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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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भाग ८८

इन्सेस्ट कथा -
मेरा मरद, मेरी ननद
१८,४०,३४१

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मैंने ननद को उकसाया,

" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "

बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी,

अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,


उनका मुंह अब सील बंद और हम दोनों, भौजाई ननद मस्ती कर रहे थे , लेकिन ननद छिनार ने अपने भैया से क्या कहा, समझाया,


उन्होने पलटी मार ली



और मेरी गाँड़ के अंदर।

उईईईईई - जोर से मेरी चीख निकली,... गप्पांक से मोटा सुपाड़ा इनका मेरी गाँड़ में घुसा, पूरी ताकत से,


एक तो दस सांड की तरह इनकी कमर का जोर, फिर लगता है दूबे भाभी के चूरन का असर,... एकदम लोहे का रॉड लग रहा रहा था, जैसे रगड़ते दरेरते घुसा, पक्का चमड़ी छिल गयी थी. परपरा रहा था जोर से, ...

गौने के तीसरे दिन ही मेरी गाँड़ मारी गयी थी,

दिन दहाड़े, सुबह से ही मैं खूब टाइट शलवार कुरता पहन के टहल रही थी, मेरे दोनों चूतड़ कसर मसर,..

मेरी छोटी वाली ने ननद ने छेड़ा,... " भौजी, बहुत टाइट शलवार पहने हो, पिछवाड़ा खूब मस्त दिख रहा है। आज आपका पिछवाड़ा बचेगा नहीं। " "

" न बचे न ननद रानी, ... जब से गौने उतरी हूँ, दिन रात कभी तो नागा नहीं जाता, तेरे भैया चढ़े रहते है अगवाड़े तो पिछवाड़ा भी आज नहीं तो कल,... "


मैं भी गरमाई, थी उसी तरह मस्त हो के ननद को जवाब दिया ,


कल नहीं हुआ, उसी दिन,...दिन दहाड़े, उसी छोटी ननद के कमरे में, इन्होने यह भी नहीं देखा की बगल के कमरे में ही मेरी सास, ननद जेठानी सब है , छोटी ननद के पढ़ने वाली टेबल पर निहुरा के फाड़ दी थी गाँड़,.. दो दिन तक मैं दीवाल का सहारा लेकर चल रही थी, लग रहा था कोई लकड़ी का पिच्चड अंदर घुसा हुआ है।

उस के बाद शायद ही कभी नागा जाता हो, पिछवाड़े का नंबर लगने से

लेकिन आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... पिछवाड़े की दीवाल फटी जा रही थी, ... और मेरी ननद मेरी चीखे सुन के खिलखिला रही थी.

मैं इनको, इनकी माँ बहन सब गरिया रही थी,...

" बहनचोद, मादरचोद,... अपनी महतारी के दामाद से, अपने खसम से, अपनी बहिनिया के जीजा से तोर महतारी चुदवाउ, ओकर गाँड़ मरवाऊँ,... भोसंडी के,... तोहरी महतारी क भोसंडा नहीं है जिसमें उनके सब समधी नहाते डुबकी लगाते हैं,... हमार कोमल कोमल पिछवाड़ा है , मारना अपनी महतारी क गांड अस, बहुत चूतड़ मटका मटका के चलती है रंडी छिनार,... "


और ननद खूब खुश, हंसती ही जा रही थी, मेरी ठुड्डी पकड़ के बोली,

" अरे भौजी, आपने तो मेरे भैया के मन की बात कह दी, बचपन से माँ का पिछवाड़ा देख के इसका पजामा तम्बू बन जाता था लेकिन अभी तो अपना पिछवाड़ा बचाइए "

सच में आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... जैसे खरोंचते हुए छीलते हुए अंदर घुस रहा था और जैसे ही गांड का छल्ला पार हुआ मेरी जोर की चीख निकल गयी ,उईईईईई नहीं ओफ्फफ्फ्फ़ बहुत दर्द हो रहा है , रुक न स्साले, तेरी माँ बहन को अपने मायके वालों से ,चुदवाउंगी एक मिनट बस,...



