर डयानिग टेबल पर बैठ गई और तन्नु की झुटी प्लेट से चाटा... चाट…, चाटा….. चाट…. चपाती खाने लगा। हपसी की तरह खाते देख प्रगति और तन्नु का चेहरा खिल उठा और हसी छूट गई। हंसते हुऐ तन्नु बोली "देखो भुक्कड़ को हपसी की तरह खाए जा रहा हैं। हम रूठे हैं माने के बजाय गपागप गपागप खाए जा रहा हैं"


राघव के मुंह में निवाला था। पानी पीकर निवाला गटका फिर बोला " वो क्या है न मुझे बड़ी जोरो की भूख लगा था मेरी प्यारी बहनिया की झूठी प्लेट देखा तब भूख ओर बड़ गया। सोचा पेट को शांत कर लूं फिर दोनों को माना लूंगा।"


प्रगति हंस दिया तन्नु मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव की ओर दौड़ी गला दबाने का ढोंग करते हुए बोली " मन कर रहा हैं अपका गला दबा दूं।"


राघव "चल हट पगली पहले खाने दे फिर शौक से गला दवा लेना।"


तन्नु आंखे मलते हुए uaammm.. uaammm… करने लागी। राघव तन्नु को रोने की एक्टिंग करते देखकर खडा हुआ और बोला

"तन्नु तू रो क्यों रहीं"


तन्नु प्रगति की ओर उंगली दिखते हुए बोली "मम्मा"


राघव प्रगति की ओर देखकर बोला " मां अपने कुछ कहा"


प्रगति " मैने कहां कुछ कहा, कहता तो तुझे सुनाई नहीं देता। ये ढोंगी, ढोंग करना बंद कर जब देखो नौटंकी करती रहेंगी।"


तन्नु किया करती उसकी भांडा तो फुट गया। मुस्कुराते हुए आंखों से हाथ हटा लिया और भोली सुरत बना लिया। भोली सुरत देखकर राघव मुस्कुराया और फिर से खाने बैठ गया।


(' ये हापसी कितना खायेगा पेट हैं की कुंआ '

राघव " चुप चाप स्टोरी लिख, ज्यादा भूख लागी हैं तो आ जा जली हुई चपाती के साथ मोमो वाली थिखी चटनी चाट के निकल जाना"

"ये हलकट चुप रह")


राघव को दुबारा खान खाते देखकर प्रगति सर पर हाथ मरते हुए बोला " हे _____ कैसा चिराग दिया। मां भूखा है पूछने के बजाय खुद खाने बैठ गया। राघव तू कैसा बेटा हैं मां को पुछ तो लेता।"


राघव " पुछना किया अपने हाथ से खिलाता हूं।"


कहकर प्लेट हाथ में लिया मां के पास गया एक छोटा निवाला बनाकर हाथ आगे बढाया तो प्रगति ने सर हिलाकर मना कर दिया तब राघव बोला " आले ले ले मेरा सोना मम्मा नलाज हो गया। चलो मुंह खोलो छोटे बच्चे की तरह जिद्द नहीं करते।"


प्रगति भाव विहीन होकर राघव को देखने लगीं। उसकी पलके भोजील हुईं तो आंख मिच लिया। आंख मिचते ही दो बूंद नीर बह निकला, आंखे पोछा मुंह खोला और निवाला लपक लिया। आंख पोछते देखकर राघव पूछा " मां किया हुआ आप रो क्यों रहे हों?"


प्रगति " कुछ नही रे बचपन में तू न खाने की जिद्द करता तो मैं तुझे ऐसे ही मनाया करती थीं। वो पल याद आ गया इसलिए आंखे नम हों गईं।


तन्नु " अच्छा तो फिर अपने मुझे भी खिलाया था।"


प्रगति " हां दोनों को खिलाया था। तू तो सबसे ज्यादा जिद्द करती थी और मेरे हाथों से खाती ही नहीं थी राघव खिलाता तो झट से खां लेती थीं।"


तन्नु " वो मैं आज भी खाती हूं भईया की प्यारी बहनिया जो हूं। क्यों सही कहा न भईया।"


