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“”गीता -फुलवा की ननद
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
मन तो बहुत कर रहा था सब लड़कियों का, गितवा की भी की फुलवा की ननदिया एतना जबरदस्त चोदवा के आ रही थी उसे छेड़ें, ... चिढ़ायें, आखिर फुलवा की ननद तो पूरे गाँव भर की लड़कियों का भी वही रिश्ता लगेगा चिढ़ाने का छेड़ने का, ... और अभी तो मौका भी है,.. लेकिन फुलवा की माँ ने जिस तरह से तरेर के देखा था सब चुप थीं,... पर कुछ देर बाद फुलवा की माई दूसरी ओर रोपनी का काम देखने चली गयी, की सब औरतें रोपनी कर रही हैं , की खाली मस्ती कर रही हैं,...
और उसके हटते ही लड़कियों को मौका मिल गया, बस सब फुलवा की ननदी के पीछे , और साथ में दो चार भौजाइयां भी, ननदो को उकसा रही थीं,...
“कहो मजा आया हमरे भैया के साथ,”
किसी लड़की ने पूछा तो दूसरी बोली,
“बहुत दर्द हुआ फटने पे ,... “फुलवा की ननद खाली खिस्स से मुस्करा दी ,
पर जब गीता ने चिढ़ाया तो हंस के पलट के फुलवा की ननद ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया,
" हमरे भइया के सारे से तोहें चोदवाइब तो तोहें खुद पता चल जाई "
और ननद को छेड़ने का मौका कौन भौजाई छोड़ती तो भरौटी क कोई भौजाई , फुलवा की नन्द से गीता के बारे में बोली, ...
" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "
" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...
दूसरी भौजी भी गीता के पीछे पड़ गयीं,...
रोपनी का काम बस थोड़ा सा ही बचा था , जो फुलवा की माई ने गीता को दिया था और अब उसमें फुलवा की ननद भी उसका हाथ बटा रही थी , ..बाकी रोपनी वालियों काम भी अब ख़तम होने वाला था , धूप भी निकल आयी थी,... फुलवा की माई भी लौट आयी थी, भौजाइयों का साथ पाके फुलवा क ननदिया का भी हौसला बढ़ गया था था, गितवा के साथ रोपनी करती वो भी भौजाइयों के साथ गितवा को चिढ़ाने लगी आखिर अभी उसी गितवा के सगे भाई ने उस की ये दुर्गत की थी, तो उसे भी मजा आ रहा था गितवा को उसके भाई से जोड़ जोड़ जोड़ के चिढ़ाने में
गीता ने फुलवा की ननद को छेड़ते हुए पूछा,..
" हे ननदो, तोहरे भाई क बड़ा था की हमरे भैया क और ये मत बोलना की अपने भैया क देखी पकड़ी नहीं हो "
फुलवा की ननद पहले तो देर तक खिलखिलाती रही , फिर गीता की ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपनी ओर कर के , मुस्कराती हुयी बोली,
" हमरे भैया क सारे क माल,... हमरे भैया क बड़ा है "
( गाँव के रिश्ते से , फुलवा गाँव की लड़की थी,... तो फुलवा के मरद और फुलवा के ननद के भाई का तो सार ही लगता न , तो इसमें बुरा मांनने की बात नहीं थी और रिश्ता भी मजाक वाला )
और गीता के गाल पे चिकोटी काटते हुए चिढ़ाया
" अरे हमरे भैया क सारे क रखैल, मुकाबला मनई मनई का होता है , ओह हिसाब से तोहरे जीजा का ही बड़ा है, हमारे भैया क , और जो उनके सारे का,... कउनो आदमी का थोड़ो है , गदहा घोडा,... बल्कि गदहा से भी बीस होगा,... लेकिन ये बात बतावा,... की तोहार महतारी कउनो पंचायती सांड़ के पास गयी थीं का गाभिन होने जो ऐसा लड़का बियाई हैं,... आदमी क जामल तो नहीं लग रहा तोहार भाई। "
गीता भी अब बोलने में , और,...आज रोपनी वालियों के साथ वो भी अब एकदम खुल गयी थी,... पट से जवाब दिया,
" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "
गीता ने महतारी का मजाक सूद के साथ वापस कर दिया था।
तब तक चमेलिया गीता का साथ देते बोली,... अभी तो भैया ने तोहार गाँड़ नहीं मारी न , उहो तोहार महतारी क भोंसड़ा अस,... "
लेकिन फुलवा की ननद ने बेपरवाही से जवाब दिया ,..
" अरे तो का हुआ , हमरे भैया क सार है , आपन बहिन दिए है,.. और फिर आज चोद चोद के स्साले ने चूत का चबूतरा बना दिया, तो गाँड़ कौन छोड़ने वाला है,... अरे मैं महीने भर से पहले जाने वाली नहीं हूँ , ... देख लूंगी तोहरे भाई क ,.. और ये हमरे भैया क सारे क जो रखैल हैं , तो तनी हमहुँ हिस्सा बटा लेंगी, ... "
रोपनी ख़तम होने वाली थीं, लेकिन लड़कियां सब फुलवा की ननद को चिढ़ाने में जुटी थीं तो फुलवा की माई ने सबको हड़काया,
" अरे तनी जल्दी जल्दी,... और बिना गाना गाये रोपनी नहीं होती, चुप काहें हो सब,... "
लेकिन लड़कियां सब तो फुलवा की ननद के पीछे पड़ी थीं बोलीं, " अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...
