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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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गीता का भाई ले लिया आनंद
खेतवा में चुद गई फुलवा की ननंद

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आरुषी जी

अद्भुत

गागर में सागर शब्दों से तो आप भरती ही थीं इतना सटीक चित्र जो बिन कहे ही फुलवा की ननद की देह और मन दोनों की हालत दिखा रहा है

आभार
 

Premkumar65

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गाँव जवार






गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।

गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...

लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,

" लेकिन दीदी, अपने भैया के साथ जो किया था, रोज करवाती थीं, अगवाड़े पिछवाड़े, वो सब तो रोपनी वालियों ने खुद आपके मुंह से कबुलवा लिया तो फिर,...कहीं पूरे गाँव में "

गीता बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर खुश होके अपनी नयी बनी छोटी बहन को चूम लिया और हंस के बोली,

"पगली, ... आज कल क्या कहते हैं व्हाट्सअप और इंस्टा फैला है न रोपनी वालियां उन सबसे भी १०० हाथ आगे हैं, ... फिर मुझे कौन झिझक थी, हाँ भैया ही थोड़ा बहुत झिझकता था , माँ को भी कुछ फरक नहीं पड़ता था अगर गाँव वालों को मालूम हो जाये,... तो फिर जब हम माँ बेटी को कुछ नहीं तो,... वो तो कहती थीं प्यार क्या जब तक खुल्ल्म खुला न हो और कौन इस गाँव की लड़कियां अपने मरद के लिए बचा के रखती हैं , सब के सब अपना जोबना , खेत खलिहान, बाग़ बगीचे में लुटाती फिरती हैं , और गाँव के रिश्ते से तो वो लौंडे भी भाई हुए न , तो फिर अगर सगा भाई चढ़ गया तो क्या,... "
और गीता ने कुछ रुक के रोपनी वालियों के बारे में बात और खोली,...


" देख शक तो सब को था, ... तभी तो मेरे पहुँचते ही सब मेरे भैया का नाम मेरे साथ जोड़ जोड़ के , भैया के सामने ही,... और ऊँगली डालते ही मेरे अगवाड़े पिछवाड़े मलाई बजबजा रही थी , और मैं भैया के साथ घर से ही मुंह अँधेरे आ रही थी , रात अभी भी ख़तम भी नहीं हुयी थी,... और घर में मेरे और माँ के अलावा भैया ही तो था , ... "


फिर कुछ रुक के खिलखिलाते हुए गीता ने जोड़ा,

" मलाई निकालने वाली मशीन तो माँ के पास है नहीं तो मलाई और किस की होती , अरविंदवा की ही न , बस,... "

अबकी छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की

" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी

लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...

गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया,

___

छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,... गितवा खिलखिला के हंसी

" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
Fantastic update. How much truth is there about village girls and ladies being so promiscuous? Can you give your frank opinion about it dear Komal Rani? Any other members from village background may also give their opinion.
 

komaalrani

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“”

" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "

" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...

“”

🔥🔥🔥🔥🔥 बहुत मस्ट
Thanks so much for nice words of apprecaition
 

komaalrani

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" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "

“”

उफ़ क्या जवाब दिया है गीतवा ने मज़ा आ गया🤤🤤
अब गितवा गाँव की लड़कियों के, भौजाइयों के रंग में पूरी तरह रंग गयी है , एकदम खुल के सूद ब्याज समेत जवाब दे रही है ,

थैंक्स सो मच।
 

pprsprs0

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नागपंचमी मनाई तो पूरे देश में ही जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश में इस त्योहार को कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है. दरअसल, नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश में ... गुड़िया को पीटा जाता है. नागपंचमी की इस परंपरा के दौरान महिलाएं घर के पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर लटकाती हैं. फिर बच्चें उन्हें डंडों से पीटकर खुश होते हैं.

नागपंचमी को महिलाएँ घर के पुराने कपडों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर डालती हैं और बच्चे उन्हें कोड़ो और डंडों से पीटकर खुश होते हैं। इस परम्परा की शुरूआत के बारे में एक कथा प्रचलित है।लड़की ने भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी बहन को सुनाई तो वह रोने लगी। फिर वहां उपस्थित लोगों ने कहा कि ‘नाग’ देवता का रूप होते हैं इसीलिए तुम्हें दंड तो मिलेगा, चूंकि यह पाप अनजाने में हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा।


अवध में थोड़ा बदला रूप है

लड़के गुड़िया पीटते हैं और लड़कियां ऊपर से उनके ऊपर पानी डालती हैं।

क्यों जगहों पर लड़कियां सज धज के गुड़िया के साथ जाती हैं और लड़के उनसे गुड़िया को छीन के पीटते हैं और पीट पीट के उसके चीथड़े कर देते हैं

