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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

Which role you like to see

  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

    Votes: 21 6.9%

  • Total voters
    306
  • Poll closed .

DB Singh

Member
454
868
93
Aap ka comment bata raha hai, aap meri kahani ke bade fan hain.
Main bhi akhir kya kar sakta hun, hum sab log samajik hain, ham sab kaam hai. Ab har samay story nehi likha jata. Isi liye jis time mujhe kaam se off milta hai main likh leta hoon.
Main ne sirf 3 stories post ki hai,
Aur eh story lagbhag end hai, is liye ise the end karna chahta hoon. Iske baad dusre pe dhyan dunga.
Waise dekha jaye to xforum me 90% story adhuri hai, kya aap unhe bhi aisa kehte hai?
लेखक महोदय जरूरी तो नहीं के जो लोग कम्पलीट नहीं करते आप भी उनके जैसे आधे में छोड़ दो। माना के सब यहाँ नाम बदल के हैं लेकिन आपके जरिये कितने लोग एंटरटेन हो रहे है एंजाॅय कर रहे हैं आपको दिल से दुआएं देते और आपके जैसे अन्य लेखक को भी, आज के टाइम में वैसे भी दुआओं सख्त जरूरत है जितना मिले बटोर लेना चाहिए। कुछ गलत कहा हो तो क्षमा करना। धन्यवाद
 

Babulaskar

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139
Nhi bhai waiting list me na dalna,, Aap bhi likh sakte ho dusre writters ke jaise bs aap bhi try kro jald se jald updates dene ki.. Ha bhai ab radha n raghu ki lambi suhagraat hogi,,, threesome me maza nhi ayega.. You are senior to me on the xforum,,, so you have already read all the stories,,, Fir bhi apki ichcha h toh us stories ke name likh raha hu...
list of those stories Jo mujhe behad pasand hain..

Unique relationship
Maharani Devrani
Bete se ummeed
Papa ne mujhe ghar ka mard banaya
Ek Adhuri Pyash
Dhoban Aur Uska Beta
Purani kitab
maa ka deewana beta
Finding love in the dark
Papa ke sath ghar basaya
Fell in love with my own son
Apne hi pati ki mummy bani
Mr & Mrs Patel (Mother-Son :-A True Incident)
Namrata ka beta
maangalik bahan
paapa ne bachaaya
Unique Karva Chauth
maa ke sath chhupam chhupaee ya chudai
Katha Chodampur Ki
halala bete ke sath
Mummy ka affaire uncle se
Angrakshak Parvivar Ka
Bahut accha laga. Aap ne bhi ek bada update de dia.
I think I read this all stories. But I will check.
And once more thanks.
 

Babulaskar

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लेखक महोदय जरूरी तो नहीं के जो लोग कम्पलीट नहीं करते आप भी उनके जैसे आधे में छोड़ दो। माना के सब यहाँ नाम बदल के हैं लेकिन आपके जरिये कितने लोग एंटरटेन हो रहे है एंजाॅय कर रहे हैं आपको दिल से दुआएं देते और आपके जैसे अन्य लेखक को भी, आज के टाइम में वैसे भी दुआओं सख्त जरूरत है जितना मिले बटोर लेना चाहिए। कुछ गलत कहा हो तो क्षमा करना। धन्यवाद
Nehi, aap ne sahi kaha.
Main tulna ki baat kar raha tha. Aap jaise agar readers ho, fir writers ko khule dil se story complete karna padta hai.
 

Babulaskar

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Update 48

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राधा का दिल जोरों से धडकने लगा है। आने वाले पलों के बारे में सोचकर वह अन्दर ही अन्दर गरम हो जा रही थी। क्या होगा कैसे होगा? रघु रेखा के सामने उसे चोदेगा, उसके सामने रेखा को चोदेगा। यह सब सोचकर ही राधा की चूत पानी छोड़ने लगी थी। रेखा अभी जवान है। उसकी यह पहली शादी है। वह उतावली है। और अपने आप को तैयार करने लगी है। बेचारी को अंदाजा नहीं है शादी के बाद क्या होगा।


राधा सोच सोचकर थक गई थी। उसने सोचा क्यों ना पार्वती दीदी से बात की जाये! वह जरुर कुछ ना कुछ उपाय बता देगी। राधा पार्वती के पास चली गई।

शाम का वक्त हो रहा था। रेखा ने बताया था, रघु सुबह आकर महादेव को निवता देकर गया है। वही उनकी शादी रचाएगा। रघु चाह रहा था, शादी में गावँ के कुछ लोगों को बुलाये। लेकिन राधा के मना करने पर यह सब नहीं हो पाया। शादी के समारोह में रघु के दो तीन दोस्त और राधा की कुछ सहेलियाँ रहेंगी बस।

राधा पार्वती के घर पे पहुँच गई। पार्वती चूल्हे में रोटी डाल रही थी। उसे देखकर पार्वती बहुत खुश होती है।


"अरे राधा, आ गई। आ जा बैठ।" पार्वती उसे अपने पास बिठाती है। "कोई परेशानी है क्या?"