और अब गितवा भी एकदम खुल गयी थी, चमरौटी, भरौटी की लड़कियों से। वो भी उन्ही की ओर से अपने बगल में रोपनी करती फुलवा की ननद को कोहनी से मार के चिढ़ाते हुए बोली,
" हमरे भैया क लौंड़ा अभी भी मुंह में है का गाना नहीं निकल रहा है "
" अरे हमरे भाई क सारे क चोदी, भाईचोद,... गाना तो हम जरूर सुनाइब और तोहार नाम ले ले के, लेकिन साथ साथ सब को गाना होगा और सबसे पहले तोंहे "
“”गीता -फुलवा की ननद
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
मन तो बहुत कर रहा था सब लड़कियों का, गितवा की भी की फुलवा की ननदिया एतना जबरदस्त चोदवा के आ रही थी उसे छेड़ें, ... चिढ़ायें, आखिर फुलवा की ननद तो पूरे गाँव भर की लड़कियों का भी वही रिश्ता लगेगा चिढ़ाने का छेड़ने का, ... और अभी तो मौका भी है,.. लेकिन फुलवा की माँ ने जिस तरह से तरेर के देखा था सब चुप थीं,... पर कुछ देर बाद फुलवा की माई दूसरी ओर रोपनी का काम देखने चली गयी, की सब औरतें रोपनी कर रही हैं , की खाली मस्ती कर रही हैं,...
और उसके हटते ही लड़कियों को मौका मिल गया, बस सब फुलवा की ननदी के पीछे , और साथ में दो चार भौजाइयां भी, ननदो को उकसा रही थीं,...
“कहो मजा आया हमरे भैया के साथ,”
किसी लड़की ने पूछा तो दूसरी बोली,
“बहुत दर्द हुआ फटने पे ,... “फुलवा की ननद खाली खिस्स से मुस्करा दी ,
पर जब गीता ने चिढ़ाया तो हंस के पलट के फुलवा की ननद ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया,
" हमरे भइया के सारे से तोहें चोदवाइब तो तोहें खुद पता चल जाई "
और ननद को छेड़ने का मौका कौन भौजाई छोड़ती तो भरौटी क कोई भौजाई , फुलवा की नन्द से गीता के बारे में बोली, ...
" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "
" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...
दूसरी भौजी भी गीता के पीछे पड़ गयीं,...
रोपनी का काम बस थोड़ा सा ही बचा था , जो फुलवा की माई ने गीता को दिया था और अब उसमें फुलवा की ननद भी उसका हाथ बटा रही थी , ..बाकी रोपनी वालियों काम भी अब ख़तम होने वाला था , धूप भी निकल आयी थी,... फुलवा की माई भी लौट आयी थी, भौजाइयों का साथ पाके फुलवा क ननदिया का भी हौसला बढ़ गया था था, गितवा के साथ रोपनी करती वो भी भौजाइयों के साथ गितवा को चिढ़ाने लगी आखिर अभी उसी गितवा के सगे भाई ने उस की ये दुर्गत की थी, तो उसे भी मजा आ रहा था गितवा को उसके भाई से जोड़ जोड़ जोड़ के चिढ़ाने में
गीता ने फुलवा की ननद को छेड़ते हुए पूछा,..
" हे ननदो, तोहरे भाई क बड़ा था की हमरे भैया क और ये मत बोलना की अपने भैया क देखी पकड़ी नहीं हो "
फुलवा की ननद पहले तो देर तक खिलखिलाती रही , फिर गीता की ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपनी ओर कर के , मुस्कराती हुयी बोली,
" हमरे भैया क सारे क माल,... हमरे भैया क बड़ा है "
( गाँव के रिश्ते से , फुलवा गाँव की लड़की थी,... तो फुलवा के मरद और फुलवा के ननद के भाई का तो सार ही लगता न , तो इसमें बुरा मांनने की बात नहीं थी और रिश्ता भी मजाक वाला )
और गीता के गाल पे चिकोटी काटते हुए चिढ़ाया
" अरे हमरे भैया क सारे क रखैल, मुकाबला मनई मनई का होता है , ओह हिसाब से तोहरे जीजा का ही बड़ा है, हमारे भैया क , और जो उनके सारे का,... कउनो आदमी का थोड़ो है , गदहा घोडा,... बल्कि गदहा से भी बीस होगा,... लेकिन ये बात बतावा,... की तोहार महतारी कउनो पंचायती सांड़ के पास गयी थीं का गाभिन होने जो ऐसा लड़का बियाई हैं,... आदमी क जामल तो नहीं लग रहा तोहार भाई। "
गीता भी अब बोलने में , और,...आज रोपनी वालियों के साथ वो भी अब एकदम खुल गयी थी,... पट से जवाब दिया,
" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "
गीता ने महतारी का मजाक सूद के साथ वापस कर दिया था।
तब तक चमेलिया गीता का साथ देते बोली,... अभी तो भैया ने तोहार गाँड़ नहीं मारी न , उहो तोहार महतारी क भोंसड़ा अस,... "
लेकिन फुलवा की ननद ने बेपरवाही से जवाब दिया ,..
" अरे तो का हुआ , हमरे भैया क सार है , आपन बहिन दिए है,.. और फिर आज चोद चोद के स्साले ने चूत का चबूतरा बना दिया, तो गाँड़ कौन छोड़ने वाला है,... अरे मैं महीने भर से पहले जाने वाली नहीं हूँ , ... देख लूंगी तोहरे भाई क ,.. और ये हमरे भैया क सारे क जो रखैल हैं , तो तनी हमहुँ हिस्सा बटा लेंगी, ... "
रोपनी ख़तम होने वाली थीं, लेकिन लड़कियां सब फुलवा की ननद को चिढ़ाने में जुटी थीं तो फुलवा की माई ने सबको हड़काया,
" अरे तनी जल्दी जल्दी,... और बिना गाना गाये रोपनी नहीं होती, चुप काहें हो सब,... "
लेकिन लड़कियां सब तो फुलवा की ननद के पीछे पड़ी थीं बोलीं, " अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...
और अब गितवा भी एकदम खुल गयी थी, चमरौटी, भरौटी की लड़कियों से। वो भी उन्ही की ओर से अपने बगल में रोपनी करती फुलवा की ननद को कोहनी से मार के चिढ़ाते हुए बोली,
" हमरे भैया क लौंड़ा अभी भी मुंह में है का गाना नहीं निकल रहा है "
" अरे हमरे भाई क सारे क चोदी, भाईचोद,... गाना तो हम जरूर सुनाइब और तोहार नाम ले ले के, लेकिन साथ साथ सब को गाना होगा और सबसे पहले तोंहे "
गीता -फुलवा की ननद
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
मन तो बहुत कर रहा था सब लड़कियों का, गितवा की भी की फुलवा की ननदिया एतना जबरदस्त चोदवा के आ रही थी उसे छेड़ें, ... चिढ़ायें, आखिर फुलवा की ननद तो पूरे गाँव भर की लड़कियों का भी वही रिश्ता लगेगा चिढ़ाने का छेड़ने का, ... और अभी तो मौका भी है,.. लेकिन फुलवा की माँ ने जिस तरह से तरेर के देखा था सब चुप थीं,... पर कुछ देर बाद फुलवा की माई दूसरी ओर रोपनी का काम देखने चली गयी, की सब औरतें रोपनी कर रही हैं , की खाली मस्ती कर रही हैं,...
