दोनों बहनें अपनी दीदी के साथ छेड़ छाड़ में सबसे आगे..मेरी सास, ननद, जेठानी
और शादी क्या ऐसे तय होती है,
और शादी तो छोड़िये लड़की देखना भी ऐसे थोड़ी होता है जैसे इनके मायके वालों ने किया। न हम लोगों को नए परदे लगाने का मौका मिला, न आस पास से कुशन सेट टेबल क्लाथ मांग के लगाने का, न नया टी सेट खरीदने का।
दोनों मेरी दुश्मन जब से बात शुरू हुयी थी, चिढ़ाती रहती थीं,
" दीदी, ट्रे ले कर चलने की प्रैक्टिस शुरू कर दीजिये, खाली नहीं भरी केटली टी सेट, समोसे की प्लेट,... और आँखे नीचे कर के बात करियेगा। हँसियेगा एकदम मत,... "
दोनों आपस में मुझे दिखा के प्रैक्टिस करतीं। एक सास बनती, एकदम गुस्सैल नकचढ़ी, चल के दिखाओ, अखबार पढ़ो, खाने में क्या क्या बना लेती हो, भजन गाओ "
माँ ने कुंडली मिलने की खबर भिजवाई और अगले दिन वो लोग हाजिर,... बताया था की देर शाम तक लेकिन तिझरिये में ही, और मैं अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं थी, दरवाजा भी मैंने ही खोला। न ट्रे में चाय ले जाने का मौका मिला,... समोसे वो लोग खुद ही ले के आये थे, हमारे बगल वाले झटकु की दूकान से।
मेरी सास, यही ननद और जेठानी,
माँ ने पूछ लिया दामद जी नहीं आये तो मेरी जेठानी ने पट्ट जवाब दिया, " वो क्या करेंगे, देवरानी मुझे ले जानी है की उसे "
लेकिन सबसे बड़ा धमाका किया मेरी सास ने ये बोल के " हम लड़की देखने नहीं आये हैं "
हम सब लोगो को सांप सूंघ गया, क्या हो गया ये, लेकिन मेरी यही ननद बोलीं,
" हम लोग भाभी को ले आने आये हैं, "
और सास ने जिस तरह से मीठे बोल से मुझसे कहा, बेटी इधर आओ, ..
मेरे कदम अपने आप उनके पास, बगल में उन्होंने बैठा लिया, ... और अपने गले की सतलड़ी निकाल के मेरे गले में डाल दी और माँ से कहा की उनकी सास ने उनकी मुंह दिखाई में दिया था। मैं सास ननद के बीच बैठी।
मेरी माँ के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पड़ोस से मांग के आयी क्रोशिया की कढ़ाई, मैट वर्क अभी अंदर ही पड़े थे, जिसे दिखा के वो कहती मेरी बेटी ने काढ़ा है, दबी जबान से वो बोली और, शादी,...
मेरी ननद हमेशा से जुबान की तेज, मेरे ऊपर हाथ रख के,( जैसे लोग खाली सीट पे रुमाल रख देते हैं ) बोली,
" ये आप बड़े लोग तय करिये, मैं तो अपनी भाभी को ले जाने आयी हूँ। और जब भी शादी की तारीख तय हो जाए, रस्म वसम शुरू होने की बात तो मैं खुद भाभी को पहुंचा दूँगी, एक दम सील टाइट, चाक चौबंद, जैसे ले जारही हूँ उसी तरह। "
" और क्या, मेरा देवर मिठाई देख के ललचाता रहेगा, मिलेगी शादी के बाद, जब मैं कंगन खुलवा दूंगी। "
जेठानी कौन कम थीं, वो बोलीं।
माँ को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा लेकिन सास ने जब लेन देन की बात की तो उनकी फूंक सरकी।
मेरी सास बोलीं, देखिये लेन देन भी तय कर लें,... मेरी माँ चुप,
सास ने ही आगे की बात बोल दी,... देखिये जो मुझे लेना था मैंने ले लिया, मेरी बेटी मुझे मिल गयी, अब उसके बदले में जो मुझे देना है, .... तो बरात में लड़के के चाचा, ताऊ, फूफा, मामा मौसा, जो जो आप को पंसद आये, बस रख लीजियेगा, आप कहेंगी तो गदहे, घोड़े, हाथी,... सब पूरी बरात, समधन के लिए तो सब कुछ हाजिर है,... हाथ गोड़ या जो कुछ दबवाना हो उसके लिए हमारा नाउ, आपकी कुइंया में पानी भरने के लिए कन्हार,... जो कहिये सब,... लेकिन अपनी बेटी तो मैंने ले ली,...
