पुनम : (धीरेसे हसते) कहीअे मेडम.. आज तो मेरी सौतन बहुत खुस लग रही हे..? हें..हें..हें..
सृती : (सरमाते धीरेसे) हां दीदी.. खुस तो हुगीनां..? क्युकी बात ही कुछ अैसी हे.. दीदी.. आज मे वाकइ बहुत खुस हु.. तभी तो आपको फोन कीया.. अब कैसे कहु..? मुजे तो बहुत सरम आ रही हे.. क्या आपको पता चल गयानां..?
पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. वो तो आपका फोन आते ही सब पता चल गया.. की सुहागरात मनानेकी तैयारीया हो रही हे.. हो गइ सफाइ..? हें..हें..हें..
सृती : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) क्या..? सुहागरात..? पता नही दीदी वो दिन कब आयेगा.. यार.. मुजे तो बहुत सरम आइ.. उन्होने अपने हाथोसे ये सब कीया.. मुजे तो बहुत सरम आ रही थी.. दीदी.. हम दोनो अेक दुसरेको प्यार करने लगे हे.. वो कुछ सरप्राइजकी बात कर रहे थे.. क्या आपको पता हे..? वो क्या सरप्राइज देने वाले हे..
पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. पता तो हे लेकीन मे आपको बताउगी नही.. क्युकी वो आपके लीये वाकइ सरप्राइज होगी.. दीदी.. लगता हे भाइ भी वो राजाकी तराह सरप्राइज देने लगे हे.. हें..हें..हें..
सृती : (हसते) हां दीदी.. मुजे भी अैसा ही लगता हे.. आखीर ये भी तो उनके भाइ हे.. हमारा बबलु भैया.. हें..हें..हें.. लेकीन दीदी.. अेक बात बताउ..? आज उसने अपने आपको बहुत कंट्रोल कीया.. मेरी सफाइ करते मुजे कही छुआ भी नही..
पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. कहा हे वो..? आप आज दिखाने जाने वाली थी.. क्या हाथकी पटी नीकालदी..?
सृती : (मुस्कुराते) हंम.. हम सुबह ही गये थे.. तो हाथका प्लाटर नीकाल दीया.. ओर थोडा चलनेकी भी छुट देदी.. लेकीन चलु तो अभी थोडा दर्द होता हे.. कहो.. आप कब आ रही हे यहा..?
पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) आजाउगी.. लेकीन मे चाहती हु मेरे वहा आनेसे पहेले आप अेक बार भाइको अच्छेसे मीललो.. फीर मे आजाउगी.. सादीकी खरीदी जो करनी हे..
सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. मे मीलना तो चाहती हु.. ओर इसके लीये रेडी भी हु.. लेकीन वो आगे पहेल करे तबनां..? मेरे पास आते हेतो बस.. सीर्फ कीस.. ओर प्यारकी बाते करके चले जाते हे.. आपको तो सब पता हे.. तो कहीयेनां..?
पुनम : (मुस्कुराते) ठीक हे.. तो थोडी हीन्ट देती हु.. दीदी.. आपने नही सोचा आज अचानक उसने आपके नीचे सफाइ क्युकी..? समज गइनां..? वो बहुत जल्द आपके पास आजायेगे.. बस इतना पता हे..
सृती : (मनमे खुस होते) दीदी.. दोनो भाइ बहेन बहुत कमीने हो.. आपको सब पता हे.. फीर भी नही बताती.. ठीक हे.. मे इन्तजार कर लुगी.. अभी तो वो हमारे लीये कार लेने गये हे.. नीलुका फोन था.. उसने चेरी रेड कलरकी कार ली हे.. अेक दो घंटेमे आजायेगे.. आजकल मुजे वोही खाना खीलाते हे.. क्या आपके साथ बात करते ही की नही.. मतलब.. रातमे.. स्पेसीयल.. हें..हें..हें..
पुनम : (सरमाते धीरेसे) वाव.. दीदी अब मे आपको क्या बताउ..? हर रात बात होती हे.. वो भी.. स्पेसीयल.. हें..हें..हें.. दीदी.. वो सबकुछ पुछ लेते हे.. की आज क्या पहेना हे.. अंदर कौनसी कलरकी पेन्टी पहेनी हे.. ओर आजकल उन्हीकी पसंदके कपडे पहेनती हु..
