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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

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  • Maa beta

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  • Baap beti

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  • Aunty bhatija

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  • Uncle bhatiji

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Lib am

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Update 40


शान्ती और पार्वती दोनों अपने अपने घर को जा रहे थे। शान्ती पार्वती से पूछती है,"दीदी क्या राधा यह बातें बताना ठीक होगा? कहीं उसका घरबार न टूट जाए?"

"अरे तू अगर नहीं बतायेगी तब टूट जायेगा। वैसे भी आज नहीं तो कल उसे इस बारे में पता जरुर चल जायेगा। फिर उसके दिल पे भी चोट लगेगी।"

"हाँ दीदी, तुम ने सही कहा। चलो कल जब राधा आयेगी उसे बता दूँगी। लेकिन दीदी मैं ने बताया है इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए। नहीं वह मुझे दुश्मन समझ बेठेगा। इसी मारे तो मैं ने कोमल सामने राधा से कुछ कहा नहीं।"


"तूने सही किया। चलो कल जब राधा आयेगी उससे बात कर लेंगें। थोड़ा तेज पावँ चला। पंडितजी शायद राह देख रहे हैं। बच्चे को घर पे छोड़ के आई हुँ। पता नहीं दुध के मारे रो रहा होगा।" फिर शान्ती पार्वती को घर छोड़ने के बाद अपने घर चली गई।



अगले दिन शाम को रघु को साथ लिए राधा पार्वती से मिलने जाती है। रघु महादेव से मिलके बातों में लग गया और राधा पार्वती के पास बेठी बातें करने लगी।

"और दीदी बताओ, क्या बात थी?"

"थोडी देर रुक तो सही। वह बात तुझे शान्ती बतायेगी। उसी को तेरे से बात करनी थी।"


"कब तक आयेगी वह?"

"आ जायेगी। सुबह को यहीं थी। बता रही थी चाची की तबीयत खुछ खराब है शायद डाक्टर के पास ले गई हो। जब तक वह आती हो तू जरा अपने बारे में कुछ बता। आखिर तेरी शादी तैयारी कहाँ तक हूई?"


"दीदी तुम सब मिलके जिस तरह पूछ रहे हो, कभी कभी तो लगता है यह मेरी नहीं, तुम लोगों की शादी हो रही है। अरे बाबा समय आने पर कर लुंगी मैं शादी। वैसे भी मुझे अपनी शादी से पहले रघु और रेखा के लिए कुछ करना है। मतलब जमीन जायदाद के बारे में। बस वह एकबार हो जाये फिर आराम से शान्ती से करूंगी मैं शादी।"


"अरे नहीं वैसी कोई बात नहीं है। मैं कह रही थी शुभ काम में देरी क्यों? तेरी तबीयत वगेरह तो ठीक है ना?"


"क्या दीदी, भला मुझे क्या होने जा रहा है? मैं तो बिल्कुल स्वस्त हुँ।"


"तेरी माहवारी ठीक समय पे आती है ना? कहीं कोई गडबड़वाली बात तो नहीं?"


"नहीं एसा कुछ नहीं है। हर महीने ठीक तारीख पर मेरी माहवारी आ जाती है। कोमल की फिर भी कभी कभी एक दो महीना इधर उधर हो जाता है, लेकिन मेरी माहवारी ठीक है। कभी कभी तो रेखा भी मेरी माहवारी के दिन को लेकर मजाक करती है। "


"चलो अच्छा है। वैसे महीने में कितने दिन तक खून आता है तेरा?"


"सात दिन।" राधा थोड़ा शर्मा जाती है।


"अरे वाह, तब तो मुझे देखना ही होगा रे राधा। लेकिन सात दिन तक अपने पति को केसे रोक पायेगी तू? क्या उसे झेल पायेगी हर महीना सात दिन लिए।"


"क्यों नहीं दीदी, जब एक पति को इतने दिन से संभालते आई हुँ तो दूसरे को भी संभाल लुंगी। वैसे दीदी, एक बात पूछूँ? क्या तुम अब भी औरतों की बुर देखती हो? मतलब गावँ की औरतें अपनी बुर का इलाज करवाने अब भी तुम्हारे पास आती है?"