और उसके हटते ही लड़कियों को मौका मिल गया, बस सब फुलवा की ननदी के पीछे , और साथ में दो चार भौजाइयां भी, ननदो को उकसा रही थीं,...
“कहो मजा आया हमरे भैया के साथ,”
किसी लड़की ने पूछा तो दूसरी बोली,
“बहुत दर्द हुआ फटने पे ,... “फुलवा की ननद खाली खिस्स से मुस्करा दी ,
पर जब गीता ने चिढ़ाया तो हंस के पलट के फुलवा की ननद ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया,
" हमरे भइया के सारे से तोहें चोदवाइब तो तोहें खुद पता चल जाई "
और ननद को छेड़ने का मौका कौन भौजाई छोड़ती तो भरौटी क कोई भौजाई , फुलवा की नन्द से गीता के बारे में बोली, ...
" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "
" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...
दूसरी भौजी भी गीता के पीछे पड़ गयीं,...
रोपनी का काम बस थोड़ा सा ही बचा था , जो फुलवा की माई ने गीता को दिया था और अब उसमें फुलवा की ननद भी उसका हाथ बटा रही थी , ..बाकी रोपनी वालियों काम भी अब ख़तम होने वाला था , धूप भी निकल आयी थी,... फुलवा की माई भी लौट आयी थी, भौजाइयों का साथ पाके फुलवा क ननदिया का भी हौसला बढ़ गया था था, गितवा के साथ रोपनी करती वो भी भौजाइयों के साथ गितवा को चिढ़ाने लगी आखिर अभी उसी गितवा के सगे भाई ने उस की ये दुर्गत की थी, तो उसे भी मजा आ रहा था गितवा को उसके भाई से जोड़ जोड़ जोड़ के चिढ़ाने में
गीता ने फुलवा की ननद को छेड़ते हुए पूछा,..
" हे ननदो, तोहरे भाई क बड़ा था की हमरे भैया क और ये मत बोलना की अपने भैया क देखी पकड़ी नहीं हो "
फुलवा की ननद पहले तो देर तक खिलखिलाती रही , फिर गीता की ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपनी ओर कर के , मुस्कराती हुयी बोली,
" हमरे भैया क सारे क माल,... हमरे भैया क बड़ा है "
( गाँव के रिश्ते से , फुलवा गाँव की लड़की थी,... तो फुलवा के मरद और फुलवा के ननद के भाई का तो सार ही लगता न , तो इसमें बुरा मांनने की बात नहीं थी और रिश्ता भी मजाक वाला )
और गीता के गाल पे चिकोटी काटते हुए चिढ़ाया
" अरे हमरे भैया क सारे क रखैल, मुकाबला मनई मनई का होता है , ओह हिसाब से तोहरे जीजा का ही बड़ा है, हमारे भैया क , और जो उनके सारे का,... कउनो आदमी का थोड़ो है , गदहा घोडा,... बल्कि गदहा से भी बीस होगा,... लेकिन ये बात बतावा,... की तोहार महतारी कउनो पंचायती सांड़ के पास गयी थीं का गाभिन होने जो ऐसा लड़का बियाई हैं,... आदमी क जामल तो नहीं लग रहा तोहार भाई। "
गीता भी अब बोलने में , और,...आज रोपनी वालियों के साथ वो भी अब एकदम खुल गयी थी,... पट से जवाब दिया,
" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "
गीता ने महतारी का मजाक सूद के साथ वापस कर दिया था।
तब तक चमेलिया गीता का साथ देते बोली,... अभी तो भैया ने तोहार गाँड़ नहीं मारी न , उहो तोहार महतारी क भोंसड़ा अस,... "
लेकिन फुलवा की ननद ने बेपरवाही से जवाब दिया ,..
" अरे तो का हुआ , हमरे भैया क सार है , आपन बहिन दिए है,.. और फिर आज चोद चोद के स्साले ने चूत का चबूतरा बना दिया, तो गाँड़ कौन छोड़ने वाला है,... अरे मैं महीने भर से पहले जाने वाली नहीं हूँ , ... देख लूंगी तोहरे भाई क ,.. और ये हमरे भैया क सारे क जो रखैल हैं , तो तनी हमहुँ हिस्सा बटा लेंगी, ... "
रोपनी ख़तम होने वाली थीं, लेकिन लड़कियां सब फुलवा की ननद को चिढ़ाने में जुटी थीं तो फुलवा की माई ने सबको हड़काया,
" अरे तनी जल्दी जल्दी,... और बिना गाना गाये रोपनी नहीं होती, चुप काहें हो सब,... "
लेकिन लड़कियां सब तो फुलवा की ननद के पीछे पड़ी थीं बोलीं, " अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...
और अब गितवा भी एकदम खुल गयी थी, चमरौटी, भरौटी की लड़कियों से। वो भी उन्ही की ओर से अपने बगल में रोपनी करती फुलवा की ननद को कोहनी से मार के चिढ़ाते हुए बोली,
" हमरे भैया क लौंड़ा अभी भी मुंह में है का गाना नहीं निकल रहा है "
" अरे हमरे भाई क सारे क चोदी, भाईचोद,... गाना तो हम जरूर सुनाइब और तोहार नाम ले ले के, लेकिन साथ साथ सब को गाना होगा और सबसे पहले तोंहे "
“”गीता -फुलवा की ननद
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
मन तो बहुत कर रहा था सब लड़कियों का, गितवा की भी की फुलवा की ननदिया एतना जबरदस्त चोदवा के आ रही थी उसे छेड़ें, ... चिढ़ायें, आखिर फुलवा की ननद तो पूरे गाँव भर की लड़कियों का भी वही रिश्ता लगेगा चिढ़ाने का छेड़ने का, ... और अभी तो मौका भी है,.. लेकिन फुलवा की माँ ने जिस तरह से तरेर के देखा था सब चुप थीं,... पर कुछ देर बाद फुलवा की माई दूसरी ओर रोपनी का काम देखने चली गयी, की सब औरतें रोपनी कर रही हैं , की खाली मस्ती कर रही हैं,...
