Update 5 part 2
अगले दिन फिर वही हुआ वो श्रेया का इंतजार करता रहा और वो नही आयी । अब तो आदित्य का मन बहुत ही घबराने लगा । कही उसके साथ कुछ हो तो नही गया लेकिन आज उसने सोच लिया कि वो श्रेया के बारे में पता लगा के रहेगा । वो अपने दोस्त नीलेश के पास गया ।
"अरे यार वो कल से दिख नही रही पता नही कहाँ है? "
" कौन आदित्य , किसकी बात कर रहा है ? "
" अरे वही श्रेया ...." थोड़ा सकुचाते हुए बोला।
" वही लाइब्रेरी में होगी । वही तो रहती थी तुम्हारे साथ ।"
" कल से नही आयी है , पता नही क्या हुआ होगा।"
" अच्छा , फिर तो तुम्हारे लिए अच्छा ही है । फालतू में पीछे पड़ी रहती थी । चलो छुटकारा मिला । वैसे तुम्हे चिंता हो रही है क्या ?"
" नही , बस ऐसे ही पूछ रहा था कही किसी मुसीबत में ना हो । " कहते हुए बात टाल दी।
" अच्छा ठीक है । " कहते हुए नीलेश वहाँ से चला गया ।
अब तो आदित्य का मन और भी घबराने लगा । वो श्रेया की दोस्त नेहा और कामिनी के पास भी गया और श्रेया के बारे में पूछा लेकिन उसे वहाँ भी कुछ नही पता चला । उसे लगा शायद कॉलेज नही आयी होगी लेकिन नेहा से बस यही पता चला कि वो कॉलेज आयी थी लेकिन कुछ अपसेट थी पता
नही कहाँ चली गयी । अब तो आदित्य उसे पागलो की तरह पुरे कॉलेज में हर जगह खोजने लगा। जब उसे श्रेया कही नही मिली तो थक हार कर कॉलेज के मैदान में उदास हो एक पेड़ के नीचे बेंच पर बैठ गया । उसे लग रहा था कही उसकी वजह से ही श्रेया अपसेट नही है।
" कहाँ हो श्रेया ।" मन ही मन उसे याद करते हुए वो वही पर उदास सा बैठा था तभी किसी से पीछे से आकर उसकी आंखें बंद कर ली और आदित्य एकदम से चौक गया और हाथ हटाते हुए पीछे पलटा तो सामने श्रेया को देख मन ही मन खुश सा हो गया।
" मुझे याद कर रहे थे ना , सच सच बताना ।" मुस्कुराते हुए श्रेया बोली।
" मै तुम्हे क्यों याद जारूँगा । मुझे तुमसे क्या मतलब ।" वो पूछना चाहता था कि दो दिन से कहाँ थी । तुम्हे पता मै कितना परेशान था । लेकिन अपने जज्बातों को मन ही मन दबा लिया था।
" अच्छा तो फिर पुरे दिन से मुझे क्यों खोज रहे थे । तुम्ही तो चाहते थे मै तुम्हे परेशान ना करूँ और जब दो दिन नही आयी तो परेशान हो गए और जगह जगह खोजने लगे और फिर ना मिलने पर यहाँ उदास होकर बैठ गए । मुझे पता है मुझे बहुत मिस कर रहे थे ।
" अभी भी श्रेया मुस्कुराते हुए ही बोल रही थी।
" देखो श्रेया , ऐसा कुछ........ इससे पहले आदित्य कुछ कहता श्रेया ने उसके मुँह पर अपनी एक अंगुली रख उसे चुप करा दिया।
" आदि मै तुम्हे पसंद करती हूँ और तुमसे प्यार करती हूँ।मुझे नही पता मुझे तुमसे कब क्यों और कैसे प्यार हो गया लेकिन जब से मै तुमसे पहली बार मिली हूँ। तुमने मुझे छुआ था तबसे मै सिर्फ उसी स्पर्श को महसूस करती रही हूँ। उस दिन तुमने मुझे बचाया और बिना कुछ बोले गायब से हो गए । उस दिन से एक पल के लिए मै तुम्हे भूल नही पायी हूँ।तुम्हारे एहसास ने मुझ पर पता नही क्या किया है कि तबसे सोते जगते , उठते बैठते , खाते पीते बस तुम ही याद आते हो। कितना भी मै तुम्हारे ख्यालो से निकलना चाहूँ लेकिन नही निकल पाती। हर वक्त तुम्हारे ही ख्याल ही मुझे परेशान करते है । तुम्हारे एहसास में खोना मुझे एक अलग सा सुकून
