"माँ तुम्हारी चूत तो पुरी तरह से गीली हो चुकी है। आखिर क्या बात है? इसे भी वह चाहिए क्या जो मेरे लौड़े को चाहिए?"
"हाँ मेरे पतिदेव! आह मेरी चूत में तुम्हारे लण्ड के नाम पे आग जल रही है। कुछ करो अपनी इस दुलहन का।"
"जरुर करूंगा मेरी प्यारी दुलहन! तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो। मेरे इस डंडे से तुम्हारी चूत को शान्त कर दूँगा। आज हमारी सुहागरात है। तुम्हें एसे फाड़ फाड़ के चोदूंगा की तुम्हारी पहली वाली सुहागरात की याद भी तुम भुल जाओगे। लेकिन पहले मेरी माँ की इस सुन्दर सी चूत का रस पान तो कर लूँ।"
कोमल अब अपने आपे से बाहर जा चुकी थी। वह अपने शरीर में कसावट महसूस करती है। यह कसावट सिर्फ और सिर्फ चूत में लौड़ा देकर ही मिटाई जा सकती है।
"मेरे प्यारे पतिदेव! अपनी इस नई नवेली दुल्हन को और मत तडपाओ। अब बस तुम अपने लण्ड को चूत में घुसा ही दो। मैं जिन्दगी भर तुम्हें अपनी चूत का रस पान कराऊँगी। कभी भी तुम्हें प्यास लगे अपनी चूत का पानी तुम्हें पिला दिया करूंगीं। लेकिन अभी के लिए मेरी चूत को शान्त कर दो। अब बस घुसा दो अपना मुसल लण्ड। फाड़ दो मेरी चूत। बना लो मुझे अपनी बीबी पत्नी।"
रामू अपनी एक उंगली से लगातार कोमल की चूत में अन्दर बाहर करता जा रहा था। इसी लिए कोमल से अब रहा नहीं जा रहा था।
"तुम चिंता मत करो माँ। तुम्हारा यह पति हमेशा तुम्हारी इच्छा पुरी करता रहेगा। मेरी इच्छा थी तुम्हारी चूत को अच्छी तरह से चाट चाट के उसका रस पान करूंगा। फिर तुम्हें भी अपने लण्ड का रस पान कराऊँगा। लेकिन कोई बात नहीं।"
रामू अपने लण्ड को एक हाथ में थामता हुया चूत के दाने पे घिसता है। और एक हल्का सा धक्का मार के लौड़े के सुपारे को चूत में घुसा देता है। कोमल के मुंह से "आह" के साथ चूत से भी "पुच" जेसी आवाज आती है।
अब रामू अपनी माँ के उपर आकर उसे अपने सीने से दबा लेता है। साथ ही अपनी कमर को थोड़ा पीछे ले जा कर एक और धक्का मारता है। जिस से रामू का लौड़ा आधा और सुड जाता है। कोमल अपनी आंखें बन्द किये लण्ड को चूत में लेती हुई महसूस करती है।
"माँ! आंखें तो खोलो। देखो मैं ने अपना आधा लौड़ा तुम्हारी चूत में डाल दिया है। अब आधा बाकी है।"
"तो उसे भी अन्दर डाल दे ना। बना ले अपनी माँ को अपनी बीबी।"
"तो लो मेरी रानी!" रामू अपनी कमर को हवा में उठाता है जिस से लौड़ा का सुपारा छोड़ बाकी लौड़ा बाहर आ जाता है और अपनी जान लगा के एक जोरदार ठपकी मारता है। लौड़ा चूत में पूरा का पूरा घुस तो जाता ही है उसके साथ ही कोमल के मुहं से एक हल्की चीख भी निकल जाती है।
"ऊई मर गई। आह पूरा घुसा दिया। आह। थोड़ा आहिस्ता नहीं मार सकता क्या?"
"क्या करुँ बताओ माँ। पहली बार जा रहा है। तुम्हारी चूत अगर मेरे लौड़ा का स्वागत नहीं करेगी तो अच्छा लगता क्या?" रामू धीरे धीरे चूत में धक्के मारने लग जाता है।
कोमल रामू के सिर पे प्यार से हाथ फेरती हूई पूछती है:"तो क्या मेरी चूत ने तेरे लौड़े का स्वागत किया?"