"हाँ क्यों नहीं। लेकिन ज्यादतर शादी से पहले या बच्चा होने के बाद आती है। क्योंकि बुर को जानना तभी जरुरी होता है जब उसका उपयोग हो। अब एक क्ंवारी लड्की या शादीशुदा लड्की क्यों आयेगी अपनी बुर दिखाने? इसलिए जब किसी की शादी होती है तब वह आती है और वह पता कर लेती है उसकी चूत किस श्रेणी में आती है, इस तरह वह अपने बुर का उपयोग करती है। अब अगर एक दुध पीते बच्चे को तू मसालेदार सब्जी चावल खिलाने लग जायेगी तो उसका पेट खराब नहीं होगा क्या? इसी तरह एक जवान आदमी की भूक और बच्चे की भूक अलग होती है और दोनों की खुराक भी विभिन्न होती है।"


"तो दीदी तुम चूत देखने के बाद क्या निर्णय लेती हो? मतलब किस से पता करती हो इसकी बुर या चूत किस श्रेणी में आती है?"


"अरे यह एकदिन में नहीं होता। बरसों का तजुर्बा और ज्ञान हो तभी कोई देखने के बाद बता सकती है क्या है और क्या करना चाहिए? कभी कभी कुछ मर्द भी आता है, उसका और जिसके साथ उसका बियाह होना है दोनों का अंग देख के निर्णय लिया जाता है यह दोनों लिंग और योनि एक दूसरे के लिए उचित है या नहीं?"


"तो क्या सब का अंग एक दूसरे के लिए लायेक होता है?"


"हाँ होता है। वह इस लिए क्योंकि कामशास्त्र के अनुसार स्त्रियों के योनि ग्यारह प्रकार के होते हैं। जिन में पहला दुसरा तीसरा, यह जो तीन श्रेणी है आम औरतों की चूत इसी प्रकार में आ जाती हैं और मर्दों का भी। तो समस्या उतपन्न नहीं होता। उनका मिलन आरामदायक और मधुर होता है। समस्या होती है दसवीं और ग्यारहवीं श्रेणी की औरतों की चूत को लेकर।"


"एसा क्या है इस में की समस्या हो?"


"समस्या इस तरह होती है, मान ले एक औरत की चूत उस दसवीं श्रेणी के आधार पे है और जिस मर्द से इसका बियाह हुया है वह एक आम लिंग है। तो यह औरत कभी भी उस लिंग से खुश नहीं रहेगी। हमेशा उसकी जींदगी में एक खालीपन रहेगा। लेकिन अगर इसी औरत का बियाह एक नागपंचमी लिंगधारी मर्द से होता तो इसकी जिन्दगी खुशिओं से भर जाती।"


"दीदी मैं क्या कह रही थी, तुम भी अगर मेरा अंग एकबार देख लेती? समझ रही हो ना तुम?" राधा झिझकती हूई पूछती है।


"अरे पगली इस में शर्माने वाली कोई बात नहीं है। तुझे शायद पता नहीं तेरी सहेली कोमल भी अपनी शादी से बहुत पहले मुझे अपनी चूत दिखाकर गई थी। और उसका बेटा रामू भी मेरे पास आया था लिंग दिखाने। लेकिन मैं जवान लड़कों का लण्ड नहीं देखती पण्डितजी का मना है। इस लिए उसे देवा के पास भेज दिया। उसने देख के मुझे बता दिया किस श्रेणी का लिंग है, फिर मैं ने कोमल को बताया।"


"किस प्रकार की थी कोमल की बुर?" राधा उत्सुकता से पूछी।


"अरे एसी खास नहीं। तुझे बताया ना? ज्यादतर औरतों की बुर आम होती है और उसमें किसी भी प्रकार का लिंग चला जाता है। वह भी एसी है। तुझे अगर दिखाना है तो कमरे के अन्दर चल। अरे मिन्ती बेटी जरा अपने भाई को पकड़ना। मुझे जरा काम है।"

पार्वती चिल्लाके अपनी बड़ी बेटी मिन्ती को बुलाकर उसके गोद में बच्चा देती है और राधा को लेकर कमरे में आ जाती है। राधा ने साड़ी पेतिकोट ब्लाउज पहन रखी थी। वह लेट कर अपनी साड़ी और पेतिकोट कमर तक उठा लेती है जिस से वह नीचे से पुरी नंगी हो जाती है। पार्वती एक दिया जलाकर उसके चूत के पास आकर उसी पे नजरें टिका कर देखने लग जाती है।

राधा को बहुत शर्म आ रही थी। यूं तो वह कोमल के पास खुली है,दोनों एक साथ नंगे नहाते भी हैं। लेकिन पार्वती के सामने यूं नंगा होना उसके लिए काफी शर्म और लज्जा की बात थी। पर उसके दिल में अपनी चूत को लेकर एक उत्सुकता थी, जिसे वह जानना चाह रही थी।

"दीदी कुछ बताओ भी, क्या देख रहो इस तरह।?"


"बाल कब साफ किये तूने?" पार्वती चूत पे हाथ फेरती हूई पूछती है।


"आह दीदी क्या कर रही हो? पांच दिन हो गए।"


"एक बात पूछूँ सच सच बताना, तूने आज तक जब भी अपने पति से चुदवाया है, क्या तेरे दिल में हरबार की चुदाई के बाद क्या एसा नहीं लगता था, काश एकबार और चोद्ता? और थोडी देर तेज तेज ठपकी मारता?"


"हाँ दीदी, लगता तो हमेशा से था। लेकिन यह तो हर औरत चाहती है उसे बहुत अच्छी चुदाई मिले?"


"अरे पगली, नहीं? यह देख जरा, अपनी चूत को ध्यान से देख तेरी चूत का घेरा कितना बड़ा है। और यह छेद कितना लम्बा है। मानो जेसे तेरी नाभि से चूत शुरु हुई हो। और एक बात तेरे चूत के दाने के उपर एक बड़ा सा काला तिल है। यह साफ इशारे कर रहा है तेरी चूत 'महाघाटी' है। और एक महाघाटी चूत का लायक लण्ड सिर्फ एक नागपंचमी लौड़ा है। उसी लण्ड से तेरी प्यास बूझ सकती है। क्यौंकि तेरे चूत की गहराई यहां तक है,बिल्कुल नाभि तक। एक नागपंचमी लण्ड ही इतनी दूर चूत के अन्दर पहूँच सकता है। बिल्कुल बच्चेदानी के मुहं पर। जब तक बच्चेदानी के मुहाने पर लौड़े का सुपारा धक्का न मारे तब तक औरत को चुदाई सुख नहीं मिल सकता। और इसी लिए तू हमेशा उदास रहती है। क्यौंकि तेरे लायक जो लौड़ा है वह इस चूत में नहीं जा रहा। अब उठ जा। मुझे जो देखना था, मैं ने देख लिया।" राधा उठके बेठ जाती है।


"तो दीदी, अब क्या होगा?"


"देख मैं इतने दिनों से गावँ की औरतों की बुर देखती आ रही हूँ, और इतने दिनों में मुझे एसी चूत सिर्फ दो औरतों के पास मिली। एक तू और दुसरी हमारी शान्ती। शान्ती तो है ही रांड। कितनों से चुदवा चुकी है लेकिन उसकी प्यास कभी नहीं बुझी फिर जब एकदिन मैं ने प्रताप का लण्ड देखा, मैं ने शान्ती को कहा इसके अलावा किसी से भी चुदवा ले तू खुश नहीं रह पायेगी। और आज देख बेचारी खुद चुदाई से भागती फिरती है।"


"मेरा बताओ ना दीदी,क्या रघु को तुम्हारे पास भेजूं?"


"अरे सब्र रख, इतनी उतावली क्यों हो रही है। बताती हुँ। तेरे चूत की एक खास बात बताती हुँ, तेरी चूत से जो भी सन्तान पेदा होगा वह अगर लड़का हुया तो नागपंचमी होगा और अगर लड्की हूई तो महाघाटी होगी। हमारी शान्ती को ही देख ले। यह असल में खानदान और परिवार से आता है। तेरे माँ बाप एसे थे इस लिए तू भी एसी निकली। और तेरे बच्चे भी एसे निकले होंगे। आगे भी तेरे जितने बच्चे पेदा होंगे सब इसी तरह के होंगे। अगर यकीन ना आये तो रेखा की चूत भी देख लेना। मुझे पक्का बिश्वास है उसकी चूत के दाने के उपर तेरा जेसा तिल होंगा। और रघु का लण्ड भी भीमकाय होगा। क्योंकि तू ने उसे अपनी चूत से पेदा किया है। जो औरतें नागपंचमी होती हैं उनकी बहुत सारी खूबियाँ होती हैं। अभी सब कुछ मुझे याद नहीं।"


"दीदी, तुम जिस तरह से बता रही हो, मुझे समझ नहीं आ रहा है मुझे डरना चाहिए या खुश होना चाहिए?"


