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Erotica अगड़ बम

Maddy78

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मैंने मामा के साथ खाना खा लिया और अपना बिस्तर लेकर ऊपर आगया, मैं कम्मो से बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वो शायद सब समझ गयी थी।

थोड़ी देर के बाद मामी और कम्मो भी आगयी, कम्मो वैसे तो दिखने में बहुत शान्त थी पर जबसे उसने मेरे और मामी के बीच जो चल रहा था उसको भाँप लिया था तबसे मुझे अजीब निगाहों से देखने लगी थी, दिन भर उसकी निगाहों ने मेरा पीछा किया।

खैर वो दोनो ऊपर आयी तो कम्मो ही बोली,” दीदी दो ही ग़द्दी है तो मिला कर बिछा लो तो अपन तीनो आराम से सो पाएँगे।”

“ माधो ये ले तेरा कम्बल, इसको रात में ठण्ड लगती है।” मामी ने कहा

“ तो तू बीच में आ जाना गरम हो जाएगा।” कम्मो ने चुटकी काटी
हम तीनो लेट गये, मैं दीवार की तरफ़ मामी बीच में और आख़िर में कम्मो। कम्मो और मामी बात करने लगे, उनके विषय गाँव के सब लोगों के बारे में थे।

दोनो को लगा कि मैं सो गया हूँ, कम्मो बोली,” दीदी तुमको पता है वो अपने घर के बगल में जो सज्जो थी वो अपने ही देवर से लग गयी है।”

“ क्या कह रही हो भाभी, दिखने में तो बड़ी सीधी है।” मामी ने कहा

“हाँ सच में, उसकी देवरानी ने उसको लण्ड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था।” कम्मो ने भारी आवाज़ में कहा

“हे भगवान, ऐसा भी होता है।” मामी ने कहा

“तुम तो ऐसे बन रही हो जैसे तुमको नहीं पता, दोपहर में जो चल रहा था।” कम्मो ने हम दोनो के दिमाग़ में धमाका किया

“मतलब... मैं समझी नहीं।” मामी की जीभ लड़खड़ा गयी थी

“अरे दीदी आयी तो मैं बहुत देर पहले ही थी, जब माधो ने तुमको बोरो पर घोड़ी बनाया हुआ था। कितना मस्त होकर चुदवा रही थी तुम। और कितना मोटा और लम्बा है उसका लौडा।” कम्मो ने मामी के पेट पर हाथ रखते हुए लगा

“भाभी किसी को मत बताना, नहीं तो ये हम दोनो को मार डालेंगे” मामी ने कहा

“ अरे मैं किसी को नहीं बताऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है” कम्मो अब सर्त मनवाने पर आ गयी थी

“क्या शर्त!!!” मामी ने हैरत से पूछा

“मैं भी अपनी भूख मिटाना चाहती हूँ, माधो के साथ” कम्मो बेशर्म बोल गयी

“भाभी तुमको शरम नहीं आती.....” मामी बोल ही नहीं पायी पूरी बात

“तुमको नहीं आयी अपने बेटे की उमर के लड़के से चुदवाते हुए... इतनी खुजली है तुम्हारी चूत में” कम्मो भड़क कर बोली

“भाभी तुमको क्या पता मेरा दर्द।” मामी की आँखो में आँसू आ गए थे

“ कैसा दर्द , इतना हट्टा कट्टा मर्द है जम कर चुदाई करता होगा, तुम्हारी चूत में ही खुजली है....” कम्मो ने ताना मारा

“हाँ भाभी सही कहा आपने हट्टा कट्टा नपुंसक, एक नपुंसक है मेरा मर्द।” मामी ये बोलते हुए रोने लगी

मुझे बहुत दुःख हो रहा था, मैं चाहता था कि उठ कर कम्मो को एक दो हाथ लगा दूँ, पर मौक़े की नज़ाकत ये करने नहीं दे रही थी

कम्मो ये सुन कर मामी को ताड़ने लगी और मामी उठ कर नीचे जाते हुए कम्मो से बोली ,” माधो नहीं चाहता था, मैंने ही ये किया एक बच्चे की चाहत में। अगर तू चाहती है माधो के साथ अभी भी तो कर ले जो करना है।” मामी सीढ़ियाँ उतर गयी

मैं आँखे बंद किए वही पड़ा रहा और कम्मो बैठी रही शून्य में ताकते हुए।


कुछ देर बाद कम्मो भी नीचे चली गयी, मैं भी सो गया।

बहुत रात ही थी कि मुझे अपने बदन पर रेंगते हुए हाथ महसूस हुए। मैंने वो हाथ पकड़ लिया, “मैं हूँ माधो।” ये मामी थी

मैंने देखा चाँदनी रात में मामी सिर्फ़ पेटिकोट में उनके बाल पीछे बांधे हुए झुक गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी और तभी मेरा लोअर नीचे खींच दिया ये कम्मो थी उसने मेरा लिंग पकड़ लिया।

“ये क्या है मामी।”मैंने कहा

“ये भी मेरी ही तरह है माधो सिर्फ़ एक बार चुदवा कर पेट से हो गयी। मेरा भाई रहा नहीं तबसे बस जल रही है मेरे जैसी आग में, मत रोक इसको भी कर लेने दे अपने मन की।”

