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Adultery अनुभूति

nitya bansal3

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सोचती हूँ
हमारे रिश्ते को कोई नाम दे दूं
मगर क्या.....?
और उससे भी बड़ा प्रश्न ये है
कि क्यों.....?
जैसे हवा ख़ुशबू को पहचानती है
जैसे बादल आसमान को
नदियां,समंदर को
वैसे ही
मेरा हृदय पहचानता है तुम्हें
तुम्हारी ख़ुशबू को
तुम्हारे आसमान को
तुम्हारी आँखों के समंदर को
अब तुम ही कहो.....
ख़ुशबू,आसमान और समंदर को कौनसी संज्ञा बांध पाई
और ये कहाँ तक उचित होगा......?
तो अच्छा है ना
कुछ रिश्तों का बेनाम होना
अच्छा है ना
कुछ रास्तों का बेपता होना



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nitya bansal3

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जब प्रेम में थी
तब तुम्हें नहीं समझी
जब विरह में थी
तब लगा प्रेम समझने लगी हूँ
तुम्हें..... तब भी नहीं समझी
प्रेम....
समझने का विषय ही नहीं है शायद.....!
मेरी बुद्धि में कभी चढ़ा ही नहीं
चढ़ता तो समझती ना
पहले प्रेम को
और..... फिर तुम्हें भी
तुम बांहों में तो थे
मगर लकीरों में नहीं थे
तुम दिल में बसे रहे
मगर तकदीरों में नहीं थे....
यही वो बातें हैं
जिससे मन को बहलाती रहती हूँ
जो लड़की
प्रेम को नहीं समझी
तुम्हें नहीं समझी
वो स्वयं को समझाती है
ये हास्यास्पद होगा,, तुम्हारे लिए......!
या.....?
एक समयावधि के अंतराल पर
वो झल्ली सी लड़कियाँ
परिपक्व हो जाती हैं
कदाचित.....नहीं......
जिन लड़कियों के हिस्से प्रेम आया
प्रेमियों का सानिध्य आया
वो बच्ची बनी रहीं
जिनके हिस्से विछोह आया
उनका क्या हुआ होगा
क्या? समझदारी ने
उनकी मासूमियत को निगल नहीं लिया होगा.....!
या.....?
बिछोह के बाद
उनके प्रेम को
परिपक्व प्रेम की संज्ञा मिली होगी.....!
प्रेम सरल है
किंतु
प्रेम-विरह में पड़ी लड़कियाँ
जटिल बन गईं
वो अनबूझ पहेली रहीं
अपने भावी साथी के लिए
समाज के लिए
जितनी जिम्मेदारियाँ उनके हाथों में आती रहीं
उतने ही प्रश्नवाचक चिन्ह उनके माथे पर गोदे गए
और
उन लड़कियों के लिए
प्रेम.....सबसे बड़ा प्रश्न बन कर रह गया
काश......!
कि मैं समझी होती
प्रेम में केवल प्रेम होता है
ना मिलना
ना बिछड़ना
ना खोना
ना पाना
ना तुम
ना मैं......



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nitya bansal3

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नज़दीकियां तुम्हारी,
मुझे मेरा कम, तुम्हारा ज्यादा बनाती हैं।
जैसे हर लम्हा, हर सांस
तेरे होने की गवाही दे जाती है।
मैं चुप रहूं तो भी,
मेरी धड़कनें बेपरवाह होकर
तुमसे बातें करती हैं।
तेरे करीब आते ही,
जैसे हर दूरी सिमटकर
एक आहट बन जाती है।
तुम्हारी नजरों का जादू,
मेरे वजूद को खामोशी में ढाल देता है।
मैं रहूं या न रहूं,
हर एहसास में बस
तुम्हारा नाम झलकता है।
इस कदर करीब हो तुम,
कि अब ख़ुद से दूर हो गया हूं।
मेरा "मैं" खो गया है कहीं,
अब तो सिर्फ़ "हम" बचा है।
तेरे बिना, ये ज़िंदगी अधूरी-सी लगती है,
पर तेरे साथ,
हर पल एक नज़्म बन जाती है।



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nitya bansal3

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तेरी यादें भी जाकर वापस आने लगी हैं,
ठीक इन सर्द हवाओं की तरह...
❣️
💔
😢





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nitya bansal3

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बिस्तर की सिलवटों ने जहां लिखीं थीं कहानियाँ तमाम
सुनो, मैं अपनी खुशबू और तुम्हारी छुअन वहीं छोड़ आई हूँ।
❤️
❤️



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how to add a link to a picture
 
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nitya bansal3

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सौदा - हमारा कभी बाजार तक नहीं पहुंचा,
इश्क था जो कभी इज़हार तक नहीं पहुंचा,
यूं तो गूफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी,
सिलसिला कभी ये प्यार तक नहीं पहुंचा,,,



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सौदा - हमारा कभी बाजार तक नहीं पहुंचा,
इश्क था जो कभी इज़हार तक नहीं पहुंचा,
यूं तो गूफ्तगू बहुत हुई उनसे मेरी,
सिलसिला कभी ये प्यार तक नहीं पहुंचा,,,



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Beautiful
 
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nitya bansal3

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कभी तो सुबह का कुछ ..!!


ऐसा नजारा हो

खुले जो ऑख मेरी तो ..!!

सामने चेहरा तुम्हारा हो

चले आओ ना अब ..!! कहा गुम हो

कितनी बार कहू मेरे ..!! दर्द की दवा तुम हो



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nitya bansal3

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जाते दिसंबर में वादा एक अपने आप से भी किया जाए।
जिन्दगी चाहे जैसी भी हो, उसे मुस्कुरा कर जिया जाए।।
माना आसान नहीं जीवन, मुश्किल भी मगर उतना नहीं।
जीत-हार का सबक पीठ अपनी थपथपा कर लिया जाए।।
दिल से कहिए कि ज़िंदगी का जश्न मना ऐ नादा- दिल।
जनवरी सा सिलसिला, क्यों दिल जला कर किया जाए।।
बर्फ़ सी है उम्र इनकी, मुश्किल से रास्ते हैं जो तेरे सामने।
हौसले की आंच का इक सिरा उन्हें लगाकर पिया जाए।।


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💋
💋
💞
💞
 

nitya bansal3

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मै नदी सी
बहनें लगी हूँ
उसके तरफ़..

ये जानते हुए की
वो समंदर मेरा नहीं..

🌊


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💕
 
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