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Update 10 सहेली के पापा-C फिर मैंने भी अपनी लैगिंग को खींच कर नीचे कर दिया और फिर झुक कर पूरी पैरों से बाहर निकाल दिया।
मैंने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी।
अब कमरे में हम तीनों मैं, ज्योति और उसके पापा नंगे खड़े थे।
अंकल थोड़ा आगे खिसक कर मेरे पास आ गए और मेरी एक हाथ मेरी चूची पर रख कर सहलाने लगे।
चूची सहलाते-सहलाते वो थोड़ा झुके और मेरी एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे।
मेरी दूसरी चूची को वो अभी भी अपने हाथ से सहला रहे थे।
अब आगे: मैं समझ गई कि अंकल को गांड मारने में ज्यादा मजा आता है।
वैसे सोनू (मेरा छोटा भाई) भी मेरी गांड काई बार मार चुका था मगर ज्योति के पापा के लंड का साइज में सोनू का लंड बड़ा और मोटा था।
मेरी चूत तो लंड के साथ, मोटे-मोटे बैगन और मूली को भी झेल चुकी है तो वो अंकल का लंड भी आसान से झेल लेगी।
मगर इतना बड़ा लंड मेरी गांड में कभी नहीं गया था और ना ही मैंने कभी बैगन और मूली गांड में डाली थी।
ज्योति मुझसे बोली- वैसे भी आज जो तू चाहे वही होगा।
मैंने पॉर्न मूवी में तो देखा था मगर कभी खुद खड़े होकर चूट नहीं चटवायी थी।
तो मैंने कहा- ठीक है, तो खड़े होकर ही कर लेते हैं।
इस पर अंकल मेरे सामने बैठ गए।
अब उनका मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था।
अंकल अपने दोनों हाथ को मेरी चूत के अगल-बगल जांघों पर रख कर मेरे पैरों को हल्का सा फैलाने की कोशिश करने लगे।
जिस पर मैंने खुद ही अपने पैरों को फैला कर चूत को उनके मुंह के पास कर दिया।
अंकल ने अपनी नाक को मेरी चूत के पास लाकर पहले चूत की खुशबू ली।
और फिर अपनी उंगलियों से मेरी चूत के दोनों फाँकों को फैला दिया और जीभ से चाटने लगे।
मेरे बदन में करंट सा दौड़ने लगा।
मैंने अपने दोनों हाथों को अंकल के सर पर रख दिया और उत्तेजना में अपने कमर को हल्का-हल्का हिला कर चूत चटवाने लगी।
ज्योति मेरे पीछे आकर मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई अपने दोनों हाथ को अगल-बगल से आगे लेकर मेरी चूचियों को दबाने लगी।
उसकी चूची मेरी पीठ से दबी हुई थी।
मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी।
मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं- आआआह …उह … आआ आआह … उम्म … आआ … हांह!
ऐसे लग रहा था कि शरीर का सारा खून छूट रहा है।
चूत चटवाते हुए अभी 4-5 मिनट हुए होंगे कि अचानक मुझे लगा जैसे चूत की नसें फटने वाली हों।
मेरा चेहरा एकदम गर्म हो गया था।
मैंने अंकल का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर चिपका दिया और कमर को तेजी से हिलाने लगी।
अंकल अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल कर तेजी से हिला रहे थे।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी- आआआह … आआहाहा … आआ आआ आहा … अंकल और तेज … हां हाँअ … बस्स्स स्स्स … अंकल.. आआ आआआ आआ निकलने वाला है।
मैं तेजी से अपनी कमर को झटके देने लगी और फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
हल्के ठंड के मौसम में भी मेरे शरीर पर पसीना आ गया था।
मैं एकदम निढाल हो गई थी।
अगर ज्योति ने मुझे पीछे से पकड़ा ना होता तो मैं शायद गिर जाती।
अंकल ने मेरी चूत का पूरा पानी चाट कर साफ कर दिया और खड़े हो गए।
मैं बिस्तर पर बैठ गई, पैरों को नीचे लटकाए हुए आंख बंद कर लेट गई और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
मैं अभी भी हांफ रही थी।
एक-दो मिनट में थोड़ा सामान्य होने पर मैंने आंखें खोली तो देखा कि ज्योति मेरे बगल में ही नीचे खड़ी है और झुक कर अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिकाए हुए है।
अंकल ज्योति के पीछे घुटनोंके बल नीचे बैठ कर उसकी चूत चाट रहे हैं।
मैं उठकर बैठ गई और वही ज्योति के बगल में ही बिस्तर पर बैठी रही।
मैंने देखा कि ज्योति के पापा ज्योति की चूत चाटने के साथ ही उसकी गांड के छेद को भी जीभ से चाट रहे थे।
कुछ देर पहले ही मेरी चूत का पानी निकला था मगर बाप-बेटी के बीच का ये सेक्स सीन देखकर मेरी कमसिन चूत में एक बार फिर कुलबुली होने लगी।
ज्योति उत्तेजना में आंखें बंद कर चूत और गांड चटवा रही थी।
थोड़ी देर तक तो मैं उन दोनों बाप बेटी को ओरल सेक्स करती देखती रही, फिर मैं बैठे-बैठे ज्योति की चूची को एक हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।
जैसे ही मैंने उसकी चूची को पकड़ा, ज्योति ने आंखें खोलकर मुझे देखा और फिर मदहोशी में ही हल्का सा मुस्कुराई और फिर आंख बंद कर मजे से अपने पापा से चूत चटवाती रही।
उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी.
तभी ज्योति के पापा ने चूत चाटना छोड़ कर खड़े हो गए।
मैंने देखा कि उनका लंड एकदम तना हुआ था और ठीक ज्योति की गांड के पीछे था।
ज्योति भी खड़ी हो गई और मुड़ कर अपने पापा से थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए बोली- क्या पापा … थोड़ी देर और चाटते ना … बस पानी निकालने ही वाला था मेरा!
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- अरे, यही तो नहीं चाहता था मैं! तुम्हारा पानी निकल जाता है तो तुम मेरी पसंद वाला काम नहीं करने देती हो।
इस पर ज्योति मेरी तरफ इशारा करते हुए मुस्कुरा कर बोली- अरे तो क्या हुआ, मेरी सखी तो है ना … आपकी पसंद का काम ये कर देती।
ज्योति फिर मेरे गाल पर चुटकी काट कर बोली- तू समझ रही है या नहीं पापा की पसंद? पापा को आगे से ज्यादा पीछे वाला पसंद है.
अंकल बोले- अरे तुम आगे और पीछे वाला क्या होता है ज्योति … ठीक से बताओ ना अपनी सहेली को!
ज्योति हंसती हुई मुझसे बोली- अरे पापा को चूत चोदने से ज्यादा गांड मारना पसंद है … अब समझी या नहीं?
बाप-बेटी की लंड चूत सेक्स की बातचीत में मुझे भी मजा आ रहा था और अब तक मैं भी बेशर्म बन चुकी थी।
मैंने हंसते हुए कहा- अरे तो क्या हुआ, जो अंकल चाह रहे हैं वो क्यों नहीं कर देती?
इस पर अंकल और ज्योति दोनों हंसने लगे।
ज्योति बोली- अरे बड़ी चिंता है अंकल की … तो तू ही क्यों नहीं उनकी पसंद को पूरा कर दे रही?
मैंने कहा- ठीक है. मगर पहले आप दोनों कर के दिखाओ तो फिर मैं भी कर लूंगी।
फिर हम तीनों हंस दिये।
अंकल ज्योति से बोले- चलो तुम्हारी सखी को ये भी कर के दिखाते हैं।
ज्योति बोली- हां, आपको तो बस मौका मिलना चाहिए मेरी गांड मारने का!
यह कहकर ज्योति ने पहले की तरह अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिका लिया और झुक कर खड़ी हो गई और अपने पापा से बोली- पापा, प्लीज थूक लगा कर मत करिएगा. क्रीम लगा लीजिए।
अंकल ने बिस्तर के सिरहाने में लगे दराज में से एक शीशी निकाली और ज्योति के पीछे आकर खड़े हो गए।
उन्होंने शीशी में से तेल लेकर पहले अपने लंड पर लगाया, फिर ज्योति की गांड के छेद पर थोड़ा सा तेल टपका दिया और उंगली से तेल को उसकी गांड के अंदर तक डाल कर एकदम चिकनी कर दिया।
फिर शीशी बिस्तर पर किनारे रख दिया और एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दूसरे हाथ से ज्योति की गांड को फैला कर सुपारे को सीधा ज्योति की गांड के छेद पर रख दिया।
उसके बाद दोनों हाथों से उसकी कमर अगल-बगल से पकड़ कर धीरे-धीरे लंड को उसकी गांड में डालने लगे।
ज्यादा तो नहीं … पर दर्द का हल्का सा असर ज्योति के चेहरे पर दिख रहा था.
उसने आंखें बंद किये अपने होठों को दांतों में भींच लिया था।
करीब आधे से ज्यादा लंड ज्योति की गांड में डाल कर अंकल 10-15 सेकेंड के लिए रुके और फिर दोबारा जोर लगा कर पूरा लंड ज्योति की गांड में डाल दिया।
फिर कुछ देर के लिए रुके और हल्का-हल्का अपने कमर को हिला कर उसकी गांड मारने लगे।
ज्योति के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल रही थी।
अब ऐसा लग रहा था कि उसे दर्द से ज्यादा मजा आने लगा था।
वह भी हल्का-हल्का गांड से अपने पापा के लंड पर धक्का मार रही थी।
मैं बेड पर बगल में बैठ चुपचाप देख रही थी।
मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई थी।
मैं अपनी जांघ को थोड़ा फैला कर हाथ से अपनी चूत को हिलाने लगी।
उधर ज्योति ने एक हाथ को बिस्तर पर टिकाये दूसरे हाथ से अपनी चूत को तेजी से सहलाती हुई गांड मरा रही थी।
उसके पापा ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी थी।
ज्योति तेजी से सिसकारी ले रही थी- आआ आआआ आहह ह्ह्ह ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह!
5 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा … अंकल ज्योति की गांड मारते हुए मुझे चूत सहलाती देख रहे थे।
मुझे चूत सहलाती देखकर वे शायद और ज्यादा कामिक हो गए क्योंकि वो तेजी से कमर हिलाते हुए ज्योति की गांड मारने लगे थे और मुझे भी देख जा रहे थे।
यह देख कर मेरी भी उत्तेजना बढ़ गई, मैं बेड पर पीछे की ओर या एक हाथ से कोहनी का टेक लेकर आधा लेट गई और अपनी जांघ को अगल-बगल पूरी फैला कर दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी।
अंकल भी दुगुनी स्पीड से अपनी बेटी की गांड मारने लगे थे.