देता है । मुझे नही पता तुम्हारे दिल में मेरे लिए क्या है लेकिन मै तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ । " कहते हुए श्रेया थोड़ा भावुक सी हो गयी।
" ये तुम क्या कह रही हो । मुझे कुछ समझ नही आ रहा ।मैने तो ऐसा कभी नही कहा । "
" समझ नही आ रहा या समझना नही चाहते । मुझे पता है तुम भी मुझसे प्यार करते हो लेकिन छुपा क्यों रहे हो ये नही पता ।"
" ऐसा नही है , मै कुछ नही छुपा रहा । मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ नही है।"
"अच्छा , अगर कुछ नही है तो तुम्हे मेरा इंतजार क्यों रहता है क्यों मुझे छुप छुप के देखते हो । तुम झूठ बोल सकते हो लेकिन तुम्हारी आँखे झूठ नही बोल सकती और उसमें मुझे मेरे लिए बेपनाह प्यार नजर आता है। अब ये नही पता कि तुम छुपा क्यों रहे हो।"
" पता नही ये सब तुम क्या कह रही हो ।" कहते हुए आदित्य वहाँ से जाने लगता है लेकिन अचानक से उसका पैर किसी चीज से टकरा जाता है और वो ख़ुद को संभाल नही पाता और एकदम से श्रेया के ऊपर ही गिर जाता है। गिरते ही उनकी आंखें आपस में टकरा जाती है और आदित्य जो
हमेशा श्रेया से नजरे मिलाने से डरता था अचानक से दोनों की ना चाहते हुए भी नजरे टकरा जाती है और इस समय दोनों की धड़कने तेज हो जाती है । सांसो से सांसे आपस में टकराने लगती है और ह्रदय की कम्पन्न की गति बढ़ सी जाती है। एक पल के लिए दोनों पूरी दीन दुनिया से जैसे खो से गये हो । ऐसा लगा जैसे किसी सपनो की दुनिया ने वो सैर कर रहे हो और वहाँ कोई भी उन्हें देखने वाला ना हो । तभी अचानक से आसमान से हल्की बूंदाबांदी सी होने लगी , ऐसा लगा मानो पूरा आसमा भी इस वक्त उन्हें इस लम्हे में खो देने को आतुर सा हो गया हो । श्रेया से आदित्य को जोर से अपने आगोश में ले लिया और आदित्य चाह कर भी उस पल कुछ ना कर सका । श्रेया की बाहों में एक अलग तरह का सुकून महसूस किया उसने जिसके एहसास को सब्दो में व्यक्त नही किया जा सकता।
" श्रेया बारिश तेज हो गयी है भीग जाओगी , अंदर चलो।" बारिश तेज हो गयी और इधर उधर कॉलेज के लोग अंदर हाल की तरफ जाने लगे । उनकी आवाजो से हड़बड़ा कर दोनों उठकर अंदर हाल की तरह चल दिए ।
"आदित्य तुमने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया । " अंदर चलते हुए हाथ पकड़कर श्रेया ने आदित्य से पूछा।
" कौन सी बात " कहते हुए आदित्य ने बात टालने की कोशिश की।
" कोई बात नही , चलो नही तो पूरी तरह भीग जायेंगे। मुझे पता है आदि तुम भी मुझे चाहते हो और मै तुम्हारे मुँह से निकलवा के ही रहूँगी " मन ही मन सोचते हुए मुस्कुराते हुए वो आदित्य के साथ बारिश से बचने के लिए कॉलेज में आकार खड़ी हो गयी लेकिन वो बस आदित्य को ही देखती रही।
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दो दिन बाद जब आदित्य लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहा था तभी उसके पास नीलेश दौड़ता हुआ आया ।
" आदित्य आदित्य , श्रेया का एक्सीडेंट हो गया है। उसके सिर से बहुत खून बह रहा है । " घबराते हुए नीलेश ने आदित्य से कहा।
क्रमश: