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Erotica अगड़ बम

Maddy78

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अगले दो दिन मामी से ठीक से चला नहीं गया, सब उनको पूछते तो पैर में मोच का बहाना बना कर मुस्कुरा कर चल देती, अब क्या बोलती भांजे की ज़ोरदार चुदाई का नतीजा है।

दो दिन कुछ नहीं हो पाया क्योंकि मामी की एक विधवा भाभी आयी हुई थी, तीसरे दिन वो पड़ोस की एक काकी के साथ कहीं गयी थी और मामा भी खेत पर थे। बस मौक़ा लग ही गया मामी को पकड़ लिया और अनाज घर में लेज़ाकर उनको गेहूँ के बोरो पर झुका कर पीछे से साड़ी उठा कर एक उँगली डाल दी।

“अरे वाह मामी ये तो एक दम गीली है।” मैंने उँगली अन्दर बाहर करते हुए कहा

“जो भी करना हो जल्दी कर, कम्मो आने ही वाली है” मामी ने ये इशारा कर दिया था कि जादा समय नहीं है

“ तो लो फिर” बोलते हुए मैं अपना लोअर खिसका कर मामी के पीछे आगया और लण्ड को मामी के कूल्हे अपने एक हाथ से चौड़ाया, मामी की गाँड के भूरे छेद के नीचे झाँकती हुई लालिमा रास्ता बता रही थी, जो घने जंगल में छुपी थी।

बस टिकाया और अन्दर सरका दिया। स्स्स्स्स आऽऽह धीरे मामी की सिसकियाँ निकलने लगी पर मैंने अनसुना कर दिया बस रेलगाड़ी के हिचकोलों की सैर मामी को करवाने लगा।

माधो मैं आ रही हूँ और मामी दो मिनट में ही झड़ गयी, पर मैंने उनको छोड़ा नहीं मेरा तो अभी हुआ नहीं था। मैंने अपने धक्के जारी रखे थोड़ी ही देर में वो भी अपनी गाँड पीछे धकियाने लगी।

ठप ठप ठप .... हम्म हम्म बस यही आवाज़ थी मामी एक बार और झड़ गयी। अब उनसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था मैंने उनको थोड़ा आराम दिया और सीधा करके एक बोरे पर बैठा कर सामने से लण्ड उनकी रसभरी में डाल दिया और दना दन चोदने लगा बस अब ज़्यादा समय नहीं था और उनकी आँखो में देखते हुए हम दोनो झड़ने लगे। पिचकारियाँ निकल ही रही थी कि मामी की भाभी ने आवाज़ दी।

दीदी कहाँ हो तुम , वो बिलकुल अनाज घर के सामने थी। और मामी ने बोल दिया, “ भाभी मैं अनाज निकाल रही हूँ।”

मैंने झट से अपना लण्डनिकाल कर लोअर ऊपर कर लिया लण्ड अभी मुरझाया भी नहीं था। दोनो के बदन पसीना पसीना हो रखे थे।

और कम्मो अंदर ही आ गयी, एक पल भी मामी ने अपनी साड़ी नीचे करने में देर की होती तो उन्होंने मामी की चूत से बहती हुई मलाईं देख ली होती। मामी ने ग़ज़ब की फुर्ती दिखाई और झट से साड़ी नीचे करके सीढ़ी पर भी चड़ गयी,”देख माधो यहाँ रखा है दाल का पीपा, कब से देख रहे मिल ही नहीं रहा था।”

लेकिन कम्मो का ध्यान तो मेरे लोअर में अभी भी बने तंबू और वीर्य की आख़िरी बूँदे जो लोअर पर निशान बना चुकी थी उस पर था।

बस हमारी नहरें एक बार मिली और मानो उसने कुछ कह दिया हो, वो सब जान गयी हो।

उधर मामी सीढ़ी पर खड़ी थी और मेरा वीर्य उनकी योनि से बहते हुए उनकी एड़ी तक आगया था, जो मैंने और कम्मो दोनो ने ही देखा था।

तभी मामा ने आवाज़ दी और सब बाहर चले गए। रात के खाने की तैयारी करने लगे....
 