"अरी पगली यह तो सौभाग्य की बात है। डरने वाली क्यों होगी? पागल कहीं की?"


"अच्छा दीदी, मेरे बारे में तो बता दिया लेकिन तुम्हारी चूत किस प्रकार की है?"


"अच्छा, अब तुझे मेरे बारे में जानना है? चल बता देती हुँ, मेरी चूत आठवीं श्रेणी की है। इसे कहते हैं 'जननी' योनि। यानी की जो बुर बच्चे पेदा करते हुए थकती ना हो। अब समझी मैं इतने बच्चों की माँ केसे बन पाई हुँ। जिस तरह मेरी माहवारी चल रही है मैं आगे और बीस साल तक बच्चे पेदा कर सकती हुँ। और तुझे यह भी बता दूँ, महाघाटी योनि की एक बिशेष्ता यह भी है की वह बच्चे पेदा करते हुए फैलती नहीं। बच्चा निकालने के बाद तेरी चूत पहले जेसी फिर से सिकुड जायेगी। और इस प्रकार की औरतें काफी लम्बे समय तक सम्भोग कर सकती हैं। मेरी माँ बताया करती थी, एक साठ साल की महाघाटी औरत एक जवान लडके को चुदाई में मात दे सकती है। हाए मेरी राधा रानी तेरे दिन तो अब शुरु होने वाले हैं। तेरा नया पति जब तुझे चोदेगा तब तुझे एहसास होगा असली चुदाई किसी कहते हैं। समझी?"
ये तो साला कामसूत्र का ज्ञान बांट दिया Babulaskar ने । लगता है अब राधा को असली सुख मिलेगा। शांति जो बात करना चाहती है वो कही राधा के पति का कोई कांड तो नही है। ऐसा ना हो की मां और बेटी दोनों रघु के पास ही आ जाए। खतरनाक अपडेट।
 

Xoxosam

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Mst update...
 
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Babulaskar

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Babu bhai, thx for the update..Aise hi regular updates dete raho...jaldi hi aapki story kaa 1M views ho jaayega...All the best and look forward to the next update.
Thanks.
कहानी आप को अच्छी और बेहतर लग रही है,यह मेरे लिए खुशी की बात है। जब मैं ने कहानी को स्टाॅप कर दिया था, आप हर जगह मेरे कमेंट पे यह अनुरोध करते थे की मैं कहानी दोबारा स्टार्ट करुँ। लेकिन अभी जब कहानी चल रही है तो आप बस यही दो चार लाईन"बहुत अच्छा अपडेट है, अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी" बोलके भाग जाते हैं। एक रायटर कहानी के पाठकों से उस पे टिप्पणिओं पे ध्यान देना चाहता है। अगर कहानी आप कहानी पे टिप्पणी नहीं करोगे तो पता केसे होगा मुझे क्या क्या करना चाहिए। बाकी आप की मर्जी।
 
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Babulaskar

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ये तो साला कामसूत्र का ज्ञान बांट दिया Babulaskar ने । लगता है अब राधा को असली सुख मिलेगा। शांति जो बात करना चाहती है वो कही राधा के पति का कोई कांड तो नही है। ऐसा ना हो की मां और बेटी दोनों रघु के पास ही आ जाए। खतरनाक अपडेट।
आप ने एक शानदार कमेंट दिया है। कहानी को और मनोरंजन बनाने और उसमें गहराई पेदा करने के लिए मैं ने यह प्लॉट डाला है। और हाँ, आप का अंदाजा सही है। आखिर एक अच्छा पाठक कहानी की बारीकियों को बहुत अच्छी तरह समझता है। और आप एक अच्छे पाठक हैं। लेकिन आप जेसे उच्च विचारों के पाठकों का सस्पेंस बना रहे, इस लिए आगे इसी सोच को मोडिफाईड करके प्रस्तुत करूँगा। जिस से आप लोगों को एसा न लगे की हमें तो पता ही था। सोच वही रहेगी बस अन्दाज बदल जाएगा। साथ बने रहे।
 
