Babulaskar , waiting for update...hope aap jaldi hi update post karoge..thanks.
Sorry, I may not agree to your point. I agree, aap bahut mehnat se story likhte ho..lekin comments bhi acche hi hain aapke story ke liye..but problem yeh hain ki aapke story/updates ki frequency bahut slow hain...as a result, your story gets pushed down to the back pages..there are few stories where the writers give reasonably quick updates..and they also get the responses accordingly. When the updates are reasonably frequent, the readers are also engaged and they also invest in the story by giving some suggestions, etc... once you start giving frequent updates and the story moves forward, you'll find many more comments. My personal opinion though. But rest is upto you...I'll leave it to your judgement.Thanks.
Update pls...your frequency of updates is extremely slow and expect great response once you post it. At such low frequency, people tend to forget the story as well..
Anyway, no issues..hope you'll post update as and when you get time. Thanks.
Babulaskar, aapki story kaa kya hua? adhoora hi chhod diya..aap forum mein har story kaa update maangte ho..par apna story kaa update nahi dete..
just an observation. Hope aap apni story kaa bhi update doge..Thanks.
Update pls...
This update is dedicated to you.. hope you will all stay with me and support me with comments and likes...Any update??
Thanks Man for this update..a sexy update really. I only hope and wish that you'll give updates more frequently and not take so much time.This update is dedicated to you.. hope you will all stay with me and support me with comments and likes...
Bahot behtareenUpdate 35
सुबह सुबह राधा घर के काम काज में ब्यस्त थी। रेखा अपनी सहेली शीतल के घर गई हूई थी और रघु खेत का काम देखने चला गया था। राधा अपने मन में गुनगुनाती हुई काम में लगी हुई थी की इतने में कोमल की आवाज ने उसके काम को रोक दिया।
"अरी राधा! कहाँ है रे तू?" कोमल कहती हुई घर के अन्दर चली आई।
"अरे मेरी लज्जो रानी! हो गई सुबह? मुझे तो लग रहा था की तुम माँ बेटे का नया दिन शायद शुरु ही नहीं होने वाला? लेकिन उठ ही गई तुम?" राधा ने उसे छेडते हुए कहा।
"तू भी न राधा मजाक से बाज नहीं आने वाली? तुझे पता तो है कल मेरी सुहागरात थी। अब जिस घर में सास ससुर न हो उस घर की बहू को सुहागरात के बाद उठने में देरी तो लगती है। शुक्र मना मैं फिर भी तुझ से मिलने आ गई नहीं तो वह बदमाश अब भी मुझे छोडने वाला नहीं था।" कहती हूई कोमल शर्मा गई।
"ओए-होए शर्मा गई मेरी बहन!" राधा ने उसे गले से लगा लिया। "तू इस जोड़े में बहुत सुन्दर लग रही है कोमल। एकदम नई नवेली दुल्हन लग रही है मेरी सहेली। अब बता तेरी सुहागरात केसे कटी?" कोमल और राधा दोनों पलंग पे बेठ जाते हैं। कोमल पहले तो शर्मा जाती है। फिर बताने लगती है।
"यार तुझे पता तो है सुहागरात केसे मनाते हैं? उसी तरह मेरी भी गुजरी।"
"अच्छा। बस इतना ही। और तेरे इस नए पति ने तेरे साथ कुछ भी नहीं किया?"
"ध्य्त। मैं ने एसा कहा क्या? भला कोई भी दूल्हा पहली रात में अपनी दुलहन को यूं ही छोड देता है क्या?"
"फिर बता ना मेरी रानी। शर्मा क्यों रही है? कल तो शर्मा नहीं रही थी जब तेरे बेटे ने तुझे गपागप पेला होगा। और अब एसा नखरा दिखा रही है जेसे कुछ हुया ही न हो।"
"अच्छा बाबा बताती हूँ। तू भी ना जब तक पुरी बात न सुनेगी तुझे च्यान नहीं मिलने वाला। लेकिन याद रखना जब तेरा बियाह होगा तेरी सुहागरात की चुदाई गाथा मुझे भी सुनानी पड़ेगी।"
"हाँ बाबा सुना दूँगी। लेकिन पहले तू बता तुने कल केसे मजे लिए?"