"बस दीदी, एसा ही समझ लो! बड़ी दुविधा में फंस चुकी हूँ।"


"मैं तेरी दुविधा समझ सकती हूँ। एक ही मंडप में अपनी बेटी के साथ बियाह रचाना। फिर सुहागरात में साथ रहना। लाज शरम की बात तो है।"


"अब तुम ही बताओ, दीदी! मैं क्या करुँ! वह रघु माने तब ना! जिद लेके बैठा है, सुहागरात हम दोनों को एक साथ लेकर मनायेगा। भला एसा भी होता है क्या! माँ होकर भी मैं शादी के लिए राजी हुई। और फिर बेटी के सामने,,,,सोचो जरा क्या हालत होगी मेरी।" पार्वती राधा की बेबसी समझ रही थी।


"अब क्या करे बता, तूने ही उसे जनम दिया। अब तेरे अन्दर फिर से घुसने के लिए मरा जा रहा है। यह लडके एसे ही होते हैं। लेकिन मेरी बहन! यह तो कुछ भी नहीं है। शादी के बाद अपने आप को तैयार रखना। एकदम नोच कर खाता रहेगा तुझे। और हाँ, तेरी बेटी रेखा को भी। लेकिन उसकी नजर ज्यादा तेरे ऊपर ही रहेगी। मुझे तो अभी से सोच सोचकर बुरा हाल हो रखा है, आखिर तू उसे झेल पायेगी भी या नहीं?"


"अरे दीदी, मुझे उसकी चिंता नहीं है। मुझे फिलहाल सुहागरात की चिंता है। तुम इसके बारे में मुझे कुछ सुझाव दो। मैं कैसे उसका सामना करुँ। जो भी हो, शादी के बाद तो वह मेरा पति बन जाएगा। रात दिन चोदेगा। मुझे छेडता रहेगा। मुझे उससे आपत्ति नहीं है। हर औरत पति का प्यार चाहती है। मैं भी चाहती हूँ। लेकिन सुहागरात में कैसे अपनी बेटी के सामने नंगी होकर रघु का लौड़ा लेकर चुदाई करवाऊँ! बंद कमरे की बात अलग है। लेकिन यहां पर तो दूसरा कोई मौजुर होगा। क्या तुम अपनी बेटी के सामने देवा से चुदाई करवा सकती हो? कर पाओगी बताओ! देवा तुम्हें उसकी आंखों के सामने पेलता रहे!"


"नहीं रे राधा! मैं तो हर्गिज न कर सकूं। यह तो सब को पता है, चुदाई में मरद से ज्यादा औरत को मजा मिलता है। चोदने वाला चाहे जो भी हो, एकबार चूत में लण्ड घुसने के बाद औरतों के बस में कुछ नहीं रहता। फिर तो वह बस बुदबुदाती रह जाती है। लेकिन सामने देखने वालों को क्या पता हमें कितना मजा मिल रहा है? यह तो बड़ी शर्म की बात है।"


"वही तो। मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। तुम ही कुछ बताओ!"


"फिर तो एक ही उपाय है।"


"कैसा उपाय, बताओ दीदी! मैं कुछ भी करने को तैयार हुँ। क्या हम अलग अलग सुहागरात मना सकते हैं?"


"अरे नहीं नहीं! अलग नहीं। साथ ही मनाना पडेगा। पागल कहिँ की! शादी जब एक साथ हो रही है, सुहागरात भी एक साथ होगी। यही सही है। तू एक काम कर सकती है! कर पायेगी क्या!"


"हाँ दीदी जरुर कर लुंगी। तुम बताकर तो देखो।"


"तो सुन, उससे पहले बता क्या तूने बुर के बाल साफ करवा लिये है?"


"नहीं अभी तक नहीं। सोचा कल ही करवा लुंगी।"


"अच्छा किया। तुझे आज रात ,,,,," पार्वती उसे समझाने लगती है। पूरा मामला बताने के बाद राधा बोलती है।


"उफ फो! क्या दीदी, तुम ने एक की जगह दुसरी मुश्किलें बढा दी है।"


"अब देख राधा, इसके अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। तुझे सुहागरात में अपने पति की बात माननी होगी। सुहागरात में तू रेखा के सामने पूरी तरह से खुलकर सामने आ सके इसके लिए यह जरुरी है। एकबार करके तो देख। तेरी यह लाज शरम सब भाग जायेगी।"


"उम्मीद है भाग जाये, मैं खुद भी र्ंडी की तरह रहना चाहती हूँ, पर पता नहीं क्यों, जब भी रघू को देखती हूँ, शरम से पानी पानी हो जाती हूँ। पार्वती दीदी, इतनी लाज क्यों आती है? पति के आगे तो शरम नहीं आती थी।"


"वह इस लिए क्योंकि वह तेरा बेटा है। तूने उसे जनम दिया है। वही बेटा अगर तुझे चोद्ना चाहे, तुझे नंगा करना चाहे, लाज तो आयेगी ना! सब को आती है।"


"तुम्हें भी आती है क्या?!"