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Babulaskar

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मैं जब भी इस फोरम में कहानीयों की सूची चेक करता हूँ, देखता हूँ "अनोखे सम्बंध" हमेशा कोई न कोई रीड करता हुआ नजर आता है। लेकिन वाच के हिसाब से इस में उन्नत मननशील और उच्च विचारों के कमेंट नहीं आते। यह काफी दुख की बात है। दो चार कमेंट बस "अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी, अपडेट कब आयेगा, मस्त अपडेट" इसी सीमित रहते हैं।
अच्छे कमेंट एडलट्रि सेक्शन में आते हैं। इस लिए सोच रहा हूँ एक नये सोच के साथ एडलट्रि में कहानी स्टार्ट करूँगा।
 

Mass

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कहानी आप को अच्छी और बेहतर लग रही है,यह मेरे लिए खुशी की बात है। जब मैं ने कहानी को स्टाॅप कर दिया था, आप हर जगह मेरे कमेंट पे यह अनुरोध करते थे की मैं कहानी दोबारा स्टार्ट करुँ। लेकिन अभी जब कहानी चल रही है तो आप बस यही दो चार लाईन"बहुत अच्छा अपडेट है, अगले अपडेट की प्रतीक्षा रहेगी" बोलके भाग जाते हैं। एक रायटर कहानी के पाठकों से उस पे टिप्पणिओं पे ध्यान देना चाहता है। अगर कहानी आप कहानी पे टिप्पणी नहीं करोगे तो पता केसे होगा मुझे क्या क्या करना चाहिए। बाकी आप की मर्जी।
Bhai, look at it this way...i give limited comments on your story (just like you mentioned). My intention is, even though i cannot give "constructive/lengthy comments/opinions", to encourage you to write and complete the story which you also said that you plan to.
If I had that much talent, phir main hi ek accha story likh deta naa :)
I hope you too can understand. All the best!!
I think story ab Radha and Raghu ke shaadi ke taraf badh rahi hain jo ki bahut accha hain..i hope unki shaadi and suhagraat kaa Varnan bhi bahut erotic and kaamuk hoga...prateeksha rahegi.
 

Naik

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Update 40


शान्ती और पार्वती दोनों अपने अपने घर को जा रहे थे। शान्ती पार्वती से पूछती है,"दीदी क्या राधा यह बातें बताना ठीक होगा? कहीं उसका घरबार न टूट जाए?"

"अरे तू अगर नहीं बतायेगी तब टूट जायेगा। वैसे भी आज नहीं तो कल उसे इस बारे में पता जरुर चल जायेगा। फिर उसके दिल पे भी चोट लगेगी।"

"हाँ दीदी, तुम ने सही कहा। चलो कल जब राधा आयेगी उसे बता दूँगी। लेकिन दीदी मैं ने बताया है इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए। नहीं वह मुझे दुश्मन समझ बेठेगा। इसी मारे तो मैं ने कोमल सामने राधा से कुछ कहा नहीं।"


"तूने सही किया। चलो कल जब राधा आयेगी उससे बात कर लेंगें। थोड़ा तेज पावँ चला। पंडितजी शायद राह देख रहे हैं। बच्चे को घर पे छोड़ के आई हुँ। पता नहीं दुध के मारे रो रहा होगा।" फिर शान्ती पार्वती को घर छोड़ने के बाद अपने घर चली गई।



अगले दिन शाम को रघु को साथ लिए राधा पार्वती से मिलने जाती है। रघु महादेव से मिलके बातों में लग गया और राधा पार्वती के पास बेठी बातें करने लगी।

"और दीदी बताओ, क्या बात थी?"

"थोडी देर रुक तो सही। वह बात तुझे शान्ती बतायेगी। उसी को तेरे से बात करनी थी।"


"कब तक आयेगी वह?"

"आ जायेगी। सुबह को यहीं थी। बता रही थी चाची की तबीयत खुछ खराब है शायद डाक्टर के पास ले गई हो। जब तक वह आती हो तू जरा अपने बारे में कुछ बता। आखिर तेरी शादी तैयारी कहाँ तक हूई?"


