Update 36
रघु की खेतों में फसलों पे पानी छोड़ा जा रहा था। दो मजदूर उस पे काम पे लगे थे। रघु खेत के एक किनारे खडा होकर इन सबकी देख रेख कर रहा था। इसी बीच दूर से उसे अपना दोस्त रामू आता दिखाई दिया। रामू को देख रघु के चहरे पे मुस्कान आ गई। जब रामू पास को आया तो रघु उसे कहने लगा:"और दूल्हे राजा केसे हो? तबियत तो ठीक है ना?"
"क्या रघु! तू भी न? मेरी टांग खींचने में लगा है?"
"अरे गोपाल काका, मेरे दोस्त को जरा शादी की बधाई तो दे दो?" दूर खडे एक मजदूर को सुनाता हुया रघु चिल्ला कर कहता है।
"कब हुई शादी? हमें तो पता भी नहीं चला?" गोपाल काका ने रामू को सुनाया।
"अरे काका इस में सुनाने वाली क्या बात है? हमारे दोस्त को लड्की पसंद थी और लड्की को हमारा दोस्त पसंद था। बस मुहुरत निकाल के घर वालों ने शादी करवा दी।" रघु ने कहा।
"अच्छा हुआ बेटा तुम ने अच्छे समय पर बियाह कर लिया। यही तो सही उम्र है शादी करने की। अब हो सके तो जल्दी से हमारे इस बिट्वा का भी बियाह करवा दो। इस की भी शादी की उम्र हो चुकी है।"
"काका बस उसी की तैयारी है। कुछ ही दिनों में मेरे दोस्त का बियाह भी हो जायेगा।" रामू ने जवाब दिया।
"चल जरा उधर जा के बेठ्ते हैं। यहां धूप है।" दोनों खेत के पास बने ट्यूबवेल के घर के सामने रखे चारपाई पे बेठ जाते हैं।
"और बता रामू! आखिर तूने अपनी औरत हासिल कर ही ली। बना ही लिया उसे अपनी बीबी।"
"बस दोस्त आज मैं बहुत खुश हूँ।"
"तो जरा यह तो बताओ हमारी नई भाभी केसी निकली अन्दर से? सब कुछ ठीक ठाक तो था ना?" रघु ने उसे चुटकी काटते हुए पुछा।
"बिल्कुल मेरे दोस्त। तेरा यह दोस्त कभी फाल्तू चीजें हासिल नहीं करता। अन्दर से एकदम कडक माल थी तेरी भाभी।" रामू मुस्कुराता हुया बोला।
"मतलब तूने खुब मजे लिए?" रघु उत्सुकता से पूछा।
"बिल्कुल एकदम।" रामू विजयी अन्दाज में कहा।
"और बता ना क्या क्या हुया? मतलब मुझे जानना था की जिस छेद से मौसी ने तुझे और शीतल को निकाला क्या अब भी वह उतनी ही टाईट है? या कुछ ढीली हो गई है?"
"अरे कहाँ की ढीली? अगर उस छेद से मेरे और चार पांच भाई बहन निकले होते तब भी एसी ही रहती जेसी अब है। मुझे तो एहसास तक नहीं हुआ मैं ने पेंतीस साल की एक औरत से बियाह किया है। क्या बताऊं तुझे रघु मेरा तो रोम रोम खिल उठा। जब मेरा मुसल बुर में जाने लगा मैं तो मारे आनन्द के आसमान की सैर कर रहा था। अन्दर बुर इतनी ही टाईट थी जेसे किसी जवान लड्की की बुर होती है। उपर से मेरी माँ जिस तरह गदराई शरीर की मालकिन है उस पे चड के चोदने में एसा मजा आया जो मजा आज तक नहीं आया।"
"अरे वाह क्या खूब मजा लिया तूने। वैसे कोमल मौसी ने भी तेरा साथ दिया ना? या वह माँ बेटे के रिश्ते की वजा से शर्मा रही थी?"
