Update 39
"घर पे कोई हैएए ?" कोमल के घर के दरवाजे पे बाहर से दो महिलाएँ आवाज लगा रही थी।
"कौन है?" कोमल ने जवाब दिया। कोमल ने आज एक नई बियाही बहु की तरह लाल साड़ी पहन रखी थी। उसकी माँग पे सिन्दूर और गले के मंगलसूत्र से वह पुरी तरह से नई बियाही बहु की तरह लग रही थी। दरवाज़ा खोलके देखती है सामने पार्वती दीदी और शान्ती दीदी खडी हैं।
"अरे दीदी! तुम दोनो? कितनी खुशी की बात है। आओ ना अन्दर आ जाओ।" कोमल उनका स्वागत करती है।
"तेरा पति कहाँ है रे कोमल?" पार्वती पूछती है।
"घर पे ही है दीदी। तुम बेठो ना! अजी सुनते हो, देखो कौन आया है?" कोमल आवाज लगाती है।
कोमल की बात से शान्ती और पार्वती मांद मांद मुस्कुराने लगती है।
रामू कमरे में आ कर दोनों को प्रणाम करता है। "जीते रहो बेटे। सदा खुश रहो।"
"अजी थोड़ा नाशता का सामान ला दीजिये।" कोमल रामू से कहती है।
"अरे नहीं नहीं। इसकी कोई जरुरत नहीं है। हम तो तेरे से मिलने आये थे। सोचा पहले तेरे से मिल लूँ फिर राधा से मिल लेंगें।"
"कोई बात नहीं दीदी, तुम दोनों बेठो तो सही। अजी आप जाओ ना जल्दी।" कोमल जोर देकर कहती है।
"हाँ हाँ जाता हुँ।" कहकर रामू भागने लगता है।
"और बताओ दीदी, सब केसे हैं? मैं तो सोच रही कल परसो मन्दिर जाके तुम से मिलके आऊँगी। और शान्ती दीदी, तुम्हें कितने दिन के बाद देखा? श्क्कू चाची ठीक तो है ना?"
"हाँ सब ठीक है , मैं तो अब शहर में रहने लगी हूँ। इसी लिए इधर ज्यादा आना नहीं होता। अब माँ को भी लेने आई हूँ, मैं मन्दिर गई हूई थी। वहां दीदी से पता चला तेरी शादी हूई है। सोचा तेरे से मिलती चलूँ। इस लिए दीदी को भी साथ ले आई।"
"अच्छा किया दीदी, और पार्वती दीदी, पंडित जी और बच्चे सब कुशल मंगल से है?"
"हाँ हम सब कुशल मंगल से हैं। हमारी छोड़ अपनी बता, तेरा पति प्यार तो करता है ना तुझे?"
"हाँ दीदी, बड़ा प्यार करता है मुझे। मैं बहुत खुश हूँ।"
"हाँ वह तो दिख रहा है तेरे चहरे पे। जिस तरह तू उसे बुला रही थी। जवान लड़कों की बात ही कुछ अलग है। उनकी ताबडतोड चुदाई से प्यार हो ही जाता है।"
"दीदी तुम ना, वैसी बात नहीं है।"
"तो तेरा पति तुझे चोदता नहीं है क्या?"
"क्या दीदी, कहीं छोड़ देता है क्या? कल रात सुहागरात थी मेरी। पुरी रात में लगातार तीन बार पेला है मुझे। फिर सुबह एक बार,और तुम्हारे आने पहले चुदाई में ही लगी थी। अच्छा हुआ तुम दोनों अब आई, नहीं तो थोडी देर पहले आती तो मैं शर्म से मर ही जाती। चोद्ता नहीं मानो हल चला रहा हो।" कोमल की बातों पे पार्वती और शान्ती हंसती रहती है।
"होता है, शादी के बाद शुरु शुरु में रात दिन चुदाई खाने में ही निकल जाता है। इस शान्ती से ही पुछ ले, उसका पति उसका क्या हाल करता है? जब इसकी शादी हूई थी यह हर दूसरे तीसरे दिन मेरे पास आया करती थी, इसका बेटा प्रताप तब उन्नीस साल का गबरू जवान था। और यह उस समय तेंतीस साल की थी। तुझे और राधा को तो पता है शान्ती बहुत पहले ही पेट से हो गई थी। प्रताप और शान्ती की जिन दिन शादी हूई उस रात सुहागरात में प्रताप ने शान्ती को सात बार चोदा। और सुबह होने के बाद भी बेचारी को छोड़ा नहीं। यूं चुदाई करते करते दो पहर का वक्त हो गया। तब जाके इसे मुक्ति मिली। शाम को शान्ती मेरे पास लंगडाती हूई आई। बेचारी को पुरे आधे दिन तक एसा चोदा मानो जेसे एक रंडी को दस आदमी मिलके चोद रहे हो। फिर शान्ती ने जब अपनी चूत दिखाई मुझे इस पे बहुत तरस आया। एसी चुदाई करना किसी के बस में नहीं था और शान्ती ने जिस तरह प्रताप का लण्ड झेला था, उसकी जगह अगर कोई और होती तो शायद मर ही जाती। फिर मैं ने इसकी बुर पे आग से सेक लगाई, हल्दी चंदन पीस के बुर पे लेप लगाया, तब जाके बेचारी को कुछ आराम हुआ। इस लिए मैं तो कहती हूँ तू शुक्र मना तुझे प्रताप जेसा पति नहीं मिला। अगर मिला होता तब पता चलता।"
"अरे दीदी वह तो बताओ। जब उसने लगातार तीन घन्टा चुदाई की थी?" शान्ती शर्माती हुई बोली।
"हाँ दीदी बताओ ना? तीन घन्टा लगातार चुदाई? भला कोई किसी को इस तरह पेल सकता है क्या? वैसे दीदी शान्ती दीदी को हम स्कुल के समय से जानते हैं। शुरु से ही शान्ती दीदी की बुर में बहुत आग थी। इसी लिए यह तो चुदाई करती हुई थकती नहीं थी। लेकिन तुम बताओ दीदी, क्या हुया था?"
