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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४६

कहेते सृती सरमाते धीरेसे सलवार घुटनो तक करती हे.. तो लखनको उनकी दिलवाइ रेड चडी दीखाइ देती हे.. तो सृती बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर उसने हिंमत करते चडीको भी नीचे कीया.. तभी लखन नीचे बैठकर सृतीकी चुतकी ओर ही देख रहा था.. लखनको सृतीकी गुलाबी चुतके दर्शन होगये.. जो उनके आजु बाजु बालोका गुछा लगा हुआ था.. ओर सृती सर्मसार होते मुतने लगी.. लखन मुस्कुराते सृतीकी चुतकी ओर देखता ही रहा.... अब आगे

सृती : (सरमाते कामुक नजरोसे देखते धीरेसे) लो.. देख लीया..? अ‍ैसे घुरके क्या देख रहे हो..?

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. मेरी जनतका दरवाजा देख रहा हु.. लगता हे.. फैक्चरकी वजहसे इनकी सफाइ नही हुइ.. क्या मे करदु..? हंम..?

सृती : (सरमसे पानी पानी होते धीरेसे) क्या आप..? अरे नही नही.. भाइ.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. प्लीज.. बहार जाइअ‍ेनां..

लखन : (मुस्कुराते) अरे.. पहेले तो रुकनेके लीये केह रही थी.. ओर अब बहार नीकाल रही हो..? अब चुप चाप बैठी रहो.. ओर मे जो भी करु देखती रहो.. समजी..? दीदी.. बहुत मस्त हे.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमसे पानी पानी होते धीरेसे) भा..इ.. अ‍ेक मारुगी आपको.. यार मुजे सरम आती हे..

कहेते सृती सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर अपना मुह दुसरी ओर करते सरमाते मुस्कुराने लगी.. तभी लखनने वहासे रेजर लीया.. तो सृती सरमाकर अपनी चुतपे हाथ रख देती हे.. ओर हसने लगती हे.. फीर लखनने उनके हाथको हटाया.. ओर सृतीकी चुतके आस पास बडी सावधानीसे सफाइ करने लगा.. तबतक सृती सरमाते मुस्कुराते लखनको देखती रही.. ओर आखीर लखनने वहाकी सफाइ करली तब..

लखन : (मुस्कुराते) वा..व.. दीदी.. बहुत मस्त हे.. जी तो चाहता हे मे अभी आपसे सादी करलु..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. बहुत सरम आ रही हे.. अगर सादी करनी हे तो फीर करलोनां.. आपको कीसने रोका हे.. मे तो कबसे रेडी हु.. आप ही नही आते..

लखन : (रेजर साफ करते) दीदी.. आजाउगा.. वो भी खास मौकेपे.. देखना वो आपके लीये सरप्राइज होगी..

सृती : (चडी पहेनकर सलवारका नाडा बांधते) भाइ.. लेकीन कब..? आप दो दिनसे सरप्राइज.. सरप्राइज कर रहे हो.. लेकीन बताते भी नही.. की आप मुजे कब सरप्राइज दोगे.. अपनी दीदीको ओर कीतना तडपाओगे..?

लखन : (गोदमे उठाते) दीदी.. अब ओर नही तडपाउगा.. बहुत जल्द आपको सरप्राइज मीलने वाली हे.. अब चलो बहार.. आप आराम करलो.. मे आपकी कार लेने जा रहा हु.. फीर दो पहोरको मीलेगे..

सृती : (बेडपे बैठते) भाइ.. आज मे बहुत खुस हु.. आप कंट्रोल करना सीख गये.. मुजे छुआ तक नही..

लखन : (पास बैठते) दीदी.. तब आप मेरी भाभी थी.. ओर आपके प्रती मेरे मनमे भी अ‍ेक वासना थी.. जो आज नही हे.. पता हे क्यु..? क्युकी आज आप मेरी बडी बहेन हो.. ओर मे आपसे ओर पुनो दीदीको सच्चा प्यार करता हु..

सृती : (लखनकी बाहोमे समाते) बस.. भाइ.. यही प्यार हमे चाहीये.. उस दिन मे भी वासनामे बहेक गइ थी.. आपकी कोइ गलती नही थी.. मुजे ही आपका ये देखनेके लीये वासनाका भुत चडा हुआ था.. भाइ.. उस दीन आपने थोडीसी ओर हींमत की होती तो आज हम दोनोके बीच सबकुछ हो चुका होता.. आप हमे कभी मत छोडना.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच..

लखन : (सृतीके होठोको चुमते) हंम.. लव यु टु बेबी.. चलो अब मे चलता हु.. मे खाना खीलाने आउगा..

सृती : (सरमाते मुस्कुराते) हंम.. भाइ मे आपका इन्तजार करुगी.. तबतक नही खाउगी.. केह देती हु..

फीर लखन वहासे चला जाता हे.. ओर नीलमको लेकर अ‍ेक कारके शोरुमपे आजाता हे.. वहा लखन अ‍ेक लास्ट मोडलकी चेरी रेड कलरकी इनोवा सीलेक्ट करता हे.. ओर अपने क्रेडीट कार्डसे पेमेन्ट करता हे.. फीर कुछ फोर्मालीटी कंपलीट होनेमे अ‍ेक दो घंटेका टाइम लगता हे.. इसी बीच घरपे सृती पुनमको फोन लगाती हे.. तो पुनम सृतीके फोनको देखते ही बात करते सबसे दुर चली जाती हे.. ओर धीरेसे बात करने लगती हे..
 