"लज्जा की बात तो है। अब अचानक से रातो रात यह शर्म दूर नहीं होती। धीरे धीरे माँ भी मानने लगेगी की अब उनका पति मैं हूँ और वह मेरी बीबी है। फिर वह भी एक पत्नी की तरह ही रहने लगेगी। और मेरी भी एक पति की तरह सेवा करेगी। इस में थोड़ा समय लगेगा।"
"हाँ वह तो है। एकदम से यह सब नहीं हो पाता। समय तो लगेगा ही। अब देख हमारे गावँ के जमीनदार का बेटा देवा, जमींदार जी के देहांत के बाद देवा ने अपनी माँ मन्जूलेखा से बियाह किया था। सुना है शुरु शुरु में मन्जूलेखा काकी मारे शर्म के अपने बेटे के पास जाती भी नहीं थी। फिर धीरे धीरे देवा की माँ ने भी देवा को पति स्वीकार लिया। अब तो उन्के दो बच्चे भी हो चुके हैं। इस लिए समय तो लगता ही है।"
"लेकिन यार रघु कल रात को जब मैं माँ के पास गया तो शुरु शुरु में माँ थोडी शर्मा सी रही थी। इस बात को मैं भी समझ रहा था। लेकिन फिर जब हमारा मिलन शुरु हुया और माँ ने मुझ से बिल्कुल एसे अन्दाज में बात की जेसे कोई बीबी अपने पति के साथ करती है। और आज सुबह जब मैं ने फिर से चुदाई की उसके बाद तो मानो माँ ने दिल मे यह मान लिया मैं ही उसका पति हूँ।"
"मतलब सुबह सुबह भी एक राऊंड मार के आया है? वाह मेरे शेर।" रघु उछलता हुया बोला।
"और नहीं तो क्या। यार क्या बताऊँ मेरा मुसल तो नीचे बेठने का नाम ही नहीं ले रहा। अब भी जी कर रहा है घर जा के तेरी भाभी को एक राऊंड और पेल के आऊँ। उसके बाद तो सुन क्या हुया? सुबह एक राऊंड ठुकाई के बाद जब मैं ने फिर जिद किया एक बार और चुदाई करने दो ना? पता तेरी भाभी ने क्या कहा? कहा की अजी अभी नहीं काफी दिन निकल चुका है। तुम जरा बाहर घूम फिर के आओ जब घर आओगे फिर तुम्हारी कोमल एक राऊंड और अपने उपर चडने देगी। समझा कुछ? मतलब धीरे धीरे माँ भी स्वीकारने लगी है मुझे पति के रुप में।"
"यह तो अच्छी बात है। भाई जिन्दगी का भरपुर आनन्द लेना। और अपनी इस नई बीबी की चूत कभी भी खाली मत छोड़ना। हमेशा अपने लण्ड के बीर्य से भर देना उसे।"
"हाँ उस में मेरी कोई कसर नहीं रहेगी। अभी घर जाके एक राऊंड और बुर पेलुँगा उसके बाद कुछ काम होगा। लेकिन तू भी बता तेरा बियाह कब होने वाला है? तूने अपनी माँ से बात की इस बारे में?"
"हाँ बात तो हुई है लेकिन पक्का नहीं है कल होगी या परसो। अब माँ तो राजी है लेकिन बारबार इस बारे बात करके माँ को और ज्यादा शर्मिन्दा करना मुझे बहुत बुरा महसूस होता है। यार तुम लोगों के चक्कर में अब मेरे से भी अकेला रहना मुस्किल होता जा रहा है। तेरी तरह मेरा मुसल भी अब हमेशा तना हुया रहता है। सोचता हूँ यार बस घुसा ही दूँ और लण्ड का माल निकाल के शान्त कर लूँ। यार बहुत परेशान हूँ।"
"चल जब इतनी दूर का सफर ते करता हुआ यहां तक आ गया है अब तो बस दो चार दिन की बात है। मुझे बिश्वास है बहुत जल्द मौसी के साथ तेरा भी फेरा लगने वाला है।"
"चलो देखते हैं।"
"चल भाई मैं चलता हूँ। घर पे तेरी नई भाभी मेरी राह देख रही होगी। मैं बस तेरे से मिलने ही आया था।"
"ठीक तू जा फिर। वैसे भी तेरी नई नई शादी हुई है अभी अपनी माँ के पास ज्यादा रहा कर और उसे अपनी बीबी होने का एहसास दिलाता रह। मुझे अभी यहां कुछ काम है।"
फिर रामू अपने घर की तरफ और रघु खेत की देख रेख में लग जाता है।