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Fantasy अदिति -एक अनोखी प्रेम कहानी

kamdev99008

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Dosto update 1 ya 2 day m deta hu , sister kee engagement m busy tha mai .
कोई बात नहीं.......... ये जरूरी है

अपडेट फुर्सत होकर देना
 
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आदित्य भले ही उससे कुछ नही कहता था उसे जानबूझ कर इग्नोर करता था लेकिन लाइब्रेरी में उसी टाइम पर रोज उसी का इंतजार करता था । तब तक श्रेया आ नही जाती थी उसकी नजरे दरवाजे पर ही टिकी रहती थी और उसके आते
ही वो किताबो में बिजी होने का बहाना करने लगता था लेकिन नजरे छिपा छिपा कर उसे भी देखता रहता था । अब आगे...

" इस समय तो रोज आ जाती थी आज अभी तक आयी क्यों नही । कही कोई प्रॉब्लम तो नही होगी । " घडी देखते हुए मन ही मन सोचते हुए उस दिन भी रोज की तरह लाइब्रेरी में बैठा आदित्य सिर्फ श्रेया का ही जैसे इंतजार कर रहा हो । उसे
आज ना जाने क्यों उसकी बहुत याद आ रही थी । वो सोच ही रहा था कि उसने देखा श्रेया अपनी किसी दोस्त से बाते करते हुए अंदर की तरफ आती है तो वो तुरंत ही किताब उठा पढ़ने का नाटक करने लगता है लेकिन तिरछी नजरो से वो बस यही देख रहा था कि कब श्रेया उसके पास आये और सामने बैठे।

जैसा की श्रेया रोज करती थी उसके सामने की कुर्सी पर आकर बैठ गयी और उसे निहारते हुए मुस्कुराने लगी।

" आज फिर तुम आ गयी । मैने कितनी बार मना किया है कि यहाँ मत आया करो मुझे डिस्टर्ब होता है। "

"अच्छा मुझे तो नही लगता कि तुम्हे डिस्टर्ब होता है।"

"फिर तुम्हे क्या लगता है ? ये तो मुझे पता होगा ना ।

" बताऊँ मुझे क्या लगता है। "

" हा बताओ , आदित्य भी जानने को उतना ही उत्सुक था।

"मुझे लगता है कि ..........कि " मुस्कुराते हुए बोली।

" मेरे पास टाइम नही है जो कहना हो जल्दी कहो। " जानना भी चाहता था और थोड़ा भाव भी खाते हुए बोला।

" यही कि तुम्हे भी मेरा आना , यहाँ बैठना और तुम्हे देखना अच्छा लगता है और तो और मेरा इंतजार भी रहता है ।"
" ऐसा कुछ नही है , ये तुम्हारी गलतफहमी है । अभी मै बहुत बिजी हूँ पढ़ाई में डिस्टर्ब मत करो।" कहते हुए वो किताब में झांकने लगा।
" अच्छा जी इतना बिजी हो पढ़ाई में कि किताब उलटी पकड़ी हुई पढ़ रहे हो और पता भी नही चल रहा ।" कहते हुए श्रेया जोर से हँसने लगी । उसकी तेज हँसी सुनकर वहाँ बैठे सभी लोग उसकी तरफ देखने लगे । सबको अपनी तरफ देखते हुए उसने सबको इशारे से दिखाते हुए चुपचाप अपनी ऊँगली मुँह पर रख ली।
" वो वो तो अभी ऐसे ही हो गयी होगी । मै ही यहाँ से चला जाता हूँ।" कहते हुए आदित्य बात टालते हुए वहाँ से उठकर जाने लगता है लेकिन तभी श्रेया उसका हाथ पकड़ लेती है।
श्रेया के ऐसे अचानक से उसका हाथ पकड़ लेना उसके लिए आश्चर्य कर देने वाला था। उसके हाथों से हाथ टकराते ही आदित्य की जैसे सांसे तेज हो गयी हो । वो चाह कर भी उस समय ना तो कुछ कह पाया और ना ही हाथ छुड़ा पाया। एक
पल के लिए वही पर जम सा गया हो । अचानक से उसका ध्यान गया कि सब लोग उसकी तरफ ही देख रहे है तो " ये तुम क्या कर रही हो सब देख रहे है हाथ छोड़ो । " कहते हुए हलके से झटका देते हुए हाथ छुड़ाता है और बैग टांग किताबो को हाथ में लेते हुए तुरंत ही वहाँ से चला जाता है और श्रेया उसे देखते हुए बस मुस्कुराती रहती है।
*************
" यार ये सब क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच में।" नीलेश ने हैरान होते हुए आदित्य से पूछा
"तुम दोनों मतलब किसके किसके और क्या ...."
" तुम्हारे और वो लड़की क्या नाम था उसका " थोड़ा सोचते हुए , अरे वही श्रेया के बीच ।"

