• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

Which role you like to see

  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

    Votes: 21 6.9%

  • Total voters
    306
  • Poll closed .

sunoanuj

Well-Known Member
3,369
8,979
159
Bahut badhiya likh rahe ho … 👏🏻👏🏻
 

Lundwalebaba

Member
303
511
64
Update 15


फ्लेश बेक ।। राधा और कोमल अपने स्कूल के दिनों में।।

राधा अपने माँ बाप की एक लौती सन्तान थी। जहाँ कोमल उसकी पड़ोसी और बचपन की दोस्त थी। वह दोनो थिं भी एक ही उम्र की। स्कूल से घर आने के रास्ते शकुन्तला चाची के घर जाना उँ दौनों का रोज का रूटीन था। शकुन्तला चाची एक भारी भरकम शरीर की मालकिन थी। उन्के साथ उनकी बेटी शांति रहती थी। सुनने में आता है चाची और उनकी बेटी शांति दोनो बहुत चुदककर हैं। पेसे लेके लोगों से चूदवाया करती हैं। पर राधा और कोमल ने कभी उनको चूदवाते हुए देखा नहीं।

स्कूल से लौटते समय जब राधा और कोमल दौनों कूदती हुई उन्के घर मे पहन्च्ती है। तो शकुन्तला एक दम से खुश हो जाती है।

शकुन्तला चाची एक ब्लाऊज व पेतिकोट में थी। उन्के इस भारी गदराई बदन को देखना राधा कोमल के लिये रोजाना का काम था।

कोमल ने पूछा: चाची आप ने साड़ी क्यों नहीं पहनी?

शकुन्तला: अब यहां तुम्हारे सिवा कौन आनेवाला है बताओ। तुम बताओ तुम्हारा स्कूल केसा चल रहा है?

राधा: ठीक ही चल रहा है चाची। बस स्कूल के लडके हमेशा पीछे पड़े रहते है। आये दिन कोई ना कोई लव लेटर दे रहा है।

श्क्कू: अब इस उम्र तो यह आम बात है। मेरी उम्र में उस वक्त स्कूल तो थे नहीं। लेकिन फिर भी गावँ के सारे लडके मुझ पे लाईन मारते थे। और तो और तुम्हारी इस उम्र में आते आते मैं कई लड़कों से चुद भी गई थी।

कोमल: सच में चाची?

उन दौनों को अपने बिठाते हुए श्क्कू ने कहा: अब वह जमाना ही एसा था। आजकल भी हो रहा है। तुम्हें हर बात की खबर नहीं रहती। मेरे टाईम पे तो गावँ में जिस औरत को कोई झोपड़ी में अकेली मिले या खेतों में मिल जाये वहीं चोद लिया करते थे। लेकिन तुम दौनों एसा बिलकुल भी मत करना। तुम्हारी इस उम्र चुत में बहुत खाज होने लगती है। हमेशा मन करता होगा काश की चुत में कुछ घुस जाये। है ना!!

राधा: हाँ। दो साल पहले जब से मेरी माहवारी शुरु हुई है मेरा हमेशा मन करता है काश चुत में कुछ घुस जाये।

कोमल: हाँ चाची। मेरा भी। कभी कभी तो जी करता है की छोटी मूली या गाजर घुसा लूँ। लेकिन चुत काट जाने के डर से कर नहीं पाती।

श्क्कू: सुन मेरी बच्ची। एसा बिलकुल मत करना। औरत की चुत बनी है सिर्फ मर्द का लौडा लेने के लिए। उस में जायेगा तो सिर्फ किसी का लण्ड। तभी चुत को शांति मिलेगी।

राधा: तो उसके लिये ह्म्हें शादी तक इन्तज़ार करना पडेगा?

श्क्कू: हाय हाय मेरी बच्चियों। तुम तो अभी से चुत में लण्ड लेने के लिये बेचैन नजर आ रही हो। हर काम का एक टाईम होता है बिटिया। वैसे तुम चूदवा सकती हो। लेकिन चूदवाना सिर्फ उसी से जिसे तुम प्यार करती हो। समझी?

राधा: चाची यह बात याद रखुँगी। वैसे चाची माँ दवाई मंवाई थी।

श्क्कू: हाँ हाँ। तेरी माँ की दवाई तैयार है। शकुन्तला चाची अन्दर से दवाई ला कर राधा को देती है।

राधा दवाई देख कर पूछती है: चाची यह किस चीज की दवाई है। जो माँ आप से मंवाती है?

श्क्कू: यह चुदाई की दवाई है बेटी।

राधा: ओह। अब समझी।

श्क्कू: क्या समझी रे?

राधा: कुछ नहीं चाची। अब चलती हूँ। कल फिर आ जाऊंगी। दौनों घर की और चल देते हैं।

श्क्कू चाची के घर निकलने बाद दौनों बात चीत करते हुए आ रही थीं कि स्कूल के दो लडके ने उनका रास्ता रोक लिया। यह दौनों राकेश और कमल थे। जो उनसे उपर क्लास में पढते थे। यह दोनो काफी टाईम से इन सहेलियों के पीछे पड़े हुए हैं।

राधा और कोमल उन के पास आ कर बोलती हैं: यहां किस लिये हो तुम दौनों? हम ने तो पहले ही मना कर दिया है ना!

कमल थोड़ा जिद्दी किस्म का लड़का था। उसने कोमल का हाथ पकड़ लिया: देखो। जब तक तुम दौनों राजी नहीं होती हम इसी तरह तुम्हारा इन्तज़ार करेंगें। वैसे भी अगले महीना पूजा है ह्म्हें उम्मीद है तुम दोनो उस से पहले राजी हो जाओगी!

राधा: तुम दौनों तो बहुत बदमाश हो। माना स्कूल में हमारी दोस्ती है। इसका मतलब यह तो नहीं कि हम तुम्हारे से यह गन्दा काम करने को राजी हो जायेंगें?

राकेश उस से नजरें मिला कर बोलता है: राधा अब तुम इन्कार नहीं कर सकती हो की तुम मुझ से प्यार नहीं करती। अपने दिल पे हाथ रखकर बोलो की यह झुट है।

राधा उस से कुछ बोलती नहीं। कमल कहता है: अब जब हम एक दूसरे को प्यार करते हैं तो फिर एकबार मजे करने में क्या जाता है?

