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Thriller Yamdoot ki laaparwahi [Action, Thriller, Suspense] (Completed)

Mai iske sare updates kis trah du

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Mayaviguru

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Agla update aj sham tak aa jaega...please sath bne rahiye ...because mai sirf copy paste nhi kar rha ..isko bhut jyada edit krna pad rha hai then fir english font mai type krna padta hai...
 

Mayaviguru

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munim jee mujhe Seth ji se milana hai”.
“Seth ji to yahaan nahin hai. abhi abhi gae hai. kaho kya kaam hai?” muneem ne javaab diya.
muneem ka javaab sun kar majadoor ajay kee rahee sahee himmat bhee toot gayi .vah badee umeed le kar aaya tha. lekin ab maalik hee yanha nahin hai to kaun uski madad karega? majador ajay ne mayusi bharee nigaahon se geeta ki taraph dekha, geeta ke chehre par bhee maayoosee chha gaee thee.
“ajay tumane bataaya nahin. maalik se kya kaam hai tumko?” muneem ne us se phir savaal kiya.
“jab maalik hee yahaan nahin hai to bataane se kya fayda? muneem ke dusri baar puchne par majadoor ajay ne javaab diya.
“are bhai maalik yanha nahin hai to kya hua? unaka beta aur bahu yanha par hai. apane cabin mein baithe hai. abhi baahar aaenge, koi jaruree kaam ho, to unase baat kar lena.
“munim jee mere bachche ko bukhaar hai, lekin chhote maalik to mujhe jaanate hee nahin, phir mein unse madad kese maangoon muneem jee.?” muneem kee baat sun kar ajay ne kaha
.
 

Mayaviguru

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मुनीमजी मुझे सेठजी से मिलना है”.
“सेठजी तो यहाँ नहीं है. अभी अभी गए है. कहो क्या काम है?” मुनीम ने जवाब दिया.
मुनीम का जवाब सुन कर मजदूर अजय की रही सही हिम्मत भी टूट गई. वह बड़ी उमीद ले कर आया था. लेकिन अब मालिक ही यंहा नहीं है तो कौन उसकी मदद करेगा? मजदूर अजय ने मायूसी भरी निगाहों से गीता कि तरफ देखा, गीता के चहरे पर भी मायूसी छा गई थी.
“अजय तुमने बताया नहीं. मालिक से क्या काम है तुमको?” मुनीम ने उससे फिर सवाल किया.
“जब मालिक ही यहाँ नहीं है तो बताने से क्या फायदा? मुनीम के दूसरी बार पूछने पर मजदूर अजय ने जवाब दिया.
“अरे भाई मालिक यंहा नहीं है तो क्या हुआ? उनका बेटा और बहु यंहा पर है. अपने केबिन में बैठे है. अभी बाहर आएंगे, कोई जरुरी काम हो, तो उनसे बात कर लेना.
“मुनीमजी मेरे बच्चे को बुखार है, लेकिन छोटे मालिक तो मुझे जानते ही नहीं, फिर में उनसे मदद केसे मांगूं मुनीमजी.?” मुनीम की बात सुन कर अजय ने कहा.
 