उधर ज्योति कमर को तेजी से हिलाते हुए अपने पापा का लंड गांड में ले रही थी।
ज्योति की सिसकारी तेज होती जा रही थी।
वह तेजी से एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी- आह हहह हहहह … पापा पापा पपा … आआआ आआआ आआ आआ आआह हहह हहहह!
ज्योति की चूत पानी छोड़ने वाली थी शायद!
उसने अपनी दोनों जांघों को एकदम चिपका लिया और फिर दोनों हाथों की कोहनी को बिस्तर पर टिका कर हांफने लगी।
उधर अंकल भी कमर को तेजी से धक्का देते हुए ज्योति की गांड मार रहे थे।
वे भी शायद झड़ने वाले थे क्योंकि उन्होंने अपने होठों को दबा लिया था और आंखें बंद कर ज्योति की गांड मारे जा रहे थे।
अचानक झटका लेते हुए ज्योति की गांड को एकदम अपने कमर से चिपका लिया और ‘आआ आह्ह्ह्ह … आआ आआह्ह्ह्ह …’ की तेज सिसकारी लेते हुए ज्योति की गांड में ही लंड का सारा पानी निकाल दिया।
ज्योति की गांड में ही अपना लंड डाले … वे तेजी से हांफ रहे थे और आंखें बंद किये हुए अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे।
उधर ज्योति अब थोड़ा नॉर्मल हो रही थी … अंकल का लंड अभी-भी ज्योति की गांड में ही था।
थोड़ा नॉर्मल होने के बाद अंकल ने ज्योति की गांड से अपना लंड निकाल लिया और बिस्तर के पास आकर एक कपड़े से पहले अपने लंड को साफ किया और फिर ज्योति की गांड को भी कपड़े से पौंछ दिया।
अंकल का लंड ढीला होकर लटक रहा था।
ढीला होने के बावज़ूद अंकल का लंड लंबा और मोटा दिख रहा था।
ज्योति अब सीधा होकर बिस्तर पर मेरे बगल बैठ गई।
इधर मेरी चूत में दोबारा खुजली शुरू हो चुकी थी।
मगर मुझे लग रहा था कि अंकल के लंड से तो आज चूत की खुजली नहीं मिटेगी क्योंकि अंकल दो बार झड़ चुके थे.
एक बार बीवी की चूत में और दूसरी बार बेटी की गांड में!
तो अब तीसरी बार के लिए इतनी जल्दी दोबारा शायद तैयार नहीं हो पायेंगे।
अभी मैं ये सब सोच ही रही थी कि मैंने देखा कि अंकल जो अभी तक चुपचाप खड़े होकर हम दोनों की तरफ देख रहे थे … अब एक हाथ से अपने लंड को फिर से सहलाने लगे थे।
ज्योति अपने पापा को लंड हिलाते देख कर मजाक में बोली- अब किसकी तैयारी कर रहे हैं पापा?
फिर मेरी या देख कर आँख मारते हुए कहा- अब अगला शिकार तुम हो गरिमा … तैयार हो जाओ।
मैं मुस्कुराने लगी।
वहीं किचन से खटर-पटर की आवाज के साथ ही किसी के बात करने की आवाज भी आ रही थी।
मैंने पूछा- आंटी किस से बात कर रही हैं; कोई आया है क्या?
ज्योति बोली- अरे कामवाली आई है।
मैंने कहा- कमरे में तो नहीं आएगी ना?
इस पर ज्योति मुस्कुराती हुई बोली- अरे आ भी गई तो क्या हुआ … पापा अपनी बंदूक फिर से लोड कर ही रहे हैं … उसका भी शिकार कर लेंगे।
हम तीनों हंस पड़े।
इधर मेरी चूत की खुजली और बढ़ गई थी।
अंकल मुस्कुराते हुए ज्योति से बोले- अरे अपने सहेली से भी तो पूछ लो उसे क्या पसंद है।
मैं मुस्कुराने लगी तो ज्योति बोली- भाई, तुम्हीं बता दो कि तुम्हें क्या पसंद है।
मैं तो वैसे ही चूत में हो रही खुजली को मिटाना चाह रही थी।
मैंने नखरा दिखाते हुए मुस्कुरा कर कहा- पीछे वाला तो आज रहने दीजिए अंकल, बाकी के लिए मैं तैयार हूं।
अंकल मुस्कुराते हुए बोले- पीछे वाला क्या मतलब बोलो?
फिर ज्योति से बोले- ज्योति क्या कह रही है तुम्हारी दोस्त … मुझे तो समझ में नहीं आ रहा।
मैं समझ गई कि अंकल चुदाई की बात मेरे मुंह से सुनना चाह रहे थे.
तो मैं हंसती हुई बोली- मेरा मतलब आज मेरी गांड को छोड़ दीजिए.
ज्योति अपने पापा से बोली- अरे क्यों परेशान कर रहे हैं उसे पापा … वैसे भी आज पहला दिन है सब कुछ एक ही दिन में थोड़ी सीख जाएगी बेचारी … धीरे-धीरे सब सिखा दिया जाएगा.
इतने में अंकल मेरे सामने आकर खड़े हो गए।
वे अभी भी एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर धीरे-धीरे हिला रहे थे। वे शायद अपने लंड को फिर से खड़ा करना चाह रहे थे।
ज्योति मुझसे बोली- भाई, अब अगर तुम्हें मजा लेना है तो पापा की मदद करनी पड़ेगी।
मैं मुस्कुराते हुए मासूमियत से बोली- अरे मैंने कब मन किया है, मैं तो तैयार हूं, करना क्या है, ये तो बताओ?
इस पर अंकल मेरे एकदम पास आकर लंड को हिला कर बोले- बस इसे फिर से टाइट करना है, जैसा पहले किया था।
मैंने ज्योति की ओर देखा तो ज्योति मुस्कुराती हुई बोली- सिखा तो दिया है … अब करो।
मैं झुक कर लंड का सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगी।
लंड चूसते समय मैंने महसूस किया कि वो थोड़ा ढीला था लेकिन उसमें हल्का-हल्का तनाव आ रहा था।
करीब 2-3 मिनट तक चूसने के बाद अभी लंड पूरा तरह खड़ा नहीं हुआ था।
इधर मेरी चूत की खुजली बढ़ती जा रही थी।
तभी मेरे दिमाग में लंड को खड़ा करने का एक नया तरीका आया जिससे लंड भी खड़ा हो जाएगा और मेरी कुलबुलाती चूत को भी थोड़ा आराम मिलेगा।
मैं लंड चूसना छोड़ कर बिस्तर से उठ गई और अंकल के ठीक सामने उनकी या मुंह करे एकदम चिपक कर खड़ी हो गई।
फिर एक हाथ से उनका लंड पकड़ा और अपनी जांघों को हल्का सा फैलाते हुए कमर को आगे कर दिया या करके खड़े-खड़े लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगी।
अंकल को शायद इसमें ज्यादा मजा आने लगा था और थोड़ी ही देर में उनका लंड एकदम लोहे की तरह कड़ा और खड़ा हो गया।
दरअसल यह ट्रिक मुझे मेरे छोटे भाई सोनू ने सिखाई थी।
होता क्या था कि मुझे लंड चुनने में और उसका गाढ़ा नमकीन पानी पीने में बहुत मजा आता था।
तो जब तक वो मेरे मुंह में नहीं आया, तब तक सोनू का लंड झड़ जाता था और फिर मेरे लंड का सारा गाढ़ा-गाढ़ा और स्वादिष्ट नमकीन पानी पी जाती थी।
मगर चूत चुदवाने के लिए लंड को दोबारा खड़ा करना होता था तो सोनू अक्सर इसी तरह खड़े होकर अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ता था जिससे थोड़ी देर में उसका लंड दोबारा खड़ा हो जाता था.
इसमें मुझे भी बहुत मजा आता था इसलिए मैं अक्सर सोनू के लंड को खड़े होकर अपनी चूत से रगड़ती थी।
इधर मेरी चूत एकदम गीली हो चुकी थी और चूत का पानी अंकल के लंड पर लग गया था।
अंकल समझ गए थे कि मैं चुदासी हो चुकी हूं।
वे मुझसे बोले- हो गया बेटा … अब पीछे घूम जाओ और बिस्तर का टेक लेकर खड़ी हो जाओ।
मैंने अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर टिका दिया और झुक कर खड़ी हो गई।
अंकल ठीक मेरे पीछे आकर खड़े हो गए उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था।
मैं बोली- अंकल, प्लीज गांड मुझे मत डालियेगा।
अंकल ने बिना कुछ बोले लंड को मेरी चूत के मुँह पर रख दिया और एक ही धक्के में आधा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई- आआआ आआह्ह!
मैं बोली- धीरे से अंकल … आआ आआह्ह!
अंकल धीरे-धीरे अपने कमरे को हिला कर मुझे चोदने लगे और कुछ ही देर पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया।
दरअसल सोनू के बाहर जाने के बाद से आज करीब 4-5 महीने के बाद मेरी चूत में कोई लंड घुसा था, इसलिए थोड़ा दर्द हुआ।
मगर 1-2 मिनट की चुदाई के बाद मेरा भी दर्द ख़त्म हो गया और मैं भी गांड उछाल-उछल कर चुदवाने लगी, अंकल से चुदाई का मजा लेने लगी.
ज्योति चुपचाप बैठी अपने पापा को मेरी चुदाई करते हुए देख रही थी।
करीब 4-5 मिनट की चुदाई के बाद मुझे ऐसा लगा कि सारा खून मेरी चूत की तरफ आ रहा हो … मेरी चूत से पानी निकलने वाला था।
मैं तेजी से अपनी कमर से अंकल के लंड पर धक्के मारते हुए सिसकारी लेने लगी- आआ आआआ आअह्ह ह्हह … आआ आआ आआआ आआआ!
उधर अंकल ने भी अपनी स्पीड दोगुनी कर दी थी … शायद वे भी झड़ने वाले थे।
मैं तेजी से सिसकारी ले रही थी- आआआ आआ आआआ जा रहा है … आआआ आआस्स्स स्स्स्स् स्श्श!
और अचानक मैं अपनी कमर को तेज झटका देने लगी।
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वहीं अंकल अभी भी तेजी से मुझे चोद रहे थे।
उनके मुँह से भी सिसकारी निकल रही थी- बस्स शस्श्सस … बेटा … आहह हहह!
