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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी-होली-दीदी-की-ससुराल-में.

भाग १०४, पृष्ठ १०८१ , बुकवा ( उबटन ) और इमरतिया

अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
 
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Premkumar65

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लेकिन भाई इत्ते से संतुष्ट नहीं था , बहन को पूरा मजा देना था। बस उसने गाँड़ में मूसल धकेलने के साथ बहिन की कसी बुर में भी एक साथ दो ऊँगली ठेल दी. गीता और जोर से चीखी, भैया थोड़ा थोड़ा सा निकाल दो,... कौन भाई निकालता है,... ऐसी स्कूल में पढ़ने वाली कमसिन बहिन की गांड में धंसा लंड बिना झड़े, तो उसने भी नहीं निकाला और बल्कि कचकचा के गाल काटते हुए उसके कान में फुसफुसाया,...

" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,

और गीता ने जोर से बोला,

"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "



" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,

" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "

और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,

" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "

उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,

पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.

गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।



और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,

" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,

उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था ,





माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "

माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।

उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,

" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "

लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।

" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "

" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "



माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।

किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,

लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,

" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,"




पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं


चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "

और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "

तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।




ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।

घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया


' कितना बड़ा है तेरे भैया का '
what a wonderful writing Komalji. The family keeps planning new new tricks to expand their horizon. Kudos to you.
 

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" बोल स्साली, का निकालना है , कहाँ से निकालना है , मैं का कर रहा हूँ , खूब जोर जोर से वरना अभी तो कुछ नहीं , ... और ये कह के उसकी छोटी छोटी बस आती हुयी चूँची के ऊपरी हिस्से में इत्ते कस के दांत गड़ाए की दूर से निशान दिखते,

और गीता ने जोर से बोला,

"भैया मेरी गाँड़ में से लंड निकाल लो बहुत पिरा रहा है , भले ही बुर चोद लो। "



" ये तो बोल मैं का कर रहा हूँ,... " भाई ने फिर धीरे बोल के उसे उकसाया ,

" ओह्ह भैया आज कैसे गाँड़ मार रहे हो , बहुत पिरा रही है ,... "

और भाई ने टांगों की पकड़ उसकी टांगों पर ढीली कर दी , दर्द कम हो गया , ... और गीताअब बिना इस बात की चिंता किये,... की बाहर सहेलियां कान पारे बैठीं होगी, उसकी चल रही चुदाई का हाल जानने के लिए, खुद रनिंग कमेंट्री कर रही थी,

" ओह्ह उफ़ भैया, अबे स्साले तेरा लंड कितना मोटा है, गदहे ऐसा एकदम, जरा हलके हलके गाँड़ मार, ओह्ह भैया हाँ ऐसे ही , रुक जाओ बस एक मिनट,... "

उसका भाई अरविन्द भी जान रहा था की आज उसकी बहिन और उसका नाम, बहन के स्कूल में फ़ैल जाएगा और इसलिए वो और हचक ह्च्चक के अपनी बहनिया को इस तरह पेल रहा था की आज दिन भर अपने स्कूल में वो सीधे न चल सके और उसके स्कूल की सब लड़कियों को बिन बोले पता चल जाए की गितवा की गाँड़ खूब मोटे लंड से हचक के मारी गयी है,

पर उसका भाई अरविन्द, आज चुदने के बाद बहन पहली बार स्कूल जा रही थी तो चूत रानी को भी परसाद दिए बिना,... तो अपनी कभी दो तो कभी तीन उँगलियों से कस कस के चोद रहा था, और बहन उसके लिए भी सिसक रही थी. अरविन्द उसका भाई जानता था की उसकी बहिन की सारी सहेलियां उससे मरवाने के लिए मरती थीं, और सहेलियां ही क्यों, एक दो बार अपनी बहन के स्कूल में गया था, उसकी कसरती जवान देह देख के उसकी टीचरें भी उसे दिखा दिखा के अपनी चूचियां मसलती थीं.

