Mast chodu parivaar hai. Badhiya updateUpdate 10 सहेली के पापा-C
फिर मैंने भी अपनी लैगिंग को खींच कर नीचे कर दिया और फिर झुक कर पूरी पैरों से बाहर निकाल दिया।
मैंने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी।
अब कमरे में हम तीनों मैं, ज्योति और उसके पापा नंगे खड़े थे।
अंकल थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आ गए और मेरी एक हाथ मेरी चूची पर रख कर सहलाने लगे।
चूची सहलाते-सहलाते वो थोड़ा झुके और मेरी एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे।
मेरी दूसरी चूची को वो अभी भी अपने हाथ से सहला रहे थे।
अब आगे:
मैं समझ गई कि अंकल को गांड मारने में ज्यादा मजा आता है।
वैसे सोनू (मेरा छोटा भाई) भी मेरी गांड काई बार मार चुका था मगर ज्योति के पापा के लंड का साइज में सोनू का लंड बड़ा और मोटा था।
मेरी चूत तो लंड के साथ, मोटे-मोटे बैगन और मूली को भी झेल चुकी है तो वो अंकल का लंड भी आसान से झेल लेगी।
मगर इतना बड़ा लंड मेरी गांड में कभी नहीं गया था और ना ही मैंने कभी बैगन और मूली गांड में डाली थी।
ज्योति मुझसे बोली- वैसे भी आज जो तू चाहे वही होगा।
मैंने पॉर्न मूवी में तो देखा था मगर कभी खुद खड़े होकर चूट नहीं चटवायी थी।
तो मैंने कहा- ठीक है, तो खड़े होकर ही कर लेते हैं।
इस पर अंकल मेरे सामने बैठ गए।
अब उनका मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था।
अंकल अपने दोनों हाथ को मेरी चूत के अगल-बगल जांघों पर रख कर मेरे पैरों को हल्का सा फैलाने की कोशिश करने लगे।
जिस पर मैंने खुद ही अपने पैरों को फैला कर चूत को उनके मुंह के पास कर दिया।
अंकल ने अपनी नाक को मेरी चूत के पास लाकर पहले चूत की खुशबू ली।
और फिर अपनी उंगलियों से मेरी चूत के दोनों फाँकों को फैला दिया और जीभ से चाटने लगे।
मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथों को अंकल के सर पर रख दिया और उत्तेजना में अपने कमर को हल्का-हल्का हिला कर चूत चटवाने लगी।
ज्योति मेरे पीछे आकर मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई अपने दोनों हाथ को अगल-बगल से आगे लेकर मेरी चूचियों को दबाने लगी।
उसकी चूची मेरी पीठ से दबी हुई थी।
मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी।
मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं- आआआह …उह … आआ आआह … उम्म … आआ … हांह!
ऐसे लग रहा था कि शरीर का सारा खून छूट रहा है।
चूत चटवाते हुए अभी 4-5 मिनट हुए होंगे कि अचानक मुझे लगा जैसे चूत की नसें फटने वाली हों।
मेरा चेहरा एकदम गर्म हो गया था।
मैंने अंकल का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर चिपका दिया और कमर को तेजी से हिलाने लगी।
अंकल अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल कर तेजी से हिला रहे थे।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आआआह … आआहाहा … आआ आआ आहा … अंकल और तेज … हां हाँअ … बस्स्स स्स्स … अंकल.. आआ आआआ आआ निकलने वाला है।
मैं तेजी से अपनी कमर को झटके देने लगी और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
हल्के ठंड के मौसम में भी मेरे शरीर पर पसीना आ गया था।
मैं एकदम निढाल हो गई थी।
अगर ज्योति ने मुझे पीछे से पकड़ा ना होता तो मैं शायद गिर जाती।
अंकल ने मेरी चूत का पूरा पानी चाट कर साफ कर दिया और खड़े हो गए।
मैं बिस्तर पर बैठ गई, पैरों को नीचे लटकाए हुए आंख बंद कर लेट गई और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
मैं अभी भी हांफ रही थी।
एक-दो मिनट में थोड़ा सामान्य होने पर मैंने आंखें खोली तो देखा कि ज्योति मेरे बगल में ही नीचे खड़ी है और झुक कर अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिकाए हुए है।
अंकल ज्योति के पीछे घुटनोंके बल नीचे बैठ कर उसकी चूत चाट रहे हैं।
मैं उठकर बैठ गई और वही ज्योति के बगल में ही बिस्तर पर बैठी रही।
मैंने देखा कि ज्योति के पापा ज्योति की चूत चाटने के साथ ही उसकी गांड के छेद को भी जीभ से चाट रहे थे।
कुछ देर पहले ही मेरी चूत का पानी निकला था मगर बाप-बेटी के बीच का ये सेक्स सीन देखकर मेरी कमसिन चूत में एक बार फिर कुलबुली होने लगी।
ज्योति उत्तेजना में आंखें बंद कर चूत और गांड चटवा रही थी।
थोड़ी देर तक तो मैं उन दोनों बाप बेटी को ओरल सेक्स करती देखती रही, फिर मैं बैठे-बैठे ज्योति की चूची को एक हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी चूची को पकड़ा, ज्योति ने आंखें खोलकर मुझे देखा और फिर मदहोशी में ही हल्का सा मुस्कुराई और फिर आंख बंद कर मजे से अपने पापा से चूत चटवाती रही।
उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी.