राघव " तूने कभी गलत बोला हैं जो अब बोलेगी तू तो मेरी चुनूं सी, मुन्नू सी बहना प्यारी हैं।"


राघव बोलते हुए मुंह ही इस तरीके से बनया था। सब के चहरे पर हसी छा गईं फिर प्रगति बोली "चलो बहुत हुआ हसी मजाक अब आराम से बैठ कर नाश्ता करते हैं।"


डायनिंग टेबल पर जाकर तीनों नाश्ता करने बैठ गए। क्या मनोरम दृश्य था। तीनों मां, बेटी, बेटा एक ही थाली से खां रहे थे और एक दुसरे को खिला रहे थे। इनकी खुशी की झलकी देखकर कोई कह नहीं पाएगा जैसे अभी अभी कुछ देर पहले कुछ हुआ था। तन्नु ठहरी चुलबुली बच्ची उसके मस्तिष्क के खोचे में चूल मची रहती तो फिर किया चूल मची और बोल बैठी " वैसे तो आप उदास चहरा , रोतढू सकल के साथ गए थे। भाभी ने ऐसा किया चखा दिया जो खिलखिलाते हुए आए।"


राघव कुछ बोलता उससे पहले प्रगति बोल पड़ी " चुप कर बड़बोला कही का जब देखो बक बक करती रहेंगी साथ ही मेरे बेटे को परेशान करती रहेंगी।"


फिर किया था तन्नु की एक्टिंग शुरू इसे अगर एक्टिंग की कंपीटीशन में भेजा जाए तो जज का भेजा खाके फर्स्ट प्राइज लेकर आएगी। रोतढू सकल बनके दोनों आंखे मलते हुए बोली "uaammm.. uaammm… भईया मम्मा डाट रहीं हैं।"


राघव " मां अपने डांटा क्यों, तू चुप कर कोई नहीं डांटेगा।"


तन्नु " sachiiii"


राघव " mucchiiii"


तन्नु " तो फिर बोलो न भईया भाभी ने किया किया?"


प्रगति " tannuuuuu"


तन्नु " भईया देखो फिर से"


प्रगति " भईया की बच्ची रुक तुझे बताती हूं।"


प्रगति जैसे ही अपने जगह से उठी तन्नु जीव दिखाकर fhurrr से भागी जाकर कमरे में रूकी और दरवाजा बन्द कर लिया। प्रगति पहुंची दरवाजा पीटते रह गई दरवजा नहीं खुला। इन मां बेटी की tom and jerry सो देखकर राघव के पेट में गुदगुदी मची और जी भर के हंसा। प्रगति थक हर के वापस आईं। राघव को हंसता देखकर बोली " तुझे क्या हुआ भांग बांग पी लिया जो वाबलो की तरह हासे जा रहा हैं।


राघव " आप दोनों के tom and jerry वाला सो देख के खुद को रोक नहीं पाया और बावला बनके हंसने लगा।"


प्रगति "ऐसे ही हंसती रहा कर। ये जो कुछ भी हों रहीं है सब तेरी कारिस्तानी है। तेरी वजह से ही इतनी सर चढ़ी हुई हैं।"


राघव "अरे मां करने दो न जो करती है। अभी उसे उसकी मन की करने दो शादी के बाद न जानें कैसा ससुराल मिलेगा क्या पाता शादी के बाद ऐसे मस्ती ही न कर पाए।"


प्रगति " तू कहता है तो करने देती हूं। तेरे सामने तो कुछ कह नहीं पाऊंगी तेरे पिछे उसकी ढोलक दवाके बजूंगी।



फिल्म का पॉज बटन यहां दबाता हूं। अब प्ले बटन तब दवेगा जब आप मस्त मस्त रेवो के संग लाईक ठोकोगे। तो भाऊ और भाऊ लोगों आज के लिए विदा लेते हूं सास रही तो फिर मिलूंगा।
 
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Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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:congrats: For completed 1k views on your story thread.....

