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Fantasy अदिति -एक अनोखी प्रेम कहानी

Brijesh

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Update 1 ya 2 day m dene kee kosis karta hu bhai sare thrade m
 
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Brijesh

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Update 8 Part 1
राज का खुलासा


श्रेया और आदित्य ने एक दूसरे के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया और वो दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे । आज आदित्य 21 साल का हो गया था और पूर्णमासी और चंद्रग्रहण भी आज होने के कारण उसके बाबा बहुत परेशान थे और उसे रात में घर के अंदर ही रहने को कहते है । आदित्य के बार बार अपने माँ पिता और अतीत के बारे में पूछने और बाबा के ना बताने पर आदित्य नाराज होकर अपने कमरे में जाकर बिना खाये पिए सो जाता है । अब आगे...

रात के बारह बज रहे और चंद्र ग्रहण शुरू हो अपनी
मध्यस्ता में था अचानक से आदित्य को एक अजीब सी बेचैनी होने लगती है और उसकी नींद खुल जाती है । उसे बहुत जोरो की प्यास लगती है तो वो पानी गिलास में निकलता है और पीने लगता है तभी उसे कुछ आवाज सी महसूस होती है और वो खिड़की की तरह जाकर देखने लगता है तभी उसकी नजर चाँद पर पड़ती है और वो ना जाने क्यों उसमें क्या देखता है जैसे उसकी नजर उसमे रुक सी जाती है। एक पल के लिए उसी जगह उसी अवस्था में ठहर सा जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे किसी से उसे सम्मोहित सा कर लिया हो और वो उस चाँद की तरफ देखते वैसे ही खड़ा रहा ।

धीरे धीरे चंद्रग्रहण समाप्ति की तरफ अग्रसर हो रहा था। जैसे ही चंद्रग्रहण संपूर्ण हो गया और पूर्णिमा का चाँद अपनी पूरी आभा से चमक उठा और तभी आदित्य ने अपने शरीर में कुछ हरकत सी महसूस की । उसके हाथ और पैर की मांसपेशियों में खिंचाव सा होने लगा जिससे उसे दर्द सा होने लगा । उसे समझ नही आ रहा था आखिर अचानक से उसके साथ ये क्या हो रहा है। उसका खुद पर से जैसे नियंत्रण खोता जा रहा है । उसे लगा उसकी आँखों के अंदर कुछ चल रहा है और वो अलमारी में लगे आईने के सामने खड़े हो कर देखने लगा । उसने देखा उसकी आँखों की पुतली का रंग खून जैसा लाल होने लगा जिसे देखकर वो डर से गया और फिर उसके सिर में तेजी से दर्द होने लगा । ऐसा लग रहा जैसे उसका सिर फट जायेगा और वो दोनों हाथों से अपने सिर को पकडे दबाने लगा । मांसपेशियों का खिंचाव लगातार बढ़ता जा रहा था और उतना ही दर्द भी बढ़ रहा था । जब दर्द उसके नियंत्रण से बाहर हो गया तो आदित्य
वही पर जमीन पर गिर गया और दर्द से तड़पने लगा । उसके चिल्लाने की आवाज सुन बाबा आदित्य के कमरे में दौड़ के आये और उसे ऐसी हालत में देख डर गए और उसे पकड़कर संभालने की कोशिश करने लगे लेकिन आदित्य की छटपटाहट बढ़ती ही जा रही थी। आदित्य की ऐसी हालत देखी नही जा रही थी वो तुरंत ही वहाँ से भाग के अपने कमरे में गये और वहाँ से किसी गुप्त मार्ग के सहारे हॉल नुमा एक कमरे में गये और भूरे रंग की एक संदूक में उथल पुथल कर कुछ खोजने की कोशिश करने लगे। उसमे से एक ताबीज जैसा माला निकाले और भाग के आदित्य के पास आये।अभी भी आदित्य सर को हाथ से पकड़े आँखे बंद किये दर्द से तड़प रहा था । पूरा शरीर ऐंठ गया था । बाबा ने उसे किसी तरह पकड़कर ताबीज जैसा कोई माला जल्दी से उसके गले में पहना दिया। थोड़ी देर में ही आदित्य शांत होकर वही पर बेहोश हो गया । बाबा ने उसे किसी तरह उठाकर बेड पर लिटा दिया और उसके सिरहाने बैठ उसके सिर पर हाथ फेरने लगे।