लेकिन पिछवाड़े घुसाने के बाद, चाहे लौंडे की हो या लौंडिया की,... कौन रुकता है एक मिनट। ये भी नहीं रुके।

लेकिन एक बात है की ये उन कम लोगो में थे जिन्हे अगवाड़े और पिछवाड़े लेने का फर्क मालूम था.

अगवाड़े का मजा धक्के में है, लेकिन पिछवाड़े का मजा ठेलने, धकेलने, जबरदस्ती घुसेड़ने में. अगवाड़े तो शुरू में ही नर्व इंडिंग्स होती है और घुसते ही मजा आना शुरू हो जाता है। पिछवाड़े कोई नर्व एंडिंग्स नहीं होती, वहां का मजा है जब एकदम भरा भरा लगे,.. बुरी तरह स्ट्रेच हो जाए, अंदर तक ठूंसी जाए,... इसलिए पिछवाड़े का मजा देने के लिए मूसल का मोटा होना, खूब कड़ा होना बहुत जरूरी है।

और सबसे बड़ी बात ये थी की ये उन बहुत कम लोगों में से थे जो सिर्फ हचक के गाँड़ मार के झाड़ देते थे, बिना बुर में ऊँगली किये, बिना चूँची रगड़े मसले, और बिना मुझे झाड़े तो ये आज तक नहीं झड़े, सच्ची।

आधे से ज्यादा बांस घुस गया था मेरे अंदर, ...






अब मजा आ रहा था,

लेकिन आज की रात तो मेरी ननद के, इनकी बहिनिया के नाम थी, कहाँ से मेरा नंबर,...

मुड़ के मैंने इनकी ओर देखा, शिकायत भरे अंदाज में, पर जिस तरह से ये मुस्कराये, और हलके से आँख मार दी,... मैं समझ गयी इनकी बदमाशी,...

कुछ तो पिलानिंग है इस शरारती लड़के की,... और मैं भी साथ देके, कभी चूतड़ गोल गोल घुमा के कभी धक्के मार के कभी लंड को गाँड़ के अंदर निचोड़ निचोड़ के चुदाई चाहे आगे की हो या पीछे की, औरत को मरद का पूरा साथ देना चाहिए और मैं तो माँ की सिखायी पढाई,...


ये मेरी दोनों चूँचियाँ भी अब कस के निचोड़ रहे थे धक्के फुल स्पीड़ मे पहुंच गए थे,... और हुआ वही जो होना था,... मैं झड़ने लगी, मेरी पूरी देह काँप रही थी चूत की पंखुड़ियां सिकुड़ फ़ैल रही थीं, धीरे धीरे चाशनी बूँद बूँद निकलनी शुरू हो गयी थी,

उहह आहहह उहहहह मैं सिसक रही थी

और जब कुछ देर बाद झड़ना मेरा रुका तो मैंने इनकी ओर देखा, इन्होने मेरी ननद की ओर, और मैं इशारा समझ गयी।

बस कस के ननद की दोनों कलाइयाँ मेरी मुट्ठी में सँडसी की तरह जकड़ लिया था मैंने,...

और मेरे पिछवाड़े से इनका खूंटा निकल के सीधे मेरी ननद के मुंह में,... वो लाख सर पटकती रही लेकिन ये घोंटा के ही माने
और मैंने चिढ़ाना शुरू कर दिया,


" अरे ननद रानी अपने पिछवाड़े का स्वाद तो खूब लिया होगा जब गाँड़ मरवाने के बाद लंड चूसा चाटा होगा, तनी आज अपनी भौजी के पिछवाड़े क भी स्वाद ले लो,... आराम से प्यार से चाटो मजे ले ले कर "


