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मैंने मामा के साथ खाना खा लिया और अपना बिस्तर लेकर ऊपर आगया, मैं कम्मो से बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वो शायद सब समझ गयी थी।
थोड़ी देर के बाद मामी और कम्मो भी आगयी, कम्मो वैसे तो दिखने में बहुत शान्त थी पर जबसे उसने मेरे और मामी के बीच जो चल रहा था उसको भाँप लिया था तबसे मुझे अजीब निगाहों से देखने लगी थी, दिन भर उसकी निगाहों ने मेरा पीछा किया।
खैर वो दोनो ऊपर आयी तो कम्मो ही बोली,” दीदी दो ही ग़द्दी है तो मिला कर बिछा लो तो अपन तीनो आराम से सो पाएँगे।”
“ माधो ये ले तेरा कम्बल, इसको रात में ठण्ड लगती है।” मामी ने कहा
“ तो तू बीच में आ जाना गरम हो जाएगा।” कम्मो ने चुटकी काटी
हम तीनो लेट गये, मैं दीवार की तरफ़ मामी बीच में और आख़िर में कम्मो। कम्मो और मामी बात करने लगे, उनके विषय गाँव के सब लोगों के बारे में थे।
दोनो को लगा कि मैं सो गया हूँ, कम्मो बोली,” दीदी तुमको पता है वो अपने घर के बगल में जो सज्जो थी वो अपने ही देवर से लग गयी है।”
“ क्या कह रही हो भाभी, दिखने में तो बड़ी सीधी है।” मामी ने कहा
“हाँ सच में, उसकी देवरानी ने उसको लण्ड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था।” कम्मो ने भारी आवाज़ में कहा
“हे भगवान, ऐसा भी होता है।” मामी ने कहा
“तुम तो ऐसे बन रही हो जैसे तुमको नहीं पता, दोपहर में जो चल रहा था।” कम्मो ने हम दोनो के दिमाग़ में धमाका किया
“मतलब... मैं समझी नहीं।” मामी की जीभ लड़खड़ा गयी थी
“अरे दीदी आयी तो मैं बहुत देर पहले ही थी, जब माधो ने तुमको बोरो पर घोड़ी बनाया हुआ था। कितना मस्त होकर चुदवा रही थी तुम। और कितना मोटा और लम्बा है उसका लौडा।” कम्मो ने मामी के पेट पर हाथ रखते हुए लगा
“भाभी किसी को मत बताना, नहीं तो ये हम दोनो को मार डालेंगे” मामी ने कहा
“ अरे मैं किसी को नहीं बताऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है” कम्मो अब सर्त मनवाने पर आ गयी थी
“क्या शर्त!!!” मामी ने हैरत से पूछा
“मैं भी अपनी भूख मिटाना चाहती हूँ, माधो के साथ” कम्मो बेशर्म बोल गयी
“भाभी तुमको शरम नहीं आती.....” मामी बोल ही नहीं पायी पूरी बात
“तुमको नहीं आयी अपने बेटे की उमर के लड़के से चुदवाते हुए... इतनी खुजली है तुम्हारी चूत में” कम्मो भड़क कर बोली
“भाभी तुमको क्या पता मेरा दर्द।” मामी की आँखो में आँसू आ गए थे
“ कैसा दर्द , इतना हट्टा कट्टा मर्द है जम कर चुदाई करता होगा, तुम्हारी चूत में ही खुजली है....” कम्मो ने ताना मारा
“हाँ भाभी सही कहा आपने हट्टा कट्टा नपुंसक, एक नपुंसक है मेरा मर्द।” मामी ये बोलते हुए रोने लगी
मुझे बहुत दुःख हो रहा था, मैं चाहता था कि उठ कर कम्मो को एक दो हाथ लगा दूँ, पर मौक़े की नज़ाकत ये करने नहीं दे रही थी
कम्मो ये सुन कर मामी को ताड़ने लगी और मामी उठ कर नीचे जाते हुए कम्मो से बोली ,” माधो नहीं चाहता था, मैंने ही ये किया एक बच्चे की चाहत में। अगर तू चाहती है माधो के साथ अभी भी तो कर ले जो करना है।” मामी सीढ़ियाँ उतर गयी