मैंने अपना बदन ढीला छोड़ दिया और कम्मो ने मेरे तने हुए लिंगको अपने हाथ में पकड़ा और सुपाड़े की खाल को नीचे किया और मेरी सिसकी निकल गयी

मामी ने अपना सिर उठा कर देखा और वहाँ नीचे कम्मो ने अपना मुँह खोल कर सुपाड़े को मुँह में भर लिया, मामी हैरत से कम्मो को ऐसा करते हुए देख रही थी। उन्होंने सोचा भी ना होगा कि इसको चूसता भी होगा कोई

कम्मो ने उनको आँख का इशारा किया और अपने पास बुलाया और वो दोनो तरफ़ बैठ गयी कम्मो ने मेरा लण्ड मुँह से निकाला और बोली,” लो दीदी तुम भी चूसो इसको मामी ने भी सुपाड़े को मुँह में भर लिया और वो दोनो बारी बारी से लण्ड चूसने लगी। इतना तो मुझे समझ ही आगया था कि कम्मो रानी बहुत खेली खायी है।

कम्मो ने मामी से कहा दीदी पहले आप कर लो तो मामी ने कहा नहीं तुम कर लो, बस मुझे तो वीर्य लेना है योनि में गर्भ ठहराने के लिए, इतना बोल कर मामी एक ओर को बैठ गयी और कम्मो मेरे ऊपर को आगयी उसकी बड़ी चूँचियाँ मेरे सामने थी बड़े निप्पल तने हुए मैंने अपना एक हाथ उठाया और कम्मो के निप्पल को पकड़ लिया और ज़ोर से दबाया

“आऽऽह्ह्ह आराम से “ बोलते हुए उसने अपनी चूत मेरे लिंग पर टिकायी एक दम सही जगह और नीचे को सरकी और उसकी गरम चूत में मेरा लण्ड आराम से जाने लगा मैंने अपने कूल्हे उछाल दिए और मेरा ८ इंच का मोटा लण्ड पूरा उसकी चूत में जाकर बच्चेदानी से जा टकराया।

“आह माँ, बहुत बड़ा है।” वो नौटंकी करते हुए बोली अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी मैंने उसका एक स्तन छोड़ दिया और मामी की तरफ़ देखा जो दुखी भाव से मुझे ही देख रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी ओर बढ़ाया और उनको अपने से सटा लिया और उनके होंठ को अपने मुँह में भर लिया। कम्मो अपने भारी भरकम कूल्हे मेरे लण्ड पर पटक कर चुद रही थी और मैं मामी के होंठो को चूस रहा था। मैंने अपना एक हाथ मामी के पैरो के बीच में डाल कर एक उँगली मामी की योनि में डालदी, अब मामी और कम्मो दोनो अपने कूल्हे हिला रही थी मामी मेरे हाथ पर और कम्मो लण्ड पर ।

दोनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी, कम्मो का बदन काँपने लगा वो झड़ रही थी। उसने अपने काम रस से मुझे पूरा भिगो दिया था। मेरा लोअर थोड़ा ही नीचे था जो पूरा ख़राब हो गया था। वो मेरे ऊपर लेट गयी थी मैंने उसको धक्का दिया और अपना लोअर निकाल कर उठा और मामी को उसके ऊपर ही झुका दिया मामी उसके पेट पर अधलेटी हो गयी, उसके स्तन मामी का तकिया हो गए और मैंने मामी के कूल्हे फैलाए और पीछे से अपना सना हुआ गीला लण्ड मामी की योनि में डाल दिया।

कम्मो की साँसे अब नियंत्रित हो गयी थी, कम्मो ने मामी को अपने पास खींच लिया और उनका बदन सहलाने लगी, मामी भी उसके रंग रंगने लगी थी। उनके होंठ मिल गए और यहाँ मैंने मामी की चूत की तेज चुदाई शुरू कर दी। और बस मामी अब छटपटा रही थी वो कई बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैं झड़ ही नहीं रहा था।

मैंने मामी पर तरस खाया और उनको छोड़ कर कम्मो के पैरो के बीच आकर उसके पैर उठाए और लण्ड डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। मैं झुक गया और कम्मो के निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा कम्मो ने भी मुझे बाहों में भर लिया और अपनी गाँड उछाल कर बोली,”अन्दर मत झड़ना, दीदी की चूत में डालना वीर्य!”