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dilavar

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पुनम : (धीरेसे हसते) कहीअ‍े मेडम.. आज तो मेरी सौतन बहुत खुस लग रही हे..? हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते धीरेसे) हां दीदी.. खुस तो हुगीनां..? क्युकी बात ही कुछ अ‍ैसी हे.. दीदी.. आज मे वाकइ बहुत खुस हु.. तभी तो आपको फोन कीया.. अब कैसे कहु..? मुजे तो बहुत सरम आ रही हे.. क्या आपको पता चल गयानां..?

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. वो तो आपका फोन आते ही सब पता चल गया.. की सुहागरात मनानेकी तैयारीया हो रही हे.. हो गइ सफाइ..? हें..हें..हें..

सृती : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) क्या..? सुहागरात..? पता नही दीदी वो दिन कब आयेगा.. यार.. मुजे तो बहुत सरम आइ.. उन्होने अपने हाथोसे ये सब कीया.. मुजे तो बहुत सरम आ रही थी.. दीदी.. हम दोनो अ‍ेक दुसरेको प्यार करने लगे हे.. वो कुछ सरप्राइजकी बात कर रहे थे.. क्या आपको पता हे..? वो क्या सरप्राइज देने वाले हे..

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. पता तो हे लेकीन मे आपको बताउगी नही.. क्युकी वो आपके लीये वाकइ सरप्राइज होगी.. दीदी.. लगता हे भाइ भी वो राजाकी तराह सरप्राइज देने लगे हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) हां दीदी.. मुजे भी अ‍ैसा ही लगता हे.. आखीर ये भी तो उनके भाइ हे.. हमारा बबलु भैया.. हें..हें..हें.. लेकीन दीदी.. अ‍ेक बात बताउ..? आज उसने अपने आपको बहुत कंट्रोल कीया.. मेरी सफाइ करते मुजे कही छुआ भी नही..

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. कहा हे वो..? आप आज दिखाने जाने वाली थी.. क्या हाथकी पटी नीकालदी..?

सृती : (मुस्कुराते) हंम.. हम सुबह ही गये थे.. तो हाथका प्लाटर नीकाल दीया.. ओर थोडा चलनेकी भी छुट देदी.. लेकीन चलु तो अभी थोडा दर्द होता हे.. कहो.. आप कब आ रही हे यहा..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) आजाउगी.. लेकीन मे चाहती हु मेरे वहा आनेसे पहेले आप अ‍ेक बार भाइको अच्छेसे मीललो.. फीर मे आजाउगी.. सादीकी खरीदी जो करनी हे..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. मे मीलना तो चाहती हु.. ओर इसके लीये रेडी भी हु.. लेकीन वो आगे पहेल करे तबनां..? मेरे पास आते हेतो बस.. सीर्फ कीस.. ओर प्यारकी बाते करके चले जाते हे.. आपको तो सब पता हे.. तो कहीयेनां..?

पुनम : (मुस्कुराते) ठीक हे.. तो थोडी हीन्ट देती हु.. दीदी.. आपने नही सोचा आज अचानक उसने आपके नीचे सफाइ क्युकी..? समज गइनां..? वो बहुत जल्द आपके पास आजायेगे.. बस इतना पता हे..

सृती : (मनमे खुस होते) दीदी.. दोनो भाइ बहेन बहुत कमीने हो.. आपको सब पता हे.. फीर भी नही बताती.. ठीक हे.. मे इन्तजार कर लुगी.. अभी तो वो हमारे लीये कार लेने गये हे.. नीलुका फोन था.. उसने चेरी रेड कलरकी कार ली हे.. अ‍ेक दो घंटेमे आजायेगे.. आजकल मुजे वोही खाना खीलाते हे.. क्या आपके साथ बात करते ही की नही.. मतलब.. रातमे.. स्पेसीयल.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) वाव.. दीदी अब मे आपको क्या बताउ..? हर रात बात होती हे.. वो भी.. स्पेसीयल.. हें..हें..हें.. दीदी.. वो सबकुछ पुछ लेते हे.. की आज क्या पहेना हे.. अंदर कौनसी कलरकी पेन्टी पहेनी हे.. ओर आजकल उन्हीकी पसंदके कपडे पहेनती हु..

दीदी.. जबसे श्रीधर भैयाकी सादी करके गये हे.. तबसे हर देर रात हम फोन सेक्स करते हे.. वो तो बातो मे ही मुजे संतुस्ट कर देते हे.. पता नही जब हम मीलेगे तब क्या होगा.. दीदी.. मे बहुत खुस हु.. कास मेने पहेलेही लखन भैयाका प्यार कबुल करलीया होता.. तो आज मे उनकी बीवी होती..

सृती : (हसते) हंम.. कोइ बात नही.. थोडा देरसे ही सही.. अब मीलेगे तब पता चलेगा.. छोडीये.. ये कहीये क्या कर रही हे हमारी सासुमां.. मम्मी ओर नीर्मला आंटी अभी वही हेकी अपने घर चली गइ..?

पुनम : (मुस्कुराते) हंम.. अभी तो यही हे.. सायद मेरी सादीके बाद जायेगे.. अबतो दोनोको बडे भैयाका खुब प्यार मील रहा हे.. ओर हमारी सासुमा तो आज कल मुजपे कुछ ज्यादा ही महेरबान हे.. उनकी बहु जो होने वाली हु.. हें..हें..हें..