"हाँ मुझे भी आती है। मैं अलग नहीं हूँ। मैं भी एक औरत हूँ एक माँ हुँ। मैं भी जब देवा के बारे में सोचती हूँ, बड़ी उलझनें शुरु हो जाती है। यह जवान लडके बड़े बदमाश होते हैं राधा! पता नहीं, क्यों यह लडके सिर्फ हमारे पीछे पडे रहते हैं। गावँ में इतनी जवान लड़कियाँ है उनसे प्यार करे, उन्हें चोदे, उन्हें चोद चोद्कर


"चलो दीदी, अब क्या किया जाये! मैं चलती हूँ। कल तुम शाम से पहले आ जाना।"


"हाँ जरुर आऊँगी। मैं सुहागरात की रस्म निपटाकर ही आऊँगी। तू चिंता मत कर।"

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Babulaskar

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Update 49

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माँ बेटी, एक जान दो शरीर

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राधा का घर शादी के लिए तैयार हो गया था। कोमल सपना और शीतल ने मिलकर घर को पूरी तरह से सजा दिया है। रात गुजरते ही राधा और रेखा शादी की तैयारी में लग जायेगी। आज की रात उनकी जिंदगी की आखरी रात है जब वह बिना पति के सोने जा रही है। कल से लेकर शायद उन्हें हर रात चुदाई करवाना पडे।

रेखा अपने कमरे में पड़ी पड़ी यही सब बातें सोचने लगी थी। उसका भाई रघु, जो कल तक उसका पति बन जाएगा, उसके लिए शहर से कितना कुछ लेकर आया है। उसकी माँ और उसके लिए दो लाल घाघरा चोली लाया है। यही पहनकर दोनों शादी के मंडप में बैठेंगे। शायद इसी जोड़े में उन्हें सुहागरात भी करनी पडे।


"रेखा तू सो गई क्या!" दरवाजा खोलकर राधा कमरे के अन्दर आई। अपनी माँ को देखकर रेखा उठ गई।


"नहीं माँ, अभी नहीं। नींद कहाँ आ रही है। तुम्हें भी नींद नहीं आ रही?"


"हाँ मेरा भी वही हाल है। अच्छा होता अगर थोडी देर सो लेती। सोचा तेरे से कुछ बात कर लूँ!"


"कैसी बात? जरुरी है क्या?"


"नहीं एसी कुछ खास नहीं है। बस सोच रही हूँ, आज हम जैसे भी हैं, कल तक हमारा रिश्ता पूरा बदल जाएगा। तेरा भाई तेरा पति बन जाएगा। तू मेरी बेटी थी अब सौतन बन जायेगी।"


"हाँ माँ, सच कहा तुम ने। बडा मजा आयेगा।" रेखा उछलती हुई बोली।


"तुझे क्या पता मजा क्या होता है! अच्छा तू ने बुर के बाल साफ कर लिये क्या!"


"क्यों? तुम ने नहीं किये! मैं ने तो कर लिये। मतलब शीतल ने साफ कर दिया।" रेखा थोडी शर्माती हुई बोली।


"अच्छा हुआ! शादी के मौके पे बुर के बाल खुद साफ नहीं करने चाहिए।"


"शीतल कह रही थी, मौसी तुम्हारी सफाई कर देगी। मौसी ने दी क्या?"


"नहीं रे, मैं ने मना कर दिया।"


"क्यों? करवा लेती ना! तुम ने तो काफी दिनों से साफ नहीं किये होंगे।।


"हाँ काफी दिन हो गए। अब जब उसको कोई देखने वाला नहीं था, सफाई की जरुरत भी नहीं थी। अब उसको देखने वाला चोदने वाला बनने वाला है, अब तो ना चाहते हुए भी सफाई करनी पड़ेगी। लेकिन अब कौन करे मेरी सफाई!"


"मैं कर देती हूँ।"


"तू कर देगी? कर पायेगी?"


"हाँ कर लुंगी। तुम चिंता ना करो। शीतल की शादी में मैं ने साफ किये थे उसके। तुम कपडो खोलो, मैं क्रीम लेकर आती हुँ।"

रेखा बोलकर बाथरूम में चली गई। राधा मन ही मन मुस्कुराने लगी। वह जो कुछ चाह रही थी, वह पूरा हो रहा था। रेखा के साथ अगर उसकी लाज शरम थोडी कम हो जाये, फिर रघु के सामने उसे ज्यादा शरम नहीं आयेगी। आज रात तक रेखा के साथ उसे इसी तरह का खेल खेलना होगा। राधा अपनी साड़ी पेतोकोट खोलकर पूरी नंगी हो गई। और वहीं बैड पर पैर खोलकर लेट गई।


"ओए होए, यह क्या है माँ? यहां तो जंगल बना रखा है तुम ने?" रेखा की नजर उसके बुर के आसपास बने बालों पर थी।


"अब क्या बताऊँ, कहा ना, काफी दिन हो गए हैं! अब चल आ जा।" रेखा पास आकर क्रीम लगाने लगती है।


"कितने मुलायम है तुम्हारे बाल। और यह बुर भी। कितनी मुलायम है। मेरा भाई किस्मतवाला है, जो उसे यह बुर मिल रही है।" रेखा ने क्रीम लगा कर कहा।


"चूत मारने वाला किस्मत वाला ही होता है मेरी माँ! और अगर वह चूत उसकी माँ की हो, फिर तो और ज्यादा। तू फिक्र मत कर। तेरा भाई तुझे भी छोड़ेगा नहीं। मेरे साथ साथ तुझे भी रगड़-रगड़ के चोदेगा। मेरी तो फिर भी खिली हुई चूत है। तुम दोनों भाई बहन को इसी चूत से जनम दिया है। लेकिन तेरी तो सील भी नहीं टूटी। पता भी है कितना दर्द होता है!" राधा बुर पे क्रीम लगवाकर पड़ी पड़ी बताने लगती है।


"सच में बहुत दर्द होता है?"


