अपडेट 4 पार्ट 2
किताबो की दुनिया में खोया आदित्य ने जैसे ही सिर उठाया सामने श्रेया को उसे देखते चौकते हुए बोला।
"तुम यहाँ, कैसे, क्या मतलब यहाँ क्यों बैठी हो। " हड़बड़ाते हुए पूछा।
"जो तुम कर रहे हो वही मै कर रही हूँ।" एक हल्की सी मुस्कान लिए बड़े ही भोले अंदाज में श्रेया बोली।
"देख नही रही मै यहाँ पढ़ाई कर रहा हूँ।"
"हा तो करो ना, मै कौन सा तुम्हे डिस्टर्ब कर रही हूँ। मै तो बस तुम्हे देख रही हूँ।" आदित्य फिर से पढ़ने लगा लेकिन अब उसका मन किताब में नही लग रहा था और वो भी जब श्रेया को देखता तो उसे अपनी ओर ही देखते पाता तो वह शर्मा कर गर्दन नीचे कर लेता है।
"तुम यहाँ से जाओ, मुझे डिस्टर्ब हो रहा है।" आदित्य से जब रहा नही गया तो वो बोल पड़ा।
"अब मैने क्या किया, मै तो बिना कुछ बोले चुप चाप बैठी हूँ। कहते हुए श्रेया फिर से मुस्कुरा दी।
"पहले तुम मुझे घूरना बंद करो। मुझे दिक्कत हो रही है।"
मैं कहाँ घूर रही हूँ। मै तो बस देख रही हूँ, तुम अपना पढ़ो ना। देखो मैं मुंह पर अंगुली रख के बैठी हूँ। अब ठीक है ना। कहते हुए श्रेया एक बच्चे की तरफ मुँह पर उंगली रख कर बैठ जाती है। तुम ना ' कहते हुए आदित्य झल्ला कर वहाँ से उठकर चला जाता
है और श्रेया अभी भी बस उसे देख कर मुस्कुरा रही होती है। अब उसका रोज का काम यही हो गया आदित्य जब भी लाइब्रेरी में होता वो उसके सामने बैठ बस उसे देखते रहती थी और अब आदित्य को उसके वहाँ बैठने की जैसे आदत सी हो गयी थी। जब तक वो नही आती उसकी निगाहें बस लाइब्रेरी के दरवाजे पर ही टिकी रहती और उसके आते ही वो जानबूझ कर किताबो में खोने का बहाना करने लगता। एक दिन जब श्रेया आयी तो आदित्य जल्दी से किताब खोल कर पढ़ने का बहाना करने लगा तभी।
" एक बात कहूँ ....." श्रेया ने उससे बोला ।
"मेरे पास अभी टाइम नही है बात करने का। कहते हुए वो किताब में ही झांकने लगा।
"अच्छा जी इतना बिजी हो पढ़ाई में कि किताब उलटी पकड़ी है और पता भी नही चल रहा।" कहते हुए श्रेया जोर से हँसने लगी।
"वो मेरा ध्यान दूसरी किताब में था। कहते हुए आदित्य ने बात पलटनी चाही। तभी श्रेया ने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और श्रेया के एकदम से ऐसा करने से आदित्य की सांसे जैसे तेज सी हो गयी और वो चाह कर भी ना कुछ बोल पाया और ना अपने हाथ को हटाया।
क्रमशः
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