हम्म बस इतना ही कहा मैंने अब अंडकोश में उबाल आने लगा था, कम्मो के पैर भी हवा में थे अब वो भी झड़ने के क़रीब थी, वो झड़ी और मैंने झट से लण्ड निकाला और मामी की योनि में डाला और झड़ने लगा। वीर्य आज कुछ ज़्यादा ही निकला और मामी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और योनि सिकोड़ कर लण्ड को निचोड़ने लगी। दो दो औरतों की प्यास तो बुझ गयी पर मैं बहुत थक गया था। ऐसा सोया कि धूप आने तक छत पर ही पड़ा रहा, मामा नाश्ता करके खेतों पर चले गए।
 

Maddy78

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हम जानते हैं मित्र परन्तु जब तुम्हारे पाठक मांग करेंगे तो थोडी extra मेहनत तो करनी पडेगी क्यों कि कहानी दमदार है
लो भाई इस बार पूरा अपडेट एक बार में
 

Maddy78

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मुझे कम्मो ने आके उठाया और मैं नदी की तरफ़ निकल गया, वहाँ नहा ही रहा था कि गाँव की एक लड़की और एक दूसरी औरत भी वहाँ कपड़े धोने आ गयी, उन्होंने अपने अपने कपड़े निकाल कर सिने से पेटिकोट बांध लिए।

लड़की की उमर १९-२० और उसकी भाभी की उमर २३-२४ ही होगी। लड़की का नाम नेहा था जो उसकी भाभी ने उसको पुकारा तब पता चला, नेहा दुबली पतली सी साँवली लड़की थी जबकि उसकी भाभी भरे हुए नितम्ब पतली कमर और गोरे स्तन जो मध्यम आकार के थे। सफ़ेद पेटिकोट में भीग कर चिपक गए थे।

मैं उसके पास को गया तैरते हुए तो वह बोली,” देखते नहीं हम यहाँ कपड़े धो रहे हैं, दूर जाओ यहाँ से।”

“क्यों जाऊँ दूर तुमसे पहले मैं यहाँ आया था, यहीं नहाऊँगा।” मैंने कहा

“अच्छा बहुत ज़बान लड़ा रहे हो, जानते हो मैं कोन हूँ।” उसने कहा

“ हाँ देख रहा हूँ, तुम एक भीगी हुई सुन्दरी हो। जो बहुत सुंदर है।” मैं उसके रूप आकर्षण में बोल गया

वो अपनी हालत पर झेंप गयी मेरा जवाब सुनकर, उसने खुद को देखा तो पूरा सफ़ेद रंग का पेटिकोट भीग कर उसके बदन पर चिपक गया था गुलाबी स्तनाग्र उसके पेटिकोट पर उभार बना रहे थे और सपाट चिकनी योनि की लकीर भी कपड़े पर नुमायाँ हो रही थी। उसको मेरी बाँतो से जैसे ही अपनीहालत का अंदाज़ा हुआ वो ज़मीन पर अपने हाथ स्तन पर रखते हुए बैठ गयी।

मैंने उसको कुछ नहीं कहा बस पानी से बाहर निकल कर उसके थोड़ा आगे खड़ा हो गया, उसका रूप देख कर मेरा लण्ड तना हुआ था जिस पर उसकी नजर पड़ गयी और वो हैरत से मेरा तना हुआ लण्ड देख रही थी।

मैंने देख लिया था वो देख रही है, जानबूझकर वहाँ पर ही तौलिया लपेटा और कच्छा निकाल दिया। उसको लिंग का पूरा दर्शन करवा दिया, और अब मुस्कुरा कर उसको देखा तो नज़रें मिलते ही वो झेंप गयी, फिर झूठा ग़ुस्सा चेहरे पर लाते हुए पानी में कूद गयी।

मैं अपने कपड़े पहन कर जाने ही वाला था कि नेहा की चीख सुनायी दी, बचाओ कोई।

मैंने देखा तो नेहा पानी के किनारे खड़ी थी और उसकी भाभी दूर को एक तरफ़ गोल घूम रही थी, मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि वो भँवर की चपेट में है....

उसकी ओर भाग कर ऊपर को जाकर कूदा और तेज़ी से तैर कर उसकी भाभी के पास जा पहुँचा और उसका एक हाथ पकड़ में आगया, पकड़ कर खींच लिया पर इस आपाधापी में उसका पेटिकोट सिने पर से निकल गया और वो खींचने पर एक दम ऊपर को आयी और उसके स्तन मेरे मुँह पर आगाये।

मैंने एक हाथ नीचे किया और उसके गोल नितम्ब को कस कर पकड़ा और उसको ऊपर को उछाल दिया, वो मेरे ऊपर से होते हुए भंवर से बाहर आ गयी।

मैं भी उसको पकड़ कर तैरते हुए किनारे को लाया, और उसने अपना पेटिकोट सही कर लिया और मैं किनारे पर ही लेट कर हाँफने लगा, वो भी वही बेसुध पड़ गयी। अब तक नेहा उसके पास आ चुकी थी। हम दोनो की साँसे सामान्य हुई तो मैंने उससे कहा,” ठीक हो आप।”

“जी अब ठीक हूँ।” उसने मुस्कुरा दिया

“भैया आप कोन हो यहाँ गाँव के तो नहीं हैं” नेहा बोली

“ मैं अपने मामा के यहाँ आया हूँ।”

“अच्छा आप मोटा चाचा के यहाँ आए है” नेहा पहले ही बोल पड़ी

“हाँ... पर आपने कैसे पहचाना।” मैंने कहा

“अरे इसमें क्या है आजकल सारे गाँव की लड़कियाँ आपकी ही तो बात कर रही हैं।” नेहा बोल गयी

“ओहो मेरी चर्चा इतनी हो रही गाँव में...??” सवाल पर झेंप गयी

“ ओ ननद रानी चलो अब, इनका दीदार ही करती रहोगी।” नेहा की भाभी बोली

फिर वो मेरी तरफ़ आयी और बोली,”आपका धन्यवाद कैसे कहूँ! “

“ कल मिलो यहीं... “ मैंने उसकी आँखो में देख कर कहा

उसने हैरत से देखा तो मैं हँस दिया वो समझ गयी मैं मज़ाक़ कर रहा हूँ।

जवाब में वो भी हँस दी, और बोली ,”क्या नाम है आपका?”