"हाँ बहुत दर्द होता है। इस लिए मैं चाहती हूं, कल जब रघु हमारे साथ सुहागरात मनाने आयेगा, तू पहले चुदवा लेना। मैं तेरी माँ हुँ। तेरे पास रहकर तेरी मदद कर दूँगी।" राधा अपनी चाल चलती है।


"नहीं माँ, मैं पहले नहीं चुदवा सकती। पहली चुदाई तो तुम्हें ही करनी पड़ेगी। रघु मुझ से पहले तुम्हें चोद्ना चाहेगा। और मुझ से ज्यादा तुम्हारा उसपर अधिकार है।"


"अरे नहीं नहीं, तू पहले करवा लेना। तेरी पहली सुहागरात है, मैं नहीं चाहती रघु पहले मुझे चोदे।" राधा का दिल धडकने लगता है।


"नहीं माँ, मैं एसा नहीं कर सकती। और वैसे भी रघु नहीं मानेगा। तुम देख लेना वह तुम्हें ही पहले चोद्ना चाहेगा। तुम्हें पागलों की तरह चाहता है वह। अब तक तो तुम दोनों की शादी भी हो जाती।" रेखा की जिद भरी बात पे राधा का दिल टूट गया। उसने जैसा सोचा था वह नहीं हो सकेगा। अगर रेखा को ज्यादा जोर देगी फिर वह समझ सकती है, इस लिए राधा बात ज्यादा नहीं खींचती।


"हाँ तू ने सही कहा। जो भी हो कल देखा जाएगा। तूने तो रघु का लौड़ा देख रखा है, थोड़ा बता ना उसके बारे में! कैसा होगा वह! काफी बडा है ना! मोटा भी होगा!"


"हाँ बहुत बडा और मोटा है। मैं ने तुम्हें पहले भी बताया है। हाए, माँ तुम्हें कैसे बताऊँ! उसका लौड़ा कितना भीमकाय है! मैं ने कई बार रघु का मुठ मार दिया है। उसका पानी निकालकर दिया है। उसने भी मेरी चूत चुस्के बडा मजा दिया है मुझे। लेकिन उस वक्त हमने एक दूसरे से वादा किया था। रघु ने ठान ली थी, उसका लौड़ा सबसे पहले तुम्हारी बुर में ही घुसेगा। कभी कभी रघु इतना उतावला हो जाता की मुझे चोद्ना चाहता, लेकिन मैं उसे रोक देती। लेकिन आज जब सोचती हूँ वही लौड़ा मेरी चूत को चीरने वाला है, मेरी चूत कांपने लग जाती है। किस तरह जाएगा कैसे जाएगा अन्दर? मेरी तो सांस अटक जायेगी।" रेखा बताते बताते भाबुक हो गई।


"जाएगा तो जरुर। पहली बार दर्द भी होगा तुझे। लेकिन उसके बाद तू उस लौड़े के बिना रह नहीं पायेगी। तेरा जी करेगा हमेशा उससे चुद्ती रहे। रघु हमेशा हमेशा के लिये तुझे बस चोद्ता ही रहे। यह चुदाई और मिलन का प्यार एसा ही होता है। अब इसे उतार दे।" राधा बुर की सफाई करने को बोलती है। रेखा बातों ही बातों में बुर की क्रीम के साथ साथ बालौं की सफाई करती रहती है।


"देखो माँ, यह बिलकुल चिकनी चूत बन गई है। एकदम मुलायम। तुम ने सही कहा था माँ, मेरी और तुम्हारी बुर बिलकुल एक जैसी है। हर तरह से समान है। चूत के ऊपर यह काला तिल भी मेरी बुर पे है। अच्छा हुआ माँ हम दोनों का पति एक है। नहीं तो मैं बाद में बहुत परेशान रहती।" रेखा अपनी माँ के बुर पे मुलायम हाथ फेरने लगती है।


"तू मेरी बेटी है, तेरी चूत मेरे जैसे ही होनी थी। अच्छी तरह से देख ले, यहीं से तू और तेरा भाई निकला है। इत्नी छोटी छेद से।" राधा अपने पैर को और थोड़ा खोल देती है। जिससे रेखा के सामने उसकी माँ की बुर खुलकर उभर आई। रेखा दोनों हाथ लगाकर बुर के मुहाने को पकड़कर थोड़ा खोल देती है। जिससे राधा की बुर का लाल हिस्सा दिख जाता है। बुर के मुहाने पर चूत का रस लगा हुआ था।


"यहीं से लौड़ा घुसता है? यह तो बहुत ही तंग है माँ। चला तो जाएगा ना!" रेखा की नजर उसकी बुर से हटी नहीं।


"सब चला जाएगा रे। अगर ना भी गया तो तेरा भाई जबर्दस्ती घुसाकर छोड़ेगा। आखिर इसी के मारे बियाह कर रहा है। और जरा सोच इसी तंग सुराख से तुझे और मुझे बच्चा भी निकालना है। अपना कपडा निकालकर मेरे पास आ जा। मैं भी देखूँ तेरी चूत कैसी लग रही है!" राधा अब काफी सहज हो गई थी। उसे अब पहले जैसी शरम महसूस नहीं हो रही है। वह मुस्कुराते हुए बोलती गई।


