Update 8 Part 2
" और नीलेश तुम दोनों यहाँ "किसी तरह उठते हुए आदित्य बोला।"
" तुम्हारे कॉलेज ना आने और फिर तबियत खराब होने का सुनते ही हम परेशान हो गए और श्रेया तो रोने ही लगी थी इसलिए हम घर ही चले आये। क्या हो गया था आदित्य तुम्हे ? बाबा बता रहे थे तुम पूरी रात से बेहोश पड़े हो ।
यार मुझे भी नही पता क्या हुआ लेकिन .".जैसे कुछ याद आते ही वो बाबा के पास उठकर गया और ..
" बाबा बताइये ना मुझे क्या हो गया था ? मुझे साफ साफ कुछ याद नही आ रहा है लेकिन कुछ बुरा हुआ था मेरे साथ |" आदित्य के पूछने पर बाबा ने कुछ नही बताया और सिर नीचे झुका लिया।
"प्लीज बाबा अब तो बता दीजिए।"
"हम भी जबसे आये है तबसे पूछ रहे हे लेकिन बाबा कुछ नही बता रहे । बस चुपी साधे हुए है। " नीलेश ने बोला ।
" आदित्य चलो कुछ नास्ता कर लो काफी देर हो गयी है ।"
" नही करना नास्ता मुझे । हर बार टाल देते है , मुझे आज जानना ही है कि मेरे साथ कल जो हुआ वो क्या था । " कहते हुए आदित्य गुस्से में सोफे पर बैठ गया । उसका बदन बहुत ही दर्द हो रहा था।
"मै बाद में बता दूंगा।"
" मुझे अभी जानना है ।"
" लेकिन .......अभी ."नीलेश और श्रेया की तरह देखते हुए बाबा बोले।
ये दोनों मेरे करीब है आप इनके सामने कुछ भी बता सकते है । इनसे मै कोई बात नही छुपता ।"
"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी । " कहते हुए बाबा सोफे पर एक किनारे बैठ गए।"
" बेटा आदित्य जो तुम मेरे बारे में जानते हो वो मै नही हूँ। मै तुम्हारा कुछ भी नही लगता । मेरा नाम रमण्य वाधवा है। तुम्हारे पिता का नाम ललित और माँ का नाम अदिति है । ( ललित, अदिति और रमण्य वाधवा के बारे में जानने के लिए अदिति एक अनोखी प्रेम कहानी पढ़े) मै तुम्हारे माता पिता को तुम्हारे जन्म के पहले से जनता था । वो मेरे लिए मेरे छोटे भाई जैसा ही है । जब तुम 5 साल के हुए तो एक दिन दोनों मेरे पास बहुत घबराते हुए तुम्हे लेकर आये । उस दिन भी पूर्णिमा का दिन था।
"क्या हुआ ललित , इस तरह घबराये हुए क्यों हो दोनों लोग।"
"रमण्य सर प्लीज मेरे बेटे को बचा लीजिये , नही तो वो इसे ले जायेंगे और फिर आप जानते है ना कि क्या हो सकता है।"
"बताओ तो क्या हुआ और किससे खतरा है हमारे आदि को और कौन ले जायेगा । "
"सर अभी हम कुछ नही बता सकते बस इतना ही कह सकते है इस समय आप ही हमारी मदद कर सकते है और हम सिर्फ आप पर ही भरोसा कर सकते है । आप मेरे बेटे का ख्याल रखियेगा । हम दोनों जल्दी ही इसे लेने आएंगे।"
कहते हुए तुम्हे मेरे पास छोड़कर चले गये और आजतक नही आये।