सृती : (धीरेसे) दीदी.. वो चंदा दीदी.. क्या उनकी तबीयत ठीक हेकी नही..?

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) वैसे तो सब ठीक हे.. दवाइ की वजहसे सोती रहेती हे.. ओर आजकर विजयकी जीम्वेवारी भी मेरे उपर हे.. तो मेरे साथ ही सोता हे.. पता नही चंदा दीदीने उनकी कैसी आदत लगादी हे.. जब भी उनको सुलाओ.. उनको हमारे मुमे मुहमे चाहीये.. तब ही सोता हे..

सृती : (मुस्कुराते) हें..हें..हें.. अच्छा..? ओर हमारी लता..? क्या उनकी कोइ बात आगे बढी की नही..?

पुनम : (हसते धीरेसे) कौन लता..? दीदी.. अब आपसे क्या बताउ..? बडी कमीनी हे वो.. हमसे भी फोरवर्ड नीकली.. लगता हे बडे भैयाके साथ उनका सेटींग पहेलेसे ही हे.. दोनोको अकेले मीलनेका मौका मीला नही ओर लीपट जाते हे.. अपना बुब्स मसलवाके कीस बीस कर लेती हे.. लगता हे दोनोको कोइ ओर मौका नही मीलता होगा.. वरना वो पका उनसे चुदवा लेती.. कमीनी हमसे भी बहुत चुदकड हे..

सृती : (जोरोसे हसते) अच्छा..? दीखनेमे तो कीतनी सीधी सादी लगती हे.. कमीनीने उस दिन मुजे भी नही छोडा.. जीस दिन हमारे होने वाले पतीने रमा भाभीको पेला था.. मेरी तो हालत खराब करदी थी.. पता नही उसने लखन भैयाको छोडनेका फैसला क्यु कीया..

पुनम : (मुस्कुराते) कमीनी सादीसे पहेले बडे भैयाको प्यार जो करती थी.. देखना अ‍ेक दीन लखन भैयाको छोडनेका उनको बहुत अफसोस होगा..

सृती : खैर छोडीये उनको.. ये बताइअ‍े हमारे गांवमे सब कैसा चल रहा हे..? जो बातके लीये देवु ओर मंजु मोमने कोसीस कीथी उनका असर दीख रहा हेकी नही..?

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. कोसीस..? क्या बताउ आपको..? लगता हे.. कुछ महीनोके बाद यहा कोइ रीस्ते नाते बचेगे ही नही.. क्युकी कुछ कमीनोने तो अपनी बहेनोके साथ साथ अपनी मांको भी नही छोडा.. हर दिन उनकी ठुकाइ करने लगे हे.. हें..हें..हें.. ओर अ‍ेक खबर ओर सुनाती हु.. हमारे डो. सुधीरभाइ.. अब डो. वसुधा बनकर आ गये हे.. उन्होने अपना जेन्डर चेन्ज करवालीया हे.. हें..हें..हें.. हमारी सासुमां मीलने गइ थी उनको..
 
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dilavar

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सृती : (जोरोसे हसते) क्या..? हें..हें..हें.. दीदी.. देखना.. कही वोभी हमारी सासुमां ना होजाये.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते) नही.. नही होगी.. आप फीकर मत करो.. वो सादी ही नही करेगी.. वो उसुलकी पकी हे.. इनके बारेमे हम बादमे बात करेगे.. लगता हे.. हमारी सासुमां मुजे बुला रही हे.. मे फोन रखती हु.. बाय..

सृती : (मुस्कुराते) हंम.. वाकइ सासुमां आपपे महेरबान हे.. हें..हें..हें.. बाय..

दो घंटेके बाद लखन अपनी नइ कार लेकर घरपे आजाता हे.. तो पीछे आज नीलम भी नया स्कुटर अकेली चलाकर आगइ.. जीसे देखकर रजीया बहुत खुस हुइ.. लखन सृतीको भी गोदमे उठाकर नीचे लेकर आ गया.. फीर रजीया नीलम ओर सृतीने मीलकर कारकी पुजाकी.. लखनने तीनोको अंदर बीठाकर अ‍ेक चकर लगवाया.. ओर रास्तेसे मीठाइआ लेकर घरपे आ गये..

रजीया राधीकाकी मम्मीको खाना खीला चुकी थी.. लखनने पहेरे राधीकाकी मम्मीका मुह मीठा करवाया.. फीर बारी बारी सबका मुह मीठा करवाया.. ओर खानेके लीये बैठ गये.. तो आज सृती भी सबके साथ खानेके लीये बैठ गइ.. लखनने उनको अपने हाथोसे खीलाया.. इसी तराह रजीया राधीका ओर नीलुको भी खीलाया तो तीनो खुस होगइ.. तो सृती भी लखनको खीलाने लगी..

सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. आजका दिन कीतना अच्छा हे.. आज आप भी मेरे हाथसे खालो..

रजीया : (मुस्कुराते) दीदी.. कार तो बहुत बडी हे.. क्या मस्त दीखती हे..

सृती : (मुस्कुराते) रजु दीदी.. अब हम सब अ‍ेक ही कारमे कही भी जा सकते हे.. ओर ये पुनो दीदीकी पसंदकी कार ली हे.. तो अच्छी ही होगीनां..?