Killerpanditji(pandit)

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अगले दो दिन मामी से ठीक से चला नहीं गया, सब उनको पूछते तो पैर में मोच का बहाना बना कर मुस्कुरा कर चल देती, अब क्या बोलती भांजे की ज़ोरदार चुदाई का नतीजा है।

दो दिन कुछ नहीं हो पाया क्योंकि मामी की एक विधवा भाभी आयी हुई थी, तीसरे दिन वो पड़ोस की एक काकी के साथ कहीं गयी थी और मामा भी खेत पर थे। बस मौक़ा लग ही गया मामी को पकड़ लिया और अनाज घर में लेज़ाकर उनको गेहूँ के बोरो पर झुका कर पीछे से साड़ी उठा कर एक उँगली डाल दी।

“अरे वाह मामी ये तो एक दम गीली है।” मैंने उँगली अन्दर बाहर करते हुए कहा

“जो भी करना हो जल्दी कर, कम्मो आने ही वाली है” मामी ने ये इशारा कर दिया था कि जादा समय नहीं है

“ तो लो फिर” बोलते हुए मैं अपना लोअर खिसका कर मामी के पीछे आगया और लण्ड को मामी के कूल्हे अपने एक हाथ से चौड़ाया, मामी की गाँड के भूरे छेद के नीचे झाँकती हुई लालिमा रास्ता बता रही थी, जो घने जंगल में छुपी थी।

बस टिकाया और अन्दर सरका दिया। स्स्स्स्स आऽऽह धीरे मामी की सिसकियाँ निकलने लगी पर मैंने अनसुना कर दिया बस रेलगाड़ी के हिचकोलों की सैर मामी को करवाने लगा।

माधो मैं आ रही हूँ और मामी दो मिनट में ही झड़ गयी, पर मैंने उनको छोड़ा नहीं मेरा तो अभी हुआ नहीं था। मैंने अपने धक्के जारी रखे थोड़ी ही देर में वो भी अपनी गाँड पीछे धकियाने लगी।

ठप ठप ठप .... हम्म हम्म बस यही आवाज़ थी मामी एक बार और झड़ गयी। अब उनसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था मैंने उनको थोड़ा आराम दिया और सीधा करके एक बोरे पर बैठा कर सामने से लण्ड उनकी रसभरी में डाल दिया और दना दन चोदने लगा बस अब ज़्यादा समय नहीं था और उनकी आँखो में देखते हुए हम दोनो झड़ने लगे। पिचकारियाँ निकल ही रही थी कि मामी की भाभी ने आवाज़ दी।

दीदी कहाँ हो तुम , वो बिलकुल अनाज घर के सामने थी। और मामी ने बोल दिया, “ भाभी मैं अनाज निकाल रही हूँ।”

मैंने झट से अपना लण्डनिकाल कर लोअर ऊपर कर लिया लण्ड अभी मुरझाया भी नहीं था। दोनो के बदन पसीना पसीना हो रखे थे।

और कम्मो अंदर ही आ गयी, एक पल भी मामी ने अपनी साड़ी नीचे करने में देर की होती तो उन्होंने मामी की चूत से बहती हुई मलाईं देख ली होती। मामी ने ग़ज़ब की फुर्ती दिखाई और झट से साड़ी नीचे करके सीढ़ी पर भी चड़ गयी,”देख माधो यहाँ रखा है दाल का पीपा, कब से देख रहे मिल ही नहीं रहा था।”

लेकिन कम्मो का ध्यान तो मेरे लोअर में अभी भी बने तंबू और वीर्य की आख़िरी बूँदे जो लोअर पर निशान बना चुकी थी उस पर था।

बस हमारी नहरें एक बार मिली और मानो उसने कुछ कह दिया हो, वो सब जान गयी हो।

उधर मामी सीढ़ी पर खड़ी थी और मेरा वीर्य उनकी योनि से बहते हुए उनकी एड़ी तक आगया था, जो मैंने और कम्मो दोनो ने ही देखा था।

तभी मामा ने आवाज़ दी और सब बाहर चले गए। रात के खाने की तैयारी करने लगे....
Hot update ???
 
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Lutgaya

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आग लगा कर बिना बुझाए ही चले गए दोस्त
स्वाद आने लगा तब तक खीर खत्म
थोडा लम्बा सा डालो ना जितना मामी के डालते हो और कम्मो के डालोगे
 

Maddy78

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आग लगा कर बिना बुझाए ही चले गए दोस्त
स्वाद आने लगा तब तक खीर खत्म
थोडा लम्बा सा डालो ना जितना मामी के डालते हो और कम्मो के डालोगे
भई मोबाइल से लिखना बहुत मुश्किल काम है
 

Lutgaya

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भई मोबाइल से लिखना बहुत मुश्किल काम है
हम जानते हैं मित्र परन्तु जब तुम्हारे पाठक मांग करेंगे तो थोडी extra मेहनत तो करनी पडेगी क्यों कि कहानी दमदार है
 
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