मै तुम्हारी देखभाल करने लगा । तुम इतने प्यारे और अच्छे थे कि कब तुम मेरी जान बन गए पता ही नही चला । काफी समय बीत गया लेकिन वो नही आये तो मैने पता लगाया लेकिन उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चला फिर एक दिन मुझे एक खत मिला जो की तुम्हारे पिता का था उसमें लिखा था कि हो सके तो मै तुम्हे लेकर यहाँ से बहुत दूर चला जाऊ और ये भी कि तुम्हारे बारे में किसी को पता ना चले और इसलिए मै तुम्हे लेकर सबसे दूर यहाँ इस शहर में ले आया और एक नई जिंदगी की शुरुआत की जिसमे सिर्फ मै और तुम थे । बेटा मै तुम्हारा कोई नही लेकिन तुम्हे अपने बच्चे की तरह पाला और प्यार किया। ललित और अदिति तुमसे बहुत प्यार करते थे और तुम्हारी जान और सलामती के लिए उन्होंने तुम्हे खुद से दूर कर दिया।"
" बाबा आप कोई भी हो लेकिन मेरे लिए मेरे पिता से बढ़कर ही है। मै आपका बेटा हूँ और हमेशा रहूँगा लेकिन बाबा वो कौन है जिनकी कैद में मेरे पिता माता है और वो मुझे क्यों चाहते थे ? मेरा उनसे और मेरे माता पिता से क्या वास्ता और फिर मेरे साथ ये सब अजीब वाकया ? इन सब सवालों के कोई जवाब नही है।"
बेटा एक लंबी कहानी है तुम्हारे माता पिता के अनोखे प्यार की कहानी और उस अनोखे प्यार की तुम एक अनमोल अनोखी निशानी।"
"अनोखा प्यार मतलब । मेरे माँ पिता के बारे में बताइये ।
" हा अंकल हमें भी बताइये " श्रेया और नीलेश भी आदित्य के माँ पिता के बारे में जानने को उत्सुक हो उठे।
बेटा तेरी माँ कोई साधारण इंसान नही थी बल्कि वो एक वैम्पायर थी।"
"क्या ......."ये सुनते ही सभी के मुँह से आश्चर्य के भाव आ गए।
"हा बेटा , वो इंसान नही थी लेकिन फिर भी तुम्हारे पापा से बेपनाह मोहब्बत करती थी और उन दोनों ने बहुत सी परीक्षाएं दी और अपने प्यार को मुकम्मल बना दिया । बेटा मै एक वैम्पायर हंटर हूँ लेकिन फिर भी मैने उन दोनों मिलाया क्योंकि उनका प्यार बहुत ही पवित्र और सच्चा था । अपने प्यार को पाने के लिए बहुत तकलीफ सही लेकिन कभी एक दूसरे का साथ नही छोड़ा और अंत में एक दूसरे के हो गए। दोनों एक दूसरे के साथ अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे । ढेर सारे सपने देख लिए थे एक दूसरे के साथ और उन्हें पूरा करने की कोशिश करते रहते थे । जहाँ ललित अदिति को हर ख़ुशी देना चाहता था वही अदिति उसका हर वक्त ख्याल रखती थी। " कहते हुए अदिति और ललित की पूरी कहानी सुना दी जिसे सुनकर आदित्य को अपने पिता पर बहुत गर्व हुआ और श्रेया तो तो प्यार पर और भी भरोसा हो गया ।
" सच में बाबा मेरे माँ पिता दोनों बेस्ट है और उनकी वास्तव में उनकी प्रेम कहानी अनोखी है । फिर क्या हुआ बाबा ।"
"सबको लगता था कि ये दास्तान पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तो ये शुरुआत है । मिलन जितना कठिन था उससे भी कही ज्यादा आगे आने वाली चुनोतियों का सामना करना क्योंकि एक इंसान और वैम्पायर के जीवन भर का सवाल था | ललित और अदिति की शादी को एक साल हो गया था और
उनका प्यार रोज रोज बढ़ ही रहा था और हर पूर्णमासी की आधी रात को चाँद की रौशनी में ललित मुखिया द्वारा बताई प्रक्रिया को पुरे विधि विधान से करता था लेकिन एक दिन .........।बाबा ने आगे बताना शुरू किया।
क्रमशः