"अब राधा तुझे किस तरह बताऊं कल तो मेरे पति ने मुझे जी जान लगाकर प्यार किया। शुरु शुरु में तो मुझे बड़ी शर्म आ रही थी लेकिन जब मैंने देखा आखिर अब तो मेरी शादी पूरे रस्म व रिवाज के साथ हो गई है मैं तो सच मुच अब रामू की पत्नी बन चुकी हूँ तब मैं ने सोचा छोड़ो यह शर्म अब खुल के जीने का दिन है। लेकिन राधा यह सिर्फ कहने की बात है। जब वह कमरे में आया और मेरे पास आकर बेठ गया तब तो मानो मैं कांपने लगी। लेकिन रामू ने जिस तरह से मेरे साथ बात की उस से फिर धीरे धीरे मेरे अन्दर से वह घबड़ाहट जाती रही।"
"अबे रंडी तू क्या बताने लग गई? तू सिर्फ इतना बता चुदाई केसे शुरु हुई?" राधा ने झिंझोड़ते हुए कहा।
"अच्छा बाबा बताती हूँ। फिर उसने मुझे प्यार करना शुरु किया। यार राधा उसके आगे कपड़े खोलते हुए तो मैं मरी जा रही थी। इत्नी शर्म तो मुझे अपनी पहली सुहागरात में भी नहीं लगी थी। तू भी याद रखना राधा अपना बेटा जब पति बन जाता है उसके सामने खुद को नंगा करने में तुझे कितनी शर्म आयेगी उसका ठिकाना नहीं। खैर अब सुन, वह मेरे सारे कपड़े खोलता गया और मुझे बस निहारता रहा। फिर जब मेरी बुर उसके आगे खुल गई बेचारे का मुहं खुला का खुला रह गया। मेरे दिमाग में रामू की वह भली सुरत अब भी दिख रही है। यूं तो मैं थोडी सहमी सहमी थी की पता नहीं जवान लड़का है मेरी चूत उसे पसंद आयेगी भी या नहीं? लेकिन वह तो बेचारा मेरी बुर देख के ही पागल सा हो गया।" कहके कोमल हंसने लगी।
"हाँ यह तो मुझे भी पता है इन जवान लौंडों को हम जेसी औरतों की बुर चूत ही पसंद आती है।उनका बस चले तो साले इसी चूत में घुस जाये। तभी तो देख गावँ के जवान जवान लडके उनसे ज्यादा उम्र की औरतों से बियाह रचा रहे हैं। फिर क्या हुया वह बता?"
"फिर तो मानो उस पे नशा सा चड गया। मेरी बुर पे नाक मुहं रगडने लगा। मैं यूं तो गरम होती जा रही थी उसके एसा करने से मैं तो बिल्कुल गर्मा गई। फिर कुछ देर बाद जब उसने अपना मुसल निकाला वह देख के मेरी सांस फूलने लग गई। क्या बताऊं राधा तुझे उसके बाप से भी ज्यादा लम्बा और मोटा था। एक डेढ महीने से चूत में कुछ नहीं घुसाया था। अब अचानक से इतना बड़ा मुसल चूत में घुसाना घबराने की ही बात थी। फिर जब उसने घुसाया हाए राधा तुझे क्या बताऊं मेरे तो सोच सोच के ही अब भी चूत का रस बह रहा है। जिस चूत से उसे और शीतल को निकाला था उसी चूत में वह अपना लण्ड पेल रहा था। मैं तो सोच रही थी आसानी से इसका लण्ड ले लुंगी। लेकिन जब बुर में लण्ड डालने लगा तब पता चला मेरी सोच गलत थी। यार शुरु शुरु में काफी दर्द रहा। लेकिन फिर कुछ देर बाद जब मेरी चूत ने भी रसना शुरु किया तो बुर के अन्दर उस मोटे लण्ड के लिए भी जगह बन गई। आह राधा मेरी जान मेरे रामू ने तो मुझे जी जान से चोदा है। मेरे पूरे शरीर में उसने अक्रण पेदा कर दी है।"
"तो तुझे पुरा मजा आया सुहागरात में।"
"हाँ राधा मुझे इस शादी से बड़ी खुशी मिल रही है।उम्मीद है रामू मुझे पुरी जिन्दगी एसे ही प्यार करता रहेगा।"
"चल तुझे तेरा प्यार करने वाला तो मिला जो जिन्दगी भर तेरा सहारा बन के रहेगा। लेकिन यह तो बता रात को तुम लोगों ने कितनी बार चूत लौड़े का मिलन करवाया?"
"तू भी न राधा। अब तुझे यह बात भी बतानी पड़ेगी। तीनबार रात को और एकबार सुबह को।"
"ओए-होए! मतलब सुहागरात का पुरा फायदा उठाया है मेरी मेरी बहन ने?"