चारो बाते करते खाना खा रहे थे.. तभी सृती नीचेसे लखनके पैरोको सहेला रही थी.. ओर बार बार अपना हाथ लखनकी जांघोपे रखते सहेलाती थी.. जीसे लखनका लंडभी अंगडाइआ लेके जटके मार रहा था.. फीर सबने खाना खालीया तब लखन सृतीको लेकर उनके रुममे छोडने चला गया.. ओर रजीया नीलम मीलकर घरका काम समेटने लगी.. अब सृतीके उपर प्यारका परवाना बीलकुल छाया हुआ था..

जैसे ही लखनने सृतीको बेडपे बीठाया सृतीने लखनको हाथ पकडक खीचके अपने उपर गीराया.. तो लखन सृतीके उपर गीरके लेट गया.. सृतीने लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर लखनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. आखीर लखनभी अ‍ेक मर्द था.. सृती कबसे उनको छेड रही थी.. तो लखन भी मदहोस होने लगा.. ओर सृतीके बुब्सको मसलते सृतीके होठोको चुमने लगा..

सृती : (मदहोसीमे वासना भरी नजरोसे) भाइ.. मुजसे रहा नही जाता.. मुजे अपनी आगोसमे समालो..

लखन : (मदहोसीमे) दीदी.. बस.. थोडासा कंट्रोल करलो.. आपकी सभी तम्मना जल्द पुरी करदुगा..

सृती : (प्यारसे आंखोमे देखते धीरेसे) भाइ.. वही तो नही होता.. अब तो थोडासा भी कंट्रोल नही होता.. कबतक तडपाओगे मुजे.. भाइ.. मुजे भी वो सुख चाहीये.. मुजे समालो आपके अंदर..

लखन : (मुस्कुराते होठ चुमते) दीदी.. लगता हे आज तो आप पका मेरा रेप करदोगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे मुस्कुराते) ओर नही तो क्या..? भाइ.. अपनालो मुजे.. बनालो अपनी सुहागन.. अब तो मे बडे भैयाकी बीवी भी नही हु.. आप भरदो मेरी मांग.. मे हमेसा हमेसाके लीये आपकी होजाना चाहती हु..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. प्लीज.. मेरी खातीर.. बस.. थोडासा इन्तजार करलो.. बस कुछ होगा जो आप चाहती हो.. लेकीन इसके लीये मेने अ‍ेक खास दिन चुना हे.. बस.. थोडासा इन्तजार.. प्ली..ज..

सृती : (होंठ चुमकर मुस्कुराते) ठीक हे भाइ.. आप कहेतेहो तो मे इन्तजार करलुगी.. लेकीन याद रखना.. ओर ज्यादा इन्तजार नही कर सकती.. वरना इस बार पका आपका रेप करदुगी.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते उपरसे हटते) ठीक हे स्वीट हार्ट.. तो फीर आज सरप्राइजके लीये तैयार रहेना..

सृती : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) आज ही..? ठीक हे भाइ.. पका.. मे रडी हु..

फीर लखन नीचे आगया.. तो रजीया ओर नीलम कीचनमे बर्तन रख रही थी.. तो लखन वहा चला गया.. ओर नीलमके सामनेही रजीयाको बाहोमे भरते होठोको चुमने लगा.. तो रजीया नीलमकी ओर देखते सरमा गइ.. ओर लखनको हटानेकी कोसीस करने लगी.. तो नीलम भी दोनोका प्यार देखकर सरमा गइ.. ओर हसती रही.. वो सरमके मारे बहार जाने लगी तो लखनने उनका हाथ भी पकड लीया..

रजीया : (सर्मसार होते लखनपे जुठा गुस्सा करते) कुछ तो सरम करो.. घरमे अ‍ेक जवान बच्ची हे.. ओर उनके सामने ही आप सुरु होगये..

लखन : (मुस्कुराते) अरे ये तो मेरी साली हे.. ओर साली आधी घरवाली भी होती हे.. तो उनके सामने क्या सरमाना.. सुन.. तुम दोनोसे अ‍ेक बात करनी हे..

रजीया : (नीलमकी ओर देखते मुस्कुराते) क्या..?

लखन : (धीरेसे) सुनो.. कल सृती दीदीका बर्थ डे हे.. तो हम आज ही बाराह बजनेके बाद उनका बर्थडे सेलीबे्रट करेगे.. तुम दोनो उनको कुछ मत कहेना.. हम उनको सरप्राइज देगे..

नीलम : (खुस होते धीरेसे) वा..व.. जीजु.. तब तो मजा आजायेगा.. कहीये क्या करना हे हमे..

लखन : (मुस्कुराते) रजु.. तुम ओर नीलु अभी थोडा आराम करलो.. फीर देर साम मे ओर नीलु केक.. ओर कुछ सेलीब्रेट करनेका सामान लेआयेगे..
 
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रजीया : (जुठा गुसा करते मुस्कुराते) अच्छा.. होने वाली बीवीका बर्थडे याद हे.. कभी हमारा बथ्रडे तो मनाया ही नही..

लखन : (मुस्कुराते गाल चुमते) अरे याद हे मुजे.. पहेले तेरा बर्थडे तो आने दे.. फीर देखना हम कैसे मनाते हे.. अभी दो महीनेके बाद हेनां..?