"हाए माँ, सच में मुझे अभी से घबराहट हो रही है। पता नहीं कल क्या होगा! माँ तुम ने तो हम दो भाई बहन को इसी छेद से जनम दिया है, तुम्हारी चूत थोडी तो खुली हुई फैली हुई होगी!" रेखा बातों ही बातों में अपना कपडा निकाल देती है। उसकी केशहीन कमसिन बुर देखकर जवान राधा भी मस्त हो गई। रेखा को देखकर वह उठकर बैठ गई। और पैर फैलाकर रेखा को अपनी गोद में बिठा लिया। दोनों माँ बेटी नंगी होकर एक दूसरें को महसूस करने लगी।


"नहीं रे, जैसा तू सोच रही है, वैसा कुछ नहीं है। औरतें बच्चा जनम देने के बाद उनकी चूत का छेद फिर से सिकुड जाता है। हम अगर इस फांकोँ से दस बारह बच्चे भी निकाले हमारी चूत मारकर रघु को एक जैसा मजा आयेगा। तू बिलकुल मेरी जैसी हो गई है। तुझे देखकर कभी कभी सोचती हूँ, मैं अपने आप को देख रही हूँ। तेरी उम्र में मैं दो बच्चों की माँ बन गई थी। बिलकुल तेरी तरह गोरी चिट्टी थी। और एकदम सुडौल शरीर और बदन था मेरा।"


"लेकिन तुम्हारी जैसी गांड नहीं है मेरी। तुम्हारे कूल्हे कितने बड़े और भरे हुए हैं। जवान लडके इसी के दीवाने होते हैं। और तुम्हारा यह पेट कितना भरा हुआ है, कितना मांस है इसमें। और यह दाग! कितनी मस्त लगती हो तुम इसमें। काश मेरा भी एसा होता।" रेखा अपनी माँ राधा की गोद में बैठ बड़े प्यार से सहलाने लगती है।


"जब तू माँ बनेगी, तब धीरे धीरे मेरे जैसी हो जायेगी। इसमें समय लगता है। औरत जब तक माँ नहीं बनती उस वक्त तक उसकी एक अलग खुबसूरती रहती है। और जब माँ बनती है, अपने पति से चुदवा चुदवाकर पेट में बच्चा लेती है। उस बच्चे को नौ महीने तक अपने पेट में पालती है, तब औरत की खुबसूरती बदल जाती है। जब तू अपने बच्चों को जनम देगी, आज से बीस बाईस साल बाद जब तेरा बेटा रघु की उम्र का होगा तब तू मेरी जैसी दिखने लगेगी। और देखना, तेरा बेटा भी उस वक्त तुझ पर पागल बना फिरेगा। तुझे चोदने के मारे वह भी तुझे फंसाने की कोशिश करेगा।"


"क्या सच में? फिर क्या होगा!" रेखा को थोडी शरम आती है।


"तेरी मर्जी, अगर तुझे लगे तुझे उससे शादी करनी है, कर लेना। मेरी तरह दोबारा शादी करना। अपने ही बेटे के साथ। तुझे अपनी सौतन बनाकर भी मुझे कितनी खुशी मिल रही है। लोग शायद झूट बोलते सौतन से घर उजड जाता है। मैं और तू सौतन बनकर औरतों को बता देंगे, सौतन बनाकर भी खुश रहा जा सकता है।"


"हाँ माँ, तुम ने सही कहा। मुझे दो दो खुशी एक साथ मिल रही है। तुम्हें सौतन के रूप में पाने की और अपनी शादी की।" माँ बेटी दोनों एक दूसरे का दूध दबाए प्यार का आनन्द लेने लगती है।


"आज हम दोनों एसे ही सोयेंगे। क्या पता अब से हमें इसी तरह से हर रोज सोना पडे।" राधा हंसी बात पे रेखा भी मांद मुस्कुराती है। रेखा और राधा अपने आगे आने वाले नए रिश्ता का भविश्य सोचकर एक दूसरे की बाहों में समा जाती है।

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Abhi32

Well-Known Member
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Update 49

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माँ बेटी, एक जान दो शरीर

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राधा का घर शादी के लिए तैयार हो गया था। कोमल सपना और शीतल ने मिलकर घर को पूरी तरह से सजा दिया है। रात गुजरते ही राधा और रेखा शादी की तैयारी में लग जायेगी। आज की रात उनकी जिंदगी की आखरी रात है जब वह बिना पति के सोने जा रही है। कल से लेकर शायद उन्हें हर रात चुदाई करवाना पडे।

रेखा अपने कमरे में पड़ी पड़ी यही सब बातें सोचने लगी थी। उसका भाई रघु, जो कल तक उसका पति बन जाएगा, उसके लिए शहर से कितना कुछ लेकर आया है। उसकी माँ और उसके लिए दो लाल घाघरा चोली लाया है। यही पहनकर दोनों शादी के मंडप में बैठेंगे। शायद इसी जोड़े में उन्हें सुहागरात भी करनी पडे।


"रेखा तू सो गई क्या!" दरवाजा खोलकर राधा कमरे के अन्दर आई। अपनी माँ को देखकर रेखा उठ गई।


"नहीं माँ, अभी नहीं। नींद कहाँ आ रही है। तुम्हें भी नींद नहीं आ रही?"