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“अरे तो एस बोल न, तेरा बेटा बीमार है. तू चिंता मत कर, अभी मालिक बाहर आएंगे, तो में बात कराउंगा तेरी उनसे.
इस बार मुनीम का जवाब सुन कर मजदूर अजय को कुछ तसल्ली हुई. उसने गीता कि तरफ देखा तो गीता के चहरे पर भी कुछ राहत महसूस हो रही थी. वह गीता के कंधे पर हाथ रख कर बोला.
“चिंता मत करो गीता विकी को कुछ नहीं होगा. बिलकुल ठीक हो जाएगा”
सेठ अजय बीवी शीतल के साथ अपने केबिन से बाहर आ कर मुनीम से मुखातिब हो कर बोला.
“मुनीमजी जो प्रोडक्शन हमारे हाथ में है वो तयशुदा तारीख में पूरा हो जाना चाहिए. लेट नहीं होना चाहिए. में चलता हूँ. दो दिन तक आ नहीं सकूंगा. ख्याल रखना”
“एक मिनट मालिक. ये अजय और इसकी घरवाली अपनी ही कंपनी में ही काम करता है. आपसे कुछ कहना चाहता है” मुनीम ने अजय कि तरफ इशारा करके कहा.
“कहो क्या बात है?” सेठ अजय मुनीम कि बात सुनने के बाद मजदूर अजय से मुखातिब होते हुए बोला.
“जी मेरे बच्चे को बुखार है. अस्पताल ले जाना है, कुछ रुपयों कि मदद चाहिए मुझे” मजदूर अजय ने सेठ अजय के सामने अपनी समस्या कह दी.
“नाम क्या बताया तुमने अपना?” सेठ अजय ने मजदूर अजय से फिर सवाल किया.
“जी मेरा नाम अजय है”
“ओह माय नामेसेक. बच्चे को बुखार कबसे है?” सेठ ने फिर सवाल किया.
“जी तीन दिन से है. पास में रुपया नहीं होने की वजह से अस्पताल नहीं ले जा सका”
“फिक्र मत करो तुम्हारा बच्चा बिलकुल ठीक हो जायेगा. मुनीमजी इसे जो रुपया चाहिय इसे दे देना. इसके साथ जा कर इसके बच्चे का इलाज कराना” सेठ अजय मुनीम को सुझाव दे कर पत्नी शीतल के साथ रुख्सत हुआ.
मुनीम मजदूर अजय को रुपये दिए और उसके साथ जा कर उसके बच्चे को अस्पताल में दाखिल कराया.
जोजागढ़ के दुसरे सबसे बड़े धनी सेठ है, मनीराम. इनकी कंपनी शहर में कभी नंबर वन हुआ करती थी. लेकिन अब मलूका इंडस्ट्री ने इनका नंबर वन का ताज छीन लिया. मनीराम को आज भी इस बात का मलाल है. लेकिन मनीराम अपनी नंबर वन कि पोजीशन छिन जाने का जिम्मेदार मलूका इंडस्ट्री से ज्यादा अपने बेटे फूलचंद को मानते है. मनीराम को भ्रम है कि अगर फूलचंद ने मन लगा कर मेहनत की होती तो उनकी कंपनी आज भी नंबर वन होती. लेकिन फूलचंद ने कंपनी का कारोबार देखने के बजाय अपने दोस्तों के साथ मौजमस्ती में ही समय बर्बाद किया जिसका फायदा मलूका इंडस्ट्री को मिला.
फूलचंद को खबर लगी कि मलूकदास के बेटे अजय ने अपनी कंपनी का कारोबार अपने हाथ में ले लिया है. और अब वो कंपनी को तरक्की के रास्ते पर और भी तेज़ी से बढ़ाने लगा है. वह इसकी सूचना देने के लिए मनीराम के पास पहुंचा.और बोला.
 