"दीदी तुम सब मिलके जिस तरह पूछ रहे हो, कभी कभी तो लगता है यह मेरी नहीं, तुम लोगों की शादी हो रही है। अरे बाबा समय आने पर कर लुंगी मैं शादी। वैसे भी मुझे अपनी शादी से पहले रघु और रेखा के लिए कुछ करना है। मतलब जमीन जायदाद के बारे में। बस वह एकबार हो जाये फिर आराम से शान्ती से करूंगी मैं शादी।"


"अरे नहीं वैसी कोई बात नहीं है। मैं कह रही थी शुभ काम में देरी क्यों? तेरी तबीयत वगेरह तो ठीक है ना?"


"क्या दीदी, भला मुझे क्या होने जा रहा है? मैं तो बिल्कुल स्वस्त हुँ।"


"तेरी माहवारी ठीक समय पे आती है ना? कहीं कोई गडबड़वाली बात तो नहीं?"


"नहीं एसा कुछ नहीं है। हर महीने ठीक तारीख पर मेरी माहवारी आ जाती है। कोमल की फिर भी कभी कभी एक दो महीना इधर उधर हो जाता है, लेकिन मेरी माहवारी ठीक है। कभी कभी तो रेखा भी मेरी माहवारी के दिन को लेकर मजाक करती है। "


"चलो अच्छा है। वैसे महीने में कितने दिन तक खून आता है तेरा?"


"सात दिन।" राधा थोड़ा शर्मा जाती है।


"अरे वाह, तब तो मुझे देखना ही होगा रे राधा। लेकिन सात दिन तक अपने पति को केसे रोक पायेगी तू? क्या उसे झेल पायेगी हर महीना सात दिन लिए।"


"क्यों नहीं दीदी, जब एक पति को इतने दिन से संभालते आई हुँ तो दूसरे को भी संभाल लुंगी। वैसे दीदी, एक बात पूछूँ? क्या तुम अब भी औरतों की बुर देखती हो? मतलब गावँ की औरतें अपनी बुर का इलाज करवाने अब भी तुम्हारे पास आती है?"


"हाँ क्यों नहीं। लेकिन ज्यादतर शादी से पहले या बच्चा होने के बाद आती है। क्योंकि बुर को जानना तभी जरुरी होता है जब उसका उपयोग हो। अब एक क्ंवारी लड्की या शादीशुदा लड्की क्यों आयेगी अपनी बुर दिखाने? इसलिए जब किसी की शादी होती है तब वह आती है और वह पता कर लेती है उसकी चूत किस श्रेणी में आती है, इस तरह वह अपने बुर का उपयोग करती है। अब अगर एक दुध पीते बच्चे को तू मसालेदार सब्जी चावल खिलाने लग जायेगी तो उसका पेट खराब नहीं होगा क्या? इसी तरह एक जवान आदमी की भूक और बच्चे की भूक अलग होती है और दोनों की खुराक भी विभिन्न होती है।"


"तो दीदी तुम चूत देखने के बाद क्या निर्णय लेती हो? मतलब किस से पता करती हो इसकी बुर या चूत किस श्रेणी में आती है?"


"अरे यह एकदिन में नहीं होता। बरसों का तजुर्बा और ज्ञान हो तभी कोई देखने के बाद बता सकती है क्या है और क्या करना चाहिए? कभी कभी कुछ मर्द भी आता है, उसका और जिसके साथ उसका बियाह होना है दोनों का अंग देख के निर्णय लिया जाता है यह दोनों लिंग और योनि एक दूसरे के लिए उचित है या नहीं?"


"तो क्या सब का अंग एक दूसरे के लिए लायेक होता है?"


"हाँ होता है। वह इस लिए क्योंकि कामशास्त्र के अनुसार स्त्रियों के योनि ग्यारह प्रकार के होते हैं। जिन में पहला दुसरा तीसरा, यह जो तीन श्रेणी है आम औरतों की चूत इसी प्रकार में आ जाती हैं और मर्दों का भी। तो समस्या उतपन्न नहीं होता। उनका मिलन आरामदायक और मधुर होता है। समस्या होती है दसवीं और ग्यारहवीं श्रेणी की औरतों की चूत को लेकर।"


"एसा क्या है इस में की समस्या हो?"