Abhi abhi shadi hui hai unki... isiliye vacation par hai...nahi to wo harek comment ka answer karte chahe wo negative ho ya positive ...so chill jab wo aayenge to wo sabhi comments ka counter reply jarur karenge...aur phir unke counter reply dekhakar kahoge wah kya baat hai...Naina mam ,Mai xabhi aur bahut sare hai ,hamare comments aise hote the ki normal writer to ro pade lekin baap re Kya counter reply dete the...jab wo aayenge to dekhana...

ये चेतावनी भी बडी लाजवाब है
5 रुपये की चिकन बिरयानी मे मिला कवाब है
चमन चुतियो की फिकर ना करो वो ऐसे ही रहेंगे
चोद लेंगे खुद मा अपनी और मागते तर्को पर जवाब है

😝😝😝😝

Awesome Updateee

Atal ji jaisa haal toh aajkal bahot se ghar mein dekhne ko milta hai. Jaha berojgaar bete ko roj taana sunne ko milta hai.

Lekin baap ko kaun samjhaye aaj ke samay mein naukri milna kitna mushkil hai.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.

कहानी अपनी लाईन पर शुरु हो गयी है

Jitna mila hai utne mein kuch raha kijiye...
wo kehte hai na... zyada laalach buri bala hoti hai :D

खुशी की ख़बर ये हैं उम्मीद से ज्यादा तारीफ और श्रद्धा को देखते हुए Love बर्ड और तन्नु की चुलबुली अदा पेश हैं।
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Update - 3

राघव सृष्टि के कंधे पर सर रख नीर बहा रहा था और कांधे को भिगो रहा था। गीला पान चूबते ही सृष्टि ने राघव का सर उठाया उसके आशु पोछा फिर बोला " क्या हुआ राघव आज फिर से कहा सुनी हुई। मत रो तुम्हारे अंशु मेरे दिल को खचोट रहीं तुम ने रोना बन्द नहीं किया तो मैं भी रो दूंगी।


राघव सृष्टि की आंखो में देखकर उसके लवों को अपने लवों से मिलाया ये अदभूत क्षण कुछ ही सेकंड के लिए था। अलग होकर राघव बोला " रोऊ न तो और क्या करू पापा की तीखी बाते और सहन नहीं होता। मैं क्या करूं जो उनके दिल में पुरानी जगह बना पाऊं"


सृष्टि " करना कुछ नहीं हैं सिर्फ़ आंखे मूंदे सुनती रहो, जो कह रहे हैं एक कान से सुनो और दूसरे कान से निकाल दो तुमने उनके इच्छा के विरुद्ध जाकर काम किया तो गुंबार तो पनपना ही था। जिस दिन उन्हे अहसास होगा तुम सही थे देखना पुराना दुलार लौट आएगा।


राघव " न जानें कब लौटेगा, उम्मीद खो चुका हूं अब तो मन करता हैं….."


लवों पे उंगली रख सृष्टि कहती हैं " चुप बिलकुल कुछ भी उटपटांग न कहना।"


राघव मुस्कुराया लबों से उंगली हटाकर हाथ को चूमा फिर बोला " अच्छा नहीं कहता बाबा… मैं उटपटांग बोलूं या न बोलूं किसे फर्क पड़ता हैं।"


सृष्टि " आज कहा हैं दुबारा न कहना सब को फर्क पड़ता हैं, मैं हूं , आंटी हैं, तन्नु हैं, अंकल हैं।


राघव "hummm अंकल आंटी….


सृष्टि कान पकड़ भोली सूरत और मासूम अदा से बोली " सॉरी न babaaaa,


राघव " hummm ये ठीक हैं। इतनी भोली सूरत मासूम अदा से बोलोगी तो कौन माफ नहीं करेगा।


सृष्टि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर बोली " माफ तो करना ही था। मुझसे इतना प्यार जो करते हों, मैं जो बोलती हूं वो सुनो अभी हमारी शादी नहीं हुई। इसलिए उन्हे अंकल आंटी बोल सकती हूं।


राघव " मोबइल दो जरा मां से पूछकर बताता हूं।


सृष्टि " न बाबा न उनसे न पुछना बहुत डाटेगी। मां से याद आया जल्दी घर जाओ मां टेंशन में हैं।


राघव " ओ तो मां ने तुम्हें मेरे यहां होने की ख़बर दी।


सृष्टि " मां ने सिर्फ इतना बताया पापा ने तुम्हें भला बुरा कहा और तुम घर से निकल आए।"


राघव " फिर तुम कैसे जान पाए मैं यहां हूं?"


