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बहुत बढ़िया तीनो पात्र एक साथ
बहुत बढ़िया तीनो पात्र एक साथ
नागपंचमी मनाई तो पूरे देश में ही जाती है लेकिन उत्तर प्रदेश में इस त्योहार को कुछ अलग तरीके से मनाया जाता है. दरअसल, नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश में ... गुड़िया को पीटा जाता है. नागपंचमी की इस परंपरा के दौरान महिलाएं घर के पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाकर चौराहे पर लटकाती हैं. फिर बच्चें उन्हें डंडों से पीटकर खुश होते हैं.“”
नाग पंचमी के दिन जैसे लड़के बहनों की गुड़िया की पीट पीट के बुरी हाल कर देते हैं बस वही हाल फुलवा की उस बारी उमर की ननदिया की हो रही थी, ब्लाउज जो कस के छोटे छोटे जोबन को दबोचे था और फुलवा के गाँव के लौंडो को चुनौती दे रहा था, ज्यादातर बटन टूट चुके थे , बस एक दो बटनों के सहारे किसी तरह से ब्लाउज में जोबन छुपने की बेकार कोशिश कर रहे थे.
“”
ये कुछ समझा नहीं कोमल जी , जरा explain कीजिए
मस्ट अपडेट है , देर आए दुरुस्त आये
Is Incest katha ko aage badhane men, gati dene men aur modne men Chhutaki ka bada role hai, vo sirf passive listener nahi hai vo Geeta ke baare men sb kuch janana chaahti hai aur uske bhaai Arvind ke baare men bhiChhutki bhi ese wakt pe sawal puchha ki maza hi aa gaya. Maza aa gaya. Bilkul end time pe chhutki ne sawal puchha. Or sawal ke jawab ke bad sab se last me bhaiya ke khute ka deewana pan. Superb
Congratsजोरू का गुलाम
१४ लाख व्यूज
सभी मित्रों का आभार, नमन
Perfect picture hai jaisi komal ji ne phulwa ki nanad ka hal jo sunaya hai
ThanksPerfect picture hai jaisi komal ji ne phulwa ki nanad ka hal jo sunaya hai
Now everyone can see how रोपनी done by Village teen girlsभाग ४८ - रोपनी -
फुलवा की ननद
ननदें कौन चुप रहने वाली थीं , एक बियाहिता अभी अभी गौने के बाद ससुराल से लौटी ननद सावन मनाने मायके आयी, चिढ़ाते बोली,...
" अरे तो भौजी लोगन को खुस होना चाहिए,की सीखा पढ़ा, खेला खेलाया मिला,... वरना निहुराय के कहीं अगवाड़े की बजाय पिछवाड़े पेल देता, महतारी बुरिया में चपाचप कडुवा तेल लगाय के बिटिया को चोदवाये के लिए भेजी थी और यहाँ दमाद सूखी सूखी गाँड़ मार लिया,... "
फिर तो ननदों की इतनी जोर की हंसी गूंजी,... और उसमें सबसे तेज गीता की हंसी थी, एक और कुँवारी ननद बोली,...
" अरे भौजी, तबे तो यहाँ के मरद एतने जोरदार है की सब भौजाई लोगन क महतारी दान दहेज़ दे की चुदवाने के लिए आपन आपन बिटिया यहां भेजती हैं ,... "
इस मस्ती के बीच रोपनी भी चल रही थी हाँ गन्ने के खेत से आने वाली चीखें अब थोड़ी देर पहले बंद हो गयी थीं और वहां से कभी कभी रुक के सिसकियाँ बस आतीं।
डेढ़ दो घण्टे से ऊपर हो गया था, भैया को फुलवा की बारी ननदिया को गन्ने के खेत में ले गए,... जब रोपनी शुरू हुयी थी, बस आसमान में ललाई छानी शुरू भी नहीं हुयी थी ठीक से,... और अब सूरज निकल तो आया था, लेकिन बादल अभी भी लुका छिपी खेल रहे थे, सावन भादो की धूप छाँह का खेल, और काले काले घने बादल जब आसमान में घिर जाते तो दिन में रात होने सा लगता,... और कभी धूप धकिया के नीचे खेत में रोपनी करने वालियों की मस्ती देखने, झाँकने लगती और कभी उन की शैतानियों से शरमा के बादलों के पीछे मुंह छिपा लेती,...
और तभी सबसे पहले एक भौजाई ने देखा, ...