इसके बाद वे तेजी से अपनी कमर को झटका देते हुए मेरी चूत में ही झड़ गए।
इधर मैं तेजी से हाँफ रही थी, उधर अंकल मेरी पीठ पर हाय अपना सिर रख कर हाँफ रहे थे।
उनका लंड अभी भी मेरी चूत में ही था.
उनके लंड का गाढ़ा पानी चूत से निकल कर मेरी जांघ पर भी रिस रहा था।
थोड़ी देर बाद अंकल सीधे खड़े हो गए और मेरी चूत से अपने लंड को निकाल लिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गए।
मैं भी सीधी होकर बिस्तर पर बैठ गई और कपड़े से अपनी चूत और जाँघों को साफ किया।
Update 11
पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि कैसे गरिमा ने अपनी सहेली के पापा से अपनी चुदाई करवाई..
थोड़ी देर बाद अंकल सीधे खड़े हो गए और मेरी चूत से अपने लंड को निकाल लिया और बिस्तर पर जाकर बैठ गए।
मैं भी सीधी होकर बिस्तर पर बैठ गई और कपड़े से अपनी चूत और जाँघों को साफ किया।
फिर हम तीनों कपड़े पहनने लगे.…
अब आगे….
हम तीनों को कपड़ा पहनते देख कर बोली- अरे वाह, बड़ी जल्दी काम हो गया तुम लोगों का। मुझे तो लगा अभी फिल्म चल रही होगी. मगर यहां तो फिल्म खत्म हो चुकी है।
सब हंस दिये.
फिर वे अंकल से बोलीं- आपके ऑफिस से दो बार फोन आ चुका है।
ये सुनते ही अंकल बोले- ओहू ओ … अब तुम बैठो मैं चलता हूं.
और वे कमरे से बाहर निकल गए।
आंटी बोलीं- हां, काम तो हो ही गया. अब निकल लो और क्या!
हम सब हंस दिये.
फिर आंटी मुस्कुराती हुई मुझसे बोली- क्यों बेटी, कुछ मजा आया?
अभी मैं कुछ कहती … तभी ज्योति बोली- हां अभी ट्रेनिंग चल रही है.
इस पर आंटी हंसती हुई बोली- कोई बात नहीं, ज्योति धीरे-धीरे सब सिखा देगी।
हम तीनों हंस दिये।
मुझे भी घर के लिए देर हो रही थी इसलिए मैं तुरंत घर के लिए चल दी।
रास्ते में मैं सोच रही थी कि कहां अभी 2-3 दिन पहले तक मैं एक लंड के दर्शन के लिए तरस रही थी, वहीं पिछले दो दिनों में 2-2 लंड के दर्शन हो गये. जिनसे एक का अभी-अभी चूत और मुंह में स्वाद भी लेकर आ रही हूं।
ज्योति के पापा से अपनी चुदाई करवाने के बाद मैं घर लौट आयी।
घर पहुंची तो मम्मी और बुआ भी खाना खाकर आराम कर रही थीं।
दोपहर का टाइम था।
मेरी चूत से दो-दो बार पानी निकल चुका था तो मैं आराम भी करना चाह रही थी।
और फिर आज रात में भी जगकर पापा और बुआ का खेल देखना था तो मैंने सोचा कि दिन में ही सो लिया जाए ताकि रात में जाग सकूं.
तो मैं भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई।
मैं बिस्तर पर तो आ गयी पर मेरी नींद नहीं लग रही थी, मेरे दिमाग में कई तरह के ख्याल आ रहे थे।
मेरे दिमाग में बार-बार ज्योति की वो बात गूंज रही थी जो उसने मेरे पापा के बारे में कहा था कि मेरे पापा चोरी-चोरी उसकी चूची और गांड देखते हैं।
फिर पापा को पटाने वाली बात भी उसने बोली थी।
मैं भी सोच रही थी कि पापा जब अपनी बहन (बुआ) की चुदाई कर सकते हैं तो मौका मिलने पर वे अपनी बेटी को भी चोद सकते हैं.
और आखिर वे बेटी की सखी को भी तो चोरी-चोरी कामुक नजरों से देखते हैं।
तब मैं सोचने लगी कि ज्योति सही कह रही है कि कब तक मैं उसके पापा से चूत की खुजली मिटाऊंगी; क्यों न अपने ही पापा को पटा लूँ।
और जब भाई से चुदाई करवा चुकी हूँ तो फिर पापा से भी चुदाई करवाने में क्या हर्ज है।
खैर यही सब सोचते-सोचते मैं सो गयी. जब मेरी आंख खुली तो शाम हो चुकी थी।
मैं कमरे से नीचे आई तो देखा कि पापा ऑफिस से आ चुके थे और अपने कमरे में टीवी देख रहे थे।
अब मैं रात होने का इंतज़ार करने लगी ताकि पापा और बुआ की चुदाई देख सकूँ।
लेकिन साथ-साथ मेरे दिमाग में ज्योति की बातें और पापा से चुदाई वाली बात अभी भी घूम रही थी।
फिर मैंने पक्का इरादा कर लिया कि अब मैं अपने पापा को भी पटा कर अपने घर में ही एक और लण्ड का जुगाड़ करुंगी।
वैसे भी चूत और लण्ड का सिर्फ एक ही रिश्ता होता है और वो है चुदाई का!
बस पापा को कैसे पटाया जाए …मैं यह सोचने लगी। अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। मैंने सोच लिया कि मुझे क्या करना है और ये भी कि जो करना है बुआ के रहते ही करना होगा क्योंकि फिर उनके जाने के बाद जल्दी मौका नहीं मिलेगा।
खैर जैसे तैसे रात हुई, खाना वगैरह खाकर सब अपने कमरे में सोने चले गए।
मैं और बुआ साथ ही ऊपर आई। बुआ अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में आ गई।
मैंने टाइम देखा तो रात के 11 बज रहे थे। मैं सोच रही थी कि पापा कल के ही टाइम यानि 1 बजे तक आएंगे ताकि मम्मी और मैं नींद में सो चुके हों।
कमरे में आते ही मैंने अपनी योजना के अनुसार काम शुरू कर दिया। दरवाजा बंद करके मैंने अपने कपड़े बदले और लैगिंग उतार कर पुरानी स्कूल के टाइम की ऐसी छोटी स्कर्ट पहन ली जिसमें मुश्किल से मेरी पूरी जांघ ढक पा रही थी।
ऊपर मैंने टी-शर्ट पहन ली थी.
तब मैंने दरवाजे को अनलॉक कर दिया ताकि बाहर से दरवाजा खुल सके। फिर मैंने नाइट बल्ब ऑन किया और बिस्तर पर आकर लेट गई। वैसे तो मैं अँधेरा करके सोती थी मगर आज मैंने जानबूझ कर नाइट बल्ब ऑन किया था। नाइट बल्ब की रोशनी इतनी थी कि आराम से हर चीज साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
मेरी योजना यह थी कि मैं आज पापा को अपनी चिकनी और गोरी जांघ की झलक दिखा देना चाह रही थी. क्योंकि जब तक बुआ हैं तभी पापा उनकी चुदाई के चक्कर में ऊपर आएंगे वरना बुआ के जाने के बाद रात में ऊपर आने से रहे।
तो मेरे लिए उनको पटाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। और बुआ भी बस 2-3 दिन और हमारे घर में रहने वाली थी इसलिए आज ही से मुझे शुरुआत करनी थी।
मुझे पता था कि रात में बुआ के कमरे में जाने से पहले पापा कल की तरह एक बार मेरे कमरे में जरूर चेक करेंगे कि मैं सो गई या नहीं।
खैर … बिस्तर पर आकर अब 1 बजे का इंतजार करने लगी। टाइम देखा 11.30 बजे तक. अभी करीब 1-1.30 घंटे का टाइम है। मेरा तो टाइम ही नहीं कट रहा था, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं!
डर था कि कहीं सो गयी और नींद आ गयी तो सारी योजना चौपट हो जाएगी। फिर टाइम पास के लिए मैं मोबाइल में पोर्न स्टोरीज पढ़ने लगी। स्टोरीज पढ़ते हुए 12.15 हो गये। जैसे-जैसे समय बीत रहा था मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी। मैंने मोबाइल बंद कर किनारे रख दिया और पीठ के बल लेट गई और अपनी स्कर्ट को थोड़ा ऐसे खींच कर ऊपर कर दिया कि पैंटी थोड़ा सा ढकी रहे बाकी मस्त चिकनी जांघ पापा को दिखाई दे।
अभी ये सब करते हुए कुछ ही देर हुई थी कि सीढ़ी से हल्की सी आवाज आई। टाइम देखा तो 12.30 बजे थे. मैं समझ गई कि पापा आ रहे हैं।
मैं अपने हाथ से आंख और माथे को ढक कर सोने का नाटक करने लगी। हाथ को मैंने इस तरह से आंख पर रखा था कि उसके नीचे से मैं पापा की हरकतों को देख सकूं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
अचानक मेरे दरवाजे के पास आकर चलने की आवाज बंद हो गई, मैं समझ गई कि पापा मेरे दरवाजे के सामने रुके हैं। तभी दरवाजे का हैंडल धीरे-धीरे नीचे की तरफ घूमने लगा और फिर थोड़ा रुक कर दरवाजा बहुत थोड़ा सा खुला। कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था.
करीब 10-15 सेकेंड तक दरवाजा वैसे ही रहा।
फिर दरवाजा थोड़ा और खुला अब दरवाजे के पीछे पापा एकदम साफ दिखायी दे रहे थे।
कल पापा 10-15 सेकंड बाद मेरे कमरे का दरवाजा बंद कर के बुआ के कमरे में चले गए।
मगर आज करीब 1 मिनट हो गया था और पापा दरवाजे पर ही थे। मेरी योजना काम कर रही थी, पापा मेरी चिकनी जाँघों को देखने के चक्कर में अपनी बहन की चुदाई करने नहीं जा रहे थे।
हालांकि इस दौरान मेरा दिल इस कदर तेजी से धड़क रहा था कि मैं धड़कन को सुन सकती थी।
करीब 2 मिनट बीत गए, पापा उसी तरह खड़े रहे और मैं भी उसे तरह तरह लेटी रही। अभी मैं कुछ और सोचती कि अचानक मैंने जो देखा उसे मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। दरअसल पापा मुझे और करीब से देखने के चक्कर में दरवाजे से थोड़ा अंदर तक आ गए थे।
मेरी निगाह जैसे ही नीचे गई तो देखा कि पापा अपने लंड को लुंगी के ऊपर से सहला रहे थे और मेरी जांघ को एकटक देख रहे थे। अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना आज ही पापा को अपनी गांड के भी दर्शन करा दूं।
मैं जानती थी कि मेरी स्कर्ट इतनी छोटी है कि अगर मैं करवट बदल कर गांड को पापा की तरफ कर दूं तो स्कर्ट मेरी गांड को जरा भी ढक नहीं पाएगी।
बस मैंने बिना देर किए नींद में करवट बदलने का नाटक करते हुए अपनी गांड पापा की तरफ घुमा कर सो गई। मैंने जानबूझ कर इस तरह करवट बदली थी कि मेरी पूरी स्कर्ट खिसक कर मेरी कमर तक पर आ गई थी।
अब पापा की निगाह और मेरी गांड के बीच में सिर्फ मेरी पतली सी पैंटी थी। पैंटी तो वैसे भी मेरी गांड को ढक नहीं पाती थी और वो गोल गांड के दोनों दरारों के बीच में चली जाती थी।
हालांकि मैं अब पापा को देख नहीं पा रही थी मगर इतना जरूर जान रही थी कि पापा को मेरी गांड दिख रही है। इस तरह लेटे हुए मुझे करीब 2 मिनट हो गए. तभी मुझे धीरे से दरवाजा बंद होने की आवाज आई।
मैं समझ गई कि पापा कमरे से चले गए हैं।
फिर मुझे बुआ के कमरे का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मैं समझ गई की पापा बुआ की चुदाई करने चले गए हैं।
मैं धीरे से पलटी और उठ कर पीछे की बालकनी का दरवाजा धीरे से खोल कर कल की तरह बुआ के कमरे की खिड़की के पास जाकर बैठ गई और अंदर देखने लगी। अंदर पापा सिर्फ बनियान में थे, उन्होंने अपनी लुंगी उतार दी थी।
उनका लंड एकदम तन कर खड़ा था, मुझे समझ आ गया कि अपनी बेटी की गांड देख कर उनका लंड खड़ा है। बुआ चादर ओढ़ कर सोयी थीं।
पापा बिस्तर के किनारे जिधर बुआ सोई थी उनके बगल जाकर खड़े हो गए और बुआ जिस चादर को ओढ़ कर सो रही थी, उसे धीरे से उनके ऊपर से हटा दिया।
मैंने देखा कि बुआ सिर्फ ऊपर कुर्ती पहन कर सो रही थी और नीचे उन्होंने कुछ भी नहीं पहना था।
पापा के चादर हटाने पर बुआ करवट बदल कर सो गई. अब उनकी गांड पापा की तरफ हो गई थी।
बुआ की कुर्ती को पकड़ कर पापा ने कमर के ऊपर तक खिसका दिया, जिससे बुआ की नंगी गांड दिखने लगी। पापा का लंड अब बुआ की गांड के थोड़ा ऊपर तक आ रहा था।
तब पापा झुके और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर पीछे से बुआ की चूत पर रख कर एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिये। बुआ हल्का सा चिहुक उठीं।10-15 सेकंड रुकने के बाद पापा ने कमर हिला कर चुदाई शुरू कर दी.
उधर पापा आंख बंद कर तेजी से बुआ को चोद रहे थे। मुझे लग रहा था कि पापा शायद मेरे बारे में सोच कर बुआ को चोद रहे थे क्योंकि कल रात में कली की चुदाई करते वक्त पापा ने एक बार भी आँख बंद नहीं की थी।
पापा को अभी चुदाई करते हुए 2-3 मिनट ही हुए होंगे कि पापा रुक-रुक कर कमर को तेज झटका देने लगे. शायद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया था।
आज पापा जल्दी झड़ गये।
इधर मैं तेजी से अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। फिर ये सोच कर कि कहीं लौटते समय फिर पापा दरवाजा ना खोल कर झांकने लगे, मैं अपने कमरे में आ गई।
मेरी चूत ने अभी पानी नहीं छोड़ा था तो मैं पापा के जाने का इंतजार करने लगी ताकि जल्दी से मैं चूत का पानी निकालूं।
करीब 1-2 मिनट बाद बुआ के कमरे का दरवाजा बंद होने की आवाज मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटी रही।
तभी सीढ़ी से धीरे-धीरे नीचे उतरने की आवाज आने लगी, मुझे समझ आ गया कि पापा चले गए हैं। उसके बाद मैंने उठ कर नाइट बल्ब बंद किया और बिस्तर पर आकर अपनी चूत में उंगली करने लगी। करीब 5 मिनट बाद तेज झटका देते हुए मैंने पानी छोड़ दिया। फिर मैं उसी तरह सो गई।
Update 12-पापा की परी–B पिछले अपडेट में आपने पढ़ा कि कैसे गरिमा ने अपनी सहेली के पापा से चुदने के बाद अपने पापा को सिड्यूस करने का प्लान बनाया।..पिछले अपडेट से कुछ पंक्तिय…… उधर पापा आंख बंद कर तेजी से बुआ को चोद रहे थे। मुझे लग रहा था कि पापा शायद मेरे बारे में सोच कर बुआ को चोद रहे थे क्योंकि कल रात में कली की चुदाई करते वक्त पापा ने एक बार भी आँख बंद नहीं की थी।
पापा को अभी चुदाई करते हुए 2-3 मिनट ही हुए होंगे कि पापा रुक-रुक कर कमर को तेज झटका देने लगे. शायद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया था।
आज पापा जल्दी झड़ गये।
इधर मैं तेजी से अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। फिर ये सोच कर कि कहीं लौटते समय फिर पापा दरवाजा ना खोल कर झांकने लगे, मैं अपने कमरे में आ गई।
मेरी चूत ने अभी पानी नहीं छोड़ा था तो मैं पापा के जाने का इंतजार करने लगी ताकि जल्दी से मैं चूत का पानी निकालूं।
अब आगे… अगले दिन सुबह 8 बजे नींद खुली।
ज्योति की रिलेशन में कोई शादी थी इसलिए वो करीब एक हफ्ते के लिए बाहर गई थी.
तो मैं भी कॉलेज नहीं गई; दिन भर घर में ही रही.
पापा के सामने पड़ने पर वे और मैं दोनों एकदम नॉर्मल रहे।
हालांकि मैंने महसूस किया कि पापा चोरी से कई बार मुझे देख रहे थे, साथ ही मुझसे किसी ना किसी बहाने ज्यादा बात भी कर रहे थे।
खैर … फिर रात हुई, सबने खाना-पीना खाया और फिर रोज की तरह हम सब कमरे में आ गए।
मैं ठीक कल की तरह ही कपड़े पहनने और नाइट बल्ब जला कर बिस्तर पर आ गई.
फिर उसी तरह पापा आए और थोड़ी देर चोरी से मुझे देखने के बाद बुआ को चोदने चले गए।
यह सिलसिला दो दिन तक चला.
इस बीच पापा मुझसे अब पहले से काफी ज्यादा बात करने की कोशिश करने लगे।
यहां तक कि मेरे पापा अब कोई ना कोई बहाने मुझसे मजाक भी करने लगे।
मैं समझ गई कि पापा मेरे में इंटरेस्ट ले रहे थे।
उनको भी अब शायद लग रहा था कि घर में ही एक मस्त माल चोदने के लिए है तो उसका फायदा उठाया जाए।
उन्हें क्या पता कि यहां खुद उनकी बेटी कब से चुदने को तैयार बैठी है।
अब मैं भी पापा के पास किसी ना किसी बहाने से जाने लगी।
मैं तो इस चक्कर में थी कि जब तक बुआ हैं तो रात में ही कुछ मामला आगे बढ़ जाएगा।
मगर बुआ को अभी 4 दिन ही हुए थे कि फूफा जी का फोन आ गया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वे जल्दी लौट आए हैं।
तो आज पापा को ऑफिस जाते समय बुआ को उनके घर छोड़ आये।
बुआ के ऐसे अचानक चले जाने से मेरा मूड एकदम खराब हो चुका था और मायूस हो गई थी कि अच्छा-खासा पापा को पटाने का प्लान चल रहा था मगर बीच में ही बुआ चली गई।
अब बुआ थी नहीं इसलिए रात में खाना भी जल्दी हो गया।
रात 10 बजे तक खाना खाकर मैं ऊपर अपने कमरे में आ गई।
मेरा तो मन ही नहीं लग रहा था.
मैं यही सोच रही थी कि क्या करूं।
मैंने अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और बिस्तर पर आकर लेट गई।
बुआ के जाने के बाद पापा ऊपर आएंगे नहीं तो अब नाइट बल्ब जलाने का कोई मतलब भी नहीं था।
इसलिए मैं अँधेरे में ही बिस्तर पर लेटी रही।
मेरी आँखों में नींद नहीं आ रही थी.
काफ़ी देर तक करवट बदल-बदल कर सोने की कोशिश करने लगी मगर नींद बिल्कुल नहीं आ रही थी।
आंख बंद कर सोने की कोशिश की तो पिछले 3-4 दिनों में मेरे साथ जो भी हुआ था, ये सब सोच कर मुझे थोड़ी उत्तेजना भी होने लगी।
फिर मैं मोबाइल पोर्न मूवी देखते हुए अपनी चूत सहलाने लगी।
मूवी देखते हुए मेरी एक्साइटमेंट बढ़ने लगी तो मैंने अपनी पैंटी उतार दी।
अब मैं सिर्फ स्कर्ट और टी-शर्ट में थी।
जब से मैंने पापा को पटाने के बारे में सोचा था तब से मैं डैड-डॉटर वाली पॉर्न मूवी ज्यादा देखने लगी थी।
तभी मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो रात के 11.45 हो गए।
मूवी देखते हुए मैं अपनी नंगी चूत भी सहलाती जा रही थी।
अभी मूवी देखते हुए थोड़ी देर बीता था कि मुझे कुछ आवाज आयी।
मैंने टाइम देखा तो 12.15 बज रहे थे।
तो मैंने तुरंत मोबाइल बंद किया और आवाज सुनने की कोशिश करने लगी।
जैसे ही मेरी निगाह दरवाजे के नीचे से गई तो परछाई से समझ गई कि कोई खड़ा है।
मैंने तुरंत हाथ से अपनी आंखों को ढक कर सोने का नाटक करने लगी।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
मैं समझ गई थी कि मम्मी के सो जाने के बाद मेरे पापा धीरे से मुझे सोती हुई देखने आए हैं।
अभी मेरी ये सोच ही रही थी कि कमरे का दरवाजा धीरे से बहुत थोड़ा सा खुला।
पापा को लगा होगा कि शायद अंदर नाइट बल्ब जल रहा होगा।
मगर अंदर एकदम अंधेरा था।
कुछ देर रुकने के बाद पापा ने दो बार धीरे से मेरा नाम लेकर बुलाया- गरिमा … गरिमा!