Mayaviguru

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अब क्या होगा पापा?”
क्या हुआ शहर में भूचाल आ गया क्या?” फूलचंद कि बात पर मनीराम ने प्रतिक्रिया दी.
“अब हम नंबर वन कभी नहीं बन पायेंगे.” फूलचंद ने जवाब दिया.
“वो तो बनने का सवाल ही पैदा नहीं होता. तेरे जैसे नकारा को पैदा जो किया है.लेकिन तुम्हे अचानक ये एहसास केसे हो गया, कि हम नंबर नहीं बन सकते?”
“वो मलूका का बेटा है न, विदेश से बिजनेस कि पढाई करके आया है. वो मलूका इंडस्ट्री के लिए नए नए नियम बना रहा है.कंपनी बहुत तरक्की कर रही है”
“ओह तो ये दुश्मन के घर कि खुश खबरी मुझे सुनाने आया है. दूर हो जा मेरी नजरो से. मनीराम ने फूलचंद फटकारते हुए कहा.
“अरे क्यों डांट रहे है आप, मेरे फूलचंद को? फूलचंद कि माँ ने बेटे का पक्ष लेते हुए कहा.
“अरे भाग्यवान, ये फूलचंद नहीं भूलचंद है, भूलचंद. मेरी भूल का नतीजा. मेरी भूल हुई जो इस नालायक को पैदा किया.
“अरे बताइए तो सही हुआ क्या है?” फूलचंद कि माँ ने मनीराम से कहा.
“ये नालायक दुश्मन के घर कि खुशखबरी ला कर मुझे सुना रहा है, किसलिए? मेरे जख्मों पर नमक रगड़ने के लिए. मलूका के बेटे ने ये किया, वो किया, ये कर रहा है, वो कर रहा है. अरे नालायक, कुछ खुद के बारे में भी सोच, कि तू क्या कर रहा है. दिन भर अपने अवारा दोस्तों के साथ अवारा गिरी?” मनीराम ने अपनी घर वाली को जवाब देते हुए कहा.
“आखिर बेटा तो आपका ही है न. वही तो करेगा जो आपने किया है. आपके पिताजी ने इतना बड़ा कारोबार खड़ा करके दिया आपको. लेकिन आप इसे नहीं संभाल पाए. हमेशा नंबर बने रहने के चक्कर में कारोबार को आगे बढाने के बजाय, खुद से आगे निकलने वालों को गिराने का कम करते रहे.”
“वो तो में आज भी करता हूँ, और हमेशा करता रहूँगा. जो भी मेरा रास्ता काटने कि कोशिश करेगा उसे मैं मिटी में मिला दूंगा. लेकिन इस नालायक के लिए क्या नहीं किया मैंने? इसे पढाया लिखाया. सोचा बेटा पढ़ लिख कर कारोबार संभालेगा. लेकिन इसे तो अवारागर्दी से ही फुर्सत नहीं है.अवारागर्दी ही करनी थी तो फिर इस पढाई कि डिग्री का क्या करेगा, भोगली करेगा?.” मनीराम ने बेटे और बीवी पर गुस्सा हो कर कहा.
“बस बस, बहुत हो गया अब. बढती उम्र के साथ साथ आपमें बोलने कि तमीज़ भी नहीं रही”. मनीराम कि अंट शंट भाषा पर उसकी घर वाली ने प्रतिक्रिया दी.
दो दिन बाद, रविवार कि सुबह, शीतल पांच बजे ही उठ गई थी, लेकिन उसका पति अजय, और पांच साल कि बेटी कोमल सो रहे थे. शीतल नित्यकर्म से निवृत हो कर किचन गई. चाय बना कर सास ससुर को चाय दी. फिर अजय के लिए चाय ले कर अपने कमरे में गई. वह अजय को झिंझोड़ कर जगाने कि कोशिश करने लगी.
 