"हाँ किया ना! जब मैं ने तेज धक्का मारा तो चूत से जो आवाज आई वही तो है।"
"अच्छा जी। तो अब बता अपनी माँ की चूत तुझे केसी लग रही है? मजा आ रहा है ना?"
"बहुत मजा आ रहा कोमल। क्या बताऊं तुम्हें। तुम्हें अपनी पत्नी बना कर तो मैं धन्य हो गया।"
"आई हाय! क्या कहा तू ने?"
"यही कि मैं ध्न्य,,,,,"
"यह नहीं। तू ने मेरा नाम लिया वह।"
"अच्छा कोमल!"
"हाँ। तेरे मुहं से सुनने में कितना मधुर जेसा लगा।"
"अब अपनी पत्नी को तो नाम से ही बुलाऊंगा ना! तुम्हें भी तो मुझे तू तू ना कह के अजी सुनते हो। इस तरह कहना चाहिए। आखिर अब तो हम पति पत्नी बन चुके हैं।"
"हाँ मेरे पतिदेव! मैं भी तुम्हें सम्मान से ही बुलाया करूंगी। आह तुम कितना अच्छा चोद रहे हो रामू! आह हा हा आह। मुझे बहुत मजा आ रहा है। काश मेरी माँ आज जिन्दा होती तो मैं दिखाती उनकी बेटी अपने बेटे से चुदवा के कितना मजा ले रही है।"
"मुझे भी तुम्हें चोद के बड़ा मजा आ रहा है कोमल। काश तुम मुझे और पहले मिली होती।"
"अगर मैं तुम्हे पहले मिलती तो वह मैं नहीं होती। अगर तुम्हारी बापू से मेरा बियाह ना होता तो तुम भी पैदा नहीं होते। तुम मेरी इसी चूत से निकले तभी तो मेरी चूत मार पा रहे हो।"
"हाँ वह तो है। लेकिन मैं कह रहा हूँ काश मैं पहले से ही तुम्हें चोद्ता तो अब तक तुम दो तीन बच्चों की माँ भी बन जाती फिर मैं इन छाती से दुध पीता हुया चोद्ता। और मजा आता मुझे।"
"अच्छा तो मेरे पति की यह इच्छा है की उसकी पत्नी को चोद्ते हुए दुध पीना।"
"हाँ कोमल। तुम ने सही कहा।"
"कोई बात नहीं। अगर मैं फिर से गर्भवती हो सकती हूँ तो मैं अपने इस नए पति का बच्चा अपने पेट से जरुर पेदा करूंगी। जिस से तुम मेरा दुध पी सको। ठीक है? अब जरा अपनी ताकत दिखाओ और अपनी इस नई दुलहन को जम कर चोदो। एसा चोदो के मेरी चूत से खून निकल जाये।"
"हाँ मेरी रानी। अब देखो मैं तुम्हें केसे चोद्ता हूँ। तुम्हारे पहले पति ने एसी चुदाई कभी नहीं की होगी।"
कोमल ने अपनी इस दुसरी सुहागरात को और रामू ने अपनी पहली सुहागरात का भरपुर आनन्द लिया। दोनों पुरी रात एक दूसरे में खोये रहे। रामू ने जब पहली चुदाई कर ली तो कुछ देर लिए दोनों माँ बेटा थक गए थे। थोड़ा आराम किया। एक दूसरे को सहलाते रहे। प्यार करते रहे। और फिर से दोनों ने चूत लौड़े को एक दूसरे में घुसा दिया। उसके बाद एक बार फिर ताबडतोड चुदाई की रामू ने। और हर बार की तरह रामू ने अपने लण्ड के बीर्य से कोमल की चूत को लबालब भर दिया।
एक रात में तीन बार की चुदाई से कोमल निढ्ल हो चुकी थी। रामू भी थक जाता है। और दोनों यूं ही नंगे सो जाते हैं।