"समस्या इस तरह होती है, मान ले एक औरत की चूत उस दसवीं श्रेणी के आधार पे है और जिस मर्द से इसका बियाह हुया है वह एक आम लिंग है। तो यह औरत कभी भी उस लिंग से खुश नहीं रहेगी। हमेशा उसकी जींदगी में एक खालीपन रहेगा। लेकिन अगर इसी औरत का बियाह एक नागपंचमी लिंगधारी मर्द से होता तो इसकी जिन्दगी खुशिओं से भर जाती।"


"दीदी मैं क्या कह रही थी, तुम भी अगर मेरा अंग एकबार देख लेती? समझ रही हो ना तुम?" राधा झिझकती हूई पूछती है।


"अरे पगली इस में शर्माने वाली कोई बात नहीं है। तुझे शायद पता नहीं तेरी सहेली कोमल भी अपनी शादी से बहुत पहले मुझे अपनी चूत दिखाकर गई थी। और उसका बेटा रामू भी मेरे पास आया था लिंग दिखाने। लेकिन मैं जवान लड़कों का लण्ड नहीं देखती पण्डितजी का मना है। इस लिए उसे देवा के पास भेज दिया। उसने देख के मुझे बता दिया किस श्रेणी का लिंग है, फिर मैं ने कोमल को बताया।"


"किस प्रकार की थी कोमल की बुर?" राधा उत्सुकता से पूछी।


"अरे एसी खास नहीं। तुझे बताया ना? ज्यादतर औरतों की बुर आम होती है और उसमें किसी भी प्रकार का लिंग चला जाता है। वह भी एसी है। तुझे अगर दिखाना है तो कमरे के अन्दर चल। अरे मिन्ती बेटी जरा अपने भाई को पकड़ना। मुझे जरा काम है।"

पार्वती चिल्लाके अपनी बड़ी बेटी मिन्ती को बुलाकर उसके गोद में बच्चा देती है और राधा को लेकर कमरे में आ जाती है। राधा ने साड़ी पेतिकोट ब्लाउज पहन रखी थी। वह लेट कर अपनी साड़ी और पेतिकोट कमर तक उठा लेती है जिस से वह नीचे से पुरी नंगी हो जाती है। पार्वती एक दिया जलाकर उसके चूत के पास आकर उसी पे नजरें टिका कर देखने लग जाती है।

राधा को बहुत शर्म आ रही थी। यूं तो वह कोमल के पास खुली है,दोनों एक साथ नंगे नहाते भी हैं। लेकिन पार्वती के सामने यूं नंगा होना उसके लिए काफी शर्म और लज्जा की बात थी। पर उसके दिल में अपनी चूत को लेकर एक उत्सुकता थी, जिसे वह जानना चाह रही थी।

"दीदी कुछ बताओ भी, क्या देख रहो इस तरह।?"


"बाल कब साफ किये तूने?" पार्वती चूत पे हाथ फेरती हूई पूछती है।


"आह दीदी क्या कर रही हो? पांच दिन हो गए।"


"एक बात पूछूँ सच सच बताना, तूने आज तक जब भी अपने पति से चुदवाया है, क्या तेरे दिल में हरबार की चुदाई के बाद क्या एसा नहीं लगता था, काश एकबार और चोद्ता? और थोडी देर तेज तेज ठपकी मारता?"


"हाँ दीदी, लगता तो हमेशा से था। लेकिन यह तो हर औरत चाहती है उसे बहुत अच्छी चुदाई मिले?"


"अरे पगली, नहीं? यह देख जरा, अपनी चूत को ध्यान से देख तेरी चूत का घेरा कितना बड़ा है। और यह छेद कितना लम्बा है। मानो जेसे तेरी नाभि से चूत शुरु हुई हो। और एक बात तेरे चूत के दाने के उपर एक बड़ा सा काला तिल है। यह साफ इशारे कर रहा है तेरी चूत 'महाघाटी' है। और एक महाघाटी चूत का लायक लण्ड सिर्फ एक नागपंचमी लौड़ा है। उसी लण्ड से तेरी प्यास बूझ सकती है। क्यौंकि तेरे चूत की गहराई यहां तक है,बिल्कुल नाभि तक। एक नागपंचमी लण्ड ही इतनी दूर चूत के अन्दर पहूँच सकता है। बिल्कुल बच्चेदानी के मुहं पर। जब तक बच्चेदानी के मुहाने पर लौड़े का सुपारा धक्का न मारे तब तक औरत को चुदाई सुख नहीं मिल सकता। और इसी लिए तू हमेशा उदास रहती है। क्यौंकि तेरे लायक जो लौड़ा है वह इस चूत में नहीं जा रहा। अब उठ जा। मुझे जो देखना था, मैं ने देख लिया।" राधा उठके बेठ जाती है।