और मजाक के मामले तो मेरी माँ भी कम नहीं थी, फिर खाने के समय ये गारियां गयीं माँ ने अपनी समधन के लिए
लगन की बात थी तो मिश्राइन भाभी थीं ही लेकिन उन्हें मेरी बारहवें के बोर्ड की भी तारीख मालुम थीं तो बोलीं की इम्तहान के बाद तो फिर दिन ठीक नहीं है, फिर चैत लग जाएगा, ... जेठ में ही २१ जून के बाद लग्न है।
लेकिन मेरी सास के मीठे बोल,... उन्होने रास्ता भी निकाल दिया। गौने में तो इतना ज्यादा लगन का चक्कर नहीं है तो
और मेरे होम साइंस के प्रैक्टिकल के दो दिन पहले शादी,... फरवरी में और जिस दिन इम्तहान ख़तम हुआ उसके चौथे दिन गौना। होली के हफ्ते भर बाद। चार दिन में साल पूरा होगा।
खीर अब ठंडी हो गयी थी।
मुझे याद आया मिश्राइन भाभी की एक एक बात सही निकली यहाँ तक की इनके कमर पे नाभि से एक बित्ते नीचे बायीं ओर तिल भी उन्होंने बताया था।
मैं भी न खीर के चक्कर में एक बात बतानी भूल ही गयी। मिश्राइन भाभी, इनके उच्च शुक्र और शुक्राणु की बात तो बता के चली गयी, मुझे कुछ भी गुदगुदी भी लग रही थी, कुछ कहीं कहीं डर भी लग रहा था, और मिश्राइन भाभी के जाते ही मैं माँ से चिपक गयी, मेरी सबसे बड़ी, सबसे अच्छी सहेली वही थीं,
" माँ मुझे, " मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे कहूं, बस मैं उनकी गोद में घुस के बैठ गयी और कस के दबोच लिया।
" ये मत कहना की तुझे शादी नहीं करनी, मैंने तो उन्हें हाँ भी कर दी, " माँ मुझे दुलराती बोलीं,
कैसे कहूं, नहीं समझ में आ रहा था, लेकिन मैंने माँ की परेशानी कम करते हुए, साफ़ कर दिया, " नहीं उसकी बात नहीं, वो आपने हाँ कर दिया तो ठीक है, शादी की नहीं, वो उसके बाद, "
अब माँ समझी, दुलार से मुझे चूमती बोलीं, " अरे अपनी मिश्राइन भौजी की बात से डर गयी तू " बड़ी देर तक वो खिलखिलाती रही फिर एकदम सीरियस हो के जैसे ससुराल जाती बेटी को माँ समझाती हैं, उसी तरह समझाते बोलीं
" देख मेरी बात एक सुन, गौने वाली रात, थोड़ा बहुत तो ठीक है, हर लड़की कुछ नखड़ा करती है, लेकिन ज्यादा नहीं। मरद को अगर कही पहले दिन मना कर दिया न तो जिंदगी भर के लिए खटास हो जाती है। और दर्द वर्द तो सब लड़की झेल लेती हूँ, किसी को कम, किसी को ज्यादा, और चीखे चिल्लायेगी भी उसमें भी कुछ बुराई नहीं है, लेकिन मेरे दामाद को इन्तजार मत कराना। बल्कि एक बात मेरी मान ले, लड़को को बड़ी जल्दीबाजी रहती है तो तो अपनी बुलबुल में थोड़ा सा कडुवा तेल पहले से डाल के जाना, दामाद मेरा तुझे छोड़ेगा तो है नहीं, छोड़ना चाहिए भी नहीं, इसलिए, हाँ और तेरी भौजाई, नाउन की नयकी बहुरिया, जब बुकवा करेगी न, लगन लगने पे तो वैसे भी मेरे कहने की जरूरत नहीं, वहां बिना तेल पानी किये छोड़ेगी नहीं। "
माँ भी मेरी न, शादी के पहले ही बेटी का पाला छोड़ के दामाद की ओर खिसक ली थीं।
लेकिन बात वो नहीं थी, इतना तो मुझे भी मालूम था। अब मैं झुँझला रही थी, कैसे समझाऊं माँ को , मिश्राइन भौजी ने इशारा भी दिया था लेकिन माँ के जिम्मे पचास काम वो भी भूल गयी थीं।
" माँ, वो नहीं, आप की बात ठीक है, मैं उसके बाद की बात कर रही हूँ " झुंझला के मैं बोली
अब माँ थोड़ा हंसी, थोड़ा सीरियस हुईं। फिर एक बार मुझे गोद में दुबकाया और बोलीं
" मेरी बिटिया सच में भोरी है, आज कल तो नौवें दसवे में पढ़ने वाली लड़कियां बस्ते में गोली लेलेकर टहलती हैं। लेकिन तू सही कह रही है तोर मिश्राइन भौजी भी कही थीं की किसी लेडी डाकटर को एक बार दिखा लें जैसा वो कहे, मैं ही भूल गयी थी। "
ये मिश्राइन भाभी तो हर मर्ज की दावा हैं...डाक्टर मीता,
और फिर लेडी डाक्टर की खोज शुरू हुयी।
लेडी डाक्टरों की कोई कमी नहीं थी शहर में, लेकिन मेरे स्कूल के रस्ते में एक डाकटर का क्लिनिक और नर्सिंग होम पड़ता था, एकदम सफ़ेद बाहर से चमकता रहता था। खूब बड़ा, ऐसी भीड़ की मेला झूठ, और एक से एक बड़ी बड़ी गाड़ियां, चमचमाती, नाम भी मैंने देख लिया था, लेकिन एक सहेली की भाभी से पूछा, तो उन्होंने बोला
" वो अच्छी तो बहुत हैं लेकिन अप्वाइंटमेंट मिलना बहुत टेढ़ा है, पंद्रह बीस दिन का तो वेटिंग है और उसके बाद भी, अरे तुझे तो गोली ही चाहिए न मैं बता देती हूँ,"
फिर खिलखिलाते हुए चिढ़ाया,
" देख तेरी सहेली हाईस्कूल में आयी थी तब से मैं दे रही हूँ, पूछ ले उससे, अबतक न जाने कितनो के आगे टांगे फैला चुकी है लेकिन गनीमत है एक दिन भी उलटी हुयी हो, पेट फूलने का तो सवाल ही नहीं "
