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Thriller Yamdoot ki laaparwahi [Action, Thriller, Suspense] (Completed)

Mai iske sare updates kis trah du

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Mayaviguru

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“मैं ठीक हूँ.”आरती के अनेक सवालों पर अजय ने इतनी ही प्रितिक्रिया दी.
“तो फिर बैठक हॉल में चलिये आपके सास ससुर और अन्य मेहमान आपसे मिलने आये हैं.” आरती ने अजय से बाहर चलने के लिए कहा.
“मैं नहीं चल सकता तुम जाओ” अजय ने बाहर चलने से इनकार कर दिया. शीतल और आरती हैरानी से देखती रही.
“आपकी तबियत ठीक नहीं होने की खबर सुन कर इतने मेहमान आपसे मिलने के लिए आये है. और आप बैठक में जा कर उनसे मिलना जरुरी नहीं समझते. आखिर हो क्या गया है आपको?” शीतल ने कड़कते हुए और ऊँची अजय से कहा.
“मुझे कुछ नहीं हुआ है. मुझे कुछ दिन के लिए एकांत चाहिए.” इस बार अजय की आवाज और भी तीखी थी. शीतल और आरती दोनों सहम गयी. वे दोनों बाहर चली गयी. अजय दूसरी तरफ करवट करके सो गया.
सब मेहमानों ने शाम का खाना खाया और अलग अलग कमरों में जा कर सब लोग सो गए. रात के बारह बजे होंगे सब लोग गहरी नींद में थे उस समय मलूकदास के फोन की घंटी बजने लगी. घंटी की आवाज सुन कर मलूकदास ने फोन हाथ में ले कर स्क्रीन पर नंबर देखा. अनजान नंबर से कॉल आया था. फिर भी कॉल रिसीव करके फोन कान से लगा लिया.
“मैं तो अच्छा ही हूँ लेकिन आप कौन बोल रहे है.?” मलूकदास ने कॉल करने वाले से पूछा.
“लगता तुमको भूलने की बिमारी है. लेकिन अपुन तेरे को आज फिर याद दिला रहेला है कि चार दिन पहले अपुन ने तेरे को फोन करके बताया था की अपुन को एक खोखा मांगता है. खोखा तैयार है की नहीं.?” सामने वाले की बात सुन कर मलूकदास ने उसे पहचान लिया था. ये वो ही हफ्ता वसूली गेंग का लीडर शाकाल था. जो मलूकदास को पहले भी कई बार फोन करके रुपये की मांग कर चुका था. लेकिन मलूकदास ने उसे फूटी कौड़ी भी नहीं दी. और आज भी नहीं देने का फैसला करके ऊँची आवाज में फोन पर ही भिड़ गया था शाकाल से.
“हरामखोर रात को बाहर बजे मुझे फोन करने की तेरी हिम्मत कैसे हुई? तुझे खोखा नहीं जेल की काल कोठरी मिलेगी शाकाल. तू जेल में चक्की पिसेगा चक्की.” मलूकदास की कड़कती और ऊँची आवाज सुन कर मलूकदास की घरवाली शांति देवी भी जाग गई वह भयभीत हो कर मलूकदास की तरफ देखने लगी.
“अपुन जेल की धमकी से डरने वाला नहीं है मलूकदास.अब तुम अपुन को एक खोखा नहीं दो खोखा दोगे. वरना तुम्हारे बेटे की लाश मिलेगी तुम्हे”
“क्क्क्या! क्या मतलब है तुम्हारा?” इस बार शाकाल की बात सुन कर मलूकदास के दिल में किसी अनहोनी की आशंका पसर गयी. उसके चेहरे पर भी गुस्से की जगह घबराहट पसर गयी.
“तुम्हारा बेटा अजय अपुन के कब्जे में है. अब तुम या तो अपुन को दो खोखा दोगे या फिर अपने बेटे की लाश ले कर जाओगे. फैसला तुम्हारे हाथ में है.” इस बार शाकाल की बात सुन कर मलूकदास को यकीन हो गया था की अजय का अपहरण हो गया है.
“क्या हुआ मलूकदास नानी मर गयी क्या?” शाकाल ने फिर कहा.
“एक मिनट मैं फोन कट करके दस मिनट बाद वापस करता हूँ.” इतना कह कर मलूकदास ने फोन कट कर दिया वह उठ कर कमरे से बाहर निकला और जोर से शीतल को आवाज लगाई. मलूकदास की आवाज सुन कर अपने कमरों में सो रहे सारे मेहमान भी जाग गए थे. शीतल नींद से जाग कर बाहर आ गयी थी.
“क्या बात है बाबूजी क्या हुआ?” शीतल ने मलूकदास से पूछा.
“शीतल अजय कहाँ है?” मलूकदास ने शीतल से पूछा लेकिन शीतल कोई जवाब नहीं दे पाई. शायद वो कुछ समझ ही नहीं पायी होगी.
“मैंने कहा अजय अपने कमरे में है की नहीं?” मलूकदास ने फिर जोर से पूछा
“एक मिनट में देख कर आती हूँ.” शीतल दौड़ कर वापस अपने कमरे में चली गयी.
“क्या बात है पापा?” आरती ने सवाल किया लेकिन मलूकदास ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.बाकी सब लोग हैरानी से मलूकदास की तरफ देख रहे थे.
 