दीदी.. जबसे श्रीधर भैयाकी सादी करके गये हे.. तबसे हर देर रात हम फोन सेक्स करते हे.. वो तो बातो मे ही मुजे संतुस्ट कर देते हे.. पता नही जब हम मीलेगे तब क्या होगा.. दीदी.. मे बहुत खुस हु.. कास मेने पहेलेही लखन भैयाका प्यार कबुल करलीया होता.. तो आज मे उनकी बीवी होती..
सृती : (हसते) हंम.. कोइ बात नही.. थोडा देरसे ही सही.. अब मीलेगे तब पता चलेगा.. छोडीये.. ये कहीये क्या कर रही हे हमारी सासुमां.. मम्मी ओर नीर्मला आंटी अभी वही हेकी अपने घर चली गइ..?
पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. अभी तो यही हे.. सायद मेरी सादीके बाद जायेगे.. अबतो दोनोको बडे भैयाका खुब प्यार मील रहा हे.. ओर हमारी सासुमा तो आज कल मुजपे कुछ ज्यादा ही महेरबान हे.. उनकी बहु जो होने वाली हु.. हें..हें..हें..
सृती : (धीरेसे) दीदी.. वो चंदा दीदी.. क्या उनकी तबीयत ठीक हेकी नही..?
पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) वैसे तो सब ठीक हे.. दवाइ की वजहसे सोती रहेती हे.. ओर आजकर विजयकी जीम्वेवारी भी मेरे उपर हे.. तो मेरे साथ ही सोता हे.. पता नही चंदा दीदीने उनकी कैसी आदत लगादी हे.. जब भी उनको सुलाओ.. उनको हमारे मुमे मुहमे चाहीये.. तब ही सोता हे..
सृती : (मुस्कुराते) हें..हें..हें.. अच्छा..? ओर हमारी लता..? क्या उनकी कोइ बात आगे बढी की नही..?
पुनम : (हसते धीरेसे) कौन लता..? दीदी.. अब आपसे क्या बताउ..? बडी कमीनी हे वो.. हमसे भी फोरवर्ड नीकली.. लगता हे बडे भैयाके साथ उनका सेटींग पहेलेसे ही हे.. दोनोको अकेले मीलनेका मौका मीला नही ओर लीपट जाते हे.. अपना बुब्स मसलवाके कीस बीस कर लेती हे.. लगता हे दोनोको कोइ ओर मौका नही मीलता होगा.. वरना वो पका उनसे चुदवा लेती.. कमीनी हमसे भी बहुत चुदकड हे..
सृती : (जोरोसे हसते) अच्छा..? दीखनेमे तो कीतनी सीधी सादी लगती हे.. कमीनीने उस दिन मुजे भी नही छोडा.. जीस दिन हमारे होने वाले पतीने रमा भाभीको पेला था.. मेरी तो हालत खराब करदी थी.. पता नही उसने लखन भैयाको छोडनेका फैसला क्यु कीया..
पुनम : (मुस्कुराते) कमीनी सादीसे पहेले बडे भैयाको प्यार जो करती थी.. देखना अेक दीन लखन भैयाको छोडनेका उनको बहुत अफसोस होगा..
सृती : खैर छोडीये उनको.. ये बताइअे हमारे गांवमे सब कैसा चल रहा हे..? जो बातके लीये देवु ओर मंजु मोमने कोसीस कीथी उनका असर दीख रहा हेकी नही..?
पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. कोसीस..? क्या बताउ आपको..? लगता हे.. कुछ महीनोके बाद यहा कोइ रीस्ते नाते बचेगे ही नही.. क्युकी कुछ कमीनोने तो अपनी बहेनोके साथ साथ अपनी मांको भी नही छोडा.. हर दिन उनकी ठुकाइ करने लगे हे.. हें..हें..हें.. ओर अेक खबर ओर सुनाती हु.. हमारे डो. सुधीरभाइ.. अब डो. वसुधा बनकर आ गये हे.. उन्होने अपना जेन्डर चेन्ज करवालीया हे.. हें..हें..हें.. हमारी सासुमां मीलने गइ थी उनको..