लेकिन एक दिन मैं माँ से बात किया, उन्होंने भी दो तीन सहेलियों से बात किया था, सब उन्हें अच्छा तो बताती थीं जिसका नाम मैं लेती थी लेकिन बस यही की टाइम नहीं देतीं और बहुत महंगी है। लेकिन थोड़ी देर बाद मिश्राइन भौजी आ गयी और उन्होंने समस्या सुलझा दी, वो बोलीं,
" अरे वो डाक्टर मीता, काहे नहीं मिलेगा ऍप्वाइंटमंट ? अरे आप लोगो को मालूम नहीं, रितवा की बड़ी बहन हैं, किसी बड़े शहर में किसी बहुत बड़े हस्पताल में थी, लेकिन अपना नर्सिंग होम खोलना चाहती थी और रितवा भी यही थी तो आ गयी यहाँ। "
रितवा मतलब मेरी रीतू भौजी। नाम उनका रीता था, लेकिन जेठानियाँ और सास, रीता कभी नहीं कहते, रीता का रितवा हो गया था।
और किसी उनकी छोटी ननद ने भैया को उन्हें, भौजी को, प्यार से दुलराते, रीतू कहते सुन लिया था तो हम सब नंदों की रीतू भौजी हो गयी थी।
तो मिश्राइन भौजी ने फोन लगाया, स्पीकर फोन ऑन था, और रीतू भौजी ने पहले तो मुझे दस गालियां सुनाई फिर कहा अभी बताती हूँ।
और अगले दिन नौ बजे का टाइम मिला सुबह का। ये हिदायत भी काउंटर पे सिर्फ ये बताना है की मैं डाक्टर साहिबा की नन्द हूँ।
मैं और माँ नौ बजे उनकी क्लिनिक पे, सुबह सुबह ही इतनी चहल पहल भीड़ भाड़, लेकिन सब कुछ इतना साफ़, सफ़ेद, एकदम चमक रहा था, फर्श ऐसा की अपना मुंह देख लो। और रिसेप्शन में माँ के कुछ बोलने के पहले ही जैसे मैंने बोला " डाक्टर साहेब की ननद " बस जैसे किसी ने बिजली का बटन दबा दिया हो। पीछे से उस काउंटर की हेड एकदम उछल कर आगे, और मेरी ओर देखते बोली,
" आइये मैं ले चलती हूँ, डाक्टर साहेब ने आधा घंटे का स्लॉट आपके लिए पहले से ही खाली कर के रखा था, सीधे मैं उनके चैंबर में ले चलती हूँ।
डाक्टर मीता, जगह जगह दिख रही थीं, कहीं उनकी गवर्नर से इनाम लेती फोटो तो कहीं वीडियो, डाक्टर वाली ड्रेस में सफ़ेद कोट, गले में आला , बहुत स्मार्ट लग रही थीं और उतनी ही खूबसूरत।
और चैंबर में घुसते ही वो खड़ी, माँ से तो उन्होंने दोनों हाथ जोड़ के नमस्ते किया और मुझसे हाथ मिलाया। माँ ने कुछ बोलने की कोशिश की तो डाकटर ने उन्हें चुप करा दिया, और बोलीं रीतू ने मुझे सब बता दिया है, बस ये बताइये शादी कब है।
"बस डेढ़ महीने, बल्कि उससे भी कम, " माँ ने अपनी परेशानी बतायी,
और अब वह मुझसे मुखातिब हुईं,
" और पिया मिलन को कब जाना है, गुदगुदी हो रही है न, चींटियां काट रही हैं न चुनमुनिया में, रीतू ने बताया था की तेरा इंटर का इम्तहान है इसलिए बिदाई बाद में होगी, अरे इंटरकोर्स ज्यादा जरूरी है की इंटर, बोर्ड का इम्तहान कौन कुम्भ का मेला है, अगले साल दे देती,"
और वहीँ बैठे बैठे उन्होंने बटन दबाया, बोला की उनकी छोटी ननद आयी है उसका ब्लड लेना है और अल्ट्रा साउंड, और ब्लड लेने वाले को यहीं भेज दें, बाद में फिजिकल।
एक सफ़ेद कपड़े वाली सिस्टर आ के ब्लड ले गयी और मुझे भी, बाहर एक अल्ट्रा साउंड वाला कमरा था वहां छोड़ दिया,
डाक्टर साहेब को कमरे में ही स्क्रीन पे दिख रहा था। जब मैं लौट के आयी तो माँ और वो ऐसे गपिया रही थीं की न जाने कब की सहेली हों। उन्होंने अपने कम्प्यूटर का स्क्रीन हम लोगो की ओर घुमा के मेरी अल्ट्रा साउंड की फिल्म माँ को दिखाते और मुझे सुनाते बोलीं
" आपने एकदम सही किया जो इसे ले आयीं, ये देखिये मेरे ननद की बच्चेदानी, एकदम परफेक्ट, पूरी तरह तैयार है। बस पहली रात को मेरे नन्दोई पानी पिलायेंगे, और नौ महीने में आप नानी। ये बिना गाभिन हुए बच नहीं सकती। "
कुछ बात तो है जो मेरी भाभियाँ हैं या तो हड़काती हैं या गरियाती हैं और यहाँ भी यही हुआ, जैसे मैंने सुना गाभिन, और वही तो मैं इतनी जल्दी नहीं चाहती थी मैं बोल पड़ी,
" डाक्टर साहेब " और जोर की पड़ी, अबतक याद है। वो बोलीं जोर से और थोड़े गुस्से से,
" यहाँ डाक्टर कौन है, मुझे तो नहीं दिखता, " फिर जोड़ा,
" भाभी नहीं बोल सकती, बल्कि, भौजी " और खूब प्यार से मीठी मीठी मुस्करायीं जैसे भौजाइयां ननदों का नाम ले ले के उनके भाइयों से जोड़ के गारी गाते समय सब भौजाइयां मुस्कराती हैं, फिर दुलार से मुझसे बोलीं, गरियाते,
" अरे छिनार, घोंटना गपागप, काहे के लिए तुझे अपने नन्दोई के पास भेज रही हूँ , दिन दहाड़े, रात भर, बिना किसी डर के। और ननदोई को भी मैं कोहबर में बता दूंगी, कोई रबड़ वबड़, की जरूरत नहीं है, जब तक ननद की चमड़ी से चमड़ी न रगड़े, ऐसा रगड़ें की छिल जाए, तब तक मेरी ननद को मजा नहीं आएगा। बिना किसी डर के, ठोंके दिन रात,मैंने इलाज कर दिया है एडवांस में , न पेट फूलेगा, न उल्टी आएगी न खट्टा मांगेगी, बस गपागप घोंटेंगी। "