सृष्टि " तुम न पुरे के पूरे झल्ले हों जानते सब हों जानकर भी अनजान बनते हो। जब भी तुम्हारा पापा से नोक झोंक होता हैं। तुम अपना ये क्यूट सा चहरा कद्दू जैसा बनाकर यहां आ जाते हों।


राघव " मेरा चहरा कद्दू जैसा तो क्या तुम्हारा चहरा फुल गोभी जैसा।"


सृष्टि " न न मेरा चहरा गोभी जैसा क्यों होगा। खिला हुआ गुलाब हैं जिसे देखकर तुम्हारे चहरे की क्यूटनेंस ओर बड़ जाती हैं।


राघव " न जाने कब ये खिला हुआ गुलाब मेरे अंगना आकार महकेगा।"


सृष्टि " वो दिन तो तब आएगा जब मम्मी पापा चाहेंगे।"


राघव " फिर तो वो दिन आने से रहीं क्योंकि नौकरी नहीं तो छोकरी नहीं ।"


सृष्टि मुस्कुराया पीट पे एक धाप दिया फिर बोला " नौकरी से याद आया एक जगह बात किया हैं तुम्हारे नाक पर मक्खी न बैठें तो जाकर देख आना।"


राघव " मेरे नाक पे भला मक्खी क्यों बैठेगा। बैठा तो उसे मसल न दू।"


राघव के नाक पकड़ हिलाते हुए सृष्टि बोली " कभी कभी इगो आड़े आ जाती हैं अहम को चोट न पहुंचे इसलिए ऐसे प्रस्ताव को ठुकरा दिया जाता हैं।


राघव " मेरा अहम कभी आड़े नहीं आया। तूम जो कुछ भी मेरे लिए करती उससे मुझे खुशी मिलता हैं। तुम्हारी जैसी गर्लफ्रेंड बहुत नसीब वालो को मिलाता हैं। शायद किसी जनम में बहुत पुण्य काम किया होगा जिसके फलस्वरूप तुम मुझे मिली।"


सृष्टि " ये कैसी बाते कर रहें हों नसीब वाली तो मैं हु जो तुम मुझे मिले। तुम्हारे लिए नहीं करूंगी तो ओर किसके लिए करूंगी तुम्हारे अलावा मेरा कौन हैं।"


राघव " haumnnn……


सृष्टि " रूको रुको फुन आई बात कर लू फिर जो बोलना हैं बोल लेना।"


सृष्टि बात करती हैं फिर राघव को बोलती हैं " बहुत देर हों गई अब हमे चलना चहिए। तुम भी जाओ मां वहा टेंशन के मारे फिर से फेरे लेने पे तुली हैं।"


राघव एक छोटा सा kiss 😘 कर चल देता हैं तब सृष्टि राघव को रोक कर बोलती हैं " एड्रेस तो लिया नहीं बिना एड्रेस के जॉब की इंटरव्यू देने कैसे जाओगे।


सृष्टि राघव को एड्रेस बता देती हैं। राघव चलने लगता हैं तब सृष्टि पिछे से बोलती हैं " कल याद से मिल लेना और शाम को मुझे good news देना।"


राघव मुंडी hannn में हिलाया, सृष्टि मुस्कुराते हुए चल दिया। राघव भी मस्त मौला चल दिए। चाल से जान पड़ता, बहुत खुश होकर जा रहा था। कौन कहेगा कुछ देर पहले राघव को बाप ने तीखी मिर्ची वाली चटनी चटाई। बस लवर के होटों का मिठास चाट लिया और सारा तीखापन भूल गया। ये कैसा प्यार है कुछ पल्ले न पड़ा। ऐसी प्रेमिका सब की लाइफ में आ जाए तो बल्ले बल्ले डिस्को भांगड़ा तिनक धीन ताना नाचू मैं टांग उठाके।