करीब पांच दस मिनट इन्होने अपनी बहन के मुंह में डाल के चुसवाया, बाहर निकला तो एकदम चिक्क्न मुक्कन, अच्छे बच्चे की तरह और खड़ा पगलाया,

अरे कौन भाई होगा जिसका लंड अपनी सगी बहन से चुसवा चुसवा के न पगला जाए,... उस बहन को चोदने के लिए न व्याकुल हो,...
Very hot update komal Ji. Komal ki komal komal pichwade ka bhi number laga gya nanad k sath
 

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ननद को गाभिन
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भौजाई चुसाई कर रही थी, भाई चुदाई। डबल रगड़ाई का वही असर हुआ जो होना था वो एक बार फिर से झड़ने के कगार पर, लेकिन मैंने चूसना छोड़ के अपने मरद को ललकारना शुरू कर दिया,...

" ऐसे रगड़ रगड़ के चोद के बहिनिया को गाभिन कर दा , फिर अपनी बहिनिया की महतारी क नातिन क, बहिनिया क बेटी क, .... ऐसे ही,... "

मेरा पिछवाड़ा भी अब ननद के मुंह से हट गया था और अब मुंह खुल जाए तो ननद को गारी देने से कौन रोक सकता है, फिर बिना ननद की मीठी गारी के ससुराल का मजा आधा रहता है, बात वो अपने भाई से कर रही थीं, गरिया मेरे खानदान को रही थी, मेरी बात बीच में काट के बोली,...

" अरे हमरी नयकी भौजी क रंडी महतारी क दामाद, अगर आज हमें गाभिन कर दिए न, नौ महीने बाद अँजोरिया अस बिटिया हुयी, तो झांट आवे के पहले, खुदे पकड़ के, भौजी क छिनार बहनियों के जीजा को खुदे चढ़ाउंगी, नेवान कराउंगी, ....लेकिन अगर गाभिन न हुयी तो सोच लो, तोहरी ससुरारी क न लड़की बचेगी न लड़का सब की गाँड़ अपने ससुराल वालों से मरवाउंगी। "


फिर जैसे मेरी ननद ने मुझसे कहा, मैं बोलीं,...

" अरे जो आपन बहिन न छोड़ा, महतारी न छोड़ेगा तो बेटी कैसे छोड़ेगा। "

" छोड़ना भी नहीं चाहिए, बहुत पाप लगेगा, " ननद मुझसे भी दो हाथ आगे इनको उकसाने में,

मैं भी अपने मरद की ओर से बोली, और जोड़ा,

" मेहनत तो वो कर रहा है, रात भर जग के उस की महतारी का पेट फुला के,... फिर मामा -भांजी में तो चलता है। और मेरे मर्द की का गलती,... जिसकी नानी छिनार पैदायशी रंडी माँ तो असर तो बेटी पर आएगा ही. और वो छोट छोट जोबन दिखा के ललचायेगी तो कौन मरद होगा जो छोड़ेगा कच्ची अमिया बिना कुतरे वो भी घर की। "


इतना बड़ा ऑफर ,

उनकी चुदाई की रफ्तार तेज हो गयी, लेकिन न वो इतनी जल्दी झड़ सकते थे न मैं चाहती थी बिना आज ननद को थेथर किये वो झड़ें,...

तो बस मैं एक बार कस के ननद की क्लिट को फिर से चूसने लगी और थोड़ी देर में डबल रगड़ाई का असर वो झड़ने लगी. उन्होंने धक्के लगाने बंद कर दिए अपनी बहन को झड़ता देख के, बस मैंने अपने हाथ से उनकी बहन की बिल से उनका खूंटा निकाल के बाहर कर दिया।

मेरी बुआ ने जब मेरी शादी तय हुयी थी तो एक ट्रिक बताई थी,

मरद अगर ज्यादा ही गर्म हो झड़ने के कगार पर हो और उसे झड़ने से रोकना हो, उसकी गर्मी काम करनी हो तो खूंटा जहाँ दोनों रसगुल्लों से मिलता है, वहीँ एक हलकी सी चिकोटी, और उसकी गर्मी कम हो जायेगी, लेकिन ज्यादा जोर से नहीं वरना कड़ापन भी कम हो जाएगा,...