“जी, माधव और आपका ?” मैंने भी पूछ ही लिया

“रुक्मणी” वो बोली और पलट कर नितम्ब मटकाते हुए जाने लगी मेरी नज़र उसके थिरकते हुए नितंबो पर ही थी

वो पलटी और हमारी नज़रें मिली और मैं झेंप गया।

फ़िर मैं भी उसको जाता हुआ देखने के बाद अपने घर आगया

घर पर मामा मामी कोई भी नहीं था, कम्मो अकेली थी.......

(तो फिर क्या कहते है आप कम्मो से साथ एक सोलो हो जाये)
 

SKYESH

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(तो फिर क्या कहते है आप कम्मो से साथ एक सोलो हो जाये)


ho jaye.........................:wink:
 

Killerpanditji(pandit)

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मैंने मामा के साथ खाना खा लिया और अपना बिस्तर लेकर ऊपर आगया, मैं कम्मो से बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वो शायद सब समझ गयी थी।

थोड़ी देर के बाद मामी और कम्मो भी आगयी, कम्मो वैसे तो दिखने में बहुत शान्त थी पर जबसे उसने मेरे और मामी के बीच जो चल रहा था उसको भाँप लिया था तबसे मुझे अजीब निगाहों से देखने लगी थी, दिन भर उसकी निगाहों ने मेरा पीछा किया।

खैर वो दोनो ऊपर आयी तो कम्मो ही बोली,” दीदी दो ही ग़द्दी है तो मिला कर बिछा लो तो अपन तीनो आराम से सो पाएँगे।”

“ माधो ये ले तेरा कम्बल, इसको रात में ठण्ड लगती है।” मामी ने कहा

“ तो तू बीच में आ जाना गरम हो जाएगा।” कम्मो ने चुटकी काटी
हम तीनो लेट गये, मैं दीवार की तरफ़ मामी बीच में और आख़िर में कम्मो। कम्मो और मामी बात करने लगे, उनके विषय गाँव के सब लोगों के बारे में थे।

दोनो को लगा कि मैं सो गया हूँ, कम्मो बोली,” दीदी तुमको पता है वो अपने घर के बगल में जो सज्जो थी वो अपने ही देवर से लग गयी है।”

“ क्या कह रही हो भाभी, दिखने में तो बड़ी सीधी है।” मामी ने कहा

“हाँ सच में, उसकी देवरानी ने उसको लण्ड चूसते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था।” कम्मो ने भारी आवाज़ में कहा

“हे भगवान, ऐसा भी होता है।” मामी ने कहा

“तुम तो ऐसे बन रही हो जैसे तुमको नहीं पता, दोपहर में जो चल रहा था।” कम्मो ने हम दोनो के दिमाग़ में धमाका किया

“मतलब... मैं समझी नहीं।” मामी की जीभ लड़खड़ा गयी थी

“अरे दीदी आयी तो मैं बहुत देर पहले ही थी, जब माधो ने तुमको बोरो पर घोड़ी बनाया हुआ था। कितना मस्त होकर चुदवा रही थी तुम। और कितना मोटा और लम्बा है उसका लौडा।” कम्मो ने मामी के पेट पर हाथ रखते हुए लगा

“भाभी किसी को मत बताना, नहीं तो ये हम दोनो को मार डालेंगे” मामी ने कहा

“ अरे मैं किसी को नहीं बताऊँगी, पर मेरी भी एक शर्त है” कम्मो अब सर्त मनवाने पर आ गयी थी

“क्या शर्त!!!” मामी ने हैरत से पूछा

“मैं भी अपनी भूख मिटाना चाहती हूँ, माधो के साथ” कम्मो बेशर्म बोल गयी

“भाभी तुमको शरम नहीं आती.....” मामी बोल ही नहीं पायी पूरी बात

“तुमको नहीं आयी अपने बेटे की उमर के लड़के से चुदवाते हुए... इतनी खुजली है तुम्हारी चूत में” कम्मो भड़क कर बोली

“भाभी तुमको क्या पता मेरा दर्द।” मामी की आँखो में आँसू आ गए थे

“ कैसा दर्द , इतना हट्टा कट्टा मर्द है जम कर चुदाई करता होगा, तुम्हारी चूत में ही खुजली है....” कम्मो ने ताना मारा

“हाँ भाभी सही कहा आपने हट्टा कट्टा नपुंसक, एक नपुंसक है मेरा मर्द।” मामी ये बोलते हुए रोने लगी