कोमल: देखो कमल अब ह्म्हें इस बारे में बात नहीं करनी। चल राधा। कल स्कूल में आ के हम इसका जवाब देंगें। दौनों घर की तरफ चलने लगती हैं। और पीछे से राकेश उंची आवाज में कहता है: राधा तुम जो भी बोलो। तुम्हारा दिल भी यही कहता है। अगर अग्ले महीने से पहले तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया तो मैं दोबारा तुम्हारे रास्ते नहीं आऊँगा।

इस पर कमल भी बोलता है: और मैं भी कोमल। सोच लेना।

दौनों सहेली पीछे मुड़कर एक बार उन्हें देखती हैं। और मुहं बनाकर चल देती है।

राधा का मन बहुत बेचैन था। सिर्फ वह नहीं कोमल भी परेशान थी। दौनों के दिलों में कशमकश चल रही थी। यूँ तो वह अभी कुंवारी थी। आज तक उँ होनें अपनी चुत में एक एक पेन तक नहीं घुसाया। अब अचानक से इस उम्र में चुत लण्ड का खेल खेलना उन के लिये कितना सही था या गलत उसी विचार में वह लगी थी। गावँ में और भी जो लड़कियाँ हैं वह उन पर हंसी मजाक करती रहती हैं। गीता उन की क्लास में पडती है। एक दिन उस ने कहा "शादी के बाद तो सब को आखिर चुदना ही है। मजा तो शादी से पहले चुद्ने में है।"

कई बार राधा और कोमल ने सोचा भी कि चुदवा ही लेती हुँ। पर जब एकान्त में वह अपनी छोटी सी बालों में भरी प्यारी चुत को देखती हैं तो मन में साहस नहीं आता। वह सोचती हैं इतनी जगह में एक मोटा सा लौडा केसे जा सकता है। उन की क्लास की जो लड़कियाँ किसी ना किसी से चुदी हैं वह कहती तो हैं के " बड़ा मजा आता है। एसा लगता है के हमेशा चुत में किसी ना किसी का लौडा घुसा रहे।"
और जब किसी से चूदवाने की बात सुनती हैं तो उनकी चुत में पानी भर जाता है। शकुन्तला चाची कहती हैं"बेटी तेरी चुत जो पानी छोड़ रही है, इसका मतलब है तेरी चुत अब किसी का भी लौडा लेने के लिए तैयार है। लेकिन पहली बार में ही किसी का बड़ा सारा लण्ड मत घुसा लेना।"

फिर इन्ही सोच व विचार में देखते देखते पूजा का मौसम आ गया। उधर राकेश और कमलनाथ उनको रोज किसी ना किसी बहाने से चुदवाने के लिए मना रहे थे। और राधा व कोमल उन्हें और समय मांग के उनसे भाग जाती रहती। लेकिन आखिरकार एक दिन मौका पा कर राकेश और कोमल ने उनको पकड़ लिया। और शकुन्तला चाची की मदद से उन की झोपड़ी के एक कमरे राधा और कोमल की चुत उन्के लौड़े से फट गई। और मजे का यह खेल चलता ही गया।

वैसे शकुन्तला चाची ने उन्हें मना भी किया था। की ईसकी लत लगानी सही नहीं है। लेकिन कोमल और राधा अब मजा आ चुका था। और राकेश व कमल भी अपना पुरा फायदा उठाने में ब्यस्त थे।

और इसी चुत लौडा लेने देने के खेल में शकुन्तला चाची अब राधा कोमल के सामने खुल चुकी थी। वह थी तो बिधवा लेकिन लौडा लेने में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकती। लेकिन सब ज्यादा उन्के घर में राधा कोमल अपने ही स्कूल के बड़े बड़े लड़कों को देखती थी। जिनसे वह पेसे लेके चुदवाया करती थी। और उनकी बेटी शांति कभी घर में तो कभी बाहर किसी से चूदवाने चली जाया करती थी। राधा कोमल को कभी कभी बड़ा अजीब लगता था की चाची अपने से कितने कम उम्रोंं के लड़कों से चूदवाया करती हैं। आखिर एकदिन राधा ने पुछ लिया: चाची आप इन लड़कों से क्यों चूदवाती हो? क्या आप के पास बड़े उम्र के आदमी नहीं आते?
चाची ने उन्हें जवाब दिया था यह बोलके के: बेटी अभी तुम्हारी उम्र कम है। तुम्हें इस बात की सूझ बूझ नहीं है। जब तुम बड़ी हो जाओगी तो मालुम हो जायेगा की केसे मर्दों से चूदवाने में मजा ज्यादा आता है।"

राधा व कोमल ने पूछा था " आप बताओ ना। हमें भी मालुम हो जायेगा। फिर हम भी चुदाई का पुरा मजा लेंगें।"

शकुन्तला चाची उनकी मासूमियत देख के हंस के कहा: देख राधा! औरतों को अच्छी चुदाई तभी मिलती है जब कोई आदमी कोई चोदनेवाला उसे जी जान से चाहता हो। अब मेरे जैसी औरत को कोई मेरे जैसा मर्द काबू नहीं कर सकता। क्यौंकि उसका पानी जल्द गिर जायेगा। अगर जल्द ना भी गिरे तो एक बार से ज्यादा वह चोद नहीं पायेगा।"

राधा: क्यों चाची। एसा क्यों है?

श्क्कू चाची: वह इस लिये क्यौंकि बड़े उम्र के आदमी कम उम्र जैसे तुम जैसी लडकियों को चोदने के शौक़ीन होते हैं। और लौंडे हम जैसी भारी भरकम शरीर की मालकिन के पीछे लगे रहते हैं। इस लिये जब कोई लौंडा मुझे चोदने आता है मुझे ताबड तोड चुदाई मिलती है। वह एक के बाद एक मेरी चुत की चुदाई करता ही चला जाता है। क्यों की हमारी चुत चुदाई करते करते खुल चुकी हैं तो हम को इसी तरह की चुदाई चाहिये होता है। जब तुम भी बड़ी हो जाओगी तो मेरा यह कहा मिला के देखना। किसी लडके से चूदवाके देखना फिर तुम्हें पता चलेगा तुम्हारी यह चाची क्यों लौंडों से चूदवाती है।

चाची की कही वह सारी बात राधा के दिमाग में अभी भी है। और अपने आने वाले सुनहरे पल के बारे में सोच कर वह खुद में ही उत्तेजित हो जाती है। और जाने अनजाने में राधा की चुत गीली होने लगती है।
मुझे भी अपनी चाची को चोदना है,साली बड़ी गदरायी माल है।
 

Mass

Well-Known Member
9,036
18,770
189
I was so busy bhai. Hope you guys understand it. Hope update will be posted tomorrow. Thnaks.
Hope you can post the update today..thanks.
 