रजीया : (मनमे खुस होते) अच्छा आपको सब याद हे..? ठीक हे.. नीलु.. तेरे जीजुके साथ चली जाना.. ओर जो भी लेना हो लेलेना.. लखन.. लेकीन राधु दीदीतो अपने घरपे जा रही हे..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. पता हे.. मम्मीने कहा हे उनको घरपे छोडनेके लीये.. कोइ बात नही हम तीनो तो हे.. हम मनालेगे.. उनको अभी कुछ मत कहेना.. समजी..? वरना सृती दीदीको पता चल जायेगा..

नीलम : (हसते धीरेसे) क्या जीजु.. अब सृती दीदी ओर पुनो दीदी आपकी होने वाली बीवी हे.. तो क्या सादीके बाद भी उन दोनोको दीदी कहोगे..? हें..हें..हें..

लखन : (नीलमके होठोको चुमते) हां.. ये बात तु अभी नही समजोगी.. तुजे फीर कभी बताउगा..

रजीया : (सरमाते लखनको अ‍ेक मुका मारते) लखन.. कमसे कम सालीको तो छोडदो.. हें..हे..हें..

लखन : (नीलमको कमरसे खीचते तनसे सटाते) क्यु.. साली भी तो आधी घरवाली होती हे.. इसीलीये तो आधा प्यार कीया.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते लखनको अ‍ेक मुका मारते बहार भागते) जीजु.. आप बहुत.. गंदे हो..

रजीया : (लखनकी बाहोमे समाते धीरेसे) जानु.. लगता हे जीजा साली काफी आगे बढ चुके हो.. क्या इनकी बारी लेली की नही..?

लखन : (होठ चुमते) नही रजु.. सुन.. तुमसे अ‍ेक बात कहेना चाहता हु..

रजीया : (मुस्कुराते) हंम.. पता हे.. फीर भी कहीये..

लखन : (आस्चर्यसे देखते) तुजे पता हे..? फीर भी सुन.. आज मे दीदीको सरप्राइज देना चाहता हु.. तु समज गइनां..?

रजीया : (सरमाते हसते) हंम.. समज गइ.. ठीक हे.. आज आप इनके साथ ही सोजाना.. यहीनां..?

लखन : (रजीयाको जोरोसे बाहोमे भीचते) अरे वाह.. मेरी बीवी तो बहुत ही समजदार हे..

रजीया : (सरमाते धीरेसे) ठीक हे.. ठीक हे.. अब ज्यादा मस्का मत लगाओ.. सुनीये.. वहा जानेसे पहेले.. सीर्फ अ‍ेक बार.. हंम..? फीर आप दीदीके पास चले जाना.. क्युकी अब मुजे भी आपकी आदत हो गइ हे..

लखन : (बुब्स मसलते होठ चुमते) अरे अ‍ेक बार क्या दो बार.. तुजे तो पता हेनां.. मे दो बारसे पहेले बहार नही नीकालता.. ठीक हे.. काम जल्दी खतम करके रुममे आजाना.. फीर हमारा कार्यक्रम खतम करके हम दीदीका सेलीब्रट मनायेगे.. ओके..

रजीया (होठ चुमते) हंम.. ठीक हे.. आज तो दीदी गइ कामसे.. हें..हें..हें.. आपका लेनेके लीये बहुत फुदक रही थी.. लखन.. थोडा दरवाजा खुला रखना.. मुजे देखना हे..

लखन : (हसते) अरे पागल हो गइ हो क्या..? रजु.. तुम बहुत डेन्जर हो.. यार तुजे हम सबके बारेमे सबकुछ पता हे..

रजीया : (सरमाकर मुस्कुराते) हां तो पता तो होगानां.. बीवी हु आपकी.. सबकी खबर रखनी पडती हे..

तो दुसरी ओर गांवमे भी जबसे लता वहा गइ थी.. तबसे वो भी देवायतको अकेलेमे मीलनेकी कोसीसमे लग चुकी थी.. दोनोके बीच प्यार काफी आगे बढ चुका था.. कइ बार दोनोको अकेले मीलनेका मौका मीलता दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते.. ओर अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमने लगते थे.. दो बार तो दोनो फीजीकल होते होते रहे गये.. लेकीन देवायत हे जो अब भी गांवकी सेवा ओर बीजनेसमे लगा हुआ था..

अब लखनकी वजहसे उनके बीजनेसमे काफी इजाफा होने लगा था.. ओर खेतोपे भी उनको जबभी मौका मीलता मालतीको बुलाकर उनकी जमकर चुदाइ कर लेता.. तो दुसरी ओर उनकी सौतन रेणुका भी पेट बढने लगा था.. मालती ओर रेणुका अ‍ेक दुसरेकी सौतनसे ज्यादा सहेलीया हो गइ थी.. रेणुकाको भी देवायत ओर मालतीके रीस्तोके बारेमे पता था..

मालती जान बुजकर रेणुकासे उनकी ओर देवायतके प्यारकी बाते करती.. ताकी रेणुका भी देवायतके साथ रीलेशनमे आजाये.. ओर देवायतके साथ रीलेशनका राज वो कीसीसे ना कहे.. तो रेणुका भी देवायतके बारेमे मालतीसे बाते सुनकर उनकी ओर ढलती जा रही थी.. वो कइ बार मालतीकी बजाइ खुद चाइ लेकर देवायतके पास चली जाती.. ओर देवायतको रीजानेकी कोसीस करती..
 
