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Erotica अगड़ बम

Lutgaya

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मैंने कम्मो से पूछा तो उसने बताया कि मामी मामा के साथ शहर गयी है ख़रीदारी करने राशन और ज़रूरी सामान। बताते हुए कम्मो मुस्कुरा रही थी, उसका इशारा मैं समझ रहा था पर अनजान बनते हुए बोला”, ठीक है, मुझे भूख लगी है।”

“खाना तैयार है कबका तुम ही ग़ायब हो।” कहते हुए कम्मो अपनी भारी गाँड हिलाते हुए रसोई की तरफ़ चली गयी

मैं भी उसके पीछे ही चला गया और वो बैठ कर खाना निकालने लगी मैं उसके सामने ही बैठ गया

उसने खाना दिया और मैं खाने लगा, खाते खाते मैंने कहा,” तुमने खाया?”

“मेरी फ़िकर करने वाला कोन है यहाँ?” उसने बुरा सा मूँह बनाते हुए कहा

मैंने निवाला उसकी ओर बढ़ाया और उसके मुँह में खिला दिया, खाने के साथ उसने उँगली भी पकड़ ली। मैंने उँगली उसके मुँह में अंदर और बाहर फिर अंदर कर दी।

“उँगली नहीं कुछ और चूसना है मुझे तो।”मेरे लोअर की तरफ़ इशारा करके हुए कम्मो ने अपने होंठ चाट कर बोला

खाना ख़त्म होने तक हम दोनो ही गरम हो चुके थे, मैंने उसको बाहर आते ही पकड़ लिया और छप्पर में पड़ी हुई चारपायी पर लेकर पड़ गया, मैंने कम्मो के होंठ चूमना शुरू कर दिया, जल्दी ही कम्मो भी मेरे होंठ चूसते हुए बालों में हाथ घुमाने लगी।

मैंने अपनी जीभ कम्मो मुँह में ठेल दी और कम्मो ने मेरी जीभ चूसना शुरू कर दिया, हमारी जीभ अब कुश्ती लड़ रही थी और मैंने अपना हाथ कम्मो के एक स्तन पर रख दिया और बारी बारी उसके दोनो स्तनो को मसलने लगा, उसके निप्पल तन गए थे उसके चूचुक बहुत मोटे और काले थे, मैंने अब उसके ब्लाउस के एक एक करके सारे हुक्स खोल दिए।

मद कलश मैंने उसमें अपना मुँह लगा दिया और उसके निप्ल्ल को चूसने लगा, कम्मो के निप्पल बहुत संवेदनशील थे उसका बदन निप्पल चूसने पर अकड़ने लगा मैं दोनो स्तनो को चूम रहा था मसल रहा था और वह सिसकारियाँ लेकर मस्त हो रही थी। अब मैं उसके नाभि कूप पर आगया चूमते हुए वो मस्त हो गयी थी।

मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और साड़ी को पेटिकोट समेत निकाल फेंका, अब कम्मो छप्पर में चारपायी पर नंगी हो चुकी थी, मैं उसके पैरों के बीच में आगया और उसकी झाँघो को खोल दिया, उसकी योनि पर हल्के रोम थे और उसका योनि भग का दाना बाहर झांक रहा था, उसकी भग थोड़ी बड़ी दाने वाली थी,

योनि से आती हुई गंध से मैं उसकी ओर खिंचा चला गया और वो उछल पड़ी जब मैंने उसकी योनि को मुँह में भर लिया, आह हम्म स्स्स्स्स बस यही निकल रहा था कम्मो के मुँह से।

मैंने उसकी योनि को दोनो हाथ से खोल दिया गुलाबी दरार के ऊपर दाना मैं अपनी जीभ से कम्मो की चूत चाटने लगा कभी दाने को मुँह में भर कर चबा लेता तो वो उछल जाती। योनि में जिह्वा डाल कर जीभ से ही चोदने लगा।

“माधव अब बस लण्ड डाल कर चोदो मुझे अब और मत तड़पाओ” कम्मो ने याचना की

मैं उसकी बात मान गया और उसकी झाँघो को पकड़ा और आगे को सरक कर लण्ड को टिकाया और उसकी आँखों में देखते हुए लण्ड अंदर सरकाने लगा, धीरे से सिर्फ़ सुपाड़ा ही अन्दर किया।

मेरे रुकते ही वो बोली,” रुको मत डालो ना।”