सुबह हो चुकी थी और अभी भी आदित्य वैसे ही बेहोश पड़ा था। दूसरी तरफ कॉलेज में आदित्य के ना पहुँचने श्रेया नीलेश से मिलकर आदित्य के बारे में पूछती है।


" नीलेश आदित्य कहाँ है , दिखाई नही दे रहा। "

"यही तो मै तुमसे पूछने वाला था कि शायद तुम्हे कुछ पता हो। पता नही क्यों आज आदित्य आया ही नही । वैसे तो रोज 9 बजे पहले ही आ जाता था लेकिन आज तो देर हो गयी। ऐसा कभी हुआ नहीं और कुछ बताया भी नही।"

"हो सकता कोई जरुरी काम आ गया हो।"

"कितना भी जरुरी काम हो वो मुझे फ़ोन करके बताता जरूर है।


"तो तुम ही फोन कर लो उसे देखो क्या हुआ? " श्रेया के कहने पर नीलेश आदित्य को फ़ोन करता है लेकिन उसका फ़ोन नही उठता । नीलेश ने कई बार फ़ोन किया लेकिन एक बार भी उसका फ़ोन ना उठने से दोनों थोड़ा परेशान हो जाते हैं।
लेकिन तभी आदित्य का फ़ोन आता है।


" क्या आदित्य आज कॉलेज आये नही , कुछ बताया भी नही और कितनी बार फ़ोन किया उठाया भी नही।" फोन रिसीव करते ही एक ही साँस में नीलेश बोल गया बिना कुछ सुने कि दूसरी तरफ कौन है? ?"

" बेटा नीलेश मै आदित्य नही उसका बाबा बोल रहा हूँ।"

ओह्ह सॉरी बाबा , मुझे लगा आदित्य है।"

बेटा आदित्य की रात में अचानक से तबियत खराब हो गयी इसलिये वो कॉलेज नही आया और शायद एक दो दिन नही आ पायेगा।"

"अरे बाबा अचानक से उसे क्या हो गया । कल तक तो एकदम सही था।"

" कुछ नही" कहते हुए उन्होंने बिना आगे कुछ बताये फोन काट दिया। ये सुनते ही श्रेया और नीलेश दोनों ही आदित्य के लिए परेशान हो गए । उन्होंने निश्चय किया कि वो आदित्य से मिलने उसके घर जायेंगे और श्रेया नीलेश के साथ आदित्य को देखने उसके घर पहुँच गयी । पहले तो बाबा ने आदित्य से मिलने से रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके न मानने पर वो उसके कमरे में ले गए जहाँ अभी भी आदित्य बेहोश पड़ा था । उसे ऐसे बेहोश देख श्रेया घबरा गई और आदित्य के पास जाकर उसे उठाने का प्रयास करने लगी। उसके ऐसे देख के श्रेया को बहुत तकलीफ हुई और उसकी आँखे भर गई । बाबा से बार बार पूछने पर भी बाबा ने उनके किसी बात का कोई भी उत्तर नही दिया।

थोड़ी देर में आदित्य को होश आने लगा । बाबा , श्रेया और नीलेश उसके पास ही खड़े थे । अपने सर को पकडे हुए आदित्य जब उठा तो उसका पूरा बदन टूट रहा था और बहुत दर्द हो रहा था । उसे ये तो लग रहा था उसके साथ साथ में कुछ हुआ लेकिन पूरी तरह उसे कुछ भी याद नही आ रहा था।
 

Brijesh

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अगला पार्ट इस अपडेट का थोड़े टाइम में
 
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Brijesh

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Update 8 Part 2

" और नीलेश तुम दोनों यहाँ "किसी तरह उठते हुए आदित्य बोला।"


" तुम्हारे कॉलेज ना आने और फिर तबियत खराब होने का सुनते ही हम परेशान हो गए और श्रेया तो रोने ही लगी थी इसलिए हम घर ही चले आये। क्या हो गया था आदित्य तुम्हे ? बाबा बता रहे थे तुम पूरी रात से बेहोश पड़े हो ।

यार मुझे भी नही पता क्या हुआ लेकिन .".जैसे कुछ याद आते ही वो बाबा के पास उठकर गया और ..