" मेरे और श्रेया के बीच कुछ भी नही है। तुम्हे तो पता है बस उस दिन मैने उसे बचाया था और कुछ नही । उसके बाद तो मै उसे मिला भी नही।"
" मुझे पागल मत बनाओ , जैसे तुम्हे कुछ पता ही नही है।तुम क्या बोल रहे हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा है।समझ नही आ रहा या समझना नही चाहते । पूरा कॉलेज जानता है कि श्रेया और तुम पुरे टाइम लाइब्रेरी में बैठे रहते हो और कल तो तुमने उसका हाथ भी सबके सामने पकड़ लिया
था।"
" ओये मैने नही उसने मेरा हाथ पकड़ा था । मैंने तो छुड़ाया था।"
" लो खुद ही कुबूल कर लिए हो ।" कहते हुए नीलेश मुस्कुरा रहा था।" ऐसा कुछ नही है नीलेश , जो तुम समझ रहे हो । "

" मै क्या नही समझ रहा , वैसे श्रेया बहुत अच्छी लड़की है। तुम्हे पसंद करती है । आखिर उसमे कमी ही क्या है ? और तुम भी तो उसे पसंद करते हो तो बता क्यों नही देते।"
" नीलेश ऐसा कुछ नही है , वो तो बस ऐसे ही ।"
"झूठ मत बोल , तुझसे कभी झूठ नही बोला जाता तो क्यों झूठ बोलने की कोशिश करता है । तेरी आँखों में उसके लिए प्यार साफ नजर आता है। तुम लाख छुपाओ लेकिन मैंने महसूस किया है जब वो तेरे आसपास रहती है तो तू खुश
रहता है और जब वो तेरे आसपास नही होती तो तेरी आँखे उसे ही खोजती है । मैने खुद ही तुझे कई बार उसे छुप छुप कर देखते हुए देखा है।"
" अरे नीलेश तुम गलत ....... "लगभग लड़खडाते हुए स्वरों में बोला तो नीलेश ने उसे पहले ही टोक दिया।
" तुम मुझसे या सारी दुनिया से छुपा सकते हो लेकिन खुद से पूछो क्या तुम्हे वो अच्छी नही लगती , या फिर तुम्हे अपने आसपास उसकी मजूदगी से सुकून नही मिलता या फिर उसके लिए तेरे दिल के कुछ भी नही है। उसके पास आते ही
तुम्हारी सांसे तेज नही होती । मै जा रहा हूँ लेकिन अकेले में खुद ही बैठ कर सोचो क्या मै झूठ कह रहा हूँ । या फिर तुम खुद से ही भाग रहे हो सच पर यकीन नही कर रहे हो। "
कहते हुए नीलेश वहाँ से चला गया और आदित्य खुद से मन ही मन सवाल करने लगा।

दूसरे दिन रोज की तरफ फिर से आदित्य लाइब्रेरी में बैठ श्रेया का इंतजार करने लगा लेकिन वो नही आयी । आदित्य का मन बेचैन हो उठा । उसे समझ नही आया कि वो क्या करे किस्से पूछे। उसका मन घबरा रहा था । अपने मन को बहलाने के लिए उसने अपने को किताबो में डुबोया लेकिन उसका कही भी मन नही लगा । रह रह कर बस उसी की याद आ रही थी । वो दिन ऐसे ही निकल गया और श्रेया नही आयी । आदित्य को वो दिन बहुत भारी गया लेकिन सोच के तसल्ली कर ली शायद घर में कोई काम होगा तो नही आएगी । उस रात आदित्य को नींद भी नही आ रही थी।
 
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ही वो किताबो में बिजी होने का बहाना करने लगता था लेकिन नजरे छिपा छिपा कर उसे भी देखता रहता था । अब आगे...