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dilavar

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तो इधर जबसे रमा घरपे आगइ थी.. तबसे भानु भी रमाकी कइ बार चुदाइ कर चुका था.. फीर भी वो खेतोमे जब कामसे फ्रि होजाता छोटुके रुममे घुस जाता.. तब छोटु अपने बच्चेको लेकर बहार नीकल जाता.. ओर भानु कामोतेजक गोलीया खाकर रीटाकी जमकर चुदाइ करता.. ओर छोटु बहार बच्चेको लेकर दोनोकी रखवाली करता.. लेकीन अब भानुको चुदाइ करनेमे तकलीफ होने लगी थी..

अब तो लंड भी मुस्कीलसे खडा होता था.. इसीलीये उनको हर वक्त अब वायाग्राकी जरुरत पडती.. फीर भी उसने अ‍ेक बार सहेरमे कीसी अच्छे डोक्टकरको दीखानेकी ठानली.. इनमे उनको लखनके मददकी जरुरत महेसुस हुइ.. तो दुसरी ओर जबसे रमा घरपे आइ थी.. तबसे उनके पेटमे उनको कुछ अजीबसी जलन महेसुस हो रही थी.. उनको अब ज्यादा बैचेनी लग रही थी..

कीसी भी काममे उनका जी नही लगता था.. उनको हर बात लखनकी याद सताने लगी थी.. जैसे वो भानुकी नही लखनकी बीवी हो.. रमा अब हर वक्त लखनके खयालोमे खोइ रहेती.. जब भी मोका मीलता वो लखनसे फोनपे बात करलेती.. जब भी भानु उनकी चुदाइ करता वो बेमन अ‍ैसे ही पडी रहेती.. ओर भानुसे चुदाइ करवालेती.. अ‍ेक साम भानु जब खेतोसे घरपे आया.. तो रमा आंगनमे बैठकर उबके कर रही थी.. जैसे उनको उल्टीया जैसा हो रहा हो..

तब सरला उनकी पीठ सहेला रही थी.. जैसे ही भानु आया सरला उनकी ओर देखते खुस होते मुस्कुराने लगी.. तो भानुको भी थोडा अजीब लगा.. ओर वो वही खडे रहेते रमा ओर सरलाको देखता रहा.. फीर थोडी देरके बाद रमाको राहत महेसुस हुइ तो वो मुह साफ करके खडी होगइ.. ओर उसने भानुको देखलीया.. तो उनकी ओर सरमाकर मुस्कुराने लगी.. ओर जटसे अपने रुममे चली गइ.. तब..

सरला : (हाथ साफ करते भानुके पास आते) तु आ गया बेटा..? आ बैठ इधर..

भानु : (थोडी चीन्तासे सरलाके पास बैठते) मां.. क्या हुआ रमाको..? उनकी तबीयत ठीक नही हे क्या..?

सरला : (मुस्कुराते) अरे ठीक हे.. तु चीन्ता मत कर.. लगता हे.. मेरी बहु.. जल्द हमे खुस खबर सुनायेगी..

भानु : (सरमाकर मुस्कुराते) क्या मां.. तुम भी.. अ‍ैसा कुछ नही होगा.. उनके खानेमे कुछ आ गया होगा..

सरला : (जुठे गुसेसे अ‍ेक मुका मारते) अरे तु चुप कर.. शुभ शुभ बोल.. अ‍ैसा कुछ नही हे.. मेरी तर्जुबेकार आंखे सबकुछ पहेचान लेती हे.. सुन.. इसे अ‍ेक बार जाकर हमारी सृती बेटीको दीखादे..

भानु : (मुस्कुराते) मां.. ये वही तो थी.. तब इनको कुछ नही हुआ.. खैर.. आपको पता हेनां अब वो देवुको छोडकर जा चुकी हे.. आजकल हमारे लखनके साथ रहेती हे..

सरला : (आस्चर्यसे देखते) क्या..? देवुको छोड दीया..? लेकीन क्यु..?

भानु : (मुस्कुराते) माइ.. पता नही.. कभी कभी देवुकी फेमीलीको हम समज ही नही पाते.. जीतनी सादी करलो.. कोइ पुछने वाला नही.. पता ही नही चलता कीसका रीलेशन कीसके साथ हे.. आज इनके साथ सादी करली.. सब लोग आपसी रीस्तोको बहुत मानते हे..

सरला : (मुस्कुराते) तो अच्छा हेनां.. तुमने भी तो दो सादीया कीहे.. इनमे कोनसी बडी बात हे..

भानु : (मुस्कुराते) अब तो गांवमे भी सब अ‍ैसा होने लगा हे.. अब देखोना.. हमारी लता भी उनकी फेमीलीके रंगमे रंग गइ हे.. सुना हे वो भी यहा गांवमे आगइ हे..ओर पुनम दीदीका भी धिरेनसे डीवोर्स होगया हे..

सरला : (नजरे चुराते) लताका तो सब पता हे.. लेकीन पुनम बीटीयाका..? हे भगवान.. ये सब क्या हो रहा हे..? कीतनी अच्छी बच्ची हे.. अब इनको क्या हुआ..?