मुझे बहुत दुःख हो रहा था, मैं चाहता था कि उठ कर कम्मो को एक दो हाथ लगा दूँ, पर मौक़े की नज़ाकत ये करने नहीं दे रही थी

कम्मो ये सुन कर मामी को ताड़ने लगी और मामी उठ कर नीचे जाते हुए कम्मो से बोली ,” माधो नहीं चाहता था, मैंने ही ये किया एक बच्चे की चाहत में। अगर तू चाहती है माधो के साथ अभी भी तो कर ले जो करना है।” मामी सीढ़ियाँ उतर गयी

मैं आँखे बंद किए वही पड़ा रहा और कम्मो बैठी रही शून्य में ताकते हुए।


कुछ देर बाद कम्मो भी नीचे चली गयी, मैं भी सो गया।

बहुत रात ही थी कि मुझे अपने बदन पर रेंगते हुए हाथ महसूस हुए। मैंने वो हाथ पकड़ लिया, “मैं हूँ माधो।” ये मामी थी

मैंने देखा चाँदनी रात में मामी सिर्फ़ पेटिकोट में उनके बाल पीछे बांधे हुए झुक गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी और तभी मेरा लोअर नीचे खींच दिया ये कम्मो थी उसने मेरा लिंग पकड़ लिया।

“ये क्या है मामी।”मैंने कहा

“ये भी मेरी ही तरह है माधो सिर्फ़ एक बार चुदवा कर पेट से हो गयी। मेरा भाई रहा नहीं तबसे बस जल रही है मेरे जैसी आग में, मत रोक इसको भी कर लेने दे अपने मन की।”

मैंने अपना बदन ढीला छोड़ दिया और कम्मो ने मेरे तने हुए लिंगको अपने हाथ में पकड़ा और सुपाड़े की खाल को नीचे किया और मेरी सिसकी निकल गयी

मामी ने अपना सिर उठा कर देखा और वहाँ नीचे कम्मो ने अपना मुँह खोल कर सुपाड़े को मुँह में भर लिया, मामी हैरत से कम्मो को ऐसा करते हुए देख रही थी। उन्होंने सोचा भी ना होगा कि इसको चूसता भी होगा कोई

कम्मो ने उनको आँख का इशारा किया और अपने पास बुलाया और वो दोनो तरफ़ बैठ गयी कम्मो ने मेरा लण्ड मुँह से निकाला और बोली,” लो दीदी तुम भी चूसो इसको मामी ने भी सुपाड़े को मुँह में भर लिया और वो दोनो बारी बारी से लण्ड चूसने लगी। इतना तो मुझे समझ ही आगया था कि कम्मो रानी बहुत खेली खायी है।

कम्मो ने मामी से कहा दीदी पहले आप कर लो तो मामी ने कहा नहीं तुम कर लो, बस मुझे तो वीर्य लेना है योनि में गर्भ ठहराने के लिए, इतना बोल कर मामी एक ओर को बैठ गयी और कम्मो मेरे ऊपर को आगयी उसकी बड़ी चूँचियाँ मेरे सामने थी बड़े निप्पल तने हुए मैंने अपना एक हाथ उठाया और कम्मो के निप्पल को पकड़ लिया और ज़ोर से दबाया

“आऽऽह्ह्ह आराम से “ बोलते हुए उसने अपनी चूत मेरे लिंग पर टिकायी एक दम सही जगह और नीचे को सरकी और उसकी गरम चूत में मेरा लण्ड आराम से जाने लगा मैंने अपने कूल्हे उछाल दिए और मेरा ८ इंच का मोटा लण्ड पूरा उसकी चूत में जाकर बच्चेदानी से जा टकराया।

“आह माँ, बहुत बड़ा है।” वो नौटंकी करते हुए बोली अब वो धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रही थी मैंने उसका एक स्तन छोड़ दिया और मामी की तरफ़ देखा जो दुखी भाव से मुझे ही देख रही थी।

मैंने अपना एक हाथ उनकी ओर बढ़ाया और उनको अपने से सटा लिया और उनके होंठ को अपने मुँह में भर लिया। कम्मो अपने भारी भरकम कूल्हे मेरे लण्ड पर पटक कर चुद रही थी और मैं मामी के होंठो को चूस रहा था। मैंने अपना एक हाथ मामी के पैरो के बीच में डाल कर एक उँगली मामी की योनि में डालदी, अब मामी और कम्मो दोनो अपने कूल्हे हिला रही थी मामी मेरे हाथ पर और कम्मो लण्ड पर ।

दोनो की सिसकारियाँ गूँज रही थी, कम्मो का बदन काँपने लगा वो झड़ रही थी। उसने अपने काम रस से मुझे पूरा भिगो दिया था। मेरा लोअर थोड़ा ही नीचे था जो पूरा ख़राब हो गया था। वो मेरे ऊपर लेट गयी थी मैंने उसको धक्का दिया और अपना लोअर निकाल कर उठा और मामी को उसके ऊपर ही झुका दिया मामी उसके पेट पर अधलेटी हो गयी, उसके स्तन मामी का तकिया हो गए और मैंने मामी के कूल्हे फैलाए और पीछे से अपना सना हुआ गीला लण्ड मामी की योनि में डाल दिया।