और उसके हटते ही लड़कियों को मौका मिल गया, बस सब फुलवा की ननदी के पीछे , और साथ में दो चार भौजाइयां भी, ननदो को उकसा रही थीं,...
“कहो मजा आया हमरे भैया के साथ,”
किसी लड़की ने पूछा तो दूसरी बोली,
“बहुत दर्द हुआ फटने पे ,... “फुलवा की ननद खाली खिस्स से मुस्करा दी ,
पर जब गीता ने चिढ़ाया तो हंस के पलट के फुलवा की ननद ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया,
" हमरे भइया के सारे से तोहें चोदवाइब तो तोहें खुद पता चल जाई "
और ननद को छेड़ने का मौका कौन भौजाई छोड़ती तो भरौटी क कोई भौजाई , फुलवा की नन्द से गीता के बारे में बोली, ...
" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "
" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...
दूसरी भौजी भी गीता के पीछे पड़ गयीं,...
रोपनी का काम बस थोड़ा सा ही बचा था , जो फुलवा की माई ने गीता को दिया था और अब उसमें फुलवा की ननद भी उसका हाथ बटा रही थी , ..बाकी रोपनी वालियों काम भी अब ख़तम होने वाला था , धूप भी निकल आयी थी,... फुलवा की माई भी लौट आयी थी, भौजाइयों का साथ पाके फुलवा क ननदिया का भी हौसला बढ़ गया था था, गितवा के साथ रोपनी करती वो भी भौजाइयों के साथ गितवा को चिढ़ाने लगी आखिर अभी उसी गितवा के सगे भाई ने उस की ये दुर्गत की थी, तो उसे भी मजा आ रहा था गितवा को उसके भाई से जोड़ जोड़ जोड़ के चिढ़ाने में
गीता ने फुलवा की ननद को छेड़ते हुए पूछा,..
" हे ननदो, तोहरे भाई क बड़ा था की हमरे भैया क और ये मत बोलना की अपने भैया क देखी पकड़ी नहीं हो "
फुलवा की ननद पहले तो देर तक खिलखिलाती रही , फिर गीता की ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपनी ओर कर के , मुस्कराती हुयी बोली,
" हमरे भैया क सारे क माल,... हमरे भैया क बड़ा है "
( गाँव के रिश्ते से , फुलवा गाँव की लड़की थी,... तो फुलवा के मरद और फुलवा के ननद के भाई का तो सार ही लगता न , तो इसमें बुरा मांनने की बात नहीं थी और रिश्ता भी मजाक वाला )
और गीता के गाल पे चिकोटी काटते हुए चिढ़ाया
" अरे हमरे भैया क सारे क रखैल, मुकाबला मनई मनई का होता है , ओह हिसाब से तोहरे जीजा का ही बड़ा है, हमारे भैया क , और जो उनके सारे का,... कउनो आदमी का थोड़ो है , गदहा घोडा,... बल्कि गदहा से भी बीस होगा,... लेकिन ये बात बतावा,... की तोहार महतारी कउनो पंचायती सांड़ के पास गयी थीं का गाभिन होने जो ऐसा लड़का बियाई हैं,... आदमी क जामल तो नहीं लग रहा तोहार भाई। "
गीता भी अब बोलने में , और,...आज रोपनी वालियों के साथ वो भी अब एकदम खुल गयी थी,... पट से जवाब दिया,
" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "
गीता ने महतारी का मजाक सूद के साथ वापस कर दिया था।
तब तक चमेलिया गीता का साथ देते बोली,... अभी तो भैया ने तोहार गाँड़ नहीं मारी न , उहो तोहार महतारी क भोंसड़ा अस,... "
लेकिन फुलवा की ननद ने बेपरवाही से जवाब दिया ,..
" अरे तो का हुआ , हमरे भैया क सार है , आपन बहिन दिए है,.. और फिर आज चोद चोद के स्साले ने चूत का चबूतरा बना दिया, तो गाँड़ कौन छोड़ने वाला है,... अरे मैं महीने भर से पहले जाने वाली नहीं हूँ , ... देख लूंगी तोहरे भाई क ,.. और ये हमरे भैया क सारे क जो रखैल हैं , तो तनी हमहुँ हिस्सा बटा लेंगी, ... "
रोपनी ख़तम होने वाली थीं, लेकिन लड़कियां सब फुलवा की ननद को चिढ़ाने में जुटी थीं तो फुलवा की माई ने सबको हड़काया,
" अरे तनी जल्दी जल्दी,... और बिना गाना गाये रोपनी नहीं होती, चुप काहें हो सब,... "
लेकिन लड़कियां सब तो फुलवा की ननद के पीछे पड़ी थीं बोलीं, " अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...
और अब गितवा भी एकदम खुल गयी थी, चमरौटी, भरौटी की लड़कियों से। वो भी उन्ही की ओर से अपने बगल में रोपनी करती फुलवा की ननद को कोहनी से मार के चिढ़ाते हुए बोली,
" हमरे भैया क लौंड़ा अभी भी मुंह में है का गाना नहीं निकल रहा है "
" अरे हमरे भाई क सारे क चोदी, भाईचोद,... गाना तो हम जरूर सुनाइब और तोहार नाम ले ले के, लेकिन साथ साथ सब को गाना होगा और सबसे पहले तोंहे "
“”गितवा, चमेलिया और फुलवा क ननद
लेकिन फुलवा की छोटकी बहिनिया, चमेलिया बोली,... " माई आप जाइए,... मैं और दीदी की ननंद और ये सब, हम लोग छोड़ देंगे और वैसे भी दीदी की ननद को ज़रा आपन गाँव दिखा देंगे। "
और जो रही सही झिझक थी वो जब गितवा, फुलवा की ननद और चमेलिया के साथ गाँव का चक्कर मार रही थी. जिस तरह से हचक ह्च्चक के अरविंदवा ने फुलवा की ननदिया की फाड़ी थी अभी भी उससे नहीं चला जा रहा था, उसके एक ओर गितवा थी और दूसरी ओर चमेलिया, फुलवा की छुटकी बहिनिया। कभी उसे गितवा सम्हालती तो कभी चमेलिया लेकिन साथ में दोनों चिढ़ा भी रही थीं.