मैंने धीरे धीरे आधा लण्ड सरकाया उसका मुँह खुल गया, मैंने आगे जाने के बजाय निकाला और सिर्फ़ सुपाड़ा अन्दर रहने दिया, उसकी आँखे शिकायत करने लगी और मैंने तेज़ी से पूरा लिंग अन्दर कर दिया। प्रहार ऐसा कि मूत की पिचकारी उड़ कर मेरे पेट को भिगो गयी, फिर तो मैंने तीन चार बार ऐसा ही किया और चारपायी के नीचे उसके मूत का तालाब बन गया। उसने तो भलभला कर बस मूतती रही झड़ गयी वो।

लेकिन ये तो शुरुआत ही थी, मैं उतर कर चारपायी के नीचे आगया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया, वो तुरन्त मन गयी और मैंने उसके कूल्हे फैला दिए गाँड का कसा हुआ छेद भूरे रंग का सामने था, मैंने अपना लण्ड उसकी गाँड पर थपथपाया तो वह सिहर गयी।

ना में सिर हिलाने लगी, तो मैंने भी पीछे से योनि द्वार में प्रवेश करवा दिया लिंग। लेकिन दिमाग़ में गुदा द्वार ही घूम रहा था। मैंने एक उँगली उसके गुदा पर फेरनी शुरू की और झुक कर ढेर सारा थूक उगल दिया, थूक की चिकनाहट से सराबोर उँगली को दबाव दिया तो उँगली गाँड में धँस गयी, कम्मो ने गाँड को कस लिया तो मैंने उँगली निकाली नहीं बल्कि चुदाई तेज कर सी तो उसने गाँड को ढीला कर दिया और मैंने पूरी उँगली अंदर कर दी। मेरा लण्ड मैं अन्दर धक्के लगाते हुए महसूस कर रहा था, मैंने उँगली को लण्ड के साथ साथ अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में कम्मो भी मज़ा लेकर गाँड हिलाने लगी, वो अब झड़ने के क़रीब थी और सिसक कर झड़ने लगी। सब थम गया वो स्खलन का आनन्द ले रही थी और मैंने लिंग बाहर निकाला और उँगली के पास रखा और उँगली निकाली और सुपाड़ा अन्दर, वो आगे को जाती उससे पहले ही मैंने कम्मो की कमर पकड़ कर उसको पीछे खिंचा और आधा लण्ड उसकी गाँड में उतर गया।

“मार डाला हरामी ने, निकाल ले मर गयी मैं तो।” कम्मो कोस रही थी

पर मैं अब रुक गया और उसको निकालने भी नहीं दिया थोड़ी देर में दर्द कम हुआ तो लण्ड को धीरे धीरे धकियाने लगा और कुछ देर में उसको भी मज़ा आने लगा।

और बस गाड़ी चल पड़ी और वो पूरा लण्ड अंदर लेकर गाँड मरवा रही थी। अब मैं भी झड़ने वाला था और गाँड के अन्दर ही वीर्य उगल दिया।

हम वही लेट गए, थोड़ी देर बाद एक बार और चोद कर मैं वही सो गया और वो लंगड़ाते हुए नहा कर काम करने चली गयी।

शाम को मामा ने आकर उठाया तो मैने भी नहा लिया और खाने की तैयारी होने लगी।
दोस्त हमारी भावनाओं का सम्मान करने के लिए धन्यवाद
तुमने तो माधो से भी बड़ा डाल दिया (अपडेट)
मजा आ गया पढने का तुम्हारी लेखनी अदभुत है
ऐसी क्वालिटी औंर गति की निरन्तर अपेक्षा २हेगी
 

Killerpanditji(pandit)

Well-Known Member
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मैंने कम्मो से पूछा तो उसने बताया कि मामी मामा के साथ शहर गयी है ख़रीदारी करने राशन और ज़रूरी सामान। बताते हुए कम्मो मुस्कुरा रही थी, उसका इशारा मैं समझ रहा था पर अनजान बनते हुए बोला”, ठीक है, मुझे भूख लगी है।”

“खाना तैयार है कबका तुम ही ग़ायब हो।” कहते हुए कम्मो अपनी भारी गाँड हिलाते हुए रसोई की तरफ़ चली गयी

मैं भी उसके पीछे ही चला गया और वो बैठ कर खाना निकालने लगी मैं उसके सामने ही बैठ गया

उसने खाना दिया और मैं खाने लगा, खाते खाते मैंने कहा,” तुमने खाया?”