तभी ज्योति के पापा ने चूत चाटना छोड़ कर खड़े हो गए।
मैंने देखा कि उनका लंड एकदम तना हुआ था और ठीक ज्योति की गांड के पीछे था।
ज्योति भी खड़ी हो गई और मुड़ कर अपने पापा से थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए बोली- क्या पापा … थोड़ी देर और चाटते ना … बस पानी निकालने ही वाला था मेरा!
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- अरे, यही तो नहीं चाहता था मैं! तुम्हारा पानी निकल जाता है तो तुम मेरी पसंद वाला काम नहीं करने देती हो।
इस पर ज्योति मेरी तरफ इशारा करते हुए मुस्कुरा कर बोली- अरे तो क्या हुआ, मेरी सखी तो है ना … आपकी पसंद का काम ये कर देती।
ज्योति फिर मेरे गाल पर चुटकी काट कर बोली- तू समझ रही है या नहीं पापा की पसंद? पापा को आगे से ज्यादा पीछे वाला पसंद है.
अंकल बोले- अरे तुम आगे और पीछे वाला क्या होता है ज्योति … ठीक से बताओ ना अपनी सहेली को!
ज्योति हंसती हुई मुझसे बोली- अरे पापा को चूत चोदने से ज्यादा गांड मारना पसंद है … अब समझी या नहीं?
बाप-बेटी की लंड चूत सेक्स की बातचीत में मुझे भी मजा आ रहा था और अब तक मैं भी बेशर्म बन चुकी थी।
मैंने हंसते हुए कहा- अरे तो क्या हुआ, जो अंकल चाह रहे हैं वो क्यों नहीं कर देती?
इस पर अंकल और ज्योति दोनों हंसने लगे।
ज्योति बोली- अरे बड़ी चिंता है अंकल की … तो तू ही क्यों नहीं उनकी पसंद को पूरा कर दे रही?
मैंने कहा- ठीक है. मगर पहले आप दोनों कर के दिखाओ तो फिर मैं भी कर लूंगी।
फिर हम तीनों हंस दिये।
अंकल ज्योति से बोले- चलो तुम्हारी सखी को ये भी कर के दिखाते हैं।
ज्योति बोली- हां, आपको तो बस मौका मिलना चाहिए मेरी गांड मारने का!
यह कहकर ज्योति ने पहले की तरह अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिका लिया और झुक कर खड़ी हो गई और अपने पापा से बोली- पापा, प्लीज थूक लगा कर मत करिएगा. क्रीम लगा लीजिए।
अंकल ने बिस्तर के सिरहाने में लगे दराज में से एक शीशी निकाली और ज्योति के पीछे आकर खड़े हो गए।
उन्होंने शीशी में से तेल लेकर पहले अपने लंड पर लगाया, फिर ज्योति की गांड के छेद पर थोड़ा सा तेल टपका दिया और उंगली से तेल को उसकी गांड के अंदर तक डाल कर एकदम चिकनी कर दिया।
फिर शीशी बिस्तर पर किनारे रख दिया और एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से ज्योति की गांड को फैला कर सुपारे को सीधा ज्योति की गांड के छेद पर रख दिया।
उसके बाद दोनों हाथों से उसकी कमर अगल-बगल से पकड़ कर धीरे-धीरे लंड को उसकी गांड में डालने लगे।
ज्यादा तो नहीं … पर दर्द का हल्का सा असर ज्योति के चेहरे पर दिख रहा था.
