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Fantasy अदिति -एक अनोखी प्रेम कहानी

Sona

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Brijesh

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प्यार की एक अनोखी दास्तान (भाग-4)
Update 4 part 1


शार्ट सर्किट की वजह से हॉल में आग लग गयी थी और आदित्य ओर नीलेश ने मिलकर सभी को वहाँ से बाहर निकलने में सभी की मदद की।श्रेया को ना देखकर आदित्य फिर से उसे देखने गया और उसे अपनी गोद में लेकर बाहर आ गया। तभी श्रेया को उसका नाम पता चला और कुछ पूछने से पहले वो फिर से श्रेया के सवालों को अधूरा छोड़ चला गया। अब आगे.....

'हाउ रोमांटिक,जो किसी लड़की से सीधे मुंह बात नहीं करता वो आज तुम्हें कितने प्यार से अपनी बाहों में सेकर आया। नेहा और कामिनी ने
श्रेया को छेड़ते हुए कहा।

"ये क्या बोल रही है तू, पागल हो गयी है क्या। उनकी बातों को इग्नोर करते हुए श्रेया बोली।
'तू तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली। इतनी बड़ी बात छुपा ली और हमें भनक तक नहीं लगने दी। वैसे कब से ये चल रहा है तुम दोनों के बीच।'
नेहा ने फिर छेड़ते हुए कहा।

'ज्यादा बोलोगी तो मार खा जाओगी। पहली बार ही मिली हूँ। मुझे तो उसका नाम भी नहीं पता था आज के पहले।

'लो सच्चाई निकल ही आयी। जब पहली बार मिली तो पहले से नाम नही पता केसे बोला, बोलो बोलो मेडम जी।'कामिनी के इतना बोलते ही श्रेया ने बिना कुछ बोले सिर झुककर बस मुस्कुरा दिया।

'अच्छा कामिनी अभी तुम क्या बोल रही थी कि वो किसी से बात नहीं करता, मतलब क्या तुम उसे जानती हो ?

'अरे अपने ही तो कॉलेज में पढता है।'

'अपने कॉलेज में पढ़ता है, तो फिर कभी देखा क्यों नहीं।'

'एक्युआली वो हम लोगो से सिनियर है और अपने आप में रिजर्व रहता है। ना किसी से ज्यादा बात करता है ना मतलब रखता है। उसका बस एक
ही दोस्त है, उसके अलावा और किसी से मतलब नही रखता।'

'फिर तुम उसके बारे में इतना कैसे जानती हो।'

'आदित्य मेरे घर के पास ही रहता है। मै उसे बहुत अच्छे से जानती हूँ। वैसे क्या बात है. बहुत दिलचस्पी ले रही हो उसके बारे में जानने के
लिए।'

'हमारी भोली भाली मेडम कही उन्हें पसंद तो नहीं करने लगी। पहली नजर का प्यार व्यार तो नही हो गया। नेहा ने छेड़ा और वहाँ से भाग ली।

'रुक अभी बताती हुँ तुम दोनों को। कहते हुए श्रेया उन दोनों के पीछे भागी।

'अरे नेहा चुप हो जा हमारी श्रेया मेडम को गुस्सा भी आता है। कही गुस्से में कत्ल ना कर दे। कामिनी ने फिर हंसते हुए बोला तो तीनों मिलकर
हस दिए और अपने अपने घर को निकल लिए।

'अरे यार ये तुम्हे आखिर क्या हो जाता है कभी कभी। नीलेश ने आदित्य से पूछा।

'मुझे भी नही समझ आता, अचानक से मेरे सर में दर्द होने लगता है और फिर धुंधला सा कुछ दिखने लगता है। पहले तो मुझे समझ नही आया
की ये सब क्या है, लेकिन जब वही चीज सामने होती है तो समझ आता यही तो अभी मैने देखा था। मैं जब से 18 साल का हुआ हूं तबसे मेरे साथ
कुछ अजीब सा होने लगा है। पहले तो बहुत प्रॉबलम होती थी लेकिन अब आदत सी हो गयी है।'