“मेरी फ़िकर करने वाला कोन है यहाँ?” उसने बुरा सा मूँह बनाते हुए कहा

मैंने निवाला उसकी ओर बढ़ाया और उसके मुँह में खिला दिया, खाने के साथ उसने उँगली भी पकड़ ली। मैंने उँगली उसके मुँह में अंदर और बाहर फिर अंदर कर दी।

“उँगली नहीं कुछ और चूसना है मुझे तो।”मेरे लोअर की तरफ़ इशारा करके हुए कम्मो ने अपने होंठ चाट कर बोला

खाना ख़त्म होने तक हम दोनो ही गरम हो चुके थे, मैंने उसको बाहर आते ही पकड़ लिया और छप्पर में पड़ी हुई चारपायी पर लेकर पड़ गया, मैंने कम्मो के होंठ चूमना शुरू कर दिया, जल्दी ही कम्मो भी मेरे होंठ चूसते हुए बालों में हाथ घुमाने लगी।

मैंने अपनी जीभ कम्मो मुँह में ठेल दी और कम्मो ने मेरी जीभ चूसना शुरू कर दिया, हमारी जीभ अब कुश्ती लड़ रही थी और मैंने अपना हाथ कम्मो के एक स्तन पर रख दिया और बारी बारी उसके दोनो स्तनो को मसलने लगा, उसके निप्पल तन गए थे उसके चूचुक बहुत मोटे और काले थे, मैंने अब उसके ब्लाउस के एक एक करके सारे हुक्स खोल दिए।

मद कलश मैंने उसमें अपना मुँह लगा दिया और उसके निप्ल्ल को चूसने लगा, कम्मो के निप्पल बहुत संवेदनशील थे उसका बदन निप्पल चूसने पर अकड़ने लगा मैं दोनो स्तनो को चूम रहा था मसल रहा था और वह सिसकारियाँ लेकर मस्त हो रही थी। अब मैं उसके नाभि कूप पर आगया चूमते हुए वो मस्त हो गयी थी।

मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया और साड़ी को पेटिकोट समेत निकाल फेंका, अब कम्मो छप्पर में चारपायी पर नंगी हो चुकी थी, मैं उसके पैरों के बीच में आगया और उसकी झाँघो को खोल दिया, उसकी योनि पर हल्के रोम थे और उसका योनि भग का दाना बाहर झांक रहा था, उसकी भग थोड़ी बड़ी दाने वाली थी,

योनि से आती हुई गंध से मैं उसकी ओर खिंचा चला गया और वो उछल पड़ी जब मैंने उसकी योनि को मुँह में भर लिया, आह हम्म स्स्स्स्स बस यही निकल रहा था कम्मो के मुँह से।

मैंने उसकी योनि को दोनो हाथ से खोल दिया गुलाबी दरार के ऊपर दाना मैं अपनी जीभ से कम्मो की चूत चाटने लगा कभी दाने को मुँह में भर कर चबा लेता तो वो उछल जाती। योनि में जिह्वा डाल कर जीभ से ही चोदने लगा।

“माधव अब बस लण्ड डाल कर चोदो मुझे अब और मत तड़पाओ” कम्मो ने याचना की

मैं उसकी बात मान गया और उसकी झाँघो को पकड़ा और आगे को सरक कर लण्ड को टिकाया और उसकी आँखों में देखते हुए लण्ड अंदर सरकाने लगा, धीरे से सिर्फ़ सुपाड़ा ही अन्दर किया।

मेरे रुकते ही वो बोली,” रुको मत डालो ना।”

मैंने धीरे धीरे आधा लण्ड सरकाया उसका मुँह खुल गया, मैंने आगे जाने के बजाय निकाला और सिर्फ़ सुपाड़ा अन्दर रहने दिया, उसकी आँखे शिकायत करने लगी और मैंने तेज़ी से पूरा लिंग अन्दर कर दिया। प्रहार ऐसा कि मूत की पिचकारी उड़ कर मेरे पेट को भिगो गयी, फिर तो मैंने तीन चार बार ऐसा ही किया और चारपायी के नीचे उसके मूत का तालाब बन गया। उसने तो भलभला कर बस मूतती रही झड़ गयी वो।

लेकिन ये तो शुरुआत ही थी, मैं उतर कर चारपायी के नीचे आगया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया, वो तुरन्त मन गयी और मैंने उसके कूल्हे फैला दिए गाँड का कसा हुआ छेद भूरे रंग का सामने था, मैंने अपना लण्ड उसकी गाँड पर थपथपाया तो वह सिहर गयी।