" इस समय तो रोज आ जाती थी आज अभी तक आयी क्यों नही । कही कोई प्रॉब्लम तो नही होगी । " घडी देखते हुए मन ही मन सोचते हुए उस दिन भी रोज की तरह लाइब्रेरी में बैठा आदित्य सिर्फ श्रेया का ही जैसे इंतजार कर रहा हो । उसे
आज ना जाने क्यों उसकी बहुत याद आ रही थी । वो सोच ही रहा था कि उसने देखा श्रेया अपनी किसी दोस्त से बाते करते हुए अंदर की तरफ आती है तो वो तुरंत ही किताब उठा पढ़ने का नाटक करने लगता है लेकिन तिरछी नजरो से वो बस यही देख रहा था कि कब श्रेया उसके पास आये और सामने बैठे।

जैसा की श्रेया रोज करती थी उसके सामने की कुर्सी पर आकर बैठ गयी और उसे निहारते हुए मुस्कुराने लगी।

" आज फिर तुम आ गयी । मैने कितनी बार मना किया है कि यहाँ मत आया करो मुझे डिस्टर्ब होता है। "

"अच्छा मुझे तो नही लगता कि तुम्हे डिस्टर्ब होता है।"

"फिर तुम्हे क्या लगता है ? ये तो मुझे पता होगा ना ।

" बताऊँ मुझे क्या लगता है। "

" हा बताओ , आदित्य भी जानने को उतना ही उत्सुक था।

"मुझे लगता है कि ..........कि " मुस्कुराते हुए बोली।

" मेरे पास टाइम नही है जो कहना हो जल्दी कहो। " जानना भी चाहता था और थोड़ा भाव भी खाते हुए बोला।

" यही कि तुम्हे भी मेरा आना , यहाँ बैठना और तुम्हे देखना अच्छा लगता है और तो और मेरा इंतजार भी रहता है ।"
" ऐसा कुछ नही है , ये तुम्हारी गलतफहमी है । अभी मै बहुत बिजी हूँ पढ़ाई में डिस्टर्ब मत करो।" कहते हुए वो किताब में झांकने लगा।
" अच्छा जी इतना बिजी हो पढ़ाई में कि किताब उलटी पकड़ी हुई पढ़ रहे हो और पता भी नही चल रहा ।" कहते हुए श्रेया जोर से हँसने लगी । उसकी तेज हँसी सुनकर वहाँ बैठे सभी लोग उसकी तरफ देखने लगे । सबको अपनी तरफ देखते हुए उसने सबको इशारे से दिखाते हुए चुपचाप अपनी ऊँगली मुँह पर रख ली।
" वो वो तो अभी ऐसे ही हो गयी होगी । मै ही यहाँ से चला जाता हूँ।" कहते हुए आदित्य बात टालते हुए वहाँ से उठकर जाने लगता है लेकिन तभी श्रेया उसका हाथ पकड़ लेती है।
श्रेया के ऐसे अचानक से उसका हाथ पकड़ लेना उसके लिए आश्चर्य कर देने वाला था। उसके हाथों से हाथ टकराते ही आदित्य की जैसे सांसे तेज हो गयी हो । वो चाह कर भी उस समय ना तो कुछ कह पाया और ना ही हाथ छुड़ा पाया। एक
पल के लिए वही पर जम सा गया हो । अचानक से उसका ध्यान गया कि सब लोग उसकी तरफ ही देख रहे है तो " ये तुम क्या कर रही हो सब देख रहे है हाथ छोड़ो । " कहते हुए हलके से झटका देते हुए हाथ छुड़ाता है और बैग टांग किताबो को हाथ में लेते हुए तुरंत ही वहाँ से चला जाता है और श्रेया उसे देखते हुए बस मुस्कुराती रहती है।
*************
" यार ये सब क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच में।" नीलेश ने हैरान होते हुए आदित्य से पूछा
"तुम दोनों मतलब किसके किसके और क्या ...."
" तुम्हारे और वो लड़की क्या नाम था उसका " थोड़ा सोचते हुए , अरे वही श्रेया के बीच ।"

" मेरे और श्रेया के बीच कुछ भी नही है। तुम्हे तो पता है बस उस दिन मैने उसे बचाया था और कुछ नही । उसके बाद तो मै उसे मिला भी नही।"
" मुझे पागल मत बनाओ , जैसे तुम्हे कुछ पता ही नही है।तुम क्या बोल रहे हो मुझे कुछ समझ नही आ रहा है।समझ नही आ रहा या समझना नही चाहते । पूरा कॉलेज जानता है कि श्रेया और तुम पुरे टाइम लाइब्रेरी में बैठे रहते हो और कल तो तुमने उसका हाथ भी सबके सामने पकड़ लिया
था।"
" ओये मैने नही उसने मेरा हाथ पकड़ा था । मैंने तो छुड़ाया था।"
" लो खुद ही कुबूल कर लिए हो ।" कहते हुए नीलेश मुस्कुरा रहा था।" ऐसा कुछ नही है नीलेश , जो तुम समझ रहे हो । "

" मै क्या नही समझ रहा , वैसे श्रेया बहुत अच्छी लड़की है। तुम्हे पसंद करती है । आखिर उसमे कमी ही क्या है ? और तुम भी तो उसे पसंद करते हो तो बता क्यों नही देते।"
" नीलेश ऐसा कुछ नही है , वो तो बस ऐसे ही ।"
"झूठ मत बोल , तुझसे कभी झूठ नही बोला जाता तो क्यों झूठ बोलने की कोशिश करता है । तेरी आँखों में उसके लिए प्यार साफ नजर आता है। तुम लाख छुपाओ लेकिन मैंने महसूस किया है जब वो तेरे आसपास रहती है तो तू खुश
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" अरे नीलेश तुम गलत ....... "लगभग लड़खडाते हुए स्वरों में बोला तो नीलेश ने उसे पहले ही टोक दिया।
" तुम मुझसे या सारी दुनिया से छुपा सकते हो लेकिन खुद से पूछो क्या तुम्हे वो अच्छी नही लगती , या फिर तुम्हे अपने आसपास उसकी मजूदगी से सुकून नही मिलता या फिर उसके लिए तेरे दिल के कुछ भी नही है। उसके पास आते ही
तुम्हारी सांसे तेज नही होती । मै जा रहा हूँ लेकिन अकेले में खुद ही बैठ कर सोचो क्या मै झूठ कह रहा हूँ । या फिर तुम खुद से ही भाग रहे हो सच पर यकीन नही कर रहे हो। "
कहते हुए नीलेश वहाँ से चला गया और आदित्य खुद से मन ही मन सवाल करने लगा।

दूसरे दिन रोज की तरफ फिर से आदित्य लाइब्रेरी में बैठ श्रेया का इंतजार करने लगा लेकिन वो नही आयी । आदित्य का मन बेचैन हो उठा । उसे समझ नही आया कि वो क्या करे किस्से पूछे। उसका मन घबरा रहा था । अपने मन को बहलाने के लिए उसने अपने को किताबो में डुबोया लेकिन उसका कही भी मन नही लगा । रह रह कर बस उसी की याद आ रही थी । वो दिन ऐसे ही निकल गया और श्रेया नही आयी । आदित्य को वो दिन बहुत भारी गया लेकिन सोच के तसल्ली कर ली शायद घर में कोई काम होगा तो नही आएगी । उस रात आदित्य को नींद भी नही आ रही थी।
:superb: Fantastic update
 