राघव सभी बाते भुलाकर मन मौजी नाचते हुए घर पहुंचा। वहां तन्नु और प्रगति डायनिग टेबल पर कोहनी टिकाए दोनों गालों को पकड़े सोच की मुद्रा में बैठी थीं। नाश्ते की प्लेट दोनों के सामने रखा था। तन्नु की पेट की खोली पहले से थोडा सा भरा था। इसलिए खाएं न खाए कुछ फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रगति के सामने रखी प्लेट में से एक भी निवाला खाया नहीं गया। प्रगति बीच बीच में सर को हिला रहीं थीं। ये देखकर राघव की हंसी छूट गया। राघव khiii..khiii...khiii… कर हसने लगा। हसी कि आवाज कानों में पड़ते ही दोनों का ध्यान भंग हुआ। राघव को देखकर प्रगति राघव के पास गईं और बोली " तुझे मज़ा आ रहा हैं यहां हमारी टेंशन के मारे दो चार किलो वजन कम हों गया। नाराज होकर कहा गया था। तेरे बाप को ना जाने कौन-सा खुन्नस चढ़ा हुआ हैं। जो मन में आता बोल देता किसी को नहीं बकस्ता। तू भी ऐसा करेगा तो देख लेना किसी दिन मैं कुछ कर बैठूंगी।


मां की बात सुनाकर राघव की सारी हसी गायब हों गया। राघव कान पकड़ कर " soryyy.. soryyy..soryyy….. आगे से ऐसा नहीं करूंगा।


तन्नु " कोई सॉरी बोरी नहीं चलेगी मेरी जान हलक में आ गई थी और अपको khiii..khiii... सूझ रहीं थीं।


तन्नु फुल्के की तरह मुंह फुलाकर खड़ी हों गईं। राघव सोचे मनाए तो किसे मनाए मां अलग रूठी हैं, तन्नु अलग रूठी हैं। कुछ समझ न आया करे तो क्या करें फिर अचानक करेंट का फ्लो तेज हुआ दिमाग की ट्यूब लाईट जली चाट से एक चुटकी बजाई और जाकर डयानिग टेबल पर बैठ गई और तन्नु की झुटी प्लेट से चाटा... चाट…, चाटा….. चाट…. चपाती खाने लगा। हपसी की तरह खाते देख प्रगति और तन्नु का चेहरा खिल उठा और हसी छूट गई। हंसते हुऐ तन्नु बोली "देखो भुक्कड़ को हपसी की तरह खाए जा रहा हैं। हम रूठे हैं माने के बजाय गपागप गपागप खाए जा रहा हैं"


राघव के मुंह में निवाला था। पानी पीकर निवाला गटका फिर बोला " वो क्या है न मुझे बड़ी जोरो की भूख लगा था मेरी प्यारी बहनिया की झूठी प्लेट देखा तब भूख ओर बड़ गया। सोचा पेट को शांत कर लूं फिर दोनों को माना लूंगा।"


प्रगति हंस दिया तन्नु मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव की ओर दौड़ी गला दबाने का ढोंग करते हुए बोली " मन कर रहा हैं अपका गला दबा दूं।"


राघव "चल हट पगली पहले खाने दे फिर शौक से गला दवा लेना।"


तन्नु आंखे मलते हुए uaammm.. uaammm… करने लागी। राघव तन्नु को रोने की एक्टिंग करते देखकर खडा हुआ और बोला

"तन्नु तू रो क्यों रहीं"


तन्नु प्रगति की ओर उंगली दिखते हुए बोली "मम्मा"


राघव प्रगति की ओर देखकर बोला " मां अपने कुछ कहा"


प्रगति " मैने कहां कुछ कहा, कहता तो तुझे सुनाई नहीं देता। ये ढोंगी, ढोंग करना बंद कर जब देखो नौटंकी करती रहेंगी।"


तन्नु किया करती उसकी भांडा तो फुट गया। मुस्कुराते हुए आंखों से हाथ हटा लिया और भोली सुरत बना लिया। भोली सुरत देखकर राघव मुस्कुराया और फिर से खाने बैठ गया।


(' ये हापसी कितना खायेगा पेट हैं की कुंआ '