"अब देख मैं तो पहले दो बार की चुदाई से ही थक चुकी थी। उसके बाद तो मेरे अन्दर इतनी थकान आ गई की नीन्द के मारे आँखें बन्द होती जा रही थी। लेकिन रामू का मुसल फिर से तन गया। और वह बार बार चडने को आ रहा था। अब एक तो सुहागरात है उपर से जवान खून है अगर न दिया तो शायद बुरा मान जाये। इस लिए आखिर कार उसके आगे फिर से चूत खोल ही दिया। फिर हम दोनों सो गए और सूबह हमारी आंख खुली। बदमाश सूबह उठते ही मेरे उपर फिर से चड बेठा। अब मैं भी गरम हो गई और चौथी बार चूत गई। उसका का तो मन था मुझे एकबार और पेलने का। बस किसी तरह समझा बुझा कर शान्त किया है। क्या पता घर में जाते ही फिर से न टूट पडे। आज तो लगता है पुरा दिन ही चुदाई खाने में चला जायेगा।"
"अच्छा ही तो है। जवान खून है अगर तू उसकी इच्छा पुरी नहीं करेगी फिर वह कहीं और अपना जुगाड कर लेगा। इस लिए अपने पति को हमेशा खुश रखने की कोशिश करना। और हाँ जल्दी से जल्दी एक दो बच्चा ले लेना। अगर बच्चा हो जाता है तो मर्द को जिम्मेदारी का एहसास होने लगता है। बच्चा लेने में देरी मत करना। समझी मेरी बात?"
"हाँ राधा मैं ने भी सोच रखा है मैं बहुत जल्द पेट में बच्चा ठेहरा लुंगी। एक तो हमारी उम्र हो गई है अगर इस के बाद भी एक दो साल और गुजर जाये फिर बाद बच्चा ठेहराना मुश्किल हो जायेगा। कल तो रामू ने चारों बार अपना बीर्य मेरी बुर में ही निकाला है। क्या पता कल वाली चुदाई से ही कहीं मैं पेट से न हो जाऊँ?"
"अच्छा तो यह बात है। तू तो मेरे से भी एक कदम आगे निकली हुई है।"
"चल छोड़। मेरे बारे में तो सुन लिया अब जरा अपने बारे में भी बता तू कब अपना बियाह रचा रही है?"
"तुझ से क्या छुपाना? तू तो मेरी बहन है। राकेश से जरा इस बारे में बात कर लूँ फिर शायद दो चार दिन में ते कर सकूं।"
"अरे पगली इस में इत्नी सोचने वाली क्या बात है? अब तेरी इस शादी में गावँ भर के लोग तो आने से रहे फिर किस के लिए इन्तज़ार कर रही है तू? अगर तुझे करनी है तो आज कल में ही कल ले।"
"हाँ वह मैं जानती हूँ। लेकिन तुझे केसे समझाऊँ? अच्छा फिर सुन। जब रघु के साथ मेरा बियाह होगा फिर तो रघु ही इस घर का मुख्या बनेगा। यूं तो वह मेरा लड़का है आज नहीं तो कल मेरे माँ बाप जो कुछ मेरे लिए छोड़ के गए हैं उसका मालिक वही बनेगा। लेकिन देख जब उससे मेरी शादी होगी मैं उसकी पत्नी बनूँगी। और एक पत्नी हमेशा चाहेगी उसके पति का सिर हमेशा उंचा रहे। उसे किसी के आगे हाथ फेलाने की जरुरत न हो। अब शहर में जो हमारी कम्पनी है वह तो मेरे नाम है। लेकिन फिलहाल उसे राकेश चला रहा है। मैं चाहती हूँ वह कम्पनी और हमारी सारी जमीन जायदाद रघु के नाम हो जाये। इस तरह से उसका मर्यादा बड़ जायेगा। और मैं भी खुशी खुशी उसकी पत्नी बन सकूंगी। बस इतनी सी बात है।"
"लेकिन राधा फिर तो इसके लिए काफी समय लगेगा। आखिर जमीन जायदाद का मामला तो बहुत पेचीदा है। फिर तो तेरी शादी होने में एक दो महीना लग सकता है। और जहाँ तक मुझे पता है रामू की और मेरी शादी होने के बाद रघु तो और ज्यादा उतावला हो जायेगा। उसे किस तरह संभालेगी तू?"
"अरे नहीं तू जितना सोच रही है उतना दिन नहीं लगेगा। मैं ने चार पांच दिन पहले से ही इस पे काम लगा रखा है। शायद एक दो दिन में सारा काम हो जायेगा।"
"ओह तो यूं बता ना। मतलब अब तुझे भी सब्र नहीं है ना अपने बेटे की दुल्हन बनने में?"