तब तक उनकी कोई ख़ास नर्स आ कर खड़ी हो गयी थी मुझे फिजिकल एक्जाम के लिए।
बाद में पता चला की डाक्टर मीता, जब तक कोई बहुत काम्पलेक्टेड केस नहीं हो खुद चेक वेक नहीं करती थी उनकी यही हेड नर्स जो डाक्टर मीता की ख़ास थी, और बड़ी एक्सपीरियंस्ड, हाँ वहां लगे कैमरे से एक एक पिक्चर उनके कंप्यूटर पे आती थी और वो बाहर से हेड नर्स को इंस्ट्रक्शन देती थीं, लेकिन आज डाक्टर मीता मेरा मतलब डाक्टर भौजी खुद खड़ी हो गयीं और उस हेड नर्स से बोलीं,
“चलो मैं भी चलती हूँ, ऐसी मस्त ननद की चुनमुनिया देखने का मौका थोड़ी छोड़ दूंगी। “
एग्जाम का कमरा एकदम सटा था, रस्ते में डाक्टर भौजी ने मेरे गाल पे चिकोटी काट के बोला, " मेरी बहन रितवा स्साली बड़ी कमीनी है, कभी नहीं बताया उनसे की इत्ता मस्त माल छिपा रखा है '
नर्स ने मुझे गाउन दिया लेकिन डाक्टर ने मना कर दिया,
" अरे छोडो, मेरी ननद बहादुर है। किससे शर्माएगी, महीने भर में शादी हो जाएगी तो मर्द के पाजामा का नाडा खुलने के पहले अपने साया का नाडा खोल के,सरका के तैयार हो जायेगी। "
और मुझसे बोला, " हे छुटकी, ये बात सीख ले, कपडे उतरने के पहले शर्म उतर जानी चाहिए और जिंदगी का असली मजा तभी आएगा "
एकदम डॉक्टरी भाषा... लग रहा है कि ननद से ज्यादा डॉक्टर भौजी को मजा आ रहा है...डाक्टर भौजी और हल्दी की रस्म
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मुझे दोनों ने मिल के एक टेबल पे लिटा दिया, और मेरे पैर उठा के एक कोई फंसने वाली चीज थी, दोनों पैर फैला के उसमे उठा के फंसा दिया और टेबल के ऊपर की बत्ती जला दी,
डाक्टर मीता जैसे किसी माइक में बोल रही थीं, पेल्विक एक्जामिनेशन ऑफ़ कोमल, एज,...
और फिर जो जो चेक कर रही थीं वो बोलती जा रही थी। बीच बीच में छेड़ भी रही थीं, दोनों गुलाबी फांको को उन्होंने फ़ैलाने की कोशिश की, लेकिन मेरी फुद्दी के दरवाजे एकदम चिपके, बंद, वो बोली
" अरे ननद रानी स्साली तेरी तो बहुत टाइट है, लगता है कभी ऊँगली भी नहीं की तूने ठीक से ऊपर से रगड़ के काम चला लेती थी, नन्दोई को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी , लेकिन स्साला मेरी इत्ती प्यारी ननद को ले जा रहा है, करना है तो करे। "
फिर एक बहुत पतली सी ट्यूब, सींक से भी पतली, उसके ऊपर कोई जेल, नर्स से वो बोली, ढेर सारा लॉक्स लगाना, बहुत टाइट है, और फिर कंप्यूटर की स्क्रीन पे मुझे दिखाया,
" देख ये तेरी झिल्ली है, एकदम लाल, थोड़ी मोटी लग रही है, इसलिए पहली बार दर्द ज्यादा होगा, लेकिन सह लेना, और अगर कहेगी तो दर्द की दवा दे दूंगी, सेज पर जाने के पहले ले लेना "
" नहीं नहीं दवा की जरूरत नहीं है "
मेरे मुंह से निकल गया और वो और हेड नर्स दोनों हंसने लगी और डाक्टर भौजी बोलीं,
" देख कैसे चुदवासी हो रही है, वैसे बात तू सही कह रही है ननद रानी, उस दर्द का ही तो मजा है, जिंदगी भर गौने की रात याद रहती है "
फिर उन्होंने कुछ डिवाइस लगाई, मेरे निप्स के छुआ अपनी ऊँगली से और निप्स खड़े होने लगे, और रिकार्ड कर रही थीं
" हाइली सेंसिटिव, नर्व एंडिंग ऑन कम्प्लीट वैजिनल कैनाल, क्लिट वैरी सेंसिटिव "
फिर जब उन्होंने मेरे पिछवाड़े की दरार पर ऊँगली जैसे उन्होंने लगाई, मैं उछल पड़ी
" नहीं भौजी उधर नहीं "" तो क्या सोचती है, वो तेरी गांड नहीं मारेगा" हेड नर्स हँसते हुए बोली।
" और वो नहीं मारेगा तो हम दोनों मिल के उसकी और तेरी दोनों की मार लेंगे, ऐसे मस्त चूतड़ और मारी न जाए, संख्त नाइंसाफी है " हसंते हुए डाक्टर भौजी बोलीं, और मैं समझ गयी ये हेड नर्स, न सिर्फ उनकी मुहलगी है बल्कि पक्की सहेली की तरह है।
चेक के बाद जब मैं और डाक्टर भौजी बाहर आये तो डाक्टर भौजी ने माँ से पूछा, शादी की तारीफ़ पूछी और माँ ने शादी क्या शादी, तिलक सब बता दी, ये भी की अगले महीने है। और अब डाक्टर भौजी सीधे मुझ से,
" तेरा महीना, कब आएगा, अगला "
" चार दिन बाद, एकदम कैलेण्डर देखकर आंटी जी आती हैं, हर २५ दिन बाद, "
हँसते हुए जैसे कोई सहेली से बात करता है बस उसी तरह मैं बोली, लेकिन डाक्टर भौजी की आँख कलेण्डर पे चिपकी थी, फिर उन्होंने दो बातें बोलीं, एक मम्मी से, एक मुझसे।
मम्मी से उन्होंने कहा,
" अच्छा है शादी के १० दिन पहले खून खच्चर बंद हो जाएगा " और मुझे हुकुम दिया, जिस दिन महीना शुरू हो उसी दिन आ जाना, मैं गोली दे दूंगी, तीन चार महीने के लिए। "
" लेकिन शादी से का मतलब,. इसका, …बिदाई तो गौने के बाद ही,… इसका बोर्ड का इम्तहान खत्म होने के बाद "
माँ बोलीं और भौजी हँसते हुए बोलीं
“अरे मैं अपने लिए पूछ रही थी, हल्दी चुमावन सब रस्म होगी न, तो भौजाई हूँ तो जब हल्दी लगाउंगी, बिना ननद की चुनमुनिया में अच्छी तरह हल्दी पोते कहीं भौजाई की हल्दी की रस्म होती है। “
माँ को लग रहा था की डाकटर भौजी ऐसे ही, …जो इतनी बिजी हैं, सुबह से लेकर रात तक, दस दिन का अप्वाइंटमेंट मिलता है वो कहाँ गाँव वाली रस्म में
लेकिन डाक्टर भौजी आयीं न सिर्फ हल्दी और चुमावन में बल्कि माटी कोड़ने और बाकी रस्म में और रात में गाने में भी कई दिन सीधे क्लिनिक से,
हल्दी की रसम में भी मैं एक पियरी सिर्फ पहन के, कस के पकड़ के बैठी थी, पीछे नाउन की नयी नयी बहुरिया, मुझे पकड़ के, और सब भौजाई कोशिश तो कर ही रही थीं की हाथ पैर और गाल पे हल्दी लगाने क बाद साडी के अंदर हाथ डालने की, लेकिन मैं खूब कस के दबोच के बैठी थी, लेकिन डाक्टर भौजी तो,
गाल पर हल्दी लगाते हुए, मुझसे बोलीं, वो देख ऊपर कौन सी चिड़िया बैठी है, और जैसे ही मेरी नजर ऊपर, उनके हाथ साड़ी के अंदर दोनों जोबन पे और पूरी आधी कटोरी दोनों उभारों पर मलती बोलीं,
" छिनार, ननदोई से तो खूब हंस हंस के मिजवायेगी और हम भौजाइयों से छिपा रही है, यहाँ तो हल्दी लगाना सबसे जरूरी है।"
और क्या रगड़ा मसला पूरी ताकत से।
फिर पीछे बैठी नाउन को भी उन्होंने पता नहीं कैसे पटा लिया, और वैसे भी हमारी नाउन की बहू तो लगती तो भौजी ही थी, बस पैरों में हल्दी लगाते हुए, मैं कस के दोनों पैर चिपका के बैठी थी, मुझे मालूम था, लेकिन घुटने तक तो, पियरी उठा के, …तो डाक्टर भौजी भी घुटने तक, लेकिन फिर उन्होंने जोर से मुझे चिकोटी काटी, और साथ में पीछे से मुझे पकडे नाउन भौजी को इशारा किया।
चिकोटी काटते ही मेरे पैर खुल गए और पीछे से नाउन की बहुरिया ने वो कस के गुदगुदी लगाई, बस भौजी को मौका मिला गया और उनका हाथ सीधे मेरे खजाने पे दोनों जाँघों के बीच और हथेली से रगड़ रगड़ के, दोनों ऊँगली से फांको को दबा के, एक कटोरा हल्दी तो वही,
मेरी बहने और सहेलियां एक से एक अच्छी वाली गारियां डाक्टर भौजी को सुना रही थीं,
लेकिन उन्हें कोई असर नहीं पड़ रहा था, उसके बाद हालंकि रात में गाने में उन्होंने मेरी बहनों की भी खूब खबर ली।
जैसा उन्होंने कहा था मेरा महीना जब शुरू हुआ तो पहले दिन ही मैं उनके पास गयी और उन्होंने गोली तो दो ही, सब कुछ एकदम साफ़ साफ़ समझाया और ढेर सारी टॉनिक की विटामिन की गोलियां, भी दी। पक्की दोस्ती हो गयी थी,
एक दिन गलती से मेरे मुंह से निकल गया, डाक्टर भौजी और वो उदास हो गयीं,
फिर बोलीं, " यार, डाक्टर और मैडम कहने वाले तो इस शहर में हजारों हैं लेकिन भौजी कहने वाली तो इस शहर में, बल्कि मेरी जिंदगी में तू अकेली। "
उसके बाद मैंने उन्हें भौजी के अलावा कुछ नहीं कहा और हम लोग ननद भौजाई के साथ पक्की सहेली भी थे, जो बात वो किसी से नहीं कह पाती , वो मुझसे कहती थी और मैं भी,
और गौने के अगले दिन सुबह सबसे पहले उन्ही का मेसज आया
" कितनी बार चुदी ? "
और सिर्फ मुझसे नहीं, इनसे भी, अपने नन्दोई से, कोहबर में ही साफ़ साफ़ बोल दिया था, " नन्दोई जी, मेरी ननद गोली खाती है तो आपका दुहरा फायदा, एक तो रबड़ का खर्चा बचा और दूसरे चमड़ी से चमड़ी रगड़ने का मजा"
तो गौने की रात इन्हे भी मालूम था की किसी सावधानी की जरूरत नहीं है। मैंने इनसे तो नहीं बोला था लेकिन खुद सोच रखा था बच्चे कम से कम तीन साल तक नहीं, गौने की रात वाले दिन तक तो मेरे इंटर का रिजल्ट नहीं आया था, इम्तहान ख़तम हुए दो दिन हुए थे बोर्ड के, लेकिन मैंने तय कर लिया था बी ए तो करुँगी ही, भले ही प्राइवेट। इसलिए कम से कम तीन साल,
और मुझे सास भी ऐसी ही मिल गयीं,
जहाँ तक बच्चे वाला मामला था सुहाग रात के अगले दिन ही मेरी सास ने फैसला सुना दिया,... इसका फैसला न मेरी सास करेंगी न इनकी सास। सिर्फ मेरी सास की छोटी बहू यानी मैं करुँगी। और अगले दिन वो खुद आशा बहू के यहाँ ले जाकर तांबे वाला ताला लगवा लायीं।
अब तो बीवी और बहन ने गंठजोड़ कर लिया...भैया और बहिनी - खेल चालू
तो उनकी शुक्राणु के ताकत की बात आज देखनी थी मिश्राइन भाभी की बात मुझे मालूम था ये भी सही होगी।
भैया बहिनी चिपक के लेटे थे, थोड़ा बहुत चुम्मा चाटी भी,... और मेरी ननद मेरे साजन को छेड़ रही थी, कान पकड़ के पान बना रही थीं.
“मुझे मालूम ही तू रोज बिना नागा मेरी ब्रा में मलाई छोड़ता था है न,... “
थोड़ा सा झेंपते हुए, वो बोले, " तुझे पता था तो टोका क्यों नहीं "
" क्यों टोकती, मेरे मीठे भइया की मीठी मलाई,... मैं तो वैसे ही गीली गीली पहन के कालेज जाती थी " हँसते हुए उनकी बहन ने अपना राज भी खोला।
तबतक मैं भी पहुँच गयी थी, मैंने ननद से पूछा,
" मलाई का मजा सिर्फ आपकी ब्रा को ये देते थे की अपनी महतारी की ब्रा को भी " हँसते हुए खीर का कटोरा टेबल पर रखते हुए मैंने पूछा।
" उनकी ब्रा में भी, लेकिन गलती भौजी आपकी थी, आप आयी देर से वरना मेरा भाई सही जगह में मलाई डालता "
टिपिकल ननद, जो भौजाई की टांग खींचने का कोई मौका न छोड़े।
" अरे गलती न आपकी न आपके भैया से ज्यादा भतार मेरे मरद की, आपके ये दूध के कटोरे ऐसे रसीले हैं, ... "
और मैंने खीर ननद के गदराये जोबन पर ही लपेट दिया और अपने सैंया का मुंह खींच के उनके ऊपर,... और हँसते हुए उनसे बोली,
" अभी ऊपर ऊपर से खा लो, ठीक नौ महीने बाद जब हमार ननद बियायेंगी तो दूध एही चूँची से पीना। एक चूँची से इनकी बिटिया और दूसरे से इनके भैया। और नहीं होगा निचोड़ निचोड़ के निकाल के दोगे तो एक कटोरी ओहि दूध की खीर भी बना देंगे। "
" अरे भौजी तोहरे मुंह में घी गुड़, एकदम पियाऊंगी तोहरे मर्द को दूध अगर ये तोहरे रंडी महतारी क दामद हमको गाभिन कर दिया तो " बोली ननद।
बिना गारी क ननद क बोली मीठी भी नहीं लगती।
मैंने दूसरी चूँची पर भी खीर पोत दी।
ननद ने ढेर सारी खीर अपने मुंह में लेकर थोड़ी देर चुभलाने के बाद सब की सब अपने भैया के मुंह में।
कुछ देर में ही कटोरा खाली हो गया और खूंटा भी खड़ा होने लगा, लेकिन आज हम ननद भौजाई बदमाशी पर आमादा थे।
कौन लौंडिया होगी जिसके मुंह में बित्ते भर का लंड देख कर पानी न आये,
और ये तो सगी बहिनिया, बचपन से ललचा रही थी, भैया कब खूंटा अंदर गाड़ें। लेकिन दो बार सगे भाई से चुदने के बाद अब मेरी ननद को भी कई जल्दी बाजी नहीं थी. बुर में भाई का बीज बजबजा रहा था, बच्चेदानी भरी हुयी थी. और बदमाशी भी उनकी बहिनिया ने ही शुरू की,
" भौजी तोहार छिनार बहिनियन क जीजा, बहुत लिबरा रहे हैं, इनका हाथ गोड़ न छान दें, "
" एकदम जो आपन बहिन महतारी क तडपावे उसके साथ यही होना चाहिए "
उन्हें तंग करने के हर प्रस्ताव पर मेरी सहमति थी चाहे वो मेरी छिनार ननद की ओर से क्यों न आएं। और जब तक वो समझें उनके हाथ पैर चारों पलंग के चारों पाए से बंधे, और गाँठ मैंने कस के लगायी, प्रेजिडेंट गाइड थी स्कूल में। तड़पें।
तड़पाने वाली बहन भी बीबी भी, जबरदस्त थ्रीसम।
शुरुआत मैंने ही . हाथ पैर बांधते ही, खूंटा खड़ा होने लगा, बस बची हुयी खीर मैंने कटोरे से बूँद बूँद उसपे चुआ और उनकी बहन को इशारा भर कर दिया,
बस पहले तो वो जीभ से अपने सगे भाई का लंड, .. सिर्फ जीभ की टिप से बस छू छू के जैसे सिर्फ खीर में उसकी दिलचस्पी हो, ... फिर चार चाट के,... बहन की जीभ हो भाई का खूंटा,... कैसे न खड़ा हो,.. एकदम कुतबमीनार, ...