गितवा को याद आ रहा था जिस दिन उसके सगे भाई अरविन्द ने उसकी फाड़ी थी, अगले दिन वो भी पूरे दिन घर में दीवाल पकड़ पकड़ के चल रही थी, जबकी भैया ने कितने सम्हाल के चोदा था और पहले घर के कोल्हू का आधी बोतल कडुवा तेल बूँद बूँद करके उसकी चूत में डाला था, अपने खूंटे पे भी लेकिन फुलवा की ननदिया को अरविन्द भैया ने बहुत हुआ तो थूक लगा के पेला होगा तो दर्द तो होना ही है।
चमेलिया ने अपनी बड़ी बहन की ननद को चिढ़ाया,
" अभी से ये हाल है तो जउने दिन गंडिया फटेगी न तो ओह दिन का हाल होगा "
फुलवा की ननदिया जनम की छिनार थी, बहुत चालाक, उसने सवाल तुरंत गितवा की ओर मोड़ दिया,
" हमरे भैया क सार से कब गंडिया मरवायी थी, भाई चोद ? "
गितवा बड़ी जोर से खिलखिलाई और हंस के बोली,
" अरे हमरे भैया क रखैल, ये पूछ कौन दिन अरविंदवा नहीं मारता, ... अगवाड़ा बच भी जाए, पिछवाड़ा नहीं बच पाता। आज जब हम रोपनी में आये हैं उसके साथ तो ओकरे पहले अस हचक के हमार गाँड़ मारा था की खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, और तू तो हमरे गाँव क मेहमान हो, बिना तोहार गाँड़ मारे तो वो छोड़ेगा नहीं। "
फुलवा की ननदिया बड़ी चालाक, रोपनी के मज़ाक की बात और थी, उसने गितवा से कबुलवा लिया की वो अपने सगे भाई से न सिर्फ गाँड़ मरवाती है बल्कि रोज बिना नागा, और ये बात उसने चमेलिया के सामने कही तो बाद में मुकर भी नहीं सकती। लेकिन गितवा की बात का बड़े मजे से उसने जवाब दिया, पक्की छिनार जनम की, नौटंकी करती अपने पिछवाड़े दोनों हाथ चूतड़ पे रख के अंदाज से बोली,
" नहीं नहीं मुझके नहीं मरवाना गाँड़ ये सब काम लौंडो का है या तोहरे गाँव क लौंडिया क "
चमेलिया ने चटाक से एक चांटा उसके चूतड़ पे कस के मारा पूरी ताकत से और बोली,
" अस करारा चूतड़ बिन मरवाये वापस चली जाओगी,... अरे दो का तीन दिन नहीं हो पायेगा,... हम और गितवा मिल के पटक के इहे अमराई में तोहार गाँड़ फड़वाएंगे अपने सामने, वरना कहोगी फुलवा क गाँव क लौंडन में गाँड़ मारने क ताकत ही नहीं है "
और गितवा ने भी हामी भरी,
" चमेलिया एकदम सही कह रही है, हम दोनों मिल के निहुराये के,... नहीं" तो पटक के लिटाय के , और हमार भाई चढ़ के अगवाड़ा नहीं पिछवाड़ा, अइसन चिल्लाओगी सात गाँव सुनाई देगा,... "
" और ज्यादा चिल्लाने की भी मौका नहीं मिलेगा एक बार बस सुपाड़ा अंदर चला जाए उसके बाद तो लाख चिल्लाओ चूतड़ पटको,... " चमेलिया बोल ही रही थी की आगे की बात गितवा ने पूरी की,..
" एकदम हमार भाई बिना गाँड़ मारे छोड़ेगा नहीं असली जान तो तब निकलती है जब रगड़ता दरेरता उसका मोटा मूसल गाँड़ का छल्ला पार करता है। "
" लेकिन उस समय ये चिल्ला न पाएंगी " चमेलिया मुस्करा के बोली,...
ये बात गितवा की भी समझ में नहीं आयी, और पूछ बैठी
" क्यों कैसे बहुत दर्द होगा इसको, अरविन्द भैया का इतना मोटा है महीने भर से ऊपर हो गया मुझे गाँड़ मरवाते,... अभी तक जब गाँड़ का छल्ला पार होता है मैं जोर से चीख पड़ती हूँ "
फुलवा की ननद जोर से मुस्करायी, यही तो वो सुनना चाहती थी, गितवा खुदे कबूल रही थी की अपने सगे भाई से रोज लेकिन जब चमेलिया बोली तो वो सन्न रह गयी.
चमेलिया गितवा को समझा रही थी,
" अरे खाली दीदी क ननद क गाँड़ ही मजा लेई, एनकर गाँड़ मखमल क और हमनन का टाट पट्टी वाली,... अरे जब तोहार भाई क मोटका मूसर इनकी गाँड़ में घुसी न,... तो आपन पिछवाड़ा फैलाय क पूरा खोल के हम इनके मुंह के ऊपर और मुंह बंद करने की कउनो कोशिश की तो नाक बंद, सांस लेना मुश्किल,... "
" एकदम और दुनो हाथ मैं पकडे रहूंगी,... " गितवा ने अपना रोल भी तय कर लिया,...