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वे अपने कमरे में नहीं है बाबूजी.” शीतल ने वापस आ कर कहा. लेकिन शीतल की बात पर कोई प्रतिक्रिया दिए बिना ही मलूकदास बाहर की तरफ चल पड़े. बाकी सब लोग भी उनके पीछे थे. मलूकदास ने चौकीदार को आवाज लगाई चौकीदार उनके पास आया.
“अभी बंगले के अन्दर कौन आया था?” मलूकदास ने चौकीदार से सवाल किया.
“नहीं सेठजी यहाँ तो कोई नहीं आया.” चौकीदार ने जवाब दिया.
“तो फिर अजय बाहर गया?” मलूकदास ने अगला सवाल किया.
“हाँ छोटे मालिक तो घंटा भर पहले बाहर गए थे. लेकिन अभी तक आये नहीं. मुझे बताया की वे पान लेने जा रहे है” चौकीदार ने अजय के बाहर जाने कि जानकारी दी.
“ये पान कबसे खाने लगा.? और तुमने उसे रोका क्यों नहीं?” मलूकदास ने चौकीदार पर भड़कते हुए कहा.
“मैं उनको कैसे रोक सकता हूँ मालिक वो हमारे सेठ है” चौकीदार ने जवाब दिया.
“तो अब भुगतो सब. तुम्हारे सेठ का अपहरण हो गया है. और उसे छोड़ने के लिए दो करोड़ र्रुपये मांगे है” इस बार मलूकदास की बात सुन कर सबके दिलो पर जैसे बिजली टूट पड़ी हो.
“अपहरण! ये क्या कह रहे है आप?” शान्ति देवी ने आश्चर्य से कहा.
“अब क्या क्या होगा पापा?” आरती ने रुआंसी हो कर कहा”
“होगा क्या. छुड़ा कर लाना होगा उसे. मैं छुड़ा कर लूँगा उसे तुम लोगों को किसी को भी घबराने कि जरुरत नहीं है.” मलूकदास ने घर वालो को भरोसा दिलाया और फिर शाकाल के नंबर पर फोन लगाया. उधर घंटी जाने लगी.
“हाँ बोलो मलूकदास, अपून को विश्वास था कि तुम फोन जरुर करोगे” सामने से शाकाल कि आवाज आई.
“देखो शाकाल मैं तुम्हे दो करोड़ रुपया देने को तैयार हूँ. लेकिन मेरे बेटे को कुछ मत करना. बोलो रुपये कहाँ ले कर आना है. मैं अभी इसी वक्त आ रहा हूँ” मलूकदास ने शाकाल से विनती करते हुए कहा.
“गुड. अपून को पूरा यकीन था.तुम ऐसा ही करोगे लेकिन इतना जल्दी झुक जाओगे इस बात का यकीन नहीं था” मलूकदास कि बात पर शाकाल ने प्रतिक्रया दी.
“देखो शाकाल सुबह होने से पहले ही मै ये मामला निपटा लेना चाहता हूँ. क्योंकि अगर ये खबर पुलिस तक पहुँच गई तो पुलिस तुम्हे नहीं छोड़ेगी और तुम मेरे बेटे को नहीं छोड़ोगे”
“गुड बहूत समझदार लगते हो.अगर यही समझदारी पहले दिखाई होती तो तुम्हारे बेटे का अपरहण भी नहीं होता और दो के बजाय एक खोखे से ही काम चल जाता” शाकाल से बात करके मलूकदास ने फोन कट कर दिया. फिर घर मे गया दो करोड़ रुपये बैग में ड़ाल कर शाकाल कि बताई जगह पर पहुँच गया. उसने रुपये से भरा बैग शाकाल को दिया और अजय को ले कर घर आ गया अजय के घर आते ही सबने राहत कि सांस ली.
“भाग्यवान संभालो अपने बेटे को और पूछो इससे कि ये रात को बारह बजे घर से बाहर क्यों गया था? मैंने तो इसे पूछ लिया लेकिन इसने तो मौन धारण कर लिया है. जवाब ही नहीं.देता”
“आप बेवजह मेरे ऊपर गुस्सा हो रहे है पापा. मैं क्या बताऊँ आपको? मैं खुद नहीं जानता कि मैं वहां गया कैसे” मलूकदास कि बात पर अजय ने प्रतिक्रया दी और आगे कुछ भी बोले बिना ही अपने कमरे ने चला गया. सब लोग आश्चर्य से एक दूसरे कि तरफ देखने लगे.
“कमबख्त ये कौनसी बिमारी है. किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करना और रात को नींद में ही घर से निकल जाना” मलूकदास ने अजय कि बात पर हैरान हो कर कहा.
“सच में पापा. अजय भैया कि ये हालत मुझे बहूत अटपटी लगती है. कुछ कीजिये पापा कुछ कीजिये” आरती ने मलूकदास से कहा.
“मैं तुम्हारे दिल कि हालत समझ सकता हूँ बेटी. मैं अपने बेटे के इलाज के लिए डॉक्टर खरीद सकता हूँ अस्पताल खरीद सकता हूँ. पर क्या करूँ. कमबख्त ये बिमारी पकड़ में आये तब न” मलूकदास बोलते बोलते वह भावुक होने लगा था. उसकी आँखों में आंसू आ गए थे.
“हौसला रखिये समधी जी. सब ठीक हो जाएगा” पास में खड़े अजय के ससुर ने मलूकदास के कंधे पर हाथ रख कर हौसला दिलाते हुए कहा.
“अब हौसला रखना ही एक मात्र चारा है. शीतल तुम ऐसा करो कोमल को उसके नानी नानी के साथ भेज दो”
मलूकदास ने शीतल से कहा.
“ये क्या कह रहे है आप बाबूजी? कोमल के बिना मैं कैसे रहूंगी?” शीतल ने कोमल को खुद से अलग करने से मना करते हुए कहा.
“समझने कि कोशिश करो बहू कोमल हर समय एक ही सवाल पूछती है दादाजी पापा बात क्यों नहीं करते. और अजय की खामोशी हम सबको इतनी तकलीफ दे रही है तो सोचो इस मासूम बच्ची के दिल पर क्या गुजर रही होगी पता नहीं इस घर की तकदीर क्यों रूठ गयी. मेरा बेटा खामोश बुत बन कर बैठ गया है. पूरा घर मरघट लग रहा है”
सुबह के चार बजने को आये थे. सब अपनी अपनी जगह पर जा कर सो गए. लेकिन किसी कि भी आँखों में नींद नहीं थी. सुबह होते ही अजय से मिलाने आये मेहमानों ने वापस जाने कि तैयारी कर ली. कोमल भी नानी नानी के साथ जा रही थी.
“आरती सब लोग जा रहे है. लेकिन तुम रुक जाओ ना. दो दिन बाद चली जाना. सब लोग चले गए तो ये घर बहूत सूना सूना लगेगा” शीतल ने आरती को रोकने कि कोशिश करते हुए कहा शीतल कि आँखों में उदासी के साथ आंसू भी छलक आये थे.
“इस तरह हौसला नहीं हारते भाभी. अजय भैया बहूत जल्दी ठीक हो जायेंगे आज तो मुझे जाना होगा लेकिन कल में फिर वापस आ जाउंगी” आरती ने शीतल से कहा.
“कोमल भी ममी पापा के साथ जा रही है. अगर तबियत ठीक होती तो हमें किसी कि भी कमी का एहसास नहीं होता”
शीतल ने आरती को फिर रोकने की कोशिश की लेकिन आरती दूसरे दिन वापस आने का वादा करके चली गयी. सब मेहमान चले गए लेकिन अजय किसी को भी विदा करने के लिए अपने कमरे से बाहर भी नहीं आया. वह गुमसुम अपने कमरे में ही सोया रहा. मेहमानों को विदा करने के बाद मलूकदास अजय की मानसिक जांच रिपोर्ट लेने के लिए डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने पूरी रिपोर्ट देखी लेकिन जवाब वही पहले वाला.
 

Mayaviguru

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सेठजी इस जांच रिपोर्ट में मुझे कोई भी बिमारी नजर नहीं आ रही है. मैं यकीन के साथ कह रहा हूँ की आपका बेटा चंगा भला है उसे कोई तकलीफ नहीं है” डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट देखने के बाद जवाब दिया.
“ये क्या कह रहे है आप डॉक्टर? मेरा बेटा पिछले चार दिन से जिन्दा लाश बन कर रह गया है और आप कह रहे है उसे कोई तकलीफ ही नहीं है? तो क्या वो हम सबके साथ जानबूझ कर मजाक कर रहा है?” डॉक्टर की बात पर मलूकदास ने अपनी प्रतिक्रया दी.
“उसकी खामोशी की सिर्फ एक ही वजह हो सकती है. भय या कन्फ्यूजन. उसके दिमाग में कोई भय है जो उसे कन्फ्यूज और परेशान कर रहा है. मैं ये दवाई…………
“एक मिनट एक मिनट. क्या कहा आपने कोई भय है जो अजय की परेशान कर रहा है?” मलूकदास ने डॉक्टर की बात बीच में ही काट कर पूछा.
“हाँ उसके नहीं बोलने की एक वजह ये भी हो सकती है”
“थैंक यू डॉक्टर. जानकारी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.” मलूकदास डॉक्टर को शुक्रिया बोल कर उठ गया. डॉक्टर आश्चर्य से देखता रहा.
“क्या हुआ बाबूजी? डॉक्टर ने क्या कहा?” मलूकदास के घर पहुंचते ही शीतल ने सवाल किया.
“डॉक्टर की रिपोर्ट मैं बाद में बताउंगा पहले ये बताओ की अजय कहाँ है?” मलूकदास ने शीतल से सवाल किया.
“वो अपने कमरे में सो रहा है” शांति देवी ने जवाब दिया.
“ठीक है उसे सोने दो और तुम दोनों मेरे साथ चलो बाहर लॉन में बैठते है. मुझे कुछ जरुरी बात करनी है” शीतल और शांतिदेवी मलूकदास के साथ बाहर आ गयी. तीनों बंगले के बाहर लॉन में कुर्शिया लगा कर बैठ गए.
“कुछ बताइए तो सही डॉक्टर ने क्या कहा?” शांति देवी ने पूछा.
“डॉक्टर ने कहा है कि इसे किसी भी प्रकार की कोई भी बिमारी नहीं है.और अब मैंने ये तय किया है की अजय का इलाज मैं खुद करूंगा” मलूकदास का जवाब सुन कर आश्चर्य से एक दुसरे की तरफ देखने लगी.
“एक बात बताओ शीतल. पहली बार तुमने अजय में ये बदलाव कब देखा?” मलूकदास ने शीतल से सवाल किया.
“सन्डे के दिन जब हम शोपिंग के लिए गए थे. अजय कार में ही बैठे रहे और मैं मॉल में चली गयी. जब मैं शोपिंग करके लौटी तो मैंने अजय में ये बदलाव देखा. अजय नजरे झुकाए बैठे रहे मैंने झिंझोड़ कर चलने के लिए कहा तो मेरी तरफ ऐसे घूर कर देखने लगे जैसे पहली बार देख रहे हो कार भी मैं खुद चला कर लाई” शीतल ने मलूकदास को जानकारी दी.
“और तुम दोनों के घर आने पर मैंने फोन किया था” मलूकदास ने बात आगे बढाते हुए कहा
“हाँ किया था” शीतल ने सहमति से सर हिलाया.
 