भानु : (मुस्कुराते) माइ.. देवु केह रहा था.. पुनमकी सादीसे पहेले ही धिरेनका कही ओर चकर था.. वो उनसे सादी करना चाहता हे.. देवुने उनकी मांसे सादी करली इसीलीये उसने बदलेकी भावनासे पुनमसे सादी की.. ताकी वो पुनमकी जींदगीसे खीलवाड करके उनको छोडदे.. तो भाइ केह रहा था.. अब वो पुनमकी सादी लखनसे करवा रहे हे.. तो हमारी लता भी लखनको छोडकर देवुसे सादी करना चाहती हे..

सरला : (मुस्कुराते) तो क्या हुआ.. हेतो उसी घरमे.. अच्छा हुआ.. देवुने ये सही फैसला लीया..कमसे कम पुनम नजरके सामने तो रहेगी.. ओर बहु बनकर भी घरपे ही हे तो कोइ तकलीफ नही.. वैसे भी उनके खानदानमे बहेनसे सादी करनेकी परंपरा जो हे.. बहारके रीस्तोसे ज्यादा इसीलीये आपसी रीस्ते अच्छे हे.. तो हमारी लता देवुकी रानी होजाये.. तो क्या तकलीफ हे..

भानु : (सामने देखकर मुस्कुराते) मां.. क्या तुम भी आपसी रीस्तोको मानती हो..? हें..हें..हें..

सरला : (सरमाते हसते) हां.. क्यु नही..? तो क्या तुम नही मानते..? तो फीर तुमने भीतो तेरी मामीसे सादी करली हे.. क्या वो आपसी रीस्ता नही हे..? बात करता हे.. ओर मुजे पता हे बहारकी कइ ओरतोके साथ भी तेरा रीस्ता हे.. क्या इसे तु घरपे भी लाता थानां..?

भानु : (आस्चर्यसे देखते) मां.. ये तुजे सब कैसे पता..?

सरला : बेटा.. मत भुल.. वो मंजुको सब पता चल जाता हे.. मुजे क्या वहा सबको पता हेकी तु कीसी मजदुरकी बीवीको रोज घरपे लाता हे.. ओर ये बात भावुकोभी पता चल गइ.. अ‍ेक तो रमासे सादी करली तबसे नाराज भी.. ओर अब इसे मजदुरके चकरमे वो तुमसे काफी नाराज हे.. सायद अब वो यहा कभी नही आयेगी.. तु अब उसे तो भुलही जा.. वो तुजे छोडनेकी बाते कर रही थी..

भानु : (सरमाकर मुस्कुराते) मां वो.. वो.. अब भावुभी नही थी ओर इतने दिनोसे रमा भी नही थी.. तो मे क्या करता..? माइ.. भावु अगर आना नही चाहती तो जानेदो उसे.. मे रमाके साथ ही खुस हु..
 
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dilavar

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सरला : (मुस्कुराते) हां बेटा.. वो वहा खुस हेतो उसे वहा ही रहेने दे.. ओर छोड ये मजदुरनोको.. अब नीलुके बारेमे सोच.. वो भी जवान हो गइ हे.. कास नीलुके साथ तुमने रमासे अ‍ेक ओर बच्चा करलीया होता.. तो कमसे कम नीलुके लीये हमे रीस्ता ढुंढनेकी जरुरततो नही पडती.. मे नीलुकी सादी करवादेती उनके छोटे भाइसे..

भानु : (हसते) क्या मां.. तुम भी अनाप साप बोल रही हो.. ये सब देवुके घरमे होता हे.. हमारे घरमे नही..

सरला : (मुस्कुराते) तु चुप कर.. अच्छा.. हमारे घरमे क्यु नही..? तो फीर तुमने रमासे सादी क्यो की..? वोभी तो तुम्हारी मामी थी.. तब तो तेरे मामा भी जीन्दा थे.. क्या ये गलत नही था..? तु आपसी रीस्तोमे नही मानता..? वहा तो हर घरमे यही कहानी हे.. सब आपसी रोस्तोमे ही सादीया करने लगे हे.. तो हमारे घरमे क्यु नही..?

भानु : (सरमाते हसते) नही मां. अ‍ैसी बात नही हे.. मे भीतो अ‍ैसे रीस्तोमे मानता हु.. अगर पहेले पता होताकी तुम भी अ‍ैसे रीस्तोमे मानती हो.. तो फीर मे सादी ही नही करता.. हें..हें..हें.. मे भी लतासे या फीर तुमसे सादी करलेता.. हें..हें..हें..

सरला : (जुठा गुसा करते अ‍ेक मुका मारते) तुम भी कीतने कमीने हो.. मुजसे सादी करेगा..? अरे लता बहेन हे लेकीन जब तेरी सादी हुइ तब उमरमे तुमसे बहुत छोटी थी.. वरना मे ही तुम दोनोकी सादी करवा देती.. ओर अब तो मे भी बुढी हो गइ हु.. अभी जो घरमे हे उसे ठीकसे सम्हाल..

भानु : (हसते) क्या मां तुम भी..? कहासे बुढी लग रही हो.. अभी भी लताकी बडी बहेन लगती हे.. ओर मेने सादीकी तबतो तुम भी काफी जवान थी.. हें..हें..हें..