ना में सिर हिलाने लगी, तो मैंने भी पीछे से योनि द्वार में प्रवेश करवा दिया लिंग। लेकिन दिमाग़ में गुदा द्वार ही घूम रहा था। मैंने एक उँगली उसके गुदा पर फेरनी शुरू की और झुक कर ढेर सारा थूक उगल दिया, थूक की चिकनाहट से सराबोर उँगली को दबाव दिया तो उँगली गाँड में धँस गयी, कम्मो ने गाँड को कस लिया तो मैंने उँगली निकाली नहीं बल्कि चुदाई तेज कर सी तो उसने गाँड को ढीला कर दिया और मैंने पूरी उँगली अंदर कर दी। मेरा लण्ड मैं अन्दर धक्के लगाते हुए महसूस कर रहा था, मैंने उँगली को लण्ड के साथ साथ अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में कम्मो भी मज़ा लेकर गाँड हिलाने लगी, वो अब झड़ने के क़रीब थी और सिसक कर झड़ने लगी। सब थम गया वो स्खलन का आनन्द ले रही थी और मैंने लिंग बाहर निकाला और उँगली के पास रखा और उँगली निकाली और सुपाड़ा अन्दर, वो आगे को जाती उससे पहले ही मैंने कम्मो की कमर पकड़ कर उसको पीछे खिंचा और आधा लण्ड उसकी गाँड में उतर गया।

“मार डाला हरामी ने, निकाल ले मर गयी मैं तो।” कम्मो कोस रही थी

पर मैं अब रुक गया और उसको निकालने भी नहीं दिया थोड़ी देर में दर्द कम हुआ तो लण्ड को धीरे धीरे धकियाने लगा और कुछ देर में उसको भी मज़ा आने लगा।

और बस गाड़ी चल पड़ी और वो पूरा लण्ड अंदर लेकर गाँड मरवा रही थी। अब मैं भी झड़ने वाला था और गाँड के अन्दर ही वीर्य उगल दिया।

हम वही लेट गए, थोड़ी देर बाद एक बार और चोद कर मैं वही सो गया और वो लंगड़ाते हुए नहा कर काम करने चली गयी।

शाम को मामा ने आकर उठाया तो मैने भी नहा लिया और खाने की तैयारी होने लगी।
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Maddy78

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रात में एक बार फिर तीनो छत पर थे, आज मैं बीच में था और दोनो ने आकर लेटते ही मुझे नंगा कर डाला। मैंने मामी की ओर करवट ले ली और उनके दाहिने स्तन को चूसते हुए बायें को मसलने लगा और वो मेरे बालों को सहलाने लगी। कम्मो मेरे कूल्हे सहला रही थी और मैंने अपना पैर उठा लिया तो वो आगे आकर अधलेटी हो गयी और अपनी योनि लण्ड पर लगा कर उसको अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।

मैंने भी आगे को तिरछा होते हुए उसकी बूर में लण्ड घुसा दिया और मामी के स्तन चूसते हुए कम्मो की चुदाई शुरू कर दी। मेरा लण्ड उसकी चिकनी चमेली में सटासट अन्दर बाहर हो रहा था।

“आह बस ऐसे ही चोद मेरे राजा, अपनी रंडी बना लिया तूने मुझको” कम्मो पूरी तरह से गरम होकर बेशर्म हो गयी थी। उसका मुँह बंद करने का एक ही तरीक़ा दिखा मैंने उसके बाल पकड़े और उसका मुँह मामी की चूत पर टिका दिया और उस कुतिया ने भी अपने हाथों से मामी के बालों को एक तरफ़ किया और लपलपाती जीभ मामी की रसीली चूत में घुसा दी।

“आह माधो, ऐसा भी प्यार होता है?” मामी सिसकने लगी

“अभी तो बहुत कुछ बाक़ी है मामी सब सिखा दूँगा तुमको।” मैंने कहा

“ हाँ बेटा, जैसा कहेगा मामी वैसा ही करेगी।” मामी लिपट गयी

थोड़ी देर बाद मैंने मामी को खुद से अलग किया और कम्मो के ऊपर आगया, और उसकी चूत में पूरा लण्ड घुसा कर तूफ़ान एक्षप्रेस्स चला दी, कम्मो टिक ना पायी और “आह मैं झड़ रही हूँ... हाय री मैया चुद गयी मेरी । “ कम्मो आय बायें बकने लगी

पर झड़ने पर मैंने उसको वहीं छोड़ा और मामी के ऊपर जाकर उनकी योनि में लण्ड सरका दिया, उनको प्यार से चोदने लगा पूरा बाहर निकाल कर फिर धीरे से अन्दर, जब पूरा अन्दर हो जाता तो मामी भी कमर उचका देती और बाक़ी का लण्ड ले लेती जो अंदर टकरा कर उनको एक दर्द भरी सुखद अनुभूति दे रहा था।