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और इस बंदे ने कॉल रिसीव करने के बजाय फोन तुम्हारे हाथ में दे दिया और तुमने कॉल रिसीव करके मुझे बताया की अजय की तबियत ठीक नहीं है”
“हाँ कहा था” शीतल ने फिर सहमति से सर हिलाया.
“उसके बाद मैंने अजय से उस फाइल के बारे में पूछा जो मैंने इसे पिछले दिन ही दी थी. लेकिन इसने फाइल के बारे में ऐसा जवाब दिया जैसे कुछ जानता ही ना हो. हम तो ये समझते रहे की ये बीमार है. लेकिन डॉक्टर का कहना है की इसे शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की कोई बिमारी ही नहीं है. अगर ये बीमार नहीं है तो ये बिमारी का नाटक करे खामोश क्यों बैठा है? और अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये हफ्ता वसूली करने वाली गेंग के चंगुल में फंसा कैसे? ये रात को घर में सो रहा था फिर वहां गया कैसे?” मलूकदास बोले जा रहा था और शीतल व शांति देवी मलूकदास कि बात को गौर से सुन रही थी.
“तुम दोनों को अब भी शायद ये एहसास नहीं हुआ होगा कि मैं कहना क्या चाहता हूँ. लेकिन इन सब बातों पर गौर करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि ये अजय नहीं है.”
“क्या! अजय नहीं है! ये क्या कह रहे है आप? अगर ये अजय नहीं है तो और कौन है?” इस बार मलूकदास कि बात सुन कर शीतल व शांति देवी को जोर का झटका लगा.
“ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. और अजय आज भी उस गेंग के कब्जे में है जिस गेंग को कल रात हम दो करोड़ रुपये दे कर इसे छुड़ा कर लाये है. ये उसी गेंग का मेम्बर है. और कल रात जो कुछ हुआ वो इसी के इशारे पर हुआ है. अजय का अपहरण तो उसी दिन हो गया गया था जिस दिन अजय और शीतल शोपिंग के लिए गए थे. उस समय कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था लेकिन तुम दोनों को पता नहीं चला. शीतल जब शोपिंग मॉल में गयी तो कोई पीछे से आया है अजय को कोई नशीली बेहोशी कि दवाई सुंघा कर गाडी में ड़ाल दिया गया और अजय कि जगह इसे बिठा दिया गया. ताकि ये हमारी खबर उन लोगों को देता रहे और हमारी दौलत लुटता रहे. लेकिन इसको इस बात का डर था कि अगर ये ज्यादा बोला तो इसके बोलचाल के तरीके में फर्क देख कर कहीं हम इसकी असलियत ना जान ले कहीं इसकी पोल ना खुल जाए इसलिए इस बंदे ने बिमारी का बहाना करके हमारे सारे सवालों के जवाब से बचने के लिए मौन धारण कर लिया.
“लेकिन अब क्या होगा बाबूजी?” मलूकदास कि बात पूरी होने पर शीतल ने पूछा.
“वही होगा जो हम चाहेंगे. मैं इसका सारा बंदोबस्त कर दूंगा. लेकिन इसे ज़रा भी ये एहसास नहीं होना चाहिए कि हमें इसकी असलियत पता चल गयी है वरना ये हमें नुक्सान भी पहुंचा सकता है तब तक मैं इसका ऐसा प्रबंध करुन्घा कि ये जिंदगी भर याद रखेगा” मलूकदास ने शीतल को अजय के हमशक्ल से सावधान रहने कि सलाह देते हुए कहा.
“लेकिन आप ये यकीन के साथ कैसे कह सकते है की ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. कहीं ऐसा न हो की आप हमशक्ल के भ्रम में अजय को ही पुलिस के हवाले कर दे” शांति देवी ने कहा.
“आपकी बात सही है. लेकिन यकीन करने से पहले हम यह भ्रम भी मिटा देंगे कि ये अजय है या अजय का हमशक्ल. और ये भ्रम मिटाने में हमारी मदद करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट”
“फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट?” शांति देवी और शीतल ने पूछा.
“हाँ फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट. शीतल तुम एक काम करो इस बहरुपीये के खाने में नींद कि गोली मिला देना. जब ये गहरी नींद में सो जाए तब कैसे भी करके तुम कागज पर इसके फिंगर प्रिंट ले लेना. अजय के फिंगर प्रिंट मेरे पास एक पुरानी फाइल में है. में उस फाइल और इसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराउंगा. एक बार फिंगर प्रिंट कि जांच हो जाने दो, फिर देखना मैं इस बहरुपीये का इलाज कैसे करता हूँ” मलूकदास ने शीतल को उसके फिंगर प्रिंट लेने कि सलाह दी मलूकदास के कहे अनुसार शीतल ने उसके खाने में नींद कि गोली मिला दी. जब वो गहरी नींद सो गया तो शीतल ने कागज पर उसकी अंगुलिओं के और हाथ के निशान ले लिए. और कागज मलूकदास को दे दिया. मलूकदास ने अजय के फिंगर प्रिंट वाली पुरानी फाइल और इसके फिंगर ले जा कर अपने वकील को जांच कराने सौंप दिए...
दो दिन बाद फिंगर प्रिंट जांच की रिपोर्ट भी आ गई. लेकिन नतीजा वही पहले वाला. दोनों फिन्गर प्रिंट एक ही आदमी के है यानी मलूकदास के बेटे अजय के ही है. ये कोई बहरूपिया नहीं बल्कि अजय ही था. अब मलूकदास के लिए हर रास्ता बंद नजर आने लगा था. अजय की बिमारी ने मलूकदास को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था.
डॉक्टर ने तो बिमारी नहीं होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड लिया था. लेकिन अजय की खामोशी मलूकदास और उसके और उसके परिवार को गहरा मानसिक आघात दे रही थी. शीतल और शान्ति देवी को हौसला दिलाने के लिए तो मलूकदास था. लेकिन उसको खुद को संभालने के लिए कोई नहीं था. मलूकदास जिंदगी में पहली बार इतना मायूस हुआ था.
शाम को आरती भी आ गयी थी. आरती के आने पर शीतल ने राहत की सांस ली थी. उसके आने से सूनेपन का एहसास नहीं होगा. यही सोच कर शीतल कुछ खुश लग रही थी.
“अब कैसी है अजय भैया की तबियत?” आरती ने आते ही अजय के बारे में पूछा.
“अजय की तबियत वैसी ही है. और डॉक्टर ने ये कह कर पल्ला झाड लिया है की अजय को कोई बिमारी है ही नहीं” आरती की माँ शांति देवी ने जवाब दिया.
“डॉक्टर ने सही ही कहा है अजय भैया को बिमारी है भी नहीं” आरती ने कहा.
“क्या मतलब?” शीतल ने आरती की बात पर पूछा वे तीनो आश्चर्य से आरती की तरफ देखने लगे.
“मतलब ये है की अजय भैया पर किसी प्रेत आत्मा का साया है” आरती ने जवाब दिया. .
“क्या! प्रेतात्मा का साया?” आरती की बात सुन कर शीतल शान्ति देवी और मलूकदास बुरी तरह चौके. वे तीनो आरती की तरफ ऐसे देखने लगे जैसे जोर का झटका लगा हो.
“हाँ प्रेतात्मा हर किसी से नजरें चुराना बात नहीं करना खामोश बैठे रहना. ये सब प्रेतात्मा के ही लक्ष्ण है.
“देख आरती बेटी मैं जो कर सकता था वो मैंने किया. अब तू कहती है की इस पर प्रेतामा का साया है तो इसका समाधान भी तुझे ही निकालना है. मैं तो थक गया हूँ” मलूकदास ने आरती से कहा.
“आप चिंता मत कीजिये पिताजी मैं इस बात का समाधन खोजने के बाद ही यहाँ आई हूँ. कल ही हम एक ऐसे तांत्रिक के पास अजय भैया को ले कर चलेंगे. उस तांत्रिक के आगे कोई भी प्रेत टिक नहीं सकता ”
शाम खाना खाने के बाद परिवार के सभी मेम्बर अपनी जगह पर जा कर सो गए. सुबह के पांच बजे होंगे कि शीतल घबराई हुई मलूकदास के कमरे में आई वह मलूकदास को झिंझोड़ कर जगाने की कोशिश करने लगी.
“बाबूजी उठिए बाबूजी” शीतल ने मलूकदास को आवाज लगाईं.