" बाबा बताइये ना मुझे क्या हो गया था ? मुझे साफ साफ कुछ याद नही आ रहा है लेकिन कुछ बुरा हुआ था मेरे साथ |" आदित्य के पूछने पर बाबा ने कुछ नही बताया और सिर नीचे झुका लिया।

"प्लीज बाबा अब तो बता दीजिए।"

"हम भी जबसे आये है तबसे पूछ रहे हे लेकिन बाबा कुछ नही बता रहे । बस चुपी साधे हुए है। " नीलेश ने बोला ।


" आदित्य चलो कुछ नास्ता कर लो काफी देर हो गयी है ।"

" नही करना नास्ता मुझे । हर बार टाल देते है , मुझे आज जानना ही है कि मेरे साथ कल जो हुआ वो क्या था । " कहते हुए आदित्य गुस्से में सोफे पर बैठ गया । उसका बदन बहुत ही दर्द हो रहा था।

"मै बाद में बता दूंगा।"

" मुझे अभी जानना है ।"

" लेकिन .......अभी ."नीलेश और श्रेया की तरह देखते हुए बाबा बोले।

ये दोनों मेरे करीब है आप इनके सामने कुछ भी बता सकते है । इनसे मै कोई बात नही छुपता ।"

"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी । " कहते हुए बाबा सोफे पर एक किनारे बैठ गए।"

" बेटा आदित्य जो तुम मेरे बारे में जानते हो वो मै नही हूँ। मै तुम्हारा कुछ भी नही लगता । मेरा नाम रमण्य वाधवा है। तुम्हारे पिता का नाम ललित और माँ का नाम अदिति है । ( ललित, अदिति और रमण्य वाधवा के बारे में जानने के लिए अदिति एक अनोखी प्रेम कहानी पढ़े) मै तुम्हारे माता पिता को तुम्हारे जन्म के पहले से जनता था । वो मेरे लिए मेरे छोटे भाई जैसा ही है । जब तुम 5 साल के हुए तो एक दिन दोनों मेरे पास बहुत घबराते हुए तुम्हे लेकर आये । उस दिन भी पूर्णिमा का दिन था।


"क्या हुआ ललित , इस तरह घबराये हुए क्यों हो दोनों लोग।"

"रमण्य सर प्लीज मेरे बेटे को बचा लीजिये , नही तो वो इसे ले जायेंगे और फिर आप जानते है ना कि क्या हो सकता है।"

"बताओ तो क्या हुआ और किससे खतरा है हमारे आदि को और कौन ले जायेगा । "

"सर अभी हम कुछ नही बता सकते बस इतना ही कह सकते है इस समय आप ही हमारी मदद कर सकते है और हम सिर्फ आप पर ही भरोसा कर सकते है । आप मेरे बेटे का ख्याल रखियेगा । हम दोनों जल्दी ही इसे लेने आएंगे।"


कहते हुए तुम्हे मेरे पास छोड़कर चले गये और आजतक नही आये।

मै तुम्हारी देखभाल करने लगा । तुम इतने प्यारे और अच्छे थे कि कब तुम मेरी जान बन गए पता ही नही चला । काफी समय बीत गया लेकिन वो नही आये तो मैने पता लगाया लेकिन उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चला फिर एक दिन मुझे एक खत मिला जो की तुम्हारे पिता का था उसमें लिखा था कि हो सके तो मै तुम्हे लेकर यहाँ से बहुत दूर चला जाऊ और ये भी कि तुम्हारे बारे में किसी को पता ना चले और इसलिए मै तुम्हे लेकर सबसे दूर यहाँ इस शहर में ले आया और एक नई जिंदगी की शुरुआत की जिसमे सिर्फ मै और तुम थे । बेटा मै तुम्हारा कोई नही लेकिन तुम्हे अपने बच्चे की तरह पाला और प्यार किया। ललित और अदिति तुमसे बहुत प्यार करते थे और तुम्हारी जान और सलामती के लिए उन्होंने तुम्हे खुद से दूर कर दिया।"