गाँड़ में लग रहे धक्के खूब तूफानी थे, गीता कभी रोती बिसूरती तो कभी अपने भैया के धक्कों से सिसकती।



और कुछ देर बाद अरविन्द , गीता के भाई ने उसे रसोई के फर्श पे जमीन पे पीठ के बल लिटा दिया, लेकिन लंड अभी भी गाँड़ में धंसा था और तीन उँगलियाँ बुर में , कुछ देर में ही गीता झड़ने लगी और उसकी बदली आवाज सुन के बाहर खड़ी उसकी सहेलियां समझ गयीं सब खेली खायी थीं और अब आज उनकी सहेली भी उन्ही की गोल में ,... और उन सहेलियों के साथ गीता की माँ भी समझ गयी, अब खेल किनारे पे है, वो बोलीं,

" देखूं गितवा कहाँ इतना टाइम लगा रही है,... " और वो अंदर पहुँच गयीं,

उस समय तक गीता का भाई भी अपनी बहन की मोटी मोटी गाँड़ में कटोरी भर मलाई छोड़ रहा था ,





माँ उससे कुछ कहतीं उससे पहले वो समझ गया और बाकी बचा रस सीधे गाँड़ से निकाल के बहन के गोरे गोरे चेहरे पे, ... "

माँ यही तो चाहती थी आज बेटी की सब शरम लाज उसकी गाँड़ में घुस जायेगी, फिर वो खुल् के उनके बेटे से मरवायेगी।

उन्होंने खींच के दोनों को अलग किया और गीता को हड़काते हुए बोलीं,

" अरे तुझे स्कूल जाना है की नहीं , आज तो वैसे ही जल्दी छुट्टी हो जाएगी लौट के चुदवा लेना। कब से तेरी सहेलियां बाट देख रही हैं "

लेकिन गीता की निगाह अपनी चड्ढी पर थी जो नहीं मिल रही थी।

" माँ, चड्ढी नहीं दिख रही है , उसके बिना,... "

" उसके बिना क्या,... अरे स्कर्ट तो है तेरी , सब ढका छिपा है और फिर लड़कियों का स्कूल है सबकी स्कर्ट के नीचे वही बुर और गांड है , जल्दी जा , ज्यादा देर हो गई तो वो छिनार तेरी बड़ी मास्टराइन , मुर्गा बना देगी , सब तोपा ढँका बराबर हो जायेगा भाग छिनार जल्दी। "



माँ ने जोर से डांटा और पकड़ के खड़ा किया , गीता के पिछवाड़े जोर से चिलख मची थी जैसे किसी ने मोटी खपच्ची ठोंक दी हो और वो अभी तक घुसी हो।

किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर वो खड़ी हुयी , एक हाथ दीवाल पे दूसरा माँ के कंधे पे,... किसी तरह आड़े तिरछे चलते , कहरते घर से बाहर निकली की उसे याद आया की उसके चेहरे पर तो उसके भाई की रबड़ी मलाई,

लेकिन माँ ने उसे भी साफ़ करने से मना कर दिया,

" अरे चल तेरी दोस्त ही तो हैं , वो सब की सब चुदवाती होंगी,... उनसे क्या और रास्ते में पोंछ लेना ,"




पहुँचते ही एक सहेली ने उसे सहारा दिया दूसरे ने उसका बस्ता ले लिया, और तीसरी ने रास्ते में चेहरे पर से मलाई अपनी उँगलियों से साफ़ कर के अपनी बाकी सहेलियों को भी चिखाया ,और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं


चल बिन्नो बहुत देर हो रही है। "

और स्कर्ट उठा के अगवाड़े पिछवाड़े का मौका मुआयना भी किया, दोनों एक साथ बोलीं
" तोर भयवा नम्बरी चोदू लगता है, स्साले ने तेरी गाँड़ फाड़ के रख दी,... "