फिर एक लड़की ने फिर बाकी लड़कियों ने और खिलखिलाहट हंसी, बिन कहे सब को मालूम पड़ गया की फुलवा की ननदिया का उसकी भौजाई के मायके में अच्छे से ख़ातिर हो गयी, जब गयी तो इठलाती, खिलखिलाती तितली की तरह उड़ती अरविंदवा के आगे आगे मचकती, मचलती, चला नहीं जा रहा था, कभी किसी पेड़ की टहनी पकड़ के सहारा लेती तो कभी चिलख के मारे एक दो कदम चल के रुक जाती, ...
गाँव वाली , उसे गाँव की पतली पतली मेंड़ों चलने का अभ्यास था, दौड़ती उछलती चलती थी, पर अभी, दोनों ओर पानी में डूबे , पौध के खेत, बीच बीच में बगुले,... पर अभी, फुलवा की ननदिया, ... उमर में गितवा की ही समौरिया होगी,... सम्हल सम्हल के पैर रख रही थी, मेंड़ पर तब भी दो चार बार फिसली और एक पैर घुंटने तक कीचड़ में,... किसी तरह मुंह के बल गिरने से बची,
लड़कियां खिलखिलाने लगीं, ... “बहुत बोल रही थीं , अरविंदवा ने सारी अकड़ ढीली कर दी,... “
" हमरे गाँव क सांड़ है उ, आज ननद रानी को पता चला होगा केकरे नीचे आयी हैं, देखो चला नहीं जा रहा है अइसन हचक हचक के फाड़ा है,... "
चमेलिया ने अपनी दीदी फुलवा की ननद की हालत देख के खिलखिलाते हुए कहा
" गितवा के खसम ने "
एक भौजाई ने गीता को चिढ़ाते हुए, गीता को आँख मार के बात पूरी की।
गीता भी बहुत जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन फुलवा की माई ने आँख तरेर कर देखा और सब की सब चुप,...
असली खेल तो फुलवा की माई का ही था, वही फुलवा की ननद को रोपनी के लिए लायी थी, उसे मालूम था माल तैयार है लेकिन अभी कोरी गगरिया है, हाँ उमर की थोड़ी बारी है तो क्या हुआ,... और फुलवा की माई ने ही अरविंदवा को समझा बुझा के इस कच्ची कली के साथ गन्ने के खेत में भेजा था. उसे मालूम था एक बार अपनी भौजाई के गाँव क सबसे मोटा गन्ना घोंट लेगी और उहो कुल लड़कियन भौजाई के सामने तो बस,... और ये तो शुरुआत थी,... अभी तो रोपनी कई दिन चलनी थी,
फुलवा की ननदिया थोड़ी नजदीक आयी तो लड़कियों के साथ भौजाइयां भी खिलखिलाने लगीं,
वैसे तो फुलवा के पीछे गाँव की लड़कियां ही पड़ी थीं, फुलवा की ननद तो उनकी ननद,... लेकिन अब भौजाइयां भी, आखिर ननद की ननद तो डबल ननद और कच्ची कोरी ननदिया जब पहली बार चुद के आ रही हो तो कौन भौजाई चिढ़ाने का छेड़ने का मौका छोड़ेगी।
नाग पंचमी के दिन जैसे लड़के बहनों की गुड़िया की पीट पीट के बुरी हाल कर देते हैं बस वही हाल फुलवा की उस बारी उमर की ननदिया की हो रही थी, ब्लाउज जो कस के छोटे छोटे जोबन को दबोचे था और फुलवा के गाँव के लौंडो को चुनौती दे रहा था, ज्यादातर बटन टूट चुके थे , बस एक दो बटनों के सहारे किसी तरह से ब्लाउज में जोबन छुपने की बेकार कोशिश कर रहे थे.
जगह से जगह से फटा नुचा, ब्लाउज,गोरे गोरे उभार दिख ज्यादा रहे थे, छुप कम रहे थे और उस पे नाख़ून से नुचने के दांतों से कस कस के काटे जाने के निशान,
गोरे गुलाबी गालों पर जिस पे गाँव के सब लौंडे लुभाये,गितवा के भाई ने काट काट के , गाल से ज्यादा दांत के निशान और ऐसे गाढ़े की हफ़्तों नहीं जाए,...गुलाब से होठों को न सिर्फ कस के चूसा था उस भौरें ने बल्कि उस को भी काट के, कई जगह खून छलछला आया था,... जिस तरह टाँगे फैला के वो चल रही थी, लग रहा था लकड़ी की कोई मोटी खपच्ची जैसे अभी भी उसकी दोनों जांघों के बीच फंसी हुयी हो,... किसी तरह चलती,... रोपनी वालियों के पास आते आते लगा की वो फिसल के गिर जायेगी, पर
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “