एकदम सही कहा आपनेजब आप युवावस्था प्राप्त करना शुरू करते हैं तो विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण विकसित होना शुरू हो जाता है। अक्सर आकर्षण का पहला स्तर परिपक्व महिलाओं के प्रति होता है और पुरुषों के लिए महिला शिक्षकों से शुरू होता है और महिलाओं के लिए पुरुष शिक्षकों से शुरू होता है और धीरे-धीरे यह परिवार के सदस्यों में परिवर्तित हो जाता है क्योंकि वे आपके अधिक करीब होते हैं और अधिक सुलभ होते हैं। बढ़ते हुए युवा पुरुषों को अक्सर देखा जा सकता है कि जैसे ही उनकी मां या बहन स्नान कर लेती हैं, वे तुरंत बाथरूम की ओर भागते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद होती है कि उनका इस्तेमाल किया हुआ अधोवस्त्र लटका हुआ या टोकरी में रखा हुआ मिलेगा, जिसे सूंघने में उन्हें आनंद आता है और अपनी कल्पना में उनका आनंद लेते हैं।
धन्य मैं हूँ,वाह कोमल मैम
परंपराओं का सप्रमाण वर्णन इस प्रकार आप ही कर पाती हैं। आप सच में धन्य है।
सादर
एकदम देह संबध तो शादी के बाद के जीवन का हिस्सा हैं लेकिन असली बात है गुण कितने मिलते हैं, दाम्पत्य जीवन कैसा होगा, बेटी का आगे का जीवन कैसे रहेगा माँ की चिंता उसके बारे में ज्यादा है। और बीच बीच में फ्लैश बैक के जरिये, कहानी पीछे मुड़ के भी देखती है।शादी की बात पर लड़की की मनोदशा क्या खूब व्यक्त की है...
" बस यही लिखा है की रोज तेरी टाँगे उठी रहेंगी,... "
माँ मुस्कराते हुए बोली, " अरे वो तो,...सादी बियाह होता किसलिए है, लेकिन गुन कितने मिलते हैं "
आखिर माँ भी तो इन रास्तों से गुजर चुकी होती है...
और कैसा पति चाहिए इसका अनुभव भी होता है...
तो ऐसे वर के पूरा का पूरा एकमत...
क्या गाना ज्यादा दिलाया आप नेदोनों बहनें अपनी दीदी के साथ छेड़ छाड़ में सबसे आगे..
फ़िल्म खूबसूरत की रेखा की तरह.... "सुन सुन सुन दीदी तेरे लिए एक रिश्ता आया है..."
लेकिन सारी की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई...
और समधनों के बीच इस तरह के मजाक भी ... कहानी के फ्लो को वास्तविकता का पुट देते हैं...
साथ हीं माँ की सलाह डॉक्टर के पास जाने के लिए... ताकि मिश्राइन भौजी के कहे अनुसार उच्च शुक्र का असर लड़की पर असर तब तक ना हो जब तक वो ना चाहे...
डाक्टर मीता एक तो डाक्टरनी दूसरे भौजी,ये मिश्राइन भाभी तो हर मर्ज की दावा हैं...
हर जोड़ का तोड़ है उनके पास....
लेकिन डॉक्टर भौजी तो उनसे भी बढ़कर....
" हे छुटकी, ये बात सीख ले, कपडे उतरने के पहले शर्म उतर जानी चाहिए और जिंदगी का असली मजा तभी आएगा "
ये बुनियादी और मुख्य ज्ञान की बात कही...
डाक्टर मीताएकदम डॉक्टरी भाषा... लग रहा है कि ननद से ज्यादा डॉक्टर भौजी को मजा आ रहा है...
ननद की हल्दी रस्म में...
और सास भी एकदम मन मुताबिक... तांबे का ताला...
लेकिन सास को पे बैक टाईम है...
ननद के बाद सास का नंबर है... तिरबाचा भी भरवाया है...
ननद भौजाई मिल जाएँ तो क्या नहीं कर सकतीं और फेविकोल का जोड़ लगता है इन ननद भौजाई मेंअब तो बीवी और बहन ने गंठजोड़ कर लिया...
साजन की हालत खराब ...
पूरे देह का मजा प्रदान कर रही हैं...
और साजन बेचारे बंधे पड़े... केवल जीभ और मुँह की करामात दिखा सकते...
पिछला भाग - भाग ८७ -इन्सेस्ट कथा -इंटरवल और थोड़ा सा फ्लैश बैक पृष्ठ ८९७ परननद भौजाई की जुगलबंदी में साजन को मजा तो आ रहा है...
लेकिन राज भी खुल रहे...
अब अंत में भौजाई यानि साजन की सजनी .. का पिछवाडा बलि चढ़ गया....