तीसरकी बोली, गीता स्साली कमीनी रोज हम लोगों का किस्सा सुनती थी आज अपना सुनाओ और जरा भी कैंची लगाया न तो स्साली तेरी गाँड़ दुबारा फाड़ दूँगी।




ये वही थी जिसकी चूत उसकी भाभी ने इसी साल होली में भांग पिला के फड़वायी थी और शाम को भाभी के मायके के दो भाई लगने वालों ने भी मुंह लगा के खूब रस लिया और तब से कभी नागा नहीं होता। इस समय आधे दर्जन से ऊपर उसके यार थे और रोज चार पांच चढ़ते थे , इसी की भाभी ने गीता को समझाया चढ़ाया था की वो अपने सगे भाई अरविन्द के सामने टांग फैला दे, उससे मस्त मर्द उसे नहीं मिलेगा, झिल्ली फड़वाने के लिए और फिर घर की बात घर में।

घोंट तीनो चुकी थी और एक का नहीं कितनों का तो सबने पहला सवाल यही किया


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what a wonderful writing Komalji. The family keeps planning new new tricks to expand their horizon. Kudos to you.
It's all due to support and help by readers like you, no thanks will be enough. I am really grateful. 🙏🙏🙏🙏
 

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Wah maja aa gaya. Fulva ab bhi kahani me bani hui he. Maza aa gaya. Chhutki gitva ki kahani sun ne badi betab he. Maza aa gaya
Ropnai ka agala bhaag koshish akrungi aaj hi post kar dun
 

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प्रॉमिस फुलवा का किया था...
लेकिन यहाँ तो फुलवा की माई...
बहरहाल ऐसी उत्कृष्ट और मनोहारी कहानी के लिए हम सब आभारी हैं..
फुलवा तो अपनी ससुराल में देवरों ननदोई संग हाँ उसकी ननद जरूर आ गयी है

और उसकी माँ और छोटी बहन चमेलिया तो है ही।
 

komaalrani

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मस्तराम को फेल कर दिया लेखनी में कोमल बहिनी.... वैसे होली आ रही, अरविंदवा की पिचकारी सबसे ज्यादा कहाँ चलेगी? गितवा
होली के अनेक रंग बिखरे हैं मेरे नए थ्रेड रंग प्रसंग में

कोई रिश्ता बचा नहीं

जीजा साली, देवर भाभी, ननद भाभी, नन्दोई सलहज

यहाँ तक की घर आँगन की होली में भाभियों ने देवर को बड़ी और छोटी दोनों दीदियों के साथ भी

जरूर पढ़िए और अपने कमेंट दीजिये



 

komaalrani

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मतलब फुलवा की माई मेन लीडर है....
एकदम सही पहचाना आपने

और अगर पुराने पन्ने पलटियेगा तो याद आएगा की अरविन्द की माँ ने ही उसे बोला था , फुलवा की माँ के पास जाने को और उसे रोपनी वालों को चुन चुन के लाने के लिए और साफ़ साफ कहा भी था नयी करारी ले आएगी वो, उसके लिए उसे इस्क्ट्रा और ये भी बताने को अब आगे से सब फैसला अरविन्द के ही हाथ में हैं,...

तो बस एक बार फुलवा की माँ लीडर हो गयी तो,...

आखिर उसकी बड़ी बेटी फुलवा गुरवाइंन भी तो थी अरविंदवा की आम के बगीचे में उसीने काम दान के साथ साथ उसकी धड़क खोली थी
 

komaalrani

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पिछला भाग

भाग ४७ = रोपनी पृष्ठ ३७५ पर


इस बार होली और होली के नए थ्रेड रंग प्रसंग के कारण गैप थोड़ा ज्यादा हो गया

अगला भाग

भाग ४८ आज ही।
 

komaalrani

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भाग ४८ - रोपनी -


फुलवा की ननद
 
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