Babulaskar

Active Member
753
4,585
139
Update 37


रघु अपना काम निपटाके जब घर आया देखा घर पे रेखा नहीं है। अपनी माँ राधा को जब आवाज लगाई तो राधा ने बाथरूम से जवाब दिया "मैं नहा रही हूँ रघु!" अपनी माँ को नहाता सुनकर रघु को शैतानी सूजी वह अपनी माँ के कमरे में आ गया। और बाहर से ही आवाज लगाकर बोला "कहो तो मैं भी आ जाऊँ तुम्हारे साथ नहाने के लिए?"

राधा अन्दर से जवाब दिया,"जी नहीं जनाब। तुम बाहर ही रहो। एसा सोचना भी मत। माँ हूँ तुम्हारी। बीबी नहीं।"

"तो क्या हुआ? कल परसो तक तो बन जाओगी ना मेरी बीबी? फिर एक साथ नहाने में क्या दिक्कत है? वैसे क्या एक बेटा अपनी माँ के साथ नहा नहीं सकता?"

राधा जो अन्दर नंगी थी अब अपने शरीर पे साबुन लगा थी। अपने शरीर पे साबुन लगाते हुए बोलती है,"जब तेरी बीबी बनूँगी तब नहा लेना मेरे साथ बदमाश कहीं का! लेकिन अभी तू मेरा बेटा है और एक जवान लड़का कभी भी अपनी माँ के साथ अकेले में नंगा होकर नहीं नहाता।"


"तो क्या माँ तुम अन्दर अभी बिल्कुल नंगी हो?" रघु अंजान बनता हुया पूछा।


"और नहीं तो क्या? कपड़े पहनके कोई नहा सकता है क्या?" राधा शर्माती हुई जवाब देती है।


"ओह वोह! काश मैं भी तुम्हारे साथ नहा सकता। माँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी पीठ पे साबुन लगा सकता हूँ? तो क्या मैं आ जाऊँ?"


"चल बदमाश। मुझे नहीं लगाना साबुन।" राधा कहके चुप हो गई। कुछ देर बाद राधा ने कहा,"रघु जरा पलंग पे देखना मेरे कपड़े रखे होंगे, वह मुझे देना जरा।"


"वह यह कपड़े? लेकिन तुम अन्दर क्यों नहीं लेके गईं?"


"मुझे कहीं पता था? की तू अभी आ जायेगा? नहीं तो मैं तौलिया लपेटे ही बाहर आ जाती। तू वह कपड़े मुझे दे दे।"


"अच्छा यह लो। दरवाज़ा खोलो।" रघु कपडे हाथ में लिए दरवाजा के कुछ दूर जाके खडा हो गया। राधा बाथरूम का दरवाजा जरा सा खोल के अन्दर से ही हाथ बाहर निकाल के कहती है,"कहाँ? दे कपड़े?"

"थोड़ा सा और बाहर तो आ जाओ! नहीं तो दूँगा केसे?"

"अरे मैं इस तरह नहीं आ सकती? मैं पुरी नंगी हुँ अभी। दे ना मुझे?"


"अच्छा चलो एक बार दरवाजा पुरी तरह से खोल दो, फिर मैं कपड़े दे दूँगा।"


"आह तू न बड़ा तंग करता है? देख मैं किस तरह अभी आ सकती हूँ? मैं क्या अब तेरे सामने नंगी ही आ जाऊँ? मुझे नहीं आना बाहर। ना ही तुझे देखने दूँगी।"


"अच्छा बाबा ले लो! लेकिन जब मेरा दिन आयेगा तब देखना तुम्हारी हालत किस तरह ढीली करता हुँ। उस दिन न तुम्हें कपडा मिलेगा और न ही तौलिया। देख लेना!"


"बड़ा आया मेरा राजा! मैं भी देख लुंगी।" राधा उसके हाथ से कपड़े लेके दरवाजा बन्द कर देती है।
 

Babulaskar

Active Member
753
4,585
139
Update 38

रेखा अपनी सहेली शीतल के पास से शाम को घर आती है। राधा शाम का खाना बना रही थी और रघु रामू के घर गया हुआ था। रेखा को देख कर राधा पूछती है," आ गई महारानी? आज रुक जाती अपनी सहेली के पास?"

"केसे रुक जाती मेरी माँ? तुम्हें पता तो है शीतल अब शादीशुदा है। अगर मैं उसके पास रहूँगी तो क्या वह मेरे साथ सो सकती है? वह तो अपने नए पति के साथ सोयेगी।"

"तो क्या हुआ? फिर तू भी सो जाती अपनी दोस्त के पास। तीनों एक साथ रहते।" राधा मजाक करती है।

"अच्छा? फिर अगर रात को शीतल का पति उसकी जगह मुझ चड जाता तब क्या होता बताओ?"


"होना क्या है, फिर मेरी बेटी की बुर भी शीतल की तरह फट जाती। उसे भी उसके दोस्त की तरह चुदाई मिल जाती।"


"तुम भी ना माँ, बहुत वह हो। मुझे नहीं चुदवाना किसी से। अगर तुम्हारी इच्छा है चुदाई करवाने की तो तुम करवा लेना। वैसे भी एक गधा तो मरा जा रहा है अपना मुसल लण्ड तुम्हारी बुर में घुसाने को, हो सके तो उसका लौड़ा अपनी चूत में घुसा लो। लेकिन देख ना कहीं तुम्हारी चूत उसके लण्ड से छील ना जाये।" कहते हुए रेखा खिलखिलाती हँसती है।


"रुक तू जरा, मेरी चूत के बारे में बात करती है? कहीं तेरी तरह मेरी चूत नाजुक है? की लौड़े से छील जाये? याद रखना इसी चूत के सुराख से तुम दोनों भाई बहन निकले हो। तो भला मेरी चूत क्यों छीलने लगेगी बता? चूत तो तेरी खुलेगी देख लेना। और खून भी निकलेगा। बड़ी आई मुझे बताने?"


"अरे माँ, खून तो निकलता ही है जब पहली बार चूत में कुछ घुसता है। तुम्हारा भी निकला था कोमल मौसी का भी और शीतल ने जब पहले दिन चुदवाया उसका भी खून निकला। हाँ यह बात अलग है की तुम ने और मौसी ने शादी से पहले चुदवा लिया था, इसलिये सुहागरात में तुम्हारी चूत से खून नहीं निकला होगा। और तुम्हें जो अपनी चूत पे इतनी घमंड है ना? मेरी बात याद रखना तुम्हारी इस बुर की घमंड तुम्हारा लाड्ला बेटा तोड देगा। फिर शायद खून भी निकल सकता है। क्या पता?"