मैं आँखे बंद किए वही पड़ा रहा और कम्मो बैठी रही शून्य में ताकते हुए।
कुछ देर बाद कम्मो भी नीचे चली गयी, मैं भी सो गया।
बहुत रात ही थी कि मुझे अपने बदन पर रेंगते हुए हाथ महसूस हुए। मैंने वो हाथ पकड़ लिया, “मैं हूँ माधो।” ये मामी थी
मैंने देखा चाँदनी रात में मामी सिर्फ़ पेटिकोट में उनके बाल पीछे बांधे हुए झुक गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी और तभी मेरा लोअर नीचे खींच दिया ये कम्मो थी उसने मेरा लिंग पकड़ लिया।
“ये क्या है मामी।”मैंने कहा
“ये भी मेरी ही तरह है माधो सिर्फ़ एक बार चुदवा कर पेट से हो गयी। मेरा भाई रहा नहीं तबसे बस जल रही है मेरे जैसी आग में, मत रोक इसको भी कर लेने दे अपने मन की।”
मैंने अपना बदन ढीला छोड़ दिया और कम्मो ने मेरे तने हुए लिंगको अपने हाथ में पकड़ा और सुपाड़े की खाल को नीचे किया और मेरी सिसकी निकल गयी
मामी ने अपना सिर उठा कर देखा और वहाँ नीचे कम्मो ने अपना मुँह खोल कर सुपाड़े को मुँह में भर लिया, मामी हैरत से कम्मो को ऐसा करते हुए देख रही थी। उन्होंने सोचा भी ना होगा कि इसको चूसता भी होगा कोई
कम्मो ने उनको आँख का इशारा किया और अपने पास बुलाया और वो दोनो तरफ़ बैठ गयी कम्मो ने मेरा लण्ड मुँह से निकाला और बोली,” लो दीदी तुम भी चूसो इसको मामी ने भी सुपाड़े को मुँह में भर लिया और वो दोनो बारी बारी से लण्ड चूसने लगी। इतना तो मुझे समझ ही आगया था कि कम्मो रानी बहुत खेली खायी है।
कम्मो ने मामी से कहा दीदी पहले आप कर लो तो मामी ने कहा नहीं तुम कर लो, बस मुझे तो वीर्य लेना है योनि में गर्भ ठहराने के लिए, इतना बोल कर मामी एक ओर को बैठ गयी और कम्मो मेरे ऊपर को आगयी उसकी बड़ी चूँचियाँ मेरे सामने थी बड़े निप्पल तने हुए मैंने अपना एक हाथ उठाया और कम्मो के निप्पल को पकड़ लिया और ज़ोर से दबाया
“आऽऽह्ह्ह आराम से “ बोलते हुए उसने अपनी चूत मेरे लिंग पर टिकायी एक दम सही जगह और नीचे को सरकी और उसकी गरम चूत में मेरा लण्ड आराम से जाने लगा मैंने अपने कूल्हे उछाल दिए और मेरा ८ इंच का मोटा लण्ड पूरा उसकी चूत में जाकर बच्चेदानी से जा टकराया।
“आह माँ, बहुत बड़ा है।” वो नौटंकी करते हुए बोली अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी मैंने उसका एक स्तन छोड़ दिया और मामी की तरफ़ देखा जो दुखी भाव से मुझे ही देख रही थी।
मैंने अपना एक हाथ उनकी ओर बढ़ाया और उनको अपने से सटा लिया और उनके होंठ को अपने मुँह में भर लिया। कम्मो अपने भारी भरकम कूल्हे मेरे लण्ड पर पटक कर चुद रही थी और मैं मामी के होंठो को चूस रहा था। मैंने अपना एक हाथ मामी के पैरो के बीच में डाल कर एक उँगली मामी की योनि में डालदी, अब मामी और कम्मो दोनो अपने कूल्हे हिला रही थी मामी मेरे हाथ पर और कम्मो लण्ड पर ।
दोनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी, कम्मो का बदन काँपने लगा वो झड़ रही थी। उसने अपने काम रस से मुझे पूरा भिगो दिया था। मेरा लोअर थोड़ा ही नीचे था जो पूरा ख़राब हो गया था। वो मेरे ऊपर लेट गयी थी मैंने उसको धक्का दिया और अपना लोअर निकाल कर उठा और मामी को उसके ऊपर ही झुका दिया मामी उसके पेट पर अधलेटी हो गयी, उसके स्तन मामी का तकिया हो गए और मैंने मामी के कूल्हे फैलाए और पीछे से अपना सना हुआ गीला लण्ड मामी की योनि में डाल दिया।
कम्मो की साँसे अब नियंत्रित हो गयी थी, कम्मो ने मामी को अपने पास खींच लिया और उनका बदन सहलाने लगी, मामी भी उसके रंग रंगने लगी थी। उनके होंठ मिल गए और यहाँ मैंने मामी की चूत की तेज चुदाई शुरू कर दी। और बस मामी अब छटपटा रही थी वो कई बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैं झड़ ही नहीं रहा था।
मैंने मामी पर तरस खाया और उनको छोड़ कर कम्मो के पैरो के बीच आकर उसके पैर उठाए और लण्ड डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। मैं झुक गया और कम्मो के निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा कम्मो ने भी मुझे बाहों में भर लिया और अपनी गाँड उछाल कर बोली,”अन्दर मत झड़ना, दीदी की चूत में डालना वीर्य!”
हम्म बस इतना ही कहा मैंने अब अंडकोश में उबाल आने लगा था, कम्मो के पैर भी हवा में थे अब वो भी झड़ने के क़रीब थी, वो झड़ी और मैंने झट से लण्ड निकाला और मामी की योनि में डाला और झड़ने लगा। वीर्य आज कुछ ज़्यादा ही निकला और मामी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और योनि सिकोड़ कर लण्ड को निचोड़ने लगी। दो दो औरतों की प्यास तो बुझ गयी पर मैं बहुत थक गया था। ऐसा सोया कि धूप आने तक छत पर ही पड़ा रहा, मामा नाश्ता करके खेतों पर चले गए।
थोड़ी देर के बाद मामी और कम्मो भी आगयी, कम्मो वैसे तो दिखने में बहुत शान्त थी पर जबसे उसने मेरे और मामी के बीच जो चल रहा था उसको भाँप लिया था तबसे मुझे अजीब निगाहों से देखने लगी थी, दिन भर उसकी निगाहों ने मेरा पीछा किया।
खैर वो दोनो ऊपर आयी तो कम्मो ही बोली,” दीदी दो ही ग़द्दी है तो मिला कर बिछा लो तो अपन तीनो आराम से सो पाएँगे।”
“ माधो ये ले तेरा कम्बल, इसको रात में ठण्ड लगती है।” मामी ने कहा
“ तो तू बीच में आ जाना गरम हो जाएगा।” कम्मो ने चुटकी काटी
हम तीनो लेट गये, मैं दीवार की तरफ़ मामी बीच में और आख़िर में कम्मो। कम्मो और मामी बात करने लगे, उनके विषय गाँव के सब लोगों के बारे में थे।
दोनो को लगा कि मैं सो गया हूँ, कम्मो बोली,” दीदी तुमको पता है वो अपने घर के बगल में जो सज्जो थी वो अपने ही देवर से लग गयी है।”
“ क्या कह रही हो भाभी, दिखने में तो बड़ी सीधी है।” मामी ने कहा
“हाँ सच में, उसकी देवरानी ने उसको लण्ड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था।” कम्मो ने भारी आवाज़ में कहा
“हे भगवान, ऐसा भी होता है।” मामी ने कहा
“तुम तो ऐसे बन रही हो जैसे तुमको नहीं पता, दोपहर में जो चल रहा था।” कम्मो ने हम दोनो के दिमाग़ में धमाका किया
“मतलब... मैं समझी नहीं।” मामी की जीभ लड़खड़ा गयी थी