तो बस मैंने वही उपमा दी

इस उपमा का प्रयोग इसलिए भी किया की माहौल सावन का है , नागपंचमी सावन में ही पड़ती है और गाँव के लोग इस इमेजरी से परिचित होते हैं।

धन्यवाद ये प्रश्न उठाने के लिए शायद बहुत से लोग नागपंचमी की इस परम्परा से न परिचित हों और वैसे भी एक सीमित क्षेत्र में यह मनाई जाती है

जैसे गोवर्धन पूजा में बहनें कई जगहों पर भाई को गाली देती हैं

और भांजे की शादी में इमली घोटाई की रस्म में भाई को बहन के यहाँ खूब अच्छी वाली गालियां पड़ती हैं


मैं अपने को कहानियों में गंवई गलियों में भटकने से रोक नहीं पाती शायद ये मेरी कमजोरी है।
Thanks komaalrani ji , information share karne ke liye , mei bhi waise U.P se hi hu par ye mere liye bhi naha tha, aur गोवर्धन pooja se aap bhai dooj ki baat kar rahi hai jo diwali ke baad aata hai ???
 

komaalrani

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Thanks komaalrani ji , information share karne ke liye , mei bhi waise U.P se hi hu par ye mere liye bhi naha tha, aur गोवर्धन pooja se aap bhai dooj ki baat kar rahi hai jo diwali ke baad aata hai ???
ekdm main Bhai dooj ki baat kar rahi thi aur isliye Bhai dooj kahate hain aur uski story bhi isi Gudiya pitne ki tarah badi interesting hai. UP men Gudia Pitane vaali parampara central UP, aur Awadh ke jilon men jitani hai utani shaayd eastern UP men nahi hai. stories bhi uske piche ki alag alaga hai lekin isliye maine ek link bhi diya aapni baat ke details ke liye , kabhi mauka mila to Bhai dooj ka bhi vsitaar se varnan karungi

Thanks so much aapke saval ne mauka diya is majedaar Bhai Bhahn ke khel ke baare men bataane ke liye.
 

komaalrani

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Fantastic update. How much truth is there about village girls and ladies being so promiscuous? Can you give your frank opinion about it dear Komal Rani? Any other members from village background may also give their opinion.
stories are always, dreams and fantasies wrapped in a kernel of truth garnished by the beauty of language and power of description. And even to know what is ' truth' per se may take a life time or more. Our memories, dreams and desires always color the past. I will suggest ( if you have not seen ) to watch Rashomon, a 1950 movie directed and written by Akira Kurosawa, and which has given the language a new word Rashomon effect.

 

komaalrani

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" अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...

“”
मस्ट 🔥🔥
aapke comment ke bina ye story khali khali lagati hai
 

komaalrani

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" अरे हमरे भैया क रखैल, ये पूछ कौन दिन अरविंदवा नहीं मारता, ... अगवाड़ा बच भी जाए, पिछवाड़ा नहीं बच पाता। आज जब हम रोपनी में आये हैं उसके साथ तो ओकरे पहले अस हचक के हमार गाँड़ मारा था की खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, और तू तो हमरे गाँव क मेहमान हो, बिना तोहार गाँड़ मारे तो वो छोड़ेगा नहीं। "

“”

ख़ुद ही राज़ खोल देती है गीतेवा 😂
यही तो असली खेल है इस प्रसंग का।

और यही गितवा की माई भी चाहती थी फुलवा की माई भी,

अब तो बात फ़ैल गयी, गाँव गाँव गली गली

रोपनी में और उस से भी बढ़ के गितवा ने फुलवा की ननद से चमेलिया के सामने अपने और अपने सगे भाई अरविंदवा के रिश्ते को न सिर्फ कबूला बल्कि बढ़ चढ़ के गाया भी और अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों के किस्से अपनी नयी सहेलियों को सुनाये, ...

. तो अब न तो कोई ये बात गाँव भर में बल्कि आस पास के गाँव जवार में फैलने से कौन रोक सकता था बल्कि फुलवा की ननद जब अपने मायके लौटेगी तो अपनी भौजाई को भी अरविन्द और गितवा की बात सुनाएगी और फुलवा खूब खुश होगी की जो उसने अरविंदवा की हिम्मत बढ़ाई थी उसका असर हो गया।

और दूसरे गितवा ने खुद अपने मुंह से कबूला तो कैसे मना करेगी, ... स्कूल की सहेलियों को पहले ही पता चल गया था अब गाँव जवार में भी


तो फिर किस बात का हिचकना झिझकना अब तो सबके सामने भी खुल के अपने भाई के साथ मरद औरत की तरह वो रख सकती है।
 

komaalrani

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भाग ४८ - रोपनी -
फुलवा की ननद

page 394 - please read, enjoy like and share your comments
 
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