'मतलब आज भी जब तुम्हारे सर में दर्द हुआ तो तुमने हॉल में आग लगने वाली घटना देखी और तभी भाग के वहाँ पहुँचे थे।

'हाँ यार मैने देखा हॉल में आग लग गयी है और चारो तरफ अफरा तफरी मची हुई है और फिर छत से श्रेया पर कुछ गिरते देखा और फिर मेरी आँखें खुल गयी। लेकिन जब तक हम पहुँचते तुमने देखा ना वही हुआ।

'अरे तू तो सुपर हीरो हो गया है। पहले से ही पता चल जाता है क्या होने वाला है। मजाक करते हुए नीलेश ने आदित्य को चिढ़ाया।

"अरे यार तुम्हे मजाक सूझ रहा है और यहाँ मुझ पर क्या बीतती है तुम्हें क्या पता।'

"अच्छा सोरी बता, चल चोड़ ये बात और ये बता वो कौन थी। 'निलेश ने छेड़ते हुए कहा।
'वो कोन,तू किसकी बात कर रहा है?"

'अरे वही जिसे कितने प्यार से अपनी बाहों में आग से बचा कर ला रहा था।

"अरे यार वो भी तो उसी आग में फंस गयी थी तो उसे बाहर ला रहा था।

"ऐसे तो किसी लड़की को अपने पास नही फटकने देता है और उसे बाहों में क्या बात है...जिस तरह वो तुम्हे देख रही थी और बाद में देखती रही उससे ये तो पता चलता है कि तुम दोनों पहले से एक दूसरे को जानते हो। अब मुझे ना बताओ तो अलग बात है। कहते हुए नीलेश ने आदित्य की खिंचाई की।

'अरे नही यार बो बस......
'क्या क्या बताना प्लीज प्लीज...

'वो कई महीने पहले एक रात को मै खिड़की पर गुमसुम सा बैठा हुआ बाहर की तरफ देख रहा था और पता नही व्यों उस दिन मम्मी पापा की
बहुत याद आ रही थी तभी मुझे कुछ अजीब सी आवाज सुनाई देने लगी। मैने आसपास देखा लेकिन कुछ भी नहीं दिखा। थोड़ी देर में फिर से
किसी के मदद के लिए पुकारने की आवाजा सी आने लगी। में उठके बाहर गया लेकिन फिर भी यहाँ कोई नही दिखा लेकिन आवाज कुछ तेज होने
लगी जैसे कोई लड़की मदद के लिए चिल्ला कर भाग रही हो और उसके पीछे कुछ और कदमो की भी आवाजे आने लगी तो मैं उस दिशा की तरफ
जिधर से आवाजे आ रही थी बढ़ने लगा। पैदल चलते चलते मै काफी दूर चला गया लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन आवाजे बराबर आ
रही थी। जब कोई नही दिया तो अपना वहम समझ कर मे वापस घर की तरह मुड़ने लगा तभी मैने देखा दूसरी तरफ से एक लडक़ी भागती आ रही थी और किसी चीज से टकरा कर गिर गयी। मै अभी उससे काफी दुरी पर था लेकिन इतनी दुरी पर भी मुझे वहाँ के कदमो की आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी। तभी कुछ गुंडे आकार उससे बत्तमीजी करने लगे और मै उसे बचाने के लिए उसके पास गया और जैसे ही उस एक गुंडे को मारा वो मेरे एक ही वार से जमीन पर गिर तड़पने लगा। तभी मैने पहली बार उस लड़की को देखा और उसे उठाकर उसके घर पहुंचा दिया। उसके बाद हम आज मिले हैं। मुझे तो पता भी नही था कि वो हमारे ही कॉलेज में पढ़ती है।

'तूझे पता कैसे होगा। किताबो में ही डूबा रहता है हर वक्त। किसी से बोलना ना कोई मतलब रखना। वैसे तूने जो उस दिन हीरोगिरी दिखाई थी इसीलिए वो लड़की तो इम्प्रेस हो गयी होगी। और तो और एक ही मुक्के में गुंडे ढेर,कोई भी लड़की इम्प्रेस हुए बिना नही रह सकती। आज तो बस पूछो ही मत क्या रोमांटिक सीन था। वो तो एकदम तुझमे खोई सी हुई थी।

'मे यहाँ वैसे ही परेशान हूँ और तू है कि मेरा मजाक उड़ा रहा है।

"अरे इतनी खूबसूरत लड़की तुम्हे पसंद करती है और तुम परेशान....
" अरे यार मजाक नही, तुम समझ नहीं रहे । जाओ अब मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊंगा।"

"अच्छा अच्छा अब मजाक खत्म। बता क्या हुआ?"