"अरे पगली खून नहीं निकलता है। बात को जरा समझ, एक बार अगर चूत की फांके खुल गई तो जिन्दगी भर बुर चुदवाने में मजा आने लगता है। फिर दर्द नहीं होता समझी? इस लिए मेरी छोड़ और अपनी सोच।" राधा नखरे दिखाती है।


"हाँ हाँ माना मैं ने अभी तक चुदवाया नहीं लेकिन इतना मुझे भी पता है। लेकिन माँ मुझे तुम यह बताओ, बापू का साईज केसा है? क्या इस खीरे जेसा होगा?"


"हाँ इतना बड़ा तो होगा। लेकिन इतना मोटा नहीं है। लेकिन तू क्यों पूछ रही है?" राधा थोडी झिझकती हूई बताती है।


"माँ तुम भी कितनी भोली हो। अब जिस बुर में इतने सालों तक इस साईज का लण्ड जाता रहा है उसी बुर में अगर इससे दोगुना लौड़ा लेने लगोगी, बताओ जरा दर्द होगा नहीं क्या? और बार बार यह मत कहा करो इस चूत से तुम ने दो बच्चे निकाल दिये, बच्चा निकाले हुए बीस बरस से ज्यादा हो गया है। तो क्या अब भी तुम्हारी चूत खुली की खुली है? है नहीं ना? वह फिर सिकुड गई है। जेसी शादी से पहले थी। समझी मेरी माँ? इस लिए मेरी बात मिला कर देख लेना मेरी प्यारी भाभी, तुम्हारी चूत की फांके मेरा अपने मुसल लौड़े से पुरी तरह खोल देगा।"


"भाभी की बच्ची रुक जरा बताती हुँ। मुझे छेड़ के बहुत मजा आता है ना तुझे? मेरी चूत के पीछे पडी है, अपनी सील तो अभी तक तुड़वा नहीं पाई, आ गई मुझे ज्ञान देने? जब मेरी चूत फटेगी मैं खुद संभाल लुंगी। तुझे फिक्र करने की जरुरत नहीं है।"


"अच्छा बाबा जाती हूँ। तुम काम करो। लेकिन जाने से पहले एक बात और कहना चाहूंगी। तुम शादी से पहले अपनी उस नाजुक चूत पे हल्दी चंदन जरुर मल लेना। ताकी तुम्हारी चूत गधे का लौड़ा सह सके।" रेखा हँसती हुई भाग जाती है।


'पागल लड्की, क्या कहती है खुद को ही पता नहीं' राधा अपने मन में गुनगुनाती है। 'आखिर इस की शादी भी जल्दी करवानी पड़ेगी। अच्छा होता अगर राकेश घर पे होता। एक दो दिन में इन दोनों की शादी करवाके शहर भेज देती। उधर राकेश भी पता नहीं क्यों तीन चार दिन से फोन भी नहीं कर रहा है। शायद कम्पनी के काम में उलझ गया होगा। मुनिबजी भी अभी तक आये नहीं। जमीन जायदाद के कागजात बनवाने दिया था मुनिबजी को। शायद आज ना आ पाये। कल को ही आ सकेंगें। मुनिबजी को कहके पच्चीस बीघा जमीन रघु के नाम पे और दस बीघा जमीन रेखा के नाम कर दूँगी। और रही बात कम्पनी की तो कम्पनी रघु के नाम होगी। हर महीना वहां से कुछ पेसा रेखा को दिया जा सके इसका बन्दोबस्त करना पडेगा।'

राधा अपने मन में यह सब सोच रही थी।
 

Babulaskar

Active Member
753
4,585
139
Update 39

"घर पे कोई हैएए ?" कोमल के घर के दरवाजे पे बाहर से दो महिलाएँ आवाज लगा रही थी।


"कौन है?" कोमल ने जवाब दिया। कोमल ने आज एक नई बियाही बहु की तरह लाल साड़ी पहन रखी थी। उसकी माँग पे सिन्दूर और गले के मंगलसूत्र से वह पुरी तरह से नई बियाही बहु की तरह लग रही थी। दरवाज़ा खोलके देखती है सामने पार्वती दीदी और शान्ती दीदी खडी हैं।


"अरे दीदी! तुम दोनो? कितनी खुशी की बात है। आओ ना अन्दर आ जाओ।" कोमल उनका स्वागत करती है।

"तेरा पति कहाँ है रे कोमल?" पार्वती पूछती है।

"घर पे ही है दीदी। तुम बेठो ना! अजी सुनते हो, देखो कौन आया है?" कोमल आवाज लगाती है।

कोमल की बात से शान्ती और पार्वती मांद मांद मुस्कुराने लगती है।

रामू कमरे में आ कर दोनों को प्रणाम करता है। "जीते रहो बेटे। सदा खुश रहो।"

"अजी थोड़ा नाशता का सामान ला दीजिये।" कोमल रामू से कहती है।

"अरे नहीं नहीं। इसकी कोई जरुरत नहीं है। हम तो तेरे से मिलने आये थे। सोचा पहले तेरे से मिल लूँ फिर राधा से मिल लेंगें।"

"कोई बात नहीं दीदी, तुम दोनों बेठो तो सही। अजी आप जाओ ना जल्दी।" कोमल जोर देकर कहती है।

"हाँ हाँ जाता हुँ।" कहकर रामू भागने लगता है।


"और बताओ दीदी, सब केसे हैं? मैं तो सोच रही कल परसो मन्दिर जाके तुम से मिलके आऊँगी। और शान्ती दीदी, तुम्हें कितने दिन के बाद देखा? श्क्कू चाची ठीक तो है ना?"


"हाँ सब ठीक है , मैं तो अब शहर में रहने लगी हूँ। इसी लिए इधर ज्यादा आना नहीं होता। अब माँ को भी लेने आई हूँ, मैं मन्दिर गई हूई थी। वहां दीदी से पता चला तेरी शादी हूई है। सोचा तेरे से मिलती चलूँ। इस लिए दीदी को भी साथ ले आई।"


"अच्छा किया दीदी, और पार्वती दीदी, पंडित जी और बच्चे सब कुशल मंगल से है?"

"हाँ हम सब कुशल मंगल से हैं। हमारी छोड़ अपनी बता, तेरा पति प्यार तो करता है ना तुझे?"