"हाँ मेरा भी वही हाल है। अच्छा होता अगर थोडी देर सो लेती। सोचा तेरे से कुछ बात कर लूँ!"


"कैसी बात? जरुरी है क्या?"


"नहीं एसी कुछ खास नहीं है। बस सोच रही हूँ, आज हम जैसे भी हैं, कल तक हमारा रिश्ता पूरा बदल जाएगा। तेरा भाई तेरा पति बन जाएगा। तू मेरी बेटी थी अब सौतन बन जायेगी।"


"हाँ माँ, सच कहा तुम ने। बडा मजा आयेगा।" रेखा उछलती हुई बोली।


"तुझे क्या पता मजा क्या होता है! अच्छा तू ने बुर के बाल साफ कर लिये क्या!"


"क्यों? तुम ने नहीं किये! मैं ने तो कर लिये। मतलब शीतल ने साफ कर दिया।" रेखा थोडी शर्माती हुई बोली।


"अच्छा हुआ! शादी के मौके पे बुर के बाल खुद साफ नहीं करने चाहिए।"


"शीतल कह रही थी, मौसी तुम्हारी सफाई कर देगी। मौसी ने दी क्या?"


"नहीं रे, मैं ने मना कर दिया।"


"क्यों? करवा लेती ना! तुम ने तो काफी दिनों से साफ नहीं किये होंगे।।


"हाँ काफी दिन हो गए। अब जब उसको कोई देखने वाला नहीं था, सफाई की जरुरत भी नहीं थी। अब उसको देखने वाला चोदने वाला बनने वाला है, अब तो ना चाहते हुए भी सफाई करनी पड़ेगी। लेकिन अब कौन करे मेरी सफाई!"


"मैं कर देती हूँ।"


"तू कर देगी? कर पायेगी?"


"हाँ कर लुंगी। तुम चिंता ना करो। शीतल की शादी में मैं ने साफ किये थे उसके। तुम कपडो खोलो, मैं क्रीम लेकर आती हुँ।"

रेखा बोलकर बाथरूम में चली गई। राधा मन ही मन मुस्कुराने लगी। वह जो कुछ चाह रही थी, वह पूरा हो रहा था। रेखा के साथ अगर उसकी लाज शरम थोडी कम हो जाये, फिर रघु के सामने उसे ज्यादा शरम नहीं आयेगी। आज रात तक रेखा के साथ उसे इसी तरह का खेल खेलना होगा। राधा अपनी साड़ी पेतोकोट खोलकर पूरी नंगी हो गई। और वहीं बैड पर पैर खोलकर लेट गई।


"ओए होए, यह क्या है माँ? यहां तो जंगल बना रखा है तुम ने?" रेखा की नजर उसके बुर के आसपास बने बालों पर थी।


"अब क्या बताऊँ, कहा ना, काफी दिन हो गए हैं! अब चल आ जा।" रेखा पास आकर क्रीम लगाने लगती है।


"कितने मुलायम है तुम्हारे बाल। और यह बुर भी। कितनी मुलायम है। मेरा भाई किस्मतवाला है, जो उसे यह बुर मिल रही है।" रेखा ने क्रीम लगा कर कहा।


"चूत मारने वाला किस्मत वाला ही होता है मेरी माँ! और अगर वह चूत उसकी माँ की हो, फिर तो और ज्यादा। तू फिक्र मत कर। तेरा भाई तुझे भी छोड़ेगा नहीं। मेरे साथ साथ तुझे भी रगड़-रगड़ के चोदेगा। मेरी तो फिर भी खिली हुई चूत है। तुम दोनों भाई बहन को इसी चूत से जनम दिया है। लेकिन तेरी तो सील भी नहीं टूटी। पता भी है कितना दर्द होता है!" राधा बुर पे क्रीम लगवाकर पड़ी पड़ी बताने लगती है।


"सच में बहुत दर्द होता है?"


"हाँ बहुत दर्द होता है। इस लिए मैं चाहती हूं, कल जब रघु हमारे साथ सुहागरात मनाने आयेगा, तू पहले चुदवा लेना। मैं तेरी माँ हुँ। तेरे पास रहकर तेरी मदद कर दूँगी।" राधा अपनी चाल चलती है।


"नहीं माँ, मैं पहले नहीं चुदवा सकती। पहली चुदाई तो तुम्हें ही करनी पड़ेगी। रघु मुझ से पहले तुम्हें चोद्ना चाहेगा। और मुझ से ज्यादा तुम्हारा उसपर अधिकार है।"


"अरे नहीं नहीं, तू पहले करवा लेना। तेरी पहली सुहागरात है, मैं नहीं चाहती रघु पहले मुझे चोदे।" राधा का दिल धडकने लगता है।


"नहीं माँ, मैं एसा नहीं कर सकती। और वैसे भी रघु नहीं मानेगा। तुम देख लेना वह तुम्हें ही पहले चोद्ना चाहेगा। तुम्हें पागलों की तरह चाहता है वह। अब तक तो तुम दोनों की शादी भी हो जाती।" रेखा की जिद भरी बात पे राधा का दिल टूट गया। उसने जैसा सोचा था वह नहीं हो सकेगा। अगर रेखा को ज्यादा जोर देगी फिर वह समझ सकती है, इस लिए राधा बात ज्यादा नहीं खींचती।


"हाँ तू ने सही कहा। जो भी हो कल देखा जाएगा। तूने तो रघु का लौड़ा देख रखा है, थोड़ा बता ना उसके बारे में! कैसा होगा वह! काफी बडा है ना! मोटा भी होगा!"