सरला : (सरमाके हसते अ‍ेक मुका मारते) अरे चुप कर.. बदमास.. अगर मे जवान थी तो करलेता मुजसे सादी.. मे मना थोडीना करती.. लगता हे अब तुजे भी उस गांवकी हवा लग चुकी हे.. जो हर कोइ उनकी बहेनसे सादी कर रहा हे.. तो कइ अपनी विधवा बुआसे तो कोइ अपनी विधवा भाभीसे.. अब छोड बाते.. ओर हाथ मुह धोले.. बहुत हो गया मजाक.. अभी खाना बन जायेगा..

भानु : (मुस्कुराते धीरेसे) माइ.. सुना हे वहा बनवारीलालने उनकी बहुतसे सादी करली हे.. जो उनका बेटा अपनी बीवीको छोडकर विदेस चला गया हे.. ओर अ‍ेकने तो खुदकी बडी अम्मासे सादी करली.. जो विधवा थी.. अ‍ेक अ‍ेकका तो खुद उनकी माके साथ चकर हे.. हें..हें..हें..

सरला : (आस्चर्यसे हसते) हे भगवान ये सब क्या हो रहा हे..? क्या सचमे..? तभी तु मुजसे सादी करनेको केह रहा हे.. अब तो बीलकुल अ‍ैसाही होने लगा हे जो बाबा ओर मंजुबेटी कहे रहे थे.. अ‍ेक मीनीट..? कही ये सब सुनकर तेरा मन तो कही भटक नही गयानां..?

भानु : (जोरोसे हसते) क्या मां तुम भी.. अगर मन भटक गया होता तो अबतक मेने तुमसे सादी नही करली होती..? हें..हें..हें.. तो फीर मे इन दोनोसे सादी क्यु करता..? हें..हें..हें..

सरला : (सर्मसार होकर दांत पीसते अ‍ेक मुका मारते) कमीने अ‍ैसा सोचा भी तो तुजे मार डालुगी.. मुजसे सादी करेगा.. कमीना कहीका.. चल बहुत हो गया मजाक.. ओर सुन.. हो सके तो अ‍ेक दो दिनमे रमाको सहेर जाकर दीखादे.. ओर नीलुको भी मीलले.. बेचारी जबसे गइ हे.. उनकी तुने खबर ही नही ली..

भानु : (खडा होते) मां.. वहा लखनके घरपे हे.. तो फीर हमे नीलुकी चीन्ता क्या करनी..? घरपे ही तो हे.. फीर भी मुजे भी सहेरमे काम हे.. तो रमाको दीखाकर आउगा ओर नीलुको भी मील लुगा.. मां.. तुमसे अ‍ेक बात ओर कहेनी हे.. हमारी लता..

सरला : (मुस्कुराते) हां पता हे मुजे.. मंजु बीटीयाने ही उसे बुलाया हे.. वो लताकी सादी देवुसे करवाना चाहती हे.. इस बारेमे मेरी मंजु बीटीयासे बात हो चुकी हे.. अब वो उनके खानदानकी बहु हे.. अब उनका जो भी करना हे उन लोगोको करना हे.. हमे उनमे नही पडना..

भानु : (मुस्कुराते) हंम.. तो तुजे सब पता हे.. चल कोइ बात नही.. मुजे क्या..?

सरला : (हाथ पकडते) सुन भानु.. बैठ इधर.. मुजे क्या मतलब..? तुजे पता हे लता क्या चाहती थी..? जो हमने उनकी सादी लखनसे करवादी.. कभी लताको पुछा हे तुमने..? की तुम कीससे सादी करना चाहती हो..?

भानु : (आस्चर्यसे देखते) नही तो.. लेकीन इस बारेमे तो सायद भावुसे बात हुइ थी.. क्यु क्या हुआ..?

सरला : (मुस्कुराते) बेटा.. वो देवुको चाहती थी.. लेकीन उमरमे छोटी थी.. तो अपने दिलकी बात हमसे केह नही पाइ.. अब तो वो बडी हो चुकी हे.. अपना भला बुरा खुद सोच सकती हे.. ओर उसने अपने दिलकी बात हमारी पुनम बीटीयाको बतादी.. तो मंजु अब लताकी सादी देवुसे करवा रही हे.. तो इसमे गलत भी क्या हे..? मुजे तो कोइ अ‍ेतराज नही.. जो भी हो.. हे तो उस खानदानकी बहु.. जा अब हाथ मुह धोले..

कहातो भानु बीना कोइ सवाल कीये फ्रेस होने चला गया.. तो सरला भानुको अजीब नजरोसे देखती रही.. क्युकी आज भानुकी लतासे सादीकी करनेकी बाते सुनकर उनको थोडा सोक्ट लगा.. क्युकी भानुने आज तक उनसे अ‍ैसी बाते नही की थी.. इस घरमे बहुत कुछ राज छीपे हुअ‍े थे.. जो इस बातको भानु नही जानता था.. लेकीन सरला बखुबी सबके राजके बारेमे जानती थी..

वो इतने दिन वहा रही.. लेकीन अ‍ेक बारभी भावनाने उनसे अच्छी तराह बात नहीकी.. उनका देवायतके प्रती लगाव ओर जुकाव देखकर समज गइ थी.. की कहीना कही.. भावनाका देवायतके साथ कुछ तो सबंध हे.. ओर उपरसे भानुका रीटाको घरपे लेजाना.. ये सब बातोसे सरलाको यकीन हो गया था.. की अब भावना भानुके साथ कभी नही रहेगी.. लेकीन उनको तो अपने तनकी आग बुजानेसे मतलब था....

कन्टीन्यु
 
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