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pyar.................ho hi gaya akhir

lekin aditya fir bhi khulkar jatana kyon nahi chahta
 

Brijesh

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Update 5 part 2

अगले दिन फिर वही हुआ वो श्रेया का इंतजार करता रहा और वो नही आयी । अब तो आदित्य का मन बहुत ही घबराने लगा । कही उसके साथ कुछ हो तो नही गया लेकिन आज उसने सोच लिया कि वो श्रेया के बारे में पता लगा के रहेगा । वो अपने दोस्त नीलेश के पास गया ।
"अरे यार वो कल से दिख नही रही पता नही कहाँ है? "
" कौन आदित्य , किसकी बात कर रहा है ? "
" अरे वही श्रेया ...." थोड़ा सकुचाते हुए बोला।
" वही लाइब्रेरी में होगी । वही तो रहती थी तुम्हारे साथ ।"
" कल से नही आयी है , पता नही क्या हुआ होगा।"
" अच्छा , फिर तो तुम्हारे लिए अच्छा ही है । फालतू में पीछे पड़ी रहती थी । चलो छुटकारा मिला । वैसे तुम्हे चिंता हो रही है क्या ?"
" नही , बस ऐसे ही पूछ रहा था कही किसी मुसीबत में ना हो । " कहते हुए बात टाल दी।
" अच्छा ठीक है । " कहते हुए नीलेश वहाँ से चला गया ।
अब तो आदित्य का मन और भी घबराने लगा । वो श्रेया की दोस्त नेहा और कामिनी के पास भी गया और श्रेया के बारे में पूछा लेकिन उसे वहाँ भी कुछ नही पता चला । उसे लगा शायद कॉलेज नही आयी होगी लेकिन नेहा से बस यही पता चला कि वो कॉलेज आयी थी लेकिन कुछ अपसेट थी पता
नही कहाँ चली गयी । अब तो आदित्य उसे पागलो की तरह पुरे कॉलेज में हर जगह खोजने लगा। जब उसे श्रेया कही नही मिली तो थक हार कर कॉलेज के मैदान में उदास हो एक पेड़ के नीचे बेंच पर बैठ गया । उसे लग रहा था कही उसकी वजह से ही श्रेया अपसेट नही है।
" कहाँ हो श्रेया ।" मन ही मन उसे याद करते हुए वो वही पर उदास सा बैठा था तभी किसी से पीछे से आकर उसकी आंखें बंद कर ली और आदित्य एकदम से चौक गया और हाथ हटाते हुए पीछे पलटा तो सामने श्रेया को देख मन ही मन खुश सा हो गया।
" मुझे याद कर रहे थे ना , सच सच बताना ।" मुस्कुराते हुए श्रेया बोली।
" मै तुम्हे क्यों याद जारूँगा । मुझे तुमसे क्या मतलब ।" वो पूछना चाहता था कि दो दिन से कहाँ थी । तुम्हे पता मै कितना परेशान था । लेकिन अपने जज्बातों को मन ही मन दबा लिया था।
" अच्छा तो फिर पुरे दिन से मुझे क्यों खोज रहे थे । तुम्ही तो चाहते थे मै तुम्हे परेशान ना करूँ और जब दो दिन नही आयी तो परेशान हो गए और जगह जगह खोजने लगे और फिर ना मिलने पर यहाँ उदास होकर बैठ गए । मुझे पता है मुझे बहुत मिस कर रहे थे ।
" अभी भी श्रेया मुस्कुराते हुए ही बोल रही थी।
" देखो श्रेया , ऐसा कुछ........ इससे पहले आदित्य कुछ कहता श्रेया ने उसके मुँह पर अपनी एक अंगुली रख उसे चुप करा दिया।
" आदि मै तुम्हे पसंद करती हूँ और तुमसे प्यार करती हूँ।मुझे नही पता मुझे तुमसे कब क्यों और कैसे प्यार हो गया लेकिन जब से मै तुमसे पहली बार मिली हूँ। तुमने मुझे छुआ
था तबसे मै सिर्फ उसी स्पर्श को महसूस करती रही हूँ। उस दिन तुमने मुझे बचाया और बिना कुछ बोले गायब से हो गए । उस दिन से एक पल के लिए मै तुम्हे भूल नही पायी हूँ।तुम्हारे एहसास ने मुझ पर पता नही क्या किया है कि तबसे सोते जगते , उठते बैठते , खाते पीते बस तुम ही याद आते हो। कितना भी मै तुम्हारे ख्यालो से निकलना चाहूँ लेकिन नही निकल पाती। हर वक्त तुम्हारे ही ख्याल ही मुझे परेशान करते है । तुम्हारे एहसास में खोना मुझे एक अलग सा सुकून
देता है । मुझे नही पता तुम्हारे दिल में मेरे लिए क्या है लेकिन मै तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ । " कहते हुए श्रेया थोड़ा भावुक सी हो गयी।