“अरे दीदी आयी तो मैं बहुत देर पहले ही थी, जब माधो ने तुमको बोरो पर घोड़ी बनाया हुआ था। कितना मस्त होकर चुदवा रही थी तुम। और कितना मोटा और लम्बा है उसका लौडा।” कम्मो ने मामी के पेट पर हाथ रखते हुए लगा
“भाभी किसी को मत बताना, नहीं तो ये हम दोनो को मार डालेंगे” मामी ने कहा
“ अरे मैं किसी को नहीं बताऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है” कम्मो अब सर्त मनवाने पर आ गयी थी
“क्या शर्त!!!” मामी ने हैरत से पूछा
“मैं भी अपनी भूख मिटाना चाहती हूँ, माधो के साथ” कम्मो बेशर्म बोल गयी
“भाभी तुमको शरम नहीं आती.....” मामी बोल ही नहीं पायी पूरी बात
“तुमको नहीं आयी अपने बेटे की उमर के लड़के से चुदवाते हुए... इतनी खुजली है तुम्हारी चूत में” कम्मो भड़क कर बोली
“भाभी तुमको क्या पता मेरा दर्द।” मामी की आँखो में आँसू आ गए थे
“ कैसा दर्द , इतना हट्टा कट्टा मर्द है जम कर चुदाई करता होगा, तुम्हारी चूत में ही खुजली है....” कम्मो ने ताना मारा
“हाँ भाभी सही कहा आपने हट्टा कट्टा नपुंसक, एक नपुंसक है मेरा मर्द।” मामी ये बोलते हुए रोने लगी
मुझे बहुत दुःख हो रहा था, मैं चाहता था कि उठ कर कम्मो को एक दो हाथ लगा दूँ, पर मौक़े की नज़ाकत ये करने नहीं दे रही थी
कम्मो ये सुन कर मामी को ताड़ने लगी और मामी उठ कर नीचे जाते हुए कम्मो से बोली ,” माधो नहीं चाहता था, मैंने ही ये किया एक बच्चे की चाहत में। अगर तू चाहती है माधो के साथ अभी भी तो कर ले जो करना है।” मामी सीढ़ियाँ उतर गयी
मैं आँखे बंद किए वही पड़ा रहा और कम्मो बैठी रही शून्य में ताकते हुए।
कुछ देर बाद कम्मो भी नीचे चली गयी, मैं भी सो गया।
बहुत रात ही थी कि मुझे अपने बदन पर रेंगते हुए हाथ महसूस हुए। मैंने वो हाथ पकड़ लिया, “मैं हूँ माधो।” ये मामी थी
मैंने देखा चाँदनी रात में मामी सिर्फ़ पेटिकोट में उनके बाल पीछे बांधे हुए झुक गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी और तभी मेरा लोअर नीचे खींच दिया ये कम्मो थी उसने मेरा लिंग पकड़ लिया।
“ये क्या है मामी।”मैंने कहा
“ये भी मेरी ही तरह है माधो सिर्फ़ एक बार चुदवा कर पेट से हो गयी। मेरा भाई रहा नहीं तबसे बस जल रही है मेरे जैसी आग में, मत रोक इसको भी कर लेने दे अपने मन की।”
मैंने अपना बदन ढीला छोड़ दिया और कम्मो ने मेरे तने हुए लिंगको अपने हाथ में पकड़ा और सुपाड़े की खाल को नीचे किया और मेरी सिसकी निकल गयी
मामी ने अपना सिर उठा कर देखा और वहाँ नीचे कम्मो ने अपना मुँह खोल कर सुपाड़े को मुँह में भर लिया, मामी हैरत से कम्मो को ऐसा करते हुए देख रही थी। उन्होंने सोचा भी ना होगा कि इसको चूसता भी होगा कोई
कम्मो ने उनको आँख का इशारा किया और अपने पास बुलाया और वो दोनो तरफ़ बैठ गयी कम्मो ने मेरा लण्ड मुँह से निकाला और बोली,” लो दीदी तुम भी चूसो इसको मामी ने भी सुपाड़े को मुँह में भर लिया और वो दोनो बारी बारी से लण्ड चूसने लगी। इतना तो मुझे समझ ही आगया था कि कम्मो रानी बहुत खेली खायी है।