"हाँ कोमल! अब मैं भी जल्द से जल्द रघु की पत्नी बनना चाहती हूँ। मुझे भी अब एक एसा पति चाहिए जो हमेशा मेरी नज़रों के सामने रहे और हर वक्त मुझे प्यार करे। तुझे याद है एकबार मैं ने और तू ने एक गुरुजी को अपना हाथ दिखाया था?"
"वही भविश्यवाणीवाली?"
"हाँ वही! क्या तुझे याद है उस गुरुजी ने हम दोनों का हाथ देख कर क्या कहा था?"
"वह तो बहुत पुरानी बात है। जब हम स्कुल में पडते थे।"
"हाँ तब हम स्कुल में पडते थे। और ठीक छह सात महीने बाद हम दोनों की शादी हो गई। उस गुरुजी ने तेरा हाथ देखने के बाद कहा था तू चार सन्तान की माँ बनेगी।"
"हाँ री राधा याद आया। मुझे जब गुरुजी ने कहा की मैं चार सन्तान को जनम दूँगीं मैं तो बहुत शर्मा गई थी लेकिन फिर गुरुजी ने तेरा हाथ देखा और कहा की तू छह सन्तान की माँ बनेगी।"
"हाँ वही। उस बात को लेकर तू ने मुझे बाद में बहुत छेड़ा भी है। की राधा तू केसे छह बच्चे की माँ बनेगी? किस तरह अपने पेट से छह बच्चे को जनम दे पायेगी?"
"हाँ रे राधा मुझे आज भी याद है। लेकिन हुया नहीं ना? वह गुरुजी तो ढोंगि निकला। अगर सचमुच वह साधू अच्छा होता फिर हम दोनों जरुर इतनी बार पेट से हो जातीं।"
"तू मेरी बात समझी नहीं कोमल। उस गुरुजी ने जो भविश्यवाणी की थी वह अब सच साबित होगी। क्या गुरुजी ने यह थोड़ा ही न कहा था की हम दोनों इतने बच्चों की माँ एक ही आदमी से होंगे? नहीं ना! मतलब तू जरुर चार सन्तान की माँ बनेगी। तेरे पहले से दो बच्चे हैं और दो बच्चे अब जनम लेंगे। और उसका बाप तेरा यह नया पति तेरा बेटा रामू होगा।"
"फिर तो तू भी छह सन्तान की माँ बन सकती है। मतलब अब जब तू रघु की पत्नी बनेगी उससे तेरे चार सन्तान और हो जायेंगे? वाह यह तो बहुत खुशी की बात है रे राधा!"
"हाँ रे कोमल! मैं वही सोच रही हूँ इस लिए हम दोनों की जितनी जल्दी शादी हो जायेगी हम उतनी जल्दी बच्चे पेदा कर सकेंगे। समझी मेरी बात! लेकिन यह कोई जरुरी नहीं की मैं चार और तू दो बच्चे ही पेदा कर सके। अगर हमारे भाग्य में इससे ज्यादा या कम लिखा होगा तो हम उतने ही बच्चों को जनम दे सकेंगें।"
"हाँ रे राधा मुझे तो सोच कर ही इतनी गुदगुदी होती है क्या बताऊं? आखिर जिस बुर या चूत से मैं ने रामू को और तू ने रघु को जनम दिया उसी चूत की कुटाई करके यह दोनों हम दोनों को पेट से भी कर देंगें। बता कितनी लज्जा की बात है। और वही बच्चे फिर बाद में चल के उन्हें बापू बापू पुकारा करेंगें। तू बता ना क्या तू रघु के चार बच्चों को अपने पेट में ले पायेगी?"
"क्यों नहीं? अगर मुझे सच्चे दिल से प्यार करने वाला पति मिलेगा उस के लिए तो मैं हमेशा अपनी कोख को बच्चों से भरा रखूँगी। तुझे तो पता होगा मुझे हमेशा से ज्यादा बच्चे पेदा करने की कितनी इच्छा थी। यह तो राकेश था की मुझे सिर्फ दो बच्चे की माँ बना कर ही थक गया। नहीं तो मैं अब भी इतनी जवान हूँ मैं आसानी से तीन चार बच्चों को पेट में ठेहरा लूँ।"
"वह तो मुझे भी पता है राधा रानी! एक बार अगर कोई नया लण्ड तेरी चूत में चला जाये फिर तो तू उसे ही अपना गुलाम बना लेगी।"
"तू भी ना! तेरे मुहं पे कुछ भी अटकता नहीं। सब कुछ बोल देती है। वह तो मेरा प्यार होगा जो उस लौड़े को बुर के बाहर नहीं जाने देगी।"
"अच्छा जी?"
"हाँ जी।""