"अच्छा सुन, मैं ने फिर उस दिन इसकी चूत पे लेप लगाके शान्ती को घर भेज दिया और प्रताप को मेरे पास भेजने को कहा। जब प्रताप मेरे से मिलने आया मैं ने उसे खूब खडी खोटी सुनाई। कहा,:तू पागल है क्या? जो शान्ती को इतनी बुरी तरह से चोद दिया? वह कहीं भागी नहीं जा रही है? तेरी बीबी है वह। अब पुरी जिन्दगी तो तेरे साथ रहेगी। शान्ती को अब से शान्ती से चोद्ना।: मेरी बात पे बेचारा बड़ा शर्मा गया। बोला,:मौसी गलती हो गई है। अब से नहीं होगा। असल में बचपन से माँ को पाने की इच्छा थी। लेकिन वह मेरे सामने ही हर दूसरे दिन पराये मर्दों से चुदवाया करती थी। इस लिए जब वह मेरी पत्नी बनी मेरे से रहा नहीं गया। सोचा क्या पता कल को फिर किसी को घर पे बुला ले। इस लिए जोश में एसा कर बेठा।: फिर मैं ने बोला,:अच्छा ठीक है। लेकिन अब दो दिन तक शान्ती से चुदाई मत करना। उसकी चूत पे सूजन है। पहले उसे ठीक हो जाने दे।: मेरी बातों से तो बेचारा प्रताप सकपका गया। कहा,:लेकिन मौसी मैं रहूँगा केसे दो दिन तक?: मैं ने बोला,: वह मुझे नहीं पता। बस दो दिन बर्दाश्त कर ले। यह दो दिन शान्ती तेरा बीर्य निकाल देगी। लेकिन चुदाई बिल्कुल नहीं। अगर गलती से भी उसकी चूत में तूने लौड़ा घुसाया तो वह बीमार हो जायेगी। इस लिए दो दिन बर्दाश्त कर ले फिर बाद में जी भर के चोद लेना। समझा कुछ?:
फिर क्या था। प्रताप ने दो दिन बर्दाश्त तो कर लिया लेकिन शान्ती के उपर उससे भी बड़ी आफत तैयार थी यह उसे नहीं पता था। और तीसरे दिन प्रताप ने जब शान्ती की चुदाई की बेचारी की चूत बिल्कुल ढीली कर दी। दो दिन तक उसने अपना बीर्य नहीं निकाला था। इस लिए जब तीसरे दिन शान्ती ने उसके आगे अपनी टाँगें पसर दी तो उसने शान्ती की चूत की खटिया खड़ी कर दी। लगातार तीन घन्टे तक ताबडतोड चोदा इसे। तीन घन्टे की चुदाई के बाद जब प्रताप अपना बीर्य इसकी बुर में गेरा तब शान्ती को होश नहीं था। बेचारी को एक घन्टे के बाद होश आया। अब समझी? इस र्ंडी ने अपने पेट से एक चूतखोर को जनम दिया है। अच्छा हुया उसकी प्यास यही बुझा रही है, इसकी जगह अगर कोई दुसरी औरत होती पता नहीं क्या से क्या हो जाता।" पार्वती कहके चुप हो गई।
इसी बीच रामू पास के दुकान से नाश्ते का सामान ला चुका था। कोमल ने उन्हें नाशता करवाया और फिर कोमल को साथ लेकर वह दोनों राधा से मिलने आ गई।
राधा कोमल के साथ जब पार्वती दीदी और शान्ती को देखा तो उछल पडी। "अरे दीदी, इतने दिनों बाद आखिर इस गरीब के घर आना हुया"
"गुस्सा मत कर राधा, तुझे तो पता है घर का काम काज संभालने में सारा समय निकल जाता है। अगर तेरे घर में छोटे छोटे बच्चे होते तब समझती? अब मेरे से गिला छोड़ और इसका भी जरा हालचाल पूछ ले, तुम दोनों से ही मिलने आई है बेचारी शहर से?" पार्वती राधा को कहती है।
"हाँ क्यों नहीं? आखिर हमारा रिश्ता तो बहुत पुराना है। और शान्ती दीदी, श्क्कू चाची ठीक है ना?"