“शीतल क्या बात है? क्या हुआ” मलूकदास ने झट से उठ कर शीतल से पूछा.
“अजय अपने कमरे में नहीं है बाबूजी वो अपने कमरे में नहीं है” घबराई हुई शीतल ने मलूकदास से कहा.
“कमरे में नहीं है! फिर कहाँ गया गया वो?” मलूकदास ने गरजती हुई आवाज में कहा. मलूकदास की आवाज सुनकर अपने कमरे में सो रही आरती भी जाग कर बाहर आ गयी. और चौकीदार भी आ गया.
“अजय को बाहर जाते हुए देखा तुमने?” मलूकदास ने चौकीदार से पूछा.
“नहीं सेठजी इस बार मैंने छोटे मालिक को बाहर जाते हुए नहीं देखा” चौकीदार ने जवाब दिया. लेकिन उस पर कोई प्रतिक्रिया दिए बिना ही मलूकदास बाहर जा कर बंगले की चारदीवारी का मुआयना करने लगे जहाँ जहां से उनको दिवार फांद कर बाहर जाने की संभावना नजर आ रही थी. अचानक चारदीवारी के ऊपर ग्रिल में बंधी हुई और बाहर की तरफ लटकती हुई एक रस्सी नजर आई. वो समझ गया की अजय इसी रस्सी के सहारे दिवार फांद कर बाहर चला गया.
“रस्सी के सहारे दिवार फांद कर भाग गया है वो” मलूकदास ने वापस अन्दर घर वालों को बताया.
“दिवार फांद कर भाग गया? लेकिन वो जाता कहाँ है?” शान्ति देवी ने कहा.
“यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है की ये आखिर चाहता क्या है? पता नहीं इस बार कहाँ गया होगा” मलूकदास ने हैरान हो कर कहा.
“अब क्या होगा पापा अब क्या करेंगे?” आरती ने रुंसी हो कर कहा...
“उसे ढूंढ़ कर लाना पडेगा पुलिस में उसकी गुमशुदी की रिपोर्ट लिखवानी पड़ेगी” मलूकदास ने जवाब दिया.
सूर्योदय होने को आया था. शीतल ने किचन में जा कर चाय बनाई. वह सबके लिए चाय बना कर ले आई. मलूकदास ने ज्योही चाय का कप हाथ में लीया कि उनके फोन की घंटी बजने लगी,.फोन हाथ में ले कर देखा तो नंबर पहचान लीया. फोन पुलिस स्टेशन से आया था. एक उमीद बंधी कि शायद अजय के बारे में कोई खबर हो, इसके अलावा इतना जल्दी पुलिस स्टेशन से फ़ोन आने का दूसरा कोई कारण भी तो नहीं था. इसलिए झट से कॉल रिसीव करके फोन कान से लगा लिया.
“हेल्लो मलूका सेठ हम पुलिस स्टेशन से बोल रहे है. आपका बेटा अजय इस समय पुलिस की हिरासत में है. वो बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया है” मलूकदास पहले से ही परेशान था अब ये खबर सुनने की हिम्मत उसमे नहीं थी. वह सामने वाले की बात पूरी सुनने से पहले ही गश खा कर गिर गया. पास में बैठी शान्ति शीतल और आरती तीनो ही किसी अनहोनी की आशंका में घबराने लगे.
“पापा! क्या हुआ पापा?” आरती पूरी तरह से घबरा गई थी लेकिन फिर भी मलूकदास के हाथ में से फोन ले कर कान से लगा लिया फोन अब भी चालू था.
“आप सुन रहे न मलूका सेठ. आपका बेटा अजय एक विधवा औरत के साथ बलात्कार करने की कोशिश में पकड़ा गया है” सामने वाले की बात सुन कर आरती भी गश खा कर गिरने लगी. लेकिन पास में खड़ी शीतल ने उसे थाम लिया.
“आरती क्या हुआ आरती?” शीतल आरती से पूछने लगी. पास में खड़ी शान्ति देवी घबराई हुई कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
“भाभी अजय भैया को पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस का कहना कि भैया ने एक विधवा से बलात्कार करने की कोशिश की है.” आरती ने शीतल को जवाब दिया.
“बलात्कार? नहीं, ये नहीं हो सकता. अजय ऐसा नहीं कर सकते” बलात्कार की बात सुनते ही शीतल शान्ति देवी को जोर का झटका लगा.
“यही सुन कर तो मैं भी हैरान हूँ की मेरा भाई बलात्कारी नहीं हो सकता”
सुबह होते ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ये खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी थी कि शहर के सबसे बड़े रईस सेठ मलूकदास का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया. ये खबर जब मनीराम के बेटे फूलचंद तक पहुंची तो वह बहुत खुश हुआ वह इसकी खुशखबरी देने के लिए अपने पिता मनीराम के पास पहुंचा. साथ में एक मिठाई का डिब्बा भी ले गया सोचा पहले पापा का मुंह मीठा कराएगा और फिर खुशखबरी सुनाएगा.
“मुंह मीठा कीजिये पापा मैं आज बहुत बड़ी खुश खबरी लाया हूँ” फूलचंद ने मनीराम के मुंह में लड्डू देते हुए कहा.
“किस बात की खुशखबरी? तू अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रहा है क्या?” मनीराम ने फूलचंद की बात को में हवा में उड़ाते हुए कहा.
“आपने खबर नहीं देखी क्या? मलूका इंडस्ट्री की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मलूका का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा है” फूलचंद ने खुश हो कर कहा.
“इस बात को तू खुशखबरी कह रहा है. बलात्कार की कोशिश के जुर्म में ही पकड़ा गया है. बलात्कार के जुर्म में तो नहीं न कितनी सजा होगी ज्यादा से ज्यादा तिन साल” मनीराम ने फूलचंद से कहा.
“पापा. मलूका इंडस्ट्री को मटियामेट करने के लिए तिन साल तो बहुत है”
‘अरे बेवकूफ जब तक मलूका जिन्दा है मलूका इंडस्ट्री को कोई भी मटिया मेट नहीं कर सकता ये मिठाई ले जा कर कुत्तों को डाल दे और अपने वकील खुराना को फोन लगा. और मलूका के बेटे और उस पर बलात्कार की कोशिश का इल्जाम लगाने वाली औरत के बीच क्या कनेक्शन है इसकी सारी इन्फोर्मेशन मुझे ला कर दे. हम उस औरत को अपना वकील मुहैया कराएँगे और उसकी हर संभव मदद करेंगे”....
“लेकिन पापा हम उसकी मदद क्यों करेंगे?” फूलचंद ने आश्चर्य से पूछा.
“अरे बेवकूफ अगर हम उस औरत की मदद नहीं करेंगे तो मलूका उसको मदद दे कर उसका मुंह बंद करवा देगा और अगर वो औरत झुक गयी तो मलूका के बेटे की जमानत होने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन हम मलूका के बेटे की जमानत हर हाल में नहीं होने देंगे इस लिए मदद दे कर उस औरत को मजबूत करना जरुरी है.
अजय को पुलिस ने ले जा कर अदालत में पेश किया उस पर गीता नाम की उस औरत ने ही बलात्कार कोशिश का इल्जाम लगाया था ये वही गीता है जिसका पति कुछ दिन पहले ही मलूका इंडस्ट्री में ही काम करते हुए करंट लगने से मर गया था. गीता के वकील खुराना ने अजय पर आरोप लगाते हुए कहा की मुजरिम अजय ने रात को बारह बजे पीडिता के घर में घुस कर कहा की मैं तुम्हारा पति हूँ और उसके साथ बदसलूकी की. लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने गीता के वकील द्वारा लगाये आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा की उसके मुवकिल अजय की दिमागी हालत ठीक नहीं है उसे रात को नींद में चलने की बिमारी है उसने जो कुछ किया वो उसकी खराब दिमागी हालत की वजह से हुआ है. उसने जानबुझ कर नहीं किया. इसलिए अजय की जमानत हो जानी चाहिए. बचाव पक्ष के वकील ने अजय की जमानत के लिए डॉक्टर की जांच रिपोर्ट भी सबूत के तौर पर पेश की. बचाव पक्ष के वकील की दलील पर गौर करके के बाद अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए अजय की जमानत मंजूर कर ली लेकिन उसके खिलाफ जांच जारी रखने के आदेश दिए.