पापा शायद कन्फर्म करना चाहते हैं कि मैं जागी हूं या सो रही हूं।
जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो उनको भरोसा हो गया कि मैं गहरी नींद में हूँ।
इसके बाद उन्होंने दरवाजे को थोड़ा और खोला और धीरे से हाथ अंदर डाल कर स्विच की तरफ ले जाने लगे।
मैं हाथ से आंखों को ढके चोरी से पापा की हरकत देख रही थी।
जैसे ही पापा का हाथ स्विच की तरफ बढ़ा मैं समझ गई कि वे नाइट बल्ब जला कर मुझे देखना चाह रहे हैं।
यह सोचकर ही मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
सच कहूं तो मुझे पसीना आने लगा था … पर मैं चुपचाप उसी तरह लेटी रही।
पापा ने हाथ बढ़ाकर नाइट बल्ब जला दिया।
उन्होंने बनियान और अंडरवियर पहना हुआ था।
1 मिनट तक वे दरवाज़े से ही देखते रहे।
वहीं मेरी तरफ से कोई हरकत ना होने पर उनकी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई थी और वे दरवाज़े से कमरे के अंदर मेरे बिस्तर के पास आ गए।
अब मैं अपने पापा के सामने लेटी थी।
मेरी छोटी सी स्कर्ट मेरी जांघों को पूरा ढक नहीं पा रही थी और पापा बिस्तर के बगल खड़े होकर मेरी चिकनी नंगी जांघों को निहार रहे थे।
तभी पापा ने धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर मेरी स्कर्ट को ऊपर कर दिया।
मैंने अपनी पैंटी पहले ही उतार ली थी जिससे मेरी नंगी चूत उन के सामने थी।
मेरी सांस जोर-जोर से चल रही थी।
पापा को शायद उम्मीद नहीं थी कि मैंने पैंटी नहीं पहनी होगी।
इसलिए उनकी आंखें एकटक मेरी चूत पर टिक गईं।
अभी मैं कुछ सोचती कि तभी अचानक पापा ने अपने दोनों हाथ से अपने अंडरवियर को पकड़ कर नीचे खिसका दिया।
चड्डी नीचे खिसकते ही उनका लंड झटके से बाहर आ गया।
इसके बाद वे अपने लंड को धीरे-धीरे एक हाथ से हिलाने लगे।
पापा को इस तरह अपनी चूत को देखते हुए मुठ मारते देख एक्साइटमेंट और अजीब सी फीलिंग से मेरा शरीर और चेहरा गर्म होने लगा था।
उधर पापा खिसक कर बेड के बगल आ गए और मेरी चूत के पास आकर खड़े हो गए।
मैं बेड के किनारे की तरफ ही थी इसलिए अब पापा के लंड और मेरी जांघ के बीच मुश्किल से 6 इंच की दूरी थी।
चुपचाप मैं उसी तरह लेटी रही।
मेरी तरफ से कोई हरकत ना होते देख पापा की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और वे इतने एक्साइट हो गए थे कि पापा झुक कर अपने एक हाथ से धीरे से मेरी चूत के ऊपर मेरी झांटों को सहलाने लगे।
पापा ने जैसे ही मेरी चूत को छुआ, वैसे ही मेरी बदन में करंट सा दौड़ गया।
मेरा शरीर हल्का सा हिल गया.
यह देख पापा रुक गये और जल्दी से उन्होंने अपना अंडरवियर ऊपर कर लिया।
वे डर गये थे कि कहीं मेरी नींद न खुल जाए।
मगर करीब आधा मिनट तक रुककर पापा ने रुक कर चेक किया कि मैं जग तो नहीं गयी।
मैं भी सांस रोके उसी तरह पड़ी रही।
मुझे लगा ऐसा ना हो कि पापा घबरा कर लौट जाएं।
खैर जब पापा ने सुनिश्चित कर लिया कि मैं गहरी नींद में हूँ तो उन्होंने फिर से अपने अंडरवियर को थोड़ा नीचे खिसका कर लंड को बाहर निकाल लिया।
इस बार शायद पापा कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं थे तो उन्होंने मुझे हाथ से छुआ तो नहीं लेकिन वे मेरी चूत को देखते हुए मुठ मारने लगे।
अभी मुठ मारते हुए करीब 2-3 मिनट हुए थे कि पापा के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली और अचानक उनके लंड से धार के साथ वीर्य निकल गया।
जैसे ही वीर्य निकला तो पापा ने तेजी से अपने लंड को दोनों हाथ से ढकने लगे।
शायद वे नहीं चाह रहे थे कि उनका वीर्य मेरे ऊपर गिरे या कमरे में इधर-उधर गिरे।
लेकिन उन्हें शायद अंदाजा नहीं था कि वे इतनी जल्दी और तेजी से झड़ जाएंगे।
पापा के लंड का गाढ़ा गाढ़ा वीर्य मेरी चूत, जाँघ और चादर पर फैल गया।
पहले पापा ने अपने लंड को लुंगी से पौंछा, फिर मेरी जांघ और चूत पर फैल लंड के पानी को धीरे से पौंछने की कोशिश करने लगे।
मगर मेरी नींद खुलने के डर से बस हल्का सा ही पौंछ कर वो तेजी से कमरे से बाहर निकले और फिर धीरे से दरवाजे को बंद कर चले गए।
कमरे से बाहर निकलते वक्त पापा ने घबराहट और जल्दबाजी में नाइट बल्ब बंद नहीं किया।
मैं थोड़ी देर उसी तरह लेटी रही।
जब पापा के सीढ़ी से नीचे उतरने की आवाज सुन ली, उसके बाद मैं धीरे से उठ कर बैठी।
नीचे देखा तो फर्श पर भी वीर्य फैला हुआ था।
मैंने बाथरूम में जाकर पहले अपनी जांघ और चूत पर फैले वीर्य को उंगली पर लेकर सूंघा. मुझे उसकी खुशबू अच्छी लगी.
इसके बाद मैंने उस वीर्य को अपने बदन पर से साफ किया।
फिर कमरे में आकर बेड की चादर उठाई और उसी चादर से फर्श को भी साफ कर रख दिया और फिर दूसरी चादर बिछाई और फिर कपड़े पहन कर सो गई।
अगले दिन सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली।
मैं उठी और हाथ-मुंह धोकर गंदी वाली चादर को लेकर नीचे आ गई।
नीचे आई तो देखा कि पापा चाय पीते हुए पेपर पढ़ रहे थे।
मम्मी भी उनके साथ बैठ कर चाय पी रही थी।
मेरे हाथ में चादर देख कर पापा थोड़े सकपका गए.
अभी मैं कुछ कहती, तभी मम्मी बोली- गरिमा, ये चादर क्यों लेकर आई हो?
मैंने पापा की ओर देखा तो वे अखबार पर आंख गड़ाये हुए थे मगर ध्यान मेरी तरफ ही था।
उन्हें देख कर साफ पता चल रहा था कि वे घबराए हुए हैं।
उन की हालत देख कर मुझे मन ही मन हंसी आ रही थी, फिर भी मैं संभलती हुई बोली- अरे यह गंदी हो गई थी मम्मी!
इतना कह कर मैं जानबूझ कर चुप हो गई।
मैं सोच रही थी कि अब मम्मी पूछेंगी जरूर कि कैसे गंदी हो गई।
मम्मी बोलीं- अभी तो कल सुबह ही बिछाई थी इतनी जल्दी कैसे गंदी हो गई?
मैंने जानबूझ कर थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा- अरे … कल सोने जा रही थी तभी गिलास का पानी गिर गया था इसलिए इसे हटा दिया था और दूसरी चादर बिछा कर सो गई थी।
दरअसल मैं पापा को ये जताना चाह रही थी कि मैं भी मम्मी से झूठ बोलकर कुछ छुपा रही हूं।
मैंने पापा की ओर देखा तो वे अभी भी पेपर पर नज़र गड़ाये बैठे थे।
मेरा जवाब सुन कर वे शायद थोड़े नॉर्मल हो गए।
हालांकि वे अभी भी मुझसे नज़र बचा रहे थे।
मुझे लगा कि कहीं ऐसा ना हो कि पापा ज्यादा घबरा जाएं और फिर बात आगे ही ना बढ़े और यहीं पर खत्म हो जाए।
इसलिए मैंने पापा की घबराहट दूर करने के लिए खुद ही उनसे बात करने लगी और कहा- आज बड़ी देर तक चाय पी रहे हैं पापा … आपको ऑफिस नहीं जाना क्या?
और फिर मैं जाकर उनके बगल बैठ गई और चाय पीने लगी।
पापा थोड़े नॉर्मल होते हुए बोले- अरे अभी 8 बजे हैं
फिर मैंने और भी थोड़ी इधर-उधर की बातें कर उनकी घबराहट एकदम दूर करने की कोशिश की।
उसके बाद पापा तैयार होकर ऑफिस चले गए।
मैं भी अपने कमरे में आ गयी.
मेरा तो दिन ही नहीं कट रहा था।
बस सोच रही थी कि जल्दी से रात हो जाए ताकि पता चले कि आज फिर पापा आते हैं या नहीं।
किसी तरह रात हुई और खाना खाकर पापा-मम्मी भी अपने कमरे में चले गए और मैं भी ऊपर अपने कमरे में आ गई।
मैंने कपड़े बदले और छोटी स्कर्ट और टी शर्ट पहन ली।
टी शर्ट और स्कर्ट के नीचे मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी क्योंकि कल जो हुआ था वो तो अचानक हुआ था लेकिन आज मैने जानबूझकर इसलिए नहीं पहना कि पापा को लगे कि मैं रोज बिना पैंटी के सोती हूँ।
फिर नाइट बल्ब जलाकर कर लाइट को ऑफ कर दिया।
अँधेरा रहेगा तो पापा को नाइट बल्ब ऑन करना पड़ेगा इसलिए मैंने पहले ही नाइट बल्ब ऑन कर दिया था।
साथ ही मैने चादर के ऊपर एक तौलिया बिछा कर लेटी थी ताकि अगर आज फिर पापा के लंड से पानी निकले तो बिस्तर पर ना पड़े।
कुल मिलाकर मैं पापा को यह अहसास दिलाना चाह रही थी कि क्या होने वाला है, ये मैं जान रही हूं।
आज क्या होगा, ये सोच कर मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था।
अपनी चूत सहलाते हुए बेसब्री से पापा का इंतज़ार करने लगी।
रात के करीब पौने एक बजे मुझे सीढ़ियों से हल्की सी आवाज आयी.