और गप्प से ननद ने मुंह में भर लिया और बस कभी चुभलाती कभी चूसती। कभी अपने दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देखती, जैसे पूछ रही हो,
" आ रहा है न मजा भैया "
हाथ पैर ही तो बंधे थे, कमर तो फ्री थे, क्या हचक के धक्का मारा मेरे मर्द ने मेरी आँख के सामने अपनी बहन के मुंह में,
गप्पांक, आधे से ज्यादा बांस ननद के मुंह में। ननद का मुंह फूल गया, मोटे सुपाडे से. गाल फटा जा रहा था, आँखे उबली पड़ रही थीं लेकिन वो कस कस के चूस रही थीं।
पर ये तो साझा खेल था, मैं भी आ गयी मैदान में,
गन्ना मेरी ननद के हिस्से में तो दोनों रसगुल्ले मेरे मुंह में। एक साथ बहन और बीबी दोनों चूसे, एक साथ मोटा मूसल और बॉल्स दोनों चूसी जाएँ , क्या हाल होगी किसी मरद की। वही हाल मेरे मरद की हो रही थी, एकदम बेताब।
फिर ननद भाभी ने लंड बाँट लिया,... दायीं और से ननद चाट रही थीं, वामा मैं, बायीं ओर से मैं. पर कुछ देर में खूंटा मेरे हिस्से में गया पूरा और रसगुल्ले दोनों ननद के हिस्से में।
मुझे एक बदमाशी सूझी,
मैंने जो तकिये कुशन ननद के चूतड़ के नीचे लगाए थे, इनके नीचे लगाए थे और ननद का मुंह दबा के सीधे इनके पिछवाड़े।
मान गयी मैं इनकी बहिनिया को, सपड़ सपड़ उनका पिछवाड़ा चूस चाट रही थी, मैंने सर पर से हाथ हटा लिया था तब भी उसका चूसना जारी थी,
और मैंने अब अपने साजन का फड़फड़ाता तड़पता लंड अपने मुंह में ले लिया, इनकी बहन की तरह आधा तीहा नहीं, पूरा,... सीधे हलक तक।
" ओह्ह नहीं उफ़ छोड़ दो मुझे, एक बार ओह्ह "
वो चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे और उनके मुंह को बंद करने का ढक्क्न था मेरे पास, बस अपनी रसमलाई रख दी उनके मुंह पे जैसे बच्चे जब बहुत रोते हैं तो माँ निपल उनके मुंह में ठूंस देती है।
मुंह तो उनका बंद हो होगया, लेकिन उनके दुष्ट होंठ और जीभ जिस तरह से मेरी फड़फड़ाती चुनमुनिया को पागल कर रहे थे मैं ही जानती थी, लेकिन मेरी मुट्ठी में, मेरा मतलब मेरे मुंह में उनका मोटू था, और मेरे होंठ और जीभ कौन शरीफ थे. जिस तरह से मैं चूस रही थी, चाट रही थी, मेरी उँगलियाँ मुंह से बाहर खूंटे को रगड़ रही थीं, सहला रही थीं, और वो तड़प रहे थे धक्के लगा रहे थे।
उनकी हालत मुझसे भी खराब थी क्योंकि उनके पिछवाड़े के गोल दरवाजे पर उनकी सगी बहिनिया चुम्मी ले रही थी, उसकी सांकल खटखटा रही थी, कभी जीभ से बंद दरवाजे को खोलने की भी कोशिश करती। रीमिंग भी, ब्लो जॉब भी।
ननद भौजाई की जुगलबंदी में साजन को मजा तो आ रहा है...ननद -भौजाई साथ साथ
लेकिन उनकी हालत खराब होने से मेरे मन में कोई दया माया नहीं आयी. हो तो हो, पहली रात से जिस दिन मैं इस घर में गौने उतरी थी, इस लड़के ने मुझे पागल कर के रख दिया था, और रात क्यों दिन में,... तीसरे दिन ही, दिन में ही रसोई में भी सेंध लगा दिया मेरी बिल में, सास मेरी आयीं, हम दोनों को मैथुनरत देख कर लौट गयीं दबे पाँव।
लेकिन मैं अभी अपनी ललचाती ननद का चेहरा देख कर अपने को नहीं रोक सकी. हर बहन अपने भाई के पाजामे के अंदर के नाग को देखने के लिए छूने के लिए पकड़ने के लिए दीवानी रहती है। और इनकी बहन तो दो बार उसका मजा ले चुकी थी मेरे सामने,... तो मैं उसके चेहरे की रंगत लालच, देख कर मुझे दया आ गयी.
मैंने इनके खूंटे को छोड़ दिया, मुंह से निकाल दिया और अपनी ननद को ऑफर कर दिया। मैं उन भौजाइयों में से नहीं थी जो ननद के साथ ' मेरी तेरी ' करते हैं। जो मेरी वो उसकी, जो उसकी वो मेरी।
लेकिन ननद ने बजाय चूसने चाटने के,... ननद के नीचे वाले मुंह में आग लगी थी। बस ननद मेरी अपनी भाई के मोटे लंड पर चढ़ गयी और उन्हें चिढ़ाया भी,
" क्यों भैया बहुत चोद रहे थे अपनी बहिनिया को न, अब बहन चोदेगी भाई को "
" एकदम अब चल हम ननद भाभी मिल के इनकी रगड़ाई करते हैं, इस स्साले की माँ चोद देते हैं " इनकी रगड़ाई करने में तो मैं अपनी ननद का भी साथ दे देती।
" एकदम भाभी " ननद ने हुंकारी भरी और एक साथ हम दोनों ननद भौजाई चालू हो गए।
ननद मेरी पक्की खिलाड़ी, मायके की छिनार, खानदानी सातपुश्त की रंडी,... क्या धक्के मारने उसने शुरू किये, और साथ में अपने भैया का गन्ना अपने कोल्हू में पेर भी रही थी, कभी चूत निचोड़ लेती, सिकोड़ लेती,तो कभी ढीली कर के कस के धक्के मारती। धीरे धीरे उसकी भूखी सुरंग ने पूरा बित्ता भर घोंट लिया।
और मैं भी उनके मुंह पे अपनी बुर रगड़ती उनकी महतारी को चुन चुन के गाली दे रही थी.
और हम ननद भौजाई साथ साथ भी मस्ती कर रहे थे, शुरुआत मेरी ननद ने ही की, मेरे उभारों को दबा के मसल के और चिढ़ा के
" भौजी इस जोबन का रस सब पहले किस ने लिया "
" तेरी और तेरी माँ के इस खसम ने जो हम दोनों के नीचे दबा है , लेकिन अब तोहार जोबन मैं लूटूँगी "
और यह कह के मैं भी उसके जोबन का रस लेने लगी, कभी एक हाथ से ननद की जाँघों के बीच हाथ डालकर उसकी चुनमुनिया मसल देती और वो पगला जाती, कस कस के अपने भैया को चोदने लगती,
बीबी के सामने अपनी बहन को चोदने का सुख, इनकी भी मस्ती से हालत खराब हो रही थी.