राघव " चुप चाप स्टोरी लिख, ज्यादा भूख लागी हैं तो आ जा जली हुई चपाती के साथ मोमो वाली थिखी चटनी चाट के निकल जाना"

"ये हलकट चुप रह")


राघव को दुबारा खान खाते देखकर प्रगति सर पर हाथ मरते हुए बोला " हे भगवान कैसा चिराग दिया। मां भूखा है पूछने के बजाय खुद खाने बैठ गया। राघव तू कैसा बेटा हैं मां को पुछ तो लेता।"


राघव " पुछना किया अपने हाथ से खिलाता हूं।"


कहकर प्लेट हाथ में लिया मां के पास गया एक छोटा निवाला बनाकर हाथ आगे बढाया तो प्रगति ने सर हिलाकर मना कर दिया तब राघव बोला " आले ले ले मेरा सोना मम्मा नलाज हो गया। चलो मुंह खोलो छोटे बच्चे की तरह जिद्द नहीं करते।"


प्रगति भाव विहीन होकर राघव को देखने लगीं। उसकी पलके भोजील हुईं तो आंख मिच लिया। आंख मिचते ही दो बूंद नीर बह निकला, आंखे पोछा मुंह खोला और निवाला लपक लिया। आंख पोछते देखकर राघव पूछा " मां किया हुआ आप रो क्यों रहे हों?"


प्रगति " कुछ नही रे बचपन में तू न खाने की जिद्द करता तो मैं तुझे ऐसे ही मनाया करती थीं। वो पल याद आ गया इसलिए आंखे नम हों गईं।


तन्नु " अच्छा तो फिर अपने मुझे भी खिलाया था।"


प्रगति " हां दोनों को खिलाया था। तू तो सबसे ज्यादा जिद्द करती थी और मेरे हाथों से खाती ही नहीं थी राघव खिलाता तो झट से खां लेती थीं।"


तन्नु " वो मैं आज भी खाती हूं भईया की प्यारी बहनिया जो हूं। क्यों सही कहा न भईया।"


राघव " तूने कभी गलत बोला हैं जो अब बोलेगी तू तो मेरी चुनूं सी, मुन्नू सी बहना प्यारी हैं।"


राघव बोलते हुए मुंह ही इस तरीके से बनया था। सब के चहरे पर हसी छा गईं फिर प्रगति बोली "चलो बहुत हुआ हसी मजाक अब आराम से बैठ कर नाश्ता करते हैं।"


डायनिंग टेबल पर जाकर तीनों नाश्ता करने बैठ गए। क्या मनोरम दृश्य था। तीनों मां, बेटी, बेटा एक ही थाली से खां रहे थे और एक दुसरे को खिला रहे थे। इनकी खुशी की झलकी देखकर कोई कह नहीं पाएगा जैसे अभी अभी कुछ देर पहले कुछ हुआ था। तन्नु ठहरी चुलबुली बच्ची उसके मस्तिष्क के खोचे में चूल मची रहती तो फिर किया चूल मची और बोल बैठी " वैसे तो आप उदास चहरा , रोतढू सकल के साथ गए थे। भाभी ने ऐसा किया चखा दिया जो खिलखिलाते हुए आए।"


राघव कुछ बोलता उससे पहले प्रगति बोल पड़ी " चुप कर बड़बोला कही का जब देखो बक बक करती रहेंगी साथ ही मेरे बेटे को परेशान करती रहेंगी।"


फिर किया था तन्नु की एक्टिंग शुरू इसे अगर एक्टिंग की कंपीटीशन में भेजा जाए तो जज का भेजा खाके फर्स्ट प्राइज लेकर आएगी। रोतढू सकल बनके दोनों आंखे मलते हुए बोली "uaammm.. uaammm… भईया मम्मा डाट रहीं हैं।"


राघव " मां अपने डांटा क्यों, तू चुप कर कोई नहीं डांटेगा।"


तन्नु " sachiiii"


राघव " mucchiiii"


तन्नु " तो फिर बोलो न भईया भाभी ने किया किया?"