मैं समझ गयी कि पापा आ रहे हैं।
फिर कल रात की तरह मैंने पीठ के बल लेट गयी और अपने हाथ को मोड़कर आँखों को ढक लिया कि चोरी से उनकी हरकतों को देख सकूं।
पापा ने धीरे से कमरे का दरवाजा खोला, फिर 10-15 सेकेण्ड तक दरवाजे पर ही रुके रहे।
शायद उन्हें उम्मीद नहीं थी कि नाइट बल्ब पहले से जल रहा होगा।
खैर 10-15 सेकेण्ड रुकने के बाद वे धीरे से दबे पाँव कमरे में आये और बेड के पास आकर खड़े हो गये।
आज पापा ने हाफ पैंट और बनियान पहना हुआ था।
पापा बेड के पास बिलकुल मेरे बगल खड़े थे।
आंखों को मैंने हाथों से ढक रखा था, इस वजह से मुझे उनका चेहरा तो नहीं दिख रहा था लेकिन पेट से नीचे का पूरा हिस्सा दिख रहा था।
मैंने स्कर्ट और टी शर्ट पहनी थी … पापा करीब 15-20 सेकेण्ड तक ऐसे ही खड़े रहे।
फिर धीरे से झुककर उन्होंने मेरी स्कर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और धीरे-धीरे ऊपर की तरफ खिसकाने लगे।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
फिर पापा ने स्कर्ट को पूरा ऊपर की तरफ खिसका कर मेरे पेट पर कर दिया।
अब आज एक बार फिर मेरी नंगी चूत पापा की आँखों के सामने थी।
पापा ने कल की तरह चूत या झांटों को छूने की हिम्मत नहीं दिखाई।
उसके बाद पापा सीधे खड़े हो गये और फिर वही हुआ जो मैं सोच रही थी।
उन्होंने अपनी हाफ पैंट को पकड़ कर नीचे खिसका दिया।
जैसे ही उन्होंने पैंट नीचे खिसकाया उनका लण्ड एक झटके से बाहर आ गया।
उनका लण्ड करीब-करीब खड़ा था।
पापा धीरे धीरे अपने लण्ड की चमड़ी को आगे पीछे कर मुठ मारने लगे।
तभी अचानक पापा ने लण्ड को हिलाना छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ को धीरे से बेड के किनारे रखा और फिर नीचे झुकने लगे।
मैं समझ नहीं पायी कि वे क्या करने जा रहे हैं।
तभी मैंने देखा कि पापा अपना मुंह मेरी चूत के पास लाकर नाक से मेरी चूत को सूंघने लगे।
मेरी सांस धौंकनी की तरह चल रही थी।
मैं बिना हिले डुले सो रही थी।
करीब 15 सेकेण्ड तक मेरी चूत को सूँघने के बाद वे वापस खड़े हो गये।
इस बार जब खड़े हुए तो उनका लण्ड एकदम टाइट खड़ा था।
अब पापा थोड़ा आगे खिसकर बेड से एकदम सट कर खड़े हो गये।
उनका लण्ड करीब-करीब मेरी चूत के ठीक ऊपर था।
अब वे तेजी से अपने लण्ड को हिलाकर मुठ मारने लगे।
करीब 5 मिनट तक बीते होंगे कि उन्होंने अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू किया और अचानक तेज झटके और धार के साथ रुक-रुक कर उनके लण्ड से पानी निकलने लगा जो मेरी चूत, जाँघ, स्कर्ट और तौलिये पर फैल गया।
झड़ने के बाद भी करीब 4-5 सेकेण्ड तक पापा उसी तरह लण्ड को पकड़े खड़े रहे और फिर अपने पैंट से को ऊपर खिसका कर उसी से लण्ड को साफ कर पूरा पहन लिया।
और फिर मेरे ऊपर चूत और जांघ पर फैले लण्ड के पानी को बिना साफ किये कमरे से बाहर निकले और धीरे से दरवाजा बंद कर चले गये।
इसके बाद मैं धीरे से बिस्तर से उठी और दरवाजे को अंदर से लॉक करके लाइट जलाई।
मैंने देखा कि पापा के वीर्य की कुछ बूंद नीचे जमीन पर भी गिरी थी।
चूंकि मैंने चादर के ऊपर तौलिया डाल लिया था इसलिए चादर बच गई थी।
मगर तौलिये और स्कर्ट पर पापा के लंड का पानी पड़ा था।
मैंने बाथरूम में पानी से अपनी चूत और जांघ को साफ किया और फिर फर्श पर पड़े वीर्य को तौलिये से साफ किया और दूसरे कपड़े पहने।
फिर मोबाइल में सुबह 8 बजे का अलार्म लगा कर मैं सो गई।
मैंने 8 बजे का अलार्म इसलिए लगाया था क्योंकि यही समय था जब पापा और मम्मी चाय पीते हैं।
अब आपके जैसा समा बांधना और फिर एक चीज का बारीकी से वर्णन करना मेरे लिए मुमकिन नहीं था..जो थोड़ा बहुत बन पड़ा वो लिख दिया। आपको पसंद आया इसके लिए कोटि कोटि आभार
आप की कितनी लाइनों की कॉपी मार मार के मैंने अपनी कहानी की हेडिंग बनायी और कहानी की शुरआत की, ऊपर से आप मॉडेस्टी की,
मेरी एक कहानी है नाम लिखने से अगर प्रचार न हो तो बता ही देती हूँ, जोरू का गुलाम उसका एक पार्ट है
उसकी यह हेडिंग हैं
लो मेरे भैया बन गयी घोड़ी ( आरुषि जी से प्रेरित उन्ही को समर्पित, होली के अवसर पर यहपोस्ट )
और कहानी की शुरआत इन लाइनों से होती है
लो मेरे भइया बन गयी घोड़ी डाल दो लौडा कर दो चौड़ी
इनके आने के पहले मैंने गुड्डी को आरुषि दयाल की यह पंक्तिया पढ़वाई थीं तो गुड्डी खिलखिला के बोली,
" अरे आरुषी जी को मेरे मन की ये बातें कैसे पता चल गयीं " तो मैंने उसे हँस के समझाया, " जिसे तन की सब एक नजर में देख के पता चल जाए उसे डाक्टर साहिबा कहते हैं और जिस बिन देखे मन की बात पता चल जाए उसे आरुषि दयाल कहते हैं , लेकिन ये बोल तेरा मन करता है घोड़ी बनने का "
तो बताइये आप के साथ तो मैं चोरी नहीं सीनाजोरी करती हूँ, आप का नाम लिख के आपकी लाइने मारती हूँ और ये एक नहीं दसो बार ऐसा हुआ, की कहानी की हेडिंग ही आपकी लाइन से ली कई बार कहानी में पूरी की पूरी लाइन चुराई और बोला भी की किसकी है
और जो मैं हजार शब्द में कहती हूँ वो दस लाइन में कह के आप मैदान मार लेती हैं। उसी कहानी में उस पोस्ट के आगे आप ने न सिर्फ दस लाइन में सब बात कह दी मेरा नाम भी लपेट दिया मामा की बेटी बनी है लुगाई भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
कोमल बदन की कुंवारी छमिया नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
और उस कहानी में अगले पार्ट की हेडिंग हुयी कोई भी गेस कर सकता है
मामा की बेटी बनी है लुगाई, भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
और शुरू में पूरी की पूरी आपकी कविता चिपका दी और उसी तरह से पोस्ट लिख दी
और ऊपर से आप कहती हैं "अब आपके जैसा समा बांधना और फिर एक चीज का बारीकी से वर्णन करना मेरे लिए मुमकिन नहीं था.:"
मैं ही मिली थी,
एक तो आपने बहु ससुर की कविता लिख दी मेरे थ्रेड पे और अब उसी को मैं कहानी में लिख रही हूँ ससुर बहु की, और सम्हलना मुश्किल हो रहा है , दस पार्ट हो गए बात अभी मुद्दे पे नहीं पहुंची
और ये अभी आप लिख रही हैं न इसे भी मैं एक दिन चुराऊँगी जरूर पर पहले अभी अपनी तीन कहानियों से फुर्सत मिल जाए हां और आप ने चढ़ा के उकसा के मुझे इन्सेस्ट के आंगन में भी घसीट लिया यहाँ तक की माँ बेटे की भी कहानी लिख दी मैंने
एक बात मैं दुबारा नहीं कहूँगी कह दे रही हूँ
आप जैसा कोई नहीं है
और चुपचाप कहानी लिखिए, बीच बीच में कवितायें डालिये बंद करने का सोचिये भी नहीं
वरना मुझ जैसे नकलचोरो का क्या होगा, अपने लिए न सही हम जैसो के लिए
Update 18 हनीमून की पहली रात ट्रेन में यूं बितायी
पति देव ने नंगी कर के मेरी चूत बजायी
खैर इसी तरह तीन-चार दिन बीत गये।
कुछ खास रिश्तेदारों को छोड़कर बाकी सभी रिश्तेदार जा चुके थे।
करीब एक हफ्ते बाद हम हनीमून पर चले गये।
चुंकी रोहित के पापा रेलवे में एक उंचे ओहदे पर काम किया करते थे तो उन्होने हमारे लिए एक फर्स्ट एसी का कोच बुक करवा दिया और ये भी सुनिचित किया कि उस कूपे मे और कोई ना आए. रात का सफर था तो हम दोनों ने ढीले कपड़े पहने थे। रोहित केवल पायजामा टीशर्ट में थे और मैंने आज कल फैशन के हिसाब से कॉर्ड सूट पहना था।
बिना आस्तीन का डोरी वाला सूट थोड़ा टाइट होने के कारण मेरी चुचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। मेरे ससुर चोरी छिपे मुझे ताड़ रहे थे और उनकी ये हालत देख मुझे काफी मजा आ रहा था। वो हमें छोड़ने स्टेशन तक आये थे।
खैर ट्रेन आने के बाद रोहित ने सारा समान कूपे में रखवा दिया और विदा लेने के लिए मैं जैसे ही ससुर जी के पांव छूने को झुकी मेरी टॉप के गले में से उनको मेरी चूचियो के बीच की खाई दिखाई दी! रोहित के चेहरे दूसरी तरफ होने के कारण उन्होने बड़े प्यार से अपने हाथ मेरी पीठ से लेकर मेरी गांड तक फेर दिया. मैंने एक कुटिल मुस्कान से उनको देखा और ट्रेन में चढ़ गई. कुछ समय बाद रोहित भी अंदर आ गए और कूपे को अंदर से लॉक कर दिया.