बस तो वही ट्रिक, ... और बहुत हलके से लेकिन असली खेल और था, बार बार ननद की बिल में अंदर बाहर होते इनका मोटा मूसल देख के मेरे मुंह में पानी आ रहा था, बस गप्प से ननद के भैया का लंड जो उनकी बहन की बुर की सेवा कर रहा था, मेरे मुंह में,...

लेकिन ननद से मैंने कोई नाइंसाफी नहीं की, उनकी बिल मैंने खाली नहीं होने दी, पहले तीन ऊँगली, ... फिर चार ऊँगली,... जब उनके यार का भतार का, भाई का खूंटा मेरे मुंह में तो मेरी उंगलिया मेरी मरद की रखैल के बिल में


मन तो कर रहा था मुट्ठी कर दूँ, कोहनी तक, लेकिन चूड़ी कंगन पहन रखी थी,... चारो ऊँगली जो ननद की बिल में अंदर मिल के गयीं, अंदर जा के फैलने लगीं, ननद बेचारी की हालत खराब, ...

लेकिन थोड़ी देर तक चूसने चाटने के बाद ही




उनके भैया का मूसल पकड़ के अपने हाथ सेउनकी बहन मेरी ननद बिल के अंदर,...

और फिर कस कस के एक बार फिर से मैं ननद की क्लिट चूसने लगी, थोड़े देर में ही ननद झड़ने लगी लेकिन न मेरी चुसाई रुकी, न मेरे मर्द की चुदाई,...

चार बार, पांच बार,... फिर मैंने गिनना छोड़ दिया, इतनी बार वो झड़ी, बीच बीच में जब मेरे मर्द का खूंटा बाहर होता तो मेरी जीभ उनके खूंटे के बेस से चाटते हुए उनकी बहन की बिल होते हुए उनकी बहन की क्लिट पर,.. और ये देख के वो और गरमा जाते,...

आठ दस बार झड़ने के बाद ननद एकदम थेथर हो गयीं थी, हिलने की हालत नहीं थी। बस मैं जीभ चूत के होंठ छूती तो वो झड़ने लगती, मेरे मर्द का मोटा सुपाड़ा उनकी बच्चेदानी में लगता और वो झड़ने लगतीं।

ऐसी हालत में न मेरा मरद रुका न मैं, आधे घंटे तक रगड़ के चोदने के बाद, मेरा मरद मेरी ननद की बुर में झडा,...


वैसे भी तकिये लगा के उनके भैया ने चूतड़ खूब उठा रखे थे, मैंने भी दोनों हाथों से उनकी बहिन की चूतड़ को देर तक उठा के रखा था, कहने की बात नहीं झड़ते समय उनका सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से चिपका था. और पंद्रह मिनट तक चूतड़ उठे हुए, बूँद बूँद बीज बच्चेदानी में,...



पहली दूसरी चुदाई में मेरी ननद बच भी गयी हों अब पक्का गाभिन भी हो गयी होंगी।



आधे पौन घंटे तक तो बेचारी मेरी ननद हिलने वाली नहीं थी। बाहर रात झर रही थी, खिड़की खुली थी. आम के बौर और महुए की महक हवा को पागल करने वाली बना रही थी.



