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Romance Wo Lal Bag Wali (Completed)

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Raanjhanaa

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रात 8 बजे बस दिल्ली बस स्टैंड पे पहची, मयूर ने सोचा अच्छे समय पहुच गये, अगर सन्याल ने अपना जाल यहाँ तक नहीं डाला होगा तो अभी भीड़ में गुम होना बहुत आसान होगा

मयूर ने रागिनी को कहा - दिल्ली दिलवालों की है देखो है ये हमारे साथ कैसा सुतुक करती है पहले हमको कुछ चीजे खरीदनी है और वो स्टैंड के सामने एक बड़ी दुकान में गये और वहा से एक ब्लू कलर का नया ट्राली बेग खरीदा

रागिनी ने पूछा- इस बेग की क्या जरूरत है ?

बेग से हम पर किसी भी होटल वाले को शक नहीं होगा।

जीनियस - रागिनी हसते हुए बोली

उन्होंने बैग में रखने के लिए कुछ कपड़े खरीदे, रागिनी ने एक दूकान से एक मंगल सूत्र खरीदा और अपने गले में डाल लिया।

खुद ही दुल्हन बन जाओ-मयूर ने कहा

डॉट दोरी जब तुम्हारा मन हो, बैंड बाजा बारात लेकर आना और एक बार और मुझे पहना देना

दोनों टैक्सी में बैठे और रेलवे स्टेशन के सामने एक सकरी गली में स्थित एक श्री स्टार होटल के रिसेमान पर पहुचे और एक कम किराये पर लिया, दो होटल शहर के विध और विदेशी लोगों की पसंदीदा जगह थी, वो अपने रूम में पहुचे और रूम अन्दर से लॉक कर लिया

मुबह लगभग 8 बजे मयूर की नींद खुली, और उसने देखा की रागिनी बिस्तर पर नही है, उसने सोचा बायकम में होगी, और वो फिर को गणा, पकान की वजह से वो दिन चढने तक सोता रहा, लगभग ।। बजे उसकी नींद फिर खुली और रागिनी फिर उसके पास नहीं थी,

यो उठा और चारो और देखा, रम पूरी तरह खाली था उसकी नजर दरवाजे पर गई और वो अन्दर से खुल्ला था, कहा गई वो उसने सोचा और उठ खड़ा हुआ।

और उसको टी टेबल के ऊपर एक कागज पे लिखा नोट पड़ा दिया-मपूर मुझे माफ करना मैंने तुम्हारी जान संकट में डाल दी. मैं तुमको छोड़ कर जा रही हूँ. मुझे भूल जाना. यही तम दोनों के लिए अच्छा रहेगा बाय)

को रिसेप्शन पे गया और पूछा - मेरे साथ जो मेडम थी, उनको देखा तुमने ? मदूर के चेहरे

पर अधीरता थी।

हो तो सुबह 8 बजे ही ब्लू बेग ले कर चली गयी।
 
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Raanjhanaa

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चौ वापिस रूम मैं आपा और रागिनी को मोबाइल लगाने के लिए अपना मोबाइल औन किया जो उसने मेले वाले कांड के बाद से ऑफ कर रखा था मोबाइल ओन हुआ और अविश्वास से उसकी आँखे मोबाइल की स्क्रीन पर जम गई, उसने देखा मोबाइल पूरी तरह से खाली था, रागिनी की एक मात्र पिक्चर सहित सारी पिक्चर मोबाइल में नहीं थी. न कोई काटेक्ट नम्बर, न कोई विडियो पूरी तरह से ब्लेक मोबाइल

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसका ध्यान टुटा आने दरवाजा खोला-सामने लन्याल

खड़ा था

वो दोनों एक दुसरे को देख रहे थे।

पुलिस स्टेशन में तन्यल पाचवी बार मयूर से पूछ रहा था -

वो लडकी कौन थी, कहा से आई थी?

मुझे नहीं मालूम।

उसके हाथ में पिस्तौल कहा से आई थी?

मुझे नहीं मालूम।

जो दोनों गुढे कौन थे, यो उस लकी को क्यों मारना चाहते थे।

मुझे नहीं मालूम

तुमने पुलिस से भागने में उसकी मदद क्यों की ?

क्योकि में उस लड़की से प्यार करता है।

बन्चार मत कारो - तन्यत गुराया - तुम नहीं जानते हो तुम किशा मुसीबत मैं हो, अगर मेरी खोपड़ी बिगड़ गई तो तुमसे तोते की तरह सब उगलवा लँगा, उस लड़की को बचा कर तुमको कुछ नहीं मिलने वाला है, अगर तुमने पुलिस की मदद की तो में तुमको सरकारी गवाह बना कर बरी करता हूँगा।

मगर ने बैचेनी से पहलू बदला और कहा - जो सवाल आप पूछ रहे है उनका जवाब मुझे भी नहीं मालूम मैं खुद विचित्र स्थिति मैं फसा हु

तपल ने कहा - तुमको मालूम है, मैंने हर उस जगह पर तलाश करवाया जहा तुम दोनों गधे पर किसी भी जगह उस लडकी का एक भी फोटो नहीं है, न कोई उसे जनता है न कोई पता ठिकाना किसी को मालूम है, बाय गॉड मैंने अपनी जिन्दगी मैं ऐसा केस नही देखा, वो दोनों गुंडे भी गायब है, लहकी भी, पिस्तौल भी, कोई फोटो भी नहीं आश्चर्य ।

मपूर ने कहा- उसने मुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताया, आप मुझे जाने दीजिये, मैं केवल उस लड़की की मदद कर रहा था

ऐसा नहीं हो सकता तुम जितना भोला दिखने का प्रयास कर रहे हो वास्तव में ही नहीं.
 
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