लॉक करने के बाद रोहित झट से मेरी तरफ मुड़ा और मुझे अपनी बाहों में कैद कर लिया।
गरिमा- “ये क्या कर रहे हो..अभी टीटी आता होगा “
रोहित-“कोई नहीं आएगा. टीटी बाहर ही मिल गया था. पिताजी ने सब समझा दिया है। अब हमें कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा”! ये बोल रोहित मेरे होठों को चूमने लगा और टॉप के ऊपर से ही मेरी चुचिया दबाने लगा.
गरिमा- “अच्छा जी बड़े रोमांटिक मूड में हो...चलो पहले खाना खा लो..बाद में जो तुम्हारा जी चाहे करना”
रोहित- “अरे खाने की इतनी क्या जल्दी है डार्लिंग. देखो मैं मूड बनाने के लिए साथ में क्या लाया हूं” ऐसा बोल रोहित ने अपने बैग से स्कॉच की बोतल निकाल ली।
स्कॉच देख मेरी भी नियत खराब हो गई लेकिन थोड़ी ना नुकर के बाद मैंने रोहित का साथ देते हुए ग्लास पकड़ लिया
पैग पीते पीते रोहित ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरे होठों को चूमते हुए मेरे टॉप के बटन खोलने लगा। फ़िर मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए रोहित ने मेरे पायजामे की इलास्टिक में अपनी उंगलियाँ घुसा दी और मेरी गांड से खिसकते हुए मेरी टांगों से पायजामा भी निकाल दिया! अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी पहने उसकी गोद में बैठी थी।
रोहित मेरे निचले होंठों के पास अपने होंठ लाए और उन्हें चूमने, काटने और चूसने लगे. उसने मेरी लिप्सटिक तक चूस ली. मैं तो मानो मदहोश-सी होने लगी.
वो मेरे निचले होंठ को बुरी तरह चूस रहा था और मैं मछली की तरह तड़प रही थी. मेरा शरीर जैसे जलने लगा था.
रोहित जंगली अंदाज में मेरे शरीर को अपने दांतों से चूस रहा था. मेरे अन्दर एक अजीब-सी गुदगुदी छाने लगी थी.
मेरी चूत तो पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
मैंने अपने होंठ काटे, आंखें बंद कीं और मदहोश होकर रोहित को अपना काम पूरा करने में साथ दे रही थी.
लेकिन नीचे मेरी चूत का हाल और भी बुरा था जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी …मेरी हालत खराब होती जा रही थी.
मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं ‘आह … आह … आह …’ फिर रोहित नीचे मेरे पेट पर चूमने लगा.
कुछ देर बाद मेरे हाथ अपने आप रोहित के बालों में चले गए और मैं उन्हें सहलाने लगी.
मैं उसके सिर पर दबाव भी बना रही थी और साथ में आंखें बंद कर, मदहोश होकर मजे में खो रही थी.
देखते ही देखते रोहित ने मेरी पैंटी को मेरे शरीर से अलग कर दिया. अब मैं रोहित के सामने नीचे से निर्वस्त्र थी.
तभी रोहित उठा और अपने सारे कपड़े उतार दिए. उसका खड़ा लंड अब मेरी आंखों के सामने था.
रोहित ने दोनों हाथ पकड़कर मुझे उठाया और सीधे अपनी गोद में बिठा लिया. रोहित का लंड मेरी चूत के आसपास टकरा रहा था.
मेरे अन्दर एक अजीब-सी हलचल पैदा हो रही थी क्योंकि मैं जानती थी कि अब कुछ ही क्षणों में उसका लंड मेरी चूत के अन्दर होगा. आज मैं दूसरी बार ट्रेन के अंदर चुदने वाली थी। पहली बार जब मेरे भाई ने मेरी सील तोड़ी थी और दूसरी बार आज अपने पति से!
रोहित ने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर स्मूच करने लगा.
अब मैं भी उसका साथ देने लगी. उस पल हमारी जीभें आपस में टकरा रही थीं और मैं उस मजे को पूरी तरह ले रही थी. हमारा स्मूच चरम सीमा पर था.
तभी रोहित ने हाथ पीछे ले जा कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिया और ब्रा निकल दी अब मैं उसके सामने पूरी तरह निर्वस्त्र थी.
रोहित ने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया और प्यार करने लगा. मेरे बूब्स उसकी छाती से दब चुके थे.
रोहित कभी मेरे गले पर चुंबन ले रहा था और कभी थोड़ा नीचे होते हुए मेरे स्तनों पर भी चुंबन ले रहा था.
मैं भी उसके साथ चिपक कर उसके बालों को सहलाती हुई उसको उत्तेजित करने में लगी थी.
अब तो रोहित ने मेरे स्तनों को एक-एक करके चूसना शुरू कर दिया . उसने अपना एक हाथ मेरी पीठ पर रखा था और दूसरे हाथ से कभी मेरी चूची को पकड़ कर दबाता और कभी मुँह में लेकर चूसने लगता.
फिर अचानक रोहित ने अपना हाथ मेरी गांड के पास ले जाकर उसे हल्का सा उठाया और अपने लंड को मेरी चुत के मुहाने पर लगा दिया. फिर रोहित ने नीचे से एक धक्का लगाया. एक ही बार में पूरा लंड चुत में समा गया. रोहित मुझे चूमते हुए नीचे से धक्के लगा कर मुझे चोदने लगा। मैं भी गांड उछाल उछाल लंड पर कूदने लगी और उसके लंड को चूत की गहराई तक महसूस कर मजे लेने लगी
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद रोहित ने मुझे मुझे लेटा दिया. उसने अपना लंड बाहर निकाला और एक बार फिर मेरी चुचिया चूसने लगा। लेकिन मेरी चूत में तो आग लगी थी..
गरिमा- “रोहित आपने लंड बाहर क्यों निकाल लिया. अभी तो मजा आना शुरू हुआ था”
रोहित- “घबराओ मत मेरी जान. आज तो तुम्हें पूरी रात चोदूंगा”।
ऐसा बोल रोहित अपना लंड फिर से मेरी चूत की फाँको पे रख रगड़ने लगा। मैं अपनी चूत नीचे से उठा लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी। अचानक ट्रेन ने एक जोरदार ब्रेक लगाई और रोहित का लंड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया। धक्का इतना जोरदार था कि एक बार मेरी हल्की से चीख निकल गई”
फच फच की मधुर आवाज़ और मेरी सिस्किया पूरे कूपे में गूंज रही थी। गनीमत है कि ट्रेन की तेज रफ़्तार की आवाज़ में कूपे से वो आवाज़ें बाहर नहीं जा रही थी
थोड़ी देर तक रोहित अपना लंड अंदर बाहर करता रहा। अब मेरी चूत ने भी हल्का-हल्का पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और चिकनाई बढ़ गई थी। रोहित मुझे चोदते हुए कभी मेरे होठों पर चुंबन करता और कभी मेरी चुचियों को मसल कर चूमता. मैं तो बस उस हसीन चुदाई का मज़ा ले रही थी.
मैं बोल रही थी- रोह्ह्ह...हीत … आह अह … करो … मज़ा आ रहा है. सच में रोहित, आज से पहले कभी इतना मज़ा नहीं आया. ओह ओह … आह आह … यस यस फक मी. मेरी चूड़ियां भी लौड़े की लय के साथ बज रही थीं.
तभी रोहित ने अपना लंड मेरी चुत से निकाला और मेरे पूरे शरीर पर चुंबन करते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगा.
अब वो मेरे पैरों तक पहुंच गया और मेरे एक पैर को पकड़ कर उठाया. मेरी आंखों में देखते हुए रोहित ने मेरे पैर के अंगूठे को चूसना शुरू कर दिया.
तभी रोहित ने अचानक मेरे पैर को घुमाया और मुझे पलट दिया. अब मेरी पीठ उसके सामने थी.
रोहित ने मेरे शरीर को सहलाते हुए ऊपर की ओर बढ़ना शुरू किया. उसने मेरी गांड पर दो-चार जोर से चपत भी मारी.
मैंने पलट कर उसकी ओर देखा और नज़रों से पूछा कि वो यह क्या कर रहा है?
जवाब में रोहित ने मेरे बालों को पकड़ कर खींचा.
फिर मेरी गांड के पास अपना लंड लाकर मेरी चुत पर पीछे से सैट कर दिया. मैं समझ गई कि रोहित अब मुझे कुतिया बना कर चोदना चाहता है! उसने जल्द ही पीछे से मेरी चुत पर लंड सैट किया और एक ही शॉट में उसे अन्दर घुसा दिया.
मैंने अपना मुँह उसकी ओर किया, तो उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें काटने-चूसने लगा.
साथ ही रोहित अपना हाथ आगे करके मेरी चुचिओ वो को जोर से दबा रहा था.
मैं अब मस्ती में डूबी हुए बोल रही थी- आह डार्लिंग … जल्दी जल्दी करो … मज़ा आ रहा है! मैं ख्यालो में अपनी पहली ट्रेन चुदाई को याद करने लगी। धीरे-धीरे रोहित के लंड में तनाव आने लगा। मैं समझ गई कि रोहित अपनी मंजिल के करीब है। मैं जोर जोर से अपनी गांड के पीछे धकलते हुई रोहित का लंड अपनी चूत में लेने लगी
आखिरी के 15-20 जोरदार शॉट मारते हुए रोहित ने मेरी चुत में अपना सारा वीर्य गिरा दिया और वैसे ही मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया.
वो मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी चुचिओ को सहला रहे था.
मेरा शरीर भी पूरी तरह थक चुका था.
उसी हालत में हम लोग करीब 10 मिनट रहे होंगे. फिर हम दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और खुद को वॉशरूम में जाकर फ्रेश किया. वपिस आ हमने खाना खाया। खाना खाने के बाद रोहित दोबारा रोमांटिक होने लगा
मैं बोली- क्या … इतना करके अभी तक थके नहीं?
रोहित ने कहा- अभी तो सारी रात बाकी है. वैसे भी आज मैं तुम्हें सोने तो देने वाला नहीं हूँ.