अगर इंसान दो चीजों में विश्वास करता है.पहली ये की इस दुनिया को चलाने के लिए कोई व्यस्थापक है. और दूसरी ये की इंसान मरता है लेकिन आत्मा नहीं मरती. आत्मा मरने के बाद दूसरा जन्म ले कर वापस इस दुनिया में आ जाती है. इन दो बातों पर यकीन करने के बाद तीसरी बात पर अपने यकीन हो जाता है कि कुछ लोग जिंदगी भर मेहनत करते है फिर भी उन्हें मजदूरी के नाम पर दो वक्त की रोटी के अलावा कुछ नहीं मिलता.और उनकी मेहनत का फायदा शातिर दिमाग वाले उठाते है. और कुछ लोग जिंदगी में कुछ भी मेहनत किये बिना ही सब कुछ प्राप्त कर लेते है.
लेकिन इन सबका हिसाब इस सृष्टि को चलाने वाले व्यस्थापक के पास दर्ज हो जाता है. जो लोग बिना मेहनत किये इस दुनिया में एशो आराम की जिंदगी बिताते है या तो व्यस्थापक के पास उनका पिछले जन्म की बचत है या फिर उनके उधारी खाते में लिख दिया जाएगा जो अगले जन्म में उसे मेहनत करके चुकाना होगा. और जो लोग दिन रात मेहनत करने के बाद भी कुछ नहीं पाते, उनका हिसाब भी सृष्टि के व्यस्थापक के पास मौजूद है. क्योंकि ऐसे लोगों ने या तो पिछले जन्म में बिना कुछ किये ही खर्चा किया और गरीबों का हक़ दबाया. वो उनके उधारी खाते में लिख दिया गया. या फिर इनके बचत खाते में लिख दिया जाएगा जो अगले जन्म में बिना कुछ किये ही मिल जाएगा. ये सब इसलिए की सृष्टि की व्यवस्था सही तरीके से चलती रहे. अगर सबके पास करोडो की दौलत हो तो मेहनत कौन करेगा. बिना मेहनत ये सृष्टि चलेगी कैसे? इसलिए सृष्टि के लिए प्रकृति ने जो व्यवस्था की है अगर उस व्यवस्था को स्वीकार कर ले तो ये दुनिया स्वर्ग बन जायेगी.
आज चर्चा इतनी ही बाकी अगले भाग में. पढ़िए ये रहस्यी भरी कहानी, इस कहानी में प्रकृति की ज़रा सी चूक ने एक परिवार की व्यवस्था को ही उलट पलट करके रख दिया.
मनीराम को ज्योहीं खबर लगी की अजय मलूका की जमानत हो गई है. उसने अपने वकील खुराना को अपने दरबार में तलब किया.
“खुराना मैंने तुमको ये केस इसलिए दिलवाया था कि अजय मलूका की जमानत न होने पाए. फिर भी उसकी जमानत कैसे हो गई?” मनीराम ने वकील खुराना से सवाल किया.
“सेठजी मैंने उसे सजा दिलाने की पूरी कोशिश की लेकिन क्या करता? कोर्ट के आदेश से ऊपर तो जा नहीं सकता ना” खुराना ने मनीराम को जवाब दिया.
“नहीं नहीं तुमने कोई कोशिश ही नहीं की. लेकिन मैंने पूरी जांच करवा ली है कि अजय मलूका और उस पर बलात्कार की कोशिश का इल्जाम लगाने वाली औरत के बीच कनेक्शन क्या है. इस औरत का पति मलूका इंडस्ट्री में मजदूर था. अजय मलूका ने इस औरत को पहली बार तब देखा था जब इसका पति अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए मदद माँगने के लिए अजय मलूका के पास गया था. तब ये औरत अपने पति के साथ थी. और ठीक इसके दूसरे दिन मलूका इंडस्ट्री में काम करते हुए इसके पति की करंट लगने से मौत हो गई. और फिर अजय मलूका ने इस औरत के घर में घुस कर इसका बलात्कार करने कि कोशिश की. खुराना तुमने पूरी जिंदगी लोगों को फीस ले कर सलाह दी है. लेकिन में तुम्हे ये सलाह फ्री में दे रहा हूँ कि ये तीन पॉइंट अजय मलूका को हत्यारा साबित करने के लिए काफी है” मनीराम ने वकील खुराना को सलाह दी......
ये क्या कह रहे है आप सेठजी? ये बातें उस औरत ने मुझे नहीं बताई वरना में अजय मलूका की जमानत होने ही नहीं देता” मनीराम कि बात पर वकील ने अपनी प्रतिक्रया दी.
“उस औरत के दिमाग में ही नहीं आई होगी ये बात. लेकिन ये तुम्हारी जिमेदारी है कि उसके दिमाग में ये बात पूरी तरह बिठा दो कि उसकी खूबसूरती पर अजय मलूका की नजर थी. इसीलिए उसके पति को रास्ते का कांटा समझ कर करंट से मरवा दिया” मनीराम ने वकील को सलाह दी.
“मैं आपसे वादा करता हूँ सेठजी इस बार अजय मलूका कातिल साबित हो कर रहेगा. उसकी जमानत हर हाल में नहीं होगी” खुराना ने मनीराम को विश्वास दिलाया. और चल दिया गीता से मिलने.
अजय को जमानत होने के बाद मलूकदास उसे घर ले कर आ गया था. मलूकदास और उसके पूरे घर को पूरा यकीन हो गया था कि अजय पर किसी भूत का साया पड़ गया है. और अब किसी तांत्रिक के पास जाने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं था.
“मेरी समझ में आ गया है पापा कि अजय भैया कि तकलीफ क्या है” आरती ने कहा मलूकदास और बाकि सब आरती कि तरफ आश्चर्य देखने लगे.
“आपको मालुम है कुछ दिन पहले हमारी कंपनी में काम करते हुए एक मजदूर करंट से मर गया था. वो इसी औरत का पति था जिसने अजय भैया पर जबरदस्ती का आरोप लगाया है” आरती ने कहा.
“हाँ वो तो मुझे मालुम है? लेकिन उसका क्या? मलूकदास ने आरती कि बात सुन कर पूछा.
“लेकिन शायद आपको ये मालुम नहीं कि अजय भैया पर जिस प्रेत का साया पड़ा है, ये कोई और नहीं बल्कि वही है जो हमारी कंपनी में करंट लगने से मर गया था” आरती ने कहा तो सबकी आँखे आश्चर्य से फटी कि फटी ही रह गयी.
“अरे हाँ! साला सारे लफड़े कि जड़ भी वही है अब समझ में आया कि अजय रात को भाग कर जाता कहाँ है” मलूकदास ने आरती की बात सुन कर प्रतिक्रया दी.
“इसका मतलब रात में अजय नहीं भागता बल्कि वो भूत भाग कर उस औरत के पास जाता है और कहता है की मैं तुम्हारा पति हूँ” शीतल ने कहा.
“करेक्ट. अजय भैया को तो ये एहसास तक नहीं है की वे कर क्या रहे है. सब नाटक तो वो भूत कराता है” आरती ने शीतल की बात से सहमत हो कर कहा.
“साला उस दुष्टात्मा ने तो हम सबका जीना हराम कर दिया और हम कुछ समझ ही नहीं पाए” मलूकदास ने कहा.
“लेकिन अब हमें ज़रा भी देर नहीं करनी चाहिए जल्दी से जल्दी उस तांत्रिक के पास चल कर इस दुष्ट आत्मा से पीछा छुडा लेना चाहिए” आरती ने सलाह दी.
मलूकदास और उसके परिवार को अँधेरे में एक रोशनी की तरह समस्या का हल नजर आने लगा था सबके चहरे पर थोड़ी सी राहत नजर आने लगी थी. लेकिन वो राहत भी ज्यादा देर तक नहीं टिकी. मलूकदास अपने परिवार के साथ अजय को ले कर तांत्रिक के पास जाने की तैयारी कर ही रहे थे की बंगले के आगे आ कर पुलिस की जीप रुकी. कुछ सिपाही साथ में लिए इंस्पेक्टर बंगले के अन्दर मलूकदस के पास आ कर बोला,
“मैं आपके बेटे को गिरफ्तार करने आया हूँ. मेरे पास इसकी गिरफ्तारी का वारंट है” इंस्पेक्टर की बात सुन कर मलूकदास का परिवार फिर नई मुसीबत की आशंका से घिर गया. सबके चहरे पर खौफ की लकीरें खिंच गई.
“ये क्या कह रहे है इंस्पेक्टर? मेरे बेटे को अदालत ने जमानत दे दी है” इंस्पेक्टर की बात पर मलूकदास ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“मालुम है इसकी जमानत हो गई है. लेकिन वो बलात्कार की कोशिश का मामला था. लेकिन अब एक और मामला दर्ज हुआ है. एक गरीब मजदूर की ह्त्या का मामला” इंस्पेक्टर की बात सुन कर सबके दिलों पर एक बार फिर बिजली टूट पड़ी. सबके चहरे पर खौफ छा गया.
“ह्त्या का मालमा? अरे भाई क्या कह रहे हो मेरे बेटे ने तो आज तक मुर्गा तक नहीं काटा आप किसी इंसान की हत्या की बात कर रहे हो” मलूकदास ने हैरानी से कहा.
 