"हाँ बहुत बडा और मोटा है। मैं ने तुम्हें पहले भी बताया है। हाए, माँ तुम्हें कैसे बताऊँ! उसका लौड़ा कितना भीमकाय है! मैं ने कई बार रघु का मुठ मार दिया है। उसका पानी निकालकर दिया है। उसने भी मेरी चूत चुस्के बडा मजा दिया है मुझे। लेकिन उस वक्त हमने एक दूसरे से वादा किया था। रघु ने ठान ली थी, उसका लौड़ा सबसे पहले तुम्हारी बुर में ही घुसेगा। कभी कभी रघु इतना उतावला हो जाता की मुझे चोद्ना चाहता, लेकिन मैं उसे रोक देती। लेकिन आज जब सोचती हूँ वही लौड़ा मेरी चूत को चीरने वाला है, मेरी चूत कांपने लग जाती है। किस तरह जाएगा कैसे जाएगा अन्दर? मेरी तो सांस अटक जायेगी।" रेखा बताते बताते भाबुक हो गई।


"जाएगा तो जरुर। पहली बार दर्द भी होगा तुझे। लेकिन उसके बाद तू उस लौड़े के बिना रह नहीं पायेगी। तेरा जी करेगा हमेशा उससे चुद्ती रहे। रघु हमेशा हमेशा के लिये तुझे बस चोद्ता ही रहे। यह चुदाई और मिलन का प्यार एसा ही होता है। अब इसे उतार दे।" राधा बुर की सफाई करने को बोलती है। रेखा बातों ही बातों में बुर की क्रीम के साथ साथ बालौं की सफाई करती रहती है।


"देखो माँ, यह बिलकुल चिकनी चूत बन गई है। एकदम मुलायम। तुम ने सही कहा था माँ, मेरी और तुम्हारी बुर बिलकुल एक जैसी है। हर तरह से समान है। चूत के ऊपर यह काला तिल भी मेरी बुर पे है। अच्छा हुआ माँ हम दोनों का पति एक है। नहीं तो मैं बाद में बहुत परेशान रहती।" रेखा अपनी माँ के बुर पे मुलायम हाथ फेरने लगती है।


"तू मेरी बेटी है, तेरी चूत मेरे जैसे ही होनी थी। अच्छी तरह से देख ले, यहीं से तू और तेरा भाई निकला है। इत्नी छोटी छेद से।" राधा अपने पैर को और थोड़ा खोल देती है। जिससे रेखा के सामने उसकी माँ की बुर खुलकर उभर आई। रेखा दोनों हाथ लगाकर बुर के मुहाने को पकड़कर थोड़ा खोल देती है। जिससे राधा की बुर का लाल हिस्सा दिख जाता है। बुर के मुहाने पर चूत का रस लगा हुआ था।


"यहीं से लौड़ा घुसता है? यह तो बहुत ही तंग है माँ। चला तो जाएगा ना!" रेखा की नजर उसकी बुर से हटी नहीं।


"सब चला जाएगा रे। अगर ना भी गया तो तेरा भाई जबर्दस्ती घुसाकर छोड़ेगा। आखिर इसी के मारे बियाह कर रहा है। और जरा सोच इसी तंग सुराख से तुझे और मुझे बच्चा भी निकालना है। अपना कपडा निकालकर मेरे पास आ जा। मैं भी देखूँ तेरी चूत कैसी लग रही है!" राधा अब काफी सहज हो गई थी। उसे अब पहले जैसी शरम महसूस नहीं हो रही है। वह मुस्कुराते हुए बोलती गई।


"हाए माँ, सच में मुझे अभी से घबराहट हो रही है। पता नहीं कल क्या होगा! माँ तुम ने तो हम दो भाई बहन को इसी छेद से जनम दिया है, तुम्हारी चूत थोडी तो खुली हुई फैली हुई होगी!" रेखा बातों ही बातों में अपना कपडा निकाल देती है। उसकी केशहीन कमसिन बुर देखकर जवान राधा भी मस्त हो गई। रेखा को देखकर वह उठकर बैठ गई। और पैर फैलाकर रेखा को अपनी गोद में बिठा लिया। दोनों माँ बेटी नंगी होकर एक दूसरें को महसूस करने लगी।


"नहीं रे, जैसा तू सोच रही है, वैसा कुछ नहीं है। औरतें बच्चा जनम देने के बाद उनकी चूत का छेद फिर से सिकुड जाता है। हम अगर इस फांकोँ से दस बारह बच्चे भी निकाले हमारी चूत मारकर रघु को एक जैसा मजा आयेगा। तू बिलकुल मेरी जैसी हो गई है। तुझे देखकर कभी कभी सोचती हूँ, मैं अपने आप को देख रही हूँ। तेरी उम्र में मैं दो बच्चों की माँ बन गई थी। बिलकुल तेरी तरह गोरी चिट्टी थी। और एकदम सुडौल शरीर और बदन था मेरा।"