"तो दीदी, अब क्या होगा?"


"देख मैं इतने दिनों से गावँ की औरतों की बुर देखती आ रही हूँ, और इतने दिनों में मुझे एसी चूत सिर्फ दो औरतों के पास मिली। एक तू और दुसरी हमारी शान्ती। शान्ती तो है ही रांड। कितनों से चुदवा चुकी है लेकिन उसकी प्यास कभी नहीं बुझी फिर जब एकदिन मैं ने प्रताप का लण्ड देखा, मैं ने शान्ती को कहा इसके अलावा किसी से भी चुदवा ले तू खुश नहीं रह पायेगी। और आज देख बेचारी खुद चुदाई से भागती फिरती है।"


"मेरा बताओ ना दीदी,क्या रघु को तुम्हारे पास भेजूं?"


"अरे सब्र रख, इतनी उतावली क्यों हो रही है। बताती हुँ। तेरे चूत की एक खास बात बताती हुँ, तेरी चूत से जो भी सन्तान पेदा होगा वह अगर लड़का हुया तो नागपंचमी होगा और अगर लड्की हूई तो महाघाटी होगी। हमारी शान्ती को ही देख ले। यह असल में खानदान और परिवार से आता है। तेरे माँ बाप एसे थे इस लिए तू भी एसी निकली। और तेरे बच्चे भी एसे निकले होंगे। आगे भी तेरे जितने बच्चे पेदा होंगे सब इसी तरह के होंगे। अगर यकीन ना आये तो रेखा की चूत भी देख लेना। मुझे पक्का बिश्वास है उसकी चूत के दाने के उपर तेरा जेसा तिल होंगा। और रघु का लण्ड भी भीमकाय होगा। क्योंकि तू ने उसे अपनी चूत से पेदा किया है। जो औरतें नागपंचमी होती हैं उनकी बहुत सारी खूबियाँ होती हैं। अभी सब कुछ मुझे याद नहीं।"


"दीदी, तुम जिस तरह से बता रही हो, मुझे समझ नहीं आ रहा है मुझे डरना चाहिए या खुश होना चाहिए?"


"अरी पगली यह तो सौभाग्य की बात है। डरने वाली क्यों होगी? पागल कहीं की?"


"अच्छा दीदी, मेरे बारे में तो बता दिया लेकिन तुम्हारी चूत किस प्रकार की है?"


"अच्छा, अब तुझे मेरे बारे में जानना है? चल बता देती हुँ, मेरी चूत आठवीं श्रेणी की है। इसे कहते हैं 'जननी' योनि। यानी की जो बुर बच्चे पेदा करते हुए थकती ना हो। अब समझी मैं इतने बच्चों की माँ केसे बन पाई हुँ। जिस तरह मेरी माहवारी चल रही है मैं आगे और बीस साल तक बच्चे पेदा कर सकती हुँ। और तुझे यह भी बता दूँ, महाघाटी योनि की एक बिशेष्ता यह भी है की वह बच्चे पेदा करते हुए फैलती नहीं। बच्चा निकालने के बाद तेरी चूत पहले जेसी फिर से सिकुड जायेगी। और इस प्रकार की औरतें काफी लम्बे समय तक सम्भोग कर सकती हैं। मेरी माँ बताया करती थी, एक साठ साल की महाघाटी औरत एक जवान लडके को चुदाई में मात दे सकती है। हाए मेरी राधा रानी तेरे दिन तो अब शुरु होने वाले हैं। तेरा नया पति जब तुझे चोदेगा तब तुझे एहसास होगा असली चुदाई किसी कहते हैं। समझी?"
Behad zaberdast
Shaandaar update bhai
 
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