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“देखिये इस बारे में आपको कुछ भी बताने की जरुरत तो मैं नहीं समझता क्योंकि अदालत में आपके हर सवाल का जवाब दिया जाएगा और आपकी हर बात सुनी जायेगी. फिर भी में आपको बता देता हूँ कि अजय नाम का मजदूर आपकी कंपनी में काम करता था. आपके बेटे ने उसकी औरत को देखा तो उसकी खूबसूरती पर आपके बेटे की नीयत खराब हो गई उस औरत का कहना है कि इसी वजह से उसके पति को अपने रास्ते का काँटा समझ कर आपके बेटे ने उस गरीब मजदूर की करंट लगवा कर ह्त्या करवाई है इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता. मैं आपके बेटे को गिरफ्तार करने आया हूँ और इसे ले कर जा रहा हूँ” इंस्पेक्टर ने जानकारी दी और अजय को ले कर जाने लगा.मलूकदास ने फिर इंस्पेक्टर को रोकने क़ी कोशिश करते हुए कहा.
“इंस्पेक्टर तुम इस तरह मेरे बेटे को गिरफ्तार करके नहीं ले जा सकते. क्योंकि मेरा बेटा निर्दोष है.इस पर प्रेत का साया है. और ये वही प्रेत है जो हमारी कंपनी में करंट लगने से मर गया था. मेरे बेटे को तो ये होश तक नहीं है क़ी ये कर क्या रहा है. जो कुछ हो रहा है सब उसी प्रेतात्मा क़ी वजह हो रहा है” मलूकदास ने इंस्पेक्टर से कहा.
“सेठ मलूकदास आप कितने भोले है. ये भी नहीं जानते क़ी अदालत किसी भी अंश्विश्वास के आधार पर फैसला नहीं सुनाती. अगर आपने प्रेतात्मा वाली बात अदालत में कह दी तो जानते हो क्या होगा? उस औरत ने शक क़ी बुनियाद पर आपके बेटे पर अपने पति क़ी हत्या का इल्जाम लगाया है वो शक यकीन में बदल जाएगा” इंस्पेक्टर ने मलूकदास को समझाते हुए कहा.
“वो कैसे मैं समझा नहीं?” मलूकदास ने हैरान हो कर इंस्पेक्टर से पूछा.
“ये सवाल उठाया जाएगा क़ी अगर आपकी कंपनी में करंट से मरने वाला मजदूर भूत बन गया है तो उसने आपके बेटे को ही अपनी गिरफ्त में क्यों लिया? और जवाब सीधा सा उसने अपनी हत्या का बदला लेने के लिए ही आपके बेटे को अपनी गिरफ्त में लिया. इसलिए अगर आप अपने बेटे क़ी जमानत चाहते है तो भूल कर भी ये प्रेत वाली बात अदालत में मत कीजियेगा. आपके बेटे पर इल्जाम लगाने वाली औरत ही अगर अपना ब्यान बदल दे तो ही आपके बेटे क़ी जमानत हो सकती है. वरना कोई चांस नहीं” इंस्पेक्टर ने मलूकदास को सलाह दी फिर अजय को गाड़ी में बिठाया और और चला गया.
“अजय तो पहले से ही बीमार है और ये कानून का फंदा अलग से पता नहीं क्यों इस घर क़ी तकदीर ही रूठ गयी है” बोलते बोलते मलूकदास क़ी आँखे छलक आई थी.
“हे भगवान किस जन्म का बदला ले रहा है हम सबसे. दस दिनों से हमारे घर का सुख चेन चला गया है” शान्ति देवी अजय क़ी गिरफ्तारी से दुखी हो कर विलाप करने लगी.
“हौसला रखिये मम्मी सब ठीक हो जाएगा” आरती ने माँ को हौसला दिलाने क़ी कोशिश करते हुए कहा लेकिन आंसू उसकी आँखों में भी छलक आये थे.....
“अरे तुम लोग क्यों रो रहे हो? जब तक मलूका ज़िंदा है तब तक किसी को भी रोने क़ी जरुरत नहीं है कुछ भी करूंगा लेकिन अपने बेटे को छुडा कर लाऊंगा” मलूकदास एक बार फिर अपनी पूरी हिम्मत बटोर कर उठ खडा हुआ.
“लेकिन पापा अब करेंगे क्या?” आरती ने पूछा.
“आरती तुम और शीतल उस औरत के घर जाओ जिसने अजय पर ये मुकदमा दायर किया है. और हम किस हालत से गुजर रहे है सच क्या है उसे समझाओ” मलूकदास ने आरती और शीतल को गीता के घर जाने क़ी सलाह दी.
“लेकिन पापा क्या वो औरत हमारी बात पर यकीन करेगी?” आरती ने सवाल किया.
“उसे किसी भी तरह यकीन दिलाना. क़ी जो कुछ हुआ है अजय क़ी खराब दिमागी हालत क़ी वजह से हुआ है अजय ने जानबूझ कर नहीं किया. हो सकता वो अपना ब्यान बदल दे और ये मुक़दमा ख़ारिज हो जाए. लेकिन उसे ये मत बताना क़ी उसका पति भूत बन कर अजय को परेशान कर रहा है. वरना वो हमारी मदद नहीं करेगी”
मलूकदास क़ी सलाह मान कर आरती और शीतल गीता से मिलाने के लिए उसके घर के लिए निकल गयी. अजय की गिरफ्तारी की खबर अखबारों की हेडलाइन बन गयी. शहर के सबसे बड़े रईस मलूकदास का बेटा हत्या के आरोप में गिरफ्तार. इस खबर से सबसे ज्यादा खुश हुआ मनीराम. उसने इस ख़ुशी के मौके पर अपने घर पर जश्न के लिए पार्टी का आयोजन किया.
शीतल और आरती कार के द्वारा गीता से मिलने के लिए उसके घर पहुंची. कालोनी मजदूर वर्ग के लोगों क़ी थी. शीतल और आरती को गीता के घर आया देख कर सब लोग अपने अपने घरों से बाहर देखने लगे.
गीता ने शीतल को देखते ही पहचान लिया था. उसने शीतल और आरती को चारपाई पर बिठाया.
“हम दोनों तुमसे ये जानने के लिए आई है गीता कि अजय जब रात के समय तुम्हारे घर में घुस आये तब उन्होंने तुमसे क्या कहा?” शीतल ने गीता से पूछा.
“मैं रात को नींद में थी. उन्होंने मेरा बाजू पकड़ कर जगाया. और मैं जब हड़बड़ा कर जागी तो देखा आपके पति मेरे सामने खड़े थे. वो मुझ से कहने लगे कि डरो मत मैं तुम्हारा पति हूँ” गीता ने जवाब दिया.
“उसके बाद क्या हुआ?” आरती ने पूछा.
“उसके बाद मैं तो उनको देखते ही घबरा गई थी. इसलिए मैंने शोर मचाया. कालोनी के सारे लोग जाग गए थे. लोगों ने उनकों पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया” गीता ने आरती कि बात का जवाब दिया.
“और उसके बाद तुमने उन पर बलात्कार की कोशिश का मुकदमा भी दर्ज करा दिया” आरती ने कहा.
“मुकदमा तो बलात्कार की कोशिश का ही चलेगा, मेंमसाहब. इसके अलावा रात को बारह बजे मेरे घर में आने की और क्या वजह हो सकती है?” गीता ने आरती को जवाब दिया....
“शायद तुमको ये मालूम नहीं है कि पिछले दस दिनों से मेरे पति कि दिमागी हालत ठीक नहीं है. वे रात को नींद में ही घर से निकल जाते है. उन्होंने जो कुछ किया वो जान बूझ कर नहीं किया. लेकिन तुमने तो अपने पति की हत्या का एक और मुकदमा दायर कर दिया जिसकी कोई वजह भी नहीं है” शीतल ने गीता से कहा.
“हत्या का मुक़दमा दायर किया है तो उसकी वजह भी है, मेंमसाहब. आपके पति ने पहले दिन मुझे देखा और उसके ठीक दूसरे दिन आपकी ही कंपनी में करंट लगने से मेरे पति की मौत हो गई. और फिर आपके पति ने मेरे ही घर में घुस कर मेरी इज्जत पर हाथ डाला. ये तीन वजह है जो आपके पति को हत्यारा साबित करती है. मेरे पति को करंट लगा नहीं बल्कि लगाया गया. और सब आपके पति के इशारे पर हुआ. क्योंकि आपके पति कि बुरी नजर मेरी इज्जत पर थी. और मेरे पति को अपने रास्ते से हटाने के लिए ये सब किया.” गीता ने अजय को दोषी करार देते हुए कहा.
“समझने कि कोशिश करो गीता. तुम्हे गलतफहमी हुई है. तुम्हे अगर लगता है कि मेरे भाई की बुरी नजर तुम्हारी खूबसूरती और तुम्हारे जिस्म पर थी तो मेरा भाई रात को इस तरह तुम्हारे घर में नहीं आता. बल्कि एक सेठ कि हैसियत से तुम्हे आर्थिक मदद देता. तुम्हे नौकरी का ऑफर देता. तुमसे हमदर्दी जताता. तुम्हे अपनेपन का एहसास दिलाता क्योंकि एक रईस जब किसी गरीब और खुबसूरत औरत की आबरू पर बुरी नजर डालता है तो यही सारे हथकंडे अपनाता है. उन्हें चोरी छुपे किसी कि घर में जाने कि जरुरत नहीं होती. बिगड़े हुए रईसजादों के लिए गरीब औरतों की खूबसूरती रुपये से खेला जाने वाला खेल है. लेकिन मेरे भाई ने ऐसा कुछ भी नहीं किया. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ गीता मेरे भाई और हमारे घर कि इज्जत को बख्श दे. हम जिंदगी भर तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे.” आरती ने गीता से विनती करते हुए कहा. इस बार आरती कि बात ने गीता पर गहरे तक असर किया. उसके तेवर कुछ नर्म पड़े वह शीतल सी मुखातिब हो कर बोली.