" एकदम बारी बारी से हम दुनो जनी चटवायेंगी पिछवाड़ा,... और हे हमरे पूरे गाँव क रखैल सुन ला, ... जीभ एकदम अंदर सब माल मत्ता आखिर हम लोगन क भाई से मजा लोगी तो "
वो तीनो घंटे दो घण्टे गाँव में टहलती रहीं , खेत खलिहान, नदी बगीचा, सब और बाद में चमेलिया और फुलवा की ननद ने गितवा को उसके घर छोड़ दिया और गितवा बोली की कल भी रोपनी में जरूर आएगी ,
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
"
गितवा, चमेलिया और फुलवा क ननद
लेकिन फुलवा की छोटकी बहिनिया, चमेलिया बोली,... " माई आप जाइए,... मैं और दीदी की ननंद और ये सब, हम लोग छोड़ देंगे और वैसे भी दीदी की ननद को ज़रा आपन गाँव दिखा देंगे। "
और जो रही सही झिझक थी वो जब गितवा, फुलवा की ननद और चमेलिया के साथ गाँव का चक्कर मार रही थी. जिस तरह से हचक ह्च्चक के अरविंदवा ने फुलवा की ननदिया की फाड़ी थी अभी भी उससे नहीं चला जा रहा था, उसके एक ओर गितवा थी और दूसरी ओर चमेलिया, फुलवा की छुटकी बहिनिया। कभी उसे गितवा सम्हालती तो कभी चमेलिया लेकिन साथ में दोनों चिढ़ा भी रही थीं.
गितवा को याद आ रहा था जिस दिन उसके सगे भाई अरविन्द ने उसकी फाड़ी थी, अगले दिन वो भी पूरे दिन घर में दीवाल पकड़ पकड़ के चल रही थी, जबकी भैया ने कितने सम्हाल के चोदा था और पहले घर के कोल्हू का आधी बोतल कडुवा तेल बूँद बूँद करके उसकी चूत में डाला था, अपने खूंटे पे भी लेकिन फुलवा की ननदिया को अरविन्द भैया ने बहुत हुआ तो थूक लगा के पेला होगा तो दर्द तो होना ही है।
चमेलिया ने अपनी बड़ी बहन की ननद को चिढ़ाया,
" अभी से ये हाल है तो जउने दिन गंडिया फटेगी न तो ओह दिन का हाल होगा "
फुलवा की ननदिया जनम की छिनार थी, बहुत चालाक, उसने सवाल तुरंत गितवा की ओर मोड़ दिया,
" हमरे भैया क सार से कब गंडिया मरवायी थी, भाई चोद ? "
गितवा बड़ी जोर से खिलखिलाई और हंस के बोली,
" अरे हमरे भैया क रखैल, ये पूछ कौन दिन अरविंदवा नहीं मारता, ... अगवाड़ा बच भी जाए, पिछवाड़ा नहीं बच पाता। आज जब हम रोपनी में आये हैं उसके साथ तो ओकरे पहले अस हचक के हमार गाँड़ मारा था की खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, और तू तो हमरे गाँव क मेहमान हो, बिना तोहार गाँड़ मारे तो वो छोड़ेगा नहीं। "
फुलवा की ननदिया बड़ी चालाक, रोपनी के मज़ाक की बात और थी, उसने गितवा से कबुलवा लिया की वो अपने सगे भाई से न सिर्फ गाँड़ मरवाती है बल्कि रोज बिना नागा, और ये बात उसने चमेलिया के सामने कही तो बाद में मुकर भी नहीं सकती। लेकिन गितवा की बात का बड़े मजे से उसने जवाब दिया, पक्की छिनार जनम की, नौटंकी करती अपने पिछवाड़े दोनों हाथ चूतड़ पे रख के अंदाज से बोली,
" नहीं नहीं मुझके नहीं मरवाना गाँड़ ये सब काम लौंडो का है या तोहरे गाँव क लौंडिया क "
चमेलिया ने चटाक से एक चांटा उसके चूतड़ पे कस के मारा पूरी ताकत से और बोली,
" अस करारा चूतड़ बिन मरवाये वापस चली जाओगी,... अरे दो का तीन दिन नहीं हो पायेगा,... हम और गितवा मिल के पटक के इहे अमराई में तोहार गाँड़ फड़वाएंगे अपने सामने, वरना कहोगी फुलवा क गाँव क लौंडन में गाँड़ मारने क ताकत ही नहीं है "
और गितवा ने भी हामी भरी,
" चमेलिया एकदम सही कह रही है, हम दोनों मिल के निहुराये के,... नहीं" तो पटक के लिटाय के , और हमार भाई चढ़ के अगवाड़ा नहीं पिछवाड़ा, अइसन चिल्लाओगी सात गाँव सुनाई देगा,... "
" और ज्यादा चिल्लाने की भी मौका नहीं मिलेगा एक बार बस सुपाड़ा अंदर चला जाए उसके बाद तो लाख चिल्लाओ चूतड़ पटको,... " चमेलिया बोल ही रही थी की आगे की बात गितवा ने पूरी की,..
" एकदम हमार भाई बिना गाँड़ मारे छोड़ेगा नहीं असली जान तो तब निकलती है जब रगड़ता दरेरता उसका मोटा मूसल गाँड़ का छल्ला पार करता है। "
" लेकिन उस समय ये चिल्ला न पाएंगी " चमेलिया मुस्करा के बोली,...
ये बात गितवा की भी समझ में नहीं आयी, और पूछ बैठी
" क्यों कैसे बहुत दर्द होगा इसको, अरविन्द भैया का इतना मोटा है महीने भर से ऊपर हो गया मुझे गाँड़ मरवाते,... अभी तक जब गाँड़ का छल्ला पार होता है मैं जोर से चीख पड़ती हूँ "
फुलवा की ननद जोर से मुस्करायी, यही तो वो सुनना चाहती थी, गितवा खुदे कबूल रही थी की अपने सगे भाई से रोज लेकिन जब चमेलिया बोली तो वो सन्न रह गयी.
चमेलिया गितवा को समझा रही थी,
" अरे खाली दीदी क ननद क गाँड़ ही मजा लेई, एनकर गाँड़ मखमल क और हमनन का टाट पट्टी वाली,... अरे जब तोहार भाई क मोटका मूसर इनकी गाँड़ में घुसी न,... तो आपन पिछवाड़ा फैलाय क पूरा खोल के हम इनके मुंह के ऊपर और मुंह बंद करने की कउनो कोशिश की तो नाक बंद, सांस लेना मुश्किल,... "
" एकदम और दुनो हाथ मैं पकडे रहूंगी,... " गितवा ने अपना रोल भी तय कर लिया,...