सुबह तक दो बार और मेरी ननद चुदी अपने भैया से,


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Kya baat hai,Nanad ko behosh hi kar diya lagbagh. Subah tak do baar or, uska bhi jikar hai kya age?
 

komaalrani

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Very hot update komal Ji. Komal ki komal komal pichwade ka bhi number laga gya nanad k sath
एकदम सही,

लेकिन असली खेला, भैया बहिनी का ही चल रहा है, आगे के पार्ट्स में आपको पता चल गया होगा

बहुत बहुत आभार, धन्यवाद, कमेंट्स के लिए।
 

komaalrani

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भाग ८८

इन्सेस्ट कथा -
मेरा मरद, मेरी ननद


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मैंने ननद को उकसाया,

" अरे भैया का पिछवाड़ा तो बहुत चाटा चूसा, तनी अपने गोल गोल लौंडा छाप चूतड़ का, पिछवाड़े की गली का भी तो रस चखाओ अपने भैया को "

बस ननद ने मेरी बात मान ली, पहले थोड़ा सा उठी,

अपने दोनों हाथों से पिछवाड़े के छेद को फैला कर, चौड़ा कर, भैया को दरसन करवाया और फिर उनके खुले मुंह पे पिछवाड़े का छेद,
 

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सुबह सबेरे
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लेकिन ननद भौजाई हों और बदमाशी न हो, बस मैंने एक हाथ से नन्द के जोबन सहलाने शुरू कर दिए और दूसरे हाथ से इनका हाथ पकड़ के इनकी बहन के उभार पे और अब हम दोनों, ननद के उभारों का मजा लेरहे थे।

ननद सोने का नाटक कर रही थीं। लेकिन मैंने उनका एक हाथ पकड़ के अपने मरद के थोड़े सोये थोड़े जागे खूंटे पर रख दिया और कौन बहन होगी जब हाथ में भाई का खूंटा आ जाए तो वो छोड़ देगी, बिना पकड़े, बिना मसले। वो मेरे मरद का मजा ले रही थी मैं उसका, मेरी हथेली ननद की चुनमुनिया पे

थोड़ी देर में ननद और ननद के भाई दोनों गरमा गए, और वैसे ही लेटे लेटे साइड से ही खेल चालू हो गया। ननद के भैया, पीछे, ननद मेरी आगे, और पीछे से ही मेरे मरद ने खूंटा ठोंक दिया।


अबकी मैं एकदम अलग थी। बस थोड़ी देर में भोर होने वाली थी और मैं जानती थी, सास नहीं है, ये भाई बहन तो मस्ती के मूड में तो सब सुबह का काम मुझे ी देखना पडेगा तो बस मैं अलसाये उन लोगों का खेल देख रही थी।

पांचवा राउंड जब ख़त्म हुआ तो चिड़िया चहचहांने लगी थीं।


बाहर पौ फूट रही थी, गाँव में सुबह जल्द ही होती है। मैं तो उठ गयी लेकिन भाई बहिन एक दूसरे से चिपके, इनकी मलाई ननद रानी के जांघों पर कुछ अभी भी बहती, कुछ जम के थक्का हो गयी थी।



सुबह काम भी बहुत होता है, रसोई का, घर का और आज मुझे दस बजे के पहले बाग़ में पहुँचना था, नाश्ते खाने का भी इंतजाम उसके पहले,

ननद रानी तो आज उठने वाली नहीं थी, ... रसोई का आधा काम कर के मैं बाहर निकली, बाहर ग्वालिन भौजी, गाय भैंस दुह रही थीं, दो बाल्टी दूध रोज निकलता था।
कमरे के बाहर से निकलते मैं ठिठक गयी, अपने कमरे के सामने से। दरवाजा आधा खुला था, सुबह तो सब मरदो का खड़ा होता है।

ये पीछे से ननद को पकड़ के सो रहे थे,... लेकिन खड़ा होने के बाद,... बस जरा सा इन्होने चूँची पकड के रगड़ा, ननद ने खुद ही टाँगे उठा दी, बस पीछे से पहले सटाया, फिर धँसाया, खेल चालू।





मैं ग्वालिन भौजी से दूध की बाल्टी ले रही थी, तभी ननद की जोर से सिसकी सुनाई पड़ी,... और फिर चीख और हल्की सी आवाज