"हाँ दीदी, बड़ा प्यार करता है मुझे। मैं बहुत खुश हूँ।"


"हाँ वह तो दिख रहा है तेरे चहरे पे। जिस तरह तू उसे बुला रही थी। जवान लड़कों की बात ही कुछ अलग है। उनकी ताबडतोड चुदाई से प्यार हो ही जाता है।"


"दीदी तुम ना, वैसी बात नहीं है।"


"तो तेरा पति तुझे चोदता नहीं है क्या?"


"क्या दीदी, कहीं छोड़ देता है क्या? कल रात सुहागरात थी मेरी। पुरी रात में लगातार तीन बार पेला है मुझे। फिर सुबह एक बार,और तुम्हारे आने पहले चुदाई में ही लगी थी। अच्छा हुआ तुम दोनों अब आई, नहीं तो थोडी देर पहले आती तो मैं शर्म से मर ही जाती। चोद्ता नहीं मानो हल चला रहा हो।" कोमल की बातों पे पार्वती और शान्ती हंसती रहती है।

"होता है, शादी के बाद शुरु शुरु में रात दिन चुदाई खाने में ही निकल जाता है। इस शान्ती से ही पुछ ले, उसका पति उसका क्या हाल करता है? जब इसकी शादी हूई थी यह हर दूसरे तीसरे दिन मेरे पास आया करती थी, इसका बेटा प्रताप तब उन्नीस साल का गबरू जवान था। और यह उस समय तेंतीस साल की थी। तुझे और राधा को तो पता है शान्ती बहुत पहले ही पेट से हो गई थी। प्रताप और शान्ती की जिन दिन शादी हूई उस रात सुहागरात में प्रताप ने शान्ती को सात बार चोदा। और सुबह होने के बाद भी बेचारी को छोड़ा नहीं। यूं चुदाई करते करते दो पहर का वक्त हो गया। तब जाके इसे मुक्ति मिली। शाम को शान्ती मेरे पास लंगडाती हूई आई। बेचारी को पुरे आधे दिन तक एसा चोदा मानो जेसे एक रंडी को दस आदमी मिलके चोद रहे हो। फिर शान्ती ने जब अपनी चूत दिखाई मुझे इस पे बहुत तरस आया। एसी चुदाई करना किसी के बस में नहीं था और शान्ती ने जिस तरह प्रताप का लण्ड झेला था, उसकी जगह अगर कोई और होती तो शायद मर ही जाती। फिर मैं ने इसकी बुर पे आग से सेक लगाई, हल्दी चंदन पीस के बुर पे लेप लगाया, तब जाके बेचारी को कुछ आराम हुआ। इस लिए मैं तो कहती हूँ तू शुक्र मना तुझे प्रताप जेसा पति नहीं मिला। अगर मिला होता तब पता चलता।"

"अरे दीदी वह तो बताओ। जब उसने लगातार तीन घन्टा चुदाई की थी?" शान्ती शर्माती हुई बोली।


"हाँ दीदी बताओ ना? तीन घन्टा लगातार चुदाई? भला कोई किसी को इस तरह पेल सकता है क्या? वैसे दीदी शान्ती दीदी को हम स्कुल के समय से जानते हैं। शुरु से ही शान्ती दीदी की बुर में बहुत आग थी। इसी लिए यह तो चुदाई करती हुई थकती नहीं थी। लेकिन तुम बताओ दीदी, क्या हुया था?"


"अच्छा सुन, मैं ने फिर उस दिन इसकी चूत पे लेप लगाके शान्ती को घर भेज दिया और प्रताप को मेरे पास भेजने को कहा। जब प्रताप मेरे से मिलने आया मैं ने उसे खूब खडी खोटी सुनाई। कहा,:तू पागल है क्या? जो शान्ती को इतनी बुरी तरह से चोद दिया? वह कहीं भागी नहीं जा रही है? तेरी बीबी है वह। अब पुरी जिन्दगी तो तेरे साथ रहेगी। शान्ती को अब से शान्ती से चोद्ना।: मेरी बात पे बेचारा बड़ा शर्मा गया। बोला,:मौसी गलती हो गई है। अब से नहीं होगा। असल में बचपन से माँ को पाने की इच्छा थी। लेकिन वह मेरे सामने ही हर दूसरे दिन पराये मर्दों से चुदवाया करती थी। इस लिए जब वह मेरी पत्नी बनी मेरे से रहा नहीं गया। सोचा क्या पता कल को फिर किसी को घर पे बुला ले। इस लिए जोश में एसा कर बेठा।: फिर मैं ने बोला,:अच्छा ठीक है। लेकिन अब दो दिन तक शान्ती से चुदाई मत करना। उसकी चूत पे सूजन है। पहले उसे ठीक हो जाने दे।: मेरी बातों से तो बेचारा प्रताप सकपका गया। कहा,:लेकिन मौसी मैं रहूँगा केसे दो दिन तक?: मैं ने बोला,: वह मुझे नहीं पता। बस दो दिन बर्दाश्त कर ले। यह दो दिन शान्ती तेरा बीर्य निकाल देगी। लेकिन चुदाई बिल्कुल नहीं। अगर गलती से भी उसकी चूत में तूने लौड़ा घुसाया तो वह बीमार हो जायेगी। इस लिए दो दिन बर्दाश्त कर ले फिर बाद में जी भर के चोद लेना। समझा कुछ?:

फिर क्या था। प्रताप ने दो दिन बर्दाश्त तो कर लिया लेकिन शान्ती के उपर उससे भी बड़ी आफत तैयार थी यह उसे नहीं पता था। और तीसरे दिन प्रताप ने जब शान्ती की चुदाई की बेचारी की चूत बिल्कुल ढीली कर दी। दो दिन तक उसने अपना बीर्य नहीं निकाला था। इस लिए जब तीसरे दिन शान्ती ने उसके आगे अपनी टाँगें पसर दी तो उसने शान्ती की चूत की खटिया खड़ी कर दी। लगातार तीन घन्टे तक ताबडतोड चोदा इसे। तीन घन्टे की चुदाई के बाद जब प्रताप अपना बीर्य इसकी बुर में गेरा तब शान्ती को होश नहीं था। बेचारी को एक घन्टे के बाद होश आया। अब समझी? इस र्ंडी ने अपने पेट से एक चूतखोर को जनम दिया है। अच्छा हुया उसकी प्यास यही बुझा रही है, इसकी जगह अगर कोई दुसरी औरत होती पता नहीं क्या से क्या हो जाता।" पार्वती कहके चुप हो गई।


इसी बीच रामू पास के दुकान से नाश्ते का सामान ला चुका था। कोमल ने उन्हें नाशता करवाया और फिर कोमल को साथ लेकर वह दोनों राधा से मिलने आ गई।

राधा कोमल के साथ जब पार्वती दीदी और शान्ती को देखा तो उछल पडी। "अरे दीदी, इतने दिनों बाद आखिर इस गरीब के घर आना हुया"


"गुस्सा मत कर राधा, तुझे तो पता है घर का काम काज संभालने में सारा समय निकल जाता है। अगर तेरे घर में छोटे छोटे बच्चे होते तब समझती? अब मेरे से गिला छोड़ और इसका भी जरा हालचाल पूछ ले, तुम दोनों से ही मिलने आई है बेचारी शहर से?" पार्वती राधा को कहती है।


"हाँ क्यों नहीं? आखिर हमारा रिश्ता तो बहुत पुराना है। और शान्ती दीदी, श्क्कू चाची ठीक है ना?"


"बड़ी आई पूछने वाली? एकबार देखने तो जाती नहीं? केसी है? कहाँ है?"


"बस दीदी, समय नहीं निकलता। अब बेठो तो सही।"


"देख हम कोमल के घर से नाशता पानी करके आये हैं। बस तेरे से मिलने आई थी।"


"कोई बात नहीं दीदी, तुम बेठो। और शान्ती दीदी, पति बच्चे सब केसे हैं?"


"सब ठीक से है। बड़ावाला बच्चा पांच साल का हो गया है और छोटा वाला तीन साल का।" शान्ती कहती है।


"और तो बता?" पार्वती शान्ती को बोलती है।


"और क्या बताऊँ दीदी?" शान्ती अंजान बनने का नाटक करती है।


"मैं बताऊँ? अरे इस के पेट में अभी दो महीना का बच्चा पल रहा है। बेचारी फिर से गर्भवती हो गई है।" कहके पार्वती हंस देती है जहाँ शान्ती लज्जित हो जाती है।

"दीदी, यह तो खुशी की बात है। मतलब प्रताप भाई ने पुरी मेहनत कर रखी है।" कोमल शान्ती को छेड़ती है।

"अब इस उम्र में कहाँ आजकल की औरतों को बच्चा करना आता है। इस लिए जितनी जल्दी हो सके कोख भर लेना चाहिए। कोमल तू भी ज्यादा लेट मत करना। अगर दवाई वग़ैरह खाती रहेगी फिर बाद में चल के बच्चा ठहरता मुष्किल हो जायेगा।" पार्वती ने कहा।


"दीदी तुम इसकी चिंता न करो। यह तो हम से भी ज्यादा चालू है। इस ने तो सुहागरात से अपनी बुर में बीर्य लेना शुरु कर दिया है। क्या पता अगले महीने में खुश खबरी मिल जाये।" राधा कोमल को चिडाती है।


"चल मैं ने तो शुरु कर दिया। लेकिन तू कब से बुर में बीर्य लेना चालू करेगी?" अब कोमल की बारि थी। राधा इस बात पे शर्मा जाती है। वह कुछ बोल नहीं पाती।


"हाँ राधा, आखिर तुझे भी शादी कर लेनी चाहिए थी। मैं ने सोचा था शायद तेरी और कोमल की एक ही मंडप पे बियाह होगा। लेकिन कोमल ने तेरे से पहले बाजी मार ली। जरा हमें भी बता तेरे मन में क्या चल रहा है? कब का इरादा है तेरा बियाह करने का?" पार्वती ने कहा।


"बस दीदी, समझ लो सब कुछ तैयार है, बस दो चार दिन में तुम्हारे पास निमन्त्रण पहूँच जायेगा।" राधा लज्जाती हुई बोली।


"फिर तो ठीक है। अगर एक हफ्ते की बात है फिर शान्ती भी तेरी शादी देख सकेगी। वैसे अब तो गावँ भी इसका कम आना होता है।"


"हाँ क्यों नहीं। यह भी कोई पूछने की बात है। मैं ने सोचा है मेरी शादी में मैं सिर्फ अपनी सारी सहेलियों को निमन्त्रण दूँगी। शादी में सिर्फ औरतें ही आईन्गीँ। कोई मर्द नहीं रहेगा।"


"वाह यह तो बहुत अच्छी बात है। औरतों की मान मर्यादा कोई तुझ से सीखे। अच्छा अब हम चलते हैं काफी रात हो गई है। पंडितजी शायद मेरी खोज कर रहे होंगें।"


"क्या दीदी अभी आई हो अभी चली जाओगी?"


"अभी नहीं फिर कभी दिन में आ जाऊंगी। तू एक काम करना, कल समय निकाल के मन्दिर आना। शान्ती भी रहेगी। उसे जरा तेरे से काम है।"


"अभी बताओ ना दीदी? क्या बात है?"


"नहीं एसी कोई खास बात नहीं है। मन्दिर आना कल जरुर।" बोलके पार्वती और शान्ती चली जाती हैं।
 

Mass

Well-Known Member
9,036
18,770
189
Wonderful story bhai..fully erotic..hence i really like your story and keep following it (& request you to update).
Thanks a lot!! look forward to the next update jab bhi aapko time milega. Thanks.
 
  • Like
Reactions: Naik and Babulaskar

Lib am

Well-Known Member
3,257
11,274
143
Update 39

"घर पे कोई हैएए ?" कोमल के घर के दरवाजे पे बाहर से दो महिलाएँ आवाज लगा रही थी।


"कौन है?" कोमल ने जवाब दिया। कोमल ने आज एक नई बियाही बहु की तरह लाल साड़ी पहन रखी थी। उसकी माँग पे सिन्दूर और गले के मंगलसूत्र से वह पुरी तरह से नई बियाही बहु की तरह लग रही थी। दरवाज़ा खोलके देखती है सामने पार्वती दीदी और शान्ती दीदी खडी हैं।


"अरे दीदी! तुम दोनो? कितनी खुशी की बात है। आओ ना अन्दर आ जाओ।" कोमल उनका स्वागत करती है।

"तेरा पति कहाँ है रे कोमल?" पार्वती पूछती है।

"घर पे ही है दीदी। तुम बेठो ना! अजी सुनते हो, देखो कौन आया है?" कोमल आवाज लगाती है।

कोमल की बात से शान्ती और पार्वती मांद मांद मुस्कुराने लगती है।

रामू कमरे में आ कर दोनों को प्रणाम करता है। "जीते रहो बेटे। सदा खुश रहो।"

"अजी थोड़ा नाशता का सामान ला दीजिये।" कोमल रामू से कहती है।

"अरे नहीं नहीं। इसकी कोई जरुरत नहीं है। हम तो तेरे से मिलने आये थे। सोचा पहले तेरे से मिल लूँ फिर राधा से मिल लेंगें।"

"कोई बात नहीं दीदी, तुम दोनों बेठो तो सही। अजी आप जाओ ना जल्दी।" कोमल जोर देकर कहती है।

"हाँ हाँ जाता हुँ।" कहकर रामू भागने लगता है।


"और बताओ दीदी, सब केसे हैं? मैं तो सोच रही कल परसो मन्दिर जाके तुम से मिलके आऊँगी। और शान्ती दीदी, तुम्हें कितने दिन के बाद देखा? श्क्कू चाची ठीक तो है ना?"