उसने आंखें बंद किये अपने होठों को दांतों में भींच लिया था।
करीब आधे से ज्यादा लंड ज्योति की गांड में डाल कर अंकल 10-15 सेकेंड के लिए रुके और फिर दोबारा जोर लगा कर पूरा लंड ज्योति की गांड में डाल दिया।
फिर कुछ देर के लिए रुके और हल्का-हल्का अपने कमर को हिला कर उसकी गांड मारने लगे।
ज्योति के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी।
अब ऐसा लग रहा था कि उसे दर्द से ज्यादा मजा आने लगा था।
वह भी हल्का-हल्का गांड से अपने पापा के लंड पर धक्का मार रही थी।
मैं बेड पर बगल में बैठ चुपचाप देख रही थी।
मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई थी।
मैं अपनी जांघ को थोड़ा फैला कर हाथ से अपनी चूत को हिलाने लगी।
उधर ज्योति ने एक हाथ को बिस्तर पर टिकाये दूसरे हाथ से अपनी चूत को तेजी से सहलाती हुई गांड मरा रही थी।
उसके पापा ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी थी।
ज्योति तेजी से सिसकारी ले रही थी- आआ आआआ आहह ह्ह्ह ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह!
5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा … अंकल ज्योति की गांड मारते हुए मुझे चूत सहलाती देख रहे थे।
मुझे चूत सहलाती देखकर वे शायद और ज्यादा कामिक हो गए क्योंकि वो तेजी से कमर हिलाते हुए ज्योति की गांड मारने लगे थे और मुझे भी देख जा रहे थे।
यह देख कर मेरी भी उत्तेजना बढ़ गई, मैं बेड पर पीछे की ओर या एक हाथ से कोहनी का टेक लेकर आधा लेट गई और अपनी जांघ को अगल-बगल पूरी फैला कर दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी।
अंकल भी दुगुनी स्पीड से अपनी बेटी की गांड मारने लगे थे.
उधर ज्योति कमर को तेजी से हिलाते हुए अपने पापा का लंड गांड में ले रही थी।
ज्योति की सिसकारी तेज होती जा रही थी।
वह तेजी से एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी- आह हहह हहहह … पापा पापा पपा … आआआ आआआ आआ आआ आआह हहह हहहह!
ज्योति की चूत पानी छोड़ने वाली थी शायद!
उसने अपनी दोनों जांघों को एकदम चिपका लिया और फिर दोनों हाथों की कोहनी को बिस्तर पर टिका कर हांफने लगी।
उधर अंकल भी कमर को तेजी से धक्का देते हुए ज्योति की गांड मार रहे थे।
वे भी शायद झड़ने वाले थे क्योंकि उन्होंने अपने होठों को दबा लिया था और आंखें बंद कर ज्योति की गांड मारे जा रहे थे।
अचानक झटका लेते हुए ज्योति की गांड को एकदम अपने कमर से चिपका लिया और ‘आआ आह्ह्ह्ह … आआ आआह्ह्ह्ह …’ की तेज सिसकारी लेते हुए ज्योति की गांड में ही लंड का सारा पानी निकाल दिया।
ज्योति की गांड में ही अपना लंड डाले … वे तेजी से हांफ रहे थे और आंखें बंद किये हुए अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे।
उधर ज्योति अब थोड़ा नॉर्मल हो रही थी … अंकल का लंड अभी-भी ज्योति की गांड में ही था।
थोड़ा नॉर्मल होने के बाद अंकल ने ज्योति की गांड से अपना लंड निकाल लिया और बिस्तर के पास आकर एक कपड़े से पहले अपने लंड को साफ किया और फिर ज्योति की गांड को भी कपड़े से पौंछ दिया।
अंकल का लंड ढीला होकर लटक रहा था।
ढीला होने के बावज़ूद अंकल का लंड लंबा और मोटा दिख रहा था।
ज्योति अब सीधा होकर बिस्तर पर मेरे बगल बैठ गई।
इधर मेरी चूत में दोबारा खुजली शुरू हो चुकी थी।
मगर मुझे लग रहा था कि अंकल के लंड से तो आज चूत की खुजली नहीं मिटेगी क्योंकि अंकल दो बार झड़ चुके थे.
एक बार बीवी की चूत में और दूसरी बार बेटी की गांड में!