" एकदम बारी बारी से हम दुनो जनी चटवायेंगी पिछवाड़ा,... और हे हमरे पूरे गाँव क रखैल सुन ला, ... जीभ एकदम अंदर सब माल मत्ता आखिर हम लोगन क भाई से मजा लोगी तो "
वो तीनो घंटे दो घण्टे गाँव में टहलती रहीं , खेत खलिहान, नदी बगीचा, सब और बाद में चमेलिया और फुलवा की ननद ने गितवा को उसके घर छोड़ दिया और गितवा बोली की कल भी रोपनी में जरूर आएगी ,
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
"
“”गितवा, चमेलिया और फुलवा क ननद
लेकिन फुलवा की छोटकी बहिनिया, चमेलिया बोली,... " माई आप जाइए,... मैं और दीदी की ननंद और ये सब, हम लोग छोड़ देंगे और वैसे भी दीदी की ननद को ज़रा आपन गाँव दिखा देंगे। "
और जो रही सही झिझक थी वो जब गितवा, फुलवा की ननद और चमेलिया के साथ गाँव का चक्कर मार रही थी. जिस तरह से हचक ह्च्चक के अरविंदवा ने फुलवा की ननदिया की फाड़ी थी अभी भी उससे नहीं चला जा रहा था, उसके एक ओर गितवा थी और दूसरी ओर चमेलिया, फुलवा की छुटकी बहिनिया। कभी उसे गितवा सम्हालती तो कभी चमेलिया लेकिन साथ में दोनों चिढ़ा भी रही थीं.
गितवा को याद आ रहा था जिस दिन उसके सगे भाई अरविन्द ने उसकी फाड़ी थी, अगले दिन वो भी पूरे दिन घर में दीवाल पकड़ पकड़ के चल रही थी, जबकी भैया ने कितने सम्हाल के चोदा था और पहले घर के कोल्हू का आधी बोतल कडुवा तेल बूँद बूँद करके उसकी चूत में डाला था, अपने खूंटे पे भी लेकिन फुलवा की ननदिया को अरविन्द भैया ने बहुत हुआ तो थूक लगा के पेला होगा तो दर्द तो होना ही है।
चमेलिया ने अपनी बड़ी बहन की ननद को चिढ़ाया,
" अभी से ये हाल है तो जउने दिन गंडिया फटेगी न तो ओह दिन का हाल होगा "
फुलवा की ननदिया जनम की छिनार थी, बहुत चालाक, उसने सवाल तुरंत गितवा की ओर मोड़ दिया,
" हमरे भैया क सार से कब गंडिया मरवायी थी, भाई चोद ? "
गितवा बड़ी जोर से खिलखिलाई और हंस के बोली,
" अरे हमरे भैया क रखैल, ये पूछ कौन दिन अरविंदवा नहीं मारता, ... अगवाड़ा बच भी जाए, पिछवाड़ा नहीं बच पाता। आज जब हम रोपनी में आये हैं उसके साथ तो ओकरे पहले अस हचक के हमार गाँड़ मारा था की खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, और तू तो हमरे गाँव क मेहमान हो, बिना तोहार गाँड़ मारे तो वो छोड़ेगा नहीं। "
फुलवा की ननदिया बड़ी चालाक, रोपनी के मज़ाक की बात और थी, उसने गितवा से कबुलवा लिया की वो अपने सगे भाई से न सिर्फ गाँड़ मरवाती है बल्कि रोज बिना नागा, और ये बात उसने चमेलिया के सामने कही तो बाद में मुकर भी नहीं सकती। लेकिन गितवा की बात का बड़े मजे से उसने जवाब दिया, पक्की छिनार जनम की, नौटंकी करती अपने पिछवाड़े दोनों हाथ चूतड़ पे रख के अंदाज से बोली,
" नहीं नहीं मुझके नहीं मरवाना गाँड़ ये सब काम लौंडो का है या तोहरे गाँव क लौंडिया क "
चमेलिया ने चटाक से एक चांटा उसके चूतड़ पे कस के मारा पूरी ताकत से और बोली,
" अस करारा चूतड़ बिन मरवाये वापस चली जाओगी,... अरे दो का तीन दिन नहीं हो पायेगा,... हम और गितवा मिल के पटक के इहे अमराई में तोहार गाँड़ फड़वाएंगे अपने सामने, वरना कहोगी फुलवा क गाँव क लौंडन में गाँड़ मारने क ताकत ही नहीं है "
और गितवा ने भी हामी भरी,
" चमेलिया एकदम सही कह रही है, हम दोनों मिल के निहुराये के,... नहीं" तो पटक के लिटाय के , और हमार भाई चढ़ के अगवाड़ा नहीं पिछवाड़ा, अइसन चिल्लाओगी सात गाँव सुनाई देगा,... "
" और ज्यादा चिल्लाने की भी मौका नहीं मिलेगा एक बार बस सुपाड़ा अंदर चला जाए उसके बाद तो लाख चिल्लाओ चूतड़ पटको,... " चमेलिया बोल ही रही थी की आगे की बात गितवा ने पूरी की,..
" एकदम हमार भाई बिना गाँड़ मारे छोड़ेगा नहीं असली जान तो तब निकलती है जब रगड़ता दरेरता उसका मोटा मूसल गाँड़ का छल्ला पार करता है। "
" लेकिन उस समय ये चिल्ला न पाएंगी " चमेलिया मुस्करा के बोली,...
ये बात गितवा की भी समझ में नहीं आयी, और पूछ बैठी
" क्यों कैसे बहुत दर्द होगा इसको, अरविन्द भैया का इतना मोटा है महीने भर से ऊपर हो गया मुझे गाँड़ मरवाते,... अभी तक जब गाँड़ का छल्ला पार होता है मैं जोर से चीख पड़ती हूँ "
फुलवा की ननद जोर से मुस्करायी, यही तो वो सुनना चाहती थी, गितवा खुदे कबूल रही थी की अपने सगे भाई से रोज लेकिन जब चमेलिया बोली तो वो सन्न रह गयी.