"हाँ सब ठीक है , मैं तो अब शहर में रहने लगी हूँ। इसी लिए इधर ज्यादा आना नहीं होता। अब माँ को भी लेने आई हूँ, मैं मन्दिर गई हूई थी। वहां दीदी से पता चला तेरी शादी हूई है। सोचा तेरे से मिलती चलूँ। इस लिए दीदी को भी साथ ले आई।"


"अच्छा किया दीदी, और पार्वती दीदी, पंडित जी और बच्चे सब कुशल मंगल से है?"

"हाँ हम सब कुशल मंगल से हैं। हमारी छोड़ अपनी बता, तेरा पति प्यार तो करता है ना तुझे?"


"हाँ दीदी, बड़ा प्यार करता है मुझे। मैं बहुत खुश हूँ।"


"हाँ वह तो दिख रहा है तेरे चहरे पे। जिस तरह तू उसे बुला रही थी। जवान लड़कों की बात ही कुछ अलग है। उनकी ताबडतोड चुदाई से प्यार हो ही जाता है।"


"दीदी तुम ना, वैसी बात नहीं है।"


"तो तेरा पति तुझे चोदता नहीं है क्या?"


"क्या दीदी, कहीं छोड़ देता है क्या? कल रात सुहागरात थी मेरी। पुरी रात में लगातार तीन बार पेला है मुझे। फिर सुबह एक बार,और तुम्हारे आने पहले चुदाई में ही लगी थी। अच्छा हुआ तुम दोनों अब आई, नहीं तो थोडी देर पहले आती तो मैं शर्म से मर ही जाती। चोद्ता नहीं मानो हल चला रहा हो।" कोमल की बातों पे पार्वती और शान्ती हंसती रहती है।

"होता है, शादी के बाद शुरु शुरु में रात दिन चुदाई खाने में ही निकल जाता है। इस शान्ती से ही पुछ ले, उसका पति उसका क्या हाल करता है? जब इसकी शादी हूई थी यह हर दूसरे तीसरे दिन मेरे पास आया करती थी, इसका बेटा प्रताप तब उन्नीस साल का गबरू जवान था। और यह उस समय तेंतीस साल की थी। तुझे और राधा को तो पता है शान्ती बहुत पहले ही पेट से हो गई थी। प्रताप और शान्ती की जिन दिन शादी हूई उस रात सुहागरात में प्रताप ने शान्ती को सात बार चोदा। और सुबह होने के बाद भी बेचारी को छोड़ा नहीं। यूं चुदाई करते करते दो पहर का वक्त हो गया। तब जाके इसे मुक्ति मिली। शाम को शान्ती मेरे पास लंगडाती हूई आई। बेचारी को पुरे आधे दिन तक एसा चोदा मानो जेसे एक रंडी को दस आदमी मिलके चोद रहे हो। फिर शान्ती ने जब अपनी चूत दिखाई मुझे इस पे बहुत तरस आया। एसी चुदाई करना किसी के बस में नहीं था और शान्ती ने जिस तरह प्रताप का लण्ड झेला था, उसकी जगह अगर कोई और होती तो शायद मर ही जाती। फिर मैं ने इसकी बुर पे आग से सेक लगाई, हल्दी चंदन पीस के बुर पे लेप लगाया, तब जाके बेचारी को कुछ आराम हुआ। इस लिए मैं तो कहती हूँ तू शुक्र मना तुझे प्रताप जेसा पति नहीं मिला। अगर मिला होता तब पता चलता।"

"अरे दीदी वह तो बताओ। जब उसने लगातार तीन घन्टा चुदाई की थी?" शान्ती शर्माती हुई बोली।


"हाँ दीदी बताओ ना? तीन घन्टा लगातार चुदाई? भला कोई किसी को इस तरह पेल सकता है क्या? वैसे दीदी शान्ती दीदी को हम स्कुल के समय से जानते हैं। शुरु से ही शान्ती दीदी की बुर में बहुत आग थी। इसी लिए यह तो चुदाई करती हुई थकती नहीं थी। लेकिन तुम बताओ दीदी, क्या हुया था?"


"अच्छा सुन, मैं ने फिर उस दिन इसकी चूत पे लेप लगाके शान्ती को घर भेज दिया और प्रताप को मेरे पास भेजने को कहा। जब प्रताप मेरे से मिलने आया मैं ने उसे खूब खडी खोटी सुनाई। कहा,:तू पागल है क्या? जो शान्ती को इतनी बुरी तरह से चोद दिया? वह कहीं भागी नहीं जा रही है? तेरी बीबी है वह। अब पुरी जिन्दगी तो तेरे साथ रहेगी। शान्ती को अब से शान्ती से चोद्ना।: मेरी बात पे बेचारा बड़ा शर्मा गया। बोला,:मौसी गलती हो गई है। अब से नहीं होगा। असल में बचपन से माँ को पाने की इच्छा थी। लेकिन वह मेरे सामने ही हर दूसरे दिन पराये मर्दों से चुदवाया करती थी। इस लिए जब वह मेरी पत्नी बनी मेरे से रहा नहीं गया। सोचा क्या पता कल को फिर किसी को घर पे बुला ले। इस लिए जोश में एसा कर बेठा।: फिर मैं ने बोला,:अच्छा ठीक है। लेकिन अब दो दिन तक शान्ती से चुदाई मत करना। उसकी चूत पे सूजन है। पहले उसे ठीक हो जाने दे।: मेरी बातों से तो बेचारा प्रताप सकपका गया। कहा,:लेकिन मौसी मैं रहूँगा केसे दो दिन तक?: मैं ने बोला,: वह मुझे नहीं पता। बस दो दिन बर्दाश्त कर ले। यह दो दिन शान्ती तेरा बीर्य निकाल देगी। लेकिन चुदाई बिल्कुल नहीं। अगर गलती से भी उसकी चूत में तूने लौड़ा घुसाया तो वह बीमार हो जायेगी। इस लिए दो दिन बर्दाश्त कर ले फिर बाद में जी भर के चोद लेना। समझा कुछ?:

फिर क्या था। प्रताप ने दो दिन बर्दाश्त तो कर लिया लेकिन शान्ती के उपर उससे भी बड़ी आफत तैयार थी यह उसे नहीं पता था। और तीसरे दिन प्रताप ने जब शान्ती की चुदाई की बेचारी की चूत बिल्कुल ढीली कर दी। दो दिन तक उसने अपना बीर्य नहीं निकाला था। इस लिए जब तीसरे दिन शान्ती ने उसके आगे अपनी टाँगें पसर दी तो उसने शान्ती की चूत की खटिया खड़ी कर दी। लगातार तीन घन्टे तक ताबडतोड चोदा इसे। तीन घन्टे की चुदाई के बाद जब प्रताप अपना बीर्य इसकी बुर में गेरा तब शान्ती को होश नहीं था। बेचारी को एक घन्टे के बाद होश आया। अब समझी? इस र्ंडी ने अपने पेट से एक चूतखोर को जनम दिया है। अच्छा हुया उसकी प्यास यही बुझा रही है, इसकी जगह अगर कोई दुसरी औरत होती पता नहीं क्या से क्या हो जाता।" पार्वती कहके चुप हो गई।


इसी बीच रामू पास के दुकान से नाश्ते का सामान ला चुका था। कोमल ने उन्हें नाशता करवाया और फिर कोमल को साथ लेकर वह दोनों राधा से मिलने आ गई।

राधा कोमल के साथ जब पार्वती दीदी और शान्ती को देखा तो उछल पडी। "अरे दीदी, इतने दिनों बाद आखिर इस गरीब के घर आना हुया"


"गुस्सा मत कर राधा, तुझे तो पता है घर का काम काज संभालने में सारा समय निकल जाता है। अगर तेरे घर में छोटे छोटे बच्चे होते तब समझती? अब मेरे से गिला छोड़ और इसका भी जरा हालचाल पूछ ले, तुम दोनों से ही मिलने आई है बेचारी शहर से?" पार्वती राधा को कहती है।


"हाँ क्यों नहीं? आखिर हमारा रिश्ता तो बहुत पुराना है। और शान्ती दीदी, श्क्कू चाची ठीक है ना?"


"बड़ी आई पूछने वाली? एकबार देखने तो जाती नहीं? केसी है? कहाँ है?"


"बस दीदी, समय नहीं निकलता। अब बेठो तो सही।"


"देख हम कोमल के घर से नाशता पानी करके आये हैं। बस तेरे से मिलने आई थी।"


"कोई बात नहीं दीदी, तुम बेठो। और शान्ती दीदी, पति बच्चे सब केसे हैं?"


"सब ठीक से है। बड़ावाला बच्चा पांच साल का हो गया है और छोटा वाला तीन साल का।" शान्ती कहती है।


"और तो बता?" पार्वती शान्ती को बोलती है।


"और क्या बताऊँ दीदी?" शान्ती अंजान बनने का नाटक करती है।


"मैं बताऊँ? अरे इस के पेट में अभी दो महीना का बच्चा पल रहा है। बेचारी फिर से गर्भवती हो गई है।" कहके पार्वती हंस देती है जहाँ शान्ती लज्जित हो जाती है।

"दीदी, यह तो खुशी की बात है। मतलब प्रताप भाई ने पुरी मेहनत कर रखी है।" कोमल शान्ती को छेड़ती है।

"अब इस उम्र में कहाँ आजकल की औरतों को बच्चा करना आता है। इस लिए जितनी जल्दी हो सके कोख भर लेना चाहिए। कोमल तू भी ज्यादा लेट मत करना। अगर दवाई वग़ैरह खाती रहेगी फिर बाद में चल के बच्चा ठहरता मुष्किल हो जायेगा।" पार्वती ने कहा।


"दीदी तुम इसकी चिंता न करो। यह तो हम से भी ज्यादा चालू है। इस ने तो सुहागरात से अपनी बुर में बीर्य लेना शुरु कर दिया है। क्या पता अगले महीने में खुश खबरी मिल जाये।" राधा कोमल को चिडाती है।


"चल मैं ने तो शुरु कर दिया। लेकिन तू कब से बुर में बीर्य लेना चालू करेगी?" अब कोमल की बारि थी। राधा इस बात पे शर्मा जाती है। वह कुछ बोल नहीं पाती।


"हाँ राधा, आखिर तुझे भी शादी कर लेनी चाहिए थी। मैं ने सोचा था शायद तेरी और कोमल की एक ही मंडप पे बियाह होगा। लेकिन कोमल ने तेरे से पहले बाजी मार ली। जरा हमें भी बता तेरे मन में क्या चल रहा है? कब का इरादा है तेरा बियाह करने का?" पार्वती ने कहा।


"बस दीदी, समझ लो सब कुछ तैयार है, बस दो चार दिन में तुम्हारे पास निमन्त्रण पहूँच जायेगा।" राधा लज्जाती हुई बोली।


"फिर तो ठीक है। अगर एक हफ्ते की बात है फिर शान्ती भी तेरी शादी देख सकेगी। वैसे अब तो गावँ भी इसका कम आना होता है।"


"हाँ क्यों नहीं। यह भी कोई पूछने की बात है। मैं ने सोचा है मेरी शादी में मैं सिर्फ अपनी सारी सहेलियों को निमन्त्रण दूँगी। शादी में सिर्फ औरतें ही आईन्गीँ। कोई मर्द नहीं रहेगा।"


"वाह यह तो बहुत अच्छी बात है। औरतों की मान मर्यादा कोई तुझ से सीखे। अच्छा अब हम चलते हैं काफी रात हो गई है। पंडितजी शायद मेरी खोज कर रहे होंगें।"


"क्या दीदी अभी आई हो अभी चली जाओगी?"


"अभी नहीं फिर कभी दिन में आ जाऊंगी। तू एक काम करना, कल समय निकाल के मन्दिर आना। शान्ती भी रहेगी। उसे जरा तेरे से काम है।"


"अभी बताओ ना दीदी? क्या बात है?"


"नहीं एसी कोई खास बात नहीं है। मन्दिर आना कल जरुर।" बोलके पार्वती और शान्ती चली जाती हैं।
Ye raadha ke pati ka koi kamand to nahi chal raha hai shahar mein, kahin property ke chakkar mein koi naya game to nahi khel raha hai wo. Nice update
 
  • Like
Reactions: Naik and Babulaskar
Top