तो अब तीसरी बार के लिए इतनी जल्दी दोबारा शायद तैयार नहीं हो पायेंगे।
अभी मैं ये सब सोच ही रही थी कि मैंने देखा कि अंकल जो अभी तक चुपचाप खड़े होकर हम दोनों की तरफ देख रहे थे … अब एक हाथ से अपने लंड को फिर से सहलाने लगे थे।
ज्योति अपने पापा को लंड हिलाते देख कर मजाक में बोली- अब किसकी तैयारी कर रहे हैं पापा?
फिर मेरी या देख कर आँख मारते हुए कहा- अब अगला शिकार तुम हो गरिमा … तैयार हो जाओ।
मैं मुस्कुराने लगी।
वहीं किचन से खटर-पटर की आवाज के साथ ही किसी के बात करने की आवाज भी आ रही थी।
मैंने पूछा- आंटी किस से बात कर रही हैं; कोई आया है क्या?
ज्योति बोली- अरे कामवाली आई है।
मैंने कहा- कमरे में तो नहीं आएगी ना?
इस पर ज्योति मुस्कुराती हुई बोली- अरे आ भी गई तो क्या हुआ … पापा अपनी बंदूक फिर से लोड कर ही रहे हैं … उसका भी शिकार कर लेंगे।
हम तीनों हंस पड़े।
इधर मेरी चूत की खुजली और बढ़ गई थी।
अंकल मुस्कुराते हुए ज्योति से बोले- अरे अपने सहेली से भी तो पूछ लो उसे क्या पसंद है।
मैं मुस्कुराने लगी तो ज्योति बोली- भाई, तुम्हीं बता दो कि तुम्हें क्या पसंद है।
मैं तो वैसे ही चूत में हो रही खुजली को मिटाना चाह रही थी।
मैंने नखरा दिखाते हुए मुस्कुरा कर कहा- पीछे वाला तो आज रहने दीजिए अंकल, बाकी के लिए मैं तैयार हूं।
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- पीछे वाला क्या मतलब बोलो?
फिर ज्योति से बोले- ज्योति क्या कह रही है तुम्हारी दोस्त … मुझे तो समझ में नहीं आ रहा।
मैं समझ गई कि अंकल चुदाई की बात मेरे मुंह से सुनना चाह रहे थे.
तो मैं हंसती हुई बोली- मेरा मतलब आज मेरी गांड को छोड़ दीजिए.
ज्योति अपने पापा से बोली- अरे क्यों परेशान कर रहे हैं उसे पापा … वैसे भी आज पहला दिन है सब कुछ एक ही दिन में थोड़ी सीख जाएगी बेचारी … धीरे-धीरे सब सिखा दिया जाएगा.
इतने में अंकल मेरे सामने आकर खड़े हो गए।
वे अभी भी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे हिला रहे थे। वे शायद अपने लंड को फिर से खड़ा करना चाह रहे थे।
ज्योति मुझसे बोली- भाई, अब अगर तुम्हें मजा लेना है तो पापा की मदद करनी पड़ेगी।
मैं मुस्कुराते हुए मासूमियत से बोली- अरे मैंने कब मन किया है, मैं तो तैयार हूं, करना क्या है, ये तो बताओ?
इस पर अंकल मेरे एकदम पास आकर लंड को हिला कर बोले- बस इसे फिर से टाइट करना है, जैसा पहले किया था।
मैंने ज्योति की ओर देखा तो ज्योति मुस्कुराती हुई बोली- सिखा तो दिया है … अब करो।
मैं झुक कर लंड का सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी।
लंड चूसते समय मैंने महसूस किया कि वो थोड़ा ढीला था लेकिन उसमें हल्का-हल्का तनाव आ रहा था।
करीब 2-3 मिनट तक चूसने के बाद अभी लंड पूरा तरह खड़ा नहीं हुआ था।
इधर मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी।
तभी मेरे दिमाग में लंड को खड़ा करने का एक नया तरीका आया जिससे लंड भी खड़ा हो जाएगा और मेरी कुलबुलाती चूत को भी थोड़ा आराम मिलेगा।
मैं लंड चूसना छोड़ कर बिस्तर से उठ गई और अंकल के ठीक सामने उनकी या मुंह करे एकदम चिपक कर खड़ी हो गई।
फिर एक हाथ से उनका लंड पकड़ा और अपनी जांघों को हल्का सा फैलाते हुए कमर को आगे कर दिया या करके खड़े-खड़े लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी।
अंकल को शायद इसमें ज्यादा मजा आने लगा था और थोड़ी ही देर में उनका लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और खड़ा हो गया।
दरअसल यह ट्रिक मुझे मेरे छोटे भाई सोनू ने सिखाई थी।
होता क्या था कि मुझे लंड चुनने में और उसका गाढ़ा नमकीन पानी पीने में बहुत मजा आता था।
तो जब तक वो मेरे मुंह में नहीं आया, तब तक सोनू का लंड झड़ जाता था और फिर मेरे लंड का सारा गाढ़ा-गाढ़ा और स्वादिष्ट नमकीन पानी पी जाती थी।
मगर चूत चुदवाने के लिए लंड को दोबारा खड़ा करना होता था तो सोनू अक्सर इसी तरह खड़े होकर अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ता था जिससे थोड़ी देर में उसका लंड दोबारा खड़ा हो जाता था.