कम्मो की साँसे अब नियंत्रित हो गयी थी, कम्मो ने मामी को अपने पास खींच लिया और उनका बदन सहलाने लगी, मामी भी उसके रंग रंगने लगी थी। उनके होंठ मिल गए और यहाँ मैंने मामी की चूत की तेज चुदाई शुरू कर दी। और बस मामी अब छटपटा रही थी वो कई बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैं झड़ ही नहीं रहा था।

मैंने मामी पर तरस खाया और उनको छोड़ कर कम्मो के पैरो के बीच आकर उसके पैर उठाए और लण्ड डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा। मैं झुक गया और कम्मो के निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा कम्मो ने भी मुझे बाहों में भर लिया और अपनी गाँड उछाल कर बोली,”अन्दर मत झड़ना, दीदी की चूत में डालना वीर्य!”

हम्म बस इतना ही कहा मैंने अब अंडकोश में उबाल आने लगा था, कम्मो के पैर भी हवा में थे अब वो भी झड़ने के क़रीब थी, वो झड़ी और मैंने झट से लण्ड निकाला और मामी की योनि में डाला और झड़ने लगा। वीर्य आज कुछ ज़्यादा ही निकला और मामी ने मुझे खुद से लिपटा लिया और योनि सिकोड़ कर लण्ड को निचोड़ने लगी। दो दो औरतों की प्यास तो बुझ गयी पर मैं बहुत थक गया था। ऐसा सोया कि धूप आने तक छत पर ही पड़ा रहा, मामा नाश्ता करके खेतों पर चले गए।
Super hot update ??
 
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मुझे कम्मो ने आके उठाया और मैं नदी की तरफ़ निकल गया, वहाँ नहा ही रहा था कि गाँव की एक लड़की और एक दूसरी औरत भी वहाँ कपड़े धोने आ गयी, उन्होंने अपने अपने कपड़े निकाल कर सिने से पेटिकोट बांध लिए।

लड़की की उमर १९-२० और उसकी भाभी की उमर २३-२४ ही होगी। लड़की का नाम नेहा था जो उसकी भाभी ने उसको पुकारा तब पता चला, नेहा दुबली पतली सी साँवली लड़की थी जबकि उसकी भाभी भरे हुए नितम्ब पतली कमर और गोरे स्तन जो मध्यम आकार के थे। सफ़ेद पेटिकोट में भीग कर चिपक गए थे।

मैं उसके पास को गया तैरते हुए तो वह बोली,” देखते नहीं हम यहाँ कपड़े धो रहे हैं, दूर जाओ यहाँ से।”

“क्यों जाऊँ दूर तुमसे पहले मैं यहाँ आया था, यहीं नहाऊँगा।” मैंने कहा

“अच्छा बहुत ज़बान लड़ा रहे हो, जानते हो मैं कोन हूँ।” उसने कहा

“ हाँ देख रहा हूँ, तुम एक भीगी हुई सुन्दरी हो। जो बहुत सुंदर है।” मैं उसके रूप आकर्षण में बोल गया

वो अपनी हालत पर झेंप गयी मेरा जवाब सुनकर, उसने खुद को देखा तो पूरा सफ़ेद रंग का पेटिकोट भीग कर उसके बदन पर चिपक गया था गुलाबी स्तनाग्र उसके पेटिकोट पर उभार बना रहे थे और सपाट चिकनी योनि की लकीर भी कपड़े पर नुमायाँ हो रही थी। उसको मेरी बाँतो से जैसे ही अपनीहालत का अंदाज़ा हुआ वो ज़मीन पर अपने हाथ स्तन पर रखते हुए बैठ गयी।

मैंने उसको कुछ नहीं कहा बस पानी से बाहर निकल कर उसके थोड़ा आगे खड़ा हो गया, उसका रूप देख कर मेरा लण्ड तना हुआ था जिस पर उसकी नजर पड़ गयी और वो हैरत से मेरा तना हुआ लण्ड देख रही थी।

मैंने देख लिया था वो देख रही है, जानबूझकर वहाँ पर ही तौलिया लपेटा और कच्छा निकाल दिया। उसको लिंग का पूरा दर्शन करवा दिया, और अब मुस्कुरा कर उसको देखा तो नज़रें मिलते ही वो झेंप गयी, फिर झूठा ग़ुस्सा चेहरे पर लाते हुए पानी में कूद गयी।

मैं अपने कपड़े पहन कर जाने ही वाला था कि नेहा की चीख सुनायी दी, बचाओ कोई।

मैंने देखा तो नेहा पानी के किनारे खड़ी थी और उसकी भाभी दूर को एक तरफ़ गोल घूम रही थी, मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि वो भँवर की चपेट में है....