ये खेल १० -१५ मिनट चला अब मामी झड़ने वाली थी, मैंने अब उनके दोनो घुटने मोड़ दिए और लण्ड पूरा अन्दर कर दिया और बिना निकाले ही सटे सटे धक्के मारने लगा, ऐसा करने से वो तुरन्त ही झड़ गयी पर मैं रुका नहीं धक्के और तेज कर दिए और वो लगातार दूसरी बार झड़ने लगी ।

लगातार दो बार झड़ने से वो थक गयी थी ये मैं महसूस कर पा रहा था, मैंने अब झड़ने का फ़ैसला किया और जल्दी जल्दी आधा लण्ड निकाल कर उनको चोदने लगा, आह माधो अब नहीं सहा जाता । आह मामी मैं भी आ रहाहूँ।

उनकी योनि को वीर्य से भर कर मैं वही लुढ़क गया। हम तीनो ही तितर बितर सो गए।
 

Killerpanditji(pandit)

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रात में एक बार फिर तीनो छत पर थे, आज मैं बीच में था और दोनो ने आकर लेटते ही मुझे नंगा कर डाला। मैंने मामी की ओर करवट ले ली और उनके दाहिने स्तन को चूसते हुए बायें को मसलने लगा और वो मेरे बालों को सहलाने लगी। कम्मो मेरे कूल्हे सहला रही थी और मैंने अपना पैर उठा लिया तो वो आगे आकर अधलेटी हो गयी और अपनी योनि लण्ड पर लगा कर उसको अन्दर लेने की कोशिश करने लगी।

मैंने भी आगे को तिरछा होते हुए उसकी बूर में लण्ड घुसा दिया और मामी के स्तन चूसते हुए कम्मो की चुदाई शुरू कर दी। मेरा लण्ड उसकी चिकनी चमेली में सटासट अन्दर बाहर हो रहा था।

“आह बस ऐसे ही चोद मेरे राजा, अपनी रंडी बना लिया तूने मुझको” कम्मो पूरी तरह से गरम होकर बेशर्म हो गयी थी। उसका मुँह बंद करने का एक ही तरीक़ा दिखा मैंने उसके बाल पकड़े और उसका मुँह मामी की चूत पर टिका दिया और उस कुतिया ने भी अपने हाथों से मामी के बालों को एक तरफ़ किया और लपलपाती जीभ मामी की रसीली चूत में घुसा दी।

“आह माधो, ऐसा भी प्यार होता है?” मामी सिसकने लगी

“अभी तो बहुत कुछ बाक़ी है मामी सब सिखा दूँगा तुमको।” मैंने कहा

“ हाँ बेटा, जैसा कहेगा मामी वैसा ही करेगी।” मामी लिपट गयी

थोड़ी देर बाद मैंने मामी को खुद से अलग किया और कम्मो के ऊपर आगया, और उसकी चूत में पूरा लण्ड घुसा कर तूफ़ान एक्षप्रेस्स चला दी, कम्मो टिक ना पायी और “आह मैं झड़ रही हूँ... हाय री मैया चुद गयी मेरी । “ कम्मो आय बायें बकने लगी

पर झड़ने पर मैंने उसको वहीं छोड़ा और मामी के ऊपर जाकर उनकी योनि में लण्ड सरका दिया, उनको प्यार से चोदने लगा पूरा बाहर निकाल कर फिर धीरे से अन्दर, जब पूरा अन्दर हो जाता तो मामी भी कमर उचका देती और बाक़ी का लण्ड ले लेती जो अंदर टकरा कर उनको एक दर्द भरी सुखद अनुभूति दे रहा था।

ये खेल १० -१५ मिनट चला अब मामी झड़ने वाली थी, मैंने अब उनके दोनो घुटने मोड़ दिए और लण्ड पूरा अन्दर कर दिया और बिना निकाले ही सटे सटे धक्के मारने लगा, ऐसा करने से वो तुरन्त ही झड़ गयी पर मैं रुका नहीं धक्के और तेज कर दिए और वो लगातार दूसरी बार झड़ने लगी ।

लगातार दो बार झड़ने से वो थक गयी थी ये मैं महसूस कर पा रहा था, मैंने अब झड़ने का फ़ैसला किया और जल्दी जल्दी आधा लण्ड निकाल कर उनको चोदने लगा, आह माधो अब नहीं सहा जाता । आह मामी मैं भी आ रहाहूँ।

उनकी योनि को वीर्य से भर कर मैं वही लुढ़क गया। हम तीनो ही तितर बितर सो गए।
Super hot update ?
 

gauravrani

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Nice update
 
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