इसमें मुझे भी बहुत मजा आता था इसलिए मैं अक्सर सोनू के लंड को खड़े होकर अपनी चूत से रगड़ती थी।
इधर मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और चूत का पानी अंकल के लंड पर लग गया था।
अंकल समझ गए थे कि मैं चुदासी हो चुकी हूं।
वे मुझसे बोले- हो गया बेटा … अब पीछे घूम जाओ और बिस्तर का टेक लेकर खड़ी हो जाओ।
मैंने अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिका दिया और झुक कर खड़ी हो गई।
अंकल ठीक मेरे पीछे आकर खड़े हो गए उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था।
मैं बोली- अंकल, प्लीज गांड मुझे मत डालियेगा।
अंकल ने बिना कुछ बोले लंड को मेरी चूत के मुँह पर रख दिया और एक ही धक्के में आधा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई- आआआ आआह्ह!
मैं बोली- धीरे से अंकल … आआ आआह्ह!
अंकल धीरे-धीरे अपने कमरे को हिला कर मुझे चोदने लगे और कुछ ही देर पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया।
https://dedupelist.com/
दरअसल सोनू के बाहर जाने के बाद से आज करीब 4-5 महीने के बाद मेरी चूत में कोई लंड घुसा था, इसलिए थोड़ा दर्द हुआ।
मगर 1-2 मिनट की चुदाई के बाद मेरा भी दर्द ख़त्म हो गया और मैं भी गांड उछाल-उछल कर चुदवाने लगी, अंकल से चुदाई का मजा लेने लगी.
ज्योति चुपचाप बैठी अपने पापा को मेरी चुदाई करते हुए देख रही थी।
करीब 4-5 मिनट की चुदाई के बाद मुझे ऐसा लगा कि सारा खून मेरी चूत की तरफ आ रहा हो … मेरी चूत से पानी निकलने वाला था।
मैं तेजी से अपनी कमर से अंकल के लंड पर धक्के मारते हुए सिसकारी लेने लगी- आआ आआआ आअह्ह ह्हह … आआ आआ आआआ आआआ!
उधर अंकल ने भी अपनी स्पीड दोगुनी कर दी थी … शायद वे भी झड़ने वाले थे।
मैं तेजी से सिसकारी ले रही थी- आआआ आआ आआआ जा रहा है … आआआ आआस्स्स स्स्स्स् स्श्श!
और अचानक मैं अपनी कमर को तेज झटका देने लगी।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वहीं अंकल अभी भी तेजी से मुझे चोद रहे थे।
उनके मुँह से भी सिसकारी निकल रही थी- बस्स शस्श्सस … बेटा … आहह हहह!
इसके बाद वे तेजी से अपनी कमर को झटका देते हुए मेरी चूत में ही झड़ गए।
इधर मैं तेजी से हाँफ रही थी, उधर अंकल मेरी पीठ पर हाय अपना सिर रख कर हाँफ रहे थे।
उनका लंड अभी भी मेरी चूत में ही था.
उनके लंड का गाढ़ा पानी चूत से निकल कर मेरी जांघ पर भी रिस रहा था।
थोड़ी देर बाद अंकल सीधे खड़े हो गए और मेरी चूत से अपने लंड को निकाल लिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गए।
मैं भी सीधी होकर बिस्तर पर बैठ गई और कपड़े से अपनी चूत और जाँघों को साफ किया।
फिर हम तीनों कपड़े पहनने लगे.
![]()




























