"बड़ी आई पूछने वाली? एकबार देखने तो जाती नहीं? केसी है? कहाँ है?"
"बस दीदी, समय नहीं निकलता। अब बेठो तो सही।"
"देख हम कोमल के घर से नाशता पानी करके आये हैं। बस तेरे से मिलने आई थी।"
"कोई बात नहीं दीदी, तुम बेठो। और शान्ती दीदी, पति बच्चे सब केसे हैं?"
"सब ठीक से है। बड़ावाला बच्चा पांच साल का हो गया है और छोटा वाला तीन साल का।" शान्ती कहती है।
"और तो बता?" पार्वती शान्ती को बोलती है।
"और क्या बताऊँ दीदी?" शान्ती अंजान बनने का नाटक करती है।
"मैं बताऊँ? अरे इस के पेट में अभी दो महीना का बच्चा पल रहा है। बेचारी फिर से गर्भवती हो गई है।" कहके पार्वती हंस देती है जहाँ शान्ती लज्जित हो जाती है।
"दीदी, यह तो खुशी की बात है। मतलब प्रताप भाई ने पुरी मेहनत कर रखी है।" कोमल शान्ती को छेड़ती है।
"अब इस उम्र में कहाँ आजकल की औरतों को बच्चा करना आता है। इस लिए जितनी जल्दी हो सके कोख भर लेना चाहिए। कोमल तू भी ज्यादा लेट मत करना। अगर दवाई वग़ैरह खाती रहेगी फिर बाद में चल के बच्चा ठहरता मुष्किल हो जायेगा।" पार्वती ने कहा।
"दीदी तुम इसकी चिंता न करो। यह तो हम से भी ज्यादा चालू है। इस ने तो सुहागरात से अपनी बुर में बीर्य लेना शुरु कर दिया है। क्या पता अगले महीने में खुश खबरी मिल जाये।" राधा कोमल को चिडाती है।
"चल मैं ने तो शुरु कर दिया। लेकिन तू कब से बुर में बीर्य लेना चालू करेगी?" अब कोमल की बारि थी। राधा इस बात पे शर्मा जाती है। वह कुछ बोल नहीं पाती।
"हाँ राधा, आखिर तुझे भी शादी कर लेनी चाहिए थी। मैं ने सोचा था शायद तेरी और कोमल की एक ही मंडप पे बियाह होगा। लेकिन कोमल ने तेरे से पहले बाजी मार ली। जरा हमें भी बता तेरे मन में क्या चल रहा है? कब का इरादा है तेरा बियाह करने का?" पार्वती ने कहा।
"बस दीदी, समझ लो सब कुछ तैयार है, बस दो चार दिन में तुम्हारे पास निमन्त्रण पहूँच जायेगा।" राधा लज्जाती हुई बोली।
"फिर तो ठीक है। अगर एक हफ्ते की बात है फिर शान्ती भी तेरी शादी देख सकेगी। वैसे अब तो गावँ भी इसका कम आना होता है।"
"हाँ क्यों नहीं। यह भी कोई पूछने की बात है। मैं ने सोचा है मेरी शादी में मैं सिर्फ अपनी सारी सहेलियों को निमन्त्रण दूँगी। शादी में सिर्फ औरतें ही आईन्गीँ। कोई मर्द नहीं रहेगा।"
"वाह यह तो बहुत अच्छी बात है। औरतों की मान मर्यादा कोई तुझ से सीखे। अच्छा अब हम चलते हैं काफी रात हो गई है। पंडितजी शायद मेरी खोज कर रहे होंगें।"
"क्या दीदी अभी आई हो अभी चली जाओगी?"
"अभी नहीं फिर कभी दिन में आ जाऊंगी। तू एक काम करना, कल समय निकाल के मन्दिर आना। शान्ती भी रहेगी। उसे जरा तेरे से काम है।"
"अभी बताओ ना दीदी? क्या बात है?"
"नहीं एसी कोई खास बात नहीं है। मन्दिर आना कल जरुर।" बोलके पार्वती और शान्ती चली जाती हैं।