“मेंमसाहब, क्या आप यकीन से कह सकती है कि आपके पति ने जो कुछ किया है वो उन्होंने जान बूझ कर नहीं किया?” गीता ने शीतल से कहा.
“मैं तुम्हे यकीन दिलाती हूँ गीता, मेरे पति निर्दोष है जो कुछ हुआ उनकी खराब दिमागी हालत की वजह से हुआ है. तुम्हारे पति हमारी कंपनी में काम करते थे. अब तुम्हारे घर की पूरी जिम्मेदारी हमारी कंपनी पर होगी लेकिन तुम्हे ये वादा करना होगा कि तुम मेरे पति के खिलाफ बयान नहीं दोगी. शीतल ने गीता से यकीन दिलाते हुए कहा.
“अगर आपको अपने पति पर पूरा भरोसा है तो में आपसे वादा करती हूँ मेमसाहब, कि मैं आपके पति पर किसी प्रकार का इल्जाम लगा कर पाप की भागीदार नहीं बनूँगी, इल्जाम चाहे सच्चा ही क्यों ना हो मैं आपके पति के खिलाफ बयान नहीं दूंगी’ गीता ने आरती और शीतल को विश्वास दिलाया कि वह अजय के खिलाफ बयान नहीं देगी. उसके बाद शीतल और आरती वापस घर आई और गीता द्वारा अजय के खिलाफ बयान नहीं देने की खुशखबरी मलूकदास और शांति देवी को सुनाई.
अजय को अदालत में पेश किया गया गीता के वकील ने आरोप लगाया कि अजय मलूका ने जब गीता को देखा तो गीता की खूबसूरती पर उसकी नियत डोल गयी. इसीलिए अजय मलूका ने गीता के पति को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसे करंट दे कर मरवा दिया. लेकिन जब इस बात की पुष्टि के लिए जब मृतक की पत्नी गीता को कठघरे में बुलाया और तो गीता ने ब्यान दिया की वो उसके पति की मौत से पहले अजय मलूका से कभी मिली ही नहीं थी. गीता का बयान पुलिस की रिपोर्ट के बिल्कुल विपरीत था. गीता के ब्यान के आधार पर अदालत ने इस मुकदमे को ही खारिज कर दिया और अजय मलूका को बाइज्जत बरी कर दिया.....
“मेरी तबियत बिलकुल ठीक है. लेकिन इस वक्त घर में कोई नहीं है इसलिए मैं आपसे अकेले मैं कुछ बात करना चाहता हूँ” अजय ने शीतल से कहा.
“अकेले में बात? ऐसी क्या बात है?” शीतल ने आश्चर्य से पूछा.
“जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ. वो बात आपके लिए बर्दाश्त के बाहर और कष्टदायक होगी इसलिए मेरी बात सुनने से पहले अपनी पूरी हिम्मत बटोर ले फिर सुनें” अजय ने कहा
शीतल ने धड़कते दिल से कहा -“क्या मतलब है तुम्हारा? साफ़ साफ़ कहो क्या कहना चाहते हो तुम?”
“मैं ये कहना चाहता हूँ कि मैं आपका पति नहीं हूँ.” उसने शीतल से कहा तो उसकी बात सुन कर शीतल के पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी थी. अनहोनी की आशंका और बढ़ गई. दिल और तेज़ी से धड़कने लगा.
............
“आपके पति अब इस दुनिया में नहीं है” सुनते ही शीतल के सर जैसे आसमान टूट पड़ा. दिल पर बिजली गिर पड़ी.
“नहीं! ये नहीं हो सकता” बदहवास शीतल दीवार पर सर टिका कर फूट फूट कर रोने लगी.
“धोखेबाज़, पापी, हत्यारे. तुम्हारी ये हिम्मत, मेरे पति की हत्या करके खुद बैठ गया मेरे पति की जगह. अरे नीच मैंने तो तुझे उसी दिन पहचान लिया था की तू अजय नहीं है. जिस दिन तुमने बिमारी का नाटक करके मौन धारण कर लिया था.”
“बेशक आप मुझे फांसी पर लटकाइए. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं. लेकिन पहले जो मैं कह रहा हूँ वो बात सुनिये.
“कहो मैं सुन रही हूँ” शीतल ने उसकी बात सुनने की सहमति देते हुए कहा.
“मैं आपके पति का हत्यारा नहीं हूँ. अगर होता तो मैं ये बात आपको कभी नहीं बताता. प्रकृति ने मेरे खुद के साथ एक क्रूर मजाक किया है. प्रकृति द्वारा किये गए क्रूर मजाक का जीता जागता नमूना हूँ मैं“
**
हुआ यह था कि यमदूतों ने सूक्ष्म जानकारी गुम हो जाने की वजह से और एक नामराशि (तथा एक ही कारखाने से सम्बद्ध) होने के कारण मजदूर अजय के प्राण ले लिये. जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ उस समय तक मजदूर अजय का दाह संस्कार कर दिया था. अब उसका भौतिक शरीर नष्ट हो चुका था. अब क्या किया जाए, यमदूत सोचने लगे. तभी उनका ध्यान फैक्ट्री के मालिक अजय मलूका की ओर गया. असल में इसी अजय के प्राण लेने के लिये यमदूत आये थे.
अपनी योजना पर कार्य करते हुये, उन्होंने अजय मलूका के प्राण उसके शरीर से निकाल लिये और उसके स्थान पर उस शरीर में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर अजय के प्राण डाल दिए. अब शरीर तो अजय मलूका का था लेकिन उसमे आत्मा मजदूर अजय की आ गयी थी.
“ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है. अब तुम दोनों मुझे किसी दूसरे के शरीर में डाल कर जा रहे हो. मेरे बीवी बच्चे का क्या होगा?” प्राणी ने रोते हुए यमदूत की बात पर प्रतिक्रया दी.
“अबे बेवकूफ, अपने बीवी बच्चे की छोड़, खुद के बारे में सोच. तेरी बीवी और बच्चे के लिए तो तू मर चुका है. वो लोग बहुत जल्द भूल जायेंगे तुझे. हम जो कर रहे है वही ठीक रहेगा तेरे लिए. सोच आज तक क्या था तेरे पास जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी. बैल की तरह काम करने के बाद भी क्या मिलता था? दो वक्त की रोटी. और क्या था तेरे पास एक मरियल सा सडा हुआ शरीर, जिसकी तरफ कोई देखना पसंद नहीं करता था. लेकिन अब तेरे पास एक खुबसूरत और रईस जैसा शरीर होगा. लाखो खुबसूरत लड़कियां उसकी दीवानी होगी, उसके आगे पीछे घूमेगी . करोड़ों की दौलत होगी तेरे पास, कार, बंगला, और जिस कंपनी में तू काम करके दो वक्त की रोटी ही कमा पाता था. हम तुझे उस कंपनी का मालिक बना रहे है. सोच मत हाँ कर दे यही ठीक रहेगा तेरे लिए” गुरु यमदूत अजय के प्राण को हसीन सपने दिखा कर उससे पीछा छुडाने की कोशिश करने लगा. वह बस सोच रहा था कुछ बोल ही नहीं पा रहा था.
“क्या सोच रहा है? इससे भी अच्छा कोई दूसरा मार्ग है तुम्हारे पास, तो वो भी बता दे हम तेरे लिए वो भी करेंगे. हमारे पास तो यही उपाय है. वरना भटकते रहना मृत्युलोक में.”
“अरे रुको मुझे मंजूर है” अजय के प्राण ने यमदूत से कहा.
......
“हाँ तब तो ठीक है मुझे मंजूर है”
“मुझे तो तुम्हारी इस बात पर बिलकुल भी भरोसा नहीं हो रहा है” उसकी बात सुनने के बाद शीतल ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“मैंने तो अपनी बात बताई है. यकींन करे या न करे. ये आपकी मर्जी है. लेकिन आपको ये मालुम होना चाहिए कि फिंगरप्रिंट वालों ने भी मुझे आपका पति माना है. क्योंकि ये आपके पति का ही शरीर है.
“हाँ तुम ठीक कहते हो शायद. तुम्हारी बात पर यकीन नहीं करने का मेरे पास कोई कारण भी नहीं और यकीन करने के आलावा कोई चारा भी नहीं है.लेकिन तुम्हे मुजसे एक वादा करना होगा” शीतल ने अजय से कहा.
“वादा! कैसा वादा?” अजय ने शीतल से पूछा.
“वादा ये कि दुनिया की नज़रों में तुम मेरे पति बन कर रहोगे. लेकिन अपनी सीमा लांघने की कोशिश कभी नहीं करोगे. मेरे पति की जगह लेने की कोशिश कभी मत करना. दूसरा ये कि ये बात किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए. ताकि मेरे सास ससुर को ये भ्रम तो रहेगा की उनका बेटा उनके साथ है. उन्हें ये एहसास नहीं होना चाहिए की उनके खानदान को रोशन करने वाला चिराग बुझ गया है. उसकी इकलौती बहन को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसे जान से भी ज्यादा प्यार करने वाला उसका भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा. मेरे मम्मी पापा को ये पता नहीं चलना चाहिए की उनकी बेटी अब विधवा हो चुकी है. मेरी बेटी को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसके सिर पर उसके बाप का साया नहीं रहा. ये भ्रम हमेशा भ्रम ही रहना चाहिए. अगर तुम इन सब रिश्तों को निभा सकते हो तो तुम मेरे घर में रह सकते हो.ये दौलत, कार कंपनी सब तुम्हारा है” शीतल ने अपनी शर्तें उसके सामने रख दी
.
 