कम्मो ने मामी से कहा दीदी पहले आप कर लो तो मामी ने कहा नहीं तुम कर लो, बस मुझे तो वीर्य लेना है योनि में गर्भ ठहराने के लिए, इतना बोल कर मामी एक ओर को बैठ गयी और कम्मो मेरे ऊपर को आगयी उसकी बड़ी चूँचियाँ मेरे सामने थी बड़े निप्पल तने हुए मैंने अपना एक हाथ उठाया और कम्मो के निप्पल को पकड़ लिया और ज़ोर से दबाया
“आऽऽह्ह्ह आराम से “ बोलते हुए उसने अपनी चूत मेरे लिंग पर टिकायी एक दम सही जगह और नीचे को सरकी और उसकी गरम चूत में मेरा लण्ड आराम से जाने लगा मैंने अपने कूल्हे उछाल दिए और मेरा ८ इंच का मोटा लण्ड पूरा उसकी चूत में जाकर बच्चेदानी से जा टकराया।
“आह माँ, बहुत बड़ा है।” वो नौटंकी करते हुए बोली अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी मैंने उसका एक स्तन छोड़ दिया और मामी की तरफ़ देखा जो दुखी भाव से मुझे ही देख रही थी।
मैंने अपना एक हाथ उनकी ओर बढ़ाया और उनको अपने से सटा लिया और उनके होंठ को अपने मुँह में भर लिया। कम्मो अपने भारी भरकम कूल्हे मेरे लण्ड पर पटक कर चुद रही थी और मैं मामी के होंठो को चूस रहा था। मैंने अपना एक हाथ मामी के पैरो के बीच में डाल कर एक उँगली मामी की योनि में डालदी, अब मामी और कम्मो दोनो अपने कूल्हे हिला रही थी मामी मेरे हाथ पर और कम्मो लण्ड पर ।
दोनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी, कम्मो का बदन काँपने लगा वो झड़ रही थी। उसने अपने काम रस से मुझे पूरा भिगो दिया था। मेरा लोअर थोड़ा ही नीचे था जो पूरा ख़राब हो गया था। वो मेरे ऊपर लेट गयी थी मैंने उसको धक्का दिया और अपना लोअर निकाल कर उठा और मामी को उसके ऊपर ही झुका दिया मामी उसके पेट पर अधलेटी हो गयी, उसके स्तन मामी का तकिया हो गए और मैंने मामी के कूल्हे फैलाए और पीछे से अपना सना हुआ गीला लण्ड मामी की योनि में डाल दिया।
कम्मो की साँसे अब नियंत्रित हो गयी थी, कम्मो ने मामी को अपने पास खींच लिया और उनका बदन सहलाने लगी, मामी भी उसके रंग रंगने लगी थी। उनके होंठ मिल गए और यहाँ मैंने मामी की चूत की तेज चुदाई शुरू कर दी। और बस मामी अब छटपटा रही थी वो कई बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैं झड़ ही नहीं रहा था।
मैंने मामी पर तरस खाया और उनको छोड़ कर कम्मो के पैरो के बीच आकर उसके पैर उठाए और लण्ड डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। मैं झुक गया और कम्मो के निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा कम्मो ने भी मुझे बाहों में भर लिया और अपनी गाँड उछाल कर बोली,”अन्दर मत झड़ना, दीदी की चूत में डालना वीर्य!”
हम्म बस इतना ही कहा मैंने अब अंडकोश में उबाल आने लगा था, कम्मो के पैर भी हवा में थे अब वो भी झड़ने के क़रीब थी, वो झड़ी और मैंने झट से लण्ड निकाला और मामी की योनि में डाला और झड़ने लगा। वीर्य आज कुछ ज़्यादा ही निकला और मामी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और योनि सिकोड़ कर लण्ड को निचोड़ने लगी। दो दो औरतों की प्यास तो बुझ गयी पर मैं बहुत थक गया था। ऐसा सोया कि धूप आने तक छत पर ही पड़ा रहा, मामा नाश्ता करके खेतों पर चले गए।