"यार मुझे दूर की आवाज सुनाई देती है. कुछ बुरा होने वाला होता है तो महसूस होने लगता है और तो और किसी को हल्का सा मारने पर भी वो
धराशायी हो जाता है। पता नही अचानक से मेरे अंदर ये सब क्वालिटी कैसे आ गयी। मेरा मन अक्सर बेचेन सा रहता है और कभी कभी ऐसा
लगता जो मैं हूँ वो मै हूँ ही नहीं। मुझमे पता नहीं ये सब बदलाव क्यों और कैसे आ गए। मैं कहाँ जाऊ किस्से पुछु कुछ समझ नहीं आता।" कहते हुए वो थोड़ा सा उदास सा हो गया।

"चल अच्छा परेशान मत हो। ये सब सोचना छोड़ दे। अगर फिर से कोई प्रॉब्लम हो तो हम किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने चलेंगे। कहते हुए
नीलेश ने आदित्य को सांत्वना दी।

अपनी दोस्त कामिनी से आदित्य के बारे में सुनने पर वो उसके बारे में और भी अधिक जानने को उत्सुक हो उठी। पता नही उसमें ऐसा क्या था जो
उसे अपनी ओर खींचता रहता है। ऐसा लगता उसकी गहरी आँखे जैसे उससे कुछ कहना चाहती थी और कह नही पा रही हो । उसे भी लगने लगा
था कही उसकी दोस्त सही तो नहीं कह रही कही उसे आदित्य से प्यार तो नहीं हो गया। आदित्य के नाम से ही उसकी सांसे क्यों तेज हो जाती है
और उसका ख्याल आते ही दिल जेसे जोरो से धड़कने लगता है। पता नही क्यों उसे ऐसा अजीब सा एहसास होता है आदित्य के लिए। अब तो
उससे ये भी पता चल गया था कि आदित्य उसी के कॉलेज में पढ़ता है और वो उससे जब चाहे मिल सकती थी। व्या आदित्य भी वही महसूस
करता होगा जो मै महसूस करती हैं. इन्ही उढेड़बुन में सोचते सोचते कब उसे नींद ने अपने आगोश में ले लिया पता तक नहीं चला।

अगले दिन श्रेया जब कॉलेज पहुँची तो अब उसकी आंखें बस उसी को ही खोज रही थी। पढ़ने में इतनी तेज लेकिन आज उसका पढ़ाई में बिलकुल भी मन नही लग रहा था। किसी तरह आज उसका पूरा दिन गुजारा और क्लास ओवर होते ही वो कामिनी द्वारा बताई गयी क्लास में गयी लेकिन आदित्य उसे वहाँ नही दिखा। किसी को जानती भी नहीं थी कि वो पूछ सके किसी से । बस इधर उधर उसकी नजरे उसे ही खोज रही थी तभी कामिनी ने उसे देखकर पास आकर बोला।

'श्रेया आज तुम यहाँ सीनिअर सेक्शन में कैसे..

'कुछ नही बस ऐसे ही घूमते घूमते आ गयी।
'ऐसे ही आ गयी या फिर किसी को खोजते खोजते..... कहते हुए कामिनी हँसने लगी।
'नही बस ऐसे ही..बस जा रही हूँ कहते हुए श्रेया वहाँ हो जाने लगी तभी....