" ये तुम क्या कह रही हो । मुझे कुछ समझ नही आ रहा ।मैने तो ऐसा कभी नही कहा । "
" समझ नही आ रहा या समझना नही चाहते । मुझे पता है तुम भी मुझसे प्यार करते हो लेकिन छुपा क्यों रहे हो ये नही पता ।"
" ऐसा नही है , मै कुछ नही छुपा रहा । मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ नही है।"
"अच्छा , अगर कुछ नही है तो तुम्हे मेरा इंतजार क्यों रहता है क्यों मुझे छुप छुप के देखते हो । तुम झूठ बोल सकते हो लेकिन तुम्हारी आँखे झूठ नही बोल सकती और उसमें मुझे मेरे लिए बेपनाह प्यार नजर आता है। अब ये नही पता कि तुम छुपा क्यों रहे हो।"
" पता नही ये सब तुम क्या कह रही हो ।" कहते हुए आदित्य वहाँ से जाने लगता है लेकिन अचानक से उसका पैर किसी चीज से टकरा जाता है और वो ख़ुद को संभाल नही पाता और एकदम से श्रेया के ऊपर ही गिर जाता है। गिरते ही उनकी आंखें आपस में टकरा जाती है और आदित्य जो
हमेशा श्रेया से नजरे मिलाने से डरता था अचानक से दोनों की ना चाहते हुए भी नजरे टकरा जाती है और इस समय दोनों की धड़कने तेज हो जाती है । सांसो से सांसे आपस में टकराने लगती है और ह्रदय की कम्पन्न की गति बढ़ सी जाती है। एक पल के लिए दोनों पूरी दीन दुनिया से जैसे खो से गये हो । ऐसा लगा जैसे किसी सपनो की दुनिया ने वो सैर कर रहे हो और वहाँ कोई भी उन्हें देखने वाला ना हो । तभी अचानक से आसमान से हल्की बूंदाबांदी सी होने लगी , ऐसा लगा मानो पूरा आसमा भी इस वक्त उन्हें इस लम्हे में खो देने को आतुर सा हो गया हो । श्रेया से आदित्य को जोर से अपने आगोश में ले लिया और आदित्य चाह कर भी उस पल कुछ ना कर सका । श्रेया की बाहों में एक अलग तरह का सुकून महसूस किया उसने जिसके एहसास को सब्दो में व्यक्त नही किया जा सकता।

" श्रेया बारिश तेज हो गयी है भीग जाओगी , अंदर चलो।" बारिश तेज हो गयी और इधर उधर कॉलेज के लोग अंदर हाल की तरफ जाने लगे । उनकी आवाजो से हड़बड़ा कर दोनों उठकर अंदर हाल की तरह चल दिए ।
"आदित्य तुमने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया । " अंदर चलते हुए हाथ पकड़कर श्रेया ने आदित्य से पूछा।
" कौन सी बात " कहते हुए आदित्य ने बात टालने की कोशिश की।
" कोई बात नही , चलो नही तो पूरी तरह भीग जायेंगे। मुझे पता है आदि तुम भी मुझे चाहते हो और मै तुम्हारे मुँह से निकलवा के ही रहूँगी " मन ही मन सोचते हुए मुस्कुराते हुए वो आदित्य के साथ बारिश से बचने के लिए कॉलेज में आकार खड़ी हो गयी लेकिन वो बस आदित्य को ही देखती रही।
*****************
दो दिन बाद जब आदित्य लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहा था तभी उसके पास नीलेश दौड़ता हुआ आया ।
" आदित्य आदित्य , श्रेया का एक्सीडेंट हो गया है। उसके सिर से बहुत खून बह रहा है । " घबराते हुए नीलेश ने आदित्य से कहा।


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Awesome fantastic Mind-blowing update Bhai
 
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