रोहित ने सही मौका पाते हुए मेरे बालों को हटाते हुए मेरी पीठ पर चुंबनों की बौछार कर दी. उसका एक हाथ मेरे बूब्स पर चला गया उसने मेरे बूब्स को अपने दोनों हाथों से दबाना और मसलना शुरू कर दिया.
रोहित ने फिर से खींच कर मेरा पायजामा निकाल दिया और खुद भी झट से नंगा हो गया। रोहित मेरी जांघों को सहलाते हुए धीरे-धीरे अपने चेहरे को मेरी जांघों पर ले आया और फिर अपने होंठों को मेरी गुलाबी चूत पर रख दिये.
उसने ऊपर से नीचे तक चुंबन लेना शुरू किया और मेरी चुत को अपनी जीभ से कुरेदना और काटना शुरू कर दिया. मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी
रोहित ने अब अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने पर और फिर चूत के अन्दर ले जाकर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया.
मेरे हाथ उसके सिर तक चले गए और मैं उसके सिर को दबाने लगी ताकि वो और ज्यादा अपनी जीभ को मेरी चूत में डालकर उससे खेलें.
साथ ही अब मेरी आहें भी निकलने लगीं.
मैं बोल रही थी- आह जान … ऐसे ही करो … आह और अन्दर तक … मजा आ रहा है. बस करते रहो ओह जान, आह आह!
रोहित ने फिर मुझे पलट कर सीट पर बिठा दिया और अपने लंड को पहले मेरे होंठों पर रगड़ा.फिर मुझसे कहा- अपना मुँह खोलो गरिमा और मेरे लंड को चूस कर अपनी गांड के लिया चिकना कर दो.
मुझे पता था हनीमून पर रोहित मेरी चूत और गांड दोनों की धुनाई करने वाला है इसलिए रोहित की बात मानते हुए मैं उसके लंड को चूसने लगी.
रोहित अपने हाथों से मेरे सिर को ऊपर नीचे करते हुए अपने लंड को चुसवाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे भी काफी मजा आने लगा और मैं पूरा मुँह खोल कर उसका लंड चूसने लगी.
बीच-बीच में रोहित अपने हाथों से मेरे बूब्स को जोर से पकड़ कर निचोड़ भी देता.
रोहित का लंड मेरे गले तक चला जाता, जिसके कारण मेरा दम घुटने लगता लेकिन रोहित को बड़ा मजा आ रहा था
पाँच सात मिनट तक लंड चुसवाने के बाद रोहित ने मुझे खड़ा किया और मेरे पीछे आ गया. उसने मेरे बालों को आगे की ओर करते हुए मेरी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया और मेरी गर्दन को भी चूसने लगा.
इसके बाद उसने अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाते हुए मेरे दोनों चुचिओ पर रख दिए और जोर जोर से दबाने लगा.
कुछ देर बाद उसने मेरे दोनों हाथों को सीट पर रखवाया और मेरी पीठ पर किस करते हुए मेरी गांड तक आ गया.
उसने पहले बहुत प्यार से मेरी गांड को किस किया और फिर एक उंगली अंदर घुसा कर गोल गोल घुमाने लगा
इस दौरान मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
खड़े खड़े उसने अपने लंड को पहले मेरी चूत पर रगड़ा.
मेरा सारा पानी उसके लंड पर लग गया.
फिर उसने अपने लंड को मेरी गांड पर सैट कर दिया और मेरी कमर पकड़ते हुए हल्का सा पुश किया.
मैंने रोहित की ओर देखा और और मजाक में कहा- क्या आज रात ही सब कुछ कर लोगे?
रोहित ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा "जान मेरी काफ़ी दिनों से ये इच्छा थी कि चलती ट्रेन में तेरी गांड मारू"
मैं मुस्कुरा कर बोली “तो कर लो आज अपनी ये ख्वाहिश पूरी”
गांड का छेद टाइट होने के करण रोहित को लंड घुसाने में मुश्किल हो रही थी तो मैंने अपने बैग से मॉइस्चराइज़र की शिशी निकले हुए रोहित को कहा'' पहले थोड़ी चिकनी कर लो..फिर दर्द भी नहीं होगा और आसनी से घुस भी जाएगा. रोहित ने शीशी पकड़ते हुए खूब सारा लोशन मेरी गांड के छेद में डाल दिया और थोड़ा अपने लंड पर भी मल लिया
फिर रोहित ने मेरी गांड पर जोरदार चपत मारते हुए कहा- तैयार हो जा मेरी जान...आज तुझे जन्नत दिखाता हूं.
उसने एक बार फिर से अपना लंड मेरी गांड पर सैट किया और धीरे-धीरे अन्दर करने लगा.
सुपाड़ा अंदर घुसते ही मुझे बहुत दर्द हुआ. मैंने हाथ से रोहित को कुछ देर रुकने का इशारा किया! कुछ देर बाद जब मेरी गांड का छल्ला थोड़ा ढीला हुआ तो मैंने रोहित को धीरे-धीरे अंदर घुसाने को बोला। रोहित ने मेरी कमर को पकड़ कर धीरे से अपना लंड अंदर ढकेलना शुरू किया
दर्द के कारण मेरा बुरा हाल हो रहा था फिर भी मैं आगे के मजे के लिए उसका साथ देने लगी और इस दर्द को सहने लगी.
धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा और और मजा भी आने लगा.
जब मैं पूरी तरह नॉर्मल हो गई तो रोहित ने मेरी गांड में लंड अन्दर-बाहर करना तेज कर दिया.
बीच-बीच में कभी रोहित मेरे बालों को खींचता, तो कभी मेरी पीठ पर झुककर किस कर लेता.कभी आगे हाथ डालकर मेरे बूब्स को पकड़ लेता सहलाता.और दबा देता.
मेरी गांड की तारीफ करते हुये बोला की … मेरा पिछवाड़ा कितना आकर्षक है.
मैं दिल में सोच रही थी कि तभी तुम्हारे बाप की नज़र हमेशा इसी पर रहती है!
15 20 मिनट तक मेरी गांड अच्छे से बजाने के बाद रोहित ने अपना सारा वीर्य मेरी गांड में डाल दिया और मेरी पीठ के ऊपर निढाल होकर गिर गया. हम दोनों उसी पोजीशन में एक सीट पर लेट गए.
धीरे-धीरे उसका लंड मेरी गांड से निकल गया.मेरा सारा शरीर दर्द करने लगा था और हम दोनों बात करते-करते कब सो गए, पता ही नहीं चला.
आप की कितनी लाइनों की कॉपी मार मार के मैंने अपनी कहानी की हेडिंग बनायी और कहानी की शुरआत की, ऊपर से आप मॉडेस्टी की,
मेरी एक कहानी है नाम लिखने से अगर प्रचार न हो तो बता ही देती हूँ, जोरू का गुलाम उसका एक पार्ट है
उसकी यह हेडिंग हैं
लो मेरे भैया बन गयी घोड़ी ( आरुषि जी से प्रेरित उन्ही को समर्पित, होली के अवसर पर यहपोस्ट )
और कहानी की शुरआत इन लाइनों से होती है
लो मेरे भइया बन गयी घोड़ी डाल दो लौडा कर दो चौड़ी
इनके आने के पहले मैंने गुड्डी को आरुषि दयाल की यह पंक्तिया पढ़वाई थीं तो गुड्डी खिलखिला के बोली,
" अरे आरुषी जी को मेरे मन की ये बातें कैसे पता चल गयीं " तो मैंने उसे हँस के समझाया, " जिसे तन की सब एक नजर में देख के पता चल जाए उसे डाक्टर साहिबा कहते हैं और जिस बिन देखे मन की बात पता चल जाए उसे आरुषि दयाल कहते हैं , लेकिन ये बोल तेरा मन करता है घोड़ी बनने का "
तो बताइये आप के साथ तो मैं चोरी नहीं सीनाजोरी करती हूँ, आप का नाम लिख के आपकी लाइने मारती हूँ और ये एक नहीं दसो बार ऐसा हुआ, की कहानी की हेडिंग ही आपकी लाइन से ली कई बार कहानी में पूरी की पूरी लाइन चुराई और बोला भी की किसकी है
और जो मैं हजार शब्द में कहती हूँ वो दस लाइन में कह के आप मैदान मार लेती हैं। उसी कहानी में उस पोस्ट के आगे आप ने न सिर्फ दस लाइन में सब बात कह दी मेरा नाम भी लपेट दिया मामा की बेटी बनी है लुगाई भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
कोमल बदन की कुंवारी छमिया नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
और उस कहानी में अगले पार्ट की हेडिंग हुयी कोई भी गेस कर सकता है
मामा की बेटी बनी है लुगाई, भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
और शुरू में पूरी की पूरी आपकी कविता चिपका दी और उसी तरह से पोस्ट लिख दी
और ऊपर से आप कहती हैं "अब आपके जैसा समा बांधना और फिर एक चीज का बारीकी से वर्णन करना मेरे लिए मुमकिन नहीं था.:"
मैं ही मिली थी,
एक तो आपने बहु ससुर की कविता लिख दी मेरे थ्रेड पे और अब उसी को मैं कहानी में लिख रही हूँ ससुर बहु की, और सम्हलना मुश्किल हो रहा है , दस पार्ट हो गए बात अभी मुद्दे पे नहीं पहुंची
और ये अभी आप लिख रही हैं न इसे भी मैं एक दिन चुराऊँगी जरूर पर पहले अभी अपनी तीन कहानियों से फुर्सत मिल जाए हां और आप ने चढ़ा के उकसा के मुझे इन्सेस्ट के आंगन में भी घसीट लिया यहाँ तक की माँ बेटे की भी कहानी लिख दी मैंने
एक बात मैं दुबारा नहीं कहूँगी कह दे रही हूँ
आप जैसा कोई नहीं है
और चुपचाप कहानी लिखिए, बीच बीच में कवितायें डालिये बंद करने का सोचिये भी नहीं
वरना मुझ जैसे नकलचोरो का क्या होगा, अपने लिए न सही हम जैसो के लिए
इतने अच्छे शब्दों के लिए धन्यवाद कोमल जी। हम भी आपके हैं और हमारी पोस्ट की तस्वीरें भी आपकी। आप कभी इसका भी उपयोग करें.. जैसा आपने सुझाव दिया था...गरिमा की हनीमून की पहली रात ट्रेन में मनाई जा रही है..ट्रेन से उसका कनेक्शन टूटना नहीं चाहिए। उम्मीद करती हूं आपको पसंद आएगी