'अरे जानेमन मुजसे मत रूठो, मुझे पता है यह क्या है और किसे खोज रही हो। जिसे तुम्हारी आँखे ढूढ़ रही है वो लाइब्रेरी में है।
हंसते हुए कहती कामिनी वहाँ से चली गयी । कामिनी में मुंह से आदित्य के बारे में सुनते ही वो सीधे लाइब्रेरी में पहुँचकर इधर उधर देखने लगी, तभी उसे एक कोने में आदित्य बैठा दिखाई दिया। उसे देखकर जैसे उसकी आँखों में चमक सी आ गयी और वो चुपचाप बिना कुछ बोले आदित्य के एकदम सामने जाकर बैठ गयी और उसे बिना पालक झपकाये निहारने लगी।


 

Brijesh

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अपडेट 4 पार्ट 2

किताबो की दुनिया में खोया आदित्य ने जैसे ही सिर उठाया सामने श्रेया को उसे देखते चौकते हुए बोला।

"तुम यहाँ, कैसे, क्या मतलब यहाँ क्यों बैठी हो। " हड़बड़ाते हुए पूछा।

"जो तुम कर रहे हो वही मै कर रही हूँ।" एक हल्की सी मुस्कान लिए बड़े ही भोले अंदाज में श्रेया बोली।

"देख नही रही मै यहाँ पढ़ाई कर रहा हूँ।"

"हा तो करो ना, मै कौन सा तुम्हे डिस्टर्ब कर रही हूँ। मै तो बस तुम्हे देख रही हूँ।" आदित्य फिर से पढ़ने लगा लेकिन अब उसका मन किताब में नही लग रहा था और वो भी जब श्रेया को देखता तो उसे अपनी ओर ही देखते पाता तो वह शर्मा कर गर्दन नीचे कर लेता है।

"तुम यहाँ से जाओ, मुझे डिस्टर्ब हो रहा है।" आदित्य से जब रहा नही गया तो वो बोल पड़ा।

"अब मैने क्या किया, मै तो बिना कुछ बोले चुप चाप बैठी हूँ। कहते हुए श्रेया फिर से मुस्कुरा दी।

"पहले तुम मुझे घूरना बंद करो। मुझे दिक्कत हो रही है।"

मैं कहाँ घूर रही हूँ। मै तो बस देख रही हूँ, तुम अपना पढ़ो ना। देखो मैं मुंह पर अंगुली रख के बैठी हूँ। अब ठीक है ना। कहते हुए श्रेया एक बच्चे की तरफ मुँह पर उंगली रख कर बैठ जाती है। तुम ना ' कहते हुए आदित्य झल्ला कर वहाँ से उठकर चला जाता
है और श्रेया अभी भी बस उसे देख कर मुस्कुरा रही होती है। अब उसका रोज का काम यही हो गया आदित्य जब भी लाइब्रेरी में होता वो उसके सामने बैठ बस उसे देखते रहती थी और अब आदित्य को उसके वहाँ बैठने की जैसे आदत सी हो गयी थी। जब तक वो नही आती उसकी निगाहें बस लाइब्रेरी के दरवाजे पर ही टिकी रहती और उसके आते ही वो जानबूझ कर किताबो में खोने का बहाना करने लगता। एक दिन जब श्रेया आयी तो आदित्य जल्दी से किताब खोल कर पढ़ने का बहाना करने लगा तभी।

" एक बात कहूँ ....." श्रेया ने उससे बोला ।
"मेरे पास अभी टाइम नही है बात करने का। कहते हुए वो किताब में ही झांकने लगा।

"अच्छा जी इतना बिजी हो पढ़ाई में कि किताब उलटी पकड़ी है और पता भी नही चल रहा।" कहते हुए श्रेया जोर से हँसने लगी।

"वो मेरा ध्यान दूसरी किताब में था। कहते हुए आदित्य ने बात पलटनी चाही। तभी श्रेया ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और श्रेया के एकदम से ऐसा करने से आदित्य की सांसे जैसे तेज सी हो गयी और वो चाह कर भी ना कुछ बोल पाया और ना अपने हाथ को हटाया।

क्रमशः


अगला अपडेट 1 या 2 दिन में


 

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Awesome fantastic Mind-blowing update Bhai...
Apna hero ke poss power hai. Sayd apne hero is kuch flashback hoga.
Hoskta hai hero or herohin ks bich kuch connection ho .
Shraya ko apne hero SE pyar ho gya .
Wait rahega next update ka
 
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