चमेलिया गितवा को समझा रही थी,
" अरे खाली दीदी क ननद क गाँड़ ही मजा लेई, एनकर गाँड़ मखमल क और हमनन का टाट पट्टी वाली,... अरे जब तोहार भाई क मोटका मूसर इनकी गाँड़ में घुसी न,... तो आपन पिछवाड़ा फैलाय क पूरा खोल के हम इनके मुंह के ऊपर और मुंह बंद करने की कउनो कोशिश की तो नाक बंद, सांस लेना मुश्किल,... "
" एकदम और दुनो हाथ मैं पकडे रहूंगी,... " गितवा ने अपना रोल भी तय कर लिया,...
" एकदम बारी बारी से हम दुनो जनी चटवायेंगी पिछवाड़ा,... और हे हमरे पूरे गाँव क रखैल सुन ला, ... जीभ एकदम अंदर सब माल मत्ता आखिर हम लोगन क भाई से मजा लोगी तो "
वो तीनो घंटे दो घण्टे गाँव में टहलती रहीं , खेत खलिहान, नदी बगीचा, सब और बाद में चमेलिया और फुलवा की ननद ने गितवा को उसके घर छोड़ दिया और गितवा बोली की कल भी रोपनी में जरूर आएगी ,
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
"
“”गाँव जवार
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
" लेकिन दीदी, अपने भैया के साथ जो किया था, रोज करवाती थीं, अगवाड़े पिछवाड़े, वो सब तो रोपनी वालियों ने खुद आपके मुंह से कबुलवा लिया तो फिर,...कहीं पूरे गाँव में "
गीता बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर खुश होके अपनी नयी बनी छोटी बहन को चूम लिया और हंस के बोली,
"पगली, ... आज कल क्या कहते हैं व्हाट्सअप और इंस्टा फैला है न रोपनी वालियां उन सबसे भी १०० हाथ आगे हैं, ... फिर मुझे कौन झिझक थी, हाँ भैया ही थोड़ा बहुत झिझकता था , माँ को भी कुछ फरक नहीं पड़ता था अगर गाँव वालों को मालूम हो जाये,... तो फिर जब हम माँ बेटी को कुछ नहीं तो,... वो तो कहती थीं प्यार क्या जब तक खुल्ल्म खुला न हो और कौन इस गाँव की लड़कियां अपने मरद के लिए बचा के रखती हैं , सब के सब अपना जोबना , खेत खलिहान, बाग़ बगीचे में लुटाती फिरती हैं , और गाँव के रिश्ते से तो वो लौंडे भी भाई हुए न , तो फिर अगर सगा भाई चढ़ गया तो क्या,... "
और गीता ने कुछ रुक के रोपनी वालियों के बारे में बात और खोली,...
" देख शक तो सब को था, ... तभी तो मेरे पहुँचते ही सब मेरे भैया का नाम मेरे साथ जोड़ जोड़ के , भैया के सामने ही,... और ऊँगली डालते ही मेरे अगवाड़े पिछवाड़े मलाई बजबजा रही थी , और मैं भैया के साथ घर से ही मुंह अँधेरे आ रही थी , रात अभी भी ख़तम भी नहीं हुयी थी,... और घर में मेरे और माँ के अलावा भैया ही तो था , ... "
फिर कुछ रुक के खिलखिलाते हुए गीता ने जोड़ा,
" मलाई निकालने वाली मशीन तो माँ के पास है नहीं तो मलाई और किस की होती , अरविंदवा की ही न , बस,... "
अबकी छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया,
___
छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,... गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
“”गाँव जवार
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
" लेकिन दीदी, अपने भैया के साथ जो किया था, रोज करवाती थीं, अगवाड़े पिछवाड़े, वो सब तो रोपनी वालियों ने खुद आपके मुंह से कबुलवा लिया तो फिर,...कहीं पूरे गाँव में "
गीता बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर खुश होके अपनी नयी बनी छोटी बहन को चूम लिया और हंस के बोली,
"पगली, ... आज कल क्या कहते हैं व्हाट्सअप और इंस्टा फैला है न रोपनी वालियां उन सबसे भी १०० हाथ आगे हैं, ... फिर मुझे कौन झिझक थी, हाँ भैया ही थोड़ा बहुत झिझकता था , माँ को भी कुछ फरक नहीं पड़ता था अगर गाँव वालों को मालूम हो जाये,... तो फिर जब हम माँ बेटी को कुछ नहीं तो,... वो तो कहती थीं प्यार क्या जब तक खुल्ल्म खुला न हो और कौन इस गाँव की लड़कियां अपने मरद के लिए बचा के रखती हैं , सब के सब अपना जोबना , खेत खलिहान, बाग़ बगीचे में लुटाती फिरती हैं , और गाँव के रिश्ते से तो वो लौंडे भी भाई हुए न , तो फिर अगर सगा भाई चढ़ गया तो क्या,... "
और गीता ने कुछ रुक के रोपनी वालियों के बारे में बात और खोली,...
" देख शक तो सब को था, ... तभी तो मेरे पहुँचते ही सब मेरे भैया का नाम मेरे साथ जोड़ जोड़ के , भैया के सामने ही,... और ऊँगली डालते ही मेरे अगवाड़े पिछवाड़े मलाई बजबजा रही थी , और मैं भैया के साथ घर से ही मुंह अँधेरे आ रही थी , रात अभी भी ख़तम भी नहीं हुयी थी,... और घर में मेरे और माँ के अलावा भैया ही तो था , ... "
फिर कुछ रुक के खिलखिलाते हुए गीता ने जोड़ा,
" मलाई निकालने वाली मशीन तो माँ के पास है नहीं तो मलाई और किस की होती , अरविंदवा की ही न , बस,... "
अबकी छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया,
___
छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,... गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
भौजाई के गाँव आएगी तो भौजाई के भाई छोड़ेंगे थोड़ी“”
कली से फूल बन गई ननदिया![]()