Mayaviguru

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अजय, छः बज गए है,. जल्दी उठ जाइये में चाय ले अई हूँ, चाय ठंडी हो जाएगी.”
“अरे मैडम आज तो सन्डे है. कहीं जाना भी तो नहीं. फिर इतना जल्दी क्यों जगा रही हो?” अजय ने अपने सर पर कम्बल खिंची और करवट बदलते हुए कहा.
“आपको कहीं नहीं जाना, लेकिन मुझे शोपिंग के लिए जाना है. और आपको साथ में चलना है.”
“अरे शोपिंग के लिए जाना है, लेकिन मार्केट तो खुलेगा तब न. सुबह इतना कौन मार्केट खोल कर बैठा है?” इस बार अजय कम्बल हटा कर उठा और शीतल से बात करने लगा.
“लेकिन पहले मंदिर जाना है.मंदिर में बहुत भीड़ होती है, लाइन में लगना पड़ता है, मंदिर में जायेंगे तब तक मार्केट भी खुल जाएगा” शीतल ने अपना प्लान अजय के सामने कह दिया.
“आपने शायद कसम ले रखी है.सन्डे के दिन भी मुझे नहीं सोने देना है.” अजय उठते हुए बोला.
अजय नित्यकर्म से निवृत हो कर शीतल के साथ मंदिर और मंदिर से मार्किट जाने के लिए तेयार हो गया.
“बहु, जल्दी आ जाना, कोमल जाग गई तो तुम्हे यंहा न पा कर मुझे परेशां करेगी” शीतल बाहर कि तरफ जा रही थी. तब उसकी सास शांति ने कहा.
“हाल में बैठे मलूकदास, अखबार पढ़ते हुए चाय सुरक रहे थे. अजय को देखते ही अखबार एक तरफ रखा, और अजय से मुखातिब हो कर बोले.
“बाहर जा रहे हो तो संभल कर जाना बेटे. हफ्ता वसूली गेंग का लीडर है शाकाल नाम है उसका. उसने मुझे फोन करके एक करोड़ रुपये कि मांग कि है. और नहीं देने पर अंजाम भुगतने कि धमकी दी है.”
“आप बेवजह परेशान हो रहे हाई पापा. जो थोड़ी भी आराम कि जिंदगी जीने लग गया, उनके बहुत सारे दुश्मन हो जाते है. लेकिन हमें इस तरह डरना नहीं चाहिए,” अजय ने प्रतिक्रिया दी और चल दिया.
अजय और शीतल मंदिर और उसके बाद शोपिंग के लिए निकल पड़े. मंदिर के रास्ते में एक फूलमाला वाले कि दूकान थी. उस दूकान पर फूलमाला के अलावा पूजा कि अन्य सामग्री भी मिलती थी. अजय ने उस दूकान के सामने कार रोकी, शीतल कार से निकल कर दूकान पर गई. फूलमाला और पूजा का सामान खरीद कर लाई. वहां से रवाना हो कर दोनों मंदिर पहुंचे. मंदिर के पार्किंग एरिया में कार पार्क करके दोनों मंदिर में चले गए. मंदिर में भीड़ थी. दोनों श्रद्धालुओं की लाइन में लग गए. करीब एक घंटा बाद में दोनों पूजा करके बाहर आये. मदिर से फ्री होने के बाद शोपिंग और फिर घर जाना था. मंदिर से थोड़ी ही दूर गए होंगे कि अजय के फोन कि घंटी बजने लगी. स्क्रीन पर नंबर देखा तो उसके चेहरे पर गुस्सा उभर आया. नंबर कंपनी के मुनीम का था. और मुनीम को सन्डे के दिन फोन नहीं करने के लिए मना किया हुआ था फिर भी मुनीम ने फोन किया. अजय ने कॉल रिसीव करके फोन कान से लगाया और बरस पड़ा मुनीम पर.
“मुनीमजी, कितनी बार बोला है आपको, कि सन्डे के दिन फोन मत किया करो” लेकिन मुनीम का जवाब सुनते ही अजय के चेहरे पर गुस्से के भाव गायब हो गए और अफ़सोस के भाव पसर गए. अचानक अजय के चेहरे का बदला मिजाज देखा कर शीतल का दिल किसी अनहोनी की आशंका में धड़कने लगा वह अजय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करने लगी.
“लेकिन ये हुआ कब, और केसे हुआ? उन लोगो से बोलो, कि में एक घंटे बाद आ रहा हूँ,” मुनीम को सुझाव दे कर अजय ने फोन कट कर दिया.
“क्या हुआ?” शीतल ने पूछा.
“नहीं कुछ नहीं. अपनी कंपनी में काम करने वाला मजदूर था न अजय, जो परसों अपनी बीवी और बीमार बच्चे को ले कर हमारे पास आया था”
“क्या हुआ उसके बच्चे को? मर गया क्या?” शीतल अजय कि बात बीच में ही कटते हुए बोली.
“नहीं, उसके बच्चे को तो कुछ नहीं हुआ है. लेकिन उसकी खुद क़ी मौत हो गई” अजय ने शीतल के सवाल का जवाब दिया.
“क्या! उसकी मौत हो गई? लेकिन वो तो चंगा भला था क्या हुआ उसे?” शीतल ने अगला सवाल किया.
 

Mayaviguru

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Bole to sorry bhaiyo unexpectedly schedule thoda busy hai so time nhi mil rha ...but i promise aj sham ke bad se do updates regular milenge....ya fir agar aap log kho to mai iske saare updates ek sath post kar du
 
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