" बाबा आप कोई भी हो लेकिन मेरे लिए मेरे पिता से बढ़कर ही है। मै आपका बेटा हूँ और हमेशा रहूँगा लेकिन बाबा वो कौन है जिनकी कैद में मेरे पिता माता है और वो मुझे क्यों चाहते थे ? मेरा उनसे और मेरे माता पिता से क्या वास्ता और फिर मेरे साथ ये सब अजीब वाकया ? इन सब सवालों के कोई जवाब नही है।"

बेटा एक लंबी कहानी है तुम्हारे माता पिता के अनोखे प्यार की कहानी और उस अनोखे प्यार की तुम एक अनमोल अनोखी निशानी।"

"अनोखा प्यार मतलब । मेरे माँ पिता के बारे में बताइये ।

" हा अंकल हमें भी बताइये " श्रेया और नीलेश भी आदित्य के माँ पिता के बारे में जानने को उत्सुक हो उठे।

बेटा तेरी माँ कोई साधारण इंसान नही थी बल्कि वो एक वैम्पायर थी।"

"क्या ......."ये सुनते ही सभी के मुँह से आश्चर्य के भाव आ गए।

"हा बेटा , वो इंसान नही थी लेकिन फिर भी तुम्हारे पापा से बेपनाह मोहब्बत करती थी और उन दोनों ने बहुत सी परीक्षाएं दी और अपने प्यार को मुकम्मल बना दिया । बेटा मै एक वैम्पायर हंटर हूँ लेकिन फिर भी मैने उन दोनों मिलाया क्योंकि उनका प्यार बहुत ही पवित्र और सच्चा था । अपने प्यार को पाने के लिए बहुत तकलीफ सही लेकिन कभी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा और अंत में एक दूसरे के हो गए। दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे । ढेर सारे सपने देख लिए थे एक दूसरे के साथ और उन्हें पूरा करने की कोशिश करते रहते थे । जहाँ ललित अदिति को हर ख़ुशी देना चाहता था वही अदिति उसका हर वक्त ख्याल रखती थी। " कहते हुए अदिति और ललित की पूरी कहानी सुना दी जिसे सुनकर आदित्य को अपने पिता पर बहुत गर्व हुआ और श्रेया तो तो प्यार पर और भी भरोसा हो गया ।

" सच में बाबा मेरे माँ पिता दोनों बेस्ट है और उनकी वास्तव में उनकी प्रेम कहानी अनोखी है । फिर क्या हुआ बाबा ।"


"सबको लगता था कि ये दास्तान पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तो ये शुरुआत है । मिलन जितना कठिन था उससे भी कही ज्यादा आगे आने वाली चुनोतियों का सामना करना क्योंकि एक इंसान और वैम्पायर के जीवन भर का सवाल था | ललित और अदिति की शादी को एक साल हो गया था और
उनका प्यार रोज रोज बढ़ ही रहा था और हर पूर्णमासी की आधी रात को चाँद की रौशनी में ललित मुखिया द्वारा बताई प्रक्रिया को पुरे विधि विधान से करता था लेकिन एक दिन .........।बाबा ने आगे बताना शुरू किया।



क्रमशः
 

kamdev99008

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बहुत खतरनाक मोड पर अपडेट रोका है बृजेश भाई.................. :)

अगला अपडेट जल्दी देना....................... क्या हुआ ललित और अदिति के साथ.............1 साल बाद

प्रतीक्षा में
 

Brijesh

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Aaj update dene kee kosis karunga . Evening tak
 
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Kiy kahu Bhai intajar ..intajar hi bn KR rah gai.
 
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