उसकी ओर भाग कर ऊपर को जाकर कूदा और तेज़ी से तैर कर उसकी भाभी के पास जा पहुँचा और उसका एक हाथ पकड़ में आगया, पकड़ कर खींच लिया पर इस आपाधापी में उसका पेटिकोट सिने पर से निकल गया और वो खींचने पर एक दम ऊपर को आयी और उसके स्तन मेरे मुँह पर आगाये।

मैंने एक हाथ नीचे किया और उसके गोल नितम्ब को कस कर पकड़ा और उसको ऊपर को उछाल दिया, वो मेरे ऊपर से होते हुए भंवर से बाहर आ गयी।

मैं भी उसको पकड़ कर तैरते हुए किनारे को लाया, और उसने अपना पेटिकोट सही कर लिया और मैं किनारे पर ही लेट कर हाँफने लगा, वो भी वही बेसुध पड़ गयी। अब तक नेहा उसके पास आ चुकी थी। हम दोनो की साँसे सामान्य हुई तो मैंने उससे कहा,” ठीक हो आप।”

“जी अब ठीक हूँ।” उसने मुस्कुरा दिया

“भैया आप कोन हो यहाँ गाँव के तो नहीं हैं” नेहा बोली

“ मैं अपने मामा के यहाँ आया हूँ।”

“अच्छा आप मोटा चाचा के यहाँ आए है” नेहा पहले ही बोल पड़ी

“हाँ... पर आपने कैसे पहचाना।” मैंने कहा

“अरे इसमें क्या है आजकल सारे गाँव की लड़कियाँ आपकी ही तो बात कर रही हैं।” नेहा बोल गयी

“ओहो मेरी चर्चा इतनी हो रही गाँव में...??” सवाल पर झेंप गयी

“ ओ ननद रानी चलो अब, इनका दीदार ही करती रहोगी।” नेहा की भाभी बोली

फिर वो मेरी तरफ़ आयी और बोली,”आपका धन्यवाद कैसे कहूँ! “

“ कल मिलो यहीं... “ मैंने उसकी आँखो में देख कर कहा

उसने हैरत से देखा तो मैं हँस दिया वो समझ गयी मैं मज़ाक़ कर रहा हूँ।

जवाब में वो भी हँस दी, और बोली ,”क्या नाम है आपका?”

“जी, माधव और आपका ?” मैंने भी पूछ ही लिया

“रुक्मणी” वो बोली और पलट कर नितम्ब मटकाते हुए जाने लगी मेरी नज़र उसके थिरकते हुए नितंबो पर ही थी

वो पलटी और हमारी नज़रें मिली और मैं झेंप गया।

फ़िर मैं भी उसको जाता हुआ देखने के बाद अपने घर आगया

घर पर मामा मामी कोई भी नहीं था, कम्मो अकेली थी.......

(तो फिर क्या कहते है आप कम्मो से साथ एक सोलो हो जाये)
Mast update hai yaar
 
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Maddy78

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मैंने कम्मो से पूछा तो उसने बताया कि मामी मामा के साथ शहर गयी है ख़रीदारी करने राशन और ज़रूरी सामान। बताते हुए कम्मो मुस्कुरा रही थी, उसका इशारा मैं समझ रहा था पर अनजान बनते हुए बोला”, ठीक है, मुझे भूख लगी है।”

“खाना तैयार है कबका तुम ही ग़ायब हो।” कहते हुए कम्मो अपनी भारी गाँड हिलाते हुए रसोई की तरफ़ चली गयी

मैं भी उसके पीछे ही चला गया और वो बैठ कर खाना निकालने लगी मैं उसके सामने ही बैठ गया

उसने खाना दिया और मैं खाने लगा, खाते खाते मैंने कहा,” तुमने खाया?”

“मेरी फ़िकर करने वाला कोन है यहाँ?” उसने बुरा सा मूँह बनाते हुए कहा

मैंने निवाला उसकी ओर बढ़ाया और उसके मुँह में खिला दिया, खाने के साथ उसने उँगली भी पकड़ ली। मैंने उँगली उसके मुँह में अंदर और बाहर फिर अंदर कर दी।

“उँगली नहीं कुछ और चूसना है मुझे तो।”मेरे लोअर की तरफ़ इशारा करके हुए कम्मो ने अपने होंठ चाट कर बोला

खाना ख़त्म होने तक हम दोनो ही गरम हो चुके थे, मैंने उसको बाहर आते ही पकड़ लिया और छप्पर में पड़ी हुई चारपायी पर लेकर पड़ गया, मैंने कम्मो के होंठ चूमना शुरू कर दिया, जल्दी ही कम्मो भी मेरे होंठ चूसते हुए बालों में हाथ घुमाने लगी।

मैंने अपनी जीभ कम्मो मुँह में ठेल दी और कम्मो ने मेरी जीभ चूसना शुरू कर दिया, हमारी जीभ अब कुश्ती लड़ रही थी और मैंने अपना हाथ कम्मो के एक स्तन पर रख दिया और बारी बारी उसके दोनो स्तनो को मसलने लगा, उसके निप्पल तन गए थे उसके चूचुक बहुत मोटे और काले थे, मैंने अब उसके ब्लाउस के एक एक करके सारे हुक्स खोल दिए।

मद कलश मैंने उसमें अपना मुँह लगा दिया और उसके निप्ल्ल को चूसने लगा, कम्मो के निप्पल बहुत संवेदनशील थे उसका बदन निप्पल चूसने पर अकड़ने लगा मैं दोनो स्तनो को चूम रहा था मसल रहा था और वह सिसकारियाँ लेकर मस्त हो रही थी। अब मैं उसके नाभि कूप पर आगया चूमते हुए वो मस्त हो गयी थी।

मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और साड़ी को पेटिकोट समेत निकाल फेंका, अब कम्मो छप्पर में चारपायी पर नंगी हो चुकी थी, मैं उसके पैरों के बीच में आगया और उसकी झाँघो को खोल दिया, उसकी योनि पर हल्के रोम थे और उसका योनि भग का दाना बाहर झांक रहा था, उसकी भग थोड़ी बड़ी दाने वाली थी,

योनि से आती हुई गंध से मैं उसकी ओर खिंचा चला गया और वो उछल पड़ी जब मैंने उसकी योनि को मुँह में भर लिया, आह हम्म स्स्स्स्स बस यही निकल रहा था कम्मो के मुँह से।

मैंने उसकी योनि को दोनो हाथ से खोल दिया गुलाबी दरार के ऊपर दाना मैं अपनी जीभ से कम्मो की चूत चाटने लगा कभी दाने को मुँह में भर कर चबा लेता तो वो उछल जाती। योनि में जिह्वा डाल कर जीभ से ही चोदने लगा।

“माधव अब बस लण्ड डाल कर चोदो मुझे अब और मत तड़पाओ” कम्मो ने याचना की

मैं उसकी बात मान गया और उसकी झाँघो को पकड़ा और आगे को सरक कर लण्ड को टिकाया और उसकी आँखों में देखते हुए लण्ड अंदर सरकाने लगा, धीरे से सिर्फ़ सुपाड़ा ही अन्दर किया।

मेरे रुकते ही वो बोली,” रुको मत डालो ना।”

मैंने धीरे धीरे आधा लण्ड सरकाया उसका मुँह खुल गया, मैंने आगे जाने के बजाय निकाला और सिर्फ़ सुपाड़ा अन्दर रहने दिया, उसकी आँखे शिकायत करने लगी और मैंने तेज़ी से पूरा लिंग अन्दर कर दिया। प्रहार ऐसा कि मूत की पिचकारी उड़ कर मेरे पेट को भिगो गयी, फिर तो मैंने तीन चार बार ऐसा ही किया और चारपायी के नीचे उसके मूत का तालाब बन गया। उसने तो भलभला कर बस मूतती रही झड़ गयी वो।

लेकिन ये तो शुरुआत ही थी, मैं उतर कर चारपायी के नीचे आगया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया, वो तुरन्त मन गयी और मैंने उसके कूल्हे फैला दिए गाँड का कसा हुआ छेद भूरे रंग का सामने था, मैंने अपना लण्ड उसकी गाँड पर थपथपाया तो वह सिहर गयी।

ना में सिर हिलाने लगी, तो मैंने भी पीछे से योनि द्वार में प्रवेश करवा दिया लिंग। लेकिन दिमाग़ में गुदा द्वार ही घूम रहा था। मैंने एक उँगली उसके गुदा पर फेरनी शुरू की और झुक कर ढेर सारा थूक उगल दिया, थूक की चिकनाहट से सराबोर उँगली को दबाव दिया तो उँगली गाँड में धँस गयी, कम्मो ने गाँड को कस लिया तो मैंने उँगली निकाली नहीं बल्कि चुदाई तेज कर सी तो उसने गाँड को ढीला कर दिया और मैंने पूरी उँगली अंदर कर दी। मेरा लण्ड मैं अन्दर धक्के लगाते हुए महसूस कर रहा था, मैंने उँगली को लण्ड के साथ साथ अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में कम्मो भी मज़ा लेकर गाँड हिलाने लगी, वो अब झड़ने के क़रीब थी और सिसक कर झड़ने लगी। सब थम गया वो स्खलन का आनन्द ले रही थी और मैंने लिंग बाहर निकाला और उँगली के पास रखा और उँगली निकाली और सुपाड़ा अन्दर, वो आगे को जाती उससे पहले ही मैंने कम्मो की कमर पकड़ कर उसको पीछे खिंचा और आधा लण्ड उसकी गाँड में उतर गया।

“मार डाला हरामी ने, निकाल ले मर गयी मैं तो।” कम्मो कोस रही थी

पर मैं अब रुक गया और उसको निकालने भी नहीं दिया थोड़ी देर में दर्द कम हुआ तो लण्ड को धीरे धीरे धकियाने लगा और कुछ देर में उसको भी मज़ा आने लगा।

और बस गाड़ी चल पड़ी और वो पूरा लण्ड अंदर लेकर गाँड मरवा रही थी। अब मैं भी झड़ने वाला था और गाँड के अन्दर ही वीर्य उगल दिया।

हम वही लेट गए, थोड़ी देर बाद एक बार और चोद कर मैं वही सो गया और वो लंगड़ाते हुए नहा कर काम करने चली गयी।

शाम को मामा ने आकर उठाया तो मैने भी नहा लिया और खाने की तैयारी होने लगी।
 

Maddy78

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शानदार और दमदार अपडेट
मजा आगया भाई
अगले अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी
थैंक्स
 
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