पर थोड़ी देर में हम दोनों ने जगह बदल ली, खूंटा मेरे हवाले और ननद की चुनमुनिया जो चुद चुद के भाई के लंड पर उछल उछल कर चासनी से सराबोर थी, वो बहिनिया अपने भैया को चटा रही थी, उनके मुंह पे बैठ के। और उनकी जीभ भी बहन के बिल के अंदर तक धंसी,
मैंने ननद को उकसाया,
" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "
बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी, अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,
उनका मुंह अब सील बंद और हम दोनों, भौजाई ननद मस्ती कर रहे थे , लेकिन ननद छिनार ने अपने भैया से क्या कहा समझाया उन्होने पलटी मार ली
और मेरी गाँड़ के अंदर।
उईईईईई - जोर से मेरी चीख निकली,... गप्पांक से मोटा सुपाड़ा इनका मेरी गाँड़ में घुसा, पूरी ताकत से,
मोलेस्टेशन नहीं.. बल्कि भौजाईयों की चाहत पूरी कर रही हैं...भाभी तो molestation कर रही है
कुंडली का पहला असर बहिनिया पर हीं...वाह मतलब तो अशली ध्यान तो कोमलिया का उसकी बहन को उसी के भाई अपने मरद से पेट से करवाने का है. नंदिता के ससुराल जाते ही पूछा जाए. कहा मुँह काला किया. नांदिया गर्व से बोलेगी. अपने भैया से.
एक तो कोमलिया का मरद भी है वीर्यवान. जब शादी से पहले ही कुंडली देख कर पता लग गया की शादी के बाद कोमलिया की टांगे ऊपर रहेगी. तो क्या अपनी बहन को बक्शेगे.
और जब कोमलिया ने अपनी बहन की दिलवा दी तो उनकी बहेनिया का भी तो भोग लगेगा. मज़ेदार शारारत भरा अपडेटेड.
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इस तरह के सेक्स से इतर प्रसंग भी..वाह माझा आ गया. आपने तो मोहे रंग दे की शारारत याद दिला दी. शादी के माहोल वाली.
दोनों छुटकी और मंजलि की शारारत मस्त लगी. कोमलिया को चिढ़ाने का मौका नहीं छोड़ रही.
लो एक्टिंग करते करते रियल ड्रामा शुरु. आ पहोचे कोमलिया के दरवाजे पार.. जेठानी तो सयानी निकली. उनकी महतारी भी बड़ी प्यारी है. लेकिन तेरी नांदिया तो बड़ी ही मस्त निकली. शादी से पहले ही दुलार दिखा चुकी है. पसंद कर चुकी है. इसी लिए उसके भैया के खुटे पर चढ़ा दिया.
समाधान तो दोनों तरफा मज़ाक पूरा चलता ही है. रिस्ता पक्का हुआ ही की कोमलिया की महतारी पार गधे घोड़े नाउआ चढ़वा दिये. बातो मै ही..
मगर मिश्राइन भउजी ने मज़ाक मै डराया वो गलत तो नहीं था. हुआ भी. मैया ने सारे डर को दूर किया. अशली गुरु तो महतारी है. माझा आ गया. स्वीट अपडेट
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हर मर्ज की दवा... मिश्राइन भाभी...डॉक्टर मीता.
वाह माझा ही आ गया. लो देख लो. पुरे अपडेटेड मै भाभी देवी की ही महिमा है. डॉ मीता का क्लिनिक तो रास्ते मे ही था. पर सहेली की भाभी ने क्या बताया. अब उसकी पहचान तो नहीं है. पर अपनी छिनार नांदिया की पूरी मदद करती है या नहीं. किसी के आगे चाहे टांग उठाए. कभी पेट फूलने नहीं दिया ना उलटी. अब भोजी ही तो ऐसे काले करतुतो को छुपा सकती है. सब भाभी देवी की महिमा है.
आखिर देख लो. मिश्राइन भाभी काम आई ना. देखा कैसे कैसे डॉ मीता भाभी से संगम करवा ही दिया. पहचान कैसे निकली. रीतवा से रीतू भाभी, और रीतू भाभी से मीता भाभी. सॉरी डॉ मीता भाभी.
और मीता भाभी ने तो सारा डर ही दूर कर दिया. सुना नहीं क्या कहा. यहाँ डॉ कौन है. भाभी और नांदिया. और इस वखत तू कोमलिया छिनार नांदिया है. भूलना मत.
और देख लो. खुलवा दिया ना मीता भाभी ने तेरी चुनमुनिया का नाड़ा. रिवाज़ तो रिवाज़ ही रहेगा. देवर हो या नांदिया छिनार पहले नाड़ा भोजी ही खोलेगी. नाथ भी वही उतारेगी.
माझा आ गया. फुल बाते शारारत से भरी पर जबरदस्त इरोटिक.
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भौजी ने अपना हक अदा किया...वाह देखा. इसे कहते है भौजी. सॉरी डॉक्टर भौजो. खुलवादी दोनों टांगे. देख लिया कोमार्य का फूल कसी हुई तो है. समस्या दर्द खूब होगा. लेकिन भौजी की सलाह की दर्द का भी अपना माझा है. और 4 महीने की छोटी. कोई कंडोम की जरुरत नहीं है. सीधा नागा.
याद रखना हल्दी के मौके पार डॉक्टर भौजी ने क्या क्या कहा. और जोबन तो पहले भौजी ही मशलेगी. क्यों की हक तो पहला भौजी का ही होता है.
उन्होंने यों अपने नन्दोई से भी बता दिया. खुल के खेलो. 4 महीने की छुट्टी है. कोई खतरा नहीं है.
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