प्रगति " tannuuuuu"


तन्नु " भईया देखो फिर से"


प्रगति " भईया की बच्ची रुक तुझे बताती हूं।"


प्रगति जैसे ही अपने जगह से उठी तन्नु जीव दिखाकर fhurrr से भागी जाकर कमरे में रूकी और दरवाजा बन्द कर लिया। प्रगति पहुंची दरवाजा पीटते रह गई दरवजा नहीं खुला। इन मां बेटी की tom and jerry सो देखकर राघव के पेट में गुदगुदी मची और जी भर के हंसा। प्रगति थक हर के वापस आईं। राघव को हंसता देखकर बोली " तुझे क्या हुआ भांग बांग पी लिया जो वाबलो की तरह हासे जा रहा हैं।


राघव " आप दोनों के tom and jerry वाला सो देख के खुद को रोक नहीं पाया और बावला बनके हंसने लगा।"


प्रगति "ऐसे ही हंसती रहा कर। ये जो कुछ भी हों रहीं है सब तेरी कारिस्तानी है। तेरी वजह से ही इतनी सर चढ़ी हुई हैं।"


राघव "अरे मां करने दो न जो करती है। अभी उसे उसकी मन की करने दो शादी के बाद न जानें कैसा ससुराल मिलेगा क्या पाता शादी के बाद ऐसे मस्ती ही न कर पाए।"


प्रगति " तू कहता है तो करने देती हूं। तेरे सामने तो कुछ कह नहीं पाऊंगी तेरे पिछे उसकी ढोलक दवाके बजूंगी।



फिल्म का पॉज बटन यहां दबाता हूं। अब प्ले बटन तब दवेगा जब आप मस्त मस्त रेवो के संग लाईक ठोकोगे। तो भाऊ और भाऊ लोगों आज के लिए विदा लेते हूं सास रही तो फिर मिलूंगा।
बाते थी गंभीर और मोटी
अपडेट जू ने कर दी छोटी
दो सीन की बना दिवार
अटल जी को किया दरकिनार
देखो बबुआ ना करो बेईमानी
छोटा अपडेट है ना फरमानी
हीरोइन से बिना सीन बनाये
बिना हमारे अरमान जगाये
अपडेट जब दोगे तुम ऐसे
रेवो बडे आयेंगे कैसे
करो मेहनत और जोर लगाओ
जल्दी एक मेगा अपडेट लाओ
बने हो लेखक तो सहना पडेगा
पब्लिक डिमांड पर कुछ करना पडेगा
शुभचिंतक हू ना होना निराश
अगर मेगा अपडेट नही मिला तो लूंगा क्लास :bat1:



BRILLIANT UPDATE WITH AWESOME WRITTING SKILL ( चोरी का माल है ये विदेसी भाषा वाला )
:applause::applause::applause::applause:
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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बाते थी गंभीर और मोटी
अपडेट जू ने कर दी छोटी
दो सीन की बना दिवार
अटल जी को किया दरकिनार
देखो बबुआ ना करो बेईमानी
छोटा अपडेट है ना फरमानी
हीरोइन से बिना सीन बनाये
बिना हमारे अरमान जगाये
अपडेट जब दोगे तुम ऐसे
रेवो बडे आयेंगे कैसे
करो मेहनत और जोर लगाओ
जल्दी एक मेगा अपडेट लाओ
बने हो लेखक तो सहना पडेगा
पब्लिक डिमांड पर कुछ करना पडेगा
शुभचिंतक हू ना होना निराश
अगर मेगा अपडेट नही मिला तो लूंगा क्लास :bat1:



BRILLIANT UPDATE WITH AWESOME WRITTING SKILL ( चोरी का माल है ये विदेसी भाषा वाला )
:applause::applause::applause::applause:
:respekt:

बेशक लगाओ क्लास
बड़े भाई हो जु के
उम्मीद से बंधी डोर
टूटने न दू
साथ हों साथ चलते रहो
थोड वक्त दो
फिर देखो जोर

शुक्रिया बड़े भाई इतनी खुबसूरत फुल बरसते शब्दो के लिए बस थोड़ी व्यस्तता के कारण अपडेट छोटा हों रहा हैं।
 
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