"लेकिन तुम्हारी जैसी गांड नहीं है मेरी। तुम्हारे कूल्हे कितने बड़े और भरे हुए हैं। जवान लडके इसी के दीवाने होते हैं। और तुम्हारा यह पेट कितना भरा हुआ है, कितना मांस है इसमें। और यह दाग! कितनी मस्त लगती हो तुम इसमें। काश मेरा भी एसा होता।" रेखा अपनी माँ राधा की गोद में बैठ बड़े प्यार से सहलाने लगती है।


"जब तू माँ बनेगी, तब धीरे धीरे मेरे जैसी हो जायेगी। इसमें समय लगता है। औरत जब तक माँ नहीं बनती उस वक्त तक उसकी एक अलग खुबसूरती रहती है। और जब माँ बनती है, अपने पति से चुदवा चुदवाकर पेट में बच्चा लेती है। उस बच्चे को नौ महीने तक अपने पेट में पालती है, तब औरत की खुबसूरती बदल जाती है। जब तू अपने बच्चों को जनम देगी, आज से बीस बाईस साल बाद जब तेरा बेटा रघु की उम्र का होगा तब तू मेरी जैसी दिखने लगेगी। और देखना, तेरा बेटा भी उस वक्त तुझ पर पागल बना फिरेगा। तुझे चोदने के मारे वह भी तुझे फंसाने की कोशिश करेगा।"


"क्या सच में? फिर क्या होगा!" रेखा को थोडी शरम आती है।


"तेरी मर्जी, अगर तुझे लगे तुझे उससे शादी करनी है, कर लेना। मेरी तरह दोबारा शादी करना। अपने ही बेटे के साथ। तुझे अपनी सौतन बनाकर भी मुझे कितनी खुशी मिल रही है। लोग शायद झूट बोलते सौतन से घर उजड जाता है। मैं और तू सौतन बनकर औरतों को बता देंगे, सौतन बनाकर भी खुश रहा जा सकता है।"


"हाँ माँ, तुम ने सही कहा। मुझे दो दो खुशी एक साथ मिल रही है। तुम्हें सौतन के रूप में पाने की और अपनी शादी की।" माँ बेटी दोनों एक दूसरे का दूध दबाए प्यार का आनन्द लेने लगती है।


"आज हम दोनों एसे ही सोयेंगे। क्या पता अब से हमें इसी तरह से हर रोज सोना पडे।" राधा हंसी बात पे रेखा भी मांद मुस्कुराती है। रेखा और राधा अपने आगे आने वाले नए रिश्ता का भविश्य सोचकर एक दूसरे की बाहों में समा जाती है।

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Awesome update
 

Babulaskar

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फोरम में इन दिनों कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। ना पाठक रीडर्स, ना रायटर लेखक। सब निराशा के शिकार हैं।

यह एक फ्री सर्विस है। जहाँ मुफत में पाठकों को मनोरंजन करना बडा कठिन काम है। अगर अच्छी कहानी लिखी जायेगी, पाठक भी आग्रह से पढेंगे। और पाठक अगर रायटर का मनोबल बढ़ाने के लिए कमेंट करेंगे, तो रायटर भी अच्छी कहानी उपहार दे सकेंगे। लेकिन यहां दोनों तरफ खाली है।

मेरी इस कहानी को मैं किसी भी हाल में एक सुन्दर अन्त देना चाहता था, जो मैं कर रहा हूँ। और यह पाठकों के आवेदन और अनुरोध किये जाने पर हुआ है। लेकिन नो रेस्पोंस। एक कोने में सड रहा है। मेरी तरह और दूसरी कहानी भी।

फोरम के मॉडरेटरस को इस बारे में विचार करना चाहिए।
 

Mass

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मेरी इस कहानी को मैं किसी भी हाल में एक सुन्दर अन्त देना चाहता था, जो मैं कर रहा हूँ। और यह पाठकों के आवेदन और अनुरोध किये जाने पर हुआ है। लेकिन नो रेस्पोंस। एक कोने में सड रहा है। मेरी तरह और दूसरी कहानी भी।

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Nahi bhai..beech mein aap bahut busy ho gaye and no updates on your stories (good that you started giving updates to this story). Abhi bhi Pavan story kaa updates log intezaar kar rahe hain..so, it's wrong to say people are not commenting on your story (my personal opinion though). Once you start giving updates on Pavan story also, you'll get good response. Btw, hope to see great ending for this story as well. Look forward to the updates. Thank you.
 

DB Singh

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यह एक फ्री सर्विस है।
अब मैं क्या कहूं इस एक शब्द ने बहुत कुछ कह दिया। आपको जैसा ठीक लगे वो करिये । बाकी इतना ही कहूंगा अपडेट रेगुलर आते रहे तभी तो कोई रिसपोन्स दे। वैसे आप भी अच्छे से जानते होगे की लोगो के कमेंट आते हैं। अपडेट प्लिज, वैटिंग फोर अपडेट। धन्यवाद
 
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