Mayaviguru

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मैं आपसे वादा करता हूँ मैडम, कि मैं जो भी काम करूंगा, आपकी इजाजत से ही करूंगा. मैं पहले भी आपका नौकर था. अब भी आपका नौकर बन कर ही रहूंगा. लेकिन आपके पति एक पढ़े लिखे बिजनेसमेन थे. और मैं ठहरा अनपढ़. मैं उनकी तरह सब कुछ कैसे करूंगा?” शीतल की बात सुन कर उसने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“उसकी तुम चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगी. अजय की हर बात उसके उठने बैठने का तरीका, बोलने का तरीका, सब मैं तुम्हे सिखा दूंगी. लेकिन जब तक तुम हमारे रिश्तेदारों के बारे में हमारे घर के बारे में और अजय के बारे में सब कुछ जान नहीं जाते तब तक तुम्हे ये बिमारी का नाटक जारी रखना होगा.
बाहर दरवाजे डोर बेल बजने की आवाज आई. शीतल कमरे से निकल कर दरवाजे पर गयी. दरवाजा खोला तो देखा मलूकदास और शान्ति देवी मंदिर से वापस आ गए थे.
“बाबूजी” मलूकदास और शान्ति देवी को देख कर शीतल इतना ही बोल पाई थी. और उसकी रुलाई फूट पड़ी.
“शीतल क्या हुआ बेटी? तू रो क्यों रही हो? सब ठीक तो है न? शीतल की आँखों में आंसू देख कर मलूकदास ने पूछा.
“कुछ नहीं बाबूजी. आज मैं बहुत खुश हूँ. अजय ने आज मुझसे बात की है. वो धीरे धीरे ठीक हो रहा है बाबूजी. इसलिए ख़ुशी के मारे मेरी आँखों में आंसू आ गए” शीतल ने अपने पति की मौत का सारा गम खुद में ही समेट लिया और अपने आंसुओं को ख़ुशी के आंसू बता कर चेहरे पर नकली मुस्कान लाते हुए मलूकदास को अजय के ठीक होने की खुश खबरी सुनाई. शीतल की बात सुन कर मलूकदास और शान्ति देवी बहुत खुश हुए. और शीतल फिर अपने कमरे में जा कर अपने पति की मौत में फूट फूट कर रोने लगी.....


समाप्त
 

Mr.Bond

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Bhai originally hindi font ki story hai mai use hinglish mai type kar ke post karne ki soch rha hu but agar aap ise hindi font mai chahte ho to bta do
Bhai mujhe puri pdf bhej sakte ho kya
 

Mayaviguru

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Thanks scorpion king
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Arjun Singh 72

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awesome fantastic update
bhai thoda fast Karo
 
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