" भैया धीरे से करो, सारी रात रगड़ के रख दिया,... हाँ ऐसे ही धीमे धीमे,... कहाँ भागी जा रही हूँ "

मैं और ग्वालिन भौजी दोनों मुस्कराये।

ननद के सिसकने की आवाज खुल कर आ रही थी, तभी इनकी धीमी से आवाज आयी, " बहिनिया, ज़रा निहुर जाओ न "

" नहीं भैया, कमर टूट रही है, इत्ते कस कस के धक्के मारे हैं तूने, तू ऊपर आ जा न " ननद की थकी थकी आवाज आ रही थी ,

और फिर थोड़ी देर में सिसकिया, कभी चीख,

मैंने ग्वालिन भाभी की ओर देखते हुए दरवाजा ठीक से उठँगा दिया, और मैं और भौजी एक दूसरे को देख के मुस्करा दिए,


लेकिन मैं समझ गयी की दोपहर तक मेरे मरद मेरे नन्दोई बन गए, ये बात सारे गाँव में फ़ैल जायेगी।


ननद को दोपहर में अपनी सहेलियों के पास जाना था था दिन भर वहीँ गप्प गोष्ठी और शाम को गाँव से बाहर छावनी में , रात में वही , कल शाम को लौटना था।

इनको भी अपने दोस्तों के पास


और मुझे बाग़ में ननद देवरो की गाँठ जुड़वाने,... लेकिन उसका हाल तो पहले ही बता चुकी हूँ। पहले मैं निकली, घंटे भर बाद वो दोनों लोग भी।

ननद आज रात बाहर रहने वाली थीं, अपने सहेलियों के संग,

जैसे कल मेरी सास नहीं थी तो बस, मैं मेरी ननद और वो, मेरा मरद।

आज रात ननद बाहर रहेंगी, सास लौट आएँगी तो बस गुजरी रात की तरह बस मैं , मेरी सास और वो , मेरा मरद

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और वो किस्सा अगले पोस्ट में, मेरी सास का ।
Yeh raat ka kissa , baag wali nand devar se pehli rat ka hai jiska jikar ho chuka hai
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Rajiii
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komaalrani

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Kya baat hai,Nanad ko behosh hi kar diya lagbagh. Subah tak do baar or, uska bhi jikar hai kya age?
अरे नहीं सुबह तक पांच बार

और गुड मॉर्निंग वाला उसके बाद

' पांचवा राउंड जब ख़त्म हुआ तो चिड़िया चहचहांने लगी थीं।
बाहर पौ फूट रही थी, गाँव में सुबह जल्द ही होती है। मैं तो उठ गयी लेकिन भाई बहिन एक दूसरे से चिपके, इनकी मलाई ननद रानी के जांघों पर कुछ अभी भी बहती, कुछ जम के थक्का हो गयी थी।"


और उसके बाद भी,

मैं ग्वालिन भौजी से दूध की बाल्टी ले रही थी, तभी ननद की जोर से सिसकी सुनाई पड़ी,... और फिर चीख और हल्की सी आवाज

" भैया धीरे से करो, सारी रात रगड़ के रख दिया,... हाँ ऐसे ही धीमे धीमे,... कहाँ भागी जा रही हूँ "

मैं और ग्वालिन भौजी दोनों मुस्कराये।
 

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rajkomal

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यह कमेंट मेरा किसी भी साईट पर पहला है कोमल जी | मैं आपकी स्टोरी याहू ग्रुप से ही पढता आ रहा हु किन्तु कभी कमेंट नहीं किया | इतनी अच्छी स्टोरी पर बहुत कम कमेंट आने के कारन मुझे आना पड़ा | आप की स्टोरी बहुत ही ऊँचे दर्जे की है | मैंने आप की स्टोरी पढ़ी है | चांदनी चली गाँव, बरसान लगी बदरिया या शायद autaum सोनाटा थी |
 

komaalrani

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